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ईमश्वर का आत्मा जल के ऊपर चाय डालता था॥ ३ ओर ईय्यर ने कहा कि उंजियाला हावे और उंजियाला हे गया॥ ४। और ईखर ने उंजियाले का रेखा कि अच्छा हे ओर ईअर ने लंजियाले के अंधियारे से विभाग किया ॥ ५। ओर ईयर ने उंजि- याले के! टिन और अंधियारे के! रात कहा ओर सांस ओर बिहान पहिला दिन हुआ॥ ६। और ईश्र ने कहा कि पानियों के मध्य में आकाश हेवे ओर पानियों का पानियों से बिभाग करे॥ ७। तब इंसर ने आकाश के बनाया और आकाश के नीचे के पानियों का आकाश के ऊपर के पानियों से विभाग किया और एसा हे। गया॥ ए८। और ईस्र ने आकाश के खरे कहा और सांकक ओर बिहान ट्टसरा दिन हुआ॥ <। ओर ईय्घर ने कहा कि खर्ग के तले के पानी एकह्ी स्थान में एकड़ हेवें और रूखी दिखाई टेवे और ऐसा हे गया ॥ ९०। और ईस्र ने रूखी के। भूमि कहा और एकट्टे किये गये पानियों के समुद्र कहा ओर ईअर ने देखाकि अच्छा हे ॥ १५९। और ईम्घर ने कहा कि भूमि घास के ओर साग पात के जिन में बीज हेवें और ] [8, 9/ के] र्‌ उत्पत्ति [९ पन्ने फलवंत पेड़ का जे अपनी अपनी भांति के समान फल जिन के बीज भूमि पर उन में हेवें उगावे और ऐसा हे! गया ॥ ९२। और भूमि ने घास ओर साग पात के अपनी अपनी भांति के समान जिन में बीज हेपवें और फलवंत पेड़ का जिस का बीज उस में हेावे उस की भांति के समान उगाया और ईय्यर ने टेखा कि अच्छा ह्े। १९५३। ओर सांस ओर बिहान तौसंरा टिन हुआ॥ १५४। ओर ईशखर ने कहा कि टिन ओर रात में बिभाग करने के! खग के आकाश में ज्योति होंवें और वे चिज़्ां और क्हतन ओर टिनों और बणां के कारए हेवें॥ १५ । और वे एथिवी के उंजियाली करने के! खगे के आकाश में ज्याति के लिये हेवें और एसा हे गया॥ १५६। ओर ईय्वर ने दो बड़ी ज्योति बनाई एक बड़ी ज्याति टन पर प्रभता के लिये और उडउद्मे छोटी ज्योति रात पर प्रभता के लिये ओर तारों को भी॥ १५७। और ईश्र ने उन्हें खगे के आकाश में रक्खा कि एथिवी पर उंजियाला करें। ९८। और ट्नि पर और रात पर प्रभता करें और उंजियाले का अंधियारे से विभाग करें और ईम्वर ने टखा कि अच्छा क्षे। १५९। और सांस ओर बिहान चैथा टिन हुआ॥ २०। और ईम्र ने कहा कि पानी जीवघारी रेगवैंयें की बहुताई से भर जाय श्र पक्षी एथिवी के ऊपर खगे के आकाश पर उड़े॥ २९। सेईम्वर ने बड़ी बड़ी मछलियों और हर एक रेंगविये जीवधारी के जिन से पानी भरा हे उन की भांति भांति के समान और हर एक पक्षी के! उस की भांति के समान बहुताई से उत्पन्न किया और इग्वर ने टेखा कि अच्छा हे। २२। ओर ईश्वर ने उन का आशीष टेके कहा कि फलमान हे ओर बढ़े और समट्रां के पानियों में भर जाओ और पत्ची एथिवी पर बढ़ें। २३। और सांम्म और विहान पांचवां टिन हुआ। २४। ओर ईयर ने कहा कि एथिवी हर एक जीवधारी के उस की भांति भांति के समान अथात ठाोर और रेंस- बैथे जंतु के और बनैले पशु के उस की भांति के समान उपजावे और ऐसा हे! गया॥ २५। ओर ईअश्र ने बनेले पश के उस की भांति के समान गैर ठार के उस की भांति के समान और एथिवी के हर एक रेंगवैय जंतु का उस की भांति के समान बनाया और ईस्वर ने टेखा कि २ पत्बे] कौ प॒स्तक । ३ अच्छा क्ैे॥ २६। तबईय्पर ने कहा कि हम मनव्य का अपने खरूप में अपने समान बनावें ओर वे समट्र की मछलियों ओर आकाश के पक्षियों और ठेर ओऔ_र सारी एथिवी पर और एथिवी पर के हर एक रेंगवैये जंतु पर प्रधान हावें॥ २७। तब ईआर ने मन॒व्य का अपने खरूप में उत्पन्न किया उस ने उसे ईय्पघर के खरूप में उत्पन्न किया उस ने उन्हें नर और नारी बनाया॥ श८। और ईख्र ने उन्हें आशीष टिया और ईम्घर ने उन्हें कहा कि फलवान होओ7 और बढ़ा और एथिवी में भर जाओ और उसे बश में करो और समर की मछलियों और आकाश के पक्षियों और एथिवी के हर एक रेंगवैयथ जीवधारी पर प्रभता करो। २८ और ईश्यर ने कहा ला में ने हर एक बीजघारी साग पात का जो सारी एथिवी पर क्षे और हर एक पेड़ के जिस में फल है जे बीज उप- जावता है तम्हें टिया यह तम्हारे खाने के लिये हेगा॥ ३०। और एथिवी के हर एक पश्‌ के ओर आकाश के हर एक पच्छी का और एथिवी के हर एक रंगवैये जीवधारी का हर एक प्रकार की हरियालो भी खाने के टिई और एसा हुआ॥ ३९। फिर परमेग्वर ने हर एक बस्त पर जिसे उस ने बनाया था दृष्टि किई और ट्खा कि बहुत अच्छी है और सांस और विहान छटठवां दिन हुआ ॥ २ टूूसरा पब्ब ॥ ञ्य खगे और एथिवी और उन की सारी सेना बन गई ॥ ९। ओर ईंख्वर नेअपने कार्य का जा वह करता था सातवें टिन समाप्त किया ओर उस ने सातंवें दिन में अपने सारे कार्य से जे। उस ने किया था विश्राम किया॥ ३। और इंगस्वर ने सातवं दिन का आशीष दिई और उसे पवित्र उहराया इस कारण कि उसी में उस ने अपने सार कार्य से जा ईस्बर ने उत्पन्न किया और बनाया विश्राम किया॥ ४। यह खर्भे ओर एथिवी की उत्पत्ति हे जब वे उत्पन्न हुये जिस दिन परमेग्र इंस्वर ने खभे ओर एथिवी के। बनाया ॥ ५। ओर खेत का केई साग पात अब ले एथिवी पर न था और खेत की काई हरियाली अब लो न उगी थी क्यांकि परमेग्यर ईस्वर ने प्थिवी पर मेंह न बसे (या था, ४ उत्पत्ति [२ पन्ने और केई मनव्य न था कि भमि की खेती करे॥ ६। गशऔर एथिवी से कचह्ठासा उठता था और समस्त भमि का सौंचता था॥ ७। तब परमेश्वर ईश्वर ने भमि की घल से मनव्य का बनाया और उस के नथनों में जीवन का ग्थास फंका और मनव्य जीवता प्राण हुआ। । और परमेश्वर ईस्वर ने अदन में परब की ओर एक बारी लगाई और उस मनव्य के जिसे उस ने बनाया था उस में रक्वा॥ 6। ओर परमेग्पर ईम्वर ने हर एक पेड़ का जो देखने में सन्द्र और खाने में अच्छा हे ओर उस बारी के मध्य में जीवन का पेड़ और भले बरे के ज्ञान का पेड़ भमि से उगाया॥ २९०। और उस बारी को सौंचने के लिये अदन से एक नदी निकली और वहां से विभाग हेके चार मेहाने हुए ॥ ९९॥। पहिली का नान फेर्ून जे हवीलः की सारी भूमि का घेरती है जहां सेना हेता क्ञे॥ ९२। उस भूमि का सोना चाखा है वहां मेतती और विज्लौर हेता हैं॥ १३। ओर ट्ूसरी नदी का नाम जैह्न है जो कश की सारी भमि के घेरती हे ॥ १५४। और तीसरी नदी का नाम ट्जिलः है जे अस्हर की परब ओर जाती है और चैथी नी फरात है॥ १९५। ओर परमेग्र ईश्वर ने उस मनव्य का लेके अटन की बारी में रकवा जिसतें उसे सघारे और उस की रखवाली करे ॥ ९६ । और परमेगश्वर ईश्वर ने मनुय्य का आज्ञा दके कहा कि तू इस बारी के हर एक पेड़ का फल खाया कर ॥ १५७। परन्तु भले ओर बुरे के ज्ञान के पेड़ से मत खाना क्योंकि जिस ट्न त उस्झ खायगा त्‌ निःे्चयय मरेगा॥ १८ और परमेम्वर ईम्घर ने कहा कि मनव्य के अकेला रहना अच्छा नहीं में उस के लिय एक उपकारिणी उस के समान बनाऊंगा॥ १५८। ओऔर परमेस्वर ईस्थर भमि से हर एक बनैले पए और आकाश के सारे पच्ची बनाकर उन को मनव्य के पास लाया कि ट्ख कि उन के क्या क्या नाम रखता कै और जे कछ कि मनव्य ने हर एक जीते जंत के कहा वही उस का नाम हुआ॥ २०। और मनव्य ने हर एक ठार और आकाश के पक्षी ओर हर एक बनेले पशु का नाम रकवा पर आदम के लिये उस के समान कोई उपकारिणी न मिली॥ २९। और परमेग्थर ईम्वर ने मनव्य का बड़ी नीन्‍्द में डाला और वुच्द सा गया तब उस ने उस की ३ पब्बे] की पस्तक । धू पसलियों में से एक निकाली ओर उस की संती मांस भर टिया॥ २२ और परमेम्र ईय्घर ने मनस्य की उस पसली से जे। डस ने लिई थी एक नारी बनाई और उसे नर पास लाया॥ २३। तब नर बाला यह तो मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस वुद्द नारी कहलावेगी क्योंकि यह नर से निकाली गई॥ २४। इस लिये मनुय्य अपने माता पिता के छोड़ेगा और अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक मांस हांगे॥ २४५ ओर मनुस्य ओर उस की पत्नी ट्नों के दानों नग्र थे और लज्जित न थे ॥ ३ तीसरा पत्ते । ब सप्पं भमि के हर एक पश से जिसे परमेग्घर इंस्वर ने बनाया जा था घत्ते था ओआर उस ने सती से कहा क्या निश्यय ईय्घर ने कहा है कि तुम इस बारी के हर एक पेड़ से न खाना ?॥ २ । स्त्री ने सरप्प॑ से कहा कि हम तो इस बारी के पेड़ां का फल खाते हैं ॥ ३। परन्त उस पेड़ का फल जो बारी के बीच में हे ईश्वर ने कहा हे कि तम उस्मेन खाना ओर न छूना न हे। कि मर जाओ ॥ ४। तब उर्प्य ने स्त्रौ से कहा कितम निशञ्वय न मरागे॥ ५ । क्योंकि ईश्वर जानता है कि जिस दिन तम उसमे खाओशगे तम्हारी आंखें खल जायेंगी और तम भले और बरे की पहिचान में इंस्थर के समान हे जाओगे॥ ६। ओर जबस्तो ने देखा कि वह पेड़ खाने में सुखाद और दृष्टि में सन्दर गऔर बड्डि देने के योग्य हे तो उस के फल में से लिया ओर खाया ओर अपने पति के भी दिया और उस ने खाया ॥ ७। तब उन ट्ोनों की आंखें खल गई और वे जान गये कि हम नंग हें से। उन्‍्हां ने गलर के पत्तों का मिला के सीआ और अपने लिये ओआढ़ना वनाया॥ ८। और दिन के ठंढे में उन्हें ने परमेम्मर इंगख्वर का शब्द जा बारी में चलता था सना तब मन॒व्य और उस की पत्नी ने अपने का परमेम्वर ईम्वर के आगे से बारी के पेड़ों में छिपाया ॥ €। तब परमेग्यर ईंग्घर ने मनव्य के पकारा ओर कहा कि तू कहां क्षे। ९०। व॒ुह बोला कि में ने तेरा शब्द बारी में सना और डरा क्योंकि में नंगा था इस कारण में ने अपने का छिपाया॥ २९१। ् उत्पत्ति [३ पब्बे और उस ने कहा कि किस ने तुम्क जताया कि त नंगा ह क्या त ने उस पेड़ से खाया जो में ने तम्मी खाने से बरजा था॥ ९५०५। गऔर मनव्य ने कहा कि इस स्वी ने जा त ने मेरे संग रक्खी मस्के उस पेड़ से टिया और में ने खाया॥ २९३। तब परमेग्यर ईस्वर ने उस स्त्री से कहा कि यह त ने क्या किया हे स्त्री बाली कि सप्प ने मम्मे बहकाया ओर में ने खाया ॥ ९ ४। तब परमेस्पर ईसर ने सप्पे से कहा कि जे। तू ने यह किया क्ञे इस कारण त सारे ठार और हर एक बन के पशन से अधिक स्वापित हेगा त अपने पेट के बल चलेगा और अपने जीवन भर धूल खाया करेगा ॥ ९५ । और में तम्क में ओर सती में ओर तेरे बंश और उस के बंश में कर डालेंगा वह तेरे सिर के! कचिलेगा और त उस की एड़ी के! कचि- लेगा॥ १६। ओर उस ने स्त्री के! कहा कि में तेरी पीड़ा और गर्भ घारण के बहुत बढाऊंगा त पीड़ा से बालक जनेगी ओर तेरी इच्छा तेरे पति पर होगी और व॒च्ठ तम्र पर प्रभता करेगा॥ ५७। और उस ने आटम से कहा कि त ने जे। अपनी पत्नी का शब्द माना हे और जिस पेड का में ने तम्के खाने से बरजाथा त ने खाया कै इस कारण भमि तेरे लिये खापित हे अपने जीवन भर त उत्म पीड़ा के साथ खायगा॥ ९८। बुच्द कांटे और जंटकटारे तेरे लिये उगायेगी और त्‌ खेत का साग पात खायगा॥ १५८। अपने मुंह के पसीने से तू रोटी खायगा जब लो 'त्‌ भमि में फिर न मिल जाय क्योंकि त उद्यम निकाला गया इस लिये कि त घल है और घल में फिर जायगा॥ २०। और आम ने अपनी पत्नी का नाम हवः रक्खा इस कारण एके वह समस्त जीवतों की माता थी ॥ २९। और परमेगस्वर ईश्वर ने आट्म और उस की पत्नी के लिये चमड़े के ओढ़ने बनाये और उन्हें पच्दिनाये॥ २२। और परमेम्धर ईस्वर ने कहा कि टेखे। मनय्य भले ब रे के जात्ने में हम में से एक की नाई हुआ ओर अब ऐसा न हावे कि वह अपना हाथ डाले ओर जीवन के पेड़ में से भी लेकर खावे और अमर हे। जाय ॥ २३। इस लिये परमेप्यर ईस्मर ने उस के! अटन की बारी से बाहर किया जिसतें वह भरत की किसनई कर जिस्य वह लिया गया था॥ २४। से उस श्उ २३०. ने मनव्य के! निकाल टिया और अटन की बारी की पब ओर करो- 8 पब्बे ] की पस्तक । रु बीम ठह्तराये ओर चमकते हुए खड़ का जा चारों आर घमता था जिसते जीवन के पेड़ के मागे की रखवाली करें। [>. ८ ४ चाथा पब्व । ञ' आदउम ने अपनी पत्नी हवः के। ग्रहण किया और वह गर्भिणी हुई ओर उडछर्मसे काइन उत्पन्न हुआ ओर बोली कि में ने परमेग्वर से एक परुष पायां॥ २। और फिर वह उस के भाई हावील का जनी और हाबील भेड़ां का चरवाहा हुआ परन्त काइन किसनई करता था॥ ३। ओर कितने दिनों के पीछ यों हुआ कि काइन भमि के फलों में से परमेगश्वर के लिये भेंट लाया॥ ४। और हाबील भी अपनी मंड में से पहिलोंठटी ओर मेरी मोटी लाया और परमेश्वर ने हाबील का ओर उस की भेंट का आटर किया॥ ५। परन्त काइन का और उस की भेंट का आदर न किया इस लिये काइन अति कापित हुआ और अपना मंह फलाया ॥ ६। तब परमेश्वर ने काइन से कहा त क्यों क्रड है ओर तेरा मंच क्यों फल गया॥ ७। यदि त भला करे तो क्या त ग्राह्म न हेगा ओर यदि त भला न करे तो पाप द्वार पर है और वह तेरे बश में हेगा और तू उस पर प्रभता करेगा॥ ८ः। तब काइन ने अपने भाई हाबील से बातें किई और यों हुआ कि जब वे खेत में थे तब काइन अपने भाई हाबील पर क्कपटा और उसे घात किया॥ «€। तब परमेश्वर ने काइन से कहा तेरा भाई हावील कहां है बुच्द बाला में नहों जानता क्या में अपने भाई का रखवाल कू॥ १५०। तब उस ने कहा तू ने क्या किया तरे भाई के लाह्न का शब्द भूमि से मम्मे पकारता हे॥ १५९। और अब त प्थिवी से स्लापित क्ले जिस ने तेरे भाई का लाह्न तरे हाथ से लेने के अपना मुंह खेला हे ॥ ५२। जब तू किसनई करेगा तो वह तेरे बश में न हागी 'त एथिवी पर भगोडा और बच्ेत रहेगा ॥ १९३। तब काईन ने परमेग्र से कहा कि मेरा ट्ण्ड मेरे सहाव सेअधिक है॥ २४। देख त ने आज ट्ए में से मम्मे खट्र ट्या है और में तेरे आगे से गप्त हेऊंगा ओर में एथिवी पर भगोड़ा ओर बच्ेत हे।ऊंगा और एसा हे!गा कि जो काई मक्के पावेगा मार डालेगा ॥ ५४ । तब ष्द उत्पत्ति [५ पच्बे परमेश्वर ने उसे कहा इस लिये जो काई काइन के मार डालेगा तो उस्सशे सात गुन पलटा लिया जायगा और परमेश्वर ने काइन पर एक चिह्ल रक्खा न हे। कि काई उसे पाके मार डाले॥ १५६। तब काइन परमेश्वर के आगे से निकल गया और अदन की पं ओर नट की भमि में जा रहा॥ ९७। और काइन ने अपनी पत्नी के ग्रहण किया और बह गर्भिणी हुई ओर उद्झे हनक उत्पन्न हुआ तब उसने एक नगर बनाया और अपने बेटे हनक का नाम उस पर रक्वा ॥ ९५८। और इनक से ईराट उत्पन्न हुआ और ईराद से महूयाएऐल और महक्तया- रेल से मतसाणल ओर मतसाएल से लमक उत्पन्न हुआ॥ ९८। और लमक ने दो पत्नियां किई पहिली का नाम अटः और टूसरी का नाम जिल्!ः था॥ २०। और अदः से याबल उत्पन्न हुआ जो तंबओंं के निवासियों और ठोर के चरवाहां का पिता था॥ २९। और उस के भाई का नाम यबल था वह बीन और अरगन के सारे वजनियों का पिता था॥ २२९। ओर जिज्ञः से तवबजकाइन उत्पन्न हुआ जो उठेरों और लेहहारों का शिक्षक था और तबलकाइन की वहिन नअमः थी ॥ २३। और लमक ने अपनी पत्नी अदः और जिज्ञ: से कहा कि हे पत्नियों मेरा शब्द सने! और मेरे बचन पर कान घरो क्योंकि में ने एक परुष का अपने घाव के लिये और एक तरुण के अपने दुःख के लिये मार डाला ॥ २४। यदि काइन सात गन प्रतिफल लेवे ते लमक सतच्चत्तर गन ॥ २५। ओर आटउम ने अपनी पत्नी के फिर ग्रहण किया और वह बेटा जनी उस का नाम सेत रक्‍दा क्योंकि ईश्वर ने हाबील की संतीो जिस का काइन ने मार डाला मेरे लिये दूसरा बंश ठहराया ॥ २६। और सेत के! भी एक बेटा उत्पन्न छुआ ओर उस ने डस का नाम अनूस रक्‍्खा उस समय से लाग परमेग्वर का नाम लेने लगे ॥ ५ पांचवां पब्थे । ञहः की बंशावली का पत्र यह हे जिस दिन में ईश्वर ने मन॒व्य के उत्पन्न किया उस ने उसे इईंमख्वर के खरूप में बनाया॥ २। उस ने उन्हें नर और नारी बनाया और जिस ट्न वे सिरजे गये उस ने ५ पर्व] की पुस्तक । &्‌ उन्हें आशीष ट्या ओर उन का नाम मनुव्य रक्खा ॥ ३। और एक से लौस बरस की बय में आदम से उसी के खरूप जै'र रूप में एक बेटा उत्पन्न हुआ और उस का नाम सेत रक्वा॥ ४। और सेत की उत्पत्ति के पीछ आदउम की बय आठ से बरस की हुई ओर उर्तहो बेटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ ५। और आम की सारी बय नव से तीस बरस की हुई और वह मर गया॥ ६। और सेत जब एक सी पांच बरस का हुआ तब उस्मे अनस उत्पन्न हुआ॥ ७। ओर अनस की उत्पत्ति के पीछ सेत आए से सात बरस जीआ ओर उसमे बरटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ ८। और सेत की सारी बय नव से बारह बरस की हुई औरर वह मर गया ॥ <। और अनस जब नब्बे बरस का हुआ तब उद्झे कीनान उत्पन्न हुआ ॥ ०॥ और कीनान की उत्पत्ति के पीछे अनस आउट से पंट्रह बरस जीआ ओर उत्तोे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ २९। और अनस की सारी बय नव से। पांच बरस की हुई और वह मर गया॥ २९२। ओर कीनान सत्तर वरस का हुआ और उद्झे महललिएणेल उत्पन्न हुआ॥ ९३। और महललिणल की उत्पत्ति के पीछ कीनान आठ से! चालीस बरस जीआ और उद्के बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ ९४। और कीनान की सारी बय नव ले। दस वरस की हुई और वुच्द मर गया ॥ ९५। और महललिणेल जब पेंसठ बरस का हुआ तब उद्समे विरट उत्पन्न हुञआा॥ २९६। और महललिएल विरद की उत्पत्ति के पीछू आठ सो तीस बरस जीआ और उससे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ ९७। और महललिएल की सारी बय आउट से! पंचानवे बरस की हुई गैर वुह्द मर गया॥ ९१५८। जब विरद एक से! बासठ बरस का हुआ तब उद्ये हनूक उत्पन्न हुआ॥ ९७। और' ' हनूक कौ उत्पत्ति के पीछे विरद आठ सै बरस जीआ औएर उसमे बेटे बरटियां उत्पन्न हुई ॥ २० | और विरट की सारी बय नव से! वासठ बरस की हुई और वह मर गया॥ २९। जब हनक पेंसठ बरस का छुआ ते उस्स मतसिजह उत्पन्न हुआ॥ २२ । और हनक मतसिलह की उत्पत्ति के पीछ तीन से बरस लो ईम्थर के साथ साथ चला ओर उद्मे बेटे बटियां उत्पन्न हुई ॥ २३। और हनक की सारी बय तीन से पैंसठ बरस की हुई॥ २४। ओर हनूक ईस्घर के साथ साथ चलता था और वुच्द न मिला 2 [4. 8. 8.] ९० ड्त्पत्ति [६ पत्मे 00220 0208 226 02222 60 2 य क दे ी क्योंकि ईस्र ने उसे लेलिया। २४। और जव मतसिलह एक सा सतासी बरस का हुआ तब उद्झे लमक उत्पन्न हुआ॥ २६ | और लमक की उत्पत्ति के पीछे मतसिलह सात से! बयासी बरस जीआ और उसमे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ २७। और मतसिलह की सारो बय नव सा उनचहत्तर बरस की हुई और वह मर गया ॥ श८। ओर लमक जब एक झा बयासी बरस का हुआ तब उस का एक बेटा उत्पन्न हुआ ॥ २<। और उस ने उस का नाम नह रकखा ओर कहा कि यह हमारे हाथों के परिश्रम और काये के बिषय में जे! एथिवी के कारण से हैं जिस पर परमेग्वर ने स्ाप दिया हे हमें शांत देगा॥ ३० । और नह की उत्पत्ति के पीछे लमक पांच से। पंचानवे वरस जीआ ओर उद्मे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ ३९५ । और लमक की सारी बय सात से सतहत्तर बरस की हुई और वह मर गया ॥ ३९। ओर नह जब पांच से बरस का हुआ तब नह से सिम और हाम और याफत उत्पन्न हुए । ६ छठटबां पब्ब । ञ्ः थों हुआ कि जब मनव्य एथिबी पर बढ़ने लगे ओर उन से बेशियां उत्पन्न हुई ॥ २। तो ईग्र के पत्रों ने मनव्य की पत्रियों के! ट्खा कि वे संदरी हें और उन में से जिन्हें उन्हें ने चाहा उन्हें व्याहा॥ ३। और परमेग्बर ने कहा कि मेरा आत्मा मनव्य में उन के अपराध के कारण सट्7 लो न्याय न करेगा वुच्द मांस हे और उस के टिन एक ज्लौबीसबरस के हांगे॥। ४।औओर उन दिनों में एथिवी पर टानव थे और उस के पीछे जब इंगख्र के पत्र मनव्यां की पत्रियों से मिले तो उन से बालक उत्पन्न हुए जो। बलवान हुए जे आगे से नामी थे ॥ ५ । और ई प्र ने देखा कि मनव्य कौ दृष्टता एथिवी पर बहुत हुई और उन के मन की चिंता और भावना प्रतिदिन केवल बरी हेती हैं ॥ ६ । तब मनय्य के एथिवी पर उत्पन्न करने से परमेश्वर पछताया ओर उसे अति शोक हुआ ॥ ७9 । तब परमंग्र ने कहा कि मनव्य का जिसे में ने उत्पन्न किया मनय्य से लेके पश लो और रगवैयें के ओर आकाश के पत्तियां के प्थिवों पर से नष्ट करूंगा क्योंकि उन्हें बनाने से में पछताता हू ॥ है पब्बे] कौ पस्तक । २९ प्पच । पर नह ने परमेशख्र की हृष्टि में अनग्रह पाया ॥ « । नह की बंशावली यह कै कि नह अपने समय में घर्मी' और सिद्ठ परुष था ओर इंम्घर के साथ साथ चलता था॥ ५०। ओर नह से तीन बेटे सिम ओर हाम ओर याफत उत्पन्न हुण॥ २९। ओर एथिवी ई स्वर के आगे बिगड़ गई थी ओर एथितरी अंघधेर से भरपर हुई॥ १५२। झआऔर ईयर ने एथिवी पर दृष्टि किई ओर क्या टेखता है कि वह बिगड़ गई हे क्योंकि सारशरौर ने एथिवी पर अपनी चाल का बिगाड़ दियाथा॥ ९५३। और इंखर ने न्‌ह से कहा कि सारे शरौर का अंत मेरे आगे आ पहुंचा है क्यांकि उन से एथिवी अंघेर से भर गई है ओर ट्ख में उन्हें एथिवी समेत नष्ट करूगा॥ १५४। त गाोफर लकड़ी की अपने लिये एक नाव वना ओर उस नाव में काटरियां और उस के बाहर भीतर राल लगा॥ २९५ । ओर उसे इस डे।ल कौ बना उस नाव की लंबाई तौन से हाथ और चेड़ाई पचास हाथ और ऊंचाई तीस हाथ की हेवे॥ २६। उस नाव में एक खिड़की बना ओर रऊपर ऊपर उसे हाथ भर में समाप्त कर और उस के अलंग में दर बना और उस में नोचे कौ और टूसरी और तीसरी अटारी बना॥ १५७। और टेख कि सारे शरीर के जिन में जीवन का आस हे आकाश के तले से नाश करने को में अर्थात में ही बाढ़ के पानी एथिवी पर लाता हू और पएथिवी पर हर एक बस्त नष्ट हा जायगीं॥ ९८। परनन्‍्त में तस्मे अपनी बाचा स्थिर करूंगा त नाव में जाना त ओर तेरे बेटे ओर तेरी पत्नो और तरे बेटों की पत्नियां तेरे साथ। १८। और सारे शरौरों में से जीवता जंत दो दे! अपने साथ नाव में लेना जिसते वे तेरे साथ जौते रहें वे नर ओर नारी होवें॥ २०। पंछी में से उस के भांति भांति के ओर ढार में से उस के भांति भांति के और एथिवी के हर एक रेंगवैंयथे में से भांति भांति के हर एक में से हो दा तम्क पास आब जिसतें जौते रहें॥ २९। और त अपने लिये खाने के। सब सामग्री अपने पास एकट्ढठा कर वुच्द तुम्हारे और उन के लिये भेजन होगा से ईश्वर की सारी आज्ञा के समान नह ने किया। श्र जत्पत्ति [७ पन्चय ७ सातवां पब्बे । जज परमेग्वर ने नह से कहा कि त अपने सारे घराने समेत न!व में प्रवेश कर उ्योंकि इस पीढ़ी में अपने आगे तम्के घर्मी टेखाक्े। २। हर एक पवित्र पश में से सात सात नर और उस की जे ड़ी और पश में से जे पवित्र नहों टाा ट/ नर और उस को जाड़ी अपने साथ लेना॥ ३। और आकाश के पछ्षियें से भी सात सात नर और उस की जोड़ी जिसतें सारी एथिवी पर बंश जीता रक्खे॥ ४। क्यांकि में सात ट्नि के पीछे एथिवी पर चालीस रात दिन मेंह बरसाऊंगा और इर एक जीवते जंत का जिसे में ने बनाया हे एथिवी पर से मिया दरऊंगा ॥ ५। और नह ने परमेश्वर की सारी आज्ञा के समान किया ॥ ६। और जब पानियां का बाढ़ एथिवी पर हुआ नह छः सा बरस का था ॥ ७। तब नह ओर उस के बेटे और उस की पत्नी ओर उस के बट की पत्नियां पानियां के बाढ़ के कारण से उस के संग नाव पर चढ़ों ॥ ८। पवित्र पशन से और उन में से जा पवित्र नहीं हैं और पंछियें से और एथिवी के हर एक रेंगवयां में से॥ « | टा हा नर और उस की जाड़ी जैसा इंशर ने नह का आज्ञा किई थी नाव में गए॥ ९५०। और जब सात दिन बीत गये ते! य॑ हुआ कि बाढ़ के पानी एथिवी पर हुए।॥ ५१५। और नह की बय के छः से बरस के हस रे मास की सत्तरह्रवों तिथि में उसो दिन महा गहिरापे के सारे सेते फट निकले और खगे के द्वार खल गये ॥ ९५२। और एथिवी पर चालीस रात दिन मेंह बरसा॥ २६३। उसी दिन नह ओर नह के बेटे सिम ओर हाम ओर याफत और नह की पत्नी और उस के बेटां की तीनों पत्नियां उस के साथ नाव में गई ॥ ५ ४ । वे और हर एक पशु अपनी अपनी भांति के समान और सारे ढोर और भूमि पर के हर एक रेंगवैये जंतु अपनी अपनी भांति के समान और हर एक पंछी अपनी अपनी भांति के समान हर एक भांति की हर एक चिड़ियां। ५४५। ओर वे नह के पास सारे शरीरों में से दो हे जिन में जीवन का आस था नाव में गये॥ ९५६। ओर जिन्‍्हों ने प्रवेश किया से सारे शरीरों में से जोड़ा जाड़ा थे जैसाकि ईयर ने उसे आज्ञा ष्ः पब्थे | कौ पस्तक । हक किई थी जोर परमेश्वर ने उस के पीछे बंद किया॥ ९७। ओर बाढ़ का पानी चालीस टन ताई प्थिवी पर हुआ ओर पानी बढ़ गया ओऔरर नाव के उभार लिया और वह भूमि पर से ऊपर उठ गई॥ १५८। और जब पानी बढ़े और एथिवी पर बहुताई से बढ़ गए तब नौका पानी के ऊपर उतराने लगी॥ ९५८। और जब कि पानी एथिवी पर अत्यंत बढ़ गये ते सारे ऊंचे पहाड़ जे! सारे आकाश के नीचे थे ढंप गये॥ २०। और हंपे हुए पहाड़ों पर पानी पंट्रह हाथ बढ़ गये ॥ २९। ओर सारे शरौर जो पएथिवीपर चलते थे पंछी ओर ढार और पश जेर भमि पर के हर एक रेंगनैये ज॑त ग्रार हर एक मनप्य मर गये ॥ २२। शऔर सब जिन के नथनों में जीवन का स्वास था ओर सब जे रूखी पर थे मर गये॥ २३। ओर हर एक जीवता जंत जे एथिवी पर था मनय्य से लेके ढार और कीड़े मकाड़े और आकाश के पंछिये लो नष्ट हुए केवल नह और जो उस के साथ नोका में थे बच रहे॥ २४। ओर पानी डढ़ सा हिन लॉ छथिवी पर बढ़ते गये । ८ आठवां पब्ये । जो अप |. विवते अल एर ईस्थर ने नह के ओर हर एक जीवते ज॑तु के और सारे दी ध्ड पे के 5०५ « में दि बडे ढार का जे उस के रंग नाव में थे छझरण किया और ईंय्घर सु ५2 गज ने एथिवी पर एक पवन बहाया और जल ठहर गये ॥ २। और गहि- जप सेपते 33२ हैक &- रो हे हर ने जज राव के सेते भी ओर आकाश के सरोखे बंट हे! गये ओर आकाश से वर वि दि. ९. > ब्यक मेंद्र थम गया॥ ३। और जल एथिवी पर से घटे चले जाते थे और थक १: दिनों + ) 5 तिते डेढ़ सो दिनों के बीते पर जल घट गये ॥ ४। और सातवें मास की सत्तरह तिथि में नैका अरारात के पहाड़ों पर टिक गईं॥ ५। और जा ० *--. विद _्& '>5>य 8. न जल ट्सवें मास लॉ घटते गये और दसवें मास के पहिले टन पहाड़े। की चेटियां दिखाई दिई॥ &६। और चालीस टन के पीछ य॑ हुआ की नह ने अपने बनाये हुए नाव के भ््त राख के! खाोला॥ ७। और उस ने एक काग के उड़ा दिया और जब लो एथिवी पर के जल सख न गये ब॒द्द आया जाया करता था ॥ ८। फेर उस ने अपने पास से एक पंडकी का छाड़ु दिया जिसते जाने कि पानी भमि पर से घट गये अथवा नहीं ॥ ९४ उत्पत्ति [८ पब्बे €। परन्तु उस पंडुकी ने अपना चंगुल टिकने के। ठिकाना न पाया और वह उस के पास नोका पर फिर आई क्योंकि जल सारी एथिवी पर था तब उस ने अपना हाथ बढ़ाके उसे लेलिया और अपने पास नाव में लेलिया॥ १५०। फिर वह और सात दिन ठहर गया और फिर उस ने डस पंडकी के नाव से उड़ा टिया। १५९। ओर वह पंडकी सांस्क के उस पास फिर आई ओर उ्या टेखता है कि जलपाई की एक पत्ती उस के मंह में हे तब नह ने जाना कि अब जल एथिवी पर से घट गया ॥ १२। ओर वह और भी सात टन ठहरा उस के पीछ उस ने उस पंडकी के छोड़ टिया वह उस के पास फिर न आई॥ २९३। और छः से! एक बरस के पहिले मास की पहिली तिथि में यां हुआ कि जल प्टथिवी पर से रूख गया ओर नह ने नाव की छत उठा टिई ओर क्या टेखता है कि एथिवी ऊपर से रूखी है ॥ २९४। और टूसरे मास की सत्ताईसवीं तिथि में एथिवी रूखी थी॥ २१५४। तब इंचख्यर नह का यह कहके बाला ॥ ९६ । किअब त नाका से निकल आ ओर तरी पत्नी ओर तेरे बेटे और तेरे बेटों की पत्नियां तेरे संग नाव पर से उतर जांयें। ९५७। हर एक जीवते जंत सारे शरीर में से क्या पंछी क्या ठार और क्या कीड़े मकाडे जा भमि पर रेंगते चलते हैं सव के अपने रंग ले निकल जिसतें उन के बंश एथिवी पर बहुत बंढें ओर फलवंत है| और एथिवी पर फेलें॥ ९८। तब नह निकला ओर उस के बेटे ओर उस की पत्नी और उस के बटों की पत्नियां उस के संग।॥ ९९। हर एक पशु हर णक रंगवैंये जंत और हर एक पंछी जे। कछ कि एथिवी पर रंगते हें सब अपने अपने भांति के समान नाव से निकल गये ॥ ०। ओर नह ने परमेश्वर के लिये एक बेदी बनाई और सारे प्रवित्र पश ओर हर एक पवित्र पंछियों में से लिये और हेम की भेंट उस बेटी पर चढाई॥ २९५। और परमेम्थर ने सगंध संघा और परमेस्वर ने अपने मन में कहा कि मनव्य के लिये में एथिवी का फिर की स्ताप न ट्ऊंगा इस कारण कि मनव्य के मन की भावना उस की लड़काई से बरी है और जिस रीति से में ने सारे जीवधघारियें के। मारा फिर कभी न मारूंगा॥ २२। जब ले एथिवी है बोना और काटना € पर्व] की पस्तक । श्भू और ठंड और तपन ओर ग्रीष्म ओर शोत और दिन और रात थम न जायंगे। € नवां पब्य । ञ्ै' ईंश्घर ने नह के और उस के बेटों का आशीष दिया और उन्हें कहा कि फले ओर बढ़ा ओर पएथिवी के भरा॥ २। गज और तम्हारा डर ओर भय प्थिवी के हर एक पश पर ओआर आकाश के हर एक पंछियां पर उन सभों पर जो एथिवी पर चलते हैं और समट्र की सारी मछलियों पर पड़ेगा वे तम्हारे हाथ में सेंपे गये ॥ ३ । हर एक जीता चलता जंत तम्हारे भाजन के लिये होगा में ने हरी तरकारी के समान सारी बस्त तम्हं दिई॥ ४। केबल मांस उस्त के जीव अथैत उस के लाह् समेत मत खाना ॥ ५। ओर केवल तम्हारे लाहू का तम्हारे शरीरों के लिये में पलटा लेऊंगा हर एक पश से ओर मनव्य के हाथ से में पलटा लेऊंगा हर एक मनव्य के भाई से मनव्य के प्राण का में पलटा लेऊंगा॥ ६। जो काई मनव्य का लाह्ू वहावेगा मनव्य से उस का लाक्ू बहाया जायगा उ्योंकि ईश्वर के रूप में मनय्य बनाया गया क्षे। ७। ओर तम फले! ओर बढ़ो ओर एथिवी पर बहुताई से जन्मे! ओर उस में वढ़ेत॥ ८। और ईंच्र ने नह के और डस के साथ उस के बटां के कहा॥ 6<। किटेखो में अपना नियम स्थिर करता हूं तम से ओर तुम्हारे बंश से तम्हारे पीछे॥ ९०। और हर एक जीोवते जंत से जा तम्हारे संग हे क्या पंछी ओर क्या ढार ओर एथिबवी के सारे चापायां से ओर सभों से जो नाव से बाहर जाते हैं एथिवी के हर एक पश लें ॥ १५१५। ओर में अपना नियम तम से स्थिर करूंगा फिर सा रे शरौर बाढ़ के पानियों से नष्ट न किये जायंगे और फिर एथिवी के नष्ट करने के लिये जलमय न हागा॥ १५२। और ईशर ने कहा कि यह उस नियम का चिन्ह है जो में अपने और तनन्‍हारे और हर एक जीवत जंतु के मध्य में जो तम्हार संग ह परंपरा की पीढ़ी लो बांघता हूं ॥ १३। में अपने धनष के मेघ पर रखता हूं और वह मेरे और एथिवी के मध्य में नियम का चिन्ह हेगा॥ १४। ओर जब में मेघ का एथिवी के १९६ उत्पत्ति - [९७ “परी ऊपर फैलाऊंगा ते! धनष मेघ में दिखाई टेगा॥ २५५४। और में अपने नियम के जो मेरे और तम्हारे और सारे शरीर के हर एक जीवधारी के मध्य में है स्मरण करूंगा ओर फिर सारे शरीर के नष्ट करने के जल मय न होगा ॥ ९५६। ओर घनण मभेघ में हेगः झओर में उसे टेखंगा जिसतें में उस सनातन के नियम के जो ईयग्वर के और एथिवी के सारे शरोर के हर एक जीवधारी के मध्य में है स्मरण करू॥ ९७। और ईश्वर ने नह से कहा कि जे! नियम में ने अपने और एथिवी पर के सारे शरौरों से स्थिर किया हे उस का यह चिक्ल हे॥ ९८। ओर नह के बेटे जे। नौका से उतरे सिम ओर हाम और याफत थे और हाम कन- आन का पिता था॥ १५८। नह के यही तीन बेटे थे और उन्हीं से सारी पथिवी बस गई॥ २०। फिर नह खेतीबारी करने लगा और उस ने एक दाख कौ वाटिका लगाई॥ २९। और उस ने उस का रस पीया और उसे अमल हुआ और अपने तंब में नग्न रहा॥ २२। और कनआन के पिता हाम ने अपने पिता की नंगापन टेखी और बाहर अपने भाइयें के जनाया ॥ २३। तब सिम और याफूत ने एक ओआढ़ना लिया और अपने दाने कंघां पर धरा और पीठ के बल जाके अपने पिता की नंगापन ढांपी से उन के मुंह पीछे थे ओर उन्‍्हों ने अपने पिता की नंगापन न टेखी ॥ २४। जब नूह अपने अमल से जागा तो जा उस के छोटे बेटे ने उस से किया था उसे जान पड़ा॥ २४। और उस ने कहा "कि कनआन खापित हेगा वुद अपने भाइयों के दासे का दास हे|गा ॥ २६। ओर उस ने कहा कि सिम का परमेश्वर ईस्थर धन्य हेवे ओर कनआन उस का दास हागा॥ ईअ्वर याफत के फैलावेगा और वह सिम के तंबयं में बास करेगा आर कनआन उस का दास हागा॥ र८। और जलमय के पीछ नह साढ़े तीन सै बरस जीआ ॥ २<। और नह की सारी बय लव सा पचास बरस की हुई ओर वह मर गया। ९० ट्सवां पब्बे । ब नह के ब्ां की बंशावली यही है सिम और हाम ओर याफत जा जलमय के पीछ उन से बेटे उत्पन्न हुणए॥ २९॥ याफत के २० पब्बे] की पस्तक । १७ बेटे जम्न ओर माजज ग्रार माटी ओर यनान ग्यर तबल और मसक और तीोरास॥ ३। ओर जस्न के बेटे अकनाज ओर रिफास ओर तजरम:। ४। ओर यनान के बेटे इलीसः और तरशीश ओर कित्ती और टूटानी ॥ ५। इन्हों से अन्यदे शियें के टाप हर एक अपनी अपनी भाषा के ओर अपने अपने परिवार के समान अपनी अपनी जाति में बंट गये ॥ ६ । और हाम के बेटे कश ओर मिस्र और फत और कनआन ७। ओर कश के बटे सवा ओर हवीलः और सबतः और रगम और सवतिका ओर रगमः के बेटे सिवा और ट्टान ॥ ८ं। और कश से निमरूट उत्पन्न हुआ वह एथिवी पर एक महाबीर होने लगा॥ 6 । वह इंश्वर के आगे बलवान ब्याघा हुआ इसी लिये ककह्ाा जाता है जसा कि परमेश्वर के आगे निमरूट बलवंत ब्याधा॥ १५०। ओर उस के राज्य का आरंभ बाबल ओर अरक और अक्कट और कलन सिनआर देश में हुआ॥ ९९ । और उसी टेश में से अस्टर निकला और नौनवः और रिहाबात और कलः के नगर बनाथे॥ १५२। ओर नीनवः और कलः के मध्य में रसन बनाया जे! बड़ा नगर क्षे। ९१३। और मिस से लाटौम ओर अनामीम ओर लिहाबी और नफतूह उत्पन्न हुए ॥ ९४ | और फतरूस गैर कसल ही जिन से फिलिस्ती और कफ्तर निकले॥ ९५ | और कनआन से उस का पहिलोटा सेटा ओर हिक्त उत्पन्न हुए ॥ ९६। और यबस और अमरी और जिरजाश॥ ९१७। और हवी और अरकी और सौोनी॥ ९१५८। और अरवाद और जमारी और हमासी उस के पीछे कनआन के घराने फेल गये॥ २९८। जऔर कनआन के सिवाने सैंदा से जिरार के मा में उच्ज़ः लॉ सट्टम और अमरः और अट्मः और जिवियान और लसअ ला हुए॥ २०। हाम के बेटे अपने घरानेां ओर अपनी भाषाओं के समान अपने देश और अपनी जाति गएणां में ये हैं। २९५। ओर सिम से भी वालक उत्पन्न हुए वह सारे इब्र के बंश का एिता था और याफत उस का बड़ा भाई था ॥ २२ । और सिम के बंश औअलाम ओर अरूर और अरफकसद और लट पर अराम थे ॥ २३। ओर अराम के बंश ऊज और कल और; जतर और मश थे | 8 [4. 8.. 8.] श्ष्ध उत्पत्ति (१५९ पब्ब २४ ।ओर अरफकसद से सिलह उत्पन्न हुआ ओर सिलह से इब्र ॥ २५ । और इब्र से हा बेटे उत्पन्न हुए एक का नाम फलज था क्यांकि उस के दिनों में एथिवी बांदी गई गजऔर उस के भाई का नाम यकतान था ॥ २६ । ओर यकतान से अलम॒टाद ओर सलफ ओर हसरि मै।त ओर इरख॥ २७। और हट्रराम और ऊजाल जर टिकूलह॥ श८। ओर ऊबल ग्रार अबीमायल और सिवा ॥ २८९। ओर गओफीर गऔर हवील: और यूबाब उत्पन्न हुए ये सब युकतान के बेटे थे। ३०। और उन के निवास मेसा के मागे से जा परव के पहाड़ सिफार ला था॥ ३९॥ सिम के बेटे अपने घरानों और अपनी भाषाओं के समान अपने अपने देशो ओर अपने अपने जातिगणां में थे थे। ३२। नह केबेटों के घराने उन की पोढ़ी ओर उन के जातिगणग के समान थे हें और जलमय के पीछ एथिवी में जातिगण इन्हों से बांट गये ॥ ९९५ गयारहवां पब्बें । * ञ्रै 7र सारौ एथिवी पर एकच्दी बेली और एकचद्दी भाषा थी ॥ २। और ज्यों उन्‍हें! ने परव से यात्रा किई ते ऐसा हुआ कि उन्‍्हों ने सिनआर ट्श में एक चैगान पाया ओर वहां ठहरे॥ ३। तब उन्‍्हों ने आपस में कहा कि चले! हम ईंट बनावें और आग में पका्वें से। उन के लिय ईंट पत्थर की संती ओर गारा की संती शिलाजतु था ॥ ४। फिर उन्‍्हों ने कहा कि आओग7 हम एक नगर और एक गुस्मट जिसकी चेटी खर्ग लो पहुंचे अपने लिये बनांवं आर अपना नाम करे न हे। कि हम सारी एथिवी पर छिल्न भिन्न हे। जायें ॥ ५। तब परमेशज्वर उस नगर ओर उस गुस्मट का जिसे मनुव्य के संतान बनाते थे देखने के उतरा॥ &६। तब परमेश्वर ने कहा कि ट्खे। लेग एक ही हें ओर उन सब की एक हो बाली क्षे अब वे ऐसा ऐसा कुछ करने लगे से! वे जिस पर मन लगावगगे उद्मे अलग न किये जांबेंगे॥ ७। आये हम उतरें और वहां उन की भाषा के गड़बड़ावं जिसतें एक टूसरे की बेएली न समु््के ॥ धा। तब परमेश्वर ने उन्हें वहां से सारी एथिवी पर छिल्न भिन्न किया और वे उस नगर के बनाने से अलग रहे ॥ < । इस लिये उस का नाम २१ पन्ने] कौ पस्तक । १ बाबुल कहावता हे क्यांकि परमेग्वर ने वहां. सारे जगत की भाषा का गड़बड़ किया ओर परमेग्वर ने वहां से उन के सारी पथिवी पर छित्न भिन्न किया ॥ ९ ०। सिम की बंशावली यह है कि सिम से बरस का हेके जलमय के दा बरस पीछे उरस्मे अरफकसद उत्पन्न हुआ॥ ९१५९। ओर अरफकसट की उत्पत्ति के पीके सिम पांच सो बरस जीआ ओर उससे बेटे बेटियां उत्पन्न ह॒ुईई॥ ९२। ओर जब अरफकसरद पैंतीस बरस का हुआ उस्मे सिलह उत्पन्न हुआ॥ ९३। और सिलह की उत्पत्ति के पीछे अरफकसद चार से तीन बरस जीआ और उर्हे बटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ ९१९४। सिलह जब तौस बरस का हुआ उर्ते इब्र उत्पन्न हुआ। ९५ । और सिलह इब्र की उत्पत्ति के पीछ चार से तीन बरस जीआ और उत्मे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई॥ ९६। और इब्रसे चैंतीस बरस के बय में फलज उत्पन्न हुआ॥ २९७। ओर फलज की उत्पत्ति के पीछे इब्र चार सा तीस बरस जीआ ओर उद्समे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ ९ ८ै। तीस बरस की बय में फलज से रजऊ उत्पन्न हुआ॥ ९८। ओर रऊ्‌ की उत्पत्ति के पीछू फलज दो! सौ नव बरस जीआ ओर उस्से बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ २०। बन्तौस बरस के बय में रऊ से सरूज उत्पन्न हुआ॥ २९। ओर मरूज की उत्पत्ति के पीछे रऊ दा से सात बरस जीआ गऔर उस्म बेटे बेटियां उत्पन्त हुई ॥ २२९। सरूज जब तीस बरस का हुआ उरहो नकह्लर उत्पन्न हुआ॥ २३। ओर नहूर की उत्पत्ति के पीछ सरूज दा सी बरस जीआ ओर उत्मे बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ २४ । नह्र जब उंतीस वरस का हुआ उस्म तारह उत्पन्न हुआ ॥ २५ | ओर तारह की उत्पत्ति के पीछ नहूर एक से। उंतीपत बरस जीआ और उर्झ बेटे बेटियां उत्पन्न हुई ॥ २६। तारह जब सत्तर बरस का हुआ उसमे अबिराम और नहूर ओर हारन उत्पन्न हुणए॥ २७। तारह की बंशावली यह क्षे कि तारह से अविराम और नहर और हारन उत्पन्न हुए और हारन से लत उत्पन्न हुआ॥ २८। ओर हारन अपने पिता तारह के आगे अपनी जन्म भूमि अथात्‌ कलदानियों के कर में मर गया॥ २८। और अबिराम ओर नहूर ने पत्नियां किईं अविराम की २० उत्पत्ति [१२ पब्ब ली का नाम सरी था और नह्ूर की पत्नी का नाम मिलकः जो हारन की बेटी थी बच्दी मिलकः और इसकाह का पिता था॥ ३०। परन्त सरो बांस थी उस का काई संतान न था॥ ३९। गऔर तारह ने अप ने बेटे अबिराम के! और अपने पेते हारन के बेटे लत का ओर अपनी बह्ल अबिराम की पत्नी सरी के लिया ओर उन्‍हें अपने साथ कलटानियों के ऊर से कनआन दंश में लेचला ओर वे हारन में आये ओर वहां रहे॥ ३२९। ओर तारह टो से पांच बरस का हेके हारन में मर गया ॥ ९२ बारहवां पत्ब । व परमेश्वर ने अविराम से कहा था कि तू अपने टेश ओर अपने (5 4 डक से ओर अपने पिता के घर से उस देश का जा जो में तस्मे ट्खाऊंगा॥ २। ओर में तस्से एक बड़ी जाति बनाऊंगा और तस्से आशीष ट्ऊंगा और तेरा नाम बड़ा करूंगा और त एक आशीबःट हेगा॥ ३। और जो तुझम्के आशीष टेगे मैं उन्हें आशीष टेजंगा और जो तम्के घिक्कारेगा में उसे घधिकारूगा और एथिवी के सारे घराने तस्से आशीष पावंगे॥ ४। से परमम्चबर के कहने के समान अबिराम चला गया ओर लत भी उस के संग गया और जब अविराम हारन से निकला तब वह पचहत्तर बरस का था॥ ५। फिर अबिराम ने अपनी पत्नी सरी के और अपने भतीजे लत के और उन की सारी संपत्ति काजो उन्‍्हों ने ग्राप्ति कि थी और उन के सारे प्राणियों के जो हारन में मिले थे साथ लिया औएर कनआन हेश का जाने के लिये चल निकले सो वे कनआन देश में आये ॥ ६। और अबिराम उस हटेश में हेके सिकम के स्थान लां चला गया मेरिः के बलत लें तब कनआनी उस द्श में थे ॥ ७। फिर पर मेंग्वर ने अबिराम का टशन दे के कहा कि यह ट्श में तर बंश का ट्‌ऊंगा तब उस ने परमेम्यर के लिये जिस ने उसे दर्शन दिया था वहां एक बेटी बनाइं ॥ ८ ।फिर वच्च वहां से बैतएल की पूरब एक पहाड़ की ओर गया ओर अपना तंबू ज्रेतएल की पच्छमि ओर खड़ा किया और अई पूरब और था और वहां ९३ पत्ब] की पुस्तक । २९. उस ने परमेग्वर के लिये एक बेदी बनाई खऔर परमेम्घर का नाम लिया॥ €। और अबिराम ने जाते जाते दक्खिन की ओर यात्रा किई ॥ १० और उस ट्श में अकाल पड़ा और अविराम बास करने के लिये मिस्र के उतर गया क्योंकि उस टेश में बड़ा अकाल था॥ ९५९। और यां हुआ कि जब व॒ह मिस के निकट पहुंचा उस ने अपनी पत्नी सरीो से कहा कि ट्ख में ज्ञानता # कितू ट्खने में सन्दर स्त्री हे॥ ९२। इस लिये यों होगा कि जब मिसरी तुमे देखें वे कहेंगे कि यह उस कौ पत्नी हे ओर मुझ मार डालेंगे परन्तु तुस्मे जीती रक्खेंगे॥ १३। तू कहियो कि में उस की बहिन हुं जिसतें तेरे कारण मेरा भला होय और मेरा प्राण तेरे हेतु सेजीता रहे॥ ९४। और जब अबिराम मिस्र. में जा पहुंचा तव मिस्तियों ने उस स्त्री के टेखा कि अत्यंत सन्दरी है॥ १९५५। ओर फिरऊन के अध्यक्षों ने भी उसे टेखा और फिरऊन के आगे उस का सराहना किया से उस स्त्री का फिरझन के घर में ले गये॥ २६। और उस ने उस के कारण अबिराम का उपकार किया ओर भेड़ बकरी ओर बैल और गदहे और दास और दासी और गधणियां ओर ऊंट. उस ने पाये ॥ ९७ । तब परमेश्वर ने फिरझऊन पर ओर उस के घराने पर अविराम की पत्नी सरी के कारण बड़ी बड़ी मरियां डाली'॥ ९८। तब फिरजन ने अबिराम के बुला के कहा कि तू ने मुस्से यह क्या किया तू ने मुस्े क्यों न जताया कि वुष्ट मेरी पत्नी है॥ ५८। क्यों कहा कि वु्द मेरी बहिन क्ञे यहांलां कि में ने उसे अपनी पत्नी कर लिया हेता टेख यह तेरी पत्नी है तू उसे ले और चला जा॥ २०। तब फिरजन ने अपने लागों के उस के विषय में आज्ञा किई और उन्‍्हों ने डसे और उस की पत्नी के उस सब समेत जे। उस का था जाने टिया। ९३ तेरहवां पत्र । जे अविराम मिस्त से अपनी पत्नी ओर सारी सामग्री समेत और लूत के अपने संग लिये ये दृकक्‍्खिन के चला॥ २। ओर अविराम ढोर और सेना चांटीमें बड़ा धनी था॥ ३। झऔर वह र्र उत्पत्ति [१३६ पत्ब यात्रा करते ट्क्खिन से बैतएल ला उसी स्थान के आया जहां आरंभ में उस का तंब था बैतएल और अई के मध्य में ॥ ४। उस बेटी के स्थान में जिसे उस ने पहिले वहां बनाया था और वहां अबिराम ने परभेग्वर का नाम लिया॥ ५। ओर अबिराम के संगी लूत के भी सुंड और गाय बैल ओर तंबूथे॥ ६ । ओर साथ रहने में उस दृश में उनकी समाई न हुई क्योंकि उन की सामग्री बहुत थी इस लिये वे एकट्ठे निवास न कर सके॥ ७। और अबिराम के ढार के चरवाहें में और लत के ढार के चरबाहें में कूगड़ा हुआ तब कनआनी और फरज्ते उस भमि में रहते थे॥ ८.। तब अबिराम ने लत से कहा कि मेरे और तेरे बीच और मेरे चरवाहें में ओर तेरे चरवाहों में रूगड़ा न होने पावे क्योंकि हम भाई हैं ॥ ८ । क्या सारा देश तरे आगे नह मस्स अलग हो जो ते बाई ओर जाय ता में दहिनी ओआर जाऊंगा अथवा जा त टहिनी ओर जाय तो में बाई ओर जाऊंगा ॥ १५०। तब लत ने अपनी आंख उठाके अर्न के सारे चागान का ट्खा कि इंग्र के सट्टूम और अमूरः के नष्ट करने से आगे वुच्ट सबेत्र अच्छी रीति से सौंचा हुआ था अथात्‌ परमेम्वर की बारौ क॑ समान स्॒य के मा* के मिख की नाई था॥ १५१५। तब लत ने अट्टन का सारा चौगान चना और परव की ग्येर चला ओर वे एक ट्ूसरे से अलग हुए॥ २२। अविराम कनआन टृश में रहा और लत ने चागान के नगरों में बास किया और सट्टम की ओर तंव खड़ा किया॥ १५३। पर सदट्टम के लेग परमेश्वर के आगे अब्यंत दृष्ट और पापी थे ॥ २४। तब लूत के अलग होने से पीछ परमेगश्वर ने अबिराम से कहा कि अब अपनी आंखें उठा और उस स्थान से जहां त हैं उत्तर और दक्खिन और परव और पच्छिम की आर टेख॥ ९५ । चउ्यॉांकि में यह सारा टेश जिसे त देखता कै तमे और तेरे बंश के सदा के लिये टेऊंगा॥ ९२६ और में तरे बंश के एथिवी की घल के तल्य करूंगा यहां लां कि यदि काई पएथिवो की घल का गिन सके तो तरा बंश भी गिना जायगा॥ ९७। डउठके देश की लंबाई और चौड़ाई में हेके फिर क्योंकि में उसे तम्मे देजंगा॥ १५८। तब अबिराम ने तंबू उठाया और ममरे के १४ पब्ब] की पस्तक । र्३्‌ बलतों में जा हबरून में हे आ रहा ओर वहां परमेग्वर के लिये एक बंदी बनाई ९४ चोटहवां पब्बे। जे सिनआर के राजा अमराफिल के ग्यर इज्नासर के राजा अर- यक के और औलाम के राजा किहरजाउमर के ओर जाति गए के राजा तिदआल के दिनों में यां हुआ॥ २। उन्‍्हों ने सट्टम के राजा बरअ से और अमरः के राजा बिरशञ से और अट्म के राजा सिन्निअव से और जिबीआन के राजा शिमिबर से और बालिग के राजा से जा सग्र हे संग्राम किया॥ ३। ये सब सिद्दौम की तराई में जे खारी समुद्र हे एक्ट हुए॥ ४। उन्हें ने बारह बरस लॉ कि ट्रलाउमर कौ सेवा किई ओर तेरहवें बरस उरस्झे फिर गये ॥ ५। और चौट्हवे बरस में किटरलाउमर ओर उस के साथी राजा आये और इसतारात करनैन में रिफाइम का और हाम में जज्ञोयों के और सवी करयातैन में अमियां के ॥ ६। और उन के सईर परत में हरियों का फारान के चोगान लो जा बन के पास क्षे मारा। ७। ओर फिरे और इनमिशपाट के जा काट्स है फिरे ओर अमालीक के सारे देश का और अमरी के भी जो हस्मनतमर में रहते थे मार लिया॥ ८। और सिद्दौम का राजा और अमरः का राजा ओर अदमः का राजा और जिबिआन का राजा और बालिग का राजा जो रुग्र के निकला ॥ € । औैलाम के राजा किट्रलाउमर के संग और जातिगणों के राजा तिदआल के संग और शिनआर के राजा अमराफिल ओर इलज्लञासर के राजा अरियक ने चार राजा पांच के संग यड्ू के लिये॥ ९५०। और सिह्दीम की तराई में चहले के गढ़हे थे और सिद्दीम और मूअरः के राजा भागे ओर वहां गिरे ओर बच हुए लाग भाग के पहाड़ पर गये ॥ ९९। उन्‍्हों ने सिह्रीोम ओर अमरः की सारी रुंपत्ति और उन के सारे भेजन लट लिए ओर अपने मार्भ पकड़े॥ ९२। और अबविराम के भतीजे लत का जो सटुम में रहता था और उस की संपत्ति का लेके चले गये ॥ ९३। तथ किसी ने बचके इबरानी अबिराम को संदेश दिया ३ जत्पात्ति [२५ पर्ब्ब क्यांकि वह इसकाल और अनेर का भाई अमरीौ ममरे के बलतों के नीचे रहता था और वे अबिराम के सहायक थे॥। २४। और अबिराम ने अपने भाई के ले जाने की बात सुन के अपने घर के तौन सा अठारह टासें के। लिया और ट्ान लो उन का पीछा किया॥ २५। ओर उस ने और उस के सेवकों ने आप के। रात का बिभाग किया ओर उन्‍हें मारा और खबः ला जो ट्मिश्क की बाई ओर हे उन्‍हें रगंट चले गये ॥ ९६। और वह सारी संपत्ति का और अपने भाई लत का भी और उस की संपत्ति के ओर स्त्ियों के भी और लेणगों के फेर लाया ॥ ९७। और किट्रलाउमर का और उस के संगी राजाओं के। मारके फिर आने के पीछ सट्टम का राजा उससे भेंट करने के सवी की तराई लॉ जा राजा की तराई है निकला ॥ ५८। ओर सालिम का राजा मलिकिसिदक रोटी ओर टाख रस लाया और बुह अति महान इंम्बर का याजक था ॥ २९६८ । और उस ने उसे आशीष दिया और बेला कि आकाश ओर प्रथिवी के प्रभू अति महान ईस्र का अविराम धन्य हेवे ॥ २०। और अति महान ईश्वर का घन्य जिस ने तेरे बैरियां कातरे हाथ में सेंप ट्या और उस ने सब का ट्सवां भाग उसे दिया॥ २९ । ओर सट्ूम के राजा ने अविराम से कहा कि प्राणियों का मस्के टीजिये ओर संपत्ति आप रखिये॥ २२। तव अबिराम ने सट्टूम के राजा से कहा कि में ने अपना हाथ अति महान ईय्थर परमेग्चर के आगे जो खगे और प्रथिवी का प्रभ क्ठे उठाया हैे॥ २३। कि में एक तागे से लेके जते के बंद ला आप का कछ न लेऊंगा से। मत कहिये। कि में ने अबिराम के घनमान किया॥ २४। परन्त कंबल वह जे। तरुण ने खाया और उन मनव्यों के भाग जो मेरे संग अथात अनेर खैर इसकाल ओर ममरः के व अपने भाग लेवें। २५ पंट्रहवां पत्ण । न बातों के पीछे परमेघख्वर का बचन यह कहते हुए दशेन में अबिराम पर पहुंचा कि हे अविराम मत डर में तेरी ढाल और तेरा बड़एप्रतिफल छू॥ २। तब अबिराम ने कहा कि हे प्रभु ईश्वर त्‌ श्प पब्बे ] को पुस्तक । श्पू मस्त क्या दगा में तो निबेंश जाता हुं और मेरे घर का भंडारी ट्मिश्की इलिअजर हे ॥ ३। फिर अबिराम ने कहा क्रि टेखत ने मस्के काई बंश न दिया ओर देख जो मेरे घर में उत्पन्न हुआ वही मेरा अधिकारी है॥ ४। ओर ट्खे परमेश्वर का बचन उसे यूं कहते हुए पहुंचा कि यह तेरा अधिकारी न होगा परन्तु जा तुकौसे उत्पन्न हागासे तेरा अधिकारी हेगा॥ ५। फिर उस ने उसे बाहर ले जाके कहा अब खग्गे की ओर टेख ओर जो तारों के त्‌ गिन सके तो उन्हें गिन फिर उस ने उसे कहा कि तेरा बंश ऐसा ही हेगा॥ ६। तब वह परमेम्वर पर विश्वास लाया और यह उस के लिये घ॒र्मे गिना गया॥ ७। फिर उस ने उसे कहा कि में परमेश्वर हूं जा तुझे यह भूमि अधिकार में टने के। कलटानियों के ऊर से निकाल लाया ॥ ८। तब उस ने कहा कि हे परमेग्बर मेरे ईम्बर में क्यांकर जानों कि में उस का अधिकारी हाऊंगा॥ €। तब उस ने उसे कहा कि त्‌ तीन बरसी एक कलार ओर तौन बरसी एक वकरी गैर तोन वरसी एक मेढ़ा और एक पंडक ओर कपेत का एक बच्चा मेरे लिये ले॥। १०। सो उस ने ये सब अपने लिय लिया ओर उन्हें मध्य से टो। देश भाग किये ओर हर एक भाग के उस के टूसरे भाग के साम्ने धरा परन्तु पंछियेंं का भाग न किया ॥ १५९। और जब हिंसक पंछी उन लाथों पर उतरे अबिराम ने उन्हें हांक टिया॥ २९२। और रूये अस्त हेाते हुए अबिराम पर भारी नोंट पड़ी और क्या देखता हे कि बड़ा भयंकर अंधकार उस पर पड़ा॥ २१३। तब उस ने अबिराम के कहा निश्चय जान कितरे बंश ओरो के हेश में परट शो हेंगे और उन की सेवा करेंगे और वे उन्हें चार से बरस ला सतावेगे ॥ १५४। परन्तु जिन की वे सेवा करेंगे में उस जाति का भो बिचार करूंगा औै।र वे पीछ बड़ी संपत्ति लेके निकलेंगे॥ ५५। ओर तू अपने पितरां में कुशल से जायगा और बहुत पुरनिया होाके गाड़ा जायगा ॥ ९६। परन्तु चौथी पीढ़ी में वे इघर फिर आगे क्यांकि अमूरियां का अधम अब लॉ भरप्र नहीं हुआ॥ २७। ओर जब रूये अच्त हुआ ता या हुआ कि अंधियारा हुआ कि देखे एक घधुआं उठता भट्ठा और एक आग का दौपक उन टुकड़ों के मध्य में से हेके चला गया॥ ९प्। 4 4.0 53 9. | २६ उत्पत्ति [१६ पत्ब न्‍्ाझखझआदद5वख।थवव तन तन न ननतनततनत न ननत-त-3--जनन कन--न-सननन-नमन--नननन-+>++ननन+क+न-न+-+ न ननतननन++-+++>->+---. उसो दिन परमंगख्र ने आविराम से नियम करके कहा कि में ने मख की नदो से फुरात कौ बड़ी नदी लें यह देश तेरे बंश के दिया क्षे ॥ १९ । अथात्‌ फैनी ओर कनजी ओर कट्मनी॥ २०। और हित्ती और फरिज्जी ओर रिफाइमी॥ २९। और अमरी और कनऊझानी और जिर्जाशी और यबसी का टेश | ९६ सेलहवां पत्व । ८३ । ब अबिराम को पत्नी सरी काई लड़का उस के लिये न जनी ओर उस की एक मिसरी लेडी थी जिस का नाम हाजिर: था ॥ २। तब सरी ने अबिराम से कहा कि ट्ख परमेश्वर ने मस्झे जन्ने से राका के में तरी बिनती करती क्ल॑ कि अब मेरी लींड़ी पास जाइये क्या जाने मेरा घर उससे बस जाय ओर अविराम ने सरी की बात मानी ॥ ३ । से! अबिराम के कमआन दृश में ट्स बरस निवास कर ने के पीछ उस को पत्नी सरी ने अपनी लोंडी मिसरी हाजिरः के लिया ओर अपने पति अयिराम के उस की पत्नी होने के ट्या॥ ४। और उस ने हाजिरः के ग्रहण किया और वुच्द गर्भिणी हुई और जव उस ने आप के गर्भिणी देखा ता उस की खामिनी उस की दृष्टि में निंदित हुई॥ ५। तब सरी ने अविराम से कहा कि मेरा टाष आप पर में ने अपनी लोंडी आप के दिई और जब उस ने अपने का गर्भेणी ट्खा ता में उस की टरष्टि में निंटित हुई मेरे ओर आप के बीच परमेग्वर न्याय करे ॥ ६ । तब अवबिराम ने सरी से कहा कि टेख तेरी लौंडी तर हाथ में हे जा तुस्ते अच्छा लगे से उस्स॒ कर ओर जब सरी ने उस से कठिनता किई वुच्द उस के आगे से भाग गई॥ ७। और परमेग्वर के द्वत ने एक पानी के सेत के पास बन में डस सेते के पास जो रूर के मा में है उसे पाया ॥ ८। ओर उसे कहा कि हे सरी की लेंडी हाजिर: त कहां से आई हे और किधर जायगी वह बाली कि में अपनी खामिनी सरी के आगे से भागती हूं ॥ <। और पर्‌मेम्बर के टूत ने उसे कहा कि अपनी खा।मनी के पास फिर जा और उस के बश में रह॥ ९०। फिर परमेश्वर के टूत ने उसे कहा कि में तेरा बंश अत्यंत बढ़ाऊंगा ऐसा कि वुच्द बहुताई ३२७ पब्ब ] को पुस्तक । २७ के मारे गिना न जायगा॥ १५१५। ओर परमेश्वर के टूत ने उसे कहा कि रुख त गर्भिणी क्षे आर एक बेटा जनेगी और उस का नाम इसमअएऐल रखना क्योंकि परमेगश्र ने तेरा दुख सुना। ५२। ओर वुच्द एक बन मनय्य होगा उस का हाथ हर एक मनव्य के बिरुड्न ओर हर एक का हाथ उस के बिरुड्द होगा ओर वह अपने सारे भाइयों के साम्ने निवास करेगा॥ १५३। तब उस ने उस परमेग्वर का नाम जिस ने उस्म बातें किईं यूं लिया कि हे ईग्पर तू मु॒स्से देखता हु क्यांकि उस ने कहा कि में ने अपने टर्शी का पीछा यहां भी ट्खा हे ॥ १५४ । इस लिये उस कएं का नाम बीअरलिक्षे राई रक्‍वा ट्खे। वह कादिस ओर बिरद के मध्य में हे ॥ ५५ । से हाजिर: अविराम के लिये एक बेटा जनी और अबिराम ने अपने बेटे का नाम जिसे हाजिर: जनी इसमअएल रक्‍्खा॥ १५६ । ओर जब हाजिरः से अबिराम के लिये इसमअआएज उत्पन्न हुआ तब अबिराम छियासी बरस का था | १७ सचहवां पत्ब । ञ्रै एर जब अबिराम निन्नावे बरस का हुआ तब पंरमेस्वर ने अबिराम के ट्शून टिया और कहा कि मैं सर सामर्थो' ईग्र # त मेरे आगे चल ओर सिद्द है ॥ २। ओर में अपने ओर तेरे मध्य में अपना नियम बांघंगा और में तस्के अत्यंत बढ़ाऊंगा ॥ ३। तव अबिराम ओंघा गिरा और ईस्घर ने उस्म बातें करके कहा॥ ४। कि में जा ह मेरा नियम तेरे संग कै ग्लौर त्‌ बहुत सी जातिगणं का पिता हैगा ॥ ५। ओर तेरा नाम फ़िर अबिराम न होगा परन्त तेरा नाम अबिरहाम हेगा क्योंकि में ने तमे बहुत सी जातिगणां का पिता बनाया है ॥ &६। और में तसते अत्यत फलमान करूंगा और तरस्से जातिगण बनाऊंगा और राजा तस्स निकलगे॥ ७। और में अपना नियम अपने ओर तेरे मध्य में और तरे पीछ तेरे बंश के उन की पीढ़ियां में सदा के लिये एक नियम ज्ञा उन के साथ सा लो रहे ठहराजंगा कि में तेरा ओर तरे पीछ तरे बंश का ईस्वर छुंगा ॥ ८ं। और में तुझे ओर तेरे पीछ सबदा अधिकार के लिये तेरे बंश का तेरे टिकाव का देश देऊंगा अथे।त्‌ श्प जत्पत्ति [२७ पब्बे कनआन का सारा देशओऔर में उन का ईश्वर छंगा ॥ €। फिर ईय्घर ने अबिरहाम से कहा कित्‌ और तेरे पीछे तेरा बंश उन की पीढ़ियो में मेरे नियम के मानें ॥ १५०। से मेरा नियम जा मुस्से और तुम से और तेरे पीछे तेरे बंश से है उसे मानिया यह है कि तम में से हर एक बालक का खतन किया जाय॥ २९९। ओर तम अपने शरीर की खलड़ी काटा और वह मेरे और तन्हारे मध्य में नियम का चिक्न हेगा॥ १९२। ओर तुम्हारी पीढ़ियाों में हर एक आठ दिन के बालक का खुतनः किया जाय जा घर में उत्पन्न हाय अथवा जा किसी परट्शी से जा तेरे बंश का न हे! दाम से मेल लिया जाय॥ ९१३। जो तेरे घर में उत्पन्न हुआ हे। और जा तेरे दाम से मेल लिया गया हे अवश्य उस का खतनः किया जाय और मेर' नियम तुम्हारे मांस में सबटा नियम के लिये हेगए॥ ९४। ओर जा अखतनः बालक जिस की खलड़ी का खतनः न हुआ हे सो प्राणी अपने लोग से कट जाय कि उस ने मेरा नियम तोड़ा क्षे। ५४। फिर ईम्थर ने अबिरहाम से कहा तेरी पत्नी सरी जो हे त उसे सरी न कच् परन्त उस का नाम सर: रख॥ ९६ । और में उसे आशीष देऊंगा ओर तसम्मे एक बेटा उद्म भी टेऊंगा निश्चय में उसे आशीष टेऊंगा और वह जातिगण होगी और राजा लाग उर्झ हांगे॥ ५७। तब आबिरहाम औंधे मुंह गिरा और हंसा और अपने मन में कहा क्या से! बरस के ढड्ू से लड़का उत्पन्न होगा ओर क्या सरः ज्ञा नब्ब बरस की हे जनेगी ॥ ५ ८। फिर अविरहाम ने ई स्वर से कहा कि हाय कि इसमअऐल तेरे आगे जीता रहे॥ १९ । तब ईगर ने कहा कि तेरी पत्नी सरः तेरे लिये निस्यय णक बेटा जनेगी ओर त उस का नाम इज़हाक रखना और में सबेदा नियम के लिये अपना नियम उदस्मे औपर उस के पीछ उस के बंश से स्थिर करूंगा ॥ २०। और इसमअणल जो है में ने उस के विषय में तेरी सनीं है टेख अब में ने उसे आशीष टिया और उसे फलमान करूंगा ओर उसे अत्यंत बढ़ाऊंगा उद्यम बारह अध्यक्ष उत्पन्न हांगे और उसे बड़ी मंडली बनाऊंगा॥ २९। परन्तु इजहाक के साथ जिसे सरः तेरे लिये टूसरे बरस इसी ठचहराये हुए समय में जनेगी में अपना नियम स्थिर करूंगा ॥ २२। तब उससे बात करने से रह गया ओर अबिरहाम के ९८ पब्बे ] की पस्तक । २6 कक"... अदा. र पास से ईम्अर ऊपर जाता रहा॥ २३। तब अबिरहाम ने अपने बट इसमअणएल के ओर सब जो उस के घर में उत्पन्न हुए थे और सब जे। उस के द्वाम से मेल लिये गये थे अथात्‌ अविरहाम के घराने के हर एक परुष का लेके उसी दिन उन की खलड़ी का खतनः किया जैसा कि ई स्वर ने उसे कहा था॥ २४। ओर जब उस की खलड़ी का खतनः हुआ तब अविरहाम निन्नाबे बरस का था। २४। ओर जब उस के बेटे इसमअणऐल की खलड़ी का खतनः हुआ तब व॒च्ठ तेरह बरस का था॥ २६। उसी दिन अविरहाम ओर उस के बेटे इसमअएल का खुतनः किया गया॥ २७। ओर उस के घराने के सारे पुरुषों का जा घर में उत्पन्न छए और जा परदटेशियां सै मे।ल लिये गये उस के साथ खुतनः किये गये। ९८ अटारहवां पब्बे । ' परमेश्वर उसे ममरे के बलूतों में ट्खाई दिया और बुच्च दिन के घाम के समय में अपने तंब के द्वार पर बैठा था॥ २। ओर उस ने अपनी आंखें उठाई ता क्या टेखता हे कि तीन मनव्य उस के पास खडे हैं उन्हें टेखके वह तंब के द्वार पर से उन की भेंट का टौड़ा॥ ३। ओर भमि लें दंडवत किई और कहा हे मेरे खामी यदि में ने अब आप की दृष्टि में अनग्रह पाया है ता में आप की बिनती करता हूं कि अपने दास के पास सेचले न जाइये॥ ४। इच्छा हाय ता थाड़ा जल लाया जाय और अपने चरण घेइये ओर पेड़ तले बिश्राम कीजिये ॥ ५। और में एक कौर रोटी लाजं॑ ओर आप रप्त ह्लजिये उस के पीछे आगे बढ़िये क्योंकि आप इसो लिये अपने दास के पास आये हें तब वे बोले कि जैसा त ने कहा लेसा कर॥ ६। से अविरहाम तंब में सरः पास उतावली से गया और उसे कहा कि फरती कर और तीन नपआ चेखा पिसान लेके गंध और उस के फलक पका॥ ७।'फिर अबिरहाम म्कंंड की ओर देड़ा गया और एक अच्छा केामल बछड़ा लेके दास के दिया उस ने भी उसे सिद्ध करने में चरक किया ॥ ८। तब उस ने मखन और ट्ृघ और वह बछड़ा जा पकाया था लिया ओर उन के आगे घर और आप उन के पास पेड तले खड़ा रहा और उन्‍्हां ने खाया ॥ <। तब उन्हें ने उसमे पछा कि तेरी क उत्पत्ति [९८ पब्ब पत्नी सरः कहां है वह बेला कि ट्खिये तंब में हे॥ ५०। ओर उस ने कहा कि जोवन के समय के समान निच्यय में 'तम्क पास फिर आऊंगा और टेख तेरी पत्नी सरः एक बेट जनेगी ओर सरः डस के पीछे तंब द्वार पर सनती थी॥ ९९। ओर अबिरहाम गऔर सरः बढ़े ओर परनिये थे और सरः से स्त्नी का व्यवहार जाता रहा ॥ १५२। तब सर हंसके अपने मन में बे।डी कि क्या अब मम्क बढ़ापे में ओर मेरा खामी भीपरनिया हे फिर आनंद हेगा॥ १५३। तब परमेग्वर ने अविरहाम से कहा कि सरः क्यों यह कहिके मसकुराई कि में जा बढ़िया हूँ सच मच बालक जनंगी॥ ९४। क्या परमेश्वर के लिये काई बात असाध्य जीवन के समय के समान में ठहराय हुए समय मेंध्तम्क पास फिर आऊंगा और सरः को बेटा हेगा॥ १५५। तब सरः यह कहंके मकर गई कि में तो नहों हंसी क्यांकि वह डर गई थी तब उस ने कहा नहों परन्त त हंसी क्षे। २६। तब वे मनव्य वहां से उठ के सट्टम की ओर हखने लगे और अविरहाम उन्हें बिदा करने के उन के साथ साथ चला ॥ ९५७। फिर परमेच्ार ने कहा कि ज्ञा में करता हं से क्या अबिरहाम से छिपाजं॥ २१८। अबविरहाम ते निश्चय एक बड़ा ओर बलवान जाति हेगा ओर एथिवी के सारे जातिगण उस में ऋआशेौष पावेंगे॥ ९८। क्योंकि मैं उसे जानता हूं किवुह् अपने पोछ अपने बालकों ओर अपने घराने का आज्ञा करंगा आर वे न्याय और बिचार करने के परमेम्वर का मार्ग पालन करगे जिसत जा कुछ परमेश्वर ने अबिर दाम के विषय में कहा है से। उस पर पहुंचावे# २०। फिर परमेस्वर ने कहा इस कारण कि सट्टूम आर अमूरः का चित्ञाना बड़ा हु आर इस कारण कि उन के पाप अत्यंत गरू हुण॥ २९॥। में अब उतरक द्‌ खूंगा जा उस के चिज्ञाने के समान जो मम्कलें पहुंची ह उन्‍्हां ने किया है और यदि ही ता में जानंगा। २२। तब उन मनद्यों ने वहां से अपने मुच् फरे और सद्टम की ओर गये परन्तु अबिरहाम तद भी परमेखर के आग खड़ा रहा॥ २३। और अविरहाम ने पास जाके कहा कि क्य| तू दुष्ट के संग अर्मो' के भी नष्ट करेगा ॥ २४। यदि नगर में पचास धर्मों हाय॑ क्या लद भी नष्ट करेगा और उस के पचास घर्मियां के लिये उस स्थान के न २८ पच्चे] की पस्तक । ३२ कछाडंगा॥ २४। दुष्ट के संग धर्मों का मारना ऐसी बात तस्े परे हेय और कि धर्मी के दुष्ट के समान करना तस्पे टूर हे।य क्या सारो एथिवी का न्यायी यथार्थ न करंगा॥ २६। तब परमेग्यर ने कहा यदि में सट्टूम नगर में पचास धर्मों पाऊं ता में उन: के लिये सार स्थान का कछाड़ हेऊकगा॥ २७। फिर अबिरहाम ने उत्तर टके कहा कि टेख में ने परमेश्वर के आगे बोलने में ठिठाई किई यद्यपि में धघल ओर राख हूं ॥ र२८। यदि पचास घर्मियां से पांच घट हों ता क्या पांच के लिय सार नगर का नाश करंगा तब उस ने कहा यदि में उस में पेंतालौस पाऊं तो उसे नाश न करूंगा॥ २८। फिर उस ने उसे कहा यदि चालीस वहां पाये जांवें तब उस ने कहा में चालीस के कारण ऐसा न करूंगा ॥ ३०। फिर उस ने कहा हाय कि परमेस्पर क्रुड्ट न हेववे तो में कहूं यदि वहां तीस हेाव तब उस ने कहा यदि में वहां तीस प।ऊं ते एसा न करूंगा ॥ ३१। फिर उस ने कहा कि द्ख में ने प्रभ के आगे बालने में ठढिठाई किई यटि बीस हौ वहां पाये जायें तब उस ने कहा में बौस के कारण उसे नाश न करूगा॥ ३२। फिर उस ने कहा हाय कि परमेग्र क्रुइ्ट न होवे ते! में अब की बार फिर कहूं यदि वहां ट्स ही पाये जावें तब उस ने कहा में ट्स के कारण उसे न।श न करूंगा ॥ ३३। तब परमेग्वर अबविरहाम से बात चौत समाप्त करके चला गया और अविरहाम अपने स्थान के फिरा । २८ जन्नौसवां पब्ब ॥ । ५ सांमक के दो टूत सट्ूम में आये ओर लत सट्टम के फाटक पर ठा था उन्हें देखकर लूत उन से भेंट करने के! गया और भूमि लो दंडवत किई॥ २। ओर कहा कि हे खामिया अपने दास के घर की और चलिये ओर रात भर उहरिये और चरण घाइये ओर तड़के उठके अपने मागे लीजिये तब उन्‍्हों ने कहा कि नहों परन्तु हम रात भर सड़क में रहेंगे॥ ३। पर जब उस ने उन्‍हें बहुत ट्बाया तब वे उस की ओर फिरे और उस के घर में आये तब उस ने उन के लिये जेवनार किया ओर अखमीरी रोटी उन के लिये पकाई ग्र उन्हें ने खाई ॥ हर उत्पत्ति [२६८ पत्थ ४। उन के लटने से आगे सट्ट्म के नगर के मनव्यों ने क्या तरुण क्या बढ़े सब लोगों ने चारों ओर से आके उस घर का बेरा॥ ५। ओर लूत का पुकारके कहा कि जे पुरुष तेरे यहां आज रात आये हैं से कहां हें हमारे पास उन्हें बाहर ला जिसतें हम उन से संगम करें ॥ ६। और लत द्वार से उन पास बाहर गया ओर अपने पीछे दार बंद किया॥ ७। और कहा कि हे भाइये ऐसी दुृष्टता न करना ॥ ८। देखे मेरी दो बेटियां हैं जो पुरुष से अजन्ञान हें कहे तो मैं उन्हें तन्‍्हारे पास बाहर लाऊं ओर जो तम्हारी दृष्टि में भला लगे से। उन से करो केवल उन मनय्यां से कुछ न करो क्यांकि वे इस लिये मेरी छत की छाया तलेआये कं ॥ ८। उन्‍्हों ने कहा कि हट जा ओर कहा कि यह एक जन हस्में टिकने के! आया से अब न्यायी होने चाहता कहे अब हम तेरे साथ उन से अधिक बुराई करेंगे तब वे उस पुरुष पर अधीात्‌ लत पर हुलर करके आये और द्वार ताड़ने के म्पटे ॥ १०। परन्त उन परुषों ने अपने हाथ बढ़ाके लत का घर में खोाँच लिया और द्वार बंद किया॥ २९। और क्या छोटे क्या बड़े सारे मनव्यों को जो घर के द्वार पर थे अंधापन से मारा यहां लो कि वे द्वार ढूंढत ढूंढते थक गये ॥ ९५२। तब उन पुरुषों ने लत से कहा कि तेरा काई और यहां है जवांई अथवा तेरे बेटे अथवा तेरी बेटियां जे। काई इस नगर में तेरा हे उन्‍हें लेकर इस स्थान से निकल जा॥ ९१३। क्योंकि हम इस स्थान का नाश करेंगे इस लिये कि इन का चिज्ञाना परमेग्र के आगे बड़ा हे और परमेमग्वर ने हमें इसे नाश करने का भेजा क्षे 8 ९४। तब लूत निकला और अपने जवांदयों से जिन्हें से उस की बेटियां ब्याही थीं बेला ओर कहा कि उठा इस स्थान से निकले क्योंकि परमेग्र इस नगर के नष्ट करता है परन्त वह अपने जवांइयों के आगे जैसा काई ठठेलू दिखाई टिया ॥ १४ । ओर जब बिहान हुआ टूतों ने लत के शौघ करवाके कहा कि उठ अपनी पत्नी ओर अपनी हे बेटियां जो यहां हैं ले जा न है| कि तू इस नगर के दंड में भर्त हे जाय॥ २६। और जब लो बुद्द विलंब करता था उन पुरुषों ने उत का और उस की पत्नी का और उस की दाने बेटियां का हाथ पकड़ा क्यांकि परमेश्वर २८ पब्ब] की पुस्तक । ३३ की कृपा उस पर थी गैर उसे निकालकर नगर के बाहर डाल दिया ॥ ९७ । और उन्हें बाहर निकालके थे कहा कि अपने प्राण के लिये भाग और पीछे मत ट्खना और सारे चैगान में न उह्दरना पहाड़ पर भाग जा न हेोवे कि तू भव्म होवे ॥ ९८। तब लूत ने उन्हें कहा कि हे मेरे प्रभु रेसा नहों ॥ ९८ । देखिये अब आप के दास ने आप कौ दृष्टि में अनग्रद पाया है और तू ने अपनी दया बढ़ाई हे जो तू ने मेरे प्राण बचाने में ट्खिई है में अब पहाड़ पर नहीं जा सक्ता न हावे कि काई बिपत मुक्त पर पड़े और में मर जाऊं ॥ २० । अब टे खिये कि यह नगर भागने के। समीप है जर वह छाटा है मस्से उधर जाने टौजिये वह क्या छाटा नहीं से। मेरा प्राण बच जायगा॥ २९। और उस ने उसे कहा कि टेख इस बात के विषय में भो म ने तरेमंह का ग्रहण किया है कि में इस नगर के जिस की त ने कद्दी उलट न देऊंगा॥ २२। शीघ्र कर ओर उधर भाग क्योंकि जबलोीं तू वहां न पहुंच में कुछ कर नहों सक्ता इस लिये उस नगर का नाम सुग्र॒ रकवा ॥ २३। सूर्य एथिवी पर उदय हुआ था जब लूत स्य में पहुंचा ॥ २४। तब परमेगर ने सटूम ओर उमरः पर गंधक ओर आग परमेम्थर कौ ओर से खगे से बरसाया ॥ २४। और उन नगरों के। और नगरों के सारे निवासियों का और सारे चेगान के और जो कुछ भमि पर ऊगता था उलट दिया॥ २६। परनन्‍्त उस कौ पत्नी ने उस के पीछे से फिरके टेखा और वह लोन का खंभा बन गई ॥ २७। ज" और अबिरहाम उठके विहान के तड़के उस स्थान में जहां वच्द परमेश्वर के आगे खड़ा था आ पहुंचा॥ २८। और उस ने सट्टूम और अमरः और चेगान की सारी भमि की ओर दृष्टि किई तो क्या देखता क्षे कि उस भमि से भट्ठी का सा घाआं उठ रहा है ॥ २८। और यों हुआ कि जब ई प्र ने चेगान के नगरों का नष्ट किया तब इग्र ने अबिरहाम के स्मरण किया और उन नगरों के जहां लूत रहता था नष्ट करते हुए लत का उस बिपत्ति से छड़ाया॥ ३०। और लत अपनो बेटियां समेत सग्र से पहाड़ पर जा रहा क्योंकि वह सग्र में रहने के डरा तब वह गैर उस की दो बेटियां एक कदला में जा रहे ॥ ६९। और पहिलेंठो ने छटकी से कहा कि हमारा पिता ढड़ क्षे और 5 [&, 8. 8.] ३४ उत्पत्ति [२० पर्ब्ब एथिवी पर काई पुरुष नक्चों रह्म जे जगत की रीति के समान हमें ग्रहण करे॥ ३२। से। आग्ये। हम अपने पिता के! दाख रस पिलावें और हम उस के साथ शयन करें कि हम अपने पिता से बंश जगांवें॥ ३४६। तब उन्‍्हों ने उस रात अपने पिता के द्ाख रस पिलाया और पहिलोंटी भीतर गई और अपने पिता के साथ शयन किया उस ने उस के शयन करते ओर उठते सुरत न किई॥ ३६४। और जब दूसरा दिन हुआ पहिलोंटी ने छटकी से कहा कि देख में ने कल रात अपने पिता के साथ शयन किया हम उसे आज्ञ रात भी ट्ाख रस पिलांवं ओर त्‌ जाके उस के साथ शयन कर जिसतें हम अपने पिता का बंश जगाव॥ ३६४ । तब उन्‍्हों ने अपने पिता के! उस रात भी दाख रस पिलाया और कूटकी ने उठके उस के साथ शयन किया उस ने उस के भी न शयन करते न उठते हुए सुरत किई॥ ३६। इस रीति से लूत की दोनों बेटियां अपने पिता से ग्भिणी हुई॥ ३७। और पहिलोंठो एक बेटा जनी ओर उस का नाम माअब रक्‍खा वह्ती आज लो माअबियों का पिता ह्े। ३८। गर छटकी भी एक बेटा जनी ओर उस का नाम विनअमी रक्‍था श्र वही आज लो अमन के बंश का पिता है ॥ २० बीसवां पब्बे ॥ शि अविरहाम ने वहां से टक्छिन के देश के यात्रा किई और काटिस 7र रूर के बीच ठहरा और जिरार में टिका ॥ २। और अविरहाम अपनी पत्नी सरः के बिषय में बेला कि यह मेरी बहिन हे से जिरार के राजा अविमलिक ने भेजके सरः के लेलिया ॥ ३। परन्तु रात का ईस्वर ने अबिमलिक पास ख्त्न में आके कहा कि देख तू इस स्त्री के कारण जिसे त्‌ ने लिया हे मर चुका क्योंकि वुक्त पति से ब्याही है ॥ ४। परन्त अविमलिक उस पास न आया था तब उस ने कहा कि हे परमेस्वर क्या त घर्मो' जाति का भी मार डालेगा ॥ ६ । क्या उस ने मरे नहों कहा कि वह मेरी वह्चिन क्षे ओर वुह आपर्ी बेली कि वह मेरा भाई हे में ने अपने मन की सच्चाई और हाथ की निर्दा/जता से ऐसा किया हे॥ ६ । तब ईय्यर ने उसे खन्न में कहा कि में भी जानता #॑ कि तू ने अपने २० पब्बे] की पुस्तक । ३५ मन की सच्चाई से एसा किया हे क्योंकि में ने भी तसे मेरे बिरुड्ड पाप करने से रोका इस लिये में ने तक उसे छने न दिया॥ ७। से अब उस परुष के उस की पत्नी फर दे क्यांकि वह भविय्यद्क्षा क्षे ओर वह तेरे लिये प्रार्थना करेगा और त जीता रहेगा परन्त यदि त उसे फेर न देगा तो यह जान कि त और तेरे सारे जन निच्यय मरेंगे ॥ प८ू। तब अबिमलिक ने विह्ाान के! तड़के उठकर अपने सारे सेवकों का बलाया ओर थे सारी बातें उन्हें सनाई तब वे वहुत डर गये ॥ «८ । तब अबिमलिक ने अविरहाम के बलाया और उसे कहा कि त ने हम से क्या किया हे और में ने तेरा क्या अपराध किया कितू मस्त पर और मेरे राज्य पर एक बड़ा पाप लाया ह तने मस्स अनचित काम किये ॥ ९५०। फिर अबविमलिक ने अविरहाम से कहा कि तू ने क्या देखा जे। त ने यह काम किया है ॥ ९११५ | अविरहाम बाला इस कारण कि में ने समभ्का कि निशञ्यय इंस्वर का भय इस स्थान में नहों है ओर मेरी पत्नी के लिये वे मस्ते मार डालेंगे ॥ ५२। और तथापि वह मेरी बहिन निश्यय के वह मेरे पिता की पत्रो हे परन्त मेरी माता की पत्री नहों से मेरी पत्नी हुई॥ २९३। और जब ईम्घर ने मेरे पिता के घर से मस्के भ्वमाया ता य॑ हुआ कि में ने उसे कहा कि मस्त पर त यही अनग्रह कर कि जहां कहों जिधर हम जायें मेरे विषय में कह कि वुच्द मेरा भाई है ॥ १५४। तब अबिमलिक ने भेड़ बकरी गाय बेल ओर दास दट्ासियां लेकर अबिरहाम के दिया और उस की पत्नी सरः के भी उसे फर दिया॥ ९५४ । फिर अबविमलिक ने कहा कि देख मेरा टेश तेरे आगे क्े जहां तेरा मन भावे तहां रह॥ ९६। और उस ने सरः से कहा क ट्ख में ने तेरे भाई का सहख टकड़ा चांदी टिई क्ञे रख तेरे सारे संगियों के लिये और सभों के लिये वह तेरी आंखों की ओट हेगी से वुह यां टूपटी गई॥ ९७। तब अविरहाम नेई य्मर की प्रार्थना किईं ओर ईस्घर ने अविमलिक और उस की पत्नी और उस की टासियों के चंगा किया ओर वे जन्ने लगों॥ ९८। क्योंकि परमेश्वर ने अविरहाम कौ पत्नो सरः के लिये अबिमलिक की सारी कोाखों के बंद कर दिया था! ह३्‌६ उत्पत्ति [२९ पब्बे २९५ इक्ौसवां पत्वे । ञ्ः अपने कहने के समान परमेग्वर ने सरः से भंट किया और अपने 9७. ८४: ००. ७ न के ५ बचन के समानपर मेग्यर ने सरः के विषय में किया ॥ २ । क्यांकि सरः गर्भिणी हुई और अविरहाम के लिये उस के बढापे में ठीक उसी समय में जो ईश्वर ने उसे कहा था एक बेटा जनी ॥ ३। और अ्रविरहाम ने अपने बेटे का नाम जिसे सरः उस के लिय जनी थी ईज॒हाक रक्‍्वा॥ ४। ओर ईश्वर की आज्ञा के समान अविरहाम ने आठवें टन अपने बंटे इज॒हाक का खतनः किया॥ ४। जब उस का बेटा इजहाक उस्म उत्पन्न हुआ तव अबविरहाम सो बरस का ढड् था॥ ६। तव सरः बाली कौ इंज्र ने मुस्ते हंसाया सारे सनवैंये मेरे लिये हंसेंगे ॥ ७। फिर वह बेली कि कौन अविरहाम से कहता कि सरः बालक को हृथ पिलावेगी क्योंकि उस के बढ़ापे में में उस के लिये बटा जनी ॥ ८। और वह लड़का बढ़ा औएर उस का टूधघ छ ड्राया गया और इजहाक के दृूथ छड़ाने के दिन अबिरहाम ने बड़ा जवनार किया ॥ €। और सरः ने मिखों हाजिरः के बंटे का जिसे वह अविरहाम के लिये. जनी थी चिढ़ाते टखा॥ २५०। उस ने अबिरहाम से कद्दा कि आप इस लोंडो का ओर उस के बेटे के निकाल ट्रौजिये क्योंकि यह 5५ डो बन 2 का के हि ९ लाॉडो का बंटा मेरे बेटे इज॒हाक के साथ अधिकारी न होगा ॥ २९९ । और अपने बेटे के लिये यह बात अबिरहाम का बड़ी कड़वी लगी॥ १५२। तब ईश्वर ने अविरहाम से कहा कि लड़के के और तेरी पु डो 222 वर दिलीप विधकिर 58३. 90... सिर हैः लोंडो के बिषय में तुझे कड़वी न लगे सब जा सरः ने ते कहा मान ले क्योंकि तेरा बंश इज॒हाक से गिना जायगा॥ १५३। ओर में उस लोंडी के बेटे से भी एक जाति उत्पन्न करूंगा क्योंकि वुच्ट तेरा बंश हे॥। जप 3 रे रोटी 0 १४। तव अबिरहाम ने बड़े तड़के उठके राटी और एक कुप्प में पानी लिया और हाजिर: के कघे पर धर दिया ओर लड़के के भी उसे सौंप के उसे बिदा किया वह चल निकली ओर विञरसबः के बन में भ्वमती फिरी॥ २५४। और जब कुप्पे का पानी चक गया तब उस ने उस लड़के के। एक स्‍्काड़ी के तले डाल टिया॥ २६। और आप उस के सम्मख २९ पत्ब] की पुस्तक । ३७ एक तौर के टप्पे पर ट्वर जा बैठी क्यांकि वह बाली कि में इस बालक की झत्यु के।न देख ओर वुच्द उस के सन्मुख बैठ के चित्ला चिल्ला रो ९७। तब ईस्र ने उस वालक का शब्द सुना और ईयग्वर के टूत ने सगे में से हाजिर: के पकारा और उसे कहा कि हे हाजिर: तरफ क्या हुआ मत डर क्ञयांकि जहां वह बालक हो तहां इं ग्थर ने उस के शब्द का सना है॥ ९५८। उठ और उस लड़के के उठा और उसे अपने हाथ से धर लेकि में उस्ये एक बड़ी जाति वनाऊंगा॥ १५९। और ईग्यर ने उस की आंखें खालीं तब उस ने पानी का एक कुआं ट्खा और उस ने जाके उस कृप्पे के पानौ से भरा और उस लड़के के पिलाया॥ २०। ओर ई स्वर उस लड़के के साथ था और वुच्द वढ़ाऔर बन में रहा किया और घनघघधारी हुआ॥ २१। फिर उस ने फारान के बन में जाके निवास किया ओर उस की माता ने मिख देश से उस के लिये एक पत्नौ लिई ॥ २। और उस समय में यों हुआ कि अविमलिक्‌ और उस कौ सेना के प्रधान फीकुल्न ने अविरहाम के कहा कि सब कार्यों में जो। त करता च्े ईम्घर तेरे संग ह्े॥ २३। ओर अब मरस्मझम ईम्वर कौ किरिया खा कि में तस्से और तेरे बट और तेरे पेतां से छल न करूंगा उस अन ग्रह के समान जो में ने तम्क पर किया है मस्स और उस भमि से जहां त टिका हे करे॥ २४। तव अबिरहाम बाला कि में किरिया खाऊंगा॥ २५ । और अबिरहाम ने पानी के एक कएं के लिये जिसे अविमलिक के सेवकां ने बरबस्तों से ललिया था अविमलिक के ट्पटा॥ २६। तब अविमलिक ने कहा कि में नहीं जानता किस ने यह काम किया है और आप ने भी ता मस्स न कहा और में ने भी तो आजह्दी सना॥ २७। फिर अबिरहाम ने भेड़ और गाय बैल लेके अविमलिक के ट्यि ओर डन दोनों ने आपस में नियम बांघा ॥ श८। तब अबिरहाम ने मंंड में से सात मेन्‍्ने अलग रक्‍खे॥ २८। और अबिमलिक ने अविरहाम से कहा कि आप ने भेड़ के सात मेम्ने क्यों अलग रकक्‍खे हैं॥ ३०। उस ने कहा इस कारण कि तू उन भेड़ के सात मेन्तें के मेरे हाथ से ले कि वे मेरी साक्षो होवें कि में ने यह कुआं खाद है ॥ ३९। इस कारण उस ने उस स्थान का नाम बीअरसबअ्‌ रकक्‍खा क्योंकि उन ट्रानों ने वहां आपस ह्ष उत्पत्ति [२२ पत्बे में किरिया खाईं॥ ३२। सो उन्‍्हों ने वीअरसबअ में नियम बांघा तब अबिमलिक ओर उस का प्रधान सेनापति फौकुज्न उठे ओर फिलिस्तीयों के दृश में फिर गये ॥ ३३। तब उस ने बीअरसवच्य में कुंज लगाया जऔर वहां सनातन के ईम्घर परमेश्वर का नाम लिया॥ ३४। ओर अबिरहाम फिलिस्ती के दृश में बहुत ट्नि लां टिका ॥ २२ बाईसवां पब्बे । नबातां के पीछ यूं हुआ कि ईश्वर ने अबिरहाम की परौक्षा किई और उसे कहा हेअबिरहाम वह बेला कि ट्ख इहांह्ुं॥ २।फिर उस ने कहा कि त्‌ अपने बेटे का अपने एकलेते इजहाक के जिसे त प्यार करता हे ले आर मेरिः के देश में जा और वहां पहाडे में से एक पहाड़ पर जा में तम्के बताऊंगा डसे हाम की भंट के लिये चढ़ा ॥ ३। तब अविरहाम ने तड़के उठकर अपने गटहे पर काठी बांघी और अपने तरुण में से दा के! और अपने बेटे इज॒हाक के! साथ लिया और हे।म की भेंट के लिये लकड़ियां चौरीं और उठके जहां ईयग्वर ने उसे आज्ञा किई थी तहां चला गया॥ ४। तीसरे दिन अबविरहाम ने अपनी आंखें ऊपर किई ते उस स्थान को टूर से टेखा॥ ५। तब अबिरहाम ने अपने तरुणां से कहा कि गटहे के साथ यहीं ठहरो और में इस लड़के के साथ वहां लो जाता हुं ओर सेवा करके फिर तम्हारे पास आंवबेंगे ॥ ६ । तब अबिरहाम ने होम की भंट को लकड़ियां लेकर अपने बट इज॒हाक पर लाहौं और आग और छरी अपने हाथ में लिई और होने! साथ साथ गय॥ ७। और इजहाक अपने पिता अबिरहाम से बेला कि हे पिता वह बोला हे बेटे में यहीं ू॑ उस ने कहा कि देखिये आग ओर लकड़ियां ता हैं पर हाम की भेंट के लिय भेड़ कहां हे॥ ८। जऔ और अबिरहाम बेला कि हे बेटे ईस्यर हेाम की भेंट के लिय भेड़ आपरच्दो सिद्ध करेगा से वे दोनों साथ साथ चले गये ॥ «। और उस स्थान में जहां ईम्र ने कहा था आय तव अविरहाम ने वहां एक बेदी बनाई और उन लकड़ियों के वहां चना और अपने बेटे इजुचह्ाक के बांघके उस बेटों में लकड़ियाों पर घरा॥ ९०। और अविरहाम ने २२ पत्बे] की पस्तक । ३८ छरो लेके अपने बट का घात करने के लिये अपना हाथ बढ़ाया ॥ ११५। तब परमेग्वर के द्वत ने खगे पर से उसे पकारा कि अबिरहाम अबविरहाम वह बाला यहों #ु॥ ९५२। तब उस ने कहा कि अपना हाथ लड़के पर मत बढ़ा और उसे कुछ मत कर क्योंकि अब में जानता हू कि तू ईश्वर से डरता हे क्यांकि तू ने अपने बेटे अपने एकलौते के मुस्स न रख छोड़ा ॥ १५३। तब अविरहाम ने अपनी आंखें ऊपर करके देखा और क्या टेखता क्ञे कि अपने पीछ णक मेंढ़ा क्काड़ी में सोंगें। से अटका हुआ है तब अविरहाम ने जाके उस मेंढ़ के! लिया और हेम की भेंट के लिये अपने बेटे की संती चढ्ाया॥ ९४। ओर अबिरहमम ने उस स्थान का यह नाम रक्‍डा कि परमेश्वर टेखेगा जेसा कि आज लो कहा जाता हे कि पहाड़ पर परमेग्घर ट्खा जायगा ॥ ९५ | फिर परमेग्र के टृत ने दाहराके खभे में से अबिरचह्ााम का पकारा॥ २९६। और कहा कि परमेग्वर कहता हे कि में ने अपनी हों किरिया खाई क्ञे इस कारण कि त ने यह कार्य किया और अपने बेटे अपने एकलाते का न रख छाड़ा॥ २७। में तमे आशोष पर आशीष टेजंगा और आकाए के तारों और समट्र के तौर के वाल के समान तेरे बंश के! बढ़ाजंगा और तेरे बंश अपने बैरी के फाटक के अधिकारी हांगे॥ २९८। और तरे बंश में एथिवी के सारे जातिगण आशीष पावेंगे इस कारण कि त ने मेरा शब्द माना क्षे । ९२८। और अबिरहाम अपने तरूणां के पास फिर आया औरर वे उठके एकड्टे बीअरसबञ के गये और अविरहाम बीअरसबअ में रहा॥ २०। ओर इन बातों के पीछ ऐसा हुआ कि अबिरहाम के संदेश पहुचा कि मिलकः भी तर भाई नहर से बालक जनी॥ २२९। ऊज उस का पहिलोंठा और उस का भाई बज और कमणेल अराम का पिता॥ २२। झओऔर कसद और हज़ ओर फिल्टूस और इट्लाफ ओर बतणल ॥ २३। ओर बतणल से रिबक उत्पन्न हुई मिलकः अबिरहाम के भाई नह्ूर से ये आठ उत्पन्न हुए ॥ २४। ओर उस की सरेतिन से जिस का नाम रूमह था उससे तिबख और जहम ओर ताहाश और मअकः उत्पन्न हुए ॥ ४० उत्पत्ति [२३ पब्बे २३ तेईंसवां पब्ब ॥ जो सर: की बय एक से। सताईंस वरस की हुई सरः के जीवन के बरस इतने थे। २। ग और सरः करयत अरबञ्ज में जे। कनछएन देश में हबरून कहे मर गई तब अबिरहाम सरः के लिये बिलाप करने और राने के आया॥ ३। फिर अविरहाम अपने म्हतक से उठ खड़ा हुआ ओर हित्त के बंटों से यह कहिके बेला॥ ४। कि में परदेशी और तुम में टिकवैया हूं तुम अपने यहां मुझ्के एक समाधि का स्थान अधिकार में दो जिसतें में अपने म्हतक का अपनी दृष्टि से अलग गाड़ं॥ ५। हित्त के संतान ने अबिरहाम का उत्तर टेके कहा ॥ ६। कि हे खामी हमारी सनिये आप हस्में ईम्वर के अध्यक्ष हैं से आप हमारे समाधिन में से चनके एक में अपने म्हतक का गाड़िय हस्प काई अपनी समाधि आप से न रख छाड़ेगा जिसतें आप अपने स्हतक का गाड़ें। ७। तब अबिरहाम खड़ा हुआ और उस देश के लेग अथात हिन्न के संतान के प्रणाम किया॥ ८। और उन से व॒त चौत करके कहा कि यदि तम्हारा मन हावे कि में अपने मस्तक के अपनी दृष्टि से अलग गाड़ ता मेरी सने और मेरे लिये सहर के बेटे इफरून से बिनती करा॥ «८। जिसतें वह मकफीलः को कंदला मर्से दवेजो उस के खत के सिवाने पर हे उस का परा माल लके मेरे बश में करद जिसतें में तम्हां में एक समाधि का अधिकार रक्‍वें॥ १५०। और इफरून हित्त के संतानों में वास करता था और इफरून हत्ती ने छिक्त के संतानों के और सबके सुन्नें में जे। नगर के फाटक में गये थे अविरहाम का उत्तर में कहा॥ २९९। नहीं मेरे प्रभ मेरी समिय में यह खेत आप के देता ह और बुच्द कंटला जो उस में है आप के ट्ता हूं में अपने लागों के बट के आगे आप का ट्ता कु अपना स्हसक गाड़िय॥ २१५२। तब अविरहाम ने उस दश के लोगों का प्रणम किया॥ २३। फिर उस टेश के लोगों के स॒न्ने में वह इफरून से यां कहिके बोला कि यदि त ट्गा तो मेरी सुन ले में तुझे उस खेत के जिये रोकड़ टजऊंगा मस्झ ले और में अपने स्वतक के वहां गांडंगा॥ १५४। इफरून ने अबिरहाम २४ पन्बे] को पस्तक । ४२ के उत्तर टेके कह ॥ १५। मेरे प्रभ मेरी सनिये उस भूमि का मेल चार सो शैकल चांदी है यह मेरे और आप के आगे क्या बस्त हे से आप अपने म्हतक का गाड़िये॥ ९६। और अबिरहाम ने इफरून को मान लिई और उस चांदी के इफरून के लिये तैल दिया जो उस ने दछित्त के बेटों के सन्ने में कही थी अथात्‌ चार सो शैकल चांदोौ जिन की चलन बैपारियों में थी॥ २५७। से। इफरून का खेत जो मकफीलः में ममरी के आगे था बुच खेत और कंदला जो उसमें थी और उस खेत में के सारे पेड़ जो चारों ओर उस के खिवाने में थे॥ ९८। हित्त के संतानों के आगे और सभोंके आगे जो नगर के फाटक में से भीतर जाते थे अबिरहाम के अधिकार के लिये दृढ़ किये गये ॥ १७। इस के पीछे अविरहाम ने अपनी पत्नी सरः के मकफीलः के खेत की कंदला में जो ममरी के आगे हे गाड़ा वही हबरून कनआन टेश में हे॥ २०। और वुच्द खेत और उस में की कंदला हित्त के संतानों से अबिरहाम के हाथ में समाधि स्थान के लिय दृढ़ किये गये ॥ २४ चोजीसवां पब्बे । जी अविरहाम हड़ ओर टिनी हुआ और परमेश्वर ने सब बातों में अबिरहाम के! बर टिया था॥ २। और अबिरहाम ने अपने घर के पराने सेवक के। जे। उस की सारी संपत्ति का प्रधान था कहा कि अपना हाथ मेरी जांच तले रख॥ ३। ओर में तम्क्र से परमेश्वर खगे के ई स्वर और एथिवी के ईम्र कौ किरिया लेऊंगा कि त कनआनियों को लड़कियों में से जिन में म रहता हूं मेरे बट के लिये पत्नी न लेना ॥ ४। परन्त त मेरे हेश ओर मेरे कुट स्व में जाइया और मेरे बटे इजहांक के लिये पत्नो लोजिया॥ ४। परन्त उस सेवक ने उसे कहा कि क्या जाने वह स्त्रो इस दश में मेरे संग आने का न चाहे तो क्या अवश्य में आप के बंटे का उस दृश में जहां से आप आये हें फिर लेजाऊं ॥ ६। अविरहाम उसे कहा चौकस रह त मेरे बट के उचर फिर मत ले जाना ॥ ७। परमेम्थर खगे का ईस्वर जा मेरे पिता के घर से ओर मेरे जन्म भमि से मझ्के निकाल लाया और जिस ने मस्ते कहा और मकर से किरिया 6 (3. 8. 8.] ४२ उत्पत्ति [२४ पच्बे खाके बाला किमें तेरे बंश का यह देश ह्‌ जंगा वच्दी तेरे आगे अपना ट्टूत भेजेगा और वहीं से त मेरे बेटे के लिये पत्नी लेना॥ ८। और यदि वह स्त्री तेरे साथ आने का न चाहे तो त मेरी इस किरिया से छट जायगा केवल मेरे बेटे को उधर फिर मत ले जा ॥ ८ | उस सेवक ने अपना हाथ अपने खामी अविरहाम की जांघ तले रकद्ा और उस बात के बिषय में उस के आगे किरिया खाइं॥ ९०। और उस सेवक ने अपने खामी के ऊंटों में से ट्स ऊंट लिये और चल निकला क्योंकि उस के खामी की सारी संपत्ति उस के हाथ में थी से! वह उठा और अरामनहरी में नहर के नगर के गया॥ ९१५। और उस ने अपने ऊंटों को नगर के बाहर पानी के कुएं के पास सांस के समय में जब कि स्त्रियां पानी भरने का बाहर जाती हैं बैठाया॥ ५२। ओर कहा कि हे परभेग्यर मेरे खामी अविरहाम के ईम्वर में आप की बिनती करता हूं आज मेरा कार्य सिद्ध कीजिये और मेरे खामी अबिरहाम पर ट्या कीजिये ॥ १३। देख में पानी के कएं पर खड़ा हू और नगर के परुषां की बेटियां पानी भरने आती हैं॥ २९४। एसा हेवे कि वह कन्या जिसे में कहूं कि अपना घड़ा उतार जिसतें में पीज॑ ओर वह कहे कि पी और में तेरे जंटों के भी पिलाऊंगी वही हे जिसे त्‌ ने अपने दास इज़हाक के लिये ठहराया है और इसी से मैं जानंगा कि तू ने मेरे खामी पर दया किई है॥ १५५ । इतनी बात समाप्त न करते हो ऐसा हुआ कि देखो रिबकः जे! अविरहाम के भाई नहर की पत्नी मिलकः के बेटे बतूएल से उत्पन्न हुईं थी अपना घड़ा अपने कांघे पर घरे हुए बाहर निकली ॥ ९६ । और बह कन्या रूपवती और कुमारी थी जिस्म परुष अज्ञान था उस कएं पर गई और अपना घड़ा भरके ऊपर आई॥ १५७। वह सेवक उस की भेंट के दोड़ा ओर बोला मैं तेरी विनती करता हूं अपने घड़े से थाड़ा पानी पिला॥ १५८। वह बोली कि पीजिय मेरे प्रभ और उस ने फरती करके बड़ा हाथ पर उतारके उसे पिलाया ॥ ९५८ । जब उसे पिला चुकी ता बाली में तेरे ऊंटों के लिये भी जबलों वे जल से ढप्त हें खोंचती जाऊंगी॥ २०। और उस ने फरती करके अपना घड़ा कटरे में उंडेला और फिर कएं पर भरने का होड़ी और २४ पर््ब] की पस्तक । 8३ उस के सब ऊंटों के लिये खौँंचा॥। २९५। और वुच्ठ पुरुन आये करके टेख रहा कि परमेग्यर ने मेरी यात्रा सफल किई हे कि नहीं ॥ २२। गौर यों हुआ कि जब ऊंट पी चके ता उस परुष ने आघे शेकल भर सेने की एक नथ और ट्स भर से ने के द। खड़वे उस के हाथों के लिये निकाले॥ २३। ओर कहा कि तू किसकी बेटी है मुस्के बता तेरे पिता के घर में हमारे लिये रात भर टिकने का स्थान हैे॥ २४। ओर उस ने उसे कहा कि में मिलकः के बेटे बतएल की कन्या हूं जिसे वह नह्हर के लिये जनी॥ २५। ओर उस ने उसे कहा कि हमारे यहां घास चारा भी बहुत है और रात भर टिकने का स्थान । २६। तब उस परुष ने अपना सिर काया ओर परमेम्धर की टंडवत किई॥ २७। और कहा कि परमेग्वर मेरे खामी अबिरहाम का ई ग्वर धन्य है जिस ने मेरे खामी के अपनी ट्या और अपनी सच्चाई बिना न छोड़ा मार्ग में परमेग्यर ने मेरे खामी के भाइयां के घर की ओर मेरी अगआई किई॥ २८। तब वह लड़की दोड़ी औएर अपनी माता के घर में ये बातें करचों॥ २८। और लाबन नाम रिवकः का एक भाई-था जो बाहर कएं पर उस मनव्य कने टोौड़ा॥। ३०। और यां हुआ कि जब उस ने वह नथ जैर खड़वे अपनी बहिन के हाथों में ट्खे और जब उस ने अपनी बहिन रिबकः से ये बातें कहते सनी कि इस मनव्य ने मस्के यां कहा वह उस परूुष पास आया ओर क्या टेखता है कि वह ऊंटों के पास कएं पर खड़ा हैं। ३१५। और कहा कि हे इंश्वर के आशीषित भीतर आ त किस लिये बाहर खड़ा क्षे क्यांकि में ने तेरे और तेरे ऊंटों के लिये घर सिर किया क्षे। ३२। ग्रार बह परुष घर में आया और उस ने अपने ऊंटों के पलान खोले और ऊंटां के लिये घास चारा और उस के और लोागें के जे। उस के साथ थे चरण घाने के जल दिया॥ ३३। और भेजन उस केआगे रक्‍खा गया पर बुच्द बेतला कि जब लों में अपना संदेश न पहुंचाऊं में न खाऊंगा वुच्द बोला कहिये॥ ३४। तब उस ने कहा कि में अबिरहाम का सेवक 'ूं॥ ३५ । ओर परमेग्वर ने मेरे खामी के बहुत सा बर दिया है ओर वह महान हुआ हे ग्यार उस ने उसे म्ंड और ढार और सेना चांदी और ४४ जत्पत्ति [२४ पब्थे दास ओर ट्रासियां और जंट और गधे टिये हैं॥ ३६। और मेरे खामी की पत्नी सरः बुढ़ापे में उस के लिये बेटा जनी ओर उस ने अपना सब कुछ उसे दिया है॥ ३७। ओर मेरे खामी ने यह कहके मुस्क से किरिया लिई कि त्‌ कनआनियों की बेटियों में से जिन के देश में में रहता हूं मेरे बेटे के लिये पत्नी मत लीजिया॥ ३८। परन्त मेरे पिता के घराने ओर मेरे कुटंब में जाइये। ओर मेरे बेटे के जिय पत्नी लाइये।॥ ३८ । और में ने अपने खामी से कहा क्या जाने वर स्त्री मेरे साथ न आवे॥ ४०। उस ने मर्के कहा कि परमेग्यर जिस के आगे में चलता हू अपना टूूत तेरे संग भेजेगा और तेरी यात्रा सफल करेगा तू मेरे कुटुम्ब और मेरे पिता के घराने से मेरे बेटे के लिये पत्नी लीजिये।॥ ४९ | और जब त मेरे कुटंब में आवे तब त मेरी किरिया से बाहर होगा ओर यदि वे तस्फे न टेवें तो त मेरी किरिया से बाहर हे। जायगा ॥ ४२ । से। में आज के टन कएं पर आया ओर कहा कि हे परमेग्वर मेरे खामी अबिरहाम के इंश्वर याटि त अब मेरी यात्रा सफल करे॥ ४३। देख में जलके कएं पर खड़ा हूं और यों हे!'शा कि जब कुमारी जल भरने निकले ओर में उसे कहूं कि में तेरी बिनती करता हूं कि अपने घडे से मम्मे थोड़ा पानी पिला॥ ४४। और वह मग्फे कहे कि तू भी पी ओर में तेरे ऊंटों के लिये भी भरूंगी ता वी वुच्द स्त्री हे।वे जिसे परमेग्वर ने भेरे खामी के बेटे के लिये ठहराया है॥ ४५। इतनी बात मेरे मन में समाप्त न हेततेही टेखे। रिबकः अपने कांधे पर घड़ा लेके बाहर निकली और बुच्द कूएं पर उतरी और खोंचा ओर में ने उसे कहा कि मस्के पिला॥ ४६। उस ने फरती करके अपना घड़ा उतारा ओर बाली कि पी ओर में तेरे ऊंटों के भो पिलाऊंगी से में ने पीया और उस ने जंटों के भी पिलाया॥ ४७। फिर में ने उस्झ पछा ओर कहा कि त किसकी बेटी हे बह बोली कि नहूर के बेटे बतूएल की लड़की जिसे मिलकः उस के लिये जनी ओर में ने नथ उस की नाक में ओर खड़वे उस के हाथों में डाले॥ ४८। और में ने अपना सिर काया और परमेम्वर की स्तति किई और अपने खामी अबिरहाम के इंग्र परमेगश्वर का धन्य माना जिस ने मर्से ठीक २४ पन्बे] की पस्तक । ४8५ मार्ग में मेरी अगुआई किई कि अपने खामी के भाई की बेटी उस के बेट के लिये लेऊं॥ ४८। से अब यदि तुम कृपा ओर सच्चाई से मेरे खामी के साथ व्यवहार किया चाहे तो मुस्क्र से कहा और यदि नहीं तो मुक्त से कहे। कि में दहिने अथवा बांयें हाथ फिरूु॥ ५०। तब लाबन और बतृएल ने उत्तर दिया ओर कहा कि यह बात परमेश्वर की ओर से है हम तुम्े बरा अथवा भला नहों कहि सक्ते॥ ५१५। ट्ख रिबकः तेरे आग हे इसे ले और जा और जैसा परमेश्वर ने कहा है अपने खामी के बेटे की पत्नी इसे कर टे॥ ५२। ओर एसा हुआ कि जब अबिरहाम के सेवक ने ये बातें सनों भमि लॉ परमेश्वर के आगे रंडवत किई ॥ ५३। और सेवक ने चांदी और सेने के बतैन और पहिरावा निकाला और रिबक॒ः के। दिया और उस ने उस के भाई और उस की माता के भी बहुमूल्य बस्त टिईं॥ ४४। और उस ने और उस के साथी मनव्यों ने खाया ओर पीया और रात भर ठह रे और वे बिहान के! उठे और उस ने कहा कि मुझे मेरे खामी पास भेजिये ॥ ५५। ओर उस के भाई और उस की माता ने कहा कि कन्या को हमारे संग एक ट्स दिन रहने दौजिये उस के पीछे वुह जायगी॥ ५६। और उस ने उन्हें कह कि मुझे मत रोके कि परमेश्वर ने मेरी यात्रा सफल किई है मस्तरे बिटा करो कि में अपने खामी पास जाऊं ॥ ५७। वेबोले हम उस कन्या के बुलाके उसौसे पूछते हैं॥ ५८। तब उन्‍्हों ने रिबकः के बलाया और उसे कहा कि तू इस परुष के साथ जायगी और बुच्द बोली कि जाऊंगी ॥ ४९। से उन्हें! ने अपनी बहिन रिबकः और उस की टाई और अबिरहाम के सेवक ओर उस के लोगों के। बिदा किया ॥ ६०। और उन्हों ने रिबकः के आशीष दिया और उसे कहा कि तू हमारी बहिन है कड़ोरों की माता हे और तेरा बंश उन के द्वारों का जो उच्मे गैर रखते हैं अधिकारी हेवे॥ ६९। और रिबक्॒‌ः और उस कौ सहेलियां उ्ीं और जंटों पर चढ़के उस मनुय्य के पीछे हुईं और उस सेवक ने रिबकः के। लिया ओर अपना मार्ग पकड़ा॥ ६२। और इजहाक सजीवन हेखनेवाले के कूएं पर मारे में आ निकला था क्योंकि वुह् टक्खिन देश में रहता था। ६३। और इजहाक संध्याकाल को ध्यान करने के ४६ उत्पत्ति [२५ पब्बे लिये खेत के निकला उस ने अपनी आंखें ऊपर किई ओर क्या ट्खता हे कि ऊंट चले आते हैं॥ ६४। रिवक॒ः ने अपनी आंखें उठाई और जब उस ने इजहाक का देखा ते। ऊंट पर से उतर पड़ी ॥ ६५ | और उस ने सेवक से पका कि यह जन जो खेत से हमारी भेंट के। चला आता हे कान हे सेवक ने कहा कि मेरा खामी है इस लिये उस ने घंघट लेके अपने तईः टांपा॥ ६६। तब सेवक ने सब कुछ जो उस ने किया था इजहाक से कहा ॥ ६७। ओर इजहाक डसे अपनी माता सरः के तंब में लाया और रिबक॒ः के। लिया वह उस की पत्नी हुई उस ने उसे प्यार किया और इजहाक ने अपनी माता के मरने के पीछ शांति पाई ॥ २५ पच्ीौसवां पब्य । त्त्‌ ब अबिरहाम ने कतरः नाम की एक पत्ञली लिई॥ २। और उससे जिमरान और यक॒सान और मिद्ान ओर मिट्यान और इसबाक और सख उत्पन्न हुणए। ३। और यकसान से सिवा और ट्टान उत्पन्न हुए और ट्टान के बटे असर ओर लतसी ओर लै।मी॥ ४ । और मिट्यान के बेटे ऐफः और गिफ्र और हनक और अंविदाः और इल्टाओ उत्पन्न हुए ये सव कतरः के लड़के थे। ५। और अबिरहाम ने अपना सब कुछ इजहाक का टिया॥ &। परनन्‍्त टासियों के बटां का अबिरहाम ने दान दिये और अपने जीते जो उन्हें अपने बेटे इजहाक पास से पूरब टेश में भेज दिया॥ ७। और अविरहाम के जीवन के दिन जिन में वह जीता रहा एक से पचहत्तर बरस थे| ८। तब अबिरहाम ने अच्छ छट्ट बय में परिपर्ण और छड मनव्य हेके प्राण व्यागा और अपने लागों में बटारा गया॥ <। ओर उस के बेटे इज॒हाक ओर इसमअणएल ने मकफीलः की कंदला में छित्ती सुग्र के बेट ईफरून के खेत में जग ममरी के आगे हे उसे गाड़ा। २९०। यही खेत अबिरहाम ने हित्त के बेटों से मेल लिया था अबिरहाम ओर उस की पत्नी सरः वहीं गाडे गये ॥ ९५९५ । और अबिरहाम के मरने के पीछे यों हुआ कि ईस्पर ने उस के बेटे इजुहाक के आशीष दिया और इजहाक सजीवन देखवैया के कएं के पास रहता था॥ १५२। ओर अबिरहाम के बेटे इसमआअणल की «२५ पर्व] की पस्तक । ४७ अब लकी | शावली जिसे सरः की लोंडो मिस्ती हाजिर: अबिरहाम के लिये जनी थी ये ह्ैं। ९३। उन की बंशावली की रीति के समान इसमअणल के बेटों के नाम थे हैं इसमअएल का पहिलौंठा नबीत और कौटार ओऔर अट्विएल और मिबसाम॥ २९४ | और मिसमाअ ओर टृमः ओर मस्सा॥ २९४ । ओर हट्र और तेमा और इतर ओर नफौस और किट्मः॥ ९६। थे इसमअणएल के बेटे हें ओर उन के नाम उन की बसतियों और उन की गढ़िया में य हैं और य अपनी जातिगणों के बारह अध्यक्ष थे। ९२७। और इसमअएल के जीवन के बरस एक से सें तौस थे कि उस ने अपना प्राण त्याग और मर गया और अपने लोगों में बटर गया ॥ १५८। और वे हवीौलः से रूर ला जे अरूर के मार में मिस्त्त के आगे हे बसते थे उस ने अपने सारे भाइयें के आगे बास किया ॥ ९८। गैर अबिरहाम के बेटे इजहाक की बंशावली यह क्षे कि अविरहाम से इजहाक उत्पन्न हुआ ॥ २० । इजहाक ने चालीस बरस की बय में रिवकः से बिवाह किया वह फहानअराम के सरियानी बंतएंल की बेटी ओर सरियानी लॉबन की बहिन थी॥ २९॥ और इजहाक ने अपनी पत्नी के लिय परमेश्वर से बिनती किई क्योंकि वुच्द बांस थी ओर परमेग्थर ने उस की बिनती मानी और उस की पत्नी रिबकः गभिणी हुई॥ २२। ओर उस के पेट में बालक आपस में छेड़ा छेड़ी करने लगे तब उस ने कहा यदि यों ता णेसा क्यों हें। और बुह् परमेश्वर से बक्कने के! गई॥ २३। परमेश्वर ने उसे कहा कि तेरे गर्भ में टो। जातिगण कं और तेरी काख से दा रीति के लाग अलग होंगे और एक लाग टूस रे लाग से बलवंत हेगा ओऔःर जेछ कनिष्ठ की सेवा करेगा॥ २४॥ और जब उस के जन्न के दिन परे हुए तो क्या देखते हैं कि उस के गभ जमल थे ॥ २४ । से पहिला ऐसा जैसा रोम का पहिरावा होता हे बालों में छिपा हुआ लाल रंग का निकला ओर उन्हां ने उस का नाम एसो रक्खा॥ २६। उस के पीछ उस का भाई निकला और उस का हाथ एसे की एड़ी से लगा हुआ था और उस का नाम यअकब रण्ख़ा गया जब वह उन्‍हें जनी ता इजुहाक की बय साठ बरस की थी॥ २७। और लड़के बढ़े और एसे खेत का रहवैया कक ड्त्पन्ति [२६ पब्ब और चतर अहेरी था और यञअकब सधा मनव्य तंब में रहा करता था॥ र८। ओर इजहाक एसे को प्यार करता था क्योंकि वह उस के अह्ेर से खाता था परन्त रिबकः यअकब के चाहती थी॥ र२<। और यअकब ने लपसी पकाई और णसे खेत से आया ओर वह थक गया था॥ ३०। और एसे ने यअकब से कहा में तेरी बिनती करता हूं कि इस लाल लाल में से मुझे खिला क्योंकि में मूछित हूं इस लिये उस का नाम अट्टम हुआ ॥ ३९। तब यअकूब ने कहा कि आज अपना जन्म पट मेरे हाथ बेच ॥ ३२। तब णसेो ने कहा टेख मैं मरने पर हूं आर इस जन्म पद से मस्ते क्या लाभ हेगा॥ ३३। तब यअकब ने कहा कि आज मकर से किरिया खा उस ने उद्मे किरिया खाई और अपना जन्म पट यअकव के हाथ बेचा॥ ३४। तब यञकब ने रोटी और मरूर की टाल की लपसी दिई उस ने खाया और पीया और उठके चला गया यों एसेो ने अपने जन्म पट की निंटा किई। २६ छब्बीसवां पत्बे ॥ ञ्ैः उस ट्श में पह्चिले अकाल के! छाड़ जे अविरहाम के दिनों में पड़ा था फिर अकाल पड़ा तब इज॒हाक अबिमलिक पास जे फिलस्तियें का राजा था जिरार के! गया॥ २। और परमेयग्पर ने उस पर प्रगट होके कहा मिस का मत उतरजा जहां में तमे कह्ू उस टेश में निवास कर॥ ३। त्‌ इस देश में टिक और में तेरे साथ हेऊंगा और तस्समे आशीष टऊंगा क्योंकि में ते ओर तेरे बंश के। इन सारे देशों के देऊंगा और में उस किरिया के जो में ने तेरे पिता अबिरहाम से खाई है परी करूगा॥ ४। ओर में तेरे बंश के। आकाश के तारों की नाई बढ़ाऊंगा और थे समस्त देश तेरे बंश के देऊंगा और एथिवी के सारे जातिगण तेरे बंश से आशीष पावेंगे॥ ५। इस लिये कि अबविरहाम ने मेरे शब्द के! माना और मेरी आज्ञाओं और मेरी बाते और मेरी विधिन और मेरो ब्यवस्था के पालन किया॥ ६। से| इजहाक जिरार में रहा॥ ७। और वहां के बासियों ने उससे उस की पत्नी के विषय में पूछा तब वच् बोला कि २६ पब्बे] की पस्तक । 8८ वह मेरी बहिन हो क्योंकि वह उसे अपनी पत्नी कहते हुए डरा न हे कि वहां के लेग रिबकः के लिये उसे मार डालें क्यांकि वह दखने में संदटरी थी॥ ८। और यों हुआ कि जब व॒चह वहां बहुत दिन लॉ रहा तो फिलस्तियां के राजा अबिमलिक ने कराखे से दृष्टि किई और देखा ते क्या देखता कै कि इजहाक अपनी पत्नी रिबकः से कलेल करता कहैे॥ <। तब अविमलिक ने इजहाक के बुलाके कहा हेख बुच्द निश्चय तेरी पल्ञी है फिर तू ने क्यांकर कहा कि वुच्ट मेरी बहिन के इजुहाक ने कहा इस लिये में ने कहा न हे। कि में उस के लिये मारा जाऊं। ५०। और अविमलिक बोला यह क्या है जो तू ने हम से किया है यदि लागे में से काई तरी पत्नी के साथ अकस्भ करता तब तू यह दोष हम पर लाता ॥ १५९५। तब अविमलिक ने अपने सब लागा के यह आज्ञा किई कि जो काई इस परुष के! अथवा उस की पत्नी का छयेगा निशड्यथ घात किया जायगा॥ ९१५२। तब इज॒हाक ने उस देश में खेती किई और उस बरस से गना प्राप्त किय. और परमेग्वर ने उसे आशोष दिया॥ १३। और वह मनव्य बढ़ गया ओर उस की बढ़ती हेतती चली जाती थी यहां ला कि वह अत्यंत बड़ा घनी हे। गया ॥ ९४। क्योंकि वह मंड और ढेर और बहुत से सेवकों का खानी हुआ और फिलिस्तियों ने उस्शे डाह किया॥ १५५४। और सारे कएं जो उस के पिता के सेवकों ने उस के पिता अविरहाम के समय में खाद थे फिलिस्तियों ने ढांप दिये और उन्हें मही से भर दिथि॥ २१६। से अबि- मलिक ने इजहाक से कहा कि हमारे पास से जा क्योंकि त हम से भी सामर्थों हे॥ १५७। ओर इजहाक वहां से गया और अपना तंब जिरार कौ तराई में खड़ा किया और वहीं रहा॥ ९८। और इज॒हाक ने उन जल के कओं का जो उन्‍्हों ने उत्त के पिता अबिरहाम के दिनों में खादेथ फिर खाद क्योंकि फिलिस्तियों ने अविरहाम के मरने के पीछे उन्‍हें ढांप दिया था ओर उस ने उन के वही नाम रकखे जेए उस के पिता ने रक्खे थे ॥ ९९ ।और इजहाक के सेवकों ने तराई में खादा और वहां एक कुआं जिस में जल का सेता था पाया।॥ २०। ओर जिरार के अच्दौरों ने इजहाक के अक्दी रों से यह कहके मगड़ा किया कि यह जल हमारा हे ओर उन के 7 (&.78/8,] ५० उत्पत्ति [२६ पब्ब मूगड़ा करन के लिये उस ने उस कएं का नाम सकगड़ रकता॥ २९।. ओर उन्हों ने दूसरा कआं खादा और उस के लिये भी स्कगडा और उस ने उसका नाम विराोघ रक्खा ॥ २२। और वह वहां से आगे चला और द्ृसरा कआं खादा उन्‍्हां ने डस के लिये मगड़ा न किया और उस ने उस का नाम ठिकाना रक्‍्खा ओर उस ने कहा कि अब परमेश्र ने हमार लिय ठिकाना किया ह ओर हम इस भमि में फलवंत होंगे ॥ २३। ओर वह वहां से बीअरसबअ के गबा॥ २४। ओर परमेग्यर ने उसो रात उसे टशन टके कहा कि में तरे पिता अबिरहाम का इंश्र कल मत डर क्योंकि में तरे संग कु ओर तक आशीष दृऊंगा और अपने टास अबविरहाम के लिये तेरा बंश बढ़ाऊंगा ॥ २४ । ओर उस ने वहां एक बेदी बनाई और परमेश्वर का नाम लिया ओआर वहां अपना तंबू खड़ा किया ओर इजहाक के सेवकों ने वहां एक बाज खाटा ॥ २६ । तब जिशार से अधिमॉलिक जोर एक्जलोकि मित्रां में से अखजत ओर उस के सेनापति फीकुज्न उस पास गये ॥ २७। और इजहाक ने उन्हें कहा कि तम किस लिये मस्तक पास आय हो यद्यपि तम मस्क से बैर रखते हे। और तम ने मम अपने पास से निकाल दियाह॥ र८। आर वे बाल कि देखते हुए हम ने ट्खा कि परमेगख्र निःसन्द ह तर संग हे सो हम ने कहा कि हम और १ आपस में किरिया खात्र और तेरे साथ बाचा बांघ ॥ २६८ । जैसा हम ने तस्के नहीं छआ और तम्क से भलाई छोड़ कुछ नत्तों किया और तम्ते कुशल से भेजा त भी हमें न सता त अब परमेश्वर का आशीषित हे 8 ३०। और उस ने उन के लिये जंवनार वनाया और उन्हें ने खाया पीया॥ ३५। और बिह्ान का तड़के उठ और आपस में किरिया खाई ओर इजहाक ने उन्हें बिटा किया और वे उस पास से कुशल से गये॥ ३२। और उसी दिन ये हुआ कि इज॒हाक के सेवक आये और अपने खाद हुए कूएं के बिषय में कहा ओर बाले कि हम ने जल पाया॥ ३३। से उस ने उस का नाम सबअ रकदा इस लिय बह नगर आज लो बोअरसबञ कह- लाता है ॥ ३४। और एसा जब चालीस बरस का हुआ तब उसने हटीवीअरी की बेटी यहूदियत के ओर हत्ती ऐलन की बेटी बशामत २७ पब्ब ] को पुस्तक । ४६९. के पत्नी किया॥ ३५ । जा इजहाक और रिबकः के लिये मन के कड़वा हट का कारण हुई २७ सत्ताइंसवां पब्बे । डो' थां हुआ कि जब इजहाक बढ़ा हुआ ओर उस की आंखें घन्धला गई एसा कि वक्त ट्खन सत्ताथा ता उस ने अपने जंट बेटे एसो के बलाया और कहा कि हे मेरे बेटे वह बाला देखा यहों हूं ॥ २। तब उस ने कहा कि देख में बढ़ा हूं ओर में अपने मरने का दिन नहीं जानता॥ ३। से अब त्‌ अपना हथियार और तरकस और अपना धनण ले और बन का जा और मेरे लिये म्टग मांस अहेर कर ॥ ४त -ओर मेरी रुचि के समान खादित भेजन -पका के मेरे पास जिसतें खाऊं ओर अपने मरने के आगे मन से तुर्के आशीष देऊं॥ ४ । ओर जब इजुहाक अपने बेट एसे से बातें करता था तब रिवक्ः ने सना ओर जब ण्से स्टग मांस अहेरने बन के! गया॥ ६। तब रिवकः ने अपने बेटे यअकब से कहा कि ट्ख में ने तेरे भाई एसा से तरे पिता के। यह कहते सना॥ ७। कि मेरे लिये म्टग मांस मार ला और मेरे लिये खाहित भेाजन पका जिसतें खाऊं और अपने मरने से पहिले परमेश्वर के आगे तुस्को आशीष दृजं॥ ८। से अब हे मेरे बेटे मेरो आज्ञा के समान मेरी बात को मान॥ € । अब कुंड में जा ओर वहां से बकरी के दो मेनन मुक्त पास ला और में तेरे पिता की रूचि के समान डस के लिये खादित भाजन बनाऊंगौ॥ २१५०। और त अपने पिता के पास ले जाइये। जिसते वह खाय और अपने मरने से आगे तम्फे आशीष ट्वे। १५१५। तब यअकब ने अपनी माता रिवकः से कहा ट्ख मेरा भाई एसे राआर मनव्य है और में चिकना # ॥ ९२। क्या जाने मेरा पिता मर्के टटोले और में उस पास छली की नाई ठहरू ओर आशीष नहों परन्त अपने ऊपर स्वाप लाऊं॥ १५३। उस की माता ने उसे कहा कि तरा स्वाप मझ्क पर होवे हे मेरे बेटे त केवल मेरी बात मान ग्ार मेरे लिये जाके ला॥। ९४ । से वह गया और अपनो माता पास लाया और उस की माता ने उस के पिता की रूचि के समान ५२ उत्पत्ति [२७ पब्ले खादित भाजन बनाया ॥ १५५ । ओर रिवकः ने घर में से अपने जेठे बेट एसा का अच्छा पहिरावा लिया और अपने काट बंटे यअकब को पहिनाया॥ २९६। ओर बकरी के मेम्नें का चमड़ा उस के हाथां और उस के गले की चिकनाई पर लपेटा॥ २१९७। और अपना बनाया हुआ खादित भेजन और रोटी अपने बेटे यग्मक॒ब के हाथ दिई ॥ ९ ८। और बह अपने पिता के पास जाके बाला हे मेरे पिता और वह बाला में यहां व त कान हे हे मेरे बेटे ॥ १५७। तब यगअकब अपने पिता से बाला कि में आप का पहिलेंठा एसे क्ल आप के कहने के समान मैं ने किया ह उठ बेठिय और मेर स्टग मांस में से कुछ खाइये जिसतें आप का प्राण मक्हे आशीष ट्वे॥ २०। तब इजहाक ने अपने बेटे से कहा कि यह व्योंकर हे जात ने ऐसा बंग पाया हे मेरे बेटे और वह बे।ला इस लिय कि परमेश्वर आप का ईयर मेरे आगे लाया ॥ २९५ । तब इजहाक ने यअकब से कहा कि हे बंटे मेरे पासआ जिसतें में तम्फे टथटालों कि निश्चय त मेरा बेटा एसो हे कि नहों॥ २२। तब यअकब अपने पिता इजहाक पास गया ओर उस ने उसे टाल के कहा कि शब्द ते! यअकूब का शब्द है पर हाथ एसे। के हाथ हें। २३। और उस ने उसे न पह्िचाना इस लिये कि उस के हाथ उस के भाइ एसी के हाथों की नाई रोआर थे से उस ने उसे आशीष ट्या॥ २४। ओर कहा कि त मेरा वह्दी बेटा एसा ही हु वह बाला कि में वच्दी कह्लू॥ २५ ओर उस ने कहा कि त मेरे पास ला कि में अपने बेटे के म्टग मांस से कुछ खाऊं जिसते जी से तुक्क आशीष दऊं से बुह उत् पास लाया और उस ने खाया ओर वुच्द उस के लिये दाख रस लाया और उस ने पीया ॥ २६। फिर उस के पिता इजहाक ने उसे कहा कि बेटे अब पास आ ओर मस्त चम॥ २७। वह पास आया और उसे चमा और उस ने उस के पहिरावा की बास पाई और उसे आशीष दिया ओर कहा कि टेख मेरे बेटे का गंध उस खेत के गंध की नाई हु जिस पर परमेग्यर ने आशीष दिया है॥ श८। और ईआर तुम्मे आकाश कौ ओआस ओर एथिवी की चिकनाई ओर बहुत से अन्न और दाख रस टवे॥ र२<। लेग तेरी सेवा करें और जातिगण तेरे आगे कुके तू अपने भाइयों का २७ पत्ब] की पस्तक । ५३ प्रभ है और तेरी मा के बेटे तरे आगे मके जे। तसे खापे से! स्ापित और जा तस्के आशीबाद टवे सो आशीषित हावे॥ ३०। ओर यों हआ कि जेउंहों इज॒हाक यअकब के आशीष टे चका ओर यअकब के अपने पिता इज॒हाक के आग से बाहर जाते ही उस का भाई एसो अपनी अरेर से फिरा। ३९। शऔर उस ने भी खादित भोजन बनाया और अपने पिता पास लाया और अपने पिता से कहा मेरे पिता उठटिये और अपने बेटे का स्टग मांस खाइये जिसतें आप का प्राण मसले आशीष हेवे॥। ३९। उस के पिता इजहाक ने उसे पूछा कित्‌ कान हे वुच् बोला कि में आप का बेटा आप का पहिलोंठा एसेो क्ूं॥ ३३। तब इजहाक बड़ी कंपकंपी से कांप और बेला वह तो कौन था ओर कहां है जा म्टग मांस अहेर करके मक्क पास लाया ओर में ने सब में से तेरे आने के आगे खाथा है और उसे आशीष टिया है हां वुह्द आशीषित हागा॥ ३४। एसो अपने पिता की ये बातें सनके बहुत चित्नाया और फट फटके राया और अपने पिता से कहा मझे भी मस्फे हे मेरे पिता आशीष दीजिये ॥ ३४। और वह बाला कि तेरा भाई छल से आया और तेरा आशीष ले गया॥ ३६। तब उस ने कहा क्या वुह यअकूब ठौक नहों कहावता क्योंकि उस ने दोहराके मुस्यमे अड़ंगा मारा उस ने मेरा जन्म पट लेलिया और देखो अब उस ने मेरा आशीष लिया ह्े और उस ने कहा क्या तू ने मेरे लिये कोई आशीष नहीं रख छोड़ा ॥ ३७। तब इजहाक ने एसे के उत्तर देके कहा कि ट्ख में ने उसे तेरा प्रभु किया और उस के सारे भाइयों के! उस की सेवकाई में टिया और अन्न और टाख रस से उस का सहारा किया अब हे मेरे बेटे तेरे लिये में क्या करू॥ ३८। तब एसोा ने अपने पिता से कहा हे पिता क्या आप पास एकद्दी आशीष ह हे मेरे पिता मक्क भी मक्के आशीष दीजिये और एसे। चिल्ला चिल्ला रोया॥ ३८। तब उस के पिता इजहाक ने उत्तर टिया ओर उसे कहा कि देख भमि की चिकनाई और ऊपर से आकाश की ओस में तेरा तंब हैागा॥ ४०। और त अपने खज़ से जीयगा ओर अपने भाई की सेवा करेगा और यों हेगा कि जब त राज्य पावेगा ता उस का जआ अपने कांध पर से ताड़ फेंकेगा ॥ ४९ । ५४ उत्पत्ति [९८ पन्ब से। उस आशीष के कारण जिसे उस के पिता ने उसे दियाथा णसे ने यअकब का बेर रक्खा ओर एसे ने अपने मन में कहा कि मेरे पिता के शाक के दिन आते हैं कि में अपने भाई यअकब के मार डालंगा॥ ४०२ | और स्विक्र का उस के जो थे. बटे एसे7 की थे बाते कही गई तब उस ने अपने छटके बेटे बअकब का बला भेजा और कहा कि देख तेरा भाई एसा तम्फे घात करने को तेरे बिषय में अपने का शांति देता हे॥ ४३। सा इस लिये हे भेरे बेटे त अब मेरा कहा मान उठ और मेरे. भाई लावन.पास/हरान, के. भोग जा ॥. ४ ४ । और थाड़े दिन उस के साथ रह जबलों तरे भाई का काप जाता रहे॥ ४५ । जबलों तरे भाई का क्राघ तक से न फिरे आर जो त ने उस्मु किया हे से _ भल जाय तब में तर्क वहां से बला भेजंगी किस लिये एकही टन में तुम दानां का खेऊं ॥ ४६ । तब रिबकः ने इजहाक से कहा कि म हिक्त की बटियां के कारण अपने जीवन से सकेत हू से यदि यअकूब हित्त कौ बेटियों में से जेसी उस देश कौ लड़कियां हें लेवे तो मेरे जीवन से क्या फल हहे॥ २८ अटाइसवा पत्न॑ । ञ्ज'ः इजहाक ने यअकब के बलाया ओर उसे आशीष ट्या ओर उसे कहा कि तू कनआजी लड़कियों में से पत्नो न लेना ॥ २। उठ और फद्टानअराम में अपने नाना बतूएल के घर जा ओर वहां से अपने माम्‌ लॉवन की लड़कियों में से पत्नी ले॥ ३। ओर सबसामथों इंस्वर तक आशीष ट्वे और तम्के फलमान करे और तस्के बढ़ावे जिसतें त्‌ लागां की संडली हेवे॥ ४। ओर अबिरहाम का आशीष तस्फे और तेरे संग तेरे बंश के ट्वे जिसतें तू अपनी टिका की भूमि में जा इंश्वर ने अबिरहाम का टिई अधिकार में पावे॥ ५। फिर इज॒हाक ने यञकव के बिदा किया ओर वबुह् फद्टानअराम में रूरियानी बतएल के बेटे लाबन पास गया जे। यअकब ओर णएते। की माता रिबकः का भाई था॥ ६ । और एसे ने जब देखा कि इजहाक ने यग्यकव के आशीष दिया ओर उसे फद्दटानअराम से पत्नी लेने का वहां भेजा ओर कि उस ने २८ पब्ब] कौ पस्तक । ३३ डसे आशीष टहेके कहा कि ते कनआन कौ लड़कियों में से पत्नी न लेना ॥ ७। ओर कि यअकब ने अपने माता पिता की बात मानी और फद्दानअराम का गया ॥ ८। और एसे ने यह भी टेखा कि कनआनी लड़की मेरे पिता की दृष्टि में बुरी हैं॥ €। तब एतो इसमंअएल कने गया ओर अबिरहाम के बेटे इसमअएल की बेटी महलत को जो नबीत की बहिन थी अपनी पत्नियों में लिया ॥ ९ ० । और यअकव वीअरसबअ से निकल के हरान की ओर गया॥ २९१५। और णक स्थान में टिका और रात भर रहा क्योंकि सर्व अस्त हुआ था और उस ने उस स्थान के पत्थरों के! लिया और अपना उसीसा किया ओर वह सोने के लेट गया॥ २९२। ओर वह खप्न में क्या देखता हँ कि एक सोढी एथिवी पर घरी है ओर उस की टांक खभे से लगी थी और क्या देखता है कि ईश्वर के टूत उस पर से चढ़ते डतरते हैं ॥ १५३। ओर क्या देखता है कौ परमेश्वर उस के ऊपर खड़ा है और यो बाला कि में परमेश्वर तेरे पिता अविरहाम ओर इजहाक का ईशर हुं में यह भमि जिस पर त लेटा कहे तसमे ओर तरेबंश का टेऊंगा॥। १५४। और तरे बंश एथिवी की घल की नाई होंगे ओर त पस्च्िम पबे उत्तर दक्षिण का फट निकले गा ओर तक में और तेरे बंश में एथिवी के सारे घराने आशीष पावेंगे॥ ९५ | और दख में तरे साथ हु और सबेच जहां कहीं त जायगा तेरी रखवाली करूंगा और तमोे इस हृश में फिर लाऊंगा ओर जबलें मैं तुझ से अपना कहा हुआ प्रा न कर लेऊं तक न छोड़ंगा॥ ९६। तब यअकव अपनी नोंद से जागा और कहा कि निच्यय परमेश्वर इस स्थान में है और में न जानता था॥ २९७। तब बह डर गया ओर बाला कि यह क्याही भयानक स्थान ह इंशर के मंटिर के छाड़ यह और कुछ नहीं है ओर खगी का फाटक है ॥ ९८। और यअकूव विहान के तड़के उठा और उस पत्थर के जिसे उस ने अपना उलीसा किया था खंभा खड़ा किया और उस पर तेल ढाला ॥ ९९ । ओर उस स्थान का नाम वैतएल रक्खा पर उच्चो पहिले उत नगर का नाम लोाज था॥ २०। ओर यअकब ने मनीती मानी और कहा कि यदि ईश्वर मेरे साथ रहे और मेरे जाने के मार में मेरा रखदाल च्हे ५ उल्पत्ति [२८ पच्बे ञर मके खाने के रोटी और पदितन्ने के कपड़ा टवे॥ २९। एसा कि में अपने पिता के घर कुशल से फिर आऊं तब परमेश्वर मेरा इंश्वर हेगा॥ २२। और यह पत्थर जो में ने खंभा सा खड़ा किया ईश्वर का मंदिर होगा और सब में से जो त मुझ टेगा ट्सवां भाग अवश्य तुमे देंडंगा। & २८ उन्‍्तौोसवां पब्बे। त््‌ ब यअकब ने पांव उठाया ओर परी पत्रों के देश में आया॥ २ । उस ने दृष्टि किई गैर खेत में एक कआं टेखा ओर ले कि क॒एं के लग भेड़ों के तीन मांड बैठे हुए हें क्यांकि वे उसी कएं से मकंडां के पानी पिलाते थे और कएं के मंह पर बड़ा पत्थर धरा था॥ ३। और वहां सारी कुंड एकट्टी हांतो थी और वे उस पत्थर के कूएं के मुंह पर से ढुलका देते थे और भेढ़ें के! पानी पिलाके पत्थर के। उस के मुंह पर फिर रखते थे ॥ ४ । तब यअकब ने उन से कहा कि मेरे भाइयो तम कहां के हे ओर वे बे।ले कि हम हरान के हें ॥ ५। फिर उस ने डन से पक्का कि तम नहूर के बेटे लाबन के जानते है। और वे बोले जानते हें ॥ ६ । और उस ने उन्हें कहा कि वह कुशल से है ओर वे बेलले कि कुशल से हे ओर टेख उस की बेटी राखिल भेड़े। के साथ आती हैे॥ ७। तब वुह बाला देखे। दिन अब भी वहुत है ओर ठोरों के एकट्े करने का समय नहीं तम भेड़ां के! पानी पिलाके चराई पर ले जाओ॥ एछ। वे बाले हम नहीं सक्ते जब लें किसारे कांड एकट्टे न हावें और पत्थर के कुएं के मुंह पर से न हुलकां तब हम भेड़ों के। पानी पिलाते हैं॥ €। बुच्द उन से यह कहि रहा था कि राखिल अपने पिता की भेड़ों के लेके आईं ॥ ९१०। क्यांकि वह उन की रखवालनी थी और यां हुआ कि यअकब अपने माम लाबन की बंटी राखिल के! और अपने माम लाबन की भेड़ों के! टेखके पास गया ओर पत्थर के! कएं के मह पर से ठल- काया और अपने माम लाबन की भेड़ों के पानी पिलाया ॥ २९९ और यअकूब ने राखिल के। चूमा ओर चिल्ला के रेया ॥ १५२ ॥ और यअकूब ने राखिल से कहा कि मैं तेरे पिता का कुटख और रिवकः २८ पब्बे] की पस्तक । ५७ का बेटा हू उस ने दौड़के अपने पिता से कहा ॥ ९३ | और यों हुआ कि लाबन अपने भांजे यअकब का समाचार सनके उस्मु मिलने के! हैड़ा और उसे गले लगाया ओर उसे अपने घर लाया और उस ने थे सारी बातें लाबन से कहीं ॥ १४ । तब लाबन ने उसे कहा कि निश्चय त मेरी हड्डी और मांस है और वह एक मास भर उस के यहां रहा ॥ १५५४ । तब लाबन ने यअकृब से कहा कि मेरा भाई होने के कारण क्या त संत से मेरी सेवा करेगा से। कह में तुर्के क्या टेऊं॥ ९६ । और लाबन की दे बेटियां थीं जेठी का नाम लियाह और लहुरी का नाम राखिल था ॥ ९७। ओर लियाह की आंखें चन्धली थों परन्त राखिल सन्‍्द री और रूपवरती थी ॥ २९८। और यञअकब राखिल के प्यार करता था ओर उस ने कहा कि तेरी लहुरी बेटी राखिल के लिये में सात बरस तेरी सेवा करूगा ॥ १५८ । तब लाबन बोला कि उसे ट्ूस रे के देने से तकी का देना भला हे से त मेरे साथ रह॥ २०। और यञअकब ने सात बरस लॉ राखिल के लिय सेवा किई और उस प्रौति के मार जो वह उस्सम रखता था थाड़ दिन की नाई समभ्क पड़े ॥ २९॥ और यअकब ने लाबन से कहा कि मेरे ट्नि परे हुए मेरी पत्नी म॒स्‍्छे दौजिय जिसतें में उसे ग्रहण करू॥ २२। तब लाबन ने वहां के सार मनव्यों का एकड़ करके जेवनार किया॥। २३। और सांम्क का यों हुआ कि वह अपनी बेटो लियाह के! उस पास लाया और उस ने उसे ग्रहण किया॥ २४। ओर टासी के लिये लाबन ने अपनी टासो जीलफः के अपनी बेटी लीयाह के दिया॥ २५। और ऐसा हुआ कि बिहान के। क्या देखता हे कि लियाह है तब उस ने लाबन के! कहा कि आप ने यह मम्क से क्या किया क्या में ने आप की सेवा राखिल के लिये नहीं किई फिर आप ने किस लिये मे छला॥ २६। तब लाबन ने कहा कि हमारे टेश का यह ब्यवहार नहीं कि लहुरी के जेठी से पहिले ब्याह टेव॥ २७। उस का अठवारा परा कर ओर तेरी और भी सात बरस की सेवा के लिये हम इसे भी तमके टंगे॥ २८। ओर यअकब ने एऐसाही किया ओर उस का अटठवारा परा किया तब उस ने अपनी बेटी राखिल के भी उसे पत्नी में टिया ॥ २८। और लाबन ने अपनी दासी बिलहः हि [0 0, 0] प्र उत्पत्ति [ ह्‌० पब्बे के। अपनी बेटी राखिल को दासी हाने के लिये दिया॥ ३०। तब यञअकब ने राखील के भी ग्रहण किया और वह राखिल के लियाह से अधिक प्यार करता था और सात बरस अधिक उसने उस की सेवा किई ॥ ३९। और जब परमेग्वर ने टेखा कि लियाह घिनित हुई उस ने उस की केाख खेली और राखिल बांक रही ॥ ३२ | और लियाह गर्भिणी हुई और बेटा जनी और उस ने उस का नाम रूबिन रक्घा क्योंकि उस ने कहा कि नि्यय परमेश्वर ने मेरे दुःख पर दृष्टि किई है कि अब मेरा पति मुस्झे पार करेगा ॥ ३३। ओर वुह फिर गर्भिणी हुई ओर बेटा जनी ओर बोली इस लिये कि परमेम्बर ने मेरा घिनित हेशना सनके मस्के इसे भी दिया से उस ने उस का नाम समऊून रकद्वा॥ ३४। और फिर वह गर्भिणी हुई ओर बेटा जनी और बोली कि इूस बार मेरा पति मम्क से मिल जायगा क्योंकि में उस के लिये तौन बेटे जनी इस लिये उस का नाम लावी रकदा गया॥ ३५ । और वह फिर गर्शेणी हुई और बेटा जनी और बाली कि अब में परमेश्वर की स्त॒ति करूंगी इस लिये उस ने उस का नाम यहूदाह रक्‍्खा और जतन्नेसे रह गई ॥ ३० तौसवां पब्बे । ञः जब राखिल ने ट्ेखा कि यअकब का बंश मरू से नहों हे।ता ते। उस ने अपनी बहिन से डाह किया औप यअकब के कहा कि मस्फे बालक दे नहों ता में मर जाऊंगी॥ २। तब राखिल पर यञअकब का क्राघ भड़का ओर उस ने कहा क्या में इंश्वर की संती हुँ जिस ने तस्मे केख के फल से अलग रक्खा ॥ ३। ओर व॒चद्द बाली कि मेरी टासी बिलहः के टेख और उसे ग्रहण कर और वह मेरे घटनों पर जनेगी जिसतें में भी उससे बन जाऊं ॥ ४। ओर उस ने उसे अपनी टासी बिलहः के पत्नी के लिये दिया और यअकब ने उसे ग्रहण किया ॥ ५। गैर बिलहः गमिणी हुई ओर यअकब के लिये बेटा जनी ॥ ६। तब राखिल बाली कि ई स्वर ने मेरा बिचार किया और मेरा शब्द भी सुना और मुस्के एक बेटा दिया इस लिये उस ने ३० पब्ब] कौ पस्तक । धू< उस का नाम दान रक्खा॥ ७। ओर राखिल कौ ट्रसी बिलह्त: फिर गर्भिणी हुई ओर यचकूब के लिये दूसरा बेटा जनी ॥ ८। और राखोल बाली कि में ने अपनी बहिन से ईस्थरीय मज्न युद्ध किया और जौता गैर उस ने उस का नाम नफताली रक़्वा॥ «। और जब लियाह ने टेखा कि में जन्ने से रह गई ता उस ने अपनो दासी जिलफः का लेके यञझकब के पत्नौ के लिये दिया॥ १५०। से लियाह की दासी जिलफ:ः भी यअकब के लिये एक बेटा जनी ॥ २१५९॥। तब लियाह बोली कि जथा आती है और उस ने उस का नाम जद रक्वा ॥ १२। फिर लियाह कौ दासी जिलफः यअुकब के लिय एक टूसरा बेटा जनो॥ ९३ । और लियाह बोली कि में आनंदित हूँ पत्रियां मस्फे घन्य कहें- गी और उस ने उस का नाम यशर रक्‍्खा॥ ९१५४। ओर गेहूं के लवने के समय में रूबिन घर से निकला और खेत में दृद्मफणल पाया और उन्‍हें अपनी माता लियाह के पास लाया तब राखिल ने लियाहइ से कहा कि अपने बेटे का दृदाफल मर ट्‌॥ १५४। उस ने कहा क्या यह छोटी बात है जो त ने मेरे पति के! ले लिया और मेरे पत्र के टृटाफल का भी लिया चाहती हे. राखिल बाली कि वह आज रात तेरे बेटे के दृदाफल की संती तेरे साथ रहेगा॥ १६। और जब यअकूब सांस्क्र का खेत में से आया लियाह उसे आगे से मिलने के गई और कहा कि आज आप को मुम्क पास आना होगा च्योंकि निे्य में ने अपने बेटे का ट्ृद्ाफल देके आप के भाड़े में लिया हे से बुह्द उस रात उस के साथ रहा॥ ९७। और ईउ्वर ने लियाह कौ सुनी ओर बह गर्भिणी हुई और यअकब के लिये पांचवां बेटा जनी ॥ १८। ओर लियाह बाली कि ईसर ने मेरी बनी मम्फे दिई क्योंकि में ने अपने पति के! अपनी टासी दिई कह्ै और उस ने उस का नाम इशकार रक्‍वा॥ १८। ओर लियाह फिर गर्भिणी हुई और यञ्कब के लिये छटवां बंटा जनी॥ २०। ओर बाली कि ईअर ने मे अच्छा देजा दिया क्षे अब मरा पति मेरे संग रहेगा क्योंकि में उस के लिये छः बेटे जनी और उस ने उस का नाम जबलून रक्वा॥ २९। ओर अंत में बचद्द बेटी जनी ओर उस का नाम टौनाह रक्खा॥ २२। ओर ईश्वर ने हू ० उत्पत्ति [३० पब्बे राखिल को सारण किया और उस की सुनके उस की केख के। खेला । २३ । वह गर्भिणी हुई और बेटा जनी ओर बोली कि ईय्थर ने मेरी निन्‍्दा टूर किईं ॥ २४। ओर उस ने उस का नाम यसफ्‌ रक्‍वा और बाली कि परमेग्रर मस्‍्पे ट्रंसरा बेटा भी टेवेगा ॥ २५। और जब राखिल से यसफ उत्पन्न हुआ तो यों हुआ कि यअकब ने लाबन से कक्ा कि मरे मेरे स्थानओर मेरे दश के। विद्या कीजिये ॥ २६। मेरी स्त्रियां और मेरे लड़के जिन के लिये में नेआप की सेवा किई हे मुम्ते टीजिय ओर बिदा करिये क्योंकि आप जानते हैं कि मैं ने आप की कैसी सेवा किई हे॥ २७। लाबन ने उसे कह्दा कि जो में ने तेरी दृष्टि में अन ग्रह पाया हे ता रह जा क्योंकि में ने ट्ेख लिया है कि पर मे- ख्यर ने तेरे कारण से मे आशीष टिया क्ै॥ २८। ओर उस ने कहा कि अब त अपनी बनी मस्क से टहरा ले में तमे ट्ऊंगा॥ २९ । उस ने उसे कहा आप जानते हें कि म॑ ने क्योंकर आप की सेवा किई कै और आप के टार कैसे मेरे साथ थे॥ ३०। क्यांकि मेरे आने से आग वे थाड़ थे आर अब कुंड के भकुंड हो गये और मेरे आन से परमेग्वर ने आप का आशीष टिया है अब में अपने घर के लिये भी कब टिकाना करूगा॥ ३९। और वह बोला कि में तमक क्या टेऊः और यअक ब ने कहा कि आप मस्क कुछ न टौजिये जो आप मेरे लिय एसा करेंगेता में आप के म्ंड के। फिर चराऊंगा और रखवाली करूंगा॥ ३२। मैं आज आप के सारे कंड में से चल निकलंगा ओर भेड़ों में से सारी फटफरटियाों ओर चितकबरियों और भरियों का और बकरियों में से फटफटियाो और चितकबरियों के अलग करूंगा और मेरी बनी वैसी हागी॥ ३३। और कल को मेरा घधम मेरा उत्तर देगा जब कि मेरी घनी आप के आगे आवे ते वह जा बकरियों में चितकबरी और फटफरटिया और भेड़ में भरी नहे तो वह मेरे पास चारी की गिनी जाय॥ ३४। तब लावन बोला देख में चाहता हू कि जैसातू ने कहा नेसाहीं हावे। ३५।१ ओर उस ने उस टन पट्टेवाले और फटफटिया बकरे और सब चितकबरी और फटफरटिया बकरियां अर्थतत्‌ हर एक जिस में कछ उजलाई थी और भड़ों में से भरी अलग किई ३९ पब्ब] की पस्तक । २ औरर उन्‍हें अपने बेटों के हाथ सौंप टिया॥ ३६। और छउस ने अपने और यअकब के मध्य में तौन दिन की यात्रा का बीच ठहराया और यञकब लाबन के जबरे हुए भांडां के चराया किया॥ ३७। और यअकब ने हरे लवने लस ओर अरमन की हरी छड़ियां ले ले उन्‍हें गंडवाल किया ऐसा कि छड़ियां की उजलाई प्रगट हऊुई॥ ह८। ओर जब म्कंड पानी पीम का आती थों तब वह उन छड़ियां का जिन पर गंडे बनाये थे कंंडां के आगे कठरों और नालियों में घरता था कि जब वे सब पीने आवे तो गर्भिणी हावें ॥ ३८ । और छड़ियों के आगे मंड गर्भिणी हुई ओर वे गंडबाले और फटफ्रटियां और चिंतकबरे बच्चे जनों ॥ ४०। और बअकब ने मेम्नां के अरूूग किया और म्ंड के मंह के चितकबरों के ओर भरों के और जा लावन की म्कंड में थे किया और उस ने अपने स्कंड को अलग किया और लाबन के म्कंड में न मिलाया॥ ४२९। और यों हुआ कि जब पष्ट ठार गभिणी हेाती थी ता यअकब छड़ियों का नालियों में उन के आगे रखता था कि वे उन छूड़ियों के आगे गरभिणी हावं॥ ४२। पर जब टुबेल ढार आते थ वुह् उन्हें वहांन रखता था से दुबंल दुबल लावन की ओर मोटी मेटो यअकब की हुई और उस परुष की अत्यंत बढ़ती हुई ग्यार वह बहुत पशण ओर दास और दासिथां और ऊंटां और गटहे का खामी हुआ। ३९ एकतीसवां पच्बे ॥ ञ्रः उस ने लाबन के बेटा का ये बातें कहते सना कि यअकब ने हमारे पिता का सब कुछ ले लिया और हमारे पिता को संपत्ति से यह सब बिभव प्राप्त किया॥ २। ओर यअकूब ने लाबन का रूप ट्खा आर क्या ट्खता क्ञषे कि कल परसें की नाई वह मेरी ओर नहीं कहैे॥ ३। झऔर परमेग्वर ने यअकब से कहा कि त्‌ अपने पितरों ओर अपने कुटम्वां के देश का फिर जा और में तरे संग जाऊंगा ॥ ४। तब यअकब ने राखिल ओर लियाह के अपनी म्कंड पास खेत में बला भेजा॥ ५। ओर उन्‍हें कहा किमें ट्खता हूँ कि हर जन्पत्त [३९ पन्ने तुम्हारे पिता का रूप आगे की नाई मेरी ओर नहीं ह्ले परन्त मेरे पिता का इंसश्वर मस्क पर प्रगट हुआ॥ ६। और तम जानती हे कि मे ने अपने सारे बल से तम्हारे पिता की सेवा किई हे ॥ ७। और तम्हारे पिता ने मस्से छला क्षे और ट्स बार मेरी बनी बटल टिई पर ईय्यर ने मस्क दुख दने का उसे न छाडा॥ ८। यदि वुह्द यों बोला कि फटफरियां तेरी बनी होंगी तो सारे ठोर फटफयां जने और यदि उस ने यां कहा कि पद़्रेवाली तेरी बनी में हांगी तो ढोर पट्ढंवाले जने॥ <। यों ईम्पर ने तम्हारे पिता के छोर लिये और मुस्के दिये ॥ ९ ०। और ये हुआ कि जब ढटार गभिणी हुए ता में ने खन्न में अपनी आंख उठाके रेखा और क्या टेखता हूँ कि मेढ़े जो ढार पर चढ़ते हें से पद्वेवाले और फटफरटिये और चितकबरे थे। ५९५। और ईय्वर के ट्रत ने खन्न में मुभ्त्त कहा कि हे यअकब में बोला कि यहों छूं॥ ९२। ब उस ने कहा कि अब अपनी आंखे उठा और देख कि सारे मेंढ जा भेड़ों पर चढ़ते हैं पद्वेवाले और फुटफुटिये और चितकबरे हैं क्यां कि जे कुछ लाबन ने तु से किया मैं ने देखा है॥ ९३। बेतएल का ईश्वर जहां त्‌ ने खंभे पर तेल डाला और जहां तू ने भेरे लिये मनाती मानी मैं हूं अब उठ इस देश से निकल जा और अपने कुटु म्ब के देश के फिर जा॥ १४। तब राखिल और लियाह ने उत्तर टेके उसे कहा क्या अब लो हमारे पिता के घर में हमारा कुछ भाग अथवा अधिकार हे ॥ ९५ । क्या हम उस के लेखे पराये नहीं गिने जाते हैं क्योंकि उस ने तो हमें बेच डाला हे ओर हमारी रोकड़ भी खा बेटा ह्े। १९६। परन्त ईस्थर ने जे घन कि हमारे पिता से लिया और हमें ट्या वही हमारा और हमारे बालकों का के से अब जो कुछ कि ईम्वर ने आप से कहा है से! करिये॥ १९७। तब यअकब ने उठके अपने बेटों ओर पत्नियों के ऊंटां पर बठाया॥ ९८। और अपने सब चेपाए और सामग्री जे उस ने पाई थी अपनी कमाई के चेपाए जो उस ने फद्दानअराम में पाए थे ले निकला जिसतें कनआन देश में अपने पिता इजहाक पास जावे॥ ९९। और जाबन अपने भेड़ां का रोम कतरने के गया ओर राखिल मे अपने पिता कौ कई एक मुक्ति चरा लिई॥ २०। और ९ पत्बे] कौ पस्तक । ३ यञकब अरामी लाबन से अचानक चराके भागा यहां लां कि वह उद्मे न कहिके भागा॥ २२ । से वह अपना सब कुछ लेके भागा और उठके नदी पार उतर गया और अपना मंह जिलिअद पहाड़ की ओर किया ॥ २। ओर यद्यकब के भागने का संटेश लाबन के तौसरे दिन पहुंचा ॥ २३। सो बुच्त अपने भाइयों के लेके सात दिन के मा लॉ उस के पीछ गया और जिलिअट पहाड़ पर उसे जा लिया॥ २४। परन्त ईयस्पर अरामी लाबन कने खप्न में रात को आया और उसे कहा कि चेकस रह ते यअकब के भला बरा मत कहना॥ २५४ । तब लाबन ने यअकब के! जा लिया और यअकब ने अपना डेरा पहाड़ पर किया था और लाबन ने अपने भाइयों के साथ जिलिअद पहाड़ पर डरा खड़ा किया॥ २६। तब लाबन ने यअकूब से कहा कि तू ने क्या किया जा तू एका एक मूक से चरा निकला और मेरी पत्रियों को खड़' में की बंधआई कौ नाई ले चला ॥ २७। तू किस लिये चुपके से भागा ओर चोरी से मस्क से निकल आया और मस्‍्फते नहों कहा जिसतें में तमे आनंद मंगल से भेरी और ठेाल के साथ बिदा करता ॥ २८। और तू ने म॒स्के अपने बेटों ओर अपनी बेटियों के चमने न दिया अब त ने मृखता से यह किया है ॥ २८। तम्े दःख टने को मेरे बश में हे परन्त तेरे पिता के ईम्मर ने कल रात मस्से यों कहा कि चोकस रह त्‌ यअकब का भला ब्रा मत कहना ॥ ३०। और अब तुस्के तो जाना हे क्योंकि तू अपने पिता के घर का निपट अभिलाणी है पर त न किस लिय मेरे द्वों के चराया क्षे । ३९५। और बअकब ने उत्तर दिया और लाबन से कहा कि डरके में ने कहा क्या जाने आप अपनी पत्रियां बरबस मम्कसे छीन लेंगे ॥ ३२५ । जिस किसी के पास आप अपने दवे के! पावें डसे जौता मत छाड़िये और हमारे भाइयों के आगे ट्ख लीजिये कि आप का मेरे पास क्या क्या हे और अपना लीजिये क्यांकि यअकब न जानता था कि राखिल ने उन्हें चुराया था॥ ३३। और लाबन यअकब के तंब में गया ओर लियाह के तंब में और दोने टासियों के तंब में परन्त न पाया तब वुच्द लियाह के तंब से बाहर जाके राखिल के तंब में गया ॥ ३४। ओर राखिल मूर्त्तिन को लेकर जंट की सामग्री में रखके उन हू ४ उत्पत्ति [३९ पब्ये पर बेठो थी और लाबन ने सारे तंब का टेख लिया और न पाया ॥ ३४ । तब उसने अपने पिता से कहा कि मेरे प्रभ इस्सू उदास न होवं कि में आप के आगे उठ नहों सत्ती क्यांकि मस्त पर स्त्रियां की रीति है से उस ने दृढ़ा पर मृत्तिन के न पाया॥ ३६। ओर यअकब क्र हुआ और लाबवन से विवाद करके उत्तर दिया और लाबन का कहा कि मेरा क्या पाप ओर क्या अपराध है कि आप इस रौति से मेरे पीछे म्पट ॥ ३७। आप ने जो मेरो सारी सामग्री दंढी आप ने अपने घर की सामग्री से क्या पाई मेरे भाइयों और अपने भाइयों के आगे रखिये जिसते वे हम ट्रटानों के मध्य में बिचार करें॥ ३८८। यह बीस बरस जा में आप के साथ था आप की भंड़ां और बकरियों का गभे न गिरा और में ने आप की मुंड के मेंढे नहों खाय॥ ह९। बुच्द जा फाड़ा गया में आप पास न लाया उस की घटी में ने उठाई वह जो दिन का अथवा रात का चारो गया आप ने मस्त से लिया ॥ ४ ० । मेरी यह दशा थी कि दिन के घाम से भस्म हुआ और रात के पाला से और मेरी आंखों से मेरी नौंट जाती रही ॥ ४९ । या मुस्ते आप के घर में बीस बरस बीते में ने चोट्ह बरस आप कौ दाना बेटियों के लिये ओर छःबरस आप के पशु के लिये आप की सेवा किई और आप ने दस बार मेरी बनी बदल डाली ॥ ३२। यदि मेरे पिता का ईश्वर और अबविरहाम का ईग्वर और इजहाक का भय मेरे साथ न हे।ता ते। आप निश्चय मुझ अब छुंछ हाथ निकाल देते ईम्थर ने मेरी बिपत्ति और मेरे हाथों के परिश्रम के देखा क्षे और कल रात आप के डांटा॥ ४३। लाबन ने उत्तर टिया और यअकब से कहा कि थे बेटियां मेरी बेटियां ओर ये बालक मेरे बालक ओर थे चैपाए मेरे चैपाए और सब जो त ट्ेखता हे मेरे हैं ओर आज के टन अपनी इन बेटियों अथवा इन के लड़कों से जो वे जनी हैं क्या कर सक्ता हूं । ४४। से अब आ में ओर तू आपुस में एक बाचा बांध और वही मेरे ओर तेरे मध्य में खाक रहे॥ ४५ । तब यअकब ने एक पत्थर लेके खंभा सा खड़ा किया॥ ४६ । और बञअ॒कूब ने अपने भाइयों से कहा कि पत्थर एकट्टा करे उन्हें ने पत्थर एकट्ठा करके एक ठेर किया ओर उन्‍्हों ने उसी ढेर पर खाया ॥ ३२ पत्ब] की पस्तक । ह्ष्धू ४७। और लाबन ने उस का नाम साच्वी का ढेर रक्‍्खा परन्त यअकब ने उस का नाम ज्ञिलिअट रक्वा॥ ४८। और लाशबन बाला कि यह ढेर आज के टिन मस्त में और तम् में साक्षी के इस लिये उस का नाम ज्ञिलिग॒टद्‌ ॥ ४८। और चैकस का गुस्मट हुआ क्योंकि उस ने कहा कि जब हम आपस से अलग होयें तो परमेश्वर मेरे तेरे मध्य में चेकसी करे॥ ५० । जा त्‌ मेरो बेटियों का दुख टेवे अथवा उन से अधिक स्त्रियां करे देख हमारे साथ कोई टूसरा नहीं इंश्वर मेरे और तेरे मध्य - में साक्षी त्चे। ५९। ओर लावन ने यअकब से कहा ट्ख यह ढेर और खंभा जो में ने अपने ओर आपके मध्य में रझवा क्षे 8 ५२। यही ढेर और खंभा साक्ष्ती क्षे कि में इस ढेर से पार तऊे और त इस ढेर और इस खंभ से पार मर्के दख टेने का न आवेगा॥ ५३। अबविरहाम का ईश्वर ग्लार नहर का ईस्वर और उन के पिता का ईयर हमारे मध्य में विचार करे और यअकव ने अपने पिता इज॒हाक के भय की किरिया खाई ॥ ४४। तब यअकब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाया और अपने भाईयों के रोटी खान के। बलाया और उनन्‍्हों ने रोटी खाई और सारो रात पहाड़ पर रहे॥ ५४। ओर भार के तड़के लाबन उठा और अपने बेटों और बेटियों के चूमा और उन्‍हें आशीष ट्यि ओर लाबन बिदा हुआ और अपने स्थान के फिरा ॥ ३२ बत्तीसवां पब्मे । ८ हु यञअकब अपने मार्ग चला गया और ई ग्बर के ट्ूूत उसे आ मिले ॥ २। ओर यअकब ने उन्हें टेख के कहा कि यह ईयर की सेना हे और उस ने उस स्थान का नाम ट सेना रक्वा॥ ३। और यअकब ने अपने आगे अट्टम के देश ओर शऔर की भूमि में अपने भाई एसे पास हुतों को भेजा॥ ४। और उस ने यह कहिके उन्हें आज्ञा किई कि मेरे प्रभ एसो का यां कहिया कि आप का दास यअक ब यों कह ता हे कि में लाबन कने टिका और अब लो वहीं रहा॥ ५ । और मेरे बैल और गदरहे और कुंड ओर दास और दासियां हैं और मैं ने अपने प्रभु के कहला भेजा क्षे जिसते में आप कौ दृष्टि में अनग्रह पाऊं॥ ६। और दूतों ने 9 3 8, है न उत्पत्ति [३२ पब्बे यञअकब पास फिर आके कहा कि हम आप के भाई एसे। पास गये और वह ओर उस के साथ चार से! मनव्य आप की भंट के भी आते हैं ॥ ७। तब यअकब निपट डर गया और ब्याकुल हुआ और उस ने अपन साथ के लागों ओर मंंडों और टठोरों और ऊंटों के टो। जथा किये ॥ ८। और कहा कि यदि णसे एक जथा पर आवे औरर उसे मारे ता हूसरा जथा जो बच रहा है भागेगा ॥ €। फिर यअकूब ने कहा कि हे मेरे पिता अबिरहाम के ईम्वर और मेरे पिता इज॒हाक के ईस्प्रर वह परमेग्वर जिस ने मस्के कहा कि अपने देश और अपने कुनबे में फिर जा और में तेरा भला करूंगा॥ २९५०। में तो उन सब दया और उन सब सत्यता से जा त ने अपने दास के संग किई तच्छ हू क्योंकि में अपने डंड से इस यरट्न पार गया ओर अब में दा जथा बना हूं॥ १९। में तरी बिनती करता हूं मस्के मेरे भाई के हाथ अथात एसी के हाथ से बचा ले क्योंकि में उस्स डरता हूं न होवे कि वह आके मर्क और लड़कों का माता समेत मार लेवे॥ १५२। ओर त ने कहा कि में निश्चय तर्क से भलाई करूंगा ओर तेरे बंश के समद्र के बाल की नाई बनाऊंगा जो बहुताई के मारे गिना नहीं जायगा॥ १५३। ओर वह उस रात वहीं टिका और जो उस के हाथ लगा अपने भाई एसी के भेंट के लिये लिया ॥ ९४। ट! से! बकरियां ओर बीस बकरे दो ते भेड़ें और बीस मेंढे॥ ९५ | और तौस ट्धवाली ऊंटिनियां उन के बच्चे समेत चालौस गाय और दस बैल बीस गदहियां और दस बच्चे॥ १५६। ओर उस ने उन्‍हें अपने सेवकों के हाथ हर जथा के। अलग अलग सौंपा ओर अपने सेवकों के कहा कि मेरे आगे पार उतरो और जथा के। जथा से अलग रक्‍्खे॥ ९७। और पहिले के उस मे कहा कि जब मेरा भाई एसो तुम्फे मिले और पछे कि तू किस का है और किधर जाता है और ये जो तेरे आगे हैं किस के हैं॥ ९८। ते कहिये। कि आप के सेवक यअकूब के हें यह अपने प्रभ एसे के लिये भट के ओर देखिये वह आप भी हमार पीछे हे॥ ९८। और वैसा उस ने टूसरे और तीसरे के ओर उन सब के जो जथा के पीछ जाते थे यह कहिके आज्ञा किई कि जब तम एसा का पाओए तो इस रोौति से कहियो ॥ २०। और अधिक यह कहिया कि ३३ पन्बे] की पुस्तक । ६७ ह्ेखिथे आप का सेवक यअकब हमारे पीछ आता हे क्यांकि उस ने कहा है कि में उस भेट से जो। मस्त से आग जाती क्ञे उससे मिलाप कर लेऊंगा तब उस का मंच ट्खंगा क्या जाने वह मम्फे ग्रहण करे॥ २९१। से वह भेंट उस के आगे आगे पार गई और वह आप उस रात जथा में टिका ॥ २२। ओर उसी रात उठा और अपनी टो पत्नियों और दो सहेलियों और ग्यारह बट के! लेके थाह यबक से पार उतरा॥ २३। ओर उस ने उन्‍हें लेके नाली पार करवाया और अपना सब कुछ पार भेजा ॥ २४। और यअकब अकेला रह गया और वहां पे फट ले एक जन उत्े मल्न यद् करता रहा॥ २४। ओर जब उस ने टेखा कि वह उस पर प्रवल न हुआ तो उस की जांघ के भौतर से छुआ तब यञकूब के जांघ की नस उस के संग मत्न यड्र करने में चढ़ गई ॥ २६। तब वह बाला कि मस्क जाने र क्योंकि पा फटती हू वह बाला कि म ते जाने न रेऊंगा जब ला त म्मे आशोष न ट्वे।॥ २७। तब उस ने डसे कहा कि तेरा नाम क्या वह बेला कि यअकब॥ २८। तब उस ने कहा कि तेरा नाम आगे के यअकब न होगा परन्त इसराणएल क्योंकि तू ने ईस्थर के और मनव्य के आगे राजा की नाई मज्ञ यड्थ किया और जीता॥ २७८ । तव यअ॒कब ने यह कहिके उस्झो पका कि अपना नाम बताइये वह वेलला कि तू मेरा नाम क्यों पछता है ओर उस ने उसे वहां आशीष ट्या॥ ३०। और यञकब ने उस स्थान का नाम फनणल रक्‍्वा क्यांकि में ने ईश्वर को प्रत्यक्ष ट्खा और मेरा प्राण बचा हे ।॥ ३९। और जब वह फनणएल से पार चला तो रूय्ये की ज्योति उस पर पड़ी और वह अपनी जांघ से लंगड़ाता था ॥ ३२ । इस लिये इसराणएल के बंश उस जांघ की नस का जो चढ़ गई थी आजलों नहों खाते क्योंकि उस ने यञकव के जांघ की नस का जो चढ़ गई थी छआ था ॥ ३३ तेतीसवां पच्वे । 7र यअकब ने आंखें ऊपर उठाई ओर क्या रेखता हे कि एसेा और उस के साथ चार से मनप्य आते हैं तब उस ने लियाह के और राखिल के ओर दे सहेलियों के लड़के वाले बांट दिये॥ २। प्र खत्पत्ति [३३ पब्ब और उस ने सहेलियां ओर उन के लड़का के! सब से आगे रक्वा ओर लियाह और उस के लड़कों के। पीछ और राखिल ओर यस॒फ्‌ के! सब के पीछे ॥ ३। और वह आप उन के आगे पार उतरा और अपने भाई पास पहुंचते पहुंचते सात बार भमि ले टंडवत किई॥ ४। ओऔर ण्से। उसे मित्नने को दैौड़ा और उसे गले लगाया ओर उस के गले से लिपटा ओर उसे चमा ओर वे रोये॥ ५। फिर उस ने आंखे उठाई और स्तियों के और लड़कों के दखा और कहा कि ये तेरे साथ कौन हैं और वह बाला संतान जो ईच्चर ने अपनी कृपा से आप के सेवक का टदियि॥ ६। तब सहेलियां और उन के लड़के पास आय और टंडवत किई॥ ७। फिर लियाह ने भी अपने लड़के समेत पास आके हंडवत किई अंत के यसफ्‌ और राखिल पास आये और दढंडवत किई ॥ ८। ओर उस ने कहा कि इस जथा से जो मस्क के मिली तसे क्या और वच बाला कि अपने प्रभ की दृष्टि में अनग्रह पाऊं ॥ €। तब एस बे।ला कि हे भाई मस्क पास बहुत हें तेरे तर ही लिये हावें॥ १५०। तब यअकब बोला कि में आप की बिनती करता 'ं याद मे ने आप की दृष्टि में अनग्रह पाया हे ता मेरी भेंट मेरे हाथ से ग्रहण कीजिय क्यांकि में ने जे आप का मंच ट्खा है जाना में ने ईश्वर का मंद टेखा ओर आप मण्क से प्रसन्न हुए ॥ १५९ । मेरे आशोष के! जे। आप के आग लाया गया हे ग्रहण कीजिये कि ईम्यर ने मस्त पर अनग्रह किया हे और इस लिये कि मम्क पास सब कुछ क् सो वह यहां लॉ गिडगिड़ाया कि उस ने ले लिया। १५२९। ओर कहा कि आओ कंच करें और चलें और में तेरे आगे आगे चलंगा॥ ९५३॥। तब उस ने उसे कहा कि मेरे प्रभ जानते कं कि बालक केमल हैं और स्ंड ओर ढार ट्र्घ पिलानेवालियां मेरे साथ हें ओर जो वे ट्नि भर हांके जायें ता सारे कंड मर जायंगे ॥ १४। से मेरे प्रभ अपने सेवक से पहिले पार जाइय और में घीरे धीरे जैसा कि ढेर आगे चलेंगे आर बालक सह सकगे चलंगा यहां लां कि शऔर का अपने प्रभ पास आ पहकुचा॥ ५५ । तब से बेला अपने संग के कई एक तेरे साथ छोड़ जाऊं वह बला कि किस लिय में अपने प्रभ को दृष्टि में अनग्रह पाऊं॥ ९६॥ ३४ पत्ब] कौ पस्तक । न तब एसे। उसी दिन शऔर के मार्ग लौट गया॥ ९७। और यअकब चलते चलते सक्कात के आया और अपने लिये एक घर बनाया ओर अपने ठार के लिये पतछप्पर बनाये इसी लिय उस स्थान का नाम सक्कात हुआ ॥ २९८ | और यअकुब फटद्टानअराम से बाहर हे(्के कनआन देश के सालिम के नगर सिकम में आया ओर नगर के बाहर अपना तंब खड़ा किया ॥ ९५८। और जिस पर उस का तंब खड़ा था उस ने उस खेत का हमर के पिता सिकम के सनन्‍्तान से से। टकड़े रोकड़ पर मेल लिया॥ २०। और उस ने वहां एक बेदी बनाई ओर उस का नाम ई ग्वर इसराएल का ईगब्वर रक्‍्खा । ३४ चौंतीसवां पब्म । झ्' लियाह की बंटी दौनः जिसे वह यअक्‌व के लिये जनी थी उस देश की लड़कियों के देखने का बाहर गई॥ २। ओर जब उस ट्श के अध्यक्ष हवी हमर के बेटे सिकम ने डसे ट्ेखा तो डसे ले गया ओर उसमे मिल बेठा और उसे तचऋ किया॥ ३। ओर उस का मन यञअकव की बेटी दौनः से अटका ग्यार उस ने उस लड़की के प्यार किया और उस के मन कौ कह्दी ॥ ४। और सिकम ने अपने पिता हमर से कहा कि इस लड़की को मर्के पत्नी में दिलाइये ॥ ५। और यअुकब ने सना कि उस ने मेरी बेटी दौनः के अशडू किया उस समय में उस के बेटे उस के ढार के साथ खेत में थे और उन के आने लां यअकब चप रहा॥ ६। और सिकम का पिता हमर बातचौत करने के यअक॒ब पास आया॥ ७। ओर सनते ही यअकब के बेटे खेत से आ पहुंच और वे उदास हेके बड़े कापित हुए क्योंकि उस ने इसराएल में अपमान किया कि यअकब की बटी के -साथ अनचित रीति से मिल बैठा॥ ८। और हमर ने उन के साथ यों बातचीत. किई कि मेरे बेटे सिकम का मन तम्हारोीं बेदी से,लालसित हे से उसे + उस को पत्नी में टीजिये ॥ <। और हमारे साथ समधियाना कीजिये अपनी बेटियां हमें टीजिये ओर हमारी बेटियां आप लीजिये ॥ ९०। और तुम हमारे साथ बाप करेगे और यह भूमि तुस्हारे आगे हेगी हक ्् 9० सत्पत्ति [३४ पब्बे उस में रहे। और व्यापार करो और इस में अधिकार प्राप्तकरो ॥ २१। और सिकम ने उस के पिता और भाइयों से कहा कि तम्हारी दृष्टि में में अनग्रह पाऊं ओर जा कुछ तम लेग मस्फे कहेगे में टेऊंगा ॥ ५२। जितना देजा और भेंट चाहे में तम्हारे कहने के समान टेऊंगा पर लड़की का मम्ह पत्नी में ट्ओ।॥ ९३। तब यअकब के बंटां ने सिकम ओर उस के पिता हमर का छल से उत्तर टिया क्यांकि उस ने उन की बहिन टौनः के। अशड् किया था॥ १५४। और कहा कि हम यह नहीं कर सक्ते कि एक अखतनः के! अपनी बहिन ट्वें क्यांकि इस्स हमारी निन्‍्दा हेगी॥ १५५। केवल इस में हम तम्हारी बात मानंगे कि तम में हर परुष हमसरीखा खतनः करावे ॥ ९ ६ । तब हम अपनी बेटियां तम्हे टेंगे और तम्हारी बेटियां लगे और हम तम में निवास करेंगे और हम सब एक लोग होंगे॥ १५७। परन्त जो खतनः कराने में तम लाग हमारी न सनोगे ते। हम अपनी लड़की ले लेंगे और चले जायेंगे ॥ ९८। औरर उन की बातें सिकम और उस के पिता हमर को प्रसन्न हुई ॥ १८। और उस तरुण ने उस बात में अबेर न किया क्योंकि वह यअकब की बेटी से प्रसन्न था ओर वह अपने पिता के सारे घराने से अधिक कुलीन था॥ २०। ओर हमर और उसका बेटा सिकम अपने नगर के फाटक पर आये ओर उन्‍हें ने अपने नगर के लागों से यों बातचीत किई॥ २९। कि इन मनुय्यों से हम से मेल है से उन्हें इस ट्श में रहने देओ और इस में ब्यापार करें क्योंकि देखे! यह टेश उन के लिये बड़ा हे सेए आशे। हम उनकी वेटियें के पत्नियों के लिये लेवं और अपनी बेटियां उन्हें दवें॥ २२। परन्त हमारे साथ रहने के! और एक लाग हेने के केवल इसी बात से मानेंगे कि खतनः जैसा उन का किया गया हे हम में हर परुष खतनः करावे॥ २३। क्या उन के ढार और उन की संपत्ति और उन का हर एक चैपाया हमारा न हेगा केवल हम उन की उस बात के मान लेवें और वे हम में निवास करेंगे ॥ २४। और सभों ने जा _ नगर के फाटक से आते जाते थे हमूर और उस के बेटे सिकम की बात के! माना और उस के नगर के फाटक से सब जो बाहर जाते थे उन में से हर पुरुष ने खुतनः करवाया॥ २५। ओर तीसरे दिन जब लो वे ३५ पच्चे] की पस्तक । ७९ घाव में पढ़ थे यां हुआ कि यअकब के बंटां में से टौनः के दा भाई समऊन गओऔर लावी हर एक ने अपनी अपनी तलवार लिई ओर साहस से नगर पर आ पड़े और सारे परुषों के मार डाला॥ २६। और उन्हां ने हमर गओजर उस के बेटे सिकम के। तलवार की धार से मार डाला ओर सिकम के घर से टौनः का लेके निकल गये ॥ २७। और यऊकब के बेटे जस्ते हुए पर आये ओर नगर के लट लिया क्योंकि उनन्‍्हों ने उन की बहिन का अशडू किया था ॥ २८। उन्‍्हां ने उन की भेड और उन की गाय बैल और उन के गदहे और जो कुछ कि नगर में और खेत में था लट लिया॥ २९ । और उन के सब घन और उन के सारे बालक ओर उन को पत्नियां बन्चआई में लाये और घर में का सब कुछ लट लिया॥ ३०। और यअकब ने समऊजन ओर लावी से कहा कि तुम ने मम दुख दिया कि इस भूमि के बासियों में कनआनियों और फरिज्जोयां के मध्य में मस्मे घिनोना कर दिया और में गिनती में थाड़ा हूं ओर वे मेरे सन्‍्मख ०कट्टू हांगे और मम्फ मार डालेंगे ओर मैं और मेरा घराना नष्ट हेवेगा॥ ३९। तब वे बाले क्या उसे उचित था कि हमारी बहिन के साथ बश्या की नाई ब्यवहार करे। ३५ पेतीसवां पब्ब। जो ईस्घर ने यअकब से कहा कि उठ बैतएल के जा ओर वहीं रह ओर उस ईगश्र के लिये जिसने तम्मे दर्शन टिया था जब ते अपने भाई एसे के आग से भागा था एक बंटी बना॥ २। तब यञकब ने अपने घराने से और अपने सब संगिये से कहा कि उपरी ढेवों का जा तम में हैं दूर करो ओर शब्व हाओ ओर अपने कपडे बदले॥ ३। और आओ हम उठें और बेतएल के जायें और में वहां उस इंस्थर के लिय बेदौ बनाऊंगा जिस ने मेरी सकेती के टन मर्मे उत्तर टिया ओर जिस मागे में में चला बह मेरे साथ साथ था ॥ ४ । ओर उन्‍्हों ने सारे उपरी ट्वों के जो उन के हाथां में थे और कंडल जो उन के कानों में थे बअ॒कब को दिये औएर यअकब ने उन्‍हें बलत पेड़ तले सिकम के लग गाड़ दिया ॥ ५। और उन्‍हें ने कंच किया ७२ उत्पत्ति [३५ पब्बे तीसफकॉन्‍ल्‍्ॉी:स सस असल तीन नननमनननन-नाननननननननन-नीननयनयया-तनननननन-म-म- मनन न कन+ 3 नन+-+-नन-++--+-33>>>-क>+->री और उन के आस पास के नगरो पर ईंगर की “डरे पलीऔरर उन्हें ने यअकब के बेटों का पीछा न किया ॥ ६। से! यअकब और जितने लाग उस के साथ थे कनआन की भरमि में लाज का जा बेतएल हे आय ॥ ७ और उस ने वहा एक बेटी बनाई और इस लिये कि जब बुच्द अपने भाई के पास से भागा तो वहां उसे ईश्वर ट्खाई दिया उस ने उस का नाम बैतएल का ईश्वर रक्खा ॥ ८। ओर रिवकः की टाई ट्बूरः मर गई और बैतएल के लग बलत पेड़ तले गाड़ी गई और उस का नाम राने का बलत रक्‍वा॥ <। और जब कि यअकब फटद्टानअराम से निकला ई स्वर ने उसे फेर ट्शन दिया और उसे आशीष ट्यि[॥ १०। और ईयर न उसे कहा कि तेरा नाम वबञ्र॒कब ह्े तेरा नाम आगे के! यअकब न हेगा परन्त तरा नाम इसराएल हेोगा से! उस ने उस का नाम इसराएल रक्खा॥ २११५। फिर ईस्र ने उसे कहा कि में ईम्वर सबसामथीं हूं त॑ फलमान हो ग्रौर बढ़ तक से एक जाति और जातिन की जाति और तेरी कटि से राजा निकलेंगे॥ ९५२। ओर यह भमिजो में ने अबिरहाम और इजहाक के टिई हे तुमे और तेरे पीछ तेरे बंश के हेऊंगा।॥ १३॥ और ईस्वर उस स्थान से जहां उस ने उसे बातें किई प्री उस पास से उठ गया॥ ९५४। और यअकब ने उस स्थान में जहां उस ने उसमे बातें किई पत्थर का एक खंभा खड़ा किया और उस पर पीने की भेंट चढ़ाई और उस पर तेल डाला॥ १५५। और यञअकूब ने उस स्थान का नाम जहां ईश्वर उससे बाला था बेतएल रक्वा॥ २६। और उन्‍्हों ने बैतएल से कंच किया ओर वहां से इफ्रातः बहुत टूर न था और राखिल के पीर लगी और उस पर बड़ी पीड़ा हुई॥ ९७। और उस पीड़ा की दशा में जनाई दाई ने उसे कहा कि मत डर अब की भी तेरे बेटा हेगा।॥ १८। और यों हुआ कि जब उस का प्राण जाने पर था क्योंकि वुह मर ही गईं ते। उस ने उस का नाम अपने उदास का पुत्र रकवा पर उस के पिता ने उस का नाम विनयमीन रक्खा॥ २१८। से राखिल मर गई ओर इफरातः के मा में जे बेतलहम है गाड़ी गई ॥ ०। श्र यअकब ने उस के समात्रि पर एक खंभा खड़ा किया वह्दी खंभा राखिल के समाधि का खंभा आज ला है॥ २९१। फिर इूसराएल ३६६ पब्बे ] की पस्तक । 98 ने कंच किया और अपना तंब अट्र के गम्मट के उस पार खड़ा किया ॥ २२। ग्रार जब इसराएल उस देश में जा रहा ता यां हुआ कि रूविन गया और अपने पिता की सरैतिन के संग अकस्मे किया और इसराएल ने सना अब यअकब के बारह बंटे थ॥ २३। लोयाह के बट रूबिन यअकब का पहिलेंटठा और समऊन जओर लावी ओर यहूदाह ओर इशकार ओऔर जबलन ॥ २४। और राखिल के बेट यरूफ ओर बिनय- मौन॥ २५। ओर राखिल की सहेली बिलह:ः के बंटे दान और नफताली॥ २६। और लियाह की सहेली जिलफः के बेटे जद और यसर यअ्कब के बेटे जा फहानअराम में उत्पन्न हुए ये हैं॥ २७। और यञअकब अरबः के नगर में जे! हबरून है ममरी के बोच अपने पिता इजहाक पास जहां अविरहाम ओर इजहाक ने निवास कियाथा आया॥ २८। ओर इजहाक एक सो अस्सी बरस का हुआ॥ २८। और इजहाक ने प्राण त्यागा और बढ़ा और दिनी हे।के अपने लागों में जा मिला और उस के बेटे एतो और यञकब ने उसे गाड़ा। ३६ छतीसवां पब्वे । ॥॥। से। की जा अट्टम है बंशावली यह क्ै। २। एसे ने कनआन कौ लड़कियों में से ऐलन इत्ती की बेटी आदः के! ओर अचदलिबाम के जा अनाह की बेटो हवी सबऊन की बटी थी। ३। और इस- मअुएल की बेटी नबायाोत की बच्चिन बशामत को ब्याह लाया। ४। और एसे के लिये आटः इलौफज के जनी ओर बशामत से रफझशएल उत्पन्न हुआ॥ ५। जर अहलिवामः से यजश ओऔर यअलाम ओर करह उत्पन्न हुए ये एसो के बट हें जा उस के लिये कनआन की भूमि में उत्पन्न जुण॥ ६ । और एसे अपनी पत्नियां और बेटों और बॉटियों और अपने घर के हर एक प्राणी और अपने ढार के और अपने सारे पश के और अपनी सारी संपत्ति के जो उस ने कनआन देश में प्राप्त किई थी लेके अपने भाई यअकब पास से देश का निकल गबा। ७। क्यांकि उन का घन एसा बढ़ गया था कि वे एकड्टे न रह सक्त थे ओर उन के पशु के कारण से उन के परदृश की भूमि उन का भार न उठा ]0 [0,009 0] 3४ उत्पत्ति [३६ पब्थे सत्ती थी॥ ८। ओर एसे। जे! अट्टम हे शओऔर पहाड़ पर जा रहा॥ <। से! एसे की बंशावली जा शओऔर पहाड़ के मनद्यों का पिता के यह क्षे ॥ ९०। एसी के बटां के नाम यह हें एसे की पत्नी आदः का बेटा इलीफज एसा को पत्नी बशामत का बटा रफऊएल ॥ २१५१॥। इलौफज के बेट नेमन ओर ओमर और सफ और जञताम और कनज ॥ ९५२। ओर एसे के बेटे इलीफज की सक्देली तिमनअ थी से! वह इलोफज के लिये अमालीक का जनी से! एसे की पत्नी आदः के बेटे ये थे। ९२३। और रऊणल के बेटे ये हैं नहत और शारिक और सम्माइह ओर मिष्जः जा एसा की पत्नी वशामत के बेट थे। १४। और ण्सो ही पत्नी सबकऊन की बंटी अनाह की बेटी अहलिबामः के बेट ये थे और वह एसा के लिय यऊस और यअलाम और करह जनी॥ १५४। णसो के बेटा में जे अध्यक्ष हुए थे हें णसा के पहिलींठ इलीफज के बेटे अध्यक्ष तैमन अध्यक्ष आमर अध्यक्ष सफ्‌ अध्यक्ष कनजु॥ ९६। अध्यक्ष करह अध्यक्ष जञ्रताम अध्यक्ष अमालीक य वे अध्यक्ष हें जा इलोफज से अद्टम की भर्मि में उत्पन्न हुए और आदः के बटे थ॥ १५७। और ए्से के बेटे रऊण्ल के बेटे थे हें अध्यक्ष नहत अध्यक्ष शारिक्‌ अध्यक्ष शर्माह अध्यक्ष मिज्जः ये वे अध्यक्ष हैं जा रजण्ल से अट्टम दृश में उत्पन्न हुए और एसे की पत्नी बशामत के बेटे थ। २९८। और एसी की पत्नी अचहलिबामः के ये बेटे हैं अध्यक्ष यझूस अध्यक्ष यअलाम अध्यक्ष क्रह ये वे अध्यक्ष हैं जेए एसा की पत्नी अनाह की बेटी अहलिबामः से थे ॥ ९८ । से एसे के जा अट्म ह्षे य बेट हैं ये उन के अध्यक्ष हैं॥ २०। शऔर के बेटे छूरी जो इस भमि के बासी थे ये हैं लैतान ओर सेबल और बऊन जऔर अनाह ॥ २९ । ओर ट्ेसन और असर ओर दैसान ये सब हकूरियां के अध्यक्ष हैं और अट्टम की भमि में शऔर के बट हें ॥ २२ । और लै।तान के सन्‍्तान हरी और हेमान और लैतान की बहिन का नाम तिमनअ था ॥ २३। ओर सेवल के सनन्‍्तान ये क्लें अलवान औपर मनहत ओर ऐबाल और सफ्‌ ओर ओऔनाम ॥ २४ । ओर सबऊुन के रुन्तान ये हें एयाह ओर अनाह यह वुह अनाह हे जिस ने बन में जब वुच्ठ अपने पिता सबऊन के गदहों के। चराता था खच्चर पाये ॥ ३६ पर्न्ब] की पस्तक । पू २५ । ओर अनाह के सन्तान थे हें टैस्टन और अहलिबाम: अनाह की बेटी ॥ २६। ओर द्सर्हन के सन्तान हमटान और इशबान और यथरान और करान॥ २७। अमर के सनन्‍्तान थे क्ें बिलहाम जुअवान ओर अकन ॥ २८। देस्हन के सनन्‍्तान ऊज और अरान॥ २८। वे अध्यक्ष जो छरियों में के थे ये हें अध्यक्ष लैतान अध्यक्ष साबल अध्यक्ष सबऊन अध्यक्ष अनाह॥ ३०। अध्यक्ष टेर्हन अध्यक्ष असर अध्यक्ष टेसान ये उन हरियों के अध्यक्ष हें जे! शऔर की भूमि में थे। ३९। और राजा जो अट्टम पर राज्य करता था उसमे पहिले कि इसराएल के बंश का काई राजा हुआ ये हैं॥ ३२। बग्यूर का बेटा बालिग जो अट्टूम में राज्य करता था और उस के नगर का नाम ट्निहबः था॥ ३३ | और वालिग मर गया ओर शारिक्‌ के बटे यबाब ने जो! बसरः था उस की संती राज्य किया॥ ३४ । और यबाब मर गया और हक्ूशाम ने जो तमन्नौ की भमि का था उस की संतो राज्य किया ॥ ३५ | ओर ह्ूशाम मर गया और बिरृद का बेटा हटद जिस ने माअब के चागान में मिद्यानियां के मार डाला उस कौ संती राज्य किया और उस के नगर का नाम गवीत था॥ ३६। और हट्द मर गया और मसरीकः के समलः ने उस की संती राज्य किया ॥ ३७। ओर समलः मर गया और नदी के लग के रह्बात के साजल ने उस की संती राज्य किया॥ ३८। ओर साऊल मर गया और अकबर के बेटे बअ॒लहनान ने उस की संती राज्य किया॥ ३८। और अकबर का बेटा बअुलहनान मर गया ओर हट्र ने उस की संतो राज्य किया उस के नगर का नाम फाग था और उस की पत्नी का नाम मह्ठेतबिएल था जे। मतरिट की बंटी मेजहब की बेटी थी ॥ ४०। से उन के घरानों और उन के स्थानां ओर उन के नाम के समान एसी के अध्यक्षों के ये नाम है अध्यक्ष तिमनः अध्यक्ष अलियाह अध्यक्ष यतीत ॥ ४९। अभध्यक्ष अददलि- बामः अध्यक्ष इलाह अध्यक्ष फैनून ॥ ४२ । अध्यक्ष कुनज अध्यक्ष तौमान अध्यक्ष मिबसार ॥ ४३। अध्यक्ष मजट्णल अध्यक्ष ईराम ये अपने अपने स्थान में अपने अपने निवास के समान अट्टूम के अध्यक्ष थे जा अट्टमियों का पिता य्से के ॥ 3७६ उत्पत्ति - [३७ पब्बे ३७ सेंतीसवां पब्बे । ५ हा यञअकब ने कनआन दृश में अपने पिता के टिकने की भमि में बास किया ॥ २। यअकब की बंशावलो यह हु यसफ सत्रह बरस का हेके अपने भाइयों के साथ स्कंड चराता था और वह तरुण अपने पिता कौ पत्नी बिलहः ओर जिलफः के बेटों के सग था और यसफ ने उन के पिता के पास उन के बर कामों का संट श्‌ पहुंचाया ॥ ३। अब इस राएल यसफ के अपने सारे लड़कों से अधिक प्यार करता था इस लिये कि वह उस के बढ़ापे का बेटा था और उस ने उस के लिये रंग रंग का पहिरावा बनाया ॥ ४ | ओर जब उस के भाइयों ने ट्खा कि हमारा पिता हमारे सब भाइयों से उसे अधिक प्यार करता हे तो उन्‍्हों ने उस्स बेर किया ओर उससे कुशल से न कह सक्त थे। ५। और यसफ ने णक खन्न देखा और अपने भाइयों से कहा और उन्‍्हों ने उससे आधिक बैर रक्वा॥ ६। ओर उस ने उन्‍हें यं कहा कि जा खप्न में ने ट्खा हे से सनिये॥ ७। क्योंकि देखिये कि हम खेत में गट्ठियां बांघते थे और क्या इंखता हूं कि मेरी गद्ठी उठी और सौधी खड़ी हुई और क्या टेखता हूं कि तुम्हारी गद्गियां आस पास खड़ी हुई और मेरी गद्दी के दंंडवत किई॥ प८ू। तब उस के भाइयों ने उसे कहा क्या तू सच मच हम पर राज्य करेगा अथवा तू हम पर प्रभता करेगा और उन्हें ने उस के खन्न ओर उस की बातों के कारण उससे अधिक बेर किया॥ €। फिर उस ने टूसरा खप्न टेखा और उसे अपने भाइयों से कहा कि देखो में नेएक ओर खनन टेखा और क्या टेखता हूँ कि सूब्ये और चन्द्रमा और ग्यारह तारों ने मम्ते टंडडत किई॥ २९०। और उस ने यह अपने पिता ओर भाइयें से कहा पर उस के पिता ने उसे डपटा ओर कहा कि यह क्या खन्न हे जात ने टेखा हे क्या में ओर तेरी माता और तेरे भाई सच मच तेरे आगे भमि पर म्कके तम्मे टंडवत करेंगे। ९९। और उस के भाइयों ने डाह किया परन्त उस के पिता ने उस बात का सोच रक्खा ॥ १२ । फिर उस के भाई अपने पिता की म्कंड चराने सिकम का गये ॥ १५३ । तब इसराएल ने यसुफ्‌ ३७ पब्ब] की पस्तक । 9७9 से कहा क्या तरे भाई सिकम में नहों चराते आ में तम्फके उन के पास भेज गैर उस ने उसे कहा कि में यहों ह्ुं॥ १५४। फिर उस ने उसे कहा किजा अपने भाइयों ओर रूंडों की कुशलता टेख और मम्क पास संदेश ला से उस ने उसे हबरून की तराई से भेजा ओर वह सिकम में अआया॥।॥ २५ । तब किसी जन ने उसे पाया और उसे खेत में भ्वमते ट्खा तब उस परूष ने उसे पका कि त्‌ क्या ढंढ़ता हैे॥ १६। वह बोला में अपने भाइयों का हठंठता हू मसम्क बताइये कि वे कहां चराते हैं॥ १७। गैर वह परुष बाला वे यहां से चले गये क्योंकि में ने उन्हें यह कहते सना कि आओ द्वतेन का जावें तब यसफ अपने भाइयों के पीछे चला और उन्हें ट्रेन में पाया॥ २९८। ओर ज्यांह्ों उन्‍्हों ने उसे टूर से देखा तो अपने पास आने से पहिले उस के मार डालने के जगत किई॥ ९८। ओर वे आपस में बोले देखो वह खप्रशों आता क्षे। २०। से आओ अब हम उसे मार डालें और किसीौ कएं में डाल रवें और कहें कि कोई बन्य पश ने उसे भक्ष किया और ट्खगे कि उस के खश्नां का क्या हेगा॥ २९५। तब रूबिन ने सनके उसे उन के हाथों से छड़ाया और बाला कि हम उसे मार न डाले॥ २२। और रूबिन ने उन्हें कहा कि लाह् मत बहाओ परन्त उसे बन के इस क॒एं में डाल ट्गले और उस पर हाथ न डाले जिसतें वह उसे उन के हाथों से छड़ाके उस के पिता पास फिर पहुंचावे॥ २३। और यों हुआ कि जब यसफ्‌ अपने भाइयों पास आया तो उन्‍्हों ने उस का बहुरगी बस्तर उस्य उतार लिया॥ २४। और उन्‍्हों ने उसे लेके कएं में डाल टिया और वह कआं अंधा था उस में कुछ पानी न था॥ २५। तब वे रोटी खाने बैठे और अपनी आंख उठाई और क्या द्खते हैं कि इसमअणलियें का एक जथा जिलिअद से सुगंध ट्रब्य और बलसाम और मुर ऊजटों पर लाद हुए मिस्र का उतर जाते हैं ॥ २६ । और यह्तटाह ने अपने भाइयों से कहा कि अपने भाइ के मारके उस का लेक्न छिपाने से क्या लाभ होेगा॥ २७ । आओ उसे इसमअएलियों के हाथ बेचें और उस पर अपने हाथ न डाल क्योंकि वह हमारा भाई और हमारा मांस है और उस के भाइयों ने मान लिया॥ २८। उस समय मिद्यानी 3८ डर्ब्पात्त [३८ पब्बे ब्यापारी उधर से जाते थे से उन्‍्हों ने यसफ के! कुएं से बाहर निकाल के इसमएलियां के हाथ बीस टकड़ चांदी पर बेचा और वे यसफ का मिस्र में लाथे॥ २७। तब रूबिन कुए पर फिर आया और यसफ के कएं में न टेखके उस ने अपने कपड़े फाड़े॥ ३०। शऔर अपने भाइयों के पास फिर आया ओर कहा कि लड़का तो नहीं अब में कहां जाऊं ॥ ३९। फिर उन्‍्हों ने यसफ का पहिरावा लिया और एक बकरी का मेम्ना मारा और उसे उस के लाह्न में चभाड़ा॥ ३२। और उन्हें ने उस बहुरंगी बस्तर के भेजा और अपने पिता के पास पहुंचाया ओर कहा कि हम ने इसे पाया आप इसे पहिचानिये कि यह आप के बेटे का पहिरावा है कि नहीं ॥ ३३। ओर उस ने उसे पहिचाना और कहा कि यह तो मेरे बेटे का पहिरावा है किसी बन पश ने उसे फाड़ा है यसफ निःसन्दह फाड़ा गया ॥ ३४। तब यञअकब ने अपने कपडे फाडे और टाट बस्तर अपनी कटि पर डाला और बहुत ट्नि लॉ अपने बेटे के लिये शाक किया॥ ३५ । ओर उस के सारे बटे बेटियां उसे शांति टेने उठीं पर उस ने शांति ग्रहण न किई पर बाला कि में अपने बेटे के पास रोता छुआ समाधि में उतरूगा से उस का पिता उस के लिये रोया किया॥ ३६। और मिद्यानियों ने उसे मिख में फिरऊुन के एक प्रधान सेना पति फूर्तिफ्र के हाथ बेंचा ३८ अउठतीसवां पत्वे । जञैः उस समय में यां हुआ कि यहूदाह अपने भाइयों से अलग हेकर हौरः नाम एक अट्टलामी के पास गया॥ २। और यहूदाह ने वहां एक कूनआनी की लड़की का टेखा जिस का नाम रूआ था उस ने उसे लिया और उस के साथ संगम किया॥ ३। वह गशभिणी हुई और एक बेटा जनी और उस ने उस का नाम एर रक्खा ॥ ४। और वह फिर गर्भिणी हुई और बटा जनी और उस ने उस का नाम ओआनान रकवा ॥ ५। ओर वह फिर गर्भि णी हुई और बेटा जनी और उस का नाम सेलः रकक्‍वा गैर जब वह उसे जनी तो वह कजीब में था॥ ६। और यहूदाइ अपने पहिलोंट एर के लिये एक स्ली ब्याह लाया जिस का नाम तमर ३८ पत्ब] की पुस्तक ॥ ७6 था॥ ७। और यहृदाह का पहिलौंटा एरपरमेश्वर को दृष्टि में दुष्ट था से परमेम्घर ने उसे मार डाला॥ प८। तब यहूदाह ने ग्रानान का कहा कि अपने भाई कौ पत्नी पास जा और उससे ब्याह कर ओर अपने भाई के लिये बंश चला॥ «। और औओजनान ने जान! कि यह बंश मेरा न होगा और या हुआ कि जब वुच्द अपने भाई की पत्नी पास गया तो बीये का भूमि पर गिरा दिया न हावे कि उस का भाई उसे बंश पावे॥ १५०। और उस का वुष्द काये परमेश्वर की दृष्टि में बुरा था इस लिये उस ने उसे भो मार डाला॥ २१५१। तब यहकूदाह ने अपनी पताह तमर को कहा कि अपने पिता के घर में रांड बैठी रह जब लो कि मेरा बेटा सेलः बढ़ जाय क्यांकि उस ने कहा न हावे कि वह भी अपने भाइयों की नाई मर जाय से तमर अपने पिता के घर जा रही ॥ ९२। ओर , बहुत ट्नि बीते रूअः की बेटी यकह्ूदाह की पत्नी मर गई और यहूट्रह उस के शाक के भंला तब वह और उस का मित्र अट्टलामी हौरः अपनी भेड़ों के रोम कतरने तिमनास के गया॥ १५३। और तमर से यह कहा _ गया कि देख तेरा ससुर अपनो भड़ां के रोम कतरने तिमनास का जाता हे॥ १४। तब उस ने अपने रंडसाले के कपड़ों का उतार फका और घंचट ओढ़ा और अपने का लपेटा और तिमनास के मार्ग में एक खल हुए स्थान में बेठ गई क्यांकिउस ने टखा था कि सेल: सयाना हुआ और मस्फे उस की पत्नी न कर दिया॥ २९५४। जब यहट्ाह ने उसे रखा तो समस्या कि काई बेश्या है क्यांकि वह अपना मंह छिपाये हुए थी॥ ९६ । और मागे से उस की ओर फिरा ओर उसे कहा कि मे अपने पास आने दे और नजाना कि व॒ह मेरी पताह है वह बाली कि मेरे पास आने में त मक््त क्या टंगा॥ २७। वह बाला में मंड में से एक मेग्ना भेजंगा उस ने कहा कि त उसे भेजने लो म्॒क कुछ बंधक ट्‌ ॥ ९ ८। वह बोला में तम्मे क्या बंधक ट्ेऊं वह बाली अपनी छाप और अपने बिजायठ और लाठी जा तरे ह/थ में है उस ने टिया और उस के पपस गया ओर वह उद्म गभिणी हुई ॥ २१८। फिर वह उठी और चली गई और घंघट उतार रक्‍वा ओर रंडसाले का बस्तर पहिन लिया॥ २०। और यहदटाह ने अपने मित्र अटूलामी के हाथ मेम्ना भेजा कि उस स्त्री के ष्र्० उत्पत्ति [३८ पब्बे हाथ से अपना बंधक फेर लेवे परन्तु उस ने उसे न पाया॥ २९। तब उस ने वहां के लागों से पक्ता कि जा बेश्या मागे में बैठो थी से कहां है वे बाले कि यहां बेश्या न थी॥ २२। तब वह यहूदाह के पास फिर आया और कहा कि में उसे नहीं पा सक्ता ओर वहां के लागों ने भी कहा कि बेश्या वहां न थ।॥ २३। यक्ूदाह बाला कि उसे लेनेट न हैे। कि हम निन्दित हेवें टेख में ने यह मेम्ना भेजा और त ने उसे न पाया॥ २४। और तीन मास के पीछ य॑ हुआ कि यहूटाह से कहा गया कि तेरी पताह तमर ने बेश्याई किई और टेख कि उसे छिनाले का गर्भ भी है यहूटाह बाला कि उसे बाहर लाओ और जला द॒ग्मे॥ २५। जब वह निकाली गई तो उस ने अपने ससर का कहला भेजा कि मम्मे उस जन का पेट हे जिस की थे बस्तें हैँ ओर कहा कि ट्ेखिये यह छाप और बिजायठ और लाठी किस की है ॥ २६। तब यहक्ूट्राह ने मान लिया और कहा कि वह मस्त से अधिक घर्मो हे इस लिये कि में ने उसे अपने बेट सेल: के न टिया पर वह आग को उद्हे अज्ञान रहा ॥ २७। ओर उस के जन्ने के समय में यं हुआ कि उस की कोख में जमल थ॥ २८। और जब वह पीड़ में हुई ते एक का हाथ निकला और जनाई टाई ने उस के हाथों में नारा बांध क कहा कि यह पहिले निकला॥ २९। ओर यूं हुआ कि उस ने अपना हाथ फिर खींच लिया गजर क्या देखता हू कि वहों उस का भाई निकल पड़ा तब वचह्ठ बोली कितू ने यह ट्रार क्यां किया इस लिये उस का नाम फाडस हुआ ॥ ३०। उस के पीक उत्तर का भाई जिस के हाथ में नारा बंधा था निकला और उस का नाम शारिक्‌ रक्खा। ३८ उन्‍्तालीसवां पब्बे। ञ्" यसफ के मिस्र में लाये आर फर्तीफर मिलो ने जो फिरऊन का एक प्रधान ओर राजा का सेनापति था उस के इसमअ- एलियों के हाथ से जा उसे वहां लाये थ मेल लिया॥ २। परनन्‍्त परमे आ्यर यसफ के साथ था ओर वह भाग्यमान हुआ ओर वह अपने मिखी खामी के घर में रहता किया ॥ ३। और उस के खामी ने यह देखा कि _ ३८ पब्ब ] की पस्तक । ष्प्श् ५3-3७ भ+&3»+ कक». <3«+>>»+--की परमेश्वर उस के साथ है औपर यह कि परमेग्र ने उस के सारे काया में उसे भाग्यमान किया॥ ४। ओर यसफ ने उस की दृष्टि में अनग्नह पाया और उस ने उस की सेवा किई और उस ने उसे अपने घर पर करोड़ा किया और सब जे कुछ कि उस का था उस के हाथ में कर दिया ॥ ५। और थां हुआ कि जब से उस ने उसे अपने घर पर और अपनी सब बस्तन पर करोड़ा किया परमेमगख्र ने उस मिस्त्री के घर पर यसफ के कारण बढ़ती दिई और उस की सारी बस्तन में जेए घर में औ।र खेत में थीं परमेश्वर की ओर से बढ़ती हुई॥ ६। और उस ने अपना सब कुछ यसफ्‌ के हाथ में कर दिया और उस ने राटी से अधिक जिसे खा लेता था कुछ न जानता था और यसफ्‌ रूपमान ओर ट्खने में संदर था॥ ७। ओर उस के पीछे यें हुआ कि उस के खामी की पत्नी की आंख यसफ पर लगी ओर बह बाली कि मर्फे ग्रहण कर॥ ए८। परन्त उस ने न माना ओर अपने खामी की पत्नी से कहा कि टेख मेरा खामी अपनी रोटी से अधिक जिसे खा लेता क्ञे किसो बस्त का नहों जानता और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सांप दिया॥ <। इस घर में मस्त से बड़ा काई नहीं ओर उस ने तक का छोड़ काई बस्त मस्क्त से अलग नहों रक्‍खी क्योंकि तू उस की पत्नी हे भला फिर में एसी महा दुष्टता कर क्यां ईश्वर का अपराधी हाज॑॥ २९५०। और ऐसा हुआ कि वुषह् यसुफ्‌ का प्रतिदिन कहती रही पर वुद् उसे ग्रहण करने के अथबा उस के पास रहने के उस की न मानता था॥ २२। और एक समय एसा हुआ कि वह अपने कार्य के लिये घर में गया ओर घर के लोगों में से वहां कोई न था॥ ९२। तंब उस ने उस का पहिरावा पकड़के कहा कि मम्मे ग्रहण कर तब वह अपना पहिरावा उस के हाथ में छाड़ कर भागा और बाहर निकल गया॥ १५३ । अब जे उस ने टेखा कि बुच्द अपना पहिरावा मेरे हाथ में छोड़गया और भाग निकला ॥ १५४। तो उस ने अपने घर के लागां के बलाया और कहा कि टेखे। वह एक इबरानी के हमारे घर में लाया कि हम से ठठाली करे वह मस्के अपत करने के! भीतर घस आया और मैं चिल्ला उठो॥ २५ । और यों हुआ कि जब उस ने देखा कि में शब्द उठा ]] 00 9. चक्र ड्त्पत्ति [४० पब्बे के चिज्ञाई ते। अपना पहिरावा मेरे हाथ में छेड़ भागा और बाहर निकल गया॥ १५६। से! जब लो उस का पति घर में न आया उस ने उस का पहिरावा अपने पास रख छाड़ा॥ २९७। तब उस ने एसी हो बातें उस्मु कहों कि यह इबरी दास जात ने हम पास ला रक्‍्खा घस आया कि मक्क से ठट्ठटा करे॥ १५८। ओर जव में चित्ला उठी ता वह आपना पहिरावा मेरे पास छाड़ कर बाहर निकल भागा ॥ ९८। जब उस के खामी ने ये बातें सनी जा उस की पत्नी ने कहों कि तर दास ने मस्क से या किया तो उस का क्राघ भड़का॥ २०। ओर यसफ के खामी ने उसे लेके बंदीगचह में जहां राजा के बंधए बंद थे बंधन में डाला और वह वहां बटौगह में था॥ २१५। परन्त परमेश्वर यसफ के साथ था और उस पर कृपा किई ओर बंदौगह के प्रधान के। उस पर ट्याल किया॥ २२। ओर बंदोगह के प्रधान ने बंदोगचह के सारे बंधओं के! यसफ के हाथ में सांप और जा कुछ वे करते थे उन का प्रधान वही था॥ २३। और बंटौगह का प्रधान उस के सार काव्यां से निश्चित था इस लिये कि परमेम्वर उस के साथ था ओर उस के काव्यां में जे। उस ने किये ई ख्र ने भाग्यमान किया ॥ ४० चालीसवां पब्बे । ञोः इन बातों के पीछ यों हुआ कि मिस्र के राजा के पियाजऊ ने ओर रसे।इंया ने अपने प्रभ मिख के राजा का अपराध किया ॥ २। ओर फिरऊन अपने टो प्रधानों पर अथात प्रधान पियाऊ पर और प्रधान रसेइंया पर क्र हुआ॥ ३। और उस ने उन्‍हें पहरू के प्रधान के घर में जहां यसफ बंद था बंटीगह में डाला॥ ४। और पह्रू के प्रधान ने उन्हें यसफ के सौंप टिया और उस ने उन कौ सेवा किई और वे कितने टन लो बंद रहे॥ ५। और हर एक ने उन टानों में से बंदौगह में अथै।त्‌ मिख॒ के राजा के पियाज ओर रसेइंया ने एक ही रात एक एक खप्न अपने अपने अथे के समान टेखा॥ ६। ओर बिह्ान के यसफ्‌ उन पास आया और उन पर दृष्टि करके क्या ट्खता है कि वे उदास हैं॥ ७। तब उस ने फिरऊुन के प्रधानों से जे। उस ४० पब्बे ] की पक्तक । द््३्‌ के साथ उस के प्रभु के घर में बंद थे पूछा कि आज तुम क्यों कुरूप हे। | ८। वे बालेकि हम ने खन्न टेखा क्षे जिस का अर्थ करवैया नहीं तब यसफ ने उन्‍हें कहा क्या अथे करना इंग्वर का काय्ये नहों मस्त से . कहे।॥ ८। तब पियाज के प्रधान ने अपना खनन यसफ से कहा और उसे बाला कि अपने खश्न में क्या रखता 'हं कि एक लता मेरे आगे कहै॥ १५०। ओर उस लता में तोौन डालियां थीं उन में कलियां निकलीं ओर उस में फल लगे जर उस के गच्छऋ! में पक्क ट[ख निकंले॥ ९५९ | और फिरऊन का कथारा मेरे हाथ में था और में ने दाखां का लेके फिरिजन के कथा रे में निचाड़ा और में ने उस कटा रे के फ्रिकुन के हाथ में टिया ॥ १९५२। तब यूस॒फ ने उसे कहा कि इस का यह अर्थ है किये तीन डालियां तीन टिनतक्टें॥। ९१३। फ्रिजन अब से तीन टन में तेरा सिर उभाड़ेगा और तम्के अपना पट फिर टेगा और त आगे की नाई जब त फिरिजुन का पियाऊ था उस के हाथ में फिर कटारा टेगा॥। २९१४। परन्त जब तेरा भला होय तो मझस्के सारण कौजिये और मम्क पर ट्याल कृजिया और फिरऊन से मेरी चर्चा करिये। और मस्फे इस घर से छड़वाइये7॥ २५ । क्योंकि नि्यय में इबरानियों के टश से चराया गया था और यहां भी में ने ऐसा काम नहों किया कि वे मरे इस बंटौगह में रक्खें॥ १५६। जब रसेइंयों के प्रधान ने ट्खा कि अथ अच्छा हुआ तो यसफ से कहा कि में भी खप्न में था ओर क्या टेखताहूं कि मेरे सिर पर तीन स्थेत टोकरियां हं॥ १५७। और ऊपर को टोकरी में फिरिजन के लिये समस्त रीति का भेजन था और पंछी मेरे सिर पर उस टोकरी में से खाते थे। १८। तब यूसुफु्‌ ने उत्तर दिया ओर कहा उस का अर्थ यह हे की ये तौन शेकरियां तीन ट्न हैं ॥ १६। फ्रिजन अब से तीन टन में तेरा सिर तेरे देह से अलग करेगा और एक पेड़ पर तस्ते टांग ट्गा और पंछी तेरा मांस नाच नाच खायेंगे॥ २०। और यों हुआ कि तीसरे दिन फिरिजन के जन्म गांठ का दिनथा और उस ने अपने सारे सेवकों का नेउ॑ता किया ओर उस ने अपने सेवकों में पियाऊ के प्रधान और रसेइंयों के प्रधान के उभाड़ा॥ २९। और उस ने पियाज के प्रधान के। पियाऊ ष््४ उत्पत्ति [४९ पच्चे कटनी न «मम 8 हर का पद फिर दिया और उस ने फ्रिजन के हाथ में कटरा द्या॥ २२। परन्तु उस ने यस॒फ के अर्थ करने के समान रसेइंयों के प्रधान का फांसी दिई॥ २३॥। तथापि पियाऊ के प्रधान ने यसफ के! छारण न किया परन्त उसे भूल गया ॥ ४९ एकतालौसवां पत्बे । । दे! बरस बीते यों हुआ कि फिरज॒न ने खप्न टखा और क्या खता है कि आप नदी के तौर पर खड़ा क्षे। २। ओर क्या टेखता क्ञे कि नदी से सात संदर और मेटी मोटी गायें निकलीं और चराव पर चरने लगों॥ ३। आर क्या ट्खता क्ञ कि उन के पीक आर सात गायें कुरुप ओर डांगर नदी से निकलों और नदी के तीर पर उन सात गायों के पास खड़ी हुई ॥ ४। और उन कुरुप ओर डांगर गायों ने उन संदर ओर मेटी सात गायों के! खा लिया तब फ्रिजुन जागा॥ ५। और फिर से गया ओर दुृद्राके खनन टेखा कि अन्न से भरी हऊुई और अच्छी सात बालें एक डांठी में निकलों ॥ ६। ओर क्या दखता क्ञे कि और सात बालें छितरी और प रबी पवन से मरस्काई हुई उन के पीछे निकलों॥ ७। और वे छितरी सात बालें उन अच्छी भरी हुई खात बालों के निगल गई और फि्रिकऊन जागा और क्या देखता है कि खनन हे॥ ८। और बविहान के थां हुआ कि उस का जीव ब्याकुल छुआ तब उस ने मिस्र के सारे टॉनचोां और बड्चिमानों के बला भेजा और अपना खभ्न उन से कहा परन्त उन में से काई फ्रिजुन के खप्न का अथे न कर सका॥ «। तब प्रधान पियाऊ ने फिरऊन से कहा कि मेरा अपराध आज मस्क चेत आता है॥ २१०। फ्रिऊन अपने ट्ासों पर क्र था और मुझे ओर रसाइंये के प्रधान के बंटीगचह के पहरू के घर में बंद किया था॥ १५१५। ओर एकी रात हम ने अर्थात में ने और उस ने एक एक खपभ्न टेखा हम में से हर एक ने अपने खन्न के अर्थ समान खप्न ट्खा॥ ९२९ । ओर एक इबरानी तरुण पहरू के प्रधान का सेवक हमारे साथ था और हम ने उससे कहा और उस ने हमारे खप्न का अर्थ किया और उस ने हर एक के खभ् समान अर्थ किया॥ ९३। शेर जैसा उस ने हमारे ४९ पर्व] की पस्तक । ष्य्पू लिये अर्थ किया तैसा हुआ मस्के आप ने पट फिर टिया और उसे फांसी हिई॥ १५४। तब फि्रिकन ने यूसफ का बलवा भेजा ओर उन्‍हें ने उसे बंटौगह से दौड़ाया ओर उस ने बाल बनवाया ओर कपड़े बदल फि्रिजन के आगे आया॥ ९१५५४। तब फिरऊन ने यसुफ से कहा कि में ने एक खप्न टे्खा जिस का अर्थ काई नहीं कर सत्ता और में ने तेरे बिषय में सुना क्षे कि तू खन्न के समुझके अर्थ कर सक्ता क्षे। २६। और यूसफ्‌ ने उत्तर में फ्रिकुन से कहा कि मर्क से नहों ई स्वर हो फिरिजन के। कुशल का उत्तर टेगा। १५७। तब फिरजन ने यसफ से कहा कि मे ने खप्त देखा कि में नही के तौर पर खड़ा क्नू॥ १५८। और क्या देखता हूं कि मेटी ओर संदटर सात गायें नही से निकलीं और चराई पर चरने लगों ॥ १५८। और क्या देखता हूं कि उन के पीछ अत्यंत कुरूप और बरी और डांगर और सात गाय निकलीं णेसी बरी जो में ने मिख के सारे देश में ककी न ट्खा॥ २०। ओर वे डांगर और कुरूप गायें अगिली मेटटी सात गायों के खा गई ॥ २९। और जब वे उन के उदर में पड़ी तव समुस्कत न पड़ा कि वे उन्‍हें खा गई और वे बेसी ही कुरूप थीं जैसी पहिले थीं तब में जागा॥ २२ | और फिर खन्न में टेखा कि अच्छी घनी सात बालें एक डांठौ में निकलों ॥ २३। ओर क्या ट्खता हूँ कि और सात वालें मुरमकाई हुई और पतली पुरवी पवन से कुम्हलाई हुई उन के पीछ उगीं ॥ २४। और उन पतली बालों ने उन अच्छी सात बालों के निगल लियाओऔर मैं ने यह टानहें से कहा परन्तु काई अथे न कर सका॥ २४। तब यूसुफ ने फ्रिजुन से कहा कि फ्रिजन का खश्न एक ही हे जा कुछ इंश्यर का करना हे से उस ने फ्रिजन के ट्खिया के । २६। वे सात अच्छी गायें सात बरस हें और वे अच्छी सात बालें सात बरस हें खप्त एक हो है। २७। ओर वे डांगर और कुरूप सात गायें जा डन के पीछे निकलों सात बरस हें और वे सात छकी बालें जे! पुरवी पवन से कुम्हलाई हुई हैं से। अकाल के सात बरस हैं॥ २८। यही बात है जामें ने फिरजन से कही ईश्वर जो कुछ किया चाहता क्ञषे फ्रिजुन के ट्खाया ॥ २८ । ट्खिये कि सात बरस लॉ मिस्त के सारे देश में बड़ी बढ़ती हे|गी॥ ३०। और उन ष्र्ई उत्पत्ति [४९ फब्बं के पीछे सात बरस का अकाल हेगा ओर मिख देश की सारी बढ़ती भुला जायगी ओर अकाल देश के नष्ट करेगा॥ ३९ । और उस अकाल के मार वह बढ़ती टृश में जानो न जायगी क्योंकि वह बड़ा भारी अकाल हेगा॥ ३२। ओर फिरिकन पर जे खन्न हाहराया गया से इस लिये हे कि वह ई ग्थर से ठहराया गया है और ईश्वर थेएड़े ट्िन में उसे करेगा॥ ३३। से। अब फि्रिजन एक चतर बद्भिमान मनव्य ढंढे आर उसे मिद्ध टेशपर ठहरावे॥| ३४। फिरऊन यही कर ओर ट्श पर करोड़ा ठहरावे ओर सात बढ़ती के बरसे में मिस्र हेश का पांचवां भाग लिया करे ॥ ३५ । और वे अवैय अच्छ बरसे का सारा भेजन एकड्ठटा करें और फि्रिऊन के बश में अन्न घर रक्खें ओर वे अन्न नगरों में घर रक्व ॥ ३६। ओर वही भेजन मिख के दश में अकाल के अवैय सात बरसे के लिय दश के भंडार के लिये होगा जिसते अकाल के मारे देश नष्ट न हेन्‍॥ ३७। तब यह बात फ्रिजन की दृष्टि में और उस के सारे सेवकों की दृष्टि में अच्छी लगी॥ ह₹८। तब फि्रिजन ने अपने सेवकों से कहा क्या हम इस जन के समान पा सक्ते हैं जिस में ईश्वर का आत्मा हे। ३५८। और फिरऊजन ने यसफ से कहा जैसा किईस्र ने थे सारी बातें तसमे ट्खाई हें से! तरे तल्य बड़्िमान और चतर काई नहों है॥ ४०। त मेरे खर का करोड़ाहे। ओर मेरी सारी प्रजा तेरी आज्ञा में हेगी केवल सिंहासन पर में तम्क से बड़ा हुंगा॥ ४९। फिर फिरजन ने यसफ से कहा किट्ख में ने तम्मे मिस्र के सारे टश पर करोड़ा किया॥ ४२। और फिरजन ने अपनी अंगूठी अपने हाथ से निकाल के यूसुफ के हाथ में पहिना टिई और उसे कौना बस्तसे विभूषित किया और सेने की सिकरी उस के गले में डाली॥ ४३। ओर उस ने उसे अपने दूसरे रथ में चढ़ाया और उस के आगे प्रचारा गया कि सन्मान करा ओर उस ने उसे मिस्र के सारे टेशपर अध्यक्ष किया॥ ४४। और फिरजन ने यसफ से कहा कि में फिरिजन हूं आर तम्क बिना मिस्र के सारे ट्श में काई मनव्य अपना हाथ पांव न उठावेगा॥ ४५। ग्योर फि्रिजन ने यसफ्‌ का नाम सफनथफानिअख रक्‍छा और उस ने ओन के नगर ४२ पन्ब] की पस्तक । ष्ट्छ के याजक ए तिफरअ की बेटी आसनाथ के उद्मे ब्याह दिया और यसफ मिस्र देश में सबेत्र फिरा। ४६। ओर जब यसफ मिस्र के राजा फिरकन के आगे खड़ा हुआ तब वह तोस बरस का था और यसफ फिरकऊकन के आगे से निकलके मिस्र के सारे दृश में सबेत्र फिरा॥ ४७। और बढती के सात बरसों में भमि से मद्ठी भर भर उत्पन्न हुआ॥ ४८। तब उस ने उन सात बरसे का सारा भाजन जा मिस्र हेश में हुआ एकड्रे किया और भाजन के नगरों में धर रक्‍्खा हर नगर के आस पास के खेतों का अन्न उसी बस्ती में रक्वा॥ ४८। ओर यसफ ने समद्र की बाल की नाई बहुत अन्न बटारा यहां ला किगिन्ना छाड़ टिया क्यांकि अगणितथा॥ ५०। ओर अकाल के बरसों से आगे यसफ के टा बट उत्पन्न हुए जो ओआन के याजक फरतीफरअ की बेटी आसनाथ उस के लिये जनी॥ ५९५। से यसफ मे पहिले का नाम मुनस्सो रक्‍्खा इस लिये कि उस ने कहा ईश्वर ने मेरा ओर मेरे पिता के घर का सब परिश्रम भुलाबया॥ ५२। और दूसरे का नाम इफरायम रक्‍ख़ा इस लिय कि ईग्वर ने मझ्के मेरे दुख के टए में फलमान किया॥ ५३। और मिस्र टेश के बढ़ती के सात बरस बीत गये ॥ ५४ । ओर यसफ के कहने के समान अकाल के सात बरस आने लगे और सारे देशां में अकाल पड़ा परन्त मिस्र के सारे टृश में अन्न था॥ ५४ | पर जब कि मिखर के सार रेश भख से मरने लगे ता लाग रोटी के लिय फिरकन के आगे चिज्लाये तब फिरऊन ने सारे मिस््रियां से कहा कि यसफ्‌ पास जाओ ओर उस का कहा मानोा॥ ५६। और सारी भमि पर अकाल था »&र यसफ ने खत्त खाल खाल मिसखियां के हाथ बेचा और मिस्र के टेश में कठिन अकाल पड़ाथा॥ ५४७। और सारे दृश्गण मिस्र में यसफ से मेल लेने आये क्योंकि सारे देशें में बड़ा अकाल था । ४२ बयालौोसवां पब्बे । ञ्जै' जब यअकब ने टेखा कि मिस में अन्न क्षे तब उस ने अपने बेटों से कहा कि क्यों एक एक का ताकते हेस्‍॥ २। तब उस ने ष््ष उत्पत्ति [४२ पब्बे कहा ट्खा में सनता हल कि मिस्र में अन्न है उधर जाओ ओर वहां से हमारे लिये मेल लेओआ जिसतें हम जीवें और न मरें॥ ३। से! यसफ के टस भाई अन्न माल लेने का मिक्त में आय॥ ४। पर यअकब ने यसफ के भाई विनयमीन का उस के भादयां के साथ न भजा क्यांकि उस ने कहा कहीं ऐसा न हे। कि उस पर कुछ बिपत पड़े॥ ५। ओर इसराएल के बेटे ओर आनेबाले के साथ मे।ल लेने आय क्योंकि कमआन ढेश में अकाल था॥ ६। और यसफु तो देश का अध्यक्ष था ओर बह देश के सारे लागों के हाथ बंचा करता था से! यसफ के भाई आये ओर उन्हें ने उस के आगे भमि लो प्रणाम किया॥ ७। ओर यसफ ने अपने भाइयों का ट्खके उन्‍हें पहिचाना पर' उस ने आप को अन पह्ि- चान किया और उन से कठारता से बाला और उस ने उन्हें पछा कि तम लाग कहां से आते हे। ओर वे बाले अन्न लेने का कमआन ट्श से॥ ८। यसफ ने तो अपने भाइयों के पहिचाना पर उन्‍हें ने उसे न पहिचाना ॥* 6 । ओर यसफ ने उन के बिषय के खप्नां का जा उस ने टेखे थे स्वरण किया ओरर उन्‍हें कहा कि देश की कुदशा देखने के भेटिये होकर आये हे। ॥ ९ ०। तब उन्‍्हा ने उसे कहा नहीं मेरे प्रभ परन्तु आप के सेवक अन्न लेने आये हैं। ५५। हम सब एक ही जन के बेटे हें हम सच्चे हें आप के सेवक भेट्यि नहीं हैं ॥ ५२ | तब वुच्द उन से बाला कि नहीं परन्तु देश की कुटशा देखने आये हे ॥ १५३। तब उन्‍हें ने कहा कि आप के सेवक बारह भाई कनआन टृश में एक ही जन के बेटे हें और टेखिय कछटका आज के ट्नि हमारे पिता पास के और एक नहीं ह्ै॥ १५४। तब यसफ ने उन्‍हें कहा साई जा में ने तम्ह कहा कि तम लाग भेटिये हो॥ ९१५५। इसी से तम जांच जाओग फिरफन के जीवन की किरिया जब लॉ तम्हारा छोटा भाई न आवे तम जाने न पाओगे॥ २९१६। अपना भाई लाने का अपने में से एक के भेजो और तम लाग बंटोगह में रहे।गे जिसतें तम्हारी बातें जांचौ जाव कि तम सच्च हे। कि नहों नहों तो फि्रिजन के जीवन की किरिया तम लाग निश्यय भदटदिये हे।॥ १५७ । फिर उस ने उन के तोन दिन लो बंधन में रक्खा॥ ९८। ओर तौसरे दिन यूसफ ने उन्‍्हं कहा यां करके जोते रहो में ईम्वर से डरता हें ॥ ४२ पच्बे] की पस्तक । ष्र्ढ्‌ २९«। ज्ञा सच्च हो तो एक का अपने भाइयों में से बंदटीगह में बंद रहने टओ ओर तम अकाल के लिये अपने घर में अन्न ले जाओ ॥ २०। परन्त अपने छाटे भाई का मम्क पास लाओ7 से तम्हारी बातें यां ठहर जायंगी ओर तम न मरोगे सो उन्‍होंने एसा ही किया॥ २९५। तब उन्हों। ने आपस में कहा कि हम निच्यय उस बात के बिषय में टणो हें कि जब हमारे भाई ने बिनती किई और हम ने उस के प्राण के कष्ट का ट्खा ता उस की न सनी इस लिये यह बिपत्ति हम पर पड़ी है ॥ २२। तब _ रूबिन ने उत्तर में उन्‍हें कहा क्या में ने तम्हें नहों कहा कि इस लड़के के बिरुड़् पाप न करो और तम ने न सना इस लिये टेखे। उस के लाह का यही पलटा क्षे। २३। ओर वे न जानते थे कि यसफ्‌ समझता क्षे क्योंकि उन के मध्य में एक टाभाषिया था॥ २४। तब वह उन में से अलग गया जर रोया और फिर उन पास आया और उन से बात चौत किई गौर उन में से समऊन के लेके उन की आंखों के आगे बांघा ॥ २५ । तब यसफ ने उन के बारों का अन्न से भरने की और हर जन का रोकड़ उस के बारे में फरने की ओर मागे के लिये उन्‍्ह भाजन हेने की आज्ञा किई ओर उस ने उन्हें ऐसा ही किया॥ २६। और वे अपने गदहें पर अन्न लाटके चल निकले॥ २७। और जब उन में से एक ने टिकान में अपने गदहे का दाना घास टने के अपना बारा खेला ते उस ने अपना रोकड ट्खा क्योंकि वह बारे के मंह परथा॥ २८। तब उस ने अपने भाइयों से कहा कि मेरा रोकड़ फेरा गया है और ट्खा कि वह मेरे बार में है से उन के जो में जी न रहप और वे डरके एक ट्सरे का कहने लगे किई स्वर ने हम से यह क्या किया॥ २८। और वे कनआन देश में अपने पिता यअकब पास पहुंच ओर सब जे उन पर बीता था उस के आगे टाहराया ॥ ३०। जो जन उस ट्श का खामी कहे से। हम से कठारता से बेला ओ7र हमें टेश का भेटिया ठहराया ॥ ३९। और हम ने उसे कहा कि हम तो सच्चे मनुय्य हैं हम भेट्यि नहीं हैं ॥ ३२ हम बारह भाई एक पिता के बेटे हें एक नहों है और सब से छाटा आज अपने पिता के पाम कनआन देश में हे॥ ३३। तब उस जन ने अथात 9 [&, 8, $.] €्‌ ० जत्पत्ति [४३ पब्बे उस टेश के खामी ने हम से कहा इससे में तम्हारी सच्चाई जांचंगा अपना एक भाई मस्क पास छाडे। और अपने घराने के लिये अकाल का भाजन ले जाओ॥ ३४। ओर अपने छटके भाई के मेरे पास ले आओ तब में जानंगा कि तम भेटिये नहों परन्न सच्चे हे। फिर में तम्हारे भाई के तम्हें सांपंगा और तम द्श में व्यापार कीजियो ॥ ३५ | ओर यों हुआ कि जब उन्‍हें ने अपना अपना बारा छछा किया ते देखो कि हर जन का रोकड़ उस के बारे में है और जब उन्‍हें ने और उन के पिता ने रोकड़ की थेलियां टेखों तत डर गय ॥ ३६। और उन के पिता यअकब ने उन्‍हें कहा कि तम ने मस्के निःसंतान किया यसफ तो नहीं क्षे आर समऊन भी नहीं ओर तम लोग बिनयमीन का ले जाने चाहते है। ये सब बातें मस्त से बिरुड्ू हें ॥ ३७। तब रूबिन अपने पिता से कहके बाला जो में उसे आप पास न लाऊं ता मेर दोनों बटों के। मार डालियो उसे मेरे हाथ में सेपिये और में उसे फिर आप पास पहुंचाऊंगा॥ ३८। और उस ने कहा मेरा बेटा तुम्हारे संग न जायगा क्येककि उस का भाई मर गया है ओर यह अकेला रह गया जो जाते जाते मागे में उस पर कुछ बिपत्ति पड़े ता तम मेरे पक्के बालों के शाक के साथ समाधि में उताराणगे ॥ ४३ तेंतालीसवां पत्म । जी देश में बड़ा अक्षाल था॥ २। और यों हुआ कि जब वे मिस्र से लाथे हुए अन्न का खा चके तो उन के पिता ने उन्‍हें कहा किफिर जाओ और हमारे लिये थाड़ा अन्न मेल लओ॥ ३। तब यह्ूटाह उसे कहा कि उस परुष ने हमें चिता चिता कहा कि जब लो तम्हारा भाई तम्हारे साथ न हे मेरामंह न ट्खोगे॥ ४। से जा आप हमारे भाई के! हमारे साथ भेजियेगा तो हम जायगे औपए आप के लिये अन्न माल लेंगे। ५। परनन्‍्त जा आप न भंजं गे ता हम न जा सकगे क्यांकि उस परुष ने हम से कहा कि जब लो तम्हारा भाई तम्हारे साथ न हे। तम मेरा मंह न देखाोगे। ६। तब इसराएल ने कहा कि तम ने मुकक से क्यों ऐसा बरा व्यवहार किया कि उस परुष से कहा कि हमारा और एक भाई ३ पब्ब] की पस्तक । <श्‌ ७। तब वे बाले कि उस परुष ने हमें संकेती से हमारा ओर हमारे कुट व का समाचार पका कि क्या तम्हारा पिता अब ला जीता ह क्या तम्हारा और कोई भाई कै से हम ने बातों के ब्यवह्ाार के समान डसे कहा क्या हम निच्यय जानते थे कि वह हमें कहेगा कि अपने भाई का ले आओ ॥ ८ तब यहूटाह ने अपने पिता इसराएल से कहा कि इस तरुण के मेरे साथ कर टौजिये और हम उट चलेंगे जिसतें हम और आप और हमारे बालक जीव और न मरं॥ ८ । में उस का बिचवई कूगा आप मे रे हाथ से उसे ली जि- बेजो में उसे आप पास न लाऊं और आप के आगे न घरूं ते! आप यह दाषमम्कपर सदा घरिय॥ ९५०। क्यांकि जा हम विलंब न करते ता निश्चय अब ला दाहरा के फिर आये हाेते ॥ ५९५। तब उन के पिता इस- राएल ने उन्हें कहा कि जो अब यांहों ह ता यों करो कि इस ट्श के अच्छ से अच्छे फल अपने पात्रों में रख लेओ। और उस परुष के लिये भेंट ले जाओ थोड़ा नियास थाड़ा मघ कुछ संघ ट्रब्य ओर बेल ओर बतम और बदाम॥ २९२ । ओर टूना रोकड़ हाथ में लेओ और बुच्द राकड़ जो तुम्हारे बारों में फर लाया गया है अपने हाथ में फर ले जओ क्या जाने बच भल से हुआ हे( ॥ ९३। अपने भाई के! भी लेओ उठा ओर उस परुष पास जाओ ॥ १५४। ओर सामथों इंस्वर उस परुष के। तम पर दयाल करे जिसतें वह तुम्हारे दूसरे भाई ओर बिनयमीन का छोड़ ट वे ओर जो में निबंश हुआ ते। हुआ ॥ ९१५४। तब उन्‍्हों ने वह भट लिया ओर हने राकड़ के! अपने हाथ में बिनयमीन समेत लिया ओर उठे ओर मिस के! उतर चुले ओर यसफ्‌ के आग जा खड़े रण ॥ ९६। जब यसफ ने बिनयमौन को उन के संग ट्खा ता उस ने अपने घर के प्रधान के कहा कि इन परुणों के घर में ले जा और कुछ मा रके सिद्ट कर क्योंकि ये मनव्य दो पहर को मेरे संग खायंगे ॥ ५७। से जैसा |क यसफ ने कहा था उस परुष ने वैसाही किया ओर वह उन्हें वसफ के घर में लाया॥ १८०। तबववे यसुफ के घर में पहुंचाये जाने से डर गय और उन्हे ने कहा कि उस राकड़ के कारण जे। पहिले बार हमार बारां में फिर गया हम यहां प्रहुंचाये गय हें जिसते बुच्द हमारे बिरुड्ड एक कारण ढंढे ओर हम पर लपके ओर हमें पकड़के दास बनावे ओर हमारे गदहे के छीन लेवे ॥ द्र्‌ डर्त्पात्त [४३ पन्चे १८ । तब उन्‍्हों ने यूसफ के घर के प्रधान पास आके घर के द्वार पर उसमे बात चौत किई ॥ २०। और कहा कि महाशय हम निच्य॒य पहिले बेर अन्न मेल लेने आये थे। २२९। तो यों हुआ कि जब हम ने टिकाश्रय पर उतरके अपने बारों का खेला ते क्या ट्खते हैं कि हर जन का रो- कड़ उस के बोरों के मुंह पर है हमारा राकड़ सब पूरा था से। हम डसे अपने हाथ में फिर लाये हैं॥। २२। ओर अन्न लेने के और हम रोकड़ अपने हाथों में लाय हैं और हम नहीं जानते कि हमारा राकड़ किस ने हमार बारों में रख टिया॥ २३। तब उस ने कहा कि तम्हारा कुशल हेा।वे मत डरो तम्हारेईस्वर और तम्हारे पिता के ईश्वर ने तम्हारे बारों में तम्हें घन टिया हु तम्हारा राकड़ मर्के मिल चका फिर वह समऊन के उन पास निकाल लाया॥ २४। ओर उस जन ने उन्हें यसफ के घर में लाके पानी दिया और उन्‍्होां ने अपने चरण घाये और उस ने उन के गद्हें के दाना घास दिया॥ २५। फिर उन्‍्हों ने टो[ पहर का यूसुफ के आने पर भेंट सिद्ठ किया क्योंकि उन्हों ने सना था कि हमें भाजन यहीं खाना है॥ २६। और जब यूसफ्‌ घर आया ते वे अपने हाथ की उस भेंट के भौतर लाये और डस के आगे भर ले टंडवत किई॥ २७। ओर उस जे उन से कुशल च्ञेम पछा ओर कहा कि तम्हारा पिता कुशल से हे वह ढड् जिस दी चत्चा तम ने किई थी अब ले जीता कहै॥ २८। और उन्हां ने उत्तर दिया कि आप का सेवक हमारा पिता कुशल से हे वह अब ला जीता ह फिर उन्‍्हां ने सिर मकाके टंडबत किई॥ २<। फिर उस ने अपनी आंखें उठाई और अपनी माता के बटे अपने भाई बिनयमीन के। देखाओर कहा कि तम्हारा छटका भाई जिस कौ चच्चा तम ने मर से किई थी यददी हु फिर कह्दा कि हे मेरे बेट इंम्धर तस्क पर ट्याल रहे ॥ ३०। तब यसफ ने उतावजली किई क्योंकि उस का जी अपने भाई के लिये भर आया ओर रोने चाहा ज्यर वह केाटठरी में गया और वहां रोया॥ ३६९॥। फिर उस ने अपना मुंह घाया और बाहर निकला और आप के रोका ओर आज्ञा किई कि भेजन परोंसे | ३२। तब उन्‍्हेंने उस के लिये अलग गैर उन के लिये अलग ओर समिखियों के लिये जे। उस के संग खाते थे अलग प रास इस लिये कि मिसरी ४४ पब्ब] कौ पुस्तक । <्‌३्‌ इबरानियाँ के संग भाजन नहों खा सक्ते क्योंकि वह मिखियों के लिय घिन क्षे। ३३। ओर पहिलौोंटा अपनी पहिलेटटाई के और छटका अपनी छटाई के समान वे उस के आगे बेठ गये तब वे आसश्य्य से एक दुसरे का देखने लगे॥ ३४। और उस ने अपने आगे से भेजन उन पास भेजा परन्त विनयमीन का भोजन हर एक के भाजन से पंच गन था और उन्‍्हों ने उस के साथ जी भर के पीया ॥ े ४४ चौंतालीसवां पब्बे । ञ््ै «63 5253 वे ु 7र उस ने अपने घर के प्रधान का यह कहके आज्ञा किई कि उन मनव्यां के बारों के। जितना वे ले जा सकें अन्न से भर दे और हर एक जन का राकड़ उस के बारे में डाल दे । २। ओर मेरा रूपे का कथारा छटके के बारे के मंह पर डस के अन्न के दाम समेत रख द से। उस ने यूसुफ की आज्ञा के समान किया ॥ ३। ओर ज्यांहों दिन निकला वे अपने गदहे समेत विदा किये गये॥ ४। जब वे नगर से थाड़ी द्वर बाहर गये यसफ ने अपने घर के प्रधान के कहा कि उठ ओर उन लोगों का पीछा कर और जब त उन्हं जा लवे ता डन्हं कह कि किस लिय तुम लागां ने भलाई की संती बराई किई हे॥ ५। क्या यह वह नहों जिस में मेरा प्रभ पीता क्ते उस कौ नाई काई आगम का सच्चा संदृश दता हे तम ने इस में बरा किया क्षे । ६। ओर उस ने उन्हें जा लिया और य बातें उन्हे कह्दों ॥ ७। तब उन्‍्हों ने उसे कहा कि हमारा प्रभु ऐसी बातें क्यों कहता हे इंसख्र न करे कि आप के सेवक ऐसा काम करें॥ ८ं। देखिये यह राकड़ जा हमने अपने थेलों में ऊपर पाया से हम कनआन देश से आप पास फिर लाय थ से क्योंकर हागा कि हम ने आप के प्रभ के घर से रूपा अथबा सेएना चराया हे। ॥ <। आप के सेवकों में से वह जिस के पास निकले वुच्द मार डाला जाय ओर हम भो अपने प्रभ के दास हेंगे॥ १०। तब उस ने कहा कि तुम्हारी बातां के समान हेगा जिस के पास वुह् निकले से मेर। दास होगा और तुम निर्दाष ठहरागे॥ २१। तब हर एक पुरुष ने तुरंत अपना अपना बारा भमि पर उतारा और «४ ज्त्पात्त [४४ पत्बे हर एक ने अपना बारा खोला ॥ १५२। और वह बड़के से आरंभ करके छटके ले ढंढने जगा। और! करा विनयमीन के मेल में पाया गया ९३। तब उन्‍्हों ने अपने कपड़े फाड़ ओर हर एक परुष ने अपना गदहा लादा ओर नगर के फिरा॥ ९ ४ । आर यहकूटाह और उस के भाई यसफ के घर आय क्यांकि वह अब लो वच्चों था आर वे उस के आगे भमि पर गिर॥ २१५४ । तब यसफ ने उनन्‍्ह कहा कि तम ने यह कसा काम किया क्या तम न जानते थे कि मेरे एसा जन निशच्यय गणना कर सक्ता हे॥ ९६ तब यहूदाह बे।ला कि हम अपने प्रभ से क्या कहें और क्या बाल अथवा क्योंकर अपने का निदाष ठहराव ईस्वर नेआप के सेवकों कौ बुराई प्रगट किई देखिये कि हम और व॒ह भी जिस पास कटोरा निकला अपने प्रभ के दास हैं॥ ९२७। तब बह बाला ईयर न कर कि भे एसा करूं जिस जन के पास कटारा निकला वही मेरा दास हागा औएर तम अपने पिता पास कशल से जाओ, ॥ ९ ८। तब यहूदा हद उस पास आके बाला कि पे मेरे प्रभ आप का सेवक अपने प्रभ के कान में एक बात कदने की आज्ञा पावे आर अपने सेवक पर आप का काप भड़कने न पावे क्यांकि आप फिरऊुन के समान हें॥ १८। मेरे प्रभु ने अपने सेवकों से या कहके प्रश्न किया कि तम्हारा पिता अथबा भाई कहै॥ २०। ओर हम ने अपने प्रभ से कहा कि हमारा एक ढड्ट पिता हे ओर उस का बढ़ापे का एक छोटा पत्र हे आर उस का भाई मर गय, और वह अपनी मात। का एक ही रह गया और बह अपन पिता का अति [प्रय क्षे। २९५। तब आप ने अपने सेवकों से कहा कि उसे मेरे पास लाओ। जिस मेरी दृष्टि उस पर पड़े॥ २२। तब हम ने अपने प्रभ से कहा कि वुद्द तरुण अपने पिता के छोड़ नहीं सत्ता क्योंकि जे बुह् अपने पिता के! छाड़ेगा तो उस का पिता मर जायगा॥ २३ । फिर आप ने अपने सेवकों से कहा कि जब लॉ तम्हारा कटका भाइ तम्ह/रे साथ न आये तम मेरा मंह फिर न ट्खेोगे॥ २४। ओर यों हुआ कि जब हम आप के सेवक अपने पिता पास गये तो हम ने अपने प्रभु की बाते उच्झो क्यों ॥ ३५ । तब हमारा पिता बाला फिर जाओ ओर हमारे लिये थोड़ा अन्न मेल लेओ। ॥ २६। तब इम बोले कि हम नहीं जा सक्ते जे! हमारा छटका भाई ४५ पचत्बे] की पस्तक । <्पू हमारे साथ होवे ता हम जायंगे क्यांकि जब लॉ हमारा क्टका भाई हमारे साथ न हे। हम उस जन का मंह न टेखने पावगे॥ २७। ओर आप के सेवक मेरे पिता ने हमें कहा कि तम जानते है| कि मेरी पत्नौ मम्क से हो बटे जनी॥ २८। और एक मम्फ से अलग हुआ ओर में ने कहा निशञ्यय वह फाड़ा गया और में ने उसे तब से न देखा॥ २८ । अब जो तुम इसे भी मुम्क्र से अलग करते हे। ओर इस पर कुछ बिपत्ति पड़े ता तुम मेरे पके बालों का शाक से समाधि में उतारोाग ॥ ३०। अब इस लिये जब में आप का सेवक अपने पिता पास पहुंच॑ ओर वह तरुण हमारे साथ न हे। आर इस कारण से कि उस का जोव इस तरुण के जीव से बंघा क्षे। ३१५। तो अंत का यही हेगा कि वुद्द यह ट्ख कर कि तरुण नहीं है मरही जायगा और आप के सेवक अपने पिता के पक्ष बालों के शाक से समाधि में उतारेंगे॥ ३२। क्यांकि आप के सेवक ने अपने पिता पास इस तरूण का बिचवई हे।के कहा कि यदि में इसे आप पास न पहुचाऊं तामें सबेदा ले अपने पिता का अपराधी हूंगा॥ ३३। इस लिये अब मेरी बिनती सनिये कि आप का सेवक तरुण की संती अपने प्रभ का दास हाक रहे आर तरुण का उस के भाइयों क संग जाने टीजिये ॥ ३४। क्यांकि जा तरुण मेरे साथ न हेवे में अपने पिता पास शैसे जाऊं ऐसा न हेवे कि जा बिपत्ति मेरे पिता पर पड़ में उसे ट्खं॥ ४५ पेंतालीसवां पब्बे । ब यसफ उन सब के आगे जो उस पास खड़े थे अपने के रोक न सका तो और चिज्ञाया कि हर एक का मस्क पास से बाहर करो से जब यसफ ने अपन का अपने भाइयों पर प्रगट किया तब काई उस के संग न था ॥ २। ओर वह चिह्लाके राया और मिखियां और फिरकन के घराने ने सुना। ३। ओर युसफ ने अपने भाइयों के कहा कि में यसफ हूं क्या मेरा पिता अब ला जीता हे तब उस के भाई उसे उत्तर न दे सके क्यांकि वे उस के आगे घबरा गये॥ ४। और यसफ ने अपने भाइयां से कहा कि मेरे पास आइये वे पास आये वह बाला में तम्हारा भाई न उत्पत्ति... [४५ पच्बे यरुफ हू जिसे तुम ने मिस्र में बेंचा॥ ५। से। इस लिये कि तुम ने म॒ुस्ते यहां बेंचा उदास न हाओ ओर व्याकुल मत होओ क्योंकि ईस्थर ने तुम से आगे मुस्कते प्राण बचाने के भेजा॥ ६। क्योंकि दा बरस से भूमि पर अकाल है ओर अभी और पांच बरस लो बेना लवना न हेगा॥ ७॥ तुम्हागे बंश की ए्थिवी पर रक्षा करने के! और बड़े उद्भार से तुम्हारे प्राण बचाने के ईस्र न मुस्ते तुम्हारे आगे भेजा ॥ ८। से अब तुम ने नहीं परन्तु ईश्वर ने मुस्ते यहां भेजा और उस ने मुस्के फिरकन के पिता के तुख्य बनाया और उस के सारे घर का प्रभ और सारे मिस्र देश का अध्यकझ बनाथा॥ €। फुरती करो और मेरे पिता पास जाओ ओर उसे कह्िया कि आप का बेटा यूसुफ यों कहता के कि ई स्वर ने मुस्‍्के सारे मिख्॒ का खामी किया मुक्त पास चले आइये ठहरिये मत॥ ९०। और आप जश्न कौ भूमि में रहियेगा आर आप ओर आप के लड़के और आप के लड़कों के लड़के और आप के भुंड आर जन और जो कुछ आप का हे मेरे पास रहेंगे॥ ९९। और यहां में आप का प्रति- पाल करूंगा क्योंकि अब भी अकाल के पांच बरस हें नहे कि आप और आप का घराना और सब जे आप के हें कंगाल हे। जायं॥ ९२। और देखे तुम्हारी आंखें और मेरे भाई बिनयमौन कौ आंखें देखती हैं कि में आपद्दी तुम से बालता हूँ॥ १९३। और तुम मेरे पिता से मेरे विभव की जो मिस में ह्षे आर सब कुछ को जो तुम ने देखा ह्ञे चचा कीजिया और फुरती करो और मेरे पिता के! यहां ले आओ ॥ ९५४। और वुषह्ठ अपने भाई बिनयमौन के गले लगके रोया और बिनयमीन भी उस के गले लगके रोया॥ १५४ । ओर उस ने अपने सब भाइयों के चूमा और उन से मिल के राया उस के पीछे उस के भाइयों ने उस्हो बातें किईं॥ २६। और इस बात कौ कीर्ति फिरिजन के घर में सुनी गई कि यूसुफ के भाई आय हैं ओर उर्झमे फिरजन और उस के सेवक बहुत आनन्दित हुणए। १५७। और फिरिजन ने यूसुफ्‌ से कहा कि अपने भाइयों से कह कि यह करो अपने पशुन के न्तादेो। ओर कनआन देश में जा पहुंचे॥ २९८। और अपने पिता और अपने घरानों के लेओ और मुम्क पास आओ और मैं तुम्हें मिख टेश की अच्छी ४६ पब्ये] कौ पस्तक । «७ बस्तें हूंगा और तम इस देश का पटारथ खाओगे॥ ९८। से अब तस्के यह आज्ञा क्षे यह करो कि मिख टेश से अपने लड़के बालों और अपनी पह्नियां के लिये गाड़ियां ले जाओ ओऔर अपने पिता काले आओ ॥ २०। और अपनी सामग्री की कुछ चिंता न करा क्यांकि मिख देश के सारे पटारथ तम्हारे हैं। २५। और इंसराएल के संता नें ने बसाहो किया और यसफ्‌ ने फ्रिऊन के कहे के समान उन्हें गाड़ियां दिईं और मागे के लिये भाजन दिया ॥ २२। और उस ने उन सब में से हर एक को बस्तर दिये परन्त उस ने बिनयमीन का तौन सो टकड़े चांदी और पांच जोड़े बस्त टिये। २३। और अपने पिता के लिये इस रौति से भेजा ट्स गदहे मिख कौ अच्छी वस्तन से लदे हुए और ट्स गट- हियां अनाज और रोटी और भाजन से लटी हुई अपने पिता की यात्रा के लिये॥ २४। से उस ने अपने भाइयां का बिटा किया और वे चल निकले तब उस ने उन्‍हें कहा कि रखा मागे में कहों आपस में बिगड़े मत॥ २५। ओर वे मिस्र से सिधारे और अपने पिता यअक्ब पास कनआन दट्श में पहुंचे ॥ २६ । और यह कहके उसे बाले कि यसफ ते अब लो जीता है और वह सारे मिख टेश का अध्यक्ष हे और यअकब का मन सनसना गया क्यांकि उस ने उन को प्रतीति न किई ॥ २७। और उन्‍हें ने यस॒फ की कही हुई सारी बातें उस से दुहराई और जब उस ने गाड़ियां जा यसफ ने उसे ले जाने के लिय भेजी थाौं टखौं ता उन के पिता यअकब का नया जीवन हुआ॥ रण८। ओर इसराएल बेला यह बस हे कि मेरा बेटा यसफ अब लो जीता हे में जाऊंगा और अपने मरने से आगे उसे ट्खूंगा । ४६ छियालिसवां पब्बे । ञ'ः इूसराएल ने अपना सब कुछ लेके यात्रा किई ओर बिअरसबः में आके अपने पिता इजुहाक के ईश्वर के लिये बलिदान चढ़ाया ॥ २। ओर ईश्वर ने रात के खप्न में इसराएल से बातें करके कह कि हे यञकबव यअक ब और वह बाला में यहां हु तब उस ने कहा कि में ई स्वर तेरे पिता का ईसस्‍्थर हूं मिस्त में जाते हुए मत डर क्यांकि में तस्के वहां ]8 [&, 8, $.] ढ्ष्र उ्त्पात्त ... [४६ पब्ब बड़ी जाति बनाऊंगा॥ ४। में तरे साथ मिस्र का जाऊंगा में तम्क अवश्य फिर ले आऊगा ओर यसफ तरी आंखें मंटेगा॥ ५। तब यञअकब विअरसबः से उठा ओर इसराएल के बेटे अपने पिता यअकब के। और अपने लड़का ओर अपनी स्वियेई के! गाड़ियां पर जे। फिरऊन ने उस के पहुंचाने का भेजो थीं ले चले॥ ६। आर उन्‍्हां ने अपना ढार और अपनी सामग्री जो उन्हें ने कमआन देश में पाई थी ले लिई और यञअकब अपने सारे बंश समेत मिख में आया॥ ७। वह अपने बटा और बट के बेटां और बेटियां और अपने बेटों की बेटियां और अपने सारे बंश का मिस्र में लाया ॥ प। ओर इूसराएल के बेटों के नाम जा मिस्र में आये अथात्‌ यञकब के बेटे ये हें यअकव का पहिलोंठा रूविन॥ 4<। रूबिन के बटे हनक ओर फल ओर हसरून और करमी॥ ९०। समऊन के बंटे यमएल ओर यमीन और अहद ओर यकीन ओर सहार ज्यारं क़नोआनी सती का बेटा: साजल॥ 5 “५९ और लावी के बेटे जैरसन क्िहात ओर मिरारी ॥ १५२। ओर बयहूदाह के बेटे एए ओर ओनान ग्ार सेलः और फाड़स और शारिक परन्तं॑ एर और ओनान कनआन टेश में मर गये ओर फाड़स के बेटे हसरून और हमल हुए ॥ ५३। ओर इशकार के बेटे तेलअ और फवः ओर यूब और समरून ॥ ९४ । और जबलन के बेटे सरद शर औलन ओर यहलिएल ये लियाह के बेटे हैं जिन्हें वुह्द फहानअराम में यअकूब के लिये जनी उस के सारे बेटे बेटियां तेंतीस प्राणी उस की बेटी टौनः के संग थे ॥ १६ । और जद के बेटे सिफयन ओर हज्जी और शनी ओर इसबन और एरो ओर अरूदी ओर अरली ॥ १५७। ओर यसर के बेटे यिमनः और इसवाह और इसवी और बरीअः ओर उन की वहिन सिरह और बरीअः के बटे हिब्र और मलकिएल॥ २८। ये उस जिलफः के बेटे हों जिसे लाबन ने अपनी बेटौ लियाह का दिया था ओर इन्ह वह यअकब के लिय जनो अथोत्‌ सोलह प्राणी ॥ २९। ओर यञ्ञकब की पत्नी राखिल से यसुफ ओर विनयमीन॥ २०। और मिख देश में यसफ के लिए मनस्यो ओर इफरायम उत्पन्न हुए जिन्हें कन के अध्यक्ष फती [४६ पब्ब] को पुस्तक । ९& फर की बेटी आसनाथ जनी ॥ २९ । ओर बिनयमीन के बेटे वालिम और बकर और असबील और जेरा ओर नअमान ओर अखी ओर रूस ओर मपिम ओर हुफ्पीम ओर अरद॥ २२। इन्हें राखिल यञअकव के लिये जनी सब चेट्ह प्राणी ॥ २३। ओर दान का बेटा हाशीम॥ २४। ओर नफताली के बेटे यहसीएल और जनी गर यिख और सलीम ॥ २५ । ये बिलहः के बटे हें जिसे लावन ने अपनी बेटी राखिल के। टिया से ये सब सात प्राणी हें जिन्हें वह यअकब के लिये जनी ॥ २६। सो सार प्राणी जे। यअकब के साथ मिख में आये और डस की करटि से उत्पन्न हुए उन से अधिक जा यअकब के बेटों की स्त्रियां थीं छियासठ प्राणी थे॥ २७। और यसफ के बेट जा मिस्र में उत्पन्न हुए हो थे से सारे प्राणो जे यअकब के घराने के थे और मिस्र में आये सत्तर थे॥। २८। ओर उस ने यहूदाह का अपने आगे आगे जञ्न ला अपनी अगआई करने के यसफ कने भेजा ओर वे जश्न की भमि में आये॥ २८। और यसफ ने अपना रथ सिद्ठ किया और अपने पिता इसराएल से भंट करने के लिये जश्न के! गया और उस पास पहुंचा ओर उप्त के गले पर गिरके अबेर लेर रोया किया ॥ ३०। और इसराएल ने यसफ से कहा कि अब में मरने को सिद्व हूं कि में नेतरामंह टेखा क्यांकि त अब भी जीता क्ष। ३९। और यसफ ने अपने भाइये ओर अपने पिता के घराने से कहा कि में संदेश टने के फ्॒रिऊन पास जाता हू और उसे कहता हूँ कि मेरे भाई और मेरे पिता का घराना जे। कनआन देश में थे मेरे पास आये हैं। ३२। और वे गड़रिय हें क्योंकि ढार चराना उन का ड्द्यम क्षे और वे अपनी मूड और ठार और सब कुछ जा उन का क्ते लेआये हैं ॥ ३३। और यों होगा कि जब फ्रिफून तुम्हें बुला के तम्हारा उद्यम पक्ते॥ ३४। ता कहिया कि आप के दास लड़काई से अब लो चरवाही करते रहे हैं क्या हम ओर क्या हमारे बाप दाहे जिसतें तम लोग जन्न की भूमि में रहे। क्यांकि मिसियां का हर एक गड़ रिये से घिन हे । ५ अद उत्पत्ति [४७ पच्बें ४७ सेतालीसवां पर्य । त्ृ ब यसफ आया और फिरऊन से कहके बाला कि मेरा पिता ओर मेरे भाई और उन की स्कंड ओर ढार और सब जो उन के हें कनआन ट्श से निकल आये और देखिये कि जश्न की भमि में हैे॥ २। ओर उस ने अपने भाइयों में से पांच जन लेके उन्हे फिरजन के आगे किया॥ ३। ओर फ्रिजन ने उस के भाइयों से कहा कि तुम्हारा उद्यम क्या उन्‍्हों ने फिरऊन का कहा कि आप के सेवक क्या हम ओर क्या हमारे बाप टादे गड़रिये हैं ॥ ४। फिर उन्‍्हों ने फिरिकन से कहा कि हम इस ट्श में रहने का आय हें क्योंकि कनआन ट्श में अकाल के मारे आप के सेवकों कौ कक्ंड के लिये चराई नहीं है अब इस लिये अपने सेवकों का जश्न की भरमि में रहने टीजिये॥ ५। तब फि्रिऊन ने यसफ से कहा कि तेरा पिता और तेरे भाई तम्क पास आये हों ॥ ६। मिख टश तेरे आगे है अपने पिता और अपने भाइयों के सब से अच्छी भमि में बसा जश्न की भमि में रहें आर जे त डन में चालाक मनव्य जानता है तो उन्हें मेरे ढारों पर प्रधान कर ॥ ७। तब यूसफ अपने पिता यअकब के। भौतर लाया और उसे फ्रिजन के आगे खड़ा किया और यअकब ने फिरऊन के आशीष टिया ॥ ८ं। और फिरकन ने यअकब से पछा कि तेरे जीवन के बग्र के बरसे के दिन कितने हें ॥ €। तब यअक॒ब ने फ्रिकन से कहा कि मेरी यात्रा के दिनों के बरस णक नो तीस हें मेरे जीवन के बरसे के टिन थाड़े और बरे हुए हें और मेरे पितरों के जीवन के बरसे के दिनों का जब वे यात्रा करते थ नहों पहुंचे॥ ९०। ओर यअकूब ने फ्रिज्न को आशीष दिया ओआर फिरऊन के आगे से बाहर गया॥ १५१९। और यसफ ने अपने पिता ओर भाइयों का मिस ट्श में सब से अच्छी भमि में रामसौस की भरमि में जैसा फिरजन ने कहा था रक्खा और अधिकारी किया॥ १२। और यूसुफ ने अपने पिता ओर अपने भाइयों ओर अपने पिता के सारे घराने का उन के लड़के बालों के समान प्रतिपाल किया। १९५३। और सारे देश में रोटी न थी क्येंकि ऐसा कठिन अकाल था ४७ पत्ष] की पस्तक । १०९ कि मिख टेश और कनआन ट्श अकाल के मारे स्क्ैंस गया था॥ २९४। और यसफ ने सारे रोकड़ के जा मिप्त रश और कनआन देश में था उस अन्न की संती जो लागों ने मेल लिया बटारा और यसफ उस राकड़ के फ्रिजन के घर में लाया॥ ९४। ओर जब मिस ट्श और कनआन दश में राकड़ हे! चका तो सारे मिखियां ने आके यसफ से कहा कि हमें राटी टौजिय कि आप के होते हुए हम क्यां मर क्यांकि राकड़ हे! चका हे ॥ ५६। तब यसफ ने कहा कि जो राकड़ न हाय तो अपने ढार दओ में तम्हारे छोर की संती टंगा॥ ९५७। वे अपने ढार यसफ के पास लाये ओर यसफ ने उन्‍हें घाड़ं और मंडों और ढारों के चोपाय और गदरें की संती रोटियां टिईं और उस ने उन के ढार की संतो उन्‍हें उस बरस पाला॥ २८। जर जब वचत्च बरस बीत गया वे ट्सरे बरस उस पास आये ओर उसे कहा कि हम अपने प्रभ से नहीों छिपावेंग कि हमारा राकड़ उठ गया हमार प्रभ ने हमारे ढारों की म्कंंड भी लिई से हमारे प्रभ की दृष्टि में हमारे टृह ओर भमि से अधिक कछ न बचा ॥ १८। से हम अपनी भमि समेत आप की आंखें आगे क्यों नष्ट हावें हमें और हमारी भमि का राोटो पर मेल लीजिये और हम अपनी भूमि समेत फ्रिऊन के दास होंगे और अन्न दौजिये जिसतें हम जीव ओर न मरें जिसतें टश उजड़ न जाय॥ २०। और यूसुफ ने मिस्॒ की सारी भूमि फ्रिजन के लिये मेल लिई क्योंकि मिखियें। में से हर एक ने अपना अपना खेत बेंचा इस कारण कि अकाल ने उन्हें निपट सकेत किया था से व॒ह भूमि फ्रिकुन कौ हुई॥ २९। रहे लाग से उस ने उन्हें नगरों में मिस्त के एक सिवाने से दूसरे सिवाने ला भजा॥ २२। उस ने केवल याजकों कौ भूमि मेल न लिई क्यांकि याजकों ने फ्रिजकुन से एक भाग पाया था और फिरऊन के दिये हुए भाग से खाते थे इस लिये उन्‍्हों ने अपनी भमि का न बेचा ॥ २३। तब यूसफ्‌ न लोगों से कहा कि दखो में ने आज के दिन तम्ह और तम्हारी भूमि का फ्रिजन के लिय मेल लिया है से। यह वीज तुम्हारे लिये हे खेत में बाओ।॥ २४। और उस की बढती में ऐसा हेग़ा कि तुम पांचवां भाग फ्रिजन के देना और चार भाग खत के बीज २०२ उत्पत्ति [४८ पब्बे के लिये और तम्हारे और तम्हारे घराने के ओर तम्हारे बालकों के भाजन के लिये होंगे ॥ २४ । तब वे बाल कि आप ने हमार प्राण बचाय हैं हम अपने प्रभ की दृष्टि में अनुग्रह पावें और हम फिरिऊन के दास हेंगे॥ २६। और यसफ ने मिख देश के लिये आज लॉ यह ब्यवस्था बांघो कि फिरऊन पांचवां भाग पावे परन्त केवल याजकों की भरमि फिरजन की न हुई॥ २७। और इसराएल ने मिख की भरमि में जन्म के देश में निवास किया और वे वहां अधिकारी थे ओर वे बढ़े ओर बहुत अधिक हुए॥ २८। ओर यअकब मिख टेश में सत्रह बरस जीया से। यअकब के जीवन के बरसों के दिन एक से! सेंतालीस हुए ॥ २८ । ओर इसराएल के मरने का समय आ पहुंचा तब उस ने अपने बटे यसुफ्‌ का बुलाके कहा कि अब जो में ने तरी इृष्टि में अनुग्रह पाया है अपना हाथ मेरी जांघ तले रख ओर ट्या ओर नच्चाई से मेरे रंग ब्यवहार कर मर्के मिस्र में मत गाड़िये। ॥ ३०। परन्त में अपन पितरां में पड़ रहंगा और त मस्फे मिस्त से बाहर ले जाइये। ओर उन के समाधि स्थान में गांड़िया तब वह बाला कि आप के कहने के समान में करूंगा ॥ ३९ । ओर उस ने कहा कि मेरे आग किरिया खा ओर उस ने उस के आगे किरिया खाई और इसराएल खाट के सिरहाने पर भ्कुक गया। ४८ अटतालीसवां पब्बे । ञ्रैः इन बातां के पीछ यां हुआ कि किसी ने यसफ से कहा कि टेखिय आप का पिता रागी हे तब उस ने अपने दा बट मनस्झी और इफरायम का अपने साथ लिया॥ २। और यअकब के संदेश टिया गया कि देख तेरा बेटा यूसफ्‌ तम्क् पास आता हे ओर इसराएल खाट पर सभल बैठा ॥ ३। ओर यञअकब ने यसफ से कहा कि सर्ब सा- मर्थी ईम्थर ने कनआन देश के लोज में मस्त टर्शन दिया और मस्छे आशीष दिया ॥ ४। ओर मर्क कहा कि ट्ख में तस्ते फलमान करूंगा और बढ़ाऊंगा ओर तम्क से बहुत सी जाति उत्पन्न करूगा ओर तेरे पीछे इस दृश के तेरे बंश के लिये सबैदा का अधिकार करूंगा ॥ ५। और अब तेरे दो बेटे इफरायम और मुनस्यी जो मिस्र में मेरे आने से आगे ४८८ पब्बे | कौ प॒स्तक । १०३ तक से मिस्र टेश में उत्पन्न हुए हें मेरे हैं रूबिन और समऊन की नाई वे मेरे हांगे। ६। जऔर तेरा बंश जा उन के पीछ उत्पन्न होगा तेरा हागा और अपने अधिकार में.वे अपने भाइयों के नाम पावंगे॥ ७। ओर में जा हूं सो जब पाहान से आया और इफ्रातः थोड़ी टूर रह गया था तब कनआन देश के मागे में राखिल मेरे पास मर गई और में ने इफ्रातः के मागे में उसे वहीं गाड़ा वही बेतलहम के ॥ प्। तब इसराएल ने यसफ्‌ केबंटों का देखके कहा ये कोन हिें॥ € । यसफु ने अपने पिता से कहा कि ये मेरे बट हें जिन्हें ईश्वर ने मस्‍्फे यहां दिया है वह बाला उन्‍हें मम पास ला में उन्हें आशीष टंगा॥ ०। [अब इसराणल कों आंखें बढ़ापे के मारे घंधली हुई थों कि वह नटेख सका] और वह उन्हें उस के पास लाया और उस ने उन्हें चमा और उन्हें गले लगाया ॥ १५९ | और इसराएल ने यसफ से कहा कि मस्छे तो तेरे मंह ट्खने की आशा न थी और ट्ख ईमर ने तेरा बंश भी मस्‍्के ट्खाया॥ १५२। ग्यार यसफ ने उन्‍हें अपने घटने में से निकाला ओर अपने का भमि पर मुकाया ॥ ९३। और यूसुफ ने उन दोनों के लिया इफ्रायम का अपने ट्हिने हाथ में इसराएल के बाएं हाथ की ग्यर और मुनस्यो का अपने बाएं हाथ में इसराएल के टहिने हाथ की ओर और उस के पास लाया ॥ १४। तब इसराएल ने अपना ट्हिना हाथ लंबा किया और इफ्रायम केसिर पर जो छटका था रक्‍खा और अपना बायां हाथ मनस्सो के सिर पर जान बमकके अपने हाथ का यां रब्खा क्योंकि मनस्सी पहिलेंठा था॥ २९४। और उस ने यसफ का बर दिया और कहा कि वह ईग्वर जिस के आग मेरे पिता अविरहाम ओर इजहाक चलते थे ओर वह ईम्र जिस ने जीवन भर आज लें मेरी रख- वाली किए ॥ १६। वह द्वत जिस ने मस्ते सारी बराई से बचाया इन लड़कों के आशीष ट्वे और मेरा नाम और मेरे पिता अबिरहाम ओर इजहाक का नाम उन पर हेवे और उन्हं एथिवी पर मछलियों की नाई बढ़ावे। ५७। ओर जब यूसुफ ने अपने पिता के अपना ट्हिना हाथ इफरायम के सिर पर रखते देखा तो उसे बुरा लगा और उस ने अपने पिता का हाथ उठा लिया जिसतें उसे इफ्रायम के सिर पर से मनस्झी ९१०४ सत्पात्ति [86 षब्बे के सिर पर रखे॥ २८। और यसफ ने अपने पिता से कहा कि हे मेरे पिता ऐसा नहीं क्यांकि यह पहिलोंठा हु अपना दहिना हाथ उस के सिर पर रखिये॥ २८। पर उस के पिता ने न माना और कहा किमें जानता हूं हे बेटे मैं जानता हूं वह भी एक जातिगण बन जायगा और वह भी बड़ा हेगा परन्त निः्यय उस का छटका भाई उत्से भी बड़ा होगा और उस के बंश भरप्र जातिगण बन जायेंगे॥ २०। और उस ने उन्हें उस दिन यह कहके आशीष दिया कि इसराएल तेरा नाम लेके यह आशीष टेंगेकि ईसखर तुस्मे इफ्रायम और मुनस्सी की नाई बनावे से। उस ने इफरायम के मुनस्सी से आगे किया॥ २९। और इसराएल ने यूसुफु के कहा कि देख में मरता हूं परन्तु ई स्वर तम्हारे साथ होगा और तुम्हें तुम्हारे पितरों के देश में फर ले जायगा॥ २२। इस्पे अधिक में ने तुमे तरे भाइयों से एक भाग जो में ने अम्रियों के हाथ से अपने तलवार और धनुष से निकाला अधिक टिया हे॥ ४८ उऊंचासवां पब्बे । ज्ै गर यअकब ने अपने बेटों के बलाया और कहा कि एकढ्ठे हाओ। जिसतें जा तम पर पिछले दिनों में बीतेगा में तम से कह ॥ २। हे यअकव के बेटों बटर जाओ ओर सने और अपने पिता इसराएल की ओर कान धरा ॥ ३। हे रूबिन त्‌ मेरा पहिलौोंटा मेरा बूता और मेरे सामथ्थे का आरंभ महिमा कौ उत्तमता और पराक्रम की उत्तमता ॥ ४। जल की नाई अस्थिर त श्रेष्ट न हैेगा इस कारए कित अपने पिता की खाट पर चढ़ा तब मेरे बिछाने पर चढ़के उसे अपाड़ किया॥ ५। समऊन ओर लावी भाई हैं अंघर के हथियार उन के निवासों में हैं ॥ ६ । हे मेरे प्राण त उन के भेद में मत जा मेरी प्रतिष्ठा त उन की सभा में मत मिल क्योंकि उन्‍्हां ने अपने क्राध से एक मनव्य के! घात किया है ओर अपनी ही इच्छा से नगर की भीत ढठा टिई॥ ७। डन कौ प्रचंडरिस के लिये और उन के क्र काप के लिये घिकार में उन्हें यअकब में अलग करूंगा और इसराएल में छिन्न भिन्न करूगा ॥ ८। यहदाह तर भाई तरी स्तुति करेंगे तेरा हाथ ४6८ पब्ब] की पस्तक । ९०५ तेरे बैरियां के गले पर हेगा तेरे पिता के बंश तेरे आगे दंंडबवत करंगे॥ €। यह्ूदाह सिंह का बच्चा मेरे बटे तू अहेर पर से उठ चला वुह्ट सिंह को हां बड़े सिंह की नाई मकुका ओर बैठा उसे कान छेड़ेगा॥ १९० । यहदाह से राजदंड अलग न होगा और न ब्यवस्थादायक उस के बंश से जायगा जब लो सैला न आवे ओर लेग उस के पास एकट्े होंगे॥ १५९५। उस ने अपना गदहा दाख से ओर अपनी गददही का बच्चा चुने हुए दाख से बांघ के अपने कपड़े दाखरस में और अपना पहिरावा दाख के लाह्ू में घाया ॥ ५२। उस की आंखें टाखरस से लाल ग्यार उस के दांत द्वघ से खत होंगे ॥ १५३। जबलन समट्र के घाट पर निवास करेगा और जहाजों के लिये चाट हेगा और उस का सिवाना सैदा तक ॥ २९४। इशकार बली गदहा ह जो दा बाम्क तले मकूका हे॥ २५५। और उस ने दखा कि विश्राम अच्छा के ओर भमि सदृष्य हे उस ने अपना कांघा बाक्क डठाने के म्ुकाया ओर कर देने का दास हुआ॥ २६। दान इसराएल कौ गाषछ्ठियों में के एक की नाई अपने लोगों का न्याय करेगा॥ ९७। दान मार्ग का सर्प और पथ का नाग हे|गा जो घोड़े की नलियों का ऐसा डसेगा कि उस का चढ़वैया पकछाड़ा जायगा॥ ९५८ । हे परमेश्वर में तरी मक्ति की बाट जेहता हुं॥ २९८। णक सेना जद का जीतंगी परन्त वह अंत का आप जौतंगा॥ २०। यसर को रोटो चिकनी हेगी ओर वह राजीय पदट्ारथ प्राप्त करेगा ॥ २९ | नफताली एक छाड़ा ह्ुआ हरिन हे वह सबचन कहता हे ॥ २२। यसुफ्‌ एक फलमय डाल हुँ वह फलटायक डाल जा सोते के लग हे जिस कौ डालियां भीत पर फैलती कैं॥ २३। घनषधारियों ने उसे निपट सताया ओर मारा ओर उस्म डाह रक्वा॥ २४। ओर उस का घनष बल में ह॒ढ रहा ओर उस के हाथें की भजाओं ने यअकब के सबशक्तिमान के हाथां से बल पाया वहां से गड़रिया इसराएल का चटान हे ॥ २५४ | तेरे पिता का ई्यर तेरों सहाय करेगा ओर सबे सामर्थी जा तु ऊपर से खर्गोींय आशीष ओर नोचे गहिराव के आशोष और स्तनों का ओर काख का आशीष देगा॥ २६। तेरे पिता के ]4 [60 8 के।| १७० जर्त्पात्त [ पू ० पब्बे आशीष मेरे माता पिता के आशीणों से इतने अधिक हैं कि सनातन पन्नतें। के अंत लें बढ़ गये और ये वस॒फ्‌ के सिर पर और उस के सिर के मुकुट पर हांगे जे। अपने भाइयों से अलग था ॥ २७॥ बिनयमौन फड़वैये हुंडार कौ नाई हेागा बविहान का अहेर भलेगा और सांस के! लट बांटेगा ॥ ९८। थे सब इसराएल को बारह गाछी हैं और उन के पिता ने उन्हें यह कहके आशीष ट्या और अपने पआ्राशौष के समान हर एक का बर ट्या॥ २८ । फिर उस ने उन्‍हें आज्ञा किई और कहा कि में अपने लोगों में एकढ़े हे।ने पर हूं मुस्ते अपने पितरों में उस कंट्ला में जे। हित्ती इफरून के खेत में है गाड़ियो॥ ३०। उस कंट्ला में जे! मकफीलः के खेत में ममरी के आगे कनआन देश में हे जिसे अबिरहाम ने समाधि स्थान के अधिकार के लिये खेत समेत इंफरून छित्ती से मोल लिया था॥ ३६ । वहां उन्हें ने अबिरहाम के ओर उस की पत्नी सरः के गाड़ा बहां उन्हों ने इजहाक के और उस की पत्नी रिबकः के गाड़ा और वहां में ने लियाह का गाड़ा ॥ ३२॥। उन्हें! ने वह खेत उस कंटला समेत जा उस में था हिन्त के बटों से मेल लिया॥ ३३। ओर जब यञकब अपने बंटों के आज्ञा कर चुका ता उस ने विछीने पर अपने पांव के समेट लिया और प्राण तव्यागा और अपने लागों में जा मिला ॥ ५० पचासवां पब्बे । *ब यूसफ्‌ अपने पिता के मुंह पर गिर पड़ा और उस पर रोया और उसे चमा ॥ २। तब यसफ ने अपने पिता में सगंध भरने के लिय अपने बैद्य सेवकों का आज्ञा किई ओर वैद्यों ने इसराण्ल में सुगंध भरा॥ ३। ओर उस के लिये चालीस दिन बीत गये क्योंकि जिस में संघ भरा जाता ह्षे उतने दिन बौत्ते हैं और मिखियों ने उस के लिये- सत्तर हिन ले बिलाप किया॥ ४। और जब रोने के हिन उस के लिये बीत गये तो यसफ ने फिरऊन के घराने से कहा कि जा में ने तम्दारी दृष्टि में अनग्रह पाया हे ते फिरऊन के कानों में कह दओ॥ ४॥। कि मेरे पिता मे मकक से किरिया लिई कि ट्ख में ५ ० पब्ब | को पस्तक । ९०७ मरता हू त मरे मेरी समाधि में जो में ने कनआन देश में अपने लिये खादी है गाड़िये। से। मेरे पिता के गाड़ने के मुझ छट्टी रीजिये और मैंफिर आऊंगा॥ ६। फि्रिकन ने कहा कि जा और तुम से किरिया लेने के समान अपने पिता के! गाड़। ७। से यसफ अपने पिता को गाड़ने गया ओर फिरऊन के सारे सेवक ओर उस के घर के प्राचौन जैर मिख टेश के सारे प्राचीन उस के संग गये॥ ८। ओर यस॒फ्‌ का सारा घराना और उस के भाई और उस के पिता का घराना सब उस के संग गये उन्हें ने केवल अपने बालक ओर मांड ओर ठोर जश्न की भमि में छोड़ दिये। €। ओर रथ और घोड़ चढ़े उस के साथ गये और वच एक अति बड़ी मंडली थी ॥ २५ ०। ओर वे अतद के खलिहान पर जे यरदन पार हे आये और वहां उन्हों ने आति बड़े बिलाप से बिलाप किया और उस ने अपने पिता के लिये सात दिन ला शोक किया॥ १५९१। जब देश के बासी कनआनियां ने अतद के खलिह्ान का बिलाप टेखा ते। बोले कि यह मिखियों के लिये बड़ा बिलाप हे से इस लिये उस का नाम मिख्ियां का बिलाप कहलाया ओर बच यरट्न केपार क्षे। ९२। ओर उस की आज्ञा के समान उस के बेटां ने उस से किया॥ २१३। क्योंकि उस के बटे उसे कनआन दृश में ले गये ग्रार उसे उस मकफौलः के खत की कंटला में जिसे अबिरहाम ने सम्रधि स्थान के अधिकार के लिये इफरून हछित्ञी से ममरी के स'म्ने माल लिया था गाड़ा। ९५४। और यसफ आप गैर उस के भाई और सब जो उस के साथ उस के पिता के गाड़ने गये थे उस के पिता का गाड़के मिख्॒ का फिरे ॥ ९५५ । और जव युस॒फ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया ते उन्हों ने कहा क्या जाने यूसुफ हम से बेर करेगा ओर सारी बराई का जा हम ने उस से किई हे निश्चय पलटा लेगा॥ २१६। तब उन्‍्हों ने यसफ को यों कहला भेजा आप के पिता ने मरने से पहिले आज्ञा किई ॥ २९७। कि यसफ से कह्िया कि अपने भाइयों के पाप ओर उन के अपराध क्षमा कर क्योंकि उन्‍्हों ने तमक से बराई किई से। अब अपने पिता के ईशर के द्ासें के एएए क्षमा कीजिये और जब उन्‍हें ने यह श्चद उत्पत्ति कौ पस्तक [५० पब्बे कहा ते यूसुफ्‌ रोबा ॥ १५८। और उस के भाई भी गये ओर उस के आगे गिर पड़े ओर उन्हों ने कहा कि देखिये हम आप के सेवक हों ॥ ९८। यसफ ने उन्‍हें कहा कि मत डरो किक्धा में इंश्वर की संतों छूं॥ २०। पर तम जो हो तम ने मम से बराई करने की इच्छा किई परन्त ईम्वर ने उसे भलाई कर ट्िई कि बहुत से लागां का प्राण बचावे जैसा कि आज क्षे । २९। इस लिये तम मत डरो में तम्हारा और तम्हारे बालकों का प्रतिपाल करूंगा और उस ने उन्हं धीरज टिया और उन से शांति की बातें कहां ॥ २२९। ओर यसफ ओर उस के पिता के घराने ने मिस में निवास किया और यसफ एक से ट्स बरस जौया ॥ २३। गऔर यसफ ने इफरायम की तीसरी पीढ़ी ट्खी ओर मनस्सो के बेट मकौर के भी लड़के यसफ के घठनों पर जनाये गये ॥ २४। और यसफ ने अपने भाइयों से कहा कि में मरता हूं ओर ईयस्वर तम से निच्यय भट करेगा ओर तम्हें इस टेश से बाहर उस दृश में जिस के बिषय में उस ने अबिरहाम ओर इजहाक और यञ्कब से किरिया खाई थी जायगा॥ २५। गआर यसफ ने इसराएल के संतानों से यह किरिया लेके कहा कि ईस्घर निड्यय तम से भेंट करेगा ओर तम मेरो हड्डियों केा यहां से ले जाइये।॥ २६ । से। यूसफ एक से ट्स वरंस का हेके मर गया और उन्हें ने उस में सगंध भरा ओर उसे मिस्र में मंजूषा में रकवा । सन्नी पर पर मय रस न आर 00 क लक रण करी यात्रा को पुस्तक मृसा रचित। पहिला पचत्ब । व इसराएल के संतानों के नाम ये हैहरे एक जे ल्अपने जायज का लेके यअकव के साथ मिस्र में आया॥ २। रूविन समऊन लावी यहृटाह॥ ३। इशकार जुबलन बिनयमीन॥ ४। दान ओर नफताली जद और यसर ॥ ५। ओर समस्त प्राणी जा यअकब की जांघ से उत्पन्न हुए सत्तर थे और यसफ तो मिस्र में था॥ ६। ओर यसफ ओर उस के सारे भाई ओर वह समस्त पीढ़ी मर गई॥ 99। परत इसराएल के संतान फलमान हुए और बहुताई से अधिक हुए और बढ़ गये ओर अत्यंत सामर्थी हुए और ट्श उन से भर गया॥ ८। तब मिख में एक नया राजा उठा जो यसफ का न जानताथा॥ € | और उस ने अपने लागे से कहा कि देखे इसराएल के संतानों के लाग हम से अधिक ओर बलवंत हैं ॥ ५०। आओ हम उन से चतुराई से ब्यवहार कर न हे कि वे बढ़ जायें और ऐसा हे।य कि जब यड्ड पड़े तो वे हमारे बेरियों से मिल जाबें और हम से लड़ें और टेश से निकल जायें॥ ११। इस लिये उन्हों ने उन पर करोड़ां के जैठाया कि उन्‍हें अपने बास्तें से सताव ओर उन्हें ने फिरजन के लिये भंडार नगरों का अथात्‌ पिताम और रामसौस के बनाया ॥ ९२ । परंत ज्यों ज्यों वे उन्‍हें दुख दते थे त्यांत्यां वे बढ़ते गये और बहुत हुए ओर वे इसराएल के संतान के कारण से दुखी थ ॥ ९५३ । ओर इसराण्ल के संतानों से मिस्ियां ने केश से सेवा कराई॥ ९४ ओर उन्‍्हों ने ११० यात्रा [२ पब्बे कठिन सेवा से गारा और ईट का कार्य और खेत की भांति भांति की सेवा कराके उन के जीवन का कड़आ कर डाला उन की सारी सेवा जा वे कराते थे क्केश के साथ थी ॥ २९५ । तब मिस्र के राजा ने इवरानी जनाई दाइयों का जिनमें एक का नाम सिफ्रः और टूसरी कानाम फञअः था यां कहा॥ १६। कि जब इबरानी स्तो तम से जनाई टाई का कार्य करांवें और तम उन्हें आसनों पर ट्ेखे। यदि पत्र हाय तो उसे मार डाला और यदि पत्रौ हेय तो जीने टो॥ २९७। परंतु जनाई द्ाई ईश्र से डरती थीं और जैसा कि मिख्र के राजा ने उन्हें आज्ञा किई थी वैसा न किया परंतु पत्रों को जोता छोड़ ॥ ९८। फिर मिख के राजा ने जनाई दाइयों के। बलवाया गशऔर उन्‍हें कहा कि तम ने ऐसा क्यों किया और पत्रों के क्यां जीता छाोड़ा॥ १५८। जनाई द्ाइयां ने फिरऊन से कहा इस कारण कि इबरानी स्त्री मिख॒ की स्ल्िियां के समान नहाँ क्योंकि वे फर- तोली हें और उस्झे पहिले कि जनाई दवाई उन पास पहुंचे वे जन बैठ- तो हैं॥ २० । इस लिय ईस्यर ने जनाई ट्ाइवथां से सुव्यवहार किया और लोग बढ़ गये और अत्यंत वलवंत हुए॥ २९। और इस कारण कि जनाई दाई ईम्वर से डरती थो यों हुआ कि उस ने उन को बसाया॥ २२। ओर फिरिऊून ने अपने समस्त लागों के। आज्ञा किई कि हरएक पुत्र जो उत्पन्न हे।य तुम उसे नदी में डाल देओ और इहरणएक पुत्री को जीती छोड़े ॥ २ टूसरा पब्बे । ञ्रैः लावी के घराने के एक मनव्य ने जाकर लावी की एक पत्रो यहण किई॥ २। वह स्त्रो गर्भिणी हुई और बेटा जनी ओर उस ने उसे सन्दर टेख के तीन मास लॉ छिपा रक्वा॥ ३। और जब आगे का छिपा न सकी ते। उस ने सरकंडां का एक टकरा बनाया और उस पर लासा ओर राल लगाया और उस बालक के। उस में रक्खा और उस ने डसे नदी के तौर पर स्क्ाऊ में रख दिया॥ ४। और उस की बहिन टूर से खड़ी देखती थी कि उस का क्या हेगा॥ ५। तब फिरजुन की २ पब्बे] कौ पस्तक । ९९९ पत्नौ स्तान करने के नदी पर उतरी ओर उस की सहेलियां नही के तौर पर फिरती थीं ओर उस ने म्म्ाऊ में टाकरा देखकर अपनी सहेली के भेजा कि उसे लावे ॥ ६ । जब उस ने उसे खेला ते! बालक के देखा और टेखे कि बालक रोता हु बुह उस पर दया करके बाली कि यह किसी इबरानियां के बालकें में से हे ॥ ७। तब उस की बहिन ने फिरऊन की पत्री का कहा कि में जाके इबरानी स्क्ियों में से एक टाई तम्क पास लेआऊं जिसत वह तेरे लिये इस बालक के टृध पिलावे॥ ८। फि्रि- ऊन कौ पुत्री ने उसे कहा कि जा वह कन्या गई और बालक की माता के! बुलाया॥ €। फि्रिकन की प॒त्री ने उसे कहा कि इस बालक को ले और मेरे लिये उसे ट्ध पिला ओर में तुमे महिनवारी दूंगी और उस स्री ने उस लड़के के लिया और द्घ पिलाया ॥ ५०। ओर जब बालक ढा वह उसे फ्रिकन की पत्री पास लाई ओर वह उस का पत्र हुआ तब उस ने उस का नाम मसा रबखा इस कारण कि उस ने उसे पानी से निकाला॥ १९९५। और उन दिनों में यों हुआ कि जब मसा सयाना हुआ वह अपने भाइयों पास बाहर गया और उन के बाम्तां के देखा और अपने भाइयें में से एक इबरानी के। टेखा कि मिस्त्री उसे मार रहा है॥ ९२। फिर उस ने इधर उधर दृष्टि किई ओर टेखा कि काई नहीं तब उस ने उस मिख्त्रो के! मार डाला और बाल में उसे छिपा दिया॥ १३। जब वह टूसरे ट्नि बाहर गया तो क्या ट्खता है कि दा इबरानी आपस में कगड़ रहे हों तब उस ने उस अंघरी के कहा कि त अपने परोसी को क्यों मारता ह्ें। २४। उस ने कहा कि किस ने तम्े हम पर अध्यक्ष अथवा न्यायी ठहराया क््यात चाहता हे कि जिस रौति _ सेतू ने मिली के मार डाला म॒स्ते भी मार डाले तब मसा डरा और समम्का कि यह बात खल गईं॥ ९५४। जब फिरजन ने यह बात सनी ते चाहा कि मसा के! मार डाले परन्त मसा फिरऊन के आगे से भाग निकला और मरट्यान के देश में जा रहा और एक कए के निकट बैठ गया॥ ९६। और मट्यान के याजक की सात पत्नी थों वे आई और खौंचने लगीं ओर कठरों के भरा कि अपने बाप के म्ंड के। पानी पिलावें ॥ ९७। तब गड़रियों ने उन्हें हांक दिया परन्त मूसा ने खड़े १९२ यत्रा [३ पब्बे हैाके उन कौ सहाय किई और उन कौ म्कंड के पिलाया॥ ९८। और जब वे अपने पिता रझऊएल पास आई उस ने पक्ता कि आज तम क्योंकर सबेरे फिरों। १८। वे बालों कि एक मिस्त्री ने हमें गड़रियों के हाथ से बचाया और हमारे लिये जितना प्रयोजन था पानी भरा और क्कंड का पिलाया॥ २०। तब उस ने अपनी पत्रियां से कहा कि वह कहां हु उस मनव्य को क्यां छाड़ा उसे बलाओ कि राटो खावे॥ २१५। तब मसा उस जन के घर में रहने पर प्रसन्न हुआ ओर उस ने अपनी बेटी सफूरः मूसा का दिई॥ २२। वह पत्र जनी उस न उस का नाम गैरसम रक्खा क्योंकि उस ने कहा कि मैं परदेश में परट्शी हूं॥ २३। और कितने दिन के पीछ मिस्र का राजा मर गया और इसराएल के बंश सेवा के कारण आह भरने लगे ओर रोये औएरर उन का रोना जो डन की सेवा के कारण से था ईश्वर ला पहुंचा॥ २४। इंच्र ने उन का कहरना सना ओर ईस्थर ने अपनी बाचा के जा अविरहाम ओर इजहाक ओर यअकब के साथ किई थी स्॒वरण किया। २४५। और इंस्वर ने इसराएल के संतान पर दृष्टि किई और उन की दशा का बूस्ता । ३ तीसरा पब्बे । ्'ः मसा अपन ससर यितरू की जा मदियान का याजक था क्कंड का चराता था तब वह मकंड का बन की पहन्नो ओर ले गया और ईय्थर के पहाड़ हेरेब के पास आया॥ २। तब परमेश्वर का हृत एक स्काड़ी के मध्य आग कौ लौर में उस पर प्रगट हुआ ओर उस न दृष्टि किई तो क्या ट्खता हे कि म्ाड़ी आग से जलती हे ओर साड़ी भ्त नहों हेतती ॥ ३। तब मूसा ने कहा कि में अब एक अलंग फिरूंगा और यह महा द्शेन टेखूंगा कि यह क्लाड़ी क्यां नहों जल जाती॥ ४। जब परमेग्वर ने ट्खा कि वह र्खन के। एक अलंग फिरा तो ईसर न स्काड़ी के मध्य में से उसे पकारके कहा कि हे मसा हे मसा तब वह बाला म यहां क्ूुं॥ ४। तव उस ने कहा कि दघर पास मत आ अपने पा से जूता उतार क्योंकि यह स्थान जिस पर तू खड़ा हे पब्ब ] कौ पस्तक | ९५९६ जानना पवित्र भमि क्षे। ६। और उस ने कहा कि में तेरे पिता का ई स्वर अवि रहाम का ईस्घर इजहाक का ईय्घर ओर यअकब का ई ग्वर छू तब मसा ने अपना मंह छिपाया क्यांकि वह ईस्घर पर दृष्टि करने से डरा॥ ७। और परमेम्वर ने कहा कि में ने अपने लागें के कष्ट को जो मिस्र में हें निश्चय देखा और उन का चित्लाना जा करोड़ां के कारण से हे सुना क्योंकि में उन के दुखां के जानता हूं॥ ८। ओर में उतरा हूं कि उन्हं मिख्ियां के हाथ से कछड़ाऊं ओर उस भमि से निकालके अच्षो बड़ी भमि में जहां ट्ृध और मघ बहता है कनआनियें ओर हित्तियों ओर अमरियां ओर फरजियां ओर इहवियों ओर यबरसियां के स्थान में लाऊ॑ ॥ ८ । और अब टेख इसराएल के संतान का चित्लाना मम्कत लॉ आया ओर में ने वह अंधर जा मिस्ती उन पर करते हें दखा २९०। सो अब त आ और में तमक फ्रिजुन पास भ्जंगा ओर त मेरे लाग इसराएल के संतान का मिख से निकाल ला ॥ १५१। तब मसा ने ईस्वर से कहा कि में कान हूं कि फिरझुन पास जाऊं और इसराणल के संतानों का मिसख्व से निकालं॥ १५२। वह बाला निश्यय में तेरे संग छूंगा ओर तस्के भेजने का यह चिक्लः होगा कि जव त डन लागां के मिस्र से निकाले तो तम इस पहाड़ पर ई स्वर की सेवा करोागे॥ ९३। तब मसा ने ईम्थर से कहा कि टेख जब में इसराएल के संतान पास पहुंच और उन्हें कहूं कि तम्हारे पितरों के ईस्घर ने मम्मे तम्हारे पास भेजा क्षे और वे मरसम्के कहेंकि उसका क्या नामहे तो में उन्हें क्या बताऊं॥ ९४। ईस्घर ने मसा के! कहा कि में हूं जा हूं और उस ने कहा कि तू इसराएल के संतान से यों कहिंया कि वह जो हे उस ने मे म्हारे पास भेजा क्ष। २४। फिर इंग्बर ने मसा से कहा कित्‌ इसराएल के सतान से यां कहिये। कि परमेग्चर तम्हारे पितरों के ईंग्वर अविरहाम के ई स्वर इजहाक के ई स्वर और यअकब के ई ग्घर ने मस्ते तम्हारे पास भेजा हे सनातन लॉ मेरा यही नाम हे ओर समस्त पीढ़ियां में यही मेरा सारण क्षे। ९६।जा ओर इसराएलियों के प्राचीनों के एकट्टा कर ओर उन्‍हें कह्द कि परमेम्वर तम्हारे पितरों का ईय्थर ग्रबिरहाम ओर इजहाक और यअकब का ईम्र यां कहता हुआ म ब्फे 5 [4. 8. $.] ११४ यात्रा [४ पब्चे दिखाई दिया किमें ने निश्चय तम्हारी सधि लिई और जे कुछ तम पर मिख में हुआ से टेखा॥ १५७। ओर में ने कहा हे कि में तम्हें मिखियों के दुखां से निकालके कनआनियां ओर हित्तियां और अम्‌रियों जै।र फरजियां और इहवियां ओर यबसियों के टेश में जहां टृ्घ ओर मध बहता है लाऊंगा।॥ ५८। ओर वे तेरा शब्द मानंगे ओर त और इसराए लियों के प्राचौन मिस के राजा पास आग्येगे ओर उसे कहेशे कि परमेश्वर इबरानियां के ईय्यर ने हम से भेंट किई ओर अब हम तेरी बिनती करते हैं कि हमें बन में तौन ट्नि के मार्ग जाने दे जिसतें छुम परमेस्यर अपने ईग्वर के लिये बलिटान करें॥ ९६। ओर मे निश्चय जानता हुं कि मिस्र का राजा तुम्हें जाने न देगा हां बड़े बल से भी नहीं ॥ २०। झर में अपना हाथ बढ़ाऊंगा ओर अपने समस्त आह््ययां से जा में उन के बीच ट्खिऊंगा मिस्तियां के! मारूगा उस के पीछे वह तम्हे जाने टेगा। २९। ओर में उन लागें के मिख्ियां की दृष्टि में अनग्रह टूंगा और थां होगा कि जब तम जाओगे ता छछे न जञागओ्रेगे॥ २२। परन्त हर एक स्त्री अपनी परासिन से ओर उस से जग उस्त के घर में रहती हे रूपे के गहने और सेनने के गहने और बस्तत मांग लेगी ओर तम अपने पत्रों ओर अपनी पत्रियां के पहिनाओगे और मिस्तियां के लटागे । 22. दः ४ चोथा परम । व मसा ने उत्तर दिया और कहा कि ट्ख वे मेरी प्रतीति न करेंगे और मेरा शब्द न मानेंगे क्योंकि वे कहेंगे कि परमेम्धर तक पर प्रगट न हुआ॥ २। तबपरमेग्ार ने उसे कहा कि तरे हाथ में क्या है बुह बाला कि छड़ी॥ ३। फिर उस ने कहा कि उसे भूमि पर डाल द्‌ उस ने भूमि पर डाल दिया और वुचह्ट रुप्पे बन गई और मूसा उस के आगे से भागा॥ ४। तव परमेग्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ बढ़ा और उस कौ पूंछ पकड़ ले तब उस ने हाथ बढ़ाया और उसे पकड़ लिया वुद उस के हाथ में छड़ी हे! गई॥ ५॥ जिसत वे विश्वास कर कि परमेग्वर उन पक शक के पितरों का ईम्र अबिरहाम का ईसख्र इजहाक का ईश्वर और यअकूद ४ पन्ने] कौ पसक्तक । ११ का ईय्यर तस्क पर प्रगट हुआ॥ ६। फिर परमेग्वर ने उसे कहा कि त अपना हाथ अपनी गेट में कर और उस ने अपना हाथ अपनो गेद में या ग्यार जब उस ने उसे निकाला ता टेखा कि उस का हाथ हिम के समान काढ़ी था॥ ७। और उस ने कहा कि अपना हाथ फिर अपनी गाट में कर उस ने फिर अपने हाथ के अपनी गाद में किया ओर अप- नौ गेट से निकाला तो देखा कि जैसी उस कौ सारी टच थी बुच्द वैसा फिर हे। गया। ८। और एसा हेगा कि यदि वे तेरी प्रतीति न करें और पहिले आजश्यथे का नमानेंतावे दूसरे आये के बिश्वासी होंगे॥ €&। और एवा हेगा कि यदि वे दानां अ आ्थे। पर विश्वास न लाइ और तेरे शब्द के श्राता न हां ता त नौ का जल लेके रूखी पर ढालियोा और वह जल जा त नदी से निकालंगा रूखी पर लाह्न हे! ज यगा ॥ २९० । तब मसा ने परमेग्घर से कहा कि हे मेरे प्रभ में सबक्ता नहों न ते आगे से और न जब से कित ने अपने ट्ास से बात चौत किईं परंत में भारी मंह और भारी ज्ञोभ काहूं॥ ५१५॥। तब ई स्वर ने उसे कद्दा कि मनव्य के मंह के किस ने वनाया और कान गंगग अथवा बहिरा अथवा दर्शों अथवा अंघा बनाता ह क्या में परमेखर नह्यों॥ ९२। अब त॑ जा ओर में तेरे मंद के साथ कछूगा ओर जे कछ तस्फे कहन। हैं तम्क सिखाऊंगा॥ १५३। फिर उस ने कहा कि हे परमेश्वर में तरी बनतो करता हूं कि जिसे चाहे त उसे भेज ॥ २४। तब परमेग्पर का क्राघ म॒सा पर भड़का गओ.्यरेर उस ने कहा कि क्या तेरा भाई हारून लावी नहों हें में जानता हूं कि वह सबक्ता क्षे और ट्ख कि वह भी तेरी भेंट के आता है और तम्फे रेखके अपने मन में हषित होगा ॥ ९५४ । ओर त उसे कहेगा और उस के मंह में बात डालेगा ग्रार म तेरे और उस के मंच्द के संग कंगा ओर जा कुछ तम्हें करना हे से। तम्हं सिखाऊंगा ॥ ९६। ओर लेगें पर वुच्द तेरा बक्ता होगा ओर वुह्द तेर मुंह का रूंती होगा ओर तू उस के लिये ईखर के स्थ/न हेगा॥ ९७। ओर यह्द छड़ी जिस्मेत्‌ आख्यय द्िखावेगा अपने हाथ में रखियो। ९८। तब मुसा अपने ससर यितरू के पास फिर आया ओर उसे कहा कि में तेरी बिनती करता हू कि मस्फे कट्टी दे कि मिस्र में अपने भाइयों ९१६ यात्रा [४ पच्चे कनञमासमाे मन ननननननममक-नम मनन ममननन_ कसम ०० तक“ न >> 3-० न---++_++---०--+-_--न नल _+>+ 53 लक पास फिर जाऊं और ट्खं कि वे अब लो जीते हों कि नहों यितरू ने मसा का कहा कि कुशल से जा॥ १८। तब परमेमग्यर ने मदियान में मसा का कहा किमिस्त में फिर जा क्यांकि वे सब जा तरे प्राण के गाहक थे से मर गये॥ २०। तब मूसा ने अपनो पत्नी के और अपने पत्रों का लिया ओर उन्हें गदहे पर बैठाया और मिस्र के टेश में फिर आया ओर मसा ने ईश्वर की छड़ी हाथ में लिई॥ २२१। ओर पर- मेश्वर ने मूसा का कहा कि जब तू मिस्र में फिर जाय ता टेख कि सब आय जो में ने तेरे हाथ में रकवे हैं फिरजुन के आगे ट्खाइये। परंत मैं उस के मन का कठोर करूंगा कि वुच्द उन लागों के जाने न देगा ॥ २२। तब फिरऊन का यों कहिया कि परमेग्यर ने थां कहा है कि इस- राएल मेरा पत्र मेरा पहिलाोठाक्षे।॥ २३। से मं तमे कहता हूं कि मेरे पत्र के जाने दे कि वह मेरी सेवा करे ओर यदि तू उसे रोकेगा तो हेख में तरे पदिले।ठ के मार डालंगा ॥ २४। ओर मागे के णक टिकाव में यों हुआ कि परमेश्वर उसे मिला ओर चाहा कि उसे मार डाले॥ २५ | तब सफरः ने एक चोखा पत्थर उठाया और अपने बेटे की खलड़ी काट डाली ओर उसे उस के पाओंं पर फंका और कहा कि त निशञ्यय मेरे लिये रक्तपातीपति हे॥ २६१ तब उस ने उसे छोड़ दिया और वह बाली कि खतने के कारण त्‌ रक्त- पातौपति हो ॥ २७। ओर परमेश्वर ने हारून के। कहा कि बन में जाके मसा से मिल वह गया और उसे इईम्वर के पहाड़ पर मिला और उसे चमा॥ २८ ओर ईय्यर ने जा उसे भेजा था मसा ने उस की सारी बातें और आइये जी उस ने उसे आज्ञा किई थी हारून से कह सनाये ॥ २८। तब मूसा ओर हारून गये और इसराणएल के सतानों के प्राचौनों के। एकट्ठा किया ॥ ०। और जो सारी बातें परमेम्वर ने मसा के कह्दी थीं हारून ने कहीं और लागों के आगे प्रत्यक्ष आआअ्यये किये॥ ३१। तब लाग बिद्यास लाये ओर सनके कि परमेश्वर ने इसराएल के संतान कौ सचि लिई जऔैर उन के दुख पर दृष्टि किई भकके और टंडबत किई। ४५ पतन] कौ पुस्तक । १७ ५ पांचवां पत्ब । जो उस के पीछ मूसा और हारून ने जाके फ्रिजुन से कद्दा कि परमेम्वर इसराएल का ईस्र यां कच्दता हे कि मेरे लागों का जाने दे कि वे अरण्य में मेरे लिये पबे करें। २। तब फिरिऊन ने कह्दा कि परमेम्घर कान हे कि में उस के शब्द को मानके इसराएल के जाने हूं में परमेख्वर के। नहों जानता और में इसराएल के जाने न दूंगा॥ ३। तब उन्‍्हों ने कहा कि इबरानियां के ईसग्वर ने हम से भंट किई हे हमें छट्टी टौजिय कि हम तोन दिन के पथ अऋरणप्य में जायें और परमेम्थर अपने ईय्थर के लिये बलिदान करं एऐसा न हे कि वह हमें मरो अथवा खड़ से मारे। ४। तब मिस्र के राजा ने उन्‍्हं कहा कि हे मसा ओर हारून तम लागों का उन के कार से क्यां राकते हे। तम अपने बोस्फां का जाओ॥ ५४। जेर फिरजन ने कहा कि टेखोा दृश के लोग अब बहुत हैं ओर तम उन्‍्हं उन के व॑ एम्क्रां से रे।कते हे। ॥ ६ । ओर उसी दिन फ्रिजुन ने लागों के करोड़ों के और अपने अध्यच्तों के! आज्ञा किई॥ ७। कि अब आगे की नाई उन लागों का ईंट बनाने के लिये पआल मत देओ वे जाके अपने लिये पआल बटर ॥ ८। और आगे कौ नाई ईंट डन से लिया करो उस में से कुछ मत घटाओ। वे आलसी हें इसी लिय वे रो रोके कहते हें हमें जाने ट्ओ कि हम अपने ई स्वर के लिये बलिदान चढ़ावं ॥ <। डन मनव्यां का काम बढ़ाया जाय कि वे उस में परिश्रम कर और हछथा बातों की ओर मन न लगावें॥ ९५०। तब लोगों के करोड़े और उन के अध्यक्ष निकले ओर लागों से यां कहा कि फ्रिजुन कह ता ह कि मैं तम्ह पञ्माल न ट्ूंगा ॥ ९९ । सम जाओ गैर जहां मिले तहां से पआल लाओः तथापि तम्हारा कार्य न घट॥ १५२। से लाग मिस्र के सारे टश में छिन्न भिन्न हुए कि पगझ्आमाल की संती खंटी एकट्री करें । १५३। ओर करोड ने शौघता करके कच्दा (क जसा पुआल पाते हुए करते थे बसा अपने प्रतिदिन के कार्य उसी दिन देओआ॥ ९४। ओर इसराएल के संतानों के प्रधान जिन्हें फिरऊन के करोड़ों ने उन पर करोड़े किये थे मारे गये और पछे गये कि अपनी ११ष्र यात्रा [६ पद्बे टकराई हुई सेवा का जे! ईट बनाने की हैं कल और आज आगे की नाई क्यां नहीं परा किया ॥ ५५ | तब इसराएल के संतानों के प्रधान फिर- ऊन के आगे आके चिज्ञाथ ओर कहा कि अपने ट्रासां से एसा ब्यवहार क्यां करता हे ॥ १५६। तर टासें के प आल नहीं मिला है ओर वे हमें कहते हैं किईट बनाओ और देख कि तरे सेवकों ने मार खाई हे परंतु अपराध तेरे लागां का कें॥ ९७। उस ने कहा कि तुम आलसी हे आलसी हे। इस लिये तम कहते हा कि हमें जाने टे कि परमेग्वर के लिये बलिदान करें॥ १५८। से अब तम जाओ काम करा पआल तम के न दिया जायगा तथापि तम गिनती की ईंट द्ोगे॥ १५८। इस कहने से कि तम अपनी प्रतिदिन की ईंटॉ में से न घटाओरे इसराएल के संतान के प्रधानें ने देखा कि उन की दुर्देशश है ॥ २०। ओर वे फिरजुन पास से निकलके मसा ओर हारून के जो मा॥ में खड़ थे मिले॥ २९। और उन्‍हें कहा कि परमेश्वर तम्ह टेखे ओर न्याय करे इस लिये कि तम ने हमें फिरऊन की और उस के सेवकों की दृष्टि में एसा विनांना किया है कि हमार मारने के कारण उन के हाथ में खड़ा दिया ह॥ २२। तब मसा परमेश्वर पास फिर गया और कहा कि हे प्रभत ने उन लागे के क्यां क्रेश में डाला और मस्फे क्यों भजा ॥ २३। इस लिये कि जब से नेरे नाम से में फिरकऊन के कहने आया उस ने उन लागों पर बराई किईं औरत ने अपने लागां के न बचाया ॥ ६ छठवां पब्बे । ब परमेम्यर ने मसा से कहा कि अब त देखेगा में फिरऊुन से क्या ते करूगा क्यांकि वह बलवंत भजा से उन्‍हें जाने ट्गा और बलवंत भजा से उन्‍हें अपने देश से निकालेगा॥ २। ओर इंस्र मसा से कहके बाला कि में परमेग्थर हूं॥ ३। ओर में अवबिरदह्ाम और इजहाक ओर यञअकब का सब शक्तिमान इं खबर करके ट्खाई दिया परंत मेरा नाम यहेावा उन पर प्रगट न हुआ ॥ ४। आर में ने उन के साथ अपना नियम भा बांघा हे कि में उन के कनआन का टंश जा उन के प्रवास का टेश है जिस में वे परटेशी थे ट्रंगा॥ ५। ओर में ने इसराण्ल के संतानों का 6 पश्थे] कौ पस्तक | २२८ कुढ़ना भौ सना क्षे जिन्हें मिख्री बंघआई में रखते हैं और अपने नियम का सारण किया हे ॥ ६। से त इसराएल के संतानों से कह कि में परमेश्वर हूं ओर में तम्हे मिख्ियां के बस्फें के तले से निकालंगा और में तम्हें उन की टासता से छडाऊंगा ओर में अपना हाथ बढ़ाक बड़े बड़े न्याय से तम्हें माक्ध टृंगा॥ ७। ओर तम्हें अपने लोग बनाऊंगा ओर में तम्हारा ईम्घर झूंगा और तम जानेगे कि में परमेम्थधर तम्हारा ई स्वर हूं जा तम्ह मिखियों के बाम्तां के तले से निकालता छूं॥ ८। ओर में तम्ह उस दृश में लाऊंगा जिस के बिषय में म ने हाथ उठाया हे कि डसे अबिरहाम ओर इजचहाक ओर यअ्क्‌ब को टूं और में उसे तम्हारा अधि- कार करूंगा परमेश्वर में हू ॥ < । मसा ने इसराएल के संतानें के यांच्चों कहा परत उन्‍्हों ने मन के क्रेश के मारे ओर परिश्रम के कष्ट से मसा की न सुनी॥ ९०। फिर परमेश्वर ने मूसा के कहा ॥ ९१। जा ओर मिस्त के राजा फ्रिकुन से कह कि इसराएल के संतानें का अपने ट्श से ज, ने ढे॥ ९२। तब मुसा ने परमेश्वर के आगे कहा कि देख इसराएल के संतानों ने ता मेरी बात नहीं मानी हे ता में जा हेंठ का अखतनः हूं फिरजन मेरी क्यांकर सनेगा॥ ५३। तब परमेम्पर ने मसा ओर हारून के कहा ओर उन्‍हें इसराएल के संतान और मिख के राजा फिरऊन के विषय में आज्ञा किई कि इसराएल के संतान के मिस्त्र के टेश से बाहर लेजावें॥ १४। उन के पितरों के घराने के प्रधान थे थे इसराणल के पहिलेाटे रूबिन के पत्र हनख और पल्ष ओर हजरून और करमी थ ये रूबिन के घराने॥ १५। शमऊन के पत्र जमएल ओर यामत और ओहाद ओर जाखीन और जाहर और शावल कनआनी सती का पत्र ये शमऊन के घराने॥ १५६। ओर लावी के पत्रां के नाम उन के पौढ़ियां के समान ये जीरशन ओर कुहास ओर मरारी ओहर लावी के जीवन के बरस एक सो सेंतीस थे। १५७। जोरशन के पत्र उन के घराने के समान लबनी ओर शमई थे॥ २५८। कहास के पत्र अमराम और इजहार ओऔर हिबरून और अजीएल ग्रार कहास के जीवन के बरस एक से तेंतीस थ॥ १५८। झओ और मरारीोके पत्र महलो और मशो उन की पीोढ़ोयों के समान लावी के घराने ये थे। २०। अमराम ने अपने १२० यात्रा [७ पब्बे पिता कौ बहिन यकौवट से ब्याह किया वह उस के लिये ह्ारून ओर मसा के! जनी अमराम के जौवन के बरस एक सा संतोस थे ॥ २९ । इजहार के पत्र करह ओर नाफग ओर जखरीथे॥ २२। अजिएल के पत्र मौसाएल ओर इलजाफान और सथरी॥ २३। ग्ार हारून ने नखशन की बहिन अमीनादाब की पत्री अलोशबा को पत्नी किया उस्म नाटाब और अबीहू ग्रार इलिअजर और एतामार उत्पन्न हुए॥ २४। क्रह के पुत्र असौर आर इलकाना और अवियासाफ ये करोहक्ू के घराने थे। २५। हारून के पत्र इलिअजर ने पतिएल की पत्नियां में से पत्नी किई उस्स फीनोहाज उत्पन्न हुआ लावियों के बाप टाहों के घरानों में ये प्रधान थे। २६। ये वे हारून और मसा हैं जिन्हें परमेश्वर ने कहा कि इसराएल के संतानों के उन की सेना की रीति मिख के देशसे निकाल लाओ॥ २७। य वे हें जिन्‍्हां ने मिस्र के राजा फ्रिऊन से इसराएल के संतानों के मिस्त से निकाल ले जाने का कहा थे वे हो मूसा ओर हारून हें ॥ र२८। और जिस दिन परमेश्वर ने मूसा को कहा॥ २८। किमें परमेश्वर हूं सब जा में तस्से कहता हूं मिख के राजा फिरऊन से कह ॥ 8३०। मसा ने परमेम्वर से कहा कि टेख में हांठ का अखतनः हुं फिरिऊन मेरो क्यांकर सुनेगा ॥ ७ सातवां पब्बे । | हि परमेश्वर ने मूसा से कहा कि देख में ने तुम्मे फिरजन के लिये ई ख्वर नाया ओर तेरा भाई हारून तेरा आगमज्ञानी हेगा॥ २ । सब कुछ ओ में तमके आज्ञा करूंगा अपने भाई हारून से कहियो ओर वह फिरऊन से कहेगा कि इसराएल के सतानों का मिस्र के टेश से जाने दे ॥ ९। और मैं फ्रिजुन के मन के! कठार करूंगा और अपने लक्षण और आ्युये का मिस के दश में अधिक करूंगा॥ ४। परंत फिरऊून तम्हारी न सनेगा जिसते में अपना हाथ मिस्र पर धरू आर अपनों सेनाओं के। जा मेरे लोग इसराएल के संतान हें बड़ न्याय दिखाके दृश से मिस के निकाल लाजं ॥ ५। और जब में मिस पर हाथ चलाजंगा पब्बे ] की पस्तक । १३३३४ और इसराएल के संतानों के उन में से निकालंगा तब मिसो जानेंगे कि में परमेश्वर ह्ु॥ ६। जैसा परमेगर ने उन्हें कहा मसा ओर हारून ने वेसाही किया॥ ७। ओर जिस समय में उन ट्ानां ने फिरजन से बात चौत किई मूसा अस्सी बरस का ओर हारून तिरासी बरस का था । ८। ओर परमेशखर ने मसा ओर हारून से कहा॥ ४। कि जब फिरिऊन तम्हें कहे कि अपने लिये आश््यये टिखाओ। ता हारून का कहिये। कि अपनो छड़ी ले और फिरऊन के आगे डाल दे वह एक सप्प बन जायगी ॥ १५०। तब मसा ओर हारून फिरकन कने गये ओर जसा परमेग्धर ने उन्हें आज्ञा किईं थी उन्हों ने बसा हौ किया हारून ने अपनी छड़ी फ्रिऊुन के और उस के सेवकों के आगे डाल टिईं और वह सप्पे हो गई॥ ९५१५। तब फि्रिकन ने भी पण्डितां और टान्हां के बलवाया सो मिस्र के टान्‍्हां ने भी टाना से ऐसा ही किया॥ २२। क्योंकि उन में से हर एक ने अपनी अपनी छड़ी डाल दिई ओर वे सप्प है| गई परंत हारून की छड़ो उन की छड़ियां का निंगल गई ॥ २९३। और फिरजन का मन कठोर रहा जैसा परमेग्यर ने कहा था उस ने उन की नसनी॥ १५४। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि फि ऊन का अंतः करण कठार है वह उन लागों का जाने नहों टता॥ १५४। अब त बिहान फ्रिजन के पास जा ट्ख कि वह जल की ओर जाता हु त नदो के तट पर जिघर से व॒ुह्र आवे उस के सन्मुख खड़ा ह्व॒जिया और वह छड़ी जो सर्प हुई थी अपने हाथ में लीजिये।॥ १५६। ओर उसे कांहये। क परमेम्थर इबरानियों के ईसर ने मुस्के तेरे पास भेजा हे और कहा हे कि मेरे लागां का जाने टे जिसते वे अरण्य में मेरी सेवा कर और ट्ख कि तू नेअब लांन सना ॥ १७। परमेश्वर ने थां आज्ञा किई कि इससे त जानेगा कि में परमेश्वर हूं ट्ख कि में यह छड़ी जा मेर हाथ में हे नदी के पानियां पर मारूगा और वे लाह्न हे जावग॥ २९८। और मछलियां जो नदी में हैं मर जायगी ओर नदी बसाने लगेगी ओःर मिख के लेग नदी का पानों पीने के विन करग॥ २१८। फिर परमेश्वर ने मसा से कहा कि हारून से कह कि अपनी छड़ो ले आर अपना हाथ मिस्ध के पानियां पर और उन की घारों और उन की नदियां और उन के कुण्ड ]6 [30.80 8] ९२२ यात्रा [८ पब्खे और उन के सब पानियों पर चला कि वे लाकह्न बन जायें ओर मिस्ध के सारे टृश में हर एक पत्थर और काठ के पात्र में लेह् हे। जाय॥ २०। जैसा कि परमेश्वर ने आज्ञा किई थी मसा ओर हारून ने वैसाह्दी किया मसा ने छड़ी उठाई और नदी के पानी पर फिरऊन के और उस के सेवकों के सामने मारी और नदी के सब पानी लाह्न हे! गये ॥ २९ | ओऔआर नदी की मछलियां मर गई' औरर नदी बसाने लगी ओर मिख के लोग नटी का पानी पीन सके ओर मिख के सारे देश में लाह् हुआ॥ २२। तब गमिख के टान्‍न्हों ने भी अपने टाना से ऐसाही किया ओर फि्रिजून का मन कठार रहा और जैसा कि परमेग्र ने कहा था वैसा उस ने उन की न सुनी ॥ २३ । फ्रिजऊन फिरा और अपने चर के गया और उस ने अपना मन इस बात पर भी न लगाया॥ २४। गर सारे मिखियां ने नदी के आस पास खाद कि उन से पानो पीव क्यांकि वे नदी का पानी पी नसके॥ २५। ओर परमेश्वर के नदी के मारने से पीछ सात दिन बीत गये ॥ छक़तू ८ आठवां पब्बे । 5 परमेम्शर ने मसा से कहा कि फिरऊजन पास जा और उसे यह कह कि परमेग्वर या कहता ह कि मेरे लागां का जाने ट्‌ जिसत वे मेरो सेवा करें॥। २। ओर यदि त उन्हें जानेन दगातो ट्ख में तेरे समस्त सिवानों के। मेंडकेां से मारूगा॥ ३। ओर नदी बहुताई से मेंड़कों के उत्पन्न करेगी और वे निकलके तेरे घर में ओर तेरे शयन स्थान में और तेरे बिछानें पर ओर तेरे सेवकों के घरों में और तरी प्रजा पर और तेरी भट्टियों में और तेरे आटे गंधने के कटरों में जायेंगे ॥ ४। और मेंडक तम्क पर और तेरी प्रजा पर और तेरे समस्त सेवकों पर चढेंगे॥ ५। ओर परमेग्यर ने मसा से कहा कि हारून से कह कि छड़ो से अपना हाथ धारों पर और नदियां पर और कुण्डां पर बढ़ा और मेंडकां का मिस्र के टेश पर चढ़ा॥ ६। तब हारून ने मिस्र के पानियां पर हाथ बढ़ाया और मेंड़कां ने निकलके मिस्र के देश के! ढठांप लिया॥ ७। और टोन्‍्हां ने भी अपने टोना से ऐसाही किया ओर मिस्र के हश पर मेंडक चढ़ाये। ८। तब फ्रिजन ने मुसा और हारून का प्र पब्बे ] की पस्तक । १२३ बलाया और कहा कि परमेग्वर से बिनती करो कि मेंड़कां का मम्क से ओर मेरी प्रजा से टूर करे और में उन लागे के! जाने टेऊंगा कि वे परमेग्वर के लिये बलिदान चढ़ावें॥ ६<। और मसा ने फ्रिजन को कहा कि तम्मे मस्त पर यह महत्व हे में तेरे और तरे संवकां के और तेरी प्रजा के लिये प्राथना करूं कि मेंडक तक से और तरे घरों से हर किये जावें और नटीही में रहें ॥ ९ ० । बह बाला कि कल तब उस ने कहा कि तेरे बचन के अनसार जिसतें त जाने कि परमेश्वर हमारे ईग्घर के लल्य काई नहीं ॥ २९। और मेंडक तम्क से और तेरे घरों से और तरे दासे और तेरी प्रजा से जाते रहेंगे वे केवल नटी में रहेंगे। ९२।फिर मसा ओर हारून फ्रिजन पास से निकल गये ओर मसा ने परमेग्पर के आगे मेंडकां के लिये जा उस ने फ्रिकऊकन के कारण भेज थे प्राथेना किई॥ १३। और परमेश्वर ने मसा की प्रार्थना के अनसार किया और मेंडक घरों ओर गांगां और खेतों में से मर गये॥ १५४। ओर इडन्‍्हों ने उन्हें जहां तहां एकट्टे कर कर ढेर कर दिये ओर देश बसाने लगा॥ २९५ । परंत जब फि्रिऊन ने ट्खा कि सावकाश मिला तो उस ने अपना मन कठेार किया ओर जैसा परमेश्वर ने कहा था वैसा उन की न सनी॥ ९६। तब परमेग्यर ने मसा से कहा कि हारून से कह कि अपनो छड़ी बढ़ा और टेश की घल पर मार जिसतें वह मिख॒ के समस्त देश में जई बन जायं॥ २१५७। उन्‍्हों ने वसा हो किया क्यांकि हारून ने अपना हाथ छड़ी के साथ बढ़ाया और एथिवी की घल को मारा ओर वहीं मनय्य पर और पश पर जई बन गई समस्त घल मिस्र के सार देश में जुई बन गई। ९१८। ओर टान्हां ने भी चाहा कि अपने टोनों से जुई निकालें पर निकाल न सके से मनव्य पर और पश पर जई थौं॥ २७। तब टान्‍्हों ने फ्रिजन से कहा कि यह इंग्यर की अंगली हे और फिरऊन का मन कठार रहा ग्रार जैसा परमेम्वर ने कहा था उस ने उन की न सनी ॥ २०। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि बिह्ान का उठ गजजर फिरजुन के आगे खड़ा हे। टेख वह जल पर आता क्तेत उसे कह कि परमेग्वर यां कहता है कि भेरे लागां का जाने दे किवे मेरी सेवा करं। २९ । नहीं ता यदि तू मेरे लाग का जाने न देगा ते १५२४ यात्रा [८ पच्चे देख मेंग्त् परऔर तेरे सेवकों पर और तेरी प्रजा पर ओर तेरे घरों में संड के मंंड मच्छड भेज॑गा ओर मिखियों के घर में ओर समस्त अमि में जहा जहां वे हें उन मंडां से _तरू जाबेंग २ २ जाए स्‍नें उस टन जश्न कौ भमि के जिस में मेरे लेग बास करते हैं अलग करूंगा कि मच्छडॉं के मकंड वहां न होंगे जिसतें त जाने कि प्रथिवी के मध्य में परमेश्वर में क॥ २३। ओर में तेरे लाग में और अपने लाग में विभाग करूंगा ओआर यह आश्यथ कल हेगा॥ २४। तब परमेग्र ने यांदीं किया और फ्रिज॒न के घर में ओर उस के सेवकों के घरों में और मिस्र के समस्त दृश में मच्छड़ां के म्ंड आये ओर मच्छड़ों के मारे टेश नाश हुआ। २५ । तब फ्रिजन ने मसा ओर हारून का बलाया और कहा कि जाओ ओर अपने ईसर के लिये टेश में वलि चढ़ाओ॥ २६। मसा ने कहा कि यों करना उचित नहों क्यांकि हम परमेश्वर अपने ईय्पर के लिय वुह बलि चढ़ावेंगे जिस से मिस्ती दिन रखते हों क्या हम मिखियों के घिन का बलि उन की दृष्टि के आग चढ़ाव क्या वे हमें पत्थरवाह न करेंगे॥ २७। से हम बन में तीन टन के पथ में जायेंगे और परमेश्वर अपने ईयर के लिये जैसा वुच्द हमें आज्ञा करेगा वलिदान करेंगे॥ २८। फिरऊन बाला कि में तुम्ह जाने टृगा जिसतें तुम परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये बन में बलि चढ़ाओ केवल बहुत टूर मत जाये मेरे लिये बिनती करे।॥ २८ । मसा बेला ट्ख में तेरे पास से बाहर जाता हूं और में परमेगश्वर के आगे बिनती करूंगा कि मच्छड़ों के फंड फिरिजन से आर उस के सेवकों से और उस कौ प्रजा से कल जाते रहें परन्त एसा न हो कि फिरकऊन फिर छल करके लागां का परमेश्वर के लिये बलि चढ़ाने का जाने न ट्वे॥। ३०। तब मूसा फि्रिऊन पास से बाहर गया ओर परमेश्वर से बिनती किई॥ ३९। परमेश्वर ने मूसा की विनती के समान किया ओर उस ने मच्छड़ों के भांडां का फ्रिजन से ओर उस के सेवकों से और उस की प्रजा पर से टूर किया और एक भी न रहा॥ ३२। फि्रिजन ने उस बार भी अपना मन कठार किया ओर डन लोग के जाने न दिया। 6 पब्बे] की पुस्तक । ९२५ € नवां पब्बे । ब परमेगख्र ने मसा के कहा कि फिरकन प्स जा और उसे कह कि परमेमग्घर इबरानियां का इ श्र यां कहता ह कि मेर लागों का जाने दे जिपते वे मेरी सेव करं ॥ २। क्यांकि यदि तू जाने न देगा और अब की भी उनन्‍्ह राकेगा ॥ ३ | ता टेख परमेग्यर का हाथ तेरे खेत के पशन पर घाड़ां पर गटहें पर ऊंट पर बेला पर ओर भड़ों पर अत्यंत मरी पड़गी ॥ ४। और परमेग्वर इसराएल के और मिस्रियां के पशन में बिभाग करेगा ओर उन में से जा इसराएल के सतानों के हैं काई न मरेगा॥ ५। ओर परमेग्वर ने एक समय ठहराया ओर कहा कि पर- मेश्वर यह कारये देश में कल करेगा॥ ६। और टूसरे दिन परमेग्वर ने वेसाही किया ओर मिस्त के समस्त पशु मर गये परंतु इसराएल के संतानों के पशन में से एक भी न मरा॥ ७। तब फिरजन ने भेजा ता क्या रखता क्ञे कि इसराएलियोां के पशन में से एक न मरा आर फ्रिजन का मन कठार रहा और उस ने लागां के जाने न रिया॥ ८। ओर परमेश्वर ने मसा और ह/।रून से कहर कि भट्टी में से मद्ठी भर भर के राख ला ओर मसा उसे फिरिऊजन के साम्ने आकाश कौ ओआर उड़ा ९॥ «<«। और वह मिस्त की समस्त भमि में रूक्ष्मधल हे। जायगी ओर मिस्र के समस्त ट्श में मनव्यां पर और पशन पर फाड़े आर फफोले फट निकलगे॥ १५०। ओर उन्‍्हों ने भट्टी की राख लिई और फि्रिऊन के आगे खड़े हुए ओर मसा ने उसे खगे की ग्यार उड़ाया ओर तरंत मनव्यां पर ओर पशन पर फाड़े ओर फफाले फट निकले॥ २९। और फाड़ां के मारे टान्ह मसा के आगे खड़े न रह सके क्योंकि टन्‍हों पर ओर सारे मिस््रियथां पर फाड़ थे। २२। और परमेगर ने फिरझऊून के मन के कठार कर दिया ओर जैसा कि परमेग्र ने मुसा से कहा था बैसा उस ने डन की बातन मानी॥ १५३। फिर परमेग्वर ने मसा से कहा कि कल तड़के उठ ओर फिरऊन के आगे खड़ा हे! ओर उसे कह कि परमेग्वर इबरानियों का ईस्वर थां कहता ह्े कि मेरे लागों का जाने दे कि वे मेरी सेवा करं॥ १५४। इस लिये कि में अब को अपनी २२६ यात्रा [6 पब्बे सारौ विपत्ति तेरे मन पर ओर तेरं सेवकों पर और तेरो प्रजा पर डालंगा कि त जाने कि समस्त एथिवी पर मेरे तल्य काई नहोँ॥ ९५ । क्यांकि अब में अपना हाथ बढ़ाऊंगा जिसतें में तम्से ओर तेरी प्रजा के मरी से मारू और त्‌ एथिवी पर से नष्ट हे जायगा॥ ९६। और निआ्यय मैं ने तुमे इस लिये उठाया है कि अपना पराक्रम तुम्कत पर ट्खाजं और अपना नाम सारे संसार में प्रगट करू॥ ९७। अब जे त मेरे लोगों पर अहंकार करता जाता है ओर उन्हें जाने नहों हेता॥ ९८। टेख में कल इसी समय में एसे बड़े बड़े आले बरसाऊंगा जो मिस्र में उस के आरंभ से अबलां न पड़े थे॥ १५९। से अभी भेज और अपने पश और जो कुछ कि खेत में तेरा क्षे सभां का एकट्टू कर क्योंकि हर एक मनव्य पर और पश पर जे खेत में हेगा ओर घर में लाया न जायगा जले पड़ेंगे और वे मर जायेंगे॥ २०। जा परमेगर के बचन से डरता था फिरऊन के सेवकों में से हर एक ने अपने सेवकों के और अपने पशन के घर में भगाया॥ २९। ओर जिस ने परमेश्वर के बचन के! न माना अपने सेवकों ओर अपने पशन के खेत में रहने ट्िया॥ २२। और परमेश्वर ने मूसा के कहा कि अपना हाथ खगे कौ ओर बढा जिसतें मिस्त्र के सारे देश में मनव्य पर और पश पर ओऔर खेत के हर एक साग पात पर जो मिस्र की भमि में क्षे ओआले पड़े ॥ २३। और मसा ने अपनी छड़ी खगे की ओर बढ़ाई और परमेश्वर ने गज्ीन और ओजले भेजे ओर आग भूमि पर चलती थी और ईंयग्थर ने मिस की भूमि पर ओले बरसाये॥ २४। से मिस्र कौ भूमि पर ओले थे और ओएले से आग अति कष्टित मिली हुई थी यहां ला कि मिख के समस्त टश में जब से कि वह देशो हुआ था एसा न पड़ा था॥ २५। और ओलों नेमिसत्र के समस्त टेश में क्या मनव्य के और क्या पश सब के! जे खेत में थे मारा और ओरलों से खेत के सब साग पात मारे गये और खेत के सारे छ॒च्त टूट गये॥ २६। केवल जश्न की भूमि में जहां इस राएल के संतान थे ओले न पड़े॥ २७। तब फिरजन ने भेजा और मसा ओर हारून के बलवाया और उन्‍हें कहा कि में ने इस वार अपराध किया परमेम्वर न्यायो हे में और मेरी प्रजा दुष्ट हैं॥ रु८। ० पब्बे ] की पस्तक ॥ २९२७ परमेश्वर से बिनती करो कि अब आगे को परमेश्वर का शब्द ओपर ओला नहे आर में तुम्ह जाने टूंगा फिर आगे न रहेगे॥ २८। तब मूसा ने उसे कहा कि मे नगर से बाहर निकलते हुए परमेग्यर के आगे अपने हाथ डटाऊंगा ओर गज्जेना थम जायेगी गर गले भी न बरसंग जिसतें त्‌ जाने कि एथिवो परमेग्वर हो की ह ॥ ३०। परत में जानता हूं कि और तेरे सेवक अब भी परमेग्र इंश्वर से न डरग॥ ३५ । से ओलोे से सन ओर जव मारे पड़े क्यांकि जव की बालें आ चकी थीं ओर सन बढ़ चका था॥ ३२। पर गेहूं ओर जोंघरी मारे न पड़े क्यांकि वे बढ़ेन थे। ३३। ओर मूसा ने फ्रिजुन पास से नगर के बाहर जाके. परमेग्वर के आगे हाथ फेलाये और गज्जेना ओर जले थम गये और भूमि परढृष्टि थम गई॥ ३४ । जब फिरिकन ने देखा कि मेंह ओर ओले ओर गज्जेना थम गया तो फेर दुष्टता किई ओर उस ने और उस के सेवकों ने अपना मन कठार किया॥ ३५। ओर जैसा कि परमेग्वर ने मूसा की ओर से कहा था वैसा फ्रिजुन का अंतःकरण कठार रहा और उस ने इसराएल के संतानों के जाने न दिया॥ ९० ट्सवां पब्बें । कि परमेश्वर ने मूसा से कहा कि फ्रिकुन पास जा क्योंकि में ने उस के अंतःकरण का ओर उस के सेवकों के अंतःकरण के! कठोर कर दिया क्र जिसतें में अपने ये लक्षण उन के आगे प्रगट करू॥ २। ०-0" कप 5 जप ५ अत लक 7 और जिसतें तू अपने पुत्र और पोजों का मेरे लक्षण और जो जो मैं ने मिस्र में किया बर्ण न कर सुनावे जिसतें तुम जाने कि पर मेम्थर में ही हूं ॥ ३। से। मूसा ओर हारून ने फिरिजन पास आके उसे कहा कि परमेग्थर इबरानियें का ईस्र यों कहता है कि कब लें तू मेरे आगे आप के नम्न करने से अलग रहेगा मेरे लागों का जाने ट्‌ कि वे मेरी सेवा करें “5 ७ 2, 2090+ 00७७७. ७०५६. ५ 53. ७ नम न] ४ । क्यांकि यदि त मेरे लागां के जाने से नाह करेगा ता देख कल में तेरे सिवानों में टिड्डी भेजंगा॥ ५। ओर वे एथिवी के ढांप लेंगी कि काई एथिवी का देख न सकेगा ओर वे उस बचे हुए का जो ओलों से तरे लिये बच रहे हें खा जायेंगी और हर एक ढचछ्ष के जो तुम्हारे लिये खेत ४ यात्रा [६० पब्बे में उगता क्ञे चट करंगी॥ &। ओर वेतेरे घर में और तेरे सेवकां के घर में ओर सारेमिखियां के घर में भर जायेंगी जिन्हें तेरे पितरों ने और तर पितरों के पितरों ने जिस दिन से कि वे एथिवी पर आये आज ला नहीं ट्खा तब वह फिरा और फि्रिऊन पास से निकल गया । ७। फि्रिफऊन के सेवकों ने उसे कहा कि यह परुष कबलों हमारे लिये फंटा होगा उन लागां का जाने ट्‌ जिसते वे परमेग्वर अपने ई स्वर की सेवा करें अबताई त नहीं जानता कि मिस्र नष्ट हुआ॥ प८। तव मसा और हारून फिरऊन पास फिर पहुंचाये गये ओर उस ने उन्हें कह्य कि जाओ परमेश्वर अपने ईम्वर की सेवा करा परंत वे क्कैौन से लाग हैं जा। जाये गे ॥ <€। मसा बाला कि हम अपने तरुणां ओर अपने छउद्ठ आर अपने पत्रां और अपनी परत्रियां और अपने कंडां और अपने बलों समेंत जाय गे क्योंकि हमें आवश्यक हे कि अपने इंगश्वर का पबे मानें ॥ १५०। तब उस ने उन्‍हें कहा कि परमेञअर यां हीं तम्हारे संग रहे जो मैं तम्हें और तम्हारे बालकों को जाने दूं तम जाने क्यांकि बराई तन्हारे आगह्े॥ ९९। एऐसा नह्तों अब परुषणण जाओ ओर परमेश्वर की सेवा करो क्योंकि तुम ने यही चाहा से! वे फ्रिजन के आगे से निकाले गये। ९२। तब परमेख्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ टिड्टी के लिये मिस कौ भूमि पर वढ़ा जिसत वे मिख के देश पर आंव ओर देश के हर- एक साग पात जो ओजले से बच रहा हे खा लेवं ॥ १५३। से मूसा ने मिस के टेश पर अपनी छड़ी बढ़ाई ओर परमेश्वर ने उस स'रे टन और सारी रात परबी पवन चलाई ओर जब बिह्न हुआ तो वुच्द परबौ पवन टिड्टी लाई॥ १५४। ओर टिड्डी मिस्र के सारे टेश पर आईं और मिस्र के समस्त सिवाने पर उतरों वे आति थीं कि उन के आग णएसौ टिट्ढौ न आई थोंन उन के पीछ फिर आवेंगी॥ १५५। क्यांकि उन्हां ने समस्त एथिवी के। छा लिया यहां ला कि देश अखधियारा हे। आया ओर उन्हे ने हेश की हर एक हरियाली का और हउक्तां के फलां के जा ओले से बच गये थे चाट लिया ओर मिस्र के समस्त ट्श में किसी छुछ पर अथवा खेत के साग पात में हरियाली न बची ॥ २९५६। तब फिरऊन ने मसा ओर हारून के बेग बलाया कि में परमेश्वर तम्हारे ईश्वर का और तम्हारा ९० पन्बे ] कौ पस्तक । रद अपराधी हूं॥ १५७। सोअब में तम्हारी बिनती करता हू केवल इस बार मेरा अपराघ क्षमा करो ओर परमेग्वर अपने ईश्वर से बिनती करो कि केवल इसीौ मरी को मस्त से टूर करे॥ १५८। से। वह फि्रिजन के पास से निकल गया और परमेशख्र से बिनती किई॥ १५«७। और पर- मेश्वर ने बड़ी पऋवां भेजो जा टिड्डो के ले गई और उन्‍हें लाल समद्र में डाल दिया और मिस्र के समस्त सिवानों में एक टिड्वीन रहौ॥ २० परंतु परमेश्वर ने फ्रिजुन के मन का कठार कर टिया ओर उस ने इसराएल के संतान के जाने न दिया॥ २९। फिर परमेग्रर ने मसा से कहा कि अपना हाथ खगे की ओर बढ़ा जिसतें मिस्र के देश पर अंधकार छा जाय ऐसा अंधकार जा टटाला जावे॥ २२। तब मसा ने अपना हाथ खगे की ग्यार बढ़ाया और तौन टन लें सारे मिख के टश में गाढ़ा अंधियारा रहा ॥ २३। उन्‍्हों ने एक ट्ूसरे को न देखा काई तौन दिन भर के अपने स्थान से न उठा परत सारे इसराएल के संतान के निवासों में लंजियाला था॥ २४। तब फि्रिजन ने मसा के बलाया और कहा कि जाओ परमेश्वर की सेवा करो केवल तम्हारे मंड ओर तम्हारे बैल यहों रहें तम्हारे बालक भी तम्हारे संग जायें॥ २५। मसा ने कहा कि तुमे अवश्यक हे कि हमें बलिदान ओर हेम की भट ट्वे जिसतें हम परमेश्वर अपने ई म्थर के आग बलि चढ़ांवें ॥ २६। हमारे पश भी हमा रे संग जायंगे एक ख र छड़ा न जायगा क्योंकि हमें अवश्यक है कि उन में से परमेगश्वर अपने ईश्वर की सेवा के लिये लेव और जब ला उधर न जाव॑ हम नहों जानते कि कैनसौ बस्तन से परमेग्वर की सेवा करं॥ २७। परंत परमेग्थर ने फ्रिकन के अंतःकरण का कार कर “ दिया ओर उस ने उन्हें जाने न दिया॥ २८। और फिरजन ने डसे कहा कि मेरे आगे से टूर हे। आप के। चेकस रख और फर मेरा मंद मत दख क्यां।क् जिस दिन मेरा मह टेखेगा लत मर जायगा॥ २<५। तब मूसा ने कहा कि तू ने अच्छा कहा में फिर तेरा मुद्द न देखंगा ॥ ]7 ४ ह: 8] १३० यात्रा [९९ पते २९१९ ग्यारहवां पब्बे । जे परमेग्वर ने मसा से कहा कि में फिरजन पर और मिखियों पर एक मरी और लाऊंगा उस के पीछ वह तम्ह यहां से जाने देगा और जब वुच्द तुम्हें जाने दे तो निशे्यय तन्हें सब्बेथा घकिआवेगा॥ २। से अब लागोां के कानों कान कह कि हर एक पुरुष अपने परोसी से और हर एक सती अपनी परासिन से रुपे के और सेने के गहने मांग लवे॥ ३। और परमेश्वर ने उन लागां के मिखियों कौ दृष्टि में प्रतिष्ठा दिई ओर मूसा भी मिख की भूमि में फ्रिजन के सेवकों की ओर लोगों कौ दृष्टि में महान था॥ ४। ओर मूसा ने कहा कि परभेग्वर थां कहता हे कि में आधी रात के निकल के मिस्र के बीचोां- बीच जाऊंगा ॥ ५। और मिस्र के दश में सारे पहिलेंठ फ्रिजुन के पहिलोंटठ से लेके जे। सिंहासन पर बेटा क्षे उस सहेली के पहिलोठ लो जा चक्की के पीछे है ओर सारे पश के पहिलेंठे मर जायेंगे॥ ६। और मिख के समस्त देश में ऐसा बड़ा रोना पीटना होगा जैसा कि कभी न हुआ था न कभौ फिर हेागा॥ ७। परन्तु सारे इसराएल के संतान पर एक ककर भी अपनो जीभ न हिलावेगा न तो मनय्य पर और न पश पर जिसतें तम जाने कि परमेग्वर क््यांकर मिस्ियों में ओर इसराएलियां में बिभाग करता क्ष। ८। ओर यह तरे समस्त सेवक मस्क पास आवंग और म्फ प्रणाम करके कहगे कि त निकल जा और सब लाग जो तेरे पच्माक्नामी हैं जावं और उस के पीछ में निकल जाऊगा फिर वह फिरऊन के पास से निपट रिसियाके निकल गया। €। और परमेशर ने मसासे कहा कि जिसत मेरे आआ््यर्य मिस्र के हेश में बढ़ जाये फिरजन तम्हारीन सनेगा॥ १५०। और मसा ओर हारून ने ये सब आशय फिरजन के आगे दिखाये और परमेग्र ने फ्॒रिकन के मन के। कठार कर दिया ओर उस ने अपने टेश से इसराएल के सतान का जाने न दिया। १२ पब्ब ) कौ पस्तक । १8३४ ९२ बारहवां पब्बे । तप ब परमेग्वर ने मिस्र के देश में मसा और हारून के कहा॥ २। कि यह मास तम्हारे लिये मासें का आरंभ हेगा और यह तम्हार बरस का पहिला मास हेगा॥ ३। इसराएलियां की सारी मंडली से कहे कि इस मास के दसवें में हर एक परुष से अपने पितरों के घर के समान एक मेम्ना घर पीछ मेम्ना अपने लिये लेवें ॥ ४। ओर यदि वह चर मेम्ना के लिये छाटा हे! ता वह और उस्त का परासी जा उस के घर से लगा हुआ हे। प्राणी की गिनती के समान लेखे में भेम्ना के ठच्द रावे॥ ५ । तुम्हारा मेम्ना निष्खे।ट हेावे पहिले बरस का नरुख भेड़ां से अथवा वकरियां से लीजियेय॥ ६। ओर तम उसे उसी मास के चौदरहवें दिन लो रख छेाडिया और इसराएलियां को समस्त मंडली सांस्क के उसे मारें॥ ७। गौर वे लोक्न के लेवं ओर उन घरों के जहां वे खायेंगे द्ार की दोनों आर और ऊपर की चेखट पर छापा दवं॥ छ। ओर वे उसी रात के। आग में भना हुआ उस का मांस अखमीरी रोटी कडवी तरकारी के साथ खावं ॥ «। उसे कच्चा ओर पानो में उसन के न खाव परंत उस के सिर पांवओर उदर समेत आग पर भन के खावें॥ ९५०। ओर उस में से बिहान लॉ कुछ न रहने दौजिया यदि कुछ उस में से बिहान लां रह जाय आग से जला दटौजिया॥ ९९। और उसे यों खाइयोा कटि बंधे हुए अपनी जूतियां पाओं में पहिने हुए अपना लठ अपने हाथों में लिये हुए ओर उसे बेग खा लीजियोा कि परमेम्थर का फसह क्ैे॥ २२ । इस लिये कि में आज रात मिस्त के टेश में हेाके निकलंगा ग्रार सब पहिलोंठे मनय्य के और पशन के जो उस में हैं मारूंगा और मिस्र के समस्त देवताओं पर न्याय करूंगा में परमेग्थर 'कहुं॥ २९३। ओर वह लाह् तम्हारे घरों पर जहां जहां तम हे। तम्हारे 'लिये एक चिक्र होगा ओर में वह लाह दख के तम पर से वीत जाऊंगा और जब मिख के दश के मारूंगा तब मरी तमपर नाश करने का न आवेगी॥ ९४। ओर यह टन तुम्हारे लिये एक स्मरण के लिय हेगा और तुम अपनी समस्त पीढ़ियां के लिये डउसे परमेग्वर के लिये पे ९श२ यात्रा [१२ पब्बे रखिया तम नित्य उस बिधि से पवब रखियोा॥ ९१५५। सात दिन ला अखमोरी रोटो खाइया पहिले ही दिन खमीर अपने घरों से उठा डालिया इस लिये कि जा कोाई पहिले दिन से लेके सातवें दिन लों खमौरो राटी खायगा से! प्राणी इसराएल से काटा जायगा॥ ९५६। और पहिले टन पवित्र बलावा होगा और सातवें टिन भी पवित्र बलावा हेगा उस में कोई काये न होगा केवल भाजन ही का काये हर एक मनव्य से किया जाय॥ २९७। ओर इस अखमौरी रोटो के पब का मानाग क्योंकि उसी टन में टम्हारी सेनाओं का मिस्र के देश से निकाल लाया हूं इस लिये इस दिन का अपनी पीढ़ियों में बिधि से नित्य माना ॥ १५८। पहिले मास की चोटहवीं तिथि से सांक्क का इचक्कीसवों तिथि लो अखमीरी राटो खाइया॥ ९८। सात दिन लो तुम्हारे घरों में खीर न पाया जावे क्योंकि जो काई खगीरी खायथेगा बह्दी प्राणी इसराएल की मंडली से काटा जायगा चाहे परदृशी हे चाहे टशी॥ २०। तुम काई बस्तु खगौरी मत खाइयो तुम अपने समस्त बस्तियों में अखमीरी रोटी खाइया॥ २९। तब मसा ने इसरा- एल के समस्त प्राचीनां के। बलाया ओर उन्‍हें कहा कि अपने अपने घर के समान एक एक भेम्ना लेओ और फसह का मेम्न्ना मारा॥ २२९। ओर एक मट्ठ्ी जफा लेओआ और उसे उस लेह्न में जा बासन में क्ले बार के द्वार की टानां ओर उर्झे छापे और तम में से काई विह्ाान ला अपने चर के द्वार से वाहर न जावे॥ २३। क्योंकि परमेमस्वर मिखियां का मारने के लिये आरपार जायगा और जब वह पटाव पर और दानों द्वार की ओर ले के देखे तब परमेश्वर द्वार पर से बीत जायगा और नाशक तम्हारे घरों में जाने न देगा किमारे। २४। और अपने और अपने संतानें के लिये बिधि करके इसे नित्य मानिया॥ २५। और ऐसा हेगा कि जब तुम उस दृश में जा परमेग्वर तम्ह अपनी बाचा के समान टेगा प्रवेश करोगे तब इस सेवा का पालन करिया॥ २६। जर ऐसा हेगा कि जब तम्हारे रंतान तम से कहें कि इस सेवा का क्या अथ हो ॥ २७। तब कहिया कि यह परमेश्वर के फसह का बलिदान हे जा मिस्र में इसराणएल के संतानों के घरों पर से बौत गया १२ पब्ब | की पक्तक ९ छ७छ अजब उस ने मिखियाों का मारा ग्यार हमारे घरों का बचाया तब लागोां ने सिर स्कुकाये और प्रणाम किये॥ २९८। ओर इसराएल के संतान चले गये जैसा कि परमेग्थर ने मुसा ओर हारून का आज्ञा किई थी उन्‍हें ने वेसाही किया॥ २८ । और यों हुआ कि परमेग्वर ने आधी रात का मिख के देश में सारे पहिलेंठे के फ्रिझून के पहिलोंठ से लके जा अपने सिंहासन पर बैठता था उस बंघुआ के पहिलोंठ लॉ जा बंटौगदह में था पशन के पहिलांटां समेत नाश किये॥ ३०। ओर रात के फिरिजऊन उठा वह ओर उस के सब सेवक ओर सारे मिखी उठ ओर मिस्र में बड़ा बिलाप था क्योंकि केाई घर न रहा जिस में एक न मरा॥ ३९। तब उस ने मूसा ओर हारून के। रात हो के बुलाया ओर कहग कि उठे मेरे लोणां में से निकल जाओ तुम ओर इसराएल के संतान जाओ ओर अपने करेके समान परमेमस्वर की सेवा करा॥ ३२। जेसा तम ने कहा क्ञे अपना कमंड ओर बैल भी लेओ ओर विदा हेोओ7 और मेरे लिये भी आशीष चाहे।॥ ३३ ओर मिस्ती उन लागां पर शीघरता करते थे कि वे मिस्र के देश से बेग निकाले जाय क्यांकि उन्‍्हां ने कहा कि हम सब मरे ॥ ३४। और उन लागां ने आटा गंधा हुआ उस से आगे कि वह खमोर हो गंधने के कठरे समेत कपड़ों में बांघ के अपने कांघां पर उठा लिया ॥ ३५ । ओर इसराएल के संतानों ने मसा के कहने के समान किया और उन्‍्हों ने मिखियों से रूपे के ओर सेने के गहने ओर बस्तर मांग लिये॥ ३६। ओर परमेग्ार ने उन लागां के मिख्ियों की दृष्टि में एसा अनग्रह दिया कि उन्‍्हों ने उन्हें टिया और उन्‍्हों ने मिखियों का लट लिया। ३७। ओर इसराएल के संतान रामसौस से सक्कात के! पांव पांव चल निकले जा बालकों के छाड़ छः लाख परुष थ ॥ ३८। ओर एक मिलो जुली मंडली भी ओर मकंड और बैल और बहुत पशु उन के साथ गये ॥ ६८ । और उन्हों ने उस गंध हुए आटे के जा वे मिस्र से ले निकले थे फलके पकाये क्योंकि वह खमीर न हुआ था इस कारण कि वे मिस्र से खरे डे गये थे और ठहर न सके और अपने लिये कुछ भाजन सिट्ट न किया। १३४ यात्रा [९ पतन ४ ० । अब इसराएल के संतानों का निशस जा मिख में रहते थे चार सो तौस बरस था॥ ४९५। और चार से तीस बरस के अंत में यां हुआ कि ठीक उसो टन परमेश्वर की समस्त सेना मिस्र के टश से निकल गई ४२। उन्‍हें मिख के टश से निकाल लाने के कारण यह रात परमेग्यर के लिये पालन करने के याग्य है कि वह उन्ह मिस के टश से बाहर लाया यह परमेश्वर की वुह रात है जिसे चाहिये कि इसराएल के सतान अपनी पीढ़ी पीढ़ी पालन कर ॥ ४३। फिर परमेचर ने मूसा और हारून के कहा कि फसह की विधि यह हो कि उसमे काई परट्शो न खावे॥ ४४॥ परत हर एक का माल लिया हुआ दास जब तने उस का खतन: किया तब वह उरहो खावे॥ ४५ । बिदेशी और बनिहार सेवक लस्षु न खांवें ॥ ४६ । यह एक ही घर में खाया जावे उस का मांस कुछ घर से बाहर न निकाला जावे और न उस की चइड्डी ताड़ी जावे ॥ ४७। इसराएल के संतान की समस्त मंडली उसे पालन कर ॥ ४८। ओर जब काई परट्शी तस्में बास करे ओर परमेग्वर के लिये फसह चाहे ता उस के सब परुष खतनः करावें तब वह समोौप आवबे और उसे पालन करे ओर वह एसा होगा जैसा कि दृश में जन्म पाया हे क्यांकि काई अखतन:ः जन उद्सन खावे॥ ४८। देश के उत्पन्न हुआ के और दशी ओर बिटेशी के लिये एक ही व्यवस्था हेगी॥ ५०। सार इसराएज के संतानों ने जैसा कि परमेश्वर ने मूसा आर हारून के आज्ञा किई वैसानही किया। ५९। और यां हुआ कि ठीक उसी दिन परमेगर ने इसराएल के संतानों के सेना सेना मिख के टेश से बाहर निकाला ॥ न | ९३ तेरहवां पब्ब ॥ ७०२०७ ०. लिये ञी' परमेग्वर ने मसा से कह्द। २। कि सब पहिलोॉठ मेरे लिये पवित्र कर जा कुछ कि इसराएल के संतानों में गभ का खाल क्या मनव्य ओर क्या पश से। मेरा हे॥ ३। और मसा ने लागां से कहा किस दिन के जिस में तम मिस से बाहर आये और बंधआई के घर से निकले झरण रखिया क्यांकि परमेअर तुम्ह बाड़ बल से निकाल लाया 5० २ के पर कर हू खमौरी राटो खाई न जावे॥ ४। त॒म अबिब के मास में आज के दिन १३ पन्ने] को पतस्तक । १३५ बाहर निकले॥ ५ | और यों हेगा कि जब परमेम्घर ते कनआनियाँ और हित्तियां और अमरियां और हवियां और यबसयां के देश में लावे जिसे उस ने तम्हारे पितरों से किरिया खाई कि तम्हं दंगा जहां टृघ और मधु बहता है तब तू इस मास में इस सेवा के पालन करियो ॥ ६। सात दिन त।ई त अखमीरी रोटी खाइये! ओर सातवें दिन परमेग्वर के लिय पबे हेगा॥ ७। अखमोरी राटी सात दिन खाई जावे और केाई खमीरी राटी तस्कर पास दिखाई न ट्वे ओर न खमीर तेरे समस्त देश में तेरे आगे दिखाई देवे॥ ८। ओर त्‌ उसी दिन अपने पुत्र का समस्काइये। कि यह इस कारण है कि जब हम मिस्त्र से बाहर निकले तब परमेमग्यर ने हम से यह किया॥ 6। और यह एक लक्षण तम्क_ पास तेरे हाथ में ओर तेरी दानें आंखां के बीच स्रण के लिये होगा जिसत परमेग्र की ब्यत्रस्था तर मंच में हे। क्याकि परमेग्वर तम्के भजा के बल से मिख से निकाल लाया ॥ १५०। इस लिये त यह विधि इस रित में बरस बरस पालन करिया॥ १५९। ओर णेसा हागा कि जब परमेग्वर तम्मे कुनआननियां के टृश में लावे जेसा उस ने तम्क से ओर तेरे पितरां से किरिया खाई है और उप्ते ते टवे॥ २९२ त सभा के जा कि गर्भ के खालता हे और हर एक पश के पहिलोंठ नर परमेश्वर का॥ १३। जार गधघ के हर एक पहिलोंठ के एक मेम्ना से छडाइया ओर यदि तू डसे न छडावे ता उस का गला तोड़ टौजिया ओर अपने संतानों में से मनव्य के सारे पहिलोंठां का छड़ा लीजिया॥ १५४। ओर या हेगा कि जब तेरा पत्र कल के! तसे पछे कि यह क्या हु तब उसे कहिया कि परमेग्चर हमें अपनी भजा के बल से मिस से और बंघआई के घर से निकाल लाया॥ १५५४ । ओर यों हुआ कि जब फ्॒रिऊन ने हमें कठिनता से छोड़ा कि परमेस्वर ने मिस के देश में सब पहिलांठ मनव्य के पहिलोंटा से लेके पशन के पहिलेंटां लें मार डाला इस कारण में उन सब नरां का जा गभे खालत हें परमेम्वर के लिये बलि करता हूं परंत अपने संतानों के सब पहिलोंटां का छडाता कूुं॥ १९६। ओर यह तेरे हाथ में ओर तेरी आंखां के बीच में एक चिक्लानो हेगी क्योंकि परमेग्धर अपने बाहु बल से हमें मिस से निकाल १३६ यात्रा १५४ पच्चे] लाया ॥ ९७। ओर यों हुआ कि जब फिरजन ने उन लोगे के जाने टिया तब ईअर उन्‍हें फिलिसतियों के देश के मार्ग से ले न गया यद्यपि बच्द समीप था क्योंकि इंश्वर ने कहा कि न है| कि लाग लड़ाई ट्ेख के पछताव और मिख के फिर जावें॥ ९८। पर॑त ई स्वर उन लागें का लाल समुद्र के बन की ओर ले गया और इसराएल के संतान पांती पाती मिख के टश से निकले चले गये॥ १८। ओर मूसा ने यस॒ुफ्‌ की इड्डियां साथ ले लिई क्ये।कि उस ने इसराएल के संतान के किरिया दके कहा था कि निश्चय ईश्वर तम से भंट करेगा और तम यहां से मेरी हड्डियां अपने साथ लेआजाइये। ॥ २०। फिर वे सक्कात से चल निकले ओर बन के छार पर छावनी किई॥ २९। ओर परमेञअर उन के आगे आग टन के मेघ के खंभे में हे।के उन्हें मागे बताता था और रात के आग के खंभ में होके कि उन्‍हें प्रकाश करे जिसतें रात दिन चले जावे ॥ २२। बच दिन में मेघ के खंभे के और रात में आग के खंभे के उन लागों के आगे से म उठाता था ॥ २९४ चौट्हवां पत्बे । ञ्ज कम 7र परमेश्वर ने मसा से कहा॥ २। कि इसराएल के संतान से कह कि फिर और मिजदाल के आगे फौउलहीरात ओर समद्र के मध्य में छावनी कर तुम बआअलसफून के सन्मुख जा समुद्र के तौर पर हे डरा करो॥ ३। क्योंकि फ्रिजन इसराणल के संतानें के विषय में कहेगा कि वे इस टेश में बर्के हैं और बन ने उन्‍्ह छक लिया हे॥ ४। और में फि्रिजुन के मन के कार करूंगा कि वह उन का पीछा करेगा और में फिरजन और उस की समस्त सेना पर प्रतिष्ठित हेऊंगा जिसत मिस्ती जान कि परमेश्वर में हूं और उन्हों ने एसाही किया॥ ५। और मिस्र के राजा का कहा गया कि लाग भाग गये तब फि्रिजुन का और उस के सेवकों का मन लोगों के बिराध में फिर गया ओर वे बाले कि हम ने यह क्या किया कि इसराएल का अपनी सेवा से जाने दिया॥ ६ । तब उस ने अपना रथ जाता और अपने लाग साथ लिये॥ ७। आर उस ने छः से चुने हुए रथ ओर मिस्त के समस्त रथ साथ लिखे २४ पच्बे] कौ प॒स्तक । १३७ औपर उन सभोां पर प्रधान बैठाये ॥ ८। और परमेगर ने मित्त के राजा फिरऊन के मन के कठार कर दिया ओर उस ने इसराएल के संतानों का पीछा किया परंत इसराएल के संतान हाथ बढ़ाये हुए निकले ॥ &। परंत मिस्त्री उन का पीछा किये चले गये ओर फिरजन के सारे चेएड़ां और रथां ओर उस के घाड़ चढ़ां और उस कौ सेना ने समद्र के तौर फौउलह्चौरात के समौप बअलसफून के सन्मुख उन्‍हें छावनों खड़ी करते जाकहौ लिया ॥ १० । और जब फि्रिजुन पास आया इूसराएल के संतानां ने आंख ऊपर किई ओर मिखियां के अपने पीछ आते हुए रेखा और अत्यंत डर गये तब इसराएल के संतानों ने परमेश्वर कौ टाहाई दिई॥ ९५९। ओर मसासे कहा कि क्या मिस्र में समाध नथोंकि तू हमें मरने के लिय वहां से बन में लाया तू ने हम से यह क्या ब्यवहार किया कि हमें मिस्व से निकाल लाया॥ ५२। क्या यह बत्ती बात नहों जा हम ने मिख में तम्क्त से कह्दी थी कि हम से हाथ डटठा जिसतें हम मिस्तियां की सेवा करें कि हमार लिये मिस्तियां को सेवा करनी बन में मरने से अच्छी थी॥ २५३। तब मसा ने लागों का कहा कि मत डरा खड़ रहे और परमेश्वर की माक्ष देखा जा आज कं टन वह तम्ह ट्खिावेगा क्यांकि उन मिखस्ियां का जिन्हं तम आज ट्खते हे। उन्‍हें फिर कधी न टेखागे॥ ९४। परमेश्वर त॒न्हार लिये युद्ध करेगा और तुम चुप चाप रहेगे॥ ९४ । तब परमेश्र ने मूया से कहा कि तू क्यों मेरी ओर बिलाप करता है इसराएल के सतान से कह कि वे आगे बंढें ॥ १६। परंत त्‌ अपनी छड़ो उठा ओर समुद्र पर अपना हाथ बढ़ा और उसे दा भाग कर ओर इसराएल के संतान समद्र के बीचांबीच में से सखी भूमि पर हेाके चले जायंगे॥ ९५७। आर टेख किमें मिख्ियां के अंतःकरण का कठार कर दूंगा ओर वे उन का पीछा करेंगे और में फिरऊन ओर उस को सेना और उस के रथ ओर उस के घाड़ चढ़ां पर अपनी मच्िमा प्रगट करूंगा ॥ १५८। और जब में फ्रिजन और उस के रथां और उस के घाड़ चढ़ों पर अपनी महिमा प्रगट करूंगा तब मिस्ती जानेंगे कि में परमेग्वर हं॥ १५८। ओर ईय्वर का टृत जे इसराएल की छावनी के आगे चला जाता था से फिरा आर ]8 [8. $, $.] ९३८ यात्रा [१५४ पत्ब उन के पीछ आ रहा और मेघ का खंभा उन के सन्मख से गया ओर उन के पीछे जा ठहरा ॥ २५०। ओर मिखियों को छावनी और इसराएल को छावनी के मध्य में आया ओर वुच्द एक अंधियारा मेघ मिसखियें के लिये हे! गया परंत रात का इसराएल के उंजियाला देता था से रात भर एक ट्ूसरे के पास न आया। २९ । फिर मूसा ने समद्र पर हाथ बढ़ाया श्र परमेम्धर ने बड़ी प्रचंड प रबी आंघी से रात भर समट्र के। चलाया ओर समद्र के सुखा दिया और पानी के दो भाग किया॥ २२ | और इसराएल के संतान समट्र के बीच में से रूखे पर हे।के चले गये ओर पानी की भीत उन के दहिने और बाय ओर थी ॥ २३। ओर मिखियें ने पीछा किया और फिरिजन के सब घोड़े और उस के रथ और उस के घाड़ चढ़े उस का पीछा किये हुए समद्र के मध्य लॉ आये॥। २४। ओर यां हुआ कि परमेमश्थर ने थिछले पहर उस आग और मेघ के खंभे में से मिखियों की सेना पर दृष्टि किई और मिखियों की सेना के घबराया ॥ २९५ । और उन के रथों के पहिया के निकाल डाला कि वे भारी से हांके जाते थे से मिस्ियां ने कहा कि आओ इसराएलियों के सन्मख से भागें क्यांकि परमेस्वर उन के लिये मिख्वियां से लड़ता क्षे। २६। ओर परमेश्वर ने मसा से कहा कि अपना हाथ समद्र पर बढ़ा जिसतें पानी मिख्तियां पर और उन के रथां ओर उन के घाड़ चढं पर फिर आये ॥ २७ । तब मसा ने अपना हाथ समद्र पर बढ़ाया ओर समुद्र बिहान होते अपनी सामण्थे पर फिरा और मिलती उस के आगे भागे ओर परमेग्वर ने मिखियां के समट्र में नाश क्िया॥ र२८। गऔर पानी फिरा ओर रथों और घाड़ चढ़ा अर फ्रिजुन की सब सेना का जा उन के पीछ समद्र के बौच में आई थी छिपा लिया और एक भो उन में सेन बचा॥ २<। परत इसराएल के संतान रूखी से समद्र के बोच में से चले गय ओर पांनी की भीत उन के बायें और दहिने थों॥ ३०। से परमेस्थर मे उस दिन इसराएलियां का मिस्ियां के हाथ से यों बचाया और इसराएलियों ने मिख््रियां की लोथें समुद्र के तौर पर देखों॥ ३१। और जो बड़ा काये कि परमेम्वर ने मिखियों पर प्रगट किया २५४ पब्व ] कौ पुस्तक । ९३८ इसराएलियों ने टेखा और ले!ग़ परमेच्वर से डरे तब परमेग्धर पर और उस के टास मुसा पर विश्वास लाये । ९५ पंट्रहवां पब्बे । ब मूसा ओर इसराएल के संतान ने परमेश्वर का धन्यवाद और ते स्तुति इस रीति से गाया और कहके बाला कि में परमेश्वर का भजन करूंगा क्योंकि उस ने बिभव से जय पाया उस ने घोड़े का उस के चढ़बैया समेत समुद्र में नष्ट किया ॥ २ । परमेग्यर मेरी सामण्थे और मेरा गान हे ओर वुच् मेरी मुक्ति कुआ वुच्द मेरा ई खर हे में उस के लिये निवास सिट्ठ करूंगा मेरे पिता का ईगर हे मैं उस की महिमा करूंगा ॥ ३। परमेश्वर याड्ा हे परमेश्वर उस का नाम क्षे । ४। उस ने फ्रिकन के रथ ग्ार उस की सेना का समद्र में डाल दिया उस के चने हु० प्रधान भो लाल समट्र में ड्बे होैं॥ ५। गहिरापों ने उन्हें ढांप लिया वे पत्थर के समान नौचे लो डूब गये ॥ ६। हे परमेग्थर तेरा दृहिना हाथ सामथ्ये में महान हुआ हे परमेश्वर तरे दहिने हाथ ने बैरियों का टुकड़ा टकड़ा किया ॥ ७। त्‌ ने अपनी मर््चिमा के मच्त्व से अपने बिराधियां का उलट डाला तने अपने काप को भेजके उन्‍हें खंटो को नाई भक्त किया ॥ ८। ओर तेरे नथनों के खास से जल एकट्ठे हुए और वाढ़ ठेर हाके खड़े हो गये और समटद्र के अंतःकरण में गरहिराप जम गय॥ «<। बेरो बाला कि में पीछा करूंगा में जाइही लंऊंगा मे लट को बांट लंगा डन से में अपनी लालसा को संतष्ट करूंगा में अफ्ना खड़ खोंचंगा मेरा हाथ उन का नाश करेगा ॥ २९०। त ने अपनी पवन से फक मारी समद्ग ने उन्हें छिपा लिया थे सौसे की नाई महा जलों में डब गये ॥ ९९ । हे परमेग्वर ट्वों में तेरे तुल्य कान है पर्वित्रता में तरे तुल्य तेजामय कान हे तेरों नाई आइ्र्य करते स्तुति में भयंकर ॥ ९२। त ने अपना टृहिना हाथ बढ़ाया पए्थिवौ उन्हें निगल गई॥ ९५३। त ने अपनी ट्या से अपने छाड़ाये हुए लागां की अगआई किईं त ने अपनी सामथ्य से उनन्‍्हं अपने पवित्र निवास लॉ पहुंचाया ॥ १५४। लाग सनके डरेंगे और फिलिसतोया के निव्रासियां को भय पकड़ेगा ॥ ९५४ । १४० यात्रा (१५ पब्बे तब अट्टम के प्रधान बिस्मित हांगे मेअब के बलवंतों का थथेराहट पकड़े गी कनआन के समस्त बासी गल जायेंगे ॥ ९६। उन पर भय ग्रार डर पड़गा तेरी भजा के महत्व से वे पत्थर की नाई रह जायगे जब लॉ तेरे लाग पार न जावे हे परमेग्वर जब लॉ तेरे लाग जिन्हें त ने मे।ल लिया पार न जावें॥ २७। त्‌ उन्हें भौतर लावेगा और अपने अधिकार के पहाड़ पर जो हे परमेम्घर त ने अपने निवास के लिये बनाया क्षे और पवित्र स्थान हे परमेग्वर जिसे त रे हाथों ने स्थापा है उस स्थान में त उन्‍हें बेयिगा॥ २१८। परमेश्वर सनातन सनातन राज्य करेगा ॥ ९१८। क्यांकि फ्रिजुन का घोड़ा उस के रथों और उस के घाड़ चढ़े समेत सम॒द्र में पैठा परंतु इसराएल के संतान समुद्र के मध्य से सूखे रूखे चले गये ॥ २०। तब हारून की बहिन मिरयम आगमजन्नानिनी ने म्हटहंग अपने - हाथ में लिया ओर सब स्वी ठालों के साथ नाचती हुई डस के पीछे चलों ॥ २९ । और मिरयम ने उन्हें उत्तर टिया कि परमेग्वर का गान करो क्योंकि वह अति महान हो उस ने घाड़ का उस के चढ़वेये समेत समद्र में नष्ट किया॥ २२९। ओर मसा इसराएल के लाल समुद्र से ले गया ग्ार वे रूर के बन में गये और वे तीन दिन लो बन में चले गये और पानी न पाया। २३। ओर जब वे मारः में आये तब मारः का पानी पी न सके क्यांकि वह कड़आ था इस कारण वह मारः कद्दाया ॥ २४। तब लाग यह कहिके मसा के बिराघ में कुड़कुड़ाने लगे कि हम क्या पीयं॥ २५। उस ने परमेग्यर से टोहाई दिई ओर परमेश्वर ने उसे एक पेड़ दिखाया जब उस ने उसे पानियां में डाला तब पानी मीठे हे! गये वहां उस ने उन के लिये एक विधि और व्यवस्था बनाई और वहां उस ने उन्‍हें परखा॥ २६। ओर कहा कि यदि त परमेश्वर अपने इंस्वर का शब्द ध्यान से सने ओर जो उस की दृष्टि में अच्छा क्ञे उसे करे ओर उस की आज्ञा पर कान घरे ओर उस कौ विधि का चेत में रक्‍खे ता में उन रागां का जा मिख्ियां पर लाया तक पर न टेऊंगा क्यांकि में वह परमेश्वर हूं जा तम्फे चंगा करता ह॥ २७। वे फिर लीम के! जहां जल के बारह कएं ओर खजर के सत्तर छक्ष थे आये ओर उन्‍होंने जल के तौर डेरा किया ॥ १६ पत्ब ] कौ पस्तक | १४९ ९६ सेलहदवां पब्बे । (>फ उन्होंने ऐलीम से यात्रा किई और इसराएल के संतानें कौ समस्त डली मिस्त दश से निकलने के पीछ ट्सरे मास कौ पंट्रहवों तिथि के सौना के बन में जा एऐलीम ओर सीना के मध्य में है पहुंची | २। ओर इसराएल के संतानों की सारी मंडली मसा ओर हारून पर बन में कुड़कुड़ाई॥ ३ | ओर इसराएल के संतानों ने उन्हें कहा कि हाय कि हम परमेम्यर के हाथ से मिस्र के रश में मारे जाते जब हम मांस की हांडियां के लग बैठते थे और रोटी मन मनती खाते थे क्यांकि तम हमें इस बन में निकाल लाये हे। जिसतें सारी मंडली का भख से मार डाला॥ ४। तब परमेग्यर ने मसा से कहा कि ट्ख में खगे से तम्हाएरे लिये भेजन बरसाऊंगा ग्लार लाग प्रति टिन बंधेज से जाके बगरें जिसतें में उन्‍हें जांच कि वे मेरो ब्यवस्था पर चलंगे अथवा नहों ॥ ५ । और या हेागा कि वे छठवें दिन ओर दिन से ट्रना बटारें और भीतर ला के पकावें॥ ६। से! मसा ओर हारून ने इसराएल के समस्त संतानों से कहा कि सांम्क का तम जानागे कि परमेग्यर तम्हं मिख देश से बाहर लाया॥ ७। ओर बिहान को पर मेगर का ऐस्वय टेखागे क्यांकि परमेग्वर के बिराध में वह तम्हारा कुड़कुड़़ाना सनता हे हम कान कि तम हम पर कुड़कुड़ाते हे ॥ ८। ओर मसा ने कहा कि यों हैेगा कि संध्याकाल का परमेग्यर तम्हें खाने का मांस और बिहान का राोटो मनमनतोौ ट्गा क्योंकि तुम्हारा कंभलाना जा तम उस पर म्ंभलाते हे। परमेम्र सनता है और हम क्या कहें तम्हारी कमकलाहट हम पर नहों परतु परमेश्वर पर है॥ €। फिर मूसा ने हारून से कहा कि इसराणएल के संतान कौ सारी मंडली से कह कि परमेग्वर के समौप आय) क्यांकि उस ने तम्हारा कुड़कुड़ाना सना ॥ ९५०। और यां हुआ कि जब हारून इसराएल के संतान की सारी मंडलो को कहरहा था तब उन्हों ने बन की ओर दृष्टि किई और क्या ट्खते हैं कि परमेम्वर की महिमा मेघ में प्रगट हुईं ॥ १५९५। और परमेग्वर ने मसा सेकहा॥ १५२। कि म ने इसराएल केसंतानों का कुड़कुड़ाना सना रा यात्रा [१६ पच्चे उन्हें कह कि तम सांस्क के मांस खाग्रागे और बिहान का शाटौ से छप्त हेशेगगे ओर तमजानोगे कि मैं परमेश्वर तम्हारा ईश्वर ह्ु॑ं॥ २३। और यां हुआ कि सांम्त के वट रें कपर आई और छावनी के टांप लिया और बिह्ान के! सेना के आस पास ओस पड़ी ॥ ९४। और जब जेस पड़के ऊपर गई तब क्या देखते हैं कि बन में छाटी छोटी गाल बस्त ऐसी खेत जैसे पाला का टुकड़ा एथिवी पर पड़ा हे। ॥ १५ । और इसराएल के संतानों ने देख के आपस में कहा कि यह क्या हे क्यांकि उन्‍्हां ने न जाना कि वह क्या है तब मसा ने उन्हें कहा कि यह राटी जिसे परमेग्र ने तम्ह खाने का दियाह॥ १५६। यह वह बात कै जा परमेम्पघर ने तम्हें कही थी कि हर एक उस में से अपने खाने के समान मनव्य पीछे एक ऊमर एकद्रे कर अपने प्राणियां की गिनती के समान उन के जिये जा उस के तंब में हैं लेवे॥ ९७। तब इसराएल के संतानों ने यांहों किया और किसी ने थाड़ा और किसी ने बहुत एकट्टा किया॥ १५८। और जब हरणएक ने अपने का हसरे से ताला ता जिस ने बहुत एकट्टा किया था कुछ अधिक न पाया और उस का जिस ने थोड़ा एकट्टा किया था कुछ न घटा हर एक ने उन में से अपने खाने भर बटारा॥ १५९। ओर मसा ने उन से कहा कि काई उस में से बिहान ला रख न छोड़े ॥ २०। तथापि उन्‍हें ने मसा की बात का न माना पेरंत कितनों ने बिहान लॉ कुछ रख छोड़ा और उस में कौड़े पड़ गये और बसाने लगा मसा उन पर क्र हआ॥ २१५। और उन में से हर एक ने हर बिहन का अपने खाने के समान बटारा ओर जब सूथे कौ घाम पड़ी तब वुहच्द पिचल गया। २२। झऔर थां हुआ कि छठवे दिन उन्‍हें ने टूना भेजन बटे .रा जन पीछे दे। ऊमर और मंडली के समस्त अध्यक्षों ने आके मसा का जनाया ॥ २३। तब उस ने उन्हें कहा कि यह वही है जा परमेखर ने कहा है .क कल बिश्वाम परमेश्वर का पवित्र बिश्राम ह तम्ह भेजना हे। सा भज लेओ और जो पक्काना है| से पका लेओ! और जो बच रहे से। अपने लिये विहान लॉ यत्न से रकवा॥ २४। से जैसा मूसा ने कहा था वैसा उन्हों ने बिद्दान ले रहने ट्या वुद्द न सड़ा न उस में कीड़े पड़े ॥ २४। [२७ पब्बे] को पुस्तक । १४३ और मसा ने कहा कि उसे आज खा क्यांकि आज परमेग्वर का बिश्राम हैँ आज तम खेत में न पाओगे ॥ २६ । छः दिन ला उसे बटारा परत सातवां दिन बिश्राम हे उस में कुछ न पाओगे॥ २७। और एसा हुआ कि बहुतेरे उन लागों में से सातवें टिन बटारने का गये और कुछ न पाया॥ २८। तब परमेग्वर ने मूसा से कहा कि कब लों तुम मेरी आज्ञाओं के! और मेरी ब्यवस्था के पालनन करागे॥ २९<। देखा कि परमेग्यर ने तुम्ह बिश्राम दिया इस लिये वह तुम्हें छठवें दिन मेंदा दिन का भाजन दता हे हर एक तुम्मे से अपने स्थान से बाहर न जावे ॥ ३०। तब लोगों ने सातवें टिन बिश्राम किया॥ ३९। और इसराएल के चराने ने उस का नाम मन्न रक्खा ओर वह घनिआं की नाई खेत और उस का खाद मधघ्र॒ सहित टिकिया की नाई था॥ ३२। ओर मसा ने कहा कि यह बुच्द बात हैं जा परमेम्वर आज्ञा करता ह कि उसमे एक ऊमर भर अपनी पीढ़ियों के लिये धर रक्खा जिसतें वे उस राटो के देखें जो मैंने तम्हें बन में खिलाई जब में तुम्हें मिस्र के देश से बाहर लाया ॥ ३३। और मस। ने हारून के। कहा कि एक हांड़ी ले और एक ऊमर मन्न उस में भर ओर परमेस्वर के आगे रख छाड़ जिसत वह तम्हारी पीढियां के लिय घरा जाय॥ ३४। सो जैसा कि परमेश्वर ने मसा का कहा था वेसा हारून ने साक्षी के आगे उसे घर रक्वा॥ ३५। ओर इसराएल के संतान चालीस बरस जब लाॉं कि वे बस्तो में न आये मन्न खात रहे जब लॉ कि वे कूनआन की भूमि के खिवाने में न आये मन्न खाते रहे॥ ३६। अब एक ऊमर इंफा का ट्सवां भाग क्े। २९७ सत्तरहवां पब्बे । त््‌ ब इसराएज के संतान की समस्त मंडली ने अपने पात्र में परमेम्थर की आज्ञा के समान सौन के बन से यात्रा किई ओर रफीटीम में डरा किया वहां लागें के पीने के पानी नथा॥ २। से। लोग मसा से कगड़ने लगे और कहा कि हमें पानी दे कि पीय मसा ने उन्हें कहा कि मुझ से क्यां रूगड़ते है। परमेम्बर की क्यां परीक्षा करते हे।॥ ३। और लोग पानी के पियासे थ्रे और मसा पर कुड़कुड़ाय और कहा कि २४४ यात्रा [९७ पब्ब तू हमें मिस्र से क्यें। निकाल लाया कि हमें ओर हमारे लड़कों के और हमारे पशन के पियास से मारे। ४। ओर मसा ने पकारके परमेग्रर से कहा कि में इन लागों से क्या करूं वे मस्त पर पत्थरवाह करने के सिड्> हैं॥ ५। ओर परमेसख्वर ने मसा से कहा कि लोगों के आगे जा ओर इसराएल के संतान के प्राचोनों का अपने साथ ले ओर अपनी कछडी जिस्म त ने समद्र के मारा था अपने हाथ में ले ओर जा ॥ ६। ट्रेख में वहां क्वारेब के पहाड़ पर तेरे आगे खड़ा छूंगा त उस पहाड़ के! मारेगा और उससे जल निकलेगा कि लेाग पीय से। मसा ने इसराएल के प्राचौनों की दृष्टि में बद्दी किया ॥ ७। ओर इसराएल के संतानों के बिबाद के कारण और इस कारण कि उन्‍्हों ने परमेमश्वर को परीौक्षा करके कहा था कि परमेश्वर हमारे मध्य में हे कि नहों उस ने उस स्थान का नाम मस्झः और मरीबः रक्वा ॥ ८। तब अमालौक चढ़ आय और रफोटौम में इसराएल से लड़ ॥ <। तब मूसा ने यहस्हअ से कहा कि हमारे लिए लेग चुन और निकल कर अमालौक्‌ से लड़ कल में ईस्र की छडी अपने हाथ में लेके पहाड़ कौ चाटी पर खड़ा छूंगा॥ १५०। से। जैसा मूसा ने उसे कहा था यहूर्ूअ ने वेसा किया ओर अमालीक्‌ से लड़ा मूसा और हारून ओर क्र पहाड़ की चाटौ पर चढ़े ॥ ९९। और यों हुआ कि जब मूसा अपना हाथ उठाता था तब इसराएल के संतान जय पाते थे और जब हाथ लटका देता था तब अमालीक जय पाते थे ॥ ९ २। परत मसा के हाथ भारी हो रहे थ तब उन्‍्हों ने एक पत्थर लेके उस के नौच रक्‍्खा वह उस पर बेठा ओर हारून और कूर एक एक ओर ओर टूसरा टूस री ओर उस के हाथां का संभाल रहे ओर उस के हाथ सब्धे के अस्त ला स्थिर रहे॥ २९३। ओर यहूस्हअ ने अमालोीक्‌ ओर उस की सेना के खड़ा की घार से जौत लिया॥ १५४। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि सारण के लिय पस्तक में इसे लिख रख और यहक्ूरूअ के कान में कह द्‌ कि में अमालोक्‌ का नाम ओर चिह्न खगे के नीचे से मिंटा टृऊंगा ॥ ९५ । ओर मसा ने यज्ञवेटी बनाई और उस का नाम यह रक्‍्खा कि पर- मेश्वर मेरी घजा ॥ २९६। क्यांकि उस ने कहा कि परमेस्यर ने किरिया खाके कहा के कि में अमालोीक के साथ पीढ़ी से पीढी ले लड़ता रहूंगा ५ १८ पब्ब] कौ पस्तक । १४५ ९८ अठारहवां पब्बे । ब मिट्यान के याजक मसा के ससर यितरू ने यह सब सना कि ई स्वर ज मसा और अपने लोग इसराएल के लिये क्या किया कि परमेग्वर इडूसराएल का मिख से बाहर लाया ॥ २। ता यितरू मसा के सस र ने सफर म्‌सा की पत्नी का उस के पीछ कि उस ने उसे फिर भजा था लिया॥ ३। और उस के दा बेटों का जिन में से एक का नाम गैरसुम इस लिये कि उस ने कहा कि में परटेश में परटेशी कह्ूुं॥ ४। और दूसरे का नाम इलिअजर क्यांकि मेरे पिता का ईम्यर मेरा सहायक है और उस ने मर्से फिरकन के खड़ से बचाया है॥ ५। ओर मसा का ससर यितरू उस के पत्र ओर उस कौ पत्नौ के लेके मसा पास बन में आया जहां उस ने इंश्वर के पहाड़ पर डरा किया था। ६। ओर ममा का कहला भेजा कि में तेरा ससर यितरू तरी पत्नीं आर उस के पत्र तक पास आय हैं ॥ ७। तब मसा अपने ससर की भेंट के निकला ओर उसे प्रणाम किया ओर उसे चूमा आर आपुस में एक ने ट्रसरे का कछ्षेम कुशल पूछा ओर तंबू में आये ॥ ८। ओर जा कुछ परमेग्रर ने इसराएल के लिये फ्रिज॒न और मिसियें से किया था ओर समस्त कष्ट जो मागे में उन पर पड़े थे और कि परमेश्वर ने उन्हें क्यांकर बचाया मूसा ने अपने ससर यितरू से सब कुछ बणेन किया ॥ €। और यितरू उन सब उपकारों के कारण से जिसे परमेश्वर ने इसराएल पर किया जिन्हें उस ने मिखियां के हाथ से बचाया आनंदित हुआ॥ २१०। ग्यार यितरू बाला कि परमेग्वर धन्य है जिस ने तम्म मिखियां के हाथ ओर फिरऊन के हाथ से बचाया जिस ने लागों का मिखियां के बश से कृड़ाया॥ २१५९। अब में जानता हु कि परमेग्वर सब ट्वों से बड़ा हे क्योंकि वह उन कामों में जा उन्‍्हों ने अहंकार से किये उन पर प्रबल हुआ॥ १५२। ओर मसा का ससर यितरू जलाने की भंट ओर बलिदान ई स्वर के लिये लाया ओर हारून और इसराएल के समस्त प्राचीन मुसा के ससर के साथ रोटी खाने के लिये ईग्वर के आगे आय । ९५३। ओर टूसरे दिन थां हुआ कि मूसा लागों का न्याय करने के 9 (005 हि: ले २8४६ यात्रा प्र पन्ने डे बैठा ओर लाग मसा के आगे बिहान से सांक ला खड़े रहे ॥ १५४। तब मसा के ससर ने सब कह जा उस ने लागां से किया देख के कहा कि यह तलागों से क्या करता हे त क्यां आप अक्रेला बेठा क्षे और सब लेग्ग बिहान से सांम्क ले तेरे आगे खड़े हैं ॥ १५५ । तब म॒सा ने अपने ससर से कत्तीकि यह इत लिये के कि लेग ईस्रु का/ दंढने के लिये म्ाध्फास आते हैं ॥ २६ । जब उन में कक्त बिबाद हे।ता हे तब वे मेरे पास आते हों और में मलव्य में और उस के संगी के मध्य में न्याय करता हूं ओर में उन्हें ईम्वर की विधि और उस की ब्यवस्था से चिता देता छूं॥ १५७। तब मसा के ससर ने उस्म कहा कि त्‌ अच्छा काम नहों करता ॥ श८।तू निड्यय ज्षौण हा जायगा और यह मंडली भी जा तर साथ ह क्यांकि यह काम तुम पर निपट भारी हु यह तु से अक्रेले न बन पड़ेगा ॥ ९६ । अब मेरा कहा मान में तुम्झे मंत्र देता हूं और ईय्यर तरे साथ रहे तू उन लोगों के पास ईश्वर के आगे हे! और ई श्र के पास उन का बचन लाया कर ॥ २० । गऔर त ब्यवहार ओर ब्यत्रस्था की बातें उन्हें सिखा जऔर बह मार्ग जिस पर चलना ओर वह काम जिसे करना उन्‍्ह उचित कहे उन्‍हें बता ॥ २१॥। से त समच्ष्त लागों में से याग्य मनव्य चन लेजाईयश्वर से डरते हैं ओर सत्यवादी हें ओर लेभी न हावें और उन्‍हें सहस्तां ओर से कड़ा और पचास पचास ओऔएर ट्स द्स पर आ/ज्ञाकारी कर ॥ २२। कि हर समय में उन लागां का न्याय कर और णसा हेगा कि वे हर एक बड़ा काव्य तक पास लांव पर हर एक छाटे काथ्थ का बिचार आप करें यां तेरे लिये सहज हे। जायगा ग्यार वे बाक्क उठाने में तरे साथी रहेंगे॥ २३। यदि 'त यह काम करे और ईश्वर तम्भे आज्ञा करे ते। त सहि सकेगा और ये लाग भी अपने अपने स्थान पर कुशल से जायेंगे। २४। सा मसा ने अपने ससर का कहा सना ओआर जो उस ने कहा था उस ने सब किया और मसा ने समस्त इसराएलियों में से स्राग्य मनव्य चने ओर उन्‍हें लागोां का प्रधान किया सहस्तां का प्रधान सेकडां का प्रधान पचास का प्रधान और द्स दस का प्रघान ॥ २५। वे हर समय में लागां का न्याय करते थे कठिन कार्य मसा पास लाते थे॥ परंतु हर एक छोटी बात आप हो चुका लेते थे ॥ १८ पब्बें] की पुस्तक । २४७ २६। फिर म्‌सा ने अपने ससु९ के। विदा किया और बुच्द अपने देश के चला गया।॥ १6 जन्नौसयां पब्बे । (८-4 “सराएल के संतान मिस्व की भूमि स बाहर हेके तोसरे मास के उसी दिन सौना के बन में आये ॥ २। क्यांकि वे रफोट्ौम से चलके सोना में आये ओर बन में डरा किया ओर इसराएल ने पहाड़ के आगे तंब खड़ा किया ॥ ३। तब मसा ईब्र पास चढ़ गया और परमेश्वर ने उसे पह्दाड़ पर से बुलाया और कहा कि तू यअकुब के घराने के यां किये! और इसराएल के संतानों से यां बालियो ॥ ४। कि तम ने ट्खा क्रिमें ने मिलखियां से क्या किया और तम्ह गिड्र के डेनां पर बैठा के अपने पास ले आया ५ । ओर अब यदि भेरे शब्द के निश्चय मानागे ओर मेरी बाचा का पालन करोगे तो तुम समस्त लागां से विश्ष घनिक हे क्योंकि सारी एथिवी मेरी है। ६ और तुम मेरे लिये वाजकमय राज्य और एक पवित्र जाति हाओगे ये बात तू इसराएल के संतान का कहिया ॥ ७। तब मूसा आया ओर लोगों के प्राचौनों का बुलाया और उन के सन्मुख सारी बात जो परमेग्वर ने उसे कही थों कह सनाई॥ ८। और सब लागां ने एक साथ उत्तर ट्‌के कहा कि जा कुछ परमेग्घर ने कहा है से हम करेंगे और मा ने लागों का उत्तर परमेश्वर कने ले पहुंचाया ॥ 6 । और परमेश्वर ने मसा से कहा द्खमें अंधियार मेव में तक पास आता हूं कि जब में तम्ह से वात करू लाग सन ओर सदा लोॉं प्रतोति करे गओर मसा ने लागां की बातें परमेश्वर से कहीं॥ ५०। ओर परमेश्वर ने मसा से कहा कि लागां पास जा और आज कल में उन्हें पवित्र कर ओर उन के कपडे धलवा॥ १५१। ओर तौसरे ट्नि सिद्ध रहें कि परमेगश्वर तोसर टन सार लागां की दृष्टि में सौना के पहाड़ पर उतरंगा ॥ १२। ओर त्‌ लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बांधिया और कहियण्ग कि आप से चेकस रहे पहाड़ पर न चढ़े और छस के खट के! न छओ जा काई पहाड़ का छबेगा से। निश्चय प्राण से मारा जायगा ॥ १४८ यात्रा [१८ पत्ब ९३। काई हाथ उसे न छये नहों ता वह निशञ्यय पत्थरवाह किया जायगा अथवा बाण से मारा जायगा चाहे मनय्य हे। चाहे पश जीता न बचगा जब तरहो शब्द अबर कर ता पहाड़ पर चढ़ ॥ १४ । तब मसा ने पहाड़ पर से उतर के लागां का पवित्र किया उन्‍्हें। ने अपने कपड घाये ॥ ९५ । और उस ने लागां से कहा कि तौसरे दिन सिद्ध रहा स्कियां से अलग रहिये॥ २९६। ओर यां हुआ कि तोसरे टन बिहान के मेघ गज्जेने लग ग्रर बिजलियां चमकों और पहाड़ पर काली घटा उमड़ी और तुरद्दी का अति बड़ा शब्द हुआ यहां लें कि सब लाग छावनी में थथैरा उठे ॥ ९५७। ओर मसा लागों के तंब्‌ के भीतर से बाहर लाया कि ईख्र से भंट करावे और वे पहाड़ की नोचाई में जा खड़े हुए ॥ 0 ८। और सोना का पहाड़ घआं से भर गया क्योंकि परमेग्वर लोर में हेके उस पर उतरा ओर भट्टी का सा घ॒आं उस पर से उठा और सारा पहाड़ अति कांप गया॥ १५९। और जब तरही का शब्द बढ़ता जाता था तब मसा ने कहा ग्रार इंश्वर ने उसे शब्द से उत्तर दिया॥ २०। और परमेम्वर सौना पहाड़ पर उतरा पहाड़ की चोटी पर और परमेग्थर ने पहाड़ की चोटी पर मसा के बलाया ओर मसा चढ़ गया॥ २१९। तब परमेजञर ने मसा से कहा कि उतर जा ओर लोगों के चिता एसा न हे। कि वे मेड़ ताड़ के परमेश्वर का टेखने आवबें ओर बहुतेरे उन में नाश हे। जावें। २९। और याजक भी जो परमेग्वर के पास आये हैं अपने के। पवित्र करें कहों ऐसा न हे कि परमेश्वर उन पर चपेट करे॥ २३। तब मसा ने परमेगर से कहा कि लोग सौना पहाड़ पर आ नहों सक्त क्यांकि त ने तो हमें चिता दिया है कि पहाड़ के आस पास बाडा बांघ और उसे पवित्र करं॥ २४। तब परमेगचर ने उसे कहा कि चल नीच जा और त हारून समेत फिर ऊपर आ परंत याजक ओर लोग मेड ताड़ के परमेशअर पास ऊपर नआउे न हेवे कि वह डन पर चपेट करे॥ २५। से मसा लागों के पास नीचे उतरा और उन से कहा । २० पब्ब] को पुस्तक । १४८ २० बौसवां पब्बे । ि ईम्घर ने ये सब बाते कहों ॥ २। कि तेरा परमेश्वर ईग्वर जे तम्मे मिख की भमि से और बंघआई के घर से निकाल लाया में हूं॥ 8 । भेरे सनन्‍्मख तेरे लिय द्वसरा ईम्वर न हागा॥ ४। अपने लिये खाद के किसी की मर्ति ओर किसी बस्त की प्रतिमा जा ऊपर खबगे में अथवा नीचे एथिवी में अथवा जल में जा प्रथिवी के नोच हु मत बनाइया॥ ५। त उन को प्रणाम मत कौजिया न उन कौ सेवा कीजिया इस लिये कि में परमेग्वर तेरा ईश्वर ज्वलित ईस्प्वर हूं पितरों के अपराध का टंंड उन के पत्रों का जा मेरा बैर रखते कहें उन को तोौसरी ओर चेथी पीढ़ो ला दवेया ह्ुं॥ ६। ओर उन में से सहसखां पर जो मुझे प्रेम करते हैं और मेरी आज्ञाओं के पालन करते हैं ट्या करता हूं । ७। परमेश्वर अपने ईगश्वर का नाम अकारथ मत लीजिया क्यांकि परमेग्वर उसे जा उस का नाम अकारथ लेता है निष्पाप न ठहरावेगा | प्स। बिश्राम के दिन के पवित्र रखने के लिय स्वरण कीजिया ॥ <।छ दिन लॉ अपने समस्त कार्थ कीजिया॥ १५०। परंत सातवां दिन तेरे परमेश्वर ईश्वर का है उस में काई कुछ कारये न करे नत न तेरा पत्र नतरो पुत्री न तेरा दास न तरी दासी न तेरे पश न तरा पाहुन जा तरे फाटक के भौतर है॥ १५९। इत जिये कि परमेग्र ने छःट्न में खरे और एथिवी ओर समटद्र और रुव कछ जो उन में है बनाया और सातवें दिन बिश्वराम किया इस कारण परमेग्वर ने विश्राम दिन के आशीसमय और पवित्र उहराया॥ १२। अपने माता पिता को प्रतिष्ठ। दे जिसते तेरी बय जिसे तेरा परमेम्यर ई स्वर त्॒ते एथिवी पर देता है अधिक हे।वे ॥ २३। हत्या मत कर॥ १५४। परस्लोी गमन मत कर॥ १५५४। चोरी मत कर॥ ९५६। अपने परासी पर म्कटोौ साहछी मत दे ॥ ७। अपने परोसौ के घर का लालच मत कर अपने परोसीो कौ स्त्री और उस के दास और उस कौ दासौ ओर उस के बैल और उस के गटहे ओर किसी बस्त का जो तेरे परासौ कौ क्*े लालच मत कर॥ १८। ओऔर सब लोगों ने १५० यात्रा [२९ पब्बे गज्लेना और बिजली का चमकना ओर तुरद्दी का शब्द ओर पबेत से घ्ऊऋं उठना देखा सब लागां ने जब यह देखा तो हटे और टूर जा खड़े रहे॥ १८। तब उन्‍्हों ने मसा से कहा कि तही हम से बेल ओर हम नेपरत ईमग्घर हम से न बाले न हा कि हम मर जाय ॥ २० । तब मसा ने लागां से कहा कि भय मत करो इस लिये कि ईश्वर आया को कि तम्हे परखे ओर जिसतें उस का भय तम्हार सनन्‍्क्रख प्रगट हे।य जिसतें तम पाप न करा॥ २२९१। तब लाग हर खड़े रहे और मसा उस गाढ़े अंधकार के समीप गया जहां ईश्वर था ॥ २२ । और परमेश्वर ने मसा से कहा कि त्‌ इसराएल के संतान से थां कह कि तम ने टेखा में ने खग से बातें किई॥ २३। तम मेरे सन्मख चांदी का ई ब्घर और से ने का इईंस्थर मत बनाइये7 ॥ २४। त मेरे लिये मट्ठी की यज्ञबेरी बना और उस पर अपने हाम की अंट चढ़ा और कुशल की भेंट आर बलिटान अपनी भड़ों ओर अपने बैलें से और जिस स्थान में अपना नाम प्रगट करूंगा वहां में तम्क पास आऊंगा और तस्ते आशोष ट्रंगा॥। २५। ओर यदि त मेरे लिये पत्थर की यज्ञंवेरी बनावे ता गढ़े हुए पत्थर से मत बना क्योंकि यदि तू उस पर हथियार उठावे ते उसे अपविच्र करेगा॥ २६। और तू मेरी यज्ञबेटी पर सीढ़ी से मत चढ़ जिसतें तेरा नंगापन उस पर प्रगट न हैवे॥ २२९ एकीसवां पब्बे। ब बिचार जिन्हें त उन के आगे घरे ये हें॥ २। कि यदि त इज्री जा टास के मेल लेवे तो वह कः बरस सेवा करे औरर सातवें में सत कछाड़ ट्या जायगा॥ ३। यदि वह अकेला आया ता अकेला जायगा यदि वह विवाहित था ते! उस की पत्नी उस के साथ निकल जायगौ ॥ ४ । यदि उस के खामी ने उसे पत्नी दोई है और उस को पत्नी उच्म बेटे और बेटियां जनी ता उस की पत्नी और उस के बालक उस के खामी के होंग और वह अकेला चला जायगा ॥ ५। और यदि वह दास खेएल के करे कि मैं अपने खामी ओर अपनी पत्नी का ओर अपने बालक को प्यार करता हूं में निब॑ंघ न कछंगा॥ ६। तो उस का खामी उसे न्यायियों के २९ पब्थ] कौ पुस्तक । १५२ पास ले जाय फिर उसे द्वार पर अथवा द्वार की चौखट पर लावे गऔजर सतारी से उस का कान छेदे और व॒ह सदा उस की सेव करे | ७। और यदि केई मनुव्य अपनी कन्या के बेंचे जिसतें बुह दासी हे।य ते। वच्द दढासें कौ नाई बाहर न जा सकेगी॥ ८। यदि वुह अपने खामी को दृष्टि में जिस ने उस्शे बिवाह किया बुरौं हेय तब वह उसे छड़वावे परंतु उसे सामथ्ये नहीं कि क्रिसो अन्यटेशों के हाथ बंच डाले क्यांकि उस ने उस्झे छल किया॥ €। और यदि वह उसे अपने बेटे से ब्याह ढ्वे तो बुह् उस्म बेटियां का ब्यवहार करे॥ १५०। यदि वुह् ट्ूसरी के लेवे तो उस का अन्न और बस्तर जैर बिवाह का व्यवहार न घटावे ॥ ९९। और यदि वुच्द ये तौन उस्हमे न करे तो बुद्द सेंत से बिना दाम दिये चलो जाय ॥ ९२। जे; काई किसी मन॒व्य का मारे और वह रुर जाय बुद्द निद्यय घात किया जाय ॥ ९५३। और यदि वुह् मन॒व्य घात में न लगा हे परंत ईर ने उस के हाथ में सौंप द्या हे। तब में तु उस के भागने का स्थान बता हूंगा॥ १५४। परंतु यदि काई मन॒व्य अपने परासी पर साहस से चढ़ आवे जिपतें उसे छल से मारे तो उसे त्‌ मेरी यज्ञंबेरी से ले जिसतें व॒ह सारा जाय॥ ९५। और बुद्द जा अपने पिता अथवा अपनी माता को मारे निश्चय घात किया जायगा॥ २१६। और जो मनुत्य के चुरावे और उसे बेंच डाले अथवा बुह उस के हाथ में पाया जाय तो वह निः्चयय घात किया जायगा॥ ९७। और बुच्द जा अपने पिता अथवा अपनी माता पर घिक्कार करे निश्चय घात किया जायगा॥ ९८। और यदि दे मनुव्य ककगड़ें और एक टूसरे के पत्थर से अथवा मुक्का मारे और वुह न मरे परंतु बिकने पर पड़ा रहे॥ १९७८। तो यदि वुहद उठ खड़ा हाय और लाठी लेके चले तो जिस ने मारा से निर्दाण ठहरेगा केवल उस के समय की घटौ के लिये भर हेवे और चंगा करावे॥ २०। ओर यदि कोई अपने दास अथवा ट्ासी के छड़ी मारे और वुह्द मार खाती हुई मर जाय तो निश्चय उस का पलटा लिया जाय॥ २१५॥। तथापि यदि वह एक दिन अथवा ट्ा टन जीवे ता उसे दंड न दिया जावे इस लिये कि वुष्त उस का घन है॥ २२। यदि लाग ककगड़ें और गभिणी के दुःख पहुंचावें ऐसा कि उस का गर- १५२ यात्रा [२९ पब्ब पात हे। जाय परंत बुह्द आप न मरे ते। जिस रौति का हूंड उस का पति कहे दिया जावे और न्यायियां के बिचार के समान उसे डांड़ ट्वे॥ २३। और यटि उसे कुछ हानि हेवे तात प्राण की संती प्राण दे ॥ २४ ॥ अगख की संती आंख दांत की संती दांत हाथ की संतो हाथ पांव की संतो पांव ॥ २४ । जलाने की संतो जलाना घाव की संतो घाव चाट की संती चाट॥ २६। और यदि काई अपने टास अथवा अपनी टासो की आंख में मारे कि उस को आंख फट जाय ता उस की संती में डसे काड़ दवे॥ २७। और यदि बह अपने टास का अथवा अपनी टासी का दांत ताड़ तो द्वांत को स॑ती उसे छोड़ ट्वे॥ २८। यदि मनवय्य का अथवा स्ल्रो का बल सौंग मार एसा कि वह मर जाय तो वह बैल पत्थरवाह किया जाय और उस का मांस खाया न जावे परत बैल का खामी निटाण है ॥ २८ । परंत यदि बह बैल आगे से सौंग मारने की बान रखताथा और उस के खामी को संदेश दिया गया औगर उस ने उसे बांध न रकहप परंत उस ने परुष अथवा स्त्री का मार डाला ता बैल पत्थरवाह किया जाय और डस का खामी भी घात किया जाय॥ ३०। और यदि उस पर डांड़ ठहराया जाय तो अपने प्राण के प्रायश्चित्त के लिये जा उस के लिये ठहराया गया है| व॒ह ट्वे॥ ३९। चाहे उस ने सौंग से पुत्र के मारा हे! अथवा पत्रौ का इसी आज्ञा के समान उस के लिये बिचार किया जावे॥ ३२। यट्टि किसी के दास अथवा ट्ासो का बेल सौंग मार बेठ ता वह उस के खामी का तौस शेकल रूपा टेवे और बैल पत्थरवाह किया जाय॥ ३३। और यदि काई गड़हा खाले अथवा खेाद और उस का मुंह न टढांपे आर बेल अथवा गधा उस में गिरे। ३४। तो उस गड़हे का खामी उसे भर ट्वे और उन के खामी के दाम दे और लेथ उसी कौ हेगी ॥ ३५। और यदि किसी का बैल टूस रे के बैल के! सतावे ऐसा किवुष्ठ मर जाय तो वुह जीते बैल के! बेचे और डस के दम के आधा आघ आपस में बांट लेवें और वह मरा छुआ भी उन में आधघाआध बांटा जाय ॥ ३६। और यदि जाना जाय कि उस बैल के सौंग मार बैठने की बान थी ओर उस खामौ ने उसे बांघ न रक्‍वा ता व॒ुह निश्चय बेल कौ संतों बेल ढंवे २२ पब्बे] कौ पस्तक । १४३ और मरा हुआ उस का हेगा॥ ३७। यदि काई बैल अथवा भेड़ चरावे ओर उसे मारे अथवा बेंच तो वह एक बैल के पांच बेल झऔर एक भेड़ कौ चार भड़ें टगा ॥ २२ बाईसवां पत्बे । दि चार सेंध मारते हुए पाया जाय और कोई उसे मार डाले तो य उस की संती लाह्ल न बहाया जायगा॥ २ । यदि सर्थ उदय हेवे तो उस की संतो लाह्न बहाया जायगा उचित था कि वह उसे भर ट्‌तायदि बुच्द कंगाल है। ता अपनी चारो के लिय बचा जायगा॥ ३। यदि चारी की वस्त निश्यय उस के हाथ में जोवत पाई जाय चाहे बैल हे। चाहे गदहा चाहे भेड़ बकरी ते वह ट्ूना देगा ॥ ४। यदि काई खेत अथवा दाख कौ बारी खिलावे ओर अपने पश उस में छाड़े और टूसरे के खेत में चरावे ता अपना अच्छ से अच्छा खेत ओर संट्र से संटर दाख की बारी उस की संती देगा॥ ५। यदि आग फट निकले ओर कांटों में जा लगे एसा कि अनाज के ढेर अथवा बढ़ा हुआ अन्न अथवा खत जल जाय ते जिस ने आग बारी निदञ्यय वुद्र भर टेगा॥ ६। यदि काई अपने परोसो के रूपा अथवा पात्र रखने का सौंप और उस के घर से चोरी जाय ता जब वह चार हाथ लगे ता बह ट्ूना भर ट्गा॥ ७। यदि चार पकड़ा न जाय ता उस घर का खामी न्यायियां के आगे लाया जाय उस ने अपने परासो की संपत्ति पर अपना हाथ बढ़ाया कि जहीं ॥ ए। समस्त प्रकार के अपराध में चाहे बैल चाहे गटहे चाहे भेड़ चाहे कपड़े चाहे किसी खाई हुई बस्त का जिसे ट्रस रा अपनी कहता हे टानें की बात न्यायियां के पास लाई. जावे और जिस के न्यायी टाधी ठहरावे वह अपने परासों के दहूना टगा॥ «। यदि काई अपने परोसो पास गटहर अथवा बेल अथवा भेड़ अथवा काई पश थाती रक्‍खे और वह मर जाय अथवा अंग भंग हे। जाय अथवा हांका जाथ ओर काई नदेखे॥ २०। ता उन ट्वानों के मध्य सें परमेग्वर की किरिया लिई जाय कि उस ने अपने परोसी की संपत्ति में हाथ नहों बढ़ाया ग्लार उप्त का खामी मान ले तब वच्द उसे भर न देगा॥ ९१९ । गर यदि वुह उस क॑ पास से चु राया जाय 20 [46,857] ५५४ यात्रा [२२ पब्बे तो वह उस के खामो का भर ट ॥ १५२। यदि वह फाड़ा जाय तो वह उसे साकह्ती के लिये लावे ओर भर न टंगग॥ १५३। यदि काई मनव्य अपने परोसी से कुछ भाड़ा लेवे और बच अंग भंग है। जाय अथवा मर जाय याद खामी उस के साथ न था ते व॒ह न्च्यूय उसे भर टगा॥ १५४। पर यदि उस का ल्वागी उस के साथ था ता बुच्च भर न देगा यदि भाड़े का हे।य ता उस के भाड़े के लिये जायगा॥ १५४। यदि काई किसी कन्या के फसलावे जिस की बचनदत्त न हुई और उस के संग शयन करे वर अवश्य उसे टैजा दके पत्नो कर ॥ १६ । यदि उस का विता उस के दने में सबेथा नाह कर ता वह कुआंरियां के टन के समान उसे टेजा ट्गा॥ ९५७। त टानहिन का जौने मत दे॥ १५८। जा काई पछ से रत कर निच्यय घात किया जायगा॥ १५६ । जो काई परमेश्वर का छाड़ किसो ट्वता के! बलिदान ट्गा वुह् निश्चय नाश किया जायगा ॥ २०। परदेशी का मत खिजा और,उसे मत सता इस लिये कि तुम मिस्र के देश में परद शी थे॥ २९। किसौ बिघ्रवा के अथवा अनाथ लड़के के दृःख मत देआओ ॥ २२। यदि तु उसे किसी रौति से दुःख दवे ओर वह मेरी दोहाई देवे तो में निश्चय उन का राना सनंगा ॥ २३। ओर मरा क्राघ भड़केगा में तम्हें खड़ से माह्गा ओर तम्हारी पत्नियां विधवा और तम्हारे संतान अनाथ हे। जायगे॥ २९२४। यदि तू मेरे लाग में के कंगाल का कुछ क्टण हेवे ता उप्त पर ब्याज ग्राहक के समान मत हे। ओर छस्झ ब्याज मत ले॥ २५ । यदि तू अपने परासी का बस्तख बंधक रक्खे ता चाहिये कि तू सूर्य अस्त हेते हुए उसे पहुंचा दे॥ २६। क्यांकि उस का केवल यही ओढ़ना है यह उस के ट्ह का बस्तर हे जिस में वह से! रहता हे ओर यों हागा कि जब वह मेरे आगे दाहाई देगा तब में उस की सनंगा क्यांकि में ट्याल छुं॥ २७। त्‌ अध्यक्षां के! दृबेचन मत कच् ओर अपनी मंडजी के प्राचौनें के सखाप मत द ॥ र२८। अपने पक्ष फलों की बढ़ती में से और अपने टाखरस में से ट्‌ने में बलंब मत कर अपने पत्रों में से पहिलौंठा मस्ते टे॥ २८। एसा ही त्‌ अपने बैलां से ओर भेड़ से कीजिया सात दिन लो वह अपनी मा के साथ रहे आठवें दिन उसे म स्‍्क दौजिया॥। ३०। ओर तम मेरे लिये पर्वित्र मनव्य हाओई ओर जा २३ पब्ब » की पस्तक ॥ ९५५ पश्‌ खेत में फाड़ा जाय उस का मांस मत खाइयेा तम उसे कुत्तों का दौजिया ॥ | २३ तेईस्ां पब्बे । मिथ्या संदेश मत फैलाइयेा अधमे की साक्षी में दृष्टो| का साथी मत हे।॥ २। बराई में मंडली का पीक्ा मत कर और तू किसौ ककगडछे में बहुतां की ओर होके अन्याय का उत्तर मत दौजिया॥ ३। और न कंगाल पर उस के ब्यत्रहा र पद में दृष्टि कौजिया॥ ४। यदि त अपने बे रो के बेल अथवा ग़दहे का वहकते ट्खे ता उसे आवश्यक उस पास पहुंचाइया ॥ ५। यदि तू अपने बेरी के गदहे का ट्खे कि बे क के नीचे ज्लैठट गया क्या उस की सहाय न करेगा त्‌ निश्यय उस की सहाय की जिये। ॥ ६। त अपने कंगाल के ब्यवहार पद में न्याय से अलग मत रहियो ॥ ७। भाटी बात से टर रहिया ओर निर्टाषियां ओर घर्मियां के! घात मत कीजिया क्योंकि में दुष्टां का निदाष न ठहराऊंगा॥ ८ै।त अकार मत लेना क्यांकि अकेार दृष्टिमानों का अंधा करता है ओर घमयां के बचन के फर देता है॥ <। बिदेशियां पर भी अंघर मत कीजियो क्यां कि तम परदृशी के मन का जानते हा इस लिये कि तम आप भी मिस के देश में परटशो थे॥ ५०। अपनी भमि में छः बरस बे। और उस के फल एकट्ट कर ॥ १५१५॥। पर सातवें में उसे च न में पड़ो रहने हे जिपते तेरे लाग के कंगाल उसे खावें ओर जा उन से बच छत के पश चंर इसी रीति अपनी द्राक्षा और जलपाई की बारी से व्यवहार कौजिये।॥ ९५२ । छः दिन अपना काम काज करना ओर सातवें दिन विश्राम कीजिये जिसत॑ तेरे बैल ओर तरे गदहे चैन कर ओर तेरी दासियों के बेटे ओर परटेशी सस्तावं॥ ९३। ओर सब बात में जो में ने तम्झे आज्ञा टिई है चेकस रह उपरी दृवता का नाम लो मत लेगओर तेरे मंह से सनान जाय॥ ९५४। त बरस टन में तीन बार मेरे लिये पे मान त अखुमीरी रोटी का पब्म मान ॥ ९५५४ । सात दिनलों जेसा में ने ते आज्ञा किई ह अखुमौरी राटो खा आबिब के मास में काई मेरे आगे छकछा न आवे॥ ९६॥। लबने का पे तरे परिश्रम के प्रथम ही फल जा ९५ ६ यात्रा [२६ पब्ब की न+-त.-+-+्वव तीस स सस सससससी-स व »»«न>-न«ंमनन-न+नीनकी+ननी-क-ीीनीनीनकणतभीीी--ी...4न्‍ _ फस्‍स- कक कफ+फरडफक$ सससईभ ऋफ:ए:़उक्‍क+- तू ने अपने खेत में बाये और एकट्ठा करने का पबे बरस के अंत जब त खेत से अपने परिश्रम के फल एकट्ठा कर ले ॥ ९७। तेरे समस्त परुष बरस बरस तोन बार परमेचर ई प्यर के सन्मख हे।वें॥ १५८ । त मेरे बलिटान का लाहू जो। मेरे लिये क्षे खमीरी रे।टी के साथ मत चढ़ा ओर मेरे बलि की चिकनाई विहान लो रहने न पावे॥ ९८। अपनी भमि के पहिले फलों के पहिले को परमेच्र अपने ई श्र के मंदिर में लातू बकरी का मेम्ना उस की माता के टृघ में मत सिस््ना। २०। द्ख मैं एक दूत तेरे आगे भेजता हूं कि मा में तेरी रक्षा करे ओर तम्के उस स्थान में जो म॑ ने सिद्ध किया ह्षे ले जाय ॥ २९ । उस्स चैौकस रह और उस का कहा मान उसे मत खिजा वक्यांकि वह तम्हारे अपराध के ज्षमा न करेगा इस लिये कि मेरा नाम उस में है ॥ २२९। यदि त सच मच उस का कहा माने और सब जी में कहता हूं माने तो में तेरे शत्नन का शत्र आर तेरे बेरियों का जैरी ह्ंगा॥ २३। क्योंकि मेरा ट्ूत तेरे आगे आग चलेगा और तम्फे अमरियों और हित्तियां और फ्रजियेां और कनआरनियां ओर हव्वियों और यबसियां के देश में लावेगा और में उन्हे नाश करूंगा॥ २४। त उन के ट्वतों के आगे मत म्क्रिया न उन की सेवा करना न उन के ऐसा कार्य करना परत उन्हें ढा दे आर उन की मर््तिन के ताड़ डाल॥ २५। और परमेश्वर अपने ई स्वर की सेवा करो और बच तम्हारे अन्न जल में आशीष टेगा और में तम्हारे बीच में से राग उठा लंगा॥ २६। तरे दृश में कोई गर्भपात और बांस न रहेगी में तेरे दिनो की गिनती का परा करूगए ॥ २७। में अपने भय को तेरे आगे भेजंगा में उन लागां के। जिन पास त आवेगा नाश करूंगा और मैं एसा करूगा कि तरे बेरी तेरे आगे पीठ फेर देंगे॥ र२८। में तर आगे बरंय का भर्जगा जा हुब्दी ओर कनआनी ओर हिक्षी का तरे साम्न से भगावेगी ॥ २९। में उन्‍हें एक ही बरस में तेरे आगे से टूर न करूंगा ऐसा न है। कि दृश उजाड़ हे।वे और बन के पश तरे बिराध में बढ़ जायं॥ ३०।म उन्हें थाड़े थाड़ कर के तेरे आगे से टूर करूंगा यहां लां कि तू बढ़ जाय और देश का अधिकारी हो जाय ॥ ३९ | जाल समद्र से लेके फिलस्तियां के समुद्र लों और बन से नदी लें तेरा सिवाना बांघंगा क्योंकि मैं दश के २४ पब्बे] की पस्तक । २४७ बासियों का तरे बश में करूंगा और त उन्‍हें अपने आगे से निकाल टेगा॥ ३२। तू न उन से न उन के ट्वतों से बाचा बांधघना॥ ३३। वे तरे दृश में न रहेंगे एसा न हे। किवे मेरे विरोध में तम्क्त से पाप कराव क्यांकि यटि त उन के ट्वां की सेवा करे तो यह तरे लिये निचे्यय फटा हेगा॥ २४ चोबीसवां पत्बे। 7र उस ने मसा से कहा कि परमेश्वर पास चढ़ आ त और हारून और नट्व ओर अबिक्ल और इसराणएल के संतान के प्राचौने। में से सत्तर मन्व्य सहित ओर तम टूर से टण्डबत करा॥ २। ओर मसा अकेला परमेश्वर के पास जायगा पर वे पास न आवें ओर ले उस के साथ न चढ़ जायें । ६। ओर मसा ने आके परमेश्वर कौ सारी बातें और न्याय लोगों से कहे और सारे लागां ने एक शब्द से उत्तर टके कहा कि सारी बातें जा परमेमग्वर ने कहीं हें हम करेंगे॥ ४। ग्यार मस्ा ने परमेश्वर की सारी बातें लिखों और बिहान के। तड़के उठा ग्लैर पहाड़ के नोचे एक बेटी बनाई और इसराएल कौ बारह गा४छी के समान बारह खंभे खडे किये ॥ ४। ओर उस ने इसराएल के संतानों के तरुण मनव्यां के! भेजा और उन्हों ने होम का ओर कुशल का बलिदान बैलों से परमेग्वर के लिये चढ़ाया॥ ६। ओर मृसा ने आधा लोक ले के पात्रों में रकवा ओर आधा रुधिर बंटी पर छिड़का॥ ७। फिर उस ने नियम की पत्री लिई और लागों का पढ़ सनाई वे बाले कि सब कुछ जा परमेशआअर ने कहा कै हम करेगे ओर अधीन रहेगे॥ ८। मसा ने उस लाह का लेके लागां पर छिड़का ओर कहा कि यह लेक उस नियम का हे जिसे परमंगचर ने उन बातां के कारश तम्हार साथ किया ह॥ <। तब मसा और हारून ओर नट्ब और अबिकह्न ओर इसराएल के सत्तर प्राचौन ऊपर गय ॥ ९५० । ओर उन्‍्हां ने इसराएल के ईय्वर के। देखा और उस के चरण के नोच जेसे नोौलमाण की गच के कार्य ख० की आकृति की नाई थे॥ ९९५। ओर इसराणल के संतानों के अध्यक्षों ९५८ थात्रा [२५ पदब्बे पर उस ने अपना हाथ न रकक्‍वा ग्यार उन्‍्हों ने ईंम्वर के देखा और खाया पीया भी । ९२। ओर परमेग्वर ने मसासे कहा कि पहाड़ पर मस्क पास आ और वहां रह जआर में तमते पत्थर कौ पटियों में व्यवस्था आर आज्ञा जो मैं ने लिखी के टूंगा जिसतें तू उन्हें सिखावे॥। ९५३। और मसा और उस का सेवक यकूसअ उठे ओर ईसम्वर के पहाड़ के ऊपर गये ॥ ९४ । ओर उस ने प्राचीनों से कहा कि हमारे लिये यहां ठहरो जब लो तम पास हम फिर न आंव और टेखे। कि हारून और हर तुम्हारे साथ हैं यदि किसी के कुछ काम हेवे तो उन पास जाय॥ १५५ । तब मूसा पहाड़ के ऊपर गया ओर एक मेघ ने पहाड़ के ढांप लिया॥ ९६। और परमेश्वर का बिभव सीना के पहाड़ पर ठहरा ओर मेच उसे छः दिन लें ढांपे रहा और सातवें दिन उस ने मेव के मध्य में से मूसा का बुलाया॥ ९७ । ओर परमेश्वर का बिभव इसराएल कौ दृष्टि में पहाड़ के ऊपर घघकती हूई आग की नाई देख पड़ता था॥ ९५८॥ और मूसा मेव के मध्य में चला गया और. पहाड़ पर चढ़ गया ओर मूसा पहाड़ पर चालौस दिन रात रहा। २५४५ पचौसवां पब्ये । जो परमेश्वर ने मसा से कह ॥ २। कि इसराएल के संतान से कह कि वे मेरे लिये भेंट लेबें हर एक से जेः अपनी इच्छा ओर अपने मन से मस्मे टेवे तम मेरी भेंट ले लोजिये। ॥ ३। ओर भेंट जेए तम उन से लेओगे से थे हें सेना रूपा और पीतल ॥ ४। नीला और बैंजनी और लाल और मीना कपड़ा और बकरी के रोम ॥ ५। और भेढ़ां का रंगा हुआ लाल चमड़ा और नील बर्ण "ओर शमशाद को लकड़ी ॥ ६। ओर दीपक के लिये तेल ओर लगाने के तेल के लिये और घप के लिये सगंघ ट्रब्य॥ ७। ओर सर्यकांत मणि ओर पट का और चपरास पर जड़ने के लिये मणि॥ ८। ओर वे मेरे लिये एक पवित्र स्थान बनावें और में उन के मध्य में बास करूंगा॥ <। तंब और उस के समस्त पात्रों के जैसा में तुझे दिखाज॑ वैसा ही बनाइयो॥ रं५ पब्बे] की पस्तक । १४८ १५०। ओर शमशाद की लकड़ी की एक मंजधा बनावें जिस की लंबाई अढाई हाथ और चेड़ाई डेढ़ हाथ ओर ऊंचाई डेढ़ हाथ हेवे॥ १९। ओर त उस के भीतर और बाहर निर्मल सोना मढ़िया और उस के ऊपर आस पास से।ने के कलस बनाइयेप॥ १५२। ओर उस के लिये सेने के चार कड़ ढालके उस के चारों कानों पर दा कड़े एक अलंग दो कड़े ट्सरी अलंग लगाइया ॥ २९३। और शमशा्‌ की लकड़ी के बहंगर बनाइये। और उन पर सेना मढ़िया॥ ९४। और उस मंजूषा के अलंग अलंग के कड़ में उन बहंगरों के। डाल दीजिये! जिसत॑ उन से मजूघा उठा जाय॥ ९५। मंजषा के कड़ां में बहुंगर डाले आयें वे उससे अलग न हां ॥ १६। और त उस सादी के जो में तम्फे ट्ऊंगा उस मंजषा में रखियोत॥ ९५७। ओऔर त्‌ निर्मल सोने का दयए का एक आसन बनाइया जिस की लंबाई अढ़ाई हाथ और चेड़ाई डढ़ हाथ हेवे॥ ९५८। और पीट हुए सोने के दा करोबी उस दया के आसन के दोनों खंटों में बनाइयेग॥ २९५९। एक करोबी एक में ओर हसरा टूस रे खंट में दया के आसन में से दे करे।बो उस के टानों खंट में बनाइया॥ २०। ओर वे करोबी पर फेलाये हुए हे ऐसे कि हया का आसन उन के पंखों के नीचे ढंप जाय ओर उन के मंह आमने साम्ने ट्या के आसन की गर हेवें॥ २५। और त उस ट्या के आसन के! उस मंजषा के ऊपर रखिया जर वह साज्ीो जा में तस्ते टेऊं उस मंजषा में रखिया॥ २२। वहां में तस्क से भेंट करूंगा और मैं ट्या के आसन पर से दानों करोबियों के मध्य से जो साक्षी की मंजघा के ऊपर होंगे उन सब बस्तन के कारण जा में इसराएल के संतानों के लिय तभके आज्ञा करूंगा तक से बातचौत करूंगा । २३। और त शमशाद की लकड़ी का दो! हाथ लंबा और एक हाथ चैड़ा और डेढ़ हाथ ऊंचा मंच बनाइथा॥ २४। ओर उसे निर्मल सेने से मढ़िया और उस पर चारों आर सेनने का एक कलस बनाइयो ॥ २५ | ओर उस के लिये चार अंगल क्तालर चारों आर बनाइया और. उस भ्मालर के चारों ओर सेने के मकुट बनाइयेगप॥ २६। और डस के लिये सेने के चार कड़े बनाइये! और उस के चार पाया के चार के/नों ९६० यात्रा [२६ पब्बे में लगाइया॥ २७। स्कालर के आगे कड़ बहंगर के कारण हें कि मंच उठाया जाय॥ २८। ओर तू वहंगर शमशाद कौ जकड़ौ का बनाना जऔर उनन्‍्हं सेने से मढ़ना कि मंच उन से उठाया जाय॥ २€८। और उस के पात्रां और करकल ओर ठकने ओर उडेलने के कटारे निर्मल से।ने से बनाइये।॥ ३०। और मंच पर भंट कौ रोटियां मेरे सन्‍्मख सटा रखिया॥ ३९। ओर त्‌ टौपक का एक क्काड़ निर्मल सेने का बना पीटे हुए कार्य का स्काड़ बने ओ_र उस कौ डंडी और उस की डालियां और उस की कली ओर उस के फल और उस के फल क एकच्दी के हावं॥ ३२। गज्यार छः डालियां उस कीं अलूगां से निकल एक अलंग से तोन टूस री अलंग से तौन हां॥ ३३। और चाहिय कि न कली वदामी एक डाली में ओर. फल फल के साथ हे ओर उसी रीति से तीस कली बढदामी ह्सरी डालौ में अपने फल फल के साथ हैं इसो रीति से छः डालियां में जा टौअट से निकली हुई हां ॥ ३४। और दौअट में चाहिये कि चार कली बढमी फल फल के साथ हें ॥ ३५। जैर एक णक कली उस कौटा दा डालियां के नौच॑ हे छः डालियां जा दोअट से निकछी हैं उन के नौचे एसी ही हां ॥ ३६। उन की कली और उन की डालियां डसी से हें और सब के सब गढ़ हुए निर्मल सेने के हां॥ ३७। ओर त्‌ उस के लिये सात दौपक बना और उन्हें जना जिसतें उस के सनन्‍्मख ऊंजियाला हेवे॥ ह८। और त उस की कतरनी ओर उस का पात्र न्मिल सेन्‍ने के बना॥ ३८। वह उसे इन समस्त पात्र समेत मन सवा एक निभल से ने के बनावे ॥ ४ ० । चेककस है| कि जेस। में ने तमक पहाड़ पर दिखाया त्‌ उसी डाल का बना । २६ छबौसवां पब्बे । ज्जैः त बट हुए भीने रूती कपड़े के ट्स ओटां का तंब बना नौला और द्ैेजनी ओर लाल ओर त उन्हें चित्रकारी से कराबौम बना ॥ २। और हर एक ओट की लंवाई अट्टवाईस हाथ ओर हर एक ओट कौ चैएड़ाई चार हाथ की है। और हर एक ओएट एक हौ नाप कौ है ॥ ३। २६ पत्ब] की प॒स्तक । ९६९ और पांचों ओट एक दूसरे से जाड़ी हुई हे! ओर पांच एक दूसरे से जाड़ी हुई हेस्‍॥ ४। ज्यार एक ओर के अंचल में मिलाने के खंट में नोंले तकमे बना ओर णएसे हो दूसरी ओएट के अंत खंट में मिलाने की और बना॥ ५। एक ग्राट में पचास तकमे बना ओर पचास तकमे हसरी ओर के मिलाने के खंट में बना जिसतें तकमे एक टूसरे में जुट जावें॥ ६ | और से ने कौ पचास घण्डी बना और उन्हों घण्यियों से गेट के। जोड़ जिसतें एक तंब हे। जाय॥ ७॥ ग्र बकरी के बालों की ओर बना जिसतें तंब के लिये ढांपन हे ग्यारह ओरटें त बना ॥ ८। एक गओएट की लंबाई तोौस हाथ ओर एक ओर की चौड़ाई चार हाथ डहेय ग्यारहें गेट एंक हो नाप की हें ॥ <। और पांच ओट के अलग जोड़ और छः ओट के! अलग जोड़ और छटवों ओर के तंब के सामने ढाहराव॥ २०। और पचास तकमे एक्ट के खंट में जा अंत के जाड़ में हे और पचास तकमे ट्रसरी ओएट के जाड़ में बन।॥ ९९। और पीतल की पचास घण्डियां बना और घष्डियों के तकमें में डाल और तंब का मिला जिसतें एक हे।वे ॥-. ९२.१ और तंब की ओरटो के बच हुए का आघो ग्राट जो बची हुई हो तंब के पिछलो ओर लटको रहे॥ २३। और तंब के ओएटों की लंबाई से जे! बचा हुआ हाथ भर इधर और हाथ भर उधर हे तंब के घटाटाप के लिये बनां॥ १४। और तंब्‌ के लिये एक घटाटोप मेढ़ें के लाल रंगे हुए चमड़ों से और एक घटाटोाप सब के ऊपर नौोले चमड़े का बना ॥ ९५। ओर तंब के हे, लिये शमशाद की लकड़ी से खड़े पाट बना ॥ ९६ । हरएक पाट की लंबाई ट्स हाथ चोड़ाई डढ़ हाथ हेवे ॥ ९७। और हर एक पाट में दा दो चल हें कि एक टूसरे में किया जाय और यों तंब के समस्त पाटों में कर ॥ ९८। और तंब के लिये दक्षिण की ओर बीस पाट बना॥ २१९। और बीस पाटों के नोच चांदी के चालीस पाए दो दो पाए हर एक पाट के नौचे उस की ट्ानों चलां के लिये बना। २०। ओर तंब को ट्रसरी ओर के लिये जा उत्तर की है बीस पाटर॥ २५। ओर उन के लिये चांटौ के चालीस पाए एक पाट के नोच दा पाए ओर दूसरे पाट के लिये हे! पाए बन्ा:॥ २२०. और तंबू की पस्यिम ओर कः पार बना। २३। 2] 0५08-89, 807] १६२ यात्रा [२७ पत्ब और दर प!र तंब के काने के लिये टानाों आर बना॥ २४। और वे नीच में मिलाय॑ जाव॑ं और ऊपर से एक कड़ी में जोड़ लाव णएसा ही हानों काने के लिये हेय॥ २५। से। आठ पाट ओर उन के सेलह चांदी के पाए हेांग दे। पाए एक पाट केनीच और दो पाए टूसरे पाट के नीचे॥ २६। और त शमशाट की लकडी के अडंगे बना तंब के एक अलंग के पाट के लिये पांच॥ २७। ओर पांच अडंगे तंब की ट्सरी ओर के पाट के लिये ओर पांच अड़्‌ंगे तंव के अलंग के पाां के लिय पश्चिम के दानें अलंग के लिये॥ २८। औरर पाटां के मध्य के बीच का अड़ंगा एक ओर से टूसरी ओर ला पहुचे ॥ २८। ओर पाशां के सेने से मढ़ और अडंगां के लिय सेनने के कड़े बना और अड्‌ंगे| के सेनने से मढ़॥ ३ ० । और तंब के जैसा कि में ने तक पहाड़ पर ट्खाया है वैसा ही खड़ा कर ॥ ३९। और बटे हुए कोने बटे काढ़े हुए सती कपड़े से नीला और बैंजनी और लाल घंघट और करोबी समेत बना ॥ ३२। औरर उसे सेने से महे हुए शमशाद की लकड़ी के चार खंभ पर लटका उन के सेने के अंकुर चांदी की चार चले पर है।वें ॥ ३३ । और घंघट के घवण्यी के नीचे लटका जिसते त उघट के भीतर साच्छ्छो की मंजणा लावे और वह घंघट पवित्र और महा पवित्र स्थान में बिभाग करेगा ॥ ३४। और दया का आसन _ साद्ी वी मंजूणा पर महा पवित्र स्थान में रख॥ ३५ । ओर मंच का घूंघट के बाहर रख ओरर दोअट के मंच के सन्मख तंब की एक ओर दृकछिण अलंग और मंच के उत्तर अलंग रख॥ ३६। और तंब के द्वार के लिये नौला और बैंजनी और लाल और बटे हुए कीने बस्त से बूटा काढ़ी हुई एक गज्ेट बना॥ ३७। और ओट के जिय शमशाउद के पांच खंभ बना और उन्हे से।ने से मढ़ उन के अंकुरे सोने के हें ओर त्‌ उन के लिये पीतल के पांच पाए टाल के बना ॥ 2 ज २७ सन्षाईसवां पब्ब। ढ्न हे हर | &र ते शमणात की लकड़ी को एक यज्ञबेटरों पांच हाथ लंबी और पांच हाथ चाडी वना यज्ञवेटी पे।कार हावे औएर उस को ऊंचाई तीन हाथ हेस्‍॥ २। ओर उस के चारों के'नां के लिय सौंग २७ पत्ब ] की पस्तक । ९१६३ बना ओर उस कौ सौंग उसी से हें और उसे पीतल से मढ़॥ ३। और उस की राख के लिये पात्र बना उस की फावडियां ओर उस के कटा रे आर उस का जिशल ओर अंगेटियां बना उस के समस्त पात्र पीतल के वना॥ ४। जर उस के लिये पीतज के जाल की एक म्कंमरी बना ओर उस जाल में पीतल के चार कड़े उस के चारों काने में बना ॥ ४। ओर उसे बेदी के घेरा के नीचे रख जिसतें बेटी के मध्य ले पहुंचे ॥ ६। ओर यज्ञवेटी के लिये शमशाद की लकड़ी का बहंगर बना ओर उन्‍हें पोतल से मढ़। ७। ओर उन बचहंगरों का कड़ा में डाल और बहंगर यज्ञवेदी के उठाने के लिये टानों अलंग में हे।वें॥ ८। उस के पाट यों पेले बनाइया जैसा कि तुझे पहाड़ में ट्खाया गया वैसाही उन्हें बनाइये! ॥ € । और तंब के का एण एक आंगन बना दक्षिण दिशा के आंगन के कारण बटे हुए कीने सती कपड़े से सा हाथ लंबा एक अलंग के लिये गेट बना॥ २१५०। ओर उस के बौस खंभे ओर उन के बीस पाए पीतल के हैं और खंभों के अंकुरे और उन के डंडे रूपे के बना॥ १५१। ओर ए्से हो उत्तर की ओर की लंबाई के लिये सो हाथ की लंबी ओट और उस के बीस खंभे और उन के पीतल के बीस पाए और खंभों के अंकुरे ओर उन के डंड रूपे के हां ॥ ९२। ओर पस्यिम अलंग के आंगन को चेड़ाई में पचास हाथ की ओआट हों ओर उन के दस खंभे ओर उन के ट्स पाए हें ॥ १५३ । ओर पबे अलंग के आंगन की चेड़ाई पचास हाथ हे।॥ २९४ । एक ओर की ओट पंद्रह हाथ हाय डन के तीन खंभ ओर उन के तौन पाए हें ॥ १४५। ओर टूसरी ओर कौ ओरट पंद्रह हाथ उन के तौन खंभे और उन के तीन पाए॥। ९६। ओर आंगन के फाटक के लिये नौला और बैंजनी और लाल रंग का बटे हुए कौने सती कपड़े से बटे काढे हुए का बौस हाथ को एक ओट बना उन के खंभे चार ओर उन के पाए चार॥ २९७। ओर आंगन के चारों ओर के समस्त खंभे रूपे के डंडे से हां उन के अंकुर रूपे के अ।र उन के पाए पीतल के॥ ९ ८ए। आंगन की लंबाई सो हाथ ओर चेड़ाई पचास हाथ ओर ऊंचाई पांच हाथ ककीने बटे हुए सती कपड़े से ओर उन के पाए पीतल के॥ २८ । तंबू ९६४ यात्रा [२८ पब्चे की समस्त सेवा के लिये समस्त पात्र और उस के सब खंटे उस के और आंगन के समस्त खंटे पीतल के हां ॥ २०। और इसराएल के संतान का आज्ञा कर कि तेरे पास कटे हुए जलपाई का निर्मेल तेल लाव जिसतें टौपक सदा बरा करे॥ २९ । घंघट के बाहर जो साज्षो के आगे हे मंडलो के तंब में हारून ओर उस के बेट सांभक से ले के बिह्ान ताई परमेम्वर के आगे नित्य उन की पीढ़ी से पोढ़ी ला इसराएल के संताने 3०-०४ लिये «५ के लिये यह बिघि है। रप् अटाईसवां पत्म । जे इसराएल के संतानों में से अपने भाई हारून के। अपने पास ले जिसतें वुह और उस के बेटे नट॒ब और अबविहक् ओर इलिअजर और ईंतमर याजक के पट में मेरी सेवा करें॥ २। और अपने भाई हारून के लिये ओर बिभव के लिये पवित्र बस्ल बना॥ ३। और उन समस्त बड्िमानों से जिन्हें में ने बड्धि का आत्मा दिया है कह कि वे हारून के। पवित्र करने के लिये बागा बनांवें जिसतें वह याजक मेरे लिये हे॥ ४। ओर वे ये बस्त बनावें चपरास और ए्फेोद और बागा और बटा काढी हुई कुरती और मकुट और करिबंध और वे पवित्र बस्तर तेरे भाई हारून जऔर उस के बटों के लिये बनावें कि मेरे लिये याजक होवें॥ ५। झओऔर वे सोना और नोला और बेंजनों ओर लाल मीना कपड़ा लगे॥ ६। और वे एफोट के सेने ओर नोले और बजनी और लाल और बटे हुए क्यौने कपड़े से बूटा काढ़ा हुआ बनावें ॥ ७। दो कंधे का जेड़ा उस की दाने ओरों से मिले हुए हों जिसतें थां मिलाया जाय॥ ८। और बटा काढ़ा हुआ एफोद का पट॒का जे! उस पर है उसी के काये के समान उसी से हे सेने ओर नो थे और बैंजनी और लाल और मकौोने बट हुए सती कपड़ से हे।॥ € | और दो बैट॒र्यमणि ले और उन पर इसराएल के संतानों के नाम खेद ॥ ९५०। उन में से छ के नाम एक मणि पर और शेष के छः नाम टूसरे मणि पर उन की उत्पत्ति के बाँध से हांवें॥ ९५९। मणि के खोटवेय के कार्ये से छापा के खादने के समान टोनों मणि पर इसराएल र८ पब्बे] की पक्तक । ६५ के संतानों के नाम खाद उन्‍हें सोने के ठिकानों में जड़। १५२। और होनें मणि का एफाद के दोनों मेंढ़ां पर रख कि इसराएल के संतानों के खारण के लिये हेवें और हारून उन के नाम परमेमग्वर के आगे अपने होनें कंधों पर स्मरण के लिये उठावेगा॥ १५३। और सेने के ठिकाने बना॥ ९४। ओर टोनों सीकरें निमेल सेने से खंटों में गथने के कार्य से उन्हें बना ओर गथी हुई सोकरों के। उन ठिकानों में जड़। २५५४॥। और चित्रकारी से न्याय के लिये एक चपरास बना एफाट के कार्य के समान सेने और बैंजनी और लाल और मौने बटे हुए सूती कपड़ से बना॥ २१६। यह चौकार ट्ाहरा होवे उस की लंबाई एक बित्ता और उस की चोड़ाई एक बित्ता। १७। और मणि की चार पांती उस में भर हे पहिलौ पांती में मणि का और पद्मराग और लालड़ी ॥ ५८। दूसरी पांतो में मकत और नौलमणि और हौरे॥ २८। तीसरी पांती में लशम और सर्यकांत और नीलिम॥ २०। चौथी पांती में बैटूये गैर फिरोाजा ओर चंद्रकांत वे सेनने के ठिकाने में जड़े जावे ॥ २९। ओर मणि इसराएल के बंश के नाम के संग हें छापे के खेहे हुए उन के नाम के संतान भेट बारह गे।ष्टी के समान हर एक अपने नाम के संग होवे॥ २२। और चपरास के ऊपर निमल सोने की गधी हुई सौकरें खंट में बना॥ २३। और चपरास पर सेने की दो कड़ियां बना और उन्हें चपरास के दाने खंटों में लगा॥ २४। और सोने कौ गथों हुई सौकर उन दानों कायां में जे चपरास के दाने खंटों में हें लगा॥ २५। और गथे हुए दोनों के हानें खंट उन के दो ठिकाने में जड़ और उन्‍हें एफाद के कंघां पर आगे रख॥ २६। और सोने की दो कड़ियां बना और उन्‍हें चपरास के किनारे के खंट पर जो एफोाट के भीतर कै और उस के जोड़ने के साग्ने एफाट के पटके के ऊपर रख ॥ २७। और सेने की दो कड़ियां एफाद के नीचे टोनों अलंग में रख उस के आग को ओर जोड़ के साम्ने चित्रकारी के एफोट के ऊपर रख॥ २८। और वे चपरास का उस की कड़ियों से एफाट की कड़ियां में नौले गाट से बांध कि एफाट के पट के के ऊपर हों जिसते चपरास एफाट से न हटे ॥ २८। और हारून नित्य परमेम्धर के आगे १६६ यात्रा के पढे सारण के लिये जब वुह् पवित्र स्थान में जावे इसराणल के संतानों नर नाम न्याय कौ चपरास पर अपनी छाती पर उठावे॥ ३०। और त क्रिम और थम्मिम का न्याय की चपरास में रख यह हारून की छाती प्र परमेस्थर के आगे जाने पर होगा औ।र हारून इसराएल के संतानों के न्याय का अपनी छाती पर परमेम्वर के आगे सदा लिये रहे॥ ३९। खैर एफाट का बागा सबत्र नौला बना॥ ३२। झऔर उस के ऊपर मध्य में एक छेट होावे ओर उस छेट की चारों ओर बिने हुए कार्य के गोरटे हां जैसा मिलम का मंह हेता क्षे जिसतें फटने न पावे॥ ३३। और उस के खंट के घरे में नीले और बैंजनी और लाल रंग के अनार बना ओर घेरे में सेने की घण्डी उन के मध्य में बना॥ ३४। से एक सेने की घण्डी और एक अनार और एक सोने की घण्डी और एक अनार बागे के खंट के बरे में लगा ॥ ३५ । और सेवा के समय हारून उसे पहिने और जब वह पवित्र स्थान में परमेग्धर के आगे जावे ओर जब निकले तब छस का शब्द सना जायगा जिसतें वह मर न जाय ॥ ३६। ओर निर्मल सोने की एक पटरी बना ओर उस पर खाट हुए छाप की नाई खाद कि परमेश्वर के लिये पवित्रमय॥ ३७। ओर उस पर नीले गाटे लगा जिसतें वह मकुट पर हावे से। मकुट आगे की ओर हे।वे ॥ ३८। और वह हारून के ललाट पर हेय कि हारून पवित्र बस्त के पापों के जिसे इस- राएल के संतान अपनी समस्त पवित्र भेटां में पवित्र करेंगे और वही उस के ललाट पर सदा हे! जिसतें वे परमेग्वर के आग ग्राद्य हावे ॥ ३५८॥। औरगर वागे पर भीने रूती कपड़े से बूटा काढ़ और मुकुट के। कोने बस्त् से बना ओर कटिबंध के चित्रकारी से बना॥ ४० । और हारून के बेटा के लिये बागे बना और उन के लिये कटिबंध और पगड़ो उन की शोभा खैर बिभव के लिये बना। ४ ९। श्र उन्हें अपने भाई हारून पर औ।र उस के संग उस के बेटा पर पहिना ओर उन्‍हें अभिषेक कर ओर उन्‍हें स्थापित और पवित्रकर जिसतें कि वे मेरे लिये याजक हेाव ॥ ४२-। और उन के लिये रूती जांघिया बना कि उन की नग्मता टांपी ज्ञाय आर चाहिये कि यह कर से जांघ लो हे ॥ ४३। और वे हारून और उस के बेटों पर हावं जब वे मंडली के मंट्र में प्रवेश करें अथवा जब वे पत्र स्थान में २८ पनत्ब] कौ पस्तक । ९६७ यज्ञबेटी के पास सेवा का आव कि वे पाप न उठाव और मर जायें यह विधि उस के ओर उस के पीछे उस के बंश के लिये सदा को हे । २८ उंतौसवां पब्बे । ८ हे व॒ह जो त्‌ उन के लिये करेगा जिसते उन्हें पवित्र करे कि वे मेरे लिये याजक होव याजक के पट में मेरी सेवा यह है कि त्‌ एक बछड़ा ओर दर निष्कलंक मेंढ़े ले। २। और अखमीरी रोटी और फुलके और अख्मीरी फुलके तेल से चुपड़ हुए और अखमीरी टिकरोौ तेल में चुपड़ी हुई खेत गेहूं के पिसान की बना॥ ३। और उन्हें एक टोकरी में रख और उन्‍हें टाकरी में बकूड़े ओर दानों मेंढों समेत आगे ला॥ ४। ओर हारून और उस के बेटों का मंडली के तंबू के द्वार पर ला और उन्हें जल से नहला॥ ५। और बस्त ले और हारून के। कुरती और पटुके का बागा पहिना ओर एफाद ओर चपरास एफाट का पटका उस पर बांघ॥ ६। ओर मकुट का उस के सिर पर रख और पवित्र किरीट मकुट पर घर॥ ७। तब अभिषेक करने का तेल ले और उस के सिर पर ढाल और उसे अभिषेक कर ॥ ८। फिर उस के बेटा का आगे ला और उबन्‍्हं कुरती पहिना॥ «। और हारून और उस के बेटों पर कटिबंध लपेट और उन पर पगड़ी बांध जिसतें याजक का पट सनातन की बिधि के लिये डन्‍्हीं का होवे और हारून और उस के बेटों का स्थापित कर॥ २०। फिर डस बैल के मंडली के तंव के आगे ला और हारून ओर उस के बेटे अपने हाथ उस के सिर पर रक्‍खें॥ १५९। और उस बैल का मंडली के तंब के द्वार पर परमेम्वर के आगे बलिदान कर॥ १५२। ओर उस के लाह्न में से कुछ ले और अपनी अंगुली से यज्ञवेटी के सौंगां पर लगा और बचा हुआ लोाह्ू यज्ञवेटों के नीचे ढाल ॥ २३ । और उस की समस्त चिकनाई जो उस के अंतर के हढांपती क्षे आर जे कलेजे के ऊपर क्ते और दानें गंदे और जे चिकनाई उन पर कै ले और उन्हें यज्ञवद्ों पर जला॥ १४। परंतु उस बैल का मांस ओर खाल और गाबर छावनी के बाहर आगसे जला यह पापों का बलिदान क्ष॥ २१५। हैक यात्रा [२६ पचन्चे एक मेंढ़े के! भी ले और हारून ओर उस के बेटे अपने हाथ उस के सिर पर रकक्‍खें ॥ ९६। और उसे बलिदान कर और त्‌ उस के लाह के यज्ञवेदी पर और उस के चारों आर छिड़क॥ ९१७ । और मेंढे के टकड़ा टुकड़ा कर और उस के अंतर ओर उस के पांव थे! और उस के टुकड़े सिर के साथ एकट्ठ कर॥ १५८। और उस समस्त मेंढ के यज्ञबेदी पर जला यह होम की भेंट परमेम्घर के लिये अग्रीय समंघ बास परमेग्वर के लिये हे। ९९। फिर टूसरा मेंढ़ा ले और हारून और उस के बेटे अपने हाथ उस के सिर पर रक्‍खें ॥ २०। तब त्‌ उस मेंढ़े के बलिटान कर और उस के लाह्न में से ले और हारून के और उस के बेटों के दहिने कान की लहर पर और उन के ट्हिने हाथ के अंगठे पर और ट्हिने पांव के अंगठे पर लगा और यज्ञवेटी पर चारों ओर छिड़क॥ २९। और उस लाह्न में से जो यज्ञवेरी पर हे और अभिषेक का तेल ले और हारून पर और उस के बस्त पर और उस के बेटों पर और उन के बस्त्लों पर उस के साथ छिड़क तब वच और उस के बस्तर और उस के बेटे और उन के बस्त़ उस के संग पवित्र हांगे॥ २२ । ओर मेंढ़ की चिकनाई और पंछ और वह चिकनाई जो जम के! टांपती है ओर जा कलेजे के! ढांपती है और दोनें गदट के! और वह चिकनाई जो उन्हों पर हे और दृहिना मेंढा ले इस लिये कि यह मेंढ़ा स्थापने का क्षे॥ २३। और एक रोटी और तेल में चपड़ी हुई रोटो का फलका और अखमीरी रोटी के शाकरे में से एक टिकरी जो परमेश्वर के सन्मख है॥ २४। और यह सब हारून के और उस के बेटों के हाथ पर रख औरर उन्हें परमेश्वर के आगे हिंलाने के बलिटान के लिये हिला॥ २५ | और उन्हें उन के हाथ से ले और यज्ञवेटी पर जलाने के बलिदान के लिये जला कि परमेश्वर के आगे सगंध के लिये हे। यह आग का बलिदान परमेश्वर के लिये छे॥ २९६। और त हारून के स्थापित मेंह़ की छाती ले और उसे परमेगम्धर के आगे हिला ने के बलिटान के लिये हिला और बच तेरा भाग हेगा॥ ९७। और तू हिलाने के बलिदान कौ छाती के। और उठाने के पुट्ट के। जे। हारून और उस के बटों के स्थाण्ति करने २८ पब्बे | कौ पस्तक । १३६/१ का मेंढ़ा हिलाया और उठाया गया है पवित्र कर॥ २८। ओर हारून और उस के बेटां के लिये और सब इसराएल के संतानों में यह बिधि सा होगी इस लिये कि थे उठाये हुए बलिदान हैं ओर चाहिये कि सदा इसराएल के संतानों से उस के कुशल के बलिदानों में से उठाये हुए बलिदान हैं और यह उठाया हुआ बलिदान परमेग्थर के लिये हे॥ २७। गैर हारून के पवित्र बस्त्र उस के पीछे उस के बेटों के कारण उन के अभिषेक के लिये हें कि वे उन में स्थापित हेव ॥ ३०। जा बेटा उस की संती याजक हे।वे जब वह मंडली के तंब में पत्रित्र सेवा कर ने का आये तब वह उन्हें सात टिन पहिने ॥ ३९ । और स्थापने का मेंढ़ा ले और उस का मांस पवित्र स्थान में उसिन ॥ ३२ | ओर हारून और उस के बेटे मेंढ़ का मांस और वह रोटौ जो टोकरी में मंडली के तंब के द्वार पर हे खावं॥ ३३ । और जिन बस्तन से प्रायश्यित्त हुआ कि उन्हें स्थापित और पवित्र करें वे खावं परंत परट्शी न खावे क्यांकि पवित्र हे॥ ३४। और यदि स्थाधित के मांस में से अथवा रोटी में से बिह्ान ला रच जाय तो वह खाया न जाय परंत जला ट्वं इस लिये कि पवित्र हे ॥ ३५ | और त्‌ हारून और उस के बेटों का मेरी समस्त आज्ञा के समान थों कीजियो सात दिन उन्‍हें स्थापित कौजिया॥ ३६ । और तू प्रतिदिन पाप के प्राय- ज्यित्त के कारण एक बैल के चढ़ाइये। और यज्ञवेदी के। पवित्र करने के जब त्‌ उस के लिय प्रायस्य्रित्त करे ता उसे पावन करने के अभिषक कर ॥ ३७। त बेदी के लिये सात ट्न प्रायश्यित्त करके उसे पवित्र कर और वह अत्यंत पवित्र हे जायगी जा कुछ डसे छये से। पवित्र हे। जायगा ॥ ह३८्प्ए यह त यज्ञवेटीौ पर कौजियो पहिले बरस का ट मेन्न्ा प्रतिदिन नित्य चहाइया ॥ ३८। एक मेम्ना बिक्चान का और हुसरा भेम्ना सांस्क का बलिदान कर ॥ ४०। गंकहू के पिसान का दसवां भाग जो जलपाई के कटे हुए तीन पाव तेल से मिला हुआ हे। और तीन पाव दटाख रस एक मेम्ना के साथ पीने की भेंट के लिये हेय॥ ४९। ओर दूसरा मेम्न्ा सांस्क की भेंट का और उसे विहान के मांस की भेंट के समान और पीने की भेंट के समान पस्मेम्वर के सगंघ की वासना के लिये हे!म कर ॥ ४२ । हेम की भट तुन्हारी पीढ़ी से पीढ़ी ला मंडली के तंबू के द्वार पर परमेश्वर के आगे 22 (8 ६ ध:] १७० याजा [३० पद्थई नित्य हेगी जहां में तम से बातन्ना करने के लिये भेंट करूगा॥ ४३। और में इस राश्ज के संतान से वहां सेंट करूंगा और वह मेरी महिमा के लिये पतित्र होगा ॥ ४४। ओर में मंडजी के तंब के। और यज्ञंबेदी के पवित्र करूगा आर हारून ओआर ऊस के बेटा का पवित्र करूगा कि वे मेर लिये यजक हेव॥ ४३। ओर में इसराएल के संतानों में बाघ करूंगा ओर में उन का ईसश्यर हंगा ॥ ४६। ओर वे जानेंगे कि में परमेश्वर उन का ईगर हे जा उन्हें मिल की भूमिसे मिकाल लाया जिमत में उज में बास करू में परमेम्धर उन का ईखर हूं ॥ ३० तौसरां पत्थे। आओ तू झमझाद की लकड़ी से घूप जलाने के लिये एक यज्नवदी बना॥ २। उस की लंबाई और चौड़ाई एक शक हाथ चैकेर होते ओर उस की ऊंचाई दो हाथ उस के सोंग उनी से हां ॥ ३ + ओर पे सकी छत ओर उस के चारों और के मकट और उस के सींगे के। ओःर उस 7₹ हेपर सेनने का मकुट बना ॥ ४। ओर सोने के हो कड़ उस के मकुट के नौचे उस के द्वानों कानों के पाम॒ उस की ट्।नों अलग पर बना ओर वे डटाने के बहंगर के स्थान हेंगे। ३। जैर बहंगर के! शम्श्शट की लकड़ी से बना और उसे सेने से मह॥ ६। और उसे ओककाल के आगे जा साहछी की मंजषा के ऊपर ह# रख दया के आसन के साग्न जा साक्यो के ऊपर है जहां में तम्भ से भट करूंगा ॥ ७। और हर विहान के! हारून उस पर समंघ द्रव्य का घष ऊजलाब जेब बहु द। पका का सथधार बह उस पर घष जलावं ॥ ८। ओर जब इहारून संध्या के समय में दौपक के बारे वह उस पर ले हारी समस्त पोढ़ियां में परमेश्वर के आगे घप जलावे॥ <। तम उस पर उपरी धघप और हे।म का बलिदान और मांस की सेंट न चढ़ाइये और डस पर पीने की भंट न चढ़ाइयोा।॥ १५०। ओर हारून बरस भर में एक़ बार उस के सौंगांपर पाप की भेंट के प्रायच्चित्त के लाह् से प्रायच्यूत्त कर 'लम्दहार समक्त पढ़ियास बरस में एक बार उस पर यच्छित्त करे यह परमेडअर के लि० अति पवित्र हे ॥ उसे निर्मेल सोने से मड़ उ ३० पत्ब] कौ पस्तक । ९७९ १५९ । और परमेश्वर मसा से यह कहके बेला॥ २९५२।कि जब त इसराएल के संतानां का गिने तब उन में से हर मनय्य अपने प्राण के छड़ाने के लिये परभेग्यघर के दे जब त उन की गिनती करे जिपत मिनती करने में उन पर मरी न आवे॥ १५३॥। ज्ञा काई ग्रिनतो किये गय हे से! पर्वित्र स्थान के शैकलेर के समान आधा शेकल टे वे एक शेकल बोस शिरह से आधा शेकल परमेग्वर की भंट क्षे ॥ ९४। जा काई शिनती किये ग्रथे में हेवें बीस बरस का और जा ऊपर हेवे से। परमेम्पर के लिये भेंट ट्वे॥ ५५४। अपने प्राण का प्रायश्यित्त करने के परमेम्धर को भेंट दने में धनी कंगाल से अधिक न टेवे और कंग :ल आधे शेकल से न घटावे॥| १५६ । ओर त इसराएल के संतानों के प्रायस्यित्त का टाम ले ओर उसे मंडली के तंब के काये कि सेवा के लिये टरहरा और यह इसराएल के संतानों के लिय परमेश्वर के आगे स्वरण और उन के प्राण का प्रायस्यित्त हेगा॥ ९७। फिर परमेम्वर मसा से कहके बाला॥ ९५८। कि पीतल का एक स्वान पात्र बना और उस का पाया स्वान करने के लिये पीतल का बना ओर उस के मंडली के तंब और यज्ञवेद्ी के मध्य में रख औएर उस में जल डाल॥ २९८। और हारून ओर उस के बेटे अपने हाथ पाँव उच्झे घाव। २०। जब वेमंडली के तंब में जावें वे जल से घाव जिसतें नाश न होव्र अथवा जब वे सेवा के लिय यज्ञवेटों के पास जाववें और परमेग्र के लिये हेाम की भेंट जलाबं॥ २१॥। वे अपने हाथ पांव धांवें जिसतें वे न मरें यह ब्यवहार उन के लिये अर्थात्‌ उस के ओर उस के बंश की समस्त पीढ़ी ला सदा के लिय हेवे॥ २२। फिर परमेग्वर मसा से कहके बाला॥ २३। कित अपने लिय पांच सा शेकल के चाख गंधरस का प्रधान समंध द्रव्य और उस की आघौ अथात अढ्ाई से। की मोठी दारचीनी ओर अढ़ाई से का सभंघध बच अपने लिय ले॥ २४। ओर पत्रित्र स्थान कि शेकल के ताल पांच मेीं। शेकल जेरफ लेजाले ओर जलफाई5कां तेल तीन सखेरं॥ :२५.। ओर इन्हं फचित्र लेपन का तेज बना गंघों की रीति के समान मिला के लेपन बना यही परत्रित्र के अभिषेक्र का तेल हात्रे) २६। और उसच्छ मंडली के हक यात्रा [३९ पब्बे तंबू के! और साक्षी की मंजषा के अभिषक कर॥ २७। और मंच और उस के समस्त पात्र और दौअट ओर उस के पात्र और घंप की बेटी | र२८। और भंट के होम करने की बेटौ उस के समस्त पात्र सहित और स्तवान पातव और उस का पाया॥ २८। और उन्‍्हं पवित्र कर कि वे अति पवित्र हे! जायें जो उन्हें छवे से। पवित्र होगा ॥ ३० | और हारून जैर उस के बेटा का अभिषेक करके उन्‍हें स्थापित कर कि मे रे लिये याजक हेवें ॥ ३९५। ओर इसराएल के संतान के यह कहके बेल कि यह पवित्र अभिषक का तल मेरे लिये तम्हारी समस्त पीढ़ियों में हेय ॥ ३२ । किसी मनव्य के शरोर पर न डाला जाय ओर तम वैसा ओर उपी के मेल में न बनाइये। कि यह पवित्र कहे तम्हारे लिये पवित्र हेगा ॥ ३३। जा काई उस के समान बंनावे अथवा जे काई उसे किसौ पर- देशी पर लगावे से। अपने लागे से कट जायगा ॥ ३४ | और परमेम्घर मे मसा से कहा कित अपने लिये सगंध द्रब्य अथेए्त बाल और नखी और शड़ कंदरू और सगंध दृब्य अर चेखा लाबान लौजिया और हर एक के। समान लीजिया॥ ३५ | ओर उन का सगंध बनाइये गंधी के काब के समान मिलाया हुआ पवित्र और शबड्बू हेवे॥ ३६ । और उस में से कुछ बकनी कर और उस में से कुछ मंडलो के तंब की सा ब्टी के आगे रख जहां में तस्क से भेंट करूगा वह तम्हारे लिये अति पवित्र हेगा॥ ३७। और सगंध द्ृब्य अथवा घप के जिसे त बनावे तो तुम उस की मिलावट के समान अपने लिये मत बनाओ7 वही तम्हारे पास परमेश्वर के लिये पवित्र हेगा ॥ ३८। जे काई सूंघने के लिये उस के समान बनावेगा से अपने लागों में से कट जायगा ॥ ३९ एकतीसवां पब्बे । ऐ फर परमेग्यर मसा से यह कह के बाला ॥ २। कि देख में ने करी के पत्र बजिज्लििएल के जा क्र का पाता यहृदाह के कुल में का है नाम लेके बुलाया ॥ ३। और में ने उसे बड़ में और समस्त में और ज्ञान में और समक््त प्रकार की हथोरटी में परमेम्धर के आत्मा से भर दिया ॥ ४। कि सेनने और रूपे और पौतल के कार्य करने में अपनी बुद्धि से हथे।टी का ३९ पब्बे की पस्तक ९७8 कार्य निकाले ॥ ५। मणि के खादने ओर जड़ने में औ।र काछ के खाद ने में जिसते समस्त प्रकार कौ हँये।टी का काये करे॥ ६। ओर ट्ख में ने उस के संग अहलिअब के जे! अखिसमक का पत्र और दान के कुल में का कै दिया ओर में ने समस्त बद्धिम/नें के अंतःकरणं में बड्ि टिईं कि सब जो में ने तम्से आज्ञा किई है बनावे॥ ७। मंडलो का तंब और साथी की मंजषा और दया का आसन जा उस पर क्षे आर तंब के समस्त पात्र। ८। ओर मंच ओर उस के पात्र और पवित्र हौअट उस के पात्र सहित और धूप की बेदी ॥ €। ओर भेंट के हे।म की बेदौ उस के समस्त पात्र समेत और स्तान पाव ओर उस का पाया ॥ १५०। और सेवा के बस्त्र और हारून याजक के लिये पवित्र बस्त और उस के बेटां के बस्त्र जिसते याजक की सेवा में सेवा करे ॥ ५९॥। और अभिषेक का तेल और पवित्र स्थान के लिये सगंध घप उस समस्त आज्ञा के समान जे में ने तु से किई है वे करे ॥ १५२। फिर परमेग्वर मूसा से वह कहके बाला॥ २९३। कि त्‌ इसराएन के संतानों का यद्द कद्दके बाल कि निश्यय तम मेरे बिश्रामां का पालन करो इस लिये कि वह मेरे ओर तम्हारे मध्य में और तम्हारी समस्त पीढ़ियां में एक चिन्ह हे जिसतें तम जानो कि में परमेमग्प्रर तम्हं पवित्र करता हूं ॥ ५ ४ | इस कारण बिश्राम का पालन करो क्यांकि वह तुम्हारे लिये पवित्र हे हर एक जो उसे अशडृ करेगा निश्चय बध किया जायगा क्यांकि जा काई उस में कार्य कर से। अपने लागोां में से काट डोला जायगा॥ १९५। छः ट्न कार्य हे,वे परत सातवां चैन का बिश्वाम परमेग्वर के लिय पवित्र हे से। जो काई विश्राम के द्वन में काये करे वुद्द निश्चय मार डाला जञायगा॥ १६ । इस कारण इस राएल के संतान विश्राम का पालन करें कि सनातन नियम के लिये उन की समस्त पीढ़ियों में बिश्राम का पालन हेावे॥ १५७। मेरे और इसराएल के संतानों के मध्य में यह सदा के लिये चिन्ह हे क्योंकि परमेश्वर ने छः दिन में खगे और एथिवी उत्पन्न किये और सातवें दिन अवकाश पाया और छप् हुआ ॥ १८। और जब वह मसा से सीना के पहाड़ पर बाला कर चका तब साच्षो के पत्थर की दो पटियां इईं॑ग्वर की अंगलियां से लिखी हुई उस ने उसे दिईं ॥ ९७४ यात्रा [३२ पब्बे ; ₹२ बत्तौसवां पन्वे । ञ' जब लोगों ने देखा कि मूसा ने पहाड़ से उतरने में बिलंब किया तब वे हारून के पास एकट्ठ हुए ओर उसे कहा कि उठ और हमारे लिय ईस्थर बना कि हमारे आगे चले क्यांकि यह मुसा जो हमें मिद्ध के दश से निकाल लाया हम नहीं जानते कि क्या हुआ॥ २। तब हारून ने उन्हें कहा कि अपनी पत्नियां और पत्रां और पत्रियों के कानों से सोने की बालियां ताड़ ताड़ के मम्त्त पास लाओ॥ ३। से समस्त साग सेने की बालियां तोड़ ताड़ केजा उन के कानों में थीं हारून के पास लाये॥ ४। ओर उस ने उन के हाथों से लिया और ठाला डआ एक बकड़ा बना के टांकी से उस का डेल किया ओर उन्हें कहा कि हे इसराएल यह तेरा ईश्वर है जा तम्से मिल्ल के देश से निकाल लाया॥ ५। और जब हारून ने देखा ता उस के आगे बेदी बनाई और यह कहके प्रचार कराया कि कल परमेशर के लिय पबे है॥ ६। फिर वे बिहान के। तड़के उठे और हेम की भेंट चढ़ाई औएर कुशल का बलिटान लाये और लेग खाने पीने के! बेठे और लीला कर ने के उठे । ७। फिर परसेमग्र ने म॒सा से कहा कि डतर जा व्यांकि तरे लागां ने जिन्‍्ह त मिस्र के हश से निकाल लाया आप को भ्वष्ट किया है॥ ८ । वे उस माग से जो में ने डन्‍्हें बताया था शीघ्र फिर गये ओर अपने लिये ढाला हुआ बछड़ा बनाया और उसे पूजा और उस के लिये बलिदान चढ़ा के कहा कि हे इसराएल यह तेरा ई अर है जोए तुस्ते रिस्त् देश से निकाल लाया॥ €। फिर परमेघखर ने मूसा से कहा कि में ने इन लागां के देखा और ट्खे कि ये लोग एक कठार गले लोग हें ॥ ९०। से अब त्‌ मुझ्झे छोड़ कि मेरा क्राघ उन पर अत्यंत भड़के और में उन्हें भस्त करू ओर में तुम से एक बड़ी जाति बनाऊंगा॥ ५९। फिर मूसा ने परमेश्वर अपने ईस्थर की बविनती किई और कहा कि हे परमेग्वर किस लिये तेरा क्राघ अपने लागें पर भड़का जिन्हें तू मिस्र हेश से महा पराक्रम और सामर्थी हाथ से निकाल लाया॥ २१५२। किस लिये भिन्ती कह के बालें कि बुच्द बुराई के लिये उन्हें बच से निकाल ३२ पद्ब ] की पस्तक । ९ थू अपने अब्यंत क्राघ से फिर जा और अपने लागों पर बराई पहुंचाने से फिर जा॥ २९३। अपने टास अबिरहाम इजुहः+ ओर इसराएएल को सारण कर जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाके कहा कि में तम्हारे बंश के! खगे के तारों के समान बढ़ाऊंगा और यह्द समच्त देश जिस के विषय में मैं ने कहा है कि में तम्हारे बंश के! टेऊंगा और वे उस के सनातन के अधिकारी हेंगे॥ १५४। तब परमेगख्वर उस बराईसे जा चाही थी कि अपने लोगों पर करे फिरा॥ ९१५। और मसा फिरा और पहाड़ से उतरा औ_र साज्ी की दाने परियां उस के हाथ में थीं और पटियां दाने ओर लिखी हुईथीं॥ १५६। और वे परियां ई.य्पर के कार्य थीं और जा लिखा हुआ से ईश्वर का लिखा पटियां पर खादा हुआ॥ ९७। ओर जब यहूसअ ने लागों के केलाहल का शब्द सना ते मसा से कहा कि छावनी में लड़ाई का शब्द क्षे । ९८। फिर कहा कि यह आपुस में जा शब्द हे।ठा हे से हार जीत का नहीं है न यह दुबेलता का शब्द है परंत गीत का शब्द हे। १५९। और यां हुआ कि जब बच छावनी के पास आया तब उस ने उस बछड़े के और नाचन। रेखा तब मसा का क्राघ भड़का तब उस ने पटियां अपने हाथों से फक दिईः और उन्‍हें पहाड़ के नीचे तोड़ डाला॥ २०। फिर उस ने उस बछड़े को जिसे उन्हें ने बनाया था लिया और उसे आग में जलाया और उसे बुकनी किया ओर पानी पर विथराया और इसराएल के संतानें के पिलाया॥ २९५। फिर मसा ने हारून का कहा कि इन लोगों ने तक्क से क्या किया कि तन उन पर ऐसा महा पाप लाया॥ २२। और हारून ने कहा कि मेरे प्रभ का क्राघन भड़के त लागां के जानता हे कि के बराई पर हैं॥ २३। क्योंकि उन्‍्हां ने मस्के कहा कि हमारे लिये इंसर बना कि हमारे आगे चले इस लिये कि यह मृसा जो हमें मिस्त टश से निकाल लाया हम नहीं जानते कि क्या हुआ॥ २४। तब में ने उन्हें कहा कि जिस किसी के पास छोना हे से ताड़ लावे से उन्‍होंने मर्मे टिया तब में ने उसे आग में डाला उद्यम यह बछड़ा निकला । २५ | और मसा ने लागां का निरझ्भश देखा क्योंकि हारून ने डन १७६ यात्रा [३२ पच्चे की निरड्शशता उन कौ लाज के लिय उन के शत्रन के सनन्‍्मख खाल दिई॥ २६। तब मूसा छावनी के निकास पर खड़ा हुआ और कहा कि जो परमेग्वर की ओर है से। मेरे पास आवे तब समस्त संतान लावी के उमर पास एकट्ट हए॥ २७। और उस ने उन्‍हें कहा कि परमेम्पर इसराएल के ईश्वर ने यह कहा है कि हर मनप्य अपना खड़ बांध और एक फाटक से ट्ूस रे फाटक ला छावनी के एक निकास से दूसरे निकास लें और हर एक मनुय्य अपने भाई के और अपने संगो के गैर अपने परोसी के! घात करे॥ २८। और मूसा ने जैसा लावी के संतानों के आज्ञा किई थी उन्‍्हों ने वेसाही किया से! उस टिन लोगों में से तीन सहस्व मनय्य मारे पड़े ॥ २९। और मसा ने कहा कि आज परमेग्वर के लिये अपने हाथ भरो हर एक मनव्य अपने पत्र ओर अपने भाई से और आज अपने ऊपर आशीष लाओ॥ ६३०। और दूसरे दिन सबरे यां हुआ कि मसा ने लागां से कहा.कि तम ने महा पाप किया और अब में परमेग्घर के पास ऊपर जाता हू क्या जाने में तम्हारे पाप के लिये प्रायश्चित्त कक॥ ३९। और मसा परमेग्धर की ओर फिर गया और कहा कि हाय इन लोगें ने महा पाप किया और अपने लिय सेने का टेवता बनाया ॥ ३९। और अब यदि त्‌ उन के पाप क्षमा करे नहों तो में तेरी बिनतोी करता हूं कि मम्मे अपनी उस पस्तक से जा लिखी है मेट ट्‌॥ ३३। तब परमेग्घर ने मुसा से कहा कि जिस ने मेरा अपराध किया हे में उसी के! अपनी प॒स्तक से मेट देऊंगा ॥ ३४। और अब तू लागें के साथ उस स्थान के जा में ने तुम्के बताया ते जा और ट्ख कि मेरा दूत तेरे आगे आगे चलेगा तथापि में अपने विचार केदिन में उन से उन के अपराध का बिचार करूंगा ॥ ३४ । तब परमेम्र ने बक॒ड़ा बनाने के कारण जिसे हारून ने बनाथा लागों पर मरी भेजो । 8३ तंतौसवां पब्बे । | परमेखञर ने मसा के! कहा कि यहां सेजा त और वह लोग जनन्‍्ह तर मिस १ए से लिकाल लाया उस टेश के। जा जिसके बिषय में ३३ पत्बे] कौ पस्तक । १७७ अबिरहाम और इज हाक और यअकब से यह कहके में ने किरिया खाई है कि मे उसे तरे बंश का ट्ऊंगा॥ २। आर में तर साम्ने हृत भेजंगा और कनआनियां ओर अमरियां ओर हिक्तियां और फरजियां ओर हवियां और यबसियां के हांक दऊंगा॥ ३। एक दृश में जहां टुघ और मध वहता हे क्यांकि में तेरे मध्य में न जाऊंगा इस लिये कि तम लाग कठार न हो कि म तन्हें मारभ में भर कर डाल ॥ ४। और जब लोगों ने यह बरा समाचार सना ते! बिलाप किया और किसी ने अपना आभषण न पहिना ॥ ५। क्यांकि परमंग्यर ने मसा से कहा कि इसराएल के संतान से कह कि तम एक कठार लाग है। में तेरे मध्य एक पलंमात्र में आक तम्के भर्म करूगा इस कारण अपना आभषण उतारा जिसतें में जान कि तम से क्या करूं॥ ६। तलब इसराएल क सताना ने हारब क पहाड़ पर अपना आभषण उतार डाला॥ ७। ओर मसा ने तंब ले के छावनी के बाहर टूर खड़ा किया और उस का नाम मंडली का तंब रक्‍्खा ओर यो हुआ कि हर एक जे। परमेश्वर का खाजी था से भेंट के तंब के पास जा छावनी के बाहर था जाता था॥ ८ । ओर यां हुआ कि जब मसा बाहर तंब के पास गया तो सब लोग खड़े हुए और हर एक परुष अपने तंब के द्वार पर खड़ा हाके मसा के पीछ देखता था यहां लां कि वह तंब में गया॥ € । और जब मसा ने तंब में प्रवेश किया ता मेव का खंभा उतरा और तंब के द्वार पर ठहरा ओर उस ने मसा से बात्षा। किई ॥ २०। और समस्त लागों ने मेव का खंभा तंब के द्वार पर ठहरा हुआ देखा और सब के सब अपने अपने तब के द्वार पर उठे और दहंडवत किई॥ ९९। और परमेग्थर ने मूसा से आम्न साम्न बात्ता किई जैसे काई अपने मित्र से बात्ता करता है ओर वह छावनी का फिरा परंत उस का सेवक नन का बेटा यहूस्टअ एक तरुण मनव्य तंब के बाहर न निकला॥ ९५२। फिर मसा ने परमेश्वर से कहा कि ट्ख त मस्_ से कहता हु कि उन लागां का ले जा ओर मरे नहीं बताया कि किसे मेरे साथ भेजेंगा तथापि त ने कहा क्षे किमें नाम सहित तस्मे जानता हू और त ने मेरी दृष्टि में अनग्रह पाया ह॥ २१३। से यदि में ने तरी दृष्टि में 28 [8:9% कैप ९७ यात्रा [६ ४ पद्चे अनग्रह पाया क्र ता में तरी बिनती करता हू कि अपना मा३ मर्क बता जिसत मस्क निश्यय हेवे कि में ने तेरी दृष्टि में अन्ग्रह पाया हे और देख किये जाति तरे लोग हैं॥ ९४। तब उस ने कहा कि में ही जाऊंगा ओर में त॒स्त बिश्राम देऊंगा॥ १५। मूसा ने कहा कि यदि आप न जाय॑ ता हमें यहां से मत ले जाइये ॥ १६ । क्यांकि किस रीति से जाना जायगा कि में ने ओर तेरे लागे ने तक से अन्यक्त पाया हे क्या इस में नहीं कि त हमारे साथ जाता हे से में और तेरे लाग समस्त लागों से जा एथिवी पर हें अलग किये जायंग॥ २९७। और परमेग्यर ने म॒सा से कहा कि जा बात तू ने कहौ ह में ने उसे भी मान लिया क्योंकि तू ने मेरी दृष्टि में अनुग्रह पाया है ओर में तुम नाम सहित जानता हूं ॥ ९८ । तब मसा ने कहा कि में तेरी बिनती करता हूं कि मुझे अपनी महिमा दिखा॥ २१6८। उस ने कहा किमें अपनी सब भलाई कातरे आगे चलाऊंगा ओर में परमेम्वर के नाम का प्रचार तेरे आगे करूगा और जिस पर छाप ल हूं उसी पर कृपा करूंगा ओर जिस पर दयाजल हूं उसी पर ट्या करूंगा ॥ २०॥ ओर बेला कि त मेरा रूप नहों ट्ख सक्ता क्यांकि मर्के ट्ख के काई न जीयगा॥ २१ । ओर परमंग्यर ने कहा कि ट्ख एक चइ्थान मेरे पास हु ओर त्‌ उस टीले पर खड़ा रह ॥ २२। ओर यां होगा कि जब मेरी मच्मि चल निकलगी तो में तम्फे पहाड़ के दरार में रक्डंगा ओर जब लों जा निकला तम्के अपने हाथ से ढटांपगा॥ २३। और अपना हाथ डठा लंगा और त मेरा पी हर दंखेगा परंतु मेरा मंद दिखाई न ढेगा॥ ३४ चेंतीसवां पब्व | हि परमेमग्घर ने मसा से कहा कि अपने लिये पहिलौ पटियों के समान त्थर की दो परटियां चौर और में उन परटियां पर वे बात लिखंगा जेत हिलो पटरियों पर थीं जिन्हें त ने तोड़ डाला ॥ २। और तड़के सिद्ध हे। और बिहान के सीना के ५हाड़ पर चढ़ आ और वहां पहाड़ की चाटी पर मेरे आगे हे जा॥ ३। और कोई मनुव्य तेरे साथ न आते और समस्त पहाड़ पर काई देखा न जावे भुंड और लेहंड्ा पहाड़ के ३४ पन्ने] कौ पस्तक | रु >+-+ा आगे चरई न करं॥ ४। तब अगिली परियों के समान पत्थर की दा परटियां चौरीं और जैसा कि परमेश्वर ने उसे आज्ञा किई थी बिहान केा मसा पत्थर की ट्नों पटियां अपने हाथ में लिय हुए सीना के पहाड़ पर चढ़ गया॥ ५ । ग्यार परमेश्वर मेव में उतरा और उस के साथ वहां खड़ा रहा ग्यर परमेश्वर के नाम का प्रचार किया ॥ ६ । ओर परमेग्वर उस के आग से चला ओर प्रचार किया कि परमेश्वर परमेग्वर ई स्थर ट्याल और कृपाल और घौर और भजाई और सच्च;ई में भरपर हे॥ । सहस्तां के लिये ट्या रखता है पाप ओर अपराध ओर चक का क्षमा रता और जो किसी भांति से अपराधी के निरदेणी न ठच्रावेगा ओर जा पितरों के पाप का उन केपवां ओर थीत्रां पर तीसरी ओर चैथी पीढ़ी लां प्रतिफलटायक हे॥ ८। तब मसा ने शीघता से भमि की ओर सिर मकका के टंडवडत किई ॥ €। आर बाजा कि हे परमेश्वर यदि में ने तरी दृष्टि में अनग्रह पाया ह ता हे मेर प्रभ में तरो बिनती करता हूं कि हस्म हेके चल क्योंकि य कठार लोग हैं और हमारे पाप और अपराध क्षमा कर ओर हमें अपना अधिकार ठहरा ॥ १५०। तब वह बाला कि टख में तेरे समस्त लेगा के आग एक बाचा बांघता हूं कि में एसा आअ््यय करूंगा जसा कि समस्त एथिवी पर ओर किसी ट्श में न हुआ के ओर सब लोग जिन में त हे परमेश्वर के काये ट्खेंगे क्योंकि में तक्क से भयंकर कारये करूंगा॥ ११५। जा आज के दिनम ते आज्ञा करता हूं उसे मानिया देख में अमरियां ओर कनआनियां और हित्तियां और फरजियेां ओर हवियों और यबसियों के तेरे आगे से हांकता हूं ॥ ९२। आप से चेकस रह एसा न हे। कि त उप भमि के बासियां के साथ जिस मेंत जाता हु कुछ बाचा बांघे ओर तर मध्य में फंदा होवे॥ ९५३ । परंत तम उन की यज्ञवेट्ियों के नाश करे और उन की मर्तिन के तोड़ डाला ओर उन की बाटिका के काट डाला ॥ २४। इस लिये किसी ट्व की पूजा न करो क्यांकि वुह परमेग्वर जिस का नाम ज्वलन है ज्वलित ईस्थर क्षे॥ ९४ । ऐसा न हेवे कि त्‌ उस दृश के बासिथो से कुक बाचा बांघे और वे अपने दृवां के पीछ ब्यभिचार कर ओर अपने दे व के लिये बलिदान कर और तुस्के बुलावं और त्‌ उस के वलिदान से खा श्च्० यात्रा [३४ पत्ब लेवे॥ ९६। और तु उन की बेटियां अपने बंटां के लिये लावे और उन को बटियां अपने देवों के पीछ वब्यभिचार करें और तेरे बट के भी अपने ट्वें के पीछे ब्यभिचार करावें ॥ १७। तू अपने लिये ढाले हुए देव मत बनाइये।॥ २१५८। अखमीरी रोटी के पब का पालन कीजिया सात दिन लो जैसा में ने तस्के आज्ञा किई क्षे आबिब के मास के समय में टहरा के अखमीरो राटो खादया इस लिय कि त आविबव के मास में मित्ध से बाहर आया॥ २१८ । सब जो गरल का खालते हैं और तेरे पशन के समस्त पहिलेंठ बेल अथवा भेड के मेरे हें॥ २०। परंत गदरहे के पहिलौंट के मेम्ना दके छड़ाइया ओर यदि न छ ड़ावे ते उस का गला ते।ड डालिया अपने पत्रां के समक्ष पहिलौंटां के छड़ाइया और मेरे आगे काई छछ हाथ न आवे॥ २९१। कछः दिन लो काय करना परंत सातवें टिन बिश्राम करना हल जातने और लवने का समय हे विश्राम करना॥ २२। ओर अठवारों का पबे गाह्ू के पहिले फल जबने के समय ओर संबत के अंत में एकट्ठा कर ने का पं करना॥ २३। और तम्हा रे समस्त पत्र बरस में तौनबार परमेश्वर ईश्वर के आगे जे इसराएल का ईश्वर हे आवं॥ २४। इस लिये किमें देशियां का तरे आगे से बाहर निकालंगा ओर तेरे सिवानां के! बढ़ाऊंगा जब कि त बरस में तीन बार अपने परमेग्वर ईम्थर के आगे जायगा तब काई तर दश को बांछा न करंगा। २३। तू मेरी यज्ञवटौ पर लाह्ल खमौर के साथ बलिटान मत चढ़ाना और पबे का बलिदान कघी बिहान लॉ रहने न पावे॥ २६। त्‌ अपने देश के पहिले फलों का पहिला अपने परमेश्वर ईयर के मंट्रि में लाना मेम्ना के। उस की माता के दूध में मत सिम्काना ॥ २७। फिर परमेच्ार ने मसासे कहा कि त य बातें लिख क्योंकि इन बातों के समान में ने तभक से और इसराएल मसे वाचा वांसो हे॥ २८। और मसा चालीस दिन रात वहां परमेग्थर के पास था उस ने न रोटी खाई न पानी पीया ओर उस ते डस नियम की बात वे दस आज्ञा पटियां पर लिखों॥ २८। और जब मसा नियम कौ पटिया अपने दोनों हाथ में लिये हुए सौना के पहाड़ से नीचे उतरा ते ऐसा हुआ कि उस ने पहाड़ से उतरते न जाना कि जब वुद्द उस के साथ बात करता ३५ पब्ब ] को पुस्तक । ९८९ था उस का रूप चमकता था॥ ३०। औ।र जब हारून और इसराएल के समस्त संतानें ने मसा के। देखा तो क्या देखते हें कि उस का रूप चमकता था और वे उस के पास आने में डरते थ । ३९॥। मसा ने उन्हें बलाया ओगरर हारून ओर लागें के समस्त प्रधान उस पास उलटे फिरे ओर मसा ने उन से बातें किई ॥ ३२ । और अंत का इसराएल के समस्त संतान पास आये ओर उस ने उन सब बातों की जे पर मेग्बर ने उसे सीना के पह।ड़ पर कही थीं उन्हें आज्ञा कि ॥ ३३।ओर जब मूसा उन से बातें कर चुका ते उस ने अपने मुंह पर घंघट डाला॥ ३४। पर जब मूमा परमेगर के आगे उससे बात्ता करने जाता था ता जब लो बाहर न आता था घूंघट का उतार देता था आर जा आज्ञा हे।ती थी वह बाहर आके इसराएल के संतानाों को कहता था॥ ३५। ओर इसराएल के संताने( ने मसा का मंह ट्खा कि उस का मंह चमकता था और मसा ने मंच पर घंघट डाला ज़ब ला कि ई सर से बातें करने गया ॥ ३५ पेंतीसवां परम । ज्ै एर मसा ने इसराएल के संतानों की समस्त मंडली के। एकट्टा करके कहा कि परमंग्यर ने इन बातों को आज्ञा किई है कि तम उन्‍हें पालन करो॥ २। कः टन लॉ कार्य किया जावे परंत सातवां दिन तम्हारे लिये पवित्र दिन होते परमेग्वर के चेन का विश्राम दिन होगा जा काई उस में काये करेगा मार डाला जायगा ॥ ३। बिश्वाम के दिन अपने समस्त निवासें में आग मत बारिये। ॥ ४। ओर मूसा ने इसराएल के संतानों की समस्त मडलो के कहा वह आज्ञा जा परमेग्वर ने किई यह क्षे ॥ ५। तम अपने में से परमेश्वर के लिये भंट लाओ और जा काई मन से चाहे से परमेश्वर के लिये भेंट लावे सोना ओर रूपा और पौतल॥ ६। ओर नीला ओर बैंजनी ओर लाल म्कोने सूती बस्त् और बकरियें के बाल।॥ ७। ओर लाज रंगे हुए मेंढ़ां के चमड़े ओर तखसें के चमड़े और शमशाद की लकड़ी ॥ ८। ओर जलाने का तेल और अभिषेक के तेल के लिय और घृप के ल्यि सुगंध द्रव्य ॥ <। ओर सूर्येकां तमणि और एफेाट और चपरास पर जड़ ने के लिये मणि॥ १०। ९८२ यात्रा [३५ पब्बे और तम में से जे। बड्चिमान है आवे और जा कुछ परमेश्वर ने आज्ञा किई क्षे बनावे। १५१५। निवास ओर तंब और उस का घटाशाप ओर उम्र को घंष्डियां और उस के पाट और उस के अडुंग और उस के खंभे और उस के पाए। १५२। और ं मंजषा श्र उस के बचहंगर ओर दया का आसन गौर हठांपने का घंचवट॥ ९३। मंच और उस के बहंगर और उस के समस्त पात्र और भेंट की रोटो ॥ १ ४ । और ज्याति के लिये दौअट और उस की सामग्री और प्रकाश के लिये तेल के संग उस के टौपक ॥ ९५ | और घप की यज्ञवरी और उस के बच्गर ओर अभिषेक का तेल और घप गऔर सगंघ टद्रब्य और तंब में प्रवेश करने के द्वार की ओर ॥ ९६ । यज्ञबेदी पीतल की स्करनी और उस के बचहंगर ओर उस के समस्त पात्र ग्रार स्वानपात्र उस के पाए समेत॥ ९५७। आंगन की ओट जैर उसप्त के खंभे और उन के पाए ओर आंगन के द्वार की ओरट ॥ १८। तंबू के खूंटे और आंगन के खूंटे और उन की डारियां॥ ९९। सवा के बस्ख जिसतें पत्रित्र स्थान में सेवा करें हारून याजक के लिये पत्र बस्त और उस के बेटों के पवित्र बस्तर जिसतें याजक के पट में सेवा करें॥ २०। तब इसराएल के सतानों कौ समस्त मंडली मूसा के आगे से चली गई ॥ २९ । जर हर एक जिस के मन ने उसे उभाड़ा और हर एक अपने मन के अभिलाष से जिस ने जो चाहा मंडी के तंब के काव्य के कारण ओर उस के नेबद्य अर उस की समस्त सेवा ओर पवित्र बस्त्र के लिये परमेगअर की भंट लाया ॥ २२। ओर वे आय क्या स्त्री क्या परुष जितनों के बांछा हुई और खड़वे और बालियां और कंडल ओर अंगठियां ये सब सेने के गहने थे और हर एक मनव्य जिस ने परमेश्वर के लिये सेने की भंट दिई॥ २३। ओर हर एक मनव्य जिस के पास नौला ओर बेजनी और लाल सत के कौने वस्त्र और बकरियों के रोम ओर मेंढ़ां के लाल चमड़े और तखसें के चमड़े लाया॥ २४। हर एक जिस ने कि परमेग्रर का रूपे की अथवा पीतल की भेंट दटिई अपनी भेंट परमेम्थर के लिये लाया और जिस किसी के पास शमशाट की लकड़ी थौ से उसे सेवा के कारये के लिये लाया ॥ २५ । आर समस्त स्त्रियां ने जा बुद्धिमान थीं अपने अपने हाथे से काता ६ पब्ब | कौ पस्तक । ९ षूइ और अपना काता हुआ नौला ओर बेंजनी और लाल ओर मौीने सूत का बस्तर लाइं ॥ २६। ओर समस्त स्त्रियां ने जिन के मनों ने उन्हें बाड्ि में उभाड़ा बकरियों के राम काते॥ २७। गऔर प्रधान सर्व कांत एफाद और चपरास पर जड़ने का मणि लाये॥ र८। ओर सगंघ ट्रव्य आर जलाने का तेल और अभिषक का तेल और सगंध लाये॥ २८। और क्या पुरुष ओर क्या स्‍त्री जिस का मन चाहा से। समस्त काय के लिये जेए परमेश्वर ने बनाने का मूसा की ओर से कहा था इसराएल के संतान परमेश्वर के लिये बांकछित भंट लाये ॥ ३०। तब म॒सा ने इसराएल के संतानों से कहा कि ट्खो परमेम्पर ने ऊरी के पत्र बजिलिएल का जा क्र का पेता आर यह्ृदाह के कुल का है नाम लेके बलाया॥ ३९।ओऔर उस ने उसे बचद्धि और समक में ज्ञान में और समस्त प्रकार की हथेटीो में परमेश्वर के आत्मा से भर दिया ॥ ३२। ओर अपनी बुड्रि से हथाटी का कारये निकाले जिसते से।ने और रूपे और पीतल के का करे॥ ३३। और मणि के खादने और जड़ने में गटर काष्टठ के खादने में जिसतें समस्त प्रकार की हमेरटी के कार्य करे॥ ३४। ओर उस ने उस के और अखिसमक के बेटे अहलिअंब कोा जा टरान के कुल से है मन में डाला॥ ३५ । ओर उन के अंतःकर णों में एसा ज्ञान दिया कि खेोदक के और इहथैटक के औ।र बटाकाढ़क के समस्त कार्य में आर नीला ओर बेंजनी ओर लाल और मौीने बस्तर में और जोलाहे के काये में और इहथेएटी के काये में जे बड्डि से निकालते हें ॥ ३६ छतीसवां पब्ब । त बजिलिएऐल ओर अचहजलिअब और सब बड़्मानों ने जिन में परमेग्वर ने बड्डि ओर समस्त रक्खी थी कि मंदिर के शरण स्थान कौ सेवा के समस्त प्रकार के काय जेसा कि परमेग्र ने समच्त आज्ञा उन्हें टिई बेसा उन्‍हें ने किया॥ २। से मसा ने बजिलिएल और अहलिअब और हर एक बद्विमान के जिस के ऋद्य में परमेग्वर ने बद्धि और समम्क डाली थी ओर हर एक जिस के मन ने उसे उभाड़ा था कि कार्य करने के लिये पास आवे॥ ३। ओर उन्हें ने मूसा के हाथ से समस्त भेंट जिसे इसरा- १८४ यात्रा [३६ पर एल के संतान शरण स्थान की सेवा के काये के लिये लाय थे पाई और वे हर बिहान उस के पास मन मनती भंट लाते थे॥ ४। यहां लो कि सब विद्यामानाों ने शरण स्थान के कार्य किये हर एक मनव्य अपने अपने काम से जा उन्‍्हों ने बनाया था आये ॥ ५ । और मस! के कहके बाले कि कार्य की सेवा से जा परमेश्वर ने आज्ञा किई है लेग अधिक लाते हें ॥ ६ । तब मसा ने आज्ञा किई ओर समस्त छावनो में प्रचार कराया कि - क्या परुष जजर क्या सती अब काई शरण स्थान की भंट के कार्य के लिये ओर न बनावे से। लाग लाने से रोके गये॥ ७। क्यांकि जा सामग्री उन के पास थी संमस्त कार्य बनाने के लिये बहुत और अधिक थी॥ ८। और तंब के कार्य कारियोां में से हर एक ने जा बद्धिमान था बटे हुए सती बस्तर के नोले ओर बैजनी ओर लाल हथे।टी के कार्य से कराबीम के साथ ट्स ओट बनाई ॥ <। हर ओट कौ लंबाई अठाइस हाथ ओर उस कौ चै।ड़ाई चार हाथ सब ओऔट एक नाप की॥ १५०। और पांच ओर का ए टूसरे में मिलाया ओर पांच ओर एक टूसरे में मिलाया॥ ९१५। और उस ने एक ओरट के कार पर अनवंट से लेके जाड़ पर नीले तकमे बनाये इसौ रोति से दूसरी ओर के अत्यंत अलंग में ट्ूसरे के जाड़ पर बनाये ॥ १९२। ओर उस ने एक ओट के अंचल में पचास तकमे बनाये और पचास तकमे ट्रसरी ओरट के मिलाने के खंट सें बनाये जिसतें तकमे एक टूसर में जुट जायं ॥ ५३। आर उस ने सोने की पचास घंण्डो बनाई और उन घंण्डियां से आट के जाड़ा जिसतें एक तंबहे गया॥ १५४। और उस ने बकरी के रोम के ग्यारह झट बनाये जिसतें तंब के लिय ढपना हो ॥ १५। एक ओर की लंबाई तौस हाथ ओर चोडाई चार हाथ ग्यारहे! ओट एकच्दी परिमाण की बनाई॥ २९६। और उस ने पांच ओट के अलग जाड़ा और छः ओट के अलग॥ ९१५७। ओर उस में पचास तकमें एक ओपए के खंट में जाअंत के खंट के जाड में कहे और पचास हकमे टूसरी ओएट के खंट में बनाये॥ १५८। और उस ने तंब का जाड़ने के लिये जिसत एक हेाजावे पीतल की पचास घंण्डियां बना३॥ १५९। ओर उस ने मेंढ़ां के रंगे छए लाल चमड़ां से और तखसेर के चमड़ां से तंबू के लिये ढांपन बनाया ॥ ३६ पब्ब] कौ पक्तक । श्ष्प्पू ०। ओर उस ने तंब के लिये शमशाट की लकड़ी से खड़े पाट बनाथे ॥ २९५। हर पाट की लंबाई दस हाथ और उस की चौड़ाई डढ़ हाथ॥ २२। हर पाट में दे! दा पाए जो! एक ट्ूस रे से समान अंतर में थे उस ने तंब के समस्त पाटों के लिये योहदी बनाया॥ २३। और उस ने तंव के लिये पाट बनाया बौस ट्छिण कौ ओर के लिये ॥ २४ । ओर उस ने उन बीस पाटर के नीचे के लिये रूपे के चालीस पाए बनाये हर पाट के नोचे के लिये दो दे! उस के फलां के समान ॥ २४ । और दूसरे पाट कौ पाए के लिये तंबू की दूसरों अलंग जे। उत्तर कौ ओर हे बोस पाट बनाथे॥ २६। ओर चालीस रूपे के पाए हर एक पाट के नीचे हो पाए एक पाट के ओर उस में तंब की पश्चिम अलंग के लिये छः पाट बनाये ॥ २७। ओर तंब की दोनों अलंग में काने के लिये दा पाट बनाये॥ २८। और वे नीचे जोड़े गये और एक कड़ी में ऊपर से जाड़े गये इसो रौति से उस ने टानें के दोनों कानों में जोड़ा ॥ ३०१ और आउ पाट और उन की चांदी के सेलह पाए थे एक पाट के नीच दा हा पाए। ३९। और शमशाद का४ से अडंगे बनाये तंबकी एक अलंग के पार्टों के लिये पांच। ३२। ओर तंब कौ ट्ूसरो अलंग के पाट के लिये पांच अडंगे और तंब्‌ की पश्चिम अलंगों के लिये प्रांच॥ ३३। ओर उस ने मध्य का अडंगा ऐसा बनाया कि एक सिरे से दूसरे सिरों के पाटां में प्रवेश होवे॥ ३४। और पाटों का सोने से मढ़ा और उन के कड़े से ने के बनाये अड़ंगों के लिये स्थान ओर अड़ुंगों के सेने से मढ़्ा। ३५। ओर नौला ओर बेंजनी ओऔर लाल रंग और बटे हुए भीने सतो बस्तर से एक वघट बनाया हथ्मोटी के कार्य से डसे करोबीम के साथ बनाया॥ ३६५ ओर उस के लिये शमशाद के चार खंभे बनाये और उन्हें सोने से मढ़ा और उन के आंकड़े सोने के और उन के लिये चार पएए चांदी के ढाल कर बनाथे॥ ३७। और वह नीला ओर बेंजनी ओर लाल और बटा हुआ मौने सत से बटा काढ़ी हुई तंब के द्वार के लिय एक ओट बनाई ॥ ३८। और उस के पांच खंभे आंकड़े सहित बनाये ओर उन के सिरे और कंगनी सेने से मढ़े परंतु उन के पांच पाए पीतल के । हु [4, ४, 8.] ९८ यात्रा [३७ पब्बे ह ३७ सेतीसवां पत्वे । यश र बजिलिएऐल ने शमशाट काछ्ठ से मंजघा के बनाया जिस की ४» लंबाई अठढाई हाथ और चेड़ाई डढ़ हाथ और ऊंचाई डेढ़ हाथ की॥ २। ओर उसे चाखे सेने से भीतर बाहर मढ़ा ओर उस की चारों ओर के लिये एक सोने की कंगनी बनाई॥ ३। और उस ने उस के चार कानों के लिये सोने के चार कड़े ढाले दा कड़े उस की एक अलंग जर दो कड़े उस की दूसरी अलंग ॥ ४। और शमशाद की लकड़ी के बहंगर बनाये ओर उनन्‍्ह सेने से मढ़ा ॥ ५। और उस ने बचंगरों के! मंजघा की अलंग के कड़ा में डाला कि मंजषा के डठावें॥ ६ | और उस ने ट्या के आसन को चोखे से।ने से बनाया उस कौ लंबाई अढ़ाई हाथ ओर चेड़ाई डेढ़ हाथ॥। ७। ओर सेने के दा करेाबी बनाये एक टकड़ से पीट के ट्या के आसन के दानों खंट में उन्हें बनाया ॥ प८्च। एक करोबी इस खंट में और एक करोबी उस खंट में दया के आसन में से उस ने करोबियां का दाने खंट में बनाया ॥ 4<। और कराबियां ने अपने पंख ऊपर फैलाय और अपने पंख से दया के आसन के ढ़ांप लिया उन के मंद एक दूसरे की ओर थे दया के आसन की ओर उन के मंह थे॥ ९०। और उस ने मंच के! शमशाद की लकड़ी से बनाया उस की लंबाई दो हाथ और चौड़ाई एक हाथ और उस की ऊंचाई डेढ़ हाथ॥ २१५९ । और उसे चेखे सेनने से मढ़ा ओर उस के लिये चारों आर सेने का एक कलस बनाया॥ ९५२। ओर उस ने उस के लिये चार अंगल की एक कंगनी बनाई और उस कंगनो के लिये चारों ओर सेने के कलस बनाये ॥ २१५३। और उस ने उस के लिये सोने के चार कड़े ढाले और उन्हें उस के चारों पायों के चारों कानों में लगाया ॥ ९ ४। कंगनी के सन्मख कड़े थे बचहंगर के स्थान मंच डटा ने के लिये ॥ ९५ । और उस ने बहंगरों का शमशाट्‌ की लकड़ी का बनाया और उन्हें सेने से मढ़ा मंच उठाने के लिये॥ १५६। और मंच पर के पात्र और उस के थाल और उस के कटोरे और उस को थालियां और उस की कथोरियां ठपने के लिये निम्भेल सेने के बनाये ॥ १५७। और उस ने ३८ पन्बे] की पुस्तक। ९्‌ष्७ टौअट के निम्भल से।ने से गढ़ के बनाया और उस की डंडो और डाली और करणारियां और कलियां और उस के फल एक ही से थे। ९ ८। और उस के अलंगे से छः डालियां निकलती थों दीअट की एक अलंग से तौन डालियां और दौअट की टृसरी अलंग से तीन डालियां॥ २९८। तौन करटोरियां बटाम की नाई हर एक डाली में थीं और कली और फल उसी छग्रे! डालियों में जा टीअट से निकलती थीं ॥ २० | और दोअट में चार कशारियां बदाम की नाई बनी हुई थीं उप की कलियां और फल ॥ २९। और उस की दो दा डालियों के नीचे एक एक कलो थी छ डालियों के समान जो उससे निकलती थीं ॥ २२ । कलियां और डालियां उन की उसी से थीं ये सब के सब निम्मेल सोने से गढ़े हुए थे ॥ २३। और उस के लिये सात टौपक ओर उस के फूल कौ कतरनियां और उस के पात्र निम्भेल सोने से बनाये ॥ २४ । और उस ने उस के समस्त पात्रों का एक तोड़ा निम्झेल सोने का बनाया ॥ २५ । और घप बेदी के! शमशाद की ल+ड़ी से बनाया जिस की लंबाई एक हाथ और चेड़ाई एक हाथ चेकार बनाया और उस की ऊंचाई दो हाथ और उस के सोंग उसी से थे ॥ २६। और उस का ठपना और उस की चारों ओर की अलंग ओर उस के सोंग निम्मेल सोने से मढ़े और उस के लिये सोने के चारों गरेर कलस बनाये ॥ २७। और उस ने उस के कलस के नौोचे के लिये उस के ट्ोनों कानों के पास उस की दोनें अलंगों पर जिसतें उस के उठाने के वच्गर के स्थान होते से।ने के ट। कड़े बनाथे॥ २८। और उस ने बहं»रों के शमशाद की लकड़ो से बनाया ओर उन्‍्हं सोने से मढ़ा । २८ | और अभिषेक »। पवित्र तेल ओर गंघ्री के कार्य के समान सुगंध द्रव्य से चोखी घृप बनाई। ह८ अटतौसवां पब्बे ॥ जज उसने यज्ञबेदी के शमशाद की लकड़ी से बनाया उस की लंबाई पांच हाथ और चेड़ाई पांच हाथ चेखंटी और उस की ऊंचाई तौन हाथ॥ २। ओर उस के चारों केननें पर सौंग बनाथ उस के सौंग उस में से थे और उस ने उन्‍्हं पीतल से मढ़ा। ३। और उस ने कुफाए यात्रा [३८ पन्ने तननदवदनिन-ी- यज्ञवेदी के समस्त पात्र बटलाही और फावड़ियां और कशोरे और मांस के कांटे और अंगेटियां उस के समस्त पात्र पीतल से बनाथे॥ ४। और डस ने बेदी के नीचे के लिये पीतल की एक क्कंभमरी बनाई॥ ५। और उस ने पीतल की म्मरी के चारों कानों के लिये बचहंगर के स्थान पर चार कड़े बनाये॥ ६। ओर उस ने बचंगरों के शमशाद की लकड़ी से बनाया और उन्हें पीतल से मढ़ा। ७। ओर उस ने बहंगरों का बेटी के उठाने के लिय अलंगों के कडों में डाला उस ने बेदी के। पटरियों से पे।ला बनाया॥ ८। ओर उस ने स्तान पात्र ओर उस की चोकी पीतल से बनाई उन सखियां के ट्षण से जा मंडली के तंब के द्वार पर णकद्ठी होती थौों॥ <। और उस ने आंगन बनाया उस के दछद्चिण दिशा के दक्षिण ओर कोने बटे हुए सती बस्त से आट से हाथ की बनाई॥ १५०। उन के बीस खंभे और उन के पीतल के बीस पाए ओर खंभों के आंकड़े ओर उन की सामी चांदी की॥ ९५९। और उत्तर दिशा के लिये से। हाथ उन के बीस खंभ उन के पीतल के बीस पाए खंभों के आंकड़ और सामी चांदी की ॥ १५२। ओर पश्चिम की ओर पचास हाथ की ग्रेट और उन के ट्स खंभे और उन के ट्स पाए और खंभों के आंकड़े और सामी उन की चांदी की ॥ २३। और पबे दिशा की पबे ओर के लिये पचास हाथ॥ २१५४। ओएट पंट्रह हाथ की आंगन पर उन के खंसे तीन और उन के पाए तोन॥ ९५५४। ओर आंगन के द्वार कौ दूसरी अलंग के लिये इधर उधर पंद्रह हाथ की ओट उन के तौन खंभ और उन के तीन पाए॥ ९६। आंगन की चारों ओर की समस्त ओरट बटे हुए सीने सतो बस्तर कीथी॥ ९५७। ओर खां के पाए पीतल के और खंभों के आंकड़े और उन की सामी चांदी कौ और उन के माथ चांदी से मढ़े हुए और आंगन के सब खंभे चांदी के शलाके के थे ॥ ९८। और आंगन के द्वार की ओट बूटा कढ़े हुए नीले और बैंजनी और लाल और बटे हुए कोने सूतो बस्त की थी उस की लंबाई बौस हाथ और चेड़ाई पांच हाथ आंगन की ओट से मिलती थी॥ ९८। और उन के चार खंभे और उन के चार पाए पीतलके उन के आंकड़े चांदी के और उन के माथे और सामी चांदी से मढ़े हुए थे ॥ २०। और ३८ पब्बे] की पस्तक । ९८८ तंब की और आंगन की चारों ओर के सब खंट पीतल के॥ २९। हाझून याजक के पुत्र ईतमर के हाथ से लावियां की सेवा के लिये मूसा की आज्ञा के समान साच्चो के तंब का लेखा यह हैे॥ २२। यह्दा के कुल से कर के नाती ऊरो के बेट बजिज्लिएल ने सब कुछ जो परमेग्यर ने मसा के आज्ञा किई थी बनाया॥ २३। ओर उस के साथ दान के कुल का अखिसमक का बेटा अहलिअब थाजा खे.दने के ओर हथेएी के कार्य में और नीला और बेंजनी और लाल बटा काढ़ने में और मौीने बस्त्र में। २४ । समस्त से।ना जो जो पवित्र कायों में उठा था अथेत भेंट का सेना से। उंतीस तोड़े और सात से तीस शकल शरण स्थान के शकल से था॥ २५४ । ओर मंडली को गिनती में की चांदी एक सो ताड़े और एक सहस्त्र सात से पछहत्तर शेकल शरण स्थान के शकल के समान था॥ २६। हर मनुव्य के लिये एक बौका अथात्‌ आधा शकल शरण स्थान के शंकल के समान हर एक के लिये बीस बरस से ओर ऊपर जिस की गिनती हुई छः लाख तोन सहस्त साढ़े पांच सी थे॥ २७। और चांटी के से। तोड़े से शरण स्थान के पाए ओर घंघट के पाए ढाले गये सो तोड़े के सी पाए एक तोड़े क। एक पाया ॥ २८। ओर एक सहसखत सात सो पकहत्तर शुकल से उस ने खंभां के आंकड़े बनाये ओर उन के माथे मढ़े और उन में सामी लगाई ॥ २<८। और भेंट का पीतल जो सत्तर ताड़े ओर ट सहस्त च;र से शकल थे ॥ ३०। ओर उस ने उस्म मंडली के तंब्‌ के द्वार के लिये पाए और पीतल की यज्ञबेटी और उस की पीतल कौ स्कंसरो ओर बंदी के समस्त पात्र बनाये ॥ ३१५। ओर आंगन की चारों ओर के पाए और आंगन के द्वार के पाए ओर तंब क सब खंट और आंगन की चारों ओर के सब खंट । ३८ उंतालीौसवां पब्बे ॥ ६ * हे नौले और बैंजनी और लाल से उन्‍हें ने पवित्र सेवा के लिये सेवा रु कप >> च्यि [23 बे ००] २ के कपड़ बनाये और जैसा कि परमेस्वर ने मूसा का आज्ञा किई थी हारून के लिये पवित्र बस्तर बनाथे॥ २। और उस ने एफोट को सोने और नौले ओर बेंजनी और लाल और मौने बटे हुए सूत से बनाया ॥ ९७० यात्रा [३६७ पब्बे ३। ओर उन्हें ने सेनने के पतीन पतौल पत्तर गढ़े और तार खीं चे जिसतें उन्हें नौले में और बैंजनी में और लाल में और कौने सती बस्त्र के साथ चित्रकारी की क्रिया से बनावं॥ ४। ओर उस के लिये का के ट कड़े बनाये कि जोड़ वक्त दोनों खूंट से जेड़ा छुआ था॥ ५। और उस के एफेाद का पटुका जो उस के काये के समान सोने का ओर नीले और बैंजनी और लाल और बटे हुए कौने सूत से जैसा कि परमेश्वर ने मूसा के! आज्ञा किई थी उसी में से था ॥ ६ । ओर वे बैटूये मणि के! ओर उन्हें सेने के ठिकानों में जड़ा और उन में इसराएल के सतानें के नाम खोदे जैसा कि अंगूठी खादी जाती है॥ ७। कि मणि इसराएल के संतानें के सारण के लिये उन्हें एफाद के कंघों में रक्वा जैसा कि परमेग्यर ने मूसा के आज्ञा किई थी ॥ ८। और चपरास के हथोरटी के कार्य से एफाट की नाई सोने ओर नीले और बैंजनी और लाल गऔर बटे हुए मोौने सती बस्त से बनाया॥ ८ । वह चाकार था उन्‍्हां ने चपरास का टाहरा बनाया उस को लंबाई ओर चेड़ाई बित्ता भरकी टाहरी थी ॥ ९०। और उन्हें ने उस में मणि की चार पांती जड़ों पहिली पांती में माणिक्य ओर पद्मराग और लालडी ॥ १९ । हूसरी पांती में एक पन्ना एक नौल्म एक हौरा ॥ २ । तीसरी पांतौ में एक लशम एक सयकाॉत और एक नौलमाणि ॥ ९३। चौथी पांती में एक बैट्र्य और एक फी राजा चंद्रकांत सेने के घरों में जड़ हुए थ ॥ ९५४। इन मणिन में इसराएल के संतानों के नाम के समान बारहें के नाम के समान बारह भेट के समान हर एक का नाम खोदा हुआ था जैसी अंगठी खादी जाती क्े॥ १५५। ओर चपरास की कारों में निमल सेने की गथी हुई सौकरें बनाई ॥ १५६। ओर उन्‍्हों ने सेने केटा घर और सेने के दो कड़े बनाये ओर दानें कड़ा के चपरास के दोनों कड़ा में लगाया ॥ १९७। और उन्‍्हों ने गथी हुई सेने की दो सौकरें चपरास की कारों के दाने कड़ों में लरकाई ॥ ९८। और गंथी हुई दा सोकरों के दोनों खंट को उन्‍्हों ने टानों घरों में हढ़ किया ओर उन्हें एफाट के दोनों पट्ठां के टकडों के आगे लगाया॥ २१८। और उन्हें ने सेने के दो! कड़े बनाये और उन्हें चपरास की दो कारों में लगाया उस खंंट पर जा एफाद के भीतर कौ ओर था॥ २०। ओर उन्‍्हों ३८ पब्बे] कौ पुस्तक | १९९ ने सोने के हा कड़े बनाये और उन्‍हें एफाद के नीचे की दो अलंग में उस के आगे की ओर उस क जाड़ के सनन्‍्मख एफाद के पटक के ऊपर लगाय ॥ २९। जिसतें वह एफाट के पटके के ऊपर होवे और जिसतें एफाद से चपरास खल न जाय जेसा कि परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई थी उन्‍्हों ने चपरास का उस के कड़ा से एफाट के कड़ा में नीले गाटां से बांघा ॥ २२। गऔ_र उस ने एफाद के बस्तर का बिना बटे नौले का से बनाया ॥ २३। ग्लार उसी बस्त के मध्य में एक छंद हे। और उस कट की चारों ओर ओर उस के घ रे के घर में बिने हुए कार्य के गाट हें जेसा कि म्किलम का मंह हेता क्षे जिसते फटने नपावे॥ २४। ग्यार उन्हें ने उस बस्त के खंट के घेर में नीले और बैंजनी और लाल रंग और बटे हुए सत के अनार बनाथे॥ २५ । और उन्हें ने चाख से।ने की घंटियां बनाई: ओर चघंटियां का उस बस्तर के अनार के मध्य में लगाया अनार के मध्य में चारों और लगाया २६। घंटो ओर अनार घंटो ओर अनार बागे के अंचल की चारों ओर सेवा के लिय जैसा कि परमेश्वर नें मसा के। आज्ञा किई थी॥ २७। और मकीने सत की कुरतियां हारून और उस के बेटों के लिये बिने हुए कार्य से बनीं॥ २८ । कोने सूती पगड़ो और मुकुट ओर बटे हुए मीने सती सरुवार॥ २८ । ओर बट हुए कोने सतो बस्त का पटका और नौला गआऔर बेंजनी और लाल बटा काढ़ा हुआ जैसा कि परमेग्र ने मसा के। आज्ञा किई थी बनाया॥ ३०। ओर पवित्र मकुट के पत्र का निर्मल सेने से बनाया और उस में खादी हुई अंगठी की नाई यह खोदा परमेश्वर के लिये पविब्रता॥ ३१५। और उसप्त में एक नोला गोरा बांघा जिसतें मकुट के ऊपर हे जैसा कि परमेग्वर ने मसा का आज्ना किई थी॥ ३२। इस रोति से मंडली के तंब का काये बन गया और इसराएल के संतानें ने जैसा कि परमेश्वर ने मूसा के आज्ञा किई घी वैसा हो किया। ३३। और वे तंब के और उस की समस्त सामग्री का और उस की घण्डियां के उस कौ पटिया और छऊस के अड़ुंग ओर उस के खंभ और उस के पाए मसा के पास लाथे॥ ३४। रंगे हुए लाल चमड़े का घटाशआप और तखसें के चमड़े का घटाराप औ।र घटाटाप का घंघट ॥ ३५४। साक्षी की मंजूषा ओर उस के बचंगर और दया का आसन | श्र यात्रा [४० पत्णे ३६ । मंच और उस के समस्त पात्र और भेंट कौ रोटी ॥ ३७। पवित्र दटौअट उस के द्ौपक समेत ओर दौपक जो बिधि से रक्‍्खे जायें ओर उस के समस्त पात्र ओर जलाने का तेल। ३८। ओर सोने कौ बेटी और अभिषेक का तेल और सगंघ धप ओर तंब के द्वार की ओट ॥ ३९८। पीतल की बेटों और उस की पीतल कौ सकसरी ओर उस के बचंगर ओर उस के समस्त पात्र स्तान पाव और उस की चौकी / ४०५ आंगन की ग्रेट उस के खंभे उस के पाए ओर आंगन के द्वार की आट जूस की रख्यियां और खंटे >्या र॑ में डेली को त॑व को लिये ता की सेवा के समस्त पात्रु॥ ४१॥। पवित्र स्थान में सेवा के लिये सेवा के बस्त्न और हारून याजक के लिये पवित्र बस्त्न और उत के बेटों के बस कि याजक के पट में सेवा करें॥ ४२। जेसा कि परमेश्वर ने मूसा के आज्ञा किई थी वैसे हो इसराएल के संतानें ने सब काम किये॥ ४३। और मूसा ने सब काम के देखा ओर देखा कि जैसा परमेग्र ने उन्‍हें आज्ञा किई थी वैसाही उन्हें ने किया तब उस ने उन्‍हें आशीष दिई ॥ 2० चालीसवां पब्बे । ( परमेश्वर मसा से कहके बोला॥ २। कि पहिले मास के पहिले न तंव के जो मंडलौ का तंब हे खड़ा कर ॥ ३। और उस में साची की मंजषा रख ओर मंजघा पर घंचट डाल ॥ ४। झआऔर मंच के भीतर ले जा और उस पर की बस्त उस पर बिघि से रख फिर टौअट भीतर लेजा और उस के दीपक बार॥ ५। और घप क लिये सोने की बेदी का साह्यी की मंजघा के आंगे रख ओर तंब के द्वार पर गेट रख॥ ६ । ओर यज्ञबेटी का तंब के द्वार केआगे रख मंडली के तंब के आगे ॥ ७। फिर स्ञान पात्र मंडली के तंब ओर बेदी के बीच में रख और उस में पानी डाल॥ ८। फिर आंगन की चारों आर खड़ा कर ओऔ।र ओआट का आंगन के द्वार पर टांग ॥ €। फिर अभिषेक का तेल ले और तंबू का ओर सब जो उस में हे अभिषेक कर और उसे पवित्र कर और उसे और उस के समस्त पात्र को और वह पवित्र किया जायगा ॥ १५०। और बेटी का ओर उस के समस्त पात्र के अभिषेक कर ओर बेदी को पवित्र ४० पब्बे] की पुस्तक ॥ शै€ई्‌ कर तब बेदी अति पवित्र हेगी ॥ ५१। ओर स्जान पात्र और उस को चैकी का भी अभिषक कर ओर उसेपवित्र कर॥ १५२। और हारून और उस के बेटों का मंडली के तंब के द्वार के सनीप ला और उन का पानी से नहला॥ १५३। झओर हारून के पवित्र बस्त्र पद्चिना और उसे अभिषेक कर ग्रार उसे पवित्र ठहरा जिसतें वह मेरे लिये याजक केपद में सेवा करे। १४। और उस के बेटां के! समीप ला ओर उन्हें कुरतियां पहिना। ५५। और उन्हें अभिषक कर जेसे उन के पिता के। अभिषक किया जिसतें वे मेरे लिये याजक होवे क्योंकि उन के अभिषक का हेना निश्चय सनातन की याजकता उन की समस्त पी ढ़ियों में हेगी॥ ९५६ । जैसा कि.परमेग्वर ने मसा का आज्ञा किई थी उस ने बेसाही किया ॥ १५७। और दूसरे बरस के पहिले मास की पहिली तिथि में तंब खड़ा हे! गया॥ २८। और मसा ने तंब के खड़ा किया और उस के पाए हृढ़ किये ग्लार उस के पाट खड़े किये औएर उस के अड़ंगे प्रवेश किये और उस के खंभे खड़े किये। १९५८। ओर उस ने तंबू के तंबू पर फैलाया और जैसा कि परमेश्वर ने मुसा के आज्ञा किई थी उस ने तंबू के चघटाटोाप के उस के ऊपर रक्खधा ॥ २०। उस ने साक्ष्णो के मंजषा में रक्वा और बहंगर के मंजषा के ऊपर रक्‍वा और टया के आसन के मंजषा के ऊपर रक्वा॥ २९ । और वह मंजषा के तंब के भीतर लाया और घंघट टांग दिये और साची की मंजषा का ढांप टिया जसा कि परमेग्वर ने मसा का आज्ञा किई थी ॥ २२ । ओर घंघट के बाहर तंब को उत्तर अलंग उस ने मंडली के तंब में मंच का रक्वा॥ २३। ओर जेसा कि परमेचर ने मसा का आज्ञा किई थी वेसाहो उस ने रोटो के! विधि से उस पर परमेश्वर के आगे रक्‍खा ॥ २४ | फिर उस ने दौथगरट के मंडजी के तंबू में मंच के सन्मुख तंबू की दक्षिण अलंग रकवा॥ २४६। ओर जैसा कि परमेग्बर ने मूसा के आज्ञा किई थी उस ने परमेग्वर के आगे दीपक के बारा॥ २६। ओर उस ने सेने की बेदौ के मंडली के तंब में घूंघर के आरे रकखा ॥ २७। ओर जैस। कि परमेग्पर ने मूसा का आज्ञा किई थो उस ने उस 25 [8 के के. १८४ यात्रा [४० पब्वे पर सुगंध घप जलाया॥ . २८। फिर तंब के द्वार पर ओट के टांगा ॥ २८ । ओर यज्ञबेटी के तंब के द्वार पर मंडली के तंब के पास खड़ा किया ओर जेसा कि परमेश्वर ने मसा के आज्ञा किई थी उस ने उस पर हेम की भेंट ओर मांस की भेंट चढ़ाई॥ ३०। ओर उस ने स्तान पात्र के मंडली के तंबू के आर यज्ञबेदी के मध्य में रक्खा और नहाने के लिये उस में पानी डाला॥ ३९५। तब उसमे मसा ओर हारून ओर उस के बेटा ने अपने हाथ पांव घाय ॥ ३२। जब वे मंडली के तंब में प्रवेश करते और यज्ञबेटी के पास आते जैसा कि परमेग्र ने मसा का आज्ञा किई थी नहाते॥ ३३। फिर उस ने तंब को और बेटी को चारों ओर आंगन पर ओर आंगन के द्वार पर ओएट टांगी से! मसा ने सब कार्य परा किया॥ ३४। तब मेघ ने मंडली के तंब का ढांपा ओर तंब में परमेश्वर का तेज भर गया॥ ३५ | ओर मखा मंडी के तंब में प्रवेश न कर सका इस लिये कि भेघ उस पर ठहरा था और तंब परमेग्थर से भराथा॥ ३६। और जब मेच तंब पर से ऊपर उठाया जाता था तब इसराएल के संतान अपनी समस्त यात्रा में बढ़ जाते थे ॥ ३७। परंत जब मेघ ऊपर उठाया न जाता था तब वे यात्रा न करते थे॥ ₹८। क्यांकि दिन के परमेश्वर का मेव और रात के! आग तंब पर इसराएल के सारे घरानें की दृष्टि में उन की समस्त यात्रां में उच्दरता था ॥ मूसा की तीसरी पुखक जो लेब्यव्यवस्था कह्ावतों है। ९ पहिला पब्बे। जो परमेश्वर ने मूसा के! बुलाया और मंडली के तंबू में से बच बचन उसे कहा॥ २। कि इसराएल के संतानों से बाल ओर उन्हें कह कि यदि काई तुम्में से परमेश्वर के लिये भेंट लावे तो तम ढोर में से अथ्रत्‌ गाय बैल ओर भेड़ बकरी में से अपनी भेंट लाओ॥ ३। यदि उस की भेंट गाय बेल में से हेम का बलिदान हेवे तो निष्खाट नर होवे बह मंडलौ के तंब के द्वार पर परमेगश्वर के आगे अपनी प्रसन्नता के लिये लावे। ४। ओर व॒ह हेम की भेंट के सिर पर अपना हाथ रक्‍्खे ओर वह उस के प्रायच्यित्त के लिये ग्रहण किया जायगा॥ ५। और वुह् उस बैल के परमेश्वर के आगे बलि करे और हारून के बेटे याजक लोक्न के निकट लावें और उस लेह्न के बेटी के चारों ओर जो मंडली के तंब्‌ के द्वार पर है छिड़कें॥ ६। तब वह उस हेमम के बलिटान की खाल निकाले और छसे टकड़ा टकड़ा कर ॥ ७। फिर हारून के बेटे याजक बेदी पर आग रबक्‍खें और उस पर लकड़ी चनें॥ ८। ओर हारून के बट याजक उस के टकड़ों के और सिर ओर चिकनाई के! उन लकड़ियां पर जो बेदी की आग पर हे विधि से धर ॥ €। परंतु उस का ओआमक ओर पणों के पानी से घोवे और याजक सभा के बेदी पर जलावे जिसतें होम का बलिदान हेवे जो आग से परमेश्वर के सुगंध के लिये भेंट किया गया॥ १९०। और यदि उस की भेंट कुंड में से अथैत्‌ भेड़ बकरी में से हे।म के बलिदान के ९८६ लैब्यब्यावस्था [२ पन्ने लिये हे।वे ता वह निष्खाट नरुख लावे॥ ५१५। ओर उसे परमेश्वर के आगे बेदी की उत्तर दिशा में बलि करे ओर हारून के बटे याजक उस लाक्ू का बेटी पर चारों ओर छिड़कें॥ ५०९। फिर वह उस के टुकड़ों और सिर ओर चिकनाई के। अलग अलग करे और याजक उन्हें उन लकड़ियों पर जा बेटी की आग पर हैं चने॥ १५३। परंत ओम्क औरर पण्गा को पानी में घावे ओर याजक सभा के लेके बेटी पर जलावे यह हेम का बलिदान जो परमेश्वर के सगंध के लिये भेंट किया गया॥ ९४। और यदि उस के हेम का बलिदान परमेग्वर की भट के लिये पत्तियों में से हाोवे ता वह पिण्डकी अथवा कपोत के बच्चां में से भेंट लावे॥ १५५ | ओर याजक उसे बेटी पर लाके उस का सिर मरोड़ डाले और उसे बेदी पर जजा टे और उस के लोक्न का बेटी की अलंग पर निचाडे॥ १६। ओर उस के मास के! पर सहित निकाल के बटो की प॒व अलंग राख के स्थान में फंक टे॥ १७। ओर बुद्द उसे उस के डेनों सहित काटे परंतु अलग न कर डाले तब याजक बेटौ की आग पर कौ लकड़ियां पर उसे जलावे यह होम का बलिदान जा परमेश्वर के सुगंध के लिये आग से भेंट किया गया | २ टूसरा पब्बे। ६५ हु जब काई भाजन की भेंट परमेश्वर के लिय लावे ता उस वे भेंट चेाखा पिसान हे ओर बुच्द उस पर तेल डाल के उस के ऊपर गंधरस रकवे॥ २। और वह उसे हारून के बेटों के पास जो याजक हैं लावे ओर वह उस पिसान में से ओर तेल में से और समस्त गंधरस सहित मट्ठी भर लेवे और याजक उस के छारण को बेटौ पर जलावे यह आनंट का सगंघ परमेश्वर की भट के लिये ह्े। ३। ओर भाजन की भेंट का उबरा हुआ हारून और उस के बंटां का हागा यह हेम की भेंट में से परमेम्धर के लिये अत्यंत पवित्र हे॥ ४। यदि तम्हारी भेंट भाजन की भेंट भट्टी में की पक्की हुई हावे ता अखमीरी पिसान अथवा अखमौरी चपातियां तेल से चपड़ी हुई हावे॥ ५। और यदि तेरी भेंट भाजन की भंट तवे की हे।वे अखमोरी तेल से मिली हुई चोख ६ पब्ब] की पस्तक । ९८७ पिसान की हेोवे॥ ६। उसे टकड़ा टकड़ा करना ओर उस पर तेल डालना यह भाजन को भेंट क्षे। ७। ओर यहि तेरी भंट भाजन की भंट कराही में की हेववे तो चाखा पिसान तेलसहित बने॥ ८। ओर तू भाजन की भंट के। जा परमेश्वर के लिय इन बस्तुन से बनी हे ला और याजक के आगे घर दे और वुचह्द उसे यज्ञबेदी के आगे लावे॥ <। और याजक उस भाजन को भेंट में से डस के सारण के लिये कुछ लंबे बेटी कै ९ हट 0 + की «५ ५ और बेटौ पर जलावे यह परमेश्वर के लिये सुगंघ की भेंट आग से बनी हे ॥ ९ ०। और जा कुछ भेजन की भेंट में से बच रहा हे से। हारून ओर हारून ७ ७ ०5 ब््ु पक की * ० कक दि ५ केब्यों का क्ञे यह भंट अत्यंत पवित्र परमेग्वर के लिय आग से बनी हे ॥ काई ही 5५ किक बा कहर 9 पे १५९५॥। काई भेजन की भेंट जा तुम परमेग्वर के लिये लाओ खमीर से न बने क्योंकि खमीर ओर नई मधु परमेम्वर के लिये किसी भेंट में न जलाया जावे॥ १५२९। पहिले फलों की भेंट जो के तुम उन्हें परमेम्धर के आगे लाओ परंतु संध के लिये बदी पर जलाई न जावे॥ १३। और तू अपने भोजन की हर एक भेंट के नान से लेनी कौजिया और 0 कर 5 55. कर अप 2०. अब तेरे भाजन की भेंट अपने ई स्वर के नियम के नान से रहित न होने पाते अपनी समस्त भेंटों में नेन को भेंट लाइबे।॥ ९४। ओर यदि त पहिले फलों से परमेग्वर के लिये भाजन की भेंट लावे तो अपने पहिले फलों के भाजन की भंट अन्न की हरी बाल भनो हुई अथात भरी बालों में से अन्न पीटा हुआ॥ २५५॥। उस पर तेल डालिया और गंघरस ऊपर रखियो यह भाजन की भेंट क्षे । ९६। ओर पीटे हुए अन्न में से और उस के तेल में सं ओर उस के समस्त ग॑ंघधरस सहित याजक जलावे यह आग से परमेग्वर के लिये भेंट है। ३ तीसरा पब्बे। जी यदि उस की भंट कुशल का बलिदान हे/वे और वच् गाय बैल में कक ०. बे. कर हक जा से लावे चाहे नर अथवा स्त्री बगे हे।वे परमेग्धर के आगे निष्खाट लावे॥ २। ओर वचह अपना हाथ अपनी भेंट के सिर पर रक्‍्वे ओर मंडली के तंब क द्वार पर उसे बलि करे ओर हारून के बंटे जा याजक हैं उस के लाह् का बेदी पर चारों आर छिड़क ॥ ३। और वह कुशल श्र्८ लैब्यब्यावस्था [३ पत्ते 3०2 0 8 0000 न की भेंट के बलिदान में से परमेग्वर के लिये आग की भेंट लावे चिकनाई जो ओक्क को ढांपती है और सारी चिकनाई जो गक्क पर क्षे। ४। और दाना गदर और उन पर की चिकनाई जो पांजरों पास क्षे ओर कलेजे पर कौ म्त्ली गुहे समेत अलग करे॥। ५। ओर हारून के बेटे उन्हें बेटी के ऊपर हे!म के बलिदान पर आग की लकड़ियों पर जलांबें यह परमेग्वर के लिये सगंघ जे आग से भेंट किया गया॥ ६। और यदि उस की भट कुशल की भेंट का बलिदान परमेश्वर के लिय भेड़ बकरी से नरुख अथवा स्त्री बे से हावे तो वह उसे निष्खाट चढ़ावे॥ ७4 जैर यदि वह अपनी भेंट के लिये भेम्न्ा लावे व॒ह उसे परमेशखर के आगे भेंट दवे॥ ८। और वह अपना हाथ अपनी भेंट के सिर पर रक्खे और उसे मंडली के तंब के आगे बलि करे और हारून के बेटे उस के लाह् का बदौ पर चारों ओर छिड़क ॥ <। और वुच्द कुशल के वलिदान में से कुछ हे!म का बलिदान परमेग्धर के लिये लावे उस की चिकनाई और समस्त पंछ रीड़ से अलग करके और चिकनाई जो ओस्‍्फों के टांपती है ओर सारी चिकनाई जो ओस्तें पर क्न्‍े। ९५०। ओर होनों गे और उन पर की चिकनाई जो पांजरों के पास है और कलेजे पर की * फिलौ गंटे समेत अलग करे ॥ ९९। याजक उसे बंदी पर जलावे यह्द पेंट का भाजन आग से बना हुआ परमेश्वर के लिये है॥ ५२। और यदि उस का बलिदान बकरी हेय तो परमेश्वर के आगे लावे॥ ९३। वह अपना हाथ उस के सिर पर रक्‍्खे ओर उसे मंडली के तंब के आगे बलि करे और हारून के बेटे उस के लाह् के बंदी पर चारों ओर ईफछिडके ॥ २९४। तब वह उस में से अपनी भेंट लावे जा भेंट परमेग्वर के लिये हराम से बने चिकनाई जा ओम के! टांपती हे और सारीो ईचिकनाई जो ग्येम्क पर हें ॥ ९५५१। और दोनें गे ओर उन पर कौ चिकनाई जो पांजरों पास कै और कलेजे पर की समिज्ञी गई समेत लग करे॥ ९६। और याजक उन्‍हें बेदी पर जलावे वह भेंट का भजन आग से परभेग्पर के सगगंध के लिये बना हुँ सारी चिकनाई परमेग्वर की॥ १५७। यह तन्हारी बल्तियां में तन्हारी पीढ़ियां के लिये सनातन की बिधि हे जिसतें तम कुंछ चिकनाई ओर लाक्नू न खाओए॥ । ४ पब्बे] की पस्तक । ९€& ४ चौथा पतन ।.« | 8 परमेस्वर मूसा से यह कहके बाला॥ २। कि इसराएल के संतानों से कह कि यट्टि काई प्राणी परमेश्वर की आज्ञाओं के बिरोध में अज्ञानता से पाप करे जिस का हेना अनचित था। ३॥ यटि वह अभिषेक किया हुआ याजक लागों के पाप के समान पाप करे तो वह्र अपने पाप के कारण जो उस ने किया हे अपने पाप की भेंट के लिये निष्खोट एक बछिया परमेश्वर के लिये लावे। ४। और वुच्द उस बछिया के मंडली के तंब्‌ के द्वार पर परमेस्वर के आगे लावे और बछिया के सिर पर अपना हाथ रक्‍्खे और बछिया के! परमेग्यथर के आगे बलि करे॥ ५। ओर वह याजक जो अभिषेक किया हुआ है उस बछिया के लाह्न से कुछ लेवे और मंडली के तंब में लावे॥ ६। और याजक अपनो अंगली लाह्न में डबा के परमेग्वर के आगे पवित्र स्थान के घंघट के साम्न उस लाक् से सात बार छिड़के॥ ७। और याजक लाह्न से सगंध बेदी के सोगों पर जो म॑ंडली के तंब में हे परमेग्यर के आगे लगावे और उस बछिया के जबरे हुए लेक के हे।म कौ भेंट की बेटी की जड़ पर जा मंडली के तंबू के द्वार पर हे ढाले॥ ८। और सारी चिकनाई के पाप की भेंट के बछड़े से अलग करे और जो विकनाई ओरसम्क के ढांपती कहे आर सब चिकनाई जो ओर पर क्े । «। और हानें गई ओर उन पर की चिकनाई जो पांजरों पास है और कलेजे पर कौ मिनी गुर्दे समेत अलग करे ॥ ५०। जिस रौति से कुशल के बलिदान की भेंट के बकृड़ से अलग किया जाता हे और याज़क उन्‍हें हेम को भेंट की बेदी पर जलावे॥ १५९। और उस बछऊझे की खाल और उस का समस्त मांस ओर उस के सिर पांव समेत और उस के ओम्क और उस का गोबर ॥ १२। अथ्थःत्‌ समस्त बछड़ा तंब के बाहर निमेल स्थान में जहां राख डाली जाती हे ले जावे और उसे लक डियों पर आग से जलावे राख डाल ने के स्थान पर जलाया जावे॥ ९३। और यदि इसराएल के सतानोां की सारी मडली अज्ञानता से ऐसा पाप करें जेत मंडली की दृष्टि से छिप जावे ओर वे परमेम्घर की आज्ञाओं में से ऐसा २०० लैब्यब्या बस्था [४ पब्च कुछ करें जे! बिपरौत है ओर अपराधी हे। जायें ॥ १४। ते जब दह पाप ज्ञो उन्‍्हों ने किया जाना जावे तब मंडली एक बछूड़ा पाप के बलिदान के लिये लेवे और मंडली के तंब्‌ के साम्त्रे लावे। १५५। और मंडली के प्राचीन अपने हाथ परमेग्र के आगे उस बछड़ के सिर पर रक्‍वें और बछूड़ा परमेन्वर के आगे बलि किया जावे॥ २९६। और याजक जा अभिषेक किया हुआ हे उस बढछूड़ के लाक्ू में से मंडली के तंब में लावे। १५७। और याजक अपनी अंगली लाह् में डबा के परमेग्वर के आगे घंघट के सास्ने सात बार छिड़के॥ १५८। और लाह्न से बेटी के सोंगों पर जो परमेग्वर के आगे मंडली के तंब में क्ञे लगावे और उबरा हुआ लेफक्न हेम कौ भेंट को बेदी की जड़ पर जो मंडली के तंबू के द्वार पर है ठाल दे॥ १९६९। ओर उस की सारी चिकनाई निकाल के बेदी पर जलावे॥ २०। ओर जैसे अपराघ के बलिटान के बकछड़ से किया था वेसाही इस वबछूडे से करे और याजक उन के लिये प्रायश्चित्त करे और वुह उन के लिये क्षमा किया जायगा ॥ २९। ग्रार उस बकड़ के छावनी से बाहर ले जाय और जैसा उस ने पहिली बछिया के जलाया था वबेसा इसे भी जलावे यह मंडली के लिये पाप की भेंट क्षे ॥ २२ । जब कोई अध्यक्ष पाप करे और अज्ञानता से अपने परमेश्वर की किसी आज्ञा में से कोई एसा कार्य करे जे। डचित न था और अपराधी हेवे॥ २३। अथवा यदि उस का पाप जिसे उस ने किया जाना जावे तब व॒ुच्द बकरी का निष्खाट नर मेम्ना अपनी भेंट के लिये लावे॥ २४। और अपना हाथ उस बकर के सिर पर रकक्‍्खे ओर उसे उस स्थान में जहां हेाम कौ भंट बलि होती के परमेमश्वर के आगे बलि करे यह पाप कौ भेंट हे॥ २४५। और याजक पाप की भेंट के लाहू में से अपनी अंगली पर लेके भट के बलिदान के सौगां पर लगावे ओर उस का लाह्ू हे!म की भेंट की बेदी की जड़ पर ढाल॥ २६। और उस कौ सब चिकनाई कुशल की भेंट के बलिदान की बदी पर जलावे और याजक उस के पाप के कारण प्रायच्यित्त करे और उस के लिये छमा किया जायगा॥ २७। और यदि उस द्शके लागों में से अज्ञानता से काई पाप करे ओर परमेश्वर की आज्ञा के धू पब्बे] की पस्तक । २०९ बिरुड़ अनचित करे और दोषी हेवे॥ २८। अथवा यदि उस का पाप जो उस ने किया हे उसे जान पड़े तब वह अपने पाप के लिय जा उस ने किया हें अपनी भंट के लिये एक स्त्री ब| निष्खाट बकरोौ का एक मेम्ना लावे। २८। और अपना हाथ पाप कौ भेंट के सिर पर रकक्‍वे और पाप कौ भेंट के! भंट के बलिटान के स्थान में बलि करे॥ ३०। ओर याजक उस के लोाह् में से अपनी अंगली पर लेवे ओर जलाने कौ भेंट कौ बेटी के सौंगां पर लगावे ओर उस का समस्त लाह्न बंदी की जड़ पर ठढाले॥ ३९। ग्यार उस की सब चिकनाई जिस रीति से कुशल की भ्ंट के बलिदान की चिकनाई अलग किई जाती है अलग करे और याजक उसे परमेम्थर के सगंध के लिये बेदौ पर जलावे और याजक उस के लिये प्रायश्चित्त करे ओर वह उस के लिये ऋमा किया जायगा ॥ ३२। ओर यदि वुच्द अपने पाप कौ भेंट के लिये मेग्ना लावे ता वुच्द एक स्त्री बगे निष्खाट लावे॥ ३३। ओर व॒ह अपना हाथ अपने पाप की भंट के सिर पर रक्‍खे और उसे जहां जलाने की भंट बलि किई जाती के वहां पाप के लिये बलिटान करे॥ ३४। और याजक पाप कौ भेंट के लाह् से अपनी अंगुली पर लेके हाम कौ भेंट की बेदी के सौंगां पर लगावे ओर उस का समस्त लाह् बेटी की जड़ पर ढाले॥ ३५ । ओर उस की समस्त चिकनाई जिस रोति से कि कुशल की मट के बलिदान की चिकनाई उस मेम्ना से अलग किई जाती क्षे अलग करे और याजक उन्हें घरमेग्घर की आग की भट के समान बेदी पर जलावे और याजक उस के पाप के लिये जा उस ने किया हे यह प्रायच्धित्त करे ओर ब॒ुच्द उस के लिये क्षमा किया जायगाए ५ पांचवां पब्बे । दर दि काई प्राणी पाप करे और किरिया का शब्द सने और साच्छी हावे चाहे ट्खा अथवा जाना हे। यदि वह न बतावे ता वह ट्ोषी हेागा॥ २। अथवा यदि काई प्राणो काई अपवित्र बस्त छथे चाहे अपवित्र पशु कौ लाथ अथवा अपवित्र ढार कौ लाथ अथवा अपवित्र रेंगवैया जंत की लाथ कये ओर उतद्मे अज्ञान हावे तो वह अपावित्र और 26 [4., 8. 8.] २०२ लैव्यब्थवस्था [५ पब्ने त्र्ल्य्ज्य््ड़्िचफर्प्् कि -न-->-न+--++-+«+०-कै---++++ दाषी हेगा॥ ३। अथवा यदि वह मनव्य की अपवित्रता वेश छय हे। जिशयं मनव्य अशइड होता हू जब उसे जान पड़े तब वह टाणी हेगा ॥ ४ । अथवा यथ्टि काई प्राणी मह से बरा अथवा भला करने को उच्चारे अथवा किरिया खाय और जा कुछ वह किरिया खाके उच्चारण करे और बह उर्से गप्त हो जब उसे ज्ञान पड़े तब एक इन में से हाणी हेोगा।॥ ५ । और यो हामा कि जब वह उन में से एक बात का दाधघी हे।वे तो वह मान लंबे कि में ने यह पाप किया है ॥ ६। तब व॒ुह अपने अपराध को भंट अपने पाप के लिय जो उस ने किया हे अंड में से स्त्री बगे एक भड़ अथवा बकरी में से एक मेन्‍्न्ना अपने अपराध कौ भट के लिये परमेश्वर के आगे लावे ओर याजक उस के पाप के लिये प्रायच्यित्त कर ॥ ७। और यटि उसे भेद लाने की पंजो न हे ता वह अपने किये हुए अप- राघ के लिये दा पिण्डकियां अथवा कपोत के ट बच्च परमेग्वर के लिये लावे एक पाप की भंट के लिये ओर द्सरा हेम की भंट के लिये ॥ ८ । फिर वह उन्हें याजक पास लाबे और बह पहिले पाप की भेंट चढ़ावे और उस का सिर गले के पाम से मरोड़ डाले-परंत अलग न करे॥ €। और पाप कौ भंट के लाह् के बेदी के अलंग पर छिड़के और उबरा हुआ लाह्न बेदी की जड़ पर निचाड़े यह पाप कौ भेंट क्षे । ९.०। और ट्ूरसरे का ब्यवहार के समान हे।म की भेंट' के लिये चढ़ावे ओरु याजक उस के किये हुए अपराध का प्रायश्थित्त करे और बच क्षमा किया जायगा ॥ ९ ९॥ पर यटि उसे हो पिएडकियां अथवा कपेत के दो बच्चे लाने की पंजी न हे। तो वह अपने पाप की भंट के लिये सेर भर चाखा पिसान पाप की भंट के लिये लावे उस पर तेल न डाल न गंधरस रकक्‍वे यह पाप की भेंट हे॥। १५०२॥ तब वह उसे याजक पास लावे ओर याजक उस में से करण के लिये अपनी मट्ढठी भर के उस भंट के समान जा परमेश्वर के लिये आग से हे।ती हे बेटी पर जलावे यह पाप कौ भेंट के । ५३। और याजक उस पाप के कारण जो उस ने किया इन बात में से प्रायस्यित्त करे और बुह क्षमा किया जायमा ओर भाजन की भेंट के समान याजक का हागा॥ १४। फिर परमेश्वर मूसा से बाला॥ १५४ । कि यदि काई प्राणी। अप्राघ करे और परमेश्वर की पवित्र बस्तुन में से अज्ञानता से: है पब्ब ] की पस्तक । २०३ पाप करे तो वुह अपने अपराध के लिये क्कूंड में से एक निष्खे।ट मेढ़ा पवित्र स्थान के शेकल के समान चांदी के शकल तेरे माल के ठहराने क समान अपराध की भट के लिये ईश्वर के आगे लावे। १६। और वच्द उस अपराध के कारण जा उस ने परवि्व वस्तु म किया है पलटा टवे और उप में से पांचवां भाग मिलाके याजक को दबे ओर याजक उस अपराध कौ भंट में से उ्त का प्रायश्चित्त करे ओर वुच्द क्षमा किया जायगा ॥ १५७। और यदि कोई प्राणी पाप करे ओर वही करे जो परमेग्वर की आज्ञाओं से वर्जित हे ओर यद्यपि वुह नहो जानता था तथापि बच्द अपराधी हे वुच् अपने पाप को भेगेगा ॥ ९८। और तेरे ठहराये हुए मे ।ज के समान अपराध कौ भंट के लिये एक जिष्खाट मेढ़ा भ्कुड में से याजक पास लावे और याजक उस कौ अजन्ञानता के कारण जिस में उस ने अंजान की चक किई ओर न जाना उस के लिये प्रायश्चित्त करे और वुद्द क्षमा किया जायगा॥ २१८। यह अपराध की भट हे उस ने निञ्चय परमेग्पर के विरुड् अपराध किया हे ॥ ६ छटवां पब्ब । हा परमेश्वर मूसा से कहके बोला॥ २। कि यदि कोई प्राणी पाप करे ओर परमेग्वर के विरुड्ट में अपराध करे और अपने प रोसी की थातौ में जो उस पास रकदी गई थी अथवा साम्क में अथवा किसी बस्त में जो बरबस लिई जाय अथवा अपने परोासी को छल दिया क्षे॥ ३ ॥ अथवा काई बस्तु जो खोई गई थी पावे और उस-.क विषय में मठ बाले और झूठी किरिया खाय इन सारी बातों से जे मन॒व्य करके पापी हे।ता क्षे। ४। से इस कारण कि उस ने पाप किया है और दोषी हे वह उसे जिसे उस ने बरबस लिया क्षे अथवा जो उस ने छल से पाया कहे अथवा व॒ह जो उस पास -थाती थी अथवा छाई हुई जो उस ने पाई के फेर ट्वे॥ ५ ।अथवा सब जिस के कारण उस ने भ्कटठी किरिया खाई हे वुच्द मूल का भर देवे और पांचवां भाग उस में मिलावे और जिस का आता हे वुच अपने अपराध की भेंट के दिन में उस की फेर ट्वे॥ ६, और परमेस्वर के लिये वह अपने पाप की भेंट भ्मुंड में से एक निष्खे/ट २०४ लेब्यब्यवस्था [६ पब्बे मेढ़ा तेरे ठत्तराथें हुए साल के समान अपराघ की भेट के लिये याजक पास लावे॥| ७। ओर याजक उस के लिये परमेज्यर के आगे प्रायच्चित्त करे और उस बात में उस ने जा काई अपराध किया क्ले उस के लिये क्षमा किया जायगा ॥ ८। फिर परमेमग्ार मसा से कह्दके बाला॥ <। कि हारून और उस के बेटों को आज्ञा कर कि यह हेम की #ेट की ब्यवस्था हू हाम की भट इस लिय हू कि बंटी पर रात भर बिहान लॉ जलाने के कारए कहै॥ २९०। ओर याजक अपने सती बस्तर पहिने और सूती जांविया से अपना शरौर ढांपे और राख के उठा लेबवे जिसे आग ने हेम की बेदी पर भर्त किया हे ओर उसे ब्रदी के पास रकखे॥ ९१९। फिर वुच्द अपने बस्त उतारके टूसर बस्तर पहिने और डस राख के छावनी के बाहर एक पावन स्थान पर ले जावे॥ १२। आर बेदी की आग उस में जलती रहे वह कभी बम्कने न पावे ओर याजक उस पर लकड़ी हर बिहान जलाया करे ओर उस पर हेम की भेंट चने ओर उस पर कुशल की भंट की चिकनाई जलावे॥ १५३ । अवश्य क्षेकि आग बंदी पर सदा जलती रहे और बुककतने न पावे॥ ९४ । भाजन कौ भेंट की व्यवस्था यह हे उसे हांरून के बेट बेटी के आगे परमेम्वर के लिये चढ़ावं॥ ९५५ । ओर भाजन की भेंट में से एक मद्ठी भर पिसान और कुछ तेल में से और सब गंधरस जा उस भाजन की भट पर हे उठा लेवे ओर उन्‍हें स्वरण के कारण परमेग्वर के आनट के सगंघ केलिय बंदो पर जलावे॥ १६। और उस का उबरा हुआ हारून ओर उस के बटे खावें व॒ह अखमौरी रोटी के साथ पवित्र स्थान में खाया जावे मंडली के तंब के आंगन में उसे खावे॥ १७। वह खमीर के साथन पकाया जावे में ने अपनी भट से जे आग से बनी हे उन के भाग में दिया हु जेसों पाप को और अपराध की भट अत्यंत पर्वत्र ह “सो यह भी हु॥ ९८। हारून के संतान में से परूष उसे खावे यह परमेम्यर की भट के विषय में जे। आग से बनी हू तम्हारो सदा की पीढ़ियों में यह अत्यंत पवित्र है ॥ ९८। फिर परमेग्रर मूसा से कहके बाला॥ २०। कि हारून ओर उस के बट की भंट जिसे वे अपने अभिषेक होने के दिन परमेम्ार के आगे अंट लाव॑ से यह कहे ईफा का दसवां भाग चोखा पिसान भाजन को भेंट ७ पब्बे) कौ पस्तक । २०५ उस का आधा वित्ान को ओर उस का आधा सांम्कत का नित्य हुआ करे॥ २९। और यह तेल से बनके तवे पर पकाया जावे पक्कौ हुई भोतर न्ताग्रे भाजन को भट पक्क हुए टकड़ टकड़ परमंग्धर के सगध क लिये चढ़ाओ॥ २२। उस के बंटां में का याजक जा उस के स्थान पर अभिषेक हे। वह उसे चढ़ावे यह बिधि परमेग्वर के कारण सदा हेवे वह संपणे जलाया जावे॥ २३। याजक के हर एक भेाजन की भेंट सब को सब जलाई जावे से कभी खाई न जावे॥ २४। ओर परमेश्वर ममा से करके बाला॥ २४। कि हारून और उस के बटां से कह पाप की भेंट की ब्यवस्था यह है कि जिस स्थान में जल। ने की भेंट बलि किई जाती हे वचहों पाप की भट भी परमेगर के आगे बलि किई जाय यह अत्यंत पवित्र के। २६। जो याजक पाप के लिये उसे चढ़ावे से। उसे खाय वुच्द पवित्र स्थान में मंडली के तंब के आंगन में खाया जावे॥ २७। जो काई उस के मांस का छयेगा से। पवित्र होगा ओर्‌ जब जूस का लाह्ू किसी बस्तर पर छिड़का जाय उसे पवित्र स्यान में प्रा॥ २८। परंत जिस मिट्टी के पात्र में वह सिस्क्राया जावे से! ताड़ा जाय ओर याद वह पौतल के पात्र में सिम्कनाया जावे तब वह मांजा जाके पानो में खंचारा जाय ॥ २८। याजमकों में से समस्त परुष उसे खाव वह अत्यंत पवित्र हे ॥ ३०। और पाप की काई भंट जिस का कुछ भी लाह्न मंडलो के तंब में मिलाप के कारण लाया जाय से। खाया जायगा आग से जलाया जावे ॥ ७ सातसवां पब्ओने । ञ' अपराध की भरट कौ ब्यवस्था भो यह हे वह अत्यंत पवित्र हू ॥ २। जिस स्थान में वे हाम की भंट का बलि करें उसी स्थान में अपराध की भेंट का बलि कर ओर उस क लाह् का बेदी के चारों आर पर छिड़कं ॥ ३। ओर वह उस की सारी चिकनाई को चढ़ावे उस की पंछ ओर वह चिकनाई जा ओस्क के दांपती है॥ ४। ओर द्ानों गे ओगर उन पर की चिकनाई जो पांजरों के पास है ओर कलेजी पर को मि्ली गंदे समेत अलग करे॥ ५ । ओर याजक उन्‍हें परमेश्वर की आग की भंट के लिय हेम की बेटी पर जलावे यह अपराध की भंट है ॥ २०६ लेब्यब्यवस्था [७ पर्ब्न ६ । याजकों में से हर एक परुष उद्झ खावे वह पतित्र स्थान में खाई जावे वह अत्यंत पवित्र हे॥ ७। जेसे पाप की भंट वेसे ही अपराध की भंट की एक ही ब्यवस्था क्षे जा याजक उद्म प्रायच्चित्त करता के उसो की हागी॥ ८। और जा याजक किसो मन॒व्य के हैाम को भेंट चढ़ाता है से। उसी हेाम कौ खाल उसी याजक की हेगी जिसे हस ने चढ़ाया ॥ <। और समस्त भेजन की भंट जी भट्टे में पकाई जावे जर सब जा कड़ाही में अथवा तवे पर से उसी याजक की हेगी जे उसे चढ़ाता क्षे। १५०। और हर एक भाजन की भेंट जा तेल से मिली हुई हे। अथवा रूखी हे। से। सब हारून के बट के लिये समान हागी ॥ ९१। और कुशल कौ भेंट के बलिदान जा वुच्द परमेग्वर के लिये चढ़ावे उस की यह रीति है ॥ १९२। यदि वुद्द धन्यवाद के लिये चढ़ावे ता उस के साथ तेल से मिले हुए अखुमीरी फुलके ओर अखमीरौ तेल से चुपड़ी हुई और तेल में पकी हुई चाखे पिसान की पूरी धन्यवाद के लिये चढ़ावे॥ १५३। और फलके से अधिक व॒इ खुमौरी रोटी की अपनी भंट घन्यबाद के बलिटान के और अपनी कुशल की भेंट के साथ लावे ॥ ९४ । और वह समस्त नेबेद्य में से एक के। परमेम्वर के आगे हिलाने को भेंट चढ़ावे और यह उस याजक का हेागा जो कुशल की भट के लाह्ू के। छिड़िकता क्षे। ९५ । और कुशल की भट ओर बलिदान का मांस जो घन्यवाद के लिये है उसे चढ़ाय जाने के दिन में खाया जावे ओर वुच्द उस में से बिद्ान लो कुछ न छाड़े॥ ९६। परंतु यदि भेंट का बलिदान मनी।ती का अथवा उस के बांछित का है| ते वुद्द चढ़ाने के दिन खाया जाय और उबरे हुये से टूसरे दिन भी खाया जाय॥ ५७। परंत बलिटान का उबरा हुआ मांस तौसर दिन आग से जला दिया जाय ॥ ५८। जर यदि कुशल के बलिदान के मांस में से कुछ तीसरे दिन शाया लाय ता वह ग्रहण न किया ज्ञायगा न भंट द्वायक के लिय लेखा किया जायगा वह घिनित होगा जो प्राणी उस में से खावे से। अपने पाप के! भेगेगा ॥ ९८। ग्यार वह मांस जा किसी अशड्गभ बस्त का कछथे से खाया न जायगमा परत जलाया जावे ओर मांस जा है से! हर एक जो पवित्र हे से! उस में सेखावे॥ २०। परंत जा अशबू प्राणी ७ पत्चे] कौ पस्तक । २०७ परमेश्वर के कुशल की भट के बलिदान का मांस खावे सेई प्राणो अपने लागां में से काट डाला जायगा ॥ २९। और अधिक जा प्राणी किसी अगड़ू बस्त का छय चाहे मन॒व्य का अथवा पश का अथवा किसो घिनित बत्त का छवे ओर परमेग्वर के कशल की भट के बलिदान से मांस खाबे बंहो प्राणी अपने लागां में से काटा जायगा । २२ । फिर परमेस्वर मसा से कहके बाला॥ २३। कि इसराएल के संतानाों से कह कि बैल ओर भेड़ ओर बकरी की केई चिकनाई न॑ खावे॥ २४। ओर उस लाथ की चिकनाई जे! आप से आप मैर गया हां अथवा उस की चिकनाई जा पशन से फाड़ा गया हे। और किसी काये में उठाया जाय परंत उस में से किसी भांति से मत खाइया॥ २५। क्यांकि जो मनुव्य ऐसे पश की चिकनाई खावे जिससे आग के बलिटान परमेमस्वर के आगे चढ़ाये जाते हैं सेई प्राणो अपने लागें में से काटा जायगा ॥ २६ । और तुम किसी पच्छी का अथवा पश का किसौ भांति का लाह्ू अपने सब स्थानों में मत खाइया॥ २७। ओर जा प्राणी किसो भांति का लाक्न खावे से।ई प्राणी आपने लागां में से काटा जायगा ॥ शप८्ः। फिर परमेश्वर मसा से कहके बाल!॥ २८। कि इसराएल के संतानां से कह कि जा काई अपने कुशल के बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ावे से। अपने कुशल के बलिदान में से परमेश्वर के आगे नैबेद्य लावे। ३०। वुच्द उस बलिदान का जो परमेश्वर के लिये जलाया जाता क्षे और छाती की चिकनाई के अपने हाथों में लावे जिसतें छाती के हिलाने के बलिदान के लिये परमेग्वर के आगे हिलाया जावे॥ ३९५। और याजक चिकनाई के बेटी पर जलावे फरंत छाती हारून की ओर उस के बटां को होगी॥ ३२। और तम कुशल की भट के बलिटानों से टृद्दिना कांघा याजक का हिलाने की भेंट के लिये टौजिया॥ ३३। हारून के बटां में से जा कुशल के कॉलिदान का लाह् ओर चिकनाई चढ़ाता हे से। टहिना कांघा अपने भाग के लिये लेवे॥ ३४। क्योंकि कुशल को भटों के बलिदानों में से हिलाने की छाती ओर उठाने का कांधा में ने इसराएल के संतानों से लिया ओर हारून याजक और उस के बंटों के सनातन की बिधि के २०८ लैब्यब्यवस्था [८ पन्च लिये दिया॥ ३५ | हारून और उस के बंटों के अभिषेक का जिस ट्न में वुह्ठ उन्हें आगे घरे कि याजक के पद में परमेग्वर की सेवा करे परमेश्वर के लिये आग की भटां में का भाग हेगा ॥ ३६ । उसे परमेग्वर ने इसराएल के संतान का जिस टन में उस ने डन्‍्हं अभिषक किया उन्‍हें टेने का आज्ञा किई कि उन की पीढ़ियां में सनातन के लिये बिचि हेवे॥ ३७। हेम की भेंट और भेाजन कौ भंट और पाप की भेंट और अपराध की भेंट और स्थापित करने की भेंट और कुशल की भेंट के बलिदान की यह व्यवस्था ह्े। ३८। जिस टन उस ने इसराएल के संतानों केा आज्ञा किई थी कि परमेस्वर के आग सौना के बन में अपना नेबद्य चढ़ावें जिसे परमेश्वर ने सौना पवैत पर मसा के आज्ञा किई थी ॥ ८ आखवां पब्बे । हा परमेश्वर म्‌सा से कहके बाला ॥ २। कि हारून ओर उस के साथ उस के बटों का और बस्त के और अभिषेक का तेल और पाप की भेंट का एक बैल ओर टो मेढ़े और एक टाकरो अखमी री रोटी ले ॥ ३ । और तसारी मंडलो का मंडली के तंब के द्वार पर एकड्ठरा कर ॥ ४।सो जैसा फकिपरमेश्वर ने उसे आज्ञा किई थी मसा ने वैसाही किया ओर सारी मं डली मंडली के तंब के द्वार पर एकड्री हुई॥ ५। तब मसा ने मंडली से कहा कि यह वह बात है जा परमेम्थर ने पालन करने को आज्ञा किई है ॥ ६। फिर मसा हारून के! ओर उस के बेटां के आगे लाया और उन्हें पानी से नहलाथा॥ ७। और उस पर कुरती पहिनाई ओर उस कौ करि में पटुका लपेटा और उसे बागा पहिनाया ओर उस पर एफेाद रक्खा और एफाद के अनेखे पट॒के से उस की कटि बांधी और उस्से उस पर लपेटा॥ ८। और उस पर चपरास रक्‍्खी ओर उसी चपरास पर यरीम और तमीम जडे॥ «। और उस के सिर पर मकुट रक्‍्खा ओर मकुट पर और ललाट कौ ओर सेने का पत्तर पवित्र मकुट पर लगाया जैसा कि परमेम्यर ने मसा का आज्ञा कई थी ॥ ५०। और मसा ने अभिषेक का तेल लिया और तंब के और उस के समस्त पात्रां के अभिषिक्त करके पवित्र किया ओर उस में से कुछ बेटी पर सात ४ पत्बे ] की पस्तक । २०८ बार छिड़का ओर बेदी ओर उस के सारे पात्र ओर स्तान पात्र और उस की चौकी का अभिषेक करके शड्वर किया ॥ १५२। और अभिषेक के तेल में से हारून के सिर पर ढठाला और उस के! अभिषेक करके पवित्र किया। १५३॥ ओर मसा हारून के बेटा के। आगे लाया और उन्हें कुरती पह्दिनाई और उन की करटि पर पटके बांघे ओर उन के सिर पर पगड़ो रक््खी जेसा कि परमेश्वर ने मूसा का आज्ञा किई ॥ ९४। फिर पाप कौ भेंट के लिये बैल लाया ओर हारून और उस के बेटों ने अपने हाथ पाप कौ भेंट के बैल के सिर पर रक्वे॥ १५५। और उसे बलि किया और मसा ने उस के लाक्न को लिया और अपनी अंगली सेब) के सौगां पर चारों आर लगाया ओर बेदी के! पवित्र किया और लाह्न का बेटों कौ जड़ पर ढठाला और उसे पवित्र किया जिसतें उस के लिये प्रायस्यित्त करे ॥ २६ । गैर उस ने सब चिकनाई जे ओस्फ पर और कलेजे पर की मिज्नी ओर ट्ोनों गे और उन की चिकनाई लिई ओर म॒सा ने बेटी पर जलाया॥ ५७। परत बैल के और उस की खाल का ओर मांस का ओर गाबर के! छावनी के बाहर आग से जलाया जैसा कि परमेग्वर ने मसा का आज्ञा किई॥ ९१५८। फिर उस ने होम की भेंट के लिये मेंढ़ा लिया ग्रार हारून और उस के बेटा ने अपने हाथ उस मेंढ़े के सिर पर रक्खे॥ १५७। फिर उसे बलि किया और मसा ने बंदी के चारों ओर लाह् छिड़का॥ २०। ग्रार उस ने मेंढ का टकड़ा टकड़ा किया और मसा ने सिर के और टकडेों के! और चिकनाई के! जलाया॥ २९। और उस ने ओम्क ओर पांच पानी से धाया ओर मसा ने सागे मेंढ़ का बेदी पर जलाया यह आग की भेंट परमेग्वर के सगंध के लिय हेम का बलिदान है जैसा कि परमेम्पर ने मसा का आज्ञा किई । २२ । फिर वह दूसरा मेंढ़ा अथात स्थापित का मेंढ़ा लाया और हारून ओर उस के बेटां ने अपने हाथ उस मेंढ़ के सिर पर रकखे ॥ २३ । और उसे बलि किया और मूसा ने उस के लाह्न में से लिया और हारून के द्हदिने कान की लह्तर पर ओर ट्हिने हाथ के अंगूठे और टचहिने पांव के अंगूठे पर लगाया॥ २४। फिर वुह हारून के बंटों का लाया 97 [&. 8. &.] २१० लेब्यव्यवस्था [८ पब्थे और लोाह् में से उन के ट्हिने कानों कौ लहर पर और दट्हिने हाथों के अंगठां पर और दहिने पांव के अंगठां पर मसा ने लगाया ओर मसा ने लाहू के बेदी के चारों ओर हिड़का॥ २५ । ओर चिकनाई ओर पंक और सब चिकनाई जा ओम्क पर ओर कलेज पर की मिलो और द्वानों गंईँ उन की चिकनाई ओर ट्हिना कांघा लिया॥ २६। ओर उस अखमीरोी रोटी की टोकरी में से जा परमेग्र के सनन्‍्मख थी एक अखमोरी फलका ओर एक फलका तेल में चपड़ा हुआ ओर एक लिट्टी निकाली ओर उन्हें चिकनाई पर और ट्हिने कांघे पर रक्वा॥ २७। और उस ने सब के। हारून और उस के बेटा के हाथां पर रक्र और उन का परमेम्भर के सन्मख हिलाने की भंट के लिये हिलाया॥ र८ | फिर मसा ने उन्हें उन के हाथां से लिया औपर हेशम की भेंट की बेदी पर जलाया यह स्थापना सगंघ के लिये थी यह परमेग्वर के लिय हाम की भंट हे ॥ २८ । फिर मसा ने छाती लिई ओर उसे हिलाने की भेंट के लिये परमेग्बर के आगे हिलाया स्थापित करने के मेंढ़ से मसा का भाग था जेसा कि परमे- ब्वर ने मसा के आज्ञा किई॥ ३०। फिर मसा ने अभिषक का तेल और बेटौ पर के लाह् में से लिया और हारून पर ओर उस के बस्तों पर और उस के साथ उस के बेटों पर ओर उन के बस्लों पर छिड़का ओर हारून के! और उस के बस्तलें के और उस के बंटां के! और उन के बस्तरों के पवित्र किया। ३९। और मसा ने हारून से और उस के बेटों से कहा कि मांस के मंडली के तंब के द्वार पर उसिन और उसे उस स्थान में डस राठी के साथ जा स्थापित करने की टाकरी में हे खाओ जेसे में ने यह कहके आज्ञा किई कि हारून ओर उस के बेटे उसे खांवे ॥ ३२ । और मांस ओर रोटो में से जे। उबरे उसे आग से जलाओर ॥ ३३+ और तम मंडली के तंब के द्वार से सात टिन लो बाहर न जाओ जब लो स्थापित करने के टिन पर न होव क्यांकि वह तम्हें सात ट्न में स्थापित करंगा ॥ ३४। जेसा उस ने अज के दिन किया हे परमंगञ्वर ने आज्ञा कि कि तम्हारे लिये प्रायस्यित्त हेवे॥ ३५। इस कारण मंडली के तंब के द्वार पर सात रात दिन ठउद्दरो और परमेमश्वर की आज्ञाओं के। पालन करो जिसतें न मरो क्यांकि मुस्के यांद्दी आज्ञा हे । ३६। से सब कुछ € पब्ब) कौ पस्तक । २२९ जो परमेम्वर ने मूसा को ओर से आज्ञा किई थो हारून ओर उस के बेटों ने किया ॥ € नवां पब्ब । ज्मै एर जब आठवां दिन हुआ तब मसा ने हारून के श्र उस के बेटों का ओर इसराएल के प्राचीनें के बलाया॥ २। और हारून से कहा कि त एक बकूड़ा पाप की भेंट के लिय गजर एक निण्खाट मेंढ़ा होम की भेंट के लिये ले और परमेश्वर के आगे चढ़ा। ३। ओर इसराएल के संतान का यह कहके बाल कि एक बकरी पाप की भेंट के लिये ओर एक बछड़ा ओर पहिले बरस का एक मेस्न्रा हे।म की भेंट के लिये लेआ॥ ४। ओर णक बैल और एक मेंढ़ा कुशल की भेंट के लिये लाओए जिसतें परमेगश्वर के आगे बलि किये जांत्र और तेल से मिली हुई मसाजन की भेंट क्यांकि आज के दिन परमेगर तम्हों पर प्रगट हेगा॥ ५। जैसा कि मसा ने आज्ञा किई थो वे मंडली के तंब के आगे लाये ओर सारी मंडली आगे बढ़के परमेग्वर के आगे खड़ी हुई॥ ६। और मसा ने कहा कि यह वह बात है जिस की आज्ञा परमेश्वर ने तम्हें दिई तम उसे पालन करो ओर परमेश्वर की महिमा तम्हों पर प्रगट हेगी॥ ७। और मूसा ने हारून से कहा कि बेटी पास ज्ञा ओर अपने पाप की भेंट ओर हेम की भेंट चढ़ा ओर अपने ओर लेागों के लिये प्रायश्यित्त कर जऔर लोगों कौ भेंट चढ़ा ओर उन के लिये प्रायश्यित्त कर जैसा कि परमेग्वर ने आज्ञा किई॥ ८। इस लिये हारून बेटी पर ' गया ओर पाप की भेंट का बकड़ा जे। अपने लिये था बलि किया ॥ € । और हारून के बेटे उस पास लेाह्न लाये और उस ने अपनी अंगली उस में डबाई और बेटों के सौंगों पर लगाया ओर लाह्न का बेदी की जड़ पर ढाला॥ २१० | परंत चिकनाई ओर मद और कलेजे पर की मिज्ञी अपराध की भेंट से लेके बंदी पर जलाये जैसा कि परमेग्वर ने मुखा के आज्ञा किई॥ २९९ । और मांस ओर खाल के छावनी के वाहर आग से जलायथा॥ १२ । ओर उस ने हे।म की भेंट के। बलि किया और हारून के बेटों ने उसे लाह्न टिया जिसे उस ने बेदी के चारों ओर छिड़का॥ १३ २१२ लेब्यब्यवस्था [१० पन्ने फिर उन्‍्हों ने होम की भेंट के उस के टुकड़े ओर सिर समेत उसे टिये और उस ने बेदी पर जलाथे॥ ५४। ओर उस ने ओम्क के। और पांव के घाया और हेम की भेंट पर बेटी के ऊपर बेटों पर जलाया ॥ ९५ । फिर वुच्द लोगों की भट का लाया ओर लोगों के पाप कौ जेट के लिये बकरी के लिया ओर उसे बलि किया और उसे पहिली के समान पाप के लिये चढ़ाया॥ १६। गज र उस ने हेम की भेंट के! लाके उसी रोति के समान चढ़ाया॥ १५७। ओर बिह्ान के हेम बलिदान से बुह् भाजन की भेंट लाया ओर उद्मे एक मुद्री भर लिया और बेटी पर जलाया॥ १५८। और उस ने बैल और मेंढ़ा लागों के कुशल की भेंट के बलिदान के वलि किया ओर हारून बेट उस के पास लाक्ू ले आय जिसे उस ने बटी की चारोंओर छिड़का ॥ ९८९ । और बैल कौ ओर मेढ़े की चिकनाई ओर पंछ ओर जे ओ्क के टांवती है और गद के और कलेजे पर की चिकनाई॥ २०। और उन्‍हें ने चिकनाई के छातियों पर रकवा और उस ने चिकनाई के बेदी पर जलायथा॥ २९। छातियां के ओर ट्हिने कांघे के जेसे परमेश्वर ने मूसा के आज्ञा किई हारून ने परमेश्वर के आगे हिलाने की भेंट के लिये हिलाया॥ २२ । फिर हारून ने मंडली की ओर अपना हाथ उठाया ओर उन्हें आशीष दिई और पाप की भेंट और हेम की भेंट और कुशल की भेंट चढ़ा के नौचे उतरा ॥ २३। फिर मसा ओर हारून मंडली के तंब में गये गैर बाहर निकल के लागां के। आशीष दिई और सारी मंडली पर परमेग्वर की महिमा प्रगट हुई ॥ २४। और परमेम्पर के आगे से आग निकली और बेदी पर जलाने की भंट ओर चिकनाई के! भरत किया जब सारे लोगों ने टेखा वे चिल्ला के ओंध मुंह गिरे ॥ ञ्र १० दसवां पत्बे। 5१ ३ ०-५० ५ ७. यु नरव गैर अविह्ल हारून के बेटों ने अपना अपना घूप पात्र लिया और उस में आग भरके उस पर धप रक्‍डा और परमेश्वर के आगे उपरी आग चढ़ .ई जिसे परमेग्र ने उन्हें बरजा था ॥ २<२। तब परमेश्वर की ओर से आग निकली ओ।र उन्‍्ह भर्त किया और वे परमेम्घर १० पन्ने] कौ पस्तक 3० के आगे मर गये ॥ ३। तब म॒सा ने कह्ारून से हा कि यह वुह ्षेजा परमेश्वर ने कहा था कि जा जा मेरे पास आवे में उन से पवित्र किया जाऊंगा ग्यार तब में सारे लागां के आगे महिमा पाऊंगा तब हारून चप हे। रहा॥ ४ | फिर मसा ने हारून के चाचा उज्जिणल के बटे मीसाएल और इलजाफान के बलाया और कहा कि पास आओ ओर अपने भाइयों का पवित्र स्थान के साम्ने से तंबओें के बाहर उठा ले जाओ॥ ५। से वे पास आये ओर उन्हें अपने सूती कपड़ा में उठाके जैसा मूसा ने कहा था वेसा लंबुओं से बाहर ले गये ॥ ६। फिर मुसा ने हारून और उस के बेटे इजिअजर ओर ईतमर के कहा कि अपने सिर का मत उचारो ओर अपने कपड़ मत फाडा न हो कि मर जाओ ओर सारे लागों पर परमेश्वर का काप पड़े परंतु तुम्हारे भाई इसराएल के घराने डस ज्वलन के लिय बिलाप कर जिसे परमेशखर ने वारा क्षे। ७। और तुम मंडली के तंब्‌ के द्वार से बाहर न जाओ जिमत॑ न हे कि मर जाओ क्यांकि परमेश्वर के अभिषक का तेल तुम पर है से उन्हां ने मसा के कहने के समान किया॥ ८। फिर परमेश्वर कहके हारून से बाला॥ €। किजब तुम मंडली के तब्‌ में प्रवेश करे। तानतू न तेरे संग्र तेरे बेटे टाखरस अथवा तोदछ्षण मा रा पीजियो जिस में नाश न हे। यह सनातन के लिये तम्हारी पीढ़ियों में बधि क्षे। ९०। और जिसतें तुम पावन ओर अपावन और श्र ओर अशइू में ब्यवरा करो ॥ २९९। ओर जिसते तम सारी बिघि जा परमेग्वर ने मसा को ओर से उन्हें आज्ञा किए हू इसराएल के संतानों का सिखाओ।॥ २१५२। फिर मसा ने हारून ओर उस के बट इलिअजुर ओर ईतमर से जेः बच थे कहा कि परमेग्रवर की भरटां में से आग से बनी हुई जा भाजन की भंट बच रही है लेओ! ओर उसे बेटी के पास बिना खम,र से खाओ। क्यांकि अत्यंत पवित्र हे । १३। ओर उसे पांविन्र स्थान में खाओ इस लय कि परमेम्वर की आग के बलिदानों में से तेरा और तेरे बेटों का यह भाग है क्योंकि मरे योंही आज्ञा ऊई है ॥ ५४। ओर हिलाने की छाती ओर उठ।ने के कांघ के किसी पवित्र स्थान मेंत और तेरे पत्र आर तेरी पत्रियां तेरे साथ खाव क्यांक यह तेरा और तेरे पत्रों का भाग हे २२४ लैब्यव्यवस्था (२९१ पन्ने जा इसराएल के संतानों के कुशल कौ भेंटां के बलिदानों में से दिया जाता क्षे॥ ९१५। ओर डटाने का कांघा ग्यार हिलाने की छाती मेंटों के साथ जा चिकनाई आग से चढ़ाई जातो है जिसतें परमेग्वर के आगे हिलाने की भेंट के लिये हिलाया जावे तेरे और तरे बेटां के कारण सनातन के लिये बिधि होगी जेसा कि परमेग्वर ने कहा है ॥ २१६। फिर मसा ने पाप कौ भंट की बकरी के बहुत टंढ़ा तो क्या टेखता के कि वुषद्द जल गई तब उस ने हांरून के बचे हुण बट इजलिअज॒र ओर ईतमर पर रिसियाके कहा ॥ १५७। कि तम ने पाप की भंट को क्यों नहीं पवित्र स्थान में खाया के वह अत्यंत पत्रित्र हे तम्हें दिया गया हे जिपतें तम मं डली का पाप डटा लेओ और उन के लिय परमेग्वर के आगे प्रायस्यत्त करा ॥ १८। देखा उस का लाकह्ू पवित्र स्थान मेंन पहुंचाया गया अवश्य था तुम उसे पवित्र स्थान में खाते जेसा में ने आज्ञा किई है॥ १५८। तब हारून ने मूसा से कहा कि टेख आज हो उन्हें ने अपने पाप की भेंट और अपने हे।म की भंट परमेम्वर के आगे चढ़ाई हे और मस्क पर ऐसी बातें बौतों यदि में पाप कौ भेंट आज खाता ता क्या परमेश्वर की दृष्टि में ग्राह्म हेता॥ २०। और म॒सा ने यह सुनके मान लिया। २९९ ग्यारहवां पब्बे । हि परमेम्वर मसा ओर हारून से कहके बाला॥ २। कि तम राएजल के संतानें पे कहे। कि समस्त पशन में से जे एथिवी पर हें इन पशन के खाइया॥ ३। पशन में से जिन का खर विभाग हे झै।र जिन का पांव चौरा हुआ हे! और जे पागर करते हें उन्‍्ह खाइये।॥ ४। तथापि उन में से इन्हें न ख्यो जा पागर करते हें अथवा जिन का खर बिभाग हे। ऊंट का इस ऋछारण कि वह पागर करता है परत उस का खर बिभाग नहीं हे वह तम्हारे लिये अशदू है॥ ५। और साफन इस कारण किवह पागर करता हे परंत उस का खर विभाग नहीं वह तम्हारे लिये अशद् ॥ ६ । और खरहा इस कारण कि वह पागर करता है परंतु उस का खर विभाग नहीं हे वह २९ पब्ब] की पस्तक । २९५ तम्हारे लिये अशब् ॥ ७। झर रूअर यद्यपि उस का खर विभाग हो और उस का पांव चौरा तथापि बचद्द पागर नहीों करता वह तम्हारे लिये अशडू॥ ८। तम उन के मांस में से कुछ न खाइया ओर उन की लाथां का न छइ्यो क्योंकि वे तम्हारे लिये अशडू हें। € गशऔर समस्त पानियों में का खाइया नदियां में ओर समद्रां में और पानियों में जिस किसी के पंख अथवा छिलके हे उन्‍हें खाइयो ॥ ३०। गऔर सब जो समद्रां में ओर नदियां में ओर सब जा पानियों में चलते हें ओर केाई जोवधारी जो पारनियों में हें जिन के पंख गओ रेर छिलके नहीं हें घिनित होंगे ॥ ९५१५ । ओर वे तन्हारे लिये घिनित हेंंगे 'नम उन के मांस में से न खाओ। परंत उन की लाथ का घिनित समभ्का ॥ ९२। जिन के पानियों में पंख और छिलके नहों हें वे सब तम्हारे लिये घिनित हेोंगे॥ १५३। ओर पछियों में से तम उन्हें घिनित समम्का और उन्हें न खाइये। वे घिनित हें गिट्ट और हड़फाड़ ओर कुरुल॥ १९४ । और शकुन ओर भांति भांति की चौल्ह ॥ २४। ओर भांति भांति के हर एक काग॥ २९६। ओर शतर मर्ग और तखमस गैर काकिल और भांति भांति की तरमती ॥ १५७। और छोटा उच्च और हाड़गौल ओर बड़ा उलु॥ १९८। और राजहंस और पनिबड्डी और रखम ॥ २९८ । और सारस और भांति भांति के बगला और टिटिहिरी और चमगटड़ी ॥ २०। और सारे कौट जा डड़ते और चार पांव से रुगते क्ें तम्हारे लिय वे विनित हैं॥ २१५। तथापि तम सब पक्षियों मेंसे जा चारों पांव से रंगते हें जिन की पिछली टांग अगले पांव से लपटी हुई हें जिस्म वे फांद कर एथिवोी पर चलें तम उन्हें खाइथो ॥ २२ । तम उन्‍्हां में से इन्ह खाइया जैसे भांति भांति की टिट्ठो ओर भांति भांति के फनगे श्र भांति भांति के खरगाल ओर भांति भांति के किलिके॥ २३। परंत सब रेंगवैये पक्षियां में से ज्ञिन के चर पांव हैं वे तम्हारे लिये घिनित हैं॥ २४। और उन के लिये तम अशडू होगे जा काई उन कौ लाथ का छयगा से सांमक लें अपवित्र रहेगा ॥ २५ । ओर जो केाई उन में से किसी की लेथ के। उठावे से अपने कपड़े घोवे ओर सांस लें अयवित्र रहेगा॥ २६। हर एक पशु जिन के २९६ लैब्यब्यवस्था (१९ पच्बे खर बिभाग हों गौर पांव चौरा न हे! और पागर करता न हे से। तम्हारे लिये अशड़ क्षे जा काई उनन्‍्ह छयगा से अशड्टू हे।गा॥ २७। और समस्त प्रकार के पश जा चार पांव और थाप पर चलते हें तम्हारे लिय अशइ हें जा काई उन की लाथ का छयंगा से सांस ला अशडू रहेगा॥ २८। ओर जा काई उन की लाथ के उठावे से अपने कपड़े घावे ग्जर वह सांकक ला अशड़ रहेगा य तन्हारे लिय अशइ हैं। २<। और पएथिवी पर के रेंगवैया में से ये तम्हारे लिये अपवित्र हें नेडर ओर चहा और भांति भांति का ककछआ॥ ३०। और टिकटिकौ ओर गिरगिटान ओर बम्हनी और क्छःट्र ओर धघांघा ॥ ३९। सब रगवैयों में से ये तम्हारे लिय अपवित्र हें जा काई उन कौ लाथ का छय से सांम्भ ला अशइू हेगा॥ ३९ | ओर जिस किसी पर इन्हां में से मरके गिर पड़ से। अशडू हेगा चाहे लकड़ी का प,त्र अथवा बस्तर अथवा खाल अथवा टाट जा पात्र हावे जिस्म काम हेता हे से अवश्य जल में डाला जावे ओर सांस्क लों अपवित्र रहेगा ओर इसी रीति से पवित्र हेगा॥ ३३। और सब मिह्टी के पात्र जिन में उन में से गिरे जा उस में हे।वे से अशद्र हेागा तम उसे ताड़ डालियोा ॥ ३४। समस्त भाजन जा खाया जाता क्े जो उस में उन से पानी पड़ से अशुड्ट होगा और जो कुछ एसे पात्रों में पीया जाता हैं से! अशुड् हेशा॥ ३५। ओर जिस पर उन की लाथ पड़े से। अपवित्र हेगा चाहे भट्टो चाहे चूल्हा हे।य ताड़ा जायगा वे अप- वित्र हें और तम्हारे लिय अशड़ हांगे॥ ३६। तथापि सेता आर कआ जिस में बहुत जल हे।वे वह शड्भ हेगा परत जो काई उन की लाथ का छवेगा से अशद् हागा॥ ३७। ओर याद उस की लाथ किसो बोने के बीज पर गिर से| पवित्र रहेगा ॥ ३८। परंत याद उस बौज पर पानो पड़ा हे! आर उन की लाथ से कुछ उस पर गिर से तम्हारे लिय अशडू हेगा॥ ३९८। और यदि तम्हारे खाने के पशन में से काई मरे जा काई उस की लाथ का छय से सांक लो अशडू हेगा॥ ४०। और जा काई उस की लाथ में से खावे से अपने कपड़ घ।वे और सांभ्क ले अशदू हेागा ओआर जा उस की लाथ का उठाता है से भी अपने कपड़े घावे और सांखा लो अशुद्ट हेगा॥ ४९। ओर हर एक जेः एथिवो पर १२ पब्ब | कौ पस्तक | २२७ रंगता हे से घिनित कहे उसमे खाया न जायगा॥ ४२। जा पेट के बल चलता क्षे और जो चार पाओं पर. चलते हें और रगवेय में से जा अधिक पांव रखते हें और एथिवी पर रंगते हें तम उन्‍्हं न खाइया क्यांकि वे घिनित हों॥ ४३। तम किसो रेंगवैये से जा एथिवी पर रंगता हे अपने के घिनित मत करो ओर न आप को उन के कारन से अपवित्र करो यहां लां कि तम उसच्स अशडू हे। जाओ॥ ४४। क्यांकि में तम्हारा ईश्वर परमेग्वर हूं इस लिये तुम आप के शुद्ड करे। और तम पवित्र हेगे क्योंकि में पवित्र हूं और अपने के। किसी रंगवैय जन्त से जो एथिवों पर रंगता हे अशइू न करा॥ ४५ | क्यांकि में परमेश्वर हुं जा मिख के दृश॒ से तम्ह ले जाता हू जिसते तम्हारा ईगर छू से। तम शड्ू हे।ओ क्यांकि में पवित्र कुं। ४६। चारपाये ओर पहद्ी ओर सब जीवघारी 7 पानो में चलते हैं औरर हर एक जनन्‍्त जो एथिवी पर रंगते हैं उन की यही ब्यवस्था है ॥ ४७। कि श्र और अशइडू में ओर उन पशन में जा खाये जावे और उन में जा न खाये जाव॑ तम बिभेद करो। ९२ बारहवां पब्ये । ि परमेग्वर मसा से कहके बाला ॥ २। कि इसराएल के संतानों से कह कि जब स्त्रौ गभिएणी हेवे और बेटा जने तब वह सात दिन अशडू हे।गी जसे दृबेलता के कारण अलग होने के दिनों में हे।तो हैं ॥ ३। और आउठव टिन लड़के का खतनः किया जावे। ४। ओर वह रुधिर से पवित्र होने के लिये तेंतीस दिन पड़ी रहे वह किसी पवित्र बस्त का न कछूये ओर जब लों उस के पवित्र होने के (न पर्ण न हे।व तब लो बुच्द पवित्र स्थान में न जावे ॥ ५ । ओर यदि लड़की जने तो वह टृ। अठवारे अशइडू होगी जेसे अपने अलग किये जाने के दिनों में थो ओर व॒च् अपने रूधिर को पवित्रता के लिये छियासठ दिन पड़ो रहेगी ॥ ६। और जब उस के पवित्र हाने के दिन पत्र के अथवा पत्रों के पर्ण हाव तब वह पहिले बरस का एक मेम्ना हेम की भंट के लिये लेवे और एक कपे।त का बच्चा अथवा पिण्डको पाप की भंट के लिये मंडली के तंब के द्वार पर याजक पास लावे॥ ७। वह उसे परमेग्यर के आगे चढ़ावे और उस के 28 (653. $॑.] २२० ... लैब्यब्यत्रस्था [१४ पब्ब काजा हेवे तो उसे सात दिन लो बंद करे | २७। ओर सातवें टिन याजक उसे ट्खे यदि ब॒ह चमड़े पर बहुत फैल गया हे तब याजक डसे अपवित्र कहे वह केढ़ की मरी क्रै। २८। और यदि वह चकचकिया बिद अपने स्थान पर हे। और चमड़ पर न फैले परंत कुछ काला हेय ते वह केवल जलने का उभरना हू याजक उसे शट्ट ठहरावे क्योंकि जलने की जलन हे ॥ २८। यदि किसो परुष अथवा स्त्री के सिर अथवा डाढ़ी में मरी हाय ॥ ३० । तब याजक उस मरी को टेखे यदि वह ट्खने में चमड़े से गहिरी ट्ख पड़े ओर उस पर पीला बाल हे। तो याज्क उसे अपवित्र ठहरावे यह से ेहुआं सिर अथवा डाढ़ी का काढ़ क्षे। ३९५। और यदि याजक उस सेहुआं को मरों के टखे और चमड़े से गहिरी न रूस्क पड़े और उस पर काला बाल भी न हे तो याजक उस सेहुआं मरी जन के सात ट्नि लें बट करे॥ ३२। और सातवें दिन याजक उस मरी का हेखे और यदि से हुआं के फैला न दखे और उस पर पीला बाल न हे। ओर सेहुआं देखने में चमड़ से गहिरा न है ॥ ३३। वह मड़ाये जाव परत सेहुआं का न मंड़ावे और जिस पर से हुआं है याजक उस के आर सात टन बंद करे ॥ ३४। फिर सातवं दिन याजक डसे ट्ख यदि सेहुआं का चमड़े पर फेलत टेखे चमड़ से गचहिरा हाय ता याजक उसे पवित्र ठहरावे व॒ुद्द अपने कपड़े घावे और पवित्र हावे ॥ ३५ । ओर यदि उस के पवित्र हाने के पोछ वुच्द सेहआं चमड़े पर बहुत फैल जावे ॥ ३६। ते याजक उसे देखे और यदि से हुआं चमड़ पर फैला ट्खे ता याजक पौले बाल कान ढंढ़ वह अपवित्र ह्। ३७। परंत याद उस के ट्खने में सेहुआं वेमाही है और उस में काला बाल निकला हो ता वह सेहुआं चंगा हुआ व॒ह् पवित्र के याजक उसे पवित्र टहरावे ॥ ३८। यदि किसो पुरुष अथवा स्त्री के शरौर के चमड़े पर उजला अथवा चकचकिया बिंदु हाय ॥ ३८ । तब याजक टेखे उस के शरीर के चमड़ पर के चकचकिया बिंदु तनिक काला उजला रूम पड़ें वह छीप हे जा चमड़ से निकलता है वह पवित्र क्षे। ४०। ओर जिस मनव्य के सिर के बाल गिर गये है वुष् चंदुला हे बुद्द पवित्र के । ४९ । ओर जिस मनुव्य के सिर के वाल मुंह की ओर से गिर गये हों वुच्द चंदुला है पवित्र है॥ १६ पच्चे ] को पुस्तक । २२९ ४२ । यदि उस चंदुले सिर अथवा माशे में उज़ला लाल सा घाव हेववे वह काढ है जा उस के चंदले सिर अथंबा माथे में फेला हुआ हे॥ ४३। सा याजक उसे रखे ओर यदि वाव के ऊपर उजला लाल सा उस के चंदूले सिर अथवा चंदुले माथ में दिखाई ट्ृव जैसा कि शरौोर के चमड़े में काढ़ दिखाई देता के ॥ ४४ । तो वह्त मनव्य काढ़ी अपवित्र हु याज़क उसे सबेथा अपवित्र ठहरावे उस की मरी उस्त के सिर पर क्षे। ४५। ओर जिस कोढ़ी पर मरी हे उस के कपड़ फाड़े जाय ओर पघिर नंगा किया जाय तब वह अपनी उपरी हेंट पर आड़ करे ओर चिल्ला चिल्ला के कहे कि अपवित्र अपवित्र ॥ ४६ । जितने ट्नि लों मरी डस पर रहे वह अशइू रहेगा वुह अपावन है व॒ुद् अकेला रहा करे उस का निवास छावनी के बाहर हेवेि ॥ ४७। वुच्द बस्त्र भो जिस में काढ़ की मरी हे। ऊन का अथवा रत का बस्तर हे।॥ ४८। उस बस्त्र के ताने में अथवा बाने में रूत का हे। अथवए ऊन का ग्यर चाहे चमड़े पर हे! चाहे किसी बस्त पर जा चमड़ की हे। ॥ ४८ । ओर यट् वह मरी बस्तर में अथवा हरी सो अथवा लाल सी हे अथवा चमड़ में अथवा ताने में अथवा बाने में हे। अथवा किसो चमडे की बस्त में हे। वह मरी का काढ़ हे याजक के टिखाया जाय ॥ ५०। ओर याजक उस मरी का देखे और उसे सात दिन बंद करे॥ ६१५। और सातवें दिन उस मरी का ट्खे यदि बुहद मरौ कपड़े पर अथवा ताने बाने में अथवा चमड़े पर अथवा किसी बस्तु पर जा चमड़े से बनी हुई हे फैल जाये वुच्द मरी कटाव का कोढ़ है वुद्र अपवित्र क्षे। ५२ । से वुद्द उस बस्त के। जा ऊन का अथवा रूत का हे। जिस के ताने में के अथवा बाने में और चमड़े की काई बस्त जिस में मरी है उसे जला ट्वे क्यांकि वह कराव का काढ़ है वह आग से जलाया जाय ॥ ५३। और यदि याजक टखे कि वह मरी जा बस्त में ताने में अथवा बाने में अथवा चमंड की किसी बस्त में है फलों नहीं ॥ ५ ४ । तो याजक आज्ञा कर कि उस बस्त का जिस में मरी हावे और फिर उसे और सात टन ला रख छाड़॥ ५५४ । फिर उसे घाने के पो छू उस मरी का ट्खेयदि उस मरो का रंग बटला न ट्ख और मरी न फली हे। ते। बुच्द अपवित्र हे उसे आग में जलावे कि वुच्द २२२ लैव्यव्यवच्था [२४ पद्ले कटाव चाहे भोतर चाहे बाहर हे। ॥ ५६। जेर यटि याजक दृष्टि करे और ट्खे कि मरी घाने के पीछे कुछ काली हे। ता वह उस बस्त से और चमड़े से ताने से अथवा बाने से फाड़ फके॥ १७। ओर यदि ब॒ह मरी वस्त्र में ताने में अथबा बाने में अथवा किसी चमडे को बस्त में प्रगट बनी रहे ता वह फेलती है त उसे जिस में मरी क्षे आग से जला टेना॥ ५८। श्र यटि मरी उस बर्तन से ताने से अथवा बाने से अथवा चमड़े की बस्त से जिसे त घायगां यद्टि मरो उन से जातों रहे ता वह दो बार घाया जाये ओर पत्रित्र हो जायथगा॥ १६८ । यह- काढ़ की मरी(्को ब्यवस्था के जा ऊन अथवा झ्ूत के बस्ख में ताने अथवा बाने में अथवा किसी चमड़े की बस्तु में पवित्र अथवा अपवित्र ठहरावे। कि मु] ८ १४ चादहवां पब्बे । हक परमेश्वर मूसा से कहके बेला ॥ २। कि उस के लिये जिस टन ढौ पवित्र किया जावे यह ब्यवस्था है उसे याजक पास लावें॥ ३। और याजक छतनी से बाहर जाके ट्खे यटि वुद्द केढ़ी काढ़ कौ मरी से चंगा हे! गया हो॥ ४। ता याजक आज्ञा करे किजा पवित्र किया जाता है से अपने लिये दा पवित्र जौते पक्षों ओर शमशाट की लकड़ी और लाल ओर जफा लेवे॥ ५। फिर याजक आज्ञा करेकि उन पत्तियों में से एक मिक्ढी के पात्र में बहते पानी पर मारा जाय॥ &६। और वह जौोते पच्ची के और शमश/(ट्‌ की लकड़ी ओर लाल ओर इ फा समेत लेके उस पक्षी के लाह्ू में जो बहते पानी पर मारा गया हे चभारे॥ ७। ओर जो कोाढ़ से पवित्र किया जाता क्षे उस पर सातबार छिड़के और उसे पवित्र ठ5दरावे और उस जीते पच्छो के! खुले चोगान की ओर उड़ा ट्वे॥ ८। और जो पवित्र किया जाता हे से अपने कपड़े घावे और अपने सारे बाल मंड़ावे और पानी में स्तान करे जिंसत पवित्र हावे उस के पीछ वह छावनी सें आवे और सात दिन लो अपने तंब के बाहर टहरे ॥ ६ । ओर सातवें टिन अपने सिर के सब बाल और अपनी डाढ़ी और अपनी भेंह अथैत अपने सारे बाल मंड़ावे और अपने कपड़े घेवे और अपना शरौर भी पानी से घावे तब वह पवित्र हेगा॥ ९०। २४ पब्बे] को पस्तक । २२३ और आठवें दिन हो निष्खाट मेम्ना ओर पहिलेवरस की एक निष्खाट मेढ़ा और चेखा पिसान तौन ट्सवे भाग तेल से मिला हुआ गऔर एक नपञ्ल्‍जा तल भाजन की भेंट के लिय लेवे॥ ५९५। तब याजक जा पवित्र करता हू उस मनय्य का जा पवित्र किया जाता ह उन बस्तन सहित परमेम्वर के आगे मंडली के तंब के द्वार पर लेआवे॥ १५२। ओर याजक एक मेम्ना पाप के बलिदान के कारण उस नपआ तेल समेत पास लावे ग्यार उन्‍्हं हिलाने के बलिदान के लिये परमेम्घर के आगे हिलावे॥ ९३। ओर उस भेम्ना के। उस स्थान पर जहां पाप की भेंट ओर हे।म की भेंट बलि किई जाती है पवित्र स्थान में बलि करे क्यां कि जैसी पाप की मंट याजक की हे वेसी अपराध को भट हे वह अत्यंत पवित्र क्षे। १४। और याजक पाप की भेंट का कक लाक्ू लेके उस के जा पवित्र किया जाता ह ट्हिने कान की लहर पर और द्हिने हाथ के अंगठ पर ओर दहिने पांव के अंगठ पर लगावे॥ ५४। ओर याज़क उस नपआ का कुछ तेल लेके अपने बांए हाथ की हथेली पर डाले॥ ९६। ओर याजक अपनो ट्दिनी अंगली उस तंल में जा उस की बांई हथली पर है डुबावे आर परमेग्वर के आगे सात बार अपनी अंगली से कुछ तेल छिड़के॥ ९७। ओर उस तेल में से जे! उस की हथेली पर उबरा के उस मनव्य के टृहिने कान की लहर पर जो पवित्र किया जाता हे और उस के दहिने हाथ के अंगठ पर ओर उस के टहिने पांव के अंग्रठे पर अपराध की भेंट के लाह्न के! लगावे॥ ९५८। और याजक उस जउबरे हुए तल का जा उस की इथली पर ह उस मनुय्य के सिर पर जे पवित्र किया जाता क्ञषे डाल दय ओर याजक उन के लिये परमेश्वर के आगे प्रायश्चित्त कर ॥ ५६९। और याजक पाप कौ भंट चढ़ावे और उस के लिये जा अपवित्रता से पवित्र किया जाता हे प्रार्याआ्बनत्त करे उस के पीछे जे।म की भेंट के बलि करे॥ २०। ओर हेम की भट और भेज्न की भंट याजक बेटों पर चढ़ावे और उस के लिय प्रायश्चित्त करे और बुच्द पवित्र होगा ॥ २९। ओर यदि बुह्द कंगाल हे।य और इतना ला न सके ता वुष्र अपराध को भंट के कारण हिलाने के लिय एक मेण्न्ना लेवे जिसतें उस के लिये प्रायच्चित्त दिया जाय ओर एक ट्खवां भाग चाखा २२४ लैव्यव्यवस्था [१४ पब्बे पिसान तेल से मिला हुआ भेंट के बलिदाम के कारण और एक चांगी तेल ॥ २२। ओर दो पिण्डकियां अथवा कपोत के दो बच्च जैसा वह पा सके लेवे उन में से एक पाप की भंंट और द्ृसरा हेम की भेंट का हेगा। २३ । ओर बह उन्हें आटवें दिन अपने पर्वित्र होने के कारण मंडलौ के तंब के द्वार पर परमेम्वर के आगे याजक पास लावे॥ २४। ओर याजक अपराघ की भेंट का मेम्ना और एक चोंगी तेल लेवे और वह उन्‍हें परमेग्वर के आगे हिलाने की भंट के लिये हिलावे॥ २५। फिर वह्त पाप कौ भेंट के मेम्न का बलि करे और याजक पाप की भेंट के लाह्न में से कुछ लेके उस के जा पवित्र किया जाता है ट्द्देने कान की लहर पर और ट्हिने हाथ के अंगठ ओर दहिने पांव के अंगठे पर लगावे ॥ २६। गर उस तेल में से कुछ अपनी बांई हथेली पर डाले॥ २७। ओर याजक उस तेल में से जा उस को बांई हथली पर हे थाड़ा सा अपनी ट्हिनो अंगली से परमेश्वर के आगे सात बार छिड़के॥ र॒८। और याजक उस तेल में से जा उस कौ हथेली पर हे उस के जा पवित्र किया जाता क्ञे टहिने कान की लहर पर और उस के ट्हिने हाथ के अंगूठे और उस के दहिने पांव के अंगूठे पर पाप की भेंट के लाह् के स्थान पर लगावे ॥ २६ । और याजक जब रे हुए तेल के जे उस दी हथेली पर है उस के सिर पर जा पवित्र किया जाता हे डाले कि उस के लिये परमेश्वर के आगे प्रायश्यित्त करे। ३० । ओर व॒चह उन पिए्ड्कियों में से अथवा कपोत के बच्चां में से जे। उस के हाथ लगे॥ ३९। एक तो पाप की भंट के लिये और टूसरा हाम की भंट के लिये भाजन की भेंट के साथ चढ़ावे और याजक उस के लिये जा पवित्र किया जाता हे परमेस्यर के आगे प्रायच्धित्त करे ॥ ३२। यह उस कोाढ़ी की मरी की ब्यवस्था हे जो अपने पवित्र करने की पूंजी न रखताहे।॥ ३३। फिर परमेश्वर मूसा और हारून से कहके बाला॥ ३४। कि जब तुम कनआन देश में पहुंचा जे में तुम्हें अधिकार के लिये दे ता हूं और में तम्हारे अधिका र के ट्श के किसी घर में के।ढ़ की मरी लाओं॥ ३५। तब उस घर का खामी याजक पास आके कहे कि मुस्के ऐसा ट्खाई देता हे कि घर में कुछ मरी सी क्षे। ३६। तब याजक आज्ञा करे कि वे उस घर के उद्यम आगे कि याजक मरी के टेखने जाय २४ पब्बे] कौ पस्तेक | श्श्पू छका करें जिसतें घर की समस्त सामग्री अपवित्र न हे। जाय उस के पीछ याजक घर के भीतर देखने जाय ॥ ३६७। और वुच्द उस मरी पर दृष्टि करे यटि मरी उस घर की भीतों पर हरी सी अथवा लाल सी और गहिरी लकौर ट्खिाई दवे॥ ३८॥। तो याजक घर के द्वार से बाहर निकल के घर का सात द्नि ला बंद करे॥ ३४। और याजक सातवें टिन फिर अआके ट्खे यदि वह मरी घर की भीतों पर फेली टिखाई द्वे॥ ४०। तो याजक आज्ञा करे कि उन पत्थरों का जिन में मरी है निकाल डालें और नगर के बाहर अपवित्र स्थान पर फेंक ट्वे॥ ४२। फिर वह घर के भौतर चारों ओर खरचवावे ओर वे उस खरची धूल के नगर के बाहर अपवित्र स्थान में फेंक दवें॥ ४२॥ और वे ओर पत्थर लेके उन पत्थरों के स्थान पर जोड़ें और वह टूसरा खे।आ लेकर घर कौ गच करे ॥ ४३। ओर यटि पत्थर निकालने के ओर घर खरचाने के पीछे और गच करने के पीछ मरी आवे और उस घर में फट निकले॥ ४४। तब याजक आके ट्खे यदि वह मरी घर में फैली ट्खे ते वह घर कोठी और अशड है॥ ४५। वह उस घर के और उस के पत्थरों के और उस की लकड़ियों के और उस के सब खोये का गिरा ह वे और वह उन्हें नगर के बाहर अपवित्र स्थान में लं जाय॥ ४६। इस्स अधिक जंब लॉ वह घर बंद हाय जा काई उस घर में जाय से सांस्क लें अशुद्द हेगा॥ ४७। और जो काई उस घर में सोथे से अपने कपड़े घावे औःर जा काई उस घर में कुछ खाय से अपने कपड़े घावे॥ ४८। और यदि घर के गच होने के पीछे याजक आते आते उस घर में आव और ट्खे कि वुच्द मरी घर पर नहीों फैली ते! याजक उस घर के। पवित्र ठहरावे क्यों कि वह मरी ' सै चंगा हो गया ॥ ४६ । तब उस घर को पवित्र करने के लिये दा चिड़ियां और शमशाद की लकड़ीं और लाल और जफा लेव ॥ ५०। और डन चिड़ियां में से एक का मिड़ी के पात्र में बहते पानीं पर बलि करे ॥ ४१ । फिर वुह शमशाद कौ लकड़ी ओर जूफा ओर लाल और उस जीती चिड़िया के लेके उन्हं बलि किई हुई चिड़िया के लाह में और उस बहते पानी में चभारे और सात बेर उस घर पर छिड़के॥ ५२। और चिड़िया के लाक् और बहते पानी और जीती चिड़िया और शमशाद की 29 58 के 8 २२६ लैब्यव्यवस्था [१५ पन्ने लकड़ो ओर जूफा और लाल से उस घर के पवित्र करे। ५३। परंत वुह् उस जीती चिडिया के नगर के बाहर चै|गान की ओर छोड़े और रू नर उस घर के लिये प्रायश्यित्त करे और वुच्द पवित्र हे जायगा ॥ ५४। हर भांति के काढ़ की मरी ओर सेहुआं के । ५५। ओर बर्तन 0 08 2 जाप ब्क ओर घर के काढ़ के लिये॥ ५६। और उभरना ओर घाव गऔऔर चकचकिया बिंदु के लिये यह ब्यत्रस्था हे ॥ ४६७। अपवित्र और पवित्र हाने के टिन सिखलाव क्योंकि काढ़ के लिये यही ब्यवरस्था है ॥ ९५ पंट्रहवां पब्बे ॥ छ्ि परमेश्वर मूसा ओर हारून से कहके बेला ॥ २। कि इसराएल के न्‍नों से कहके बाल कि यद्दि किसी मनय्य के प्रमेह का राग हे।व ते बह प्रमेह के कारण से अश'डृ है॥ ३। ओर यदि उस का प्रमेह थम जाय अथवा बना रहे वह अशड़ हू ॥ ४। हर एक बिकाना जिस पर प्रमेह्दी लेटता हे से अशड हेगा और हर एक वस्तु जिस पर वुच्द बैठता कै अशड् हागी॥ ५। और जे काई उस के बिछने का छ वे से अपने कपड़े घावे और पानी से स्ञान करे ओर सांम्क लां अपवित्र रहेगा॥ ६। ओर जा काई उस बच्त पर जि पर प्रमेहो बेठता है बैठे से अपने कपडे घावे ओर पानी में नहावे ओर सांमक लो अशडू रहेगा॥ ७। और जो काई उस के शरौर के जिसे प्रमेह् हे छवे से अपने कपड़े घावे ओर पानी से रून करे ओर सांस ला अशइ रहेगा॥ ८। ओर यदि प्रमेह्दो किसी पवित्र मनव्य पर थके तो वह मनव्य अपने कपडे घाबे ओर पानी से स््वान करे ओर सांम्क ले अपवित्र रहेगा॥ <। ओर जिस आसन पर वुह बैठे से। अपवित्र हेगा ॥ ५०॥ और जा काई उस बस्त के जो उस प्रमेद्दी के नीचे हे छवे से सांक्‍्क लॉ अपवित्र रहेगा और जे काई उन बस्तन के उठावे से अपने कपड़े घावे और पानी से स्तान करे ओर सांस लां अपवित्र रहेगा॥ २१५। ओर बित्त हाथ प्राय जिस किसी के प्रमेही छवे से। अपने कपड़े घोवे ओर पानी से स्तान करे ओर सांकक लें अपवित रहेगा॥ ५२। ओर जिस मिद्गी के पात्र का प्रमेदी छ्वे से ताड़ा जाय ओर यदि का४ का पात्र भू पब्थे] की पस्तक | २२७ हाय ता पानी से घाया जाय ॥ ९५३। और जब प्रमेह्दी चगा हे! जाय तब वह अपने पवित्र हाने के लिये वात दिन गिने तब वह अपने कपड़े 7वे ओर अपना शरौर बहते पानी से घावे तब वह पवित्र हेगा॥ १९४। ओर आठवं दिन दो पिण्डकी अथवा कपेत केद्वाबच्च लेके परमेग्वर के आग मंडलौ के तंब्‌ के द्वार पर आवे ओर उन्‍हें याजक के सैंपे॥ १५४। याजक उन्हें चढ़ववे एक पाप की भेंट के लिय और टूसरी हाम कौ भेंट के लिये और याजक उस प्रमेह्दी के कारण परमेग्पर के आगे प्रायस्यित्त करे ॥ १५६। ओर यदि किसी मन्य्य से रात को बी जाय तब वह अपना समस्त शरौर पानी से घावे ओर सांमक लो अपवित्र रहेगा॥ १५७। और जिस कपड़ अथवा चमड़े पर रतिका बीय्ये पढे से पानी से घाया जाय ओर सांस ला अपवित्र रहेगा॥ ९८। आर सी भी जिसमे परुष रति करे ट्नों पानी से स्नान करें और सांम्क लो अपवित्र रहग ॥ २९९। ओर यदि स्त्रौ रजखला हे। ता वह सात दिन अलग किई जाय जा काई उसे छयेगा से सांस ला अपवितन्र रहेगा ॥ २०। ओर सब बस्तें जिस पर वह अपने अलग हेने के टन में लेटे अपवित्र हांगी और हर एक बस्त जिस पर वह बेठे से अपवित्र हेगी॥ २९। और जो कोाई उस के बिछाने के छ वे से। अपने कपड़े घावे और पानी से स्तान करे ओर सांम्क लें अपवित्र रहेगा॥ २२। ओर जा काई किसो बस्त का छवे जिस पर वह पैठी थी से। अपने कपडे घावे ओर पानी से स्तान करे और सांस लो अपवित्र रहेगा॥ २३। और यटि केाई बस्त उस के बिझछानें पर अथवा किसी पर हे। जिस पर वह बैठती है और उस समय केई उस बस्त के छवे ता वह सांम्क लॉ अपवित्र रहेगा॥ २४। ग्यार यदि परुंष उस के साथ लेटे ओर वह रजखला में हेय तो व॒ुह सात दिन लॉ अपवित्र रहेगा और हर एक विक्लैनना जिस पर वुष्ट पुरुष लेटता क्षे सो अपवित्र हागा॥ २५। और यदि स्त्रो का रजाधम्म उस के ठहराये हुए दिनों से अधिक हे।वे अथवा यदि उस के अलग होने के समय से अधिक बहे तो उस की अपवित्रता के बहने से सब दिन उस के अलग हेने के दिनों के समान हों क्योंकि वह अपवित्र के) २६। ओर उस के बचने के सब दिनों में हर एक बिछोाना र्र्८ लैब्यब्यवस्था [१६ पब्न जिस पर वुच्द लेटतोौ है ओर जिस पर व॒ह बैठती है से। उस के अलग होने की अपवित्रता के समान अपवित्र हागा॥ २७। ओर जो काई डन बस्तुन के छवे से। अपवित्र हरेगा और अपने कपड़े घावे और पानी से स्नान करे ओर सांम्क लां अपवित्र रहेगा ॥ २८। और जब वर अपने रज़् से पविह् हावे तब सात दिन गिने उस के पीछ वुच्द पवित्र हेगगी॥ २८ । और आठवें दिन वह दा पिण्डकियां अथवा कपेत के दा बच्च लेवे और तंब के द्वार पर याजक पास आवे॥ ३०। ओर याजक णक का पाप की भेंट ओर टूस रे के हे।म की भेंट के लिये चढ़ावे और याजक डस रज को अपवित्रता के लिये परमेग्वर के आगे उस के लिये प्रायञ्य्ित्त करे॥ ३२९। तुम इसराएल के संतानां के! उन कौ अपविज्वता से यों अलग करे जिस में वे अपनी अपवित्रता से मर न जावें जब वे मेरे तंब्‌ के जो उन के मध्य में हे अपवित्र करें । ३२। उस के लिय जिसे ग्रमेह् का रोग हाय और उस के लिये जा रति करने से अपवित्र हैय और उस के लिये जो रजखला हे।य और उस परुष और स्त्री के लिये जिसे प्रमेह्र का रोग हे।य और उस परुष के लिये जो रजखला के साथ लेटता हे यही ब्यवस्था है ॥ २९६ सेलहवां पब्य । ञ्रै 7र जब हारून के दो बेटे परमेग्बर के आगे नैवेद्य लाये आर र गये उस के पीछ परमेम्मर ने मसा से कह्दा। २। परमेम्पर ने मसा से कहा कि अपने भाई हारून के कह्ठ कि व॒ुह हर समय पवित्र ब्थान के घंचट के भोतर दया के आसन के आग जा मजूषा पर हेन आया करे न हे। कि मर जाय क्यांकि में मेघ में ट्या के आसन पर दिखाई टरंगा॥ ३। पवित्र स्थान में हारून यां आवे पाप कौ भेंट के लिये एक बछड और हे।म कौ भट के लिये एक मेंढ़ा लावे॥ ४। पवित्र र्ूतो कुरती पहिने और उस के शरीर पर र्टवती रूथनी हे! और रहती पटुके से उस की कर्ि बंधी हे! और अपने सिर पर रूती पगड़ौ रक़्वे ये पवित्र बस्त्र हैं और व॒द अपना शरीर पानो से घावे ओर उन्हें पहिते॥ ६। और इसराएल के संताने की मंडली से बकरी के दे मेन्नेपाप कौ भेंट २६ पब्ब] की पुस्तक । २२८ के लिये ओर एक मेंढ़ा हाम की भेंट के लिये लेवे॥ ६। ओर हारून पाप की भेंट के उस बक्ड के जा उस के लिये है लावे और अपने लिये और अपने घर के लिये प्रायच्यित्त करे। ७। फिर उन ट्वनों बकरों का लेके मंडलो के तंब के द्वार पर परमेमग्यर के आगे लेआवे॥ ८। और हारून उन दानें बकरों पर चिट्ठी डाले एक चिट्ठी परमेम्धर के लिये और हूसरी बकरा छड़ाने के लिये॥ «। ओर हारून उस बकरे के। लावे जिस पर परमेग्यर के नाम की चिट्ठी पड़े औएर उसे पाप की भेंट के लिये बलि चढ़ावे॥ ९०। परंतु छड़ाने के लिये जिस बकरे पर चिट्ठी पड़े उसे परमेगम्घर के आगे जोता लावे कि उद्होे प्रायश्यित्त किया जाय ओर उस के छड़ावन के लिये बन में छोड़ दे॥ १५९। तब हारून अपने लिये पाप की भेंट के बछड़े के लावे और अपने और अपने घर के लिये प्रायस्यित्त करे और पाप की भेंट के बछ॒ड़ के जा अपने लिये हे बलि करे॥ १९२। ओर वह परमेग्थर के आगे बेटी पर से एक धपावरी अंगारों से भरी हुई और अपनी मद्ठी भरी हुईं सगंध लेवे और घंघट के भीतर लावे॥ २९३। ओर उस घप को परमेम्थर के आगे आग्र में डाल ट्वे जिस में धृप का मेघ दया के आसन का जो साक्षौ पर है छिपावे और आप न मरे ॥ २४। फिर वह बछड़ का लाह्न लेके अपनी अंगली से ट्या के आसन की पबे ओर छिड़के और ट्या के आसन के आग अपनी अंगलोी से सात बेर लाह्न छिड़के॥ १५५। फिर वह लागें के लिये पाप की भेंट कौ बकरी के। बलि करे ओर उस के लाह्ड का घघट के भीतर लाके जसा उस ने बछड़े के लाह्न से किया था वेसाती करे और दया के आसन के ऊपर ओर उस के आग छिड़के॥ २६। और पवित्र स्थान के कारण इसराएल के संतानें की अपवित्रता के लिये और उन के पापें और उन के समस्त अपराधों के लिये प्रायस्यित्त करे ओर वुच्द मंडली के तंबू के लिये भी जे। उन के साथ उन की अपविबता के मध्य में हे ऐसा हो करे ॥ २७। और जब वह प्रायश्यित्त करने के लिये मंडली के तंब में जाय तो जब लां वह, बाहर न आवे और अपने लिये और अपने घराने के लिये ओर इसराएल कौ मंडली के लिये प्रायच्यित्त न ट्वे तब लो तंब में कोई न जाय ॥ १५८ । फिर वह निकल के २३० लेब्यब्यवस्था (६६: ऋन्ने 248०५ 20220 2 800 / न उस बेटौ पर आवे जो परमेश्वर के आगे है और उस के लिये प्रायश्यित्त करे और उस बछड़ और उस बकरे के लोक्न में से लेके बेटी के सौंगों कौचारों ओर लगावे॥ २८। और अपनी अंगली से उस पर सात बेर लाह् छिड़के और उसे इसराएल के सतानें की अपवित्रता से पावन और श् करे॥ २०। और जब वह पवित्र स्थान के और मंडली तंब के ओर बेटी के लिये मिलाप कर चका तब उस जौते बकरे के लावे॥ २९। ओर हारून अपने टानें हाथ उस जीते बकरे के सिर पर रक्‍खे और इसराणल के संतानें की बुराइयों ओर उन के सारे पाप और अपराधों के! मान लेके उन्हें इस बकरे के सिर पर घरे और उसे किसी मनव्य के हाथ जा उस के लिये ठहरा हे। बन का भिजवा दे ॥ २२। और वचह बकरा उन की सारी बराइयां अपने ऊपर उठाके टूर टेश में ले जायगा और वचह उस बकरे का बन में छेाड़ टेवे। २३। फिर हारून मंडलौ के तंब में आवे और रूती बस्तां का जो उस ने पवित्र स्थान में जाने के समय पहिने थे उतारे जऔऔर उन्हें वहां रख ट्वे॥ २४। फिर वह पवित्र स्थान में अपना शरीर पानी से धावे और अपने बर्तन पहिन के बाहर आवे और अपने हे।म की भेंट और लोगों के हेःम कौ भंट चढ़ावे और अपने लिये और लोगों के लिये प्रायच्यित्त करे॥ २५ । और पाप की भेंट की चिकनाई बेटी पर जलावे॥ २६। ओर जिस ने कछड़ाया हुआ बकरा छोड़ दिया से! अपने कपड़ धघावे ओर पानो से नहावे और उस के पीछ छावनी में प्रवेश करे॥ २७। ओर पाप की भंट के और बकरे के। जिस का लेह पवित्र स्थान में प्रायश्चित्त के लिये पहुंचाया गया छावनी से बाहर ले जावें और उन की खालें और उन का मांस और गाबर आग में जला रवें॥ २८। और जिस ने उन्हें जलाया से अपने कपड़े घावे ओर पानी से स्तान करे उस के पीछे छावनी में आवे॥ २८। यह तम्हार लिये सनातन की बिधि होगी सातवें मास की ट्सवीं तिथि का तम अपने प्राण का कष्ट देओे! ओर कुछ कार्ये न करा चाहे ट्शी चाहे परट्शी जा तम्हां में बास करता कहे॥ ३०। क्यांकि उस टिन तम्हारे कारण तम्हें पवित्र करने के लिये प्रायस्यित्त किया जायगा जिसत तम अपने समस्त पापों से परमेम्वर के ९७ पब्ष ] की पुस्तक ॥ २३९ आगे पवित्र हो जाओ,्रे॥ ३९। यह तम्हारे लिय सारण का बिश्राम हागा तम उस दिन अपने प्राण का कष्ट टोजिया यह तम्हारे लिये सदा को बिधि हे ॥ ३२९। जैर वह जिस याजक का अभिषेक करे ओर जिसे बच याजक के पट में सेवा करने के लिये अपने पिता कौ संती सेवा के लिये स्थापित करे सेई प्रायस्यत्ति करे ओर पवित्र रूती बस्त्र का पहिने॥ ३३। ओर पवित्र स्थान के लिय और मंडली के तंब्‌ के लिये और बेदौ के लिये और याजकों के लिये और मंडली के सब लागों के लिये प्रायश्ित्त करे॥ ३४। ओर यह तम्हारे लिये सनातन कौ बिचि है जिसतें तम इसराएल के रुतानों के लिथे उन के सब पापों के कारण बरस में एक बार प्रायचज्यित्त करा से। जैसा परमेग्वर ने मसा से कहा था उस ने बसा ही किया। १७ सतरहवां पब्ब । | परमेग्यर मूसा से कहके बाला॥ २। कि हारून ओर उस के था और इसराएल के समस्त संताने। से कहके बेल कि यह वुच्द बात है जिसे परमेग्वर ने आज्ञा किई है॥ ३। जो मनुस्य इसराएल के घरानों में से बैल अथवा मेम्ना अथवा बकरी छावनी में अथवा छावनी के बाहर बलि करे ॥ ४। ग्रार मंडली के तंब के द्वार पर परमेग्वर के तंब के आगे भेंट चढ़ाने के लिये न लावे तो उस मनव्य पर लाह्ू का दाष हेगा क्योंकि उस ने लाह् बहाया और वह मनव्य अपने लागोे में से कट जायगा ॥ ५। यह इस लिये हू कि इसराएल के संतान अपने बलिदानों के। जिन्ह वे चोगान में चढ़ाते हैं परमेम्वर के आग मंडली के तंब के द्वार पर याजक पास लाव और उन्‍हें परमेगश्वर के आग कशल की भंट के लिये चढ़ावें। ६। और याजक वह लोाह्न मंडली के तंब के द्वार पर परमेग्वर की बेदी पर छिड़के ओर परमेग्वर के सग॑ध के लिये चिकनाई का जलावे॥ ७। ओर आगे का पिशाचां के लिय जिन के पीछ वे बश्या गांमी थे न चढ़ाव उन की पीढ़ियों में यह सनातन की बिधि हेगौ॥ ८। ओर त उन्हे कह कि इसराएल के घर।ने में अथवा परदट्शी में जे तम्हां में बास करता हे जो काई हेाम की भेंट अथवा बलि कौ भेंट २३२ लेब्यव्यवस्था (२ पतले चढ़ावे॥ ९। और उसे मंडली के तंब्‌ के द्वार पर परमेश्वर के लिये न चढ़ावे वच्दी मनव्य अपने लागां में से काट डाला जायगा ॥ ९०। और इसराएल के घरानों में से अथवा परट्शियों में से जो तम्हों में बास करता है जा काई किसी रौति का लाह्ू खाय निश्चय में उसो लाहक्न के भक्षक का बिराधी हूंगा और उसे उस के लागों में से काट डालंगा॥ २९। क्योंकि शरौर का जीवन लाह्न में हे सा मैं ने उसे बेटी पर तम्हें दिया है कि तम्हारे प्राणां के लिये प्रायश्यित्त हावे क्यांकि लाहून से प्राण के लिये प्रायश्यि्त हेता हे । ९२। इस लिय मे ने इसराएल के संतानें से कहा कि तस्में से कोई प्राणी लाह़ न खाय और काई परट्शी जिस का बास तस्मं क्षे लाह्न न खाय॥ २९३। गर इसराएल के संतानों में से अथवा परदेशियां में से जिस का बास तम्मे हे जा काई खाने के याग्य पश अथवा पच्चों अह्देर करके पकड़ से लाह्न का बहा ट वे और उसे घल से ढांप टवे॥ २१४। क्यांकि यह हर एक शरोर का जीव ह उस का लाह्नू उस का जीव हे इस लिये में ने इसराएल के संतानें के। आज्ञा किई कि किसी रौोति के मांस का लाह् मत खाओ क्योंकि लाह् हर एक मांस का जीव हे जा काई उसे खायगा से अपने लागों में से कट जायगा॥ ९५॥ जा कछ मर जाय अथवा फाड़ा जाय चाहे देशी हेवे चाहे परट्शी जा प्राणी उसे खाय से। अपने कपड़े घावे और पानी से स्तान करे और सांम्क लां अपवित्र रहे तब वुषह् पवित्र हेगा॥ ९६। पर यदि व॒ह न घोवे और स्तान न करे तो वुद्द दोषी हेगा।॥ ९८ अटठारहवां पब्ब । : परमेस्थर मूसा से कहके बाला॥ २। कि इसराएल के संतानों से कहके बोल कि मैं परमेम्थर तम्हारा इईंम्घर कुं॥ ३। तम मिस्तत के श्ेश की चाले पर जिस में तम रहते थे न चलिया और कनआन के देश के से काम न करो जहां में तम्हें ले जाता हू और उन के ब्यवहारों पर न चलिये।॥॥ ४। मेरे बिचारों पर चला और मेरी बिघि के पालन करो ओर उन पर चलो में परमेग्वर तम्हारा ईस्पर कूं॥ ५। से मेरौ बिधि और मेरे विचारों के! पालन करा यदि मनव्य उन्हें पालन करे तो ९८ पब्ब] कौ पस्तंक । २६४ हू उन से जीवेगा में परमेम्थर हुं॥ ६। उन का नंगापन उचारने के लिये तम्मं से काई अपने कटम्व के पास न जाय में परमेग्यर हुं॥ ७। अपने पिता का नंगापन अथवा अपनी म।ता का नंगापन मत उचार क्यांकि वुच्द तेरी माता हु त॑ उस का नंगापन मत उचार॥ ए८। अपने पिता को पत्नी कां नंगापन मत उघार वह तेरे पिता का नंगापन क्े ॥ «6 । अपनी बहिन का नंगापन अपने पिता की बंटो का अथवा अपनी माता को बेटी का जो घर में अथवा बाहर उत्पन्न हुई हो नंगापन मत उघार ॥ ९१५० । अपने पत्र कौ बेटी का अथवा अपनी बेटो का नंगापन मत डघार क्यांकि उन का नंगापन तेरा ही जहै॥ १५९। तेरे पिता कौ पत्नी कौबेटो जो तेरे पिता की जन्मी हे तेरी बहिन है त उस का नंगापन मत उघार॥ १२। अपने पिता की बहिन का नंगापन मत उघार वह तेरे पिता की समीपी कुटम्ब क्षे॥ १३। अपनी माता को बहिन का नंगापन मत उघार क्यांकि वह तरी माता की समीपी कुटम्व ह्न्‍ू ॥ १५४ । अपने पिता के भाई का नंगापन मत उचार गैर उस कौ पत्नी पास मत जा वह तरी चाची है ॥ ९५ | अपनी बह्ल का नंगापन मत उचार वंह तर बेट की पत्नी ह उस का नंगापन मत उचार॥ ९६। अपने भाई कौ पत्नौ का नंगापन मत उचार वह तरे भाई का नंगापन है॥ ५७। किसौ स्त्री का और उस को बेटों का नंगरापन मत उघार उस के बेटे कौ बेटी का ओर उस कौ बेटो का नंगापन मत उघार क्यांकि वह उस की समोपी कुट॒म्चब है यह बड़ी दुष्टता है॥ २१८। ओर त किसी स्त्री के खिजाने के लिये उस के जोते जौ उस की बहिन समेत मत ले जिसतें उस का नंगापन उचार॥ ९<८। और जब लों स्त्री अपवित्रता के लिय अलग किई गई हे! उस का नंगापन डघारने के लिये उस के पास मत जां॥ २०। और अपने परोसी की पत्नी के संग कुकम्मे मत कर जिसतें आप को उद्झे अपवित्र करे॥ २९ । अपने पत्रों में से मोलक के मत चढ़ा और अपने परमेम्यंर के नाम का अनरौति से मत ल में परमेम्ार हछू॥ २२ । त पुरुष गमन मत कर व॒चह् विनित है॥ २३। पश गामों हाके आप के अशडू मत कर ओर काई सती पश गामिनी न हे। यह गड़बड़ कै ॥ २४। 30 [&. 8. 8.] ॥3 लैब्यव्यवस्था (२८ प्बे इन बातों में आप के अशुड्र मत कर क्येंकि जिन जातिगएों को में तुम्हारे आगे निकालता हूंवे इन बातों में अंशड़ हैं॥ २५। और देश अशुई कहे इस कारण में उस के अपराध का पलटा लेता हूं और टश भी अपने बासियां का उगलता क्े॥ २६। से तम मेरी विधि और मेरे विचारों के! पालन करे और इन घिनितों में से किसी के नकरो न टेशी न तुम्हारा परदेशी जो तुम्में बास करता है ॥ २७। क्योंकि देशो ने जा तंम से आगे थे ये समस्त घिनित कार्य किये और टेश अशइ हुआ है॥ र८। जिसतें जब तुम देश का अशुद्द करो वुह् तुम्हें भी उगल न टेवे जिस रीति से उन जातिगणों के जा तम से आग थे उगला॥ २०८। जा काई उन घिनोनी क्रियां में से कुछ करेगा एऐसा कुकन्सी' प्राणी अपने लागें में से कटे जाथेगा॥ ३०। से तम मेशों ब्यवस्थां के पालन करे! और उन घिनोनी क्रियों में से जो तम से आगे किईं गई: केाई क्रिया नं करो ओर अपने के उन से अशुद्द न करो में तम्हारा परमेश्वर ई मर हूं ॥ ९८ डतन्नीसवां पब्ये। षि परमेश्वर मूसा से कहके बाला॥ २। इसराएल के संतानों की रो मंडली से कह के बाल कि पवित्र हा क्यांकि मैं परमेश्वर तुम्हारा इंश्वर पवित्र हुं॥ ३। तुम अपने अपने माता पिता से डरते रहे और मेरे विश्वाम के दिनों का पालन करो मैं परमेश्वर तम्हारा ईस्वर हूं॥ ४। तुम मूर्तिन कौ ओर मत फिरो और न ठाल के अपने लिये ट्वरेवता बनाओ में परमेम्थर तम्हारा ईआ्र हुं॥ ५। और यदि तम कुशल को भटां का बलिदान परमेशञअर के लिये चढ़ाओ तो अपनी प्रसन्नता के लिय चढ़ाओ ॥ ६। चाहिये कि जब उसे चढ़ाओ वच्द उसी टिन और ट्सरे टन खाया जाय गऔऔर यदि तौसरे दिन लॉ कुछ बच रहे ते। आग में जला दिया जाय॥ ७। और यदि वुद्द तनिक भो. तौसरे दिन खाया जांध तो घिनित है बुच् ग्राह्य न हैगा॥ ८। से जों फे।ई उसे खायगा से अपराधी होगा क्योंक्रि उस ने परमेश्वर कौ पवित्र वस्तु का अशुद्द किया वुच् मनुब्य अपने लागों में से काटा जायगा ॥ २६८ पत्बे] कौ पस्तक । २३४ <। जऔर जब तू अपना खेत काटे तब खत के काने के सरबैत्र मत काट लेओर न अपने खत का बिन्ना कर॥ ९०। ओर त अपने द्ाख का मत बिन और न अपने हर एक अंगूर के बटार उन्ह कंगालों और परटेशी के लिय छाड़ म परमेग्यर तम्हारा ईम्वर हूं॥ ११५। तम चोरी मत करो ग्ेर सक्कठाई से ब्यतवहार न करो एक ट्ूसरे से मूठ मत बेला॥ ९२। गओऔर मेरा नाम लेके झूठी किरिया मत खाओ त अप्रने इंश्वर के नाम का अपवित्र मत कर में परमेप्र ह्ूं॥ १५३। अपने परोसी से छल मत कर ओर उसमे कुछ मत चुरा बनिहारों की बनो रात भर बिहान लों तेरे पास न रह जाय॥ ९१४। बहिरे का दृषचन सत कह तू अंधे के आगे ठाकर खाने को बस्तु मत रख परंतु अपने ईश्वर से रता रह में परमेग्वर हूं॥ २५। तम न्याय में अघम्म मत करो त कंगाल का पक्त मत कर ओर बड़े का बड़ाई के लिय प्रतिष्ठा मत हे परंत धम्मे से अपने परासी का न्याय कर ॥ १६। अपने लागों में लतड़ा बन के मत आया जाया कर और अपने परोसौ के लाह् के बिरोध में मत खड़ा हे में परमेम्वर हूं॥ १५७। मन में अपने भाई से बेर मत रख त अपने परासो के किसी भाति से ट्पट दे और उस पर पाप मत छोड़ ॥ १५८। त अपने लागों के संतानों से बैर मत रख और अपना पलटा मत ले परंत अपने परासो के! अपने समान प्यार कर में परमेग्घर हूं ॥ ९९। तम मेरी बिधि का पालन करो त अपने ढा रो के और जातियां से मत मिलते टे त अपने खेत में मिले हुए बीज मत बा ओर सत का शलिला हुआ बस्त मत पहिन ॥ २०। ज्ञा काई किसी स्वी से ज्ञा बचन दत्त दासो हे। और छड़ाई न गई हे। ओर निश्वंध नम हुई हे ब्यभिचार करता ह से ताडल़ा पावेगावे मार डाल न जावगे इस लिये कि वुषह् निबंध नथी॥ २९। से वुह परमेश्वर के लिये मंडलौ के तंब्‌ के द्वार पर अपने अपराध की भेंट लावे अपराध की भट एक मेढ़ा हावे॥ २२। ओर याजक उस के लिये अपराघ की भेंट के मेढ़े के परमेग्थर के आगे उस के पाप के लिये प्रायच्चित्त करे तब व॒ह अपराध जो उस ने किया हे क्षमा किया ज्ायगा ॥ २३। और जब तम उस दृश में पहुंचो और खाने के लिये भोति भाति के पेड़ लागाओ ते तुम उस के फल का अखतनः २३६ लेब्यब्यवस्था (२० पब्न समम्का तोन बरस लॉ तम्हारे लिय अखतनः के तल्य रहे वह खाया न जायगा॥ २४। परंत चाथ बरस उस के सारे फल परमेग्वर की स्तति के लिये पवित्र हांगे॥ २५। और पांचवें बरस तम उस का फल खाग्रे जिसतें तम्हारे लिय अपनी बढ़ती ट्वे म॑ परमेग्पर तम्हारा ईस्थर हूं॥ २६। तम लाह्न सहित मत खाओ ओर टोना मत करो और समया का नमाना॥ २७। तम अपने सिरों के बालों का गालाई से मत मड़ाओ ओर अपनो टाढ़ी के कानों के मत बिग्राड़ो॥ र८। म्तकां के लिये अपने मांस के मत काटो ओर अपने ऊपर गोदने से चिन्ह मत करो में परमेग्वर कह्ल ॥ २८। बश्या बनाने के लिथ अपनी कन्या से ब्यभिचार मत करा एसा न हेवे कि देश बेश्यागामी में पड़े और दुृष्टता से परिपर्ण हेवे॥ ३०। मेरे बिश्वाम के दिनों का पालन करा ओर मेर पवित्र स्थान की प्रतिष्ठा करो में परमेम्वर कह्ूं॥ ३१५। ओमा के। मत माना ओर टान्हों का पौछा करके आप के अशद् मत कराम परमेम्थर 7म्ह रा ईस्पर कहूुं॥ ३२। पक्क बालां के आगे उठ खड़ा हे। और परनिया के रूप का प्रतिष्ठा दे और अपने ई ख्र से डर में परमेग्पर हु॥ ३३। यदि तुम्हारे दश में परटर्शो टिके ता तम उस का मत खिजाओए परत परट्शोी का जा तम्मं बास करता हु ऐसा जाने। जेसा कि वह तस्‍्में जन्मा ओर उसे अपने तल्य प्यार करा इस लिय कि तम मिख कौ भमि में परट्शी थ में परमेग्वर तम्हारा ईस्धथर कहुं॥ ३५४ । बिचार में परिमाण में तेल में मापने में अधघम्म मत करो ॥ ३६। घर्म का तला अम्ल का नपआ धर्म की ट्ससेरिया और घम्म कौ पसेरी तस्झें होवे में परमेग्यर तम्हारा ईस्यर कूल जो तम्ह मिस की भमि से निकाल लाया॥ ३७। से तम मेरी समस्त विधि ओर मेरे बिचारों के पालन करो और उन्हें माने मैं परमेम्वर हूं ॥ २० बोसवां पत्ब। ः जज अत ह>.. हे. या कै. न जम की सतानों का फ* कह कि जो काई इसराएल के संतानों में से अथवा ० कि नह «२५ (२०). ३६ अन्‍य वर >> कर. परदशोी जा उन * <का हे अपने बश में से मेोलक को भेंट चढ़ाः फर परमेमस्वर मसा से कहके बाला॥ २। किअब त इसराणल के २० पत्बे] की पस्तक । २३७ वेगा बुह्द निश्चय घात किया जायगा देश के लोग उस पर पत्थरवाह करें॥ ३। और में उस मन॒व्य पर बैर कौ रुखाई करूंगा और उस के लागों में से उसे काट ट्वंगा इस लिये कि डस ने अपने बंश में से मेलक के चढ़ाया जिसते मेरे पवित्र स्थान के अपवित्र और मेरे पवित्र नाम का अपमान करे। »। जै र यदि देश के लोग किसो भांति से उस मन॒व्य से आंख छिपाव जिस ने अपने बंश में से मेलक के। भेंट चढ़ाया क्षे और उसे घात न करें॥ ५। तो में उस मनुब्य पर और उस के घराने पर बैर की रुखाई करूंगा ओर उसे उन सब समेत जा मेलक से ब्यभिचार करते हें उन्‍हें अपने लागां में से काट डालंगा॥ ६। और उस मनय्य पर जा ज्ञेमाओं ओर टान्हां की ओर जाता ह्षे जिसते उन के समान ब्यभिचार करे मैं उस मनुय्य पर अपना क्राघ भड़काज॑गा और उसे उस के लोगों में से काट डालंगा॥ ७। से अब आप के पत्रित्र करो और पावन हाओ क्योंकि में परमेश्वर तुम्हारा ईस्बर हूं ॥ ८। ओर मेरी ब्यवस्थां का स्तरण करो और उन्‍हें माने में वुद्द परमेग्वर कूं जा तम्ह पवित्र करता क्षे॥ <। जा काई अपनी माता अथवा पिता का धिक्कारे सा निश्चय मार डाला जायगा क्यांक्रि उस ने अपने माता पिता के घिक्कारा क्षे उस का लाक्ू उसो पर हें। ९०। और जो मनुव्य किसी की पत्नी से अथवा अपने परोसी की पत्नो से कुकर्म करे कुकर्मों ओर कुकस्भिणी ट्।नों निश्चय मार डाले जायेंगे ॥ ९९५ । और जो मनुव्य अपने पिता कौ पत्नी से ब्यभिचार करे से दानों निश्चय मार डाले जायगे क्यांकि उस ने अपने पिता का नंगापन खोला उन का लोकह् उन्हों पर क्षे । १२। ओर जो मनुथ्य अपनी बह्ह से ककम्मे करे वे दोनों निशञ्यय मार डाले जायगे उन्‍्हां ने गड़बड़ किया हे. उन का लाह्न उन्हीं पर क्े। ९३। ओर यदि काई मनुय्य पुरुषगार्मी हेवे तो उन द्वानों ने घिनत काये किया हे वे अवश्य मार डाले जायेंगे उन का लाह्न उन्हीं पर कहै॥ २४। और यदि काई स्त्री के! गजेर उस की माता का भी रक्‍्खे यह दुष्टता हे वे तौनोां के तीनों जलाय जायेंगे जिसतें तुम्हां में दृष्टता नरहे॥ २५ । ओर यदि केाई मनव्य पश से ककर्म करे वह निश्चय मार डाला जायगा और उस पशु के घात करोा। १५६। ओर यदि स्टी र्श्प लेब्यब्यवस्था 522 परी पश से ककर्म करे और उस के तले हाय तो उस स्त्री के! और उस पश के! मार डाला वे निच्यय प्राण से मारे जावं उन का लाह् उन्‍्हों पर क्ले ॥ १५७। और यदि काई मनुव्य अपनी बहिन के! अथवा अपने पिता कौ बेटी के अथवा अपनी माता की बेटौ के लेके आपुस में एक ट्ूटसरे कौ नग्मता टेखे यह दुष्ट कस्मे हे वे दोनों अपने लागों के आगे मार डाले ज्ञायेंगे उस ने अपनी बहिन का नंगापन प्रगट किया वह ट्ाषौ हेगा।॥ ९८। ओर यदि मनव्य रजखला स्त्री के साथ सेवे और उस की नग्मता डउचारे ते उस ने उस का सेता डउचघाराक्े ओर उस ने अपने लाह्लू का से।ता खुन्तववाया वे ट्ानों अपने लागों से काटे जायंगे॥ १९। और तू अपनी मे।सी और अपनी फफ की नग्मता मत उघार क्यांकि उस ने अपने समीपी कुटम्च का उघारा हे वे टाणी होंगे ॥ २० । ओर यदि काई अपनी चाचौ के साथ कुकस्स करे उस ने अपने चाचा की नग्मता का उघारा हे वे अपने पाप के भागेंगे वे निवंश मरंगे॥ २९। और यदि मनव्य अपने भाई की पत्नी के लेवे यह अशडू कम्म है उस ने अपने भाई की नग्मता उचारी है वे निबेश हेंगे॥ २२। से। तम मेरो समस्त बिघि का ओर मेरे न्‍्याथों का पालन करा और उन पर चले। जिसत जिस द्श में में तम्हें बसाने का ले जाता हूं से। तम्हें डगल न ट्वे॥ २३ । तम उन लागों के ब्यवहारों पर जिन्हें मे तम्हारे आगे हांकता हूं मत चला क्यांकि उन्‍्हों ने एसे ही सब काम किये इसी लिये में ने उन से घिन किई ॥ २४। परंत में नेतम्हें कहा कि तम उन के देश के अधिकारी हेओगेओरम उस देश के। तम्हें हूंगा जहां ट्घ और मध बहि रहा हे में परमेश्वर तुम्हारा इग्बर हूं जे। तम्हें लागों में से चन लिया ह्े। २५४। से तुम पवित्र और अपवित्र पशन में ग्रैर अपवित्र और पवित्र पत्तियों में ब्यै।रा करो और तम पशन और पक्तियों और जीवधारी के कारण से जा भमि पर शेंगता हे जिन्हें मेंने तम्हारे लिये अपवित्र ठहराया हु आप का अपवित्र नकरोा। २६। झेर मेरे लिये पवित्र हे जाओ क्योंकि में परमेस्थर प्रवित्र हूं और में ने तम्हें लागों में से चुन लिया है जिसतें तम मेरे हे।ओ7 ॥ २७। ओर जो मनव्य अथवा स्त्री ओआम्का अथवा टे | क्वा हे! से! निश्चय मार डाला जाय वे पत्थरवाह किये जायेंगे उन का लाह्ल उनन्‍्हों पर हेवे ॥ २९ पते] कौ पस्तक | र्३८ २९ णएक्कौसवां पब्ब । नि परमेश्वर मसा से कहके बाला कि हारून के बेटे याजकों से कह और न्हें बाल कि अपने लागें कौ र॒त्यु के कारण कोई अशडू न हेवे ॥ २ । परत अपने समोीपी कुटम्व के लिये अपनों माता अपने पिता अपने पत्र अपनी पत्रौी ओर अपने भाई के लिये। ३। और अपनी कंआरीं बहिन के लिये जो अनब्याही हे उस के कारण वह अशइू हावे॥ ४। जा अपने लागों में प्रधान हें से आप का अशड्र न कर जिसते आप का हलक करे ॥ ५। वेअपने सिरों के बाल न मड़ावें और अपनी टाढ़ी के कानों के न मड़ावं और अपने मांस के न काटे ॥ ६। वे अपने ई श्र के लिये पवित्र बनें आर अपने ईश्वर के नाम के हलक नकर क्यांकि वे परमेश्वर के लिये आग कौ भेंट ईश्वर का भाग लगाते हें से वे पवित्र हांगे॥ ७। वे बेश्या का अथवा तच्छ का पत्नी न करें आर न उसस्तीं का जा पति से त्यागी गई ह क्यांकि वे अपने इंग्वर के लिये पर्वित्र के ॥ प८प्। इस लिये त उसे पवित्र कर क्यांकि वह तेरे इंश्वर का भाजन चढ़ाता है वह तेरे लिये पवित्र हो।वे क्योंकि में परमेश्वर 7 म्हारा शड्ककत्ता पवित्र रूं। €। और यदि किसौ याजक कौ पत्रौ बे स्था का कस्मे करके आप का तच्छ कर वह अपने पिता का तऋ करतौो हु वह आग से जलाई जायगौा॥ ९५०। ओर वह जा अपने भाइयों में प्रधान याजक कहे जिस के सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया ओर जो स्थापित किया गया कि बस्त पहिने से। अपना सिर नंगा न करे ओर अप ने कपड़े न फाड़े॥ ९९५। वह किसी लाथ के पास न जाय और न अपने पिता और न अपनी माता के लिये आप का अशइड करे ॥ १५२। ग्रार कधीो पवित्र स्थान से बाहर न जाय ग्रार अपने इंश्वर के पवित्र स्थान के तच्छ न करे क्योंकि उस के ईयम्घर के अभिषेक के तेल का मकट उस पर हे में परमेच्र हुं॥ ९३। और वह कंआरी को पत्नी करे॥ १४ । बिधवा अथवा त्यागी गई अथवा तच्छ अथवा बश्या का न लवे परंत वह अपने ही लागों के बौच में की कंआरी से विवाह करे ॥ १५४ | अपने बंश का अपने लागों में तक न कर क्यांकि में परमेश्वर उसे पवित्र करता ह्ूं। १५६ । फिर परमेश्वर मसा से कहके रै४० लैब्यब्यवस्था [२२ पन् बाला॥ २९७। कि हारून से कह कि जो काई तरे बंश में सं अपनी अपनी पीढ़ीयां में खाट हेय सा अपने ईय्यर को नेवद्य चढ़ाने के समीप न आवे॥ ९८। क्योंकि वह परुष जिस में कक खोट हेवे से समीप न आवे जैसे अंधा अथवा लंगड़ा अथवा वह जिस कीं नाक चिपटोी हे। अथवा जिस पर कुछ उभड़ा हु ॥ ९८ । अथवा वह जिसका पांव अथवा हाथ ट्टा हे ॥ २०। अथवा कुबड़ा अथवा बावना अथवा उस को आंख में कुछ खाट है। अथवा दाद अथवा खजली अथवा अंड छड़ हे।॥ २९। हारून याजक के बंश में से काई मन॒व्य जिस में झाोट क्षे निकट न आवे कि परमेश्वर के हे।म की भेंट चढ़ावे उस में खाट है बह अपने इंग्वर का नेवेद्य चढ़ाने के पास न आवे॥ २२। वह अपने ईम्पर का नेवेद्य अति पावन ओर पवित्र खाव॥ २३। केवल वह चंघट के भीतर न जाय ओर बदौ के पास न आवे इस लिये कि उस में खाट क्ले मेरे पवित्र स्थान का तऋ न कर क्यांकि म परमेग्वर उन्हें शड् करता कूं॥ २४। तब मूसा ने हारून ओर उस के बट ओर समस्त दूसराएल के संतानों का यह सब कहा ॥ २२ बाईसवां पतब्व । कि परमेश्वर मसा से कहके बाला ॥ २। कि हारून ओर उस के बेटा से कह कि वे इसराएल के संतान की पवित्र बस्तन से आप केः अलग रकक्‍खें और मेरे नाम की उन बस्तन के कारण जिन्हें वे मेरे लिये पवित्र करते हैं निंदा न कर में परमेश्वर छुं॥ ३। उन्‍हें कह कि तम्हारी पीढियां में ओर तम्हारे बशां में जा काई उन पवित्र बस्तन के पास जा डूसराएल के संतान परमेग्वर के लिये पवित्र करते हें अपनी अपवितव्रता रखके जाय व॒च् मनुव्य मेरे पास से काटा जायगा में परमेग्वर हूं॥ ४। जे काई हारून के बंश में से केढ़ी अथवा प्रमेद्दी हे! ओआर जे म्हतक के कारण से अपवित्र क्षे आर उसे जिस के प्रमेह क्ते जब ले वह पवित्र न हे। ले तब ला पवित्र बस्तन में से कछ न खावे॥ ५। और जा काई किसी रेंगबेया जंत के! छवे जिस्म वह अपवित्र हावे अथवा किसी मनव्य का जिस्म वह अपवित्र हे! सके जा अपवित्रता उस में हावे॥ ६। वह प्राणी २२ पब्ये] कौ पस्तक । २४९ जिस ने ऐसा कछ छआ सांस्क लां अपवित्र रहेगा और जब ले अपना शरौर पानी से घान ले पवित्र बस्त में से कछ न खाय॥ ७। ओर जब सब्य अस्त हेावे तब वह पवित्र होगा और उस के वीक वह पत्रित्र बस्तें खाय क्यांकि यह उस का आहार क्े । ८। जा कछ आप से मरे अथवा फाड़ा जाय वुद्द उसे खाके आप के अशइू न करे में परमेग्वर ह्ूं॥ <। इस लिये वे मेरी ब्यवस्थों का पालन करें ऐसा न हेवे की उस के लिये पापी हाव ओर मरें याद वे उसे तक्छ करें मैं परमेग्वर उन्हें पवित्र करता हूं ॥ ९०। काई परट्शी पवित्र बस्त न खाय और न याजक का पाहुन और न बनिहार पवित्र बस्तु का खाय॥ २९१॥। परंत जिसे याजक ने अपने दाम से मेल लिया हे। से। उसे खावे और वह जो उस के घर में उत्पन्न हुआ हे से उस के भाजन में से खावे ॥ १२९। यदि याजक की कन्या किसी परट्शो से व्याही जाय ता वह भी चढ़ाई हुई पवित्र बस्तन में से न खाय॥ ९१५३। पर यदि याजक की कन्या बिघवा हे जाय अथवा व्यक्त हावे और निब्श है। और यवावस्था के समान अपने पिता के घर में फिर आपवे तो वह अपने पिता के भेजन में से खाय परंत परट्शी उसे न खाय ॥ ९४। ओर यदि पवित्र बस्तन में से कोई अनजान खा जावे तो वह उस के पांचवं भाग के मिलावे ओर उसे उस पवित्र बस्त सहित याजक के ट्वे ॥ ९५ । और इसराएल के संतान कौ पवित्र बस्तुन के! जो उन्हों ने परमेस्थर के लिये चढ़ाया हे वे निंटा न करें॥ ९६। और आप पवित्र वस्तुन के खाने से पाप का बाम्क उन से न उउवावें क्यांकि में परमेग्धर उन्हें पवित्र करता क्लू।॥ १५७। फिर परमेग्र मसा से कहके बाला॥ (९ष्स। कि हारून का और उस के बेटों के और इसराएल के समस्त संतान केा कहके बाल कि इसराएल के घराने में से अथवा इसराएल के परटेशियों में से जा काई अपनी समस्त मनती के लिये भट और अपनी समस्त मन - मंता कौ भंट जा वे परमेग्यर के लिय हे।मम की भंट के लिये चढ़ावें॥ २6। से अपनी ग्राह्यता के लिये ढारों में से अथवा भड़ बकरी में से निष्खेट नरुख हेवे॥ २०। और जिस पर ट्ोष है उसे मत चढ़ाइये। क्येंकि तम्हारे लिये ग्राह्य न हैगा॥ २९। ओर जो काई अपनी मनो।ती परी करने का अथवा बां छित भट ढारों में से अथवा भेड में से कशल की भेंट 8] 3५ की. आप २४२ लेब्यब्यवस्था [२३ पब्बे परमेग्वर के लिये चढ़ावे सो ग्राच्य हेने के लिये निर्दाष हे।वे उस में कछ खाट नहेवे॥ २२। अंधा अथवा टूटा अथवा लंगड़ा लला अथवा जिस पर मसा अथवा दाद अथवा खुजली हेवे परमेश्वर के लिये भेंट मत चढ़ाइया उन में से होम की भटों का परमेग्वर की बेदी पर मत चढ़ाइयो ॥ २३। बेल अथवा भेम्ना जिस का काई अंग अधिक अथवा घटा हेवे उसे बांछित भेंट के लिये चढ़ावे परंतु मनोती के कारण ग्राच्य न हेगा ॥ २४ | कुचला हुआ अथवा दबा हुआ अथवा टुंडा अथवा काटा हुआ परमेमस्ावर के लिये मत चढ़ाइयो अपने ट्श में ऐसे के। मत चढ़ाइयो ॥ २५ । ओर इन्हें में से अपने ई श्र के। नेवेद्य किसी परदे शी की ओर से मत चढ़ाइय इस लिये कि उन की सड़ाहट उन में हे वे खाट हें वे तम्हएरे लिये ग्राह्य न हांगे॥ २६। फिर परमेग्ार मसा से कहके बाला ॥ २७॥ कि जब बैल अथवा भंड़ बकरी उत्पन्न हावे तब सात दिन ला अपनी माता के साथ रहे और आउवें दिन से और उस्स आग परमेग्वर के होम की भंट के लिये ग्राह्य हेगा॥ २८। और गाय अथवा भेड़ का बच्चे समेत एक ही दिन मत मारियो॥ २८ | ओर जब तुम परमेश्वर के लिये धन्यवाद के बलिटान भट चद्ओ तब अपनी ग्राह्मता के लिय उसे चढ़ाओ।॥ ३०। उसी दिन खाया जाय तुम उस में से दूसरे दिन ले तनिक भी न छोड़ियो में परमेश्वर 'हं॥ ३९। ओर मेरी आज्ञाओं का धारण करो और उन्‍हें पालन करो में परमेश्वर हं॥ ३२। ओर मेरे पवित्र नाम के हलुक न करो परंतु में इसराएल के संतानें में पवित्र छंगा में परमेश्वर तुम्हें पवित्र करता क्ूं॥ ३३। जो तुम्हें मिस्र की भूमि से निकाल लाया कि तुम्हारा ईखर हेऊं में परमेश्वर हूं ॥ २६ तईसवां पब्बे । फर परमेग्वर मसा से कहके बाला ॥ २। कि इसराणल के संतानों से कहके बाल कि परमेग्वर के पब्ब जिन्हें तम पवित्र बलावा सभा के लिय प्रचाराग य मेर पब्ब हैँं॥ ३॥। छर्शद्न काम काज कया जाय परंत सातवां दिन जो बिश्राम का ह्े उस में प|वत्र सभा होगी काई काव्य न के ५ करे यह तम्हारे समस्त निवासें में परमेश्वर के |बश्नाम का दिन हैं ॥ २३ पजत्ब ] कौ पस्तक । २४३ ४। ये परमेख्र के पब्बें ओर पवित्र सभा जिन्हें तुम उन के समय में प्रचारोग॥ ५। पहिले मास की चाटहवों तिथि की सांम्क का परमेग्धर का फसह क्ैे॥ ६। ओर उसो मास कौ पंट्रवों तिथि का परमेग्यर के अखमीरी रोटी का पब्बे हे सात दिन लो अवश्य अखमी रो राटो खाइयो ॥ ७। पहिले दिन पवित्र ब्लावा हेगा उस दिन काई संसारिक काय्थे मत करियो॥ ए८। परंत सात दिन लॉं परमेग्र के लिये होम की भेंट चढ़ाइया और सातवें टिन पवित्र सभा क्षे उस दिन काई संसारिक काव्य मत कीजिया॥ <। फिर परमेशच्र मसा से कहके बाला॥ ९५०। कि इंसराएल के संतानां से कहके बाल कि जब तम उस दश में पहुंचा जा मैं तम्हे देता हूं ओर उस का अन्न लेओआ तब तम अपनी बालो में से एक गद्टा पहिले फल याजक पास लाओ॥ ९५१। वह उसे परमेमशर के आगे हिलावे कि तम्हारी ओर से ग्राह्मय हेवे ओर बविश्वाम के दूसरे दिन बिहान के याजक उसे हिलावे॥। १२। ओर उस ट्िन जिस समय वह गड्ठा हिलाया जाय पहिले बरस का एक निष्खाट मेम्ना हेम कौ भेंट परमेग्वर के लिये चढ़ाओ।॥ १५३१ ग्ार उस की भंट ओर भाजन को भंट दा दसवां भाग चाखा पिसान तल मिलाके होम कौ भट परमेग्वर के सुगंध के लिये हवे ओर उस के पीने की भट सेर भर दाखरस हेवे ॥ १४। ओर जिस दिनलों अपने ईस्वर के लिये भेंट चढ़ाओ रोाटो और भना हुआ अन्न अथवा हरौो बालें मत खाइया तुम्हारी पीढियों में यह सनातन की बिघि ह्े। १५५ । ओर बिश्वाम दिन के बिहान से जब से हिलाने की भेंट के लिये तम ने गट्टा चढ़ाया हें सात अठवा रे गिन के परा करिया॥ १५६। सातवं बिश्राम के दिन के पीछ बिहान से पचास दिन गिन ला ओर परमेग्वर के लिये नये भाजन की भेंट चढ़ाओ। ॥ १५७। अपने निवासों में से दा ट्सवं भाग कौ दो राटो लाइया ये चाख पिसान की हाव और वच खुमीर के साथ पकाया जाय और परमेग्वर के लिये पहिला फल लाइया ॥ ९८। ओर पहिले बरस के निष्खाट सात मेन्ने ओर एक बछड़ा और दो मेढ़े उन के साथ चढ़ाइयो यह परमेग्र के हे।म की भंट उन के भाजन की ओर पीने की भेंट सहित परमेम्वर के सुगंघ के लिये हेम की भेंट क्े। ५८। फिर पाप कौ भंट के लिये २४४ लेब्यब्यवस्था [२३ पब्बे ज--+-++-+औत+ बकरी का एक मेम्ना ओर कुशल की भट के लिये पहिले बरस के दा मेन्ने वबलि। कीजिया॥ २७। ओर थाजक उन्‍हें पहिले फल की रोटी-के संग परमेम्धर के आगे हिलाने की भेंट के लिये दा मेम्ना समेत हिलावे याजकों के लिये वे परमेश्वर के आग पवित्र हांगे॥ २५। और उसो टन प्रचारिया वह तम्हारे पवित्र ब॒लावा के लिये हावे काई संसारिक काय्ये मत करिया यह तन्हारे समस्त निवासों में तम्हारी पीढ़ियां के अत ले बिधि हेगी॥ २२। जओेर जब अपने खेत लवे तब त अपने खेत के कानों के स्काड के मत काटियो ओर लवने के पीछे मत बीनिये। त उसे कंगाल ओर परट्शो के लिये छाड़िया में परमेश्वर तम्हारा ईयग्यर हूं ॥ २३। फिर परमेचखर मसा से कहके बाला॥ २४। कि इसराएल के संतान से कह कि सातव मास कौ पहिंली तिथि तुम्हारे लिये एक विश्राम का दिन ओर नरसिंगे के शब्द से स्मारक पवित्र बुलावा क्े॥ २५। केाई संसारिक काय्थे मत कीजिया परत परमेग्वर के लिये हाम कौ भंट चढ़ाइया॥ २६। फिर परमेग्ार मसा से कहके बोला ॥ २७। सातव मास की ट्सवों तिथि प्रायच्यित्त टने का टिन क्ञे तम्हारे लिये पवित्र बुलावा हैगा उस दिन अपने प्राण में शाकित हेओ और परमेस्वर के लिये होम की भेंट चढ़ाओ॥ २८्एस। उसी दिन काई काम मत करियो क्यांकि वृुच्द प्रायच्चित्त का दिन है तुम परमेश्वर अपने ईस्थर के आगे अपने लिये प्रायश्यूत्त करा ॥ २८। क्यांकि जा प्राणी उस टन में शोकित न होगा वुच्द अपने लेगें में से काटा जायगा॥ ३०। और जा प्राणी उस दिन में कोई काम करेगा में उसो प्राणी के! उस के लागों में से नाश करूगा ॥ ३९१५॥। किसो रौोति का काम मत करना यह तम्हारे समस्त निवासों में तम्हारी पौढ़ियां के अंत लां सनातन के लिये बिधि हागी॥ ३२। यह तुम्हारे लिय एक विश्राम का दिन हागा अपने प्राण का शेशकित करिये। तुम उस मास कौ नवों तिथि को सांम्क से सांस्क लो अपने विश्वाम के लिये पालियो॥ ३३। फिर परमेश्वर मसा से कहके बोला ॥ ३४। इसराएल के संतानों से कह कि सातवें मास कौ पंट्रहवों तिथि से सात टन लो परमेश्वर के तंबू का पब्बे है॥ ३५। पहिले दिन पवित्र बुलावा हावे उस दिन कोई संसारिक काय्ये नकरना॥ ३६। सात २४ पब्ब] को पस्तक । २४५ ट्नि लां परमेश्वर के लिये होम की भंट चढ़ाओ। आठवें ट्िन तम्हारा पवित्र बुलाव है से। तुम परमेगख्वर के लिय हेम की भट चढ़ाइयाः यह सभा का टन हे उस में संसारिक काय्ये मत कीजिया ॥ ३७। परमेय्यर के ये पब्बे हें जिन में तम पवित्र बलावा प्रचारिया जिसतें परमेग्यर के लिये हेम की भट आग से बनाई हुई ओर भाजन की भेंट एक बलिदान और पीने की भेंट हर एक बस्त अपने दिन में चढ़ाइये। ॥ ह₹८। से परमेश्वर के विश्राम के दिनों के और अपनी भेंटां से अधिक गरर तम्हारी समस्त मनाती से अधिक ओर तम्हारे समस्त मनमंता भेंट से अधिक जिन्हें तम परमेम्धर के लिये चढ़ाते हे।त ॥ ३८। सातवें मास की पंट्रहवों तिथि जब रूतों का अनाज एकट्ठा कर ले तब तम सात टन लो परमेम्थर के लिय पब्बे मानियो पहिला टन बिश्राम का होगा और आपउठवां दिन बिश्राम का हेगा॥ ४०। से तम पहिले दिन सटर उक्षों का फल और खजर की डाली ओर घने छक्षां की डालियां और नालियों का बत लौजिया और परमेग्वर अपने ई स्वर के आगे सात दिन लां आनंद की जिया ॥ ४१५। ओर बरस में परमेम्वर के लिये सात दिन भर पब्बे के लिये पालन करिया यह तुम्हारी पीढ़ियों में सनातन कौ बिधि हेगी सातवें मास याही स्मरण कीजिया॥ ४२। सात टन लो डालियां की छान में रहिया जितने इसराणएली हें सब के सब डालियाँ की छान में रहें॥ ४३। जिसतें तन्हारी पीढ़ी जाने कि जब में इसराएल के सतानों का मिस के टेश से निकाल लाया में ने उन्‍हें डालियां कौ छान में बसाया में परमेश्वर तुम्हारा ईस्र हू ॥ ४४। से। मसा ने इसराएल के सतानों से परमेश्वर के पत्बां के कह सुनाया ॥ २४ चोवीसवां पत्म । ट् परमेग्थर मसा से कहके बेला ॥ २। कि दसराएल के संतानों के ज्ञा कर कि टोपक का नित जलाने के कारण करे हुए जलपाई का निम्भेल तेल तस्कर पास लावें ॥ ३। हारून उसे मंडली के तंब में साच्ती के ओट के बाहर सांम्क से बिहान लॉ परमेग्थर के आगे रीति से र॑कवे २४४ लैब्यव्यवस्था [२४ पब्बे त॒ुम्हारों पीढ़ियां के लिये यह बिधि सनातन की हेागी॥ ४ । वही दौपकों के पवित्र दीअट पर परमेग्वर के आगे रीति से सट्ा रखा करे ॥ ५। ओर चाखे पिसान लेके उस्स बारह फलके पका एक एक फलका दो दसवें अंश का हावे॥ ६। झऔर त उन्हे परमेम्यर के आगे पवित्र मंच पर कः छः करके दा पांती में रख॥ ७। ओर हर एक पांती पर निराला गंधरस रखना जिसत वह राटो सारण के लिये हावे अथात हे।म की भेंट परमेग्वर के लिये ॥ ८। यह सनातन की बाचा के लिय इसराएल के संतान से लेके हर बिश्वाम दिन को परमेग्यर के आगे रौति से नित्य रक्‍खा करे॥ <। और बुच्द हारून कौ गर उस के बेटों की होंगी वे उन्हें पवित्र स्थान में खावं यह उस के लिय परमेग्वर के हाम की भटों में से अत्यत पवित्र विधि नित्य के लिये हे ॥ १५०। तब एक इसराएली स्त्री का बेटा जिस का पिता मिस्री था निकल के इसराएलीयों में गया ओर उस इसराएली स्त्री का बेटा ओर इसराएल का एक जन छावनी में भूगड़ रहेथे॥ २५९५। शेर इसराणली सती के बेटे ने परमेग्वर के नाम की अपनिदा किई और घिक्कारा और उस की माता का नाम सलमियत था जो ट्बरी के पत्र दान के कल से थी तब वे उसे मसा पपस लाय ॥ ९५२। और वह बंधन में रक्खा गया जिसतें उन पर प्रगट करे कि परमेम्वर क्याआज्ञा करता है॥ १५३। फिर परमेश्वर मूसा से कहके ब्ला॥ २१४। जिस ने अपनिंदा किई हे उसे छवनौ के बाहर निकाल ले जा और जितनों ने सुना वे अपने हाथ उस के सिर पर रकखें ओर सारी मंडली उसे पत्थरवाह करे॥ ५४। गर इसराएल के संतानों से कह कि जा काई अपने ईश्वर की निंदा करेगा से! अपना पाप भाग्गा ॥ ९६ । और जो परमेम्यर के नाम की अपनिंदा करे से निच्यय प्राण से मारा जायगा समस्त मंडली उसे निश्यय पत्थरवाह करे चाहे वुच् परदे शी हाय चाहे टेशी जब उस ने परमेम्वर के नाम की अपनिंदा किई वुच् प्राण से मारा जायगा ॥ ९७। और जो दूसरे के मार डालेगा से। निश्चय घात किया जायगा ॥ ९८। और जे! काई पशु के! मार डाले से। उस की संती पश दवे॥ २८ । और यदि काई अपने परोसी के! खेटा करे जैसा करेगा वैसा ही उस २५ पब्बे] कौ पस्तक २४७ पर किया जायगा ॥ २०। ते'ड़ने की संती ताड़ना आंख की संती आंख दांत की संती दांत जैसा उस ने मन॒य्य का खाटा किया हे डस्से वेसा हो किया जावे ॥ २९ । ओर वुच्द जे। पश के मार डाले वुह् उस का पलटा ढेवे ओर बुच्द जा मनुब्य के मार डाले प्राण से मारा जाय॥ शर२ । तम्हारी एक ही रीति की व्यवस्था हे।वे जेसो परद्शो की वैसी ही देशी के बिषय में हे।वे क्यांकि में परमेज्र तम्हारा ईम्यर छुं॥ २३। तब मसा ने इसराएल के सतान से कहा कि उस जन के तंब के बाहर निकाल ले जाते ओर उस पर पत्थरवाह कर से। इसराएल के संतानें ने जैसा कि परमेश्वर ने मूसा के आज्ञा किई थी वैसा हो किया। है पे २५ पचौोसवां पब्ब । सि परमेश्वर सौना के पहाड़ पर मूसा से कहके बाला॥ २। कि इसराएल के संतानों के। कद्दके बेल कि जब तुम उस देश में जो मैं तुम्हें देता हू पहुंचा तब वुच्द भूमि परमेश्वर के लिय विश्राम दिन का विश्राम करे। ३। कः बरस अपने खेतों का बाओ.। और छः बरस अपने टाखें। का सवांर ओर उस का फल बटोर॥ ४। परत सांतवां बरस दश के लिय चन का बिश्वाम होगा परमेग्वर के लिय बिश्राम न तो खेत के बाना ओर न अपने द्ाखों के। सवांरना॥ ५। जा कुछ आप से आप ऊगे त उसे मत लव ओर बिनसवांरी हुई लता के दाखों के। मत बटार कि ट्श के लिये चेन का बरस हे॥ ६। से भामि का बिश्राम तम्हारे लिये ओर तुन्हारे सेवकों ओर तम्हारे दास और दासी और सम्हारे बनिहार ओर तम्हारे परटेशियों के लिये जा तम्में टिकते हैं॥ ७। आर तुम्हारे ढ़ार और जो पश तम्हारे देश में है उस का सब प्राप्त डन के खाने के लिये हागा॥ ८। ओर तसात बिश्राम के बरसे के अपने लिये गिन सात 7 ने सात बरस ओर सात बरसे के विश्राम के समय तम्हारे लिये उंचास बरस हांगे॥ €। तब तु सातंव मास कौ दसवीं तिथि में आनंद का नरसिंगा फंकवा ओर प्रायाअत्त के दिन अपने सारे दृश में नरसिगा फकवा ॥ १५०। से तम पचासवें बरस के पवित्र जाने। और ट्श में उस के सार र४८ लैब्यब्यव स्था [२५ पश्ले बासियों में मक्ति प्रचारो यह तम्हा रे लिये आनंद है और तस्‍्में से हर एक मनय्य अपने अपने अधिकार का ओर अपने घराने का फिर जाय॥ २१५॥। पचासवां बरस तम्हारे लिय आनंद हो तम कुछ मत बाइया न उसे जा उस में आप से ऊग काटिया बिनसवांरी हुई टाख की लता के दाखां को मत बटारोा ॥ १९२। क्योंकि यह आनंद हे यह तुम्हारे लिये पवित्र हेगा खेतों में जा बढ़े तम उसे खाओ।॥ २१५६। उस आनंद के बरस तस्‍म्मं से हर एक अपने अपने अधिकार के फिर जाय॥ २१५४। और यटि त अपने परासी के हाथ बंचे अथवा अपने परासी से मेल ले तो एक टूसरे पर अंघर मत कौजिया॥ ९५५ । आनंद के बरसे के _ पीछे के समान गिन के अपने परासो से मेल लेना ओर बरसे केप्रन् की गिनती के समान तेरे हाथ बचे॥ २१५६। बरसे कौ बहुताई के समान उस का मेल बढ़ाइयो ओर बरसे की घटी के समान उस का मेलल घटाइया क्यांकि प्राप्त की गिनतो के समान वह तर हाथ बंचता है॥ ९५७ । इसलिये एक टूसरे पर अंघर मत करो परंत अपने ईम्घर से डरिया क्योंकि में परमेग्वर 'तम्हारा ईश्वर हूं॥ से। तम मेरी बिचि के माने ओर मेरे न्याय के धारण और पालन करिये। और टेश में कुशल से बास करागे॥ ९«८। और भमि तम्हें अपने फल ट्‌गी और तम खाके ढप्त हाओगे और उस पर कुशल से रहा कराोगे॥ २०। ओर यटि तम कहे कि हम सातवें बरस क्या खायेंगे क्योंकि न बावंग न बटारंगे॥ २१५। तब में छठवं बरस अपना आशीष तम्हें देजंगा और उस में तौन बरस का प्राप्त हेगा ॥ २२९। आउठंवें बरस बोओ ओर नोव बरस ला पराना अनाज खाओ जब लॉ उस में अन्न फेर न हावे तब लो पराना अन्न खाणआ ॥ २३। भमि सदा के लिये बची न जावे क्योंकि भमि मेरी है और तम मेरे संग परदेशी और निवासी हाे॥ २४। तम अपने अधिकार को समस्त भमि के लिये छटकारा हेना॥ २४। यदि तेरा भाई कंगाल हाय और कुछ अपने अधिकार में सेबंचे और केाई उसे छड़ाने आवे तब वह अपने भाई की बचीहुई छड़ा ले॥ २६। यदि उस मनव्य के छड़ाने के! काई न हे।वे आर आप से छड़ा सके ॥ २७। तब डस के बेचने के बरस गिने जावे और जिस १५ पब्बे | कौ पस्तक | २४८५ न ओओ न पास बेंचा कक उस के बढ़ती फर ट्वे जिसतें वह अपने अधिकार पर फिर जाय॥ २८। परंत यदि वह फेर टने पर खड़ा न हे! तबजो बंचा हुआ है से आनंद के बरस ले उसी के हाथ में रहे जिस ने उसे मेलल लिया और आनंद में वह छट जायगी तब वह अपने अधिकार पर फिर जावे। २८। और यदि काई घर के जे भीत नगर में हे बंचने के पीछे बरस भर भें उसे छड़ावे परे बरस में वह उसे छड़ावे॥ ३०॥ और यटि बरस भर में छड़ाया न जाय तो वुद् घर जा भौत नगर में है से उस के लिये जिस ने मेल लिया है उस की समस्त पीढ़ियों में दृढ़ रहेगा और व॒हआनंद के बरस में बाहर न जायगा ॥ ३९ परंतु गांव के चर जिन के आस पास भीत न हे।वे टेश के खतों के समान गिने जांवं वे छड़ा सकें और आनंद में छट जावंगे ॥ ३२। लावियों के नगर और उन के अधिकार के नगरों के घर जब चाहें तब लावी छड़ावें। ३६। और यदि काई मनव्य लावियों से मे!ल लेवे तब जे। घर बचा गया और उस के अधिकार का नगर फिर आनंद के बरस में कट जायगा क्यांकि जावियों के नगर के घर इसराएल के संतानें में उन के अधिकार क्ैं॥ ३४। परंत वे खेत जा उन के नगरों के सिवाने में हैं बच न जावे क्यांकि यह उन के सनातन का अधिकार है॥ ३५। और यदि तुम्हारा भाई ढुःखी और कंगाल हैे। जावे तो तम उस की सहाय करो चाहे वह परदे शी हेय चाहे पाहुन जिसते वह तम्हारे साथ जीवन काट ॥ ३६ । त उस्म ब्याज और बढ़ती मत ले परंत अपने ईश्वर से डर जिसते तेरा भाई तेरे साथ जीवन काटे ॥ ३७। तू उसे ब्याज पर ऋण मत हे और बढ़ती के लिये भजन का कण मत ट्‌े ॥ ह₹८। में परमेश्वर तम्दारा ईशर हूं जा तम्हें मिख के टेश से निकाल लाया जिसत तम्हें कनअआन का देश देज॑ और तुम्हारा ईस्र हेऊं ॥ ३९। और यदि तेरा भाई तक्क पास कंगाल है| जाय और तस्क्त पास बेचा जाय ते। त डस्स दास की नाई सेवा मत करवा ॥ ४०। परंत॒ वुह्त वनिह्ार और पाहुन की नाई: तेरे साथ रहे और आनंद के बरस लॉ तेरी सेवा करे । ४२। और उस के पीछ वह अपने लड़के समेत तुम्कत से अलग हे! जायगा और अपने घराने और अपने पिता कं अधिकार का फिर जाय ॥ ४२। इस लिये कि वे मेरे सेवक हैं जिन्ह में 32 [45% 85 २५० लैब्यब्यवस्था [२५ पब्ब मिस्र को भमि से बाहर ले आया वे दासें की नाई बेंचे न जावे ॥ ४३। लत कठारता से उन से सेवा मत ले परंत अपने इं श्र से डर ॥ ४४ । तम्हारे दास और तम्हारी टासियां जिन्हें तम अन्य रेशियों में से जो तम्हारे आस पास हैं रक्खागे उन्हीं में से टास और द्वासियां मेल लेओ। ॥ ४५ । और उन परटेशियों के लड़कों में से भो जा तम्में बास करते हैं और उन के घराने में से जे तम्हारी भमि में उत्पन्न हुए हें मेल लोजिये। वे तन्हारे अधिकार हेंगे॥ ४६। और तम उन्हें अपने पीक् अपने लड़कों के लिये अधिकार में लेओए वे सदा लो तम्हारे दास हैं परत तम अपने भाइयों पर जो इसराएल के संतान हें एक टूसरे पर कठारता से सेवा मत लेओ।॥ ४७। ओर यदि केाई पाहुन अथवा परदेशी त गे पास घनो हेावरे और तेरा भाई जा उस के स/थ हे कंगाल है| जावे और उस परदे शी अथवा पाहुन के हाथ जो तेरे साथ कह्ञे अथवा उस के हाथ जा परदे शी के घरानों में से हेय किसी के हाथ आप को बेंच डाले॥ ४८। उस के बेंचे जाने के पीछे बह फेर छड़ाया जा सके उस के भाइयों में से उसे कड़ा सके ॥ ४८। चाहे उस का चचा चाहे उस के चचा का पत्र अथवा जा केई उस के घराने में उस का गे।ती हे। उस के। छड़ा सके और यदि उस्म हे। सके तो वह आप का कडावे॥ ५०। ओर वह अपने बेचे जाने के बरस से लेके आनं, के बरस लो गिने ओर उस के बचे जाने का मेल बरसे| की गिनती के समान हेवे वुह बनिहार के समय के समान उस के साथ रहेगा॥ ५९५। यटटरि बहुत बरस रहे ता वह अपने छड़ाने केा उस माल से जिस्म वह बंचा गया उन बरसे के समान फेर ट ॥ ५२। और यदि औआनंद के थाड़े बरस रह जायें तो वह लेखा करे और अपने छटकारे का मेल अपने बरसे के समान उसे फर ट्‌े॥। ५३। ओर वह बरस बरस के बनिहार के समान उस के साथ रहे ओर उस पर कठारता से सेवा न करवावे॥| ५४। ओर यदि वह इन में छड़ाया न जावे तो आनंद के बरस में वह अपने लड़का समेत छट जायगा ॥ ५१५ | क्यांकि इसराएल के संतान मेरे सेवक हें वे मेरे सेवक जिन्हें में म्र के देश से निकाल लाया में परमेग्वर तुम्हारा ईय्प्र हूं ॥ २६ पत्व ] कौ पुस्तक | २५९ २६ कछबोसवां पब्बे । पने लिये मर्त्नि अथवा खादी हुई प्रतिमा मत बनाइये! ओर की सलह मर्त्ति मत खड़ी कीजिया और दंडवत करने के लिये पत्थर की मत्ति अपनी भमि में स्थापित मत करियो क्यांकि में परमेग्वर तम्हारा ईशर हूं॥ २। तुम मेरे विश्वाम के दिनों का पालन करो ओर मेरे पत्रित स्थान को प्रतिष्ठा द्ग्रे में परमेश्वर हुं॥ ३। यदि तुम मेरी बिधि पर चलागे और मेरी आज्ञाओं का घारण करके डन पर चलागे॥ ४१ तो में तम्हारे लिये समय पर मेंह बरसाऊंगा ओर देश अपनी बढ़ती उगावेगा गऔर खेत के ढच्ध अपने फल टेंगे॥ ५। यहां लॉ कि अन्न भ्काड़ने का समय दाख तोड़ने के समय लों पहुंचेगा और दाख तोड़ ने के समय लो बाने का समय पहुंचेगा ओर तुम खाके संतष्ट हेोओग ओर अपने देश में चैन से रहेगे॥ ६। आर में देश में कशल दऊंगा और तुम लेट जाओगे ओर काई तम्हें न डरावेगा ओर में बुरे पशओएई के ट्श से टूर करूंगा और तम्हारे देश में तलवार न चलेगी॥ ७। और तम अपने वैरियों के खट्ड़ाग और वे तम्हारे आगे तलवार से गिर ज्ञायेगे ॥ ८पय ओर पांच तस्म से सो के खटड़ग ओरर से त्तम्में से ट्स सहस्त के भगावेंगे ओर तम्हारे बेरी तम्हारे आगे तलवार से गिर जायेंगे | € ॥ में तम्हारा पक्ष करूंगा और तमन्‍्हें फलवंत्त करूंगा ओर में तम्हें बढ़ाऊंगा ओर अपनी बाचा केरतम से परी करूंगा॥ १५०। ओर तम पराना अन्न खायेगे और नय के कारण पराना लाओगे॥ ९९। ओ में अपना तंब तस्में खड़ा करूंगा ओर म तम से घिन न करूंग॥ ९२। और में तम्हां में फिरा करूंगा और तम्हारा ईम्वर हेाऊंगा और तुम मेरे लाग हाओगे ॥ ९३। मे परमेम्धर तम्हारा ईय्घर हूं जे तम्हं मिख के देश से निकाल लाया जिसतें तम उन के दास न बने ओर में ने तम्हारे कांघों के जञओं की लकड़ियाों के ताड़ा ओर तम्हं खड़ा चलाया॥ २४। परंत यद्धि तम मेरी न सनागे ओर उन सब आज्ञाओं के पालन नकरागे॥ १५४। और मेरी बिधि की निंदा करोगे अथवा तम्हारे मन मेरे न्‍्यायां के घिन कर एसा कि तम मेरी आज्ञाओं के पालन न करा २५२ लेब्यव्यदस्था (जिई पढ़ी पर मेरी बाचा ताड़ ट7[॥ ९६। तो में भी तम से वैसाही करूंगा ओर भय गज्र क्षय रोग ओर तप्त ज्वर जो तेरी आंखां का नाश करेगा और मन के उटास और तम अपने बोज अकारथ बाण क्योंकि तम्हारे बैरी उसे खायेंगे॥ १५७। आर में तेरा साम्ना करूंगा और तम अपने बेरियां के साम्मे जम जाओग जा तम्हार बेरो हें से तम पर राज्य करेंगे ओर काई तम्हारा पीछा न करते ही तम भागे जाओगे॥ (श्८। इन सभा पर भी यदि तम मेरी न सनाग तो में तम्हारे पापों के कारण सतगण तन्हें टंंड देजगा॥ ९६ । ओर तम्हारे घमंड केबल के तोडंगा और तम्हारा आकाश लेहः के समान ओर तम्हारी प्थिवी पीतल की नाई कर देजंगा॥ २०। ओर तम्हारा बल सेंत से जाता रहेगा क्योंकि तम्हारी भमि अपनी बढ़ती न टेगी और ट्श के पेड़ फल न पहुंचावेंगे॥ २९५। ओर यदि तम मेरे बिपरीत चलागे ओ_र मेरी न सनोगे ते में तम्हारे पायेंके समान तम पर सतगण मरी लाऊंगा ॥ २२। आर में बनले पश भो तम्म भेज॑गा ओर वे तम्हार बश का भच्तण करग और तम्हारे पशन के! नाश करंगे ओर तम्ह गिनती में घटा टगे और तम्हारे मागे रूने पड़े रहेंगे॥ २३। ओर यदि मेरी इन बातों से न सघरोगे परंत मस्क से बिपरीत चलागे॥ २४। ता में भी तम्हारे बिपरीत चलंगा ओर तम्हारे पापें के लिये तम्हें सतगण ढुंड देऊंगा॥ २५ । ओर में तम पर तलवार लाऊंगा जा मेरी बाचा के रगड़ का पलटा लेनेवाली कै ओर जब तम अपने नगरों में एकई हेओग में तम्हों में मरी भेजंगा ओर तम बैरियां के हाथ में सापे जाओग ॥ २६। और जब मैं तम्हारी रोटी की लाठी तोड़ डालंगए तब ट्स स्त्री तम्हारी शाटियां एक भट्टी में पकावंगी और तम्हारी रोटियां तैल के तम्ह टंगी और तम खाये परत छप्त न हिओग॥ २७। और यदि तम उस पर भी न सनोगे परंत मम्_ से बिपरीत चलागे॥ २८ । ता में भी काप से तम्हारे बिपरीत चल गा में हां में हों तम्हार पापों के कारण तम्हं सतगण ताड़ना करूंगा ॥ २८ । ओर तम अपने बट का और अपनो बेटियों का मांस खाओगे॥ ३०। ओर में तम्हारे ऊंच स्थानें काढा ढूंगा २६ पन्षे] को पस्तक । ९५३ और तम्हारों मक्तियां का काट ट्ऊंगा और तुम्हारों लाथ तम्हारे मत्तियां की लाथों पर फरकंगा और आप में तम से घिन करूंगा ॥ ३९। ओर तम्हारे नगरों का उजाड़ करूंगा ओर तम्हारे पर्वित्र स्थानों का रूना करूंगा ग्यार में तम्हारे सगंध के। न संयंगा॥ ३२। ओर में तम्हारी भूमि के उजाडंगा ओर तुम्हारे शत्रु उत के कारण आअय्य मानगे ॥ ३३। आर में तम्हं अन्यटृशियां में छिन्न भिन्न करूंगा और तम्हारे पीछ से तलवार निकालंगा ओर तुम्हारी भमि उजाड़ होगी ओर तुम्हारे नगर उजड़ जायगे॥ ३४। ट्श अपने समस्त उजाड़ के दिनों में जब तम अपने शत्र॒न के ट्श में रहेगे बिश्राम का भाग करेंगे तब देश चैन करेगा और अपने बिश्वामां के भाग करेगा॥ ३५ । जब लॉ वह उजाड़ रहेगा तब ला चेन करंगा इस कारण कि जब तम उस में बास करते थे तम्हारे बिश्वामों में चेन न किया ॥ ३६। ओर तस्में जा बच रहे हैं में उन के बैरियां के देश में उन के मन में दबलता डालंगा और पात खड़कने का शब्द उन्‍्हं खटडेगा और वे एसे भागेंग जेसे तलवार से भागते हैं और बिना किसी के पीछा करने से वे गिर पड़ेंगे। ३७। ओर वे श्से एक पर एक गिरंगे जेसे तलवार के आगे ओर केाई उन का पीछा न करेगा और तम अपने बेरी के आगे ठहर न सकागे॥ ३८८। और तम अन्यदेशियों में नष्ट हेओगे ओर तम्हारे बेरियों का देश तम्हें खा जायगा ॥ ३८। ओर वे जा तम्म से बच जाय गे से। तम्हारे बेरियां के दश में और अपने पाप में ओर अपने पितरों के पाप में क्वौण हे। जायेगे॥ ४०। यदि बुह अपने पापों के ओर अपने पितरों के पापों के। अपने अपराधों के संग जो उन्‍्हों ने मेरा अपराध किया और यह कि वे मेरे बिपरोत चले हैं मान लगे॥ ४२। ओर में भो उन के विपरीत चला ओर उन के बैरियां के दृश में उन्हें लाया यदि उन के अखतनः मन टौन हे। जायंगे और अपने दंड का अपने अपराध के येग्य समम्कगे॥ ४२। तब में यअकृब के संग्र अपनी बाचा का स्वरण करूंगा और अपनी बाचा इजहाक के साथ ओ।र अपनी बाचा अबिर हाम के साथ सारण करूंगा और उस के स्मरण करूंगा॥ ४३। वच्ो टृश उन से छोड़ा जायगा जब लो व॒ह उन दिनों में उजाड़ पड़ा रद्दा अपने विश्रार्मों २५४ लेब्यवब्यवस्था [२७ पब्चे के भाग करेगा ओर वे अपने पाप के टंड के मान लगे इसी कारण कि उन्हों ने मेरी आज्ञाओं के त॒चछ जाना और इसी कारण कि उन के अंतः करणां ने मेरी बिघिन से घिन किया॥ ४४। ओर इन सभों से अधिक हक कु २ ७ ७५ ००७ किजिहत ५० ५ पी जब वे अपने बैेरीं के देश में होंगे में उन्ह टूर न करूंगा ओर में उन से घिन न करूंगा कि उन्हें सबैथा नाश कर देजं ओर उन से बाचा तोड़ डाल॑ क्यांकि में परमेश्वर उन का ई आर हछू॥ ४५। परत उन के कारण मैं उन के पितरों की बाचा का जिन्‍्ह में ने मिख॒ के दश से अन्य दशियां के आगे निकाल लाया छारण करूंगा कि में उन का ईअर परमेग्यर हू ॥ ब्. पे ० आर कप ४६ । ये बिधि और न्याय ओर व्यवस्था जा परमेग्वर ने सौना पहाड़ पर आप में और इसराएल के संतानों में मूसा की ओर से ठहराये ॥ २७ सत्ताईसवां पब्बे ॥ हि परमेश्वर मसा से कहके बाला॥ २। कि इसराएल के संतानों के कहके बोल जब मनुय्य विशेष मनेती माने त रे ठहराने के समान जन परमेश्वर के हांगे॥ ३। ओर तेरा मेल बीस बरस से साठ बरस लॉ परुष के लिये तेरा माल पवित्र स्थान के शकल के समान पचास शंकल रूपा हांगे॥ ४। और यदि स्त्री हावे ता तरा मेल तीस शकल हेंगे ॥ ४५ । ओर यदि पांच से बीस बरस कौ बय हेय तो तेरा मे।ल परुष के लिये बीस शेकल और सती के लिये एस शेकल॥ ६। ओर यदि एक मास से पांच बरस को बय हेय तो तेरा मेल परुष के लिये चांदो के पांच शकल ओर स्त्री के लिये तेरा मोल चांदी के तीन शकल॥ ७। ओर यदि वह साठ बरस से ऊपर का हेय तो परुष के लिये तेरा मेल पंट्रह : शृकल और स्त्री के लिये दस शकल॥ ए८। परत यदि तरे मेल से वह कंगाल ठचहरे तो वह याजक के आगे आवे और याजक उस का माल उस कौ सामथ्ये के समान ठहरावे जिसने मनोती किई हे याजक उस का मेलल ठच्तदरावे॥ <। ओर यदि पश हे।वे जिसे मनव्य परमेम्वर के लिये भेंट लाते कहें ता वह सब जो परमेम्बर के लिये चढ़ाया गया से। पवित्र हेगा॥ २१५०। वह उसे न फरे भले के लिये बरा ओर बर रे के ।लये भला न पलटे ओर यदि वह किसी भांति से पश को संती पश दे ता बह २७ पब्बे ] कौ पस्तक । २५५ और उस का पलटा पवित्र हांगे॥ ९९। ओर यदि वह अपवित्र पशु हाय जा परमेग्वर का बलिदान नहों चढ़ाते ता वह पश का याजक के आगे लाव॥ २९२। ग्यार याजक उस का मोल करे चाहे भला हेवे चाहे बरा जेसा याजक उस का माल ठहरावे बेसा हो हेव॥ ९५३। परंत यदि वह किसी भांति से उसे छड़ावे ता बह उस मेल में पांचवां भाग मिलावे। २५४। ग्रार जब मनव्य अपने घर को परमभेग्वर के लिये पवित्र करे तो याजक उस का माल उठदरातरेे चाहे भला होवे चाहे बरा याजक के ठहराने के समान उस का मेल हेागा॥ ९५। और जिस ने उस घर के पवित्र किया हे यदि वह उसे छड़ाया चाहे ता तरे मेलल का पांचवां भाग उस में मिलाके टवे ओर घर उस का हे|गा॥ ९६। यदि काई अपने अधिकार से कुछ खेत परमेज्र के लिये पवित्र करे तो तेरा मे।ल उस के अन्न के समान हे। साड़ छः: मन जब का मेल पचास शकल चांदी हेगा॥ १५७। यदि वुद्द आनद के बरस से अपना खेत पवित्र करे तो तेरे मेल के समान ठहरेगा॥ ९८। परंत यदि वुद् आनंद के पोछ अपने खेत के। पवित्र करे तो याजक उन बरसों के समान जा आनंद के बरस लो बचे हैं मेल का लेखा करे और तेरे माल से उतना घटाया जाय॥ २९८। ओर जिस ने खत के पवित्र किया हे यदि वुह् उसे किसी भांति से छड़ाया चाहे ता वुच्द तेरे मेल का पांचवां भाग उस में मिलावे तब वह उस का हे। जायगा॥ २०। ओर यदि वह उस खेत का न छड़ावे अथवा यदि वह उस खत के! दुसरे के पास बेंचा हो ता वह फिर कभी छड़ाया न जायगा॥ २१५। परत जब वह खेत आनद के बरस में छूट तब जैसा सम्पर्ण किया गया खेत वैसा परमेम्थर के लिये पावन होगा और वह याजक का अधिकार हेगा॥ २२। ओर काई खेत जा उस ने मेल लिया हे ग्लर उस के अधिकार के खतों में का नहों ह परमेच्र के लिये पवित्र कर॥ २३। ता याजक आनंद के बरसे। के समान गिनके मे।ल ठहरावे गऔर वह तेरे ठचराने के समान उस दिन उस का मोल परमेग्वर के लिय पांवत्र बस्त के समान ढवे॥। २४। ओर खेत आनंद के बरस में उस के पास फिर जायगा जिस्म मेल लिया गया जिस का वुद्द भूमि का अधिकारथा॥ २५। र्‌५ ६ लैब्यव्यवस्था [२७ पर्ब्च और तेरा मेलल पवित्र स्थान के शकल के समान हेगा बोस गिरह का एक शेकल हागा॥ २६। और केवल पशन में का पहिलोंठा जो परमेश्वर का पदिलींठा हुआ चाहे उसे काई पवित्र नकर चाहे वह गाय बेल से हेवे चाहे भंड़ से वह ता परमेश्वर का ह्ेै॥ २७। और याटि वह अपाबन पश का हेवे ता वह तेरे मेल के समान उसे छड़ावे और उस में पांचवाँ भाग मिलावे अथवा यदि वह कृड़ाया न जावे तो बह तरे मेल के समान बेंचा जाय॥ र२८। तिस पर भौ काई सम्प्ण किई हुई बस्त जिसे मनव्य समस्त बस्तन में से परमेगश्वर के लिये सम्पर्णे करता है मनव्य का पश का ओर अपने अधिकार के खेत का बंचा अथवा कृड़ाया न जायगा हर एक सम्पर्ण किई हुई बस्त परमेग्थर के लिये अत्यंत पवित्र छे ॥ २९। जा बस्त मनव्य सम्पर्ण करता हु से छड़ाई न जायगी निद्यय मार डाली जायगी॥ ३०। और देश का समस्त कर चाहे खेत का बीज चाहे पेड़ का फल परभेग्वर का वह परमेश्वर के लिये पवित्र छे॥ ३९। और यदि मनव्य किसी भांति से अपने कर के कडाया चाहे ता पांचवां भाग उस में मलावे॥ ३२। लेहंड़ का अथवा मंड का कर के बिषय में जा कछ लट्टा के नीचे जाता के से परमेग्रर के लिये दसवां भाग पवित्र होगा ॥ ३३। वह उस कौ खाज न करे चाहे भला अथवा बरा वह उसे न पलट ओर यदि वह किसौ भांति से उसे पलण ता वह ओर उस का पलटा ट्ोनों के दानों पवित्र हो जायेंगे और वच् कृड़ाया न जायगा ॥ ३४। वे आज्ञा जो परमेश्वर ने इसराएल के संतानों के लिये सीना के पहाड़ पर मसा के। किई ये हैं। कि मूसा को चाथों पुस्तक जो गिनती कौ कद्दातों है । ९ पहिला पज्बे । दि की भूमि से उन के निकलने के पीछ टूसरे बरस टूसरे मास की पहिलो तिथि का सोना के पहाड़ के बन में मंडलोौ के तंब में परमेम्वर मसा से कहके बेला॥ २। उन के पितरों के घराने के समान इसराएल के संतानों कौ समस्त मंडलोी के घराने के समान हर एक परुष के नामों का लेखा करे॥ ३। बीस बरस से ऊपर सब जो इसराएल में लड़ाई के योग्य हेवें त और हारून उन कौ सेना सेना गिन॥ ४। और हर एक गाएछी में से एक एक मनय्य जो अपने अपने पितरों के घराने का प्रधान हे तम्हारे साथ हावे॥ ५। और जो जन तम्हारे साथ खड़े हांगे उन के ये नाम हें रूबिन में से शटजर के बेटे इलिरूर ॥ ६ । शमऊन में से रूरिसही का बेटा सलमिणएल॥ ७। यह्वदाइ में से अस्मिनद्व का बेटा नहशन॥ ए८। इशकार में से सग्र के बेटे नत- निएल॥ <«<। जबलन में से हेलन के बेटे इलिअब॥ २९०। यसफ के संतान इफरायम में से अग्सिकूट के बेट इलिसमः ओर मनस्सी में से फिटाहरूर के बेट जमलीएल ॥ १५१। बिनयमौन में से जिदःअनोौ के बट अविदान॥ ९१२। ट्रान में से अन्मिशदही के बेटे अखिअरजर॥ २९३। यसर में से अकुरून के बटे फूअअणएल ॥ ९४। जद में से दअणल के बट इलयासफ्‌ ॥ ९५ । नफताली में से औनान के बेटे अखिरअः ॥ २६ । अपने अपने पितरों की गाष्ठियों के अध्यच्ठ मंझली में ये नामी थे इसराएल में सहस्तों 88 है: स्प८ गिनती “बा पथ के प्रधान येथ॥ १५७। से। मूसा और हारून ने उन मनुव्यों का लिया जिन के नाम लिखे हैं ॥ ५८ । और उन्हें ने दस रे मास की पहिली तिथि में सारी मंडली एकड्री किई ओर उन्‍्हों ने अपने अपने पितरों के घराने के समान बीस बरस से लेके ऊपर ला अपनी अपनी पीढ़ी उन के नामें। की गिनती के समान लिखाया॥ ९१६। जेसाकि परमेम्र ने मसा का आज्ञा किई थी उस ने उन का सोना के बन में गिना ॥ २०। से रूबिन के सतान में बह जो इसराएल का पहिलोंठा बेटा था अपने घराने ओर अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में और नामें। की गिनती के समान हर एक पुरुष सब जे लड़ाई के योग्य थे ॥ २९ । जे रूबिन की गाछी में से गिने गये छियादीस सहस्त पांच से। थे ॥ २२ । ओर समआन के सतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पोढ़ियों में और नामे| की गिनती के समान हर एक परुष बीस बरस से ऊपर लो जा सब लड़ाई के याग्यथे ॥ २३। जो समञअन की गोछी में से गिने गये से! उनहत्तर सहस्र तीन सो थे ॥ २४ ।. और जद के संतान अपने घराने ओर अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियां में और नामें के समान बौस वरस से ऊपर ला जा लड़ाई के याग्य थे॥ ९५। जो जद की गाछठी में से गिने गये से पेंतालीस सहस्त छः से। पचास थ॥ २६। और यहकूदाह के संतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में और नामें की गिनतों के समान बीस बरस से ऊपर लो सब जो लड़ाई के याग्यथ॥ ९२९७। जा यहदाह के घराने में से गिने गय से चाहत्तर सहस्त छः से थ॥ र८। और इशकार के संतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन को पीढ़ियां में और नामें की गिनती के समान बीस बरस से ऊपर ला सब जा लड़ाई के याग्य थे ॥ २५६। ज्ञा इशकार की गाछी में से गिने गये से चो सचारसाथे॥ ३०। और जबुलून के संतान अपने घराने ओर अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में की गिनतो के समान बीस बरस से ऊपर लो सब जा लड़ाई के याग्य थे। ३९ । जो जबूलून को गोष्ठी में से गिने गये सत्तावन सहख चार सो थे। ३२९। वूसुफ्‌ के संतान में से इफ्रायम ९ पतन] की पुस्तक । २५८ के संतान में से अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियां में और नामें की गिनती के समान बौस बरस से लेके ऊपर लें सब जा लड़ाई के थाग्यथ। ३३। जे! इफ्रायम की गोष्ी में से गिने गये से चालीस सहस्त पांच तै। थे। ३४। और मनस्झी के संतान अपने घराने ओर अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियें में और नामें कौ गिनती के समान बौस बरस से लेके ऊपर ला सब जो लड़ाई के योग्य थे। ३५। जा मुनस्की की गाछी में से गिने गये बत्तौस सहस्त दा सौ थे। ३६। और बिनयभीन के संतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में और नामे की गिनती के समान बीस बरस से लेके ऊपर लॉ सब जो लड़ाई के योग्य थे। ३७। जा बिनयमीन की गाष्टी में से गिने गये पेंतीस सहख चार से थे। ₹८। और ट्ान के संतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में ओर नामें की गिनती के समान बीस बरस से लेके ऊपर ला सब जा लड़ाई के योग्य थे। ३९। जो दान की गेए्ठी में से गिने गये बासठ सहस्त सात सै थे॥ ४ ० और यसर के संतान अपने घराने ओर अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में और नामें की गिनती के समान बीस वरस से लेके ऊपर लो सब जा लड़ाई के याग्य थ॥ ४१५। जो यसर की गोषछी में से गिने गये एकतालौस सहस्त पांच सौ थे। ४२। नफताली के संतान अपने घराने और अपने पितरों के घराने के समान उन की पीढ़ियों में और नामे| की गिनती के समान बीस बरस से लेके ऊपर ला सब जा लड़ाई के याग्य थे ॥ ४ ३। जा नफताली की गोष्ठी में से गिने गये तिरपन सहस्त्त चार सो थे॥ ४४ । से। सब जो गिने गये थे जिन्हें मूसा और हारून ने गिना बे हैं और इसराएल के संतानों के प्रधान हर एक अपने अपने पितरों के घरानों में प्रघान था बारह थ॥ ४५। से! वे सबजा इसराएल के सतानों में से अपने पितरों के घरानों में से बीस बरस से लेके ऊपर लो गिने गये सब जा इसराएल में लड़ाई के योग्य थे। ४६। अधथत्‌ सब जो गिने गये थे से। छः लाख तौन सहस्त॒ पांच सै थे॥ ४७। परंतु लावी अपने पितरों की गाछी के समान उन्हें में गिने नहीं गये ॥ ४८। ओर परमेग्वर मुसा से २६० गिनतो [२ पब्थ कहके बाला॥ ४८। केवल लावो को गाछोौ का मत गिन ओर उन्‍हें इसराएल के संतानों की गिनती में मत मिला ॥ ६ ०। परंत लावियों का साक्षी के तंबओऔर उस की समस्त बस्त पर ठहरा वे तंब के गैर उस के पात्रों के! उठाया करें और उन की सेवा करें और तंब के आस पास छावनी करें॥ ५९। ओर जब तंब्‌ आगे बढ़े तब लाबी उसे गिरावे और जब तंब्‌ के खड़ा करना हे। तब लावी उसे खड़ा कर और जो परदशी उस के पास आवे से प्राण से मारा जाय॥ ५२। और इसराएल के संतानों में हर एक अपनी अपनी छावनी में हर एक मन॒व्य अपनी समस्त सेना में अपने ही कमंडे के पास अपना अपना तंब खड़ा करे॥ ४३। परंतु लावो साज्लौ के तंब्‌ के आस पास डेरा करें जिसतें इसराण्ल के संतानों की मंडली पर केप न पड़ ओर लावी साच्छी के तंब की रखवाली करें॥ १४ । से जेसा परमेगश्वर ने मूसा के आज्ञा किई थी इसराएल के सतानें ने उन सभा के समान किया। २ ट्ूसरा पब्बे । षि परमेग्वर मूसा और हारून से कहके बेला | २। कि इसराएल के | संतानों में से हर एक जन अपना म्कंडा और अपने पितरों के घराने की ध्वजा के संग मंडली के तंबू के आस पास टूर डरा करे॥ ३। पबे दिशा में रूय्ये के उदय की ओर यक्नटाह की दावनी अपनी समस्त सेना में मंडा गाड़े आर अस्मिनद॒व का बेटा नहशन यहूटाह के संतान का प्रधान हेवे॥ ४। और उस कौ सेना ओर जो उन में गिने गये से चैहक्तर सहख छः से थ॥ ५४। जर उन के पास इशकार की गाछठो डेरा करे और सग्र का बेटा नतनिएल इशकार के संतान का प्रधान हैेवि॥ ६। और उस की सेना ओर वे जो उन में गिने गये से चेवन सहस्त चार सा थे। ७। फिर जबलन को गाप्ठी ओर हेलन का पत्र अलीयाब जबलन के संतान का प्रधान हावे॥ ८। और उस की सेना . और सब जे डन में गिने गये से सत्तावन सहस्त चार सो थे ॥ €। से सब जा यकूदटाह की छावनी में गिने गये उन की समस्त सेनों में एक लाख छियासी सहस्त चार से थे ये पहिले बढ़े ॥ ५ ० । और दक्खिन दिशा की २ पत्ब] कौ प॒स्तक । २६२९२ ओर रूबिन को छावनी के मस्ांडे उन कौ सेना के समान हेाव और शर्ट्फजर का पत्र इलिस्हर रूबिन के संतान का प्रधान हेवे॥ १५२५। और उस की सेना ओर जो उन में गिने गये से। छियाजीत सहस्त पांच सैाथ॥ २२। ओर उस के पास समअन के संतान की गाष्ठी डरा करे और रूरिशही का बेटा सलमिएल समझन के संतान का प्रधान हेखवे ॥ ९३ | और उस की सेना ओर जो उन में गिने गये से! उनसट सहस्त तोौन से थे। ९४। फिर जद की गाछ्ी ओर रऊणएल का बेटा इलि- यासफ्‌ जट के संतान का प्रधान होवे॥ १५४५ । ओर उस कौ सेना और सब जो उन में गिने गये से पेंतालीस सहसत्र छः सो पचास थे ॥ ९६। से। सब जो रूबिन की छावनी में गिने गये उन कौ समस्त सेनाओं में एक लाख एकावन सहस्त चार से पचास थे वे टूसरी पांती में बढ़े ॥ ९७। तब मंडली के तंब लावी कौ छावनी के मध्य में आग बढ जेसा वे डरा कर वेसा आगे बढ़ हर एक मनव्य अपने स्थान में अपने अपने म्कंड के पास॥ ९५८। पच्चधिम दिशा में इफ्रायम कौ छावनी उन कौ सेनों के समान भ्कंडा खड़ा हाोवे ओर अन्मिकूद का बेटा इलिसमः इफ्रायम के बेटों का प्रधान हेवे॥ १५९। ओर उस की सेना और जो उन में गिने गये से चालीस सहस्त पांच सा थे॥ २०। ओर उस के पास मनस्मझी की गाछी ओर फिटाहरूर का बेटा जमलोएंल म नर््ी के संतान का प्रधान हेवे॥ २९। ओर उस कौ सेना ओर जा उन में गिने गये से बत्तोस सहख दा से थे। २२। फिर बिनयमीन की गाछी ओर जिद जनों का बेटा अबिदान बिनयमीन के सतान का प्रधान हेवे॥ २३। और उस की सेना ग्यार जा डन में गिने गये से। पैंतीस सहस्त चार सो थे॥ २४। से सब जो इफरायम की छावनी में गिने गये उन की समस्त सेनाओं में एक लाख आठ सहतस्त एक से। थे और वे तीसरी पांती में बढ़े ॥ २५। और टान की छावनी का +कंडा उन की सेना कौ उच्तर दिशा में हे।वे ओर अन्मिशही का बेटा अखिअजर ट्ान के सतान का प्रधान हैवे॥ २६। और उस की सेना ओर जा उन में गिने गये से बासठ सहस्त सात सो थ ॥ २७। और उस के पास यसर की गाछी डरा करे ओर अकरान का बेटा फूुजिअशेल यसर के सतान का प्रधान हेवे। २६२ गिनती [३ पच्च २८। और उस की सेना और जे उन में गिने गये से! एकतालीस ल्‍ 32507 की 2६ ८ िप सहस्त॒ पांच से थ॥ २८ । फिर नफताली की गाछी और झनान का बंटा अखिरअः नफताजली के संतान का प्रधान होवे॥ ३०। गज्जार उस की सेना और जो उन में गिने गये से! तिरपन सहस्त चार सै। थे ॥ ३९ । से। सब जा टान की छावनी में गिने गये से एक लाख सत्तावन सहख छ' कौ थेवेअपने म्ंडां का लेके पौछ पीछे बढ़ ॥ ३०। इसराएल के संतानों में जा उन के पितरों के घरानों में गिने गय थे ये हैं वे सब जो तंब्‌ में उन कौ छावनियों की समस्त सेने में जा गिने गये थे छः लाख तोौन सहख पांच से पचास थे॥ ३३। परंत जैसा परमेगश्र ने मसा का ९. ५ डर 02 >> जिद पे आज्ञा किई थी लावो इसराणल के संतानों में नगिने गये॥ ३४। और इसराएल के संतानें ने उन सब आज्ञाओं के जो परमेश्वर ने मूसा से कहीं थीं वैसा ही किया हर एक अपने कुल के समान और अपने पितरों के घरानें के समान उन्‍्हों ने अपने अपने ककंडों के पास डरा किया और वैसा दी आगे बढ़े । ३ तीसरा पत्ये। | व ट्नि परमेश्वर ने सौना पहाड़ पर मस से बातें किई हारून और सा की पीढ़ी थे हैं॥ २। और हारून के बंटों के ये नाम हें नट्व पहिलेंठटा और अबिक् ओर इलिअजर ओर ईतमर॥ ३। हारून याजक के बेटों के ये नाम हें जिन्हें उस ने याजक के पद की सेवा के लिये स्थापा और अभिषेक किया। ४। ओर नटब और अविह्न जब उन्‍्हों जे सीना के अरण्य में परमेश्वर के आगे उपरी आग चड़ाइ तब परमेम्पर के आगे निधश मर गये और इलिअजर ओर ईतमर अपने पिता हारून के समीप याजक के पद में सेवा करते थे। ५। फिर परमेग्र मसा से कंहके बेला॥ ६ । कि लावी की गे।छी के समीप ला और उन्‍हें हारून याजक के आग कर जिसतें वे उस की सेवा करें ॥ ७। ओर वे उस की आज्ञा की ओर मंडी के तंब के आगे समस्त मंडलो कौ रक्षा करें जिसतें तंब की सेवा कर॥ ८झ। और वे मंडलौ के तंब के सब पात्र ओर इसराएल के संतानें का पालन करें जिसते तंबू की सेवा करें॥ €। ३ पब्ब ] कौ पदस्तक । र्‌ईर३ और तू लाबियों के! हारून और हारून के बेटों के सौंप दे इसराण्ल के संतानें में से ये उसे सबैथा दिये जायें॥ ५०। और हारून के गऔऔर उस के बटां के ठहरा कि याजक के पट में सिद्टू रहें और जा अन्यरे शो पास आवे से! मार डाला जाय॥ ९९ । फिर परमेस्वर मूसा से कहके बोला॥ ९२। ट्ख में ने इसराएल के संतानों में से उन सब पहिलोठों की संती जो इसराएल के सतानों में उत्पन्न हेते हें लाबियां के ले लिया से इस लिये लावी मेरे लिये हांगे॥ ९३। इस लिये सारे लावी मेरे हें कि जिस ट्न में ने मिख की भूमि में सारे पहिलट मारे में ने इसराएल के संतानों के सब पहिलोंठ क्या मनुच्य के क्या पश्‌ के अपने लिये पवित्र किये वे मेरे होंगे में परमेश्वर #ं॥ २४। फिर परमेश्वर सोना के अरण्य में मूसा से कहके बेला॥ ९४। कि लावी के सतानें के उन के पितरों के घराने ओर उन के कुल में गिन हर एक पुरुष एक मास से लेके ऊपर लॉगिन ॥ १६। से परमेग्वर के बचन के समान जैसा उस ने आज्ञा किईं थी मसा ने उन्हें गिना॥ २७। से लावी के पत्र के नाम ये हें जेरसन और किहात और मिरारी॥ ९८। जैरसन के बेटों के नाम उन के कल में ये हैं लिबनी और शमई॥ २१५९। और किहात के बेटे अपने घराने में अमराम और इजहार ओर हबरून ओर उज्जिएल हैं ॥ २०। और मिरारी अपने घराने में महली और मसी हैं से। लावी के कल उन पितरों के घरानों के समान थे हैं॥ २५। जैरसन से लिबनी का चघराना और शमई का घराना ये जेरसनियों के घराने हें ॥ ९२। जैसा सारे परुषां के गिनने के समान जो उन से गिने गये एक मास से लेके ऊपर लॉ सात सहस्तर पांच सोथ॥ २३। जरगसानयों के घराने तंब के पीछ पदच्यिम दिशा में अपना डरा खड़ा करें॥ २४।आओर लणल का - बेटा इलियासफ जेरसननियां के पितरों के घराने का प्रधान हेवे॥ ३५ । और मं॑डली के तंब में जैरसन के बेटां कौ रखवाली में तंब और उस के ओआमकल ओर मंडली के तंब के द्वार के अम्कल॥ २६। और आंगन के ऑम्शल गर उस के द्वार के णेक्दल जो 'तंब और यज्ञवेदी की चारों आर है और उस की रस्की ओर उस की सब सेवा उन कौ हेागी॥ २७| और किहात से अमरामियां का घराना और इसहारियां का घराना २६४ गिनती [३ पब्ब और हबरूनियां का घराना ओर अजिएलियों का घराना ये सब किरा- तियों के घराने हैं॥ २८। उन के सारे परुष अपनी गिनती के समान एक मास से लेके ऊपर ला सब आठ संहस्त छः सो थे पवित्र स्थान की रखवाली करते थे॥ २«। किहात के बंटों के घराने तंबू की दक्खिन दिशा में डरा खड़ा करं॥ ३०। और अजिएऐल का बेटा इलिसफ्न किहात के घरानों का प्रधान हेस्‍ ॥ ३५। और मंजषा और मंच ओर टौअट और बेटी और पवित्र स्थान के पात्र जिन से सेवा करते हैं ओ्कल और उन की समस्त सेवा की सामग्री उन की रखवाली में रह ॥ ६२। और हारून याजक का बेटा इलिअजर लावी के प्रधानों का प्रधान जो घाविजःस्थानःकी रखवाली करे॥ ३३ |«मिखरोःसे मुहलियां का घराना ओर म्रसियों का घराना ये मिरारी के घराने हैं ॥ ३४। डन के परुषों की जा गिनती के समान एक मास से लेके ऊपर लो सब जा गिने गये थे कः सहस्त टा सा थे। ३५। और अबिखेल का पत्र रूरिएल मिरारियों के घराने का प्रधान हे! और ये तंब की उत्तर टिशा में डरा खड़ा करें ॥ ३६ । ओर तंब का पाट और उस के अडंगे और उस के खंभे और उस की चरगहनी ओर सब जे उस की सेवा में लगते हें मिरारो के बयां की रखवाली में हावे॥ ३७। ओर आंगन की चारों आर के खंभ और उन की चरगहनी ओर उन के खंटे ओर उन की डारियां॥ ३८। परत वे जो तंब को पब ओर मंडली के तंब के आग पब दिशा के मसा आर हारून गर उस के बेटे जा पवित्र स्थान की ओर इसराएल क संतानों की रखवाली करें ओर जा परदृशों पास आवे से मार डाला जाय ॥ ३८। से लावियों में से सब जो गिने गये जिन्हें मूसा ओर हारून ने परमेग्वर की आज्ञा से उन के घराने में गिना सब परुष एक मास से लेके ऊपर लो बाईस सहस्व थे। ४०। फिर परमेग्वर मे मसा से कहा कि इसराएल के संतानों के सारे पहिलोंठ पत्रां को एक मास से लेके ऊपर ला गिने ओर उन के नामों कौ गिनती ले॥ ४९। ओर मेरे लिये जा परमेग्वर हू लावियां के। इसराएल के संतानों के सब पहिलोंट बयां की संती ओर लावियों के पशओं के इसराएल के संतानें के सब पशओं की संती जो पहिले उापन्न हुए हें ले। ४२। ओर जैसा परमेम्वर ने उसे ४ पब्बे] की पत्तक। रद आज्ञा किई थी मसा ने इसराएल के संतानों के समस्त पहिलॉंठां का गिना॥ ४३। से सारे पहिलोंठ पुरुष बे उन के नामें को गिनती के समान एक मास से लेके ऊंपर जो जा गिने गये बाईस सहस्र दो सै तिहत्तरथे॥ ४४। फिर परमेश्वर मसा से कहके बाला॥ ४५। कि इसराएल के संतानें के सारे पहिलोंटां की सती लावियों के! और उन के पशणं की संती लावियों के पश्ओं के ले और लावी मेरे होंगे मैं परमेश्वर हूं॥ ४६। और दो मे। बचत्तर इसराएल के संतानों के पहिलोंठ जो छड़ाया जाना हैँ लावियों से अधिक हैं॥ ४७। पवित्र स्थान के शकल के समान मनुव्य पीछे पांच शकल ले एक शकल बौस गिरह है॥ ४८। और तू उस का मेल जो गिनती से ऊपर छुड़ाया जाना है हारून और उस के बेटों का ह॥ ४८। से मूसा ने उन के छड़ाने का रोकड़ लिया जा लावयों से छड़ाये जाने से डबरा था ॥ ६ ०। इसराएल के संतानों के पहिलोंठे में से एक सहस्त तीन से पेंसठ पवित्र स्थान के शकल से रोकड़ लिया॥ ५१५ । ओर मसा ने उन के रोकड़ के जा छड़ाये गये थे परमेश्वर की आज्ञा से हारून और उस के बेटों का दिया ॥ 5५ 6 ४ चाथा पन्ने । णि परमेश्वर मूसा और हारून से कहके बोेला॥ २। किहात के बेटों के। लावी के बेटों में उन के पितरों के घराने की ओर उन के कुल को गिनती ले॥ ३। तीस बरस से लेके पचास बरस लो सब जा सेना में पैठते हैं कि मंडली के तंब में सेवा करं॥ ४। मंडली के तंब में और उन बस्तन में जा अति पवित्र क्लें किहात के बेटों की सेवा यह कै॥ ५। और जब छावनी आगे बढ़े तब हारून और उस के बेटे आंवें और टांपने के घटाटाप उतारें और उद्ते साच्ती की मंजषा के! ढठापे॥ ६। ओर उस पर नीली खालों का घटाटाप डाल और उस के ऊपर नौला कपड़ा बछावं और उस का बहंगर उस में डालें॥ ७। भेंट की रोटी के मंच पर नोला कपड़ा विकछा और उस पर पात्र और करछल और कणारा और ठढांपने के लिथे ठपने उस पर रकक्‍वें और नित्य को रोटो उस पर 34 ७ $ २६६ गिनतो [४ पच्बे हेवे॥ ८। और उन पर लाल कपड़ा बिछावें ओर उसे नीली खाल से ढांप और उस में बहंगर डालें॥ ८ । फिर नौला कपड़ा लेके प्रकाश की दटीअट ओर उस के ढदीपकों के! और उस के फल कतरनियों और उस के पात्र ओर उस के सब तेल के पात्रों पर जिस्मे सेवा करते हैं ढांप ॥ ९५०१ और उसे और उस के सब पात्रों के नौली खालेर के आड़ में रकखें और उसे अडुंंगा पर रक्खें ॥ १५५। ओर सेनिैली यज्ञवेटी पर नीला बस्त बिछावें ओर उसे नीली खालों के ठपने से ढांपें और उस में बचंगर डालें॥ ९२। ओर समस्त प जो के! जो पवित्र स्थान की सेवा में आते हैं लेके नोले कपड़ों में लपेट और उन्हें नोली खाले से ढांपें और बहंगर पर रक्‍खं ॥ १५३। और बेदी में से राख निकाल फेंक ओऔ।र लाल कपड़ा उस पर विकाव॥ ९४। ओर उस के सारे पात्र जिस्मे वे उस की सेवा करते हें अर्थात्‌ घपावरी और मांस के कांटे और फावड़ियां और कटोरे और बेटी के समस्त पात्र उस पर रकखें और उन्‍हें नीली खालों से ढांप॑ और उस में बहंगर डालें॥ ५५। गैर जब हारून और उस के बेटे पवित्र स्थान के! ओर उस की सामग्री के ढांप चकें तब छावनी के आगे बढ़ने के समय में किहात के सतान उस के उठाने के लिये आव परंत वे पवित्र बक्त का न छब न है| कि मर जाव मंडली के तंब को बच्त क््‌हात के संतानों के। उठाने पडेगी॥ २९६। ओर दौोपकें के लिये तेल ओर सगंघध घप ओर समस्त तंब ओर सब ज्ञा उस में है ओर उस के पात्र हारून याजक का बंटा इलिअजर देखा करे॥ २९७। फिर परमेश्वर मंसा ओ र हारून से कहके बेला॥ ९८। कि लावियों में से क्हात के घराने की गाडी के काट न डालियोा॥ १५७८। परत उन से एसा करा कि वे ज॑ वें आर अति पवित्र बक्तुन के समीप आने से न मरें हारून आर उस के बेटे भीतर जाये और उन में से हर एक के! उस की सेवा पर और बास्क उठाने पर ठहरावं॥ २०। परंतु जब कि पवित्र बस्त ढांपी जाव ते वे उन्हें टेखने न आबें जिसतें मर न जावे॥ २९ । फिर परमेग्वर मूसा से कहके बाला॥ २२। कि जेरसन के बंटों का भी उन के पितरों के - समक्ष्त घराने उन के कुल कुल के समान गिनती करोा॥ २३। तौस बरस से लेके पचास बरस लो सब जोए सेवा के लिये भीतर जाते हें कि ४ पब्वे] की पस्तक | २६७ मंडली के तंब को सेवा करं उन की गिनती करे ॥ २४। जैरसनियां के कुल की सेवा ओर बाम्क उटाने के लिये यही कार्य हे॥ ५५ । और वे तब के गेल गर उस का घटाटाप और नौलो खालें का घटाटोप जो उस पर है और मंडली के तंब के द्वार का आट उठावं॥ २६ । और आंगन के ओआट और आंगन के द्वार का ओट जा तंब और बरौ के चारों ओर हें ओर उन की रस्पमियां ओर सब पात्र जो उन की सेवा के कारण हैं और सब काम जा उन के कारण अवश्य हें वे करं ॥ २७। जैरसन के बेटों की सारी सेवा बाम्क उठाने में ओर सब काम करने में हारून और उस के बेटों कौ आज्ञा के समान हावे और तम उन में से हर एक का बाकक ठहरा दौजिया॥ २८। जेरसन के संतान के कुल की सेवा मंडली के तंब में यह है ओर वे हारून याजक के बेटे ईतमर की आज्ा में हैं ॥ २८ । मिरारी के बट डन के पितरों के घरानों और उन के कुल के समान उन की गिनती करो ॥ ३० । बीस बरस से लेके पचाघ बरस ले उन सब के जो सेवा में पहुचते हें जिसतें मंडली के तंब की सेवा करें गिन॥ ३९। ओर उस सेना के समान जा मंडली के तंब में उन के लिये है उन के बास्कत थे ठहरें तंब के पाट ओर उस के अडंग और उस के खंभे और उस की चुरगहनी ॥ ३९। ओर आंगन के खंभे जो चारों ओर हैं: और उन को चुरगहनी ओर उन के खंटे और डन की रस्तियां और उन की समस्त सामग्री सेवा समेत और उन की सामग्री के बास्ते का नाम ले लेके गिन। ३३ | से मिरारी के बेटे के कुल की सेवा जा मंडली के तंब्‌ की समस्त सेवा के समान यह हे वे हारून याजक के बेटे ईतमर के अधीौन रहें॥ ३४, से मसा ओर हारून और मंडली के प्रधानों ने क्हातियां के बेटां के उन के पितरों के घरानें के और उन के कुल के. समान गिना॥ ३४ | तोौस बरस से लेके पचास बरस लो उन सब का जा सेवा के लिये पहुंचते हैं जिसतें मंडली के तंब की सेवा करें एक एक करके ग्रिना॥ ३६। से वे जे अपने घराने के समान गिने गये ट्रा सहस्त सात सो पचास थे। ३७। वे सब ये हैं जा किहात के घरानों में से मंडली के तंबू की सेवा के लिये गशिने गये जिन्हें मसा और हारून ने परमेम्वर को आज्ञा के समान जा मसा की ओर से कही थी गिना र्द्८ गिनती [५ पब्ब ह₹८। और जैरसन के बेट जा अपने पितरों के घरानें के समस्त कुल के समान गिने गये ॥ ३८ । तीस बरससे लेके पचासबरस ले सब ज। सेवा के लिये पहुंचते हैं जिसतें मंडली के तंब की सेतरा करं॥ ४० । वे सब जा उन के पितरों के घरानोां और .उन के समस्त कुल के समान गिने गये दो सहसत छः से। तीस हुण।॥ ४९। वे सब य हें जा जेरसन केबटां के घरानों में से मंडली के तंब की सेवा के लिये गिने गये जिन्हें मसा ओर हारून ने परमेग्घर की आज्ञा से गिना। ४२। ओर मिरारी के बेटे के पितरों के चराने ओर उन के समस्त कुल जा गिने गये थे॥। ४३। तीस बरस से लेके पचास बरस लो हर एक जो सेवा के लिये पहुंचते हैं जिसतें मंडली के तंब की सेवा करें॥ ४४। अथात वे जा उन के कुल में गिने गये थे तीन सहख दा मै थे। ४५ । वे सब ये हें जा मिरारी के बट के कुल में से जो गिने गये जिन्हें मसा ओपर हारून ने परमेग्वर की आज्ञा के समान जो मसा की ओर से कह्दी थी गिना॥ ४६। सब जो लावियों में से गिने गये थे जिन्हें मसा ओर हारून और इसराएल के प्रधानों ने डन के पितरों के घराने और उन के कुल के समान गिना। ४७। तोौस बरस से लेके पचास बरस ला गिना जा सेवा के लिये पहुंचते हैं जिस में मंडली के तब की सेवा करं ओर बास्क उठावं॥ ४८। अथात वे जा उन में गिने गये थे आठ सहख्र पंच सो अस्सखोथ॥ ४८। मसा की ओर से परमेम्थर की आज्ञा के समान वे गिने गये हर एक अपनी सेवा और बेम्क उठाने के समान जैसा परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई थी वैसा हो वे मूसा से गिने गये ॥ ५ पांचवां पब्बे । हि परमेश्वर मसा से कहके बेला॥ २। कि इसराएल के संतान 7 आज्ञा कर कि हर णक कोढ़ी ओर प्रमेह्दी के! और जो रूत्य से अशइडू हे डन के छावनी से बाहर कर दवें॥ ३। क्या स्त्री ओर क्या परुष तम उन्‍हें छावनी से बाहर करा जिसतें अपनी छावनियां को जिन के मध्य में में रहता हूं वे अशदड्वन नकरें॥ ४। से इसराएल के संतानों ने ऐसा दही किया ओर उन्हें छावनी से बाहर कर टिया जैसा ५ पब्ब] कौ पुस्तक । २६८ परमेमग्यर ने मूसा के आज्ञा किई थी वैसा ही इसराएल के संतानों ने किया ॥ ५ । फिर परमेग्र मूसा से कहके बाला ॥ ६। कि इसराएल के संतानों का कह कि जब काई पुरुष अथवा स्त्री परमेम्घर से बिरुड्न हेके ऐसा काई पाप करे जो मनव्य करते हें ओर देण्षी हे। जाय॥ ७। तब अपने पाप को जो उन्हें ने किया है मान लेंवें और वुद्द मूल के संग पांचवां अंश मिलावे और अपने अपराध के पलटा के लिये उसे दवे जिस का उस ने अपराध किया है॥ ए८। परंतु यदि अपराध के पलटा देने के। उस मनुय्य का काई कुटुम्ब न हेवे तो वुच्द प्रायश्चित्त के मेह़ से अधिक जिस्म उस के लिये प्रायश्चित्त हावे॥ <। उस अपराध की संती परमेश्वर के लिये याजक का दवे और इसराएल के संतानों की सारी पवित्र बस्तुन की सब भेंटें जो वे चढ़ाते हैं याजक कौ हांगी॥ ९०। ओर हर एक मनुव्य की पवित्र बस्तें उस की होंगी जो कुछ याजक के ट्ेगा उस की हे|गी॥ १५९। फिर परमेग्यर मसा से कहके बाला ॥ १५२ । कि इसराएल के संतानों के! कहके बाल कि.यदि किसी की पत्नी अलग हेके उस के बिरुड्व काई अपराध करे॥ २३। और कोई उर्हे व्यभिचार करें और यह उस के पति से छिपा हे और ढंपा हे! और वुच् अशड् हे। जाय और उस पर साक्षी न हेवे और वह पकड़ी न जाय॥ २९४। और उस के पति के मन में भूल आवे और वुद्र अपनी पत्नों से कल रकक्‍वे और वह अशडू हे अथवा यदि उस के पति के मन में कूल आवे ओर वुच्द अपनी पत्नों से कल रक्‍वे और वुच्त स्त्री अशुड्ध न हैाय॥ ९५। तब बुच्द मन॒व्य अपनी पत्नौ के याजक पास लावे ओर वुच्द उस के लिये एक ईफा का दसवां भाग जव का पिसान उस कौ भेंट के लिये ...वे और वुद्द उस पर तेल और लुबान न डाले क्योंकि वुद्द कल की भंट पाप के चत में लाने के लिये स्मरण की भेंट क्षे।॥ १५६। तब याजक उस स्त्री के। पास बलावे ओर परमेग्वर के आग उसे खड़ौ करे॥ ९७। ओर याजक मद्दी के एक पात्र में श्‌्द्ू जल लेवे और तंबू के आंगन की घूल लेके उस पानी में मिलावे॥ ९ शँ फिर याजक उस स्त्री के परमेश्वर के आगे खड़ी करे और उस का सिर उचारे और स्मरण को भेंट जे कल कौ भेंट है उस के हाथे| पर रकखे २७० गिनती [५ पब्बे और याजक उस कड्वे पानी के जा घिक्कार के लिये है अपने हाथ में लेवे। ९५८। ओर उस स्त्री के किरिया टके कहे कि यटि किसी ने तम्क से कुकस्य नहीं किया ओर त केवल अपने पति के छोड़ अशडू मारे में नहों गई ता त इस कड़वे पानों के गण से जा घिक्कार के लिय हे बची रहे॥ २०। परत यदि त अपने पति का छाड़के भटक गई हे। और अशद हुई है। ओर अपने पति के छाड़ किसी ट्ूसरे से कुकर्स्स किया हैे॥ २१५। और याजक उस स्त्रो के! साप की किरिया टेवे और उसे कहे कि परमेश्वर तेरे लागों के मध्य में तम्के स्वाप ट्वे कि परमेग्रर तेरी जांघ के! सड़ावे ओर तेरे पेट के फलावे॥ २९। ओर यह पानी जो स्ताप के कारण हाता हु तरी अतड़ियां में जाके तरा पेट फलावे और तेरी जांघ के। सड़ावे और वह स्त्री कहे कि आमीन आमीन॥ २३। फिर याजक उन घिक्कारों के एक पस्तक में लिख और कड़वे पानी से उसे मिटा रे ॥ २४। और याजक वह कड़वा पानी जा खसाप के कारण हेता क्षे उस स्त्री के! पिलावे तब वह पानी जो सख्वाप के कारण हेता हे उस में कड़वा पैठेगा॥ २५४। फिर याजक उस स्लौ के हाथ से सकल की भेंट लेके परमेग्वर के आगे उसे हिलावे और यज्ञवदी पर चढ़ावे। २६। ओर उस भेंट के स्तरण के लिये एक मुट्ठी लेके याजक बेटी पर जलावे उस के पीछे वह पानी उस स्तौं के पिलावे॥ २७। गऔर जब वह पानी उसे पिलावेगा तब ऐसा हेगा कि यदि वुच्द अशइडू हेवे और वह अपने पति के बिरुड्ड कुछ अपराध किया हे। तो वह पानी जा खाप के कारण होता हु उस के शरौर में पहुंचके कड़वा हे। जायगा और उस का पेट फलेगा और उस की जांघ सड़ जायगी और वह स्त्री अपने लागों में घिक्कारित होगी॥ र२प८्। परंत यदि वह अशडू न हे परंत शड्ू हेावे ते। बह निर्टा/ष होगी और गशिएी हेगी॥ २८। उस स्त्री के कारण जो अपने पति के। छोड़के भटकती हे और अशइड है सकल के लिये यह व्यवस्था क्षे। ३०। अथवा जब पुरुष के मन में माल आये और वह अपनी पल्ञी से संट्ह रक्खे और स्त्री के! परमेग्र के आगे खड़ी करे ओर याजक उस पर ये सब व्यवस्था पूरी करे॥ ३९। . ते परुष पाप से पवित्र हैगरा और बुह सती अपना पाप भागगी ॥ ६ पब्ये कौ प॒स्तक ॥ २७९ ६ छटावां पब्बे । | परमेम्वर मुसा से कहके बेला ॥ २। कि इसराएल के संतानों 7 कहके बाल कि जब कोई पुरुष अथवा स्त्री आप के अलग करने के लिये नसरानी की मनोती ईसग्वर के लिये माने॥ ३। तो वच दाखरस से ओर तौक्षण मदिरा से अलग रहे ट्खरस का सिरका अथवा तोचछण मद्रा का सिरका न पीये ओर अंगूर का केाई रस न पीये और न भौंगा अथवा रूखा अगर खावे॥ ४। ओर अपने अलग हे।ने के सब दिनों में काई बस्त जो दाखों से उत्पन्न हेतती हे बीज से लेके उस के छिलके लॉ न खावे॥ ५। और अपने अलग हेने की मनेती के सब दिनों में सिर पर छरा न फिरावे जब ला उस के अलग किये गये दिन बीत न जावें बच इंगश्र के लिये पवित्र क्"े अपने सिर के बालों का बढ़ने टवे॥ ६। वह परमेग्वर के लिये अपने सारे अलग हेने के दिनों में लाथ के पास न जाये॥ ७। वह अपने माता पिता अथवा अपने भाई बहिन के लिये जब वे मर जाव आप के अशःद्न न करे क्येंकि उस के ईम्वर की स्थापना उस के सिर पर हे ॥ ८। बह अपने अलग हेएे के सब दिनों में परमेम्घर के लिये पवित्र हे॥ <। और यदि काई मनव्य अकस्मात उस के पास मर जाय और उस के सिर के स्थापित के अपवित्र करे तो वह अपने पवित्र हाने के टिन अपना सिर मड़ावे सातवें दिन सिर मड़ावे॥ १५०। और आठवें टन दो पिण्डकी अथवा कपेत के द्वा बच्चे मं डलौ के तंब के द्वार पर याजक पास लावे॥ ९१९। और याजक णक के पाप कौ भेंट के कारण ओर ट्ूसरे के हेम की भेंट के लिये चढ़ावे और उस अपराध का जा म्टतक के कारण से हुआ प्रायश्यित्त ह वे और अपने सिर के उसी दिनपवित्र करे॥ १२। फिर अपने अलग हेने के दिनों के परमेग्वर के लिये स्थापित करे और पहिले वरस का एक भेग्ना पाप की भेंट के लिये लावे परंतु उस के आगे के दिन गिने न जायेंगे क्योंकि उस को भंट अपवित्र हे! गई॥ २९५३। नसरानी हेने के लिये यह ब्यवस्था हूं जब उस के अलग हेतने के दिन परे हे तब वह मंडली के तंब के द्वार पर लाया जावे। १४। ओर वह परमेग्वर के लिये अपनी भेंट पहिले र२डर ु गिनती [& पढ्छे बरस का एक निरदाष मेम्ना हेाम की भेंट के लिये और पाप कौ भेंट के लिये पहिले बरस की एक भेड़ी ओर कशल की भेंट के लिये एक निर्देषण मेढ़ा॥ ५५। और एक टोकरी अखमीरी राटियां और चेखे पिसान की परी और अखमीरी लिट्ठी तेल में चपड़ीं हुई उन के खाने की और उन के पीने की भेंट ॥ १५६। और याजक उन्‍हें परमेग्थर के आगे लाके उस के पाप की भेंट के और उस के हेम की भेंट के। चढ़ावे। ५७। और परमेश्वर के कारण एक टाोकरा अखमीरी रोटी के साथ उस मेढे के। चढ़ावे और याजक उस के खाने की और पीने की भेंट भी चढ़ावे ॥ ९८ै। फिर वह नसरानी मंडली के तंब के द्वार पर अपने अलग हेने के लिये सिर मड़ावे और उस के अलग हेने के सिर के बालों के लेवे और उस आग में जा कशल की भंट के बलिदान के तले हे डाल टवे॥ ९५<८। जब अलग हेने के लिये मड़ाया जावे तब याजक उस मेंढ़ का सिस्काया हुआ कांघा और टोकरी में से एक अखमीरी फलका ओर एक अखमीरी लिट्टी लेके उस नसरानी के हाथां पर रक्खे ॥ २०। फिर याजक डन्‍्ह हिलाने की भेंट के लिये परमेगख्वर के आगे हिलावे यह हिलाने की छातो औ,और उठाने का कांघा याजक के लिये पवित्र हे उस के पीछ नसरानी ट्राक्वारस पी सके॥ २९। नसरानी की मनेती की व्यवस्था परमेश्वर के लिये उस के अलग हेलने की भेंट जो उस के हाथ पहुंचने से अधिक उस की मने।ती के समान अपने अलग हेाने की ब्यवस्था के पीछे अवश्य यों करे॥। २२। फिर परमेगर मूसा से कहके बेला॥ २३। कि हारून के। ओर उस के बेटों के! कह कि इसराएल के संतानों का यें। आशीष इके उन्हें कहिया।॥ २४। कि परमेश्वर तुझे आशोष ट्वे और तेरी रच्ता कर ॥ २४ । परमंगच्यर अपना रूप तक्त पर प्रकाश कर ओर तम्क पर अनग्रह कर॥ २६। परमंग्वर अपना रूप तक पर प्रकाश कर और तस्मे कुशल देवे॥| २७। और वे मेरा नाम इसराएल के संतानों पर रक्खें और में उन्‍्हं आशीष दऊंगा ॥ ७ पब्ब] कौ पद्तक |. २७३ ७ सातवां पब्ब ॥ 7र ऐसा हुआ कि जिस टिन मसा तंब खड़ा कर चका ओर उसे और उस कौ समस्त सामग्रो के अभिषेक करके पवित्र किया बेदी के। उस के समस्त पात्र सहित अभिषेक करके पवित्र किया॥ २। तब इसराएल के अध्यक्ष जे! अपने पितरों के घरानों में प्रधान ओर गोछियों के अध्यक्ष और उन में जो गिने गये उन के ऊपर श्रे भेंट लाये ॥ ३। ओर ढ़ापी हुई छः गाड़ियां ओर बारह बचिया बेल अपनी भंट परमेश्वर के आगे लाये दो दो अध्यक्ां के लिये एक एक गाड़ो और हर एक की ओर से एक एक बैल से वे उन्‍हें तंब्‌ के आगे लाथे ॥ ४। तब परमेगम्वर ने मसा से कहा ॥ ५। कि यह उन से ले जिसतें वे मंडली के त॑ब की सेवा में आवें और उन्‍हें लाविथां को ट हर एक के उस कीं सेवा के समान ॥ ६। से मसा ने ग.ड़ियां ओर बेल लेके लावियां का दिये। ७। दो गाड़ियां और चार बेल उस ने जेरसन के बेटां के उन कौ सेवा के समान दिये॥ ८। ओर चार गाड़ियां और आठ बैल मिरारी के संतान के जो हारून याजक के पुत्र ईतमर के अधौन थे उन की सेवा के समान दिये॥ «। परंतु उस ने क्हात के बटां के कुछ न ट्या इस लिये कि पवित्र स्थान की सेवा जा उन के लिये ठहराई गई यह थी कि वे अपने कांघां पर उठाके ले चलें ॥ ९०। ओर जिस ट्नि कि बेदौ अभिषेक किई गई अध्यक्षां ने उस के स्थापित के लिये चढ़ाई अथेात अध्यक्षां ने बेदी के आगे भेंट चढ़ाई॥ ९५९। तब परमेस्वर ने मूसा से कहा कि हर एक अध्यक्ष बेटौ को स्थापित करने के लिये एक एक दिन अपनी अपनी भेंट चढ़ावे॥ ९२। से| पहिले दिन यहकूदाह की गोषछ्ी में से अम्मिनट्व के पत्र नहशन ने अपनी भेंट चढ़ाई ॥ १५३। ओर उस की भट ये थीं एक चांदी का थाल जिस की ताल पोने तौन सेर थो ओर चांदी का एक कटारा एक सेर डढ़ पाव का पवित्र स्थान की तोल से ये दाने के दानों भाजन की भंट के लिय तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुए॥ १५४। एक करकछल एक सौ सवा पकछत्तर भर की धूप से भरो हुई॥ ९५ । होम कौ भेंट के लिये 35 47 के जे. २७४ गिनतो [७ पब्बे एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का णक भेम्ना॥ २९६। पाप की भेंट के लिये एक बकरी का मेम्ना॥। ९७। ओर कुशल की भेंट के बलिदान के लिये हा बैल पांच मेंढे पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेग्ने ये अम्मिनटब के बेटे नहशन की भेंट॥ २८। टूसरे दिनसग्र के बेटे नतनिएल ने जा इशकार का अध्यक्ष था अपनी भंट चढ़ाई॥ ९५6८। और उस की भेंट यह थी पोने तीन सेर भर चांदी का एक थाल और चांदी का एक कथोरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की ताल से थे हानों के दोनों भाजन की भेंट के लिये तेल से मिले हुए चाख पिसान से भरे रुए। २०। सेने की एक करकल एक सो सवा पकछत्तर भर घूप से भरी हुई॥ २९। एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेस्न्ा होम की भेंट के लिये। २२। पाप की भेंट के लिये बकरो का एक मेम्ना॥ २३। और कुशल की भेंट के बलिदान के लिये दा बेल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेन्‍्ने सग्र के बेटे नतरनिणिल की भेंट थी॥ २४। तौोसरे दिन हेलन के पत्र इलिअब ने चढ़ाई जा जबलन के बंश का अध्यक्ष था॥ २४। उस की भेंट यह थी पोने तोन सेर चांदी का एक थाल और एक सेर डेढ़ पाव का चांदी का कथोरा पवित्र स्थान की ताल से दानों के दानां भाजन की भेंट के लिये तेल से मिले हुए चेखे पिसान से भरे हुए। २६। सेने की एक करछल एक ते सवा पछत्तर भर धघृप से भरी हुई॥ २७। एक बछड़ा एक मेंढ्रा पहल बरस का णक मेम्ना हेमम की भेंट के लिये॥ २८॥ बकरी का एक मेम्ना पाप की भेंट के लिये॥। २८। और कुशल कौ भेंट के बलिदान के लिये दा बैल पांच मेंढ़ पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेग्ने हेलून के पत्र इलिअब की भेंट थी॥ ३०। चौथे दिन शदेजर के बेटे इलिस्टर ने चढ़ाई जो रूबिन के बंश का अध्यक्ष था॥ ३९। उस की भेंट यह थी चांदी का एक थाल पाने तीोन सेर का और चांदी का एक कटरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की ताल से ये दानों के दानें भेाजन को भेंट के लिये तेल से मिले हुए चाख पिसान से भरे हुणए। ३२। सोने की एक करकल एक सो सवा पछत्तर भर घ॒प से भरी हुई॥ ३३। हेम को भंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले ७ पच्चे ] की पशस्तक। रडपू बरस का एक मेम्ना॥ ३४। पाप की भट के लिये बकरी का एक मेम्ना। ३५। ओर कुशल की भेंटां के बलिदान के लिये दा बैल पांच मेंढ पांच बकरे पहिले बरस के पांच भेग्ने श्टेकर के बंटे इलिस्हर की भेंट थी॥ ३६। और पांचवें दिन रूरिसहौौ के बेटे सलूमिण्ल ने जो शमअन के बंश का अध्यक्ष था अपनी भेंट चढ़ाई॥ ३७। उस की भर यह थी चांदी का एक थाल पाने तीन सेर का ओर चांटौ का एक कटोरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की ताल से थे ट्ोनों के दानों भाजन की भेंट के लिये तल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुए ॥ ह३८। सेने की एक करकल एक से सवा पक्तत्तर भर कौ घूप से भरी हुई॥ ३८। हेम की भेंट के लिये एक बछड़ा णक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना। ४०। पाप की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना॥ ४९। झऔर कुशल की भेंटां के बलिदान के लिये टो बैल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेम्ने र्ूरिसहौ के बेटे सलूमिएल कौ भेंट थी॥ ४२। छठवें दिन दअण्ल के बट इलयासफ ने चढ़ाई जा जद के बंश का अध्यक्ष था ॥ ४३। उस की भेंट चांदी का एक थाल पोने तीन सेर -का ओर चांदी का एक कटोरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान कौ तोल से ये दोनों के दोनों भेजन की भेंट के लिये तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुण। ४४। सेने की एक करकछुल एक सै सवा पकतत्तर भर को धूप से भरो हुई॥ ४५४ । हे।म की भेंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना॥ ४६॥ पाप कौ भंट के लिये बकरी का एक मेम्ना। ४७। और कुशल को भट के लिये दो बेल पांच मेंढ़ पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेम्ने द्अण्ल के बेटे इलियासफ्‌ कौ भेंट थी॥ ४८। और सातवें दिन अन्मिक्नद के बटे इलिसमः ने जो इफरायम के बंश का अध्यक्ष था॥ ४८९। उस की भंट यह थी कि चंदटो का एक थाल पोने तीन सेर का और चांदी का एक कटारा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की तेल पे ये दानों के दानां भेबजन की भंट के लिये तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुए॥ ५४०। सेने की एक करछल एक से सवा पकतत्तर भर को धूप से भरी हुई॥ ५१९। होम की भंट के लिये एक बकड़ा एक मेंढ़ा २५३६ गिनती [७ पच्चे पहिले बरस का एक मेम्ना। ५२। पाप कौ भंट के लिये एक बकरी का भेम्ना ॥ ५३। ओर कुशल की भटां के बलिदान के लिये टदोबैल पांच मेंढ़ पांच बकरे पहिले बरस क पांच मेन्न्रे अस्मिह्ूट के बेटे इलिसम: की भट थी॥ ५४। आठवें दिन फिटाहरूर के बेटे जमलीएल ने जो मनस्खो के बंश काअध्यक्ष था॥ ५५ । उस की भंरट यह थी चांदी का एक थाल पौने तीौन सेर का और चांदी का एक कटरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान को ताल से ये ट्नों के दानां भाजन कौ भेंट के लिये तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुए ॥ १६ ।सेे की एक करछल एक सो सवा ८छत्तर भर की घूप से भरी हुई ॥ ४७। हे की भंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना ॥ ५८। पाप की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना ॥ ५८। और कुशल की भेंट के बलिदान के लिये टो बैल पांच मेंढ़ पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेम्ने फिटाहरूर के बेटे जमलीएल की भंट थी ॥ ६ ० । नाव दिन जिद:अनौ के बट अंबिदान ने जा बिनयमोीन के बश का अध्यक्ष था॥ &६श५। उस कौ भंट यह थी चांदी का एक थाल पोने तोन सेर का ओर चांदी का एक कटोरा पवित्र स्थान की तोल से ये दानों के दानों भाजन की भेंट के लिये तेल से मिले हुए चोखे पिसान से भरे हुण॥ ६२ । सेने की एक करछल एक से सवा पकत्तर भर कौ धूप से भरी हुई॥ ६३। होम की भंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना॥ ६४। पाप की भेंट के लिये एक बकरी का मभेम्ना॥ ६५। ओर कुशल की भंटां के बलिदान के लिये दर बैल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेम्ने जिदःझनी के बेटे अबिद्न की भेंट थी ॥ ६6६। दसवें टन अम्मिसदहा के बंटे अखिअजुर ने जो ट्ान के बंश का अध्यक्ष था॥ ६७। डउस को भ्ैंट यह थी चांदौ का एक थाल पैने तौन सेर का श्र चांदी का एक कशथोरा एक सेर डढ़ पाव का पवित्र स्थान की तोल से ये दाने के टानों भाजन कौ भेंट के लिय तेल से मिले हुए चाोखे पिसान से भरे हुए॥ ६ं८। सेोने की एक करकल एक सी सवा पक्कत्तर भर की धूप से भरी हुई ॥ ६८<। होम की भेंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना॥ ७०। पाप की भट के लिये एक बकरी का ७ पब्बे] कौ पस्तक । २७७ मेम्ना॥ ७२९। गओऔर कुशल की भेंटों के बलिदान के लिये दा बेल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मभेग्ने अस्मिसह्ा के बेटे अखिअजर को भेंट थी ॥ ४२। ग्यारह॑वें दिन अकरून के बेटे फ्जओअऐल ने जो यसर के बश का अध्यक्ष था॥ ७३। उस कौ भेंट यह थी चांदी का एक थाल पोने तीन सेर का और चांदो का एक कटरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की ताल से ये ट्ोनों के दोनों भाजन कौ भेंट के लिये तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुए॥ ७४। सेने की एक करछुल: एक सा सवा पछत्तर भर कौ घप से भरी हुई॥ ७५ । होम की भंट के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना। ७६। पाप की भंट के लिये एक बकरी का मेम्ना॥ ७७9। और कुशल की भेंटों के बलिदान के लिये दा बेल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेम्न अकुरून के बटे फजओअणल की भेंट थो॥ उ८प्। बारहवें टिन ओनान के बट अखिरअः ने जो नफ्ताली के संतान के बंश का अध्यक्ष था॥ ७८ । उस की भंट यह थी चांदी का एक थाल पौने तोन सेर का और चांदी का एक कटोरा एक सेर डेढ़ पाव का पवित्र स्थान की तोल से ये दानों के दोनों भाजन की श्षेंट के लिये तेल से मिले हुए चाखे पिसान से भरे हुण॥ ८०। सोने की एक करछल एक से सवा पक्तत्तर भर की घूप से भरी हुई॥ ८५। होम की भेंट के लिय एक बछड़ा एक मेंढ़ा पहिले बरस का एक मेम्ना ॥ घू२। पाप की भेंट के लिये एक बकरी का मेम्ना॥ ८३। ओर कुशल कौ- भेटों के बलिदान के लिये दा बेल पांच मेंढ़े पांच बकरे पहिले बरस के पांच मेन्ने अनान के बेटे अखिरअः की भेंट थी॥ ८४। जिस दिन बंदी इसराएल के अध्यक्षां से अभिषेक किईं गईं उस की स्थापित यह चांदी के बारह थाल ओर चांदी के बारह कटारे और सेने की बारह करछलथों॥ ८५। चांदी का हर एक थाल तोल में पाने तीन सेर का और हर एक कटारा डढ़ पाव सेर भर का सब चांदी के पात्र पवित्र स्थान की तोल सेपेंतीस सेर केथ॥ ८६। सेने की बारह करछल घ॒प से भरी हुई एक करकछ॒ल एक से सवा पछत्तर भर की पवित्र स्थान की तैल से करछलों का सब सोना एक से बौस श्ड्ष गिनतो [८ पब्य शकल था॥ ८७। होम को भर के लिये बारह बेल बारह मेंह पहिले 3: बरस के बारह मेग्ने उन की भेजन की भेंट सहित और पाप की भेंट के लिये बकरी के बारह मेग्ने॥ ८८ । और कुशल की भेंटां के बलिदान धच 5 अप्के >> चु ०३०० ञ ख ले का के लिय चोबीस बेल साठ मेंटे साट बकरियां पहिले बरस के साट मेम्ने बंटी के अभिषेक करने के पीछे उस के स्थापित के लिये यह था॥ 6 ओर जब मसा ने उससे बांत -करने के -लिये /मंडली- केतंब में प्रवेश किया तब उस ने दया के आसन पर से जो साक्षी की मंजषा पर था दानां कराबियां के मध्य से किसो का शब्द सना जे उर्मे कहता था ॥ ८ आटठवां पब्बे । । खि परमेम्वर ने मूसा से कहा॥ २। हारून से कह ओर उसे बेल बत दीपकों के बारे तो सातों दौपक का उंजियाना दौअट के क्ाड़ के सन्‍्मख हेवे॥ ३। से हारून ने ऐसा हो किया उस ने टौगट के क्ाड़ के सनन्‍्मख ट्ोपकों का बारा जेसा कि परमेग्वर ने मसा का आज्ञा किई थी ॥ ४। ओर दीअट के क्काड़ कौ बनावट पीर्टे हुए सोने से थो उस के खंभे से उस के फल लो पीटे हुए सेने का था उस के समान जो परमेग्वर ने मसा के दिखाया था उस ने बेसा ही ककाड़ बनाया॥ ५ । फिर परमेग्थर ने मसा से कहा ॥ ६। कि जावियां का इसराणल के संतानों में से अलग कर ओर उन्हें पवित्र कर॥ ७। और उन्‍्हं पवित्र करने के लिये त्‌ उन से माल कौजिया की शड्ट करने का जल उन पर छिड़क ओर वे अपने समस्त देह के। मड़ाव ओर अपने कपड़े धावें और आप का पावन करं॥ प८। तब वे एक बछड़ा डस के मांस की भेंट के साथ तेल से मिला हुआ चाखा पिसान लेवें और त पाप की भेंट के लिये एक बछड़ा लीजिया ॥ €। और लावियों के! मंडली के तंब के आगे लाइये और इसराएल के संतानें की समस्त मंडली के एकट्टी करियो॥ ९०। ओर लावियें के परमेश्वर के आगे लाना ओर इसराएल के संतान अपने हाथ लावियों पर रक्खं॥ १५५। ओर हारून लावियों का इसराएल के सतानों की भेंट के लिये परमेग्वर के आगे चढ़ावे जिस में वे ष् पब्बे ] कौ पस्तक । २७6 परमेम्धर की सेवा करें। ९५२५। ओर लावी अपने हाथ बैलां के सिरो पर रक्‍वें और तू एक के पाप कौ भेंट और दूसरे के! हाम की भेंट के लिये जिसतें लावियां के लिये प्रायच्यित्त हेावे परमेग्वर के लिये चढ़ाइया ॥ ९३। फिर तू लावियों का हारून ओर उस के बेटां के आगे खड़ा कर टौजियो और उन्हें परमेश्वर की भेंट के लिये चढ़ाइये॥ ९४। ग्ार तू लाबियों के! इसराएल के संतानों में से अलग करियेा ओर लावी मेरे हांगे॥ ५४। उस के पौछ लावी मंडली के तंब में सेवा के निमित्त पहुंच त्‌ उन्हें पवित्र करियो ओर उन्हें भंट के लिये चढ़ाइयोा॥ ९६ । क्योंकि वे सब के सब इसराएल के सतानों में से मुझे दिये गये हर एक जो छत्पन्न हेाता है इसराएल के संतानां के सब पहिलोंटां की संती उन्हें ले लिया हे॥ २९७। क्यांक्रि इसराएल के संतानें के सारे पहिलौंठ क्या मनुव्य के क्या पश के मेरे हें जिस दिन मिख देश के हर एक पहिलोंठ को मारा में ने उन के अपने लिये पवित्र किया॥ १८। ओर इसराएल के संतानों के सारे पहिलोंठां की संती में ने लावियों का ले लिया हे॥ १९८। और में ने इसराएल के संतानों में से सब' लावियों के हारून और उस के बेटों का ट्या जिसते मंडली के तंब में इसराएल के संतानों की संती सेवा करें ओर इसराएल के संतानें के लिये प्रायश्चित्त देव जिसते इसराएल के संतानां पर जब वे पवित्र स्थान के पास आवं मरी नपड़॥ २०। सो जैसा कि परमेग्र ने लावियां के बिषय में मसा का आज्ञा किई थी मसा और हारून और इसराएल के सतानों की सारी मंडली ने लावियां से वला। ही किया से इसराएल के संतानों ने उन से वैसा हो किया॥ २९। और लावी पवित्र किये गये ओर उन्होंने अपने कपड़े धाये ग्यर हारून ने उन्हें भेंट के लिये परमेश्वर के आगे चढ़ाया और हारून ने उन के लिये प्रायश्चित्त टिया जिसतें उन्हें पवित्र करे॥ २२। उस के पीछे लावी अपनी सेवा करने के! हारून और उस के संतानों के आगे मंडली के तंब में गय जेसा कि परमंग्र ने लावियां के बिषय में मसा का आज्ञा किई थी उन्धां ने वैसा ही उन से क्िया॥ २३। फिर परमेग्वर मसा से कहके बेला॥ २४। लावियां का ब्यवहार यह रहे कि वे पचौत्त बरस से लकर ऊपर ला मंडलोौ के २८० गिनती [< पब्बे तंब में जाके सेवा में रहें॥ २५। ओर जब पचास बरस के हें ते सेवकाई से रहि जायें और फिर सेवा न करें॥ २६। परंत मंडली के तंब में अपने भाइयों के साथ रखवाली किया करें और सेवा न करें त लावियों से रक्षा के बिषय में यांहीं कीजिया ॥ 6 नीवां पब्ब । लक के देश से निकलने के दूसरे बरस के पहिले मास में परमेग्थर ने ना के अरण्य में मुता से कहा ॥ २। कि इसराएल के संतान उस के उचहराय हुए समय में पार जाने का पब्ये रक्वं॥ ३। इस मास के चै।ट्हवों तिथि की सांस के ठहराये हुए समय में उसे करियो उस की बिधि ओर आचार के समान पब्बे रखिया॥ ४। से मस्त ने इसराएल के संतानों के! कहा कि वे पार जाने का पत्ब रकवें॥ ५। ओर उन्‍्हों ने पहिले मास की चाोट्हवों तिथि की सांम्क का सोना के अरण्य में पार जाने का पब्बे रक्खा जैसा कि परमेश्वर ने म॒सा के आज्ञा किई थी इसराएज के संतानें ने वेसा ही किया॥ ६। वहां कितने जन थे जे। किसी मनव्य की लाथ के कारण से अपवित्र हुए थे वे उस टिन पार जाने का पर्णम न रख सके ओर वे मसा ओर हारून के समीप आये॥ ७। ओर उन्‍हें ने उस्स कहा कि हम मनव्य के लाथ के कारण से अपवित्र हें किस लिये हम रोक गये कि इदूसराएल के संत,नों में ठहराये हुए समय में परमेश्वर के लिये भेंट लावें॥ ८। मूसा ने जनन्‍्ह कहा कि ठचदर जाओ और में सनृग। कि परमेश्वर तुम्हारे विषय में क्या आज्ञा करता है॥ <। तब परमेच्वर मसा से कहके बे।ला॥ # २७०३ कि इसराएल के संतानों से कहके बाल कि यटटि काई तम्म से अथवा तम्हारे बंश में से किसो लाथ के कारण से अशदडू हे।वे अथवा यात्रा में ट्वर हावे तथापि वह परमेग्यर के लिय पार जाने का पब्ष रक्‍खे॥ २९९॥ टूसरे मास की चैट्हवीं तिथि कौ सांस्क के वे पब्वे रकें और अखमीरी रोटी कड़वी तरकारी के साथ खावें॥ १५२। वे बिहान लॉ उस में से कुछ न छाड़े और न उस की काई हड्डी ताड़ी जाय पार जाने की समस्त बिधि के समान छसे करें॥ ९३। परंतु जो मनुथ्य शड् है ओर यात्रा & पब्बे ] कौ पश्तक । ८८२ में नहों हे ओर यदि पार जाने का पर्ब नहों रक्‍खे वही प्राणी अपने लागों में से काट डाला जायगा क्यांकि वह ठहराय हुए समय में परमेश्वर की भंट न लाया वह अपना पाप भागेगा॥ १४ । और यदि कोई परदणो तुम्मे टिके और पार जाने का पच्बे परमेश्वर के लिये रकदा चाहे तो वह पार जाने के पब्बे के उस की रोति ओर बिधघि के समान रक्खे तुम्हारे लिये क्या परदेशी ओर क्या ट्शी की एक हो बिधि हेगी।॥ १५५ । ओर जिस दिन तंब खड़ा किया गया मेघ ने साच्वी के तंब के ढांप लिया गर सांस्क से लेके बिहान लो तंव पर आग सी दिखाई दती थी॥ ९६। से सटा ऐसा ही था कि मेव उसे ढांपता था और रात का आग सी टिखाई देती थी ॥ ९(७। ओर जब तंब पर से मेव उठाया जाता था तब इसराएल के संतान कंच करते थे ओर जहां मेघ आके ठहरता था तहां इसराएल के संतान डरा करते थे। १५८। इसराएल के संतान परमेश्वर की आज्ञा से कंच करते थे ओर परमेश्वर की आज्ञा से डेरा करते थे जब लॉ तंबू पर मेघ रहता था वे डरे में चेन करते थे ॥ ९५९। और जब बहुत दिन लो तंबू पर मेघ ठह्ररता था इसराएल के संतान परमेग्वर की आज्ञा मानते और कंच न करते थे॥। २० | और णेसे हो जब मेघ थाड़े टिन लां तंब पर ठहरता था वे परमेग्वर कौ आज्ञा के समान अपने डरे में रहते थे और परमेश्वर की आज्ञा से बच करते थे ॥ २९ । और यों हेतता था कि जब सांम्त से बिहान लोंमेघ ठचहरता था और बिहान के उठाया जाता था तब वे कंच करते थे चहे दिन चाहे रात जब मेघ उठाया जाता था वे कूंच करते थे। २२। अथवा दो दिन अथवा एक मास अथवा एक बरस मेघ तंबू पर रहता था तब इसराएल के संतान अपने डरों में रहते थे और कंच न करते थे परंत जब वच् ऊपर उठाया जाता था तब वे कच करते थ॥ २३। परमेग्रर की आज्ञा से वे तंब में चेन करते थे आर परमेस्वर की आज्ञा से कंच करते थपरमेमश्वर की आज्ञा जा मसा की ओर से हे।ती थो वे परमेम्थर की आज्ञा के! पालन करते थे । 86 0 6 ५9, रस्प्र गि नती [ १० पब्बे ९ ० ट्सवां पब्थ । | परमेश्वर मसा. से कहके बेाला॥ २। कि अपने लिये चांदी के 7 नरसखिंगे एक हो टकड़े से बना कि मंडली के बलाने के ओर छावनी के कंच करने के काय्ये के लिये हेवें॥ ३। और जब वे उन्हे फंके तब सारो मंडली तरे पास मंडली के तंब क द्वार पर आप की एकडट्ढी करे॥ ४। ग्यार यद्टि एक ही फंका जावे तब अध्यक्ष जो इसराए लिया के सहस्तों के प्रधान हैं तेरे पास एकद्ठे हेंवें॥ ५। और जब 'तम छोटे शब्द से फंका ता पब्बे टिशा की छावनी आग बढ़े॥ ६। जब 'तम टूस री बेर छाटे बढ़ शब्द से फंक्रा तो ट्किवन दिशा की छावनी कंच करे वे अपने कूंच के लिये छाट बड़ शब्द से फंक॥ ७। परंतु जब कि मंडली को एकडट्री करना हे।वे तब फंका परंत छाटे बड़ शब्द मत करा ॥ ८। और हारून याजक के बट नरसिंगे फंका करें और तम्हारे लिये तम्हरे समस्त बंशां में यह विधि सनातन लो रहे ॥ ६<। ओर यदि तम बेरियों से जा तम्ह सताते हैं अपने टेश से लड़ने का निकले तो तम नरसिंगे से छोटे बड़े शब्द फंका ओर अपने ईश्वर परमेश्वर के आगे स्मरण किये जाग्रोगे और तम अपने शत्॒न से बच जाओगे॥ २९० ।औओर अपने आनंद के टिन ओर अपने पत्बां के टिन अपने मासें के आरंभों में अपनी हेम की भेंट ओर -अपने कुशल को भेंटां के बलिदातनें: प्रर नरसिंगे फंआ जिसते तुम्हारे कारण ईस्मर के आगे 'तम्हारे स्रण के लिय होवे में परमेम्वर तुम्हारा ईश्वर हूं॥ ९९। फिर यां हुआ कि टूसरे बरस के दूसरे मास की बौसवों तिथि का मेघ साक्षी के तंब से ऊपर उठाया गया ॥ ९२ । इसराएल के सतान सोना के अरण्य से कच किये और फारान के अरण्य में मेघ ठहर गया॥ ९३ । से मसा की ओर से परमेग्वर की आज्ञा के समान उन्‍्होां ने यात्रा किक॥ २१४ ॥। पहिले यहकूदाह के संतान की छावनी के मंडे उन के कटकों के समान चले उन पर अस्मिनट्थ का बेटा नहरून था॥ १५५। और इशकार के संतान की गा४्ी को सेना पर सग्र का बेटा नतनिएल था ॥ १६। और जबलन के संतान की गेोष्ठी की सेना पर हैेलन का बेटा २० पब्ब] की पस्तके | २८३ इलिअब था॥ १७। फिर तंब उतारा गया तब जैरसन के बेटे और मिरारी के बंटाँ ने तंब का उठाके यात्रा किई॥ १५८। फिर रूबिन का क्ंडा उन को सेनां के समान आगे बढ़ा शट्ऊर का बंटा इलिस्र उस के कटक का प्रधान था॥ ९८। और समझ न के बंश की गाष्ठी की सेना पर रूरिशही का बेटा सलमिएल था ॥ २० । जद के बंश की गेष्ठी की सेना पर दल का बेटा इलयासफ था॥ २९१ । फिर क्हातियों ने पवित्र स्थान डटाके यात्रा किई ओर उन के पहुंचने ला तंब खड़ा किया जाता था॥ २२। फिर इफ्रायम को छावनी का म्कंडा उन को सेनों के समान आगे बढ़ा अस्मिह्ट का बेटा इलिसमः उस के कटक का प्रश्न था॥ २३। ओर मुनस्सी के बंश की गाछी की सेनें पर फिदाहरूर का बेटा जमलौऐल था। २४। ओर विनयमीन के बंश कौ गेछठो कौ सेनें पर जिदःआनी का बेटा अबिटान था॥ २५। सब छाबनी के पीछ दान के संतान की छावनी का म्कंडा उन की सेने। के समान आगे बढ़ा उन की सेना पर अस्मिशही का बेटा अखिअजर था॥ २६। ओर यसर के बंश की गाछी की सेनें पर अकरान का बेटा फूुजअणएल था॥ २७। और नफताली के बंश कौ गाछी की सेनों पर औनान का बेटा अखिरअःथा॥ र८्। से इसराएल के संतान की यात्रा जब वे आग बढ़ते थे अपनी सेनाओं के समान एसो हो थी । २८ । तब मसा ने मिट्यानी रऊएल के बेटे हुबाब के जा म॒सा का ससर था कहा कि हम उस स्थान को जाते हैं जिस के बिघय में परमेग्वर ने कहा है कि में तन्‍्हं टेऊंगा से तू हमारे साथ आ हम त्म्क से भलाई करेंगे क्यांकि परमेम्पर ने इसराएल के विषय में अच्छा कहा है ॥ ३६०। उस ने उसे कहा क्रिमें न जाऊंगा परतु में अपने देश के और अपने कुटम्बों में जाऊंग।॥ ३९१। तब उस ने कहा कि हमें न छीड़िये क्योंकि आप जानते हैं कि अरण्य में हमें क्यो/कर डेरा किया चाहिये से! आप हमारी आंखें की संती हेंगे॥ ३२९। ओर यों हेागा कि यदि आप हमारे साथ चलें ता जा भलाई परमेग्वर हम से करेगा से हम आप से करेंगे॥ ३३। फिर उन्‍्हों ने परमेचअर के पहाड़ से तोन दिन को यात्रा किई औरपर परमेम्वर की बाचा कौ मंजूषा उन तीन दिन के मा से आगे गई २८४ गिनती (९९ पन्च : जिसतें उन के लिये विश्राम का स्थान ढूंढे । ३४। ओर जब वे छावनो से बाहर जाते थे तब परमेग्थर का मंघ दिन के ऊपर ठच्दरता था ॥ ३५ । ओर जब मंजषा आगे बढ़ती थी तब यां हेतता था कि म॒सा कहता था कि उठ हे परमेअर तरे शत्र छिन्न भिन्न हावें ओर जो तम्क से बैर रखता है से तेरे आगेसे भागे ओर जब वुह् ठदह्रता था वुद्द कहता था कि हे परमग्वर सहस्तां इसराएलियों में फिर आ | १९ ग्यारहवां पब्बे। ञः जब लेाग कड़कड़ाने लगे तो परमेग्वर उदास हुआ ओर सना और उस का क्राघ भड़का ओर परमेम्र की आग उन में फट निकली ओर छावनी के अंत्य के भर्य किया॥ २। तब लाग मसा के पास चित्लाय ओर जब मूसा ने परमे श्र से प्राथेना किई तब आग बुस्क गई ॥ ३। दूस लिये कि परभंग्यर कौ आग उन में भड़की उस ने उस स्थान का नाम ज्वलन रक्‍्ख़ा ॥ ४ | और मिलो जुली मंडल जा उन में थी कुइच्छा करने लगी ओर इसराएल के संतान भी बिलाप करके कहने लगे कि कऔन हमें मांस का भाजन टेगा॥ ५। हमें वह मछली की संधि आतो हे जा हम सेंत से मिस्र में खाते थे और खीरे ओर खरबज और गंदना ओर पियाज ओर लहसन॥ ६ । परंत अब तो हमारा प्राण रूख गया यहां तो हम मन्न को छेड़ कुछ भी नहीं टेखते॥ ७। ओर मन्न घनिये की नाई ओर उस का रंग मोतो का साथा॥ ८। लाग इधर उधर जाके उसे एकट्टा करते थे ओर चक्की में पीसते थे अथवा उखली में कटते थे और फलका बनाके तवे पर पकाते थे उस का खाद टटके तेल की नाई था॥ <। ओर रात का जब छावनी पर ओस पड़ती थो तब मन्न उस पर पड़ता था॥ १०। तब मूृसा ने सुना कि लोगों के हर एक घराने का हर एक मनुब्य अपने अपने तंबू के द्वार पर बिलाप कर रहा हे ते। परमेअर का क्राघ अत्यंत भड़का ओर मूसा भौ उदास हुआ॥ ९९१ ॥। तब मसा ने परमेग्वर से कहा कित अपने दास का क्यों दुःख ट्‌ रहा हे ओर तेरी दृष्टि में में ने क्यों नहों अनग्रह पाया कि ते ने दून सब लागा का बाक्त मब्म पर डाला हं॥ ५२। हक्यामने १९ पब्ब ] कौ पस्तक । र्प्पू इन सारे लागों को गशभे में रक्‍्खा क्या में ने उन्‍हें जना क्षेकि पम्त मम्फे कहता हे कि उन्हें उस देश में जिस की त ने उन के पितरों से किरिया खाई है अपनी गाटउ में ले जिस रीति से पिता द्ृथ पीवक बालक के गाद में लेता क्षे।॥ १३। में कहां से मांस लाऊं कि उन सब लागों के टेजं वे मर्क रो रोके कहते हें कि हमें खाने के। मांस टे॥ २४। में अकेला इन सब लागां का भार उठा नहीं सक्ता इस कारण कि मेरे लिये बहुत बासक हु ॥ २५ । यदि त्‌ मुस्त से बां हों करता ह तो म॒स्फे मार के अलग कर ओर यदिमें तेरी दृष्टि में अनुग्रह पाये हूं ता में अपनी बिपत्ति न ट्खं॥ ९६। तब परमेगऋर ने म्सा से कह्दा कि इसराएल के प्राचौनों में से सत्तर परुष जिन्हें त प्राचीन ओर प्रधान जानता हे मेरे लिये बटार श्र उन्‍हें मंडली के तंब पास ला वे तरे संग वहां खड़े रहें॥ ९७। में उतरूगा और तेरे साथ बात करूंगा और में उस आत्मा में से जे। तुक्क पर क्षे कुछ लेकर उन पर डालूंगा कि तेरे साथ लागों का बे।स्क्त उठावें जिसतें तू अकेला उसे न उठावे॥ ९८। और लागों से कह कि कल आप के पवित्र करे! और तुम मांस खाओगे क्योंकि रो रोके तुम्हारा यह कहना परमेश्वर के कानों में पहुंचा कि कान हमें मांस खाने का टेगा क्यांकि हम ता मिख ही में भले थे से परमेश्वर तुम्हें मांस टेगा ओर तुम खाओगे॥ ९५८। ओर तुम एक ही दिन न खाओगपगे न दा दिन न पांच दिन न दस दिन न बीस दिन॥ २०। परंत एक मास भर खाओएण जब लॉ कि वह तम्हारे नथनों से न निकले ओर तम छरसे घिन न करो क्योंकि तम नेई मर की निंदा किई जा तस्‍म्हों में है और उस के आग थों कहके रोथे कि हम मिस्र से क्यों बाहर आये॥ २९। तब मसा ने कहा कि थे लाग जिन में में हूं छः लाख पगयत हें और तू नेकहा है कि में उन्हें इतना मांस देजंगा कि वे एक मास भर खांवें + २२। क्या कुंड और लेहंड़ उन्हें टप्त करने के लिये बधन किये जायेंगे अथवा समट्र की सारी मछलियां डन के लिये एकट्ठी किई जायंगी जिसतें वे ढृप्त हेवें॥ २३। परमेख्र ने मृसा से कहा कि क्या परमेग्वर का हाथ घट गया अब तू देगा कि में बचन का पूरा हक्ूं कि नहीं॥ २४। तब मूसा ने बाहर जाके परमेस्थर श्प्द्‌ं गिनती [१९ पब्ब की बातें लागों से कहच्चों और लोगों के ग्राचीनों में से सत्तर मनव्य एकड़ किये और उन्‍हें तंब के आस पास खड़े किये ॥ २५ । तब परमेग्थर मेघ में उतरा ओर उसमे बेला और उस के आत्मा में से कुछ लेके उन सत्तर प्राचौनों का दिया ओर जब आत्मा उन पर टहरा वे भविव्य कहने लगे और न थमे॥ २६। परंतु दो मनुव्य छावनी में रह गये थे जिन में से एक का नाम इल्टाद और दूसरे का मेटाद से आत्मा उन पर ठहरा ओर वे उन में लिखे गये थ परंत तंब के पास बाहर नहीं गये ओर वे तंब ही में भविव्य कहने लगे ॥ २७। तब एक तरुण ने दोड़के मसा के संदेश दिया कि इल्टादट और मेट्ाट तंब में भविव्य कहते हैं॥ २८। से मसा के सेवक नन के बट यक्ूरूअ ने जा उस के तरुणोां में से था मसा से कहा कि हे मेरे खामी मसा उन्हें बरज टे ॥ २८। मसा ने उसे कहा किक्या त मेरे कारण डाह रखता है हाय कि परमेश्वर के सारे लाग भविष्य बक्ता हेते और परमेम्थर अपना आत्मा उन सभों पर डालता ॥ ३०। और मृसा और इसराएल के प्राचोंन छावनी में गये॥ ३१५॥। तब परमेमग्वर की ओर से एक पवन निकला ओर बेर के समद्र से लाया ओर छावनी पर ऐसा गिराया लैसा कि एक ट्न के मागे इधर उधर छावनी की चारों ओर ओर जैसा कि दो हाथ भूमि के ऊपर॥ ३९। ओर लोग उस दिन और रात भर ओर उस के दूसरे दिन भी खड़े रहे और बटेर बटारे जिस ने थाड़े से थाड़ा बटारा उस ने आधमन के अटकल बटारा और उन्हें ने अपने लिये तंबू के आस पास फैलाये ॥ ३३। और जब लॉ उन के दांत तले मांस था चाबने से पहिले परमेश्वर का क्राघ लागे। पर भड़का ओर परमेश्वर नें उन लागों के! बड़ी मरी से मारा ॥ ३४। ओर उस ने उस स्थान का नाम कुदचछा का समाधि रक्‍्खा क्योंकि उन्हीं ने उन लोगों का जिन्‍हों ने कुइचछ किई थी वहों गाड़ा फिर उन लागों ने कुइच्छा समाधि से हसीरात के यात्रा किई से वे हसोरात में रहे ॥ २२ पन्थे] की एच्तक र्प्छ २९२ बारहवां पब्बे । सा कौ उस हब॒शौ स्त्री से ब्याह करने के कारण मिरयम और कक । हारून ने उस पर अपबाट किया क्यांकि उस ने एक हबशी स्त्री से ब्याह किया था॥ २। ओर बाले क्या परमेमश्वर ने केवल मसा ही से बात किई हें क्या उस ने हम से भी बात न किईः और परमेम्वर ने सना। ३ । मसा समस्त लागों से जा एथिवो पर थे अधिक केामल था ॥ ४ । से परमेश्वर ने तकाल मसा और हारून ओर मिरयम के कहा कि तम तौनें मंडली के तंब पास आओ ए से वे तीनों आय ॥ ५ । तब परमेश्वर मेघ के खंभों में उतरा गज्जैर तंब्‌ के द्वार पर खड़ा हुआ और हारून और मिरयम के ब॒लाया वे टानां आये॥ ६ । तब उस ने कहा कि मेरी बात सुने। यदि तम्में काई भविव्यद्क्ता होवे ता मैं परमेश्वर आप के ट्शैन में उस पर प्रगट करूंगा ओर उसद्मे खनन में बातें करूगा॥ ७। मेरा दास मसा ऐसा नहीं वह मेरे सारे घर में बिश्वासी है॥ ए८। में उच्स आग्ने सामने अथैत प्रत्यक्ष बातें करूंगा और ग॒प्त बातों से नहीं और वह परमेश्वर के आकार के दखेगा से। तम मेरे सेवक मसा पर अपबाद करते हुए क्यों न डरे॥ 6 । और परमेम्थर का क्राध उन पर भड़का और चला गया॥ ९१०। तब मेघ तंब पर से जाता रहा ओर क्या टेखाता है कि मिरयम हिम की नाई काढ़ी हे! गई और हारून ने मिरयम की ओर हृष्टि किई तो वह काढी थी॥ १५१५। तब हारून ने मसा से कहा कि हे मेरे खामौ में तरी बिनतो करता हूं यह पाप हम पर मत लगा इस मं हम ने मखेता किई और पापी हुए।॥ २९२। वह उस म्टतक के समान न हे। जिस का आघा मांस अपनी माता के गभ से उत्पन्न हे।ते हो गल जाय॥ ९५३ । तब मसा ने परमेश्वर के आगे बिनती करके कहा कि हे इंग्र में तेरी बिनतो करता हल अब उसे चंगा कर ॥ १४। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि यदि उस का पिता उस के मदद पर थकता ता क्या वह सात दिन लो लज्जित न रहती से सात ट्नि ला उसे छावनी से बाहर बंद कर उस के पीछे उसे मिला ले॥ १५ । से मिरयम छावनी के बाहर सात दिन लो बंद हुई और जब लो सर्प गिनती [१३ पब्दे मिरयम बाहर रही लागों ने यात्रान किई॥ १५६। उस के पीछ लागों ' मे हसौरात से यात्रा किई और फारान के अरण्य में डेरा किया । ३ तरहवां पब्ब । ि परमेश्वर ने मसा के। बचन कहा ॥ २। कि लागों का भेज जिसतें कनआन के टेश का भेट लेवें जा में इसराएल के सतानों का दता हूँ एक एक मनव्य उन के पितरों कौ हर एक गाएछी में से भेज उन में से हर एक प्रधान हेवे॥ ३। ओर परमेग्थर की आज्ञा से मसा ने फारान के अरण्य से उन्‍्हं भेजा वे सारे मनव्य इस राएल के संतानों के प्रधान थे ॥ ४। उन के ये नाम रूबिन की गाछी में से जकर का बेटा शमआ ॥ ५ ॥ और समअन की गाएछी में से हरी का बेटा सफ्त ॥ ६। और यहदाह की गोष्ठी में से यफन्नः का बेटा कालिब ॥ ७। और इशकार की गषठी में से बसफ का बेटा इजाल ॥ ८]। ओर इफरायम कौ गोष्ठी में से नन का बेटा छ॒सोअ॥ <। और बिनयमीन को गोष्ठी में से रफ का बेटा फिलती॥ ९०। झओऔर जबलन की गो७४छी में से छूटी का बटा जटिएल ॥ ९९। ओर यसुफ्‌ कौ गोष्ठी में से अथै।त्‌ मुनस्यो की गेछी में से रूसी का बेटा जदौ ॥ १५२। दान की गोछी में से जमलो का बेटा अमिएल ॥ १५३ । ओर यसर की गोष्ठी में से मौकाएल का बेटा शितर॥ ९५४। और नफताली की गाछी में से बफ॒ती का बेटा नखबी॥ ९५५ | जद की गोष्ठी में से माकी का बेटा जियुएल ॥ ९ ६॥। से उन के नाम जिन्हें मूसा ने देश के भेद लेने के लिये भेजा ये हैं ओर मूसा ने नन के बेटे क्सीअ का नाम यहूशअ रक्‍्खा। १५७। ओर मसा ने उन्हं भेजा कि कनआन के टेश का भेट लेव और उन्हें कहा कि तुम दक्षिण दिशा से चढ़ जाओ और पहाड़ के ऊपर चले जाओे॥ ९५८। ओर देश के और उन लागों के जो उस में बसते हें टेखियो कि वे कैसे हें प्रबल अथवा निरबेल थेड़ हैं अथवा बहुत॥ २८। और वुह देश जिस में वे रहते हें कौसा हे भला अथवा बरा और कैसे कैसे नगर जिन में वे बसते हें तंबओ में हैं अथवा गढ़ें में॥ २०। और देश केसा हे फलवंत हे अथवा निष्फल उस में पेड़ है अथवा नहीं तम हियाव ९३ पत्बे ] को पुस्तक । र्‌ष्€्‌ करे! ओर उस देश का कुछ फल ले आओ ओर बुष्द समय दाख के पहिले फलों का था॥ २९। से वे चढ़ गये ओर भूमि के भेद के सौन के अरण्य में से रह्ब लॉ जो हमात के मार्ग में हे लिया ॥ २२ । गैर वे दक्षिण कौ ग्यार से चढ़े और हबरून के आये जहां अनाक के बंश अखिमान ओर सौसी और तलमी थे ओर मिस का जुअन हबरून से सात बरस आगे बना था॥ २३। सो वे इस* काल की नाली में आये वहां से उन्‍्हां ने दाख का एक गरच्छा काटा और उसे एक लट्ट पर रख कर दे मनुव्यों ने उठाया और कुछ अनार ओर गलर भौ लिये॥ २४। उस स्थान का नाम उस गुऋ के लिये जिसे इसराएल के संतान वहां से काटलाबेथे नाली इसकाल रक्‍्खा॥ २५। से वे चालीस दिन के पीछे दृश का भेद लेके फिर आवे॥ २६। ओर फिर के मूसा और हारून ओर इसराएल के संतानां की सारो मंडलो के पास फारान के अरण्य में कादिस में आये और उन्‍हें ओर सारी मंडली के आगे संदेश दिया और उस भूमि का फल उन्‍हें टिखाया ॥ २७। ओर उसमे यह कहके बन किया कि हम उस टृश में जिधर तू ने हमें भजा था गये उस में सच मुच ट्ृघ और मधु बहता क्षे ओर यह वहां का फल क्षे।॥ २छ्ं। तथापि उस टेश के बासो बलवंत हें और उन के नगरों की भीतें अति ऊंची हें और हम ने अनाक के संतान के भी वहां खा ॥ २८९ । ओर उस भमि में दृष्यिण की ओआर अमालीक बसंते हें ओर हत्ती और यबसी और अम॑ंरो पहाड़ों पर रहते हैं और समद्र के तौर ओर बरदन के तौर पर कनआनी रहते हैं॥ ३०। तब कालिब ने मूमा के आगे लागां के! धीमा करके कहा कि आओ एक साथ चंढ़ जाय और बश में करें क्योंकि उस पर प्रबल हैने में हम में शक्ति हे। ३९। परंत उस के संगियों ने कहा कि हम उन लागों का सान्‍्ना करने में दृबेल हें क्योंकि वे हम से अधिक बलवंतं हैं॥ ३२। ओर वे इसराएल के सतानें के पास उस भमि का जिस का भेद लेने को गये थे बरा संटेश लाये ओर बाले कि वह भमि जिस का भेद लेने हम गये थे ऐसी भमिक्ठे जो अपने वासियों का खा जाती हे 37 [&, 8. $.] २८० गिनतो [१५४ पब्बे और सब लाग जिन्हें हम ने ट्खा हे बड़े डील के हैं॥ ३३ | ओर हम ने वहां टानव अनाक के बट टानवों के देखा ओर हम अपनी और उन की दृष्टि में फनगे की नाई थे ॥ १४ चौट्हवां पब्ये । ब सारी मंडली चिल्ला के राई और लेग उस रात भर रोया किये। २। फिर सारे इसराएल के संतान मसा ओर हारून पर कुडकुडाये ओर समस्त मंडली ने उन्हें कहा हाय कि हम मिस्र में मर जाते और हाय कि हम इसी अरण्य में नष्ट हेते॥ ३। हमें किस लिये परमेश्वर इस ट्श्‌ में लाया कि खज् से मारे जायें और हमारी स्तियां ओर हमारे बालक पकड़े जाव क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि मिस के फिर जावें॥ ४। तब उन्‍्हों ने आपस में कहा कि आओ एक के! अपना प्रधान बनावं ओर मिख का फिर चलें॥ ५। तब म॒सा ओर हारून इसराएल के संतानें की सारी मंडली के साम्ने औंघ मंह गिरे॥ ६ । ओर नन के बेटे यकह्ूआ और यफन्नः के बेटेकालिब ने जा उन में थे जो टश के भट्‌ लेने गये थे अपने कपड़े फाड़े। ७। ओर उन्‍्हां ने इसराएल के संतानों की सारी मंडली से कहा “के जिस ट्श के भेद लेने के हम आरंपार गये अति अच्छी भूमिह्े॥ ८। यटि ईसखर हम से प्रसन्न हे।वे ता हमें उस देश में लेजायगा और वह भमि जिस पर ट्रघ मध बच रहा हे हमें टूगा॥ <। अब तम केवल ईग्र से छल न करो और उस दृश के लेगा से मत डरो क्यांकि वे तो हमारे लिये भाजन हें उन के आड़ उन से जा चके हें गयेर परमेश्वर हमारे साथ हे उन की भय मत करो ॥ १५०। परंत सारी मंडली ने कहा कि उन पर पत्थरवाह करा उस समय मंडली के तंब में सारे इसराएल के संतानों के साम्न परमेश्वर की महिमा प्रगट हुई॥ २९१५। और परमेश्वर ने मसा से कहा कि ये लोग कब लों मग्मे खिक्कावेंगे और उन आआअय्यां के कारण जोामें ने उन में टिखाये हें वे कब लें मस्त पर बिद्यासन करगे॥ ९२ मैं उन्हें मारुंगा और उन्‍हें अधिकार रहित करूगा और तुमे इन से एक बड़ी ओर बलवंत जाति बनाऊंगा ॥ ९३। मूसा ने परमेश्वर से ९४ पब्ब | कौ पस्तक | २८१९२ कहा कि मिस्र के लाग सनगे क्यांकि त अपनी सामथ्य से इन लागां का उन के मध्य से निकाल लाया॥ १५४ । और वे इस देश के बासी से कहेंगे क्यांकि उन्‍्हां ने ता सना है कि त परमेगअर इन लागां के बीच ह कि त हे परमेग्घर आग्न साम्न टेखा जाता है और कि तेरा मेष उन पर रहता है और कि तू दिन का मेघ के खंभ में और रात के। आग के खंभे में उन के आगे आगे चलता क्षे ॥ ५५४। से यदटि त इन लागों का एक मनय्य के समान मार डाले तब जातिगण जिन्‍्हों ने तेरी कौर्ति सनी हें कहेंंगे॥ १५६। इस कारण कि परमेश्चर इन लागों का उस देश में पहुंचा न सका जिसके बिषय में उन से किरिया खाई थी इस लिये उस ने उन्हं अरण्य में घात किया ॥ ९७। सो में तरी बिनतो करता हूं हे मेरे प्रभअपनी सामथ्थे का प्रगट कर जेसातने कहा कै॥ १५८। कि परमेमग्घर बड़ा धौर ओर महा ट्याल हे पापों और अपराधों का छ्मा करता है जा किसी भांति से न छाड़ेगा पितरों के पापों के! उन के लड़कों से जो उन कौ तोसरी और चेोथी पीढ़ो हे प्रतिफल देता क्षे। १५८ ।अब त अपनी दया की अधिकाई से इन लॉंगेप का पाप क्षमम कर जैसा त मिस्र से लेके यहां ले छमा करता आया हे॥। २०। परमेगऋअर ने कहा कि मे नेतर कहेके समान ऋछ्लमा किया ॥ २९। परंत अपने जीवन सें समस्त एथिवी परमेश्वर की महिमा से भर जायगी॥ २२। क्योंकि उन सब लागों ने जिन्‍हों ने मेरा बिभव ओर मेरा आये जो में ने मिस्र में और उस अरण्य में प्रगट किया देखा अबलों मुझे ट्सबार परखाओर मेरा शब्द नमाना॥ २३। से! वे उस टश का जिस के कारण में ने उन के पितरों से किरिया खाई थी न रखेंगे ओर जितनों ने मर्झे खिम्काया उन में से काई उसे न टेखेगा ॥ २४ । परत मेरा दास कालिब क्यांकि और ही आत्मा उस के साथ था ओर उस ने मेरी बात परी मानी हे में उसे उस टश्‌ में जहां वह गया था ले जाऊंगा ओर वेजा उस के बंश से हांगे उस के अधिकारी बनेगे॥ २५, अब अमालकी और कनआनी तराई में बास करते थे से कल फिरो ओर लाल समुद्र के मार्ग से अरण्य में जाओ ॥ २६। फिर परमेश्वर मुसा और हारून से कहके बे।ला॥ २७। ९८२ गिनती [२४ पत्ब कि में कब लॉ उस दुष्ट मंडली की कुड़कुड़राइट सहूं इसराएल के संतान जो मस्त पर कुड़कुड़ात हें में ने उन का कुड़कुड़ाना सना ॥ र८। उन से कह कि परमेग्वर कहता हे मम्मे अपने जीवन से जेसा तुम ने मुझे सना के कहा हे में तुम से वेता हो करूगा॥ २८। तुम्हारी ओर उन सभा की लाथ तुम्हारी समस्त गिनतियों के समान बीस बरस से ले के ऊपर ला जो मुक्त पर कुड़कुड़ाये इस अरण्य में गिरेंगी ॥ ३०। यफन्नः के बेटे कालिब और नन के बेटे यहरूअ के छोड़ तम निःसंट्ह उस ट्श में न पहुंचाग जिस में में ने तम्हें वलाने की किरिया खाई हु कि तम्हँ वहां बसाऊंगा ॥ ३९१। परत तम्हारे बालकों का जिन के बिषय में तम ने कहा हु कि वे लट जाय गे में उन्हें पहुंचाऊंगा जिन्हें तम ने तक्ल जाना वे उस टेश का जानेंगे॥ ३२। पर तम्हारो लाथें इस ही बन में गिरगी॥ ३३। ओर तम्हारे लड़के उस अरण्य में चालीस बरस लो भ्रमते फिरेंगे और अपने ब्यभिचारों के! उठाया करंग जब लॉ कि तम्हारी लाथं इस बन में छ्लौण न हावें॥ ३४। उन दिनों कौ गिनतो के समान जिन में तम उस भमि का भेद लेते थे जा चालीस टन हों दिन पीछ एक बरस से। तम चालीस बरस लें अपने पाप के! भागा करोगे तब तम मेरे बिराघ के जानोंगे॥ ३५। में परमेश्वर ने कहा कहें ओर इस दुष्ट मंडली के लिये जो मेरे बिरुड्ट में एकट्टी है निश्चय पूरा करूगा इसौ बन में नष्ट किई जायगी और यहीं मरेगी॥ ३६। और जिन मनुग्यां के मूसा ने देश के भेद लेने के भेजा था जिन्‍्हां ने उस टेश पर बात बना बना के कहा क्े और सारी मंडलियां के उस पर कुड़कुड़वाया क्षे॥ ३७। हां वे मनुव्य ज्ञा। उस देश का बरा संदेश लाय हें परमेश्वर के आगे मरो से मरेंगे ॥ ह८ए। पर नन का बेटा यह्ूसअ और यफन्नः का बेटा कालिब उन में से जा दश का भद लेने गये थे जीते रहँ॥ ३८। सा मसा ने इन बातां के! इसराएल के समस्त संतानाों को सनाया आर लोग बहुत बिलाप करने लगे॥ ४०। जऔर बिहान के तड़के वे उठे ओर यह कहते हुए पहाड़ पर चढ़ गये टेख हम उस स्थान पर चढ़ जायेंगे जिस को परमेगश्वर ने बाचा टिई हे क्यांकि हम ने पाप किया कहै॥ ४९५। २५ पब्ले] की पस्तक । २८३ मसा ने कहा से अब तम लाग क्यों परमेम्वर की आज्ञा के भंग करते हे। शभ न हागा॥ ४२। ऊपर मत जाओ क्यांकि परमेग्वर तुम्हों में नहों जिसते तम अपने बेरियां के आग मार न पड़ा॥ ४३। क्योंकि अमालिकी ज्ैर कनआनी तम्हारे आगे हें और तम तलवार से बिछ जाओगे क्योंकि तुम परमेस्वर से फिर गये हे।से। परमेस्वर तम्हारे साथ न हेागा॥ ४४। परंत वे ठिटाई से पहाड़ पर चढ़ गये तथापि परमेश्वर के बाचा कौ मंजषा और मसा छावनी के बाहर न गये तब अमालिकी और कनआनी जो उस पहाड़ पर रहते थे उतरे और उन्‍हें हुरमः लो मारते गये ॥ ९५ पंटरहवां पब्ब । ि परमेग्वर मसा से कहके बेला ॥ २। कि इसराणएल के संतानों ॥7 कहके बाल कि जब तम अपने निवास के दश में जो में तम्हं दहेऊंगा पहुचो ॥ ३ । ओर आग से परमेम्वर के लिये हेम की भेंट चढ़ाओरे अथवा मनोती प्री करने का बलिदान अथवा बांकछित भेंट अथवा ठहराये हुए पबे कौ भेंट परमेश्वर के लिये आनंद का सगंध लेहंड अथवा म्कंड से चढ़ाओ।॥ ४। तब वच जो अपनी भेंट परमेग्वर के लिय चढ़ाता हे भोजन की भेंट पिसान का दसवां भाग सवा सेर तेल से मिला हुआ भंट का बलिदान लावे॥ ५। एक मेग्न्ा के कारण होम की भट अथवा बलिदान पीने कौ भेंट के लिय सवा सेर द्राक्षारस सिद्ट कीजिया॥ ६। अथवा मेढ़ के लिय मांस की भंट का दो दसवां भाग पिसान पोने दा सेर तेल से मिला हुआ सिद्ध कौजिया॥ ७। और पीने की भेंट के लिये पौने दर सेर द्राक्षारस परमेम्थर के सगंध के लिये चढ़ाइया॥ ८। और जब त हे।म को भेंट के लिये अथवा मनीती पूरी करने के बलिदान के लिय अथवा कुशल कौ भेंट परमेश्वर के लिये बैल सिट्ठ करो॥ <। तब वुष् बेल के साथ भाजन कौ भेंट तीन दसवां भाग पिसान अढ़ाई सेर तेल से मिला हुआ लावे॥ १५०। और पोने की भेंट के लिये ट्राक्षारस अढ़ाई सेर आग से परमेग्वर के आनंद की सुगंध के लिये लाइये।॥ १५९॥। एक एक बेल अथवा एक २८४ गिनतो । [१५ पब्ब एक मेंढ़ा अथवा एक एक मेम्ना अथवा एक एक बकरी का मेम्ना योही किया जावे॥ १०२। गिनती के समान सिद्द को जिया हर एक उन की गिनती के समान ऐसा ही कीजिये ॥ १५३। सब जिन का जन्म देश में छुआ आग से परमेग्वर के आनंद के सम॑ध के लिये भेंट चढ़ावें तो उसी रीति से इन बातों के! मानें॥ ९४। ओर यदि परटेशी तस्में बास करे अथवा वह जा तम्हारी पीढ़ियां से हावे परमेग्वर के आगे सगंध के लिये आग से भेंट चढ़ावे तो जिस रोौति से तम करते हो वैसा बच भी करे॥ १५ | मंडली के लिये और उस परदशो के लिये जो तम्म बास करता ह तम्हारो पीढ़ियां में सट[ एक ही बिधि हे।वे पर मेम्पर के आग जंसे तम वैसे परटेशी भी हों॥ ९६। तम्दारे और परद शियें के लिय जो तम्में रहते हें एक ही व्यवस्था और एक हो रीति हेवे॥ १५७। फिर परमेश्वर मसा से कहके बेला ॥ ९१५८। कि इसराएल के संतानों से कहके बोल कि जब तम उस टदृश में पहुंचा जहां तम्हें ले जाता कूं॥ १९८। तब ऐसा होगा कि जब तम उस भूमि पर को रोटी खाओ तो परमेश्वर के लिये उठाने की भेंट चढ़ाइयो॥ २०। तुम अपने पहिले गृंदे हुए आटे से एक फलका उटाने कौ भेंट के लिये लेओ जैसी खलिहान की भेंट का उटाते हे। वैसाही उसे उठाइये ॥ २९। तुम अपने गंदे हुए पिसान से पहिले अपनी पीढ़ियों में परमेग्वर के लिये उठाने की भंट चढ़ाइयो ॥ २२। ओर यदि तम चक किये हो और उन सव आज्ञाओं के जो परमेग्वर ने मसा से कहों पालन न करा॥ २३। जिस टन से परमेश्वर ने तम्हें आज्ञा किई है और अब से आगे लो अपनी पीढ़ियों में समस्त आज्ञा जिन्हें परमेगश्वर ने मसा की ओआए से तम्हं दिई ह॥ २४। तब यों होगा कि यदि कुछ अज्ञॉनता हे। जाय ओर मंडली न जाने तब समस्त मंडली हेम कौ भेंट के लिये परमेश्वर के सुगंघ के लिये एक बछड़ा चढ़ावे उस के भाजन की और पीने की भेट के साथ रीति के समान और अपराध की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना॥ २५। ओर याजक इसराण्ल के संतानों की सारी मंडलोौ के लिये प्रायश्चित्त दवे ओर बुच्द छ्ृमा किया जायगा क्योंकि अन्ञानता है १५ पर्ज्य | कौ पस्तक । रू +....-_+-ीत-त-त-->-+न>-+न-त-+--3त--+-+-+-.>-+3०० -+त..-+++++-- 2५७५» थ ३५७७५ मके और वे परमेगश्वर के लिये अपनी भट आग के बलिदान से लावें और अपने अज्ञानता के लिये अपने पाप की भेंट परमेग्र के आगे लाबें॥ २६। और इसराएल के संताने। की सारी मंडली जर परदेशी जा उन में रहते हें क्षमा किये जायेंगे इस जिय कि सारे लाग अजन्ञानता मेंघ॥ ह २७। और यदि काई प्राणी अज्ञानता से पाप करे तो व॒द्द पाप की भेंट के लिये पहिले बरस कौ एक बकरी लावे॥ २८। गर उस प्राणी के लिये जा अज्ञानता से परमेश्वर के आगे पाप करे उस के लिये याजक प्रायश्यित्त करे और वुच्द क्षमा किया जायगा॥ २०। तुम अज्ञानता की अपराध के कारण उस के लिये जो इसराएल के संतानों में उत्पन्न हुआ हो ओर परदटेशो के लिये जा उन में रहता हे। एक ही ब्यवस्था रक्‍कहात॥ ३०। परंत जो प्राणी ठिठाई करे चाहे ट्शी चाहे परटशी हाय वही परमेगश्वर की निदा करता हे और वही प्राणी अपने लागोां में से कट जाथेगा॥ ३९ क्योंकि उस ने परमेश्वर के बचन की निंदा “किई और उस की आज्ञा का भंग किया वहीं प्राणी सबेथा कट जायगा उस का पाप उसौ पर हाोगा॥ ३५। ओर जब इसराएल के संतान बन में थे उन्‍्होां ने एक मनव्य का बिश्वाम के टिन लकड़ियां बटारते पाया॥ ३३। और जिन्‍्हां ने उसे लकड़ियां एणकड्टी करते पाया वे उसे मूसा ओर हारून और सारी मंडली के पास लाये॥ ३४। उन्‍्हों ने उसे बंद रक्‍खा इस कारण कि प्रगट न हुआ थाकि जउव्ह क्या किया जावे॥ ३५। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि वह मनव्य निश्यय मारा जायगा सारो मंडली छावनी के बाहर उस पर पत्थरवाह करे॥ ३६। जैसा परमेग्वर ने मूसा के आज्ञा किई थी सारी मंडली उसे तंब के बाहर ले गई उन्‍्हां ने उस पर पत्थरवाह करके मार डाला ॥ ३७। फिर परमेग्वर मसासे कहके बाला॥ 8८। कि इसराएल के संतानों से कह ओर उन्‍हें आज्ञा कर कि वे अपनी समस्त पीढियां में अपने बस्त्रों के खंट की म्काजर पर नीली चवली लगाव ॥ ३८। यह तुम्हारे लिय सकालर हागौ जिसतें तम उसे ट्ख के परमेग्यर की सारो आज्ञाओं के स्मरण करो और उन्‍हें पालन करो और जिसतें तम अपने २८६ गिनती [९ ६ पब्ब॑ कर की हे ५५ ब्् 233 कर मन का ओर आंखें का पीझा न करो जैसे तुम आगे ब्यभिचार करते थ ॥ ४०। जिसते तुम मेरी सब आज्ञाओं के छारण करे और उन का के 2. ३ बे 8 80 २७ न पालन करो ग्रार अपने ई श्र के लिये पवित्र हे।ओ ॥ ४९ । में परमेम्वर तुम्हारा ईस्वर हूं जो तुम्हें मिल की भूमि से बाहर लाया कि तुम्हारा इंग्वर हे।ऊं में परमे मप्र तम्हरा इंम्घर हूं ॥ ६ सेलहए्ां पत्ये । जोः लाबी के बेटे कहास के बंटे इजहार के बटे किह्दात करह और रूबिन के बेटे दातन ओर अबिराम इलिअब के बंटे ओर फ्लत के बेर ओजन ने लागां का गांठा॥ २। वे इसराएल के संतानों में से अढ़ाई सो संभा के प्रधान जो मंडली में नामी और लोग में दौत्तिमान थ उन्हें लेके मसा के सनन्‍्मख खड़े हुये॥ ३। तब मरा ओआर हारून के बिराघ में एकट्टे हाके उन्‍हें बाले कि आप का बहुत बृढ़ात हे मंडली में ता हर एक मनुव्य पवित्र क्षे और परमेम्वर उन में है से। किस लिये परमेग्वर की मंडली से आप को बढ़ाते हे ॥ ४। मसा यह संन के ओंधेमंह गिरा॥ ५। फिर उस ने करह ओर उस कौ सारो जथा का कहा कि कल ही परमेस्वर ट्खावेगा कि कान उस का हे ओर: कोन पवित्र के ओर अपने पास पहुंचावेगा अथात उसी का जिसे उस ने चन ईलया कह्ञषे अपने पास पहुंचावेगा॥ ६। से! हे करह ओर उस कौ सारी जथा तम यह करो अपनी अपनी घपावरी लेओआ।॥ ७। ओऔर उन में आग राकदा और कल परमेश्वर के आगे उन में घप जलाओ ओर यों हागा कि जिस मनव्य का परमेच्र चुनता है वही पवित्र होगा हे लावो के बेटा तम आप को बढ़ाते है ॥ ८। फिर मसा ने करह से कहा कि हे लावी के बेटा सुन रक्खा॥ €। तुम क्या उसे छाटा जानते हे कि इसराएल के इईस्र ने तम्हें इसराएंल की मंडली में से अलग किया कि अपने पास लाके परमेग्र के तंब की सेवा करावे ओर मंडलो की सेवा के लिये खड़े रहा ॥ १५०। और उस ने तर्क तेरे समस्त भाई लावो के बेटे तर संग अपने पास किया अब तम याजकता भौ ढंढ़त हे। ॥ १५९५। इस कारण त और तेरी सारी जथा पर मेश्वर के विरोध पर एकट्टी हुई हे और ९६ पनत्चे] कौ पस्तक । २९८७ हारून कान हे जा तम उस के बिराध में कड़कड़ाते हैत ॥ १९२ । फिर मसा ने इलिअब के बेटे टातन और अबिराम के बलवाया वे बोले कि हम नआवेंगे॥ २३। क्या यह छाटो बात के कि त हमें उस भूमि में से जिस में टूघ और मध बहता कै चढ़ा लाया कि हमें अरण्य में नाश करे और अब आप के हमारे ऊपर सब्था अध्यक्ष बनाताक्षे॥। ९४। ओर त हमें ऐसो भमि में न लाया जहां ट्थ और मघ बहेत ने हमें खेत और टाख को बारी का अधिका रौ नहों कर दिया क्या त्‌ इन लागों को आखे निकाल डालेगा हम तो नआंबंगे॥ ९५५। तब मूसा का क्राघ भड़का और परमेश्वर से यों बाला कि त उन कौ भेंट कौ ओर मत ताक में ने उन से एक गधा भी नहीं लिया न उन में से किसी का दृःख दिया ॥ ९६ । फिर मसाने क्रह से कहा कि त और तेरी सारी जथा ओ।र हारून सहित परमेग्वर के आगे कल के दिन आओ।॥ १५७। और हर एक मनव्य अपनी अपनी घपावरी लेवे ओर उस में घप डाले ओर तस्म से हर एक अपनी अपनी घपावरी परमेग्वर के आग लावे सब अढ़ाई सो घपावरी हेव त ओर हारून अपनी घपावरी लावे॥ ९८। से हर एक ने अपनो अपनी घपावरी लिई और उस में आग रक्‍्वी और घप ड',ला और मंडली के तंब के द्वार १र मसा ग्यार हारून सहित आ खड़े हुए ॥ ९€। और करह ने सारी मंडली के मंडली के तंब के द्वार पर उन के बिरोध पर एकट्री किया तब परमेग्वर कौ महिमा सारो मं डली के साम्न प्रगट हुई ॥ २० | ओर परमेग्वर मसा और इारून से कहके बेला ॥ २९। कि इस मंडली में से आप का अलग करो क्रि में उन्हें पल भर में नाश करूं॥ २२। तब वे औंघ मंह गिरे और बाले कि हे ईश्वर सारे शरी रों के आत्मा का ईम्थर पाप एक करे और क्या त सारी मंडली पर क्रडू होवे॥ २३। तब परमेमख्वर मसा से कहके बाला॥ २४। कित मंडलौ से कह कि करहद और दातन ओर अबिराम के तंबओं में से निकल आओ।॥ २५। से मसा उठा और द।तन और अबिराम के यहां गया और इसराएल के प्राचीन उस के पीछ हे। लिये॥ २६ । और उस ने मंडली से कहा कि उन टृष्टां के तंबओं से निकल जाओ ओ।र उन की किसी बस्त के मत छओए ३ न हे।ववे कि तम भी उन के सब पापों में नाश हे। जाओ॥ २७। से। 38 0४ 98, &%॥| र्ट्षर मिनतो [२६ पत्ब वे करह और दातन ओर अबिराम के तंबओं में से निकल गये और दातन और अबिराम और उन की पत्नियां और बेटे और लड्के निकल के अपने तबगां के द्वार पर खड़ हुणए॥ २८। तब मसा ने कहा कि तम इस में जानाग कि परमेग्वर ने यह काय्थ करने का मस्त भेजा क्ष ओर में ने कुछ अपनो इच्छा से नहों किया॥ २८ । यदि ये मनव्य उस रूवत्य से मरे जिस मर्टत्य से सब मरते हैं अथवा उन पर कोई बिपात्ति ऐसी हेवे जे सब पर होती ह तो में ईश्वर का भेजा हुआ नहों ॥ ३०। पर यरटि परमेग्रर कोई नई बात करे और एथिवी अपना मंह फेलावे ओर उन्‍हें सब समत निंगल जावे ओर वे जीते जौ नरक में जा पड़े तो तम जानिया कि उन लागां ने परमंगच्यर का खिस्काया हु ॥ ३९। आर यां हुआ कि ज्याहों वचह य सब बात कह चका ता उन के नीच की भमि फटगई ॥ ३२ । फिर एथिवी ने अपना मंह खाला ओर उन्‍हें ओर उन के घर और उन सब मनव्यां का जा करह के थे ओर उन की सब संपत्ति का निगल गई ॥ ३३ । से! वे और सब जे उन के थ जीते जी नरक में गये और भमि ने उन्हें छिपा लिया आर मंडली के मध्य से नष्ट हे! गथे॥ ३४। ओर सारे इसराएल जा उन के आल पास थे उन का चित्लाना सन के भागे क्योंकि जन्‍्हों ने कहा न हे। कि भमि हमें भी निंगल जाब॥ ३५४ । फिर परमेग्रर के आगे से एक आग निकली ओर उन अढ़ाई से को जिन्हें नेघप जलाया था खा गई ॥ ६३६६ । ओर परमेग्यर मसा से कहके बोला ॥ ३७। कि हारून याजक के बटे इलिअज॒र से कह कि घपावरी का आग में उठा और आग वहीं बखेर टे क्यांकि वे तो पवित्र हें॥ ३८। और जिन्‍्हां ने अपने प्राण के बिरोघ पाप किया उन को प्रपावरियों से चे। डे चाड़ पत्र बेदो के ढांपने के लिय बना क्टयांकि उन्‍्होां ने उन्हें परमेग्वर के आगे चढ़ाया इस लिय थे पवित्र क्ञें और वे इसराएल के संतानों के लिये एक चिक्न हांगे॥ ३८। उन पीतल की घपावरियों का जिन्‍्हों ने जलाया था जा जल गये थे तब इलिअजर याजक ने उनन्‍्ह लिया आर बेदौ के लिये चौड़ पत्र ढांपने के लिय बनाये॥ ४०। कि इसर|एल के संतानों के लिये चेत हेवे कि केाई परट्शी जा ह।रून के बंश से नह्ों परमेश्वर के आगे घूप जलाने के पास न आवे जिसतें क्रह ओर उस ९७ पब्बे ] को पच्ततक । र<< की जथा के समान न होवे जेसा परमेग्वर ने मसा के द्वारा से उसे कहा था। ४९ | परंत बिहान के इसराएल के संतानों की सारी मंडली मसा और हारून के बिराघ में कुडकुड्राके बाली कि तम ने परमेग्वर के लागों का मार डाला॥ ४२। ग्जार थां हुआ कि जब मसा और हारून के बिराघ में मंडली एकट्री हुई तब उन्‍्हां ने मंडली के तंब की ओर ताका और क्या रखते हें कि मेव ने उसे ढांप लिया ओर परमेग्रवर की महिमा प्रगट हुई॥ ४३। तब मसा ओर हारून मंडली के तंब के आगे आये ॥ ४४। ओर परमेग्वर मसा से कहके बाला॥ ४५४ । कि तम इस मंडली में से अलग हेोओज जिसते में उनन्‍्हं एक प्ल में नाश कर डाल॑ तब वे ओऔगरधे मंह गिर पडे॥ ४६। और मसा ने हारून से कहा कि धपावरी ले और उस में बेती पर की आग रख ओर घप डाल और मंडसलो में शोघ जाके उन के लिये प्रायच्चित्त ट॑ क्योंकि परमेम्थर के आगे से काप निकला और मरी आरंभ हुई ॥ ४७। तब जेसो मसा ने आज्ञा किई थी हारून मंडली के मध्य में ट्रोड़ गया और क्या ट्खता है कि मरी लागों में आरंभ हुई से! उस ने घुप रख के उन लागां के लिये प्रायश्यित्त किया॥ ४८। वह जोवतों और म्टतकोां के बीच में खड़ा हुआ तब मरी थम गई ॥ ४८। से जितने उस मरी से मरे उनन्‍्ह छाड़के जा करह के विषय में नष्ट हुए चाट्ह सहस्त सात सो थे॥ ५० । फिर हारून मंडली के तंब्‌ के द्वार पर मूसा पास फिर आया और मरो थम गई । २९७ सत्तरहवां पब्ब। 3 परमेश्वर मसा से कहके बाला ॥ २। कि इसराएल के संतानों से कह ओर उन में से उन के पितरों के घराने के समान हर घराने पोछे उन के सब प्रधानाों से एक एक छड़ी ले ओर उन के पितरों के समान बारह छड़ी और हर एक का नाम उस की छड़ी पर लिख ॥ ३। और लावी की छड़ौ पर हारून का नाम लिख क्यांकि हर एक प्रधान के कारण उन के पितरों के घरानों के लिये एक एक छड़ो हेगी॥ ४। ओर उन्हे मंडली के तंब्‌ में साच्यो के आगे रख हे जहां मैं तम से भेंट ३०० गि नती [ श्षध्प ब्थ करूंगा॥ ५। ओर यां होगा कि जिसे में चनंगा उस की छड़ी में फल लगेगा ओर में इसराएल के संतानां का कड़कुड़ाना जो वे बिरे।घ से कड़कड़ाते हें ट्र करूगा ॥ ६। से मसा ने इसराएल के संतानों से कहा और हर एक ने उन के ग्रधानें में से एक एक प्रधान के लिये उन के पितरों के घरानों के समान एक एक छड़ी अथात्‌ बारह छड़ी दिई और हारून की छड़ी उन कौ छड़ियां में थी॥ ७। और मूसा ने उन छड़ियों के साछ्ी के तंब में परमेश्वर के आगे रक्वा॥ ८। और ऐसा हुआ कि बिहान का मसा साज्षौ के तंब में गया ता क्या देखता हे कि लावी के घराने के लिये हारून की छड़ी में कली लगीं और कली नि+लों और फूल फले ओर बादाम लगे ॥ €। तब म॒सा सब छड़ियां का परमेमस्वर के आग से सब इस राएल के संताने| के पात निकाल लाया उन्‍्हों ने टेखा ओर हर एक ने अपनी अपनी छड़ी फेर लिई॥ १५०। फिर परमेश्वर ने मसा से कहा कि हारून की छड़ी साक्षी के आगे रख कि दंगइत के बिराघ के लिये एक चिक्नल रहे ओर त डन का कड़कड़ाना मझू से टर करे जिसते वे मर न.जावें.॥ -. ९ ९०) ज्येपर मंसा« ने ऐसा जी किया जैसा परमेग्वर ने उसे कहा बेसा हो उस ने किया ॥ १५२। तब इसराएल के संतानों ने मसा से कहा कि हम मरे हम नाश हुए हम सब के सब विनाश हुए॥ ९३। जा काई परमेग्वर के तंब पास आवेगा से मरंगा क्या हम सब मर मरके मिट जाय गे। १८ अठारहवां पब्ब। ि परमेग्वर ने हारून से कहा कि पवित्र स्थान का पाप तुम्कत पर ओर तर बेटों ओर तेरे संग तेरे पिता के घराने पर हेगा ओर तरे संग तेरे बटे तुम्हारी याजकता का पाप भागेंगे॥ २। और तेरे भाई की गाछी जा तेरे पिता की गाछी है अपने साथ ला जिसतें वे तेरे साथ मिलाये जांवं और तेरी सेवा करें पर त अपने बेटों समेत साक्षौ के तंब के आगे रह॥ ३। ओर वे तेरी ओर सारे तंब कौ रह्छा करें केवल वे पवित्र पात्रां ओर बेटी के पास न जावे नहेवे कि वे भो ओर तम भो नाश हे। जाओ।॥ ४। ओर तंबू की सारो सेवा के लिये तरे सग्र ९८ पब्बे] कौ पशस्तक | ३०९ नी नी भी ऑल 3 जाके मंडली के तंब की रक्षा कर ओर काई परद्ेशी तम्हारे पास आने न पावे॥ ४५। ओर तम पवित्र स्थान का ओर बेटों के अगार रक्‍खो जिसतें आगे के फिर इसराएल के संतानों पर काप न पड़े ॥ ६€। और देखो में ने तम्हारे भाई लाबियों के इसराएल के संतानों में से लेके परमेग्बर की भेंट के लिये तुम्ह दिया जिसतें मंडली के तंबू की सेवा करें॥ ७। से तू और तेरे संग तेरे बेटे बेहौ की हर एक बात के ग्जर घंघट के भीतर की सेवा के लिये अपने याजक के पद को पालन करो ओर सेवा करो में ने याजक के पर में तम्हं भेंट की सेवा दिईं और जा परट्शी पास आवे से मारा जायगा॥ ८। फिर परमेग्यर ने हारून से कहा कि ट्ख में ने इसराएल के संतानों की समस्त पवित्र किई हुई उठाने की भेटां की रक्षा करना तुम दिया में ने उन्हें तेरे अभिषिक्त होने के कारण त॒म्े ओर तेरे बेटों के सदा की विधि के निमित्त दिया॥ €। उन पवित्र बस्तुन में से जा आग से बच रहों हें ये तेरे लिये हांगी उन के सब बलिटान और उन के हर एक भाजन की भेंट और उन के हर एक पाप की भेंट ओर उन के हर एक अपराध की भेंट जो वे मेरे लिये चढ़ावेंगे तेरे और तरे प॒त्रां के लिये अत्यंत पवित्र हेंगी॥ १५०। तू उसे अत्यंत पवित्र स्थान में खाइयो हर एक पुरुष उसे खाय यह तेरे लिये पवित्र हे। ५१५। और यह तेरी क्षे इसराएल के संतानों की भेंट के उठाने के बलिटान उन के सब 'हिलाये हुए बलिदान सहित में ने तम्के ओर तेरे संग तरे बेटों का और तरी बेटियों का सदा के व्यवहार के लिये दिया जा काई तेरे घर में पवित्र हावे से उसे खावे॥ १५२। सब अच्छे से अच्छा तेल और अच्छ से अच्छा ट्खरस ओर गेंक् का ओर इन सभा का पहिला फल जिन्हें वे परमेश्वर की भेंट के लिये लावेंगे में ने तुझे दिया॥ ९३। टश में जा पहिले पकता क्षे जिन्हें वे परमेश्वर के आगे ला तेरे हेंगे तेरे खर में जो काई पवित्र हावे से उसे खावे॥ ५४। इसराएल के संतानों के हर एक नैवेद्य को बस्तु तेरी हेगी॥ १५५॥। समस्त प्राणी में से हर एक जो गभ खालता है चाहे मनव्य हाय चाहे पश जिसे वे परमेश्वर के लिये लाते हें तेरा हागा तथापि त मनव्यां के गजर न गिनती (१८ पब्ब अपवित्र पशन के पहिलेंटों के निश्चय छड़ाइये।॥ ९६। और जो एक मास के बय से छडाये जाने का हेय पांच शेकल ट्राम जा पवित्र स्थान के शेकल के समान हावे जो बौस गिरह है अपने ठहराने के समान उसे डाइया॥ १५७। परंत गाय के पहिलोंट अथवा! भेड़ के पहिलांठट अथवा बकरी के पहिलेंटे के मत छड़ाना वे पवित्र हें त उनका लोाह्ू बंदौ पर छिड़किया और उन की चिकनाई आग से परमेम्घर की सगंध की भेंट के लिये जलाइये ॥ ५८। जैसे हिलाई हुई छाती ओर दरहिना कांघा तेरे हैं वैसा उन का मांस तेरा हेगा॥ १८ । पवित्र बस्तन के हिलाने के बलिदान जिन्हें इसराएल के संतान परमेश्वर के लिये चढ़ाते हेंमेंने तसके ओर तर संग तेरे बटां का और तरों बेटियां का सदा कौ बिधि के लिये ट्या परमेश्वर के आगे तरे ओर तर संगतेरे बश के लिय नन की बाचा सदा के लिये क्षे। २०। फिर परमेश्वर ने हारून से कहा कि त डन के देश में कुछ अधिकार न रखना ओर उन में कुछ भाग न रखना इसराएल के संतानों में तेरा भाग ओर तरा अधिकार में हूं ॥ २९। टेख में ने लावी के सतान के डन की सेवा के लिय जा वे सेवा करते हैं अधात्‌ मडली के तंब्‌ कौ सेवा के लिये इसराएल में सारा दसवां भाग टिया॥ २२९। ओर आग के इसराएल के संतान मंडली के त॑ंब के पास न आवें न हे। कि वे पापी होावें और मर जावें॥ २३। परंत लावी मंडली के तंब की सेवा करें ओर वे अपने पाप भागेंगे तम्हारी पीढ़ियों में यह सदा की बिधि हेगी कि वे इसराएल के संतानों अधिकार नहीं रखते हैं॥ २४। परंत इसराणएल के संतान का ट्सवां भाग जिन्हें वे परमेम्वर के लिये हिलाने की भंट के लिये चढ़ावें मैं नेलावियां के अधिकार में दियाइस कारण में ने उन्‍हें कहा कि इसराएल के सतानों में वे अधिकार न पावेंगे॥ २५। फिर परमेगश्वर मसा से कहके बाला॥ २६। कि लावियों का यथां कह और उन्हें बाल कि जब तम इसराएल के संतानों से टसवां भाग लेजओ जा में ने उन से तम्हारे अधिकार के लिये तम्हं टिया हे तम टहेकी का ट्सवां भाग उठाने के बलिदान के कारण परमेग्रर के आगे चढ़ाइबा॥ २७। जैसा कि खलिहान का अन्न ओर कोल्क़ की भरपरो तुम्हारे उठाने कौ ९6 पब्बे] कौ पस्तक । ३०३ भेंटें गिनो जायगी॥ र८। इस भांति से तुम भी उठाने कौ भंट परमेश्वर के लिय अपने सारे ट्सव भागों से चढ़ाओ जिन्हें तम इसराएल के संतानों से पाओगे ओर तम उस में से परमेम्यर की उठाने की भेंटें हारून याजक का दौजिया॥ २6८। अपनी समस्त भटां में से उस अच्छे से अच्छ अर्थात उस में का पवित्र किया हुआ भाग परमेश्वर के हिलाने कौ भेंट चढ़ाइये।॥ ३०। इस लिये उन्हें कहे! की जब तुम उन में से अच्छ से अच्छे का उठाओए तब लावियों के लिये खलिहान को बढ़तो और कोल्छ की बढ़ती की नाई! गिना जायगा॥ ३९५। ओर तम ग्रार तम्हारा घराना हर एक स्थान में खावे क्योंकि यह तम्हारी उस सेवा का प्रतिफल ह जा तम मडली के तंब में करते हो॥ ३२। और जब तम उस में से अच्छ से अच्छा डठाओए तब तम उस के कारण पापी न ठहरागे ओआर इसराएल के संतानों की पवित्र बस्तन के अशडू न करागे ओआर नाश न हाओगे॥ २९6८ जज्नौसवां पब्ब । पक परमेश्वर मुसा ओर हारून से कहके बेला॥ २। यह ब्यवस्था को रीति है जा परमेश्वर. ने आज्ञा कर के कहा कि इसराणएल के संतानों से कह कि एक निष्खाट ओर निर्टाष लाल कलार जिस पर कभी जआ न रक्‍्ख़ा गया हे तम्क पास लावं॥ ३। और तम उसे इलिअजुर याजक का दओ कि उसे छावनी से बाहर ले जावे ओर वह उस के आगे बलि किई जावे॥ ४। ओर इलिअजुर याजक अपनी अंगुली पर उस का लोह् लेके मंडली के तंब के आगे सात बार छिड़के ॥ ४। फिर उस के आगे कलार जलाई जावे उस की खाल ग्यर उस का मांस ओर उस का लाक् और उस के गाबर सहित सब जलाये जायें ॥ ६ । फिर याजक ट्वदारू की लकड़ी और जफा गैर लाल लेके उस जलती हुई कलार के ऊपर डाल ट्वे॥ ७। तब याजक अपने कपड़े घोवे और पानी में स्तान करे उस के पोछ छावनी में प्रवेश करे ओर याजक सांमक लो अशडू रहेगा॥ ८। और वह जो उसे जलाता के अपने कपड़ पानी से घावे और अपना आंग घावे और सांम्क लों अपवित्र ३०४ गिनती [ रद पन्ने रहेगा॥ <। ओऔर काई पावन मनव्य उस कलार कौ राख के ण्कद्ठी करे ओर छावनी के बाहर पवित्र स्थान पर उठा रक्‍वे और वुच्द इसराएल के संतानों की मं डली के लिये अलग करने के पानौ के लिये हैा।वे यह पाप की पवित्रता के लिये हे। ५०। और जो उस कलेर कौ राख के समेटता हे से। अपने कपडे घावे ओर सांस्क लें अपवित्र रहेगा और यह इसराएल के संतानें के और उन परटेशियों के लिये जो उन में बसते कं एक बिधि सदा के लिये हे।वे ॥ २९१५। जा काई मनव्य की लाथ का छये से सात दिन ला अपवित्र रहेगा॥ २९२। वह आप को तीसरे ट्न उर्झे पवित्र करे ओर सातवें ट्नि पवित्र होगा पर यदि वह आप के तौसरे दिन पवित्र नकरेता सातवें दिन पवित्रन हेगा॥ १५३। जो काई किसौ मनव्य की लाथ के छथे और आप के पवित्र नकरे उस ने परमेग्थर के तंब के अशडू किया वह प्राणी इसराणएल के संतानें में से कट जायगा इस कारण कि अलग करने का पानों उस पर छिड़का नहों गया वह अपवित्र हु उस को अपबधिवता अब ला उस पर हैँ॥ २१४। जब मन॒व्य तंब में मर तब उस की यही ब्यवस्था क्ञे सब जोेः तंब में आवें ओर सब जो तंब में हें सात दिन ला अशइडू हांगे। १५४५। ओर हर एक खला पात्र जिस पर ढंपना बंधा न हावे अशड् ॥ २९६ । ओर जो काई तलवार से अरण्य में मारे हुए के। अथवा लाथ के। अथवा मनव्य के हाड़ के! अथवा समाधि के छवे से सात दिन लो अशडू हेयगा ॥ ९७। ओर अश डू के पाप से पवित्र करने के लिये जलो हुई कलार कौ राख लेवे और एक बासन में बहता हुआ पानी उस पर डाले॥ १८। और एक पवित्र मनव्य जफा लेवे ओर पानी में डबा के तंब पर और सारे पात्रों पर और उन मनव्यां पर जा वहां थे और उस पर जिस ने हाड़ के अथवा जमे हुए का अथवा मस्तक का अथवा समाधि का छआ हो छिड़के॥ ९८। और पवित्र जन तौसरे दिन और सातव टन अपविब पर छिड़के और फिर सातवें टिन अपने के। पवित्र करे और अपने कपड़ घावे ओर पानी में नहावे तब सांमक के पवित्र हागा॥ २०। परंत वह मनव्य जा अपवित्र हाय और आप के पवित्र न करे वही मनव्य मंडली में से २० पब्बे] की पस्तक | ३०५ कट जायगा इस कारण कि उस ने परमेग्यर के पवित्र स्थान का अशदू किया इस लिये कि अलग करने का पानी उस पर छिड़का न गया वह अशड़ हे॥ २२९। जार यह उन के लिये नित्य कौ बिधि होगी जा काई अलग करने के पानी का छिड़के से अपने कपडे घावे ओर जा काई अलग करने के पानी का छवे से। सांस ला अशइडू रहेगा ॥ २२। और जे कुछ अपवित्र मन॒व्य छवे से। अपवित्र होगा और जो प्राणी उसे छवेगा से सांम्क लॉं अशडू हे।गा।॥ २० बोसवां पब्बे । प॒ के पोछ इसराणएल के संत/नें कौ सारो मंडली पहिले मास उ पीना के अर प्य में आई ओऔरर काट्सि में उतर पड़ी और मिरयम वहां मर गई और गाड़ी गई॥ २। वहां मंडलौ के लिय पानी न था तब वे मसा ग्जार हारून के विरोध पर एकट्ट कुए॥ ३। ओर लागां ने मसा से रूगड़ के कहा हाय कि जब हमारे भाई परमेम्वए के आग मर गये हम भो मर जात ॥ ४ । तम परमेगञ्यर कौ मंडलो का दूस अरण्य में क्यों लाये कि हम और हमारे ढाोर मर जा4॥ ५। और तम हमें मिस्र से इस बरे स्थान में क्यां चढ़ा लाथे यहां तो खेत और गलर ओर टाख और अनार नहीं हें ओर पीने के पानौ नहों॥ ६। तब मसा और हारून सभा के आगे से मंडलो के तंब के द्वार पर गये और औंधे मंह गिरे तब परमेगसख्वर को महिमा उन पर प्रगट हुई ॥ ७। और परमेश्रर मसा से कहके बाला॥ प८। कि छड़ौ ले और त और तेरा भाई हारून मंडली के ण्कट्ठरी करो ओर उन को आंखां के आगे पब्बेत के। कहे! और वह अपना पानी ट्गा त्‌ उन के लिये पत्बेत से पानी निकाल और उद्मत मंडली का और उन के पशन का पिला॥ <। से मसा ने छड़ो का परमेग्वर के आगे से लिया जैसघो उस ने उसे आज्ञा किई थी॥ ९०। और मसा ओर ह।रून ने मंडली के। उस पब्बे तके आगे एकट्टों किया आर उस ने डन्हं कहा कि सने। हे टंगइतोा क्या हम तम्हार लिये इस पब्बेत से पानो निकालं॥ १५१५। तब मसा ने अपना हाथ उठाया ओर उस पत्बत के टाबार अपनो छड़ी से मारा 89 3.० 9: 9. | ३०६ गिनती [२० पब्य तब बहुताई से पानी निकला और मंडली और उन के पशन ने पीया ॥ ९२ । तब परमेग्यर ने मसा ओर हारून का इस कारण कहा कि तम ने मेरी प्रतोति न किई कि इसराएल के संतानें की दृष्टि में मस्त पविब करो इस लिय तम इस मंडलोी का उस देश में जोमें ने उन्हें दिया क्षेन लाओेागे॥ १५३। यह मसकगड़े का पानी हे क्योंकि इसराएल के सतानों ने परमेश्वर से कूगड़ा किया और उस ने उन के मध्य आप के पवित्र किया ॥ १९४। ओर कादिस से मसा ने अट्टूम के राजा के पास टूतों का भंजा कि तेरा भाई इसराएल कहता हे कि जो जो दुःख हम पर बौता हे त जानता क्षे। ९५ | कि किस भांति से हमारे पितर मिस्र में उतर गये और हम मिख में बहुत टिन रहे ओर मिस्तियों ने हमें और हमारे पितरों का दुःख दिया॥ २६। और जब हम परमेश्वर के आग चित्ला्थे तब उस ने हमारा शब्द सुना और एक टूत के भेज के हमें मिस्र में से निकाल लाया ओर टेख हम तेरे अत्यंत सिवाने के नगर कादिस में हें ॥ ९७। से हमे अपने देश में हेाके जाने टौजिय कि हम खेतों ओ।र दाखों की बाटिकों में न जायंग गैर न क॒ओे| का पानी पौवंगे हम राज मागे से हाके निकले चले जायेंगे हम ट्हिने अथवा बायें हाथ न मड़ग जब लॉ कि तेरे सिवानाों से बाहर न निकल जाय॥ ९१८। तब अट्टूम ने उसे कहा कि तम मेरे सिवाने में हाके न जाना नहों ता में तलवार से तक्क पर निकलंगा॥ १५८। फिर इसराएल के संतानों ने उसे कहा कि हम राज मागे से हाके चले जायगे और यदि में अथवा मेरे ढार तेरा पानी पीय तो मैं उस का दाम देऊंगा कुछ न करूंगा केवल में अपने पाओं से चला जाऊंगा ॥ २० । उस ने कहा कि त्‌ कघौ जाने न पावेगा तब अट्टूम बड़े बल से और बहुत लागों के साथ उसपर चढ़ आया॥ २९१। से अट्टम ने इसराएल का अपने सिवाने में से जाने न द्या इस कारण इसराएल उद्म फिर गय॥ २२ । ओर इसराएल के सता नो कौ सारी मंडली काधथ्सि से कंच करके हर पहाड़ पर आई ॥ २३। और परमेम्थर ने अट्टम देश के सवाने के लग कर पहाड़ पर मूसा और हारून से कह्दा॥ २४। कि.हारून अपने लागें में एकट्टा किया जायगणा क्यांकि वुद्द उस देश में जसे में ने २९ पत्बे) कौ पस्तक । ३०७ इसराएल के संतानें का दिया है न पहुंचेगा इस लिये कि तुम कगड़ के पानौ पर मेरे बचन से फिर गये॥ २५। हारून ओर उस के बेट इलिअज्र का ले ओर उन्हें हर पहाड़ पर ला॥ २६। हारून के बस्तर उतार गऔर उनन्‍्हं उस के बेटे इलिअज॒र के पहिना कि हारून समेटा जायगा और वहां मर जायगा॥ २७। सो जैसा परमेश्वर ने आज्ञा किई थी मसा ने वैसा हो किया ओर वे मंडली के आगे छूर पहाड़ पर चढठ गये ॥ २८ | ओर मसा ने हारून के बस्त्र उतारे और उन्‍्हं उस के बट इलिअजर के! पहिनाया ओर हारून पहाड़ कौ चाटी पर मर गया और मसा और इलिअजर पहाड़ से उतर आये ॥ २€। और जब सारो मंडली ने रखा कि हारून मर गया तब इसराएल के सारे घराने ने हारून के कारण तौस ट्न ला बिलाप किया ॥ २९ णएक्कीसवां पब्बे। ञ््ै शी कू्‌ 7र जब राजा अराद कनआनी ने जा दक्षिण में बास करता था सुना कि इसराएल भेदियों के मागे से आये ता इसराएल से लड़ा ओर उन में से बंधआई किया॥ २। तब इसराएल ने परमेश्वर कौ मने।ती मानी ओर बे।ला कि यदि तू सच मच इन लोगों का मेरे बश में कर दंगा तो में उन के नगरों का सबैथा नाश कर देऊंगा॥ ३ ।से परमेश्वर ने इसराएल का शब्द सना ओर कनआनियो का उन के हाथ में सांप टिया ओर उन्‍्हों ने उन्‍्हं और उन के नगरों का सर्ंधा नष्ट कर दिया ओर उस ने उस स्थान का नाम हुरमः रक्‍वा॥ ४। फिर उन्‍्हा ने ह्वर पहाड़ से लाल समुद्र कौ ओर कूंच किया जिसतें अट्टम के देश के घेर लेव परंतु मागे के कारण लागां का प्राण बह़त उदास हुआ॥ ५। ओर लेाग ईम्वर के ओर मुूसा के विरोध में बाले कि तुम क्यां हमें मिस्व से चढ़ा लाये कि हम अरण्य में मर क्यांकिअन्न जल कुछ नहों क्ञे हमें तो इस हलकी राटो से घिन आती कै॥ ६। तब परमेश्वर ने उन लागों में अग्नि सपं भेज जिन्हें ने उन्हें काटा और इसराणएल के बहुत लोग मर गय॥ ७। इस लिये लेग मूसा पास आये ओर बाले कि हम ने पाप किया हे क्यांकि हम ने कह गिनती [२९ पब्बे परमेश्वर के और तेरे विरोध में कच्दः है से। त परमेम्वर से प्रा ना कर कि हन्स से उन सापां का उठा लेवे सो मसा ने लागों के जिये प्रार्थना किईदे॥ ८ं। तब परमेश्वर ने मसा से कहा कि अपने लिये एक आग का सरप बना और एक लट्ट पर लटका ओर थों हेगा कि दर एक डंसा हुआ जब उस पर दृष्टि करंगा जीयेगा॥ <«। से मूसा ने पीतल का एक सर्थ बना के लट्ट पर रक्वा ओर यों हुआ कि याद स किसी के डंसा ते जब उस ने उस पीतल के सप पर दृष्टि किई वह जोया॥ १५०। तब इसरःएल के संतान आगे बढ़े और ओबात में डेरा किया॥ २१। फिर बात से कूंच किया और अजीअबरीम के बन में जा मेअब के आगे पबे ग्रेर क्षे डरा किया॥। ९२। वहां से कंच करके जरद को तराई में डरा किया॥ ९३। वहां से जे। चले ते अथून के पार उस बन में जो अमूरियों के सिवाने का अव्य क्षे आके डेरा किया क्योंकि अनून मेाअब का सिवाना क्षे माअब ओर अम्‌रियों के मध्य॥ २९४। इसौ लिये परमेम्यर के संग्राम की पुस्तक में लिखा हे कि उस ने लाल समुद्र में और अनून के नालों में क्या क्या कुछ किया॥ ९५। और नालों के धारे के पास जा आर की बल्तियां के नीचे जाता है ओर मेअवियां के सिवानों पर क्षे। ९६। ओर वहां से बिअरः का जा कआं क्षे जिस के कारण परमेश्वर ने मूसा से कहा कि लोगों का एकट्ठ कर कि में उन्हें पानी टेऊंगा ॥ १७। उस समय इसराएल ने यह भजन गाया कि हे कओं उबला उस का जस दृओ॥ २९५८। अध्यक्षों ने उसे खादा लागों के महानों ने 'छसे खाद ब्यवस्थादायक के समान अपनी लाठियों से और बन से मत्तन: का गये॥ ९९। और मत्तनः से नहलिएल का ओर नहलिएल से बामात के॥ २०। ओर बामात की तराई से जा माअब के दश में हे पिसगः की चाटी लां जहां से जसमन का ओर टेखाता था॥ २१॥। और इसराएल ने अम्रियों के राजा सहन के पास यह कहके टूत भेजे ॥ २२। कि हमें अपने ट्श से निकल जाने दे हम खतां आर टाखों को बारियां में न पठंगे न हम कअओं का पानो पौवगग परंत राजमागे से चल जायेंगे यहां लां कि तेरे सिवानों से ब(हर हे। जाये ॥ २९ पब्ब] की पुस्तक ॥ ३०८ २३। पर सेहन ने इसराएल के। अपने सिवानों से जाने न दिया परंत अपनेलागां के एकट्ठ करके इसराएजल का साम्ना करने का अरप्प में निकला ओर जहाज में पहुंचक्रे इसराएल से रूुग्राम किया॥ २४। और इसराएल ने उनन्‍्हं खड़ की धार से मार लिया ओर उन के टेश पर अनन से लेके यबक ला अथात अन्यन के संतान लॉ बश में किया क्योंकि अस्मन के सतानां का सिवाना हृढ़ था॥ २५४। सो इसराएल #ने थे: सब 7लगर ले। लिये ओर: अमारियेए -के संब-नग्रों में ओर हसबन में ओर उस के सारे गांओं में बास किया॥ २६। क्योंकि हसबन अमर रियो के राजा सैक्लन का नगर था जा माअब के अगले राजा से लड़ा ओर उस का समस्त टेश अनन ले उस के हाथ से लेलिया॥ २७। इसो लिय दृष्टांतबक्तों ने कहा हे कि हसबन में आओ सेकह्नन का नगर बस जाय सिद्ध हेय॥ २८। क्योंकि आग हसबन से निकली लवर सेहक्न के नगर से जिस ने मेअब के आर का और अनन के ऊंचे स्थान के प्रधाने| के भक्ष किया॥ २६ । हे मेअब तम्क पर संताप हे कमस के लागा तम नाश हुए उस ने अपने बच हुए बटां के दे दिया ओआर अपनी बंटियां अमरियों के राजा सेहन के बंधआई में कर दिई॥ ३०। उन का टोया हसबन से लेके टेबन लॉ बस्क गया ओर नफह लो जो मेट्बा के पास है उज़ाड़ दिया॥ ३९। यां इसराएलियां ने अमरियां के देश में बास किया॥ ३०। फिर मसा ने यअजीर का भद लेने के भजा उन्‍्हों ने उस के गांओआं के लिया और अम्रियां का जा वहां थे हांक दिया॥ ३३। तब वे फिरे और बसन की ओर चढ़े ओर बसन के राजा ऊज ने अपने सब लाग लेके युद्ड के लिये अट्विअई में सग्राम के लिय उन का साम्ना किया॥ ३४। तब परमेग्वर ने मसा से कहा कि उस से मत डर क्योंकि में ने उसे ओर उस के समस्त लागों का ओर उस के दश के तेरे हाथ में सांप दिया से त उन से वेसा कर जेसा तने अम रियो के राजा सेह्न से किया जे हसबन में रहता था॥ ३३ । सो उन्‍्हां ने उसे ओर उस के बट ओर सारे लागों का यहां लां मारा कि कोई जोता न छूटा ओर उस के ट्श में बास किया | ३१० गिनती (२२ पब्ब २२ बाईसवां पत्ब । 'ि इसराएल के संतान आगे बढ़े और यरीक्ू के लग यरदन के इसी र माअब के चोगानों में डरा किया॥ २। और जब सफर के बेटे बलक ने सब टेखा ज्ञा इसराएल ने अमरियों से किया॥ ३ । ता मेोअब उन लागों से निपट डरा इस कारण कि वे बहुत थ और मेाअब इसराएल के संतानों के कारण से दुःखत हुआ॥ ४। तब मेाअब ने मिट्यान के प्राचौनां से कहा कि अब य जथा उन सब के जो हमारे आस पास हें यां चाट जायेगी जैसे कि बैल चैौगान की घास के चट कर लेता हे ओर सफ्र का बेटा बलक्‌ माअवियं का राजा था॥ ५४। से उस ने बआूूर के बट बलआम पास फत्रः का जा उस के लोगों के संतान के देश की नदौ पास थे टूूत भेज जिसतें उसे यह कहके बला लावें कि टेख लोग मिस से बाहर आये कहें दंख' उन से एथिवी छिप गई कहे और मेरे साग्न ठहरे हैं॥ ६। से अब आइय ओर मेरे लिये उन्हें स्वाप टौजिय क्योंकि वे मम्क्त से अत्यंत बली हें क्या जानें मं उन्हें मार सकं और उन्हें इस ट्श में से खटड़ देजं क्यांक में निश्चय जानता हूं कि जिसे त आशीष टता है से आशीष प्राप्त करता हु ओर जिसे त स्ताप देता हे बह सापित ह्े। ७। माोअब ओर मिद्यान के प्राचोन टोने का प्रतिफल हाथ में लेके चले और बलआम पास आये और बलक का बचन उसे कहा॥ ८। उस ने उन्ह कहा कि आज रात यहां रहे और जैसा परमेग्यर मुम्दे करेगा में तम्हें कह्ूंगा से। मोअब के प्रधान बलआम के संग रहे॥ € , तब ईस्र बलआम पास आया ओर उसे कहा कि तरे संग ये कान मनय्य । २९०। बलआम ने इंग्वर से कहा कि माअब के राजा सफर के बट बलक न॑ उन्हे मम्क पास भजा और कहा॥ ९५९॥। कि देख लाग मिस्र से निकल आये हैं जो प्थिवी का ढांप रहे हें से आ मेरे कारण उन्‍्ह स्वाप टे क्या जाने में उन से जय पाऊं और उन्हें खदड़ देऊ॥ ९२। तब ईयस्वर ने बलआम से कहा कि त उन के साथ मत जा त उन्‍्हं स्वाप मत दे क्यांकि वे आशीष प्राप्त किये हैं ॥ ९६ | और बलआम ने बिहान के उठके बलक्‌ के अध्यक्षां से कह्या कि अपने दश का जाओ २२ पब्ब] कौ पस्तक | ३९९ क्यांकि परमेग्वर मम्मे तम्हारे साथ जाने नहीं देता ॥ ९४ । से! मेअब के अध्यक्ष डठे ओर बलक्‌ पास गये ओर बेले कि बलआम ने हमारे साथ आने का नाह किया हे॥ २५४। तब बलक्‌ ने उन से अधिक ग्यार प्रतिष्ठित अध्यक्षे|ं का फिर भेजा॥ १५६। ओर उन्‍हें ने आके बलआम से कहा कि सफर के बेटे बलक्‌ ने यों कहा हे कि मुसक पास आने में आप के काई रोकने न पावे॥ २७। क्योंकि में आप को अति बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा ओर जो कुछ आप मुझ्के कहेंगे में करूगा में आप की बिनतो करता हू कि आइये उन लागों को मेरे निमित्त स्वाप दोजिये॥ १८। तब बलआम ने बलक के सेवकों से उत्तर दके कहा कि यदि बलकु अपना घर भर के चांदौ सेना दृवे तो में परमेश्वर अपने ईस्थर के बचन का उज्ञंवन करके घट बढ़ नहीं कर सक्ता॥ १८। से अब तम लाग भी यहां रात भर रहे जिसत में ट्खं कि परमेग्वर मस्क अधिक क्या कहेगा॥ २०। फिर ईश्वर रात के बलआम के पास आया और उसे कहा कि यदि ये मनय्य तुम्मे बलाने आंव तो उठ के उन के साथ जा पर जा बचन में तम्मे कहक्ूं सोई कहिया ॥ २९। से बलआम बिहान का उठा और अपनी मदद्दी पर काठो रक्‍्वी ओर मेअब के प्रधानों के साथ गयधा॥ २२। ओर उस के जाने के कारण ईयग्ग्वर का क्राध भड़का और परमेश्वर का टूत बैर लेने के उस के सन्मुख माभे में खडा हुआ से। वह अपनी गदददौ पर चढ़ा हुआ जाता था और उस के दा सेवक उस के साथ थे॥ २३। से गदही ने परमेस्र के हत का अपने हाथ में तलवार खोंच हुए मा) में खड़ा ट्खा तब गदरही मागे से अलग खेत में फिर गई तब उसे मागे में फिरने के लिये बलआम ने गद हो का मारा ॥ २४। तब परमेश्वर का ट्ृत दाख कौ बारियां के पथ में खड़ा हुआ था जिस के इधर उधर भौत थी ॥ २५ । और जब परमेग्रर के टृूत के गदहौ ने टेखा उस ने भीत में जा रगड़ा और बलआम का पांव भौत से दबाया और उस ने उसे फिर मारा॥ २६। तब परमेग्रर का ट्ूत आगे बढ़के एक संकेत स्थान में खड़ा हुआ जहां ट्चिने बाये फिरने का मा» न था॥ २७। ओर गदहीं परमेग्रर के टृत के दख के बलआरम के नीचे बैठ गई तब बलआम का क्राघ भड़का ओर उस ने ३२९२ गिनती [२२ पब्च गदही के लाटो से मारा। २८। तब परमेच्र ने गदह्दी का मंह खाला और उस ने बलआम से कहा कि में ने तरा क्या किया हे कित ने मस्फे अब तौन बार मारा ॥ ९९ । और बलआम ने गद्दी से कहा कित्‌ ने मुस्झे बै।ड़हा बनाया में चाहता कि मेरे हाथ में तलवार हेतौ तो तुस्के मार डालता॥ ३० । पर गटही ने बलआम से कहा कि क्या में तेरी गटही नहों कूुंजिस पर त्‌ आज के दिन लो चढ़ता हे क्या में एसा कधो करती आई हूं बच बेला कि नहों॥ ३९। तब परमेश्वर ने बलआम को आख खोलों और उस ने परमेम्वर के ट्रत के मार) में खड़े रए टेखा और उस के हाथ में खोंची हुई तलवार हे उस ने अपना सिर सककाया और ओंघा गिरा। ३२.। तब परमेगर के द्रत ने उसे कहा कि त्‌ ने अपनो ग हो का तौन बार क्यां मारा ट्ख में तर बिरुड़ में निकला हूं इस लिये कि तरोी चाल मेरे आगे हटौली हैे॥ ३३। और गदरही मुस्के रख के तौन बार मुस्क से फिर गई यदि वुह मुझ से न फिर ती ता निश्चय में तुब्से मार ही डालता ओर उसे जीती छीाड़ता॥ ६३४ । तब बलआम ने परमेग्वर के दृत से कहा कि मभ्क से पाप हुआ क्योंकि में ने नजाना कि तू मेरे विरुडडू मार्ग में खड़ा हे से। अब यदि त्‌ अप्रसन्न हे तामें फिर जाऊंगा ॥ ३६ । पर परमेम्वर के दूत ने बलआमसे कहा कि मनुव्ये के साथ जा परंतु केवल जा बचन में तुस्के कह सेई कहिये। से बलआम बलक के प्रधानें के साथ गय ॥ ३६ । जब बलक्‌ ने सुना कि बलआम पहुंचा ता उस ने अत्यंत तौर के अनुन के सिवानेमें मेअब के एक नगर ला उस की अगुआई के निकला | ३७। तब बलक्‌ ने बलआम से कहा कि क्या में ने बड़ी बिनती करके तम्क नहों बलाया त मस्क् पास क्यों चला न आया क्या निश्चय में तरी महात्मप्र नहों बढ़ा सक्ता ॥ ३ ८८। बलआम ने बलक्‌ से. कहा ट्ख में तरे पास आंया क्या मक्‍्क में कुछ शक्ति क्षे कि में कहूंजा बात ईशर मेर मंह्र में डालेगा साई कहूंगा॥ ३6८ । और बलआम झऔर बलक्‌ साथ साथ गये ओर करियासहस्हस में पहुंचे॥ ४०। तब बलक ने बैल ओर भेड़ चढ़ाये और वलआम के और उन अध्यक्षों के पास जा उस के साथ थे भेजे ॥ ४ १ । ओर बिहान को ये हुआ कि बलक ने बलआम के साथ लिया और उसे बआल के जंच स्थानों में लाया जिसतें वुच्द वहां से लागों के बाहर बाहर देखे ॥ २३ पन्बे] की पस्तक। ३९३ २३ तईसवां पब्बे । ब बलआम ने बलक्‌ से कहा कि मेरे लिये यहां सात बेदौं बना त्‌ और मेरे लिये यहां सात बैल गर सात मेंढ सिद्ध कर॥ २। जैसा बलआम ने कहा था बलक ने बैसा किया और बलक ओर बलआम ने हर बेटी पर एक बेल ओर एक मेंढ़ा चढ़ाया॥ ३। फिर बलआम ने बलक से कहा कि अपने होम की भेंट के पास खड़ा रह आर में जाऊंगा कदाचित परमेश्वर मम से भेंट करे जो कुछ बह मर्मे ट्खियेगा है तस्ते कहूंगा से वह ऊंचे स्थान के चला ॥ ४। ओर ईसग्र बलआम के। मिला और उस ने उसे कहा कि में ने सात बेदी एड किया ओर एक एक बैल ओर एक एक मेंढ़ा हर एक पर चढ़ाया ॥ ५। तब परमेग्घर ने बलआम के मंह में बचन डाला ओर उसे कहा कि बलक पास फिर जा ओर उसे यों कह॥ ६। से वह उस पास फिर आया और क्या देखता है कि वह अपने होम के बलिदान के पास समाअब के सब प्रधानों समेत खड़ा क्े। ७। तब उस ने अपने दृष्टांत में कहा कि पबे के पहाड़ां से अराम से माोअब के राजा बलक्‌ ने मरे बलाया कि मेरे निमित्त यअकब को स्ताप टीजिय और इसराएल का घिक्कारिये॥ ८। में उसे क्यांकर स्लापां जिसे इंग्र ने नहों स्लापा अथवा उसे घिक्कारू जिसे इंग्वर ने नहों घिक्कारा॥ <। क्यांकि पहाड़ को चाटो पर से मैं उसे टेखता हूं और पहाड़ पर से डसे ताकता हू देखे! ये लाग अकेले रहेंगे ओर लेगें के मध्य गिने न जायेंगे॥ ५०॥ यअकब की घल के कान गिन सक्ता ह आर इसराएल की चाथाई का लेखा कान ले सक्ता है हाय कि में धर्मों कौ स्टत्य मरू और मेरा अंत्य उन का सा हे। ॥ ९ १५। तब बलक्‌ ने बलआम से कहा कि तू ने मुर्त से क्या किया में ने तुझे अपने शत्रन का स््वाप दने का लिया ओआर ट्ख त ने उन्हे सबथा आशीष दिया॥ ९५२। उस ने उत्तर दके कहा कि क्या मम्झ उचित नहों कि वच्दो बात कह जा परमेग्र ने मेरे मंह में डाली है ॥ १५३। फिर बलक ने डसे कहा कि अब मेरे साथ ओर हो स्थान पर चलिये वहां से आप उन्हें देखिये आप कंवल उन का बाहर बाहर ट्खियेगा और उन्‍हें सब के सब 40 [4. 8. 8.] ३२१४ गिनतो [२३ पब्बे न टेखियेगा मेरे लिये वहां से उन पर स्वाप टौजिये॥ १९४॥ और वह उसे वहां से सफाईम के खेत में पिसगरः की चाटौ पर ले गया और सात बेटौ बनाई हर बेदी पर एक बैल और एक मेंढ़ा चढ़ाया॥ १५५४। तब उस ने बलक से कहा कि जबलों में वहां जाऊं ओर ईम्वर से मिल आउऊं त यहां अपने हेशम के बलिद।न पास खड़ा रह॥ १६॥ से परमेग्रर बलआम के मिला ओर उस के मंह में बचन डाला ओर कहा कि बलक पास फिर जा और थां कह॥ २९७। और जब वह उस पास पहुंचा ता क्या रखता कहे कि वह अपने हेम के बलिदान के पास माअब के प्रधानों समेत खड़ा है तब बलक ने उस्मों पका कि परमेग्वर ने क्या कहा क्हे॥ ९८८॥ तब उस ने अपने दृष्टांत उठाके कहा कि उठ हे बलक और सन है सफर के बेटे मेरी आर कान घर॥ २१८। इंग्वर मनव्य नहों कि सकूट बाले न मनव्य का पत्र कि वह पछतावे क्या वह कहे ओर न करे अथवा बाले और उसे परा न करे। २०। टेखमें ने आशोष के निमित्त पाया हों उस ने आशीष टिया हो में उसे पलट नहों सक्ता। २९। उस ने यअरकब में बराई नहों ट्खी न उस ने इसराएल में हट टेखा परमेग्यर उस का ईम्वर उस के साथ हे और एक राजा का ललकार उन के मध्य मेंहे॥ २२। ईम्मर उन्हें मिस से निकाल लाया वह गेंड का सा बल रखता क्षे। २३ | निश्यय यअकब के बिराध टोना नहों और इसराएल के बिरुड्द काई प्रश्न नहीं इस समय के समान यअकब के ओर इसराएल के बिषय में कहा जायगा किईग्वर ने क्या किया॥ २४। ट्खा य लाग महा सिह की नाई उठगे और आप के यबा सिंह के समान उठावेंग वह न सावेगा जब ले अहे र न खा ले और जबलें जम्क का लाह् न पौ ले ॥ २५ । तब बलकु ने बलआम से कहा कि नतो उन्हं स्नलाप नआशोष दौजिये॥ २६। परंतु बलआम ने उत्तर दिया ओर बलक से कहा क्या में ने तुम्मे नहों कहा कि ज्ञा कुछ परमेग्वर कहेगा में अवश्य करूंगा ॥ २७। तब बलक्‌ ने बलआम से कहा कि आइये में आप के ओर स्थ,न पर ले जाऊज कदाचित्‌ ईश्वर की इच्छा हावे कि वहां से आप मेर लिये उन्हें स्वाप टौजिय॥ २८। तब बलक्‌ बलआम को फूग्ूर को २४ पब्ब] कौ पस्तक । ३९५४ चेतटी पर जा जशमन के सन्मख हु लाया॥ २८। वहां बलआम ने बलक से कहा कि मेरे लिये यहां सात बेटी बना और मेरे लिये सात बैल और सात मेंढू सिद्ध कर॥ ३०। जेसा बलआम ने कहा था बलक्‌ ने बैसा किया और हर एक बेदी पर एक बैल ओर एक मेंढ़ा चढ़ाया। २४ चौबीसवां पब्बे । ब बलआम ने टेखा कि इस राएल के। आशीष ट्ना ईयग्घर का अच्छा (5 ॥ रेड तब वह अब कौ आरगे की नाई नहों गया कि टाना करे परंत उस ने अपने मह के बन की ओर किया ॥ २। ओर बलआम ने अपनी आंखें उठाई और इसराएल के देखा कि अपनी अपनी गाछियें के समान बसे हैं तब ईग्वर का आत्मा उस पर उतरा॥ ३। उस ने अपने दृष्टांत उठाके कहा कि बश्वर के बेटे बलआम ने कहा हे गैर वह मनव्य जिस की आंखें खली हें बाला के ॥ ४। जिस ने ईश्वर के बचन के! सना है और स्वेशक्तिमान ईश्वर का दशेन पाया हे से पड़ा हे परत आंखें खजी हैं उस ने कहा क्षे ॥ ५ । क्या ही संट्र हें तेरे तंव हे यअकब और तेरे निवास स्थान हे इसराएल वे तराई की नाई और नदी के निकट की बारियों की नाई और जेसे अगर के छक्ष जिसे परमेग्वर ने लगाया है और जैसे पानो के निकट के आरज ढ क्ष हावें फैले हुए हैं॥ ७। वह अपनी मेट से पानी बहावेगा ओर उसका बीज बहुत से पानियों में होगा उस का राजा अगाग से बड़ा हे।गा और उस का राज्य बढ़ जायेगा ॥ प्स। ईश्र उसे मिख से बाहर निकाल लाया ऊस में गेंढे का सा बल हे बुद्द अपने शत्रु के देशियां के भक्षण करेगा ओर उन कौ इड्यों के चूर करेगा और अपने बाएं से उन्हें छटंगा॥ €। वुच्द मकता हे और सिंह को नाई हां महासिह को नाई लेटा हे उसे कान छड़ सक्ता क्षे धन्य हे वुच्त जे तुम्ध्न आशीष ट्वे स्तापित हे वुच्द जो तुम्के स्वाप टेवे॥ ९०। तब बलक्‌ का क्राध बलआम पर भड़का ओर उस ने अपने ट्ोनों हाथों से थपाली पीटो और बलक ने बलआम से कहा कि में ने तो ते अपने बरो का स्वाप टने के बलाया ओर ट्ख तने तौन बार उन्‍्हं सबेथा आशीष (या है। १५१५। चल अब अपने स्थ/न के भाग में ने तेरी बड़ी ३९६ गिनती [२४ पच्बे प्रतिष्ठा करने चाहा था पर ट्ख परमेगर ने तस्के प्रतिष्ठा से रोक रक्‍्खा ॥ २९२ | बलआम ने बलक से कहा कि में ने तर द्वतों का जिन्हें त ने मेरे पास भजा था नहों कहा॥ १५३। कि यदि बलक अपना घर भर चांदी सेना मर्मे ट्वे में भला अथवा बरा करने में परमेग्वर की आज्ञा के उल्लंघन नहों कर सक्ता परंत जा कछ परमेगञर करे में वच्दी कह्ूंगा॥ २५४। अब ट्ख में अपने लागां में जाता हू आ मैं तम्मे संदेश दऊंगा किय लाग तर लागों से पिछले दिनों में क्या करेंगे॥ ९१५ । फिर उस ने अपने _ दृष्टांत उठाके कहा और बाला कि बञर का पत्र बलआम कहता ह्े और दठह मनव्य जिस की आंख खली हैं कहता कहै॥ २६। वही जिस ने ईश्वर के बचन के सुना हे और अत्यंत महान के ज्ञान के जाना है ओर जिस ने सबेशक्तिमान का दर्शन पाया है जो पड़ा क्षे परत उस को आंख खली क्ों॥ ९७। में उसे टेखंगा पर अभी नहीं मेरी दृष्टि उस पर पड़ेगी पर निकट से नहीं यअकब से एक तारा निकलेगी और इसराएल से एक राजटंड उठेगा और मेाअब के कानों का मार लेगा ओर सेत के सारे संतान के नाश करंगा॥ १८। अट्टम अधिकार हेगा और शऔऔर भो अपने शत्रुन के लिये अधिकार होगा ओर इसराएल बौरता करेगा ॥ १५.८। वह जो राज्य पावेगा से यअक॒ब से निकलेगा ओर जे। नगर में बच रहेगा उसे नाश करेगा॥ २०।फिर उस ने अमालीक के देखा और अपना दृष्टांत उठाया ओर कहा कि अमालीक लागों में पहिला था पर॑त अंत में वह नाश हागा॥ २९१५। फिर उस ने कैनियां पर दृष्टि किई ओर अपना दृष्टांत उठाया और कहा कि तेरा निवास हृढ़ क्षे त पहाड़ पर अपना खांता बनाता क्ोे॥ २२ । तथापि कैनी उजाड़ किये जायंग यहां ला कि असर तम्फे बंघआई में ले जायेगा॥ २३। फिर उस ने अपना दृष्टांत उठाया ओर कहा कि हाय कान जीता रहेगा जब ई बार या हों करेगा ॥ २४। किन्तो के तौर से जहाज आवंगे और अछरूर के श्लर इब्र के सतावेंगे आर वह भो सवंधा नाश हावेगा तब बलआम उठा और चला ओआर अपने स्थान का फिर गया और बलक ने भो अपना माग लिया । ८ २५ पब्ब] की पुस्तक । ३९७ २५ पचौसवां पब्बे । मम इसराएली सन्तोन में रहे ओर लागां ने मेअबियां की बेटियों से व्यभिचार करना आरंभ किया ॥ २। उन्‍्हों ने अपने ट्बतों के बलिदानोें में उन लागों का नेउता दिया ओर लोगों ने खाया ओर उन के दवतां का टंडघत्‌ किई॥ ३। ओर इसराएल बअलफगर से मिले तब परमेश्वर का क्रोघ इसराएल पर भंड़का॥ ४। ओर परमेग्वर ने मूसा से कहा कि लोगों के सारे प्रधानों के। पकड़ ओर उन्हें परमेम्थर के आगे रूव्थ के सन्मुख टांग दे जिसतें परमेश्वर के क्राध का भड़कना इसराएल पर से टल जाय॥ ५। से मसा ने इस राएल के न्यायियां से कहा कि तस्में से हर एक अपने लागों के जे। बअलफगर से मिल गये थे मार डाले॥ ६। सो वहचहों एक इसराएलो आया ओर अपने भाइयों के पास एक मिट्यानी स्त्री का मसा ओर इसराएल के संतानोां की सारो मंडली के साम्ने लाया और वे मंडली के तंब के द्वार पर बिलाप करते थ॥ ७। और हारून याजक के बेटे इलिअजर के बेटे फीनिहास ने यह ट्खा वह मंडली में से उठा ओर बरछी हाथ में लिई॥ ८। ओर उस मनय्य के पीछ तंब में घसा ओर उन दोनों के इसराएली परुष और स्त्रों के पेट का गोदा तब इसराणल के संतानें में से मरी थम गई ॥ <। वे जा उस मरी से मर चेबीस सहस्त थे॥। १०। फिर परमेम्र मसा से कहके बाला॥ १५१ । कि हारून याजक के बेटे इलिअजर के बटे फीनिहास ने मेरे काप के इसराएल के सतानों पर से फेरा जब वह उन में मेरे निमित्त ज्वलित था जिसतें में ने इसराएल के संतानों का अपने कल से भस्त न किया॥ २१२। से कह किट्ख में उसे अपने कुशल की बाचा देता हछ्ूं॥ ९३। से। वह उस के ओर उस के पीछे 'छस के बंश के लिये होगा अथात्‌ सनातन की याजकता की बाचा इस कारण कि व॒ह अपने ईखर के लिये ज्वलित था और उस ने इसराएल के संतानों के लिये प्रायज्यित्त दिया ॥ ९४ । उस इसराएलो मनव्य का नाम जो उस मिट्यानी स्त्रो के साथ मारा गया जिमरो था सल का बेटा जा समअ नियों के एक अ्रष्ठ घर का अध्यक्ष था॥ १५५ । ओर उस मिद्यान। 32 कै गिनतो [२६ पब्ब दातती अल कम व कक 0000 7 5 स्‍त्रौ का नाम जा मारी गई कजबी था रूर की बेटी जो लागों का प्रधान ओर मिद्यान के संतानों में श्रेष्ठ घर का था॥ १५६। फिर परमेस्वर मसा से कहके बाला॥ १९७। कि मिद्यानियां के खिक्काओ औरएर उन्‍हें मारा॥ २५८। क्योंकि उन्‍हें ने अपने छल से जिस्म उन्‍्हों ने फगर के बिषय में तम्ह छल दिया और कजबी के बिषय में जो मिट्यानी के प्रधान की बेटी और उन की बहिन थी जो उस मरी के ट्नि जा फुगुर के कारण से हुई मारी गई उन्‍्हों ने तुम्हें खिम्काया॥ २६ छबौसवां पब्बे। जज एसा हुआ कि उस मरी के पीछ परमेग्वर ने मसा से ओर हारून याजक के बेटे इजिअजर से कहा॥ २। कि इसराएल के संतानां की समस्त मंडली की बीस बरस से लेके ऊपर लॉ उन के पितरों के समस्त घरानें की सब जो इसराएल में संग्राम के याग्य हें गिनतो लेओ॥ ३। से। मूसा और इलिअजुर याजक ने माअब के औगानों में यरटन नदी ओर यरौह्ू के लग उन से कहा॥ ४। कि बीस बरस से लेके ऊपर लो गिने जेसे परमेश्वर ने मूसा ओर इसराएल केसंतानों का जा मिख की भूमिसे निकले थे आज्ञा कई थी॥ ५। रूबिन इसराएल का पहिलोंटा बेटा रूबिन का संतान हनक जिस्म हनकियों का घराना है और फल जिससे फ्ल्‌इयों का घराना हे ॥ ६। और हसरुन जिससे हसरुनियां का घराना है ओर करमी जिस्म करमियें का घराना क्षे। ७। थे रुविनियों के घराने और जो उन में गिने गय से तेतालीस सहस्त सात मी तौस थे ॥ ८। ओर फलू के बेटे इलिअब ॥ «। और इलिअब के बेटे नमूएल और द्ातन ओर अबिराम य वुच्द दातन गैर अबिराम जो मंडलों में नामी जो क़रह को जथ। में समसा और हारून के बिरोध में मगड़ा जब उन्‍हें ने परमेस्वर के बिराघ में कगड़ा॥ ९०। और भमि ने अपना मंचह खोला और उन्हें करह सच्िचित निंगल गई जिस समय वह जथा मर गई जब कि उस आग ने अढाई ते मनव्यों के खा लिया और वे एक चिन्ह ह्ुणए॥ ९९२ ॥ तथापि करह के संतान न मरे॥ ९५२। ओर समझअन के बट अपने २६ पब्बे] की प॒स्तक | ३९८ घराने के समान नमऐल से नमऐलियों का घराना यमीन से यमोनियों का घराना याकौन से याकियों का घराना॥ ९३। जिरह से जिरहीयों का घराना साऊल से साऊलियों का घराना॥ १५४। थे समअनियां के घराने बाईस सहस्त दो सो थे॥ १५५। जद के संतान अपने घराने के समान सफन से सफरनियां का घराना हाजो से हाजियां का घराना सूनौ से सूनियों का घराना॥ १६। उज से उज्ञियां का घर.ना ऐरी से ए रियां का घराना ॥ ५७। अरूद से अरूदियां का घराना अरली से जिस्म अरेलियां का घराना॥ ९५८। जद के संतान के घराने उन की गिनतो के समान चालीस सहस्त पांच सो थे ॥ ९९। यहूदाह के बेटे ऐर और गओ_्ेनान कनआन के देश में मर गये ॥ २०। आर यहदाह के बेट अपने घराने के समान ये कं सेल' से सेलानियों का घराना फाड़स से फाड़सिथां का घराना जिरह से जिरहियां का घर/ना॥ २२। ओर फाड़स के बेटे हसरून से हसरूनियां का घराना और हमूल से हमूलियां का घराना। २२। थे यहूदाह के घराने उन की गिनतो के समान छिहतत्तर सहस्त पांच सो थे॥। २३। इशकार के बेटे उन के अपने घरानों के समान तोलअ से तोलियां का घराना फ्‌वः से फूवियां का घराना॥ २४। यर्ब से यरूबियों का घराना सिमरून से सिमरूनियां का घराना॥ २५। ये इशकार के घराने उन में गिने जाने के समान चौंसट सहस्त तोन से थे॥ २६। जूबुलून के बेटे अपने घराने के समान सरद से सर दिये का घराना ऐलून से एलूनियों का घराना यहलिएल से यहलिएलियों का घराना॥ २७। ये जूबलूनियों के घराने उन में गिने गये के समान साठ सहस्त पांच से श्र ॥ र२८। यूसुफ्‌ के बेटे अपने घराने के समान मुनस्यी ओर इफ्रायम ॥ २८ । मुनस्खो के बेटे मकौर से मकरियों का घराना और मकौर से जिलिअद उत्पन्न हुआ जिलिअद से जिलिआ्यिं का घराना ॥ ३०। ये जिलिअद के बेटे ईअजर से इंअजरियां का घराना खलक से खल- कियां का घराना॥ ३९ । और यसरणलि से यसरणएलियों का घराना और सिकम से सिकमियां का घराना॥। ३२। और सिमीदाअ से सिमीदाइयों का घराना ओर हिफ्र से हिफ्रीयों का घराना॥ ३३ । ३२० गिनती [२६ पच्चे हिफ़ू के बेटे सिलाफि्हाद के बेटे न थे परंतु बेटियां जिन के ये नाम मचहलः ओर नअः ओर हजलः ओर मिलकः और तिरजः ॥ ३४। ये मनस्सखो के घराने उन में से जो गिने गये बावन सहत्व सात सो थे॥ ३५ । इफरायम के बेटे अपने घराने के समान रूतलह से र्ूतलहियों का चघराना और वकर से वकरियां का घराना तहन से तहनियों का घराना ॥ ३६। और रूतलह के बेटे ये ए रान से ऐरानियां का घराना ॥ ३७। थे इफरायम के बेट के घराने उन में से जा गिने गये बत्तीस सहस्त पांच पौ थे से यसफ के बेटे अपने घराने के समान ये थे। ३८। बिनयमीन के बेटे अपने घराने के समान बलअ से बलअनियां का घराना असबौल से असबीलियां का घराना अखिराम से अखिरामियों का घराना॥ ३८। सफफाम से सफफाममियां का घराना कृूफाम से कृफामियों का घराना॥ ४०। बीला के बेटे अरह ग्रार नअमान अरदियों का घराना नअमान से नञ्मानियां का घराना॥ ४९। ये बिनयमौन के बट उन के घराने के समान ओर वे जो उन में से गिने गये पेंतालोस सहख छः सा थे॥ ४२। और दान के बेटे अपने घराने के समान रूहाम से रूहामियां का घराना दान के घराने उन के घरानों के समान॥ ४३। रूहामियां के सारे घराने उन में की गिनती के समान चोंसठ सहख चार सो थे। ४४। ओर यसर के संतान अपने घरानें के समान यिमनः से यिमनि- यों का घराना यसवी से यसवियां का घराना बरोअः से बरियों का घराना॥ ४५४ । बरीअः के बटां से हिब्र पे हिब्रियां का घराना मलकि- शेल से मलकिएलियों का घराना क्षे। ४६। और यसर को बेटो का नाम सारह था॥ ४७। ओर ये यसर के संतान के घराने हें उन में से जो गिने गये तिरपन सहस्त चार सो थ॥ ४८। नफताली के बेटे अपने घराने के समान यहसिएल से यहसिएलियां का घराना ओर जुनी से जुनियां का घराना॥ ४<। और यिद्तो से यिस्तोयें का घराना ओर सिलीम से सिलीमियां का चराना ॥ ५० | उस के घराने के समान ये नफताली के घराने थे उन में से जो गिने गये पेंतालौस सहस्त चार सा थ॥ ५१५॥। सब इसराएल के संतान जा गिने गय छः लाख एक सहतस्त सात से तौत थे ॥ ६२। फिर परमेश्वर मसा से २७ पन्ब ] कौ पस्तक ३२९ कहके बाला॥ ५४३। कि यह देश उन के नाम की गिनती के समान इन के लिय अधिकार में भाग किया जाय॥ ५४। त्‌ बहुतोां का बहुतसा अधिकार दौजिया जर थाड़ां का थाड़ा अध्कार हर एक का उस के गिने गय के समान दिया जाय ॥ ५५ । तिस पर भी ट्श चिद्ढी से बांटा जावे वे अपने पितरों की गाछ्टियां के नाम के समान अधिकार पांव ॥ ५६। बड़तां ओर थोड़ों में चिद्दी से उन का अजधिकार बांट दिया जाय॥ ५७। और वे जेः लावियों में से गिने गये उन के घराने के समान बे हें जैरसन से जैरसनियां का घराना क्हात से क्हिातियां का घराना मिरारी से मिरारियां का घराना ॥ ५८। लावो के घराने से लबनियों का घराना हंबरुनियां का घराना महलो का घराना मसो का घराना क़रह का घराना ओपएरर किहात से अमराम उत्पन्न हुआ॥ ५८। और अमराम की पत्नौं का नाम यूकबिद था लावी की कन्या जिसे उस की माता लावो से मिख में जनी से वुह् अमराम से हारून ओर मुसा ओर उन को बहिन मिरयम का जनी॥ ६०।ओर हारून के बेट नट्ब ओर अबिक्न इलिअजर और ईतमर॥ ६९। से नटब और अबिह् उस समय कि वे ऊपरी आग परमेश्वर के आगे लाये मर गये ॥ ६२ । और वे जा उन में गिने गये एक मास से लेके ऊपर लो तेईस सहस्त परुष थे ये इसराएल के सतानों में गिने नहीं गये क्यांकि उन्हं इसारएल के संतान के साथ अधिकार नहों टिया गया॥ ६३ । य वे इसराएल के संतान हें जिन्हें मसा आर इलिअजर याजक ने मेअब के चैगानें में बरटन नदी यरोह् के साम्ने गिना। ६४। परंतु मूसा और हारून याजक के गिने हुओं में से जिस समय कि इसराएल के संतान को सोना के बन में गना था एक मनव्य भी उन में न था ॥ ६५ । क्यांकि परमेग्वर ने उन के बिषय में कहा था कि वे निच्यय अरण्य में मर जायंगे से। उन में से केवल यप न्नः के बेटे कालिब ओर नन के बेटे यह्टअ के छाड़ एक भी न बचा ॥ २७ सताई सवा पब्ब । बयुसुफ के बेटे मनस्मी के घराने से मुनस्मी के बेटे मकौर के बेट जिलिअद के बंटे हिफ्र के बेटे सिलाफ्हाद की बेटियां आई और 4 [4. 8. 8.] ३२२ गिनती [२० पब्छे उस की बेटियां के नाम य हें महलः नअः हजलः जऔर मिलकः और तिरजः:॥ २। और मा और इलिअजर याजक ओर सब मंडली ओर अध्यक्षां के आग मंडली के तंब्‌ के द्वार के निकट खड़ौ हुई और बालों ॥ ह । कि हमारा पिता बन में मर गया ओर वह उन की जथा में न था जा परमेश्वर के बिरुड्ड हेके एकट्टे हुए थे अधात्‌ करह कौ परंत अपने पाप के कारण मर गया उस के काई बटा नथा॥ ४। से हमारे पिता का नाम डस के घराने से क्यांकर निकाला जाय क्या इस लिये कि उस के केाई बेटा न था हमें हमारे पिता के भाइयां में मिल के भाग ट्ओ॥ ५ । तब मसा उन का पट परमेगख्वर के निकट लेगया॥ ६। ओर पर मेम्बर मसा से कहके बाला॥ ७। कि सिलाफिहाद की बेटियां सच कहती हि तू उन्हें उन के पिता के भाइयों में भागी करके अवश्य अधिकार दे ओर एसा कर कि डन के पिता का अधिकार उन्‍्हीों का पहुंचे॥ ८। ओर इसराएल के संतानों से कह यदि काई पुरुष मर जाय ओआर उस के कोई बेटा न हे तो उस का अधिकार उस की बेटी का पहुंचे॥ €। ओर यदि उस की बेटी भी न हा। ता उस के भादयां के उस का अधिकार दौजिया॥ २९०। यदि उस के भाई नहोां तो तम उस का अधिकार उस के पिता के भाइयां का ट्ओ॥ २९॥। यदि उस के पिता के भाई भौ न हों ता तम उस का अधिकार उस के घराने के समोपी कुटम्ब का दओ।[ बह उस का अधिकारी होगा ओर यह आज्ञा इसराएल के सतानों के लिये जेसा परमेग्वर ने मसा से कहा यह सदा के लिये बिचि हेागो॥ ९२ । फिर परमेग्वर मसासे कहके बाला कि अब त अबरोम के इस पहाड़ पर चढ़ जा आर उस टेश का जा में ने इसराएल के संतानों का टिया है ट्ेख॥ १५३। और जब त उसे रख लेगा त भी अपने लागों में मिल जायगा जिस रौति से तेरा भाई हारून मिल गया॥ ९१४ । क्यांकि मंडली के रगड़ में जीन के अरण्य में तम मेरो आज्ञा के बिरगाघ में फिर गये और उन की आंखों के आगे पानी पास जा मरौवः के पानी काटिस में जोन के अरण्य में मुझे पव्रिच न किया॥ २१५। तब मूसा परमेग्वर के आगे कहके बेला॥ १५६। किहे परमेग्वर सब शरोौरोंकके प्राणां का ईस्थर किसो के मंडलो का प्रधान बना॥ ९७। ज्ञा बाहर स्प पब्ब ] कौ पस्तक ३२३ भीतर उनके आगे आगे आया जाया करे ओर जा बाहर भीतर उन की अआगआ_ई करे जिसते परमेग्वर की मंडली उन भड़े। की नाई न हे। जाय जिन का काई रखवाल न हे। ॥ ९८ | तब पर मे प्र ने मसा से कहा कि नन के बेटे यहस्हअ का ले जिस पर आत्मा क्षे ग्रेर उस पर अपना हाथ रख॥ १९८ । जार उसे इलिअज॒र याजक ओर सारी म डली के आगे खड़ा कर और उन के आगे उसे आज्ञा कर ॥ २०। ओर अपनी प्रतिष्ठा में से उस पर कुछ रख जिसते इसराएल के घंतानों कौ सारी मंडली बश में हे।वे ॥ २९ । वुह इलिआज्र याजक के आगे खड़ा हेवे जा डस के लिये उरिम के न्याय के समान परमेग्र के आगे पूछ वुह ओर सारे इसराएल के संतानों की सारी मंडली उस के कहने से बाहर जाये ओर उस के कहने से भीतर आवं॥ २२। से जेसा परमेगम्वर ने उसे आज्ञा किई थौ मसा ने यहसतअ का लेके इलिअजर याजक ओर सारी मंडली के साग्ने खड़। किया ॥ २३ । और उस ने अपने हाथ उस पर रकखे ओर जैसा कि परमेशर ने मूसा कौ ओर से कहा था उसे आज्ञा दिई ॥ २८ अट्टाइंसवां पब्ब । ि परमेश्वर मूसा से कहके बाला॥ २। कि इसराएल के संतानों आज्ञा करके उन्‍हें बाल कि मेरी भेंट ओर हेम के बलिदानों की राटौ मेरे स॒ुगंघ के लिये उन के समय में पाजन करके चढ़ाओ7 ॥ ३। तू उन्‍हें कह कि हेम को भट जा तुम परमेश्वर के लिये चढ़ाइयो से यह हे कि पहिले बरस के दो निष्खाट मेम्न प्रति दिन नित्य के हम की भेंट के लिय॥ ४। एक मेम्ना बिहान के ओर एक मेग्न्ा सांम्क का॥ ५। गैर सवा सेर पिसान ओर सवा सेर कटा हुआ तेल भाजन की भेंट के लिये॥ ६। यह हेम को भंट नित्य के लिये है जा सौना के पहाड़ पर हे।म का बलिदान परमेग्वर के सुगंध के लिये ठहराया गया है॥ ७। ओर उस के पीने की भंट सवा सेर एक भेम्ना के लिये तौदूण दाखरस को परमेमग्वर के आगे पीने की भेंट के लिये पवित्र स्थान में बिटावे॥ ८। ओर 7_ टूसरा मेम्ना सांभ के चढ़ाना तबिद्यान के भाजन की भंट की नाई उस के थीने कौ भट को नाई परमेस्मर के सगघ ९२४ गिनतो (२८ पत्म के लिये हाम की भेंट चह्ा। ६। ओर बिश्राम के टिन पहिले बरस के कर से पलक ल्‍- नकल 43 ४ टा निष्खाट मेम्म अढ्ाई सेर पिसान भाजन कौ भेंट के लिये तेल से जे रु .ु री मिला हुआ आर उस के पौने की भंट समेत॥ १५०। हर एक बिश्वराम के होम की भेंट नित्य के होम की भेंट के छाड़ के और उस के पीने की भेंट यही क्ैे॥ १५९। ओर तम्हारे मास के आरंभ में हेाम की भेंट के लिये परमेश्वर के आगे दा बछड़े एक मेंढ़ा पहिले बरस के निष्खोट सात मेम्ने चढ़ाओ॥ २१५२। एक बछूड़ा के लिये तेल से मिला हुआ पोने चार सेर पिसान भेजन की भेंट के लिये एक मेंढ़ के लिये तेल से मिला हुआ अढ्ाई सेर पिसान भाजन की भंट के लिथे॥ ९३। एक मेनन्‍्ना के भाजन कौ भंट के लिये तेल से मिला हुआ सवा सेर पिसान सुगंध के हेम की भंट के लिये आग से बनाया हुआ परमेग्वर के लिये बलिटधन॥ ९५४। ओर उन के पीने की भेंट एक बछड़े पीछे अढ़ाई सेर दटाखरस 8 कि ८. ० ब्५ 5 क्र >- कर और मेंढ पीछे अढ़ाई पाव है ओर मेम्ना पोछ सवा सेर बरस के हर मास के हाम का बलिदान यह क्षे। ९५। ओर नित्य के हे! के बलिदान ्ज सा २ बन ०-9 जप न्‍र्‌ कप ओर उस के पीने के बलिदान के छोड़ पाप की भेंट के लिये परमेश्वर स्क कर कर कै. के आगे बकरो का एक मेम्ना चढ़ाया ज|य॥ २५६। पहिले मास कौ 5७% ं श् ५ ४ चैट्हवों तिथि परमेश्वर का पार जाना क्षे। २७। ओर इस मास की पंदरहवों तिथि के पार जाने का पं होगा सात दिन तुम अखमोरौ राटी खाइये।॥ ९८। पहिले ट्नि पत्रित्र बलावा होगा उस दिन तुम केाई संघारिक कार्य न करना ॥ १५८। और हे।म का बलिदान आग से परमेश्वर के लिय यह चढ़ाइया टो बछड़े एक मेंढ़ा पह्चिल बरस के सात निष्खाट मेग्ने॥ २०। और उन के साथ भाजन की भेट पीने चार सेर पिसान तेल से मिला हुआ हर बछड़ पीक और हर मेंढ़े पीछे अढ़ाई सेर चढ़ाइया ॥ २९। ओर सातों मेग्नां में से हर मेनना पीछ सवा सेर चढ़ाइयोा॥ २२। ओर अपने प्रायच्यित्त के निमित्त पाप की भेंट के लिये एक बकरी ॥ ; २३। तुम बिहान के हाम के बलिदान से अधिक जो सदा जलाया «९५ ० ग ५ के रे जाता हे चढ़ाया करा॥ २४। परमेश्वर के सगंघ के लिये हेम के हे बलिढ़ान के मांस का सात दिन भर प्रतिदिन इस रोति से चढ़ाइयो २८ पब्ब] की पस्तक । ३२५ नित्य के हेम कौ भेंट ओर पीने की भट का छाड़ के इसे चढ़ाइये॥ २५ । सातवं दिन तम्हारा पर्वित्र बलावा है उस में तम काई संसारिक कार्य न करना॥ २६। ओर पहिले फल के ट्न में भी जब तम भाजन की भंट अपने अठवारों के पीकू परमेग्ार के आगे चढ़ाइया ता तम्हार लिये पवित्र बुलावा हेवे काई संसारिक काय न कीजिया ॥ २७। ओर तुम परमेश्वर के सुगंध के लिये हाम की भेंट चढ़ाइया दो बछड़े एक मेंढ़ा पहिले बरस के सात निष्खाट मेन्ने चढ़ाइया॥ २८। और उन के भाजन कौ भंट पाने चार सेर पिसान तेल से मिला हुआ हर बछड़ पीछे और अढ़ाई सेर हर मेंढ़े पीछे॥ २८। ओर सवा सेर सातों मेम्नों में से हर एक मेम्ना पाक ॥ ३०। ओर एक बकरी का मेग्ना जिसतें तुम्हारे लिये प्रायच्चित्त में दिया जाय ॥ ३९। से नित्य के हेम की भेंट और उस के भाजन की भेंट जो तम्हारे लिये निष्खाट हेवे और उन के पीने की भेंट छाड़ के उसे जो निष्खाट हावे चढ़ाइये[ ॥ २८ उंतौसवां पब्बे । दौ' सातवं मास की पहिलो तिथि में तम्हारा पवित्र बलावा होगा तम काई सेवा का कार्य न कीजिया यह तम्हारे नरसिंग फकने का टिन ह॥ २ । आर तम परमेम्यर के सगंघ के लिये एक बछड़ा एक मेंढ़ा ओर पहिले बरस के सात निष्खाट मम्ने होम का बलिदान चढ़ाइयोा ॥ ३। और उन के भोजन की भेंट हर बछड़े पीछे पे।ने चार सेर पिसान तेल से मिला हुआ ओर हर मेंढ़ पीछ अढ़ाई सेर ॥ ४। ओर सातों मेम्नों के लिये हर मेम्ना पीछ सवा सेर ॥ ५ । ओ।र बकरो का एक मेम्ना पाप को भट के लिये जिसतें तुम्हारे लिये प्रायच्धित्त किया जाये॥ ६ । मास के हे।म की भंट ओर उस के भाजन की भेंट गर प्रतिदिन के हे।म की भेंट और उस के भाजन कौ भेंट ओर उन के पीने की भेंट उन के रीति के समान आग से किये हुए बलिदान के अधिक परमेग्र के सगंध के लिये चढ़ाइयेा ॥ ७। ओर इस सातवें मास की ट्सवौं तिथि में पवित्र बजावां होगा और तम अपने प्राण के केश दो जिये। और काई कार्य न कॉरये ॥ ८। परंतु परमेस्वर के सुगध के हाम कौ भेंट के लिये एक बछड़ा एक ३२६ गिनती [२५८ पर्व मेंढ़्ा पहिले बरस के सात मेस्न्ते चढ़ाइयोा वे तुम्हारे लिये निष्खाट होवें॥ कं ओई उनके का जन/की भेंट माने तारसेर पिया कतेल मे मिला हा बछड़ा पीछ और हर मेंढ़ा पीछ अढ़ाई सेर॥ २५०। ओर सातों मेम्नां के लिये हर मेम्ना पीछे सवा सेर॥ ९९। पाप के प्रायच्यित्त की भेंट के और नित्य के हेम को भट के और उस के भाजन की भट के ओर उन ल 2 - कल ह््त जे बे >> के पीने की भेंट के अधिक पाप की भट के लिये बकरी का एक मेम्न्ा॥ ५ प्ज्ज ५ ने है १२। ओर सातवें मास की पंट्रहदों तिथि में तम्हारा पर्वित्र बुज्ञावा होगा उस दिन टुम सेवा का काई कार्य न करो ओर सात «न तक आर व हे ने हा न र्‌ परमेगख्र के लिये पे करा॥ १५३। फिर तम हम को भट के लिये परमेश्वर के सगंध के लिये तरह बछड़े ट मेंढ़ और पहिले बरस के चे/द्इ मेम्ने आग से किये हुए वलिदान चढ़ाइयो ये सब निष्खे:रट हाव ॥ २१४। बने कि हर 25 ० ओर उन के भाजन की भेंट तेल से मिला हुआ पे.ने चार सेर 4िसान 8. डामेंसे शक ८० की. पे 2 शक ०+. .. व * ता तरह बछड़ां में से हर बछूड़ के लिये अढ़ाई सेर ट्रो मेंढ़ां में से हर मेंढे पीछे ॥ ९५। गर चाट्द मेनन में से हर मेनना पीछे सवा सेर॥ १५६। नित्य के हाम की भंट ओर उस के भाजन की भेंट ओर उस के पीने को अेंट से अधिक पाप की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना चढ़ाइयोा॥ ९७। ओर ट्ूसरे दिन बारह बछड़े दवा मेंढ़े पहिले बरस के चोट्ह निष्खार मेम्ने चढ़ाइये।॥ ९८। और उन के भाजन की भेंट ओर उन ब- "७ ० के बल 2 “2 कल ब्् के पीने की भेंट बछड़ा ओर मेंढ़ां और मभेग्नां के लिये उन की गिनती के खैर रीति के समान हेव ॥ ९८ । नित्य के हे!म कौ भेंट के और उस के भाजन की भेंट के आर उन के पीने को भेंट के अधिक पाप कौ भंट के लिये बकरी का एक मेम्ना ॥ २०। और तौपरे दिन ग्यारह बछड़ ०० 3 क्र >> बन" बज" व हो मेंढें और पहिले बरस के चाट्ह निष्खे.ट मेग्ने॥ २९। ओर उन के व ०5 न प् हु ब्, ०७ -., ओर >> भ्ााजन की भंट और उन के पीने की भेंट बछड़ा और मेंढ़ां और मेन्नां उन की गिनती के ओर रीति के समान हाोव॥ २२। नित्य के हाम कौ २, के उस 2० प्र के 52 की 255 भेंट के और उस के भेजन दी भेंट के ओर उस के पोने कौ भंट के अधिक पाप की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना चढ़ाइया॥ २३। 3 ०. २ ये क 73 प 25 7 प और चौथे टन दस बछड़दो मेंढे पहिले बरस के चाट्ह निष्खाट ० जा 2७ आन 2 कि 52 डछ को प्ज्ः >> ० मेन्ने॥ २४। डन के भाजन की भेंट और उन के पीने की भेंट बछड़ों २८ पब्बे] की पस्तक । ह२७ ओर मेंढां ओर मेम्नें के लिये उन की गिनतो के और रीति के समान हेवें॥ २५। नित्य के हेम की भेंट के ओर उस के भाजन की भेंट के ओर उस के पीने कौ भट के अधिक पाप की भेंट के लिये बकरो का एक मेम्ना हेवे॥ २६। ओर पांचवें दिन नव बछड़े दा मेंढ़े पहिले बरस के चे।दह निष्खेट मेम्ने॥ २७। और उन के भेजन को भेंट और उन के पीने की भंट बछड़ां और मेंढां और मेन्ननां के लिथ उन की गिनतो के और रौत के समान हेवं॥ र८। नित्य के हाम की भट और उस के भाजन कौ भेंट के और उस के पीने की भट के अधिक पाप की भंट के लिये एक बकरी हेावे॥ २५। और छटवें टिन आठ बछड़ ट मेंढ़े पहिले बरस के चै।ट्ह निषए्खाट मेम्ननं॥ ३०। ओर उन के भाजन की भेंट और उन के पीने की भंट बछढे और मेंढां और मेननां के लिय उन को गिनती के और रीति के समान हे।वे ॥ ३९ । नित्य के होम की भट के ओर उस के भाजन की भेंट के और उस के पौने की भट के अधिक पाप की भेंट के लिये एक बकरो हे।वे । ३२। ओर सातवें दिन सात बछड़ेद्वा मेंढे पहिले बरस के चोटह निष्खाट मेन्ने॥ ३३। और उन के भाजन को भट ओर उन के पीने की भेंट बकुड़ा ओर मेंढां और मेन्‍्नां के लिये उन को गिनती के और रौति के समान हे।वे॥ ३४। नित्य के होम कौ भेंट के ओर उस के भाजन की भेंट के ओर उस के पीने कौ भट के अधिक पाप कौ भेंट के लिये एक बकरो हेवे ॥ ३५। आठवें दिन तुम्हारी पवित्र सभा हेगी तुम उस टन सेवा का काई कार्थ नकीज्िया॥ ३६। फिर तुम एक बक्कड़ा एक मेंढ़ा पहिल बरम के सात निष्खाट मेम्ने हे।म की भेंट के कारण परमेत्र के सुगंध के लिये आग से बनाई हुई भेंट चढ़ाइये॥ ३७। ओर उन के भेजन की भेंट और उन के पीने को भेंट बछड़ों और मेंढां ओर मेम्नें के लिये उन की गिनती के और रीति के समान हेवे॥ ३८। नित्य के हाम की भेंट के आर उस के भाजन कौ ०“»ट के ओरगर उस के पीने की भेंट के अधिक पाप कौ भेंट के लिये एक बकरी हावे॥ ३८। अपनो मनेोतियां के आर अपनो बांछित भेंट के ओर अपने हे।म की भेंटों के आर भेजन कौ भटों के ओर पीने की भेंटों के ह्र्प गिनती [३० पब्५ और अपने कुशल की भेंटां के अधिक तम इन्हें अपने ठहराये हुए पबीं में कौजियोा ॥ ४०। ओर मसा ने परमेस्पर की समस्त आज्ञा के समान इसराएल के सतानों से कहा ॥ ३० तोसवां पब्बे। ह वुद्द बात हे जो परमेश्वर ने मूसा के। आज्ञा किई थी ओर मुसा च्य ने गोष्टियां के प्रघानों से इसराएल के संतान के बिषय में कहा ॥ ९। यदि कोई पुरुष परमेम्वर की मनाती माने अथवा किरिया खाके अपने प्राण के बंधन में करे ता वह अपनी बाचा का न तोड़ परत जो . कुछ उस ने अपने मंह से कहा है संपर्ण कर ॥ ३। ओर यदि काई स्त्रो परमेमश्वर की मनेती माने और अपनी लड़काई में अपने पिता के घर में हाते हुए आप के बाचा में बांधे॥ ४। ओर उस का पिता उस की मनाती और उस की बाचा जिस्म उस ने अपने प्राण का बांघा क्षे सन के चप हे रहे तो उस की सब मनातियां ओर हर एक बाचा जिस्म उस ने अपने प्राण का बांधा है स्थिर रहेगी॥ ५॥ परतु यदि उस का पिता सनते हुए उसे मान्ने न टवे ता उस की काई मनेोती और काई बाचा जो उस ने अपने प्राण का उद्झे बांधा न ठहरेगी ओर परमेश्वर उस स्त्रो के ह्ञमा करंगा क्यों कि उस के पिता ने उसे मान्ने न टिया ॥ ६ । ओर जब उस ने मने।ती मानी अथवा अपने मूह से अपने प्राण के किसी बाचा से बांघा और यदि उस का पति हावे॥ ७। ओर उस का पति सन के उस टिन चपका हे रहा ते उस की मनोतियां ठहरेंगी और उस की बाचा जिन से उस ने अपने प्राण के बांघा ठहरेभगी॥ छ। परंत यदि उस का पति सन के उसी ट्न उस ने उसे मान्ने न टिया हे! तो उस ने उस की मने।ती के जा उस ने मानी ओर उस कौ बाचा का जो उस ने अपने मह से अपने प्राण का उस्झ॒ बांघा हथा किया ता परमेग्रर उस स्लो का क्षमा करेगा॥ <। परंत बिघवा ओर व्यक्त स्त्रो अपनी हर एक मनेती जिस्म उन्हां ने अपने प्राण का बांघा उन पर बनी रहेगी॥ १५०। और यदि उस ने अपने पति के घर हेते हुए कुछ मने ती मानी हे। ओर किरिया करके किसो बाचा में आप को बांधे हेत॥ २५१५। उस का पति ३९ पन्‍्ब ] की पस्तक । ३२८ सन के चुप हे। रहे ओर उसे न राके ते उस की मनैतियां ठहरंगी और उस की हर एक बाचा जिससे उस नेअपने प्राण का बांघा ठहरेगी॥ ९२९। परंत यदि सनके उसो टिन उस का पति उसे हथा करे ता जा कुछ मनेतियां ओर अपने प्राण के बंधन के बिषय में उस के मंच से निकला से न ठहरेगी उस के पति ने उन्हें हथा किया परमेग्वर उसे क्षमा करेगा॥ १३.। सब मनेतियां और किरिया जिस्मे उस ने अपने प्राण के दुःख दे ने के लिये बांधा उस का पति च.हे ता उसे ठहरावे और चाहे मिटावे॥ १४। परंत यदि उस का पति सन के प्रतिदिन चप रहे तो उस ने उस की समस्त मनोतियाों ओर बाचों का जा उसपर हे स्थिर किया क्यांकि सन के उस ने अपने चप रहने से उन्हें स्थिर किया॥ २५। परंत यदि उस ने सन लिया आर उस के पीकू उसे ढथा किया ताोवह उस का पाप भागगा॥ ९१६। पति और उस की पत्नी के मध्य में और पिता पत्री के मध्य में जब पुत्री लड़काई के समय में पिता के घर हे।वे ये बिधि जो परमेग्वर ने मूसा के आज्ञा किई ॥ 8९ एकतौसवां पब्बे । | परमेग्वर मुसा से कहके बाला ॥ २। कि इसराएल के संतानों निये ० छू ्छ ९ बा ही - आ५ पक के पक का पलटा मिद्यानियों से ले इस के पीछे त्‌ अपने लागों में मिल जायगा ॥ ३। तब मसा ने लागों से कहा कि आपस में कितनों को संग्राम कि ०. ७ ३००. यानिये ० ०२५2 « पक के लिये लैस करो ओर मिद्यानियों का साम्ना करो जिसतें परमेग्वर का पलटा मिद्यानियों से लेग्रे॥ ४। इसराएल की समस्त गाडियों में से हर एक गाछी से एक एक सहस्त संग्राम करने का भेजा॥ ५। से इसराएल के सहस्तां में से हर गाठी पीछे एक सहस्त बारह सहस्त हथियार बंध युद्ड के लिये सैपे गये ॥ ६। तब मूसा ने उन्हें इलिअजर याजक के बेटे फौनिहास के साथ करके लड़ाई पर भेजा ओर पवित्र पात्र ओर फकने के नरसिंगे उस के हाथ में थे। ७। जैसो परमेश्रर ने मूसा के आज्ञा किई थी उन्हों ने मिट्यानियों से यद्व किया और सारे पुरुषों के मार डाला॥ ८ं। और उन्‍्हों ने उन जऊे हुओं से अधिक मिद्यान के राजा अबों ओर रकम ग्लार रूर और हूर और रबञ के। 4५2 0: 50% छ/| ३३० गिनती [ ३७४ पब्ब जा मिट्यान के पांच राजा थ प्राण से माराझओर बअर के बट बलआम का भी खड़ से मार डाला ॥ <। और इसराएल के संतानां ने मिट्यान की स्वियां को ओर उन के लडकों का बंधघआई में लिया और उन के पश और चैपाय ओर संपत्ति समस्त लट लिया॥ ५०। ओर उन की सारो बस्तियां जिन में वे रहत थे और उन के संदर गढ़ेां का फंक दिया ॥ १९॥। ओर उन्‍हें ने सारी लट जओओ7ःर समस्त मनव्य ओर पश के अहेर किया॥ १५२। और मसा ओर इलिअजर याजक शर इसराएल के समस्त संतानों की मंडलो छावनी में मोअब के चौगानों में जो यरट्न के लग यरौहू हे बंधए और लूट और अहेर के लाये ॥ १५३। तब मसा और इलिअजर याजक ओर मंडली के समस्त प्रधान उन्हें आगे से मिलने के लिये छावनी में से बाहर गये ॥ ९४7७ #जारु5मावा) वेना *्के४प्रधाने सें> अेहकारहस्ता के जिनसे ओर सेकड़ां के पतिन से जे। लड़ाई से आये क्रडइ हुआ॥ २५ । ओर म॒सा ने उन्हें कहा कि तुम ने सब स्लियां का जीतोौ रक्खा ॥ ९५६। दखा इन्हां ने बलआम के मंत्र से इसराएल के बंश के फगर के बिषय में परमेग्वर के बिराघ में अपराध करवाया से परमेग्वर की मंडली में मरी पड़ी॥ २९७। इस लिये लड़के में से हर एक बेट के और हर एक स्रौ के जा! परुष से संयक्त हुई हे। प्राण से मारा ॥ १५८। परत वे बेटो जा परुष से संयक्त न हुई हें उन्हें अपने लिये जौती रक्वा॥ २१५८९।आओर तम सारे टन लॉ छावनी से बाहर रहे। जिस किसी ने मनव्य का मारा हैे। ओर जिस किसी ने लाथ के छआ हे। वह आप के। ओर अपने बंधुओं के। तौसरे दिन ओर सातवें दिन पवित्र करे। २०। तुम अपने समस्त बस्तल ओर सब जा चमड़ के बने हुए हें ओर सब बकरी के राम के कार्य ओर काष्ठ के पात्र शद्ध करो॥ २९५। तब इलिअजर थाजक ने उन याड्वाओं के जे लड़ाई में गये थे कहा कि यह ब्यवस्था की बिचि ह्े जा परमेश्वर ने मसा से आज्ञा किई॥ २२। सेना रूपा पीतल लेःहइा रांगा सौसा ॥ २३। ओर समस्त बस्लें जो आग में ठहर तम उन्हें आग में डाला और पवित्र करा तथापि वह अलग किये हुये जल से पवित्र किया जायगा ओर सब बच्तें जा आग में नहों ठहरतों तुम उन्हें जल ३९ पब्बं ] कौ पस्तक । ३३२ में डाला॥ २४। और सातव दिन अपने कपडे घाके पवित्र हाओग उस के पीछ छावनी में आओ।॥ २५। फिर परमेगस्र मुसा से कहके बाला॥ २६। कि तओर इलिअजर याजक ओर मंडली के सब प्रधान मिल के मनुब्य कौ ओर पशुन कौ जो लट में आये हैं गिनती करो॥ २७। और लट का दो भाग करो एक उन का जो संग्राम में लडे और एक समस्त मंडली के टेओ।॥ २८। ओर योद्वा से जा लड़ाई में चढ़ गये अपरमेश्वर के लिये कर लछओ पांच सो में णक प्राणी चाहे मनय्य हें चाहे गाय बैल चाहे गटहे हों चाहे भड़ बकरी ॥ २८ । और इलिअजर याजक को दे जिसतें परमेश्वर के लिय उठाने की भेंट हेववे $ ३०। और इसराएल के संतानों के भाग में से क्या मनव्य क्या गाय बेल क्या गटरहे क्या भेड़ वकरी पचास पचास पीछे एक एक ले ओर लावियां का जा परमेश्वर के छावनी को रक्चा करते होंद॥ ३१५। से मूसा ओर इलिअजुर याजक ने वेसाहीौ किया जेसो परमेश्वर ने मूसा का आज्ञा ईं॥ ३२। लूट का बचा हुआ जा योद्ठा लागां के पास था यह था छः लाख पचहत्तर सहस्त॒ भेड़॥ ३३। श्र बहत्तर सहस्त गाय बैल ॥ ३४ | और एकसठ सहस्त गदहे॥ ३५। ओर वे लड़कियां जा पुरुष से सयक्त न थौं बत्तीस सहसख्त थीं ॥ ३६ । ता आघा जा याद्डा लागें का भाग ठहरा यह था तौन लाख सेंतीस सहस्त पांच से भेड़। ३७। ओर परमेग्वर का कर भड़ में से छः सो पचचह्त्तर थों॥ ३८। ओर गाय बैल छत्तीस सहस्व थे जिनमें से परमेश्वर का कर बचचत्तर थे॥ ३८। ओर गदहे। में से जा तीस सहस्र पांच सो थे परमेस्वर का भाग एकसट थे ॥ ४० । और मनुव्य में से जो सेलह सहसख थे परमेश्वर का कर बत्तीस जन हुए॥ ४१। सो मसा ने परमेग्वर की आज्ञा के समान उस कर का जो परमेश्वर की उठाने की भंट थी इलिअजर याजक का दिया॥ ४२१ ओर इसराएल के संतानों का भाग जो मसा ने थोड़ा लागों से लिया ॥ ४३। से वह आधा जा मंडली का भाग हुआ यह था तौन लाख सैंतीस सहस््र पांचसीं भेड़। ४४। और छत्तीस सहख ठार॥ ४५ । ओर तौस सहस्त पांच सी गदहे॥ ४६। गओ और सेजह सहस्त जन॥ ४७। जैसी परमेश्वर ने आज्ञा किई थौ मसा ने इसराएल के संतानों के भाग श्श्र गिनताोँ [३२ पश्न्‍ने में से हर पचास जीवघारी पीछे मनुव्य और पशु से एक एक लिया ओर डसे लाजियां के! जे परमेश्वर के तंब्‌ू की रक्षा करतेथे दिया॥ ४८। तब सेना के सहस्त पति ओर शत पति मसा के पास आये॥ ४९५। ओर उन्हे ने मसा से कहा कि तर सेवके। ने समस्त याड्वाओं का जा हमारी आज्ञा में हैं गिना और उन में से एक परुष भी न घटा॥ ५०। से हम हर एक बस्त में से जो हर एक ने पाई परमेग्वर के लिये भेंट लाय हें सोने के गहने ओर सो कर ओर कड़े और अंगठियां ओर बालियां और जुंत्र जिप्तत हमार प्राणां के लिये परमेश्वर के आगे प्रायच्यित्त हावे॥ ६९॥। से मसा आर इलिअजर याजक ने से ने के बनाये हुए समस्त गहने उन से लिये। ५२। ओर भेंट का सब सेना जा सहस्त पति और शत पतिन ने परमेश्वर के लिये चढ़ाया से मन आठ णएक का था॥ ५४३। क्योंकि योद्ें। में से हर एक जन अपने अपने लिये लूट लाया था॥ ४४। से मसा ओर इलिअजर याजक उस सेने के! जो उन्‍हें ने सहसतों ओर सैकड़ों के प्रधानें से लिया मंडलौ के तंब में लाय जिसतें परमेम्वर के आगे इसराएल के संतानों का स्वरण हे।। ३२ बत्तीसवां पब्बे । ब रूबिन ओर जद के संतानों के ढोर अति बहुत थे से! जब उन्हों हि | ने यबगजौर ओर जिलिअद के टेश के देखा कि ढार के लिये बद्धत अच्छा हे ॥ २। तो उन्‍्हों ने आके मसा और इलिअजर याजक और मंडली के अध्यच्छे। से कहा॥ ३। कि अतरात और ट्रेबन ओर यञअजीर झआर तिमरः ओर हसबन ओर इलआजली और शबाम ओर नब ओर बऊन का दश॥ ४। जिसे परमेग्वर ने इसराएल को मंडलोी के आगेमारा ढार का देश ओर तरे दासें के ढार हें ॥- ५ | इस कारण उन्‍्हां ने कहा यदि आप की दृष्टि में हम लागां ने अनग्रह पाया के ते। इस देश के। अपने सेवकें के अधिकार में टोजयथे और इमें यरट्न फाह ने ले जञादूये,॥ ६) मा ने जद संतान अर सजग मतानोसे कहा कि क्या तम्हारे भाई लड़ाई करने जावे और तम यहीं बेठ रहे।गे। ३२ पब्बे ] कौ पस्तक । ३३३ ७। जिस टेश का परमेग्र ने उन्हे टिया क्षेउस में जाने से इसराएल के संतानों के मन को क्यों घटाते है।॥ ८। जब मे ने तुम्हारे पितरों का काट्सिबरनीअ से उस टेश का ट्खने भेजा उन्‍्हों ने भो एसा ही किया॥ 6€। ओर जब वे इसकाल की तराई के पहुंचे ओर उस देश के देखा तो उन्‍्हों ने इसराएल के संतानों के मन के घटा टिया जिसतें वे उस देश के जा परमेश्वर ने उन्हें दियाथानजावें॥ १५० | और तभी परमेग्वर का क्राघ भड़का ओर उस ने किरिया खाके कहा॥ ९९। कि निश्यय लागा में से जा मिख से निकले बीस बरस से लेके ऊपर ला काई उस टेश के जि के विषय में में ने अबिरहाम ओर इजहाक और यअकब से किरिया खाई है न देखेगा इस कारण कि वे निरधार मेरी बात पर नचले॥ १५२। केवल कनोजी यफन्नः का बंटा कालिब और नन का बेटा यहरूअ क्यांकि वे परमेम्वर की ओर निरधार चले ॥ ९३। तब परमेग्वर का क्राध इसराएल पर भड़का ओर उस ने उन्हें बन में चालौस बरस लां भरमाया यहां ला कि वह समस्त पीढ़ो जो परमेश्वर के आगे बराई करती थी नष्ट हुई॥ २१५४। और देखा तम लाग अपने पितरों की संती पाप मय जन बढ़ गये हे। जिसते परमेग्पर के क्राघ के इसराएलियां कौ ओर बढ़ाओ।॥ ९५५। यदि तम उस्म फिर जायगे ता वह उन्हें फिर बन में छोड़ देगा और तम इन सब लोगों का नाश करागे॥ १५६। तब वे उस के पास आये ओर बोले कि हम अपने टार के लिये यहां भेड़ शाले ओर अपने बालकों के कारण नगर बनावंग॥ १५७। पर हम हथियार बांधे हुए लैस हाके इसराएल के संतानों के आगे आगे जायेंगे यहां ला कि उन्हें उन के स्थान लो पहुचार्वे और दश के बासियां के कारण हमारे बालक घेरित नगरों में रहगे ॥ ९८:। हम अपने घरों के न फिरंगे जब लॉ इसराएल के संतानों में से हर एक अपना अपना अधिकार न पा लव ॥ १८। क्योंकि हम उन के संग यरट्न के उस पार अथवा आग अधिकार न लगे इस लिये कि हमारा अधिकार पे का यरटन के इस पार मिला क्षे। २०। मसा ने उन्हें कहा कि यदि तम यह करे। ओर परमेग्वर के आगे हथियार बांध हुए जाओगे ॥ २९। ओर हथियार बांध के परमेश्वर के आगे यरदन के ३३४ गिनती [३२ पब्वे उस पार जाये यहां लो कि वह अपने बेरियों के! अपने आगे से टूर करे॥ २२॥ और वह टेश परमेश्वर के आगे बश में हाय तो उस के पीछे तम फिर आजेागे और परमेश्वर के औएर इसराएल के आगे निर्देण ठचहरागे तब परमेशअर के आगे तम्हारा अधिकार हेगा॥ २३। परंत बदि तमयं न करोगे तो देखा कि तम परमेश्वर के आग पापी हुए ओर निश्चय जाना कि तम्हारा पाप तम्हं पकड़गा॥ २४। तम अपने बालकें के लिये नगर बनागओएर ओर अपनी भेड़ों के लिये भेड़ शाले और जोा/तम्हारे मंद से निकला है से करो ॥ २५ । तब जद के संतान और रूबिन के संतान मसा से कहके बाले कि जैसी मेरे खामी ने आज्ञा किई है वेपाही तरे सेवक करग॥ २६। उइमारे बालक हमारोौ पत्नियां हमारौ स्कुंड हमारे ढेर जिलिअद के नगरों में रहेंगे॥ २७। परंतु जैसा मेरा प्रभु कहता हे तेरे सेवक हर एक हथियार बांधे हुए संग्राम के लिये परमेश्वर के आगे पार जायेंगे। २८। तब मसा ने उन के बिषय में इलिअज॒र याजक का और नन के बेटे यहरूआ को शेर इसराएल के संतानों की गाछठी के प्रधान के पितरों के! कहा॥ २८ | और मसा ने उन्ह कहा कि यश्टि जद के संतान ओर रूबिन के संतान परमेश्वर के आगे तुम्हारे साथ यरटन के पार हथियार बांघ के जाव॑ और जड़े और दश तुम्हारे बश में आवे ते तम जिलिआद का देश उन का अधिकार कर दटौजिया॥ ३०। परंत यदि वे हथियार बांघ के तम्हारे साथ पार न जायें ता वे एकट्ट रहके कनआन के देश में अधिकार पावं॥ ३१॥। तब जद के संतान और रूबिन के संतान उत्तर में बाले कि जैसा परमेग्वर ने तरे सेबकां के कहा हम वेसा ही करेंगे॥ ३२९। हम हथियार बांघ के परमेश्वर के आगे उस पार कनआन के टेश के जांयेंग जिसत॑ यरट्न के इधर का टेश हमारा अधिकार हेवे॥ ३३। तब मसा ने अमररियां के राजा सेह्न का राज्य और बसन के राजा जज का राज्य वह टश उन के नगर समेत जा उस सिवाने में क्षे आर ट्श के चारों ओर के नगरों के। जद के संतान ओर रूबिन के संतान ओर यसफ्‌ के पत्र मनस्यो की आधी गेएछी के दिया ॥ ३४। तब जद के संतान ने देबन और अतरात और अरआयर॥ ३५। ओर अतरात ओर शफान ३३५ गिनती [३३ पत्ब और यञअजौर ओर युगबिहाह ॥ ३६ । और बैतनिमरः और घरे हुए नगर भेडां के लिय भंड़ शाले बनाये ॥ ३७। और रूबिन के संतान ने हसबन ओर इलआली और करयतैन॥ ३८। ओर नब और बअलम- ऊन उन के नाम फेरे गय ओर शिवमः ओर उन नगरों के जा उन्‍हें ने बनाये ओर हो नाम रकवे॥ ३८। तब मकौर के संतान मनस्मी के बट जिलिअद का गये और उसे लेलिया ओर उस में के अमारथों के उठा दिया॥ ४०। और मसा ने जिलिअद के! मकौर मनस्मो के बेटे के दिया ज्यार वह उस में बसा॥ ४९। ओऔर मनस््ो का बंटायाइर निकला ओर उस के छोटे छाटे नगरों का ले लिया और उन का नाम यादर गांव रक्खा ॥ ४२। ओर नूवा गया ओर किनात और उस के गांओें के लेलिया और उस का नाम अपने नाम के समान नूबह रक्‍्खा॥ ३३ त॒तीसवां पब्बे । सा ओर हारून के बश में हे।के मिस्र टश से अपनी अपनी सेना शत समेत इसराएल के संतान बाहर निकल आये उन की यात्रा ये हैं॥ २। ओर मसा ने परमेश्वर की आज्ञा के समान उन की यात्रा के अनसार उन का कंच लिख रक्‍्ख़ा ओर उन की यात्रा के अनसार उन का कंच यह है॥ ३। कि इसराएल के संतान पहिले मास को पंटरहवों तिथि में बीत जाने के पे के ट्सरे टन रामसौस से बड़े बल के साथ यात्रा करके समस्त मिस्तियां की हाशप्टि में सिघारे ॥ ४ । क्यांकि मिखियां ने अपने समस्त पहिलेंठां का जिन्हें परमेम्र ने डन में नाश किया था गाड़ा परमेश्वर ने उन के दवतों का भी न्याय का ट्ंड दिया ॥ भू । सो इसराएल के संतानों ने रामसौस से उठके सक्कात में डरे किये॥ ६ । ओर सक्कात से चलके जेताम में जे बन के सिवाने में के डरा किया। ७। फिर एताम से कंच करके फीउलइीरात का जो बअलसफन के सनन्‍्मख है फिर गये आर मिजदाल के आगे डरा किया॥ पचे। फिर फोडलहौरात से चले आर समद्र के मध्य में से निकल के बन में आये ओर एताम के बन में तीन दिन के टप्पे पर गये और मर: डेरा किया॥ <। ओर मर: से चलके एलीम में आये जहां पानो के 8३ पब्ये] कौ पस्तक । ३३६ बारह सेते और छीाहाड़ के सत्तर पेड़ थे और वहां डरा किया॥ २९०। और एऐलौोम से यात्रा करके लाल समद्र' के लग डेरा किया॥ ९१५। ओऔर लाल समट्र से चलके सौन के बन में डरा किया॥ १५२। ओर सौन के बन से यात्रा करके टफकः में डेरा किया ।॥ १३। ओर दफकः से चलके अलस में डरा किया॥ १५४। ओर अलस से चरूके रफीदीम में डरा किया वहां लोगों के पीने के लिये पानी न था॥ १५५। और रफीोटौम से चलके सोना के अरए्य में आये ॥ ९५६। ओर सौना के अरण्य से चलके किबरातलताव:ः में डरा किया। ९७। और किबरातलताबः से यात्रा करके हसौरात में डरा किया ॥ १५८। और हसोरात से चलके रितमः में डरा किया॥। ९५८। ओर रितमः से चलके रूस्मानफरस में डेरा किया॥ २०। ओर रूस्मानफ्रस से चलके लिबनः में डरा किया॥ २९। ओर लिबनः से चलक रिस्म॒ह में डरा किया। २२ | और रिस्सह से चलके कच्चौलाथा में डेरा किया॥ २३। ओ.र क्‌ दौलाथा से चलके सफर पहाड़ में डेरा किया ॥ २४। ओर सफर पहाड़ से चलके हराटः में डरा किया॥ २५। ओर हराटः से चलके मक्द्दौलात में डेरा किया। २६। और मकच्दोलात से चलके तहत में डरा किया ॥ २७। ओर तहत से चलके तारह में डेरा किया। २८। ओर तारह से यात्रा करके मितकः में डेरा किया॥। २८। और मितकः से चलके हश्मना में डरा किया॥ ३०। ओर इहश्मना से चलके मसौरूस में डरा किया॥ ३९५। ओर मसीरूस से चलके यअकान में डरा किया॥ ३२। और यअकान से चलके जिदजाद में डरा किया ॥ ३३ | और जिदजाद से चलके यतबता में डरा किया॥ ३४। ओर युतबता से चलके अब्रनः में डेरा किया॥ ३५४ । ओर अब्रनः से चलके असयनजतब्र में डरा किया। ३६। और असयनजब्र से सिन के अरण्य में जा काटटिस क्षे डरा किया। ३७। ओर कादिस से चलक हर पबत के बन में जा अटूम के देश का सिवाना है डरा किया॥ ह३८। हारून याजक परमेग्वर की आज्ञा से हर पबत पर चढ़ गया ओर वहां मर गया यह इसराएल के संतानों के मिख से बाहर निकलने के चालौसवे बरस के पांचवें मास की पहली तिथि थी॥ ३६३८। जऔर हारून एक से तेईस ह३ पब्ें कीं प॒स्तक । ह३ह७ बरस का था जब वह हर प५त पर मर गया ॥ ४०। और अराद राजा कनंआनो ने जा कनआन दृश की दक्षिण ओर रहता था सना कि इूसराएल के संतान आ पहुंच॥ ४९१५। ओर हर पर्बत से यात्रा करके जुलमनः में डरा किया। ४२। ओर जलमन:ः से चलके फनान में डरा किया॥ ४३। ओर फनोन से चलके जैबत में डरा किया॥ ४४। और एऐबात से चलके ए यैउलअबारीम में जे मोअब का सिवाना है डेरा किया॥ ४४। ओर एऐयीम से चलके टेबनजह में डरा किया॥ ४६। और ट्वनजह से चलके अलमनट्बलनैमः में डरा किया॥ ४७। ओर अलमनटबलतेमः से यात्रा करके अबरीम पथेतां पर नब केआगेडरा किया॥ ४८। जऔर अबरीम परबतां से चलक मेाअब के चोगानों में यरट्न के तोर पर जा अरौह्ू के लग क्ञे डरा किया॥ ४<९। ओर यरदन के तौर बैतुलयसौमात से यात्रा करके अबौलसन्तौन से हेकके मेअब के चोगानें में डेरा किया ॥ ५०। ओर परमेश्वर मेाअब के चागानों में अबीलसन्तोन के तौर अरोह्ल क लग मसा से कहके बाला॥ ५२९ ॥ कि इसराएल के संतानों का आज्ञा कर ओर कह कि जब तम यरट्न से पार हेक कनआन के देश में पहुंचा॥ ५२ | तब तम उन सब का जा उस ट्श के बासी हें अपने संन्मख से ट्रर करा उन की सारों प्रतिमा को नाश करो ओर उन की ठालो हुई मत्तियां का नष्ट करो और उन के सब ऊंचे स्थाने का टा रओ।॥ ५३ | और उन टेश से बिटेश करक उस में बास करा क्यांकि में ने वह ट्‌श तम्ह तम्हारे - अधिकार के लिय स्या है॥ ५४५४। ओर तम चिट्टों डाल के उस टश का आपस में अपने घराने के समान बांट लओ7 बहुतों का बहुत अधिकार हेशे और थाड़ां के धाड़ा हर एक का उ्ी में स्थान हे।गा जहां उस की चिट्ठी पड़े अपने पितरों कौ गोष्ियां के समान तुम अधिकार लेओ ॥ ४५ । परंत यदि तम उस देश के बाषियां के अपने ञआगे से टर न करोगे तो य॑ होगा कि जिन्हे तम रहने दओगगे वें तम्हारी आंखों में कांटे और तम्हारे पांजरों में कोल होंगे और उस ट्श में जहां तम बसे तम्हें सतावग॥ ५४६ । परंत अंत का यह हेमा कि जा कुछ में उन से किया चाहता हूं से। तम से करूगा ॥ 48 8. कह; शहद गिनतो [३४ पब्व ३४ चौंतीसवां पब्बे। । परमेआअर मसा से कहके बेला॥ २। कि इसराएल के संतानों आज्ञा कर और कच कि जब तम कनआगन के दृश में पहुचे। [ वह देश जा तम्हारे अधिकार में पड़ंगा अधात्‌ कनआन का देश उस के सिवाने सहित ]॥। ३। तब सौन के बन से अट्टम के सिवाने लॉ तम्हारी दक्षिण दिशा होगी और तुम्हारा दक्षिण सिवाना खारी समद्र के अंत तौर पर टिशा हेगी ॥ ४ । और तम्हारा दक्षिण सिवाना अकराबीम के चढ़ाव के मा» ला घरेगा ओर सीन लो पहुंचेगा और काटिशबरनीअ की दृषच्तिण की ओआर निकलेगा और हसस्अद्टार लॉ जायगा ओर अजमन ला चलल्‍य जायगा ॥ ५४। गजर यह सिवाना अजमन से घम के मिस्र की नदौ ला पहुचेगा और उस का निकास सम्द्र से हागा॥ ६। ओर तनन्‍्हारा पच्चिम का सिवाना मच्दा समद्र होगा यददौ तम्हारा पश्चिम सिवाना हेगा॥ ७। ओर यह तुम्हारा उत्तर सिवाना हागा महा सम्द्र से क्र पथत लां॥ ८। ओर ह्ूर पहाड़ से हमात के पैठलोां ओर वह सिवाना सौदाद ला जायगा॥ &6। शझर वह सिवाना जिफरून का ओर उस का निकास हसर औनान से हे जायगा यह्दी तम्हारी उत्तर दिशा हे॥ ९०। ओर तम अपने लिये पथ दिशा चुसरणएनान से लेके सफाम लॉ ठचहराइया॥ ९९५। ओर उस का सिवाना सफाम से लके रिब्र॒लः लां आईंन के पब ओर हे।गा और सिवाना वहां से उतर के किन्नारात के समद्र की प4 रिश्ध में मिलेगा॥ १२। ग्यार उस का सिवाना यरट्न का उतरेगा ओर उस का निकास खारी समद्र लो हागा यही तुम्ह रे देश ओर उन के तौर समेत चैटिशा में हांगे। ९३। फेर मसा ने इसराएल के संताने से कहा कि यह वह टृश हे जिस के अधिकारी तम चिट्टो से हे।ओग जिस के विषय में परमेग्वर ने कहा कितू साढ़े नव गाष्टियां का बांट दौजिया॥ ९४। प्येकि रूबिन की गाही ने अपने पितरों के घराने के समान ओर जद के संतान ने अपनी गा४ी के घराने के समान और मुनर्की की आधी गाछी ने अपने घराने के समान पाया॥ ९५॥ उन अढ़ाई गाछियि ने यरटन ९५ पते] कौ पस्तक | ३१८ के इस पार अरोह्ू के लग पये टिशा का अपना अधिकार पाया ॥ २६। फिर परमेश्वर ने मसा का आज्ञा करके कहा ॥ १५७। वे लाग जो तम्हारे रेश का बांट गे उन के य नाम हें इलिअज॒र याजक ओर नन का बटा यहरूआ॥ ९८। ग्और तम अपने लिये हर गाछौ का एक प्रधान लेओा जिसते उस रेश का भाग करे ॥ १५८ । और उन प्रधानों के नाम यह्ेें यफन्नः का बेटा कालिब यहृदाह की गाछ्ठी का॥। २०। ग_जर अन्मिहद का बेटा समएल समअन कौ गाछी के घर।ने का॥ २९५ । ओर किसलन का बेटा इलिदाद बिनयमीन के घर, ने का। २२। ओर दान के संतान कौ गाछी का अध्यक्ष युगली का बटा बकी॥ २३। यसफ ्‌ के संतान के प्रधान मुनस्मों के सतानें की गाष्ठी के लिये अफ्द का बेटा हन्निएल ॥ २४। और इफरायम के संतान की गाछी का अध्यक्ष सिफ्तान का बेटा कमृएल ॥ २४५। जुबुलन के संतान की गाष्ठी का अध्यक्ष फ्रनाक का बेटा इलीसफन ॥ २६। और इशकार के संतान को गेषछो का अध्यक्ष अजान का बेटा फ्लतिएल॥ २७। ओर यसर के संतान की गाठो का अध्यक्ष सलमी का बेटा अखिह्र॥ २८। ओर नफताली के संतान कौ गाछी का अध्यक्ष अश्विह्नर का बेटा फिट्चिएल ॥ २८ । ये वे लोग हैं जिह्ूं परमेश्वर ने आज्ञा किई कि कनआन का देश इसराएल के सतान का अधिकार में बांट द्‌व। ३५४ पतौसवां पत्य ॥ ( परमेग्वर माअब के चेंगान में यरटन के तौर पर अरीहृू के लग सा से कहके बाला॥ २ । कि द्व॒पराएल के सत।ने( से कह कि लावियों का अपने अधिकार में से अधिकार के लिये नगर बसने के दव ओर जगरों के चारों ओर के उप नगर उनन्‍्ह ट्आ॥ ३। ओर नगरों के उन के रच्ने के कारण और आस पास उन के गाय बैल के करण ओर उन की संपत्ति ओर उन समस्त पशन के लिय हां॥ ४ । ओर नगरों के आस पास जा तम लावियों का दओगे चाहिये कि नगर की भोत से सहस्त हाथ बाहर हावे॥ ५। ओर तम नगर से लेके बाहर पब की ओर दो सदस्त हाथ नापे जऔर ट्छिण कौ ओर दा सहस्त हाथ ओर पच्छिम क' ३४० गिमतीो [३५ पन्न ओर टा सहसत्र हाथ ओर उत्तर की ओर दा सहस्तर हाथ और उन के मध्य में य्र उन के लिय नगरों के उप नगर हेगे॥ ६। और उन नगरों के मध्य में जा तुम लावियों का देओआगे छः नगर शरण के लिये होवें जिसे तम घातक के लिये ठहरागओ और उन में बयामी नगर और भी मिला दओआ॥ ७। सारे नगर जो तम लावियों का दृग्मेगे अठतालीस नगर उन के उप नगर सहित ॥ ८। ओर जेप नगर तम द्ओआगे से इसराएल के संतानों के अधिकार में से बड़त में से बह्त दीजिया ओर थाड़ में से थाड़ा सब काई अपने अधिकार के समान अपने नगरो में से जा उस के अधिकार में है लाजियेए के टौजिये ॥ €। फिर परमेग्पर म्‌सा से कहके बेला ॥ ५० । कि दसराएल के संतानों का आज्ञा कर ओर उन्‍्ह कह कि जब तम यरटन पार कनआन के टश में पहुंचा ॥ १ ५ । तब तम अपने लिये नगरों का शरण नगर के का रण टठह राओ[ जिपघत वह घातक जिस्म अनजाने घात हे। जाय भाग के वहां जा रहे॥ १५२। और वह तन्‍्द्वारे लिये पलटा टायक से शरण नगर होगा ओर घातक जब लो बिचार के लिये मंडली के आगे खड़ा न हावे मारा न ज़ाय॥ १५३। सो जाजा नगर तम देओगे उन में कछः नगर शरण के लिये हांगे॥ ९५४। यरद्न के इस पार तीन नगर दौज्या ओर कनआन के देश में तीन नगर दीजिया ये शरण नगर होंग़े॥ १५५। ये छ: नगर इसराएल क संतानों और परट्शी और उन के कारण जो तम्में रहते हैं शरण ओ लिये हांग कि ज्ञो काई अनजाने किसी के मारे उधर भाग जाय ॥ १६ । औ र यदि काई किसी का लाहे के हथियार से मारे एसा कि वुहद मर जाय ता वह घातक हे घातक अवश्य घात किया जायगा॥ १५७। आर याद काई किसो के एसा पत्थर फक मार कि वह मर ज्ञाय ता बह घातक हू घातक अवश्य म.र डाला जाय॥ १५८। अथवा काई किसी का एसा लठ मार कि वह मर जाय ता वह घातक है घातक अवश्य वात किया जाय॥ १८। लाह का पलटा दायक वही घातक के आप हौ डसे घात करे जब व॒ुच्द उसे पावे उसे मार डाले॥ २० | और यदि काई किसी को डाह से ठकेल ट्‌वे अथवा दांवघात से उसे पटक द वे कि वह मर जाय॥ २९१। अथवा बैरी का हाथ से मारे कि वह मर जाय ता जिस ने उसे मारा वह निच्यय मारा जायगा मारे हुए ३५ पब्ब] कौ पस्तक | ३४९ का कुटंब जब उस घातक का पातरे उसे खात करे॥ २२। ओर यदि काई किस को बिना बेर के अकल्मात्‌ ढक्रेल ट्वे अथवा बिना दांववात उस पर काई बस्त डाल ट्वे॥। २६ । अथवा उसे बिन ट्खे एसा पत्थर फंके कि उस परगिरे और वह मर जाय और वह उस का बैरी न था और न डस कौ बराई चाहता था॥ २४। तब मंड नी उस घातक ओर लाह्न के पलटा दायक के मध्य इस न्याय के समान बिचार करे॥ २५। कि मडलौ उस घातक का लाह्न के पलटा द्ायक के हाथ से छडा के उस शरण नगर में जहां बुच्द भाग के गया था फिर भेज टवे और वह प्रधान याजक के जा पवित्र तेल से अभिषिज्ञ हुआ था मरने लो वहीं रहे॥ २६। परत यदि घातक उस शरण नगर के घिव्राने से जहां वह नाग के गया था बाहर आवे॥ २७। ओर लोाह् का पलटा दायक घातक का शरण नगर के सित्राने से बाहर पात्रे और घातक के मार डाले ता उस पर घात का अपराध नहों ॥ २८। क्यांकि उस घातक के उचित था कि प्रधान याजक कौ रूत्य लें शरण नगर में रहता और उस के मरने के पौछ अपने अधिकार के टेश में आता॥ २८। से 7म्हारी सारो पीढ़ियां में और समस्त बस्तियां में न्याय के लिय यह ब्यव्रस्था हैगौ॥ ३०। जा क्सो का मार डाले ता घातक साक्षियां की साखी के समान घात किया जाय परत एक साधीौ को साखौसे क्रिपतो को घात न करना॥ ३९। और तम घातक के प्राण कौ संतो जो चात के याग्य क्ञे मेल मत लओाग परंत वह अवश्य मारा जाय।॥ ३२। ओर तम डरस्स भी जो अपने शरण के नगर का भाग गया हे घात का माल मत लेओ जिसत वह याजक कौ रूत्य लॉ अपने देश में आ बसे॥ ३३। से जहां हे उस दृश का अशइ मत कोजियो क्योकि घात हो से देश अशुद हेता हे और दृश उस लाल से जा उस में बहाया गया ह शट्ट नहों होता परंतु केवल उसौ के लाह् से जिस ने उसे बद्ाया हैे॥ ३४। से तुम अ,ने निवाष्त के देश का जहां में रहता हूं अशइ न करो क्यांकिमें परमेश्वर इसराएजल के संतानें क्े मध्य में रहता हुं ॥ हो ३४९ .. गिनती [३६ पद्ब 3तवतवन-++ ३६ छत्तोपवां पत्ब । जार के संतान के घराने के पितरों के प्रधान और यसफ्‌ के डर है ०२ हा 7 कर. को का. 0 आर कप ९८:०० पंतान के घराने में से मुनरस्यो के बट माखीर के बेट जलआएर के संतान के घराने के पितरों के प्रधान आक मूसा के आगे और इसराएल के संतानों के पितरों के आगे बाले॥ २। किपरमेमग्र ने मेरे प्रभु का आज्ञा किई कि चिट्ठी डाल के देश का इसराएल के संताने। का अधिकार ्् कक के ६225 जे 8. के लिये दवे ओर हमारे प्रभ ने परमेश्वर कौ आज्ञा से कहा कि हमारे भाई सिलाफिहाद का अधिकार उस की बेटियां का दिया जाय॥ ३। से यदि वे इसराएल के संतानों की ओर गाछश्ियां के बटां में से किसी के साथ ब्याही जांबं तो उन का अधिकार हमारे पितरों के अधिकार से निकल जायगा और उस गाछी के अधिकार में जहां वे ब्याद्दी गई मिल जायगा से। हमारो चिट्ठी का अधिकार घट जायगा॥ ४। और जब इसराएल के संतानां के आनंट का बरस आवे तब उन का अधिकार उस घराने के अधिकार में जहां वे ब्याही गईं मिल जायगा औएर डन का कर 3 बन स ०५० अधिकार हमार पितरों की गाछझी के अधिकार में से निकल जायगा॥ ५ । तब मप्ता ने परमेश्वर कौ आज्ञा से इसराएल केसंतानों से कहा कि यसुफ्‌ के सतान की गोष्ठो अच्छा कहती है ॥ ६ । सा परमेश्वर सिलाफिहाद की बरिथों के बिषय में यो आज्ञा करता हे कि वे जिस्म चाहें उसमे ब्याह करें केवल अपने पिता की गाष्ठो में ब्याह कर ॥ ७। जिसतें इसराएल हा न्‍ लि ख चल 92. ८55. «५५ 32 के संतानों का अधिकार एक गे।ी से दूसरी गाछो में नजावे और इसराएल के संतान में से हर जन आप के अपने ही पतरों कौ गाछी के ०५ हर बन न 5५3७ 2] 927 अधिकार में रकवे॥ ८। और हर एक बटो इसराएल के संतानों की किसो गाएी में अंधिकार रक्खे अपने बाप हो के घराने की गोष्ठी में से के 0 चर कि ०५ के अर एक को पत्नी हेवे जिघते इसराएज के संतान में हर जन अपने पिता के " ५ > । अधिकार पर स्थिर रहे॥ ८। ओर अधिकार एक गाछोौ में से दूसरी गाष्ठी में न जाय परुत इसराएल के संतान के घरानों में हर एक जन कप रन ्ट ह ब्ण ७ न ७ अपने अधिकार में आप का रकवं॥ १५०। से सिलाफिहाद की बरियों डर ने वेसा दी किया जसी परमेम्यर ने मूसा का आज्ञा कि थी॥ ९१। 8६ पब्ब ] कौ पुस्तक । ३७४३ ७:४४... "० 5 +ज कल 0९4 ४५५४-७4 432 7 पजवीी नली अजब 22... क्योंकि महलः और तिरज: और हजल:ः और मिलकः और नुआः सिला फिहाट कौ बेटियां अपने चचरे भाइयों के साथ ब्या हो गई). ऐश) यसफ के बेटे मनस्मो के घरानों में ब्यःही गई अर उन का अधिकार उन कें पिता की ग।छी में बना रहा॥ ५३। य वेआज्ञा आर बिचार हूं जा परमेश्वर ने मूसा की ओर से मेऊब के चौगानों में यरदन के तौर पर अरौह् के सन्मख इसराण्ल के सतानें के आज्ञा किई ॥ मूसा को पांचवों पुखकक जो बिवाद को कहातो है। ९ पहिला पब्बे । ञ्य वे बाते कहें जिन्‍्हें मसा ने यरटन के इस पार अरण्य में लाल सम द्र के सनन्‍्मख चे।|गान में फारान और ताफा और लाबन और इहसौरात और ट्ौज॒हब के मध्य में इसराएल के संतानों से कहा ॥ २ । हरिब से काटिशबरनीअ लो शऔर प4त के पथ से ग्यारह दिन का माग है ॥ ३। जझैर ऐसा हुआ कि चालौसपर बरस के ग्यारहव मास कौ पहिलो तिथि में उन समस्त आज्ञाग्रां के समान जिन्हें परमेम्वर ने उसे दिई थों जिसतें इसराएल के संतानों से कही जवीें मसा ने उन्हें कहा॥ ४। उस के पीछ कि उस ने अमरियां के राजा सहन का जा हसंबन में रहता था और बासान के राजा ऊज का जा इसतारात और अद्रिअई में रहता था बधघन किया॥ ५। यरद्न के इस पार माअब के चौगान में इस ब्यवस्था के बर्णन करना आरंभ किया और कहा॥ ६। कि परमेग्वर हमारा ईग्यर हरिब में हमें यह कह्दके बाला कि. तम इस पहाड़ पर बहुत रहे॥ ७। फिरो ओर यात्रा करो ओर अमरियां के पहाड़ को और उस के समस्त परोसियां में जाओ चै।मान में पहाड़ों में और तराई में दक्षिण में ओर समट्र के तौर कनआनियों के टेश के और लबनान का महानदी एरात ला जाओ।॥ ८। देखा में नेआगे का दश तम्ह दिया प्रवेश करो ओर उस ट्श पर जिस के बिषय में परमेग्र ने त॒म्हार पितर अबिरहाम ओर इजहाक और यञकब से किरिया खाई क तन्हें ओर तम्हारे पीछे तम्हारे बंश के! ढेऊंगा अधिकार में लेओ।॥ <। और २ पब्ब] कौ पस्तक॑ । ३४५ उसी समय में ने तम्ह कहा कि में अकेला तम्हारा बाम्क नहीं उठा सक्ता ॥ २९०। परमेग्र तम्हार ईयग्र ने तम्ह बढ़ाया और दे तुम आज के टिन आकाश के तारों कौ नाई मंडलो हे।॥ ९५९॥। परमेग्र तुम्हारे पितरों का ईय्पर तम्ह इससे भो सहस्त गए अधिक बढ़ाते और जैसा उस ने तम से कहा के तम्हें आशीष ट्वे॥ ९२। में तम्हारे परिश्रम और बासक और मकगड़ां का अकेला क्योंकर उठा सकं। १५३। तम बड्टिमान और ज्ञानी और अपनी गा४डियां में से प्रसिड्न लोगों का लाग्रे। और में उन्हें तम पर आज्ञाकारी करूंगा ॥ ९५४। ओर तम ने मर्के उत्तर दके कहा कि जा कुछ त ने कहा है से। पालन करने का भला है ॥ ९५४ । से में ने तम्हारी गोष्ठियां के प्रधानें का बड्रिमान और प्रसिट्ठों का लिया और. उन्‍्ह तम्हारा प्रधान सहस्तों का प्रधान और सेकड़ां का प्रध।न और पचास पचास का प्रधान और दस ट्स का प्रधान तम्हारी गाणियोां में करोड़ा किया॥ ९६। ओर उस समय में ने तुम्हारे न्यायियां का आज्ञा करके कहा कि अपने भाइयें का बिवाद सुने! मन॒व्य में गैर उस के भाइयों में और उस के साथ के परटेशियों में घर से न्याय करा ॥ १५७। तम मंच ट्खा न्याय न करा तम न्याय में किसी के रूप का मत मानो बड़े के समान छोटे की भो सनिया तम मनव्य के रूप से न डरो क्योंकि न्याय इंग्वर का क्षे आर जे। बिषय तम्हारे लिये कठिन हेय मेरे पास लाग में उसे सन्‍ूंगा॥ १५८। सब ज्ञा तन्हे करना था में ने उसी समय में तम्हें आज्ञा किए ॥ १५८। ओर हम ने हरिब से यात्रा किई ता जैसी परमेग्थर हमार ईगखर ने हमें आज्ञा किई थी उस समस्त महा भयंकर बन में गये से तम ने अमरियों के पहाड़ के जाते हुए देखा ग्लार कादिशबरनीअ में आये॥ २० । आऔर में ने तम्ह. कहा कि.तम अमरियां के पहाड़ के पहुंचे हे। जा परमेश्वर हमारा इंश्वर हमें ट्ता ह ॥ २९। ट्ख परमेग्र तेरे ईश्वर ने यह ट्श तेरे आगे घरा हु चढ़ और उसे बश में कर जैसा परमेसश्वर तेरे पितरों के ईश्र ने तुम आज्ञा किई हे मत डर और हियावन कछाड़ ॥ २२। तब हर ण्क तस्में से मऊ पास आया ओर बाला कि हम अपने आगे लाग- भेजेंगे वे हमारे लिय उस दृश का भेट्‌ लव आर आके 4.4: 8. अंक ३४६ बिवाद [९ पब्बे हम से कहें कि हम किस मागे से वहां जाव और कौन कैन नगरों में प्बण कर ॥ २३। वह कहना मस्मते भाया और में ने तस्में से गाछी पीकछ एक एक मनव्य करके बारह मनव्य लिये॥ २४। वे चल निकले और पहाड़ पर गये ओर इसकाल की तराई में आये और उस का भेद लिया॥ २५४ | ओर वे उस ट्श का फल अपने हाथों में लेके हमारे पास उतर आये गैर संटश ले आये और बोले कि परमेश्वर हमारा ईय्थर हमें उत्तम टेश देता है ॥ २६। तथापि तुम चढ़ न गये परंत परमेश्वर अपने ईश्वर की आज्ञा से फिर गये॥ २७ । और तम अपने तंबूओं में कुड़कुड़ा के बाले इस कारण कि परमेग्वर हम से डाह रखता था हमें मिस्र के देश से निकाल लाया कि हमें अम्रियां के हाथ में करके नाश करे॥ २८। हम कहां चंढ़ हमारे भाइयों ने तो ये कहके हमारे मन केा घटा दिया कि वे लाग ते हम से बढ़े ओर जब्व हें और उन के नगर बड़े हैं जिस की भीतें लगे लो हैं ओर इस्स अधिक हम ने अनाकियों के बटों के वहां ट्खा॥ २८ | तब में ने तम्हं कहा कि मत डरा और उन से भय मत करा॥ ३०। परमेग्वर तम्हारा इंश्वर जा तम्हारे आग आगे जाता हे वह्दी तम्हार लिये लड़गा जसा कि डस ने तम्हारो हृाष्टि में तन्हारे लिये मिस में किया॥ ३९५ | ओर अरण्य में जहां तम ने टेखा कि जैसा मनव्य अपने बेटे का उठाता ह वसा परमेआ्र तम्हार ईयर ने सारे मागे में जहां जहा तम गये तन्हें उठाया हे जब ला तम इस स्थान में आये ॥ 8३२० । तथापि इस बात में तम ने परमेआअर अपने इंग्यर की प्रतोति न किई॥ ३३। वह रात का आग में और दिन को मेघ में जिसत तन्हें जाने का मा बतावे मा में तम से आगे आगे गया जिसत तम्हार लिये स्थान ठचहरावे जहां अपने तंब खड़ करा ॥ ३४ । तब परमेशआअर ने तम्हारी बातें सनों और क्रठ॒ हुआ और किरिया खाके बाला ॥ ३४ । कि निशञ्ययः इस दुष्ट पोढ़ी में से एक भो उस अच्छे दंश का जिस के टने का में ने तम्दार पितरों से किरिया खाई ह नदेखेंगा॥ ३६। कंवल यफन्नः का बेटा कालिब उसे ट्ेखगा ओर में वह टृश जिस पर उस का पांव पड़ा उसे औरर उस के बंश का ट्ऊंगा इस कारण कि वह पणता से परमेश्यर के मारे पर चला॥ ३७। ओर तम्हारे कारण से परमेश्वर ने मम पर भी कद २ पन्बे] कौ प॒स्तक । ३४७ हेाके कहा कि त भी उस में प्रवेश न करेगा॥ ३८। परंत नन का बेटा यहकूरूअ जो तेरे आगे खड़ा रहता क्ले उस में प्रवेश करेगा त्‌ उसे उभाड़ क्येंकि वह इसराएल के उस का अधिकारी करेगा ॥ ३८ । और तम्।हारे बालक जिल्ह तम ने कहा था किअहेर हे जायेंगे ओर तनल्हारे लड़के जिन्हें भले बरे का ज्ञान तब न था वहां प्रवेश करंग ओर में उन्‍्हं टेऊंगा और वे उस के अधिकारी हाग॥ ४०। परंत तम फिरो और लाल समट्र के मागी से बन में यात्रा करा॥ ४९। तब तम ने मे उत्तर ट के कहा कि हम ने परमेग्घर का अपराध किया क्षे से हम चढ़ जायेंगे और जैसो कि परमेग्रर हमा रे इंशर ने हमें आज्ञा किई है हम लडगे फिर तम सब के सब हथियार बाघ के सिद्ध हुए कि पहाड़ पर चढ़ जाओ॥ ४२। तब परमेश्वर ने म॒स्झ कहा कि त्‌ उन्हें कह कि मत चढ़ो और युट्ट न करो क्योंकि में तम्प नहों हूं न हे। कि तम अपने बे रियां के आगे मारे जाये। ॥ ४३ ।सोमें ने तम्हं कह दिया और तम ने न सना परंत परमेग्वर की आज्ञा से फिर.गये ओर मगराई से पहाड़ पर चढ़ गये ॥ ४ ४ । तब अम रियां ने जो डस पहाड़ पर रहते थे तम्हारा साम्ना किया ओर मघ माखियों की नाई तम्हें रगेटा अर शऔर में हुरमः लो तम्हें मारा ॥ ४४। तब तम फिरे ओर परमेग्वर के आगे रोये परंत परमेग्घर ने तम्हारी न सनी ओर न तुम्हारी और कान घरा तब तम कादिसि में बहुत टन लॉ रहे। २ ट्सरा पब्मवे। ब जेसी परमेश्वर ने मुम्के आज्ञा किई थी हम फिरे ओर लाल त्‌ समुद्र के मारे से बन में यात्रा किई ओर बहुत दिन लां शऔर पबेत का घेरा॥ २।फिर परमेमग्यर मुस्के कहके बाला ॥ ३। कितुम ने इस पबेत के बहुत टिनलोां घेरा अब उत्तरकी ओर जाओ॥ ४। और लागां से कह कि तम अपने भाई ए से के संतान के सिवाने से चलते है| वे शओर में रहते हें वे तम से डरग से। तम आप से चै।कस रहे।॥ ५ । और उन्हें मत छेड़ा क्यांकि में उन को भमि से एक पेर भर भी तम्हें न ट्ऊंगा इस कारए में ने शओर पबत एसे। के अधिकार में दिया है ॥ ६। तम खाने के लिये उन से भाजन मेलल लौजियो और पीने के लिये दाम ३४८ ब्िवाद [२ पतब्मे टके जल भी मेल लौजिया॥ ७। क््यांकि परमेप्वर तेरे ईमग्बर ने तरे हाथ के सब काया में तमक आशोष दिया है बंह इस महा बन में तंरा जाना जानता है इन चालीस बरस भर परमेग्यर तेरा ईस्वर तेरे साथ है तस्मे किसी बात की घटी न हुई॥ ८। और जब हम अपने भाई रस केसंतान से जो शऔर में रहते थे चैगान के मागे में से ओर असयनजब्र से हेके चले गये ते हम फिरे ओर मेाअब के बन के मार्ग में से आये॥ <«। तब परमेशर ने मुब्पे कहा कि मोअबियों का मत छड़ और उन से मत सकगड़ क्योंकि उन के देश का अधिकारी तुमे न करूंगा इम कारण कि में नेआर के लत के संतान के अधिकार में दिया हे ॥ ९ ०। वहां आगे ओेमीम रहते थे वे बड़े बड़े और बहुत और लम्बे लम्बे धअ्रनाकियों के समान थे। २९९। वे भी अनाक्‌ के संतान के समान दानव में गिने जाते थे परंतु मोअबी उन के ओमीम कहते हें ॥ १२। परंतु आगे शओऔर में क्रीम रहते थे ओर एसे के संतान उन के अधिकारी हुए और उनन्‍ह अपने आगे मिटा डाला ओर उन के स्थान पर बसे जैसा इसराएल के संतान ने अपने अधिकार के देश में किया जा परमेग्यर ने उन्हें टदियाथा॥ १९३। अब उठा और जुरद कौ नालौ पार हे।ओए से हम जरद कौ नाली के पार उतर गये ॥ १५४ । ओर जब से हम ने कादिशबरनीअ के छोड़ा और जरद की नालौ के पार उतरे अठतौस बरस हुए जब लो कि जड़ांक की समस्त पीढ़ी सेना में से खट गई जैसी परमेग्वर मे उन से किरिया खाईं थी ॥ १५ । क्यांकि निश्यय परमेम्वर का हाथ उन की बिरुड्ठता में था कि सेना में से उन्हें नाश करे यहां ला कि वे भर्म हे। गये॥ ५६। से एसा हुआ कि जब समस्त लड़ाके मिट के लागों में सेमर गये॥ १५७। तब परमेगख्वर मस्के कहके बाला॥ १५८। कित जज आर में हाके जा माअब का सिवाना हैँ चला जायगा॥ १«७। और जब त अन्न के संतान के आन्‍्ने सामने आ पहुंचे ते उन्हें दु:ख न ढे और न उन्ह छड़ क्योंकि में अम्मन के संतान के देश में तक अधिकार नहों टने का इस कारण कि में ने उसे लत के संतान के अधिकार में दिया हे ॥ २०। वह भौो दानव का दृश कहाता था आगे वहां दानव रहते थे और अश्पनों उन्हें जज़ मी कहते थे॥ २९। वे बहुत और ९ पब्बे] कौ पुस्तक ॥ ३४८ लम्ब लग्बंअनाकियों के समान थे परमेग्र ने उनन्‍्हं उन के आगे नाश किया से उन्‍्हों ने उन्हें निकाल दिया ओर उन के स्थान पर बसे॥ २२। जैसा उस ने ए तो के संतानां से किया जे शऔर में रहते थ जब उस ने हरोयों के। उन के आगे से नाश किया से उन्‍्हों ने उन्हें निकाल दिया और डन के स्थान पर आज लो बसे हैं॥ २३। ओर अवीयें का भी जे! हसरैम में रद्ते थे आर कफतरी जे। कफतर से आये उन्हें नाश किया और उन के स्थान में बसे॥ २४। तम उठा चला अरन न के पार जाओ ट्खो में ने हसबन के राजा अमरी सेकून के उस की भमि सहित तम्हारे हाथ में टिया क्षे सो अधिकार लेने के आरंभ करो ओऔर लड़ाई में उन का साम्ना करो ॥ २५। आज के ट्नि से में तम्हारा डर आर भय उन जाति गणों पर डालंगा जे। सारे आकाश के नीचे हें वे तम्हारी सधि पांवेंगे और घबरायेंगे और तम्हारे आगे थर्थरा जायेंगे॥ २६। तब में ने कटीमात से हसबन के राजा सहन पास टूतों से मिलाप का यह बचन कहला भजा॥ २७। कित अपने टेश में से म्के जाने ट्‌ में राज मारे में हे|के जाऊंगा ओर में ट्हिने बायें हाथ न मड़ंगा॥ र८। खाने के लिये दाम लेके मस्फे अन्न जल रोजियो केवल में पांव पांव चला जाऊंगा॥ २६९ । जिस रीति से कि एसी के संतान ने जे शऔर में रहते कं ओर मेअबियों ने जा आर में बसते हें मम्कत से किया जिसतें हम यरटन के पार उस भरमि में पहुंच जा परमेग्धर हमारा ई ब्र हमें देता क्षे। ३०। परंत हसबन के राजा सेहन ने हमें अपने पास से जाने न दिया क्योंकि परमेग्वर तरे ईग्वर ने उस के आत्मा का कठार और उस के मन के ठौठ कर दिया जिसतें उसे आज के समान तेरे हाथ में ट्वे॥ ३९। फिर परमेगअर ने मस्मे कहा कि देख में ने सहन का उस के टश सहित तम्के टेना आरंभ किया त अधिकार लेना आरंभ कर जिसतें तू उस के दृश का अधिकारों हेवे॥ ३२। तब सहन अपने सारे लाग लेके यहस में लड़ने को निकल आया॥ ३३। से परमेग्घर हमारे ईस्वर ने उसे हंमें सांप टिया और हम ने उसे ओर उस के बेटे और उस के सब लागों के मारा॥ ३४। और हम ने उसौ समय उस के समस्त नगरों का ले लिया और हर एक नगर के पुरुष ३५० विवाद [३ पत्व और स्त्री ओर लड़का के नाश किया ओर किसी के न छोड़ा॥ ३५४ । केवल ठोार हम ने अपने लिये अहेर में लिया ओर नग्ररों की लट जिसे हम ने लिया॥ ३६॥ अरूईर से ले के जे। अरनन कौ नदी के तीर पं हे: व्पै।एलस नगर से ले के को न॒दी के तीर पर हे अर्थात जिज़िग्द लें ऐसा काई नगर हमारे लिये हढ़ न था जिसे परमेम्यर हमारे ईश्घर ने हमें न सांप दिया॥ ३७। केवल अस्मन के संतान के टेश जिस के निकट त न गया ग्यार नदी यबक के किसी स्थान में न पहाड़ के नगरों में और जहां जहां परमेश्वर हमारे ईस्र ने हमें बरजा॥ ३ तोसरा पतब्बें। त् ब हम फिरे और बसन की ओर चढ़ गये ओर बसन का राजा ऊज अट्टििआअई में अपने सार लाग ले के हमारे सनन्‍्मख लड़ने का निकला ॥ २। ओर परमेग्र ने मस्त कहा कि उर्झे मत डर क्यांकि में उसे और उस के सारे लागां का उस के टेश सहित तेरे हाथ में सौंपंगा त्‌ उसमे वेसा कर जैसा त ने अंमरियां के राजा सेक्नन से जे। हसबन में रहता था किया॥ ३। सो परमेग्वघर हमारे ईस्ार ने बसन के राजा का भी ओर उस के समस्त लेग के हमारे बश में कर दिया और हम ने उन्हें यहां लां मारा कि उन में से काई न बचा॥ ४। डस के समस्त नगर ले लिये अरजुब का सारा देश ऊज॒ का राज्य बसन का एक नगर भी न रहा जा हम ने उन से न लिया साठ नगर ले लिये काई नगर न रहा जा हम ने उन से न लिया॥ ५ । ये सब नगर ऊंची ऊंचो भीतों और फाटके! ओर अंड्गोां से हढ़ थे और बहुत बिन भीत से वे हुए नगर भी ले लिये॥ ६। ओर हम ने उन्हें उन के पुरुषां ओर स्््ियां और बालकों के हर एक नगर से नाश किया जैसा कि हम ने हसबून के राजा सैहन से किया॥ ७। परंत नगरों के समस्त ठार और लट हम ने अपने हो लिये लिया॥ ८। ओर हम ने उस समय अमरियों के टनों राजाओं से यरटन के उस हो पार का देश अरनन को नदी से हरमन पर्बेत लें लेलिये। «। हरमन को सैेंट्ूनी सरियन कहते हें ओर अमरी सनौर कहते हैं ॥ ५०। चौगान के समस्त नगर और सारा जिलिअद हे पब्बे] कौ पस्तक। ३५९, और सारा बसन सलकः ओर अरट्रिआई लो जो बसन में ऊज के राज्य के नगर कें॥ २९। क्यांकि केवल बसन का राजा ऊज रह गया जा दानव में का था देखा उस की खाट लोहे की थी क्या व॒चह अस्मन के संतान राबाश में नहों कै मन॒व्य के हाथां से ना हाथ लम्बों चार हाथ को चैडी॥ ९०। गजयार यह टेश हम ने उसी समय बश में किया अरूईंर से जो अरनन कौ नदी के पास और आधा पहाड़ जिलिअद और उस के नगर में ने रूबिन्यि और जहियां के दियिे॥ १९३। और जिलिअद का उबरा हुआ और समस्त बसन जे ऊज का राज्य था में ने मुनस्णो की आधी गाछी का टिया अरज॒ब का सारा टेश बसन सहित जो दानव का देश कहाता था॥ ९४। मनर्मों के बंटे याईर ने अरजब का समस्त देश जर्ूरियां ओर माकासियों के सिवाने ले ले लिये और उस ने बसन हबसयाईर अपने नाम के समान उस का नाम आज लो रकवा॥ २१५ । जार में ने जिलिअद माकौर का ट्या॥ २९६। और जिलिअट से अरनन कौ नटो लो और आधी तराई ओर सिवाना याबक की नदी ला जा अस्मन के संतान का सिवाना ह में ने रूबिनियां के और जहियां को दिया। ९७। और चोगान भी और यरदटन और उस के सिवाने किन्नारात से लेके चोगान के समट्र ला अर्थ त्‌ खारी समद्र जा पिसग. के सेततां के नौच हु पब की ओर भौ ॥ १५८। आर में ने उसी समय तम्ह आज्ञा करके कहा कि परमंग्यर तुम्हारे ईश्वर ने उस भूमि का हुन्हें अधिकारी किया तुम अपने भाई इसराएल के संतानों के आगे हथियार बांघ के सब जितने लड़ाई के याग्य हे। पार उतरो॥ २८। केवल तम्हारी पत्नियां और तम्हारे बालक ओर तम्हारे ढार जा में ने तम्हं दिये हें तम्हारे नगरों में रहें क्यांकिमें जानता हूं कि तम्हारे ढार बहुत कहैं॥ २०। जब लॉ कि परमेग्वर तम्हारे भाइयों का चेन ट्वे जेसा तम्हं टिया जिस में वे भौ उस ट्श के जा परमेग्वर तम्हार ईम्थर ने यरटन के पार उन्‍हें दिया हे अधिकारी हे।व तब हर एक पुरुष अपने अपने अधिकार में फिर जाय जा में ने तुम्हें दिया क्घे । २५। और उसी समय में ने यक्ूस्तअ के कहा कि तरो आंखे ने कुछ दखा हे जो परमेग्वर तेरे इंग्र ने उन ट्रोनों 8५२ बिवादू [8 पन्ने राजाओं से किया परमेश्वर उन सब राजाओं से जहां जहां त जायगा वैसा करेगा॥ २२९। तम उन से मत डरिया क्यांकि परमेग्वर तम्हारा इम्घर तम्हारे लिये लड़गा ॥ २३ ॥ तब में परमेश्वर के आगे गिड़गिडाया और बाला॥ २४। कि हे प्रभ ईश्वर त ने अपनी बड़ाई और अपना सामर्थों हाथ अपने टास का दिखाने के आरंभ किया ह क्यांकि खगे में अथवा एथिवी में कानसा ईमर के जा ते रे काव्य और तेरी सामथ्ये के समान कर सके ॥ २५ । में तेरी बिनती करता हूं कि मस्क पार जाके उस अच्छ ट्श का देखने टे जा यरट्न के पार है वह संदर पबेत और लबनान ॥ २६। घरत परमेग्वर तम्हारे कारण मस्क से क्रद हुआ ओर उस ने मेरी न सनी ओर परमेम्र ने मस्क्र कहा कि यह्दौ बस कहे उस बिषय में फर मस्क से मत कह ॥ २७ | पिसगः की चोटी पर चढ़ जा और अपनी आंखें पच्चिम ओर उत्तर और दक्षिण ओर पूर्व कौ ग्रेर उठा ओर अपनी आंखों से टेख क्योंकि तू इस यरदन के पार न जायगा॥ २८। पर यहरूअ के आज्ञा कर ओर उसे हियाव दे ओर उसे हृढ़ कर क्यांकि वह इन लागों के आगे पार जायगा ओर वहीं उन्हें उस देश का जा त ट्खता है अधिकारी रेगा ॥९२६ । से। हम तराई में फागर के सनन्‍्मख रहे। ४ चौथा पब्4 । मम अब हे इसराएल के संतानां जो बिघि ओर बिचार में तम्हें सिखाता हू सने। ओर उन पर ध्यान करो जिसते तम जोयोा और उस दश में जा परमेश्वर तम्हारे पितरों का ईम्र तम्हेंढेता हे पहुंच के उस के अधिकारी हाओ॥ २। तुम उस बात में जा में तुम्हें कहता छू कुक मत मिलाइया न घटाइया जिसतें तुम परमेग्थर अपने ईम्वर की आज्ञाओं का जा में तम्ह आज्ञा करता & पालन करो ॥ ३। जा कुछ कि परमेम्वर ने बअलफगर से किया तम ने सब अपनी आंखें से ट्खा क्यांकि उन सब परुषों का जिन्‍्हां ने बअलफर र का पीछा किया परमेग्रर तम्हारे ईसग्वर ने तम में से नष्ट किया ॥ ४ । परंत तम जा परमेश्वर अपने ईम्थर से लवलौन हो रहे हे से। तम में से हर एक आज लो जीता है॥ ५४। देखो में ने बधि ओर बिचार जिस रीति से ४ पब्बे] की पस्तक । ३५३३ परमेश्वर मेरे ईश्वर ने मम्झे आज्ञा किई तुम्हं सिखलाये जिसतें तम उस टेश में जाके जिस के अधिकारी हेओगे उन का पालन करोा॥ ६। से उन्हें घांरण करो और मानो क्योंकि जातिगणों के आगे यक्तौ तम्हारी बंड्धि आर संमस्क हे किवे इन समस्त बिधिन के! सनके कहेंगे कि निश्चय यह जाति बड्रििमान और ज्ञानमान क्ै॥ ७। क्योंकि कान जातिगण एसी बड़ी हे जिसके पास ई स्वर एसा समीप हे।वे जेसा पर मेम्धर हमारा ईय्पर संब में जा हम छउर्ते मांगते कहें हमारे समीप है॥ प। और कान एसी बड़ी मंडली क्षे जिसकी विधि और बिचार ऐसा घम्मे का हे जेसी यह समस्त ज्यतस्था जा में आज तम्हारे आगे घरता हुं॥ & ॥ केवल आप से चैकस रहे और अपने प्राण के! यह्न से रक्खो ऐसा न हे। कि तम उन बस्तन के जिन्हें तरी आखें। ने देखा भल जाओ ओर शेसा न हे कि वे बातें जीवन भर में कभी तम्हारे अंतःकरणों से जाती रहें परंत तम उन्हें अपने बेटों ओर पोतों के सिखाओ॥ २९०। जिस ट्नि त परमेश्वर अपने ईम्र के आगे हरिब में खड़ा हुआ और परमेग्वर ने मस्मे कहा कि लागों के मेरे आगे एकट्टा कर ओर में उन्हें अपनी बचन सनाऊंगा जिसतें वे मेरा डर सौखं जब लॉ वे भमि पर जौते रहें और वे अपने लड़कों के! सिखावें॥ १५९। से। तम पास आय और पहाड़ के नौचे खड़े रहे और पहाड़ खगे के मध्य लें अंधकार ओर मेच ओर गाढ़ा अंधकार आग से जल रहा था॥ ९२ । ओर परमेग्पर तम्हारे ईम्वर ने उस आग के मध्य में से तम्हारे साथ बातें किईं तम ने बातों का शब्द सन परंत मर्त्ति न टेखों केवल शब्द॥ १९३। और उस ने अपनों बाचा तम्हारे आग॑ बणन किई जिसे उस ने तम्हें पालन करने का आज्ञा किई दस आज्ञा उस ने उन्‍हें पत्थर को दा परटियां पर लिखों ॥ १५४। और परमेस्थर ने उस समय मुस्के आज्ञा किई कि तुम्ह बिधि और बिचार सिखाऊं जिसतें तुम उस दृश में जाके जिस के तुम अधिकारी हे।ओगे डन पर चला ॥ ९५ । से तुम आप से बहुत चै।कस रहे। क्योंकि जिस दिन परमेग्वर ने हरिब में आग के मध्य में से तम्हारे साथ बातें कहीं तम ने किसो प्रकार का रूप न दखा॥ ९१५६॥। णएसा न हा कि तम बिगड़ जाओ और अपने लिये खादो हुई मत्ति किसी परुष अथवा स्तो की प्रतिमा 45 [4 क. #.] र५४ बिवाद [४ पब्बे बनाओ ॥ २९७। किसी पश की प्रतिमा जा एथिवी पर है अथवा किसी पंछी का रूप जा आकाए में उड़ते हैं ॥ १५८। अथवा किसी जंत का रूप जा भमि पर रेंगते हें अथवा किसी मछलौ का रूप जा एथिवी के नीच पानियों में हैं ॥ २९८ | ऐसा न हे कि तुम खगे की ओर आंखें उठाओः और सूख्ये और चंद्रमा और तारों के औ।र आकाश की समस्त सेनें केः देखा तब उन्हें पूजने के| बगदाये जाओ! और उन की सेवा करा जिन्हे परमेश्वर ने खग के तले समस्त जाति गणां के लिये बिभाग किया ह्े॥ २०। परंतु परमेश्वर ने तुम्हे लिया ओर वह तन्हे लाहे के भट्ठे से अथे।ठ मिस में से निकाल लाया जिसतें तुम उप्त कौ आर से अधिकारु के लाम हाओ जेसा कि आज के दिन ॥ २१। परमेगस्वर तन्हारे ईस्पर -ने तम्हारे कारण से मम पर रिसियाके किरिया खाई कित यरदन पारन जायगा और उस अच्छ टश में जिस का परमेश्वर तरा इंआअर तक्ते अधिकारी करता क्टलेन पहुंचगा॥ २२ । परंत में अवश्य इसो दश में मरूंगा निच्यय में यरटन पार उतरने न पाऊंगा परत तम पार उतरासमे और उस अच्छी *मि के अधिकारी हाओगे ॥ २३ । आप से चै।कस रहेए ऐसा न हे। कि तम परमेम्वर अपने ईम्वर की बाचा के। जा उस ने तम से किईं भल जाओ ओर अपने लिये खादी हुई मर्त्ति अथवा किसी बस्त का रूप बनाओ जिस के बनाने से परमेम्यर तर ई खर ने तम्फे बजा है ॥ २४॥ क्यांकि परमेश्वर तेरा ईस्थर एक भव्सक अग्नि ज्वलित ई ब्र है । २५ । जब तमक से लड़के और लड़के के लड़के उत्पन्न होंगे और तम अ- नेक न लो उस देश में रहेगे और बिगड़ जाओगे और खादी हुई मत्ति और किसी का रूप बनाओग ओर परमेश्वर अपने ई खबर के आग बराई करके उस के काप के भड़काओग ॥ २६। ता में आज के दिन तम परु खरे और एथिवी के साच्यी घरता हूं कि तम उस ट्श पर से जहां तम यरट्न पार जाते हो कि अधिकारों बना शोघ नाश हा जाओ तुम वहां अपने दिन का न बढ़ाओगे परत सबथा नष्ट हा जाओगे॥ २७४। आर परमेम्यर तम्ह जातिगणां में छिन्न भिन्न करंगा और अन्य दर्श्यां के रुध्य में ज़घर तम्ह परमेग्वर ले जायगा थाड़े से रह जओ.गे॥ र८। वहां उत्म ढेवते की सेवा करोगे जा मनव्यों के हाथ से बने हें लकड़ी के आर है पन्ने ] कौ पस्तक ३५५ पत्थर के जो न देखते न सनते न खाते न संचते कं ॥ २८। पर वहां भो जब त परमेग्वर अपने इंग्धर की खाज करेगा यदि त अपने सारे मन से और अपने सार प्राण से उसे ढंढ़गा तो उसे पावेगा॥ ३०। जब त कष्ट में हे|गा और ये सब अंत्य के दिनों में तु पर आ पड़ें यदि तू परमेस्वर अपने ई स्वर की जेर फिरेगा और उस का शब्द मानेगा॥ ३९ । क्योंकि परमेश्वर तेरा ईम्घर द्याल है वुह तु न छोड़गा न तुस्के नष्ट करेगा और तर पितरों की बाचा का जो उस ने उन से किरिया खाई क्लेन भलेगा॥ ३२। क्यांकि अगले दिनां से जा तस्क से आग हे। गये उस टिन से जब मनव्य का परमेश्वर ने एयिवी पर उत्पन्न किया ओआर खगे की एक अलंग से लेके टूस रो ला पका याद ऐसो बड़ौ बात कभी हुई अश्ववा उप के समान सनो गई ॥ ३३१ कि कभो लागों ने परमेग्वर का शब्द सना था किआग में से बाले जैसा त ने सना और जौता क्षे। ३४। अथवा कभी इंखर ने इचछता किई कि जाके एक जातिगण के जातिगण के मध्य में से परी ज्ञा से आर लक्षण से और लड़ाई से और सामर्थी' हाथ से और बढ़ाई हुई भजां से और बड़े बड़े भय से अपने लिये लेवे जिस रोति से परमेश्वर तम्हारे ईम्वर ने तम्हारी आखों के सान्न मिस में तम्हारे लिये किया ॥ ३५४ | यह सब तश्ते दिखाया गया 'जसत त जाने कि परमेश्वर वहीं इंश्वर हे उसे छाड़ काई नहीं कहैे॥ ३६। उस ने अपना शब्द खगे में से तरस सुनाया जिसतें तम्म सिख।वे और एथिणे पर उस ने तम्मे अपनी बड़ी आग दिखाई ओर त ने उस का बवन आग में से सुना। ३७। ओर इस का रण कि उस ने तेरे पितरों से प्रम किया उस ने उन के पी उन के बंश का इस कारण चन लिया और अपनी बड़ी सामथ्ये से तम्म मिस्त से अपनी दृष्टि के आग निकाल लाया॥ ३८। जिपत॑ तरे आगे से जातिगणों का जा तर्क से बडे और बलवंत हें टूर करे और तुस्के लावे और उन के देश का अधिकारी करे जैसा आज के दिन है॥ ३८। से। आज के दिन जान और अथने मन में से।च कि परमेम्वर ऊपर ख में ओर नीच एथिवी में बची ईस्घर है और केाई नहीं हैे॥ ४०। से तू उस की विधि और उस कौ आज्ञा ओं के जो आज में तुझे कहता छू पालन कर जिसतें तेरे और तेरे पीछे ३५ ६ 5 बिवाह [५ पतन तेरे बंश के लिये भला हेावे और तेरी बय उस टेश पर जो परमेम्वर तेरा इंखर तुस्ते दता है बढ़ जाय॥ ४९ । फिर मुसा ने सथ्य के उदय की ओर यरट्न के इसी पार तौन बल्तियां अलग किई॥ ४२। जिसते घातक जो अचानक अपने परोसी के। घात करे और आगे से उस्म बैर न रखता था और जब उन नगरों में से एक में भागके प्रवेश करे ते जीता रहे ॥ ४३। अथात बख बन में रूविनियों के चोगान के दृश में ओर जदियों में रामात जिलिअद में ओर मनस्कखो के जैौलान बसन में ॥ ४४। यह वह व्यवस्था हे जिसे म्सा ने इसराएल के संतानों के आग धघरी॥ ४५। ये हेंवेसाछियां और बिधि और बिचार जिन्हें मूसा ने इसराएल के संतानाों के लिये जब वे मिस्त से निकल आये उन से कहा॥ ४६। यरदन के इसी पार बेतफगर के सनन्‍्मख की तराई में अमरियां के राजा सहन के देश में जे। हसबन में रहता था जिसे मसा ओर इसराणएल के संतानों ने मिख से निकलके मारा ॥ ४७। ओर वे उस के ओर बसन के राजा ऊज के राज्य के अधिकारी हुए ये अमरियों के टो राजा थे जा यरदन के इस पार सब्ध के उदय को ओआर रहते थ॥ ४८। अरआयर से लेके जा अरनन की नटो के तोर पर है सहन के पहाड़ ले जे हरमन क्षे। ४९। और समस्त चेगान इसी पार यरद्न की पूषबे आर चौगान के सम॒द्र लो जा पिसगः के सोतों के नौचे हे। ५ पांचवां पब्बें। हि मधा ने समस्त इसराणली के बलाके उन से कहा कि हे सराएलियो यह विधि ओर बिचार सुन रक्खा जिन्हें में आज तम्हा रे कानों में कहता हूं जिसतें तुम उन्हें सोखे। और घारण करके माना॥ २। परमेग्वर हमारे ईयग्पर ने धइरिब में हम से एक बाचा बांघी ॥ ३। परमेम्वर हमारे ईस्थर ने यह बाचा हमारे पितरों से नहों बांधी परंत हम से हमी से जे! सब आज़ के दिन जौते क्ञें॥ ४। पब्बेत पर आग के मध्य में से परमेच्वर ने तभ्हारे सग आम्न साम्ने बात्ते। किई॥ ४! में ने तम्दारे और परमेग्यर के मध्य में खड़ हे।के परमेग्थर ५ पब्ब ] की पस्तक । ३५७ का बचन तम्हं सनाया क्योंकि तम आग के कारण से डर गये और पहाड़ पर न चढ़े॥ ६। में परमेग्वर तेरा ईश्वर जो तम्हं मित्र के देश से और सेवकाई के घर से बाहर लाया॥ ७। मेरे आम्र तेरा काई ट्ूसरा ई ग्वर न हेवे॥ ८। अपने लिये खादी हुई म॒त्ति किसो का रूप जे। ऊपर खग्ग में अथवा नीचे एथिवोी पर अथवा एथिवी के नीचे पानियों में क्ञे मत बना॥ <€.। तू उन्हें दंडबत न करना न उन कौ सेवा करना क्यांकि में परमेग्यर तेरा ई स्वर ज्वलित ईश्वर हूं जो पितरों के अपराघ का प्रतिफल बालकों पर तोसरो चोथी पीढ़ी लो जो मुक्त से बैर रखते हें देता हूं ॥ ९०। और सहस्तां पर जा मुक्त से प्रेम रखते हें और मेरी आज्ञाओं के पालन करते हें दया करता ह्ूं॥ ९९। तू परमेग्वर अपने ई स्थर का नाम अकारथ मत लेना क्यांकि जे उस का नाम अकारथ लेता क्े परमेग्थर उसे निटाण न ठहरावेगा ॥ १९२ । बिश्वाम दिन के पर्वित्र के लिये धारण कर जैसो परमेच्यर तेरे ईस्घर ने तुम्मे आज्ञा किई है॥ २३। कः दिन लो परिश्रम करना ओर अपने समस्त कारये करना॥ २९४। परंतु सातवा दिन परमेशखर तेरे ई स्वर का बिश्वाम क्षे काई काये न करना न त्‌ नतेरापत्र नतेरी पत्रौं नतेरा दासन तेरी द्ासौन तेराबैल न तेरा गदहा नतेरे ढोर न तेरा पाहुनज्ञा तरे फाटकों के भीतर हें जिसतें तेरा दास और तेरी टासो तेरी नाई चेन करें॥ १५५। और चेत कर कि त भमिखर के देश में सेवक था और परमेश्वर तेरा ईस्घर अपने सामथी' हाथ ओर बढ़ाई हुई भजा से तस्कर वहां से निकाल लाया इसलिये परमेग्थर तर ईग्र ने तस्म आज्ञा किई कित बिश्वाम दिन का पालन करे॥ २१५६। अपने माता पिता का प्रतिष्ठा दे जेसो परमेम्र तेरे ईश्वर ने आज्ञा किई है जिसत तेरा जौवन बढ़जाय ओर उस देश में जिसे तेरा ईय्थर तुस्मे देता हे तेरा भला हेवे॥ ९७। हत्या मत कर ॥ ५८८। पर स्त्री गमन मत कर ॥ १८। चारी मत कर ॥ २०। अपने परोसी पर स्कूठी साच्ती मत दे ॥ २९। अपने परोसी कौ पत्नी की इच्छा मत कर अपने परासी के घर को और उस के खेत की अथवा उस के दास और ट्ासी की उस के बैल और गदटहे की और परोसी की किसी बस्त की लालच मत कर | २२। परमेगर ने पहाड़ पर मेघ और गा अंधकार ३५८ बिवाद [५ पढे की आग में से तम्हारी समस्त मंडली से महा शब्द से बातें किई ओर उतर अधिक कुछ न कहा ओर उस ने उन्हें पत्थर कौ दो परटियां पर लिखा ओर उन्‍हें मसझे सांपा। २३। ओर यों हुआ कि जब तम ने अंधकार में से यह शब्द सना क्यांकि पहाड़ आग से जल रहा था तम ओर तम्हारी गाछध्टियां के प्रधान ओर तम्हःर प्राचीन मेरे पास आये ॥ २४। ओर तम ने कहा कि ट्ख परमेगस्वर हमारे ईश्वर ने अपना एशर्य और अपनी महिसा दिखाई और हम ने आग के मध्य में से उस का शब्द सना हम ने आज के दिन टेखा कि ईयम्बर मनुव्य से बाज्चा करता है ओर मनव्य जीता हे॥ २५। से अब हम किस लिये मरे कि यह एसी बड़ी आग हमें भरा करेगो यदि हम परमेग्वर अपने ईम्थर का शब्द अब के फिर सनगे ता हम मरहीौ जायगे ॥ २६। क्योंकि समस्त शरीोरों में से एसा कान है जिस ने हमारे समान आग के बीच में से जीवत ईयर का शब्द सना और जौता रहा ॥ २७ । त आप हो समीप जा ओर सब जा कछ कि परमेश्वर हमारा ई प्र हे सन ओर जा कक परमेआर हमारा ई खर हमें कहे त हम से कह हम उसे सनके मानंगे॥ २८। ओर जब तम ने मस्त से कहा परमेश्वर ने तम्ह रो बातों का शब्द सना तब परमेश्वर ने मुस्ते कहा कि में ने इन लागे वी बातों का झब्द जा उन्हां ने तम्क्त से कध्ों सना जा कछ उन्‍्हा ने कहा अच्छा कहदा॥ २८ । हाथ कि उन के एसे मन हेते कि वे मुझे डरते और सदा मेरी समस्त आज्ञाओं के पालन करते जिसते उन के लिये और उन के बश के लिये सनातन ला भला हेवे॥ ३०। जा उन्‍हें कह कि अपने अपने तंब के। फिर जाओ॥ ३१॥। परंत त जा है यहां म॒स्त पास खड़ा रह झओर में समस्त आज्ञा और विधि ओर बिचार तम्भे बताऊंगा त उन्‍हें सिखाना जिसते वे उस देश में जिस का अधिकारी में ने उन्‍हें किया हे उन पर चलें ॥ ३२। से तम चाकस डेके जेसी परमेग्वर तम्हारे ईश्वर ने आज्ञा किई हे पालन करो ओर दहिने बायें न मड़ा॥ ३३ । तम सब मारगां पर चला ज्ञा परमेश्वर तन्हारे ई स्वर ने तुम्हं बताये जिसते तम जीते रहे। और तम्हारा भला हेोवे और उस टेश में जिस के सम अधिकारी हे।ओएरे तम्ह।रे जोवन बढ़े ॥ ६ पब्बे को पस्तक श्पूट ६ छटयां पब्बे । ते वे आज्ञा और बिधि ओर बिचार हैं जा परमेम्घर तुम्हारे इंस्थर ने तम्ह सिखाने के मुस्ते आज्ञा किई जिसतें तुम उस दश में जिस के अधिकारी हे।ने पार जाते हे। उन पर चलेा॥ २। जिसतें त परमेगश्वर अपने ई स्वर से डरके उस की सब विधि और आज्ञाओं के जे में तम्के आज्ञा करता हूं चत में रक्खे त और तेरा पत्र आर तेरा पोज जीवन भर जिसतें तेरा जोवन बढ़ जाय॥ ३। सो हे इसराएल सन ले और उसे सेचके मान जिसते तरा भला हे।वे और तम उस देश में अव्यंत बढ़ जाओ जिप में ट्घ और मघ बहता ह जता परमेश्वर तन्हार पितरों के ईश्वर ने तुम से प्रण किया हे॥ ४। सुन ले हे इपराएल परमभेग्वर हमारा ईश्वर एक परमेश्वर हे ॥ ५। अपने सारे मन से और सगे जोव से और अपने सारे पराक्रम से परमेश्वर अपने ईश्वर से हित रख॥ &६। और ये बात जा आज के दिन में तम्के कहता छू तरे अतःकरण में रहें ॥ ७। और ये बात अपने लड़कों का यत्न से सिखा ओर अपने घर में बैंठते ऊए और मागे में चलते हुए और सेते और जागते उन की चचा कर॥ ८। झर उन्हें चिन्ह के लिये अपने हाथ पर बांध गओऔर वे तेरी आंखों के मध्य में टोकां को नाई हांगे॥ «। ओर उन्हें अपने घर के खभां पर और द्वारा पर लिख॥ १५०। ओर यां हे।गा कि जब परमे म्घर तेरा ईज्र तममे उस दृश में ले जायगा जिस के बिघषय में उस ने तरे पितर अबिरहाम और इजुहाक और यअक़ब से किरिया खाई ह कि बड़ो और उत्तम बस्तिवं जा त ने नहीं बनाई तम्क ट्वे। ९५९ | ओर घर समस्त उत्तमों से भरे हुए जिन्‍्ह त ने नहों भरा और खाद खादाये कयें जात ने नछों खाद ग्रार टाख की बारी आर जलपाई के पड़ जात ने नहीं लगाये ते टेगा और त खाथेगा और संतष्ट होगा ॥ ९२ । चै।कस रह न हे। कि त परमेग्थर का भल जाय जो तक्क मस्च॒ के दश छे दासें के घर से निकाल लाया॥ १५३। तपरमेशख्वर अपने ई ब्वर से डरिया और उस की सेवा की जिथे और उस के नाम की किरिया खाइथा॥ ९४। तम आन आन दवता क पौ& लागां के दवतां के जा तुम्हार अस प(घ 8६० वियाद [७ पब्ने हैं मत जाइया॥ ९५। क्योंकि परमेश्वर तेरा ईश्वर जो तम्हारे मध्य में है ज्वलित ईस्पर कै नहे कि परमेश्र तेरे ईम्वर के केाप कौ आग तुझ पर भड़के और तुम्हे एथिवी पर से मिटा डाले॥ ९६। तुम परमेश्वर अपने ईश्वर कौ परौक्षा मत कीजियोा जैसी तम ने मस्मः में उस कौ परीक्षा किई ॥ १५७। तुम यत्न से परमेग्वर अपने ईगश्वर को आज्ञायों के ओर उस की साखियें के और बिधि का जे उस ने तम्मे आज्ञा किई के सारण करिया॥ ९५८। और वही कीजियो जा परमेश्वर की दृष्टि में ठोक जयेर भला क्षे जिसतें तेरा भला होवे और त उस सथरी भमि में जिस के बिषय में परमेग्वर ने तेरे पितरों से किरिया खाई हे प्रवेश करके अधिकारी हेवे॥ १५८५ कि नतम्हारे गे से तम्हारे सारे बेरियां का हर करे जेसा परमेग्वर ने कहा हैे॥ २०। जब कल को तेरा बेटा तक से यह कहके पक्के कि ये कैसी साकछ्षियां और विधि और बिचार हें जा परमेश्वर हमारे इईग्र ने तम्हे आज्ञा किई क्षे ॥ २९५ । तब अपने बेटे से कहिये। कि हम मिस में फिरऊन के बंघए थे तब परमेश्वर सामर्थी हाथ से हमें मिस से निकाल लाया ॥ २२। और परमेश्वर ने चिह्ल ओर बड़े बडे दुःख और पीड़ा के आअये मिस्र मे फिरकन पर ओर उस के सारे घराने पर हमारी आंखें के आगे टिखाये॥ २९३। और वह हमें वंहां से निकाल लाया जिसतें हमें उस दृश में पहुंचावे जिस के बिषय में उस ने हमारे पितरों से किरिया खाई हमें टवे॥ २४। से परमेचर ने हमें आज्ञा किई कि हम उन सब बिखिन पर चलें और परसेम्थर अपने ईय्यर से अपने भले के लिये सर्बदा डरे जिसतें वह हमें जीता रकवे जैसा आज के दिन क्े। २५। ओर यही हमारा घब्क हेगा यदि हम इन सब आज्ञाओं के परमेमश्वर अपने ईम्मर के आगे उप्त कौ आज्ञा के समान पालन कर। ७ सातवां पब्बे । जे ब कि परमेश्वर तेरा ईश्वर उस टश में जिस का अधिकारी हे।ने जाता हे तम्ते पहुंचावे और तेरे आगे से बहुत जातिगणों का टूर करे अथात्‌ हिन्तियों के। और जिरजा शियां के ओर अमरियां के ७ पब्बे] की पस्तक । ३२६९ और कनआनियों के ओर फ्रज्जियों का ओर हत्रियां के और यवसियों सात जातिगणां के जो तम्क से बड़े और सामथी हेैं॥ २। ओर जब कि परमेग्वर तेरा ई स्वर उन्हें तुम्कत सांप ट्वे तू डन्‍्हें मार के सबंथा नाश करिये। उन से काई बाचा न बांघिया न उन पर दया कीजिया॥ ३॥। न उन से बिवाह करियो न उस के बटे का अपनी बंटी दौजिया न अपने बट के लिये उस की बेटी लीजिया।॥ ४। क्यांकि वे तेरे बट को मुक्त से फिरावेंगी जिसतें वे आन देवतों की सेवा कर से। परमेग्थर का क्राघ तम पर भड़केगा ओर वह तक अचानक नाश कर देगा ॥ ५४। से तंम उन से यह ब्यव॒हार करियाो डन की बेटियों का ढाइया उनकी मत्तिन का ताड़िया उन के कंजों का का्टंडालिया ओर उन को खादी हुई मत्तियां का आग से जलाइया ॥ ६। क्यांकि त तो परमेसग्यर अपने ईम्घयर के लिये पवित्र लाग हु परमेग्वर तर इं गख्र ने तमके चना कि त सब लागों में से जे एथिवी पर हें उस के निज लाग हे।ओ॥ ७। परमेग्पर ने तम से इस लिये प्रीति करके तन्हें नहीं चना कि तम सारे लागों से गिनती में अधिक थे क्यांकि तम समस्त लागां से थोड़थे॥ ८। परंत इस कारण कि परमेग्यर तम से प्रोति रखता था ओर इस कारण कि उसे उस किरिया का पालन करना था जा उस ने म्हारे ।पतरों से खाई थो परमेश्वर तुम्ह अपनो सामथ्ये से निकाल लाया ओर दसें के घर से मिस्र के राजा फिरऊन के हाथ से तम्हें छड़ाया॥ «। से जान रखना कि परमेग्वर तेरा ईम्व॑र वही इंश्वर वह क्थ्रिस्त ईश्वर क्ञे जा उन से जा उस्म प्रम रखते हें ओर उस की आज्ञाओं के! पालन करते हैं सद्दस पीढ़ी लें काचा ओर ट्या रखता क्षे॥ .९५०। और ज्ञा उस्झे बेर रखते हैं उन के में पर फ्लटा टके उन्हें नाश: करता हे जा उसमे बेर रखता हे वह उस के लिये बिलंव न करेगा वह उस के ट्खते हो पलटा टेगा॥ ९१९५। सो त उन आज्ञा और बिधिन ओर बिचार के जो में तम्मे आज के टन पालन करने का आज्ञा करता हूं घारण करिया॥ १५२। से यदि तम इन बिचारों को सनोगे और घारण करके उन्‍हें मानोगे ता यां होगा कि परमेम्वर तेरा बम्पर उस प्रण और ट्था के। जिस के बिषय में उस ने तेरे पितरों से 46 7 जि के बे ६६२ वियाद [७ पच्च किरिया खाई है तेरे लिय धारण करेगा॥ १५३। और वह तस्क प्यार करेगा और तस्के आशीष टेगा और तम्फ बढ़ावेगा वह तेरे गर्म के फल और तरी भूमि के फल में तेरा अन्न और तरी मद्रा और तेरे तेल और तेरे ढार की बढ़ती ग्रार तेरी म्कंड की भेड़ उप्त टश में जिस के विषय में उस ने दने का तेरे पितरों से किरिया खाई आशौष टेगा॥ १५४। त समस्त लागों से अधिक आशीष पावेगा और तक्क में अथवा तम्हारे ठार में नर अथवा स्त्रौ बगे बाम्क्त न हांग॥ २५। गऔर परमेग्वर तक में से समस्त रोग टूर करेगा और मिस्र के सबबरे रोगों में से जिन्हें तू जानता क्षे तुकक पर न लावेगा परंतु उन पर डालेगा जो त॒क्त से बेर रखते हें॥ ९६। ओर सब लोगों के जिन्हें परमेग्वर तेरा ईश्वर तम्के सांप देगा त खा जायगा तेरी आंख उन पर दयान करेगी त उन के द्वें की पजा न करना क्यांकि तरे लिये फंदा हु ॥ २९७। यदि त्‌ अपने मन में कहे कि ये जातिगण मस्त से अधिक हें में उन्हें क्यांकर निकाल सकंगा॥ १५८: ।त उन से मत डरना जो कहु परमेग्र तरे ईंग्वर ने फिरजन ओर समस्त मिस्त से किया अच्छो रौति से सारण करना ॥ ९८ । वह बड़ी बड़ी परीक्षा जिन्हें तरी आंखांने ट्ेखा और बड़े बड़े चिन्ह और आशय ओर सामर्थी हाथ गैर फैलाई हुई भजा जिन से परमेमग्यर तरा ईंग्वर तम्के निकाल लाया जिन लागां सेत डरता हे परमेग्वर तरा ईग्वर उन से वेसाहौ करेगा ॥ २०। ओर परमेचर तेरा इंश्वर उन पर बरे के भेज गा जब लो वे जा बचे हुए और ्म से छिपते हैं नाश हे जावं॥ २२९। त उन से मत डरना क्यांकि परमेग्र तेरा इंखर तम्क में हे बड़ा ओर भयानक ईम्वर ॥ २२। ओर परमेश्वर तेरा ई श्र उन जातिगएा।ं का तर आगे थाड़ा थधाड़ा करके उखाड़गा तू एक बार उन्हें नाश न करना न हेवे कि बनेले पश त॒म्कत पर बढ़ जावें॥ २३। परंतु परमेम्वर तेरा ई स्र उन्हें तेरे आगे सौंप देगा ओर महा नाश से उन्हें नाश करेगा यहां ले कि वे नाश हे! जाय॥ २४। ग्रार वह उन के राजाओं को तर हाथ में सापेगा और त उन के नाम का खशे के तले से मिटा दगा और कई मनव्य तरे आगे ठहर न सकेगा जब लां त उन्‍हें नाशन कर ल॥ २५४। तम उन कौ खादौ हुई दवतों कौ मूत्तिन का ८ पब्बे ] की पस्तक+। ६६६ आग से जला देना त उन पर के रूपे सोने का लाभ न करना ओर उसे अपने लिय मत लेना न हे कि तू उन में बम्कजयय क्योंकि परमेम्वर तरे ईस्थर के आगे वह घिनित क्षे । २६। ओर त काई' घिनित अपने घर में मत लाइया न हैे। कि त उस की नाई स्त्रापित हे। जाय त उन से सबथा कीजिया ओर उसे सबंथा तच्छ जानिये क्योंकि वह स्वापित बस्त हे। पा आखवां पत््ब । मस्त आज्ञा का जो आज के दिन में तुझे देता हूं मानिया ओर सर पालन कीजिया जिसत तम जीओ ओर बढ़ जाये ओर उस दश में जाओ जिप के बिषय में परमेम्यर ने तम्हारे पितरों से किरिया खाई है अधिकारी हाग्रे॥ २। और उस समस्त म।ई के स्तरण करिया जिस में परमेग्वर तरा ईग्थर बन में इन चालीस बरस से तमके लिय फिरा जम लक टोन कर जार लक परण ओर तब मन को. बाज जाच कि त॑ उस को आज्ञाओं का पालन करंगा कि नत्तों॥ ३। ओर उस ने तमके टोन किया ग्लार तक भखा रक्खा ओर वह मज्न जिसे ते ज्ञानत| न. था ओर न तेरे पितर जानते थ तम्क खिलाया जिसतें तम्मे सिखावे कि मनव्य केवल रोटी हौ से नहों जीता रहता परंत हर एक बात से जा परमेमग्यर के मंह से निकलती हू जोता रहता ह॥ ४। चालोस बरस लॉ तेरे कपड़े तमक पर पराने नहुए ओर तर पांव न रूजे॥ ५। त अपने मन में साचिया कि जिस रोतिसे मनव्य अपने बेर का ताड़ना करता हो परमेम्धर तेरा ईस्वर तुम ताड़ता हे॥ ६। से त्‌ परमेगश्व ( अपने इंगखर को आज्ञाओं का पालन कर कि उस के मार्गों पर चल ओर उस्मू डर ॥ ७। क्यांकि परमेग्वर तरा ईय्यर तम्के एक उत्तम भमि में पहुंचाता हे जहां पानी के नाल ओर सेते ओर मक्ोल तराई और पहाड़ों से बहती ह्े॥ ८। गेहूं और जव ओर दाख और गलर ओर अनार का और जलपाई का पेड़ और मघ का देश॥ ८। वह देश जहां त बिन महंगी से राटी खायगा जहां तरे लिये किसी बात को घटती न होगी जिस के पत्थर लोहे हें ओर पहाड़ से त्‌ ताबा खादे॥ ९०। जब तू 8६४ बिवाद [८ पच्चे खावे ग्रार छप्त होवे तब त परमेश्वर अपने इंस्वर का जिस ने तरस वह अच्छा टेश टिया घन्य माने॥ १५१५॥। चेाकस रह कि त परमेग्यर अपने इंमस्वर के भल न जाय कि उस कौ आज्ञा और बिचार और बिधि पर जे आज में तम्क कहता हू न चले॥ १५२। णऐसा न हा कि जब त खाके छभ्त है|वे और संथरे सथरे घर ब्रनावे और उन में रहे॥ ९३। और तेरे लेइंड और मांड बढ़ जायें और तेरी चांदी और तेरा सैना बढ़ जाय और तेरा सब कुछ अधिक हेवे ॥ १४। तब्र तेरा मन उभड़ जाय और तू परमेश्वर अपने ईश्वर के जो तुम्के मिख टेश से और बंधुआई के घर से निकाल लाया भल जाय॥ २१५५ । जो उस बड़े भयानक बन में तम्क लिये फिरा जहां आग के सर जऔर बिच्छ थे और रखा जहां पानी न था जिस ने तेरे लिये पथरो के चटान से पानी निकाला॥ ५६ । जिस ने बन में तम्म मन्न खिलाया जिसे तेरे पितर न जानते थे जिसते तम्मे दोन करे और तम्ते परखे जिसतें अंत्य समय में तेरा भला करे॥ १७। ओर त अपने मन में कहे कि में ने अपने पर क्रम और भजा के बल से यह संपत्ति प्राप्त किई॥ १८। परत त परमेगशखर अपने इ श्र का स्मरण करियोा क्यांकि वहो तर संपत्ति प्राम करने का बल ट्ता कहे जिसतें वह अपनी बाचा का जा उस ने किरिया खाके तेरे पितरों से किया इृढ़ कर जैसा आज के दिन क्षै॥ २९९। और यों होगा कि यदि तू कभी परमेश्वर अपने ईस्र के भलेगा और ओर ही टेवें का पीछा करेगा और उन की सेवा और टंडवत करेगा तो में आज के ट्नि तुम पर साज्ी देता हूं कि तुम निश्चय नष्ट हा जाओगे॥ २०। उन जातिगएों के समान जिन्हें परमेग्वर तुम्हारे सनन्‍्मुख नष्ट करता है तुम भी वैसे हो नष्ट हे। जाओगे इूस कारण कि तुम ने अपने ईश्वर परमेग्थर के शब्द के न माना॥ € नवां पब्वे। न्हे इसराएल सन ले तम्तके आज के टन यरदन पार जाना हे जिसते त डन जातिगणां का जा तम्क से बड़ी ओर पराक्रमी हे और उन नगरों के जा बढ़ ओर खगे ला घेरे हें अधिकारी हेवे॥ २। वहां के लाग बड़े और लम्ब क्रेंजी अनाकियों के संतान हें जिन्हें € पब्व] कौ पस्तक । ३६५ त॑ जानता हे और कहते हुए सना है कि कान है जे अनाक के संतान के आगे ठहर सक्ता ह ॥ ३। सो त आज के टिन समम्क ले कि परमेम्पर तेरा ई ब्यर जा तरे आगे आगे पार जाता है भर्मक अग्नि के तल्य वह उन्ह नाश क रेगा और वह उन्हे तरे आगे घ॒स्त करेगा त उन्हें हांक देगा ओर शीघ नष्ट करंगा जैसा परमेग्वर ने तम्मे कहा हे॥ ४। ग्जार जब परमेग्वर तेरा ई ग्वर उन्हें तेरे आगे से टूर कर टवे तब अपने मन में मत कहना कि परमेश्वर ने मेरे धस्म के कारण मुस्के इस टश का अधिकारी किया परतु परमेब्यर उन जातिगणा कौ दुृष्टता के कारण उन्हें तरे आगे से हांक ट्ता है ॥ ५ । तू अपने घस्म से और अपने मन की खराई से उस ट्श का अधिकारी हेने नहीं जाता परंतु परमेश्वर तेरा ईम्थर उन जातिगणां की दुष्टता के कारण उन्हें तेरे आगे से हांक दताक्ले जिसतें वह उस बचन को जो उस ने किरिया खाके तेरे पितर अबिरहाम ओर इजहाक ग्जार यअकब से कहा परा करे॥ &। से। समम्क ले कि परमेग्पर तेरा इंश्र तर घ्म के कारण तम्म उस अच्छे टेश का अधिकारी नहीं करता क्यांकि त ता कठार लागह॥ ७। चत कर भल न जा कि त ने परमेग्घर अपने इंग्वर के काप का बन में क्यांकर भड़काया जिस ट्नि से कि त मिख के देश से बाहर निकला जब लॉ इस स्थान में आय तम परमेगर से फिरगय हे।॥ ८ । और तम ने हरिबमें भौ परमेश्वर के क्राघ का भड़काया से परमेग्र तम्हें नाश करने के लिये क्र कहुआ॥ «८ । जब में टो पत्थर कौ परियां लेने के! पहाड़ पर चढ़ा अथात्‌ नियम कौ परटियां ज्ञा परमेग्वर ने तम से किया तब में चालीस रात दिन उस पहाड़ पर रहा में ने रोटी न खाई न पानी पीया॥ २५०। तब परमेग्पर ने पत्थर की दे परटियां मम्हे सैंपी जिन पर परमेग्घर ने अपनी अंगलियों से लिखा था उन सब बातों के समान ज्ञा परमेग्र ने पहाछ पर आग में से तम्हारे एकट्र हेने के दिन तम से कहो थीं॥ १९। और ऐसा हुआ कि चालौस दिन रात के पौछ परमेश्वर ने पत्थर की वे ट्नों पटियां अथात नियम कौ पटियां मम टिई॥ १५२ । ओर परमेश्वर ने मस्के कहा कि उठ चल यहां से नोचे जा क्योंकि तेरे लागों ने जिन्हें त मिस से निकाल लाया आप को बिगाड़ दिया वे मकट पट उस माई से जो में ने उन्हें ३६६ बिवाद [& पब्बे बताया फिर गये उन्‍्हों ने अपने लिय एक ठाजी हु म॒क्ति बनाई ॥ ९३। और परमेग्यर मुस्झे कहके बाला कि में ने इन्हें द्खा हे देखये कठार लाग हें॥ ९४। मु॒र्से छाड़ कि में उन्हें नाश करूं ओर उन कय नाम खग के तले से मिटाडालं ओर में तुम से एक जाति जा इस्म बहुत और बली हे बनाऊंगा॥ २५। से में फिरा और पहाड़ पर से उतरा ओर पंत आग से जल रहा था ओर नियम की दानों परियां मेरे दाने हाथ मेंथी॥ ९६। तब में ने दृष्टि किई और क्या देखता हूं कि तम ने परमग्र अपने ईख्र का पाप किया था आर अपने लिय ढठाला हुआ बछूड़ा बनाया तम बहुत शोघ उस माणे! से जा परमेग्ार ने तम्ह बताया फिर गये ॥ २७। तब में ने दानों परटियां लेके अपने द्वानों हाथां से पटक दिई और तम्हारों आखां के आगे ताड़ डाली॥ ९८। ओर उन सब पापें के कारण जा तम ने किये जब तन ने परमेशर की हदृष्टे में बराई करके उसे रिस ट्लाई में आगे की नाई चालौस रात दिन परमेशअ्र के आगेगिरा पड़ा रहा में ने राटी न खाई न पानी पीया॥ ९८। क्यांक मैं परमेश्वर के काप ओर क्राघ से डरा कि वह तम्ह नाश करने के लये कापित था परत परमेश्वर ने उस समय में कौ मेरो सनी ॥ २०। तब हारून का नाश करने के लिये परमंग्वर का क्राघ भड़का तब भ ने डस समय में हारून के लिये भो प्राथना किई॥ २९। आर में ने तम्हारे पाप के अर्थात्‌ उस बछड़ के। जा तुम ने बनाया था लिया और अ.ग में जलाया फिर उसे कटा और बक़नों किया एसा कि वह घलरूसा हे। गया और में ने उस घल के नाली में जे। पबत से बहती थी डाल दिया ॥ २ । ग।र तबअर: में और मस्सः में ओर कबरात लताब: में तम ने प<मे श्वर के। केपित किया ॥ २३। और उसी ठब से उस समय में जब परमेग्थर ने तम्हें काटिशबरनीअ से यह कहके भेजा कि चढ़ जाओ ओर उस ट्श के जामें ने तन्हें टिया है अधिकारी हे।ओ तब तमपरमेमग्वर अपने इं ख्र की आज्ञा से फिर गये ओर तम उस पर बिय्यास न लाये आर उस के शब्द के न सना॥ २४। तिस दिन से में ने तम्ह जाना तम परमेचअ्र से फिर गये हा ॥ २५ | सो में परमेश्वर के आगे चालीस रात दिन पड़ा रहा क्यांकि परमेग्वर ने कहा था कि में इन्ह नाश करूगा॥ २६। से। १० पब्बे] की पस्तक । ३६७ में ने परमेश्वर की बिनती किई और कहा कि हे परमेम्र प्रभ अपने लाग के। और अपने अधिकार का जिन्हें त अपने मच्ष्त्व से छड़ा लाया त॑ अपनी भजा के पराक्रम से मिस से निकाल लाया नाश न कर॥ २७। अपने सेवक अबिरहाम और इजहाक और यअकब के स्मरण कर इस लोग कौ दिठाई और दुष्टता और पापें पर दृष्टि न कर॥ र८। हेावे कि वह टश जहां से त्‌ हमें निकाल लाया कहे कि परमेग्वर सामथो न था कि उन्‍हें उस दृश में जिस के बिषय में उन से बचा किईं पहुंचावे आर इस लिये कि वह उन से डाह रखता था वह उन्‍हें निकाल ले गया कि उन्‍्हं बन में नाशकर॥ २८। तथापि वे तर लाग आर तर अधिकार हें जिन्हें त अपने बड़े पराक्रम ओर बढ़ाई हुई भजा से निकाल लाया ह ॥ १० द्सवां पब्बे। दे ५ न ब्् श्ख न उठ समय परमेग्र ने मर्के कहा कि अपने लिय पत्थर को दो 4टियां अगलौ के समान चौर ओर पहाड़ पर मस्क्र पास आ गऔर अपने लिये लकड़ो को एक म॑ंजषा बना॥ २। में उन परटियां पर वे बात लिखंगा जा अगली परटियां पर थों जिन्हें त ने ताड डाला ओर त उन्हें मंजघा में रख्या॥ ३। तब में ने श्मशाद लकड़ी कौ मंजषः बनाई ओर पत्थर को टे। परटियां अगली के समान चोरों और उन टरानों परियों का अपने हाथ में लिये हुए पहाड़ पर चढ़ गया॥ ४। ओर हैः. # नकैज किलर > लि 5 आप उस ने पटियां पर अगंल लिखे हुए के समान वे ट्स बचन लिखे जो परमेम्ार ने पहाड़ पर आग के मध्य से सभा के टिन तम्ह कहा था और परमेम्वर ने उन्हें म॒र्सेदिया॥ ५। फिर में फिरा ओर पहाड़ पर से उतरा और उन परटियां का उस मंजषा में जिसे में ने बनाया था बे रे दे एन ०९५ बह रक्‍खा से वे परमेम्मर की आज्ञा के समान अब लॉ उस में हें ॥ ६। तब इसराएल के संतान ने यअकान के संतान बिअरात से मैसौरः को यात्रा किई वहां ह्ारून मर गया ओर वहीं गाड़ा गया ग्लर उस के बेटे इलिअजर ने याजक के पद पर उस के स्थान में सेवा किई॥ ७। वहां से उन्हा ने जिदजाद को यात्रा किई और जिदजाद से यतबतः के जा ३६ बिंवाद (4७ गजल पानियें के नदियों का टेश क्षे। ८। उस समय परमेम्थर ने लावों की गाछो के इस लिय अलग किया कि परमेग्वर के नियम कौ मंजषा का डठटावें और परमेग्वर के आगे खड़ हेके सेवा करें और उस के नाम से आशोष देवें से। आज के दिन लोंयूंहौ हे॥ <। इस लिये लावो का अंश जैर अधिकार उस के भाइयों के साथ नहीं परमेम्थर उस का अधिकार हे जेंसा परमेग्वर तेरे ईश्वर ने उसे बचन दिया॥ २९०। और मैं अगले दिनें के समान फिर चालीस रात दिन पहाड़ पर रहा ओर उस समय भी परमेमर ने मेरी सनी और परमेग्वर ने न चाहा कि तम्के बिनाश करे॥ १५१। फिर परमेश्वर ने मम्मे कहा कि उठ और लागों के आगे आगे चल ओर उन्‍हें ले जा जिसते वे उस देश में बंसे जो में ने जलन के पितरों से किरिया खाके कहा था कि उनन्‍्ह ट्ऊगा॥ ९२। अब हे इसराएल परमेस्पर तेरा ईमग्थर तक्क से क्या चाहता हे केवल यही कि तपरमेशअर अपने ईश्वर से डरे और उस के सारे मार्गा पर चले ओर उस्म प्रेम रके और अपने सारे मन से और अपने सार प्राण से परमेग्वर अपने ईश्वर की सेवा करे ॥ २३। ओर परमेग्वर को आज्ञाओं के और उस की विधिन के जा आज के टन तरी भलाई के लिये तमे कहता हूं पालन करे जिसते तेरी भलाई हेावे॥ १५४। टेख कि खरे गर खगें के खगे और पएथिवी उस सब समेत जो उस में क्षे परभेग्वर तेरे इंम्घर का है॥ ९५। केवल परंमेगश्वर ने चाहा कि तुम्हारे पितरों से प्रेम रक्वे इस लिये उन के पीछ उन के बंश के अथात तुम्ह समस्त लागां से अधिक चन लिया जेसा कि आज क्षे॥ १५६। से अपने मन का खतनः करो और आगे का कठार मत हेाओ।॥ ९७। क्योंकि परमेश्वर तम्हारा ईश्वर ईम्परों का ईम्वर ओर प्रभओं का प्रभ एक महा ईश्वर शक्तिमान भयंकर कै जा मनव्यत्व पर दृष्टि नहीं करता और अकोार नहीं लेता ॥ ९८। वह आनाथों और बिघवों का न्याय करता कै और परट्शियों से प्रेम रखके उन्‍हें भाजन बस्तर टता है ॥ १९८। से तम भी परदशियां का प्यार करो क्योंकि तम भी मिस्र के टश में परट्शी थे ॥ २०। परमेग्ररु अपने ईस्घर से डरता रह उस की सेवा कर और उसी से लवलीन रह उसी के नाम की किरिया खा ॥ २९ वहीं तेरी स्तति और तेरा ईस्घरु २९ पब्बे | कौ पुस्तक । ३६८ है जिप नेतरे |लये एछे एसे बड़ और भयंकर का<4 किये जिन्हें तू ने अपनी अआंखांसे टेखा॥ २२।तरेपितर सत्तर जन लेके मिस्र में उतरे और अब परमेश्वर त रे ईश्वर ने आकाश के तारों के समान तुम्मे बढ़ाया ॥ २९ ग्यारहवां पत्वे। कः तु परमेश्वर अपने ई्वर से प्रम रख ओर उस की आज्ञा और बाचचि ओर न्याय और उस की बंचन संदा पांडझन कर॥ २। ओर तम अज के दिन जान लेग्रे। क्योंकि में तम्हारे बंश से नहों बालता जिन्‍्हेंयं ने तम्हारे ईश्वर की ताड़ना और उप्त की महिमा ओर उस के हाथ का औ।र उप्त कौ बद भुजा न जाना क्षे न टेख। (है॥ ३। ओर उस के आअय«4 और उस के का य्य जे। उस ने मिस्र के मध्य में और मिस के राजा फि (ऊन के मध्य में उप्त के समस्त देश में कियिे। ४ ।ओऔर जा कुछ उस ने मिस की सेनाओं के साथ ओर उन के घाड़ां औपर उन वी गाड़ियां के साथ किये क्रिप रौंतिसे उत्त ने लाल सम्द्र का पानी उन पर उभाड़ा जब उन्हें ने तम्ह'रा पीछा किया से परमेश्वर ने उन्‍्ह नष्ट किया आज के दिन लें ॥ ५ | और जा कुछ उस ने अरण्य में जब लें कि तुम यहां पहुंचे टम्हारे साथ किया॥ ६। और जो उस ने टातन औ/र अबिराम के साथ किया जा रूबिन के बट इलिअब के +ट थ किप्त रोति से एथिवो ने अपना मूंह खाला ओर उन्‍्ह ओर उने के घर/ने| ओर उन के तबग्नें का आर समस्त जीवंघारियां के जिन्‍्हां ने उन का पीछा कियां और जा उन के बश में थ समस्त इमराएल के मध्य में उन्‍्हं निंगल गई॥ ७। क्यांकि तुम्हारी आंखां ने परमेश्वर के समस्त महान का*५4 जो उस ने किये देखे ॥ ८ू। से तम उन समस्त आज्ञागरें के जा आज में तुन्हें कहता हू पालन करो जिसत तम बली हेओ। और जाके उस दृश के जिस के अधिकारों हे।ने के लिये पार जाते हे अधिकारी हाग्रे॥ €। और जिसतें तुम उस देश पर अपना जीव्रन बढ़ाग्रे जिम के कारण परमेग्र ने तम्ह।रे पितरों से किरिया खाक्रे कहा कि में जन्‍ह ओर उने के बश के। दृऊगा वुद्द देश जिस में दृष और मघ्रु बहता ह्े॥ .१९०। क्यांकि वुह देश जिस का तू अधिकारी होने जाता क्ञे मिस्र के समान नहीं जहां से तुम 47 [5 9. केश 8५७० विवाद (९९ पन्ने निकल आय जहां त अपना बीहन बता था औएर उप्ते ऋ८नतै 7 रब. रो की बारो की नाई पांय से घानी सौंचता था॥ १५१ ॥। एपरंत ठह्त भमि जिम के अधिकारों हे।ने का ज.ते हा पहाड़ां आर तराई का दश कै जा आकाश के मेव से सोंचा जाताक्ध । १९२। यह वह देश ह जिसे परमेश्वर तेरा ईंख्शर चाहता हे ओर बरम के आ»भ से लेके बरस के अत ले सदा परमेंश्वर तेरे ईश्वर कीआंखें लप्त पर लू्गी हैं॥ १३। ओर यां हेगा कि यदि तम ध्यान से मेरी आइ्ाओं के रूनों॥ जा में हूम्ह डज के टन आज्ञा करता हू परमेश्वर अब्ने ई आर से प्रम करा कि अपने समस्त रमन से और अपने सारे प्राण से उस को सेतव्रा करा) १५४। तो में तुन्दारी भूमि में समय पर मेह बरपःऊगा आरंभ के मेह ओर अंत के मेह में लुम्हें देऊंगा जिएतें तू अपना अब ओऔशए दाख रुस और तेल एक्ट्टा करे। ९४। ओर तरे खत में तेरे पश के लिए चास डग्राऊंगा जिघते तखाय ग और ढप्त हातरे॥ ९६। हम आप से जाकस रहे जिसत तम्हारे मन छल न खावें आर तमफिर ज.ओः "रु और टवतों के सेवा करो और उन की टंडवत करोा॥ ९७। और परमेश्वर का क्राघ तम पर भड़ के ओर वह खडी का बंद करे जिसतें मेह न बब्से और भमि अपना फल नट्तेओ।र तम उस भर्नि से जा पचमेख्वर तम्ह ८ताःचहे शीघ्र नष्ट हा ऊजाणि॥ ९५८। से मेंते इन ब ता का अपने ऋ&८ करण में और मन में रख क्वादा ओर नह के ये अपने बांच भुजा ५ए कघा जिमत थे तम्हारी दाना आंखां के २ ध्य में टीके की नाई रह॥ २८९। और तम उन्हें अपने घर में पैठ हुए और मा चलते हुए और लेटते हुछ ओर डउडटने के समय अपने लड़कां का घसिखाशे॥ २०। हार त उन्‍हें अपने घर के फाटकां पर ओर द्वारों पर छिखे॥ २९। जिम तम्ह रे ओर तम्हारे बंश के टिन जैसा कि ख के दिन एथिवो पर बह हें व सेच्ो तम्हारे दिन उस दश में जिस के कारण परमेखऋर ने तर पितरों से किरिया खाके कहा कि में तम्ह देऊगधा बढ़ जायबं। २२। क्यांकि यदि तम उन सव आच्ाचाओं को जा में हम्हं +ज्ञा करता हूंय से ॥तन करे/ग ओऔ उन्‍्ह म.नागे ओरर प-्मेख्वर ऊप्ने ईस्थर से प्रम रकवेागे. और उस के समस्त मार्गे/ पर चले।मेः ओ।र उस्झे लवली/न १२ पन्बे ] फी पस्तक | . 88 रहे।ग॥ २३। तब परमेमग्मर इन सब ऊजातिगणां का £ म्ह' रे च।गे से हांक देगा ओर तम जातिभणा के जा बढ़े बलौ ओर तमसे अधिक सामथों हें "थिकारी हे।शेै।॥ २४। जिप जिस स्थान पर तम्हारे पांशें का तलवा पड़ेगा से| से तम्हारा हे! जायगा बन ओर ल्वनान से जैर नटो से फरात नदी से लेके अत्यंत सम्ट्र ला 7म्हारा सित्राना हागा॥ भू । किसो को स.मथ्यथ न होगी कि तम्ह।र आग ठच्दर सके परमंग्यर #हारा ईग्वर तम्ह रा भय और लम्ह राडर समस्त ट्शमें जिस पर तम्हारा पेर पडगा डालेगा जैसा उस ने तम से कहा क्ू । २६। दखा में आजम के दिन तन्हारे आगे आशीष ओर स्वाप घर देता हूं॥ २७। अआपीष यदि तम परमेग्यर अपने इंग्घर की आज्ताग्रों का जा आज में तम्ह देता हुं पालन करामे ॥ २८।ओर खःप यट्ि तम परमेख्र अपने ईम्प्रर की आज्ञा पालन न करागे परंत डप्त मा4 से फिर के जा आज में तनन्‍ह आज्ञा करता हूं अह ओर देवता का पीहझा करोगे जिन्हें तम ने हों जाना॥ २८। और यों होगा कि जब परमेग्वर तेर। ईग्धर तम्के उघदणश में जहां त अधिकारो हेने का जात है पड़ेंचातव ता त आशोष के जरिजोम के पहाड़ पर रखिया और ख्राप के ग्रैबाल के पहाड़ पर ॥ ३०। क्या वे यरट्न पार नहों उप्ती मा० में जिधर रू-५ अस्त हे।ता कहे कनाआरनीो के दश में जा जिलजाल के सान्ने चाग.न में रहते हें ओर चैगाने के लग क्षे। ३९। क्यांकि तम यरदन पार जाते हे जिपतें उम टृश के जा परमेग्रर तम्हारा ईसग्प्र तम्हें टताक्ष अधिकारी होएपेग और तम उप के अश्विकारों हागे और डस में बसेगे ॥ ३२। से तम समक्ष विधि ओर बिवार जा आज में तम्हारे आगे घरता हूं सोच रखिया। ९२ बारहवां पब्ब । श्य वे दिधि ओर बिचार हैं जिन्हें तम उस ट्श में जो परमेग्वर तम्हारे पितरों का ई ब्वर 7्म्ह अधिकार में ट्ता ह जब लॉ तम एप्थित्रो पर जौते रहे उन्ह से वक मानिथा॥ २। तुम उन स्थाने( का स+था नाश कीजिवा जहर उन जातिगणों ने जिन के तुम अधिकारी हेाओएरे अपने कक विवाद (१२ प्रब्बे ट्वतों कौ सेत्रा किई क्षे ऊंच पहाड़ांपर ओर टोल पर ओर हर एक हरे पेड़ तले॥ ३ । उन की बेदियां के ढा दौजिया और उन के खंभ के तेाड्यि। ओर उन के कंजां के आग से जलाइथे और उन के दवते की खादी हुई मक्त- का ढा दौजिथ्ाय आर उन के नाम १ाजस स्थान से मिटा दौजियाय॥ ४। तुम एपा कुक परमेश्वर अपने इ ऋर के लिय रत कीजिया ॥ ५४ । परत वह स्थान जिसे पर मेग्वर तुम्हारा ई स्वर तम्दारी समस्त गा४ए्टियां में से चनेगग कि अपना नाम उस पर रक्‍्ख ओर उसीौ के निवास को ढंढ़ा और उसी स्थान पर आओ।॥ ६। ओर वक्तों होम को भेंट और अपने बलि ओर अपने अंश ओर अपने हाथ की हिलल्‍ाई हुई भेंट ओर अपनी मनातियां आर अपनी बॉछा की भेंट ओर अप्ने ढार ओर म्ंड के पहिलेांठ लाइव ॥ ७। वहां परमेमस्र अपने ई स्वर के आगे खाणओग झऔर र अपने सारे घराने समेत अपने हाथ के सब कामें में जिन में परमेश्वर तरे ई चर ने तुम्ह आशीष दिया आनंद कराग ॥ ८। तुम एसे का- 4 जैसे हम यहां क<ते हैं हर एक जा अपनो अपनी दृष्टि में ठोक है वहां मत कौजिया॥ €<॥। क्योंकि तम उस विश्राम आर अधिकार के जा परमेश्वर ?म्हाराई स्वर तम्हें दता क्षे अबलां नक्षें पहुंच॥ ९०। परत जब तम यरदन पार जाओ ओर उस ट्ृश में बसे जिसे परमेग्वर 7म्हारा ईस्घर तम्हारा अधिकार कर दता क्ष आर 7'्हं तम्हारे सब श्वन से जा चारों ओर हें चैन टेगा एसा कि तम चेन से बसा॥ २९१५॥। तब वहां एक स्थान हे/गा जिसे परमेग्थर तम्हारा ईश्वर चनके अपना नाम उस पर रक्‍ख़ तम सब कुछ जा में तम्ह कहता छू वहां ले जाइवेा झइर्थात अपनी हे।म को भरे और अपने बलि अप ने अंश और अपने हाथ की हिल्‍ाई हुई भट ओर अपनी बांछय की मने।त्ौ जा तम परमेग्थर के लिये मानत होे। वहां लाइया॥ २९२। ओर अपने बटां ओर अपनी बेटियां ओर अप्ने दासों ओर अपनी टासियां आर उस लावी सहित जा तम्हार फारका में है इस लिये कि उस का अंश ओर अधिकार तन्हार साथ नक्तों परमेग्रर अपने 5 स्थर के आग आनंद कीजिया॥ १५३। अपने से सेचत रहो ओर अपनी भट हर एक स्थान पर जहां रुयाग मिले मत चढ़ाइया॥ ९२ पच्बे] दी पस्तक । ३७३ २९४॥ परंत उसी स्थान में जिसे परमेश्वर तरी गाएछिया में से नन लेगा तअपनो भेंट चढ़ाइथा अर सब कुछ जा म तक आज्ञा करता # वहीो कीजिया॥ १५५। ओर जिप् बस्त के चाहे आप्ने समस्त फाट॥+ में मार खाइथा ओर परमेग्वर अपने ईश्वर के आशोौष के समान जा उस ने तम्के टिया क्ष चाहे पावन हे। चाहे अपावन हर एक उसे खाथ जैसे हरिण ओर बारहसींगा जा कुछ तेरा मन चाहे॥ ९६ । केवल ऊेह् मत खाइया परत उसे पानी की नाई भमि पर ठाल दी जिया ॥ १५७। अपना अनाज और टाख रस ओर तेल का बाईसपरां अंश ओर अपने ढार अश्ज्ा स्कंड के पहिलेंठे अथवा अपनी मानो हुई मनेत्तो ओर अपनी बांछा की भर अथवा अपने हाथ के हिलाने की भर अपने फाटकों में मत खाइया ॥ ३१८। परंत तम्क पर ओर तेरे बटा बेटो ओर तेरे द्वाम्र और तेरी द्धाप्ती पर और लागी पर जा त रे फारकों में हें डचित क्षे कि उन बच्लुन का परमेग्वर अपने ई ख्वर के आगे उघ्च स्थान में जिसे परमेश्वर तेज ईय्प्र कन्गा खाइया ओर त्‌ परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे अपने सब कामे! में आनंद करिया ॥ ९५८ । आप से चाकम रहच्या जब लात जौता २हे लावौ का मत त्याग्यि॥ २०। जब परमेश्वर तरा इंआर तरे सिद्यनों को बढ़ात्रे जेसा उस ने तर्क से प्रतिह्तना किई क्ञे औरत कहे कि में मांप खाऊंगा इस कारण कि तथा जोव मांस खाने का अभिल षो हे हातमांसख और हर एक बस्त जिसे तेरा जौब चाहे खाइबा॥ २९। यार वह स्थान जिसे परमेग्रर तर ईय्घर ने अपना नाम वहां रखने का चन लिया तम्क से बज़त टूर हात्रे तातअपने टा र ओर #कंड में से जा ई ब्वर ने त म्फ दिय हें जैसा में ने "म्क आज्ञा किई के मारिया आर अपने फाटक में जा कुछ तरा जोव चाहे से खाइथा॥ २२। जेसा कि ्ञण ओर ब्रारासिंगे खाये जाते हों त उन्‍्हं खाड़या पवित्र ओर अपबजिब उन्हें समान खाय॥ २३। केवल चोकस हे/(के लाह्न मत खाइया क्यांकि लाह् जोव हूं आर तस्क उचित नक्तों के मंस के साथ जोव ख़ाय॥ २४। त उसे मत खाइया उसे पानी को हाई भाम पर डाल दौजिया॥ २५। त्‌ उसे मत खाइया जिस में तरा ओर< तरे पीछ तरे बंश का भला हे।य जब क तू बुच्द जाई ग्गर की हृाष्ट में ठोक है कर ॥ ३७४ बिबाद (३३ पत््व २<। प<«स त अपने परतित्र बक्तन का ओर अपनो मने।तया के। उप्त स्थान में जिपे ईशझर च नेगा लेज इयप॥ २७। ओर त अपनो हे।म की भर रांस कर लाह परमेश्वर अपने ई स्वर की वद्दी पर चढ़ाइया और तेरे बलिदाने का लाहू परमेश्वर तरे ईश्वर की बदी पर ढ।ल्‍ा जायगा और त्‌ मं॑स के ख दया ॥ २८ । चाकस है। छा र इन सब ब तो के! से वा जा मैं तुझे आज्ञ करता हुं म्ने कस में हरा इ।. तरे पोद् हरे बंश का सनातन लॉ भला केाते जब कि हम ठ॒ह जा भला ओर >ोक है परमेच्यर अपने ईझार की दरष्टि में करा ॥ २८ | जब प मेश्वर तेरा ई स्ूर उन जाति गए का ते रे आगे से काट डाले जहां त्‌ जाता है कि अधिकारी बने और त॑ उन का अधिकारी हे।ते और उन के 7 श में बास करे ॥ ३० | अपने से चाकछ रहियाम हा कि जब वे तर आगे से बिनाश हेत्र त उन के पी बम जाय ओर न हे फकित उन के दृव्तांका ख्ाज़ करके कहे के इन जातिगएां ने अपने ट्कतों कः सेश क्रिस रोति से कई थोभें भो वेसो कहझंगा। ३१। तपरःमेश्वर अपने ईस्थर से एसा मत कौजिया क्य|कि उन्हां ने क्र एक का<«य जिससे ई मर के। घिन हे ज.स्स वुच्च पर रखता हे अपने ट्वतें के लिये किया यक्षा ला कि अपने बेटा ओर बेटियां के अपने दवतों के लिये आग में जला दिया। ६२। तम हर एक बात का ज्ञो में तुन्हें कहता हूं सेचकरे झानिया उप्त में न बढ़ाइथा न उप में ८ूटाइया ॥ १३ तेरहवां पब्ब । दि रस्में काई आगमज्ञानी अथवा खप्तदृर्शी प्रगट हेवे ओर 2 | रूस्क काई लक्षण अथवा आचअ्य4 दिख|वे ॥ २। आर वह लक्षण अथवा आशा्यब्ध जा उस ने द्खाया परा हावे ओआर वह तम्ह कहे कि आगरा क्त्म आन देवतों का थौछा कंरं जिन्हें त ने नप्पें जाना गैर उन को सेवा कर॥ ३। तो कभो उस आगमज्ञानो अथवा खप्ट्शों के बचन मत मनिया कष'कि परमेग्रर हम्हारा ईश्वर तम्ह परखता हो जिसतें ट्ख कि तम परमेश्वर अपने इंगख्य( का अ-ने सा रे जीव से ओर सारे प्राण से मित्र रखते हे। किकर्तों॥ ४। हम पबमेग्र अपने ईम्थर का पीछा करो ओर उसे डरे! और उस की आक्षाओ। केा १३ पत्बे ] को पस्तक । ३७ धघारए करा और उस का शब्द नाते तुम उ्त को सेत्रा करे। और उ्तो से लंतलौन रहे॥ ५। ओर बह आगमज्ञ नो अथत्रा खग्र शी घात किया जायगा क्यांकि उस ने तन्‍्ह परमेप्यर अपने ईग्घर से फिरायने वी बात कही जा तम्ह मिस्र से बाहर निकाह लाया ओर तम्फे बंधग्माई के चर से कटाया जिमत तम्क उम्त माण मेंसेजा परमेग्वर तर ईग्घर ने आज्ञाओिईर हू बसा दे सो तक उचित है कि त उम्त बराई का अपने मध्य से निकाल डाल 9 ६। यर्धद तरा सगा भाई अथवा तरा बेरा अथरय तरौ बटो अथवा तरो गाद की पत्नी अथवा तरामित्र जातरे प्रण के समान होते तम्के च।के से फपलात्रे और कहे कि वल दपरे हृवतें को सेवा करें जिन्‍्हें त' ओर त रे वितर नहों जानते हैं॥ ७। उन लागेा के दंपी। में से जा तन्हारे आस पाफ़तरे चारोंओर हैं अथवा तक से दर भमि ने. इप खंरट से उत्त खंड लां॥ ८। त उसकीबात न मान्िया न उस को मास्यान उप्त पर त्या की द।ष्ट कऔजिया त उसे मत छाड न उप के झिपा॥ 6 । परंत उप्ते आश्य मार डालिया उप्त के बचघान में पहिले तरा क्याय उप पर पई ओर थौकू सब लाभ के हाथ) ९५०। त उप्त पर पथरवाह कौजिया जिपत वह मर जाय क्यांकि उऊफ् ने चाहा कि परमेश्वर तरे ईम्पर से तम्के भरकात्रे जा हम्क म्खि के टंश हरू «यथा | कघ८ से निकल लाया। २९१॥ आर सर इपराएल सनक छ्रग आ ९ तन्‍्हार मध्य म फर एप। दुइता न कर४+॥ ९२। यदि त्‌ उन न्गरां में जा पस्मेग्व ( तर ईग्मर ने तम्फे बसने के लिये दिय हें यह कहते सने-। ९६३। कि. कतने लूग तम्म से निकता गय ओर अपने न्गर के बा.सथा का थां कह के भट काया कि आईे 7 चलें आर द्वतों की सेव कर जिन्ह तुम ने न एों जाना है ॥ ९४ । सेर खाजिया ओर यल्न से प॑छया और देखर्या रुत्य हे.य गैर निःपंदेह कि एसा दिन्त का4 हुस्‍॥ हे॥ ९५ ।. ते। उप नगर के बासियां के खड़ को घार से निच्युव गाए डालिय,। <से और जा कुक ऊस में हैँ और वहां के ढठार के खड़ की घार से स+ध्व- नाए वी,जथा॥ १५६ ।ओर त वहां कौ स।री लट का वर कौ सड़क के मध्य में एक्ट कौजिया ओर उस नगर के। और वहां की सारी लूट के। परमेश्वर अ५ने ई स्थर के लिये ई७ई बिवाद [२४ पब्बे जरा दौजिया ओर तह सब्वतन ला एकट्र रहेगा फिर बनाया न जायगा॥ ९१५७। ओर उप स्वापित बक्त म॑ ऐे कुक तर हाथ में सटो न रहे जिसत परमेश्र अपने क्रोाघ के जलजलाहट से फिर जाय और रतस्क परचअन्ग्रह करे औ.र ट्याल हे और तम्कते बढ़ाते जैग। कि उप ने त न्हारे पितरों से किरिया खाई हैे॥ श८। जब त परमेग्वर अपने ईसग्यर का शब्द मने कि उस की सा ते &ज्ञा का जा आज में तर्म कहता हू जा परमेश्वर तर ई खर के आगे टी क॒ है उसे पालन करे। १४ चौहवां पब्ने । त्ञ म परमेश्वर अपने ई ग्थर के संतान हैे। तम म्हतक के लिये अपने का काटकंट न करिया न अपने माथ का मडाइया॥ २ । क्यांकि नम परम पार अपने ई आर वो लिये परत्रिक़ लाग हे और परमेम्पर ने समस्त आतिगएणां में से जे। एथित्री पर हैं तक चन लिया कि अपना निज लेाग बनावे॥ ३। त किपो विनित बच्त का मत खाइथा॥ ४। इन पश्न के खाइये। बैन भेड़ बकरी ॥ ५ | और हरिण ज्र हरिणी और कंट्ली ओ।र बनैलो बकरी और गबय और बनेला ग्रेल ओर बातप्रमी ॥ € | और हर एक चै।पाया जिस के खर िरे हुए हैं। और उप्त के खर में विभाग है| और पागर करता हों तम उसे खाइये॥ ७5। तथ/प उन में सेजा पागर करते हैं अथवा उन के खर चिर हुए हें जेसे ऊंट और खरहा ओर मफन तम इन्हे मत खाइया इस लिय किय पागर नहाों करते परंतु उन के खर चिरे हुए हैं से य तन्हारे लिय अशद् हैं॥ ८। ग्ार रूअर इस कारण कि उप के खर बिरे हुए हैं तथापि पागरू नक्तों करता वत्त नम्हारे लिय %शैड्र है तम उन का मास न खाइयान डन की लोाथां के कदया॥ <। सब में से ज्ञा पानिया में रहते हं इन्हें खाइया जिन के पंख और छिलके हां। १५०। और जिस किसी के पंख और छिलके न हे तम उन्हें न खाइया वह तन्चा रे लिये अशइ हों २१ । समस्त पावन पछीो के खादया ॥ १५२ । परंतु उन में इन्हें न खइयो गिड् आर हाड़गिलि और कुरर॥ २३। ग्यार शंकरचोल्ह ओर चोल्ह: और भांति भांति के गिडु॥ १५४। और भांति भांति के कब्वे॥ २५ ४ ९४ पन्ने] कौ पुस्तक । ३:४७ फंचा और लक्ष्की पंचा और काइल गैर भांति भांति के सिकरा॥ ९६। और छोटा पेंचा और उच्च ओर राजहंस ॥ ९७। ओर गरुड़ ओर बासा और मछरंग॥ ९८। गैर सारस ओर भांति भांति के बग॒ले ओर रिट्हिरी और चमगदर॥ ९८। और हर एक रेंगवैया जो डड़ता है तुल्हारे लिये अशुद्द हे वे खाये न जावें॥ २०। समस्त पवित्र [पच्नौ खाइयबा॥ २९। जो कुछ आप से मर जाय उसे मत खाइया त्‌ उसे किसौ परदेशो का जे तरे फाटकों में क्षे खाने का दौजिया अथवा किसी विदेशी के हाथ बच डालिया क्योंकि त परमेग्रर अपने इंस्वर का पवित्र लाग हे त मेनना का उप्त को माता के दूध में मत उसिनना॥ २२। बरस बरस जा बीज तरे खंतां में उगेत निश्चय उसका अंश टिया कर॥ २३। त परमेश्वर अपने ईम्घर के आग उस स्थान में जिसे वह अपने नाम के लिये चनेगा अपने अन्न का अपनी मदिरा का अपने तेल का अपने ढार ओर अपनी संंड के पहिलेंटठां के अंश के खाइये। जिसते त सबंदा परमेम्घर अपने ईग्वर से डरना सोखे ॥ २४५ और यदि मागी तेरे लिये अति टूर हेवेयहांलां कि त उसे न ले जा सके यदि वह स्थान जिसे परमेग्रर तेरे ईस्वर ने चना जिसतें अपना नाम वहां स्थिर करे बहुत टूर हेवे ता जब परमेग्बर तेरा ई स्घर तुझे आशोष ट्वे॥ २५१। तब त उन्हें बेचक्रे उन का रोकड़ अपने हाथ में लेके उछ स्थान का जा जा तरे परमेश्वर ने उनाक्षे॥ २६। ओर उस राकड़ से जिस बस्त का तरा मन चाहे मेलल ले गाय बेल अथवा जड़ अथवा टाखरस अथवा मद्य अथवा जा बस्त तेरा जोव चाहे त और तेरा घराना परमेग्वर अपने ईम्वर के आगे खाय ओर आनंद करे॥ २७। ओर जा लावी तेरे फाटकों में क्े उसे व्याग मत करिया क्योंकि उस का भाग ओर अधिकार तरे साथ नहीं है॥ २८। तोन बरस के पीछ अपनी बढ़तौ का समस्त ट्सबां भाग उसी बरस लाइया ओर अपने फाटकों के भीतर घरिया॥ २6। ओर इस कारण कि लाती तगरे संग भाग ओर अंश नहीं रखता हे और परद्शी और अनाथ और बिघवा जा तेरे फाटकां सें हें आंवं गश्रेर खावं ओर ढछभम हे।व॑ जिससे 48 कह. हद बिवाद (२५४ पब्बे परमेग्वर तरा ईस्वर तेरे हाथ के समस्त कारयां में जोे। त करता है अआशोष ट्वे ॥ १५ पंट्रहवां पब्थ। सा बरसे के पीछे तक्कटकारा टहराओ॥ २। और छटकार की रौति यह हुं कि हर एक घनिक जा अपने परासी का कण देता है से उसे छाड़ ट्वे और अपने परासी से अथवा भाई से न लेवे इस कारण कि यह परमेचख्ार का छटकारा कहाता है॥ ३। परट्शो से त॑ ले सके परंत यदि तेरा कुछ तरे भाई पर क्षे ता उसे छाड़ दें॥ ४। जिसते तेम्म काई कंगाल न होवे क्यांकि परमेग्वर उस टश में जिसे परमेम्वर तेरा ईश्वर तरे अधिकार में देता क्ष तक आशोष देगा॥ ५॥। यदि त केवल परमेसञ्वर अपने ई स्वर के शब्द का सने ओर थ्यान से उन समस्त आज्ञाओं पर चले जा आज में तस्क्त कहता कू॥ ६। ता परमेग्वर तरा ईस्वर जेसा उस ने तर से प्रण किया है तर्के आशोष ट्गा खेर त बहुत जातिगणां का उधार देगा परंत त उधार न लगा आर तबद्त से जातिगणां पर राज्य करगा परंत वे नमक पर राज्य न करेंगे ॥ ७। यदि तम्हारे बीच तम्हारे भाइयों में से तरे किसो नगर में डस देश का जिसे परमेश्वर तेरा ईयर तुर्के देता है काई कंगाल हेयवे ता उस्झे अपने मन के। कठार मत करिया ओर अपने कंगाल भाई की ओर से अपना हाथ न खों चिया ॥ ८। परंत अवश्य उस को सहाय करियोा परत उसमे हाथ बंद मत कोजिया ओर निश्चय उस के आवश्यक के समान उसे उधार टेना॥ «€। सावधान हे कि तरे दृष्ट मन में काई बरी चिंता न हे। कि सातवां बरस तेरे कछटकारे का बरस पास है ओर तरी आंख तेरे कंगाल भाई की ओर बरों होते आर त उसे कुछ न ट्वे और वह तस्क पर परमेश्वर के आगे बिलाप करे ओर तरे लिय पाप हेवे॥| १५०। अवश्य उसे दोौजिया ओर जब त डछसे ट्वे तो तेरा मन डद्ास न हेवे क्यांकि इस कारण परमेश्वर तेरा ई स्वर तरे समस्त काया में जिन में त हाथ लगावे बढ़ती टंगा॥ ११॥। क्यांकि देश में से कंगाल न मिटेगे इस लिय में तमे आज्ञा करता हूं कि अपने भाई के लिय ज्ञा १५५४ पब्बे] कौ पस्तक | ३७८ तेरे सन्‍्मख और अपने कंगाल और अपने द्रिट्र के लिये जा तरे देश में है अपना हाथ खादिया॥ २१५२। यदि तरा इबरानों भाई परुष हे! अथवा स्त्रो तरे हाथ बेचा जाय ओर छः बरस लो तरी सेवा करे तंब सातवें वरस संत से उसे जाने दौजियाो ॥ १५३६। और जब त उसे अपने पास से जाने दवे ता उसे छछ हाथ मत जाने दीौजिया ॥ २९४। अपनी म्ंड ओर खत्ते ओर काल्ह में से उस बढ़ती में से जा परमेश्वर तरे ईसग्धघर ने तक दिई है उसे मन खालके दौजिया॥ २९४। ओर स्लरण कौजिया कि मिस्र टेशमें त बंधआ थाओर परमेगश्वर तेरे ईम्बर ने तो छड़/या इस लिये आज में तम्के यह आज्ञा करता हू॥। ९६। और यदि वह ते कहे कि में तम्क पास सेन जाऊंगा इस कारण कि वह तम्क से और ते घर से प्रोति रखता कहे क्यांकि वृह्ठ तरे संग कुशल से हे ॥ १५७। ता तू एक स॒तारी लेके अपने द्वार पर उस का कान छद्िथा जिसते वह सदा का तेरा सेवक हे। और अपनी ट्ासी से भो त एसा ही करिये॥ १५८। ओर जब त उसे छाड़ ट्वे ता तम्शे कठिन न समुक्तत पड़े क्यांकि उस ने टो बनिहारों के तुल्य छः बरस लो तरो सेवा किई से परमेग्यर तेरा ईम्र तरे हर एक काये में तम्के आशोष टेगा॥ १५८। अपने ढार के ओर अपने मकड के सारे पहिलोांठट नर परमेम्धघर अपने ई स्पर के लिये पवित्र करिया त अपने बेलों के पहिलोंटां से कछ काये मत लोजिया अपनी भेड़ के पहिलोंटों को मत कतरना॥ २० | परमेश्वर अपने ई म्धर के आगे बरस बरस उस स्यान में जा परमेश्वर चुनेगा अपने घराने सहित खाइयाो॥ २२॥। परत यदि उस में काई ख।ट हेावे लंगड़ा अथवा अंधा अथवा काई भारी खोट हे।वे ता उसे परमेख्वर अपने इंम्वर के लिये बलिदान मत करिया॥ २२। जेसे हरिन और वारहसों गा तुम उसे अपने द्वारों पर खाइथे पवित्र हे। अथवा अपवितर टानों समान ॥ २३। केवल उस का लाहू मत खाइथो तू उसे पानौ कौ नाई भूमि पर ढाल दौजिया | ह्‌८ ० बिवाद (१९६ पर्च्य १६ सेलचहवां पब्ब । (८! छ मास का पालन करिया ओर परमेश्वर अपने ईम्यर का बीत जाना मानिया क्यांकि परमेग्वर तरा ईश्वर अबिब के मास में रात के तुझे मिख से निकाल लाया ॥ २ । उस स्थान में जिसे परमेग्वर अपना नाम स्थापन करने के लिये चनेगा अपने परमेग्वर ई स्वर के लिये तू अपने हार में से बीत जाना वलि करिये।॥ ३। त्‌ उस के साथ खमीरी रेटी मत खाना सात ट्नि उस के साथ अखमी री रोटी अथे।त कष्ट की राटो खाइये। क्यांकित॒मिस्त टेश से उताव्रवी से निकला जिसतं त उस दिन का अपने जीवन भर सारण कर जब त मिस से निकला ॥ ४।ओर तर सारे सिवाने में सात टन लां खमौ री रोटी दिखाई न ट्वे आर न उप्त मास में से जिसे त ने पहिले दिन सामकत का बलि किया रात भर बिहान ला बच रहे॥ ५।त्‌अपने किसी फाटकों के भीतर जा परमेश्वर तरा ई खर तुम्क हेता है बोत जाना बलि मत करियेा॥ ६। परंत उसी स्थान में जसे परमेश्वर तेरा ईश्वर अपना नाम स्थापन करने के लिये' चुनेगा साम्क के रथ अस्त होते उसी समय में जब तू मिस्त से निकला बौत जाना बलि करिये॥ ७। ओर उस स्थान में जे परमेश्वर तरा ई श्र उनेगा त्‌ उसे भनके खाइथे। और बिच्यान के फिर के अपने तंबओं का चले जाइया॥ ८। कः टन लो अखमौरी राटी खाइये। आर स/तव दिन जा तरे ईं ब्वर के रोक का दिन है कछ काम काज न करना ॥ €। अपने लिये सात अठवारे गिन ओर खेती में हसआ लगाने से गिन्ने का आरंभ करियेा॥ ९०। और परमेमर अपने ईस्र के लिये अटठवारों का पव रखिओ उस में तअपने ई श्र के आशौष के समान अपने हाथ के मनमंता दःन दौजिया॥ ९९ । ओर परमेग्थर अपने ईस्थर के आगे न ओर तरा बेटा बंटी और तेरे दाम दासी और लावो जा तेरे फाटकों के भौतर हैं ओर परदेशो और अनाथ ओर बिघवा जो तुमे हैं उस स्थान में आनंद करियो जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर चुन लेगा कि अपना नाम वहां स्थापन करे॥ ९२। जैर सधि रखिया कि तू मिस्त में दास था से! चाकस रह कि इन बिखिन के पालन कर ओर मान ॥ ९३ | जब त अपने खरिहान ९७ पब्ले] को पुस्तक | ६८९ आर अपने काल्ह का एकट्ठा कर चउके ता सात दिन लॉं तं+ओं का पे मान्यि॥ २९४। ओर अपने बटा बेटों ओर अपने टाप्त दासौ ओर लावी और परदे शी और अनाथ ओर विधंतरा समेत जा तरे फाटकों के भौतर हें आनंद करिया॥ १५५४ । सात दिन ला आप्ने ईसम्वर परमेग्वर के लिय उसी स्थ.न में जिसे परमेश्वर तरा ईश्वर तनेगा प५ मानिया इस लिये कि परमेश्वर तेरा ई स्वर ते री सारी बढ़ाति4 में और तेरे हाथा के समस्त कायों में तक बर दगा से त्‌ निश्चय आनद करिया ॥ १६ । बरस में तेरे समस्त परुष तोौन बार अरधात्‌ अख्मीरी रोटोौकके पर में और अटठवारों के पबे में गये र तंबओं के पबे में परमेशर तेरे ईरूर के आगे उस स्थान में जिसे वह चनेगा एकट्ट हे।वे और वे परमेश्वर के आगे छछ्के नआवं॥ १५७। हर एक प्रुष अपनोौ पंजो के समान ओर परमेग्घर तरे ईग्वर के आशोष के समान जा उध ने तक दिया हे टेवे॥ १८। अपने समस्त फाटकों में जा परमेचअर तरा ई ग्यर तर्के टगा अपनी समस्त गाएछिय में न्‍य.यी ओर प्रघ्रान ठहराइका और वे याथा०4 से लागां का न्याय करें॥ ९८ | तअन्याय बिचार मत करिया तपक्ष न करिया घस मत लोजिया क्यांकि घस बद्धिमान का अंधा कर ट्ता हु आर घ«) की बातों काफेरद्ताकह्े॥ २०। जा हर प्रकार से याथाशथ्ये है त उस का पौदा करिये। जिसतें त जौ ओर उस देश का जा परमेग्वर तरा ईग्पर तमे दृताह अधिकारो हेवे॥ २९ । परमेम्वर अपने ई ग्वर की बेदी के लग शअपने लिये पेड़ां का कज जिसे त लग्गता ह न जमाइया॥ २२। न अपने लिय किसी भाति कौ मार्ति स्थापित करिये जिस्स परमेश्वर तर ई ग्थघर का घिनहं । १७ सतरहवां पत्य ॥ परमेग्वर अपने ई स्वर के लिय बैल अथवा भेड़ जिस में काई खाट _+ बछ&+ बराई हाय बॉल मत चढ़ाइया क्य/कि परमेग्घर तर ई स्वर का उस्झांवन है॥ २। यदद तन्हार किसी फाटकां के भौतर जिसे प२मेम्घर तेरा ईय्वर तुमे देता ह तुम्हां में काई पुरुष अथवा स्त्री हेय जिस ने परमेश्वर तेरे ईस्वर के आगे उस की बाचा का भंग करके दुष्टता किई ह्ष्पर विवाद [९७ पब्छ 3. बनी जिनाननननननिनननय- नमन ५+०कघल3>++++>>०-3+3०२००+-- हेाय॥ ३। ओर जाके टूस रे ट्वें। की पजा किई हे। और उन्हें दंडव॒त किई हे! जेसे रूये अथवा चंद्रमा अथवा अकाश की काई सेना जिन को में जे आज्ञा नहीं टिईं॥ ४। और त॒रू से कहा जाय और त्‌ ने सना है और थत्न से खाजा और सत्य पाया ओर निज्यय किया जाय कि इसराएल में शेसा विनित कार्य हुआ है ॥ ५। तब तू उस पुरुष अथवा उस स्त्री के जिप ने तेरे फाटकों में दृष्ट काये किया है डसो परुष अथवा उसी स्त्री का बाहर लाइयो ओर उन पर यहां ले पथरवाह की जिये। कि वे मर जावें ॥ ६ । दो अथवा तीन की साक्छो से जा मार डालने के याग्य क्षे मार डाला जाय परंत एक साक्षो से वह मारा न जाय॥ ७। पहिले साछियों . के हाथ उस के मारने के लिये उटें और पीछ सब लागे के तम अपनों में से बराई के यां मिटा डालिया॥ ्। याद आपस के लाह्न बहाने में और आपस के विवाद में और आपस की मार पीट में तरे फाटकों के भीतर अपवाट के विषय में तरे विचार के लिये कठिन हाय तात उठ और उस स्थान के जा जा परमेग्र तेरे ईश्वर ने चना क्षे। <। और याजकों अथात लावियां पास और उस न्यायी के पास जा उन टिनों में हे। जा ओर उदे पछ ओर वे तम्मे न्याय की आज्ञा बतावेंगे॥ ९०। और त उस आज्ञा के समान करना जो वे तम्त्ने उस स्थान से जिसे परमेग्वर चनेंगा बतावे त सेोचके उन सभे के समान जो वे तक बतावें मानना ॥ १५९। ओर उस ब्यवस्था की आज्ञा के समान जो वे तस्के सिखाव आर उस बिचार के तल्य जो तम्मके कहें करिया ओर उस आज्ञा से जो वे तस्े बतांवें टहिने बायें मत मड़िया॥ १५२। और जो मनव्य ढिठाई करे ओर उस याजक की बात जा परमेश्वर तेरे ईसम्घर के आग सेवा करने के लिये खड़ा हे अथवा उस न्यायी का बचन न सने वही मनव्य मार डाला जाय ओआर त इसराएल में से उस बराई का यों मिटा टौजिया॥ १५३। जिसते समस्त लोग सनें और डर और फेर टठिठाई से अपराध न करें॥। ९४। जब त्‌ उस ट्श में जो परमेश्वर तेरा इंम्वर तसे देता के पहुंचे और उसे अपने बश में करे और उस में बसे और कहे कि उन सब जातिगण के समान जा मेरे आस पास हैं में भी अपने लिये एक राजा बनाऊंगा॥ १५४ । जो तू किसी रौति से अपने १८ पब्थे] को पस्‍्तकं । ह्प्३ ऊपर राजा ठहराना जिसे परमेग्यर तेरा इंग्वर चने त अपने भाइयों में से एक के अपना राजा बनाना और किपी परद्शी का जा तेरा भाई नहों हे अपने ऊपर न ठउह्दरराना॥ ९६। परंत बह अपने लिये घाड़े न बढ़ावे ओर न लागों का मिस्र में फर लेवाजाय जिसते वह घोड़े बढ़ावे कि परमेम्धर ने तम्ह कहा कहो कि तन उस मागग में फर कथघीो नजाना॥ २७। गऔर वह अपने लिये पत्नी न बटारे ऐसा न हे। कि उस का मन फिर जाय ओर वह अपने जिये बहुत रूपा और सेना बटारे। १५८। ओर यों हेगा कि जब वह अपने राज्य के सिंहासन पर बैठे ता इस ब्यवरस्था का पस्तक में अपने लिये लिख जा नलावी याजकों के आगे क्े॥ ५८ । वह उस के साथ रहा करे और अपने जीवन भर उसे पढ़ा करे जिसतें ब॒ह परमेग्वर अपने ईश्वर का डर सोख और इस ब्यत्रस्था समस्त बचन और इन बिधिन के पालन करे ओर माने॥ २०। जिमतें उस का अंत:करण अपने भाइयों के ऊपर न उभड़ और कि वुच्त आज्ञा से टहिने अथवा बायें न मुड़ जिघत उस के राज्य में उस के औएर उस के बंश के इसराएल के मध्य में जीवन बढ़ जायें ॥ ९८ अटारहवां पब्बे | यह और लावी और लावियां की समस्त गाछी का भाग ओर अधिकार इसराएल के साथ न हेगा वे परमेश्र के हाम की भट और उस के अधिकार खायें॥ २। इस लिये वे अपने भाइयों में अधिकार न पावंग परमेश्वर उन का अधिकार हे जैसा उप ने डन्‍्ह कहा कहै॥ ३। ओर लागें में से जे। बलिदान चढ़ाते कहें चाहे बैल अथवा भेड़ याजक का भाग यह हेगा कि वे याजक के। काघा ओर दोनों गाल और स्ताम्त देवें। ४। और त्‌ अपने अन्न और अपनों मदह्रा ओर तेल में का पहिला भाग और अपनी भेड़ां के रोम में का पहिला उसे टना॥ ५४ | क्यांकि परमेग्वर तेरे ईम्यर ने तेरी समस्त गाछ्यि। में से उसे चना है कि वह ओर उस के बे परमेच्वर के नाम की सदा सेवा कर ॥ ६ । यदि काई लावो समस्त इसराएल में से तेरे किसी फाटकों से आवे ऊहां वह्द बास करताथा और उस स्थान में जिसे ह८८४ विवाद (१८ पब्ने परमेश्वर लनेगा बडी लालसा से आ पहुँच॥ ७। ता वह परमेम्वर अपने ईश्वर के नाम से सेत्रा करे जेसे उप्त के समस्त लावी भाई जा परमेग्वर के ऊागे वहां खडे रहते हैं॥ ८। अपने पितरों कौ बचो हुई बस्तुन के मेल का छाडके वे उन के भाग के समान खाने के। पावें॥ €। जब तू उस देश में पकरचे जा परमेश्वर तेरा ई स्वर तम्के देता हे तो उन जातिगणां के घिनित काये न सौ खिया॥ ९०। तुम्म काई एऐपा न हे। कि अपने बेटे अथवा बेटों के! आग में से चलावे अथवा दैवज्ञ कार्य करे अथवा महूसते माने अथवा मायावी अथवा टानहिन॥ १५९१५॥। अथवा तांबिक अथवा बशकाशी अथवा टानहा अथवा गणक॥ ९५२। क्यक्रि सब लाग जा एसे काये करते हें परमेग्वर से घिनित हैं ओर एप्ते घिन के कारण से उन के परमेम्वर तेरा ईख्र तेरे आगे से हुर करताहै॥ ९३। त्‌ परमेश्वर अपने ईसम्वर से निष्फर हा ॥ १२१४ । क्यांकि ये जातिगण जिन का त अधिका रो हे|गा महछूच्त केमजवेय का ओर ट्वज्ञ का सनते थ पतुत तजो है परमेग्वर तरे इंचर ने तम्ते रोक रक्‍्खाहे॥ २१५४। परमेश्वर तेरा ईमर तर कारण तर ही मध्य में से तरे ही भाइयों में से एक आागमज्ञानी मेरे तल्‍्य उतय करंगा तम उस कौ सनिया॥ ९५६। इन सभा की नाई जा त ने परमेग्रर अपने ई स्वर से हरिब में सभा के दिन मांगा और कहा ऐस्ता न हे। कि में परमेग्वर अपने ईशआअर का फब्द सन कर एसी बड़ी आगसमें फेर देखें जिपत कि में मर न जाऊं॥ १७७। और परमेश्वर ने मुझे कहा कि उन्‍्हां ने जा कुछ कहा से अच्छा कहा॥ ९८। में उन के लिये उन के भादयां में से तरे तल्य एक आगम ज्ञानो उट्य कहंगा और अपना बचन उस के मंह में ड/रूग। ओर जा कुछ में उसे कह्ूंगा वह उन से कहेगा ॥ ९८। ओर एपघ। हे.गा कि जा काई मेरे बातों का जिन्हें वह मेर नाम से कहेगान सनेगा में उस्स लेखा लेऊंगा॥ २०। परत जो आगमन्ञानो एतौ ठि3ई कर कि काई बात जा में ने उसे नरतीं कहो मेरे नाम से कहे अथवा जा ओर ट्वों के नाम से कहे ते वह आगमज्ञनौ मार डाला जाय ॥ २९। ओर यदि अपने मन में कहे |क म उस बचन का क्यांकर जान॑ जिसे परमेश्वर ने न कहा ॥ २२। जब आगमजन्ञानी परमेश्वर के नाम से कुछ कहे और वह जे उस २८ पब्ब] कौ पक्तक हप्स्पू ने कहो कै न हेंवे अथवा प्री न हे तो वृंह बात परमेम्थर ने नहीं कहो परंतु उस आगग्ज्ञानो ने ढिठाई से कह्ौ है त्‌ उस्म मत डर ॥ ९८ जउजन्नौसवां पब्ये । जः परमेश्वर तेरा ईश्वर उन जातिगणां के। जिन का टेश परमेग्वर तेरा ईस्वर तक दृता कह काट डाले ओर ते उन का अधिकारी हे।वे और उन के नगरों में ओर उन के घरों में बसे॥ २। ता त अपने उस दश के मध्य में जिसे परमेग्यर तरा ईग्वर तरे बश में करता है अपने लिये तीन नगर अलग करना ॥ ३॥। त अपने लिये एक मागे सिड्ठ करना और अपने दृश के सिवानों का जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे अधिकार में ट्ता है तीन भाग करना जिसतें हर एंक घाती उघर भागे॥ ४। ओर घाती थी ब्यवस्था जो वहां भागे जिसते ०ह जीता रहे यह हु जी काई अपने परासोौ का जो उस्झ आगे बेर न रखता था अजान में मार डाल॥ ५। अथबा काई मन॒व्य अपने परासो के साथ लकड़ी काटने का बन में जाय और कुल्हाड़ा हाथ में डठावे कि लकड़ी काटे और कुल्हाड़ा बट से निकल जाय और उस के परासी के। एसा लगे कि बुच्द मर जाय तो वुच्द उन में से एक नगर में भाग के बचे॥ ६। नहेा। कि मार के टूर होने के कारण लाह्न का प्रतिफल दायक अपने मन के काप से घातौं का पीछा करे और उसे पकड़ लेवे और उसे मार ड।ले यद्यपि वह मार डालने के याग्य नहों क्योंक्रि वह आगे से उस का डाह न रखता था॥ ७। इस लिय में तक आज्ञा कर के कहता हूं कित अपने का रण तोन नगर अलग करना॥ ८। ओर यटिि परमेग्वर तेरा ईस्वर तेरा सिवाना बढ़ावे जेसा उस ने तरे पितरों से किरिया खाके कहा है ओर वह समस्त दृश तेरे पितरों का द ने का बाचा किई तमके ट्वे॥ <। यदि त इस समस्त आज्ञाओं के! पालन करे ओर उन्‍हें माने जा आज के दिन में तुम आज्ञा करता हू और परमेश्वर अपने ई्थर से प्रेम रखके सबेदा उस क मागे पर चले ते तू इन तौन नगरों से अधिक अपने लिय तौन नगर बढ़ाना॥ १५०। जिसतें तरे ट्श पर जिसे परमेम्यर तेरा ईय्प्रर तेरा अधिकार कर ट्ता हे निर्दे!ब लाह बहाया न जाय कि हत्या 49 [8८ 8, आ] ह््प्ई बिवाद [२० पढ्चे तक्क पर हाय॥ ९१९॥। परंत यदि काई जन जा अपने परासो से बेर रखता हे। और उस की घात में लगा हे। ओर उस के बिरोध में उठके उसे ऐसा मारे कि व॒द् मर जाय और इन में से एक नगर में भाग जाय ॥ १५२। तो उस के नगर के प्राचीन भेज के डसे वहां से मगाव और लोक के प्रतिफलदाता के हाथ में सैंप ट्वें कि वह घात किया जाय॥ १३॥ तरी आंख उस पर दया न करे परंत त निद्ाष लाह् के पाप का इसराएल से यों टूर करना तेरा भला हो ॥ १४। अपने परासो के सिवाने के मत हटा कि उसे अगिले लागों ने तरे अधिकार में रक्‍्खा है त्‌ उस ट्श में जा परमेग्यर तेरा ई ब्वर तरे अधिकार और बश में कर ट्ता हे अपने परासी के सिवाने का मत हटा जिसे अगिले लागे ने तरे अधिकार में रक्‍्दा क्ले ॥ १५ । किसी मन्व्य के अपराघ ओर पाप पर कोई पाप क्यों न हे! एक साच्ो ठीक नहीं है परंतदा अथवा तोन साक्षियां के मंह से हर एक बात उहराई जायगी ॥ २९६॥ यदि काई म्कटा साचछ्छी उठके किसो मन्व्य पर साच्यी ८वे॥ १५७। ता वे हानां जिन में बिगट हु परम्न्यर के आगे याजकों और व्यायियेां के सन्‍्मख जा डन दिनों में हां खड़ किये जायें ॥ ९ ८। और न्यायी यत्र से विचार कर से यदि वह साची स्कठा ठहर ओर उस ने अपने नाई पर मकटो साछी टिई हा ॥ ९६८ । तब तम उद्म एसा करना जा उस ने चाहा था कि अपने भाई से करे इस रोति से बराई का अपने में से टूर करना॥ २०। अरु ओर जा हें सनके डरगे और आगे के तस्म एसो बराई फिर न करंगे॥ २९॥। ओर तरी आंख दया न करे कि प्राण कौ संती प्रण आंख की संती आंख दांत की सती दांत हाथ की घंती हाथ पांव की संती पांव हेगा ॥ २० बीसवां पच्ये | लता त्‌ लडाई के लिये अपने बेरियं पर चढ़ जाय ओर ट्खे कि उन के घाड और गाड़ियां ओर लोग तम्त से बहुत हें ता लत उन से मत डर क्यांक परमेग्वर तेरा ईस्वर जो तमभ्के मिख टश से निकाल लाया तेरे साथ ह्े। २। ओर यों हेगा कि जब तू संग्राम के निकट प्रहुंच तो बाजक आगे हेोके लोगों के! कहे॥ ३। ओर उन से बाले २० पब्बे] को पश्चक ॥ ह ८७ कि हे इसराएलिया सने तुम आज के दिन अपने बैरियों से लड़ाई करने के जाते है। से। तुम्हारा मन न घटे डरा मत ओर मत घबराओ। और उन से मत थथराग्रा ॥ ४ । क्योंकि परमेग्वर तम्हारा ई य्पमर तम्हारे साथ जाता हे कि तम्हारे लिये तम्हार बे रियां से लड़ के तम्हे बचावे॥ ५४ । ओर प्रधान लागों से कहे और बाले कि तम्मं कान मनव्य है जिस ने नया घर बनाया हे। और उसे नहीं स्थापा हैं वह अपने वर के फिर जाय ऐसा न है| कि वह लड़ाई में मारा जाय और दूसरा मन्व्य उसे स्थ|पे॥ ६। गऔ और कान मनव्य है जिस ने टाख कौ बारी लगाई हे। ओऔ।र उस के फल न खाये हा वह अपने घर का फिर जाय एसा न हे कि वह लडाई में मारा जाय ओर टूसरा उसे खावे॥ ७। ओर कान मनव्य है जा किसो स्त्रो से बचनट्त्त हुआ है और वह उसे घर न लाया हे वह अपने घर के फिर जाय एसा न हे कि वह लड़ाई में मारा जाय ओर टूसरा उसे लेवे॥ ८ं। ओर प्रधान लागों से यह भी कहे कि कौन मनव्य है जा डरपेोकना और असाहसी अपने वर के।| फिर जाय न हे! कि उस के भाइय्ग के मन डस के मन की नाई बाद है। जाथ॥ ६€। ओर या हे! कि जब प्रधान लागां से कह चुके ते वे सेना के प्रधानें के। ठहरावें कि लागों की अगआई करें॥ १०। जब त लड़ाई के लिये किसो नगर निकर पहुंच ता पहिले उस्मू मिलाप का प्रचार कर यटि वह तश्फे मिलाप का उत्तर हवे जार तेरे लिये द्वार खाले॥। ९९। तब यों होगा कि सब लाग जे उस नगर में हैं तेरे करद्वायक होंग ग्रार तरी सेवा करंगे। ९५२। ओर यदि वह तक से मिजाप न करे परंत तम्ऊ से लडाई करे ता त्‌ उसे घेर ले। ९३। और जब॑ परमेश्वर तेरा ईयस्वर उसे तरे हाथ में कर ट्वे त वहां के हर एक परुष के। तलवार कौ घार से मार डालिया॥ १४ । केवल स्त्रियां आर लडकोां और पशन के उन सब समेत जा उसनगर में हें लट ले और त अपने वैरियां की लट के जा तरे परमेश्वर ईश्वर ने तम्ते दिई हैं खा॥ ५४५ । त उन सब नगरों से जा तम्क से बहड़त टूर हैं और इन जातिगणो के नगरों में से नहीं हैं ऐसा कर ९६। परंतु इन लागां के नगरों को जिन्हें परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरा अधिकार कर द्ता हे किसी काजो सांस लेता हे! जीता न छोड़ना ॥ श्फ्फु बिवाद [२९ पब्व १५७। परंत उन्हें सबंेधा नाश कर डालना हित्ती ओर अमरी ओर कनआनीो ओर फरिज्जो और हवो ओर यबसी के! जैसी परमेश्वर तरे इंम्र ने तत्त आज्ञा किई ह ॥ १५८॥। जिसत वे समस्त घिनाने काये जा उन्‍्हा ने अपने ट्वां से किये 'तम्हं न सिखांव कि तम परमेग्वर अपने ई य्घर के अपराधी हे! ज्ञाआओ॥ ९१५८। जब त किसी नगर के लने के लिये लड़ाई में बह़्त टिन ताई घर रहे तात कुल्हाड़ी चलाय के उन के ढक्ष नाश मत करिया पर॑ंत त्‌ उन के फल खाइया सो त उन्‍हें काट न डालिया कि तर लिय घेरने के काम में आव कह्र्यांकि खंत के पेड़ मनय्य के लिये हैं। २०॥ केवल वे छत्च जा खाने के काम के न हों उन्हें काट के नाश करिया ओर उस नगर के आगे ज्ञा तर्क से लड़ता है गढ़ बना जब ताई वह तर बश में हे।वे। २९ इक्कीसवां पन्य । दि उस दृश में जा परमेस्वर तेरा ई श्र तेरे बश में करता है किसी £2| की लाथ खेत में पड़ी मिले आर जानान जाय कि किस ने उसे मारा॥ २। तबतेरे प्राचोन ओर तेरे न्याथी बाहर निकलें ओर उन नगरों का जो घातित के चारों ओर हैं नापें॥ ३। ओर या हागा कि जा नगर घातित के समौप है उसो नगर के प्राचौन एक कलार लेवं जिस से काये न किया गया हे। आर जय तले न आई हे।॥ ४। ओर नगर के प्राचौान उस कलार का खड़बिड़ तराई में जा न जाता गयाहे।न उस में कुछ ब्राया गया हे। ले जाय ओर उसो तराई में उस कलार के सिर का उतारे ॥ ५। तब याजक जा लावी के संतान हें पास आंवें क्योंकि परमेम्वर तेरे इंस्वर ने अपनी सेवा के लिये और परमेग्वर के नाम से आशीष ट ने के लिये उन्हीं का चना हे ओर उन्हों के बचन से हर एक ककगड़ा ओर हर छक बिपात्ति का निर्णय किया जाग्रग्रा॥ &६। फिर उस नगर के समस्त प्राचीन जे) घातित के पास हें छस कलार के ऊपर जो तराई में बलि किई गई अपने हाथ घाव ॥ ७। ओर उत्तर टेके कह कि हमा रे हाथों ने यह लाह् नहों बचहाया हे न हमारी आखां ने देखा हे॥ ए८। हे परमेम्धर अब अपने इसराएलो लागे। पर दया कर २९ पब्बे) की पस्तक । ह्‌प< ५४:07“: मी निपीिआ जज तरल ३ -2909९५ ९३ अजनबी अल... जिन्हे त ने छडाया के ओर हथा हत्या अपने इसराएली लागों पर मत रख तब वह हत्या छ्षमा किई जायगी ॥ < । से जब त्‌ इसो रोति से बह करे जा परमेश्वर के आगे ठीक क्ञषे तब त हत्या के अपने में से टूर करेगा॥ २०। झओऔर जब त यड् के ल्यि अपने बेरियां पर चढ़े ओर परमेश्वर तेरा ई ग्वर उन्हें तरे हाथ में कर द्‌ वे और त उन्हें बंध करे॥ १९५ । और उन बंघगओं में संटर स्रौ टखे ओर तेरा मन उस पर चले कि उसे अपनी पत्नी करे॥ १५२। तबत उसे अपने घर में ला उस का सिर मडवा ओर नंह कटवा॥ १५३। तब वह बंधआई का बस्तर उतारे और तरे घर में रहे और परा एक मास भर अपने मा बाप के लिये शाक करे उस के पीछ त उसे ग्रहण करना ओर उस का पति होना और वह तेरो पत्नो है'स्‍॥ १५४। उस के पीछ याद त उस्म॒ प्रसन्न न है ता जिघर चह चाहे उसे जाने टे पर त उसे राकड़ पर मत बेचना त डउस्मसे कुछ ब्राणिज्य न करना क्योंकि त ने उस की पति लिईं ॥ १५५ । याद किसी को हो पत्नियां हें एक प्रिया और ट्ूसरी अप्रिया और प्रिया और अप्रिया हानों से लड़के हैं और पहिलौंठा अप्रिया से है ॥ ९६। ता या हैेगा कि जब वह अपने पत्रों का अधिकारी करे तब वह प्रिया के बेटे का अप्रिया के बेटे पर पहिलांठा न करे॥ ९७। परंत वह अप्रिया के बंटे को अपनो समस्त संयत्ति से ट्रना भाग देके पहिलांठा ठहरावे क्योंकि वह उस के बलका आरभ॑ है ओर पहिलांठ होने का भाग उसी का हैे॥ १८। यदि किसो का पत्र ठोठट आर मगरा हाय जे अपने माता पिता की आज्ञा न माने ओर जब वे उसे ताड़ना करें ओर व॒च्द उन्ट न माने॥ १५९। तब उस के माता पिता उसे पकड़ के उस नगर के प्राचौनां पास उस स्थान के फाटक पर लाव॥ २०। आर वहा के प्राचीनों से जाके कहें कि हमारा यह बेटा ठौठ और मगरा हे हमारी ब्रात नहों मानता बड़ा हो खाऊ और पिअक्कड़ क्षे। २५। और उस के नगर के सब लेोग उस पर पथरवाह करें कि वुद्त मर जाय इस रो।त से तू दुष्ट का अपने में से ट्र करना जिसत समस्त इसराएल सनक डर ॥ र२२। ओर यदि किसी ने मार छालने के थे।ग्य पाप किया हे! और वुच्द मारा जाय त्‌ उसे पेड़ पर लटका द्वे ॥ २३। उस की लाथ रात भर ₹्‌८० बिबाद (२२ पब्बे पेड पर लटकौ न रहे परंतु त्‌ उप्ती टिन उसे गाडिया क्योंकि जा फांसी दिया जाता है से। ईश्वर का घिक्कारित क्षेइस कारण चाहिये कि तेरी भूमि जिस का अधिकारी परमेम्वर तेरा ईश्वर तम्के करता हे अशुड्ू न हे। जाय ॥ २२ बाईंसवां पब्बे। अपने भाई के बेल ओरर भेड के भटकी हुई टेख के अपनी आंख उन से मत छिपा परंत किसी न किसी भांति से उन्हें अपने भाई पास फेर ला॥ २। ओर यदि तरा भाई तर परास में न हा अथवा ते उसे पचह्नचानता न हे। तब उसे अपने ही घर ला और वह तेरे पास रहे जब लो तेरा भाई उस की खाज करे और त्‌ उसे फर टेना॥ ३। और इसो रीति त्‌ उस के गदहे ओर उस के बस्त ओर सब कुछ से जा तर भाई की खाई हुई हे। ओर तू ने पाई है एसा हो कर त्‌ अपनो आख उन से मत छिपाना ॥ ४। अपने भाई का गदहा अथवा बैल मागे में गिरा हुआ देख के आप का उन से मत छिपा निच्यय उस का सहाय करके उठा टना॥ ५। परुष का बस्ल स्त्री न पहने ओर न परुष स्त्री का पहिने क्योंकि सब जा एसा करत है परमेग्वर तरे ईसम्थर के आग घिनित कहें॥ ६। यदि पथ में चलते किसी पच्ची का खाता पड़ पर अथवा भमि पर तम्के दिखाई ट्वे चहे उस में गट अथवा अंड हे। और मां गेटां पर अथवा अंडां पर बेठीो हुई हे। ता त गेढां का मां समेंत मत पकडना॥ ७। परंत माता का छोड़ टना और गदों के अपने लिये लेना जिसतें तेरा भला हाय और तेरा जीत्नन बढ़ जाय॥ ८। जब त नया घर बनावे तब अपनो छत पर आड़ के लिये मंडरा बना शसा न है कि काई ऊपर से गिरे और त्‌ अपने घर में हत्या का कारण हे ॥ €। अपने टाख की बारी में नाना प्रकार के बीज मत बाना एऐसा न हे। कि बीज कौ भरप्री जिसे त्‌ ने बाया क्षेओर तेरी दाख की बारी का फल अशडू हे। जाय॥ ९०। तू गदहे के बैल के साथ मत जेततना॥ ९९। नाना भाति का बस्तर जेसा कि ऊन और रूत का मत पहिनया ॥ २९२। अपने ओरढने की चारों ओर मकालर लगाना | २२ पत्ब] कौ पस्तक । ३८९ ९३। यदि काई पत्नौ करे ओर झसे ग्रहण करे ओर उसमे घिन करे। २४। ओर उस पर कलंक लगावे गैर कहे कि में ने इस स्त्री से ब्याह किया ओर जब में उस पास गया तब में ने उसे कुमारों न पाया ॥ १५५ । तब उस कन्या के माता पिता उस के कुमारीपन का चिन्ह लेके उस नगर के फाटक पर प्राचौनों के आगे लावें॥ ९६+ और उस लडकी का पिता प्राचोनों से कहे कि में ने अपनो पत्री इस परुष का ब्याकह दिई कै अब यह उससे घिन करता क्षे। ९१७। ओर ट्खे वह उस पर कलंक को बात लगाता ह कि में ने तरो पुत्री का कुमारी न पाया तथापि य मेरी पुत्री कौ कुमारीपन के चिन्ह हें ओर वह कपड़ा नगर के प्राचीोनों के आगे फेलावे॥ २८। तब प्राचौन उत्त परुष का पकड़ के टंड टवे॥ ९१५८ । ओर वे छत्से से टकड़ा चांदो डांड लेवें और लड़की के पिता को द्वें इस लिये कि उस ने इसराएल की एक कुमारी पर कलंक लगाया ओर वह उस को पत्नी बनी रहेगी वह जोवन भर उसे त्याग न करे॥ २०। परंत यदि यह बात ठौक ठहर ओर लड़को को कुमारीपन क्रा चिन्ह न पाया जाय ॥ २१५। तब व॒चह्द उस लड़कौ का उस के पिता के घर के द्वार पर निकाल लावे और उस नगर के लागर उस पर पथरवाह करके मार डाले क्यांकि उस ने अपने पिता के घर में क्विनाला करके इसराएल में मुखेता किई इस रोति से तू बुराई के अपने में से ट्र करना । २२। यदि काई परुष विवाहिता स्त्री से पकड़ा जाय तबवे दोनों ब्यभिचा री परुष ओर स्त्री मार डाले जावें इस रीति से त अपने में से बराई का टूर करना ॥ २३। यदि कुमारी लडको किसो से बचनदृक्ष है।वे ओर केाई ट्ूसरा परुष उस्झे कुकम्मे करे॥। २४। तब तम उन दाने का उस नगर के फाटक पर निकाल लाओ गऔ र उन पर पथरवाह करके उन ट्ानां का मार डाला कन्या के इस लिये कि वह नगर में हे।ते हुए न चिज्ञाई ओर परुष के इस कारण कि उस ने अपने परासी को पत्नौ कौ पति लिई इस रौति से त बराई के। अपने में से दूर करना॥ २५ । परंत यदि केई पुरुष किसो बचनदत्त कन्या के खेत में पावे और पुरुष बरबस उससे कुकस्मे करे तो केवल परूष जिस ने यह कम्मे किया ३८२ बिवाद [२२ पब्च है मार डालः जाय॥ २६। परंतु उस लड़की के कुछ न कर क्योंकि लडकी के घात का पाप नहीं हि क्यांकि यह एसा हे जैसे काई अपने परोसो पर हुलड़ करे और उसे मार डाले॥ २७। क्यांकि उस ने उसे खत में पाया ओर वुष्त बचनदत्त लड़की चित्ञाई और छडाने के काई नथा॥ २८। यदि काई कुमारी कन्या के! जा किसी से बचनदत्त न॑ है। पकड़ के उस्पे कुकस्म करे और वे पकड़े जावें। २€। तब वुच्त परुष जिस ने उस्स कुकस्भ किया लडकी के पिता का पचास टकड़ा चादोटवे और वह उस की पत्नी हेगी इस कारण कि उस ने उसे अपत किया बुद्द उसे जीवन भर त्याग न करे॥ ३०। काई अपने पिता की पत्नी का न लेओर अपने पिता की नग्म ता का न डचारे । २३ तेईसवां पब्ब । च्ि के अंडकाश में घाव हे।वे अथवा लिंग कट गया हे वृच् परमेम्यर करी मंडली में प्रतेशन करे॥ २। जारज अपनी ट्सवों पीढ़ो लॉं परमेश्वर की मंडलोौ में प्रवेश न करें ॥। ३। ओर अन्मनी और मेाअबी परमेश्वर की मंडली में ट्सवों पीढ़ो लॉ प्रवेश न करे के।ई उन में से सनातन लो परमेश्वर की मंडी में प्रवेश न करेगा॥ ४ । इस कारण कि जब तम मिस्र से निकले उन्‍्हों ने पंथ में अन्न जल लेके तमसे भेंट न किई इस कारण कि उन्‍्हां ने बञर के पत्र बलआम का अरम नहर के फतर से बलाया जिसतें तम्के स्लाप ट्वं॥ ४ । तथापि परमेगर तरे इंश्वर ने तरे लिये आप का आशीष को संतो पलट दिया क्यों।क परमेखर तेरे ईश्र ने तुक पर प्रेम किया॥ ६। जीवन भर सदा लों तू उन का कुशल ओर भलाई न चाहना॥ ७। ओर कसी अट्टूमों से घिन न करना क्यों।+क वह तेरा भाई है और किसी मिलो से घन न करना इस कारण कि त उस के दृश में परटशी था ॥ ८। उन की तोसरो पीढ़ी के जो लड़के उत्पन्न हे परमेमग्यर कौ मंडली में प्रवेश करें ॥ € । जब सेना अपने बैरियां पर चढ़े तब हर एक पाप से आप का बचा रखना॥ ९०। यदि रस्में काई पुरुष रात्री की अशुइता के कारण अशडू होवे ता वह छावनो से बाहर निकल जाय और छावनी के भौतरु २३ पन्ने] कौ पस्तेंक ३८७ नआवे॥ ९९. परंतुसंध्या के समय में जल से स्त्ञान करे और जब रूय अस्त हे। चुके तब छावनी में आवे॥ ५२। और छावनी के बाहर एंक स्थान हे।गा वहां बाहर निकल के जाया करना॥ १५३। और तरे पास हथियार पर एंक खंती हे।य और जब त बाहर जाके बैडे तो उसे खोटना और मल के ढांप टेना॥ १४। इस लिये कि परमेम्र तेरा इंश्वर तेरी छावनी के मध्य में फिरता है कि तस्के बचावे और तेरे बैरियों को तेरे बश में करे से। तेरी छाव॑नी पवित्र रहे न हे।वे कि वह तेरे मध्य में किसी बस्त की अशडूता देखे और तम्क से फिर जाय॥ २५। येदि किसी का सेवक अपने खामी से भाग के तस्कर पास आवे त्‌ ल्सें उस के खामों को मत सौोंप॥ ९६। वुह्द तेरे स्थानों में से जहां चाहे लहां तेरे साथ रहे तेरे फाटकों में से किसों एक में जा उसे अच्छा लगे तू उसे क्श मत टेना। १५७ । इसराएल कौ बेटियों में बेश्या न हें न इसराएल के बंटों में परुषगामी हें ॥ ५८। त किसी छिनाल की कमाई अथवा कुत्ते का मोल किसी मनोतीो में परमेश्वर अपने ईम्घर के मंदिर में मत लाइयो किये दोनों परमेग्थर तेरे इंग्थर से घिंनित हैं॥ ५८। त अपने भाई के बियाज पर क्हण मत देना राकड़ अनाज अथवा ओर कोई बस्त जो बियाज पर ट्ई जातौ है बियाज पर मत दना॥ २०। परट्शो का बियाज पर उधार टे सके परंत अपने भाई का बियाज पर उधार मत टेना जिसतें परमेग्वर तेरा ईम्घर उस देश में जिस का त्‌ अधिकारी हेने जाता हे जिस जिस काम में तू हाथ लगावे तमे आशीष ट्वे ॥ २९ । जब त ने काई मनेतीो परमेम्र अपने इंस्घर के लिये मानो उसे परा करने में बिलम्व मत कर इस लिये कि परमेग्र तेरा ईय्घर निश्चय तम्क से उस का लेखा लेगा ओर तम्क फर पाप ठचहरेंगा॥ २२। परंत यदि त कुछ मनोती ना माने तो अपराधी नहों॥ २३। जा कुछ तरे मंह से निकला अथोत बांछा की भंट जेसा त ने परमेम्धर अपने ईस्थर के लिये मानी हे जिसे त ने अपने मंच से प्रण किया हे डसे मान और परी कर॥ २४। जब ः! अपने परोसी के दाख कौ बारी में जावे तब जितने टाख चाहे अपन। इच्छा भर खा परंतु अपने पात्र में मत रख॥ २५। जब त्‌ अपने परोली 50 30%. 9] ३८४ बिवाद [२९४ पत्ने के अन्न के खेत में जाय तब अपने हाथ से बाल ताड़ सके परंत अपने भाई का खेत हंसआ से मत काट ॥ २९४ चाबोसवां पब्ब । ञ्र ब काई परुष पत्नी से ब्याह करे और उस के पीछ ऐसा है। कि वह उस को दृष्टि में अनग्रह न पावे इस कारण कि उस ने उस में कुछ आअशूइ बात पाई तो वृह त्याग पत्र लिखके टस के हाथ में दवे और उसे आयउने घर से बाहर करे॥ २। ओर जब वह उस के घर से निकल गई तब व॒ह टूसरे परुष की हे। सके ॥ ३। ओर टूसरा पति भी उसे द्ख न सके ओर व्याग पत्र लिखके उस के हाथ में ट्‌वे और अपने घर से निकाल ढवे अथवा दूसरा उसे पत्नी करके मर जाय॥ ४। ता उचित नहों कि उस का पहिला पति जिछ ने डसे निकाल दिया था जब वुह अशडू है। चुकी उसे फिर लेके पत्नौ करे क्यांकि वह परमेम्वर के आगे घिनित हु से। उस देश के अशइ मत कर जिसका अधिकारी परमेमग्वर तेरा ई खबर तम्के करता है॥ ४५। जव किसो का नया बिवाह हे।वे तब वच्द लड़ाई का न जाय और उससे कुछ काये न लिया जाय परंतु वुह्द एक बरस अपने घर में अव- काश से रहे और अपनी पत्नी के। बहलावे ॥ ६। काई. मन॒व्य किछ्ती की चक्की के ऊपर का अथवा नौचे का पाट बंधक न रक्खे क्यां कि वुह जीवन के बंधक रखता हे॥ ७। यदि मन्व्य इसराएल के संतानों में से किसी भाई के च राते हुए पकड़ा जाय ओर उस का बेैपार करे अथवा उसे बचे ते। वह चार मारा जाय और त्‌ बराई का अपने में से दूर कर ॥ ८। चैकस रह कि केाढ़ कौ मरी में त चेकसो से देख ओर सब जा लावो याजक तमहं सिखावे उस कौ रीति पर चल जसी में ने तुझे आज्ञा किई है श्सा हो करना॥ <८। चेत कर कि जब तम मिख से निकले परमेश्वर तरे इम्घर नेम गे में मिरयम से क्या किया ॥ १०। जब त अपने भाई के कोई बस्तु मंगनी अथदा ड्थार ट्वे तब उस का बंधक लेने के। उस के घर में मत पैठ॥ ५१॥। तू बाहर खड़ा रह औझैर ड्घारनक आप अपना बंधक तेरे पास बाहर लावेगा॥ ५२.। ग्ैर यदि वुच्द कंगाल हेवे तो तू उस के बंधक के रखके २५ पन्वै] फो पस्तक ६८४ मत लेट रह ॥ २३ । किसी भांति से जब रू अस्त हे।ने लगे उस का बंधक उसे फिर ट्ना जिसते वह अपने बस में सेवे औरर तक आशोष ट्वे से तुम्के परमेश्वर तरे ईम्घर के आगे घम्भ हेगा॥ १५४।एसानहेकि तू कंगाल ओर टोन बनिहार के सतावे चाहे वह तेरे भाई में से हे! अथवा तेरे परदशियां में से जा तरे दृश में तेरे फाटकों में रहते हें॥ २५। त उस ट्नि रूये अस्त होने से पहिले उस को बनी टे डालना क्योंकि वह दरिद्र क्षे आर उस का मन उसो में है न हे। कि परमेस्वर के आगे तम्क पर दाघष ट्वे ओर तम्क पर पाप ठहरे॥ १५६। संतान कौ संती पितर मारन जावे न पितरों की संती संतान मार जावे हर एक अपने हो पाप के कारण मारा जायगा॥ ९७। त परटेशी और अनाथ के विचार का मत विगाड़ और बिघवा का कपड़ा बंधक मत रख॥ ९८। परंत चेत कर कित मिस्र में बंघचया था ओर परमेग्वर तेरे ईर ने तस्ते वहां से छड़ाया इस लिये मे ते यह काथ करने की आज्ञा करता छू॥ ९८। जब त अपने खेत में कटनी करे ओर एक गड्टी खेत में भूलके छूट जाय ता उस के लेने का फिर मत जा वह परटेशी और अनाथ और विधवा के लिये रहे जिसते परमेग्वर तेरा ईग्रर तेरे हाथ के समस्त कार्यों में तम्के आशीष ट्वे॥ २०। जब त अपने जलपाई के ढक्ष का सारे तो फिर के उस की डालियां के मत भ्काड़ वह परटे शी और अनाथ ओर विधवा के लिये रहे॥। २९५। जब त अपनी बाते के दाख एकट्टा करे तो उस के पीछे मत बौनना वह पररटेशी और अनाथ और बिधवा के लिये रहे॥ २२९। अवचेत कर कि तू मिस्र के दृश में बंघुआ था इस लिये में तुम्झ यह काये करने का आज्ञा देता कल ॥ २५ पचौोसवां पत्ये | दि लागों में कूगड़ा हेवे ओर घस्मे सभा में आंबें कि न्यायी उन का [2 दि करे तो वे धर्मों के निष्पापो और दुष्ट के पापी ठदरावें ॥ २। ओर यदि वुद् दुष्ट पीटे जाने के याग्य हे।वे ता न्यायो उसे लेटवावे जार जैसा उस का अपराध हेवे नन्‍्यायो अपने आगे उहराये हुए के समान उसे पिटावे ॥ ६। चालौस कोाड़े मार ओऔर उरद्हो बढ़ती नहों ब्रिवाद्‌ [२५ पब्ब न होवे कि यदि बुचह्ट उस्म बढ़ जाय ओर इन्हों से बहुत अधिक मारे तब तेरा भाई तेरे आगे तच्छ समम्का जाय ॥ ४। टांवने के समय में बेल का मंच मत बाघ॥ ५। यदि काई भाई एकड्े रहे ओर उन में से एक निबश मर जाय तो उस न्टतक की पत्नी का बिवाह किसो परटेशी से न किया जाय परंतु उस का दूसरा कुटंब उसे ग्रहण करे और उसे अपनी पत्नी करे और पति के भाई का ब्यवहार उस्मे करे॥। ६। ओर यां होगा कि जा पहिलौंठा व॒ह जने रमूतक के भाई के नाम पर हावे जिसतें उस का नाम इसराएल में से नमिटे॥ ७। जऔर यदटि वह परुष कुटंब की पत्नी के! लेने न चाहे तो उस के भाई की पत्नी प्राचीनें पास फाटक पर जाय और कहे कि मेरे पति का भाई इसराएल में अपने भाई के नाम को स्थापने से नाह करता है मेरे पति का भाई मस्ते अपनी पत्नी नहीं किया चाहता हे॥ ८। तब उस नगर के प्राचीन उस परुष के बलाके उसे समभ्कावें यदि बुच्द उसी पर खड़ा हेवे और कहे कि में उसे लेने नहीं चाहता॥ €6। ता उस के भाई की पत्नी प्राचोन के सन्‍्मख उस के पास आवे ओर उस के पाओं से जती खेले ओर उस के मंह पर थक ट्वे ओर उत्तर ट के कहे कि उस मनव्य की यही ट्शा हेागी जो अपने भाई के घर का न खड़ा करे॥ २१०। और इसराएल में उस का यह नाम रक्‍्खा जायगा कि यह उस जन का घर हे जिसका जता खाला गया ॥ १५१५॥। जब मनव्य आपस में लड़ते है| और एक की पत्नी आवे कि अपने पति के उस के हाथ से ज्ञो उसे मार रहा क्षे छोड़ावे और अपना हाथ बढ़ाके उस के गो का पकड़॥ ९२। ताोत उस का हाथ काट डालना तेरी आंख उस पर ट्यान करे॥ १९१३। तू अपने थेले में बड़े छाट बटखरे न रखना॥ २९२४। अपने घर में छोटा बड़ा नपआ मत रखना॥ ९२५ । परे और ठीक बटखरे रखना और परे और ठीक नपए रखना जिसतें उस देश में जिसे परमेश्वर तेरा ईम्र तुस्के देता हे तेरा जीवन बढ़जाय॥ २३। क्योंकि सब जे! ऐसा अधस्मे करतें हें परमेश्वर तेरे ईम्घर से विनित हैं ॥ २९५७। चेत कर कि जब तू मिस्र से निकला तब मागे में अमालीक्‌ ने तुकक से क्या किया॥ ९८। मागे में २६ पब्बे) की पस्तक । ८७ तुभ्क्॒ पर क्येंकर चढ़ आया जब तू मूछित और थका था तब उस ने तेरे फौछ के सब लागों का जो दृबेल पिकरे हुए थे मारा और वुह्ट इंग्वर से नडरा॥ १५८। इस लिये ऐसा हेगा कि जब परमेग्वर तेरा ईस्थर उस देश में जा परमेश्वर तेरा ईयर तेरे अधिकार के लिये तम्फे दता च्षे तस्के तरे चारों ओर के बेरियां से चेन दये तब त खगे के तले से अमालोक के नाम के मिटा डालना इसे मत भलना। २६ छब्बीसवां पब्ब । ञ' जब तू उस देश में प्रवेश करे जिस का अधिकारी परमेश्वर तेरा ईश्वर तस्के करता क्षे और उसे बश में करे ओर उस में बसे ॥ २। तब त उस देश का जा परमेग्वर तरेईस्थर ने तमके टिया हे समस्त फलों का पहिला जिसे त भमि से लेके पहुंचावेगा एक टोकरे में रखके उस स्थान में लेजा जिसे परमेमग्वर तेरा ईश्वर अपने नाम को स्थापन करने के लिय चनेगा॥ ३६। और उन दिनों में जे यांजक हेगा उस के पास जा ओर कह कि आज परमेग्वर के आगे प्रण करता हूं कि में ने उस ट्श में जिस के बिषय में परमेम्धर ने हमारे पितरों से किरिया खाके हमें ह ने के कहा था प्रवेश किय|॥ ४। और याजक वह टोकरा तेरे हाथ से लेके परमेग्वधर तेरे ईश्वर की बेटी के आगे रख देवे॥ ५। तब त्‌ परमेग्वर अपने ईम्घर के आगे बिनतो करके थे कहना कि सअरामी जो मरने पर था मेरा एिता था वह मिस्र में उतरा और उस ने थाड़े लागां के साथ वहां बास किया फिर वहां एक बहुत बड़ी बलवंती मंडली वनी ॥ ६ । ओर मिस्तियों ने हम से बरा ब्यवहार किया और हमें सताया और हम से कटिन सेवा कराई॥ ७। ओर जब हम ने परमेम्घर अपने पितरों के ईम्र के आगे दाहाई दिई तब परमेम्घर जे हमारा शब्द सना ओर हमारे परिश्रम और अंधर के। ट्खा॥ ८। और परमेम्वर सामर्थी हाथ ओर बढ़ाई हुई भजा जऔर मचा आशयव्थित और अड्भत लक्षणों के हाथ से हमें मिस्त टश से निकाल लाया॥ €। ओर हमें इस स्थान में लाया और उस ने हमें यह देश दिया जिस में टूघ और मधु बचदता हे॥ ९०। ओर अब ट्ेख में इस देश के हल्थ विवाद (२६ पद पहिले फल जिसे हे परमेग्वर त्‌ ने मम टिया लाया हूं से त परमेस्थर अपने ईम्थर के आगे उसे रख दना ओर परमेग्वर अपने ईश्वर के आगे टंडवत करना॥ १५९५। और त और लावी और जा परट्शी तम्मे हे।व॑ मिल के हर एक भलाई पर जा परमेच्यवर तर इंशअर ने तमके और तरे चराने पर किई है आनंट करना॥ २९५२। जब त तीस र बरस जा एशांश का बरस है अपने समस्त बढ़तो के दश॒वं अंश का परा किया ह लावी और परदटेशी ओर अनाथ और बिघवा के। दिया हे जिसतें वे तरे फाटकों के भीतर खावं और ढप्त हाबें॥ ९३। तब तू परमेश्वर अपने ईश्यर के आगे यां कहना किमें अपने घर से पवित्र बस्से लाया हुं ओर लावी और पररटेशी और अनाथ और र बिघवा के तेरी समस्त आज्ञा के समान जो त ने मस्के किया और में ने तेरी आज्ञाओं से बिरुद्ड न किया और न उन्हें भला॥ २४। आर में ने उस में से अपने विपत्ति में न खाया और में ने उप में से किषी अशद् बात में न उठाया और न कुछ म्तकां के लिय ट्‌ डाला परत में ने परमेश्वर अपने इंग्यर के शब्द के माना और जा कुछ त्‌ ने मुझे आज्ञा किई हे में ने उन सभों के समान किया ॥ २१५। अपने पवित्र निवास खर्खी पर से नीचे दृष्टि कर ओर अपने इस राएल लागें का और इस टेश का जिसे त ने हमें दिया हे आशिष दे जेसी त ने हमारे पितरां से किरिया खाई एक देश जिस में हुथ और मधु बहता हैं॥ ९६। आज के दिन परमेम्थर तरे ईय्वर ने तुझे इन बिधिन और बिचारों के पालन करने की आज्ञा टिई इस लिये डन्हं पालन कर और अपने सा रे मन ओर अपने सारे प्राणसे उन्हें मान॥ ९७। त ने आज के दिन मान लिया हु कि परमेग्घर मेरा ईयस्थर हे और में उस के मागें पर चलंगा और उस की बिघधिन के और उस की आज्ञाओं के। ओर उस की ब्यव्स्थां के। पालन करूंगा ओर उस के शब्द के सनंगा॥ १८। ओर परमेश्वर ने भी आज के ट्नि मान लियाहिे कि तू उस का निज लाग हेावे और त उस की समस्त आज्ञा के पालन करे॥ २९८। ओर तस्के समस्त जातिगणां से जिन्हें उस ने उत्पन्न किया बड़ाई ओर नाम और प्रतिष्ठा में अधिक बढ़ावे ओर कित परमेम्धर अपने इं स्घर का पविव लाग होवे जेसा उस ने कहा | २७ पब्ब] की पस्तक । ह<८< ईसवां ९ २७ सत्ता पब्ब ॥ *िः मसा ने इसराएल के प्राचीनों के साथ हे।के लागां का आज्ञा करके हा कि उछ्त समस्त आज्ञाओं का जा आज के ट्न में तम्ह कहता क्ू पालन करो॥ २। ओर यों होगा कि जिम दिन तम यरदन पार हेके उस दश में पहुंचा जा परमेग्वर तरा ईस्वर तक रता है तब त अपने लिये बड़े बड़े पत्थर खड़े करना और उन पर गच करना ॥ ३। ओर जब त पार उतर तब इघप ब्यत्रस्था के समस्त बचन का उन पर लिखना जिघत त उस देश में प्रवेश क रे जा परमेग्वर तेरा ईश्वर तर्क द ता हे वच्द एक टेश हे जिपमें टूघ ओर मघु वहता हे जेसी परमेश्वर तरे पितरों के इंख्र ने तम्मे देने के! बाचा बांघी है ॥ ४। से। जब तुम यरद्न के पार उतर जाओ तब तुम उन पत्थरों के जिन के बिषय में में तुम्ह आज के दिन आज्ञा करता हूं ओवाल के पहाड़ पर खड़ा करना ओर उन पर गच फेरना ॥ ५। ओर वहां परमेश्वर अपने ईस्वर के लिय पत्थर कौ एक बेदौ बनाना आर उन पर लेहा न उटाना॥ ६। तू परमेश्वर अपने ईस्थर की बरी ढाकां से बनाना ओर उस पर परमेम्पघर अपने ईश्वर के लिये हे।म की भेंट चढ़ाना॥ ७। और कुशल की भेंट चढ़ाना खेर वरों खाना श्र परमेश्वर अपने ईस्वर के आगे आनंद करना॥ ८) ओर उन पत्थरों पर इस ब्यवस्था के समस्त बचन खोलके लिखना॥ €। फिर मसा और लावी यल्‍जकों ने समस्त इसराएलियों से कहा कि हे इंसराएल चाोकस हे। ओर सन त आज के दिन परमेग्वर अपने ईस्थर को मंडली हुआ॥ ९१५०। से इस लिये परमेग्वर अपने इंख्वर के शब्द के। मान ओर उप्त की आज्ञाओं के और उस की विधिन के पालन कर जे। आज के दिन में तुम्के कहता ह्ूुं॥ २९। और म॒सा ने उत दिन मंडलौ का आज्ञा करक कहा॥ १९५२। कि जब यरदन पार जाओ। तब समअन और छरावी ओर यहृदाह ओर इशकार ओर यसफ ओर बिनवर्मेीन जरिजोम के पहाड़ पर खड़े हे।के लागें के अआशोष ट्वं॥ २९३। ओर रूबिन और जद और यसर ओर जबलन और दान और नफ्ताली अबाल के पहाड़ पर स्वाप देने के लिये खड़े 8४०० बिवाद [२७ पते हेावें॥ २९४। और जावोी इसराएल के समस्त परुषों के बड़े शब्द से कहें॥ २१५५। कि वह जन स्वापित हं जो! खादके अथवा ढाल के मक्ति बनावे जो परमेग्वर के आगे घिनित है और काये कारी के हाथ के बनाये हुए और गप स्थान में रक़्खे तब समस्त मंडली उत्तर टेके कहे आमीन ॥ ९६। जो कोई अपने माता पिता की निंदा करे वंह खापित और समस्त लाग बेल आमोन॥ ९५७। जो अपने परासी के सिवाने के चिन्ह के हटावे से। खवापित और समस्त लोग कहें आमीन॥ ९८। जे अंधे के मार्ग से बहकावे से! स्वापित समस्त लेग कहें आमीन॥ ९५८। जो परटेशी और अनाथ और बिघवा के बिचार के बिगाड़ दवे से सापित॑ और समस्त लाग कहें आमीन ॥ २०। जा अपने पिता की पत्नी के साथ कुकस्म करे से। खापित क्योंकि डस ने अपने पिता की नप्नता उघारी और समस्त लेग कहें आमीन ॥ २९। जो किसी प्रकार के पश से कुकस्स करे से। खापित और समस्त लोग कहे आमौन॥ २२। जा काई अपनी बहिन अपनी माता अथवा अपने पिता कौ पुत्री के साथ कुकमस्म करे से स्ापित ओर समस्त लोग कहें आमौन॥ २३। जो काई अपने सास के संग कुकम्म करे से स्वापित समस्त लोग कहें आमीन॥ २४। जा केाई अपने परोसी के। छिपके मारे से स्वापित समस्त लेग कहें आमीन॥ २५। जो काई घूस लेके किसी निर्देणों के! घात करे से स्तापित सब लाग कहें आमीन ॥ २६। जो कोई इस ब्यवस्था के बचन के पालम करने के स्थिर न रहे से। स्ापित समस्त लोग कहें आमीन + २८ अट्टाईसवां पब्षे । ञ्ी' एसा हे।गा कि यदि त ध्यान से परमेम्धर अपने ईम्वर का शब्द सनेगा और चेत में रखके उस की समस्त आज्ञाओं के। मानेगा जे आज के दिन में तम्े दता छू तो परमेश्वर तेरा ईन्यर तम्क एथिवो के समस्त जातिगणो में श्रष्ठ करेमभा ॥ २। ओर यदि त्‌ परमेग्रर अपने ईम्थर के शब्द का सनेगा ता ये समस्त आशीष तमक पर होंगे और तमे घर लेगे॥ ३। त नगर में घन्य और खेत में घन्य हेगा॥ ४ । तेरे शरौर का और तेरी भूमि का फल और तेरे ढोर का फल र८ पब्ब] कौ पुस्तक । ४०९ तेरी गाय बैल कौ बढ़ती और तेरे भेड़ के मंड धन्य॥ ५। तेरा टाकरा और तेरा कटरा धन्य ॥ ६। तेरा बाहर भौतर आना जाना घन्य॥ ७। परमेश्वर तेरे बैरियों के जो तेरे बिरुड्ट उटगे तेरे सन्मुख मारेगा वे एक मागे से तक पर चढ़ आवंगे और सात मार्गी से तेरे आगे से भाग निकलेगे॥ ८। परमेग्बर तेरे भंडार पर और तेरे हाथ के समस्त काथां पर तेरे लिये आशौष की आज्ञा करेगा और उस देश में जा परमेश्वर तेरा ईग्धर तम्के देता हे तम्स आशोष टेगा॥ <। यदि त परमेश्वर अपने ईस्वर कौ आज्ञाओं का पालन करे आऔर उस के मार्गां पर चले तो परमेम्र तमके अपना पवित्र लोग बनावेगा जैसी उस ने तस्त से किरिया खाई क्षे। ९०। और एथिवो के समस्त लेग दखेंगेकि त परमेग्वर के नाम से प्रसिद् है से वे तमक्त से डरते रहेंगे॥ ९९। और परमेश्वर तेरी संपत्ति में ओर तेरे शरौर के फल में और तेरे ढार के फल में और तेरी भूमि के फल में उस देश में जिस के बिषय में परमेग्वर ने तेरे पितरों से किरिया खाके कहा कि तम्ऊे हेऊंगा तस्ते बढ़ती टेगा॥ १२। परमेम्वर अपना सथरा भंडार तेरे आगे खेलेगा कि आकाश तेरे देश पर कहत में जल बरसावेगा ओर तेरे हाथ के समस्त कारों में आशीष देगा त्‌ बहुत से जातिगणों के कण देगा परंत त करण न लेगा॥ ९३। और परमेग्वर तम्मे सिर बनावेगा और पेछ नहों ओर त केवल ऊंचा होगा ओर नौचान होगा आज के ट्नि जा आज्ञा में तम्मे करता हूं यदि त्‌ उन आज्ञाओं का सने और पालन करके माने॥। १५४। और त उन सब बातों में जा आज के दिन में तम्के आज्ञा करता हूं टहिनेबायें नमडे अरु खैर ट्वतों का पीछा करके उनकौ सेवा नकरे॥ १४। परंतु यदि तपरमेग्वर अपने ईम्थर का शब्द न सनेगा आर ध्यान करके उसकी समस्त आज्ञा के और उस की बिघिन के! जो आज के ट्न मैं तस्के आज्ञा करता हूं न मानेगा तो ये समस्त स्वाप तम्कत पर पड़ेंगे ओर तम्के जाही लंगे॥ २९६। त नगर में स्वापित ओर खत में स्वापित॥ ९५७। तेरा टाकरा और तेरी थाल स्लापित ॥ १८। तेरे शरौर का फल ओर तेरों भूमि का फल तेरों गाय बैल की बढ़ती और 5] 8, 8. है. 8०२ बिवाद [२८ पत्बे तरी भेड़ बकरो के कुंड खापित। ९८ । तू अपने बाहर भीतर आने जाने में स्लापित।॥ २०। परमेस्वर तेरे हाथ के समस्त कार्यों में लक पर स्लाप और म्ंमट और ट्पट भजेगा यहां लां कित नाश हे। जाय और शौघ मिट जाय तेरी करनी की दुष्टता के कारण जिसमे त नेम त्याग किया॥ २१ । परमेप्ररु तभ्त पर मरीो संयक्त करेगा यहां लॉ कि तुझे उस टेश से मिटा डालेगा जिस का तू अधिकारी हेने जाता ह्े। २२। परमेग्रर तम्के छयी और ज्वर ओर ज्वाला और अत्यंत ज्वलन ओर पियास ओर म्कलस से ओर लेंढ़ा से मारेगा ओर वे तस्ते रगेट रगेट के नाश करेंगे॥ २३। और तेरे सिर पर का खर्ग पीतल और तेरे तले की एथिबी ले।हे की हेगी॥ २४। परमेश्वर तेरे देश का बरसना बकनी ओर घल बना डालेगा यह खग से तस्क पर उतरंगा जब ला त नाश न हे। ज्ञाय ॥ २४ । परमेग्वर तम्ह तर बेरियां के आगे मारेगा त्‌ एक मागे से उन पर चढ़ जायगा ओर उन के आगे सात मार्गों से भागेगा और प्टथवी के समस्त राज्यो में निकाला जायगा॥ २६। और तेरी लेथ आकाश के समस्त पत्तियों का और बन के पशन का भाजन हे। जायगी ओर कोई उन्‍हें न हांकेगा॥ २७। परमेग्वर तम्ते मिस के फाड़े और बएसी ओर दिनाय ओर खजली से मारेगा उन से तन कधी चंगा न हे|गा॥ र८। परमेसच्वर तम्के बोड़हापन और अंधापन ओर मन की घबराहट से मारेगा। २< + और जिस रौति से कि अंधा अंध रे में टटालता हे त दापहर टिन का टटालता फिरेगा और त अपने मार्गों में भाग्यमान्‌ न होगा ओर केवल तुम्क पर अंधर हुआ करेगी ओर केाई न बचावेगा॥ ३०। तू पत्नी से मंगनों करेगा और टूसरा उसे ग्रहण करेगा त्‌ घर बनावेगा परंत उस में बास नकरंगा त दाख कौ बारौ लगावंगा परत उस का फल न खायंगा॥ ३९। तेरा बेल तेरी आखों के साम्ने मारा जायगा और त्‌ उस्मु न खायेगा तेरा गदहा तरे आगे से बरवबस लिया जायगा और तम्फे फेरा न जायगा तेरी भेड़ तेरे बैरियां के दिई जायेंगी औपर काई न छोड़ावेगा॥ ३२। तेरे बेटे और तेरी बेटियां और लागें के दिई जायेंगी और तेरी आखें टेखंगी और दिन भर उन के लिये कुढ़ते कुढ़ते घट जायंगी और तरे २८ पतन] कौ पस्तक | 8०३ हाथ में कुछ बता न रहेगा॥ ३३। तेरे टेश का ओर तेरे सारे परिश्रम का फल एक जाति जिसे त नहीं जानता खा जायगी और तम्क पर नित्य केवल अंधे र होगी और पिसा जायगा॥ ३४। यहां लां कि त अआखों से ट्खते ट्खते बे।ड़हा हे। जायगा ॥ ३५। परमेश्र तम्के घटनों में और टांगों में ऐसे बरे फाडां से मारेगा कि पाओं के तलवों से लेके चांदी ताई चंगा न हे। सकेगा॥ ३६। परमेग्यर तम और तेरे राजा का जिसे त अपने ऊपर स्थापित करेगा उस जाति के पास ले जायगा जिसे त और तेरे पितर ने न जाना और वहा त लकड़ौ पत्थर के टेवतें की पजा करेगा॥ ३७। ग्यार त डन सब जातियों में जहां जहां परमेग्वर तुम्के पहुंचावेग एक आश्यथे और कह्चावत ओर ओलाइना हैागा॥ ३८। त्‌ खेत में बहुत से बीज बायेगा और थोड़ा बटोरेगा इस लिये कि उन्‍हें टिड्ठो चाट लेंगी ॥ ३८। त दाख की बारी लगावेगा और उस कौ सेवा करेगा और मद्िरा पीने और ट्ाख एकट्टा करने न पावेगा क्योंकि उन्‍हें कौड़ खा जायंगे॥ ४०। तेरे समस्त खिवानों में जलपाई के पेड़ हेंगे परंत त्‌ चिकनाई लगाने न पावेगा क्योंकि उन का जलपाई सड़ जायगा ॥ ४१। त बंटे बेटियां जन्मावेगा और वे तरे न होंगे क्यांकि वे बंघआई में जायेंगे॥ ४२। तेरे समस्त पेड़ के और तेरी भमि के फल का टिड्डो चाट जायेगी ॥ ४३। परदेशी जा तम्त्त में हे।गा तम्क से प्रबल और ऊंचा होगा और त नौचा हे। जायगा ॥ ४४। वह तम्ते उधार टेगा परत तक्क से उधार न लेगा बह सिर हेगा और त पोंछ हाेगा॥ ४५ । ग्ार ये समस्त साप तक पर अआवंगे ओर तरे पौछे पडेंगे और तस्मते जाही लेंगे जब ले त नाश न हावे इस कारण कि त ने परमेग्वर अपने ईम्बर के शब्द का न सना कि उस की आज्ञाओं का और उस की बिधिन के। पालन करता जैसी उस ने तम्मे आज्ञा किई है॥ ४६। और वे तम््क पर और तेरे बंश पर सदा के लिये चिन्ह और आअ्ये हाोंगे॥ ४७। इस कारण कि त ने समस्त बहुताई के लिये मन की आनंदता ग्लार मगनता से परमेग्वर अपने ईम्वर को सेवा न किई ॥ ४८। इस लिये तभख में ओर पियास में और नस्त्रता में और ट्रिट्रता में अपने बैरियों की सेवा करेगः जिन्हें पर मेग्यर ४०४ बिवाद [२८ पब्ब तम्क पर भेजेगा और वह तेरे कंधे पर लाहे का जआ डालेगा जब लॉ तम्क नाश नकर लेवे॥ ४८। परमेग्वर टूर से एक जाति का और एथिवी के अंत सिवाने से एक ऐसी जाति जैसा गिड्ू उड़ता हे तम्क पर चढ़ा लावेगा एक जाति जिस को भाषा त न समम्केगा॥ ५० । भयंकर रूप की जाति जो न बढ़ों का समम्केगी न तरुण पर दया करंगी ॥ ५९। और वह तेरे ढठोर का फल ओर तेरे देश का फल खा जायगी जब ला त नाश न है| जाय जा तेरे लिये अन्न और टाख रस अथवा तेल अथवा तेरी गाय बैल की बढ़ती अथवा भेड़ की म्कंंड न छाड़गी जब लॉ तस्के नाश न करे॥ ५२। ग्रार वे तस्के तेरे हर एक फाटकों में आ घेरगे यहां लो कि तेरी ऊंची ओर हृढ़ भीतें जिन पर त ने भरोसा किया था गिर जायेंगी और वे तम्मे उस समस्त दश में जो परमेमस्थर तेरे ईश्वर ने तम्के दिया कहे तेरे हर एक फाटकों में आ घरग॥ ५३। सकेती जऔर कष्ट में जो तेरे बैरियां के कारण से तम्क पर पड़ंगत अपने दह का फल गज र अपने बंटे बेटियां का मांस खायेगा जिन्हें परमेश्वर तेरे इंश्वर ने तमे दिया क्षे। ५४। उस जन की आंखें जे तम्भें केमल और अति सकआर हेगा अपने भाई और अपनो गाद को पत्नी और अपने बचे हुए लड़कों से बरी हे। जायेंगी ॥ ५५ । यहां लो कि वुच्द अपने बालक के मांस में से जिसे वुद्द खायगा डन में से किसी के कुछ न देगा इस कारण कि उस सकेती और क्कश में जा तरे बैरियों के कारण से तेरे समस्त फाटकों में तम्् पर होंगे उस के लिये कुछ न बचेगा॥ ५६। तम्म कोमल ओर सकुआर स्त्री जो केामलता और सकुआरी के मारे अपने पांओं के भमि पर न घरती थी अपने गोद के पति ओर अपने बेटा बेटी कौ ओर से उस की आंखें बरी हे। जायेगी ॥ ५७। और अपने नन्हे बालक से जो उस्मे उत्पन्न होगा और अपने लड़कों से जिन्हें वह जनेगी क्यांकि वह सकेती के कारण पते जो तरे बेरी तरे फाटकों में तम्क् पर लावेंगे छिपके उन्‍हें खायगी॥ ५४८। यदि तू पालन करके इस ब्यवस्था के समस्त बचन पर जो इस पस्तक में लिखे हैं न चलेगा जिसतें त उस के तेज मय ओर भयंकर नाम से जा परमेम्घर तेरा ईम्वर हे नडरे॥ ५८। तब परमेम्भर तेरी मरियों के २८ पब्ब] कौ पस्तक । | ४०५ और तेरे बंश की मरियां का अर्थात्‌ बड़ी बड़ी मरियां का जो बहुत दिनताई रहेगी ओर बढ़े बड़े रोगों के जो बहुत ट्िनलों रहेंगे आह्यर्थित बनावेगा॥ ६०। ओर मिस्र के सारे रोग जिन से त डरता था तम्क्त पर लावेगा और वे सब सम्कत पर चिपकंगे॥। ६९२। ग".्जार हर एक रोग ओ और हर एक मरी जो इस ब्यत्रस्था की पस्तक में नहों लिखी है परमेश्वर तुम्क पर पहुंचावेगा जब लां तू नाश न हावे॥ ६२। और जैसा कि तुम लाग खगे के तारों की नाई थे गिनती में थाड़ से रह जाओगे इस कारण कि त ने परमेग्यर अपने ई स्थर के शब्द के न माना ॥ ३। और ऐसा हेगा कि जिस रीति से परमेग्वर ने तम पर आनंद हेकके तम्हारे साथ भलाई करके तम्हें बढ़ाया उसो रोति से परमेग्वर तम्हें नाश करके मिटा देने में आनंदित होगा ओर त उस देश से' उखाड़ा जायगा जिस का अधिकारी त होने जाता ह॥ ६४। और परमेग्वर तक समस्त जातियों में प्टथवी के इस खंट से उस खट ला छिलन्न भिन्न करेगा ओर वहां त और टवतों की जे का४ ओर पत्थर करें जिसे त ओर तेरे पितर नहों जानते थे पजा करेगा॥ ६५। ग_जर उन जातिगणो में तमकक के चैन न मिलेगा ओर न तरे पांओं के तलवों का विश्वाम मिलेगा परत परमेश्वर वहां तक कंपित मन ओर घंघली आंखें और मन की उदासी टेगा॥ ६६। और तेरा जौवन तेरे आगे दुबिधा में रंगा रहेगा और त रात दिन डरता रहेगा ओर तरे जीवन का भरोसा न रहेगा॥ ६७। अपने मन के डर से जिसमे त डरेगा ओर उन बस्तन से जिन्हें तरो आखे ट्खेंगो बिह्ान कात कहेगा कि हाय कब सांमक होगी ओर सांकक के! कि हाय कब बिहान हेगा॥ ६ए८। और परमेम्थर तम्पे उस मागे से जिस के बिषय में में ने तक कहा कि त उसे फिर न ट्खेगा तम्मे जहांज़ां में मिस्र के! फेर लावेगा और तम बहां टासे। ओर टद्ासियां की नाई अपने बेरियाों के ह्वाथ बेचे जाओगे और काई मेल न लेगा॥ ६८ । य उस नियम की बातें हें जा परमेग्वर ने मूसा का आज्ञा किईं कि मेअब की भूमि में इसराएल के संतानों से करे उस नियम का छोड़ जो उस ने उन से हरिब में किया थ. ॥ ४०४६ बिवाद [२6६ पे २८ उनन्‍्तौसवां पब्ब । जो मसा ने समस्त इसराएल का बला के उन्हें कहा जा कछू कि परमेश्वर ने तम्हारी आखों के आगे मिस्ध के देश में फिरऊन और उस के समस्त सेवकों और उस के समस्त टेश से किया तम ने टेखा कहै॥ २। वेबड़ी बड़ों परीक्षा जिन्हें तेरी आखों ने देखा हे वे लक्षण और बडे बड़े आअ्यथे॥ ३। तथापि परमेग्वर ने तम्हें समझने का मन जर टेखने की आखें और सन्ने के कान आज लो न ट्यिं। ४। और में तम्हें चालीस बरस बन में लिये फिरा तम पर तम्हारे कपड़े पराने न हुए न तम्हारे जते तम्हारे पांओं में पराने हुण॥ ५। तम ने रोटी न खाई और तम ने मदिरा अथवा मद्य न पिया जिसतें तम जाने कि में परमेश्वर तम्हारा ईंग्थर हूं॥ ६। और जब तम इस स्थान में आये तब हसबून का राजा सैह्लन ओर बसन का राजा जज संग्राम के लिये तुम पर चढ़ आये ओर हम ने उन्‍हें मारा॥। ७। और हम ने उन का टेश ले लिया ओर रूवीनियां ओर जहियां ओर मुनस्यो की आधी गाछी के अधिकार में दिया॥ ८। से तुम इस नियम की बातों के। पालन करे ओर उन्‍हें मानें जिसते अपने सब कामों में भाग्यमान हेग्रे। ६। आज के दिन तम और तम्हारी गाष्ियों के प्रधान और तम्हारे प्राचौन ओर तम्हारे करोड़े और समस्त इसराएलज के लाग॥ १०। तम्हारे बालक तम्हारी पत्नियां और तम्हारे परटेशी जो तम्हारी छावनी में रहते हें तुम्हारे लकड़हारे से लेके बनिहार लो परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे खड़े हो॥ ९१९१। जिसते तु परमेग्वर अपने ईस्वर के उस नियम ओर किरिया में प्रवेश करे जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर तस्कर से आज के दिन करता क्षे। १५२। जिसतें वच् आज के दिन तम्मे अपने लिये एक लाग स्थिर करे कि वुचह्द तरा ईस्वर होवे जैसा उस ने तस्से कहा ओर जेसा उस ने तेरे पितर अबिरहाम और इजहाकु यअकब से किरिया खाईके॥ २३। सो में तम्हारे हो साथ केवल यह नियम और किरिया नहीं करता॥ २४। परंत उस के साथ भी जो आज के दिन परमेग्वर हमारे इंग्पर के आगे 6 पब्बे] की पस्तक । ४०७5 हमारे संग खड़ा हे और उस के साथ भी जो आज के टन हमारे साथ नहों क्षे। १५ । क्योंकि तम जानते हे! कि हम मिस्र में क्येंकर बास करते थे और क्यांकर उन लागों के मध्य में से जिन में तम रहते थे निकल गये॥ ९५६। जऔर तम ने उन की लकड़ी ओर पत्थर और चांदी और सेने की घिनित मूत्तों का टेखा क्षे । ५७। ऐसान हे। कि तुम्हां में काई पुरुष अथवा स्त्री अथवा घराना अथवा गेष्ठी एसी हे। कि जिस का मन आज के टन परमेश्वर हमारे ईश्वर से फिर जाय और इन जातियों कौ देवतां की सेवा करे ऐसा न हे कि तम्हारे बीच एसी जड़ हे। जो बिष की नाई कडआ और नागदौना उपजावे ॥ ९८प। ओर यों हावे कि जब वह इस स्वाप को बातें सने तो बह आपप का अपने मन में आशीष ट्क कहे कि में चेन करूंगा यद्यपि अपने मन की भावना में चल कि पियास में मतवालपन मिलाऊं ॥ ९6 । परमेश्वर उसे न छोडुगा परंतु उसीं समय उस जन पर परमेग्र का क्राघ भड़केगा और समस्त स्वाप जो इस पुस्तक में लिखे हैं उस पर पड़ेंगे और परमेगश्वर उस के नाम के खगे के तले से मिटा देगा॥ २०। ओर परभेग्यर बाचा के समस्त स्वापों के समान जा इस ब्यवस्था की पस्तक में लिखे हें इसराएल की सारी गेाछियों में से बराईं के लिये उत का अलग. करंगा॥ २९। यहां लां कि अबेया पीढ़ी जो तम्हारे बालकों में से उठेगी और परट्शी जो टूर देश से आंवंगे उस ट्श की मरी और रोगों के जा परमेस्वर ने उस पर घरे हैं टेखके कहेंगे॥ २२। कि यह सारा हेश मंधक और लोन से जल गया क्रिन बोया जाता न उपजता और. न कुछ घास उगती है जैसे कि सट्टम और अमर: और अद्मः और जिबी- आन उलट गये परमेम्र ने उसे भी अपनी एरिस से और अपने केप से उलट दिया ॥ २३ । अथात्‌ समस्त जातिगण कहेंगे कि परमेश्वर ने झस हेश पर एसा क्यों किया ओर इस महा काप के तपन का ज्या कारण हे ॥ २४ । तब लाग कहेंगे इस लिये कि उन्हें ने परमेम्वर अपने पितरों के ई स्पघर की उस बाचा को त्याग किया ज्ञा मिख्व देश से निकालने के समय उन से बांघी थी॥ २५। क्यांकि उन्‍्हों ने जाके आन आन ट्वतों की सेवा और उन्‍हें टंडवत किई उन ट्वतों के जिन्हें वे न जानते थे ओर जिन्हें ४०ष८८ बिवाद [३०७ पच्चे उस ने लन्‍्ट न टिया था॥ २६। से परमेग्रर का क्राध इस टेश पर भड़का कि उस ने समस्त खाप जो इस पत्तक में लिखे हैं इस पर प्रगट किये॥ २७। ओर परमेग्वर ने रिसओर काप और बड़े जलजलाहट से उन के दृश से उन्हें उखाड़ा हैं और ट्ूसरे देश पर आज के दिन कौ नाई उन्हें डाल टिया॥ र८। गुप्त बात परमेम्यर हमारे ईयर कौ हें ढ;ं ३ ५7३25 बिक लिप लक हें ०-५ परंतु प्रकाशित हमारे ओर हमारे बंश के लिये सदालों हैं जिसतें हम इस ब्यवस्था के समस्त बचन के पालें॥ ३० तौसवां पब्ये। ञ्ै 7र यों होगा कि जब यह सब आशीष गौर स्वाप जिन्हे में ने तरे आगे रक्‍खा तस् पर पडंगा और त उन सब लागों में जहां जहां परमेश्वर तेरा ईश्वर तस्ते हांकेगा उन्हें चेत करेगा॥ २। और त परमेश्वर अपने ईम्वर की ओर फिरेगा ओर उस की उन आज्ञाओं के समान जो आज में तुम्ते कहता हूं अपने लड़कों समेत अपने सारे मन से और अपने सार प्राण से उसे पालन करेगा॥ ३। तब परमेग्र तेरा ईज्यर तेरी बंधआई के! पलट डालेगा ओर तम्मे उन सब लोगों में से जिन में परमेग्वर तेरे ईम्र ने तम्मे छिन्न भिन्न किया हो ट्याल होके फेरेगा और एकट्टे करेगा ॥ ४। यदि काई तुस्त में आकाश के अंत लो हांका गया होगा तो परमेश्वर तेरा ईम्बर वहां से एकट्टा करके फेर लावेगा॥ ५। ओर परमेगअ्र तरा इईमखआर तम्के उस टश में जिस के तेरे पितर अधिकारी थ्रे ओर त उस का अधिकारी हेगा और वह तम्क से भलाई करेगा और तेरे पितरों से अधिक तम्के बढ़ावेगा॥ ६ | ओर परमेश्वर तेरा इंखर तेरे और तेरे वंश के मन का खतनः करेगा कि तू परमेश्वर अपने ईश्वर के अपने सारे मन आर अपने सारे प्राण से प्रेम करे जिसतें त जीता रहे॥ ७। ओर परमेश्वर तेरा इंश्वर ये समस्त साप तेरे वै र॒थें पर और उन पर डालेगा जोः तेरा डाह रखते हैं जिन्हें ने तमे सताया॥ ८॥ और त फिर आवेगा ओर परमेश्वर के शब्द के मानेगा और उस की उन आज्ञाओं के जो आज के टन मैं तस्मे करता हूं पालन करेगा॥ €। और परमेश्वर तेरा ईश्यर तेरे हाथ के हर एक ६० पब्बे | कौ पुस्तक । ४०८ काम में ओर तेरे शरौर के फल में और तेरे ढार के फल में और तेरी भूमि के फल में भजाई के लिये तुमको अधिक करेगा क्यांकि परमेस्थर आनन्दित हेके तमाम से फिर भलाई करेगा औसा वह तेरे पितरों से आनन्दितथा॥ ९०। यदि त॑ परमेश्वर अपने ईग्वर के शब्द का सनेगा जिसते उस कौ आज्ञा ग्यार विधि का जा ब्यंत्रस्था की इस पस्तक में लिखी हुई हे स्वरण करे ओर यदि त अपने सारे मन से ओर अपने सारे प्राण से परमेग्धर अपने ई ब्र की ओर फिरे॥ १९। क्यांकि यह आज्ञा जाआज में तमे करता हूं वुह तभत से न छिपी हे न टूर हे ॥ ९५२९। वह खण पर नहों जात कहे कि हमारे लिये कान खणे पर जायगा ओर हमारे पास उसे ल।वे जिसतें हम उसे सनें और पालन करें॥ ९३। और न समद्र पार क्षे जे त कहे कौन हमारे लिये समद्र पार जायगा ओर उसे हम पास लावे कि हम उसे सनें और उसे पालन करें ॥ १९४। परंत बचन तेरे पास हो तर मंह में और तेरे अंत:ःकरण में हे जिसतें त उसे पालन करे॥ २१५। टेख में ने आज जीवन ओर भलाई को ओर म्टत्य ओर बराई को तेरे आगे रक्‍्खा ह्॥ १६। से मैं ते परमेश्वर अपने ईश्वर पर प्रेम करने के और उप के मार्गों पर चंलने के! और उप की आज्ञाओं और बिधिन और उस के बिचारों के पालन करने का आज ते आज्ञा करता कु जिसत त जीये ओर बढ़े जऔर परमेम्थर तेरा ईश्वर उस ट्श में जिस का त अधिकारी हे।ने जाता हुं तंग आशोष ट्वे॥ १५७। पसर्ंत यदि तेरा मन फिर जाय यहां ला कित्‌नसने परंतु फसलायां जाय अरु ओर ट्वतों के दंडवंत करे और उन को सेवा करे॥ ९८। तो आज में तम्हं सना रखतां कु कि तम निश्चय नाश हे। जाओगे ओर उस टेश पर जिस के अधिकारी हे।ने यरदन पार जाते हे तम्हारी क्य अधिक न हेगीं॥ २१८। में आज खगे ओर एथिवी के तम्हारे ऊपर साच्छी लाता हूं कि में ने जोवन ओर रूत्यु आर आशीष और स्राप तम्हारे सान्ने रक्खे से तम जीवन के चुने। जिसत तम ओर तम्हारा बंश दोनों जीवं॥ २०। कित परमेग्पर अपने ई सर से प्रम करे ओर उस के शब्द के माने ओर उसमे लवलीन रहे क्योंकि वही तेरा जीवन ओर तेरे बय की अधिकाई है जिसतें तू उस 59 [3 8. '&:] ४९० विवाद [३९ पत्ते दश में बास करे जिस के कारण परमेगर ने तेरे पितर अबिरहाम औरर डा 4200०. 20%. इजुहाक और यअ॒क़ूब से किरिया खाके कहा कि म॑ उसे तम्हं देऊंगा ॥ ३९ एकतौसवां पन्ने । ब मूसा ने जाके थे बातें समस्त इसराएल से कहौं ॥ २। ओर उस ले ने उन्हें कहा कि में ता आज एक सो बीस बरस का हूं आगे में भीतर बाहर जा नहीं सक्ता ओर परमेश्वर ने भो मुझ कहा क्लेकि त्‌ यरदन पार न जायगा॥ ३। परमेग्यर तेरा इंखर ही तेरे आगे आग पार जायगा जर वही इन जातिगणां के तरे आगे नाश करेमा और त उन्हें बश में करेगा और यहर्ूअ परमेगश्वर के कहने के समान तेरे आगे आगे पार जायगा॥ ४। ओर परमेग्यर उन से वैसा ही करेगा जैसा उस ने अमरियां के राजा मोहन ग_्र ऊज से और डन की भमि से किया जिन्‍हें उस ने नाश किया॥ ५। और परमेश्वर उन्हें तम्हारे आगे सौंप टेगा जिसतें तम उन से सब आज्ञाओं के समान जा में ने तन्हें कहीं करोा॥ ६। पेतढ़ हेाओ और साहस करो भय न करो ओर उन से मत डरो क्यतक परमेग्वर तेरा ईम्पर जा तरे साथ जाता हे वह तम्फे न छाडेंग। न त्याग करेगा॥ ७। फिर मसा ने यक्हअ का बलाया ओर सारे इसराएल के आगे उसे कहा कि दृढ़ हे! ओर साहस कर क्योंकि तू इन लोगों के साथ उस देश में प्रवेश करेगा जिस के टने के बिषय में पसमेग्वर ने उन क॑ पितरों से किसिया खाई ओर त उन्हें उस का अधिकारी करेगा । ८॥ ओर परमेम्वर तेरे आगे आग जाता हे वह तेरे साथ रहेगा वह तम्े न छोड़ेगा न त्याग करेगा से त भव मत कर और मत डर्‌॥ <। ओर मसा ने इस व्यवस्था के लिखा और ल्वी के बेटे याजकों के जो परनेग्वर के साधछ्ी की मंजषा के उठाते थे ओऔएर इसराएल के समस्त प्राचौनों के ज्लींपंटिया॥ ९०। ओर मसा उन्हें यह कहके बाला कि हर एक सात बरस के अंत में छएकारे के ठहराये हुए समय में तंब के पथ में ॥ ९१५। जब कि सारे इसराएल परमेग्वर तरेइंस्र के आगे डस स्थान पर जिसे वह चनेगा जाया करं तब त्‌ इस ब्यवस्था का पढ़के समस्त इसराएल के सनाया कर॥ १५२। समस्त परुणों ओर स्त्ियां के ओर ६९ पब्मे | की पस्तक । ४९९ लड़कों गरेर अपने परटेशों का जो तेरे फाटकां के भौतर हों एकट्ढ कौजिया कि वे सने और सीखें और परमेग्वर तुम्हारे ईस्घर से डरें और इस व्यवस्था के समस्त बचन के पालन करें और मानें ॥ ९१३। और उन के लड़के जिन्‍्हों ने थे बातें नहीं जानी सन और जब लो तम उस देश में जिस के अधिकारी हेने के यरदन पार जाते हे रहे। परमेश्वर अपने ईश्वर से डरा करा॥ १४ । फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि देख तेरे टिन आ पहुंचे क्ें तमके मरना हे से त यहरूआ के! बला और मंडली के तंब में खड़े हेओ। जिसतें में उसे आज्ञा करू से! मसा और यहरूअ चले और मंडली के तंब में खड़े हुए॥ १९५। ओर परमेग्वर मेघ के खंभो में हे (के तंब में प्रगट हुआ ओर मेव का खंभा तंब के ट्टार पर आके ठचहरा। २९६। तब परमेमख्र ने मसा से कहा कि देख त्‌ अपने पितरों के साथ शयन करेगा ग्यार इस मंडली के लाग उटेंगे ओर उस टेश पर जहां ये बसने जाते हें ककम्मीों हेकके वहां अन्यटृशी टेवतां का पीछा करेंगे मे छोड़ देंगे ओर उस बाचा का जो में ने उन के साथ बांधी हैतेडेंगे॥ ९५७। तब मेरा क्राध उन पर भड़केगा और में उन्हें व्याग करूंगा श्र में उन से अपना मंह छिपाऊंगा ओर बिर्षात्त उन्हें पकड़ेगी तब वे उस दिन कहेंगे कि क्या हम पर य बिपत्ति इस लिये नहों पड़ौं कि हमारा ईयर हस्मे नहीं ॥ १८। ओर उन सब ब्राइयों के कारण सेजा वे करेंगे आर इस लिये कि उपरी ट्ेवतां की आर लवलीन हांगे में निश्चय उस ट्नि अपना मंच छिपाऊंगा॥ ९८। से तम यह्द गीत अपने लिये लिखा और उसे इसराएल के संतानों का सिखाओ और उन्हें पढ़ाओ जिसते यह गीत इसराएल के संतानें पर मेरी साक्ती इहे॥ २०। इस लिये कि जब मे उन्‍हें उस दृश में पहुंचाऊंगा जिस के कारण में ने उन के पितरों से किरिया खाई जिस में ट्ूघ ओर मधु बहता हे और वे उसे खायेंगे और दप्त हावंगे और मेट हे जायेंगे तब वे और देवतें की ओर फिर जायेंगे और उन की सेवा करंगे ओर मुस्के खिजावेंगे और मुम्क से बाचा तोड़ देंगे॥ २९। ओर यों हेगा कि जब बहुत कष्ट ओर विपत्ति उन पर पड़ेंगी तब यह्दी गीत उन पर ४९२ बिवाद [३२ पब्ब साधी ट्गी क्यांकि वह उन के बंश के मंह से बिसर न जायगी क्यथांकि में उन के विचारों के जानता हू जे। वे आज करते हें डस्से आगे कि में उस दृश में जिस के कारण में ने किरिया खाई ह उन्‍हें पहुंचाज॑॥ २२। से उसी टिन मसा ने यह गीत लिखा ओर इसराएल के संतान को सिखाया॥ २३। और उस नेनन के बेटे यहरूअ के! आज्ञा किई और कहा कि दृढ़ हे! ओर साहस कर क्योंकि इसराएल के संतान का उस देश में जिस के कारण में ने उन से किरिया खाई हे त ले ज़ायगा और में तेरे साथ हे।ऊंगा॥ २४। ओर ऐसा हुआ कि जब मसा इस ब्यवस्था की बातों के पस्तक में लिख चका गऔर उन्हें समाप्त किया ॥ २५ । तब मा ने लावियां का जा परमेग्थर की साक्षों की मंजषा का उठाते थे कहा॥ २६॥। कि दूस ब्यत्रस्था की पस्तक का लेके परमेम्यर अपने ई म्थर की बाचा कौ मंजषा के अलंग में रकवे। जिसतें यह तम्हारो साच्ती के लिय वहां रहे॥ २७। क्यांकि में तरे कगड़े और तरे गले की कठारता के जानता क्ू टेख अब लॉ में जोता ओर आज के ट्न लॉ तम्हारे साथ हूं ओर तम ईय्यर से फिर गये हे। तम मेरे मरने के पीछे कितना अधिक करोाग़॥ २झ। अपनी गोष्टियां के समस्त प्राचौनों के और प्रधानों के मुक्त पास एकट्ठा करो जिसते में ये बातें उन्हें सनाऊं और खगी ओर पथिवी का उन पर साधची में लाजं॥ २८ । क्यांकि में जानता हूं कि मेरे मरने के पीछ तम आप के नष्ट करोगे और उस माग़े से जामें ने तम्हें आज्ञा किई हे फिर जाओगे और पिछले दिनों में तुम पर विपत्ति पड़गी क्यांकि तम परमेश्वर के आगे बुराई करोगे कि अपने हाथ के काया से उसे खिस्काओग़े ॥ ३०। से मूसा ने इस गोत के बचन को इसराएल की समस्त मंडली के कह सुना के पूरा किया। २ बत्तोसखवां पत्ब । न्हे खगा कान धरो और में कहूंगा और हे एथिवी मेरे मंह की बातें सन ॥ २ । मेरी शिक्षा मेंह की नाई टपकेगी ओर मेरी बातें ओस के समान चयंगी जेसे सागपात पर फही पड़ ओर घास पर ककड़ियां ॥ ६॥ कि में परमेग्वर के नाम का प्रगट करता हूं तम हमारे ईग्थर के नाम की ६२ पच्य] की पत्तक ४९३ महिमा करो॥ ४। वह पहाड़ के उस का काय सिद्ध के क्यांकि उस के सब माई न्याय के हें वह सच्चा ईय्घर हे और बराई से रहित वह आप और सच्चा ह्े॥ ५॥ उन्हों नेआप का नष्ट किया वे उस के बालक नहीं बेअपने चिक्कल हें वे हटठोलो ओर टेढ़ी पीढ़ी हैं॥ ६। हे मर्ख ओर निबद्धि लागा क्या तम परमेग्वर के यां पलटा दत हे। क्या वचह तर पिता नहीं है जिस ने तस्हे मेल लिया क्या उस ने तम्हे नहों &जे। ओर तस्पे स्थिर न किया॥ ७। अगले दिनें के। चत करो ओर पौढ़ी पर पीढ़ी के बरसे के से।चे। अपने पिता से पछ और वह तम्के बतावेगा और अपने प्राचोनों से ओर वे तमक्त से कहंगे॥ छ। जब आत महान ने जाति गएों के लिये अधिकार बांटा! जब उस ने आदम के बेटा का अलग किया इसराएल के संतानों की गिनती के समान उस ने लागों का सिवाना उच्तराया ॥ « | क्यांकि परमेश्वर का भाग उस के लाग हें यऊकबव उस केअधिकार की रस्सो क्झे । ९ ०। उस ने उसे उजाड़ रश और भयानक अरण्य में पाया उस ने उसे घेर लिया ओर उस ने उसे शिद्या दिई उस ने अपनी आंख की पुतली की नाई उस की रक्षा किई॥ ९१। जैसा गिद्ठू अपने खेंते के। हिलाता है और अपने बच्चे। पर फरफराता हे और अपने पंखां का फेलाके उन्हें लेता क्षे और अपने पंखें पर उन्हें उठाता हे ॥ १९२। वेसा हो केवल परमेग्थर ने उस की अगुआई किई ओर उस के साथ कोई उपरी टेव न था॥ १५३। उप ने उसे प्टधत्री के ऊचे स्थानों पर बढ़ाया जिसतें वह खते की बढ़ती खावे और उस ने उसे चटान में से मधघ ओर चकमक के चटान में से तेल चसाया॥ १५४। ओर गाय के मखन ओर भेड़ के टृघ ओर मेम्न्रां की चिकनाई और बसन देश के पाले हुए मेढ़ां और बकरों के गठं गे।हूं की चिकनाई सहित त ने दाख का निराला रस पीया॥ १२५। परंत यशरन मोटा हुआ ओर लतिआने लगा त मे।टा हुआ हे और फैल गया हे त ठंप गया हे तब उस ने ई ग्वर अपने परमेग्वर का छाड़ दिया ओर अपनी मक्ति के पहाड़ के तुचछछ जाना॥ १६। उन्‍्हों ने उपरो दवतों के कारण उसे सकल दिया उन्हों ने उसे विनितों से रिघ दिलाया॥ १५७। उन्‍्हों ने विशाचें के लिये बलिदान चढ़ाय जो ईस्पर न थे परंतु उन देवतों के लिये जिन का वे न 8९४ बिवाद [३२ पत्ब 2 ० पहिच नते थे वे देवता जा थाड़ दिनों से प्रगर हुए जिन से तम्हारे पितर नडरते थे॥ १५८। त उस पहाड़ से अचत क्ले जिस ने तस्मते उत्पन्न किया और उस ईय्थर के भल गया जिस ने तेरा डाौल किया ॥ २९८ । और जब परमेश्वर ने ट्खा उस ने घिन किया इस का रण कि उस के बेटा बेटी ने उसे रिस टिलाया॥ २०। ओर उस ने कहा कि में उन से अपना मं छिपाऊंगा जिसतें में उन का अंत ट्खं क्यांकि वे टेढी पीढ़ी हें और एसे लड़के जिन में बिच्यास नें ॥ २९। उन्‍्हां ने अनीश्वर से मझ्के ज्वलन दिलाया उन्‍्हों ने ब्यथां से मस्कर रिस ट्लियः से में भो उन्हे अलाग से सकल दिलाऊंगा और एक मर्ख जाति से उन्हं रिस ट्लिऊंगा॥ २२। क्योंकि मेरे रिस में आग भड़की है ओर अत्यंत नरक ले जली है और ए्थिवी के उस की बढ़ती समेत भरा कर गई ओर पहाड़ा की नेओं के जला टिया क्षे॥ २३१ में उन पर ब्रिपत्ति की ढर करूंगा ओर उन पर अपने बाएं का घटाऊग़ा॥ २४। वे भख से जल जायेंगे ओर भसर्तक तपन और कड़वे बिनाश से भक्षण किये जायेंगे में पशुओं के दांतों के और एथिवी के बिषधर स्पा के! छोडंगा ॥ २५ । बाहर में तलवार ओर केटरियों से भय तरुण मनय्य के ओर कुआंरो के भी टृघ पीवक के भो परनियां सहित नाश करेंगे॥ २६। में ने कहा कि में उन्‍हें काने काने छिन्न भिन्न करता में मन॒व्यों में से उस का नाम मिटा देता॥ २७। यदि में शत्र के क्राध पर दृष्टि न करता न हे। कि उन के बेरी घमंड करें ओर न हे। कि वे कह कि हमारा हो हाथ प्रबल हुआ परमेचअर नेये सब नहों किय॥ रए। क्यांकि वे मच्च रहित जाति हें ओर उन में दुद्डि नहों॥ २६८। हाय कि वे बुद्धि मान होके इसे समझते ओर अपने अन्तकाल की चिन्ता करते॥ ३०। ता केसे एक सहख्र का खेदता ओर दो ट्स सहस्त के! भगाते यदि उन का पहाड़ उन्हें नबेंच डाले होता और परमेश्वर उन्हें बंद किये न हेाता॥ ३९ | क्योंकिउन का पहाड़ हमारे पहाड़ के समान नहीं हां हमार बैरी आप न्यायी हें ॥ ३२ । क़्यांकि उन का दाख सट्टूम के दाख में के और अमरः के खेतों का है उनके अड्भर पित्त के अंगर हें उन के ग़ुच्छ कड़ वे हैं ॥ ३३ । उन कौ मद्रा नागों का विष क्षे और सपोॉलों ३२ पब्ब ) कौ पस्तक । ४९५ 33 >+-+-न+-नन+ननन---ीनननननन-न-नीननननननननीयीययनीयीयनी मी नननननम-मन न ननननन-म नमन नमन नमन कम न+++-नन+++++3स3न> 3 ८.++3७+आाथ 3-3. का कठिन बिष॥ ६३४ । क्या यह मस्त पास धरा नहीं ओर मेरे भंडारों में बंद नहीं ॥ ३५। प्रतिफल ओर दण्ड दना मेरा ह डन का पांव समय पर फिसलेगा क्योंकि उन की बिपत्ति का दिन आ पहुंचा और उत्त पर जा बस्त आती है से शीघ्र करती हैं॥ ३६। जब वह दखेगाँ कि सामथ्ये जाती रही जार केाई बन्द अथवा छटा नहों हे तब परमेश्वर अपने लोगों का न्याय १, रेगा और अपने सेवकों के लिये पछता- वेगा॥ ३७। ओर कहेगा कि उन के द्वगण पहाड़ जिन का उन्हें भरोसा था क्या हुये॥ ३८। जिन्हों ने उन के बजिदानों की चिकनाईए खाई ओर पोने को भेंट की मदिरा पीई वे उठ और तम्हारा बचाव करें और सहायक हेवें॥ ३८। अब ट्खो कि में में ही हूं ग्रैर कोई ईस्थर मेरा साथी नहों में ही मारता # और में ही जिलाता हूं में घायल करता छू और में हो चंगा करता हूं ऐसा के।ई नहीं जा मेरे हाथ से छड़ावे॥ ४०। क्यांकि में अपना हाथ खग की ओर उठाता हूं और कहता हूँ कि में सनातन जीवता छू॥ ४९ यदि में अपना चमकता हुआ खज् चाखा करूँ ओर मेरा हाथ न्याय घारण करे तो में अपने शच्रन से प्रति- फल लंगा और जो म॒म्त से बैर रखते हैं उन्हें पलटा टूृंगा॥ ४२। मारे हुओआं का ओर बंधओं के लेक से और शत्र पर पलटा लेने के आरंभ से में अपने बाण के! रुधिर से उन्म्रत्त करूंगा ओर मेरी तलवार मांस खायगी॥ ४३। हे जातिगएणां उस के लागां के साथ आनन्द से गाओए क्योंकि वह अपने सेवकों के लेह का पलटा और अपने शचन से प्रतिफल लेगा अपने टेश ओर अपने लागों पर ट्याल हेगा॥ ४४। तब मसा और नून के बेटे यहस्तआ ने आके इस गीत को सारी बातें लागें के कक्त सनाई॥ ४५। ओर जब मूसा थे सारी बातें इसराएल के सन्तानें के। कह चका॥ ४६। तब उस ने उन्हें कहा कि उन सारी बातों से जिन की में आज के दिन तम्हों में साच्वी टेत। हूं अपने मन लगाओ ओर अपने बालकों को कहे कि पालन करके इस ब्यवस्था की सारी बातों के मानें ॥ ४७। क्योंकि वह तम्हारे लिये हथा नहों इस कारण कि तम्हारा जीवन हे ओर इसी बात के लिये इस ट्श में ज्रिस के अधिकारो हेने तुम यरदन पार जाते हे। अपनी आयुददाय बढ़ाओग॥ ४८। ओर 8९६ विवाद (३४ पब्ब, परमेचखश्वर ने उसी ट्नि मसा से यह बचन कहा॥ ४८। अबरीम के इर्स प्रेत पर नव पहाड़ी पर माअब केट्श में जा अरीह्न के साम्ने ह चढ़ जा और कनआन देश के ट्ख जिसे में इसराएल के सन्तान के अधिकार में देता हु॥ ४०। ओर उसी पहाड़ी पर जिस पर तू जाता है मर जा और अपने लागा में बटर जा जैसे तेरा भाई हारून हकूर पहाड़ पर मर गया और अपने लागों में बर र गया ॥ ५९। इस कारण कि तम्हों ने इसराएल के सन्तोन के मध्य कादिश के कगड़ के पानो पर सौन के अरण्य में मेरा अपराध किया क्येंकि तुम ने इसराएल के सन्‍्तान के मध्य में मँस्क पवित्रन किया॥ ४२। तथापि तू आगे के हेश के देख लेगा परंतु जो देश मैं इसराएल के संन्तानों के देता हूं त्‌ उस में न जायगा ॥ ३३ तंतोंसवां पब्ब । छौ ५ >े -_ वर टर ख्कआर यह वुद्र आशोष हे जिसमे ईश्वर के जन मूसा ने अपने मरने ४*ईसेआगे इसराएजल के सन्तानां के आशिष दटियां॥ २। ओर कहा कि परमेगस्र सोना से आया और शओर से प्रगट हुआ और फारान पहाड़े से उन पर चमक उठा और वह ट्स सहस्त॒ सिद्दं। के साथ आया उस के ट्हिने हाथ से एक आग की ब्यवस्था उन के लिये निकलो ॥ ३। हां उस ने लोागे से प्रेम किया उस के समस्त सिद्द तरे हाथ में और वे तेरे चरणों के पास बैठ गये ओर तेरी बातों से पावंगे॥ ४। मूसा ने हम से अथात्‌ यअकब की मंडी के अधिकार के लिये एक ब्यवस्था कहच्दी॥ ४५। और जब लागों के प्रधान इसराएल की गा४छठी एकद्ठ थे बह यशरून का राजा था॥ ६ । रूबिन जीये औःर न मरे ओर उस के जन थाडे न हां ॥ ७। ग्यार यहृटाह के लिये उस ने कहा कि हे परमे- अर यहक्ूटाह का शब्द सन और उसे उस के जागो में पहुंचा उस के हाथ उस के लिये बहुत हेवें और त बैरियां से सहायक हे ॥ ८। ओर उस ने लावो के विषय में कहा कि तेरा तमीमः और तेरए औरोम तेरे घममय के साथ हेत्रे जिसे त्‌ ने मक्मः में परखा और जिम के साथ तू मरीबः के पानीयां पर सगड़ा ॥ € | जिस ने अपनी माता पिता से ह३ पब्ब]) कौ पुस्तक । ४९७ कहा कि में ने उसे न रखा और उस ने अपने भाइयों का न माना न अपने बालकों के पहिचाना क्योंकि उन्हें ने तेरे बचन के माना और मेरी बाचा के धारण किया॥ १५०। वे तेरे बिचार यअकब को और तेरी ब्यवस्था इसराएल को सिखाव वे तेरी नासिका के आगे घप रकक्‍्लें और हेम के परे बलिदान तरी बेटौ पर घर ॥ ९९ । है परमेम्धर उस की संपत्ति पर आशौष दे और उस के हाथों के कामें के ग्राह्मय कर गर जो उस के बिरोघ में उठे और जो उरते बैर रफ्खे उन की कटि बेघडाल जिसतें वे फिरन उठ ॥ २१५२। उस ने बिनयमीन के विषय में कहा कि परमेश्वर का प्रिय उस के पास चैन से रहेगा उसे टिन भर आड़ करेगा और व॒ह उस के ट्नों कांघों के बीच रहेगा॥ ९३।आऔर उस ने यसुफ्‌ के बिषय में कहा कि उस की भूमि पर ईम्थर कौ आशीष हेगी खरे कौ बहु मल्य बस्तन के लिये और ओस के कारण और गहिराव के कारण जा नीचे स्क्का क्षे। ९५४। और रूव्य के निकाले हुए अच्छे फलों में से और चन्द्रमा की निकाली हुई अच्छी बस्तन के कारण ॥ ९५ । प्राचौन पहाड़ों की श्रष्ट बस्तन के लिय दृढ़ टौलां की बहु मल्य बस्तन के कारण ॥ ९६। और प्रथिवी की बढ़ मल्य बस्तें ओर उस कौ भरपरी के कारण और उस कौ भलाई के लिये जो स्काडी में रहता था यसफ के सिर पर उतरे और उस के मस्तक पर जा अपने भाइयों से अलग किया गया था ॥ ३७। उस का बिभव उस के बैल के पहिले।ठे की नाई और उस के सौंग गेंड के सौंग व॒ुद्र उन्‍्हों से लागां के एथिवी के सिवाने ले रेलेगा झर वे इफरायम के ट्स सहख खऔ और वे मनस्सी के ट्स सहस्व ॥ '९५८। और उस ने जबलून के विषय में कहा कि हे जबलन अपने बाहर जाने में आनंद हे और इशकार त अपने तंबओं में॥ २७। वे लागों के! पहाड़ पर बलावग ओर वहां घमे के बलिदान चढ़ावंगे क्यांकि वे समद्रां कौ अखिकाई के ओर भंडारों का जा बाल में छिपे हैं चसेंगे॥ २०। और उस ने जद के विषय में कहा कि धन्य है वह जो जद के फेलाता है बुद्द सिंह के समान पड़ा रहता हैं और घिर कौ चांदो का भजा सहित फाड़ता हे॥ २९५। उस ने पहिला भाग अपने लिये ठहराया उस ने वहां व्यवस्थादायक के भाग का चुना और 53 (& 9. &8.] ४९८ बिवाद [३४ पब्ब वह लागों के प्रधानों के साथ आया वह परमेम्वर के न्याय के! और उस के बिचार का इसराएल से बजा लाया॥ २२। गऔर दान के बिषय में कहा कि दान एक सिंह का बच्चा है जो बसन से उछलेगा॥ २३। और उस ने नफताली के बिषय में कहा कि हे नफताली त अनग्रह से ढप्त और परमेम्धर की आशीष से पर्ण त पसश्यिम और दक्तिण का अधिकारी हे। ॥ २४। ओर उस ने यशर के विषय में कहा कि यशर बालकों की आशीष पावे और अपने भाइयों का ग्राह्म है।वे ओर अपना पांव तेल में डबावे ॥ २५ । तेरे जते के तले लाहा और पीतल हे।गा और तेरे समय के समान तेरा बल हेगा॥ २६। यशरून के ईम्वर के समान काई नहों जे! खगे पर तरी सहाय के लिय चढ़ता है और उस की प्रतिष्ठा में आकाश पर॥ २७। सनातन का ईस्र तेरा शरण है ओर नौचे सनातन की भजा और बेरियों कातेरे आगे से वह हांकेगा ओर कहेगा कि उन्‍हें नाश कर॥ २८। तब इसराएल अकेला चैन से रहेगा यअकुब का सेतता अन्न और मदिरिा की भूमि पर होगा उस के आकाश से ओस पड़ेगी ॥ २९ । हे इसराएल त घन्य हे लेग तम्क सा कोन कै कि परमेग्वर ने तक बचाया हे वह तरो सहाय के लिये ढाल और तेरी बड़ाई कौ तलवार हे तेरे शत्रु तेरे बश में हांगे और तू उन के ऊंच स्थानों के। लताडंगा। ३४ चौंतौसवां पत्ण ॥ ञ्रैः मूसा मोअब के चौगानें.से नबू के पहाड़ पर पिसगः कौ चोटी पर जो यरीहे के साम्ने क्षे चढ़ गया और परमेश्वर ने ट्खाया जिलिअट के समस्त देश दान लां॥ २५ और समस्त नफ्ताली ओर इफरायम और मनस्सखो के टेश ओर यह्द्ाह के समस्त टेश अत्यंत समद्र लाों॥ ३। और दछ्िण ओर यरीहे के चैएगान की नोचाई जो खजर के पेड़ का नगर हे स्ग्र लां उस के दिखाया॥ ४। और परमेग्थर ने उसे कहा कि यह वह ट्श है जिस की में ने अविरहाम ओर इजहाक खैर यञुकब से किरिया खाके कहा कि में उसे तेरे बंश के दूंगा में ने तस्के आंखें से दिखा दिया परंतु तू छघर पार न जायगा॥ ५, से ६४ पन्बे] कौ पुस्तक । ४९८ परमेश्वर का सेवक मूसा परमेग्वर के बचन के समान वहां मेाअब के देश में मर गया॥ ६। ग्यार उस ने उसे माोअब के देश की तराई में बैत- फाऊर के साम्ने गाड़ा पर आज के दिन लो काई उस की समाधि को नह्चों जानता॥ ७। ओर मसा अपने मरने के समय में एक सो बौस बरस का था उस की आखें घंघलों न हुई! और उस का खाभाविक बल नघटा॥ ८। ओर इसराएल के संतानें ने म॒सा के लिये माअब के चौगानों में तौस टन ला बिलाप किया और मसा के लिये उन के रोने प्रीटने के दिन समाप्त हुणए। ८। और नन का बंटा यकूरूअ बढद्धि के आत्मा से भर गया क्यांकि मसा ने अपने हाथ उस पर रकक्‍खेथ और इसराएल के संतान ने उसे माना और जेसा परमेग्वर ने मसा के कहा था उस ने वैसा हो किया॥ १९५०। ओर तब से इसराएल में मसा के समान काई आगमज्ञानी फेर न हुआ जिसे परमेग्वर आग्ने साग्ने जानता था॥ १५९। उन सब अचंभित और आअयग्थित में फुरजन ओर छस के सब सेवकां के और उस के समस्त टेश में परमेग्वर ने मिस्र के देश में उसे भेजा था॥ ९२। ओर समस्त सामथी' हाथ ओर समस्त बड़े बड़ भय में जा मूसा ने समस्त इसराएल के आगे दिखाये। यहतरूओआ को पुस्तक । -<इ0३:४७०- ९ पहिला पत्बे । ज ब परमेगख्वर का सेवक मसा मर गया तब यथई हुआ कि परमेग्र ने मसा के सेवक नन के बेटे यह्वर्अ के कहा॥ २। कि भेरा सेवक मसा मर गया क्ञे सो अब त उठ ओर समस्त लागां समेत उस देश का जा में उन्हें देता हूं अथेत्‌ इसराएल के संतानों का लेके यरदन के पार उतरजा॥ ३। जेसा में ने मसा से कहा कि हर एक स्थान जिस पर तेरे पांव का तलवा पड़ेगा में ने तस्मे दिया ह्ैे॥ ४। अरण्य से ओर इस लबनान से लेके महानदी अधथ्वात्‌ फरात नटो लो हित्तियां का सारा देश महा समद्र ला सर्थ के अस्त होने की ओर तम्हारा सिवाना होग्रा ॥ ५। तेरे जीवन भर काई तर आगे ठहर न सकेगा जेसा में मसा के साथ था तेरे साथ रहूंगा में तक से न क्ष्टंगान तमक्के व्या/ंगा॥ ६। बलघंत हे! ओर ससाहस कर दस लिये कि यह भाम जो में ने किरिया खाके उन के पितरों का दने कचह्दी हे त छसे आधिकार में दिलावेगा ॥ ७] केबल त बलबंत ओर अआत साहसों हे जिसत त इस ब्यवस्या के समान जिस दी मेर सेवक मसा ने तस्तके आज्ञा किई हे सोच के मान और उस्म ट्चिने बायें मत मुड़ जिसते जहां कहीं तू जाय भाग्यमान छहावे। ८। इस व्यवस्था कौ पस्तक की चचा तेरे मंद से जाने न पावे ९ पब्बे ] कौ पस्तक | ४२१९ परंत रात दिन उस में ध्यान कर जिसते त्‌ सोच के जो कुछ उस में लिखा हे माने क्यांकि तबत अपने माग में भाग्यमान हेगा ओर तेरा काय्ये धन्य हाोगा॥ «€। क्या में ने तुमके आज्ञा न किई कि बलव॑त हे और सुसाहस कर मत डर और मत घबरा क्योंकि परमेश्वर तेरा ईस्वर जहां जहां तू जाता हे तेरे साथ हे॥ १५०। तब यहरूअ ने लागों के अध्यक्तों का आज्ञा करके कहा॥ १९१। कि तम सेना में से हे के जाओ और लागे के! आज्ञा करके कहे कि अपने लिये भाजन सिद्ध करें क्योंकि तौन दिन के भीतर तुम इस यरटन पार उतरोगे जिसतें उस भूमि के जो परमेश्वर तुम्हारा ईस्वर तुम्हें देता हे अधिकारी हेाओ।॥ १५२। ओर रूविनियों और जहिये के ओर मुनस्यौकी आधी गाष्ठी का यहकूरछूअ कहके बाला॥ २१५३। कि जा बात परमेशअर के सेवक मसा ने तम्हें कही थी चेतकरो कि परमेश्वर तुम्हारेईय्थर ने तम्ह बिश्वाम दिया है और यह देश तन्हें दिया है॥ २४। तम्हारी पत्नियां तम्हारे बालक और तम्हारे ढार इस देश में रहेंगे जा मसा ने यरदन के इस पार तम्ह दिया हे परंत तम लोग अथैल समस्त बीर अपने भाइयों के आगे आगे हथियार बांघके चले और उन की सहायता करो॥ ९५ । जब लॉ परमेगर तम्हारी नाई तम्हार भाइयों के चेन ट वे ओर वे भो उस भूमि के जा परमेग्वर तम्हारा इंअर उन्‍हें टता हे अधिकारी हाव तब तम उस देश में जा तम्हारा अधिकार हे ओर परमेग्वर के सेवक मसा ने यरट्न के दसौ पार पब दिशा में तम्हं दिया है फिर आइये और उसे अधिकार कौजिया॥ ९६। तब उन्‍्हों ने यहूरूअ के। उत्तर दिया कि जा जो त ने हमें कहा से! सा हम मानेंगे आर जहां जहां हमें भेजेगा हम जायेंगे ॥ ५७। जिस रोति से हम ने मूसा की सब बातें मानों उसो रीति से तेरी सब मानंग केवल परमेगश्वर तेरा ईम्थर जिस रौत से मसा के साथ था तेरे साथ भी रहे॥ ५८। जो काई तेरी आज्ञा कान माने ओर तेरी सारीबातों के! जो त कहे न सनेगा से। मार डाला ज्ञाग्रगा केवरा बलवंत है। और ससाहस कर ॥ 8२२ यहरूअ [२ पन्य २ ट्ूसरा पब्बे। 9 भेद लेवें और उन्हें कहा कि जाओ उस देश के अर्थात यरीहे। के! देखो से। वे गये ओर एक गणिका के घर में जिस का नाम राहब थाओआके उतरे॥ २। तब यरीहे के राजा के संदश पहुंचा कि देख आज रात इसराएल के संतान में से लाग आये हें जिसतें टेश का भेद लेवं ॥ ३। तब यरीहे के राज़ा ने राहब का यह कहके कहला -भेजा कि उन मनय्यां का जे! तक पास आये हें ओर तेरे घर में उतरे हें निकाल रे क्योंकि वे सारे देश का भेद लेने के आये हैं॥ ४। तब उस स्वी ने उन दोनों मनव्यों के लेके छिपा रक्खा और यों कहा कि मेरे पास आये तो थे पर में नहीं जानती कि कहां के थे। ४। और या हुआ कि फाटक बंद करते वे अंधरे में निकल गये और में नहीं जानती कि वे कहां गये से शोघ उन का पीछा करो क्यांकि तम उन्हें जादी लेओगे॥ ६। परंत वह उन्‍हें अपनी छत पर चढ़ा ले गई और सनई के नोचे जे छत पर सजी रक्‍्खों थीं छिपा दिया॥ ७। और लोग डन के पीछे यरट्न की ओर हजाव लों गये ओर ज्यां उन के खाजी बाहर निकल गये व्योह्दी उन्हें ने फाटक बंद कर लिया॥ ८। और वुह स्तो उन के लेटने से आगे छत पर उन पास ग़ई ॥ €। और उन्‍हें कहा कि में जानती हे कि परमेश्वर ने यह दृश तम्हें टिया है और तम्हारा भय हमें पर पड़ा है ओर इस ट्श के समस्त बासी तुम्हारे आगे गल गणे हैं॥ ९०। क्योंकि हम ने सना हें जब कि तुम मिस से बाहर निकले ते। परमेश्वर ने तम्हारे लिय लाल समद्र के पानियां का किस रौति से सखा दिया और तम ने अमूरियों के दा राजाओं सैह्नन ओर ऊज से जो यरदन के उस पार थे क्या किया ओर तुम ने उन्हें सबथा नाश किया ॥ ५५। आओर ज्योंद्दी हम ने सना न्ष्यांदी हमारे मन गल गये और किसो में तम्हारा साम्ना करने का तनिक भौ हियाव न रहा क्योंकि परमेग्वर तन्‍्हारा ईस्बर ऊपर खगणे में ओर नीचे प्रथिवी में वह्दी ईम्पर होे॥। जे कक विज ३ एर नन के बट यहूरूअ ने सन्तौन से ट मन॒व्य भेजे कि चपके से २ पब्बे] कौ पस्तक । 8२४६ १९२। सोअब मझू से परमेगम्घर की किरिया खाद्ये जैसा में ने तम पर अनग्रह किया वैसा हो तम भी मेरे पिता के घराने पर अन्ग्रह करियो ओर मसे एक सच्चा चिह्न टीजिये॥ २३। कि मेरे पिता और मेरी माता का ओर मेरे भाइयों ओर बहिनों के! और सब जा उन का हे बचाओ और हमारे प्राण का स्टत्य से छड़ाओ। ॥ १५४ । तब उन मनय्यों में उसे उत्तर दिया कि रूत्य के बिषय में हमारे प्राण तम्हारे प्राण के संतों यदि त्‌ हमारा यह काव्य न उच्चारे और एऐसा हेगा कि जब परमेश्वर इस देश के हमें टरेगा तब हम तेरे साथ सच्चाई से और अनुग्रह से ब्यवहार करेंगे॥ २१५। तब उस ने उन्‍हें डारो से खिड़की में से उतार टिया क्यांकि उस का घर नगर की भौत पर था और वह भीत ही पर रहती थी॥ ९६। और उस ने उन्हें कहा कि पहाड़ पर चढ़ जाओ न हे। कि खाजो तुम्ह मिलें से। तुम तीन ट्नि ला छिपे रहे जब लो कि खाजी फिर आवें उस के पीछ तम अपने मागे लीजियो॥ २९७। तब उन मनव्यों ने उसे कहा कि इस किरिया से जो त ने हम से लिई है हम निटाणों हेंगे॥ ५८। ट्ख जब हम इस टरेश में आवंगे तब यह लाल रत की डारी इस खिड़की से बांघियो जिस्म त ने हमें नीच उतार ट्या और अपने पिता और अपनो माता और अपने भाइथ के और अपने पिता के सारे घराने के अपने यहां बटा[रिया॥ २८। और ऐसा हेगा किजो कोई तेरे घर के द्वारों से बाहर जायगा उस का लाह्न उस के सिर पर हेगगा और हम निर्दाण होंगे और जो काई तेरे साथ घर में हेगा यदि किसी का हाथ उस पर पड़े ते। उस का लाह्न हमारे सिर प्र॥ २०। ओर यदि तहमारा यह कार्य उच्चारे तो हम उस किरियाःसे जो त ने हम से लिई अलग हेंगे॥ २९। ओऔर वह बाली जैसा तम ने कहा वेसा ही हो सेः उन्हें बिदा किया और वे चले गये तब उस ने वह लाल रूत की डारो खिड़की पर वांघी ॥ २२। आर वे वहां से चलके तोन ट्नि लां पहाड़ पर रहे जबलां कि खाजी लैौट आये और उन खाजियेंँ ने उन्हें समस्त मा में दंढ़ा और नपाया॥ २३। तब वे टोने परुष फिरे ओर पहाड़ से उतर और पार हुए और नन के बेटे यहूरूअ पास आये ओर जो जा कुछ उन पर बौता था सब उसमे कहा ॥ २४। और ४२४ यहरुअ [३ पत्लं उन्हें ने यहर्तआ से कहा कि निश्यय परमेग्वर ने यह समस्त टृश हमारे बश में कर दिया और ट्श के समस्त बासी हमारे कारण गजल गये ॥ ३ तीसरा पब्बे। त्त्‌ ब यहूरूअ बड़े तड़के उठा ओर सनन्‍्तोन से यात्रा किई वह ओर समस्त इसराएल के संतान यरट्न पर पहुंचे और पार उतरने से आगे वहां डेरा किया॥ २। झओर यां हुआ कि तोन ट्न के पोछ अध्यक्ष सेना में हेके गये॥ ३। ओर लोंगा को आज्ञा करके कहा कि जब तम परमेश्वर अपने ईश्वर को साचञ्यो की मंजषा का लावी याजक के। उठाते हुए टखे। तब तम अपने स्थान से यात्रा करो ओर उस के पीछ पीछे चलेत॥ ४। परंत तम्हारे ओर उस के मध्य में टो सहस्त हाथ का अंतर रहे और उस के पास मत आओ जिसते जिस मागे से तम्हे जाना हे तम पहिचानो क्यां कि तम इस मार्ण से आज कल नहीं गये ॥ ५ । ओर यहरूअ ने लागां से कहा कि अपने के शद्ग करो क्योंकि कल परमेश्वर तुम्हारे मध्य में आअ्वव्य ट्खावेगा॥ ६। फिर वहूरूअ याजकों के। कहके बे।ला कि साछी की मंजषा के। उठाओ और लोगेंं के आगे आगे पार उतरो से उन्‍्हों ने साह्षौं की मंजछा के। उठाया और लागें के आगे आगे चले॥ ७। तब परमेश्वर ने यहर्ूअ से कहा कि. आज के दिन से में समस्त इसराएल को हृष्टि में तक महान बनाना आरंभ करूंगा जिसते वे जानें कि जिस रोति से में मसा के साथ था तरे साथ हकूंगा। ८। ओर त उन याजकों से जा साज्षौ की मंजषा का उठाते हैं कहिया कि जब तम यरट्न के जञलके तौर पर पहुंचा तब यरट्न में खड़े रहियो॥ 6। से यहूरूअ ने इसराएल के संतानों से कहा कि इधर आओ ओर परमेस्वर अपने इस्थर की बातें सने॥ १५०। और यहूरूआ ने कहा कि अब इस्झे तम जानेागे क्षि.जोवता ई ख्र तुम्हां में है ओर वह कनआनियों और हित्तियां और हवियां और फरि- ज्जियां ओर अमरियां ओएर यबणियों का तम्हारे आगे से हांक टेगा॥ १९। ट्खा समस्त पथिवों के परमेश्वर को साञ्नी की मंजषा £ म्हारे आग आगे यरट्न के पार जाती है॥ १५२। से अब तम बारह जन ४ पब्बे] कौ पस्तक । ४२५ डू्सराएल कौ गोष्ठियां में से हर एक गाछी पीछ एक मनय्य लोओआ॥ २९३। और एसा हेगा कि ज्यांहो याजक के पांच के तलवे जा परमेग्घर समस्त एथिवी के प्रभ कौ साक्ती कौ मंजषा उठाते हें यरदन के जल में ठहर त्यांही यरटन के पानी जा ऊपर से बचहते हें थम जायेंगे और ढर है| रहेंगे॥। १४। गर ऐसा हुआ कि जब लाग अपने ड रे से चल निकले कि यरटन पार जावें और याजकों ने लागां के आगे साक्षी की मंजषा के उठाया॥ १५। और ज्यों वे जो मजषा का उठाये हुए थे यरटन लो पहुंच औएर उन याजकें के पांव जा मंजषा का उठाये हुए थे तौर पानौ में डब [ क्यांकि लवनी के समय में यरटन अपने समस्त कडारों के ऊपर बहती कहै]॥ २९५६। ता जल जा ऊपर से आये ठहर गये ओर ठेर हाोके आदम नगर से बहुत टूर उभड़े जे। जरतान के पास क्ञषे आर जो समट्र के चोगान की ओर बहिआये अथात्‌ खारी समद्र के घट गये और अलग किये गये ओर लोग यरीह्त के सनन्‍्मख पार उतर गये॥ ९७। ओर याजक जो परमेग्यर कौ बाचा कौ मंजषा के लिये हुए थे हृढ़ता से सखी भमि पर यरट्न नौ में खड़ रहे ओर समस्त इसराएली सखी भमि पर पार उतर गय यहां लां कि समस्त लाग निधार पार उतर चक ॥ ४ चौथा पच्षे । औए थां हुआ कि जब सारे लोग यरदन पार उतर चुके तब परमेग्व र यहरूआअ से कहके बाला॥ २। कि लागों में से बारह मनय्य लेओ। हर एक गाछी में से एक मनव्य ॥ ३। और उन्‍हें आज्ना करके कह कि अपने लिये यरट्न के बोचोंबोच में से उस स्थान से जहां याजकें के पांव दृढ़ खड़े रहे बारह पत्थर लेओआ ओर उन्‍्हं अपने साथ पार ले जाओ और उन्हें निवास स्थान में जहां तुम आज रात निवास करोगे धरे ॥ ४। तब यहूछअ ने बारह मनुब्यां के जिन्हें उस ने इसराएल के संतानों में से सिट्ठ किया था बलाया हर एक गो पीछे एक एक मन॒व्य। ५। ओर यहस्तअ ने उन्हें कहा कि अपने ईय्थर परमेम्धर कौ मंजूषा के आगे पार उतर के यरदन के बौचेंबोच जाओ 54 [&. 8. $.] 8२६ यह्नसअ [४ पब्ब 3..........बल>.>304॥््व>वनननननननम++ नमक अमननननकननकननक ननानाननननन 3 न नननन+ 3 ननननम ५ «+3+++-ननननन-न +- नल निनान तन नथ-++“०-++ और हर एक तम्में से इसराएल के संतानें की गोछी की गिनती के समान पत्थर अपने कांघे पर लेवे॥ ६। जिसतें यह तम्में एक चिह्न हावे और जब आगमी काल में तुम्हारे बंश पछे और कहें किये पत्थर कैसे हैं ॥ ७। तो तुम उन्हें उत्तर हौजिया कि यरट्न के पानी परमेग्वर कौ बाचा कौ मंजूषा के आगे दे! भाग हुए जब वुच्द यरटन पार गया ता यरदन के पानी टो भाग हुए सो ये पत्थर स्वरण के लिये इसराणल के संतानों के कारण अन्त लें हेांगे॥ ८। और इसराएल के संतानें की गाष्टियों की गिनती के समान जैसा परमेश्वर ने यहूस्टअ से कहा ओर जेसो यहूस्हअ ने उन्हें आज्ञा किई इसराएल के संतानों ने वैसा हो किया ओर यरटन के मध्य में से बारह पत्थर उठाये और उन्‍हें अपने संग उस स्थान लो जहां वे टिके लेगये॥ <। तब यक्तलसअ ने यरटन के बीचांबीच उस स्थान पर जहां याजकों के पांव पड़ जा साचह्तौ की मंजषा का उठाय थे बारह पत्थर खड़े किये से! वे आज के ट्न लो वहां हैं॥ २१०। क्यांकि याजक जो मंजूषा का उठाये हुए थे यरट्न के बौचांबीच खड़े रहे जब ला हर एक बात जो परमेग्र ने यकह्सअ का आज्ञा किई किमसाकी आतज्ञाओं के समान मंडली का कहे संपण् हे। चकी उस के पीक लाग शोीघता करके पार उतर गये॥ ९९। ओर थों हुआ कि जब समस्त लोग पार हे। चके तब लागां के आगे याजक परमेग्रर की मंजषा लिये हुए पार गये ॥ ९२। तब जद के संतान और रूविन के संतान और मुनस्सी की आधो गेछठौ जेसा मसा ने कहा था इसराएल के संतानों के आगे हथियार बांघे हुए पार उतर गये॥ १५३॥। चालौस सहसख एक हुथियार बांध हुए लैस संग्राम के निम्ित्त परमेश्वर के आगे यरोह्न के चैगानें में पार उतरे ॥ ९४। उस दिन परमेश्वर ने समस्त इसराएल की दृष्टि में यहसुअ के महिमा दिई ओर वे उस के जोवन भर उसे ऐेसा डरे जेसा वे मूसा से डरते थे॥ ९४। तब परमेश्वर यह्ूसूअ से यों कहके बाला॥ ९६। कि उन याजकों से जो साजञ्षी की मजूषा के उठाते हैं कहे कि यरटन से बाहर निकल आओ ॥ ९५७। से! यहस्तआ ने याजकों से कहा कि यरटन से निकल आओ।॥ ९८। और ऐसा हुआ कि जब वे याजक जो परमेश्वर की सात्यी की भू पब्बे] कौ पुस्तक ॥ ४२४७ मंजषा उठाये हुए थे यरदन के बीच में से बाहर आये ओर याजकों के [पांव के तलवे रूखी भूमि पर निकल आये वत्यांही यरदन के पानी अपने स्थानों में फिर आये और आगे के समान अपने सब कड़ारों पर बहने लगे ॥ २९८। और मंडली पहिले मास की ट्सवों तिथि के यरट्न से निकली ओर यरीह्त के पबे सिवाने में जिलजाल में छावनी किई॥ २०। ओर यहूस्टअ ने उन बारह पत्थरों के! जो यरटन से उठाये गये थे जिलजाल में खड़ा किया॥ २९। और इसराएल के संतानों से कह कि जब तम्हारे लड़के आगमी काल में अपने पितरों से पक किये पत्थर कैसे हें ॥ २२। ता तम अपने लड़कां के! बतजाके कहिये कि इसराएली इस यरदन से सखी भम से पार आये॥ २३। क्यांकि परमंग्र तुम्हारे ईम्थर ने यरदन के पानियां का तम्हारे आगे सखा टिया जब ला तम पार हे गये जेसा परमेग्रर तम्हारे इंग्बर ने लाल समद्र का किया था जिसे उस ने हमारे आग सखा दिया जब लों हम पार उतर गये॥ २४। जिसतें समस्त एथिवों के लाग जानें कि परमेगख्वर का हाथ सामर्थो क्षे जिसतें तुम परमेज्यर अपने ईय्थर से सदा डरा करो। धू पाचवां पतन । ञ' ऐसा हुआ कि जब अमरियों के सारे राजाओं ने जो यरट्न के इस पार पश्चिम दिशा में थे आर कनआनियों के समस्त राजे ने जा समद्र के तौर पर थे सना कि परमेच्वर ने इसराएल के संतानों के आगे यरदन के पानियों को सखा टिया यहां लांकि वे पार उतर गये ते उन के मन घट गय ओर इसराएल के सनन्‍्तान के कारण उन के जी में जौ न रहा॥ २। उस समय परमेग्रर ने यकूसर्तअ से कहा कि चेखी छरी बना और इसराएल के संतानें का खतनः फेर कर॥ ६३ । और यहरस्टहअ ने चोखी क्रियां बनाई ओर खलड़ियां के टौले पर इसराएल के संतानां का खतनः किया॥ ४। और यहूरूअ ने जा खतन: किया उस का कारण यह होकि सारे लाग जो मिस्त से निकल ४रपर यहूरूअ [१ पब्चे आये थे अथात समस्त याड्वा परुष अरण्य के मा में मर गये॥ ४। से। सब लाग जा बाहर आये खनन; किये गये पर वे सब जेःर मिस्र से निकलने के पीछ अरण्य के माण में उत्पन्न हुए थे उन का खतनः हुआ था॥ ६। इम लिय कि दसराएल के संतान चालीस बरस अरण्य् में फिरते रहे यहां लां कि सारे याड्रा जा मिस्र से बाहर आये नष्ट हुए क्यांकि उल्टा ने परमेश्वर के शब्द का न माना जिन से परमेश्वर ने किरिया खाई थी कि में तम्ह वह दृश न दिखलाऊंगा जिस के कारण में ने तुम्हारे पितरों से किरिया खाके कहा कि में तुम्हें वुद्द देश टेऊंगा जिस में ट्घ और मघ वहता क्षे। ७। और उन के संतानों ने जिन्हें उस ने उन की संती उठाया यहूस्अ ने उन का खतनः किया क्यांकि वे जअ्रखतनः थ इस कारण कि उन्‍्हां ने मा॥ में खतनः न करवायथा॥ ८। खैर ऐसा हुआ कि जब वे खतनः करवा चुके तब वे छावनी में अपने अपने स्थान में रहे जब लो वे चगे हुए। <।फिर परमेग्र ने यहरूअ से कहा कि आज के टन में ने मिख के अपमान का तम पर से डठा दिया इस लिय वह स्थान आज के दिन लां जिलजाल कहावता हे॥ २९०। से इसराएल के संतानों ने जिलजाल में डरा किया ओर उन्हों ने यरीक्ल के चैगान में मास की चाट्हवों तिथि में सांम्क के पार जाने का पर रक्‍वा ॥ ११। ग्र उन्हें ने बिहान के उसी टन पार जाने के पे के पीछू उस देश के पराने अन्न के अखमीरी फलके और भना खाया॥ ९२। ओर जब उन्‍्हों ने उस टश के पराने अन्न खाथ उसी द्न से ,मन्न बरसना थम गया ओर इसराएज के संतानां के लिये मन्नन था ओर उन्‍्हों ने उसो बरस कनआन के देश की बढ़तो खाई॥ २९३। और एसा हुआ कि जब यहूरूअ यरीहकू के पास था ता उस ने अपनी आंख ऊपर किई जशैरर ट्खा कि उस के साम्न एक मनव्य तलवार हाथ में खैंचे हुए खड़ा है तब यहस्हञ उस पास गया ओर उसे कहा कि त हमारी ओर अथवा हमारे शत्रन की ओर कहैु॥ २१५४। वह बाला नहीं परंत में अभोी परमेच्यर को सेना का अध्यक्ष हेके आया हूं तब यहूरूआअ भमि पर ओऑंघा गिरा और टंडवत किई ओर उसे कहा कि मेरे प्रभु अपने सेवक के! क्या आज्ञा करता है ॥ १५५४ । तब परमेम्र की सेना के अध्यक्ष ने यकूरछूअ ६ पन्ने) कौ पस्तक । ४२८ से कहा कि अपने पांव से जूता उतार क्योंकि यह स्थान जहां तू खड़ा हो पवित्र छे॥ २६। ओर यहूरूअ ने ऐसा हो किया। ६ कछटठवां पन्ने । ब इसराणएल के संतानों के कारण यरीहृू बंद हुआ ओर बंद किया गया काई बाहर न जाता था न भीतर आताथा॥ २। और परमेय्थर ने यहूस्हअ से कहा कि ट्ख में ने यरीक्ल के। ओर उस के राजा ओर वहां के महाबौरों के तेरे बश में कर दिया॥ ३। से। समस्त याड्ाा नगर को घेर लेग्रे और एक बार उस के चारों ओर फिराो इस रीति से छः टन लां कीजिया॥ ४। ओर सात याजक मंजषा के आगे सात नरसिंगे उठावें और तम सातवें ट्नि सात वार नगर के चारों ओर फिरो और याजक नरणिंगे फंफें। ५। ओर यों हेगा कि जब वे टेर ला नरसिंगे फंकेंगे और जब तम नरसिंगे का शब्द सने तो समस्त लेग महा शब्द से ललकार और नगर को भीोत नीचे से गिर जायेगी और लाग ऊपर चढ़ जाव हर एक जन अपने अपने आग॥ ६ । तब नन के बंट यहर्ूअ ने याजकां का बलाया ओर उन्हें कहा कि साच्छो की मंजषा उठाओ और सात याजक सात नरखिंगे परमेग्धथर कौ मंजषा के आगे लिये हुए चला॥ ७। तब उस ने लागों से कहा कि जाओ। नगर के चेरे! और जा हथियार बंद हैं से! परमेश्वर कौ मंजूषा के आगे आगे चलें॥ ८। और एसा हुआ कि जब यहरूअ ने लागों से यह कहा ते! सात याजक सात नरसिंग लेके परमेम्र के आगे आगे चले और उन्हों ने नरसिंगे फंके और परमेम्वर को साध्यो कौ मंजषा उन के पोछे पीछे गई॥ <। ओर हथियार बंद लोग उन याजकों के जो। नरसिंगे फंकते थे आगे आगे चले ओर जो अन्त की सेना में थे मंजघा के पोछे पीछ चले और नरसिंगे फंकते ज|ते थे। ९ ० । और यहूरूअ ने लागों के आज्ञा करके कहा कि तम मत ललका रिया और न अपना शब्द सनाइयोा और तम्हार मंह से कुछ बात न निकले जब ले में तम्हं ललकार ने की कहूं तब ललकारिया॥ ९१। सो परमेग्वर की मंजषा नगर के चारों झेशर एक वार फिर आई और वे छावनी में आये और छावनी में रहे। ४३० यहरूअ [६ पब्बे ९२। फिर बिहान का यहसर्ूअ उठा ओर याजकों ने परमेग्वर की मंजषा के! उठा लिया॥ १५३। और सात याजक सात नरखिंगे लेके परमेम्वर कौ मंजषा के आगे आगे नरसिंगे फंकते चले जाते थे ओर वे जो हथियार बंट थे उन के आगे आगे हे। लिये और वे जो पीछ थे परमेग्वर की मंजघा के पीछ हुए और नरखझिंग फंकते जाते थे॥ ९४। से दूसरे दिन भी वे एक बार नगर की चारों ओर फिर के छावनी में फिर आये एसा ही उनन्‍्हों ने छः टिन ला किया। १५४। और सातवें दिन यों हुआ कि वे बिहान यो फटते भार के उठे और उसी भांति से नगर के चारों ओर सात बार फिरे केवल उसी टन वे सात बार नगर के चारों आर फिरे॥ १५६। से सातवों फेरी में सा हुआ कि जब याजकों ने नरसिंगे फंके तब यहर्अ ने लागां से कहा कि ललकारो क्यांकि परमेग्वर ने नगर तम का टदिया॥ ९७। और नगर ग्रार सब जो उस में हैं परमेश्वर के लिये खापित होंगे केवल राहब गणिका उन सब समेत जा उस के साथ उस के घर में हें जौती बचेगी इस लिये कि उसने उन अगओं का जा हम ने भेजे थे छिपाया॥ ९५८॥ परत तम जो हो अपने का स्वापित बस्तों से अलग रखियो ऐसा न होवे कि तम ज्वाथित बस्त लेके खापित है। जाओ गरर इसराएल कौ छावनी के स्तापित करके उसे दुख दओ॥ ९८। परंत सब चांदी सेना और लोहे पीतल के पात्र परमेग्यर के लिये पवित्र हें वे परमेग्वर के भंडार में पहुंचाये जायेंगे। २०। से लागों ने ललकारा याजकों ने ओर उन्‍हें ने नरसिंगे फंके और ऐसा हुआ कि जब लागां ने नरसिंगे का शब्द सना ग्रार लोगों ने महा शब्द से ललकारा तब भौतें नौचे से गिर पड़ों यहा ला कि लोग नगर पर चढ़ गये हर एक मनुव्य अपने अपने आगे ओर नगर के ले लिया। २९९। और उन्‍हें ने उन सब के जो नगर में थे क्या पुरुष क्य स्त्री क्या युवा क्या डड्ड क्या बेल क्या भेड़ गटह्टे एक बार तलवार की घार से मार डाला॥ २२। परंत यहूरूआ ने उन ट्ो मनव्यां का जा भेट के लिये उस ट्श में गये थे कहा कि गणिका के घर जाओ और वहां से उस स्त्री के! और सब जे उस का है। जेसे तम ने उसे किरिया खाई थी निकाल लावोे॥ २६३। तब वे ७ पब्बे] कौ पस्तक | ४३९ होने तरुण भेटिय चले गये ओर राहब का उस के पिता और उस कौ माता और उस के भाइयों और सब जा उस का था ग्यार उस के समस्त घराने समेत निकाल लाये ग्रार उन्हें इसराएल के सतानें की छावनी के बाहर रख छाड़ा॥ २४। फिर उन्‍्हों ने उस नगर का जर सब जो उस में थे आग से फंक टिया परंत चांदी और सेना और पीतल और लाहे के पात्र परमेश्वर के घर के भंडार में पहुंचाये॥ २५। और यह्र रूआ ने राहब गणिका का और उस के पिता के घराने के और सब जो उस का था बचाया ग्और उस का निवास आज लो इसराएल के संताने में है इस कारण कि उस ने उन भेटियों का जिन्हें यहूस्हअ ने यरोह्त केा भंजा था छिपाया ॥ २६। और यहूरूअ ने उस समय किरिया खाई ओर कहा कि जे! मनव्य उठे ओर यरीहू के नगर के। फिर बनावे वह परमेग्वर के आगे ख्लापित होगा और अपने पहिलें ठे पर उस की नंव डालेगा और अपने छोटे पर उस के फाटक के खड़ा करेगा॥ २७। से परमेश्वर यहूस्हअ के साथ था और समस्त देश में उस की कीर्ति फेलो । ७ सातवां पब्बे । रन्त इसराएल के सतानों ने स्वापित बस्त के बिष्य में अपराध किया क्योंकि शारिक का पत्र जबदौ का पत्र करमी के पत्र अकन ने जा यहूदाह की गाछी का था कुछ ख्वापित बस्त में से लिया और परमेम्पर का काप इसराएल के संतानां पर भड़का ॥ २। तब यहूरूअ ने यरीक्ल से अई में जे बेतअबन के लग बैतएल की पबे ओर हे लागें का भेजा और उन्‍हें कहके बोला कि जाओ ओर ट्ेश के टेख आओ से वे गये और अई का टेख आये॥ ३। ओर वे यहूरूअ पास फिर आथे ओर उस्मु कहा क समस्त लाग न चंढ़ें केवल दो अथवा तौन सहस्त॒ जन के लग भग जावे और अई का मारें और सब लोगों के परिश्रम न दौजिये क्यांकि के ५ के का ट्थि कक बा ० क अभिके कक नयय क्यांकि वे थाड़े हैं। ४। सो लागों में से तोन सहस्त के लग भग चढ़ गय किक... शेक३, | आय कार कक बे ानकँ 0 5 आओ क 52. ] और अई के लागों के आगे से भागे ॥ ५। और अई के लागों ने उन में से छत्तीस मन॒व्य मार लिये क्योंकि वे फाटक के आगे से लेके शवरीम लों ४३२ यह्तस्अ॒ [७ पब्बे रगदे आये ओर उन्‍्हों ने उतार में डन्हं मारा इस कारण लागों के मन घट गये और पानी की नांई हे। गये ॥ ६ । तब यहरूअ ओःरइसराएल के प्राचौनां ने अपने अपने कपड़े फाड़ ओर परमेश्वर को साज्तो कौ मंजषा के आगे मांस ला ओंप्रे पड़े रहे ओर अपने सिरों पर घल उडाई॥ ७। ओर यहरूअ बाला कि हाय हे प्रभ परमेग्यर त इन लागां का किस कारण यरट्न पार लाया कि हमें नाश करने के लिय अमरियों के हाथ में सोंप टेवे हाय कि हम सनन्‍्ताष करते और वरदन के उसी पार रहते ॥ ८ । हे.मेरे खामो जब इसराएल अपने शत्नन के आगे पीठ फरते हें तब में क्या कहूं॥ < । क्योंकि कनआनो ओर ट्श के समस्त बासी सनेंगे ओर हमें घेर लेंगे और हमारा नाम एथिवो पर से मिटा डाल ग और त अपने महत नाम के लिय क्या करगा॥ १५० । तब परमग्र ने यहस्टअ से कहा कि उठ त किस लिये ओंघा पड़ा क्षे ॥ १९ । इस राएल ने पाप किया है ओर उन्‍्हा ने उस बाचा से जा में ने उन से बांधी अपराध किया क्यों कि उन्‍्हों ने स्वापित बस्त में से भो कुछ लिया ओर चोरो भी कई और छल भौ किया और अपनी सामग्री में भी रख लिया॥ १२। डूसराएल के संतान अपने शत्रन के आगे ठहर न सके ओर उन के आगे पीट फेरी क्योंकि वे स्वापत हुये से अब में आगे का तम्हारे साथ न हेोऊंगा जब ला त खापित का अपने में से नाश न करे॥ १५३। छठ लागों के! शड् कर और कह कि अपने के कलके लिये शद्ट करो क्योंकि परमेम्थर इसराएल का इंगश्वर यां कहता हू कि हे इसराएल तर मध्य स्वापित बस्त है त अपने शत्रन के साम्नें उहर नहों सक्ता जब लॉ सखापित बस्ल के अपने में से टूर न करेगा॥ १५४। से। तुम बिहान का अ५नौ अपनी गे।छो के समान पहुंचाये जाओगे और एसा हे।गा कि जिस गाछी के परमेग्वर पकड़गा से। अ4ने घराने समेत आवे और जिप घराने का परमेमश्वर पकड़गा वह अपने परिवार समेत आवे ओर जिप्त घराने का परमेश्वर पकड़ेगा से एक एक जन आवे॥ १५५४। ओर एसा हेगा कि जे किसो स्वापित बस्तु के साथ पकड़ा जायगा से अपनी सामग्री समेत आग से जला टिया जायगा इस लिये कि उस ने परमेग्वर कौ बाचा का अपराध किया गौर इस कारण कि उस ने इसराएल के संतानों में ४ पते] कौ पुस्तक । ४३३ दृष्टता किई॥ १५६। तब यहूरूअ विदान के तड़के उठा और इसराएल के। उन की गाछियों के समाने लाया और यहदाह की गाष्ठो पकड़ी गई॥ १९५७। और यहूदाइ के घेरानां के। समीप लाया और शारिक का घराना पकड़ा गया औरएर शारिक के घराने के एक एक मनव्य के आगे लाया और जबदो पकड़ा गया ॥ १८। ओर व॒ह उस के घराने का ऐक एक जन लाया शारिक का बेटा जबदो का बेटा करमी का बरा यहूदाह की गाछी का अकन पकड़ा गया ॥ ९८। तब यह पञ्च ने अकन से कहा कि हे मेरे बेटे अब परमेग्वर इंसंराएल के ईन्यर की महिमा कर और उस के मान ले और मम्क से कह कि त ने क्या किया कै मस्त से मत छिपा॥ २०। तब अकन ने यहूरूअ के उत्तर दिया ओर कहाकि निश्यय में ने परमेम्थर इसराएल के ईयम्घर का पाप किया हे ओर में ने ऐसा ऐसा किया है॥ २९। जब में ने बबलनी सनन्‍्द र बस्तर और दा सो शकल चांदी और पचास शकल के ताल की सेएने की गज्ली लट के घन में से देखा ता में ने लालच किया और उन्हें ले लिया और देख वे मेरे तंब के बीच भूमि में गड़े हें और चांदी उस के तले॥ २२। तब यहूरूअ ने हृत भेजे और वे तंबू का दोड़े और दखे। कि उस केतंबू में गड़ाथा और चांदी उस के तले॥ २३। ओर वे उन्हें तंबू में से निकाल के यहूस्तअ और समस्त इसराएल के संतान के आगे लाथे और उन्हें परमेग्वर के आगे डाल दियवा॥ २४। फिर यहूरूअ ओर सारे इसराएल ने शारिक के बेटे अकन के ओर चांटोौ ओर बस्ख और सेने की गुज्लो और उस के बटे बेटियां और उस के गोरू और गदहे और भेड़ ओर उस के तंब ओर सब जा उस का था लिया ओर अकर की तराई में लाये॥ २४। ओर यहूरूओ ने कहा कि तने हमें क्यां दुःख दिया परमेश्वर आज तुकक दृःख देगा तब समस्त इसराएल ने उस पर पत्थरवाह किया खैर उस के पीछ उन्हें आग से जला दिया. २६। और उन्हों ने उस पर फ्यरों का ठर किया जा आज लों है तब परमेग्वर अपने क्रोध के अजलजलाहट से फिर गया इस लिये उस स्थान का माम झआाज लो आकर की तराई हे ॥ 85 3 8: के] ४३४ वहसूअ [८ पद ८ आउठवां पत६्यथे | त ब परमेश्वर ने यहरूअ से कहा कि मत डर और भय मत कर सारे बाड़ाओं का साथ ले ओर उठ और अई पर चढ़ जा ट्ख में ने के राजा ओर उस के लेग और उस के नगर ओर उस के देश का तेरे हाथ में कर दिया हे। २। ओर त अई से ओर उस के राजा से बच्दी कीजिया जा त ने यरीह्ू से और उस के राजा से किया केवल वहां का घन और ठार तम अपने लिये लट लीजियो नमर के पीछे से घात में बैठियो॥ ३। से यहूछआ और सारे थाड्वा उठे जिसते आई पर चढ़ें और यहूसूअ ने तीस सहख महाबीरु चन लिये और रात के उन्हें भेज दिया। ४+ ओर उन्‍हें आज्ञा करके कहा कि ट्ेखे! तम नगर के पिछवाड़ घात में बेठियो। नगर से बहुत टूर मत जाइयो परंत सब लेस हे रहा॥ ५७५ आर में अपने संगी लागां के। लेके नगर की ओ(र बढ़ंमा और एसा हेगा कि जब वे हमारा साम्न्ा करेंगे तब हम आगे की नाई उन के आग से भागंग॥ &६। क्यांकि वे हमारा पीछा करेगे यहां लां कि हम उन्ह नगर से खेंच ले जावें क्यांकि वे कहँंगे कि वे आगे की नाई हमारे आगे से भागते हें इस लिये हम उन के आगेसे भागेंगे ॥ ७। तब तुम घात से छटठियाो ओर नगर के ले रीजियो क्यांकि परमेग्वर तुम्हारा ईर उसे तुम्हारे हाथ में सांप देगा ॥ ८। और यों होगा कि जब तम नगर के लेओगे तब नगर में आग लगाइये और परमेग्वर दीः आज्ञा के समान कौजिया देखे में ने तम्ह आज्ञा किई हे # <। से यहर्अ ने उन्हें भज दिया और वे घात में बैठने गये और बैतएल और अई के मध्य में अई की पश्चिम ओर रहे परंत यहूस्ूअ. उसी रात लागों में रहा॥ ९०। गर यकहूरआ बिहान के उठके लोगों के गिना और वह इसराएल के प्राचीन लागों के आग हेाके अई पर चढ़ गया ॥ ९९। ओर समस्त याद्धा जे उस के साथ थे चढ़े और पास आये और नगर के आगे पहुचे ओर अई की उत्तर अलंग डे रे किये ओःर उन में और अई में एक नीचाई थी ॥ २९५२। तब उस ने पांच सहस्त मनव्य के. लगभग लिये ओर उन्हें बेतऐेल ओर अई के मध्य में नगर की पश्चिम प्य्ब्बे ] कौ प॒स्तक । 8६५ अलंग घात में बेठाया। १५३। ओर जब उनन्‍्हां ने सारे लागां का अधथेत्‌ समस्त सेना का ज्ञा नगर के उत्तर थी ओर अपने घात के लोगों के। नगर की पश्चिम ओआर घर में बेठाया तब यहूर्अ उसी रात उस नीचाई के मध्य में गया॥ ९५४। गारणेपा हुआ कि जब अई के राजा ने देखा तब उन्‍्हों ने उतावजी किई और तड़के उठ और नगर के मन॒ुब्य राजा ओर उस के सारे लाग ठदहराये हुए समय में चैगान के आगे इसराएल से लड़ाई करने के लिये निकले परंतु उस ने न समम्का कि नगर के पीछे उस के बिराोघ में लाग घात में लगे हैं॥ २१५। तब यकह्ूछ्अ ओर सारे इसराएल ने ऐसा किया जेसा कि डन के आगे मारे गये और अरण्य की ओर नागे॥ ९६। ओर अई के समल्‍्त लाग उन का पीछा करने के लिये एकट्ट बलाये गये से उन्हें ने यहस्हअ का पीछा किया ओर नगर से खेंच गये ॥ ९५७। ओर अई में अथवा बेतएल में काई परुष न छटा ज्ञिस ने इसराएल का पीछा न किया ओर उनन्‍्हों ने नगर के खला छोड़ा ओर इसराएल का पीछा किया॥ ९८। तब परमेग्वर ने यकहूरछूअ से कहा कि अपने हाथ के भाले के अई की ओर बढ़ा क्यांकि में उसे तरे हाथ में कर दूंगा से यहूरूआ ने अपने हाथ के भाले के उस नगर की ग्यर बढ़ाया॥ ९८। और उस के हाथ फैलाते हो घातिये अपने स्थान से तत्काल उठे ओर नगर में पेठ गये ओर उसे ले लिया और चटक से नगर में आग लगाई ॥ २०। जेर जब अई के लागों ने अपने पीछे देखा तो क्या देखते हें कि नगर का घंआं ख लो उठ रहा हे ओर उन्हें इधर उधर भागने की सामर्थ न रद्दी ओर जः अरण्य को ओर भाग गये थे खेद्वेयां पर उलटे फिरे ॥ २५। ओर जब यहूरूअ और सारे इसराएल ने देखा कि घातियों ने नगर ले लिया ओर नगर से घंआं उठ रहा है तब वे उलट फिरे और अई के लागां के घत किया॥ २२। ओर वे नगर में से उन पर निकल आये ओर इसराएल के मध्य में पड़ गये कुछ इधर कुछ उघर और उन्हे ने उन्हें ऐसा मारा कि उन में से एक के न छोड़ा न भागने दिया॥ २३। ओर उन्‍्हों ने अई के राजा के जीता पकड़ लिया और उसे यक्ूर्अ पास जाय ॥ २४। ओर यां हुआ कि जब इसराएल खेत 8२६ यहसअ (८ पन्ने में उत अरण्य में जहां डन का पीछा किया आई के सारे निवासियों के मार चक्रे आर जब वेसवब खड़ की धार पर पड़ गये और खप गये तब सारे इसराएजली आई के। फिरे ओर उसे खड़ की घार से मरा॥ २५॥ झेर यों हुआ कि जा उस दिन मारे गये पुरुष ओर स्त्री वारह सहस्त घे अथात्‌ अई के सब लाग॥ २६। क्यांकि यहूछआ ने भाले के बढ़ाने से अपने हाथ का न खैंचा जब लां अई के सारे निवाधियां के सबेथा नाश न किया था॥ २७। परमेश्वर की बचन के समान जो उस ने यहरूअ के आज्ञा किए थी इसराएल ने उप्र नगर के केवल ढार और लूट के आप ही लिया॥ २८। और यहरूअ ने अई के जला के सदा के लिये ठेर कर दिया से वुद्र आज ले उजाड़ हे॥ २९। और उस ने अई के राजा का फांसी ट्के सांफ लें पेड़ पर लटका रक्‍्खा ओर ज्यांही सब्ये अस्त ऊुआ यहरछूग् ने आज्ञा किई कि उस कौ लाथ को पेड़ से उतार और नगर के फाटक के पैठ में फंक दवें और उस पर पत्थरोंका बड़ा ढेर करें से! आज ले है ॥ ३०। तब यहूरछूअ ने औवाल के पहाड़ पर परमेश्वर इसराएल के इंग्धर के लिये एक बेदी बनाई॥ ३९५। जैसा परमेश्वर के सेवक मसा ने इसराएल के संताने। से कहा था जैसा मूस[ कौ ब्यवस्था की प॒क्तक में लिखा हुआ हे कि ठेकों की एक बेदौ जिस में टांकी न लगाई गई हे। ओर र उन्हंं ने परमेम्थर के लिये उस पर हम की अंट और कुशल के बलि चढ़ाये॥ ३२। ओर उस ने वहां उन पत्थरों पर उस ब्यवस्था का खादा जा मसा ने इसराएल के संतानों के आगे लिखी थी॥ ३३। ओर समस्त इसराएली और उन के प्राचीन ओर अध्यक्ष और उन के न्यायी लावो याजकों के आगे जो परमेम्थ र की साछो की मंजषा का उठाया करते थे मंजषा के इधर उधर खड़े हुए और उसी रौति से परटेशी और जो उन में उत्पन्न हुए थे आघ जरिजोम के पहाड़ पर आर आधे अंबाल के पहाड़ पर जैसा कि परमेश्वर के सेवक मसा ने पहिले कह्दाथा कि वे इसराएल के संतानें के आशीष ववं॥ ३४। और उस ने ब्यवस्था की पुस्तक के समस्त लिखे हुए के समान आशौोष ओर स्वाप को ब्यवस्था के समस्त बचन के पढ़ा॥ ३५। मृस्ता की समस्त आज्ञा के समान एक € पन्बे] कौ पुस्तक . ४३७ बात भी न रही जिसे यहूरछूअ ने इसराएल की सारी मंडली ओर स्वियां ओर बालकें और उन परदे शियें के आगे जा उन में चलते थे न पढ़ो॥ 6€ नवां पत्च । ञ्ै 7र/यों हुआ कि जब सारे राजाओं ने जा यरदन के इसो पार पहाडां में ओर तराइयों में ओर मच्ासागर के समत्त तोरों में जे। लबनान के आगे हें हित्ती ओर अमरी ओर कनआ।नी ओर फिरज्जी ओर हत्यी ओर जबसी ने सना॥ २। तो वे एक मता होके यहरूअ और इपराएल के संतान से संग्राम करने के लिये एक्ट रए । ३। ओर जो कुछ यहरूअ ने यरौक्ल और अई से किया था जब जिबअन के बासियों ने सना॥ ४। तब उन्‍्हों ने कपट से ट्रत का भेष बनाके पराने पराने बारे और पराने आर टटे और जाड़ हुए मदिरा के कुप्पे अपने गदहें पर लाटे॥ ५। ओर परानों और जोड़ो हुई जती पांओ में और अपनो ट्ह पर पराने बस ओर उन के भाजन को रोटी रूखो और फफंटो लगी हुई॥ 6६। वे यहरूआ परप्त जिलजाल दी छावनी में गय और उसमे और इसराएल के लागां से कहा कि हम दूर दृश से आये हें से। अब तुम हम से बाचा बांघा॥ ७। तब इसराएल के लोगों ने हछियों से कहा कि कदाचित्‌ तुम हमें में बास करते हे। फेर हम तुम से क्यांकर मेल कर॥ ८। उन्‍्हां ने यक्लरूअ से कहा कि हम तरे सेवक हैं तब उस ने उन से पछा कि तम करन ओर कहां से आये हे।॥ <। खेर उन्हां ने उसे कहा कि तेरे सेवक परमेश्वर तेरेईसग्थर के नाम के लिये अति टूर दश से आय हें क्योंकि हम ने उस की कीति सनी है ओआर सब जो उस ने मिख में किये॥ १९०। ओर सब ज्ञा उस ने अम्‌रियों के दा राजाओं से जे। यरदन के उप पार अथात्‌ हसबुन के राजा सेह्नन जैरर बसन के राजा ऊुज से जे अश्तरून में था किये ॥ १९५। इस लिये हमारे प्राचीन और हमारे टेश के समस्त बासी हम से कहके बेएले कि तम यात्रा का भेजन अपने साथ लेओ और उन से भेंट करो ओर उन्हें कहे! कि हम तम्हारे सेवक हैं इस लिये तुम इम से मेल करे।॥ २१२। ४३८ यहसअ [€ पब्ने हम ने जिस दिन तेरे पास आने के अपने घर छोड़े हमारे भाजन के लिये रोटो टटकौ थो परंतु अब देख रूख गईं और फफं री लग गई ॥ ९३। पर जब हम ने इन्हें भरा था तब ये मदरिरिा के कुप्प नये थे ओर हमारे थे बस्तर और जते टूर की यात्रा के कारण से पराने हो गधे ॥ २४। तब उन्हों ने उन के भाजन के कारण उन्‍हें ग्रहण किया ओर परमेग्यर सेन बस्का॥ १५५। जैर यहरूअ ने उन से मिलाप किया ओर उन्‍हें जौत छाड़ने के लिये उन से बाचा बांधो ओर मंडलो के अध्यक्षां ने उन से किरिया खाईं॥ १५६। ओर उन से बाचा बांधने के तौन टन पीछ या हुआ कि उन्हें ने सना कि वे हमारे परोसी हैं और हस्म रहते हैं॥ ९७। ओर इसराएल के संतान यात्र॒ करके तौसरे टन उन के नगर में पहुंचे जिन के नाम जिबजन और कफोर: और विश्वरात ओर क्रयतअरीम थे ॥ ९८। तब इसराएल के संतानों ने उन्हें न मारा इस लिये कि मंडलौ के अध्यक्षां ने उन से परमेनस्वर इसराएज के ई श्र की किरिया खाई थी से। सारी मंडली अध्यक्षां से कुडकुड़ाइई ॥ २५६। प्रंत सारे अध्यक्ष ने समस्त मंडली से कहा कि हम ने उन से परमेग्वर इसराएल के ईस्वर की किरिया खाई हे से! इस लिये हम उन्हे छ नहों सक्ते ॥ २०। हम उन से यह करके उन्हें जीता छाड़ेंगे एसा न हे। कि उस किरिया के कारण जा हम ने उन से खाई हे हम पर काप पछ ॥ २९। ओर अध्यक्षों ने उन्हें कहा कि उन्हें जीता छाड़ा परंत वे सारी मंडलो के लिये लकड़हारे ओर पनिद्दारे हावें जेसा कि अध्यक्षों ने उन से प्रण किया था ॥ २२। तब यहूरछूअ ने उन्हें बुलाया ओर कहा कि तुम ने हम से यह करके क्यों छल किया कि हम तम से टूर हें जब कि तम इनमें रहते है। ॥ २३। से इस लिये तम स्नापित हुए ओर तस्‍्म से काई बंघ॒ुआई से क््टो न पावेगा जा मेरे ईमग्वर के घर के लिये लकड़हारा ओर पनि हारान हे।॥ २४१ ग्र उन्हों ने यहूछ्आ के उत्तर टिया ओर कहा कि तेरे सेवकों से निश्चय कहा गया था कि किस रोतिसे परमेचखर तेरे ईम्र ने अपने दास मसा का आज्ञा किई कि में सारा टेश तम्हं देऊंगा ओर उस दश के सारे बासियों के तम्हारे आगे नाश करूंगा ३० पब्बे] कौ पुस्तक । ४३८ इस लिये हम ने तम्हारे कारण अपने प्राणों के डरके लिय यह काम किया॥। २४। ओर अब टेख हम तेरे बश में हें जा कुछ तम्के हमारे लिय भला ग्रार ठोक जान पड़ से कर॥ २६। गओऔर उस ने डन से बैसा हो किया और इसराएल के संतान के हाथ से उन्हें बचाया कि उन्‍हें मारन डालें॥ २७। ओर यहरूअ ने उन्‍्ह उसी दि मंडली के लिये और परमेगम्थर की बेदो के लिथे उस स्थान में जिसे वह चनेगा लकड़ हारे और पनिहारे ठहराये। २९० ट्सवां पब्बे । जो जब यरूसलम के राजा अटूनीसिट्कु ने सुना कि यहूरूअ ने किपत रीति से अई के ले लिया और उसे सबंधा नाश किया जेया उस ने यरीक्ू ओर उस के राजा से किया था वैसा दो उस ने अई और उस के राजा से किया ओर ऊकिप रौति से जिबजन के बाणियों ने इसराएल से मिलाप किया ओर उन में रहे॥ २। तब वे निपट डर गये इस कारण कि जिवऊन एक बड़ा नगर था ओरर राज नगरों के समान था ओर इप का रण कि बुद्द अई से भी बड़ा था और वहां के लाग बली थे॥ ३। तब यरूसलम के राजा अट्टनो सिदकु ने हबरून के राजा कहूहाम ओर यरमत के राजा पिराम ओर लकौस के राजा यफीअ और इजलन के राजा टबौर के पास कहला भेजा ॥ ४। कि मुम्क पास चढ़ आयग्रे और मेरी सहायता करो जिपतें हम जिबजन को मार क्योंकि: उस ने यहरूओ ओर इसराएल के सतानें से मिलाप किया॥ ५४। इस लिये अमरियां के पांच राजा अथात यरूसलम का राजा हबरून का राजा यस्मत का राजा लकौस का राजा इजलन का राजा एकट्ठ हाके अपनी अपनी सेनाओं का लेके जिबकन के आगे डरे खड़े किये ओर उत्हें लड़ाई किई। ६ । तब जिवऊन के लागां ने यह छञ के पास जो जिलजाल में डरा किया था कहला भेजा कि अपने सेवकों से अपना हाथ मत खैंच हम पास शीघ्र आइय और हमें वचाइय ओर हमारी सहायता कोजिये क्योंकि अमरियों के सारे राजा जा पहाड़ में रहते हें हमारे विरोध में एकट्ठे हुए हें ॥ ४४७ यहसआ (६० पत्के ७। तब यहरूअ सारे याहाओं का और समस्त महाबीरों को साथ लेके जिलजाल से चढ़ गया॥ ८। ओर परमेम्यर ने यहूरूअ से कहा कि उन से मत डर क्यांकि में ने उन्हें तरे बश में कर टिया उन में से एक जन भी तरे साम्मे टहर न सकेगा॥ <। तब यहरूआओ जिलजाल से उठके रात भर चला गया ओर अचानक उन पर आ पहुंचा॥ २९०। और परमेश्वर ने इसराएल के आगे उन्हें धुस्त किया जिक्च्न में बड़ी मार से उन्हें मारा और बैतहारान का जाते हुए मा में उन्हें रगदा औशेर अजोकः और मकीटः लो उन्हें मारा। १९५। ओर एसा हुआ कि जब वे इसराएल के साम्ने से भाग निकले और बैतहेरान के उतार को ओर गये तब परमेश्वर ने अजीकः लो ख४ से उन पर बड़े बड़े पत्थर बरपाये ग्जार वे म॒ये वे जा ओले से मारे गये थे उन से अधिक थ जिन्हें इसराएल के संतानों ने तलवार से मारा॥ २१२। तक परमेश्वर ने अमरियों के इसराएल के संतान के बश में कर ट्या तव यहरूअ ने उसी दिन परमेमख्र के। इसराएल के संतान के आगे यों कहा कि हैं सं«ै जिबऊजन पर और हे चंद्रमा | ऐयलन की तराई में ठहर जा॥ १३। तब सथ्थ ठहर गया ओर चंद्रमा स्थिर हुआ जब लॉ उन लागों नें अपने शत्रन से पलटा लिया क्या यसर दी पस्तक में नहीं लिखा हे से संब्धे ख० के मध्य में ठहर रहा और टटिने भर अस्त होने में शोघ्र न किया॥ ९४। ओर उसमे आगे पीछ एसा टिन कभी न हुआ कि परमेग्वर ने एक परुष के शब्द के म/ना क्योंकि परमेच्यर ने इसराएल के लिय यड्ू किया॥ १५५। तब यहूसअ समस्त इसराएल के संग जिलजॉल की छावनी के। फिर गया॥ १५६। परुत पांचां राजा भागे ओर मकेर की कंदला में जां छिप ॥ ९५७। ओर यहूसअ को संदेश पहुंचा कि पांचों राजा मकदः की कंद्ला में छिपे हुय पाये गये ॥ ९८। तब यहूसअ ने कहा कि बड़े बढ़ पत्थल उप क॑ंट्ला के मंह पर ठलथकाओ ओऔर उस पर चैकी बैठाओ।॥ ९८। ओर तम मत ठचहरो परंत अपने शब्रन का पीछा करो और उने के पछरे हुआ का मार डाला उन के नैगरोंमें उन्हें पेटने मत द्ओ व्यांकि परमेशखर तुन्हारे ई ग्र ने उन्हे तम्ह।रे हाथ में कर दिया है॥ २०। और एया हुआ कि जब यहूसूअ ओर इसराएल ३१० पतन] 0 पसतक । ४४९ ०>->- ७2..ब". अब. -+मक <>3>« त चअकिज-न+ के संतान उन्हें नाश कर चके ओर बड़ी मार से उन्‍्हं घात किया यहां लो किवेनष्ट हुए उन में के उबरे हुए बाड़ के जगरों में पेट गये ॥ २९ । और सारे लोग मुकटः की छावनी में यह्पअ पास कुशल से फिर आये ओर छूस राएल के सतानें के बिराधघ में किपतो ने मंह न खोला ॥ २२। तब यहक्सअ ने कहा कि कंदला के मंह के! खाला ओर उन पांचों राज ओ। का कंटला से मस्त पास बाहर लाओ।॥ २३। ओर उन्‍्हों ने एसा ही किया और उन पांचेा राज।ओं के अर्थात्‌ वरूसलम के राजा के और हबरून के राजा का ज्जर यरमत के राज़ा के ओर लकीस के राजा के ओर इजलन के राजा के कंट्ला पे उत् पास निकाल लायथे॥ २४। और यों हुआ कि जब वे लन राजाओं का यह्वसञअ के आगे लाये तब यहसअ ने इूसराएल के सा रे मनव्यां को बलाया और अपने साथ के थाझ्ढा के प्रधानों से कहा कि आगे आओः[ इन राजाओं के गलों पर पांव रक्‍्खे तब वे पास आये ओर उन के गलों पर पांव रक्खे ॥ २५ | तब यहूसअ जे उन्‍हें कहा कि डरोामत ओर बिस्तित मत हे।ओ ओर प्रबल हे।के हियाव करो क्यां कि परमेश्वर तुम्हार समस्त शत्रन से जिन से लड़ाम एसा ही करेगा॥ २६। और उस के पीछे यह्नपञ्॒ ने उन्हे मारा और घात किया और उनन्‍्ह ५ाच पेड़ पर लटका दिया ओर वे सांस लो पेड़ां पर लटके रहे। २७। और सय्ये अस्तें हाने पर णां हुआ कि उन्‍्हां ने वक्लतअ की आज्ञा से उन्हे पेड़ों पर से उतारा और उसी कंट्ला में जिस में वे जा छिपे थे डाल दिया और कंट्लो के मृंह पर बढ़ बड़ पत्थल ढलकाय से आज के दिन लॉंक्े॥ २८। ओर उस्ती दिन यहसअ ने म॒ुकदः का ले लिया और उसे ओर उस के राजा का और उस में के सारे प्राणियों के तलवार की घार से नाश किया और किसी के न छोड़ा उस ने म॒कैदः के राजा से वही किया ज्ञा उस ने यरीहे के राजा से किया था॥ २९। तब यहकृूतपअ सारे इसराएल सहित मककेंटः से लिबनः के गया और लिबनः से लड़ा ॥ ३०। ओर परमेशञर ने डसे भौ उस के राजा समेत इपतराएल के हाथ में कंर दिया आर उस ने उप्ते आर उस में के समस्त प्राणयों के। तलवार की घार से नाश किया उस ने उस में एक भी न कछेाडा परुंत वहां के राजा से उस ने बच्ची किया ज्ञा क्लेहोा के राजा से किया 56 8, पे लत ४४२ यहूरूआ (२ ० पर्व्य था॥ ६३९॥। फिर लिबनः से यहक्ूसअ सारे इसराएल समेत लकौस के। गया ओर उस के आगे कछावनो किई और उद्मे लडा॥ ३२। आऔर परमेश्वर ने लकौस के इसराएल के हाथ में कर दिया डस ने टूसरे टिन उसे ले लिया और उसे ओर उस में के सारे प्राणियां का तलवार की घार से नाश किया जैसा कि उस ने लिबनः. से किया था ॥ 8३३। तब जजर का राजा हारम लकीस की सहायता का चढ़ आया पर यहूर्अ ने उसे ओर उस के लाझां को यहां ला मारा कि एक भी नबचा॥ ३४। श्यार यकूरूअ लकीस से सारे इसराएल समेत इजलन के! गया और उस के साम्न छावनी किई और उसमे लड़ा। ३५ | ओर उसीो टन उसे लेलिया और उसे तलवार की घार से मारा और उस में के. समस्त प्राणियां के। सबेथा नाश किया जैसा कि उस ने लकीस से किया था ॥ ३६। फिर इजलन से यहकूर्अ सारे इसराएणल समेत हबरुन के गया ओर डरस्से लडन॥ ३७। ओर उसे लिया और उसे ओर उस के राजा के और उस के समस्त नगरों के और उस में के समस्त प्राणियों के तलवार की घार से मार डाला जैसा उस ने इजलन से किया था उस में एक को. भी न छाड़ा परत उसे ओर उस में के सारे प्रणियां के! सबेथा नाश किया॥ ३८। यहरूअ सारे इसराएल सहित वहां से ट्बौर का फिरा और उससे लड़ा॥ ३८ । और उसे ओर उस के राजा और उस के सारे नगरों का ले लिया ओर उन्हें तलवार की घार से मार डाला ओर उस में के समस्त प्राणियों का सबंथा नाश किया उस ने एक का भी न छोड़ा जैसा उस ने हबरून से ओर लिबनः से भी किया था वैसा हो. ट्बौर से और उस के राजा से किया॥ ४०। से यहर्ूअ ने पहाड़ों के और ट्क्षिण की ओर तराई के और सेतों के द्शां का ओर उन के राजाओं के मारा उस ने एक का न छोड़ा परंतु समस्त खासियों: के सबंधा' नाश किया जेसी कि परमेगम्वर इसराएल के ईगार ने आज्ञा किई थी॥ ४९७ ग्यौर यकूरछूअ ने कादिसबरनीअ से लेके अज्जः लॉ. और जस्त के सारे देश के जिबञअन लां मार डाला॥ ४२। ओर यकूरूअ ने उन सब राजाओं के ओर उन के देश के एक हो समय में ले लिया इस कारण कि परमेश्वर इसराएल का इईंस्थर ९ पन्ने ] कौ पस्तक | ४४३६ इसराएल के लिये लड़ा उस के पीछ यहूर्ूअ सारे इसराएल सच्ित जिलजाल को छावनो का फिर आया ॥ २९९ ग्यारहवां पब्बे। ञ्ै 7र यों हुआ कि जब हस्र के राजा यबीन ने सुना तो उस ने मट्टन के राजा यबाब श्र शमरून के राजा और इकशाफ्‌ के राजा के॥ २। और उन राजाओं का जो पहाड़ में उत्तर दिशा के और किन्नारात कौ दक्षिण दिशा के चेगान के और तराई में ओर हर के सिवाने पश्चिम में ॥ ३। और पबे और पस्थिम में कनआनियों के और अमरियों और हित्तियां और फ्रिज्जियां और यबसियां का पबतों में और हजियां के जो हरम्‌न के नौचे मिसफः में थे कहा भजा॥ ४। तब वे अपनी सब सेना समेत बहुत लाग हां समुद्र के तौर की बाल के समान मंडली में घाड़ और बहुत से रथों के साथ बाहर निकले॥ ५। ओर जब ये समस्त राजा ठहराके एकट्र निकले तब उन्हों ने मेराम के पानियां पर एक छावनी किई जिसतें इसराएल से लड़ें। ६। तब परमेग्वर ने यहरूआ से कहा कि उन से मत डर इस कारण कि कल इसो समय उन सभा का इसराएल के आगे मारके डाल देऊंगा त्‌ उन के घोष़ों के पद्ढठां की नस काटना ओर उन के रथों का आग से जला टेना ॥ ७। से यकहूरूअ ओर सारे लड़ांके लोग मेरोम के पानियों पास अचानक उन पर आ गिरे॥ ८ं। ओर परमेगश्वर ने उन्हें इसराएल के हाथ में सांप दिया ओर उन्‍्हों ने उन्हें मारा और बड़ सेंदा और मिस रेफाट माइन ओर पबे में मिसकफः कौ तराई लो उन्हें रगंदा और यहां लें मारा कि एकभी नबचा॥ ८। ओर यहरूअ ने परमेश्वर को आज्ञा के समान उन के घाड़ों के पट्टां कौ नस काटोौं और उन के रथ जलाये॥ ९०। फिर यहरूअ उसी समय फिरा ओर हसर के ले लिया ओर उस के राजा का तलवार से मारा क्योंकि अगले समय में हसर समस्त राज्यां से श्रष्था ॥ ९९। और उन्‍्हों ने समस्त प्राणियों के जा वहां थे तलवार की घार से मारके सबैधा नाश किया वहां एक भी खास धारी 8४ ४ पहस्तञ (१९ पद्लच 3 जमरनमनपन- नमन» 3 +क 3 ->->3>3०3>>-. न बचा और उस ने हसर के आग से जला ट्या॥ ९२। ओर यहूरूअ ने उन राजाओं के सारे नगरों के ओर उन नगरों के सारे राजाओं के। लिया और उन्‍हें तलवार से मारके सबेथा नाश किया ओपी कि परमेश्वर के सेवक ममता ने आज्ञा किई थी॥ २१३। परंत हसर के छाड़ उन नगरां का जाअपने टोलां पर थ इसतराएल के संतान ने न जलाया॥ १५४ । ओर इन नगरों की सारी लट ओर ठार को इसराएल के सतान ने अपने लिये रक्खा परंतु हर एक जन के। तलवार कौ घार से मार डला यहां ला कि उन्‍्ह नाश कर दिया कि एक के। भी खास लेने कानकछेाड़ा। ९५। जेती किपरमेश्वर ने अपने दास मूस। के आज्ञा किई थी वैसी ही मसा ने यहूस्टअ वा आज्ञा किई ओर यहूरूअ ने वैसा ही किया उस ने उन बस्तन में जा परमेश्वर ने मसा का आज्ञा किईं थी एक का भी बिन करे अधडा न छाड़ा॥ १६ । से यहूरछूअ ने उस सारे देश और पता के और दक्षिण के समस्त टरश ओर जश्न की समस्त भूमि आर तराई और चैौगान ओर इसराएल के पहाड़ ओऔ।र उसकी तराई का लिया ॥ १७। चिकने पहाड़ से जा शऔर की ओर चढ़ता है बआलगाद ला जो लबनान की तराई में हरमन पह।ड़ के नीच हे ले लिया ग्लार उस ने उन के सारे राजागओं के लिया गर उन्हें मारा और नाश किया। ९८। और यहकूरूअ उन समस्त राजाग्रों से बहुत ट्नि लो लड़ा किया॥ ९९। हवियां के छोड़ जे जिब्अन के बासी थ काई नगर न था जिम ने इसराएज के सतान से मिलाप किया हे परत सब को उन्‍्हां ने लड़ाई में लया॥ २०। क्यांकि यह परमेश्वर की ओर से था कि उन के मन के कठार कर जिसते वे इसराएल के संतान से लड़ ओर जिपत बुह डन्हं सबेधा नाश करे और जिपत उन पर दया न हेवे परंत जिसतें वह उन्हें नाश करे जैसी कि परमेश्वर ने मसा का आज्ञा किई थौ॥ २९ | ओर उसो समय यकहूरूअ ने अना किया के पहाड़ों से नाश किया और हबरून से और ट्बीर से और अनाब से यहूटाह के सारे पहाड़ों से ओर इसराएनत के सारे पहाड़ों से यहूरअ ने उन्‍्ह उन के नगरों सहित सबेथा नाश किया॥ २२। से अनाकियों में से इसराएल के संतानों के देश में केपई न बचा परतु केवल अज्जः १२ पब्बे] कौ पर्तक । ४४५ वन तनबत+ीीतीनीना॑ीन२तथ?थीनीननी-ी-नननननननमनन-न-नम-म---नननन-नननननन-न++-. --- कक कर्षको के तर ंकभआां+ रखे ओर जञअत ओर अशहदूद में कुछ बच थ॥ २३। से यहूरूअ ने उप्त समस्त दश का लिया जेसा कि परमेश्वर ने मसा का कहा था शयर यहरूअ ने उसे इसराएल का उन के भागां के और उन की गोधियों के समान अधिकार में दिया और ट्श ने युट्ट से चेन पाया॥ १५२ बारहवां पब्बे। प टेश के राजा जिन्ह इसराएल के संतानों ने मार डाला और उ. का देश यरदन के उस पार उट्य की ओर अरनन की नदी से लेक हरमन पहाड़ लां और पबे दिशा के सार चेगान आधिकार में लिया येहें। २। सेहत अम्रियां का राजा जा हतवन में रहता था अरआयर से लेके जा अरनन कौ नो के तोर पर कहे ओर नदौ के मध्य से और आधे जिलिअद से यब॒क को नो लॉ जो अस्मन के संतान का सित्राना है॥३। ओर चेागान से प4ं ओर कनेरुस के सागर ला ओर चेगान के सागर लां अथात पब के खरो सागर लॉ उप्त मा से जो बैतज शीमत का जाता कै ओर दक्षिण से जा पिसगा के सेतों के तले कै प्रभता करता था। ४। और बसन के राजा ऊज के सिवाने जा टानव के उबरे हुए में थे जा इसतारात और अट्रिअइ में रहता था॥ ५ । और हरमन पहाड़ में और सलक में ओर लारे बघन में जशरियां और मअकियां का सिवाना आर आघा जिलिअद जा हसब॑न के राजा सैक्तन का घित्राना था राज्य किया ॥ ६ । उन का परमेग्वर के सेवक मसा ओर इसराएल के संतानों ने मारा और परमेग्वर के सेवक मसा ने रूबिनियों और जहियों और मनस्सखो की आधी गाछी के उसे अधिकार में । ट्या ॥ ॥ ७। ओर उस ट्श के राजा ये हें जनहें यहरछूअ और इसराएल के संतानों ने यरदन के इस पार पश्चिम दिशा में मारा बअलजद से लेके लबनान की तराई में चिकने पहाड़ ला जो शऔर का जाता है जिसे यह्सअ ने इसराएल को गे।षियां का उन के भागों के समान बांटा ॥ ८। छित्तो और अम री और कनआनी और फरिज्जौ ओ हवी और यबसी जो पहाड़ां में और तराइयों में और चैगाने में और सेतें में और अर ण्य में ग्रेर दक्षिण टेश में रहते थे। €। यरीहे। का राजा एक अई का ४४६ यह्ूर्अ [१३ पब्बे राजा जो बेतएल क लग हू एक ॥ १५० । यरूसलमन का राजा एक हबरून का राजा एक॥ ९९५। यरमृत का राजा एक लकौस का राजा एक ॥ १९२। इजलुन का राजा एक जजर का राजा एक॥ ९३। ट्बौर का राजा एक जट्र का राजा एक ॥ १५४। हुरमः का राजा एक अराद का राजा एक॥ ९५५४ । लिबनः का राजा एक अट्टलाम का राजा एक ॥ ९६। मुक़दः का राजा एक बेतऐल का राजा एक॥ ९७। तुफफाह का राजा एक हिफ्र का राजा एक॥ ९८। अफौक का राजा एक लशारून का राजा एक॥ ९८ मट्टन का राजा एक हारूर का राजा एक॥ २०। शमरूनमौरून का राजा एक रकशाफ का राजा एक॥ २९। तअूनाक का राजा एक मजिहा का राजा एक ॥ २२। कादिस का राजा एक यरकानियम करमिल का राजा एक ॥ २३। दार का राजा दार के सिवाने में एक जातिगणां का राजा जिलजाज में का एक ॥ २४। तिरजः का राजा एक ये सब एकतौस राजा थे ॥ १९५३ तरहवां पत्वे। अ्कष्कव यह्स्तअ छड्ट हेके परनिया हुआ ओर परमेग्यर ने उसे कहा कि जा. बढ़ा ओर परनिया हुआ और अब लो बहुत सी भमि अधिकार के लिय घरो ह ॥ २। यह टेश अब ला घरा ह फिलिस्तियां का समस्त विभाग ओर समस्त जरूरी॥ ३। लेकर से जे मिख के आगे हे आअकरून के सिवाने लॉ उत्तर दिशा को कनआन में गिना जाता हे जो फिलक्तियां के पांच अध्यक्ष हें गसाथी ओर अशहटूदी और अशकल्‌नी और गादी और अकरूनी ओर ओवयीम भी॥ ४। दछल्किण दिशा से कनआन के सारे देश ओर कंदलाजो सैदियों के लग हे अमूरियों के सिवाने अफीक लाो॥ ५४। ओर जब गिबलीथी का देश ओर सारा लुबनान उदय की ओर बअलजद से जा हरमून के पहाड़ के नौच हे हमात कौ पेठ लाों॥ &६। पहाड़ी देश के समस्त बासी लुबनान से लेके मिसरेफाटमाईम लो ओर सारे सेदी में उन्हें इसराएल के संतान के सामने से टूर करूंगा केवल तू चिट्टी डलके उसे इसराएलियों का अधिकार के लिये बांट दे जैसोमें ने तुझे आज्ञा किई है ॥ ७। से अब इस टेश का २३ पब्ब] कौ पस्तक । ४४७ नव गोष्टियों का ओर मुनस्यौ की आधी गोछी काअधछिकार के लिये बांट टे। ८। जिन के साथ रूबिनी और जहौी अपना अधिकार पांय हे जा ममता ने यरदन के पार उन्‍हें दिया पे दिशा का जैसा कि परमेश्वर के सेवक ममा ने उन्हें टिया ॥ 4। अरआयर से जा अने न क तौर पर ह्िे और उस नगर से जा पानो के बीचां बीच है ओर मेट्बा के चागान से लेके द्ैबन लां॥ ९०। और अमरियां के राजा सैहन के सारे नगर जा हशबन में राज्य करता था अस्मन के संतान के सिवाने लां॥ ९९। ओर जिलिअद और जशरो का सिगना ओर मअकाती और हरमन का सारा पबत ओर सारा बसन सलक लां॥ १५२। बसन में ऊज॒ का सारा राज्य जा इसतारात और अट्रिअई में राज्य करता था जो ट्ानव के उबरे हुए से बच रहा था से। मसा ने उन्हें मारा और उन्‍हें बाहर किया॥ ९१३। तथापि इसराएल के संतानें ने जशरी ओर मअकातियों को ट्वर न किया परंत जशरी ओर मअकाती आज लो इसराएलियों में बसते हें॥ २९४। केवल लावो को गाछ्ठछी का अधिकार न दिया इसराएल के ईस्यर परमेग्यर के होम के बलिटान डस के कहने के समान उन का अधिकार कहै॥ ९५ । और मूसा ने रूबिन के संतान कौ गाछी के। उन के घराने/ के समान अधिकार दिया। ९५६। ओर अरआयर से जे अन्न की नदी के तोर पर है उन का सिवाना था और वह नगर जा नदौं के मध्य में है और सारा चैौगान जो मेट्िबा के लमःक्षे। २७। हसबन ओर उस के सारे नगर जो चौगान में हैं ओर ट्ैबन ओर बामेतबआल गर. बैतबञअ बालमऊजन का घर॥ ९८। और यहासा ओर करदमे।त ओर. मेफअत॥ ९८। ओर करयतैम और सिबमा और जिहरत जे तराई के पहाड़ में हैं॥ २०। ओर बेतफ्गर जैर पियग: का उतार ओर बैतलयसीमात॥ २९५। ओर चैौगान के सारे नगर ओर अम रियो के. राजा सेह्न का सारा राज्य जो हणशबन में राज्य करता था जिसे मसा- ने मिट्यान के प्रधान अबो और रक़्म और सर ग्रार हर ओर रबअ. जा सेह्न के अध्यक्ष उस देश में बसतेथे मार डाला॥ २२। ओर. बऊर का बटा बलआम जा गणक था जिसे इसराएल के संतान ने उन के जुम्के हुए के साथ अपनी तलवार से मारा॥ २३। ओर रूबिन के 88४५८ यहूस्तअ [१४ पब्थे संतान का सिवाना यरटन और उस का सिवाना हुआ ये नगर ओर उन के गांव रूबिन के संतान के घरानोां के समान आधिकार में पड़ ॥ २४। ओर मसा ने जद की गाछी का उन के घरानों के समान भःग दिया॥ २४। और उन का पिवाना यअजीर ओर जिलिआइ के सारे नगर ओर अस्मन के संतान का आधा देश अरआयर लां जे रबः के आगे क्ते॥ २६। शर हसबन से रामातमसप: ओर बतनीम ला ओर महनेन से लेक ट्बौर के सिवराने लां॥ २७। ओर बेतलराम कौ तराई में और बैतनिमर: और सकत और साफन जे हशबन के राजा सेहन के राज्य में से बच रहा था और यरट्न और उस के सिवाने किनारत के समुद्र के तीर लें यरदन के उस पार पूषबे आर॥ २८। ये नगर और उन के गांव जद के संतान के अधिकार डन के घरानों के समान हुए॥ २८। और मसा ने मनस्की के संतान की आधी गाछ्ठो का भौ भाग दिया से मनस्खो के संतान को आधोौ गाछी का भाग उन के घरानों के समान यह था॥ ३०। गैर डन के सिवाने महानाईम से सारा बाशान औरबसन के राजा ऊज का सारा राज्य ओर यायर के सारे नगर वसन में हें साठ नगर॥ ३९। ओर आधा जिलिअद और अशतरूत ओर अट्री बचन के राजा ऊज के नगर मनस्मो के बेटे माखौर के सतान का अधात्‌ माखोर के आघ संताने उन के घरानों के समान ॥ ३२। इन्‍ह मुसा ने मोअब के चोगान में यरटन के उस पार यरीहो के लग पर्व की आर अधिकार के लिये या॥ ३३। परंत म॒सा ने लावी के संतान को अधिकार नदिया परमेग्वर इसराएल का ईस्थर उन का अधिकार था जेसा उस ने उन्‍हें कहा । ९४ चेट्हवां पत्म । झ््ै 5 शक ५? 260 3 7र इन्हें कनआन के दृश में इसराएल के संताने| ने अपने अधि- काए में लिया जिद इलिअज॒र याजक ओर नून के बेटे यहरूआ, और इसराएल के संतानों को गाष्टियां के पितरों के प्रधानों ने उन्हें अधिकार में बांट दिया॥ २। जेणा परमेश्वर ने साढ़े नव गोष्ठी के विषय में मूसा के द्वारा से कहा उन का अधिकार चिट्ठी सेहुआ॥ ३। १४ पन्ने] कौ पस्तक । ४४८ क्यांकि मसा ने यरटन के उस पार अढाई गाठी का अधिकार टिया था पर लावियां के। उन में कुक अधिकार न टिया॥ ४ । क्यांकि यूमफ्‌ के संगान टो गाछी थ मनस्सखों आर इफरायम से उन्‍्होां ने लागियां का हशमें कुछ भाग न दिया केवल कई एक नगर उन के रहने के लिय और उन के अप पाप कौ बस्तियां उन के ढठॉर और संबरत्ति के लिये ॥ ५। जेतो परमेश्वर ने मपा के आज्ञा किई इपराएल के संतननें ने चैसा ही किया और उन्हें ने ट्श का भांग किया ॥ ६। तब यहूटाह के संतान जिलजाल में यहूरूअ पाते आये और कनजीे यप्चे के बटे कालिब ने उसे कहा कि उस बात का जा ईश्वर ने अपने जन मसा को मेरे और तेरे बिघय में काटिसिबरनीआ में कहो त जानता कैे॥ ७। जिस समय ईशर के ट्वास मेसी ने कूट्सिवबरनीअ से मस्के भेजा कि देश का भेंट लओः उस संमय में चालीस बरम का था और में ने उसे अपने मन के समान संदेश पहंचाया॥ ८। तथापि मेरे भाइयों ने जा मेरे साथ चढ़ गय थे मंडली के मन के पथचिला टिया परत मे ने परमेमश्वर अपने ईम्धर का परिएणता से पौछा किया। €। और मघा ने उसौ दिन किरिया खाके कहा कि निः्यय वह टेश जिस पर तेरे चरण पड़ थ तेरा ओर तरे बरटां का सदा का अधिकार होगा इस कारण कि तू ने परमेश्वर मेर ईश्वर का परिपणं ता से पीक्व किया॥ १५०। और अब ट्ख परमेश्वर ने मुस्के अपने करने के समान अं.ज के दिन लॉ. जता रफ़्वा और उस समय से लेके जा परमेम्वर ने यह बात मसा से कहो जब कि इस राएल अरप्य में फिरे किये इप समय ऊेत॑ पैंतालोंस बरस बौत गये ओर आज के ट्न में पचासो बरस का ढहड्ड कूं॥। ५९। अब ला में एघ्ाा बनो हूं जंघा उस दिन था जब मसा ने मस्कर भेजा जंसा लड़ाई के लिय ओर बाहर भीतर ' आने जातें के लिये मेरा बन तक था वैसा हो अब भी हे ॥ ९२ । से: अब यह पहाड़ जिस के बिघय में परमेश्वर मे उत दिन कद्दा मुम्भ दौजिये क्योंकि तू ने उप रन सुना था कि अनाकी वह। हैं और नंभर बड़े और बाड़ित हें से। यदि एपा है| कि परमेश्वर मेरे साथ हें।वे तब में परमेश्वर के कहेक्रे समान उन्हें काल टेऊंगा॥ २९३। तब यहूछूअ ने उसे आशीष दिई और यपफन्नः के बेटे कालिब के। दवरून आधिकार में द्वया ॥ छ्प़ (5. 8. $.] ४४ ० येहसअ [९५ पब्चे २९४। से। हबरून कनजी यफुत्ने के बेटे कालिब का आज ला अधिकार हुआ इस लिये कि उस ने परभेस्वर इसराएल के ईग्थर का पौछा परि- पूर्णेता से किया ॥ १९५ । ओर अगिले समय में हबरून का नाम क्रबत- अरबञ और जा अबे अनाकियों में महाजन था और देश ने लड़ाई से चेन पाया॥ ९५ पंटरहवां पब्ब । ञीः यहृदाह के संतान की गाछी की चिट्ठी उन के घरानों के समान यह थी सौन के बन से दक्षिण दिशा दक्षिण के अत्यंत तोर अद्टम के सिवाने लॉ ट्छिण॥ २९। ओर उस का दक्षिणी सिवाना खारो सागर से अथात्‌ उस कोल से जे दक्षिण कीओर जाता क्ञे॥ ३॥ ओर वुह ट्छिण की अलंग अकबिम को ऊंचाई से निकलके सोन ला गया ओर दक्षिण की ओर से चढ़के हसरून ले गया ओर काट्सिबरनोअ के चढ़ा ओर क्रक॒ुअ के फिरा॥ ४। ओर वहूंसे अज़मन के पहुंचा और निकलकेम्सि की नदी लो गया ओर उस के तौर के निकास समुद्र के गय यही तुम्हारा दक्षिण सिवाना हेगा॥ ५। ओर उस का पूर्म सिवाना खारी समद्र से यरदन के अंत्य ला ओर उस का उत्तर का सिवाना समद्र के काल से जे यरदन का अत्यंत क्ै॥ ६। गौर यह सिवाना बेतहजलः केगः चढ़ गया ओर बैतुलअरबः के उत्तर की अलंग चला गया ओर रूबिन के बेटे बुहन के पत्थर लां शितव्राना चढ़ गया॥ ७। फिर अबूर कौ तराई से दबोर की ग्रेर चढ़ गया और यों उत्तर के जिलजाल की जर गया जा अट्ूटमोम की चढ़ाई के साम्न हे जा नदौं के दक्षिण अलंग हे ओर बुद्द सिवाना एऐनशम्स के पानियां कौ ओर गया ओर उस्च के निकासः - एनराजिल में थे॥ ८। ओर यबूसी जा यरूसलम हें उस की उत्तर. अलंग हिनम के बेटे की तराई के पास सिवाना चढ़ गया ओर उस पहाड़ की चाटी ला जा पश्चिम दिशा हिनूम कौ तराई केआगे हे जा उत्तर दिशा में टानव को तराई के अंत में हे॥ ६ । और सिवाना पहाड़ कौ चे।टो से नफ्तूद के सेतता के पास और इफ्रून पहाड़ के नगरों-के पास ९५ पब्चे] कौ पुस्तक । ४११ ज्ञो निकला और वहां से सिवाना बअलः के जो करयतअरोम है खिंच गया॥ ९०। और बञनलः की पश्चिम दिशा से घुम के सिबाना शऔर पहाड़ के गैर वहों से जियारीम पहाड़ की अलंग गया जा कसलून है उत्तर अलंग की ग्रार बैतसम्ध के। उतर गया और तिमनः के निकल गया॥ २९९५। ओर सिवाना अकुरून की उत्तर दिशा के पास सेज़ा निकला और सिवाना शिकरून के खिंच गया और बअल: पहाड़ के गया और यब्ननिएऐल के निकला और सिवाने के निकास समद्र को थे। ५२। जऔैर उस को पश्यिम सिवाना महासागर गैर उस के तौर ले। था यह्ल धह के संतान के घराने को सित्राना उन के घराने| के समान यह के ॥ २९३। और उस ने यफते के बेट कालिब्र का यहूदाह के खतानों में जेसी किपरमेशखश्वर ने यहसरूआ का आंज्ञा किई थी क्रयतञअरबय अनाक का पिता जे हबरून है भाग द्या॥ १५४। और कालिब ने अनाक के तौन बेटे सोसीया और आमान और तलमी के! जे। अनाक के संतान हैं वहां से टूर किया॥ १५५। ओर वह वह से ट्वौर के बासियों पर चढ़ा और ट्बीर का नाम आंगे क्रबतसिफर थाव॥ ९१६। से कालिंब ने कहा कि जो काई क्रबतरसिफर के मारे और उसे लेवे में उसे अपनी बेटी अकस:ः का ब्याह टेऊंगा॥ १५७। तब कालिब के छोटे भाई कनज के बटे ग़तनिएल ने उसे लिया तब उस ने अपनी बेटी अकस: के उत्से ब्याह दिई॥ श८। और ऐसा हुआ कि जब वह उस पास गई तो उसे उभारा कि बह उस के पिता से एक खेत मांगे से! वह अपने गंटहे पर से उतरी तब कालिब्र ने उसे कहा कि त क्या चाहती है ॥ १५६ । और उस ने उत्तर ट्या कि मुम्ते आशोष टीजिये क्यांकि आप ने मुस्ते ट्लिण की भमि टिई से मुझ पानी के सेते भी दौजिये तब उस ने उसे ऊपर के सेते और नीचे के सेते दियि॥ २०। यहृदाइद के संतान की गाछी का अधिकार उन के घरानों के समान यह है ॥ २५। और अट्टम के सिवाने की ओर दक्षिण दिशा यहूटाह के संतान की गाछी के नगर के अंत्य ये हैं कब्जिएल ओर अट्र और यजर॥ २२। ओर केनः ओर टमना जऔैर अटअदः॥ २३। और कादिस और हसर और इतनान ॥ २४। जुफ ओर ऊल्म और बगुुलात॥ २५। ओर हसूर हदता और करयत ४५ रे यहरूअ ९.४ पत्ब] हसरून जो हसर के ॥ २६। अमाम ओर समअ ओर मेलट्ः॥ _ २७। और हसरजह:ः ओर हशमन ओर ब्ैतफ्लत॥ २८ । और हसर शआल छोर बिअरसबः ओर बिजयलियाह ॥ २६९ । बगल: ओर एथीम ग्रार अज्म॥ ३०। ओर इलतवल॒ट ओर कस्तौल और हुरम:॥ ३९। ओर सिकुलज ओर मदमजन्नः ओर सनसन्न:॥ ३२। ओर लिबावत ओर शिलहीम श्र ऐेन ओर रूम्मान थे सब उंतोस नगर ओर उन कं गांव। ३३। वे तराई में इसताल और सरअः ओर असन! ॥ ३४। और जनह और एनजन्नीम तफफाह और ओअनाम॥ ३५। यरमत और अटूलाम सेकः और अजोकः ॥ ३६ । ओर सगरीस ओर अदीमैन और जदौरः और अपी रतैन चेट्ह नगर उन के गांव समेत ॥ ३७। जिनान और हटतीः और मिजदुलजह॥ ३८। ओर दिलआन ओर मिसपः. और यकतिएल॥ ३८। लकौीत गार बसकत आर इजलन॥ ४०॥ और कबन और लहमास गर कितलोौस॥ ४९५। ओर जदीरात _जैतटजन और नअमः और म॒केदः सेलह नगर उन के गाँवों समेत ॥ ४२९। लिबनः और अतर और अुशन॥ ४३। ओर इफ्ताह ओर आअशनः और नसीब ॥ ४४ । ओर कुईलः ओर अकजोब ओर सरीश: नव नगर उन के गांवां समेत ॥ ४५ । अकुरून उस के नगर ओर ग्रांवां समेत॥ ४६। अकरून से समद्र लां सब जा अशटुट के आस पास थे उन के गांव समेत॥ ४७। अशद॒द अपने नगरें और गांवें सहित अज्ज अपने नगरों और गांवां समेत मिस की नदी लो और महासागर ओर उस का सिवाना॥ ४ ८। और पहाड़ में समौर और वतोौर ओर शेकः॥ ४८। जऔर दन्न: और करयतसन्न:ः जा दबोर है॥ ५०। और अनाब और इस्तिमाअ और आनोम॥ ५९। ओर जम्न और हेलन और जैलः ग्यारह नगर उन के गांवां समेत | ५२ । अराब और टूमः ओर इशअन ॥ ३। और यनम और बैतुलतफाद और अफ्ौक: ॥ ६४। और हुमतः और करवतअर+अ जा हबरून हे ओर सेगूर नव नगर उन के गांवां समेत॥ ५५ । ओर मऊन करमिल और जैफ ओर जज्ना । ५६ । ओर बज (अएल ग्रैर यकुटौअुम और जुनह॥ ४७ । काइन जिबअ: ओर लिमनः दस नगर उन के गांवां समेत ॥ ६५ ८। हलक्लल बतरूर और जहूर ॥ २६ पब्बे] वी पस्तक । ४५७ ४८ । ओर मगूरात और बेतअनात ओर इलतकन छः नगर उन के गांवें। समेत॥ ६०। कुरबत्बचुुल जा क्रयतअरम ओर र७: है दा नगर उन के ग्रांगें सच्चित। ६१५। अरुण्य मे 4तलअरबञ्च मरौन और सकाकः॥ ६२। ओर न्बिशन ओर ले।न का न्ग< ओर ऐन्‍जदी छः नगर उन के गांवों समेत ॥ ६३। परंत यब॒से ज। थ यरूसलरूम में रहते थे से उन्हें यह दाह के संतान हर न कर सक परत यबसों यहूदाइ क संतान के साथ आज के द्न ला यरूसलम में रत हें ॥ ९६ सेतलहवां पब्ब । छो एर यस॒फ्‌ के संतान की चट्टी यरदन से यरीकह्ल के पास निकलके यरीौहक्त के प/नी के ५६ जाके ऊ।र उस बन ला जो यरीह् से बेतएल पहाड़ के ओर पार का जाता है ॥ २। ओर ब्ैैतएल से [नकल के लाज का जाके अरकी के सवानों का अतरात के पास चला ॥ ३। और पच्चिम दिशासे बफूलजतो के तोर के जाता ह्ले नाच कौ ओर ज्लैतहीरान के तीर के ओर जजर ले पहुंचता क्ञे ओर उस क निकास सम्द्र में हैं॥ ४। से यूतुफ के संतान मुन्स्झो ओर इफ्राबम ने अपना अधिकार लिया ॥ ५। ओर इफरायम के संतान का सिवाना उन के घरानों के समान यह था अथात्‌ उन के अधिकार का सिव.ना प्र को ओर अतरात अटार से ऊपर के बैतहैरान के गधा॥ ६। और सिवाना निकलके सम्ट्र की णेर उत्तर दिशा में मिक्मतात का ब्किना ओर खित्राना पब की ओर नानतशौलाह का गया ओर उस के प५ का हे।क बनहा का गया॥ ७। ओर ग्रनहा से अतरात का ओर नारात के ओर यरोह्ट का आया आर यरदन पास जा निकला॥ ए८। पाच्यम का सिवाना तुफूफाह से कनकी नदी के ओर उस के निकाप्त समद्र का हें डूफ्रायम के सतान की ग्राष्टो का अधिकार उन के घराने। क॑ समान यह क्षे । €। ओर इफ्रायम के संतान के लिये अलग अलग नगर मुनस्झी के संतान के आंघ्रकार में थे सारे नगर डन के गांवें सदच्चित॥ ९०। ओर उन्हों ने उन कनआर्नियों के जा जज्र में रद्दते थे ट्र न ४५४ यहूरूअ ९७ पब्ब] किया परंत कनआनो इ्रफ्रायमियों में आज के दिन जॉ बस्त हैं ओर सेवा करत हें। १९७ सतरहवां पब्ने। छा की गाछी ने भो अधिकार पाया उ्योंकि वह यसफ का पहिलांठा था से जिलिअद के पिता मन््झो के पंहिलोंठ मकौर ने जा लटका था जिलिअटद ओर बशन अधिकार पाया॥ २। और मनस्खो के संतान के उबर हुग्रे) का उन के घराना के समान अधिकार मिला अविञ्जज र के संतान के लिये और खलक के संतान के लिय और यसरणएल के संतान के लिये और सिकम के संतान के लिय और हिकआ के संतान के लिये और सिसोटाअ के संतान के लिय्र यबसफ़ के बट मनस्याँ के चराने के समान परुष बालक ये थ। ह। परंत मनस्झौ का बटा मकौर का बटा जिलिआ॒द का बेटा हिफ्र को बेटा सिलाफोहाद के बेट न थे परंतु बेटियां थों जिन के नाम के हैं महलः अर हंजलः ओर नञअः ओर मिलक: ओर तिरजः॥ - 8 से वें इलिअजर याजक ओर नून के बेटे यहूसअ के ओर प्रधाने। केआग्रे आके बालों कि ईस्र ने मता का आज्ञा किई कि व॒ह हमारे भाइया के मध्य में हमें अधिक्रार हवे से। ईम्घर की आज्ञा के समान उस ने उन के पिता के भाइवा में उन्हे अधिकार दिया॥ ५१॥ से जिलिअदः ओर बशन के देश का छाड़क जा यरदन के उस पार है मनस्झी का दस भाग पंड॥ ६। इस लिये कि मनस्मों की बटियां ने अपने भादयां के साथ आखिकार पाया था ओर मनस्यो के उबरे हुए बटां ने जिलिआअुद का टश पाया॥ ७। और यघर से लेके मिकमत्रात ला जा सिकम के साम्कत हो मनस्सखी का घिवाना था और सिंवाना ६हिने से निकलक ण्ेनतफ्फाह के बासों ला गया॥ छझ। तफफाह का ट्श मनसर्खी का था परत तफ्फाह जा मनर्झो के सिवाने में था इफरायम के संतान का भाग था॥ <। से! उस का तौर नल की नाली को ट्द्िण ओर था ओर इफरायम के ये नगर मनसर्यी के नगरों में मिले हैं और मनस्खी का तीर उत्तर की नदौ से था और उस के निकास समट्र में थे। ९०। से। दक्षिण दिशा इंद्ू पब्य] की पस्तक । ४५५ इफरायम की हुई ओर उत्तर 5शा मनस्सी की ओर उस का सिवाना सेमट्र था से वे दानां उत्तर दिशा यस्तर ओर परे दिशा इशक्ार से ज्ञामिलों ॥ २५। और मनस्यी इशकार में और यसर में बैतशन आर उस के नगर और इंबलिआम और उस के नगर ओर द्वार के निवासी और उस के नगर और एऐनदार के निवासी ओर उस के नमर ओर तअनाक के बासी और उस के नगर और मजिद्दा के निवासी ओर उर्से के +्गर अथात्‌ तीन दश रखते थे॥ ९२। तथापि मनस्मोक तान उन नगगे का न ले सके परंत कनआनी उस दश में बसा चाहत थे॥ ९ ३ + नथापि यथां हुआ कि जब इमराएल क संतान अबल हुए तो कनआन्यां से कर लिया परंत उनन्‍्ह स+था टूर न किया॥ ९०५३ सेए यसफ क॒ संतान ने यह सच से कहा कि त मे किस लिय चिद्ठो में से हमें एक हो अधिकार ओआर कवल एक ही भाग दिया यह जान के कि हम हुत हें जेसा कि ईग्पर ने हमें अब ले आशोष टिई क्है॥ ५५ । तब यह्सअ ने उन्हें उत्तर दिया कि यदि तुम बहुत से हे ताबन पर चढ़ जाओे और यदि इफ्रायम टुन्हारे लिय सकत है ते। अपने लिय फ्‌रिच्जों के ओर ट्ानव के देश काटा॥ १६६॥। तब य्रप्तफ ने कहा कि यह पहाड हमारे लिये थाड़ा क्षे और समस्त कनआनी जा बेतशान के और उस के नगर के ओर यज़॒रअएल की नो चाई क और जा नोचाईः के दृश में रहते हों लाहे की गाईडियां रखते हैं॥ ५७। तब वकूछआ ने यमफ के संतान इफरायम ओर मनच्ष्सो से कछा क तन ता बड़ो जातिमण हे ओर बड़ी सामण्यी रखते हे। तरे लिये केवल एक. हो भाग न हागा॥ ९८। परंतु पहाड़ तेरा हेशा क्यांकि वुह अरुण्य ह त्‌ उसे काट डालिया ओर उस के निकास तेरे हांग क्य/क तू कनअआरनिया केए खर्ेडुगा यद्यपि वे लेहे के रथ रखक बलो हें । ९८ अटारहवां पब्ब | त ब सारे इसराएल के संतान की मंडली लैला में एकट्टी हुई ओर वहां मंडडो के “ब॒ के खड़ा किया ओर देश उन के बश में आया ॥ २) ओर इसर(छल के सतानों में सात भाष्ठी: र॒ह गई थो जिन्‍्हों ने ४५६ यहस्ट्ओं ९८ पब्व ] अब लो अधिकार न पाया था॥ ३। से यहूपञ ने इमराएल के संतानें से कहा कि कब लो उप्त टश का बस करने में जे। परमैंश्वर तन्‍्हारे पितरों के ईश्वर ने तम्ह दिया हे आलस्य करेगे॥ ४। से अपने में से हर एक ग'छो में से तोन तौन जन दओ ओर में उन्हें भेजंगा किये उठेके उस टेश के आरयार फिर और उसे अपने अधिकार के समान लिख और फिर मम्क पास आवबें ॥ ५। और वे उस के सात भाग करें यहराह अपने तौर पर दक्षिण की ग्रार रहे और यम के घ०ने उत्तर दिशा में अ ने त।रा पर ठहरं॥ ६। से उत्त दृश क सात भाग लिख के मम्क्र पास यहां लागओ्रे जिपत मैं परमेश्वर के आग जो हमारा ईंग्वर है तम्हारे लिये चिट्टो डलं॥ ७। परत तम्हां में न्वावी का भाग ते बबाकि परमेश्वर कौ यःजकता उन का अधिकार है और जट और बिन ओर मनस्झखो को आधी गाठो ने ता यरद्न के पार प4द्धशा में अपने अधिकार पाये हैं जा परमेश्वर के सेवक मसा ने उन्हें दिया था॥ ८ । तब लाग उठ कि चल से जा हृश के लिखने का गये थ॑ यह्तसअ ने उन्हे आज्ञा करके कहा कि उप्त देश में जओझे और आरंपार फरोा जोर लिखके मस्क पास फिर आहेत। जिसतें में सला में परमेश्वर क आगे तम्हारे लिये चिट्टों डालं॥ €। से लाग गय और उस देश में आर्थार फिर ओर उसे नगर नगर सात भाग करक एक पस्तक में बेणेन किया जोर यक्ूसंअ पास सेला में तंब स्थान का फिर आय ॥ १५०। तब यहूरूअ ने सेला में उन के जिये चिट्टो डली ओर दृश इसपैराएंल के संतान का उन के भाग के समान वहां बांट दिया॥ २९५५। आर बिन्यमौन क संतान की गाटी की विट्टी उन के घर।ने। के समाने निकलो और उन के भाग का सिवाना यहदाह के संतान और यसफ के संतान के मध्य में निकला॥ १५२। और उन का सित्राना उत्तर दिशा यरदन नदी से था और उस का सित्राना यरौह्ू क पाछ सें उत्तर दिश्श का चढ़ा और पते में से पच्चिम चढ़ गया और उसे के निकास बैतअबन क बन मेंथे॥ ९३। और सिवांना वहां से लेज कौ ओर गया ले ज को अलंग जा बैतएल है दच्चिण दिशा का और सिवाना अुतरातअहा' का उतरा उस पहाड़ के पास जा नोचे के बेतहारान दी दक्षिण की ओर ९८ पब्ब] कौ पस्तक । ४४५ ७ है॥ २९४। ग्जर खचा जाके सिवाना वहां से हेके उस पहाड़ पास जा बैतहैरान के ट्क्षिण के है टछिणं की ओर समद्र के काने के। और उस के निकास करयतबअल के थे जा करयतअरीम हे यहदाह के संतान का एक नगर जो पश्चिम की ओआर॥ ९५। और दक्षिण की अलंग करयतबञल के अंत से और सिवाना पश्यिम के गया और निकल के नफतह के पानियों के कंए के गया॥ १५६। ओर सिवाना उस पंराड़ पास जा हिनम के बेट की तराई के आगे है उतरा जा दानव की तराई के उत्तर का है और ट्क्षिण हिनम की तराई का दछिण के यबसीो की अलंग में ऐेनराजिल के। उतर गया॥ २१५७। ओर उत्तर से खेंचा जाके ऐनशम्स के। निकल गया और वहां से गलीलत की ओर जा अटूमोम की घांटी के साम्ने है और वहां से रूबिन के बेटे बहन के पत्थर ला उतरा।॥ ५८। झऔर उत्तर दिशा से चागान के सान्ने हे।के उस की अलंग को ओर निकल गया और अरबः के उतरा॥ २९८४। फिर उत्तर दिशा से निकल के बैतहजलः की एक ओर के! गया और सिवाने के निकास उत्तर के खारी समद्र के काल पर और बरट्न के दछ्थिण अंत का थे यही ट्क्विण तोर था॥ २०। और उस का पत्च॑ सिवाना यरट्न था बिनयमीन के संतान के सिवाने का अधिकार उस के सब तौरों के समान उन के घरानें के समान चारों आर यह था॥ २९५। अब वे बस्तियां जा बिनयमीन के संतान की गाछ्ठी को थौं उन के घरानें के समान यरोहू और बैतहजल: ओर केसिस की तराई थीं ॥ २२। और बैतुलअरबः और सरैन और बेतएल॥ २३। और णेयौम और फारह ओर ऊफरः॥ २४। ग्ार कफ़अन्मनी ओर ऊफनी और जिवअ बारह नगर उन के गांव सहित॥ २५। जिबजन और रामः और बिश्यीरात ॥ २६। ओर मिसपः और कफीरः और मेजः॥ २७। और रकम और इरफाएल ओर तरलः॥ २८। और जिलञअ अलिफ ओर यबसः जो यरूसलम है ओर गबियातकरियास चादह नगर उन के गांव सहित बिनयमौन के संतान का अधिकार उन के घरानों के समान यह हे । 58 (3 8: :86:] ञ्क 8५७ यह्रूअ [९८ पब्बे ९८ उल्नीसवां पते । ८५ हो टूसरी चिट्ठी समऊझून के संतान को माष्ठी की उन के घरानों के समान निकली और उन का अधिकार यहूदाह के संतान के अधिकार के भीतर था॥ २। और उन के अधिकार में बिअर तबः और सब और मे।लदः था और हसरस््आल और बलह और अज्म॒ ॥ ४। ग्यार इल्तवलट और बतल और ऊहुरमः॥ ५। और सिकलज और बैतमरकबात ओर इहसारससः॥ ६। और बैतलिबाबेत गर सरूहन तेरह नगर उन के गांव समेत ॥ ७। ओऔन रूम्मान ओर अतर और असन चार नगर उन के मांव समेत॥ ८। ओर सारे गांव जा डन नगरों के आस पास थे बअलतबिआञर दक्षिण का रामात समऊन के संतान की गाछी का अधिकार उन के घरानों के समान यह हे॥ €। यहूदाह के संतान के भाग में से समऊून के संतान का भाग थाइस लिये कि यहूटाह के संतान के भाग का देश उन के लिये अधिक था इस कारण समऊन के संतान ने उन के अधिकार के भेतर अपना भाग पाया ॥ ९०। और तौसरी चिट्ठी जबलन की उन के घरानों के समान निकली से। उन के अधिकार का सिवाना सारोद लॉ हुआ॥ २९१५९। और उन का सिवाना समुद्र कौ और मरअलः कौ ओर गया और ट्वासत लो पहुंचा और यकनिआम के आगे की नदौ लें गया॥ ९२। और पन और सलोट से फिरके सये के उदय की ओर किसलाततबर के सिवाने की ओर निकल जाता है श्लार वहां से टाबरत ओर यफीअ पर चढ़ा। ९३। और वहां से जाते जाते पूबे की आर जअतहिफर और ऐतकाजीन लें गया ओर वहां से मुनमथुआरनीआः पास जा निकला॥ १४। ग्यार उस का सिवाना उत्तर अलंग हनातान केः घूम जाता है और उस के निकास इफ्ताहिएल की तराई हों॥ ९५। ओर कक्तत और नहलाल ओर समरून ओर इट्थलः और बैतलहम बारह नगर उन के गांव सहित ॥ ९६। ये सब नगर ओर उन के गांव जबुलन के संतान के घरानें के अधिकार थे | २८ पब्बे] कौ पुस्तक । 8१६८ ९५७। ओर इशकार के संतान के घरानों के समान इशकार के लिये चौथी चिट्ठी निकली ॥ ९५८। और उन का सिवाना यजरअणएल और कसर्ूलात ओर शनेम की आर था॥ ९८। और हफरेन ओर शेयन और अनाहरत॥ २०। ओर रब्बियत और किसयन और इबसान ॥ २९५। और रमत ओर एनजन्नीम ओर णेनहह:ः गैर बैतफसोस॥ २२। उन का सिवाना तवर ओर शखमीम ओर बेतशम्स से जा मिला और उस के सिवाने के निकास यर॒दन के हुए सेलह नगर उन के गांव समेत ॥ २९३। थे नगर ओर उन के गांव इशकार के संत/न का अधिकार उन के घरानों के समान हे ॥ २४। ओर पांचवों चिट्ठी यसर के संतान कौ गोष्ठी के लिये उन के घरानें के समान निकली ॥ २५। ओर उन का सिवाना हलकात और हली और बतन ओर इकशाफ हुआ॥ २६। ओर अलमलिक और अमिआद जैर मिसाल औपर उन का सिवानाः पश्चिम दिशा करमिल और सेहर लिबनात लो पहुंचता क्षे। २७। ओर उदय को ओर बैतटरजन का फिरा और जवलन ओर इफताहिएल कौ तराई के ज्ैतलउमक की उत्तर ओर जा मिला ओर नगिएल झऔर कबल के बाई ओर निकलता क्षे। २८। और अबरून ओर रह्ूब और हब्मन और काना बड़े सिट्टन लेई ॥ २८ । और उस का तौर रामा के और दृढ़ नगर रूर के फिर जाता है और वहां से मुड़ के क्लसः लों गया ओर उस्‌,के निकास समुद्र के तौर से अकजोब के॥ ३०। ओर अस्मः और अफीक और रह्ब बाईस नगर उन के गांव सहित ॥ ३९५। यसर के संतान को गाछो का अधिकार उन के घरानों के समान ये नगर उन के गांवों सहित॥ ३२। छठवों चिट्ठी नफूताली के संतान के अर्थात्‌ नफ्ताली के संतान के घरानेों के समान निकली॥ ३३। और उन के सिवाने हिलफ से अलन से जअनन्नौम का और अटामी नकब और यिन्निएल लकम ला ओर उस के निकास यरदन से थे॥ ३४। जऔर सिवाना पस्यिम दिशा के। फिर के उजुनातलतबर के जाता हे और वहां से जाके हकक के दक्षिण दिशा जबलन के पहुंचता है और पश्चिम दिशा में यसर का पहुंचता हे ओर पूषे की ओर यरदन पर यहूदाह से जा मिलता है॥ 8६० यहरूअ (१८ पत्ई ९५। ओर सिद्दीम और सर ओर हमात ओर रकत जऔर किन्नारात ये बाड़ित नगर कैं॥ ३६। और अटामः और रामा गजर हरूर॥ ३७। ओर काटिस ओर अट्रिआई ओर एनहरूर॥ ३८। ओर इरयन और मजदिएल हरीम ओर बेतुनात और ब्रैतशम्श डद्बीस नगर उन के गावां सहित ॥ ३६८। ये नगर ओर उन के गांव नफताली के संतान की गा।४्ी का अधिकार उन के घरानों के समानथा॥ ४०। ओर सातवीं चिट्ठी दान के संतान की गे।छी के घरानें के समान निकली ॥ ४९। और उन के अधिकार के भिवाने सरअः ओर इशताल ओर ईरिशम्स थे। ४२। ओर सअलबीन और ऐयलन और इतलाह॥ ४३ । ओर ऐलन ओर तमनात गज्यार अकरून॥ ४४। ओर इलतकी और जिबतन और बअलात॥ ४५। और यिकहूट और बनौब्ररक और जअतरूस्मान। ४६। ओर मेयरकन जआर रक्कन उस सिवाने समेत जा याफा के सन्मख हू ॥ ४७। ओर ट्ान के संतान का सिवाना निकला वुह उन के लिये थाड़ा था इस जिये दान के संतान लसिम से लड़ने के चढ़ गये और उसे ले लिया और उसे तलवार की घार से मार डाला और उसे बश में कर लिया आर उस में बसे और लसम का नाम दान रक्‍खा जा उन के पिता का नामथा॥ ४८। य सब नगर उन के गांवों समेत दान के सतान की गे।ठी का भाग था ॥ ४८ । जब उन्हें ने अधिकार के लिये अपने सिवानों के समान देश का बांटना समाप्त किया तब इसराएल के संतान ने नून के बेटे यहूरूआ का,अपने मध्य में अधिकार ट्या॥ ५०। उस ने तिमनत सिरह का नगर जो इफ्रायम के पहाड़ में है मांगा से उन्हों ने परमेग्वर के ब्रचन के समान उसे दिया और उस ने उस नगर के बनाया ओर उस में जा बसा ॥ ५४९। ये वे अधिकार हें जिन्हें इलिअुजर याजक ने और नून के बेटे यहूसुआ ने ओर इसराणल के संतान कौ गेषयेर के पितरों के प्रधानों ने चिट्ठी डाल के सेला में परमेग्थर के आगे मंडली के तंबू के द्वार पर अधिकार के लिये बांट दिया से! उन्‍्हों ने देश का बांटना समाप्त किया ॥ २० पद्ब] कौ पक्तक 8६९ २० बीसवां पब्बे । ज परमेग्धर यहूरूआ से कहके बाला॥ २। कि इसराणल के संतान केः यह कहके बाल कि अपने लिये शरण के नगर ठचहराओ। जिन के बिषय में में ने तुम्हें मूसा के द्वारा से कहा॥ ३। जिसतें वुह्त चातक जो अज्ञान से अथवा आकरस्मात्‌ किसी के। मार डालके वहां भाग तो ले।ह् के पलटा लेवेये से वे तुम्हारे शरण हे।वें॥ ४। और जेब काई उन में से किसौ एक नगर में भाग जाय तो नगर के फाटक की पेठ में खड़ा रहे ओर उस नगर के प्रधानों से अपना समाचार बर्णन करे तब वे उसे नगर में अपने पास लेव और स्थान ढूवें कि वह उन के साथ रहे॥ ५। और यदि घात का पलटा लेबैया उसे खेह़े तो वे घातक को उसे न सौंपे क्योंकि उस ने अपने परासी को अच्ञान से मारा और उससे आगे बेर न रखता था॥ ६। ओर वुच्द उसो नगर में रहे जब लो न्याय के लिये मंडलो के आगे न खड़ा होवे ओर जब लो प्रधान याजक न मरे ज्ञा उन दिनों में हे।वे उस के पीछे बह घातक फ़िरे ओर अपने नगर में ओर अपने घर में जाय उस नगर में जहां से वह भागा था॥ ७। सो उन्‍्हों ने बचाव के लिये जलील में कादिश के नफताली पर्बत पर और इफ्रायम पबेत पर शकीम के! औरर क्रयतअरबअ का जो हबरून हे यहदाह के पहाड़ में पवित्र किया॥ ८। और यरदन के पार यरीह के पास और पन दिशा के बस के अरण्य में रूबिन के संतान को गाष्ठी के चागान में ओर रामात जिलिअद में जे जद की गाष्ठी का है और जोलान मनस्मझो की गाछी के बसन में ठहराया ॥ €। सारे इसराएल के संतान के लिये ओर उस परदट्शी के लिये जे उन में बसता है इन बस्तियों के! ठहराया जिसते जा काई कि अजन्ञान से किसी के मार डाले से उचर भागे ओर जब ले कि मंडली के आगे न आवे तब लों लोह् के पलटा लेबेय के हाथ से मारा न जावे। धर यहर्अ (२९ पन्ने २९ णएक्कीसवां पब्ब। व लावियों के पितरों के ग्रधान इलिअजर याजक और नून के (५ यहूरूअ और इसराएल के संतान की गाष्टियां के पितरों के प्रधान पास आये॥ २। ओर वे कनआन के टश लैला में उन्हें कहके बोले कि परमेच्र ने मूसा को ओर से आज्ञा किई कि हमारे निवास के लिये बस्तियां उन के उप नगर सहित हमारे ठारों के लिये हमें दिई जावें॥ ३। तब इसराएल के सतान ने अपने अधिकार में से परमेम्घर की आज्ञा के समान थे नगर ओर उन के आस पास लावियां का दिया ॥ ४ । से चिट्ठी किहातियों के घरानें के लिये ओर हारून याजक के बंश के जा लावियां में से थे उन्‍्हां ने चिट्ठी डाल के यहक्ूटाह की गे।ट्टी और समऊन की गेाष्ठी और बिनयमीन की गोछी में से तरह नगर पाये॥ ५। ग्यार किहात के उबरे हुए बंश ने इफ्रायम की गा४ी के घरानों में से और दान की गेष्ठी में से ओर मनस्सी की आधी गेछो में से दस नगर पाये॥ ६। ओर जैरशन के संतान ने चिंट्टी के समान इशकार की गोछ्ठी के घराने में से और इशकार की गोष्ठी में से और नफ्तालो की गाछी में से ओर मनर्मो की आधी गाछी में से बसन में तेरह नगर पाये ॥ ७। मिरारों के संतान ने अपने घरानों से रूबिन को गोष्ठो में से और जद की गाछी में से ओर जूबलन की गेष्टी में से बारह नगर पाये॥ ८। ओर इसराएज के संतान ने चिद्नी डाल के ये नगर और उन के आस पास जसी परमेसख्वर ने मसा की ओर से आज्ञा किई थी लावियों का दिया॥ «। सो उन्‍हें ने यह्ूद्ाह के संतान की गोाष्ठी में से और समऊन के संतान कौ गेाछी में से ये नगर दिये जिन के नाम लिये जाते हैं॥ २९०। हारून के संतान के जा किहातियों के घराने में से थे क्यांकि पहिली चिट्टी उन के नाम की थी॥ २११। सो उन्‍्हों ने अनाक के पिता अरबअ का नगर जे हबरून हे यहकूदाह के पहाड़ पर उस के चारों ओर के आस पास समेत उन्हें दिये॥ १५२। परंतु नगर के खेत और उस के गांव उन्‍हें ने यफुन्नः के बेटे कालिब के अधिकार के लिये दिया॥ ९५३। से उन्हें ने हारून याजक के संतान के। घातक के २९ पब्बे] (कौ पुस्तक । 8६३ शरण के नगर के लिये हबरून का नगर गश्यार लिबनः उस के आस पास समेत दिये ॥ ९४। ओर वतौर उस के आस पास समेत ओर इसतिमाअ्‌ उस के आस पास समेत ॥ ९५५ । गैर हेलन उस के आस पास समेत और ट्बीर उस के आस पास समेत ॥ १५६। ओर ऐन उस के आस पास समेत और यतः उस के आस पास समेत ओर बेतशम्स उस के आस पास समेत नव नगर उन दोनों गाछ्यिं में से॥ ९७। और बिनयमीौन के घरानें में से जिबकन उस के आस पास समेत ओर जिबअ उस के आस पास समेत ॥ ९८। ओर अनतात उस के आस पास समेत ओर अलमून उस के आस पास समेत चार नगर॥ १५८। सारे नगर हारून याजक के संतान के तेरह नगर उन के आस पास समेत थे॥ २०। ओर क्हात के संतान के घरानें का लावियां से जा क्िहात के संतान में से उबरे हुए थे इफ्रायम के घरानें में से ये नगर अधिकार मिले॥ २९। और घातक के शरण का नगर इफ्रायम के पहाड़ में शकौम के उस के आस पास सहित दिया ओऔर जजर उस के आस पास सहित॥ २२। और कबजेैन डस के आस पास सहित ओर बैतह्ारान उस के आस पास सहित चार नगर॥ २३। ओर ट्ान कौ गोष्ठो में से इलतकी डस के आस पास सहित जिबतून उस के आस पास समेत॥ २४। ण्ेलून उस के आस पास समेत जअञ्नतरूम्मान उस के आस पास समेत चार नगर ॥ २५। ओर मनरत्मी को आधी गाछी में से तअमनाक उस के आस पास सहित ओर जअतरूस्मान उस के आस पास समेत दो नगर ॥ २६। ये सब ट्स नगर अपने अपने आस पास समेत किंहात के बचे हुए बंश के घरानें के मिले। २७। ओर जेरसुन के संतान के जो लावियों के घरानों में से हें मुनस्य्ी की आधी गोषछी में से चतक के शरण के लिये उन्हां ने बशन में जैलाम उस के आस पास समेत ओर बद्॒स्तारः उस के आस पास समेत दो नगर दिये॥ २८। ओर इशकार की गोष्टी में से कसन उस के आस पास सहित ओर द्ावरत उस के आस पास सहित ॥ २८। वरमूत उस के आस पास सहित एऐनजन्नीम उस के आस पास समेत चार नगर ॥ ३०। ओर यसर की गोष्ठी में से मिशाल उस के आस पास समेत अबद्नन डस के आस पास समेत॥ ३९५। हलकाथ उस के आस ४६४ यहरूअ (२१ पन्च पास समेत और रह्व उस के आस पास समेत चार नगर ॥ ३२ । और नफ्‌- ज्ञाली की गाछी में से गलील में कादिस उस के आस पास,समेत घातक के क्ूसण के नगर के लिये ओर हमृूतडूर उस के आस पास सहित ओर करतान उस के आस पास सहित तौन नगर ॥ ३३। जैररूनियें के सारे नगर उन के घरानें के समान तरह नगर उन के आस पास सहित ॥ ३४। और मिरारी के संतान के घरानों के जे लाविये में से उबरे थे जबुलून की गाछठी में से ये नगर मिले युकुनिआम उस के आस पास सहित करतह् उस के आस पास सहित॥ ३५। टिमिनः उस के आस पास समेत नाहलाल उस के आस पास सहित चार नगर ॥ ३६। और रूबिन की गाछी में से बस्त उस के आस पास सहित और यहजा उस के आस पास समेत॥ ३७। क॒टमत उस के आस पास सहित ओर मौफात उस के आस पास समेत चार नगर ॥ ३८। ओर जद की गोष्टी में से घातक के शरण का नगर जिलिआद में से रामत उस के आस पास सहित ओर महनेन उस के आस पास समेत॥ ३९। हशबन उस के आस पास समेत यासर यअजीर उस के आस पास समेत सब में चार नगर॥ ४०। वे सारे नगर मिरारी के संतान के घरानों के लिये जो उबरे थे बारह नगर चिट्ठी से मले॥ ४१५॥। इसराएल के संतान के अधिकार में लावियां के सब नगर अटठतालौस थे उन के आ्रास पास सचह्िचित। ४२। उन नमरों में से हर एक नगर अपने आस पास समेत चारों ओर येांहदी समस्त नगर थे॥ ४३। से परमेश्वर ने सब देश जिस के विषय में उस ने डन के पितरों' के दने के किरिया खाई थी इसराण्ल के दिया से उन्‍हें ने डसे बश में किया ओर उस में बसे॥। ४४। और परमेमस्थर ने अपनी किरिया के समान जे उन के पितरों से खाई थी चारों आर में उन्हें चेन ट्या और उन के सब शत्रन में से एक भी उन के सामने न ठहरा परमेश्वर ने उन के सारे शब॒न के उन के हाथ में कर टिया॥ ४५। उन सारी अच्छी बातों में से जा परमेगश्वर ने इसराएल के घराने का कही थी एक बातेंन घटी सब को सब पूरी हुई॥ २२ पबे] कौ पस्तक ॥ ४६५ २२ बाईसवां पब्बे। ब यहूर्ूअ ने रूबिनिय्गं ओर जदियां और मुनस्मी की आधी ते गेष्ठटो के बुलाया। २। और उन्‍हें कहा कि उन सब का जो परमेश्वर के ट्ास मूसा ने तुम्हें आज्ञा किई तम ने पालन किया और उन सब बातों के जो में ने तुम्हें कद्दों तुम ने माना॥ . ३। तम ने अपने भाइयां के बहुत र्िनां से आज लाॉं नहीं छोड़ा परंत परमेगजख्ार अपने इंस्वर कौ आज्ञा की पालन किया॥ ४। ग्यार अब परमेग्वर तम्हारे ईस्घर ने तम्हारे भाइयों का चैन टिया जेसी उस ने उन से बाचा बांधी थी से तम अब फिर जाय! और अपने तंबओं के अधिकार की भमि में जाओ जो परमेग्वर के दास मसा ने यरटन के उस पार तम्हें दिई हे॥ ४। परंत चेकसी के साथ आज्ञा ओर ब्यवस्था जा परमेश्वर के दास मसा ने तरह आज्ञा दिई हे पालन करो जिसतें परमेग्वर अपने ईस्पर से प्रेम रक्‍्वा और उस की सारी बातों पर चले ओर उस की आज्ञाओं के पालन करो ग्यैर उससे लेलोन रहे! ओर अपने सारे मन ओर अपने सारे प्राण से उस की सेवा करो ॥ ६। ओर यहरूअ ने उन्हें आशोष टिई ओर उन्‍हें बिदा किया से। वे अपने अपने तंबओ। के गये ॥ ७। ओर मनर्झो की आघी गेएठी का मसा ने बसन में अधिकार दिया था ओर उस की आधी का यहरूअ ने उन के भाइयों के मध्य में यरटन के इसी पार पश्चिम दिशा में अधिकार दिया और जब यहूरूअ ने उन्हें अपने अपने तंबओं के बिटा किया तब उन्हें भी आशोष टिई॥ ८। और उन्हे कहा कि बड़ घन के साथ बहुत से ढ़ार और चांदी और सेना ओर तांबा और लेाहा और बहुत से बस्त लेके अपने डरों का जाओ ओर अपने शबन की लूट का अपने भाइयों के साथ बांट लेओ[॥ € । तब रूबिन के संतान और जद के संतान और मनस्सी की आधी गेछी फिरे ओर सैला में से जो कनआन की भूमि हे इसराएल के संतान से चले गये जिसते जिलिअट के देश के जो उन के अधिकार का देश था जावे जिसे उन्‍्हों ने मुसा के द्वारा से परमेश्वर के बचन के समान पाया था॥ १५०। और जब कि वे यरदन के सौमा कनआन के देश में पहुंचे तो रूबिन के संतान ओर 59 [%. 3. $«] 8६ ६ यहसआ [२२ पत्ते जद के संतान और मरस्झी की आधी गाछी ने वहां यरटन पास एक बेदौ बनाई एक बड़ी बेटीकि उसे देखा करं॥ ५१५। और इसराएल के संतान ने यह सन के कहा कि ट्ेखे रूबिन के संतान और मनक्झों को आधी गा।एी ने कनआन दट्श के साम्नम यरटन केतोर पर इसराएल के संतान के मार्ग में बेटी बनाई ॥ ५२। और जब इसराएल के संतान ने सना तो इसराएल थ«) सारो मंडली सेजा में एकट्ठटी हुई जिसतें उन पर लड़ाई के लिये चढ़ जाय॥ ९५३। ग्जार इसराएल के संतान ने रूबिन के संतान के और जद के संतान के ओर मुनस्मो की आधी गाछी के पास इलिअजर याजक के बेटे फीनिहास के भेज्ञा॥ ९४ । ओर उस के संग ट्स अध्यक्ष इसराएल की समस्त गे।छीयां में हर एक घर में से श्रेष्ठ अध्यक्ष भेजा जो डन में से हर एक अपने पितरों के घरानों में सहस्तां इसराएलियों का प्रधान था॥ ५५। से वे रूबिन के संतान और जद के संतान के और मुनर्झों कौ आधी गेछी पास जिलिअद के देश में आय और उन से कहके बोले॥ ९६। कि परमेश्वर की सारी मंडलियों ने कहा हे कि तम ने इसराएल के संतान के ईश्वर के बिराोघ यह क्या अपराध किया है जा तम आज के ट्नि परमेश्वर का पीछा करने से उस बात में फिर गये कि अपने लिये एक बेदी बनाई जिसतें तुम आज के दिन परमेश्वर के बिराधी हाग्रे। २७। क्या हमारे जिये फग़र की बुराई कुछ थोड़ी थी जिस्म हऋम आज के ट्नि ला पवित्र नहों हुए यद्यपि परमेश्वर की मंडली में मरो थी॥ ९५८। परंत क्या तम्हें उचित था कि आज के दिन परमेग्थर की सेवा करने से फिर जाओ आज तो तम परमेग्र से फिरे हुए हो सार कल इसराएल की सारी मंडलों पर उस का काप भड़केगा॥ ९८ । तथापि यदि तम्हारे अधिकार की भमि अशड्ू हावे ता पार आओ दूस टृश में जा परमेग्वर का अजधिकार हे जहां घरमेम्रर का तब हो ओर हमारे बीच अधिकार लेओ परंत हमारे ईस्वर परमेम्र की बेदी के छाड़ अपने लिये बेटी बना के परमेश्वर से ओर हम से मत फिर जाओ।॥ २०। क्या शारिक के बेटे अकन ने स्लापित बस्त में चकन (किया और इसराएल की सारी मंडली पर केप न पड़ा और वह जन २२ पच्चे] कौ पस्तक । ४६७ अकेला हो अपनी ब्राई से नाश न हुआ॥ २०९ । तब रूबिन के संतान और जद के संतान ओर मुनस्णी की आघी गोष्ठी ने इसराणलियों के सहसां के प्रधानें का उत्तर टेके कहा॥ २२। कि परमेग्यर ईग्घरों का ईम्घर परमेग्थर ईस्रों का इंग्र हो जानता क्षे आर इसराएली भी जानेगा कि यट्टि फिर जाने में अथवा परमेश्वर के बिराघ्र करने में यह किया तो हमें आज के दिन मत छाड़॥ २३। अथवा हम ने बेदी बनाई जिसत॑ परमेम्वर की सेवा से फिर अथवा उस पर हेम की भेंट अथवा भाजन की भंट अथवा कुशल की भेंट चढ़ावें तो परमेग्यर ही बिचार करे॥ २४। और यटि हम ने उस भय से यह कहके किया क्ेे किआगेकेतन्‍्हाराबंश हमार बंश का कहके बाले कि तम्ह परमेश्वर इसराएल के ईश्यर से क्या काम॥ २५ । क्योंकि परमेमग्पर ने हमारे ओर तुम्हारे मध्य में वरट्न की मेड़ बांघो से। हे रूबिन के संतान और जद के सतान परमेश्वर में तम्हारा भाग नहीं से तुम्हारा बंश हमारे बंश का परमेग्वर के भय से फेर ट्वे॥ २६। इस लिये हम ने कहा कि आशे हम अपने लिये एक बेदौ बनावें कुछ हाम की भेंटों के ओर बलिदान के लिये नहों ॥ २७। परंत इस लिय कि यह हमारे तम्हारे मध्य में और हमारे पीछ हमारी पौढ़ियोां के मध्य में एक साक्षी हेवे जिपते हम परमेश्वर के आगे अपनी हे।म की भेटों से ओर बलिटानों से और अपने कुशल के बलिदटानों से परमेश्वर की सेवा कर जिसतें आगे का तन्‍्हार बंश हमारे बंश का न कहं कि परमंशञर में तम्हाराभाग नहों॥ २८। इस लिये हम ने कहा कि एपता हेगा कि जब वे हमें अथवा हमारे बंश का आगमी काल में कहें तब हम उन्‍हें उत्तर दंगे कि देखा परमेश्वर की बेटी का डेोल जिसे हमारे पितरों ने बनाया कुछ हाम की भंट ओर मनेती कीभंट के लिये नहों परत इस लिये कि हमार तन्हारे मध्य में साब्यी रहे॥ २<८। इंग्प्रर न करे कि हम परमेग्धर से फिर जायें आर आज परमेश्वर से फिर के परमेगश्वर अपने ईस्पर की बेदी के छाड़ें जे उस के तंब्‌ के साम्न हे और हेम कौ भेंटें आर भाजन की भेंट और बलिदान के लिये एक बेटी बनावं॥ ३०। जब फीनिहास याजक ओर मंडली के अध्यक्ष और इसराएल के सहस्तें। के प्रधानों ने ४8६ ष यह्नर््अ [२२ पब्ये जो उस के साथ थे ये बात सुनीं जे रूबिन के संतान और जद के संतान और मुनस्झोी के संतान ने कहौं तब उन कौ दृष्टि में अच्छा लगा॥ ३९। तब इलिअजर के बेट फीनिहास याजक ने रूबिन के संतान और जद के संतान और मनस्खो के संतान से कहा कि आज के दिन हम टेखते हैं कि परमेग्वर तम्म है इस कारण कि तम ने परमेश्वर का अपराध न किया क्यांकि तम ने इसराएल के संतान के परमेश्वर के हाथ से छडाया॥ ३२। तब इलिअजर का बेटा फौनिहास याजक ओर अध्यक्ष ओर रूबिन के संतान ओर जद के संतान पास से जिलिअद की भमि से कनआन के देश में इसराएल के संतान पास फिर आये और उन पास संटेश पहुंचाये॥ ३३ । और उसी बात से इसराएल के संतान प्रसन्न हुए और इसराएल के संतान ने ईग्यर कौ स्तति किई ओर न चाहा कि यदड्ू के लिये उन पर चढ़ जायें और उस देश के! जिस में रूबिन के संतान ओर जद के संतान बसते थे उजाड़ दवबं॥ ३४। तब रूबिन के संतान और जद के संतान ने उस बेदी का नाम साक्ष्तौ रक्‍्खा क्यांकि बच हमार मध्य में एक साज्ञो ठहरो कि परमेग्वर इंच्यर ह। २३ तेईसवां पतब्ये । ब परमेश्वर ने इसराएल के उन के सारे शत्रुन से चेन दिया ता जे... टिन पीछे यों हुआ कि यहूुरूआ छड और दिनी हुआ ॥ २। तब यहूस्टअ ने सारे इसराएल ओर उन के प्राचीन ओर उन के प्रधान और उन के न्यायी और उन के कड़ारों के बलाया ओर उन्हें कहा कि में ढडू और दिनी ह्ु॥ ३। और सब कुछ जा परमेग्वर तम्हारे ईंम्धर ने उन सब जातिगणां के साथ किया ट्ख चके हे क्यांकि परमेग्रर तम्हारा इईस्वर आप तम्हार लिये लड़ा॥ ४। ट्खो में ने चिट्टो डाल के इन सब जातिगणंकेा जो बच हें तन्‍्हारी गेोष्ठियें! के लिये यरट्न से लेके समस्त जातिगणों के साथ जिन्हें में ने काट डाला हे अथात अस्त की ओर महा समद्र लों अधिकार दिया॥ ५। और परमेश्वर तम्दहारा ई स्वर वही उन्हें तम्हारे आगे निकाल देगा और तम्हारी दृष्टि से टूर करेगा और तम उन की भमि के बश में करोगे जैसी कि परमेम्घर तम्हारे २२ पत्ब] की पस्तक । ४६6 इंस्घर ने तमसे बाचा बांघी क्ष। ६। इस लिय सब जो मसा को ब्यवस्था की पस्तक में लिखा है उन्‍्हं पालन करने का और घारण करने का हियाव करो जिसतें ट्हिने अथवा बायं हाथ न मड़ा॥ ७। जिसते तम इन जातिगएणां में जा तम्हां में बचे हें मत जाओ गैर उन के ट्वों के नाम मत लेओग। और उन कौ किरिया मत खाओ ओर उन की सेवा मत करो और न उन का दंडबवत करोा॥ ए८। परंतु परमेगम्धर अपने ईम्घर से लोौजीन रहे! जैसा आज के टिन लां रहे हा॥ «। क्यांकि ईस्थर ने तुम्हारे आगे बड़े बड़े और बलवंत जातिगणों के। नष्ट किया परंतु कोई आज के दिन लों तुम्हारे साम्नें ठहर न सका॥ ९१० । तुम्ें से एक परुष सहस्र के! खेटेगा क्यांकि परमेग्वर तम्हारा ई ग्घर है जा तम्हारे लिये लड़ता है जैसी उस ने तम से बाचा बांघी क्षे॥ ९९। इस लिये अपने प्राण के अत्यंत चोकसी से रकवे गैर परमेश्वर अपने इंस्वर का प्यार करो॥ ९२। यदि तुम किसौ रौति से फिर जार और इन्हों जातिगणें में मिल जाओ जे तुम्हारे मध्य बचे हैं और उन के साथ बिवाह करो और उन में आया जाया करोा॥ ९३। ते निडे्यय जाना कि परमेग्र तम्हारा ईम्बर फिर उन लागों का तम्हार आगे से ट्रर न करेगा परंत वे तम्हारे लिये फंट और जाल और तम्हारे पंजरों में छड़ियां और तम्हारी आंखों में कांटे हेंगे यहां ला कि उस अच्छे टश में से जा परमेग्रर तम्हारे ईग्वर ने तम्हँ ट्या कहे तम नाश हे। जाओ॥ २१५४। ओर देखा आज के टन म समस्त एथिवी के मागे जाता हूं ओर तुम अपने सारे मन में ओर सारे प्राण में जानते हे! कि उन सब भली बातों से जे। जा परमेश्वर तम्हारे ईय्थर ने तुम्हारे विषय में कहीं हैं एक भोन घटी परंत सब की सब परौ हुई और एक भी न घटो॥ ९५ । से एसा हागा कि जिस रौोति से वह सारी भलाइयां जिन के कारण परमेग्वर तम्हार ईउ्घयर ने बाचा बांधी थी तम्हारे आगे आई उसी रीति से परमेग्वर सारी बुराइयां तुम पर लावेगा यहां ला कि उस अच्छे दृश में जा परमेग्यर तम्हारेईय्घर ने तम्हं दिया हे तम्हें नाश करे ॥ ९६। जब तम परमेग्वर अपने ईश्वर की उस बाचा का जो उस ने तम से बांधी भंग करोगे और जाके और ट्वतों की सेवा करोगे और उन्हें टंडवत करोगे 0३ यहृमूअ [२२ पब्ब तब परमेश्वर का क्राघ तम पर भड़केगा और तम उस्च अच्छे टश से जा उस ने तम्ह दिया हे शीघ्र नाश हो जाओआगे॥ २४ चाबीसवां पब्बे। ब यहूरूअ ने सारे इसराएल की गाष्टियाँ के! सिकम में एकद्ढरा किया ओर इसराएल के प्राचोनों के! और उन के प्रधानों कं और उन के न्याथियों के और उन के करोड़ां के ब॒लाया और वे ईश्वर के साम्न खड़े छए ॥ २। तब यहूरछूअ ने सब लागां के कहा कि परमेम्घर इसराएल का ईखर थो कहता हे कि तम्हारे पितर अबिर हाम का पिता तारह ओर नहूर के पिता प्राचीन समय से नदी के उस पार रहते थे अरूु और ट्वतों की सेवा करते थे॥ ३। ओर में तम्हारे पिता अविरह.म का नदी के उस पार से लेके कमआन के समस्त दृश में लिये फिरा आर उस के बंश के बढ़ाया औःर उसे इज॒हाक दिया॥ ४ । और इजहाक के यञ्कब और एसे दिय और एसा का रहने के लिय सौर पहाड़ दिया परंत यअकब ओर उस के बंश मिस के उतर गये ॥ ५ । तब में ने मसा और हारून के भेजा और उन सब कामों से जो में ने वहां किय मिद्ध के मारा ओर उस के पीछ तुम्हें निकाल लाया॥ ६। और में तुम्हारे पितरों के मिख से निकाल लाया और तम समद्र पर आये तब मिखियां ने रथ और घाड़ चढ़े लेके लाल समद्र ला तम्हारा पीछा किया ॥ ७ । औएर जब उन्‍हें ने परमेश्वर की प्राथेना किई तब उस ने तन्‍हारे और मिख्ियां के मध्य अंधियारा कर दिया और समद्र के उन पर फेर दिया आर उन्हें टढांप लिया और जा कुछ में ने मखियें पर किया तम ने अपनी आंखे: से ढेखा और तम बहुत दिन ला अरण्य में रहा किये ॥ ८। फिर में तुम्हे उन अमरिथों के देश में जे यरटन के उस पार रहते थे ले आया ओर वे तम से लड़े और में ने उन्हें तम्हारे हाथ में सांप टिया जिसतें तम उन के 2ेश के बश में करे और में ने उन्हें तुम्हारे आगे नाश किया ॥६ | तब मेअब का राजा सफर का बेटा बलक उठा और इसराएल से लड़ा और बऊर के बेटे बलआम के बला भेजा कि तम्हें स्लाप ट्वे॥ १९०। पर में बलआम की न सनता था इस लिये वह तम्हें आशोष देता गया सो में ने २४ पब्बे] की पस्तक । ४७१ तम्हें उस के हाथ से छडाया ॥ ९१ । फिर तम यरटन पार उतरे और यरौह्ल का आये ओर यरीौह् के लोग अम्‌री ओर फरिज्जी और कनआनी और हित्ती और जिरजासी और हवी और यबसी तम से लड़े और में ने उन्हें तम्हारे बश में किया॥ १५२५। तब म॑ ने तम्हार आगशणे बरा का भजा जिन्‍्हां ने उन्हें अथात अमररियों के दा राजाओं को तम्हार आगे से हांक दिया तम्हारी तलवार और घनष से नहीं ॥ ९५३। ओर में ने तम्हें वह देश ट्या जिस के लिये तम ने परिश्रम न किया और वे नगर जिन्हें तम ने न बनाया और तम उन में बसे हे। तम टाख की बारी और जलपाई कौ बारौ से ज्ञा तुम ने नहीं लगाई खाते है। ॥ ९४ । से! अब तुम परमेग्रर से डरा और सोघाई से ओर सच्चाई से उस की सेवा करा और उन टवतों के। जिन को तुम्हारे पितर नदी के उस पार ओर मिस्र में सेवा करते थ निकाल फंके ओर परमेग्वर की सेवा करो ॥ ९५५ । ओर यदि परमेग्वर की सेवा करना तम्हं बरा जान पड़ तो आज के दिन चना कि किस कौ सेवा करोगे उन ट्वतों की जिन की सेवा तम्हारे पितर नटौ के उस पार करते थे अथवा अमरियां के ट्वतां के। जिन के दृश में तम बसते हे परत में और मेरा घराना परमेम्थर की सेवा करंगे॥ ९६। तब लोगों ने उत्तर टेके कहा कि इंस्र न करे कि हम परमेम्धर को त्याग के आन ट्वतों की सेवा करें। २७। क्योंकि परमेस्वर हमारा ई सर हे जो हमें और हमारे पितरों के मिख देश से बधुआई के घर से निकाल लाया और जिस ने बड़े बड़े आअय्थे हमारी आंखों के साम्ने ट्खाये और सारे मागे में जहां जहां हम चलते थे ओर उन सब लोगों के मध्य जिन में से हो के आये हमारी रक्षा किई ॥ १५८। और परमेश्वर ने सारे लेगें के अर्थात अम्‌- रियां का जो उस दृश में बसत थे हमार आग से निकाल टिया इस लिये हम भी परमेम्थर की सेवा करंगे क्योंकि वक्तौं हमाराईय्वर हे॥ २५८। फिर यह्ूस्ठअ ने लागां से कहा कि तम परमेग्थर की सेवा न कर सकोगे क्यांकि वुद्द पवित्र ईम्भर ओर ज्वलित ई आर क्ञे जा तम्हारे अपराधों और तम्हारे पापों के क्षमा न करेगा॥ २०। यदि तम परमेगर का त्यागोगे और उपरी द्वेवतां की सेवा करोगे तो बच भला करने के पीछ फिर के तन्हें दुःख देगा और तुम्हें नाश कर डालेगा॥ २९। तब लोग ४७२ यहूरूअ (२४ पन्च व 3 3 232 मम 20 /0 शक 30200 > वश ने यकहूस्टअ से कहा कि कभो नहीों परंत हम परमेग्र हो की सेवा करेगे ॥ २ । फिर यहस्तअ ने लागां से कहा कि तम आप ही अपने पर साच्छो हे। कि सेवा के लिये तम ने परमेग्वर के। चन लिया हे वे बोले कि हम साज्षौ हैं॥ २३। से अब तम उपरी ट्वतों का जो तम्हारे मध्य में हैं निकाल फेंके! और अपने अपने मन का परमेग्वर इसराएल के ईग्थर की ओर सकाओ॥ २४ । तब लागों ने यकूर्ूअ से कहा कि हम परमेग्वर अपने ईयर कौ सेवा करेंगे और उस का शब्द मानेंगे॥ २५। तब यहरूअ ने उस टन लागों से वाचा बांघी और उन के लिये विधि और ब्यवच्ार सिकम में ठदराय। २६ । ओर यहरूअ ने ईश्वर की व्यवस्था की पस्तक में उन बातों के लिख रक्‍वा ओर एक बड़ा पत्थर लेके बलत के छक्ष तले जा परमेग्थर की पवित्रता में था खड़ा किया ॥ २७। ओर यहरूअ ने सारे लागों से कहा कि ट्खा यह पत्थर हमारा साज्ष्ो हे|गा क्योंकि उस ने वे सब बातें जो परमेश्वर ने हमें कहीं सनी हें इस लिये यही तम पर साच्ष्तौ हेगान हे। कि तम अपने ई मर से मकर जाओ ॥ २८: । फिर यहरूअ ने हर एक जन के अपने अपने अधिकार की ओर बिदा किया ॥ २६ । और ऐसा हुआ कि इन बातों के पीछ परमेग्वर का टास नून का बेटा यहरूअ एक सी ट्स बरस का हेके मर गया॥ ३०। ओर उन्‍्हों ने उास के अधिकार अथैात्‌ तिमनतसिरह के सिवाने में जे! जञस कौ पहाड़ी कौ उत्तर दिशा इफ्रायम पहाड़ में है उसे गाडा॥ ३९ । ओर इसराएल यहूरूअ के जीवन भर और प्राचौनों के जीवन भर जो यहूरूअ के पीछ जीये और परमेग्वर के सारे कायां का जो उस ने इसराणएल के लिये किये जानते थे परमेश्वर की सेवा करते रहे ॥ ३२९। और युतफ्‌ की हड्डियों का जिनन्‍्हं इसराएल के संतान मिस्र से उठा लाये थ उनन्‍्हों ने सिकम की उस भमि में गाड़ा जिसे यग्मकब ने सिकम के पिता हमर के बेटा से सो टकड़ चांदी पर मेल लिया था से! वह भमि यसफ के संतान की अधि- कार हुई॥ ३३। और हारून का बेटा इलिअजर भी मर गया ओर उन्हें ने उसे उस पहाड़ में जे उस के बंटे फिनिहास का था जो इफ- रायम के पहाड़ में उसे टिया गया था गाड़ा ॥ शीश शरीर करी की कक कक आओ आप या उस या आप लव पी न्यायियों को पुस्तक । -डच३)९३४७७. ९ पहिला पब्ब । ब्श््ल्व यहुस्‍सुआ के मरने के पीछ यों हुआ कि इसराएल के संतानों ने ञञा परमेग्वर से यह कहके पका कि कनआनियां से यड्भ करने के हमारे कारण पहिले कान चढ़ जाय॥ २। तब परमेगर ने कहा कि यहदाइ चढ़ जाय दखा में ने टेश का उस के हाथ में कर दिया है ॥ ३। तब यहदाह ने अपने भाई समऊन से कहा कि मेरे भाग में मेरे साथ चढ़िये जिसतें हम कनआनियां से लड़ और इसी रौति से में भी तेरे भाग में तेरे साथ चढ़ंगा से। समऊझून उस के साथ गया॥ ४। तब यहूटाह चढ़ गये ओर परमेग्वर ने कमआनियां ओर फरिज्जियों के उन के हाथ में कर दिया ओर उन्‍्हों ने उन में से बजक्‌ में ट्स सहख्र॒ परुष के घात किया॥ ५। ओर उन्‍्हों ने अंट्रनिबज॒क के बजक में पाया और उडस्स लड़ और कनआनियों ओर फरिज्जियों के। मारा॥ है | परंते अट्वानिबज॒क भाग निकला ओर उन्हें ने उस का पीछा किया खैर जा पकड़ा और उस के हाथ पांव के अंगूठे काटे ॥ ७+। तब इद्टदनिवजक ने कहा कि हाथ पांव के अंगठे कार्ट हुए सत्तर राजा मेरे मंच तले के चर चार चन चुन खात थ जसा में ने किया था वेसा हो ईश्वर ने मम्मे पलटा टिया फिर वे उसे यरूसलम में लाये ओर वह वहां मर गया ॥ ८। अब यहूद्ाह के 60 (ै. ४. 3.] 8४३४ न्धायियों [९ पन्ने संतान यरूसलम से जड़े थे और उसे लेलिया था ओर उसे तलवार की चार से मारा ओर नगर के चाज से फंक दिया ! €। ओऔर उस ॑ के पौछे यह्ूटाह के सतान उतर के उन कनआननियां से झा पहाड़ में आर दक्षिण में और तराई में बसने थे लडे॥ १५०। और यहूद्ाह ने उन कनआनियोां का जे। हबरून में रहते थे साम्जा किया उन्हें ने सोसो और खिमान ओऔ।र तलमी के मारा हबरून का नाम आगे करयतअुरबञ था॥ ९१५। ओर वुह वहां से टबौर के बासियों फरू चढ़ गया ओर दबीर का नाम आगे क्रयतसिफर था ॥ १५२। तब कालिब ने कहा कि जे। कोई क्रयतसिफर के मार लेगा में उसे अपनो कन्या अक॒प का बियाह देऊंगा॥ १५३। तब कालिब के लकु्रे भाई कनज के बट अतनिएल ने उसे लेलिया ओर उस ने अपनी कन्या अकस उसे बियाह दिई॥ ९५४। ओर एसा हुआ कि जात ही उस ने उसे उभाड़ा कि पिता से एक खेत मांगे फिर वह अपने गदहे पर से उतरी तब कालिब ने उसे कहा कि त्‌॒ क्या चाहती है ॥ १५५। और उस ने उसे कहा कि मस्फे अआशोष दोजिये क्यांकि त ने मस्ते टछक्षिण दिशा की भूमि टिई मस्त पानोः के सेते भी दौजिये तब कालिब ने ऊपर के और नौच के से।ते उसे दिये ॥ १९६। तब मूसा के ससुर कनौ के बंश यहट्ाह के संतान के साथ खज्रों: के नगर में से यहूदाह के अरण्य के जा अराद कौ दछिण का ओर हे चढ़ गये और उन लागें में जा बले ॥ २९७। और यहूटाह अपने भाई: समऊजन के साथ मया और उन्हां ने उन कनआनियों के जा सफात में रहते थे जा मारा और उसे सर्वैथा नाश किया और उस नगर का नाम हुरम: रक्वा॥ ९८। और यहूटाह ने अज्जः के। उस के सिवाने सहित और असकलन के। उस के सिवानें सहित औ।र अकरून के उस के सिवाने सहित ले लिया॥ २१९। गआऔर परमेश्वर यहृटाह के साथ था और उस ने पबंत के अआखथिकार में किया परत तराई के बासियां के निकाल न सका क्यांकि उन के रथ लाहे के थे। २०। तब उन्‍्होां ने मसा के कहने के समान कालिब के हबरून दिया ओर उस ने वहां से अनाक के तोन बंटां केा टूर किया॥ २९। ओर बिनयमीन के संतान यबप्तियां के जे यरूसलम में रहते थे द्र न किया परंत यबसो बिनयमौन के ९ पब्बे] कौ पुस्तक | हू संतान के साथ आज के शट्निलां यरूसलम में बसते ऐै॥ २२। ग्रेार थसफ का घराना भी बैतऐल पर चढ़ गया जर परमेश्वर उन के स। था॥ २३। गर यसफ के घराने ने वैतऐल का भेट लेने के भेजा और उस नगर का नाम आगे लोज था॥ २४। ओर भेदियों ने नगर से एक मनय्य का वाहर आते रेख के उर्झ कहा कि नगर का पेठ हमें बता ओर हम तभ्क पर ट्या करेंगे। २५। से। जब उस ने उन्हें नगर का पेंट बताया उन्‍्हों ने नगर के। तलवार की घार से नाश किया परत उस मनय्य को उस के सारे घराने समेत छोड़ दिया॥ २६। ओर वह मनव्य हित्तियों कौ भमि में गया गैर घहां एक नगर बनाया ग्रार उस का नाम लाज रकठदा ज्ञो आज ला उस का नाम क्षे। २७। ओर मनस्सी के संतान ने भी बेतशान के और उस के गांवों के और तअनाक का और उस के गांवों के ओर द्वार के बासियां का और उस के गांवों का और इबलिआम का ओर उस के ग़ांवें के बाणियों के और मजिहा के और उस के गांवें के बासियां को न निकाल दिया परंत कनआनी उसौ हृश में बला किये॥ २८। ओर यों हुआ कि जब इसराएल प्रबल हुए तब उन्हें ने कनआनियों से कर लिग्रा परंत उन्हें सबथा निकाल न तिया॥ २८ । ओर इफरायम ने भी उन कनआनियां के जा जजर में बस्ते थेन निकाला परंत कनआनी हनन के खाथ जजर में बस्ते थ ॥ ३०। जूबलन ने क्तिखन ओर नहजलाल के बासियां के न निकाला परंत कनआनो उन्हीं में रहे और करट्ायक हुए॥ ३९५। यसर ने अक्की ओर सेटा ओर अहलाब ओर अक्रजोबव और हिलवः और अफीक ओर रह्व के बासियों के ट्रन किया॥ ३२। परंत यसरी उन कनआनियों में जेग उस देश के बासो थ बसे क्योकि उन्हों ने उन्‍हें टूर नकिया॥ ३३। नफतालौ ने बैतशम्श ओर बेतअनात के बासियों का टूर न किया परंतु वह उस दृश के बासो कनआरनियां में रहा तथापि बेतशम्श ओर बंतअनात के बासो उन के करदायक हुए॥ ३६३४। और अमरियों ने ट्ान के संतान का पहाड़ में खेदा क्योंकि वे उन्हें तराई में उतरने न दते थ॥ . ३४ | परंत अमरी हरिस पहाड़ में ऐयलन में और शालबीम में बसा किये तथापि यसफ के घराने का हाथ प्रबल हुआ 8-९६ न्यायिये [# पब्ब यहां लॉ कि उन्हें करट्ायक किया ॥ ३६। ओर अमर रिया का सिवाना अक्रबिम की चढ़ाई से पहाड़ के ऊपर लो था ॥ २ दूसरा पब्बे । ब परमेग्वर के ट्ूत ने ज़िलजञाल से बाकीम के आके कहा कि में त््‌ तम्ह मिख्त से उठा के इस टृश में जिस के कारण तम्हारे पितरों से किरिया खाई थी ले आया और में ने कहा कि मैं तम से कभी अपनी बाचा न ताडंगा॥ २। आर त्म इदूस टश के बासयां के साथ बाचा नवांघिया तुम उन की बेदियों के ढाइयो परंतु तम ने मेरे शब्द का न माना तम ने शेसा क्ये। किया॥ ३। इसी कारण में ने भी कहा कि में उन्हें 7म्हार आगे से टूर न करूंगा परंत थे तम्हार पांजरों में कांटे और उन के ट्वते तम्हारे लिय फंट हाोंगे॥ ४। ओर एसा हुआ कि जब परमेशञर के ट्रत ने सारे इसराएल के संतान के ये ब/तें कच्दौं तो उन्‍्हों ने बड़े शब्द से बिलाप किया ॥ ५३ और उन्हों ने उस स्थान का नाम बाकीम रक्‍खा ओर उन्हें ने वहां पस्मेश्वर के लिये बलि चढ़ाया ॥ ६ । और जब कि यहरूअ ने लागां के बिटा किया था तब इसराएल के संतान में से हरएक अपने अपने अधिकार पर गया ज्ञिसतें उस दझ का बश में करे॥ ७। ओर वे लेःग परमेग्थर की सेवा करते थे यहूस्हअ के जीवन भर ओर उन ग्राचोनों के जीवन भर जा यहरूअ के पीछ रहते थे जिन्‍हां ने परमेमश्वर का समस्त बड़ा काव्य टेखा जिसे उस ने इसराएल के लिये किया परमेश्वर की सेवा करते रहे॥ ८। ओर परमेश्वर का दास नून का बेटा यहूरूअ एक से दस बरस का छट्ट हेके मर गया॥ €। ओर इडन्‍्हों ने छस के अधिकार के सिवाने तिमनतहरिस में इफ्रायम के पहाड़ में जो जञअश के पहाड़ कौ उत्तर अलंग हे उसे गाड़ा। १०। ओर वहीं समस्त पीढ़ी भी अपने पितरों में जा मिली और उन के पीछे टूसरी पीढ़ो उठी जिस ने परमेश्वर क्रो ओर उन काब्थें का जे। उस ने इसराएल के लिये किये थ नहीं पहिचाना ॥ १९। तब इसराएल के संतान ने परमेग्थर के आटो बराई किई और ब्रअलीम - की सेवा किई॥ २९२। और अपने पितरों के प्ररमेश्वर ईस्घर के जो २ पच्ब] कौ प॒स्तक ! 8७७ उन्हें मिख के देश से निकाल लाया था छोड़ टिया ओर उपरी दवों का पीछा किया अथात्‌ अपने चारों ओर के लागोां के दृवें| के आग दंडबत किई और परमेग्यघर के रिसट्लिई॥ ९३। से डन्‍्हों ने परमेम्थर का छोड़ दिया और बगल और इस्तारात की सेवा किई ॥ २४ । तब परमेश्वर का क्राध इसराणएल पर भड़का ओर उस ने उन्‍्ह नष्ट कारियां के वश में कर दिया जिन्‍्हों मे उन्हें नष्ट किया ओर उस ने उन्हें उन के आस पास के बैरियां के हाथ में बेचा यहां ला कि वेफिर अपने बेरियां के आगे न ठहर सक्त थे। ५५। जहां कहों थे निकलते थे परमेम्धर का हाथ बुराई के लिये उन के बिराघ में था जैसा कि परमेश्वर ने कहा था और जेसी कि परमेश्वर ने डन से किरिया खाई थी ओर वे अत्यंत दुःखी हुए॥ ९६। तथापि परमेश्वर ने न्‍्यायियां का खड़ा किया जिन्‍्हां ने उन्ह उन के नष्ट कारियों के दाथ से छड़ाया॥ ९७। तद भो वे अपने स्थायियां कौभी नसनते थे परंतु उपरी ट्वों के पद्चाज्नामी ऊए ओर उन के आमे टंडवत किई वे उस मा से जिस पर उन के पितर परमेम्वर की आज्ञा का पालन करके चलते थे बहुत शौघ्र उलट फिर परंत उन्हे पालन न किया॥ १५८। ओर जब परमेग्वर उन के जिये न्यायियां का खड़ा करता था तब परमेग्रर न्यायी के साथ रहता था ओर उन्‍्हं उन के शत्रन के हाथ से न्‍यायी के जीवन भर छड़ाता रहा क्यांकि परमेचख्वर उन के कहरने से जा उन के सताने और दुख ट्नेहारों के कारण से था पछताया ॥ ९ ८ | और एसा हुआ कि जब न्यावी मर जाता था तब वे फर फिर जाते थे और आप के अपने पितरों से अधिक बिगाड़ते थे कि आर उपरी देवताओं का पीछा पकड़ते थे कि उन कौ सेवा ओर ट्ंडवत करें वे अपनी अपनी चाल से ओर अपने अपने हटठीले मार्ग से न फिरते थे॥ २०। तब परमेगर का क्राघ इसराएल पर भड़का ओर उस ने कहा इस कारण कि जैसा इन लागे ने मेरी उस बाचा के! जा में ने उन के पितरों से बांघों थीं भंग किया हे गऔऔर मेरे शब्द के। न माना के ॥ २१। में भी अब से उन लागों में से जिन्हें यहस्टआ छोड़ के मरा किसो केा भी उन के आगे से टूर न क&गा॥ २२। जिसतें में उन के द्वारा से इमराएल का परख॑ कि वे अपने पितरों की नाई परमेमश्वर के 8जष न्याथियाँ [8 पन्च मार्ण पर चलने के पालन करगे कि नहों॥ २३। से परमेशर ने उन जातिगणां के छोड़ा कि उन्हें शौघ्र ट्र न किया और उस ने उन्हें यहतरूअ के हाथ में न लैंपा ॥ ३ तोसरा पत्म। जे 'र थे वे ज्ञातिगण हैं जिन्हें परमेश्वर ने इसराएल वी परीक्षा के । लिये उन में कछाड़ा अथात उन में जे। कनआन के सारे संग्राम न जानते थे॥ २। केवल जिमत इ्रसराएल के संतान की पीढ़ी निज करके जो आगे लड़ाई व्यय भेट न जानते थे उन से सीखें॥ ३। फिलिसतियां के पांच अध्यक्ष आर सार कनआनो ओर संटानी और ऋहव्वी थे जे लब॒नान प4त में बगल हरमन प्रबत से लेके हम।त के पैठ ले बसते थ॥ ४। आर वे इसराशल कौ परीक्षा के लिये थ जिसते ट्ख कि वे परमेश्वर की उन आज्ञाओं का जा उस ने मूसा कौ ओर से उन के पितरों का दिई थी माजेंगे कि नच्यों। ५। सो इूसराण्ल के संतान कनआनियों और हिनज्षियों और अमूरियों और फरज्जियां और हडियां और यवपियों में बपते थे॥ ६। ओर उन्‍्हों ने डन की ब्वेटियां के! अपनी पत्नियां किया जल।र उन कौ बेटियां अपने बेटां का दिई और उन के देवतों की सेवा किई॥ ७। ओर इसराएल के संतान ने परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई और परमेग्वर अपने ईम्घर का भल गये और बअलीम ओर कुजों कौ सेवा किई॥ ८। इस लिय इसराएल के सतान पर परमेग्र का काप भड़का ओर उस ने उन्हें कशनरिसअतैन अरमनहाराईम के राजा के हाथ बेचा और इसराएल के संतान ने कशनरिसअतैन की सेवा आठ बरस ले किई॥ <। और जब इसराएल के संतान ने प्रस्मेग्धर से टाहाई दिई तब परमेस्वर ने इसराएल के संतान के छिये एक निस्तारक जिस ने उन्हें छड़ाया अथात कालिब के लडझुरे भाई कनज के पत्र अल्विएल के खड़ा किया॥ ९०। ओर परमेम्वर का आत्मा उस पर था ओर उस ने इसराएल का न्याय किया ओर संग्राम का निकला तब परमेश्वर ने अराम के राजा कशनरिसअतेन का उस के द्ाथ में सोंप दिया ओर उस का हाथ कशनरिसअतैन पर प्रवल ६ पब्चे ) कीं पस्तक । 8४४७6 हुआ॥ १५१५। ओर दश के चालीस बरस ला चैन हुआ जऔर कनज का बेटा अल्षिएलि मर मया॥ ९२। फिर इसराएल के संतान ने परमेश्वर को दष्ट गें बराई किई तब परमेग्घर ने मे।अब के राजा इजलन का इमराएल पर प्रबल किया इस कारण कि उन्‍्हों ने परमेस्वर की दृष्टि में बराई किई॥ ९५३। और उस ने अम्मन के और अमालीक के संतान के अपने पास एकट्टा किया और जाके इसराएल का मारा ओर खजर पेड़ां के नगर के बश में किय।॥ १५४। सेइसराएल के संतान माअब के राजा इजलन की सेवा अठारह बरस लो करते रहे॥ ९१५। परंत जब इसराएज के संतान परमेम्वर के आग चिज्ञाय तब परमेग्वथर ने एक विनयमोनो जे रा के बट अक्नद का जा बहथा था उन के छड़ाने के लिये उभाड़ा ओर इसराएल के संतान ने उस केद्दवारासे मेअब के राजा इजलन के लिय भंट भेजो॥ ९५६॥। परंत अक्ूरट ने हाथ भर का हे। घारा खंजर बनाया और उसे अपने टहिनी जांघ में बस्त्न के तले बांधा। २९५७। ओर वह मेअब के राजा इर्जलन के पास भेंट लाया और इजलन बड़ा मेरा जन था॥ ९ ८। और जब बह भेंट ट्चका तब उस ने उन लागां का जा भंट लाये थ बिदा किया॥ ९५८। परंत वह आप उन मंत्ति ध्यान के पाप से जा जिलजाल में हें लौटा और कहा कि हे राजा मेरे पाप्त तेरे लिय एक गत सर श है और उस ने कहा कि चपके रह तब जितने लाग पास खड़थ बाहरु निकल गय॥ २०। तब अहक्ूदट उस पास आया और वह एक टंढे स्थान में जे उस ने अपने लिये कनाया था अकेला बंठा था आर अहक्ूर ने कहा कि इईंअर का संदेश आप के लिये मम्क पास है तब वह आसन पर सें उठ खड़ा हुआ॥ २९। तब अहूद ने अपना वांयां हाथ बढ़ावा ओर ट्हिनीः जांच पर से खंजर के लिया और उप की तांद में गोद दिया॥ २२। गैर मठ भौ फलके पीछ पैट गई और चिकनाई से फल ठंध गया यहां लें कि वह खंजर के उस की ता? से निकाल न सका ओर मल निकल पड़ा॥ २३। तब अक्ूद ओसार में बाहर निकला ओर अपने पीछे ऊंचे स्थान के द्वारों के! खेंच लिया ओर उन्हें बंद किया ॥ २४। और वह बाहर निकल गया तब उस के सेवक आये और उन्हों ने ऊंचे स्थान के द्वार के बंद देख 8८० यह्नसञ्य [४ पच्ब उसने >े>->क+- ७-8. २-०->+>--«+-म++>--ा9-..++«०म*++ २ कन+न 5 नमन नन॒न_न«%-&न ० न» नमक +++ «४» बक मनन कमान के कहा कि निजञ्यय वह अपने टंठे स्थान में चेन करता क्े। २५ । ओर वे ठहरते ठउहरते लज्जित हुए और टेखो कि उस ने बैठक के द्वार का नहीं खोला इस लिये उन्हों ने कंजी लेके खाला और क्या देखते हैं कि उन कर प्रभु भूमि पर मरा पड़ा क्षे। २६। पर उन के ठचहरते ठच्दरते अक्लद भाम निकला ओर मू॒त्ति स्थान से पार हुआ ओर सौरात में जाके बचा ॥ २७। और आते ही यों हुआ कि उस ने पहाड़ इफरायम पर नरुसिंगा फंका तब इसराएल के संतान उस के साथ पहाड़ पर से उतरे और वह उन के आगे आगे हुआ॥ २८। और उस ने उन्हें कहा कि मेरे पीछे पौछ हे लओ क्यांकि परमेग्र ने तम्हारे श्र माअबियां के तम्हारे हाथ में कर दिया से वे उस के पीछ पोछे उतर आय और यरदट्न के घाटों के जे। मेअब को ओर थे लेलिया ओर एक का भौ प्र उतरने न ट्या ॥ २८ । उसी समय उन्‍्हों ने अब के ट्स सहख्॒ मनव्य के अटकल जो सब पष्ट और साहसी थे घात किये उन में से एक भी नबचा॥ ३०। से उस टन भमाअब इसराएल के बश में हुआ ओर ट्श ने अस्झो बरस ले चैन पाया॥ ३१५॥। उस के पौछ अनात का बेटा शमजर हुआ जिस ने कूः से फिलिसतियेर के बैल की आर से मारा और उस- ने भो इस राएल के छड़ाया 0: ४ चौथा पब्षे । ञ्रै जि बः्ड ] ह> 2. ब्ण्क्य»7र जब अह्हट मर गया तब इसराएल के संतान ने फिर परमेग्वर कि ० दा वि को दृष्टि में बराई किई ॥ २। ओर परमेश्वर ने उन्हं कनआन के राजा यबीन के हाथ में बचा जा हसर्ूर में राज्य करता था ओर उस की सेना के अध्यक्ष का नाम सोसरा था जा हरसत में रहता था॥ ३। तब इसराएल के संतान परमेग्यर के आगे चिहत्नाय क्यों कि उस पास लाहे के नव तो रथ थे और उस ने बौस बरस लॉ इसराएल के संतान के कठार बम को ५८६ ता से सताया॥ ४। ओर लफीदात को पत्नो टबर: आगमज्ञानिनों उस समय में इसराएल का न्याय करती थी ॥ ४। और पहाड़ इफरायम में रामः ओर बेतऐल के मध्य-टबरः के खज॒र तले रहती थी ओर इसराएल के संतान उस पास न्याय के लिये चढ़ आते थे॥ ६ । तब.छउस ने काहि्सि ४ पब्बे] की पस्तक । ४८९ नफताली से अबविनअम के बेटे बरक के! बला भेजा और उसे कहा कि क्या परमेश्वर इसराएंल के ईश्वर ने आज्ञा नहीं किई कि जा और तबर पहाड की गर लेगे के बटार और नफ्ताली और जबलन के संतान में से ट्स सहसखत जन अपने साथ ले॥ ७। ओर में क्छून की नदौ पर यवीन कौ सेना का प्रधान सौसरा के! उस के रथ और उस कौ मंडली समेत तेरी ग्रौर बटेरूंगा और उसे तेरे हाथ में कर टेऊंगा॥ ८। और बरक ने उसे कहा कि यदि त मेरे साथ जायंगी तो में जाऊंगा परंतु यदि त मेरे साथ न जायेगी ते मैं न जाऊंगा ॥ € | तब वुह बालो कि निच्यय जे तेरे साथ चंलंगी तथापि जा यात्रा त करता हे से तेरी प्रतिष्ठा के लिये न होगी क्योंकि परमेगश्वर सौसरा के एक स्त्री के हाथ में सांपेगा तब टबरः उठी और बरक्‌ के साथ काटिस को गई ॥ ९०। और बरक ने जवलन गऔर नफताली के काटिस में बलाया और वह ट्स सहस्व जन अपने साथ लेके चढ़ा और ट्बरः भी उस के साथ साथ चढ़ गई ॥ ९५९। अब हिब्र कैनो ने जा मसा के ससर होाबाब के बंश में का था कैनियों से आप के अलग किया और अपना डरा जअनन्नौम में काटिस के लग बलत के ढच्त के पास जा हें खड़ा किया।॥ १५२। तब सौोसरा को संट्श पहुंचा कि अविनअम का बेटा बरक॒ पहांड़ तबर पर चढ़ गया ॥ ९३। तब सौसरा ने अपने समस्त रथ अशथात लाहे के नो से! रथ और अपने साथ के सारे लागों का अन्यद शियां के हरसत से बला के करन की नटौ पर एकड्रे किया॥ ९४ | तब ट्बरः ने बरक से कहा कि उठ क्योंकि यह वह ट्नि हे जिस में परमेग्वर ने सौसरा का तर हाथ में कर टिया हु क्या पर मेश्वर तेरे आगे नहीं गया तब बरक्‌ तब्र पहाड़ से नौचे उतरा और दस सहस्त जन उस के पीछ पीछे ॥ २१५। और परमेग्यर ने सौसरा के ओर समस्त रथे के! और सारी सेना के बरक के आगे तलवार की घार से हरा टिया यहां लॉ कि सोसरा रथ पर से उतर के पांव पांव भागा॥ ९१६। परंत बरक्‌ रथां और सेनाओं के पीछे अन्यदेशियों के हरसत केाइम लॉ रगेटे गया और सौसरा कौ सारो सेना तलवार की धार से मारी गई और एक भी न बचा॥ १५७। तथापि सौसरा पांव पांव भाग के हिदब्र >> ४5 हे. न कनो कौ पल्नौ याइल के तंब्‌ में घ॒सा क्योंकि हस्हर के राजा यवौन और 6] [6५ ह, 80] ४८२ न्यायियां ५ पब्ब हिब्र कैनी के घर में मिलाप था॥ २१५८। तब यादल सौसरा से मिलने के। निकली ओर उसे कहा कि हे मेरे प्रभु इधर फिरिये मेरे यहां फिर आइये मत डरिये और जब वुच्द उस के तंबू में आया उस ने उसे एक ओढ़ने से ठांप टिया॥ २९७८। तब उस ने उसे कहा कि में तेरी बिनतो करता हूं कि मर्के तनिक जल दीजिये क्यांकि में प्यासा हूंसे। उस ने हृथ का एक कुप्पा खोल के उसे पिलाया और उसे ढांप दिया॥ २० | फिर उस ने उसे कहा कि तंब के द्वार पर खड़ी रह और यों हे।गा कि जब काई आके तस्कर से पछे ओर कहे कि केई परुष यहां है ते! कहियो कि नह्ञों। २९। तब हिब्र कौ पत्नी याइल ने तंब का एक कौल ओर हथोरी हाथ में लिई और होले हे।ले उस पास जाके कौल के उस की कनपटी में ठॉंका ओर भमि में गड़ा टिया क्योंकि बह थका हेके बड़ी नौंट में थासे वह मर गया॥ २२९। ओर ट्खो कि जब बरक सौसरा के रगेटता आया तो याइल उस की भेंट के निकली ओर उसे कहा कि आ में तक उस जन को जिसे त ठढ़ता हे ट्खाऊं ओर जब वह भीतर आया तो ट्खता है कि सौसरा मरा पड़ा है आर कौल उस को कनपटी में क्षे। २३। से ईग्वर ने डस दिन कनआन के राजा यबीन के इसराएल के संतान के बश में किया ॥ २४। ओर इसराएल के संतान का हाथ भाग्यमान हुआ ओर कनआन के राजा यबौन पर प्रबल हुआ यहां ला कि उन्‍्हों ने कनआन के राजा यबीन के नाश किया ॥ ५ पांचवा पब्मे । व ट्बरः और अबविनअम के बेट बरकने उसी दिन में गाके कहा # त्‌ २। जब इसराएल में संप्ण निरंकश थे जब लागों ने मनमंता आप के सौंप ट्या परमेमश्वर की स्तति करो॥ ३। हे राजाओ सने हे राज पत्र कान घरो में हों परमेम्वर के लिये गाजंगा में परमेस्प्रर इसराएल के ईस्यर के लिये बजाऊंगा॥ ४। हे परमेग्वर जब त सऔर से निकला जब त्‌ ने अट्टम के चौग़ान से यात्रा किई तंब भमि थ्थरा उठो खगे टपके और मेघें से भी बंदियां पड़ां॥ ५। पहाड़ भ पब्बे] कौ पस्तक । ४८३ परमेश्वर के आगे बहि गये अथेत्‌ यह सौना परमेग्पर इसराएल के ईम्थर के आगे॥ ६। अनात के बटे शमजर के दिनों में याइल के समय में राज मागे रूने थे और पथिक टेढ़े मार्गों से जातेथे॥ ७। गांव रह गये वे इसराएल में से उठ गये जब लो कि मे ट्यूरः न उठौ कि में इसराएल में एक माता उठौ॥ ८। जब उन्‍हें ने नये ट्वों के! चुन लिया तब फाटकों पर य्ठ हुआ क्या इसराएल के चालोस सहत्तों में एक ढाल अथवा एक भाला था॥ «€। मेरा मन इसराएल के अध्यक्षां की ओर के जिन्‍्हों ने लागां में मनमंता आप के सौंप दिया तम परमेम्यर का घन्य माना॥ ५०। तम जो ग्येत गदहें पर चढ़ते हे! और जो न्याय पर बैठते हे! और मागे चलते हे। सोचा॥ ९५५। कि पनिघट्ों में चघनषधारियों के शब्द से लाग परमेग्वर के धमां की चच्चा करंगे अथात अमे काय्यां का जो गांवों में इसराएल पर हुये तब परमेग्यर के लाग फाटकों पर उतर जायेंगे॥ ९५२ | जाग जाग हे टबरः जाग जाग गौत गा उठ हे बरक और अबिनअम के बेटे अपने बंधगनन का बंधआई में लेजा | १९३। फिर उस ने उसे जे। बच रहा हे लागें के प्रधानें पर प्रभता (६ई परमेग्थर ने मुभ्ते सामथी पर प्रभुता दिई॥ १५४। इफ्रायम में से एक जड़ अमालौक के सन्मुख हुई ओर तेरे लागों में से हे बिनयमौन तेरे पौछ मकौर में से अध्यक्ष उतर आये ओर जबलन में से जा लेझनी से जैंचते हैं। ५५। इशकार के अध्यक्ष टबरः के साथ थे अरथत इशकार बरक्‌ के साथ वुद्द पांव पांव तराई का भेजा गया रूबिन के बिभागों में मन में बड़ो बड़ी चिंता हुई ॥ १५६। त क्यां म्ंडों का मिमिय।ना सन्ने का भेडशालों में रहा रूपबन के बिभागां से मन में बड़ी बड़ी चिंता हुईं ॥ २७। जिलिअद यरट्न पार रहा और दान जहाजों पर क्यों रह गया यसर समद्र के घाट में और कोलोें में ठहर रहा॥ २५८। जबलन ग्ार नफ्ताली ने चौगान में ऊंचे ऊंचे स्थानों पर अपने प्राण का तच्छ जाना ॥ ९५९। राजा आके लड़े कनआन के राजाओं ने तअुनाक में मज़िहें के पानियां पर युद्ध किया उन्‍्हों ने कुछ रोकड़ नलिया ॥ २०। वे खगें पर से लड़े तारागण अपने अपने चक्र में सौसरा से लड़॥ २९२। करून कौ नदी वुच्द प्राचौन नदौ कुछन नदी उन्हें बचा ले गई हे मेरे प्राण ४८०४ न्यायियां [६ पत्ब त ने बलवन्तां का रांट डाला॥ २२। तब उन के घाड़ां के खर टाएें मारते थ उस के बीौरों के दौड़ाने से। २३। परमेग्र के दूत ने कह्दा कि मिराज का स्ताप ट्ओः वहां के बासयों के। अति स्ताप टिये इस कारण कि वे परमेश्वर की सहाय के लिये अथात्‌ परमेग्वर की सहाय के लिये बलवंतों के सन्‍्मख न आये ॥ २४ । केनी हिब्र की पत्नो याइल सब स्त्रियां से अधिक घन्य हेगी वह उन स्त्ियां से जा डरों में क्ें अधिक घन्य हेगी॥ २५। उस ने पानी मांग! ओर उस ने उसे टूघ दिया वह प्रतिछित पात्र में माखन लाइं॥ २६। उस ने अपना हाथ कौल पर रक्‍खा और अपना ट्हिना हाथ काय्थैकारो के हथे।ड़ी पर गजयार इथेड़ी से सोसरा का मारा उस ने उस के सिर के कुचला और गोदा और उस की कनपटी के आरंपार छेट[॥ २७। वह उस के पावों तले सकका वच्द गिर पड़ा ओर पड़ रहा वच्द उस के चरणां के आगे मका वह गिर पड़ा जहां वह स्कका तहां गिर के नाश हुआ ॥ र२८। सौसरा की माता ने मरोख से सांका ओर मकरोखे से पकारा कि उस का रथ क्यों बिलंब करता है उस के रथां के पहिये क्यों विलंब करते हें॥ २६। उस को बड्धिमती स्त्रियां ने उसे उत्तर दिया हां उस ने आप ही उत्तर दिया॥ ६०। क्या उन्होंने कार्य सिद्ध न किया क्या उन्हें ने लट न बांटी एक एक परुष पीछे टोणएक सहेलियां ओर सोसरा का भांति भांति कौ रंगीले बस्तर की लट॒ अथात बट काढ़े हुए नाना रंग के बस्तर की लट दानों अलंग बट काढ़े हुए नाना रंग के बस्त्र की लट उठानेहारां के गलां के लिये॥ ३९१। इलो रोति से हे परमेग्वर तरे सारे शत्र नाश हे।वं परंत जा उस्म प्रेम रखते हें से। रूव्य के तल्य हावें जब वह अपने पराक्रम से निकलत हे और ट्श ने चालीस बरस चैन पाया ॥ .६ छठवां पन्ने ॥ | इसराएल के संतान ने परमेश्वर की दृष्टि में बुराई क्रिई तब रमेग्वर ने उन्हें सात बरस ला मिट्यानियों के हाथ में साप दिया ॥ २ । ओर मिद्यानियें का हाथ इसराएल पर प्रबल हुआ ओर मिद्या- ६ पब्बे] [ की पुस्तक । ह8प्पू नियों के कारण इस राएल के संतानें ने अपने लिये पहाड़ों में मांद और कंटला और हृढ़ स्थान बनाये॥ ३। और एऐएसा होता था कि जब इसराएल कुछ बोते थ्रे तब मिट्यानी और अमालीकी ओर परब्बी बंश ऊन पर चढ़ आते थे। ४। ओर उन के साम्न डरा खड़ा करके अज्नज भूमि की बढ़ती के नष्ट करते थे और इस राएल के लिये न जोविका न भेड़ बकरी न गाय बेल न गटहा छोड़ते थ ॥ ५४। क्योंकि वे अपने ढार जर अपने तंबुओं सहित टिड्ौ दल की नाई मंडली हे।के आते थे वे और उन के ऊंट अगणित थे ओर वे पेठ के उन के देश के! नष्ट करते थे ॥ ६। से इसराएल मिद्यानियों के कारण दुधेल हे! गये ओर इसराएल के संतान ने परमेम्धर की दाहाई टिई॥ ७। ओर एसा हुआ कि जब डूसराएल के संतान ने मिद्यानियों के कारण परमेग्वर की दाहाई दिईं॥ ८। तब परमेश्वर ने इसराएल के संतान पास एक जन अथात्‌ आगमज्ञानी भेजा जिस ने उन्हें कहा कि परमेश्वर इसराएल का ई य्थर ये! कहता ही कि में तम्हें मिस सेले आया ओर में तम्हं सेवकाई के घर से निकाल लाया॥ <। ओर में ने तन्हं मिखियां के हाथ से जआैरर उन सब के हाथ से जा तम्हें सताते थे छड़ाया ओर तम्हारे आगे से उन्हें द्र किया और उन का देश तम्हें दिया ॥ ९०। ओर में ने तुम्हे कहा कि परमेस्घर ठुम्हारा ईम्र में कूं उन अमरियां के दवतों से जिन के देश में तम बसते हे। मत डरा पर तम ने मेरा शब्द न माना ॥ ९१॥। फिर परमेगस्वर का एक टृत आया ओर बलत छच्च तले उफरः में बैठा जा अबोअजरों यबआस का था ओएर उस का बेटा जिदःऊन कोरूक्त के पास गाह्ू काड़ रहा था जिसतें मिद्यानियां के हाथ से छिपावे॥ २५२। तब परमेम्वर का ट्टत उसे दिखाई दिया और उसे कहा कि हे महाबीर परमेम्वर तेरे साथ॥ ९५३। तब जिटःजन ने उसे कहा कि हे मेरे प्रभु यदि परमेग्थर हमारे साथ हे तो हम पर ये सब क्यां बीतते हें और उस के समस्त आशय कहां हें जा हम रे पितरों ने हम से बर्णन किया था क्या परमेसखर हमें मिस्र से नहों निकाल लाया परंत अब परमेग्वर ने हमे त्याग किया ओर हमें मट्यथानियां के दाथ में सैंप दिया॥ २४। तब परमेम्यर ने उस पर हृष्टि किई ओर कहा कि अपनो इसी सामण्य से ४८६ ..न्यायियों ६ पब्बे ] जा और त इसराएल के मिट्यानियों के हाथ से छड़ावेगा क्या में ने तम्क नहीं भेजा ॥ १५५ । ओर उस ने उसे कहा कि हे प्रभ में किस करके इसराएल के! छड़ाऊं ट्ख मेरा घराना मनर््ी में सब से तऋ और में अपने पितरों के घराने में सब से छाट[॥ २९६ । तब परमेग्र ने उसे कदर कि में तेरे साथ हे।ऊंगा और तू एक ही मनुव्य के समान सारे मिट्यानियों का मारेगा॥ १५७। तब उस ने उसे कहा कि यदि अब में ने तरी दृष्टि में अनग्रह पाया हे ता मस्मे काई लक्षण दिखा कितमम्क से बालता है॥ ९८। में तेरी बिनती करता हूं जब लें में तमक पास फिर आज और अपने मांस की भेंट लाऊं ओर तेरे आगे घरूँं तब लांत यहां से मत जाइया से उस ने कहा कि जबलोां त फिर न आवे में ठहरूगा॥ २८। तब जिटःऊन गया और उस ने बकरी का एक भेन्‍ना और एक ईफा पिसान के फलके सिद्द किये और मांस के! उस ने टोकरी में रक्वा और रस एक कथरे में डाल के उस लिये बलत छच्दा तले लाकेभेंट चढ़ाई॥ २०। तब ईग्यर के दूत ने उसे कहा कि मरंस और फलके के लेके इस चटान पर रख और जूस रस उंड्ेल से! उस ने वेसे ही किया॥ २९। तब परमेच्र के टुत ने अपने हाथ कौ लाठी के बढ़ाया और उस की टेक से मांस और फुलकों के! छुआ और उस चटान से आग निकली और मांस और फलके के भर्त किया तब परमेम्र का ट्रत उस कौ दृष्टि से जाता रहा॥ २२। जब जिद:ऊन ने टेखा कि वह परमेग्वर का हूत था तब जिटःऊन ने कहा कि हाय हे प्रभु परमेश्वर इस कारण कि में ने ईश्वर का ट्ूत आमने साम्नें रखा॥ २३। तब परमेग्वर ने उसे कहा कि तक पर कुशल हे। मत डर त न मरेगा॥ २४। तब जिटःऊजन ने वहां परमेश्वर के लिये बेदी बनाई और उस का नाम यह रक्‍्खा कि परमेश्वर कुशल भेजे से! वुद्ठ अबीअजरी उफुरः में आज के टन लो बनी है। २५। और शेसा हुआ कि उसी रात परमेग्यर ने उसे कहा कि अपने पिता का बछड़ा और णक टूसरा बेल जो सात वरस का हे ले ओर उस बेटी के जो तेरे पिता ने बल के लिये बनाई है ठादे ओर वुच्द कुंज जे उस के निकट है काट डाल॥ २६। और परमेश्वर अपने ईस्थर के लिये इस चटान € पब्बे] की पस्तक । ४८२७ पर जिस रोति से आज्ञा किई गई थी एक बेटी बना ग्लैर उस टूसरे बछड़े के! लेके उस कुंज की लकड़ियों से जिसे त्‌ काटेगा हेम कौ भेंट चढ़ा। २७। तब जिदःऊन ने अपने सेवकों से ट्स जन लिये और जेसा कि परमेग्थर ने उसे कहा था वैसा किया और इस कारण वह अपने पिता के घराने से ओएर उस नगर के लागों से डरता था वह न के न कर सका उस ने यह काम रात के किया॥ २८। ओर जब उस नगर के लाग बिहान के। उठ तो क्या टेखते हैं कि बश्यल की बेदी ढाई हुई पड़ो के और उस के पास का कंज कटा पड़ा है और उस बेटों पर जा बनाई गई थी टूसरा बछड़ा चढ़ाया हुआ हे ॥ २<६। तब उन्‍्हां ने आपस में कहा कि वह कान हुं जिस ने यह काम किया और जब उन्‍्हों ने यत्न करके पछा तो लागां ने कहा कि यआस के बटे जिदःऊन का यह काम हु॥ ३०। तब उस नगर के लागें ने यआस का कहा कि अपने बंटे के निकाल ला जिसतें मारा ज्ञाय इस लिये कि उस ने बञल की बेदी ढाई ओर उस के पास के कंज के काट डाला ॥ ३९५। तब यआस ने उन सभों का जा उस के साम्ने खडे हुए थे कहा क्या त्म बअ॒ल के कारण बिवाद करोगे और तम उसे बचाओएग जे काई उस के लिये बिवाटद करे से बिहान हेते ही मारा जाय यदि वृच्द देव है तो आप ही अपने लिये बिवाद करे क्योंकि उस ने उस को बेदौ ठाह टिई॥ ३२। इस लिये उस ने उस दिन से उस का नाम यरुव्बश्नाल रक्‍्खा और कहा कि बग्ुुल अपना बिवाद उत्ते करे इस लिये कि उस ने उस कौ बेटी ढठाइ दिई॥ ३३। तब सारे मिद्यानो और अमालौकी और पूर्बो' बंश एकट्ठे हुए ओर पार उतर के यज़रअएऐल की तराई में डरे खड़े किये॥ ३४। परंत परमेश्वर का आत्मा जिद:अन पर उतरा से उस ने नरसिंगा फंका और अविअजर के लाग उस के पौछे एकट्ठे हुए॥ ३५॥। फिर उस ने सारे मनस्पी में टृत भेजे से वे भी उस के पीछे एकट्ठे हुए और उस ने यसर के और जबूलून के और नफताली के पास ट्टत भजे से वे भी उन की भेंट करने के आये ॥ ६३६। तब जिद्‌ःऊन ने ईस्थर से कहा कि यदि अपने कहने के समान तू इसराएल को मेरे हाथ से निस्तार टेगा॥ ३७। तो देख 8८८८ न्यायियों ७ पब्बे] में ऊन का एक गच्छा खलिहान में रखता हूं यटि शेतस केवल गच्छ ही पर पड़ ओर समस्त एथिवों रूखी रहे तो में निश्चय जानंगा कि तु अपने कहेके समान इसराएल को मेरे हाथां से निस्तार टेगा॥ ह८। और यों हुआ कि वुष्द प्रातःकाल उठा और उस ने उस गुच्छे का बटोरा और उस भें की ओस एक कथारा भरके निकली॥ ३६८। तब जिटःजऊन ने ईगर से कहा कि तेरा क्राघ मुझ पर न भड़के में एक ही बार और कहूंगा में तेरी बिनती करताहूलं कि इसी गच्छे पर एक बार ओर री परोच्या करू से। अबकी क्षेवड गच्छा रझूखा रहे और समस्त भनो पर शेास पड़े॥। ४०। से ईमश्घर ने उसी रात ऐसा किया कि गुच्छा तो रूखा था और केवल सारी भूमि पर ओस थी ॥ ७ सातवां पब्बे ॥ ब यरुब्बआल जो जिटःऊन है सारे लाग सहित जो उस के साथ थे ते तड़के डठा ओर हरूट के सेते पर डरा खड़ा किया यहां ला कि मिट्यानियों की सेना उन के उत्तर अलंग भेएरि: के पहाड़ पास तराई मेंथी॥ २। तब परमेश्वर ने जिटःऊन के! कहा कि मिद्यानियों का तेरे बश में कर ट ने को लाग अति बहुत हें ऐसा न हैे। कि इसराएंल मेरे साम्ने अहंकार करके कह्टे कि भेरे ही हाथ ने मस्ते बचाया॥ ३।सेत अब जाके लागे के कान में प्रचार करके कह कि जो काई डरपकना हे। और भय रखता हे। से जिलिअद पहाड़ से तड़के फिर जाय से उन लागें में से बाईंस सहख फिर गये और ट्स सहस्त रहि गये॥ ४ | और परमेश्वर ने जिटःऊन से कहा कि तथापि अभी लाग बहुत हें त॑ उन्हें पानी पर उतार ला और वहां में उन्हें तरे लिये उन की परीक्षा करूंगा और ऐसा हेगा कि जिस के विषय में में तुमसे कहूंगा कि यह तेरे साथ जावे वच्दौ तेरे साथ जायेगा और हर एक जिस के बिघय में में कहें कि यह तेरे साथ न जावे से न जायगा ॥ ५। से वुह्द उन लागों के पानी पर उतार लाया और परमेग्वर ने जिदःऊन से कहा कि जो काई पानी के। ककर की नाई चपड़ चपड़ पीये त उन में से हर एक के! अलग रख और हर एक जा अपने घटठनों पर मकक के पीय उन्हें भी॥ ६। से ७ पते ] कौ पस्तक। ४८८८ जिन्‍्हों ने अपने हाथ अपने मंह पास लाके चपड़ चपड़ पीया से। तीन सो जन थे परंत बचे हुए लाग पानो पीने के घटने पर मूक गये॥ ७। तलब परमेग्घर ने जिटःऊन से कहा कि में उन तोन सो मनय्यों से जिन्‍हों ने चपड़ चपड़ पीया तस्मे बचाऊंगा और मिद्यानियों को तेरे हा में कर देऊंगा और समस्त लोग अपने स्थान का फिर जाये॥ ८। तब उन लोगों ने अपने भाजन और अपने नरसिंगे हाथ्रां में लिये और उस ने सब इसराएल के डरों में भेजा और उन तोौन से। का रख छोड़ा और मिट्यानियों की सेना उस के नोचे तराई में थी ॥ «। और ऐसा हुआ कि उसी रात परमेमग्यर ने उसे कहा कि उठ और सेना में उतर जा क्योंकि में ने उन्‍हें तेरे बश में कर ट्या॥ १५०। परत यदि त अकेला उतरने का डरता हु तो अपने सेवक फराह के साथ सेना में उतर ॥ ९९ । और सन वे क्या कहते हें और पीछ से तेरे हाथ बली हेंगे और त सेना में उतर जाना से वह अपने सेवक फराह का साथ लेकर सेना के हथियारबंद की पांतियां में उतर गया॥ १५२। और मिदयानी और आमालोकी ओर पूर्वी बंश बहुताई से टिड्डी की नाई तराई में पड़े थे और उन के ऊंट समुद्र के तौर की बालू के समान अगणित थे॥ २३। और जब जिटःऊन आया तो क्या टेखता है कि एक जन अपने परासी से अपना खप्न कह्दि रहा हे कि ट्ख में ने एक खप्न ट्खा कि जब की रोटो का एक फलका मिदयानी की सेना में लढ़का और एक तंब में आया और उस तंब के ऐसा मारा कि वह गिर गया और उलट टिया ऐसा कि वुह् डरा पड़ा रहा॥ २१४ । तब उस के परोसी ने उत्तर टेके कहा कि यह इसराएल के परुष यआस के बंटे जिटःजन की तलवार का छोड और नहीं हें इंश्वर ने मिट्यान और सारी सेना उस के बश में कर ट्या ॥ १५। ओर एसा हुआ कि जिटःऊन ने यह खप्न और उस का अी सन के हंडवत किई और इसराएल कौ सेना के। फिर आके कहा कि डा क्यांकि परमेश्वर ने मिदयानी सेना के तुम्हारे हाथ में सेप हिया।॥ २९६। तब उस ने उन तौन से मनय्यों का तीन जथा किया गैर उन सभों के हाथ में नरसिंगा और छंकछा घड़ा दिया और एक एक टौपक घड़े के भोतर रक्‍्खा॥ १७। ओर उन्‍हें कहाकि मस्ते देखा और 62 (8, 8,087] 8४८० न्यायियां [८ पब्ब 5० 2:22 आज 20 50, 0 00 + 0, 5 वैसा हो करो और सोंचेत रहिये जब में छावनी के बाहर जाऊं तब जा कुछ में करू से तम भी कीजिये ॥ ९५८। जब में ओर मेरे संगी नरसिंगे फंक तब तम लाग भी सेना की हर एक ओर से नरसिंगा फंकिये[ और बालियो कि परमेश्वर के लिये और जिटःऊन के लिये ॥ ९९। फिर जिटःफऊन और वे से जन जो उस के साथ थे दो पहर के छावनी के बाहर आये ओर वहीं पहरे बैठाये थे और उन्‍्हों ने नरखिंगे फंके और उन घड़ों के जो उन के हाथों में थे ताड़ा॥ २०। और उन तौनों जथा ने नरसखिंगे फंके और घडे तेडे ओर दौपकों का अपने बायें हाथ में लिया आर नरखिंगों के फंकने के लिये अपने टहिने हाथों में आर चिल्ला उठे कि ईश्वर कौ और जिटःऊन की तलवार ॥ २९। और उन में से हर एक जन अपने स्थान पर सेना कि चारों ओर खड़ा था तब सारी सेना टोड़ी और चित्लाई और भाग निकलौ ॥ २२। और उन तोनें साओं ने नरसिंग फंके और परमेश्वर ने सारौ सेना में हर एक की तलवार उस के संगी पर चलवाई और वे बेतसित्तः और सरोरः के और अबिलमहल: की ओर जा तब्बात के लग हैं भाग गये ॥ २३। तब इसराएलो लाग नफूतालौ और यसर और समस्त मनर्तीसे एकड्रे हैके निकले ओर मिट्यानियों का पीछा किया ॥ २४। और जिदःऊन ने सारे इफ्रायम पहाड़ में टूत भेजे और कहा कि मिट्यानियाँ के बिराध में उतरा और उन के आगे पानियों के बैतबरः और यरद्न लो रोके तब सारे इफ्रायमी ने एकट्ठ हेके पानियें के वैतवरः और बरट्न लॉ रोका॥ २५। ओर उन्‍्हों ने मिट्यान के दो अध्यक्षों के ग़राब और जिअब के पकड़ा और ग़राब के २राव पहाड़ पर ओर जिअब का जिअब के काल्ह़ पास मार डाला और मिट्यान का पीछा किया और गराब और जिअब का सिर यरटन के उस पार जिदःऊन पास लाये ॥ पट आठवां पब्ब | जो इफरायम के लागों ने उसे कहा कि त ने हम से यह क्यों किया कि जब तू मिद्यानियें से लड़ने गया तब हमें न बुलाया और उन्‍्हां ८्ः पब्ब ] की पस्तक | ४6८९ ने उर्शो बह्त विवाद किया॥ २। तब उस ने उन्हें कहा कि में ने तम्हारे तल्य अब क्या किया इफ्रायम के टाख का बीनन। अबिअजर की लवनों से अति अच्छा हे । ३। ईय्पर ने मिट्यान के अध्यक्ष ग़राब और जिअब के तम्हा रे हाथों में सांप ट्या से। तम्हारे तल्य काम करने का मुझ क्या सामथ्ये था जब उस ने यह कहा तब उन कौ रिस धोमो हुई॥ ४। और जिदःऊन यरदन पास आया वुच्द ओर उस के तौन सौ संगी सहित पार उतरे थके हुए रगेटते गये। ५॥ तब उसने सक्कात के लागों से कहा कि मेरे संगियों के! रोटियां टोजिये क्योंकि वे थके हैं और में मिट्यान के राजाओं का जिवह ओर जलमनः का पीछा किये जाता हू ॥ ६। तब सक्कात के अध्यक्षों ने कहा कि क्या जिबह ओर जलमनः अब तेरे हाथ में हे! गये कि हम तेरे कटक को रोटियां दरेवें॥ ७। तब जिदःऊन बेला कि जब परमेग्घर जिबह प्यार जलमनः के। मेरे हाथों में कर टेगा उस समय में तम्हारे देह के बन के कांटों से और जंटकटारों से देऊंगा॥ ८। और वहां से फनएल के! गया और वहां के लागों से वच्ची कहा और फनुऐल के लागों ने भी सुक्कात के लागां के समान उत्तर दिया॥ €। और उस ने फनएऐल के मनव्यां से भी कहा कि जब में कुशल से फिरूंगा तब इस बजे का ठा टेऊंगा। १५०। अब जिबह और जलमनः अपनी सेना सहित जो पंट्रह सहस्त पबे के संतान की सेना में से बचे थे करकर मेंथा क्योंकि एक लाख बीस सहस््त मनव्य खद्ध घारी तलवार से जम्क गये थे। ९१५। तब जिटःऊन उन की आर जे नवाह और दयगबिहाह की पब दिशा को तंबओं में रहते थे गया और सेना को मारा क्योंक वह सेना निश्यित थी॥ १५२। गऔर जव जिबचह गर जलमनः भागे तो उस ने उन का पीछा किया और मिट्यानी राजाओं के जिबह और जुलमनः का पकड़ा और सारी सेना के डरा टिया ॥ १५३। और यआस का बेटा जिटःऊन सब्ये के उदय से आगे संग्राम से फिरा। १४। गैर सक्कात में के एक तरूण के पकड़ा और उस्झ पक्का तब उस ने छसे सतचत्तर मनुस्थां का पता बताया जो सक्कात के अध्यक्ष ओर प्राचोन थे॥ १५५। तब वुद्द सक्कात पास आया और कहा कि टेखे। जिवह ४८२ न्यायियां [प पब्दें और जूलमूनः जिन के विषय में तम ने यह कहके मस्ते ओलचहना दिया कि क्या जिवह और जलमन: अब तेरे हाथ में हैं कि हम तेरे थके हुए लागों का रोटियां टवं॥ १५६। तब उस ने नगर के प्राचीनों का और बन के कांटों के और जंटकटारों के लिया और उन से सक्कातियों के जनाया ॥ १७। और फुंनएल का गढ़ ढा टिया और नगर के बासियों का मार डाला॥ १५८। फिर उस ने जिबह और जलमनः के कहा कि वे लाग कैसे थे जिन्हें तम ने तबर में घात किया ओर वे बोले कि तेरे समान हर एक राजपत्र के डोल था॥ २१५८। तब उस ने कहा कि वे मेरे सगे भाई थे जोवते परमेश्वर कौ फिग्यिा है यदि तम उन्हें जीता छाड़ते ता में भी तम्हं न मारता॥ २०। फिर उस ने अपने पहिलोट वित्र का आज्ञा किई कि उठ उन्‍हें बधन कर परंत उस तरुण ने अपनी तलवार न खोंचौ क्योंकि वह डरता था इस कारण कि वह अब ला तरुण था॥ २९५। तब जिबह और जुलमनः ने कहा कि त उठ के हमें घात कर क्यांकि जेसा मनव्य तेसा उसका बल से जिटःऊन ने उठ के जिबच्द और जलमनः के मार डाला और वे आभषण जो उन के जंटों के गले में थेलेलिये॥ २२। तब इसराएल के मनव्यां ने जिदःऊन से कहा कि त्‌ हम पर राज्य कर और तेरा बेरा और तेरा पेता भी हम पर राज्य करे क्योंकि त ने हमें मिट्यान के हाथां से छड़ाया॥ २३॥। तब जिटःऊन ने उन्हें कहा कि में तम पर प्रभता न करूंगा और न मेरा बेटा परमेश्वर तुम पर प्रभुता करेगा॥। २४। और जिट्‌ःऊन ने उन्हें कहा कि में तम से एक बात चाहता हूं हर एक मनव्य तस्में से अपनी लट का करनफल मम्मे ट्वे क्यांकि [ वे सोने के करनफल रखते थे इस कारण कि वे इसमआएलौ थे ]॥ २५ । ओर उन्‍्हों ने उत्तर ट्या कि हम मनमंता ट॒गे तब उन्हें ने बस्तर बकाया ओर हर एक ने अपनी लट के धन से करनफल उस पर डाल दिये ॥ २६। सो वे सेने के करनफल जो उस ने मांगे नैलल में एक सहख सात से! शेकल सेने के थे गहना आर पट्टा और लाल बस्त्र जा मिट्यानी राजा पहिनते थे और ऊंटों के गले की सोकरों से अधिक थे। २७। तब जिटःफऊन ने उस का एक अफद बनाया ओर उसे अपने नगर ऊफरः में रफ्वा और वहां सारे इसराएल के संतान उस के 6 पब्चे] की पस्तक । ४८३ पीछ कुकर्मी हुए और जिदःऊन ओर उस के घर के लिये फंटा हुआ ॥ २८ै। गऔर मिट्यानी इस रौति से इसराएल के संतान के बश मे हुए कि सिर फिरन उठा सके ओर जिट:ःऊन के समय में चालौस बरस लो टेश में चेन रहा॥ २९ । और यआस का बेटा यरुब्बश्यल अपने घर के फिर गया॥ ३०। ओर जिटःऊन के सन्तर निज पत्र थे क्येंकि उस की पत्नियां बहुत थीं॥ ३१५। और उस की एक टासी भी जा सिकम में थी उसद्म एक बेटा जनी और उस ने उस का नाम अविमलिक रक्खा ॥ ३२९ | और यआस का बेटा जिटःऊन अच्छा परनिया हाके मर गया और अपने पिता यआस की समाधि में अबिञ्जर के ऊफर में माड़ा गया॥ ३३। और ऐसा हुआ कि जिटःजऊन के मरते ही इसराएल के संतान फिर गये और बअलीम के पीछे कुकन्मों हुए और बअञुलवरीत के अपना देव बनाया॥ ३४। ओर इसराणएल के संतान ने ते परमेगम्वर अपने इंगखर के जिस ने उन्हें हर एक ओर से उन के शत्रुन के हाथ से बचाया था स्वरण न किया॥ ३४। ओर उन्‍्हों ने यरुब्बश्लल जिटःऊन के घर पर जेसा उस ने इसराएल से भलाई किई वैसा उन्हें ने अनुग्रह न किया ॥ मात पज्य /गी ब यरुब्बअ्लल का बेटा अबिमलिक अपने मामओं के पास सिकम के जा और उन से और अपने नाना के समस्त घराने से कहा ॥ २। कि सिकम के सारे लागों को कहे कि तुम्हारे लिये क्या भला क्े कि यरुब्बश्नल के सब सन्तर बेटे तम पर राज्य करें अथवा कि एक हो राज्य करे ओर यह भी चेत रक्‍वा कि में तुम्हारी हड्डी और तम्हारा मांस हूँ ॥ ३। ओर डुस के मामओं ने भी उसी के लिये सिकम के लागों से बहुत कुछ कहा यहां ज्ञों कि उन के मन अबिमलिक की ओर म्कके क्योंकि वे बाले कि यह हमारा भाई क्षे। ४। और उन्‍्हों ने वअलबरीत के मंट्र में से सत्तर टकड़ा चांदी उसे टिई जिन से अबिमलिक ने तचऋछ और नोच लागों के अपनी ओर किया॥ ५। और वह ऊफरः में अपने पिता के घर गया ज और उस ने यरुब्बअल के बेटे अपने सत्षर भाइयों के। एक पत्थर ४८४ न्यायियों [€ पन्चे पर मार डाला 'तथापि यरुब्बश्युल का सब से छोटा बेटा यूताम बच रहा क्यांकि उस ने आप के छिपाया॥ ६। तब सिकम के सारे लाग और मिला के सारे बासी एकड्ढे हुए और गये और बलत के खंभ के निकट जे सिकम में था पहुंच के अविमलिक का राजा किया॥ ७। ओर जब यताम ने यह सना तो वह गया ओर जरिजीम पहाड़ की चोटी पर चढ़ के खड़ा हुआ और अपने शब्द से पकारा और उन्हें कहा कि हे सिकम के लागा मेरी सने। जिसते ईखर तुम्हारी सुने ॥ ८। छक्ष निकले कि किसी को राज्याभिषेक करें सा उन्‍्हों ने जाके जलपाई छक्ष से कहा कि त हम पर राज्य कर॥ 4। परंत जलपाई छक्त ने उन से कहा कि में अपनी चिकनाई के! जिस्म वे परमेग्थर के! और मनव्य के प्रतिष्ठा देते हैं छोड़ देऊं और जाके छक्तों पर बढ़ाया जाजं॥ ९०। तब छत्तों ने गलर ह॒क्त से कहा कि त आ ओर हम पर राज्य कर॥ ९१। और गलर छच्त ने उन्हें कहा कि क्या में अपनी मिठाई और सफल छाड़ के छ॒च्छों पर बढ़ाया जाऊं॥ ५२। तब छत्तों ने दाख से कहा कि चल हम पर राज्य कर॥ २१३। ओर ट्राख ने उन्हें कहा कि क्या में अपनी मदिरा जिस्से ईमश्वर ओर मनव्य आनंट हेते हें छोड़ के जाऊं ओर छत्तों पर बढ़ाया जाजं। २९४। तब सब छल्तों ने भटकटैया से कहा कि तू आके हम पर राज्य कर॥ १५५। और भट- कटेया ने छत्तों से कहा कि यदि सच मुच मुझे अपने ऊपर राज्या- भिषेक करते हे। तो आओ ए मेरौ छाया में शरण लेग्न और यदि नहीं ते भटकटैया से एक आग निकलेगी और लुबनान के आरज ढत्त के। जलावेगी॥ २९६। से। अब यदि सच्चाई और निष्कपट से तुम ने अबिमलिक के अपना राजा किया और यदि यरुब्बश्यल से ओर उस के घर से अच्छा ब्यवहार किया ओर यदि उसे उस उपकार के समान जो उस के हाथों ने किया हे पलटा दिया॥ १५७। [ क्यांकि मेरा पिता तम्हारे कारण लड़ा और अपने प्राण के धर टिया ओर तम्हें मिद्यान के हाथां से छडाया॥ ५८। ओर तम आज मेरे पिता के घर पर उठे हे। और उस के सत्तर बेटों के एक पत्थर पर मार डाला और उस की टासी के पुत्र अबिमलिक के सिकम के लागों पर राजा किया इस कारण € पब्बे] कौ पस्तक । 86्पू कि वह तम्हारा भाई है ]। ९७८। से यदि तम ने सच्चाई ओर निष्कपट से यरुव्बअश्बल ओर उस के घर के साथ आज यह ब्यवहार किया है ता लम भी अबिमलिक से आनंद रहे और वच तम से आनंद रहे॥ २०। परत यट्ि नहीं तो अबिमलिक से आग निकले और सिकम के लागों के और मिलना के घर को भर्म करे और सिकम के लाग और मिज्नी के घर में से भी एक आग निकले और अबिमलिक को भस्म करे। २९। तब यूताम भाग के चला गया और अपने भाई अबिमलिक के डरके मारे तौर में जाके रहा॥ २२। जब अबिमलिक ने इसराएल पर तौन बरस राज्य किया॥ २३। तब ईय्थर ने अबिमलिक ओर सिकमियों के मध्य दुष्टात्मा भेजा और सिकम के लागां ने अविमलिक से छल किया॥ २४। जिसतें वुद्त कठारता जो यरुब्बशुल के सत्तर बेटों के साथ किया था आवे और उन का लाह्न उन के भाई अबिमलिक के सिर पर जिस ने उन्‍हें मार डाला ओर सिकमियों के सिर पर पड़े जो उस के भाइयों के मारने में सारी हुणए॥ २५। तब सिकम के लागोां ने उस के लिय पहाड़ों की चारियां पर घात में लागों के बैठाया और जो उस मार्ग से आ निकलते थवे उन्हें लटते थे आर अबिमलिक के संदेश पहुंचा॥। २६। तब अब का बेटा जञल अपने भाइयों समेत आया और सिकम के गया और सिकम के लागों ने डस पर भरोसा रक्खा॥ २७। और वे खतों में निकले और अपने दाख के खतों के लताड़ा ओर रोंदा और आनंद किया और अपने ट्वतों के मंदिर में घुसे और खाया पीया और अबिमलिक को घधिक्कारा॥ २८ए। तब अबद के बेटे जञ्ज॒ल ने कहा कि. अबिमलिक कोन और सिकम क्या क्ञषे कि हम उस की सेवा करें क्या यरुब्बश्लल का बेटा नहीं और क्या जबल उस का अध्यक्ष नहीं तम सिकम के पिता हमर के लागें को सेवा करो हम उस को सेवा क्यों करं ॥ २<। हाय कि लाग मेरे बश में हे।ते में अबिमलिक का अलग कर दता तब उस ने अबिमलिक से कहा कि त्‌ अपने कटक बढ़ा और निकल आ॥ ३०। और जब नगर के अध्यक्ष जञुल ने अबद के बेटे की ये बातें सुनो ता उस का क्रोाघ भड़का ॥ ३१५। ओर उस ने चतराई से अबिमलिक के पास टूत भेज के कहा कि देख अबद का बेटा जञजुल अपने भाइयों ४९८६ न्यायियां | [६ पब्बे समेत सिकम में आया ओर ट्ख वे तेरे बिराध में नगर के दृढ करते हैं॥ ३२, इस लिये तू अपने लेगां सहित रात के उठ ओर खेत में घात में बेठ। ३३। जऔर बिहान को ज्यों हों रूथ्ये उट्य हो व्यों ही नगर पर चढ़ जा और नगर से लड़ और ट्खे। जब वुह और उस के लोग तेरे पास निकल आबं तब जा हाथ से हे। सके से करिया ॥ ३४। तब अबिमलिक अपने सारे लेग सहित रात हो के उठा और चार जथा करके सिकम के सान्ने घात में बेैठा॥ ३४४५। ओर अब का बेटा जञुल बाहर निकला और नगर के फाटक कौ पैठ पर खड़ा हुआ और अबिमलिक अपने लोगों सहित दूंके से उठा॥ ३६। और जब जअल ने लागां के रेखा ते उस ने जुबल से कहा कि टेख पहाड़ की चोटी पर से लाग उतरते हें तब जबल ने उसे ककह्ठा कि त पह्दाड़ कौ छाया को मन॒व्य को नाई टेखता हे ॥ ३७। तब जअल फिर कहके बेला कि टेखा लेोग खेत के मध्य से निकले आते हैं और एक जथा मिओनोनम के चोगान से आतो हं॥ ३८। तब जबूल ने उर्ते कहा कि अब तेरा वुच्द मंह कहां है जिस्मे तू ने कह कि अबिमलिक कान जो हम उस की सेवा करें क्या ये वे लाग नहीं जिस कौ तू ने निंदा किई से अब बाहर जाइये ओर उन से युद्ध कौजिये॥ ३८। तब जञुल सिकमियां के सामने बाहर निकला और अबिमलिक से यद्व किया ॥ ४०। और अबिमलिक ने उसे खट्‌ड़ा ओर वच उस के साम्ने से भाग निकला और फाटक के पेट ला आते बहुतेरे जम गये ओर बहुतेरे घायल हुए॥ ४९५ । और अविमलिक ने अरूमः में बास किया ओर जबल ने जअल के और उस के भाइयों के! ख्देड़ टिय। कि वे सिकम में न रहें ॥ ४२। जेर बिहान के ऐसा हुआ कि लेग निकलके खेत में गय ओर अबिमलिक के संदेश पहुंचा॥। ४३। और उस ने लागें का लेके उन की तीोन जथा बिभाग किया ओर चौग्ान में ठंके में बेठा और क्या देखता हे कि लेग नगर से निकले उस ने उन का साम्ना किया और उन्‍हें मार लिया॥ ४४। और अबिमलिक अपने साथ की जथा समेत आपगे बढ़ा ओर नगर के फाटकों कौ पेट में जाके खड़ा हुआ ओर दे, जथा उन लागें पर आ पड़ी जो खेत में थी और उन्‍हें काट डाला॥ ४५ । € पब्बें) कौ पस्तक । ४6८७ और अविमलिक उस टिन भर नगर से लड़ता रहा और नगर को ले लिया और नगर के लागों के मार डाला और नगर के घस्त किया और वहां नेन बिथराया॥ ४६। जऔर जब सिकम के गढ़ के लागें ने यह सुना तो वे अपने ढेव बिरौत के मंदिर के गढ़ में शरण के लिये जा घुसे। ४७। और अबिमलिक को यह संदेश पहुंचा कि सिकम के गढ़ के सब लाग एकट्ट हुए हैं॥ ४८। तब अबिमलिक अपने सा रे लेग समेत -जलमन पहाड़ पर चढ़ा जलर अबविमलिक ने कुल्हाड़ा अपने हाथ में लिया ओर छतक्तों में से एक डाली काटो ओर उसे उठाके अपने कांघे पर घरा और अपने साथियों से कहा. कि जो कुछ तम ने मभ्ते करते देखा हे तम भी शोघ्र वेता करो ॥ ४८। तब सब लागों में से हर एक ने एक एक डालौ काट लिई और अबिमलिक के पीछ हे लिये और इन्हें गढ़ पर डालके उन में आग लगा दिई यहां ले कि सिकम के गढ़ के समस्त जल मरे वे सब परुष और स्त्री एक सहस्त के लग भग थे॥ ५०। तब अबिमलिक तेबीज में आयाओर उत के साम्ने डेरा किया ओर उसे ले लिया। ११। परत नगर के भौतर एक दृढ़ गढ़ था उस में समस्त परुष और स्त्रियां और नगर के सारे बासौ भागके जा घसे ग्यार उसे बंद किया और गढ़ की छत पर चढ़ गये॥ ४२९। तब अबिमलिक गढ़ पर आया और उद्यम लड़ा और चाहा कि गढ़ के द्वार जला टेवे॥ ५३ । तब किसी स्त्री ने चक्की के पाट का एक टकड़ा अविमलिक के सिर पर ट्‌ मारा जिसतें उस कौ खापरी चर हे। जाथ॥ ५१४। तब उस ने अपने अस्तधारी तरूण के शोघर बुलाया ओर उसे कहा कि अपनौ तलवार खाँच और मस्मे मार डाल जिसतें मेरे बिषय में कहा न जाय कि एक स्त्री ने उसे घात किया तब उस तरुण ने उसे गोरा और वह मर गया॥ ५४५४ । जार इसराएलियों ने टेखा कि अबिमलिक मर गया तब हर एक अपने अपने स्थान के। चला गया॥ ५६। इसी रीति से इंश्वर ने अविमलिक की दुष्टता के जा उस ने अपने सत्तर भाइयों का मारके अपने पिता से किई थी पलटा दिया॥ ५७। और सिकम के लागो कौ सारी बुराई ईम्वर ने उन के सिरों पर डाली और वह ख/प जा यरुबआल के बेटे युताम ने उन पर किई थो उन पर पड़ौ । 68 .0... 9 पट] 86८८ न्यायियां [१५० पब्ब २० ट्सवां पब्बे । ओर अबिमनलिक के पीछे इशकार का एक जन टृूद्टर का पेता फअ का पत्र तोालअ इसराएल के संतान के बचाव के लिये उठा बच इफरायम पहाड़ समौर में रहता था॥ २। और उस ने तेईंस बरस इूसराएल का न्याय किया और मर गया ओर समीर में गाड़ागया॥ ३। ओर उस के पीछ ज्िलिअदौ याइर उठा और उस ने इसराएल का बाईस बरस न्याय किया। ४। ओर उस के तीस बंटे थे जो तीस गटहें पर चढ़ा करते थे और डन के तीस नगर थे जिन के नाम आज के टन लो यादर के गांव हैं जो जिलिअट के देश में हैं॥। ५। ओर यादर मर गया और कमन में गाड़ा गया॥ ६। तब इसराएल के सतानें ने परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई और उन्‍्हों ने बअलीम और इस्तारात और अराम और सेटा के और मेअब के और अम्मन के संतान के और फिलिसतियों के ट्वें की सेवा किई और परमेग्वर के। छोड़ ट्या और उस की सेवा न किई ॥ ७। तब परमेग्र का क्राघध इसराएल पर भड़का ओर उस ने उन्‍हें फिलिसतियों ओर अस्मन के संतानों के हाथों में कर टिया॥ ८ं। ओर उन्हें! ने उस बरस से सारे इसराएल के संतान के जो यरदन के उस पार अमरियों के देश में और जिलिअ॒द में थे अठारह बरस लों उन्‍हें अति खिजाके चर किया। <। ओऔर अम्यन के संतान ने यरटन पार हेके यहूदाह से भी और बिनयमौन खैर इफ्रायम के घर से युद्ध किया यहां ले! कि इसराएल अति दुःखी हुए॥ २९०। तब इसराएल के सतान ने परमेग्वर को प्राथना करके कहा कि हम ने तेरे बिरुद् में पाप किया इस कारण कि अपने ईग्यर का छोड़ा ओर बञलीम की सेवा भी किई ॥ २१५९ । तब परमेम्बर ने इसराएल के संतान से कहा कि क्या में ने तम्हें मिस्तियां से और अमरियों से और अस्मन के संतान से ओर फिलिसतियों से नहों छड़ाया ॥ ९२। और सैदानियों से भी और अमालिकियों ओर मऊनियों ने भी तन्हें दु:ख दिया और तुम ने मेरी दाहाई दिई सोमें ने टुरूई उन के हाथों से छुड़ाया॥ ९३। तथापि तुम ने मुस्ते व्याग किया ३९ पब्ब ] कौ पस्तक । ४८८ और उपरी ट्वतां की सेवा किई इस लिये अबमें तम्हं न छड़ाऊंगा ॥ ९४ | तम जाओ और जिन दवों के तम ने चना हे उन को दोहाई हओ कि वे तुम्हें कष्ट से छड़ावें॥ ९५४। फिर इसराएल के संतानों ने परमेग्घर से कहा कि हम ने तो पाप किया साोजा तरीदृष्टि में अच्छा जान पड़े से! हम से कर हम तेरी बिनती करते हें केवल अबकी हमें छड़ा॥ ९६। और उन्हें ने परटेशियां के ट्वतों का अपने में से टूर किया और परमेम्मर की सेवा करने लगे तब उस का जीव इसराएल की बिपत्ति के लिये सकेती में पड़ा॥। १५७। तब अम्मन के संतान एकट्ठ बलाए हुए और जिलिअट में छावनो किई ओर इसराएल के संतान एकट्टे हुए और मिसफः में छावनी किई॥ ९५८। तब जिलिअद के अध्यच्तों जै।र लोगों ने आपस में कहा कि वह कान जन है जो अस्मन के संतान से यडू आंरभ करेगा वहौ जिलिअद के बासियां का प्रधान पफ्ागा। १५१ ग्यारहवांपब्य ॥ ञा ब जिलिअटों इफ्ताह एक महाबौर था जो गणिका सती का बंटा था और जिलिअद से इफ्ताह उत्पन्न हुआ॥ २। और जिलिअद की पत्नी उस्म बेटे जनी ओर उस की पत्नी के बेटे जब सयाने हुए तब उन्हों ने इफताह के! निकाल दिया और उसे कंहा कि हमारे पिता के घर में तेरा अधिकार नहों इस लिए कि तू उपरी स्त्री का लड़का क्षे ॥ ३ | तब इफताह अपने भाई के आगे से भागा और तब के ट्श मे जा रहा और उस के पास बहुत से तऋ लेग एकट्ट हुए और वे उस के साथ आया जाया करते थे ॥ ४। जऔर कितने दिनों के पीछ अम्मन के सन्तान ने दसराएल से लड़ाई किई॥ ५। और एसा हुआ कि जब अस्मन के संतान ने इसरा- एल से लड़ाई किई तब जिलिअद के प्राचीन निकले कि इफताह के तब के देशसे ले आवें॥ ६। ओर उन्‍हें ने इफ्ताह के कहा कि आ और हमारा प्रधान हे। जिसतें हम अस्मन के संतानों से संग्राम करें ॥ ७। तब इफ्ताह ने जिलिअद के संतानों से कहा कि क्या तम ने मस्क्र से बैर करके ५०० न्यायियों [१९ पत्चे मेरे पिता के घर से निकाल नहीं दिया से। अब जे तम विपत्ति में पड़े तो मस्त पास क्यों आए हे।॥ ८। और जिलिअट के प्राचौनों ने इफताह केा कहा कि अब हम इस लिय तेरे पास फिर आए कि तू हमारे साथ चलके अमन के संतान से संग्राम करे और हमारा और जिलिअद के सारे बासियें का प्रधान हेवे। <€। और इफताह ने जिलिअद के प्राची नें से कद्दा कि यटि अच्मन के संतान से लड़ाई करने के लिए तम मम्भ घर फेर लिये चलते हे! और परमेग्यर उ हें मेरे आगे मैप देवे तो क्या में तम्हारा प्रधान हाऊगा॥ १५०। तब जिलिअद के प्राचौनें ने इफताह का उत्तर टिया कि परमेश्वर हमारे मध्य में सनवैया हेंवे यदि हम तेरे कहने के समान न करें॥। ५९५॥। तब इफ्ताह जिलिअ के प्राचौनों के साथ चला गया और लोगों ने उसे अपना प्रधान ओऔर अध्यक्ष किया और इफताह ने मिसफ में परमेम्वर के आगे अपनी सारी बातें उच्चारण किई॥ ९२९। ओर इफताह ने अम्मन के संतान के राजा पास यह कहके टूत ' भेजे कि तुम्मे मुक्छ से क्या काम जा त्‌ मुझ पर मेरे दृश में यड्र करने का चढ़ आया है॥ १३। पर अस्मन के संतान के राजा ने इफताह के टूतों का कहा इस लिए कि जब इसराएल मिस से नकल आए तब उन्‍्हों ने मेरे देश का अनून से लेके यबक और यरद्न ले ले लिया से! अब कुशल से उन्हें फेर दओ॥ १५४। तब इफताह ने टूतों के फेर अस्मन के संतान के राजा पास भेजा। १५४। ओर उसे कहा कि इफताह यह कहता है इसराएल ने माअब का टेश और अस्मन. के संतान का देश नहीं लिया॥ ९२६। परन्त जब इसराएल मिस्र से चह आए और अरण्य से हेकके लाल समट्र और काटदिस में चले आए॥ १७। तब इसराएलियों ने अट्टम के राजा को टहूतों से यह कहा भेजा कि हमें अपने दृश में से जाने दीजिए परत अटूटम के राजा ने उन की न सनी और उसी रीति से उन्‍्हों ने मेअब के राजा का कहा भेजा परंतु उस ने भो न माना ओर इसराएल कार्ट्स में ठहरे रहे॥ १५८। तब वे अरण्य में हेके चले गए और अट्टम के टेश और मेाअब ट्श से चक्कर खाके मेअब की पबे ओर से आए और अनैन के पल्ञ आर डरा खड़ा किया पर माअब के सिवानों में प्रवेश न किया क्यांकि अनून मेअब का सिवाना था॥ १५८। तब इमराणलियों ने २९ पब्ब) कौ पुस्तक ! ४०९, अनिकीकक -न-3+++.++ हक अमूरियों क॑ राजा सेह्लन का हसबन के राजा कने ट्ृत भेजे और उसे बोले कि हमें अपने स्थान के अपने दृश में से जाने टीजिय॥ २०। पर सेहन ने उन्‍हें अपने सिवाने से जाने न दिया परंत सेहून ने अपने लाग एकट्ट किए और यहास में डरा खड़ा किया ओर इसराएल से लडे॥ २९। ओर परमेश्वर इसराणल के ईश्वर ने सेकून के! उस के सारे लोग समेत इसराएल के हाथ में सौंप टिया और उन्‍्हों ने उन्हें मारा से इसराएलियों ने अमरियों के सारे देश और उस टेश के बासियों का अधिकार पाया॥ २२। और उन्‍हें ने अनन से लेके यबक ला और अरण्य से यरटन लॉ अम्रियों के सारे सिवानों के बश में किया ॥ २३। से अब परमेश्वर इसराएल के इंस्वर ने अमूरियों के अपने इसराएल लाग के आगे से टूर किया तो क्या तू उसे बश में करेगा॥ २४। जो तेरे देव कमुस ने तेरे बश में किया है उसे नहीं चाहता के से परमेश्रर हमारा ईम्पर जिन्हें हमारे आगे से टूर करेगा हम उन्हे बश में करेंगे ॥ ५ । आर क्यात मेातब के राजा सप्र के बेटे बलक से भला क्े उस ने कभी इसराएल से स्कगड़ा किया अथवा उस ने कभी उन से यड्भ किया ॥ २६ | जब लो इसराएल हसबन में और उस के नगरों में और अरआयर और उस के नगरों में अर उन सब नगरों में जे अनेन के सिवानों में हू तोन सा बरस रहा किए उस समय लोॉं तम ने उन्‍हें क्यों न छडाया॥ २७। से में ने तेरा अपराध नहों किया परंत मम्क से यद्ञ करने में त अनचित करता हे से परमेग्वर न्यायी इसराएल के संतान के ओर अस्मन के संतान के मध्य में आज के दिन न्याय करे॥ २८। तिस पर भी अन्मन के संतान के राजा ने उन बातों के जा इफताह ने उसे कहा भेजों नसना॥ २<८। तब परमेश्वर का आत्मा इफताह पर आया और वह जिलिअद ओर मनस्सखी के पार गया और जिलिअद के मिसफा से पार गया ओर जिलिअद के मिसफा से अन्मन के संतान की जऔेर डतरा॥ ३०। ओर इफताह ने परमेग्वर की मनाती मानी और कहा कि यदि त सचम॒च अस्मन के संतान को मेरे हाथ में लोंप टेगा॥ ३९। ते ऐसा होगा कि जब म॑ अस्मन के संतान से कशल से फिर आजऊंगा तो जे कछ मेरे घर के द्वारों से पहिल मेरी भंट के। निकलेगा वह निस्यय परमेग्पर १०२ न्यायियाँ [१०२ पब्ब का होगा अथवा में उसे हम कौ भेंट के लिए चढ़ाऊंगग॥ ३२। तब इफ्ताह अस्मन के संतान कौ ओर पार उतरा कि उनसे लड़ और परमेश्र ने उन्हें उस के हाथ में सांप टिया और अरआयर से लेके मिनियत के पहुंचने लां बीस नगर और टाख की बारो के चाौगान लॉंअआत बड़ी मार से उन्हें मारा इसी रौति से अस्मुन के संतान इसराएल के संतानों के बश में हुए।॥ ३४। और जब इफ्ताह मिसफा के अपने घर आया तब क्या देखता है उस की बेटी तबले बजाती और नाचती हुई उसे आगे लेने के निकली और वुच्द उस कौ एकलैती थी उसे छोड़ काई बेटा बंटी न थी ॥ ३५। और यों हुआ कि जब उस ने डसे ट्खा तब अपने कपड़े फाड़ और बोला हाय हाय मेरी बेटी त ने मक अति उदयस किया तडन में से एक है जा मस्के सतात हैं क्यांकि मैं ने ते। परमेग्वर के। बचन दिया है और हट नहीं सक्ता। ३६। तब उस ने उसे कहा कि हे मेरे पिता यदि त ने ईग्वर के! बचन दिया हु ता जा कछ तरे मंह से निकला से। मस्त से कीजिए क्योंकि परमेग्र ने तेरे शव अस्मन के संतान से तेरा पलटा लिया क्षे। ३७। फिर उस ने अपने पिता से कहा कि मेरे लिये इतना कीजिए कि दा मास मर्खे छाड़िये जिसते में पहाड़ों में फिरूं और अपनी संगियां का लेके अपने कऑआंरपन पर बिलाप करूँ ॥ ८। ओर वह बेला कि जा और उस ने उसे दे। मास की छट्टो दिई और वह अपनी संगियें सहित गई और पहाड़ां पर अपने कऑंरपन पर बिलाप किया ॥ ३९। और दा मास के पौछ अपने पिता पास फिर आई और उस ने जैसी मने।ती मानी थी वैसी हो उससे किई और वुच्द पुरुष से अज्ञान रही और यह इसराएल में बिधि हुई ॥ ४०। से इसराएल की कन्या बरस बरस जिलिअदी इफताह की बेटी से बरस में चार दिन बात चौत करने का जाती थों | १२ बारहवां पन्‍्व, हा छ् आज कह 2, किक जज समय इफ्रायम के लाग णकट्ठ हेकके उत्तर दिशा के गए और इफताहइ से कहा कि जब त अन्मन के संतान से यडू करने के पार उतरा तब हमें क्यां न बलाया से अब हम तेरे घर के तम्क समेत जला १२ पत्ब] कौ पस्तक। ४०३ टेंगे॥ २। इफुताह ने उन्हें उत्तर दिया कि में और मेरे लोग अम्मन के सतान से बड़ी कूगड़ा रखते थे और जब में ने तुम्हें बलाया तुम ने उन के हाथ से मस्ते न छीड़ाया॥ ३। और जब में ने टेखा कि तम ने मस्के न छाड़ाया तब में ने अपना प्राण हाथ पर रक्‍वा ओर पार उतर के अस्मन के संतान का साम्ना किया और परमेग्वर ने उन्हें मेरे हाथ में सौंप टिया से तम आज के दिन किस लिये मस्त पर लड़ने के चढ आए हे। ॥ ४। तब इफताह ने सारे जिलिअदियां का एकट्टा करके इफरायमियों में से लड़ाई किई और जिलिअटियें ने इफरायमियों के मार लिया क्यांकि वे कहते थे कि जिलिअटौ इफरायमियां में और मुनस्यी में इफरायमियों के भगाड़े हें॥ ५। और जिलिअटी ने इफरा- यमियों के आगे यरटन के घाटों के ले लिया और ऐसा हुआ कि जब इफ्रायमी भागे हुण आए ओर बाले कि मुम्फे पार जाने दे तब जिलिअ दौ उसे कहते थे कि तू इफरायमी हे यदि उस ने नाह किया॥ ६। तब उन्‍्हों ने उसे कहा कि शबलौस कहे! ओर उस ने सबलौस कहा इस लिये कि वृह्ठ ठीक उच्चारण कर न सक्ता था तब वे उसे पकड़के यरटन के घाटों पर मार डालते थे से उस समय वहां बयालीस सहस्र इफरायमी मारे गए॥७। और इफताह ने छः बरस लें इसराएल का न्याय किया उस के पीछे जिलिअ॒दी इफ्त।ह मर गया और जिलिअ॒द की बस्तियों में गाड़ा गया॥ ८। उस के पीछे बेतलहम का इबसान इसराएल का न्यायी हुआ॥ <। उस के तौस ता बटे थे और तीस बेटियां ओर उस ने बटां के बाहर भेजके उन के लिये तौस बेटियां मंगगाई_ उस ने सात बरस इसराएल का न्याय किया ॥ ९०। तब इबसान मर गया और बैतलहम में गाड़ा गया॥ १५१९॥। उस के पीछ जबलनी ओलन इसराएल का न्यायो हुआ ओर उस ने ट्स बरस इसराएल का न्याय किया॥ २९२। और जूबलूनी औअलन मर गया और गैयलन में जबलन के देश मे गराड़ा गया॥ १५३। उस के पीक हलौल का बेटा अबद्रन एक परअतनी इसराएल का न्यायी हुआ ॥ २९४। उस के चालोस बेटे और तीस पोते थ जो सत्तर गदहें के बछेड़ों पर चढ़ा करते थे और आठ बरस उस ने इसराएल का न्याय किया। ९५४। ओर हलौल का बेटा परअतूनी १०४ न्यायियों [१५३ पच्चे अबटून मर गया और अमालौकियों के पहाड़ इफरायम के देश में परअतन में गाड़ा गया ॥ ९३ तेरहवां पब्व । ि इसराएल के संतान ने परमेश्वर की दृष्टि में अधिक बराई किई पर परमेग्वर ने उन्हें चालीस बरस ला फिलिसतियों के हाथ में सांप ट्या॥ २। और दान के घराने में रूरअः का एक जन था जिस का नाम मनहा था उस कौ स्त्री बांक हेके न जनती थी॥ ३ । तब परमे- आर का ट्रत उस स्त्री के! टिखाई टिया और उसे कहा कि ट्ख तू बं।म्क हे के नहीं जनती है पर त गभिणी हेगी और बेटा जनेगी ॥ ४। से। साचत हे। मट्रि अथवा अमल की कोई बस्त न पीजिया और काई अशइू बस्त न खाइये।॥ ५ । क्योंकि त गर्भि णी हेगी और बेटा जनेगी उस के सिर पर करान फिरेगा क्योंकि वह बालक गभ से परमेग्वर के लिये नासरी होगा और वह इसराणलियों के फिलिसतियों के हाथ से छड़ाने के आरंभ करेगा॥ ६। तब उस सली ने आके अपने पति से कहा कि ईश्वर का एक जन मम्भ पास आया उस का खरूप ईश्वर के ट्त की नाई अति भयानक था परंत में ने उसे न पका कि त कहां का और उस ने भी अपना नाम म्झे न बताया॥ ७। पर उस ने मस्के कहा कि देख त गभिणो हाके बेटा जनेगी अब त मटहिरा और काई अमल कौ बस्त न पीजिया और अपवित्र बस्त मत खाइयो क्यांकि वह बालक गभ में से जीवन भर ईग्थर लिये नासरी हेगा॥ ८। तब मनहा ने परमेश्वर से बिनतो करके कहा क्षिहे मेरे परमेश्वर ऐता कर कि इग्थर का वह जन जिसे त ने भेजा था हम पास फिर आवे और हमें सिखावे कि हम उस लड़के के विषय में जा उत्पन्न होगा क्या करं॥ <। ओर इंचर ने मनहा का शब्द सना और ईम्वर का ट्रत उस स्त्री पास जब वह खेत में थी फिर आया परंत उस का पति मनहा उस पास न था॥ ९०। तब्र वह स्त्री फरती से है।ड़ी गई और अपने पति के जताया और उसे कहा कि टेख वही मनुब्य जा अगिले ट्न मुम्भे टिखाई दिया था फिर दिखाई दिया हे॥ ९९। तब मनूहा उठके अपनी पत्नी के पीछे चला और उस मनव्य पास € पन्ये ] कौ पुस्तक । १०५ आके उसे कहा कि त वही परुष है जिस ने इस स्त्री से बातें किई और उस ने कहा कि में छूं॥ ९२ । तब मनहा ने कहा कि जेसे त ने कहा वैसे हो हे।वे लड़के की कान सो रीति अथवा वह क्या करेगा॥ ९३ | तब परमेख्र के दूत ने मनूहा से कहा कि सब जो में ने स्त्री से कहा हे वुद्द चेकप रहे॥ २४। वह दाख में का कुछ न खाय और मदिरा ओर काई अमल न पौय ओर व्पवित्र बस्त नखाय सब जो में ने उसे आज्ञा किई पालन करे ॥ ९५ । और मनहा ने परमेग्थर के ट्ूत का कहा कि तनिक आप ठहर जाइये कि हम आप के आगे एक मेम्ना सिट्ठ करें। ९६ । परंतु परमेग्घर के टुत ने मनहा से कहा कि यद्यपि त मस्ते रोके तथापि में तेरी रोटी न खाऊंगा और यदि तू हम कौ भेंट चढ़ावे ता तम्मे उचित है कि परमेश्वर के जिये चढ़ावे क्योंकि मनहा न जानता था कि वह परमेग्वर का दत है ॥ २१५७।फिर मनूहा ने परमेश्वर के हूत से कहा कि आप का नाम क्या जिसतें जब आप का कहा परा हे।ववे हम आप की प्रतिष्ठा करें॥ ९८। और परमेश्वर के दूत ने उसे कहा कि त मेरा नाम क्यों पछता हे कि वह आसख्युयित ॥ १५६ । तब मनहा ने एक मेम्ना भाजन को भेंट के कारण परमेग्वर के लिए एक चटान पर चढ़ाया और उस ने आ्यव्यित रीति किई और मनहा ओर उस की स्रोट्ख रहे थे ॥ २०। क्योंकि ऐसा हुआ कि जब बंदी पर से खगे को ओर लैएर उठी तब परमभेग्घर का ट्टत लार में हे।के बेटौ पर से खगे के। चला गया और मन हा और उस को स्त्री ने रेखा और मंह के बल भमि पर गिरे ॥ ९ । परंत परमेश्वर का ट्ृत मनहा के और उस की स्त्री के फेर दिखाई न दिया तब मनहा ने जाना कि वह परमेग्वर का ट्ूत था॥ २२। ओर मनूहा ने अपनी पत्नी से कहा कि हम अब निञ्यय मर जायेंगे क्यांकि हम ने ईमस्र का ट्खा॥ २३। परंत उस कौ पत्नो ने उसे कहा कि यदि पर मेमश्वर की इच्छा हमें मारने का हेती ता बह हे।म की भंट ओर भ जन कौ भेंट हमारे हाथों से ग्राह्य मन करता ओर हमें यह सब न ट्खिाता और इस समय के समान हमें ये बातें न कहता॥ २४। जर बच स्तो बेटा जनी ओर उस का नाम शम्स््न रक्‍्वा वह लड़का बढ़ा और परमेश्वर ने उसे आशौष दिई॥ २५। ओर परमेम्यर का आत्मा €।न की छावनी सुरअः और इसताल के बीच उसे उभाड़ने लगा ॥ 64 [#. 8, $.,] ५०६ न्यायियां [१४ पन्ने 72 «० [ प ९४ चौट्हवां पब्ब। ५५ हो शम्स््न तिमन: में उतरा और तिमन:ः में उस ने फिलिसतियों की बरटियों में से एक स्त्री के! टेखा॥। २। ओर उस ने ऊपर आके अपने माता पिता से कहा कि में ने फिलिसतियों को बेटियां में से _तिमनः में एक का ट्ेखा से। उससे मेरा बिवाह करा देओआ॥ ३। तब छस के माता पिता ने उसे कहा कि क्या तेरे भाइयां की बेटियां में और मेरे सा रे लागों में काई स्त्री नहीं जा त्‌ अखतना फिलिसतियों में से पत्नो लिया चाहता क्षे और शम्स्ून ने अपने पिता से कहा कि स्त्री के मस्ते टिलाइये क्योंकि वुह् मेरे मन में भाई है ॥ ४। परंत उस के माता पिता न समस्ते कि यह परमेश्वर की ओर से क्षे और फिलिसतियों से बैर दूंढ़ता हे क्योंकि उस समय में फिलिसती इसराएलियों पर प्रभता करते थे ॥ ६। तब ७ व ०७ पु ५ < +- शम्स्ग्न अपने माता पिता के संग तिमनः के। उतरा ओर तिमनत के द्वाख 00५ & उ-*च्क & जा वि «५ सं 9०% की बारियां में आये ग्र क्या देखता है कि एक युवा सिंह उस के सन्मुख गजेता हुआ उस पर आ पहुंचा ॥ ६। तब परमेअर का आत्मा रे बज ० सामथ्य के साथ शम्सून पर पड़ा ओर उस ने उसे एसा फाड़ा जेसे काई मेम्ना के। फाडता हे ओर उस के हाथ में कुछ न था परंत जा कुछ डस से जे कह 2 कप ० ने किया था से अपने माता पिता से भी न कह ॥ ७। तब उस ने जाके उस स्त्री से बात किई ओर वह शम्स्ून के मन में भाई॥ ८। और कितने दिनें के पीछ वह उसे लेने फिरा ओर वह अलग हे।के उस सिंह की लाथ देखने गय। ओर क्या देखता है कि सिंह की लाथ में मधघ मक्खी का मकंड ओर छत्ता हे॥ 6। तब उस ने उस में से हाथ में लिया ओर खाता हुआ चला गया ओर अपनो माक्ता पिता के पास आया और उन्हे भो कुक दिया डन्हां ने खाया परंतु उस ने उन्हें न कहा कि यह मधु सिह ि 6 बयोडन ु बीते लाथ में से निकला ॥ १०। फिर उस का पिता उस स्त्री के पास गया ओर वहां शझग्सन ने जेवनार किया क्यां कि तरुण का यह ब्यवच्दार था॥ २९१९। और ऐसा हुआ कि जब उन्‍हें ने उसे ट्खा ते वे तीस संगीे का लाये कि उसे के साथ रहें॥ 7 ९२ ४ और शंग्स्न तने हन्‍्हटेंसकहाजकि में तुम से एक पहेलौ कहता हूं बदि तुम जवनार के सात दिन के भोतर १५ पन्बे] कौ पस्तक । १०७ निश्यय उस का अथे मस्के बतलाओग और उस का भेद पाओगे ता मैं तीस ओढ़्ना और तोस जोड़े बस्त तम्ह टऊंगा॥ १५३। परंत यदि तम न बता सकेगे ते तम तोस ओडढ़ना और तौस जोड़े बस्त मस्ते देओगे से वे बाल कि अपनो पहेली कह कि हम सनें॥ २१५४। तब उस ने उन्हें कहा कि भक्षक में से भक्ष्य निकला ओर बली में से मिठास और वे तोौन दिन लो उस पहेली काअथे न बता सके॥ २९५ । गऔर या हुआ कि सातवें दिन उन्हें ने शग्सन को स्त्री से कहा कि अपने पति का फसला कि वह इस पहेली का अथे हमें बतावे नहों ता हम तेरा और तेरे पिता का घर आग से जला टेंगे क्या तम ने हमें बलाया हे कि नहों कि हमारा अधिकार लेओ॥ १५६। तब शम्स्न की पत्नी उस के आगे बिलाप करके बेलली कि तू मुक्त से बेर रखता हे ओर मुस्ते प्यार नहीं करता त ने मेरे लागे के संतानों से एक पहेली कह्दी और मस्फे न बतलाई जैर उस ने उसे कहा कि में ने अपने माता पिता को नहीं बताया से क्या तसक बताऊं। २९७। और वह उस के आगे उन के जेवनार के सात दिन लों राया किई और सातवें दिन ऐसा हुआ कि उस ने उसे बता टिया क्योंकि उस ने उसे निपट सताया और उस ने उस पहेली का अर्थ अपने लेगों के संतानों से कदह्द ॥ १५८। ओर उस नगर के मनव्यां ने सातवें टिन सब्य के अस्त हेने से पहिले उसमे कचहत कि मघ से मीठा क्या है ओर सिंह से बलवान केन तब उस ने उन्‍हें कहा कि यदि तम मेरी कलार से न जात्ते ता मेरी पहेली का भेद न पावते ॥ ९८। फिर परमेमश्वर का आत्मा उस पर पड़ा ओर वह अशकलन के गया खैर उन में से तीस मनव्यों के! मार डाला और उन के बस्त लिये और उन्हें जोड़ा जाड़ा बस्तर दिये जिन्‍हां ने पहेली का अर्थ कहा था से। उप्त का क्राघ भड़का ओर अपने पिता के घर चढ़ गया॥ २०। परंत श्म्स््न की पत्नी उस के संगी का जिसे वह मित्र जानता था दिईं गई ॥ ९५ पंट्रहवां पब्ब | (८२ हु कितने दिन पीछे गे।ह्ू की कटनी के समय में ऐसा हुआ कि ०. ० किक. ल्‍्् ०-० बी शम्स््न एक मेम्ना लके अपनी पत्नी की भंट का गया और कहा ५०८ न्यायियो (१५ पब्बे कि में अपनो पत्नी पास काटरी में जाऊंगा परंत उस के पिता ने उसे जाने न दिया॥। २। ओर उस के पिता ने कहा कि मस्फे निलद्यय हुआ कित उसमे बेर रखता था इस लिय में ने उसे तेरे संगी के टिया और उस की लऊहुरी बहिन उसमे क्या अति सुंदरी नहों से उस की संतो इसे ले॥ ३। तब शम्स्न ने उन के विषय में कहा कि अब में फिलिसतियों से निटाष हे।ऊंगा यद्यपि में उन की हानि और बराई करू॥ ४। तब शम्स्न ने जाके तौन से लामड़ियां पकड़ों और टो दो कौ पंछ एक साथ बांघी और पलौीता लिया और पंछ बांघके एक एक पलीता बीच में बांधा॥ ५४। ओर पलीतों को बार के उन्हें फिलिसतियों के खड़े खेतों में छेड़ दिया और फलों से लेके खड़े खेत लें और दाख के बाटिकों का और जलपाई का जला दिया ॥ ६ । तब फिलिसतियों ने कहा कि यह किस ने किया हे और वे बाले कि तिमनी के जंवाई शम्स्हइन ने इस लिये कि उस ने उस की पत्नो के लेके डस के संगी के। टिया तब फिलसती चढ़ आये और उसे ओर उस के पिता के आग से जला दिया ॥ ७। तब शम्स्न ने उन्हें कहा कि यद्यपि तम ने ऐसा किया क्षे तथापि में तम से प्रतिफल लेऊंगा तब पीछ चैन करूंगा ॥ ८। ओर उस ने उन्हें जांघ और कला से मार मारके बड़ा नाश किया और फिर जाके ऐताम पबत पर बैठ गया॥ ८ । तब फिलिसती चढ़ गये ओर यहूदाह में डेरा किया और लह्ों में फैल गये॥ ९०। और यहूदाह के मनुय्यों ने उन से कहा कि तुम हम पर क्यों चढ़ आये हे। वे बेलले कि शग्स्न के बांघने का कि जेसा उस ने हम से किया हम उस्म करें॥ १५९५। तब यहूदाह के तोन सहस्त मनुब्य एताम पबेत की चोटी पर गय और शब्स्हन का कहा कि क्या तू नहों जानता है कि फिलिसतो हम पर प्रभुता करते हैं से। त्‌ ने हम से यह क्या किया क्षे और उस ने उन्हें कहा कि जेसाः डन्हा ने मुक्त से किया में ने उन से किया॥ १५२। तब उन्हें ने उसे कहा कि अब हम आये हैं कि तुस्के बांघके फिलिसतियों के हाथ में सैंप हेंवें और शग्स्न ने उन्हें कहा कि मु से किरिया खाओ कि हम आप तम्फे न मारेंगे। ९३। पर उन्हों ने उसे कहा कि नहीं परंत हम तुस्के हृढ़ता २६ पब्बे] की पस्तक । ५०८ से बांधे गे ओर उन के हाथ में सौंपेंगे पर निश्चय दम तम्ते मार न डालेंगे फिर उन्‍हें ने उसे हो नई डोरी से बांधा ओर पहाड़ी पर से उतार लाये॥ ९४। जब वुच्द लह्ौं में पहुंचा तव फिलसती उस पर ललकारे डस समय परमेगखर का आत्मा सामथ्ये के साथ उस पर पड़ा और उस की बांद पर की डारी जले सन की नाई हे। गई और उस के हाथों के बंधन खज गये॥ १५५। तब उस ने गदहे को एक नई जबड़े कौ हड्डी पाई जआर हाथ बढ़ाके उसे लिया ओर उस ने उससे एक सहस्व मनव्य मार डाले॥ ९६। जार शम्स्न बाला कि एक गटहे की जबड़े कौ हड्डी सेठरपर ढेर मे ने एक गदहे की जबड़े की हड्डी से एक सहस्त परुष मारे॥ १९५७। ओर एसा हुआ कि इतना कहके जबड़े की हड्डी का अपने हाथ से फेंक दिया और उस स्थान का नाम रामतलकी रक्‍्वा। ९८:। और वह निपट पियासा हुआ तब वह परमेम्घर की बिनती करके बेलला कि त ने अपने टास के हाथ से ऐसा बड़ा बचाव दिया और अब क्या मे पियासा मरके अखतनों क॑ हाथ में पड़ ॥ २१५८। तब परमेम्धर ने एक गड़हा लह्ौ में खोटा और वहां से पानी निकला ओर उस ने उसे पीया तब उस के जो में जी आया और वह फिर जौया इस लिय उस ने उस का नाम एबेक का कआं रखा जो आज लों लक्तो में है। २०। जर उस ने फिलिसतियों के समय में बीस बरस लो इूसराएल का न्याय किया । ९६ सेलहवां पब्बे । त ब शम्सून अच्जः के गया और वहां एक गणिका स्त्री रखो और उस पास गया॥ २। अज्जियों से कहा गया कि शम्सून यहां आया है से उन्‍्हों ने उसे घेर लिया और सारी रात नगर के फाटक पर डस की घात में लगे रहे पर रात भर यह कहके चुप चाप रहे कि जब बिचह्ान हेगा तब हम उसे मार लेंगे॥ ३। ओर शम्स्न आधी रात लो पड़ा रहा और आधी रात का उठा और उस ने नगर के फाटकोंं के दुआरों के और दे खंभां के अपने कांघे पर घरके उस पहाड़ी को ४९० न्यायियाँं (१६ पब्बे चोटो पर जो! हबरून के आगे क्ञे लेगया॥ ४। ओर बहुत दिन के पीछे ऐसा हुआ कि उस ने सू रेक कौ तराई में एक स्त्री से प्रौति कौई जिस का नाम दलौल: था॥ ५। ओर फिलिसतियों के प्रधान उस पास चढ़ गये और उसे कहा कि उसे फ्सला और टेख कि उस का महा बल कहां है और किस रीति से हम उसे बश में करें जिसतें हम उसे बांघ के बश में करें और हर एक हम में से ग्यारह ग्यारह सी टुकड़े चांदो तम्के देगा ॥ ६ । ओर ट्लीलः ने शम्स्न से कहा कि मुझे बता कि तेरा महा बल किस में है ओर किस्से तबांघा जाय कि तस्के बश में करें । ७। और शम्सून ने उसे कहा कि यटि वे मसझे सात ओआदो डारियों से जा कभौ मरी न हुई हे बांघ तब में निबैल हे। जाऊंगा श्यर दूसरे मनव्य की नाई हे| जाऊंगा॥ ८। तब फिलिसतियां के प्रधान उस पास सात आदी डारी लाये जो कभी न रूखी थीं और उस ने उन से उसे बांघा॥ «। और घातवाले उस के संग काठरौ के भौतर ढके में थे और वह उसमे बे।ली हे शम्सन फिलिसतो तम्क पर पड़े तब उस ने उन डारियों का सनके रूत की नाई जो आग में लग जाय ताड़ा से उस का बल जाना न गया ॥ ३९० । तब टलौलः ने शम्सन से कहा कि टेख तू ने मस्के चिड़ाया और मठ बाला अब मस्ते बता कि त किस्से बांधा जाय॥ १५९। ओर उस ने उसे कहा कि यदि वे मस्के नई रस्त्ियां से जे। कभो काम में न आई हे कस के बांघें तब में निबैल होके दूसरे मन॒व्य की नाई हे। जाऊंगा॥ ९२ । इस लिये दलौलः ने उसे नई रस्प्ियों से बांघा और बेजली कि हे शम्स्न फिलिसती तुझू पर आये ओर घातवाले काठरी में बेठे थे से उस ने अपनी भजाओं से उन्‍हें तागे की नाई तोड डाला॥ ९५३। फिर दलौलः ने शम्रून से कहा कि अब लां त ने मसके चिड़ाया ओर म्कठ बेला मे बता कि त किस्से बांधा जाय तब उस ने उसे कहा कि यदि त मेरी सात जटा ताने में बिने॥ १४। तब उस ने खंटे से उन्‍हें कसा और बोली कि हे शरस्ट्न फिलिसती तम्क पर आ पड़े ओर वह नौंट से जागा ओर बन्ने के खंटे के ताने के साथ लेके चला गया॥ १५५ ॥। फिर उस ने उसे कहा कि क्योंकर त कहता हे कि में तक से प्रौति रखता हूं अब ला तेरा मन मुस्क से नहों लगा तू ने यह तीन १६ पब्बें | कौ पक्तक । ४९९ बार मम्के चिड़ाया ओर मस्‍्फे नहों बताया कि तेरा महाबल किस में है॥ १६ । और एसा हुआ जब उस ने उसे प्रति दिन बातों से ट्बाया ओर डसे उसकाया किई यहां लो कि वुच्द जीवन से उदास हुआ॥ ९७। तब उस ने अपने मन का सारा भेट खालके कहा कि मेरे सिर पर छरा नहों फिर क्योंकि में अपनी माता के गभ में से ईश्वर के लिये नासरी हूँ यदि मेरा सिर मड़ाया जाय तब मेरा बल मम्क से जाता रहेगा और में निबेल हेके ओर मनुव्य कौ नाई हे। जाऊंगा॥ ९८। ओर जब ट्लौलः ने टेखा कि उस ने अब अपने सारे मन का भेद कह दिया तब उस ने फि्लिसतियों के प्रधानों के! यह कहके बलवाया कि एक बार फेर आय क्यांकि उस ने अपने मन का सारा भेट मस्क पर प्रगट किया तब फिलिस तियों के प्रधान उस पर चढ़ आये और रोकड़ अपने हाथ में लाथे॥ ९८। ओर उस ने उसे अपने घुटने पर से।ल। रक्वा और एक जन को बुलवाके सात जटा जे। उस के सिर पर थीं मुड़वाईः ओर उसे सताने लगी ओर उस का बल जाता रहा॥ २०। ओर वह बाली कि हे शम्सन फिलिसती तक पर आये तब वह नोंट से जागा और कहा किमें आगे की नाई बाहर जाऊ॑गा ओर आप को बल से हिलाऊंगा परंत वह न जानता था कि परमेश्वर उसे छोड़ गया॥ २५९५। तब फिलिसतियों ने उसे पकड़ा ओर उस की आंखें निकाल डालों और उसे अज्जः में उतार लाये ओर पीतल की सौकरों से उसे जकड़ा और वह बंदौगुह में पडा चक्कौ पीसता था॥ २२। तथापि सिर मड़ाने के पीछे उस के बाल फेर बढ़ने लगे ॥ २३। और फिलिसतियों के प्रधान एकट्ठे हुए कि अपने टेव ट्जून के लिये बड़ा बलिदान चढ़ावें और आनंट करें क्योंकि उन्‍हें ने कहा कि हमारे दव ने हमारे बैरी शम्सखून के। हमारे बश में कर दिया। २४। ओर जब लागों ने उसे देखा तब उन्‍हें ने अपने दृव को स्तुति किई क्योंकि उन्हें ने कहा कि हमारे देव ने हमारे बैरी के जिस ने हमारा देश उजाड़ा और हमारे बहुत से लागे के। नाश किया हमारे हाथ में सांप टिया। २५। और एसा हुआ कि जब वे मगन हे रहे थे तब उन्‍्हों ने कहा कि शम्स््न के बलाओ कि हमारे आगे लौला कर से उन्‍हें ने उसे बंटौगुच्द से बलवाया और व॒चह् उन के ४९२ न्यायियों [५७ पज्ुब आगे जीला करने लगा उन्‍्हों ने उसे खंभां के मध्य में रक्वा॥ २६। और शम्स्न ने उस छाकड़े का जा उस का हाथ पकड़ हुए था कहा कि मस्ते खंभे टटोलने तट जिन पर घर खड़ा क्षे जिंसतें उन पर ग ेटमगं ॥ २७। और घर परुषों ओर स्त्रियों से भर पर था ओर फिलिसतियों के समस्त प्रधान वहों थे और तोन सचहस्त के लग भग स्त्री परुष छत पर थे जा शम्सन की लोला ट्ख रहे थे। २८। तब शम्स्न ने परमेग्यर के पकारा और कहा कि हे प्रभ ईम्धर ट्या करके मझभ स्वरण कीजिये केवल इसी बार मर्के बल दटौजिये जिसतें में एकट्ट फिलिसतियों से अपनी दोनों आंखें का पलटा लेऊं। २९<। तब शम्र्ून ने दोनों मध्य के खंभों के! ज्षिन पर घर खड़ा था एक के। टहिने हाथ से और दूसरे के बायें से पकड़ा ॥ ३० । और शम्स््न बाला कि मेरा प्राण भी फिलिस्तियों के साथ जाय से! उस ने बल करके उसे स्कुकाया और घर उन प्रधानों खैर उन सब लागों पर जो उस में थे गिर पड़ा और वे लेग जिन्हं उस ने अपने साथ मारा उन से अधिक थे जिन्हें उस ने अपने जोते जो मारा था। ६१५। तब उस के भाई ओर उस के पिता के सारे घराने आये और उसे उठाया और उसे सरअः और इसताल के मध्य में उस के पिता मन्‌हा कौ समाधि स्थाम में गाड़ा और उस ने बीस बरस लो इसराएल का न्याय किया ॥ ९७ सतरहवां पब्बे ॥ ञ्ः इूफरायम पहाड़ का एक जन था जिस का नाम मौका था॥ २ । ओर उस ने अपनी माता से कहा कि वे ग्यारह से! रुपय ज्ञा तर्क से लिये गये थे जिस के कारण त ने स्वाप दिया और जिस के बिषय में में ने भी सना देखे चांदी मेरे पास हे में ने उसे लिया और उस को माता बाली किहे मेरे बेटे ईश्वर का धन्य बाद ॥ ३ । और जब उस ने ग्यारह से। चांदी अपनी माता के फेर दिई तब उस की माता ने कद्दा कि मैं ने यह चांदी अपने बटे के लिये अपने हाथ से सबेथा परमेग्थरापेण किया था कि एक खादी हुई. औएर एक ढालो हुई मर्ति बनाऊं से अब मैं तम्फे फेर दे तो कू॥ ४। तथापि उस ने वह राोकड़ अपनी माता का (या और उस २८८ पब्ब ] को पस्तक। ४९३ >नननननमनम-म-नननमननमम+म-म+मस»3»+333 3७3०७. की माता ने दो सो चचांदो लेके सेनार के दिया उस ने एक खादी हुई और एक ठाली हुई मत्ति बनाई ओर वे दाने मोका के घर में थी ॥ ५। और मौका के ट्वताों का एक मंदिर था और एक अफद और तराफीम बनाया ओर अपने बेटों में से एक के! पवित्र किया था जा उस के लिये परोहित हुआ॥ ६। उन दिनों में इसराएल में काई राजा न था जिस के जो ठौक सूक्त पड़ता था से करता था ॥ ७। ग्लार यहूटाह के घराने का बेतलहम यहूदाह में का एक तरुण लावीं था जा वहां आ रहा था॥ ८। ओर व॒ह मन॒व्य नगर में से यहूटाह के बैतलहम से निकला कि अंते बास करे और वच् चलते चलते इफरायम पहाड़ के मौका के धर पहुंचा॥ <। तब मीोका ने उसे कहा कि त कहां से आता है और उस ने उसे कह कि में बेतलहम यहूटाह में का एक लावी हूं ओर जाता हूं कि जहां कहौं ठिकाना हावे तहां रहं। ५०। और मौका ने उसे कहा कि मेरे साथ रह और मेरे लिये पिता और परोहित हे में तम्ते बरस वरस ट्स टकड़ चांदी ओर णक जाड़ा बस्तर और भेजजन देऊंगा से! लावी भौतर गया ॥ ९९५। और वह लावी उस मनव्य के साथ रहने पर प्रसन्न हुआ और वह तरूण उस के एक बेटों के समान हुआ॥ ९२। गर मौका ने उस लावी के ठचहराया गैर वह तरुण उस का परोहित बना और मौका के घर में रहने लगा॥ ९३। तब मौका ने कहा कि मे जानता हूं कि अब परमेम्धर मेरा भला करेगा इस कारण कि एक लावी मेरा पुरोहित हुआ । २८ अठारहवां पब्बे । छः दिनों में इसराएल में कोई राजा न था ओर उन्‍्हों दिनों में दान की गाष्ठो अपने अधिकार के निवास ढुंढ़तों थी क्योंकि उस - दिन लो इसराएल कौ गोछियों में उन्हं कुछ अधिकार न मिला था॥ २। से दान के संतान ने अपने घराने में से पांच जन अपने सिवाने सुरअः और इसताल से भेजे कि उन के देश के टेख के भेद लेबें तब उन्हें ने कहा कि जाओ देश के रखे जब वे इफरायम पहाड़ के मोका के घर 6 [&., 8. $:] ५९४ न्यायियों [१८ पब्बे आये तो वहां उतरे॥ ३। जब वे मौका के घर के पास आये तब उस लावी तरुण का शब्द पह्िचाना और उचधर मड़ के उसे कहा कि तम्मफे यहां कैन लाया त यहां क्या करता क्षे और तेरा यहां क्या काम ॥ ४ । उस ने उन्हें कहा कि मौका मस्क से यों यों व्यवहार करता है और मस्फ बनी में रक्खा हे ओर में उस का पुरोहित हूं॥ ५। तब उन्‍्हों ने उसे कहा कि ईस्र से मंत्र लीजिये जिसत हम जाने कि हमारे काय्य सिद्ध हांग अथवा नहीं ॥ ६। ओर प्रोहित ने उन्हें कहा कि तुम्हारी यात्रा परमेग्पर के आगे है से! कु/ल से जाओ ॥ ७। तब वे पांच जन चल निकले और लैस के! आये और वह के लागेर के। हखा कि सेद्ानियों के समान निश्चित रहते हें और देश में काई खाभी न था जा उन्‍हें किसी बात में लज्जित करता और वे सैट्रानियों से हर थे और किसी से कुछ काय्येन रखते थे॥ ८। तब वे अपने भाई कने सरअः और इसताल के आये और उन के भाइयों ने पछा कि क्या कहते हे।॥ <। और वे बोले कि उठा हम उन पर चढ़ जायें क्योंकि हम ने उस भमि के ट्खा क्षे जो बहुत अच्छी हे और तम चपके हे। उस भमि में पेठके अधिकार लेने में आलस न करा॥ २०।। जब चलागे तब निश्चित गो पर ओर बड़े देश में पहुंचागे क्योंकि ईस्वर ने उसे तुम्हारे हाथ में कर टिया हे व॒ह एक टेश हे जिस में एथिवी में की कोई बस्तु घटी नहीं है॥ २९९। तब ट्ान के घराने में से सरअः और इसताल के छः ते। परुष यदड् के हथियार बांघे हुए वहां से चले॥ १५२। ओर वे चढ़ गय और आरके यक्नटाह के कुरयतअरीम में डरा किया इस लिये आज के नलों उस स्थान का नाम उन्‍्हों ने महानेह दान रकदा और देखे वुच्द कुरयत- आअरीम के पीछे हे॥ १५३। ओर वहां से चलके इफरायम पहाड़ के पहुंचे और मौका के घर में आये॥ १४। तब उन पांच पुरुषों ने जा लेस के देश का भेट लेने के गये थ अपने भाइयों से उत्तर देके कहा कि तम जानते हे। कि इन घरों में अफद ओर तराफौम और एक खादी हुई और एक ढाली हुई मत्ति हैं से अब सेचे। कि क्या करोगे। ९५, तब वे उधर फिरे और मौका के घर में उस लावी तरुण के स्थान में प्रवश किया और उद्कझ कुशल पूछा॥ १५६। और वे छः से जो दान के संतान २८ पब्बे ] कौ पुस्तक । ५९५ के हथियारबद थे फाटक कौ पेट में खड़े रहे ॥ ५७। ओर वे पांच जा हृश के भेट के निकले थे घरके भीतर घसे चर खेदी हुई ओर ठालो हुई मर्त्ति ओर अफट और तराफौम लिये ओर वह पराहित उन छः से। हथियारबद मनव्यों के साथ फाटक की पेठ में खड़ा था ॥ ९५८। और उन्हें ने मौका के घर में घस के खेदी हुई और ठढाली हुई मर््ि और अफदट और तराफीम उठा लिये तब परोहित उन से बाला कि तम यह क्या करते हे॥ १६८। उडन्‍्हां ने उसे कहा कि चप रह अपने मंच्द पर हाथ रख के हमारे साथ चल और हमारे लिये पिता और परोाहित हैे। कान सी बात भली है कि एक मनव्य के घर का पराहित हे। अथवा यह कि त इसराएल के घराने कौ एक गाछ्ी का पराहित है। ॥ २०। और परोहित का मन मगन हुआ और उस ने अफद और तराफीम और खादी हुई मत्ति के उठा लिया और लागों के मध्य में प्रवेश किया ॥ २९। से वे फिरे और चले और बालकों और ठार ओर गाड़ी का अपने आगे किया ॥ २२५। वे मौका के घर से बहुत टूर निकल गये थे कि मौका के घर के आस पास के बासी एकट्ठे हुए और दान के संतान के जाही लिया॥ २३। ओर उनन्‍्हों ने टान के संतान के लनकारा तब उन्‍्हों ने मंह फेरा और मीका से कहा कि तस्मे क्या हुआ जा त एक्ट हुआ है ॥, २४। और वह बोला कि तम मेरे ट्वों के जिन्हे में ने बनाया ओर मेरे परोहित के लेके चले गये हे। अब मेरा क्या रहा और तम कहते हे। कि तेरा क्या हुआ॥ २५। तब दान के संतान ने उसे कहा कि तू अपना शब्द हमें न सना न हे कि क्रर लाग तम्क पर लपकें और त ओर तेरा घराना मारा जाय॥ २६। ओर दान के संतान ने अपना मागें लिया और जब मौका ने देखा कि वे मुम्क से बली हैं तब मंह फेर के अपने घर के लाट आया॥। २७। और वे मौका कौ बनाई हुई बस्तें उस के पुरोहित समेत लिये हुए लैस के! उन लागां पर आये जो चैन में और निश्यंत थे और उन्‍्हं तलवार कौ धार से मारा और नगर के। जला दिया॥ २८, काई छाड़वैया न था इस कारण कि सै से वह टूर था और वे किसी से ब्यवद्दार न करते थे और वक्त उस तराई में था जा बेतरहुब के लग कै ओर उन्हें ने एक नगर ४९६ न्धायियों (१६८ पब्चे बनाया और उस में बसे॥। २६। और उस नगर का नाम दान रक्‍वा जो उन के पिता इसराएल के बेटे का नामथा परंत पहिले उस नगर का नाम लेस था॥ ३०। और दान के संतान ने उस खादो हुई मूत्ति की स्थापना किई और मनस्झो के बेटे गैेरसम का बेटा यकह्लनतन ओर उस के बेटे उस टेश की बंधआई के दिन लो दान की गेष्ठी के पराहित बने रहे। ३९। गज और जब लो इंगस्वर का मंदिर सला में था उन्‍्हों मे मौका को खे दो हुई म्॒ति अपने लिये स्थापित किई । ९६८ उन्नौसवां पब्बे । ब इसराएल में कोई र/जा न था तब एसा हुआ कि किसी लावी ने जज इफ्रायम पहाड़ के अलंग में रहता था यहूटाह के बेतलहम से एक टासो के। लिया। २। ओर उस की ट्ासो कुकम्म करके उस पास से यहटाह बैतलहम में अपने पिता के घर जा रही और चार मएस लें वहां रद्दी॥ ३। और उस का पति उठा और उस के पीछ चला कि उसे मनावे और फेर लावे और डस के साथ एक सेवक और दे! गदहे थे सो वह उसे अपने पिता के घर में ले गई ओर उस टद्ासी के पिता ने ज्यों उसे रखा त्यों उस कौ भेंट से मगन हुआ॥ ४। ओर उस के ससर अथात उस स्त्री के पिता ने उसे रोका और वह उस के साथ तीन दिन लो रहा गऔर उन्‍्हों ने खाया पीया और वहां टिके॥ ५। चोथ दिन जब वे तड़के उठे तब उस ने चाहा कि यात्रा करे तब दासी के पिता ने अपने ज॑वाई से कहा कि राटो के एक ट कड़े से अपने मन के। संतष्ट कर तब मागे लीजियेय ॥ ६। से वे दोनें बैठ गये ओर मिलके खाया पीया क्योंकि टासोी के पिता ने उस जन से कहा कि में तरी बिनतीो करता हूं मान जा! और रात भर रह जा और मन के! आल्हादित कर ॥ ७। फिर जब वह मनव्य बिदा होने के। उठा तब उस के ससर ने डसे रोका डूस लिये व॒ह फर वहां रहा॥ ८। और पांचवें दिन भार का उठा कि बिटा हे।वे फिर टासी के पिता ने उसे कहा कि में तेरी बिनती करता हे कि अपने मन के मगन कर से वे दिन ठले लो ठचहरे रहे और टे'नों ने एकट्टे खाया पीया॥ €। फिर वुह्द मनुव्य ओर उस कौ दासी २६ पब्ब] कौ पुस्तक । ४९७ ओर उस का सेवक बिदा होने के उठ फिर कन्या के पिता ने डसे कहा कि टेख ट्नि ठल चला है ओर सांम्क पहुंची हे अब रात भर ठहर जा हेख दिन समाप्त हे! चला हे अब रह जा जिसतें तेरा मन मगन हे जाये और कल तड़के डरे जाने के सिधघार॥ ९०। परंत वह जन उस रात के न रहा पर उठके बिटा हुआ और यबस के सन्मख आया जिस का हूसरा नाम यरूसलम हे ओर उस के संग काठो बांघे हुए दो गदरे और उस की दासो भी उस के साथ थी॥ ९५९५। जब वे यबस पास पहुंचे तब दिन बहुत ठल गया इतने में सेवक ने अपने खामी से कहा कि में आप की बिनतो करता हूं आइये यबसियों के इस नगर में मड़ें ओर इसीौ में टिके॥ ५२ । तब उस के खामी ने उसे कहा कि हम उपरी नगरों में जो इसराएल के संताने का नहों है न टिकेंगे परंत ज़िबअः का पार जायेंगे॥ ५३। और अपने सेवक से कहा कि चल इन स्थानों में से जिवञअः अथवा रामः में रात भर टिकं। २४। और उन के जाते जाते बिनयमीन के जिबञआः के पास रूव्ये अस्त हुआ॥ ९५५। ओर वे उधर फिरे कि जिबअः में रटिकें ओर नगर के एक मागे में उतर के बेठ गये क्यांकि काई ऐसा नथा जोएउन्‍्हं अपने घर ले जाके टिकावे॥ ९६। और टेखे। कि एक ढड्ट खेत पर से काम करके सांम्क के वहां आया वह भी इफरायम पहाड़ का था जे जिबअः में आके बसा था परंत उस स्थान के बासी बिनयमीनोथ॥ ९५७। जब उस ने आंखें उठाई तब ट्खा कि एक पथिक नगर के मागे पर क्ञे उस छद्ट ने उसे कहा कि त किधर जाता है और कहां से आता क्षेै । ९८। तब उस ने उसे कहा कि हम यहटाइ , क्ैतलहम से इफ्रायम के पहाड़ की ओर जाते हैं जहां के हें और हम यहूटाह बेतलहम के गर्ये थे परंतु अब परमेम्पर के मंद्रि का जाते है यहां काई ऐसा मन॒य्य नहीं जा हमें अपने घर उतारे॥ १५७। तथापि हमारे साथ गदहें के लिय अन्न भसा है ओर मेरे और तेरी दासो के लिये और इस तरुण के लिये जो मेरा सेवक है रोटी और मरिरा के किसो बस्तु की घटी नक्षोंहैे॥ २०। और उस छड्ठ ने कहा कि तेरा कल्याण हेोवे तिस पर भी तेरा आवश्यक मस्‍्क पर हे।वे केवल मार्ग में रात का मत टिक ॥ २९ से वुच्द उसे अपने घर ले गया ओर उस के ४ न्यायथियां [ २० पब्बे गदहें के चारा टिया उन्‍हें ने अपने पांव घाये और खाया पीया ॥ २२ । वे मगन हे। रहे थे तब ट्खे कि उस नगर के लागें ने जा बलियाल के लड़के थे उस घर को घेर लिया और द्वार ठांक के उस घर के खामी अथे।त्‌ उस छद्ट से कहा कि उस जन के जो तेरे घर में आया हे बाहर ला जिसते हम उद्म कुकस्म करें॥ २३। तब उस घर का खामी बाहर निकला ओर उन्हें कहा कि नहों भाइयो में तम्हारी बिनती करता हूं एसो दृष्टता न कौजिये देखे बह जन मेरे घर में आया है से। ऐसी मढ़ता न कीजिये॥ २४। टेख में अपनी कंआरो बटौ ग्रार उस की ट्ासी के। बाहर ले आता हूं आप उन्हें आलिंगन कीजिय ग्ार इच्छा भर मन- मंता जे। चाहिये से करिये परंतु उस मनव्य से ऐसी दृगेति न कीजिये ॥ २५ । पर वे उस को बात न मानते थे सा वह जन उस को टासो का उन पास बाहर ले आया उन्‍्हों ने उस्मे कुकस्मे किया और रात भर विदान ला उस की दुर्देशा किई और जब ट्नि निकलने लगा तब उसे छोड़ गये ॥ २६। ओर वुद्द सत्रो पे। फटते हो उस पुरुष के घर के द्वार पर जहां उस का खामों था आके गिर पड़ी यहां ला कि उंजियाला हुआ॥ २७। और उस का खामी विहान के। उठा और उस ने घर के द्वारों के खाला और बाहर निकला कि यात्रा करे ग्यार क्या ट्खता है कि उस की दासी घर के द्वार पर पड़ी है और उस के हाथ डेवड़ों पर थे॥ २८। तब उस ने कहा कि उठ आ चलें पर काई उत्तर न दिया तब उस मनुव्य ने उसे गटहे पर धर लिया गऔर अपने स्थान के! चल निकला ॥ २«। उस ने घर पहुच के छरी लिई ओर अपनी दासी के पकड़ के हड्डियें समेत उस के बारह भाग करके टकड़े टकड काटे और इसराणएल के समस्त सिवानों में भेज दिये॥ ३०। और णऐेसा हुआ कि जिस किसी ने वह टेखा से! बाला कि जिस दिन से इस राएल के संतान मिस्र से चढ़ आये शेसा कम्मे न हुआ न टेखा गया सेचचा और बिचार करे! और बाला । २० बौसवां पत्बे । ब इसराएल के सारे संतान निकले और ट्टान से लेके विअरसबःलों और जिलिअद के टेश लें मंडली एक मन हेके परमेम्धर के २० पब्बे) कौ प॒क्षक । ४९८ आगे मिसफः में एकट्टी हुई॥ २। ओर समस्त लोगों के अथात डूसराएल को झमस्त गोष्टियां के प्रधान जो ईय्घर के लागों कौ सभा में आय चार लाख पगइत खड़घारो थे॥। ३। अब बिनयमीन के संतानों ने सुना कि इसराएल के संतान मिसफः में एकट्ठे हुए तब इसराएल के संतानें ने कहा कि कह यह दुष्टता क्योंकर हुईं ॥ ४। तब उस लावो परुष ने जा मारी गई स्तौ का पति था उत्तर द के कहा कि में अपनो दासों समेत बिनयमीन की जिबिअत में टिकने का आया ॥ ५। ओर जिबिअत के लोग मुझ पर चढ़ आये और घर रात के घेर लिया और चाहा कि मस्फे मार लेवें शर उन्हें ने मेरो टासी पर बरबस किया कि वह मर गई॥ &६। सोमें ने अपनी टासौ के। पकड़ के टकड़े टकड़े किये श्र उन्हें इसराएल के अधिकार के समस्त टेश में भेजा क्योंकि इसराएल में उन्हों ने कुकम्म ओर मढ़ता किई॥ ७। देखा हे इसराएल के समस्त संतानो अब तम हो अपना मंत्र ओर परामश दओ॥ प८ः। तब सब के सब यह कहके एक जन की नाई उठे ग्यलार बाले कि हम में से काई अपने ड रे में न जायगा और हम में से काई अपने घर कौ ग्रेर न फिरेगा॥ €। परंतु अब हम जिबआः से यह करेंगे कि चिट्ठी डाल के उस पर चंढ़ंगे॥ १५०। और हम इसराएल के संतान कौ हर एक गोाष्ठी में से से। पीछू दस और सहसत पीछ से ओर ट्स सहस्त पोछ एक सहस्त परुष लेंगे जिसतें लागों के लिये भाजन लावें और जिस समय कि बिनयमीन के जिबअः में आव॑ तब उन समस्त मुढ़ता के कारण उन से कर जो उन्‍हें ने इसराएल में किई॥ १५१। से सारे इसराएल के लाग एक मता हेके उस नगर पर एकट्ट हुए ॥ २। ओर इसराएल कौ गेष्ठियों ने बिनयमीन की समस्त गोपी में यह कहके लाग भेजे कि यह क्या दुष्टता क्षे जा तम्में हुई॥ २३। अब बलियाल के संतानें का जा जिबञआ:ः में हें हमें सौंप टेओआ कि हम उन्हें मार डालें और इसराएल में से बराई के। मिटा डालें पसंत बिन यमौन के संतान ने अपने भाई इसराएल के संतान का कहा न माना॥ ९४ | परंत बिनयमौन के संतान नगरों में से जिबञः में एकट्ट हुए धूर्‌० न्यायियों [२० पच्चे जिसतें इसराएल के संतान से संग्राम करें॥ ५४५। ओर बिनयमीन के संतान जो नगरों मेंसे उस समय गिने गये जिबञः के सात से चुने हुए जन के छोड़ के छब्बीस सहसख खज़ घारी थे ॥ ५६। इन सब लोगों में सात से चने हुए बेंह्रथ थे जिन में हर एक टिलवांस के पत्थर से बाल भर मारने मेंन चकता था॥ १५७। और बिनयमीन के छोड़ इसराएल कं संतान चार लाख याद्वा खड़ घारी थ ॥ ९८। ओऔर इसराएल के संतान उठके ई य्थर के मंट्रि को गये ओर इंश्वर से मंत्र चाहा और कहा कि हस्में से कैन पहिले बिनयमौन के संतानें पर यद्व के लिये चढ़ जाय परमेग्धर ने कहा कि पहिले यह्ूटाह ४ ९५७। से इसराएल के संतान बिहान के उठ और जिबञः के सन्मख छावनी किई॥ २०। ओर इसराएल के संतान बिनयमोन से लड़ाई करने के निकले और इसराएल के संतान जिबञआ:ः में उन के आगे पांतो बांघ संग्राम के लिये खड़े छण॥ २९॥। तब बिनयमीन के संतान ने जिबञअः से निकल के उस दिन बाईंस सहस्त इसराएलीयें। के मार के घल में मिला दिया॥ २२। गओऔर इसराएल के संतानें ने हियाव किया ओर उसी स्थान पर जहां वे पहिले दिन लैस थ संग्राम किया॥ २९। ग्रार इसराएल के संतानें ने ऊपर जाके सांम्क लें परमेम्थर -के आगे बिलाप किया और यह करके परमेम्थर से मंत्र चाहा कि हम अपने भाई बिनयमौन के संतानों से संग्राम कर परमेमस्थर ने कहा कि उन पर चढ़ जाओ॥ २४। से इसराएल के संतान ट्ूस रे दिन बिनयमीन के संतान के विरोध में समीप आये॥ २९४। ओर उस दूसरे दिन बिनयमौन ने जिबअः से निकल के इस राएल के संतान के अठारह सहस्त मनव्य मार के भमि पर डाल दिये सब खड़ घारी थे॥। २६। तब सारे इसराएल के संतान और सारे लाग ईस्मर के मंदिर के चढ़ गये और रोये और वहां परमेम्धर के आगे बैठे औपर उस ट्नि सांस्क ले ब्रत किया और हेम कौ भेंट और कुशल की भेंट परमेश्वर के आगे चढ़ाई ॥ २७॥ और इसराएल के संतानें ने परमेज्वर से बृक्का क्योंकि परमेग्थर की साक्ौ की मंजूषा उन दिनों में वहां थी ॥ २८ ओर हारून के बेटे इलिअजर का बेटा फीनिहारू उन दिनों में उस के आग खड़ा रहता था २० पब्बे] कौ पस्तक | ४२९ तब उन्‍हें ने पछा कि में अपने भाई बिनयमौन के संतान से फिर संग्राम के लिये जाऊं अथवा रहि जाज॑ परमेग्घर ने कहा क्ि चढ़ जा क्योंकि कल मैं उन्हें तेरे हाथ में कर टेऊंगा॥ २८ । से। इसराएल के संताने।ं ने जिबञः के चारों ओर घातियां के बैठाया॥ _ ३०। ओऔर इसराएल के संतान तौसरे दिन बिनयमीन के संतान के साम्ने चढ़ गये और जिबअः के सन्‍्मख आगे के समान फिर पांती बांघों॥ ३९१। और बिनयमौन के संतान ने उन का साम्ना किया ओर नगर से खैंचे गये और आगे कौ नाई राज़ मार्गों में जो बितएल के जाता हे और टूसरा जिबञः के! तौस मनुय्य के अंटकल मारते गये ॥ ३९। और बिनयमीन के संतान ने कहा कि वे आगे कौ नाई हमारे आगे मारे पड़े परंत इसराएल के संतान ने कह्दा कि आओ भागें ओर उन्हें नगर से राज मार्गां में खोंच लावें ॥ ३३। तब सारे इसराएल के लेग अपने स्थान से निकले और उस स्थान पर पांती बांघी जिस का नाम बअ॒लतमर है और इसराएल के घातिये अपने स्थानें से जिबअः के खेतों में से निकले॥ ३४। ओर समस्त इसराएल में से ट्स सहस्त चने हुए जन जिबअः के सनन्‍्मख आये और बड़ा संग्राम हुआ पर उन्‍्हों ने न जाना कि बिपत्ति आ पहुंची ॥ ३५४ । तब परमेम्यर ने बिनयमीन का इसराएल के आगे मारा और इसराएल के संतान ने उस ट्नि पचौस सहस्त॒ एक सो जन बिनयमौनी मारे ये सब खड़घधारी थे। ३६। और बिनयमौन के संतान ने टेखा कि हम मारे पड़ क्यांकि इसराएल के मनुव्य बिनयमौनी के निकाल लाये इस लिये कि वे उन घातियों के भरोसे पर थे जिन्हें उन्हें ने जिबअः के अलंग बेठाया था॥ ३७। तब घातियों ने फरतो किई औैर जिबवअः पर लपके ओर बढ़ गये और सारे नगर के तलवार कौ घार से घात किया॥ ह८। अब इसमराएल के मनव्यां में और उन चघातियों में एक पता ठहराया हुआ था कि नगर में से घआं के साथ बड़ी लौर निकालें ॥ ३८। और जब इसराएल के मनय्य संग्राम में हट गये तब बिनयमीनी उन में के तीस मनय्य के अंटकल मारने लगे क्यांकि उन्‍हों ने कहा कि निदा्यय आगे के संग्राम के समान वे हमारे आगे मारे पड़े। ४०। परंत जब लौर और घ॑आं एक 66 0 ४78. ४२२ न्यायियां [२९ पब्ब साथ नगर से उठे तो बिनयमीनियों ने पीछ दृष्टि किई ग्ार क्या टेखते हें कि नगर से खगे ला लेर उठ रहौ है॥ ४९। और जब इसराएल के संतान फिरे तब बिनयमौन के मनुव्य घबराये क्योंकि उन्हें ने टखा कि हम पर बिपत्ति आ पहुंची॥ ४२। दस लिये उन्‍्हों ने इसराएलियां से भाग के अरण्य का मार्ग लिया परत संग्राम ने उन्हें जाही लिया और जा नगरों से निकल आये थे उन्हें ने अपने बीच में नाश किया॥ ४३। उन्‍्हों ने यों बिनयमौनी के! घेरा और खेटा औ।र सहज से जिविआअः के साम्जे पब दिशा में लताड़ा ॥ ४४। और अठारह सहस्त्र बिनयमीनी जुम्क्क गये ये सब बौर थे। ४१५। से वेफिरे और रुस्मान कौ पहाड़ी की ओर अरण्य में भाग गये ओर उहों ने राज मार्गों में चन चुन के पांच सहस्त्र पुरुष मारे और जिट्जम लो उन का पौछा किया और ट्ा सहस्त और मारे॥ ४६। से। सब बिनयमीनी जा उस ट्नि जूस पचौस सहख खज़ूधारी बीर थे। ४७। परंतु छः से मनुब्य बन की ओर फिर के रूस्मान पहाड़ी के भाग गये और चार मास रूस्मान पहाड़ी में रहे। ४८। तब इसराएल के मनव्य बिनयमीन के संतान पर फिरे और बसती के परुष और पश और सब के। जे उन के हाथ लगा मारा और जिस जिस नगर में आय उसे फंक दिया। २२९ एकौसवां पब्यें । ब इसराएल के संतानें ने मिसफः में यह कहके किरिया खाई थी कि हम में से कोई अपनों बेटी बविनयमौन का न टेगा॥ र। और ले! ईम्वर के मंदिर के आये ओर ईम्वर के आगे सांम्क लो चित्नाये और बिलख बिलख राथे॥ ३। और बोले कि हे परमेमग्वर इूसराएल के ईश्वर इसराएल पर यह क्या हुआ कि इूसराएल में आज के टिन एक गाछी घट गई ॥ ४। और यों हुआ कि बिहान के! उठके उन लोगों ने वहां एक बेटों बनाई ओर हेम को भेंट और कुशल की भेंट चढ़ाई॥ ५। और इसराएल के संतानों ने कहा कि मंडलीौ में इसराएल की सारी गा४छियों में से परमेश्वर की मंडली के संग कान कौन नहीं चढ़ा क्योंकि उन्‍्हों ने उस के विषय में बड़ी किरिया खाई थी कि २२१ पब्ले] की पक्लक । ५९४ जो मिसफः में परमेम्धर के आगे न आवेगा से। निश्चय मारा जायगा॥ ६ । सो इसराएल के संतान अपने भाई बिनयमीन के कारण पकछताये और बाले कि आज इसराएल में से एक गाछी कट गई॥ ७। हम उन के लिये पह्नियां कहां से लावे क्योंकि हम ने ते परमेम्धर की किरिया खाई है कि हम अपनी बटियां उन्हें पत्नियां के लिये न देंगे॥ फ। तब उन्हीं ने कहा कि इस राएल की गोष्टियां में से वह कान हे ज्ञो। मिसफ: में परमेश्वर के आग नहीं चढ़ा और देखो कि यबीस जिलिअद में से काई. सभा में नहों आयाथा॥ <। क्योंकि लोग गिने गये और यबौस जिलिअद के बासियां में से कोई नथा॥ २९५०। तब मंडली ने बारह सहख्त जन के जा बड़ बौर थे आज्ञा करके उघर भेजा कि यबीस जिलिअद के बासियों का जाके स्त्री और बालक सहित खड़ की घार से मार डाला॥ ९५५। पर इतना कीजिये! कि हर एक परुष ओर इहर एक स्त्री का जो परुष से ज्ञाता हे सबेथा नष्ट कर टेना॥। १२। सो उनन्‍्हां ने यबीस जिलिअद के बासियां में चार सो कंआरो पाई जा परुष से अनज्ञान थीं ग्रार उन्हें सैला की छावनी में जे कनआन के देश में हे लेआये॥ ९५३। तब सारो मंडली ने बिनयमीन के संतान का जा रूम्मान की पहाड़ी में थे कहला भेजा ओर उन से कुशल का प्रचार किया॥ २१४। और उस समय विनयमीन फिर आये और उन्‍्हों ने उन स्त्रियों का जो यबोस जिलिअद में से जौती बचा रक्‍वा था उन्‍हें दिया तथापि उन के लियेन अटों॥ ९४। ओर लेग बिनयमीन के लिये पछताये इस लिय कि परमेग्र ने इसराएल की गाएियों में फूट डालो ॥ १६ । तब मंडलौ के प्राचीन बाले कि उबरे हुओं के लिये पत्िये: के विषय में क्या करें क्योंकि बिनयमीन में से सारी स्त्री नष्ट हुई ॥ ९५७। तब उन्‍्हों ने कहा कि बिनयमीन में से जा बच रहे हें अवश्य हे कि उन के लिये अधिकार हेवे जिसतें इसराएल की एक गाछी नष्ट न हे जाय ॥ २८:। तथापि हम तो अपनी बेटियां उन्हें पत्नियों के लिये दे नहीं सक्ते क्योंकि इसराएल के संतानों ने यह कहके किरिया खाई है कि बुद्द जा बिनयमीन को पत्नी द्वे से स्लापित हे॥ ९५८। तब उन्‍्हों ने कहा कि देखो सेला में परमेम्पर के लिये बरस का पर्न है जा गैतऐल ४२४ न्यायियों [२९ पन्ने की उत्तर अलंग के और उस राज मार्ग की पबे अलग जो बैतएल से सिकम के! जाता है और लबाना के ट्क्किण | २०। इस लिये उन्‍्हों ने बिनयमीन के संतानों के आज्ञा करके कहा कि जाओ और ट्ाख की बारियों में घात में रहे॥ २९। और ट्खते रहे! यटि सैला में की कन्या नाचने का बाहर आंवें तो टाख की बारियों में से निकले ओर हर एक पुरुष सेला की बेटियों में से अपनी पत्नी के लिये पकड़े जऔर बिनयमीस के देश के! जाय॥ २२। ओर यों हेगा कि जब उन के पिता अथवा भाई हमारे पास आके दहाई टेंगे तब हम उन्हें कहेंगे कि हमारे कारण उन पर कृपा कीजिये क्योंकि संग्राम में हम ने हर एक परुष के लिये पत्नी न बचा रक्‍्वी क्यांकि.तम ने उन्हें न दिया जिसत॑ दोषी हेते ॥ २३। से। बिनयमौन के संतानों ने ऐसा हो किया और अपनी गिनती के समान उन में से जा नाचती थीं एक एक पत्नौ ले लिई और उन्हें लिये हुए अपने अधिकार का फिरे और अपने नगरों के सधारा ओर उन में बसे॥ २४। ओर इसराएल के संतान उस समय वहां से चले और हर एक अपनी अपनी गाछी और अपने अपने घरानें में और अपने अपने अधिकार के गया ॥ २५ । उन्हीं दिनों में इसराएल में कोई राजा न था ओर जिस के! जो अच्छा लगता था से। करता था ॥ जज 3+७०७१७०५७०-००४१७०७८०७००००८७०-०७८०७०८०६०४--५०००७८४६०७४४०७/४१४६४३४-.०४१४४४४१४११व्टल जज जी « रूत को पुत्तक । “हैक हे). ३९ पहिला पब्ब । बन्यावियरं की प्रभता के दिनों में देश में अकाल पड़ा और लक बैतलहम से एक जन अपनी पत्नी ओर दो बटे समेत निकला कि मेअब के देश में जा रहे॥ २। ओर उस परुष का नाम इलोमलिक ओर उस को पत्नी का नाम नअमी था और उस के दो बेटों के नाम महलून और किलयून थे थे यहूदाह बैतलहम के इफराती थे से वे मोअब के देश में आये और वहां रहे । ३। तब नअमी का पति इलोमलिक मर गया और वुच्द और उस के द्वोनों बेटे रह गये॥ ४। और उन दोनों ने मेअबी स्त्रियों से विवाह किया एक का नाम उरफु: और ट्ूसरी का रूत था और वे बरस ट्स एक वहां रहे॥ ५। और मचदलून ओर किलयून भी दोनें मर गये से वुच्द स्त्री अपने दो बेटे से खैर पति से अकेली छोड़ी गई । ६ । तब वुच्त अपनी बह्ल समेत उठो कि माोअब के देश से फिर जाय क्योंकि उस ने माअब के दश में सुना था कि परमेच्र ने अपने लागों पर कृपा करके उन्‍्ह अन्न दिया॥ ७। इस लिये वुकह्त उस स्थान से जहां थी दोनों बह्ल समेत चल निकलो और अपना मार्ग लिया कि यहदाह के टेश के। फिर जाय॥ ८। तब नअमी ने अपनी टानों बह्ल से कहा कि अपने अपने मैके का जाओ ओर जैसे तुम ने म्टतक से और मस्‍्क से व्यवहार ४२६ रूत [९ पब्ब किया वैसे ही परमेश्वर तुम पर अनुग्रह करे॥ «। परमेश्वर ऐसा करे कि अपने अपने पति के घर में बिश्राम पाग्रे! तब उस ने उन्हें चूमा और उन्‍्हां ने चिल्ला के बिलाप किया॥ २९०। फिर उन्‍्हों ने उसे कहा कि हम तो निच्यय तेरे साथ तेरे लागों में फिर जायेंगे॥ २९ । और नअमी बालो मेरी बेटिया फिर जाओ मेरे साथ किंस लिये जाओगगी क्या मेरी काख में और बेटे हैं कि तुम्हारे पति हेवें॥ १२। मेरी बेटिया फिर जाओ क्यांकि पति करने को में अति ढट्ठ हूं यटटि में कहें कि मेरी आशा है और आज रात पति करूँ और बेटे जनं॥ १५३। तो क्या तम उन के सयाने हे।ने लें आशा रखती और पति करने से उन के लिये ठहरतौ नहों मेरी बेटिये। में तम्हारे लिये निपट दृःखी हूं क्योंकि परमेग्वर का हाथ मेरे बिरोघ पर निकला॥ २४। तब वे फिर चिल्ला के रोई और उरफः ने अपनी सास का चमा लिया परंत रूत अपनी सास से लपटो रही॥ २५ । तब वह बोलो कि ट्ख तेरे भाई की पत्नी अपने लागों और अपने देवतों कने फिर गई तू भी अपने भाई कौ पत्नी के पीछे फिर जा॥ १५६। पर रूत बाली मस्मे आप से छोड़ के फिर जाने के मत मना क्योंकि जिघर त जायगी में भी जाऊंगी और जहां त रहेगी रहूंगी तेरेलेग मेरे लेग और तेरा इईम्थर मेराइंम्घर॥ ५७। जहां मरेगी में मरूंगी और गाड़ी जाऊंगी ईम्घर मस्त से ऐसा हो करे ओर डस्शे अधिक यदि केवल रूत्य मस्त तुझे से अलग करे॥ ९८। जब उस ने दिखा कि उस का मन उस के साथ जाने पर दृढ़ हे तब व॒ह चप है। रद्दी ॥ ९&। से वे होने जाते जाते बैतलहम में आई और यों हुआ कि जब वैतलहम में पहुंचों तो उन के विषय में सारे नगर में घूम मची और लेग बेले कि क्या यह नअमी क्षे ।॥ २० । उस ने उन्हें कहा कि मस्के नअुमी मत कहे परंत मारः कहे क्यांकि सबे शक्तिमान ने अति कड़वाइहट से मस्त से व्यवहपर किया कहै॥ २९। में भरी परो निकल गई और परमेम्घर मस्के छछी फेर लाया मस्से नअमी क्यों कहते हे। ट्खते हे। कि परमेग्यर ने मस्त पर साध टिई है और सबे साम्थी ने मस्ते दु:ख ट्या क्षे। २२। से नअमी अपनी बहू मोअबी रूत समेत मेअब के देश से फिर आईं औ पर जव की कटनी के आरंभ में बैतलहम में पहुंची ॥ २ ट्ूसरा पब्बे ॥ ञ््ै 7र नअमी के पति का एक कुटुग्ब था जा इलोमलिक के घराने में बड़ा धनी था जिस का नाम बाआज था॥ २। ओर मेाअबी रूत ने नआमी से कहा कि मुझ उस के खेत में जो मुझ पर कृपा करे अन्न बीन्न का जाने दौजिय वच्दच उस से बालो कि मेरी बटी जा॥ ३। से वह गई ओर लवैयों के पीछे पीछ खेत में बौन्ने लगी संयेाग से वह इलीमलिक के कुटम्ब बाआज के खेत में गई॥ ४। ओर देखो कि बाआज बैतलहम में से आ गया और लवैयों से बेला कि परमेम्रर तुम्हारे साथ वे उत्तर टेके बोले कि परमेम्वर आप के बढ़ती टेवे॥ ४ फिर बाआज ने अपने सेवक से जो लवैयां पर था यूछा कि यह किसकी कन्या क्षे। ६। तब जो सेवक लवैयां पर था से उत्तर हके बेला कि यह मेाअबी कन्या हे जा मा्ंब के टेश से निकल के नअमी के साथ फिर आई॥ ७। ओर वह बाली मस्त लवैयों के पीछ पीछे गद्ढें' के बीच बीच में बोचे टोजिय से वह आई ओर बिहान से अब लो बनी रही और तनिक घर में ठहरी॥ ८। तब बाआज ने रूत के। कहा कि हे बेटी क्या तू नहीं सुनती कै त्‌ दूसरे खेत में अन्न बीते न जा ओर यहां से मत जा परंतु मेरी कन्यों से पिलची रह ॥ €। तेरों आखें उसी खेत पर होवें जो वे लवते हैं ओर उन के पीछ पीछ चली जा क्या में ने तरुणों के नहीं चिताया कि तस्के न छवबें ओर जब त पियासी हेय तो पात्रों में से जाके पीजा तरुणां ने खोंचा ह्े॥ ५०। तब उस ने मंह के बल भमि पर भकक के टृंडवत किई और बाली कि आप की दृष्टि में किस कारण में ने अनग्रह पाया कि आप मेरी सधघि लेते हें यद्यपि परट्शिन हं॥ १५९५॥। तबबाआज ने उत्तर टेके डसे कहा कि जो त्‌ ने अपने पति के मरने के पीछे अपनी सास से किया ह्ञे रती रतो मस्क्त पर प्रगट हुआ हे त ने अपने माता पिता के और अपनी जन्म भमि के छोड़ा और इन लागों में आई जिन्हें त आगेन जानती थीं॥ ९२ । परमेग्र तेरे कार्य का प्रतिफल दे वे ओर परमेम्थर इसराएल का ई ग्धर जिस के डने के नौचे भरोसा रखने आई क्ले तुमे परिपर्ण पलटा हेवे॥ ५३। तब घपृर्ण८ छत [२ पब्च वह बोली कि हे मेरे प्रभ आप की कृपा मस्ह्त पर हावे क्यांकि आप ने मस्त शांति टिई है और इस लिये कि त ने सतह से अपनो ट्ासौ से बातें किई यद्यपि में तरो दासियां में से एक के समान नहों॥ १५४। फिर बाआज ने उसे कहा कि भाजन के समय में त इधर आ और रोटो खा और कौर के सिरके में चभार तब वह लवैये के पीछ बैठ गई और उस ने उसे चबना दिया और वह खा के टप्त हुई और कुछ छोड़ दिया ॥ ९५। ओर जब व॒च्द बौत्ते के उठी तब बाआज ने अपने तरुणों के आज्ञा करके कहा कि उसे गद्गोंहीं के बीच में बीच दे ओर उसे लज््जित न करो॥ ९६। ओर जान ब्स्तके उस के लिये मुद्गौ भर भर गिरा भी ग्रे और छेड़ टेओ जिसतें वह वीने और उसे काई न म्किड़के ९५७। सोवुह सांस लां खेत में बौनती रहौ ओर जो कुछ उस ने बौना था से स्काड़ा वह चार पसेरी से ऊपर हुआ॥ ९८ ।से वह उसे उठा के नगर में गई और जा कुछ उस ने बीना था से उस की सास ने देखा और दम हेने के पीछे जे कुछ उस ने रख छोड़ा था सा निकाल के अपनी सास के टिया॥ १५८। फिर उप कौ सास ने पका कि त ने आज कहां बौना है और कहां परिश्रम किया धन्य हे वह जिस ने तेरी सथ्ि लिई तब उस ने जिस के यहां परिश्रम किया था अपनी सास को बता के कहा कि जिस के यहां मैं ने आज परिश्रम किया है उस का नाम बाआज हे ॥ २०। तब नअमी ने अपनी बहू से कहा कि उस परमेग्वर का धन्य कै जिस ने जीवतों और म्ठतकों से अपनी अनग्रह न उठाया और नअमी ने उसे कहा कि वह जन हमारा कुटम्व हे हमारा एक समीपी कुटम्व ॥ २९। और माअबी रूत वाली कि उस ने मर्क यह भो कहा कि जब लॉ मेरी समस्त लवनीं नहे| जाय तू मेरे तरुणां के पास पास रहिया॥ २२। तब नअमौ ने अपनी बहू से कहा कि मेरी बेटों भलाक्ते कि ते छस कौ कन्यों के साथ साथ जाया करे जिसते वें किसी द्ूपरे खेत में तस्म न पावें॥ २३। तो वह जब और गोहूं कौ लवनी के अंत्य लां बेआज की कन्याों के साथ पिलचौ रही और अपनी सास के साथ रहतो थी ॥ ३ पत्य ] की पुस्तक । ४२८ ९ तौसरा पब्बे । ब उस की सास नअमी ने उसे कहा किरहे बेटी क्या में तेरा चेन ते चाह्ूं जिस में तेरा भला हेवे॥ २। ओर अब क्या बाआज हमारा कुटम्व नहों जिस को कन्यों के साथ त थी देख वह आज रात खलिह्दान में जव ओसावता क्ै॥ ३। से त स्नान कर ओर चिकनाई लगा ओर बस्तर पहिन ज्जार खलिहान के उतर जा जब लो वह खा पी न चके तब ला आप के उस परुष पर प्रगटर मत कर ॥ ४। ओर ऐसा हे! कि जब व॒ह लेट जाय तब त्‌ उस के शयन स्थान का टेख रख और भीतर ज्ञाके उस के पांव का डउघार ओर वहीों लेट जा और जा कुछ तम्के करना हे वह सब बतावेगा॥ ५। ओर उस ने उसे कद्दा कि जो ते मस्मे कहती हु में सब करूंगो ॥ ६ । से वह खलिहान के उतर गई और जा कुछ कि उस की सास ने आज्ञा किई थी उस ने किया ॥ ७। और जब बाोआजु खा पी चुका शलार उस का मन मगन हुआ अन्न के ढेर को एक अलंग जाके लेट गया तब उस ने हाले हैाले आके उस के पांव के! उघारा और लेट गईं ॥ ८। और एसा हुआ कि आधी रात के। उस परुष ने डर के करवट लिई और क्या टेखता के कि एक स्त्री उस के पांव पास पड़ी क्षे। <। तब उस ने पका कि त्‌ कै हे ओर वह बालो कि तेरी दासी रूत त अपनो दासी पर अपने अंचल फेला क्यांकि त छड़ाने का अथवा कुटम्व का पट रखता क्षे। २०। और उस ने कहा कि हे बेटी तईयस्बर की घन्य क्यांकि त ने आरंभ से अंत का मस्क पर अधिक कृपा किई हे इस कारण कि त ने तरुण का पीछा किया चाहे कंगाल चाहे घनमान हे।॥ १५१। अब हे बेटी मत डर जा कुछ त चाहती हे में सब तम्क से करूंगा क्योंकि लागों का सारा नगर जानता हे कि त घर्मों स्त्री हे॥ ५२। और यह सच हे कि में छड़ाने वाला अथवा कुटुख हूं तथापि एक छड़ानेवाला अथवा कुट्म्व मुक्त से अधिक समीपी क्े। १५३। आज़ रात ठहर जा और बिहान के ऐसा हे।गा कि यदि नाते का ब्यवहार परा करे तो भला नाते का ब्यवच्ार करे और यदि वह नाते का ब्यवहार तक से न करे तो परमेय्वर के जीवन 67 [4%, 9. #,] पू३० रूत ४ पते से में नाते का ब्यवनह्ार तुम्क से करूंगा से। बिहान लें लेटी रह॥ २१४। से। वुह्र बिद्दान लो उस के पांव पास पड़ी रहौ और उस पहिले डठौ कि एक ट्ूसरे का चीौन्‍न्ह सके तब उस ने कहा कि काई जाजन्ने न पावे कि काई स्त्रो खलिहान में आई थी ॥ २९५ । फिर उस ने यह भी कहा कि अपनी ओएढ़नी धर ग्रार जब उस ने घरा ते उस ने छ नपआ जव उस पर डाल ट्यि और वह नगर के। गई॥ ९५६ । जब वच अपनी सास पास आई तब वह बोली हे बेटी त केोन और जो कुछ कि उस परुष जे उस्ये किया था उस ने सब बर्णन किया ॥ १५७। और कहा कि मुभ्भे उस ने यह क्र: नपुआ जव दिया क्यांकि उस ने मे कहा कितू अपनी सास पास छंछी मत जा॥ ९८। तब उस ने कहा कि हे बेटौ जब लॉ इंस बात का अंत न टेख ले तब लॉ चुपकी रह क्योंकि जब लो आज इस बात के समाप्त न कर ले वुच्द पुरुष चैन न करेगा । ५ ७ ४ चाथा पब्ब । ब बे।आज फाटक पर चढ़ गया ओर वहां जा बैठा और क्या टे खता ले हैं कि जिस कुटम्व के बिषय में बोआज ने कद्दा था वह आया जिसे उस ने कहा कि अडहे। अमक आइये एक अलंग हो बेटिये से। वह एक अलंग जा बैठा ॥ २। बाआज ने नगर के ट्स प्राचीन बलाये और कहा कि यहां बैठिये से! वे बेठ गये ॥ ३। तब उस ने उस कुटुम्च के कहा कि नअमी जा माअब के देश से फिर आई हे भूमि का एक टुकड़ा बेचतौ है जो हमारे भाई इलीमलिक का था॥ ४। से यह कहके में ने तुस्के चिंताने चाहा कि निवासियों के आगे ओर मेरे लागे के प्राचीनों के आगे उसे मेल ले यदि त छड़ावे-तो छड़ा और यटि न छड़ावे तो मस्के कह जिसते में जान॑ क्योंकि तम्के छोड़ काई छड़वया नहों तरे पोछ में हूं वह बाला कि में छड़ाऊंगा॥ ४। तब बेआज ने कहा कि जिस दिन तू वह खेत नअमी से मेल लेवे रूत मेअबी से भी जा म्हतक को पत्नो है मेल लेना तुस्ते अवश्य हे और म्हतक का नाम उस के अधिकार पर ठहरावे ॥ ६ । तब उस कुटुम् मे कहा कि मैं अपने लिये छड़ा नहीं सकता न है। कि में अपना अधिकार बिगाड़ से! तू अपने लिये मेरा पढ़ ४ पब्बे कौ पस्तक । १६३९ छड़ा क्यांकि में छड़ा नहीं सक्ता॥ ७। सब बात का दृह करने के लिये अगले समय में पलटने गयर छड़ाने के बिषय में इसराएल में यह ब्यवह्ाार था कि मनुष्य अपना जूता उतार के अपने परोसो का देता था और इसराएल में यही साक्यौ थी॥ प८ू। इस लिये उस कटम्ब ने बाआज के कहा कि त अभी मेल ले से उस ने अपना जता उतारा ॥ €। और बाआज ने प्राचीनें के और सारे लागों के! कहा कि तम आज साज्षो हेः कि में ने इलीमलिक और किलयन और मचहलन का सब कछ नअमी के हाथ से मेल लिया॥ २९०। ओर छरसे अधिक में ने महलन की पत्नी माअबो रूत का अपनी पत्नो के लिय मेल लिया जिसतें म्हतक के नाम का उस के अधिकार में स्थिर करूँ कि म्झतक का नाम अपने भाइयों से और अपने स्थान के फाटक में से मिट न जावे तम आज के दिन साच्छी हे।स्‍॥ १५१५। तब सारे लागां ने जा फाटक पर थे और प्राचोनों ने कहा कि हम सा हें परमेग्वर इस स्त्री के। जा तेरे घर में आई है राखिल और लियाह के समान करे जिन दोनों ने इसराएल के घरानों का बनाया त्‌ इफराता में भाग्यवान हे! और अपना नाम बैतलहम में प्रचार कर॥ २१२५। और तेरा घर जिसे परमेश्वर इस कन्या के बश से तुस्मे टेगा फाड़स के घर के समान हेवे जिसे तामर यकूदाइ के लिये जनी। ९३ । तब बाआज ने रूत के लिया और वह उस की पत्नी हुई और जब उस ने उसे ग्रहण किया तब वह परमेप्र के अनग्रह से गिणोी हुई और बेटा जनी॥ ९४। ओर स्त्ियां ने नअमी से कहा कि परमेश्वर धन्य क्षे जिस ने तममे आज के ट्नि बिना कटम्व न छोड़ा जिसतें उस का नाम इसराएल में प्रसिद्त होवे॥ २५५। और वह तेरे जीवन के बढ़ाने का कारण गर तेरे बढ़ापे के पालने का कारण होगा क्योंकि तेरी बहू जो तुरू से प्रीति रखती हो जो सात बेटों से तेरे लिये भलौ क्ञषे उस के लिये जनी के ॥ ९६ । और नअमी ने उस बालक के लिया और अपनी गोद में रक्वा आर उस की दहा हुई॥ २९७। तब उस की परासिन उस का नाम लेकर बालों कि नअमी का बेटा उत्पन्न हुआ ओर उन्‍्हों ने उस का नाम आबिद रखा वुच्द यक्मी का पिता दाऊद का पिता॥ ९ए। ५३२ रूत को पस्तक [४ पब्बे से फाड़स कौ बंशावली यह है कि फाड़्स से हसरून उत्पन्न हुआ॥ ९७ । और इहसरून से राम और राम से अम्मिनट्व और अस्मिनट्व से नहरून और नहसरून से सलम ओर सलम से बाआज्‌ और बाआज से आबिट और आबिद से यस्यी और यस्सो से टाऊद उत्पन्न हुआ। समृएल को पहिलो पुस्तक जो राजाओं की पहिलो पुस्तक कहावती है। हयया लकी ९ पहिला पच्च ॥ एफरातो के बेट तहु का बेटा इलिक्त का बटा यरुहम का बंटा था और उस का नाम एलकाना था॥ २। और उस की दा पत्नियां थीं एक का नाम हन्ना और टूसरी का फनीनः और फनीनः के बालक थे परंतु उन्ना के बालक नथ॥ ३। वुह्द जन बरस बरस अपने नगर से जाके सेला में सेनाओं के परमेग्यर के आगे सेवा करके बलि चढ़ाता था और णली के दो बेटे हफनी ओर फोनिहास वहां परमेम्धर के याजक थे॥ ४। और ऐसा था कि जब एलकाना भेंट चढ़ाता था वह अपनी पत्नी फनीनः के! और उस के सब बेटों और बेटियां के भाग देता था॥ ५। परंतु हन्ना के! दुहदरा भाग दिया करता था क्योंकि वह्त चन्ना से प्रीति रखता था परंत परमेग्र ने उस की काख बंद कर रक्‍खी थी॥ ६। ओर उस की सात उसे कुढ़ाने के लिये अत्यंत खिम्काती थी इस कारण कि परमेग्थर ने उस की काख बंद कर रक्खी थी॥ ७। और बरस बरस वह परमेग्वर के मंदिर में जाता था उसी रोति से वह उसे खिम्काती थी से! वह रोया करती और कुछ न खाती थी॥ प८ू। तब उस के पति एलकाना ने उसे कहा कि हे हन्ना तु क्यों बिलाप करती हे हक पहाड़ के रामातयम रूफीम का एक जन था वह स््फ ५३४ समणल [९ पब्ने और क्यों नहीं खाती है और तेरा मन क्यों शाकित हे तेरे लिये में ट्स बंटों से अच्छा नहीं ॥ < | और जब वे घैला में खा पी चके ते। हन्ना उठी और उस समय णली याजक परमेम्यर के मंट्रि के खंभे पास बैठक पर बैठा हुआ था॥ ९५०। और हन्ना ने मन के शाक से परमेम्पर की प्राथना किए ओर बिलख बिलख रोई॥ ५१। और उस ने मनोती मान के कहा कि हे सेनाओं के परमेम्धर यदि त अपनी टासी के कष्ट पर दृष्टि करे और मेरी सधि लेवे और अपनी ट्ासी के भल न जाय परंत अपनी दासी को पत्र टवे तो में उसे जीवन भर परमेग्घर के लिये समर्पण करूंगी और उस के सिर पर छरा न फिरेगा। ९२। और यों हुआ कि जब व॒चह् परमेश्वर के आगे प्राथेनगा कर रहौ थी एली उस के मं का ट्ख रहा था॥ १५३। अब हन्ना मन हो मन कह रहो थी केवल उस के होंठ हछिलते थे परंतु उस का शब्द सुना नजाता था इस लिये एली समम्का कि वुद्र अमल में क्षै॥ ५४। और णली ने उसे कहा कि कब लां त मतवाली रहेगी अपनी मद्रा त्याग कर॥ २५५४। तब हन्ना ने उत्तर टेके कहा कि नहीं मेरे प्रभ मेरा मन दुःखी हे में. हे मदिरा अथवा अमल नहीं पीया परंत अपने मन को परमेम्यर के आगे बहा दिया क्षे। १९६। आप अपनो टासी के बलोआल की पत्री मत जानिय क्योंकि में अपने ध्यान और शोक की अधिकाई से अब लॉ बोली हूं॥ ९७। तब एली ने उत्तर टेके कहा कि कुशल से जा इसराएल का ईम्र तेरी प्राथना जा त ने उस्झे किदे परी करे ॥ १८ | तब उस ने कहा कि तेरी दासी तेरी दृष्टि में अनग्रह पावे तब वह स्त्री चली गई और खाया और फिर उस का मंतर उदास न हुआ॥ ९५९। और वे विहान के। तड़के उठे और परमेश्वर के आगे दंडबत किई और फिरे और रामात में अपने घर आये और एलकाना ने अपनी पत्नी हन्ना का ग्रहण किया तब परमेंम्घर ने उसे स्रण किया॥ | २० | और कितने ट्नि बीते ऐसा हुआ कि इहन्ना गर्भिणी हुई और बेटा जनी और उस का नाम इस कारण समूएल रक्वा कि में ने उसे परमेग्रर से मांगा है ॥ ९९ । और एलकाना अपने समस्त घर समेत चढ़ गया कि बरस का बलिदान और मनीती परमेग्वर के आगे चढ़ावे। २२। परंतु हन्नः २ पब्बे] कौ ९ पक्तक । १३५ ऊपर न गई क्यांकि उस ने अपने पति से कहा कि जब लां बालक का टूघ बढ़ाया न जाय में यहों रहूंगोौ और तब उसे ले जाऊंगी जिसतें बह परमेम्धर के आगे दिखाई देवे और सद्‌ः वहच्ों रहे॥ २३। तब उस के पति एलकाना ने उसे कहा कि जा ते भला लगे से कर त उस का ट्ृध छड़ानें लां उह्री रह केवल परमेख्वर अपने बचन के स्थिर करे से! वह स्तरों ठह्री रहौ ओर जब ला उस का टू न छड़ाया गया अपने बेटे का ट्ूघ पिलाया किया ॥ २४ । और जब उस का ट्ूध बढ़ाया गया तो उसे अपने साथ ले चली और तोन बेल और आप मन से ऊपर पिसान और णक कुप्पा मटिरा अपने साथ लिया ओर उसे सेला में परमेश्वर के मंट्रि में लाई और बालक छोटा था ॥ २४ । तब उन्‍हें ने एक बैल के! बलि किया और बांलक के। एलौ पास लाये ॥ २६। ओर बोली कि हे मेरे प्रभ तेरे जौवन से में बची स्त्री हूं जिस ने तरे पास परमेश्वर के आगे यहां खड़ी हे के प्राथेना किई थी ॥ २७। में ने इस बालक के लिये प्राथेना किई थी से। परमेग्यर ने मेरी बिनती जो में ने उस्मु किई थी ग्रहण किई ॥ र२८। इस लिय में ने इसे बिनती से पाके परमेश्वर का फेर ट्या जब लॉ वह जोता है परमेगम्धर का दिया रहे और उस ने वहां परमेग्वर के टंडवत किई ॥ २ ट्ूसरा पब्षे । ञी'ः हन्नः ने प्राथेना करके कहा कि मेरा मन परमेग्वर से आनंद ने परमेगर से मेर/ सोंग बढ़ाया गया श्रन के साम्ने बालने का मेरए मंह बढ़ गया क्योंकि में तरी मक्ति में आनंद छु॥ २। परमेश्वर के हल्य काई पवित्र नहों क्योंकि तम्के छोड़ काई नहों काई चटान हमारे ई स्घर के समान नहीं॥ ३। अति घमंड को बातें मत कहे और अहंकार तम्हारे मंह से न निकले क्योंकि परमेम्वर ज्ञान का ईस्प्वर हे ओर करणी उस्मे जांची जाती हैं॥ ४। बलवंतों के धन टट गये ओऔएर ठाकर खाये हुओं की कि इढ़ता से बंध गई॥ ५४। वे जा छप्त थ उन्‍्हों ने अपने के बनोौ में लगाया है और जो भंखे थ उन्हें ने उससे हाथ उठाया यहां ला कि बांमा सात जनों और जिस के बहुत बालक हें सेः दुबेख ५६३६ समूएल [२ पतन हुई ॥ ६। परमेग्पर मारता है और जिलाता ह्षे वद्दी समाधि में उतारता है ओर उठाता क्षेत। ७। परमेश्वर कंगाल करता हे और घनी बनाता है वह घटाता है और बढ़ाता क्षे। ८। वह कंगाल के घल से डठाता क्षे आर कुअरों में बैठाने के लिये भिखारी के कड़े कौ ढेर से उठाता क्षे आर बिभव के सिंहासन का अधिकारी करता क्े क्योंकि भमि के खंभे परमेग्र के हैं और उस ने जगत के उन पर घरा है॥ ८। वह अपने सिद्ठों के चरणों की रक्षा करेगा और टष्ट अंधियारे में चप चाप पड़े रहेंगे क्योंकि बल से कोई न जौतेगा॥ ९०. परमेग्रर के बेरी चर होंगे खगे से वह उन पर गज्जंगा परमेग्धर एथिवो के अंत का न्याय करेगा और वह अपने राजा को बल टेगा और अपने अभिषिक्त के सौंगें के! उभा रेगा॥ १५५। और एलकाना अपने घर रामात के! गया और वह लड़का एली याजक के आगे परमेश्वर की सेवा करता रहा ॥ २९२। अब ए्लौ के बंटे जे दृष्ट जन थे परमेश्वर के पहिचानते न थे ॥ ९३ । और लागों से याजकों की बह रीति थी कि जब केई बलि चढ़ाता था ओर जब ले मांस उसना जाता था याजक का सेवक विशूलो मांस की कंटिया हाथ में लेके आता था॥ २१५४। ओर उसे कड़ाहीौ अथबा बटलाइी अथबा हण्डा अथवा हाड़ी में लगाता था जितना उस कांट में निकलता था याजक आप लेता था से वे सारे इसराएलियों से जो सैला में जाते थे योंद्रों करते थे। ९४। और चिकनाई जलाने से आगे भौ याजक का सेवक आता था और बलि के चढ़वैये से कहता था कि भन्ने के लिये याजक के मांस दओ क्योंकि वह तम्क से सिस्राया हुआ मांस न लेगा परंत कच्चा। १५६। और यदि काई छसे कहता कि हम अभी चिकनाई जला लेबें तब जितना तेरा जो चाहे उतना लेना तब वह उत्तर देता था कि नहीं त्‌ मुस्के अभी द्‌ नहों तो में छौन लेऊंगा ॥ ९७। इस लिये परमेम्वर के आगे उन तरुणों का महा पाप था क्योंकि लाग परमेग्वर की भेंट से घिन करते थे॥ १५८। परत वह बालक समृएल सती अफद पहिने हुये परमेश्वर के आगे सेवा करता था॥ ९५८ । और उस्हयो अधिक उस को माता एक छोटा कुरता बना के बरख बरस जब अपने पति के साथ भेंट चढ़ाने आतो थो उस के लिये लाया.करतो थी ॥ २ पब्बें ] कौ ९ प॒स्तंक । १३७ २०। से एली ने एलकाना और उस की पत्नी के आशौष ट्के कहा कि परमेश्वर इस उघार कौ संतो जो परमेश्वर के उधार दिया गया तुझे इस स्वी से बंश ट्वे और वे अपने घर के गये ॥ २९५ | फिर हन्ना पर परमेञअञवर की कृपा हुई यहां लें कि वह गभिणी हुई और तीन बटे दो बेटियां जनी और वह बालक समएल परमेश्वर के आगे बड़ा हुआ ॥ २२ । अब एलौ अति छू हुआ ग्यार उस ने सब कुछ सना जा उस के बेटे समस्त इसराएलियों से करते थे और किस रीति से वे उन स्त्रियों से कुकस्मे करते थे जा जथा कौ जथा मंडली के तंब के द्वार पर एकट्ठी हे।तों थौं॥ २३। और उस ने उन्हें कहा कि तम यह क्या करते हे क्यांकि में तम्हारी बराइयां हर एक जन से सनता कछूु॥ ५४। यह अच्छा नहों हे मेरे बेटो जा में सनता हूं से! भला नहीं तम परमेग्र के लागों से पाप कराते होा॥ २४ । यदि एक मनय्य टूसरे मनव्य के बिरोध में पाप करे तो न्‍्यायी विचार करेगा परंत यटि केाई परमेम्घर के बिराघ में पाप करे ते उस के लिये कान बिनती करेगा तिस पर भौ उन्‍हें ने अपने पिता का कहा नमाना क्योंकि परमेमप्मर उन्हें घात किया चाहता था॥ २६। और वचह लड़का समएल बढ़ता गया और परमेश्वर के और लोगों के आगे अनग्रह पाया॥ २७। तब ईग्वर का एक जन एली पास आया और उसे कहा कि परमेग्वर थों कहता हे कि क्या में तेरे पिता के घराने पर जब वुह्ट मिस्र में फ्रिजन के देश में था प्रगट न कुआ॥ २८ । और क्या में ने उसे इसराएल की समस्त गे।छियों से चन न लिया कि मेरा याजक हावे और मेरी बेदी पर बलिदान चढ़ावे और समंघ जलावे और मेरे आगे अफटद पहिने और हे।म की सारी भेंट जा इसराएल के संतान चढ़ाते हैं मेंने तेरे पिता के घराने का नहीं टिया। २०। फेर तम काहे का मेरे बलिटानों के और भेंटों के जो में ने अपने निवास में आज्ञा किई हे लताड़ते है| और त्‌ अपने बेटों के मुस्क् से अधिक प्रतिष्ठा देता है कि मेरे लाग इसराएल के संतान की भेटां से मोटे बने ॥ ३०। सो परमेश्वर इसराएल का ईस्घर कहता है कियमें ने निश्चय कच्दा था कि तेरा घर और तेरे पिता काघर सदा मेरे आगे चले परंत अब परमेग्यर कहता है कि यह मर सेट्र हे।वे क्यांकि जे मस्ते प्रतिष्ठा दते हैं में उन्हें प्रतिष्ठा 68 [4. ए. $ प्र समृएल [३ पब्में हेजंगा और जा मेरी निंदा करते हें से। निंटित हांग ॥ ३९॥ देखा वे टिन आंते हें कि में तेरी भजा ओर तेरे पिता के घराने की भजा काट डालंगा कितेरेघर में काई बढ़ा न हेगा॥ ३२। और समस्त समय में कि परमेम्धर इसराएल पर भलाई करेगा त मंदिर में अपना बैरी टेखेगा और तेरे बंश में कभो काई छड्ट न हैगा॥ ३३। और तेरा वह जन जिसे में अपनो बंटी में से काट न डालंगा तेरी आंखें फोडेगा ओर तेरे मन के। शाकित करेगा और तेरे घर को बढ़ती तरुणाई में मर जञायगी॥ ३४। कि तेरे दोनों बेटों हफनी और फीनिहास पर यह पड़ेगा तेरे लिये यह पता ह्लेकिणक ही दिन में होने के टोने मर जायेंगे। ३५ । और में अपने लिये एक बिग्वास मय याजक उटठाऊंगा जो मेरे मन के और अंतःकरण के समान करेगा और उस के लिये में एक घर स्थिर करूंगा और वह सदा मेरे अभिषिक्त के आगे चलेगा ॥ ३६ । और ऐसा हेगा कि हर एक जन जा तेरे घर में बच रहेगा एक टकड़ा चांदी और एक एक कार रोटो के लिये उस के पौछ फिरेगा और कहेगा कि उन याजकों में से मम्के एक की सेवा दौजिये कि में एक टुकड़ा रोटो खाया करूं ॥ ३ तोसरा पब्ब। 7र वह बालक समएल एली के आगे परमेम्थर की सेवा करता था और उन दिनों में इंश्वर का बचन बहुंमल्य था काई प्रगट दशशेन न हेता थ[॥ २। और एसा हुआ कि जब एली अपने स्थान में लेटा था और उस को आंखें घंघली हेने लगीं ऐसा कि बह टेख न सक्ता था॥ ३। जहां ईबआचर की मंजषा थी तहां परमेग्वर के मंट्रि का दौपक अब लो न बसा था और समएल लेट गया था॥ ४। कि परमेम्घर ने समएल के पकारा उस ने उत्तर दिया कि मं यहीं हू ॥ ५। ओर एली पास दोड़ के कहा कि में यहों हूं क्यांकि त ने मम्मे पकाराः हे वह बाला कि मे ने नहों पकारा फिर जा लेट रह से वह जाके लेट गया ॥ ६ । ओर परमेग्यर ने समएल को फेर पकारा और समण्ल उठ के एली पास गया ग्र बाला कि में यहों हूं क्योंकि त ने मण्फे ३ पब्वे] कौ २ पस्तक। ६३८ बलाया और उस ने उत्तर दिया कि हे पत्र में ने नहों बलाया फिर जा लेट रह॥ ७। और समएल अब लो परमेश्वर के न जानता था और न परमेम्धर का बचन उस पर प्रगट हुआ था॥ ८। तब परमेग्र ने तोसरे बार समूएल के। फिर पकारा और वुच्द उठ के एली पास गया और कहा कि में यहों हूक्यांकि त ने मम बलाया से! एली ने बस्का कि इस बालक का परमेग्घर ने पकाराक्े॥ «८ । इस लिये एली ने समएल के कहा कि जा पड़ रह ओर यां हेागा कि यटि तस्के पकारे तो कहियो कि हे परमेग्धर कह क्योंकि तेरा दास सनता है से समएल अपने स्थान पर जाके लेट रहा॥ १५०। और परमेश्वर आके खड़ा हुआ और आगे की नाई पकारा समएन समएल तब समणएल ने उत्तर दिया कि कहिये क्योंकि तेरा दास सनता क्षे। ९१५। तब परमेश्वर ने समएल से कहा किट्ख में इसराएल में एसा काय्ये करूंगा जिसत सनवंयां के कान स्ंभना उठगे॥ १५२। में उस दिन सब कुछ जो में ने णलौ के घराने के बिषय में कहा हे पूरा करूंगा जब में आरंभ करूंगा तब समाप्त भी करूंगा॥ २३। क्योंकि में ने उसे कहा क्ले कि में उस बराई की संतो जा वह जानता हु उस के घर का न्याय करूंगा इस कारण कि उस के बेटा ने आप के सापित किया है और उस ने उन्हें न घरका॥ २४। इस लिये एलो के घर के बिघषय में में ने किरिया खाई हे कि एली के घर का पाप बलिटानों ओर भेंटों से कधी पावन न किया जायगा॥ ५ । फिर समएल बिहान लो पड़ा रहा और उस ने इग्र के मंद्र के द्वार खाले और समएल उस दशन के एली पर प्रगट करते डरा॥ २६। तब एली ने समूएल के बुलाया और कहा कि हे मेरे बेटे समुएल बुच्द बाला कि में यहीं हुं। १५७। उस ने पक्ता कि वह क्या क्ञे जा उस ने तम्के कहा हे मम्क से मत छिपा यदि त इस में से कुछ छिपावे जे उस ने तम्मे कहा हे तो ईसम्यर तस्कर से ऐसा हो करे और अधिक ॥ ९५८। तब समएल ने उरतहें सारी बातें कही ओर कुछ न छिपाया वह बेला कि वच परमेग्वर है जा भला जाने से! करे॥ २८। और समएल बढ़ा ओ(र परमेश्वर उस के साथ था और उस ने उस की कोई बात भमि पर अका- रथ गिरने न टिई॥ २०। और ट्ान से लेके बिअरसबः लो समस्त ५४० समएल [४ पन्न इसराएल ज्ञान गये कि समएल परमेग्थर का आग्रमज्ञानी स्थिर हुआ ॥ २९ । ओर परमेग्यर सैला में फर प्रगट हुआ क्योंकि परमेश्वर ने अपने क्रा सला में सनुएल पर अपने बचन के द्वारा से प्रगट किया । 9. ४ चाथा पब्न । जो समूएल की बात सारे इसराएल के पहुंची और एसा हुआ कि इसराएल फिलिस्तियां से संग्राम करने के। निकले और अबनअजुर के पास डेरा खड़ा किया ओर फिलिस्तियां ने आफीोक में डेरा खड़ा किया॥ २। गैर फिलिस्तियां ने इसराएल के आगे पांती बांधो और जब संग्राम फेल गया तब इसराएल फिलिस्तियों के आगे मारे गये और उन्हों ने सेना में से चार सहस्त मन॒व्य चोगान में मारे ॥ ३। ओर जब लाग छावनी में आये इसराएल के प्राचोनें ने कह्दा कि परमेगआअर ने आज हमें फिलिस्तियां के आगे क्यों घस्त किया आओ ए परमेश्वर की साकह्यी की मंजषा सेजा से लेआव कि-जब वह इसम्प आगे वह हमें बैरियां के हाथ से बचावे॥ ४। से उन्‍्हों ने मेला में लाग भेजे जिसतें सेनाओं के परमेम्घर को जा टा[ करोबिया के ऊपर बैठा है साच्वी की मंजषा के। ले आंवें ओर णली के दाने बटे हफनी ओर फीनिहास ईस्र कौ साच्छी की मंजषा के पास वहां थ॥ ४५ । और जब परमेश्वर की साच्ती की मंजषा छावनोमें पहुंची तब सारे इसराएलियों ने बढ़े शब्द से ललकारा यहां ला कि भमि कांप उठी ॥ ६। ओर जब फलिस्तियां मे ललकारने का शब्द सना तो बोले कि इबरानियां की छावनी में यह क्या महा शब्द हे फिर उन्‍्हां ने समओआभा कि परमेग्र को मंजबघा छावनी में पहुची॥ ७७। तब फिलिस्तो डरे क्यांकि उनन्‍्हों ने कहा कि ई स्वर छाबनी में आग्रा क्े और बोले कि हाय हम पर क्यांकि आज कल एसी बात नहों हुई॥ ८। हाय कान एसे बलवंत देव के हाथ से हमें बचावेगा यह वुच् टेव हे जिस ने मिखियों के। अरण्ग् में समस्त मरियां से मारा॥ 4॥ हे फिलिकस्तियो बलवंत हाओ और परुषाथे करो जिसते तम इबरानियां के सेवक न बनो जेसा वे तम्हारे हुए हों परंत परुषाथे करो ओर लड़ा॥ २५०। से फिलिसियों ने 8 पब्बे ] को ९ पस्तक। ४४९ लड़ाई किई जऔर इसराएल मारे गये और हर एक परुष अपने अपने तंब के भागा ओर वहां बड़ा जम हुआ क्योंकि तोौस सहस्व इसराएल के पैट्ल मारे गये ॥ ९९। झऔर ईस्घर की मंजणघा लिई गई ओर णली के होने बेट हफनी और फोनिहास जूक गय॥ २९२। ओर बिनयमौन का एक जन सेना से हड़ा और कपण्डे फाड़े हुए और सिर पर घल डाले हुए उसौ ट्न सेला में आयां। १६३। ओर जब वह पहुंचा तब देखो एंलोी एक आसन पर मार्ग के लग बेठट के बाट जाइ रहा था क्यांकि इंम्वर की मंजूषा के लिये उस का मन धथेरा रहा था और जब उस जन ने नगर में पहुंच के संदेश ट्या तब सारे नगर में राना पीटना हुआ॥ २९४ । और जब एली ने रोने का शब्द सना तब उस ने कहा कि इस होरे के शब्द का कारण क्या वह जन म्कप आ पहुंचा ओर एली के कंहा॥ २५ । अब एली अट्टानवे बरस का छड्ड था और डस दी आंख धंचजी थीं और वह ट्ख न सक्ता था॥ ५६। से। उस जन ने एली से कंहा कि में सेना से आज भाग आया हूं ओर वही हूं जे। सेना से निकला हूं वह बाला हे बट क्या समाचार ह॥ ९७। उस दूत ने उत्तर ट्के कहा कि इसराएल फिलिस्तियां के आगे भाग गये ओर लोगों में बड़ा जम्क हुआ और तेरे दोनों बेटे भो हफ्नी और फीनिहास मर गये हें और इंम्थर की मंजषा लिईं गई॥ ९८।ओऔर यों हुआ कि जब उस ने एली.- से ईस्वर की मंजघा का नाम लिया वह आसन पर से फाटक के लग पिछले बल गिरा और उस का गला ट॒ट गया और मर गया क्योंकि वह ढड्ट और भारी था और उस ने चालीस बरस इसराएल का न्याय किया ॥ २६८ और उस कौ बह्त फोनिहास कौ पत्नी गभिणों थी और उस के जन्ने का समय समोप था जब उस ने यह संट्श सना कि इंश्वर की मंजषा लिईं गई गर उस का ससर और पति मर गये तब वह मकक गई और जन पड़ी क्योंकि उस कौ पीड़ा आन पहुंचों॥ २० | ओर उस के मरते मरते उन स्त्रियों ने जो उस पास खड़ी थीं उसे कहा कि मत डर क्योंकि त बेटा जनी है परंत' उस ने उत्तर न दिया न सरत लगाई॥ २९ । और उस ने यह करके उस बालक का नाम इकाबाद रक्‍खा ओर बाली कि विभव इसराएल में से जाता रहा इस लिये कि परमेख्वर को मंजुषा लिईं गई और उस के ससर ग्यैर उस ५४२ समएल [५ पब्के के पति चल बसे॥ २२। ओर वह बाली कि बिभव इसराएल से जाता रहा क्यांकि ईस्भर की मंजूघा लिई गई । थू पांचवां पब्बें । ८९ 7र फ्लिस्ती परमेग्वर की मंजूषा के! अबनअजर से लेके अशहूद के। आये ॥ २। और जब फिलिस्ती परमेश्वर कौ मंजषा का ले गये तब उन्‍्हों ने उसे टागन के मंट्र में पहुंचाया और दागन के पास रक्‍्खा॥ ३। और जब अशटूदी बिहान के तड़के उठे तो क्या देखते हैं कि दांगन परमेश्वर की मंजषा के आगे मंद के बल भूमि पर गिरा हे से उन्हों ने टागन के उठा के उस के स्थान पर फिर रक्वा ॥ ४ | फिर जब वे तड़के बिहान के उठ तब क्या टेखते हें कि टागन परमेश्वर की मंजघा के आगे मंद के बल भमि पर पड़ा है और टाग़न का सिर और दोनें हथेलियां करी हुई डेवढ़ी पर पड़ौं हैं केवल टागून का घड़ रह गया था॥ ५। इस लिय दागन के याजक ओर वे जो उस के मंदिर में जाते हैं टाग़न की डेबढ़ी पर आज लों पांव नहीं घरते॥ ६ । परंत परमेश्वर का हाथ अशटूदियों पर भारी पड़ा था और डस ने उन्‍हें नाश किया और अशहइृर के! ओर उस के सिवानों के बबसो से मारा॥ ७। ओर जब अशटूदियां ने यह टेखा तब बाले कि इसराएल के ईस्र की मंजषा हमारे साथ न रहेगी क्योंकि उस का हाथ हम पर औरः हमारे देवः टागन पर पड़ा है।॥ ८: ८ 5 सेहरनदेए ने फिलिस्तियां के सारे प्रधानाों के बला भेजा ओर कहा कि हम इसराएल के ईस्वर की मंजषा के क्या करें वे बोले कि आओ इस- राएल के इंश्वर की मंजूषा के गात के ले जावें से वे इसराएल के ईस्र की मंजूषा के वच्चां ले गय॥ ८।और उस के ले जाने के पीछे शेसा हुआ कि परमेग्रर का हाथ अत्यंत नाश करने के! उस नगंर के बिराध में पड़ा और उस ने उस नगर के लागे के। छोट से लेके बड़ लॉ मारा और उन के गर्ों में बबेसी का लाकह्न बहने लगा॥ २०। इस लिये उन्हों ने ईम्धर कौ मंजघा अकरून में पहुंचाई तब अकरूनी चिल्लाके बाले कि वे इसराएल के ई श्र को मंजूषा के। इस लिये हस्में लाये ६ पन्ब कौ २ पस्तक | ५४३ हैं कि हमें और हमारे लागां के चात करें॥ १५१। सो उन्‍्हों ने भेज के फिलिस्तियां के प्रधानाों के एकड्रे किया ओर कहा कि दःराणल के इंश्मर की मंजषा को जहां से वह आई वहां फर भजो जिसतें वच्त हमें और हमारे लागां का घात न कर क्योंकि सारे नगर में मारू हुलड हुआ और परमेम्घर का हाथ उन पर भारी था॥ १५२। ओर जा मर न गये से बबेसी से रोगी थे और नंगर का बिलाप खगे ले पहुंचा था | ६ छठवां पल्य ॥ १४ परमेश्वर की मंजषा सात मास ला फिलिस्तियों के देश में थी ॥ २। तब फिलिस्तियां ने याजकों ओर दशैवज्ञां का बलाके पक्का कि परमेगस्वर की मजधा से क्या करें हमें बताओ कि हम किस रीति से उसे उस के स्थान के भेजें॥ ३। वे बाले कि यदि तम इसराएल के ईस्घर की मंजषा का भेजते हे। तो छछी मत भजा पस्त किसी भांति से पाप की भेंट के साथ उसे फेर भेजो तब तम चंगे हाओआगे गऔर ममें जान पड़ेगा कि उस का हाथ तम से किस लिये नहीं उठता क्षे॥। ४। तब डन्‍्हों ने पछा कि वुह कान सा पाप का बलिदान हे जा हम डसे फर ट्ब वे बोले कि फिलिस्तौ प्रधानों की गिनती के समान पांच सेनेली बबेसी ओर सेने के पांच मस क्योंकि तम सभा पर ओर तम्हारे प्रधानों पर एक ही मरी है ॥ ५। से तम अपनी बबेसी की ओर मसे की मत्ति बनाओ जो देश का नष्ट करते हैं और इसराएल के परमेग्घर की महिमा करो क्या जाने वह तम से ओर तम्हारे टेवते से और तम्हार देश से हाथ उठा लवे॥ ६। तम क्यों अपने मन का कठार करते हे जैसा कि मिखियोां ने ओर फिरऊजन ने अपने मन के कठार किया था जब कि ईम्घर ने आय््यव्यित काब्ये उन में किये से क्या उन्‍्हां ने उन्हें जाने-न दिया और वे बिदा न हुए॥ ७। अब तम एक नई गाड़ी बनाओ ओर दो दरघार गायें जो जआ तले न आई. हों लेओ और उन गायों का गाड़ी में ज्ञाता और उन के बछड़ों के। घर में उन के पीछ रहने दओ ॥ पर । ओर परमेम्थर को मंजुषा लेके उस गाड़ी पर रक्‍्खे! और सेने के पात्र जा पाप को भेंट के कारण हते हे। एक मंजूषा में धर के उस की प ४४ समएल [६ पन्ने अलंग में रख द्ओ ओर उसे छाड़ ट्ओ कि चलो जाय ॥ <। और टेखो यटि वह अपने ही सिवाने से हाके बेतशम्स का चढ़े तब उसो ने हम पर यह बड़ी बिपत्ति भंजी परंत यदि नहों तो हम जानेंगे कि उस का हाथ हम पर नहों पड़ा परत यह बिपत्ति आकस्मात्‌ हुई॥ ९०। से लागों ने वेसा हो किया और टो दधार गायें लिई और उन्हें गाड़ी में जाता और उन के बछड़ों के घर में बंद किया॥ ९९ । और परमेश्वर की मंजघा ओर सेने के मूसों के ओर बबंसियों के मजषा में रखके गाड़ी पर घरा॥ १५२। से उन गायों ने बेतशम्म का सौधा मागे लिया और राज़ मागे में बंबातों चलों और दहिने अथवा बायें हाथ न मड़ों ओर फिलिस्तियों के प्रधान उन के पीछ पीछ बैतशम्स के सिवाने लां गय ॥ १५३। गौर तराई में बेतशग्सी गे।ह् लवते थे और जब उन्‍हें ने आंखें ऊपर किई तब मंजषा का टदखा और देखते हो आनंट हुणए। ९४। और गाड़ी बेतशम्सो यहूरछूअ के खेत में ओर जहां बड़ा पत्थर था आके खड़ो हुईं से उन्‍्हों ने गाड़ी की लकड़ियां के चौरा और गायों का परमेग्वर के लिये हाम की भेंट चढ़ाइं॥ ९५। ओर लावियां ने परमेश्वर की मंजघा के उस मंजषा सहित जो उस के साथ थी जिस में सेने के गहने थ नीच उतारा और उसे बड़ पत्थर पर रक्‍वा ओर बेतशम्स के लागों ने उसी ट्नि परमेच्र के लिये हाम को भेंट और बलिदान चढ़ाये ॥ १६। जऔर जब फिलिस्तियों के पांच प्रधानें ने यह देखा तो वे उसी दिन अकरून के फिर गये॥ ९५७। और सेनिली बबसी जिन्हें फिलिस्तियों ने पाप की भेंट के लिये परमेश्वर के चढ़ाया ये हैं अशदूट के लिये एक गअजा के लिये एक अस्कलन के लिये एक जञ्रत के लिये एक और अकरून के लिये एक॥ ९५८। और सेने के मस फिलिस्तियां के सारे नगरों की गिनती के समान थ ज्ञो पांच प्रधानों के थे बाढ़ के नगर ओर बाहर बाहर के गांगें अबील के बड़े पत्थर लॉ जिस पर उन्हों ने परमेश्वर की मंजषा का रफ्खा जो आज के दिन लो बैतशग्सी यहूस्हअ के चोगान में हें॥ ९८, और परमेश्वर ने बेतशम्स के लागां के! मारा इसकारण कि उन्‍होंने परमेश्वर की मंजघा के भोतर देखा अथात्‌ पचास सहख्त और सन्तर ६ पब्ने ] कौ ९ पस्तक । १४५ मन॒व्य लागां में से मारे गये इस कारण कि परमेश्वर ने लोगों में से बहुतों का बचध्रन किया लागां ने बिलाप किया॥ २०। से बेतशम्स के लेाग बाले कि किस की सामथ्ये हे कि इस पवित्र परमेग्घर ईम्घर के आग खड़ा हेववे ओर हस्म से वृह् किसके पास चढ़ जायगा॥ २९ । तब उन्‍्हों ने करयतअरोम के निवासियों के पास यह कहके ट्रत भेजे कि फिलिस्ती परमेश्वर की मंजघा का फर लाये हैं तम उतार के अपने पास ले जाओ | ७ सातवां पब्बे । ० 52. ब क्रयतअरीम के लेग आये ओर परमेग्वर की मंजषा को ले त्‌ जाके अबिनट्ब के घर में पहाड़ी पर रक््वा और उस के इंलिअजर को पवित्र किया कि परमेम्रर कौ म॑ंजषा को रक्षा करे॥ २. और यों हुआ कि मंजूछा कुरबतअरीम में बहुत दिन लॉ रही क्यांकि बीस बरस बौत गये थे तब इस राएल के सारे घरानों ने परमेग्वर के लिये बिलाप किया ॥ ३। ओर सम्‌एल इसराएल के सारे घराने के कहके बाला कि यदि तुम अपने सा रे मन से परमेम्वर की ओर फिरोए ते उन उपरी ट्वतों के और इसतारात को अपने में से निकाल फेंके ओर परमेम्यर के लिये मन के सिद्ठ करा और केवल उस की सेवा करो और वुच्द तुम्हें फिलिस्तियों के हाथ से छड़ावेगा॥ ४। तब इसराएल के संतान ने बअलोम ओर इसतारात के टूर किया और केवल परमेस्प्रर की सेवः करने लग ॥ ५ । फिर समएल ने कहा कि सारे इसराएल मिसफ्‌: में एकढ्ढे हावे॑ं ओर में तम्हारे लिये परमेम्मर से प्राथेना करूंगा ॥ ६। से-वे सब मिसफः में एके हुए और पानो खोंचा ओर परमेम्वर के आगे उंडेला और उस ट्न ब्रत रक्‍वा ख ्रर वहां बेले कि हम परमेग्पर के अपराधी हैं और समएल मिसफः में इसराएल के संतान का नन्‍्यायी हुआ ॥ ७ । और जब फिलिस्तियां ने सना कि इसराएल के संतान मिसफः में एकड़ हुए तब उन के प्रधान इसराएल के साम्न चढ़ आए से इसराएल- के संतान यह सनके फिलिस्तियां से डर गे ॥ छ्। ओर इसराएल के संतान ने समएल के कहा कि हमारे लिये परमेग्र हमारे इंथ्र से 69 [#%.. 8. &.] लत । 3 ५४६ समएल [८ पच्च -+5बाबीी प्राथेना करने में थम मत जा जिसतें वह हमें फिलिस्तियां के हाथ से बचावे॥ «८ । तब समएल ने ट्थ पीडआ एक भेम्ना लिया और परमेस्वर लिये हेम की भेंट चढ़ाई ओर समएल ने इसराएल के लिये परमेश्वर की ग्राथेना किई ओर परमेग्वर ने उत्तर टिया॥ २९०। जैर समएल हे(म की भट चढ़ा रहा था कि फिलिस्तौ संग्राम के लिये इसराएल के सनन्‍्मख आय परंत परमेग्यर उस टिन फिलिस्तियां पर महा गज्जन से गज्जा और उन्हें हरा टिया और वे इसराएल के आगे मारे गण ॥ ९५५ । और इसराएली लेागों ने मिसफः से निकल के फिलिस्तियां का खदेड़ा और ज्षैत करके नीचे लॉ उन्‍हें मारते चले गये॥ ९२। तब समणएल ने एक पत्थर लेके मिसफः औ7र सेला के मध्य में खड़ा किया और डस का नाम यह कहके एबनअजर रक्‍खा कि परमेशअ्र ने यहां ला हमारी सहाय कि ९३ । से फिलिस्ती बश में हुए और वे इसराएल के सिवानें में फिर न आये ओर परमेस्वर का हाथ समएल के जीवन भर फिलिस्तियां के बिरुड्ड था॥ २१४। ओर वे बस्तियां जा फिलिस्तियां ने इसराएल से ले लिई थों इसराएल के फेरी गई अकरून से लेके जञ्रत ला ओर उन के सिवाने का इसराएल ने फिलिस्तियां के हाथ से छड़ाया और इसराएलियों में और अमरियों में मेल हुआ ॥ २९५ | और समएल अपने जीवन भर इसराएल का न्यायी रहा॥ ९१६ । और बरस बरस वह बेतएल का और जिलजाल का और मिसफः का दौरा करता था उन समस्त स्थानों में इसराएल का नस्थाय करता था॥ १७। ओर .रामात के फिर आता था क्यों कि वहां उस का घर था ओर इसराएल का न्याय वहां करता था ओर वह उस ने परमेग्प्र के जिये बेटी बनाई ॥ ८ आउठवां पतब्ब ॥ कै जब समएल हड्ट कुआ तब एसा हुआ कि उस ने अपने बंटों का इसराएल पर न्यायी किया॥ २। अब उस के पहिलोंट का नाम यणएल था और उस के दूसरे का नाम अवियाह वे बिअरसबः में न्यायी थे ॥ 8७ पर उस के बट उस की चाल पर न चलते थे परत लाभ करके घस लेने लगे और न्याय विरुडु करने लगें॥ ४ । तब इसराएल के सारे ८ पब्बे ] कौ ९२ पछ्तक ' १४० प्राचीनों ने आप के एकड्ट किया और रामात में समएल पास आये ॥ ५ । और उसे कहा कि ट्ख त छडट हे और तेरे बेटे तेरी चाल पर नहों चलते सेर अब समस्त जातिगणां की नाई हमारा न्याय करने के लिये एक राजा ठहदरा ॥ ६€। परंत जब उन्‍्हों ने उसे कहा कि हमारेन्‍न्याय करने के लिये हमें एक राजा ट्‌ इस बात से समएल डट्ास हुआ ओर समएल ने परमेग्घर से प्राथंना किई॥ ७। ओर परमेग्वर ने समएल का कहा कि लागों के शब्द पर जा वे तम्भे कहें कन घर क्यांकि उन्हों ने कुछ तम्फे त्याग नहों किया परंत मर्फे व्यगग किया जिसतें में उनपर राज्ध न करू॥ ८। जब से कि म॑ उन्‍हें मिख से निकाल लाया आज लां उन सब कार्य्यां के समान उन्हों ने किया जिन से मर्के छोड़ टिया ओर आन आन टेवों कौ सेवा किई वैसा ही वे तम्क से भी करते हें॥ <। से अब उन के शब्द पर कान घर तथापि अति दृढ़ता से उन के बिरुड्ू उन्हें कह दे और उस राजा का ब्यवदार बताजाो उन पर राज्य करेगा॥ ५०। ग्लार समएल ने उन लागों के! जे उस राजा के खेजी थे परमेश्वर की सारी बातें कहों ॥ ९५१५। और उस ने कद्दा कि उस राजा के जा तम पर राज्य करंगा ये ब्यवहार हे(गे कि वचद् तम्हारे बेटों के लेके अपने लिये और अपने रथों के और घोड़चढ़ों के लिये ठचहरावेगा और अपने रथों के आगे दे।/ड़ावेगा ॥ २२ । और अपने लिये सहस्र सहस्त के प्रधान और पचास पचास के प्रधान ठह रावेगा और अपनी भूमि उन से जाता के बआवेगा और लवावेगा और अपने संग्राम के और अपने रथों के हथियार बनवावेगा॥ ५३ । ओर तुम्हारी बेटियों से अपने लिये मिठाई बनवावेगा और भेजन बनवावेगा और रोटो पेवावेगा ॥ ५४ । और वह तम्हारे खतां के ओर दाख के और जलपाई की बारियां का जा अच्छी से अच्छी हेगी लेके अपने सेबके का दृगा॥ १५ । और तम्हारे अन्न और दाख की ब।रियां का दसवां अंश लेके अपने नपंसकों के और अपने सेवकों के देगा॥ २१६। और वह तम्हारे दासे और तम्हारी टासियां का और संदर से संदर यबा मनव्यां के ओर तम्हा रे गटहें का लेके अपने काम में लगावेगा॥ ९५७। तन्हारो भड़ां का दसवां अंश लेगा ओर तम उस के सेवक हाओ।मे ॥ २५८। ओऔर तब पू ४८८ समएल [६ पत्बे तम अपने राजा के कारण जिसे तम ने चना हे टाहाई दग्रेगे उस ट्नि परमेश्वर तम्हारो न सनेगा ॥ १९। तिस पर भी उन लागों ने समएल की बात न मानी पर बाले कि नहीों परंतु हम एक राजा लेंगे। २०। जिसते हम भी समस्त जातिगणं के समान होवें और जिसतें हमारा राजा हमारे लिये न्याय करे ओर हमारे आगे आगे चले और हमारे लिये संग्राम करे॥ २२५। तब समएल ने मंडलो को सारो बातें सनों और परमेश्वर के श्रवण लॉ पहुचाई॥ २२। ओर परमेग्र ने समएल के कहा कि त्‌ डन का शब्द सन और उन के लिये एक राजा ठचहरा तब समएल ने इसराणल के मनय्यां से कहा कि हर एक अपनी अपनी बस्तौ का जावे ॥ € नवां पब्म । जा व बिनयमीन का एक जन था जे अफीह के बटे बक्रत के बट सरूर के बेटे अबिएल का बेटा जिस का नाम कौस था वबुच्द बिनयमीनी और महाबली था ॥ २। ओर उस के एक बेटा था जिस का नाम साऊल जो संदर और चुना हुआ तरुण था और इसराएल के संतानों में उस्मे कोई अधिक संटर न था सारे लोगों में कांध से लेके ऊपर ला ऊंचा था॥ ३। और साऊल के पिता के गदहे खो गये थे से कीस ने अपने बेटे साऊल के कहा कि सेवकों में से एक के अपने साथ ले और उठ जा गदहें के ढंढ़॥ ४। से वुच्द इफ्रायम पहाड़ में से और सलीसः के टेश में हेके निकला परंतु न पाया तबवे सअलीम के ट्श में से निकले परत वहां भी न पाया ओर वह बिनयमौन के देश में हे|के गया परत न पाया ॥ ५ । तब वे रूफ्‌ के टेश में आये ओर साऊल ने अपने साथ के सेवक का कहा कि आ फिर चलें एसा न हे। कि मेरा पिता गदहें का छाड़ हमारे लिये चिंता करे। ६। उस ने उसे कहा कि टेख इस नगर में इस्घर का एक जन हे जा प्रतिष्ठित क्षे जा कुछ वुद् कहता हे से। निश्चय हेाता हें आ उधर जायें क्या जाने कि जो माग्रें हमें जाना उचित है व॒ह हमें बता सके ॥ ७। तब साऊल ने अपने सेवक से कहा कि देख यदि हम जायें ता हम उस जन के लिय क्या ले & पज्ब] को ९५ पस्तक। ४४८ *ट नहों हमार पास क्या है॥ पर। पर सेवक ने साऊल को उत्तर टके कहा कि द्ख पांच शकल चांदी मम्क पास हे से में ईश्वर के जन का ट्ऊंगा कि हमें मागें बतावे॥ €। [अगले समय में जब मनव्य परमेग्रर से प्रश्न करने जाता था तब यह कहता था कि आओ दृशों पास जायें क्योंकि आगमज्ञानी आग दर्शों कहाता था ]॥ ९०। तब साऊजल ने अपने सेवक से कहा कि त ने अच्छा कहा आ चल से वे नगर में आये जहां ईस्मर का वह जन था॥ ९५१९५ । उस नगर की चढ़ाई पर चढ़ते हुए उन्हें कई कन्या मिलों जा पानो भरने जातो थों उन्‍्हां ने पका कि टश्शीं यहां हे॥ ५२। उन्‍्हों ने उन्हें उत्तर दिया ओर कहा कि टेख बुच् तुम्हारे आगे है शीघ्र करो क्योंकि वृह्र आज नगर में आया है और आज ऊंचे स्थान में लागों का बलिदान है। ९३। जब तुम नगर में पहुंचा तब तम उद्मे आगे कि वुह ऊंचे स्थान में खाने जाय डसे पाओगे क्योंकि जब लो वुह्द न जाये लाग न खायेंगे इस कारण कि वुच्द बलि के आशीष टेता हे उस के पीछ नेउंतहरी खाते हें से! अब तम चढ़ा क्योंकि आज तम उसे पाओरगे॥। २१५४। से वे नगर को चढे और नगर में जाते हो क्या देखते हें कि समएल उन के आंगआया कि ऊंचे स्थान पर चढ़ जाय॥ २५ । ओर अब परमेग्पर ने साऊल के आने से एक दिन आगे समएल के कान में प्रगट कह दियाथा॥ २१६। कि कल इसो समय में एक जन के बिनयमौन के देश से तस्कर पास भेज॑ंगा और तू मेरे इसराएल लागों पर डसे प्रधान अभिषेक करियो जिसतें वक्त मेरे लोगों के फिलिस्तियां के हाथ से छड़।वे क्योंकि में ने अपने लागें पर दृष्टि किई और उन का चित्लाना मेरे पास पहुंचा ॥ ९५७। से जब समएल ने साऊल को ट्खा तब परमेम्धर ने डसे कद्दा कि ट्ख यही जन ह जिस के कारण में ने तम्के कहा था यही मेरे लागें पर राज्य करेगा॥ १८। तब साऊल समृणल के ५एस फाटक पर आके बोला कि कृपा करके हमें बताइये कि दर्शों का घर कहां क्॥ १८। तब सम्‌णल ने साऊल के उत्तर ट्‌के कहा कि दशीं में हों हूं मेरे आई आग ऊच स्थान पर चढ़ क्यांकि तम आज मेरे साथ भाजन करोगे और ५५० समएल [१० पढ्ढ कल में तम्के बिटा करूंगा और जा कुछ तेरे मन में हे तम्के बताऊंगा ॥ २० । और तरे गटहे जे। आज तीन ट्न से खा गये हैं उन को ओर से निश्यिंत रह क्यांकि वे मिल गये और इसराएल को सारी इच्छा किस पर है क्या तेरे और तेरे पिता के समस्त घराने पर नहीं ॥ २१५। से साऊल ने उत्तर देके कद्दा कि में बिनयमीनी इसराएल कौ गाछ्टियों में से सब से काटा नहीं और क्या मेरा घराना बिनयमौन की गाछी के सारे घरानें में छाटे से छाटा नहों इस बचन के समान त मस्त से क्यों बोलता होे॥ २२। और समणएल साऊल का ओर उस के सेवक के; लेके उन्हें के।ठरी में लाया और उन्‍हें नेउंतहरियों में जा बलाये गये थे जे जन तौस एक थे सब से श्रेष्ठ स्थान में बेठाया ॥ २३ । तब समएल ने रसोई कारक का कहा कि वचह्द भाग जो में ने तस्ते रख छोड़ने के! कह था ले आ॥ ९४। और रसेई कारक ने एक कांघे के! और जे उस पर था उठा लिया और साऊल के आग रखके कहा कि देख यह जा धरा हैं अपने आगे रखके खा इस लिये कि में ने जब से कि लागों का नेठंता किया अब लो तरे लिये रख छाड़ा था से। साऊल ने उस दिन समृएल के साथ भाजन किया । २५ | ओर जब वे ऊंचे स्थान सेन गर में उतर आये उस ने खाऊल से छत पर बात चौत किई॥ २६। और वे तड़के उठ और बविहान हे।ते हो समएल ने साऊल का फिर छत पर बला के कहा कि उठ में तस्तते बिट करूं से। साजऊल उठा ओर वे दोनों वह ओर समएल बाहर चले गये॥ २७। जब वे नगर के निकास पर जाते थ तब समएल ने साऊल के! कहा कि अपने सेवक के! कह कि हम से आगे बढ़े और बच बढ़ गया पर त तनिक खड़ा रह जिसत ई श्र का बचन तम्के बताऊं । १० । दसवां पब्ब । |. समएल ने एक कुप्पो तेल लिया और उस के सिर पर ढाला ओर से चमा ओर कहा कि यह इस कारण नहीं कि परमेग्थर ने तभ्क अपने अधिकार के ऊपर प्रधान करके अभिषक किया॥ २। जब त मेरे पास से आज चला ज्ञायगा तब दे। जन के राखिल कौ समाधि के ९० पबत्खें] की ९ पक्तक। ५५४९ पास बिनयमीन के सिवाने के जिहल्लज़ह में पाओगे ओर वे तम्क कहेंगे कि जिन गदहें के त ठढंढने गया था से। मिले औ और अब तेरा पिता गदटरहों की चिंता छोड़ कर तरे लिये कुढ़ता है और कहता क्षे किमें अपने बटे के लिय क्या करू॥ ३॥। तब त वहां से आगे बढ़ेगा और तबर के चौगान के पहुचेगा ओर वहां तम्क तोन जन मिलेंगे जा बैतएल के इईम्घर कने चले जाते हांगे एक तो बकरी के तीन मेन्ना लिये हुए और दूसरा तोन रोटो और तौसरा एक कुप्पा दाख रस॥ ४। और वे तेरा कशल पछेंगे ओर हो रोटौो तम्के टेंगेत उन के हाथ से ले लीजिये ॥ ४ । उस के पीछ त इंख्र के पहाड़ पास जहां फिलिस्तियां को चौकी है पहुंचंगा और जब नगर में प्रवेश करेगा ऐसा होगा कित आगम- ज्ञानियां की एक जथा पावेगा जा ऊंच स्थान से उतरती होगी जिन के आगे आगे मुरचंग और ठोलक ओर बांसरी ओर बोणा हेंगे ओर वे भविष्य कहेंगे ॥ ६ | तब परमेग्वर का आत्मा तम्कत पर डतरेगा ओर भी उन के साथ भविद्य कहेगा और और ही एक मन्य्य है। जायगा ॥ ७। ओर यों हेगा कि जब त थे चिन्ह पावे फिर जैसा संयोग हे।वे बेसा कीजियो क्योंकि ईंग्पर तेरे साथ क्षे। ८। और मेरे आग त जिलजाल का उतरिया और देख में तम्त पास उतरूंगा जिसतें हाम कौ भेंट ओर कशल की भेंट बलि करूँ सो त सात दिनलां वहों उहरिया जब ला में लम्फ पास आऊं ओर तम्के बताऊं कि तक्या क्या करेगा। <। और छेसा हुआ कि ज्यांहों उस ने समएल से जाने का पीठ फरी व्यांहों ईस्पर ने उसे द्ृसरा मन टिया ओर वे सब लच्ताण उस ने उसी दिन पाय॥ १०। और जब वे उधर पहाड़ का आये तो क्या देखते हें कि आगमज्ञानियों कौ एक जथा उन्‍हें मिली और ईश्वर का आत्मा उस पर उतरा और वुह्द उन में भविव्य कहने लगा॥ ९५१५। ओर यों हुआ कि जब उस के अगले ऊान पहचिचानों ने यह देखा कि वह आग्रमज्ञानियों के मध्य भविय्य कहता हं तब लागां ने आपस में कहा कि कौस के बट का क्या हुआ क्या साऊल भी आगमन्ञानियां में हं॥ २१५२। तब एक ने उन में से उत्तर दियाओर कहा कि उन का पिता कौन ह्ले तब हो से यह कहावत चली कि क्या साऊल भो आमगमन्नानियां में हे ॥ ५५२ समएल [२९० पन्न १९३। और जब वह आगम कह चका तब ऊंचे स्थान में आया॥ १९४। जर साऊल केचचा ने उसे ओर उस के सेवक के कहा कि तम कहां गये थे ओर वे बोले कि गदहे दंढ़ने और जब उन्‍हें कहीं न पाया ते समएल पास गये ॥ १५५४५। तब साऊल का चचा बोला कि मस्त बता कि समएल ने तम्हें क्या कहा॥ २६। और साऊजल ने अपने चचा से कहा कि उस ने हमें खे।ल के बताया कि गटहे मिल गये पर राज्य का समाचार जो समणल ने उसे कहा था उसे न बताया ९७। और समणएल ने मिसफः में परमेश्वर के आगे लोगों के एकट्ट बलाया॥ ९५८। और इसराएल के संत।न के कहा कि परमेम्वर इसरा- एल का ईश्वर यों कहता हे कि में इसराएल के मिस्र से निकाल लाया और तम्हें मिखियों के और सारे राजाओं के हाथ से और जो तरन्‍हें सताते थे उन से छडाया॥ २९१६८। और तम ने आज्ञ के टिन अपने ई स्वर के व्याग किया जिस ने तम्हें तम्हारे सारे बेरियों और तम्हारी बिपतों से बचाया और तम ने उसे कहा कि हम पर एक राजा ठहरा से अब अपनी अपनी गाए के और सहस्त सहख के समान परमेग्र के आगे आअआओे॥ २०। और जब समएल ने इसराएल को सारी गाछष्टियां का एकट्री किया तब बिनयमीन की गेोष्टी लिईं गई ॥ २९ । ओर जब वह बिनयमीन की गेछी के। उन के घरानें के समान पास लाया तब मंत्री का घराना चना गया और कोस का बेटा साऊल चुना गया और जब उन्हें ने रुसे ठंढा तो न पाया॥ २२॥ इस लिथे उन्हा ने परमेम्घर से पक्ता कि बह जन फिर यहां आवेगा कि नहों ओर परमेश्वर ने उत्तर दिया कि रेखे! वह सामग्री के बीच छिप रहा हे॥ २३। तब वे दोड़े ओर उसे वहां से लाये और जब वह लागें में खड़ा हुआ तब कांघ से ले के ऊपर ला सभों से अधिक ऊंचा था ॥२४ । और समएल ने समस्त लागों का कहा कि जिसे परमेश्वर ने चुना क्ष तम उसे देखते हे। क्यांकि उस के समान सारे लोगों में काई नहीं तब समस्त लेग ललकार के बाले कि राजा जीवे। २५। फिर समणल ने लागों को राज्य को रोति बताई जैर पस्तक में लिख के परमेज्वर के आगे रक्‍्खा और समणएल ने हर एक मनव्य का अपने अपने घर भेजा | २९ पत्ब ] की ९५ पस्तक ॥ ॥ के. व और साऊल भी अपने घर जिबिअत के गया और उस के साथ लागां की एक जथा जिन के मन के ईस्पर ने फर दिया था हा लिई॥ २७। परंतु दृष्टजन बाले कि यह जन हमें क्योंकर बचावेगा ओर उस कौ निंदा किई और उस के पास भंट न लाये पर वह अनसने के समान हे। रहा ॥ १५१ ग्यारहवां पब्य ॥ ब अस्मनी नाहस चढ़ा और यबीसजिलिअद के साम्ने छावनी किई '* बेड यबीस के सब लागों ने नाहम से कहा कि हम से बाचा बांध और हम तेरी सेवा करेंगे॥। २। ओर अस्मनी नाहस ने उन्हें उत्तर टिया कि इस बात पर में तस्क से बाचा बांघंगा कि में तम सभां कौ हर एक द्हिंनी आंख निकाल डाल और समस्त इसराएल के अपमान के लिये घरूु॥ ३। तब यबोंस के प्राचौनें ने उसे कहा कि हमें सात दिन की छट्टी दे जियतें हम इसराएल के सारे सिवानों में ट्वत भेजें यदि काई उड्भडारक न ठहरे तब हम तुस््र पास निकलंगे॥ ४। तब साजल के द्वत जिविअः में पहुंचे और लोगों के कान ला यह संट्श पहुंचायर तब सब लागों ने चिज्ञा चिज्ना के बिलाप किया ॥ ५। ओर टेखे। कि साऊल खेत से ढार के पीछ पीछे चला आता था और साऊल ने कहा कि क्या क्षे कि लाग बिलाप करते हैं और उन्हों ने यबौसियां का संदेश उसे कह सनाया ॥ ६ । इन संदशों के सनते ही साऊल पर ईय्यर का आत्मा पड़ा और उस का क्रोध अत्यंत भड़का॥ ७। और उस ने एक जाड़ा बेल लिया और उन्‍हें टकड़ा टकड़ा किया और उन्हें टृतों के हाथ इसराएल के सारे सिवानें में यह कहके भेजा कि जो काई चाऊजल और समएल के पोछ पोछक न निकल आवेगा उस के बलों को यहो दशा हे।गौ तब लागां पर परमेग्वर का डर पड़ा और वे एक जन की नाईइं निकल आये॥ ए८ू। और उस ने उन्हें बज़क में गिना इसराएल के संतान तोन लाख थ और हटाह के मनुव्य तीस सहस्त ॥ €। और उन्‍्हां ने उन द्ूतों के कहा कि तम यबौसजिलिअद के लागां के। कहे। कि कल सब्ये की तपन हाते हो तम छटकारा पाओग और द्वतां ने आके यबीस के मनथ्यों से 70 [4, 5930 8.] १५४४ समएल [१५६ पब्थे कहा और वे आनंद हुए ॥ १० । इस लिये यबीस के मनव्यों ने कहा कि कल तम पास हम निकलेंगे और जो भला जाने से। हमारे बिषय में कीजियो॥ ९५५। ओर बिहान के साजल ने लागां कौ तीन जथा किई ओर तड़के के पहर सेना के मध्य में आया ओर टिन के घाम लॉं अन्मनियां के! मारा और ऐसा हुआ कि वे जा रह गये से छिन्न भिन्न हैे। गये यहां जां कि दे! एकट्टे नथ॥ २९५२। तब लाग समएल से बोले कि किस ने कहा ह कि क्या साऊल हम पर राज्य करंगा उन लागां का लाओ जिसतें हम उन्‍हें बघचन करं॥ १५३। तब साऊल बोला कि आज के दिन कोई मन॒व्य मारा न जायगा इस लिये कि आज के दिन परमेम्वर ने इसराएल के। बचाया॥ ९४। तब समृण्ल ने लागों का कह्दा कि आओ जिलजाल के जावें ओर राज्य के! देाहरावे॥ ९५५४ । तब सारे लाग जिलजाल के गये और जिलजाल में परमेग्थर के आगे उन्‍्हां ने साऊल के राजा किया ओर वहां उन्हां ने कुशल को भेंट के परमेम््रर के आगे बलि किया ओर वहां साऊल ने ओर सारे इसर।एल के समस्त जनें ने बड़ा आनंद किया ॥ २२ बारहवां पब्बे ॥ ब समुएल ने सारे इसराएल से कहा क्ि देखा जा कुछ तम ने मु त्‌ कहा मैं ने तुम्हारी हर एक बात मानो ओर एक के तुम पर राजा किया॥ २। और अब देखे राजा तम्हारं आगे आगे जाता हे ओर में ढड़ और मेरा बाल पक गया ओर देखा मेरे बेटे तुम्हारे स।थ ओर में लड़काई से आज लो तुम्हारे आगे आगे चला॥ ३। देखा में यहां ह् से। आओ परमेश्वर के और उस के अभिषिक्त के आग मुम्त पर साज्षौ दओ कि मैं ने किस का बैल लिया अथवा किस का गदहा में ने रख छड़ा अथवा में ने किसे छला अथवा किस पर में ने अंघर किया अथवा किस के हाथ से में ने घस लिया कि उद्यम अपनी आंखें मंदूं और में तम्हं फेर देऊंगा॥ ४ ।आओर वे बाले कि त ने हमें न छला न हम पर अंधर किया ओर नत ने कियी के ध्ाथ से कुछ लिया ॥ ५४ । तब उस ने उन्हें कहा कि परमेश्वर तम पर साचोी और उस का अभिषिक्त आज उराच्ची हे कि मेरे १२ पत्ब] की २ पस्तक। प ५५ हाथ में तम ने कुछ न पाया वे बोले कि वह साक्षौ क्षे। ६। फिर समृएल ने लागें से कहा कि परमेश्वर ने मसा और हारून के वढ़ाया और तम्हारे पितरों के! मिस्र के दश से ऊपर निकाल लाया ॥ ७। से अब ठहर जाओ जिसतें में परमेश्वर के आगे उन सब भलाइयों के कारण जो परमेग्यर ने तम से और तम्हारे पितरों के साथ किई तम से बिचार करू॥ प८। जब यअकब मिख में आया और तम्हारे पितर परमेम्पर के आग चित्लाथे तब परमेग्धर ने मसा और हारून के। बलाया वे तुम्हारे पितरों के मिस्र से निकाल लाये ओर उन्हंइस स्थान में बसाया॥ €। और जबवे परमेग्वर अपने ईस्थर के भूल गये उस ने उन्हें हस्टर को सेना के प्रधान सौसरा के हाथ और फिलिस्तियां के हाथ और मेअब के राजा के हाथ बचा और वे उन से लडे॥ ९०। फिर वे परमेग्वर के आगे चित्ला के बोले कि हम ने पाप हऐएिया क्योंकि हम ने परमेश्वर के त्याग किया और बअलीम और इसतारात की सेवा किई परंत अब हमारे बैरियों के हाथ से हमें छड़ा और हम तेरी सेवा करेंगे ॥ १५९ । फिर परमेग्वर ने यरुब्बअल जओऔर बिदान और इफताह ओऔर समृणएल के भेजा ओर तुम्हें तुम्हारे चारों ओर के बेरियों के हाथ से बचाया और तम ने चेन पाया॥ २९२। और जब तम ने ट्खा कि अन्यन के सतान का राजा नाहस तम पर चढ़ आया तब तम ने मर्म्के कहा कि नहों परंत राजा हम पर.राज्य करे जब कि परमेग्रर तम्हारा ईश्वर तम्हारा राजा था॥ १५३। से अब टेखो तम्हारा राजा जिसे तम ने चन लिया और जिसे तम ने मांगा और टेखे। परमेम्वर ने तम पर एक राजा ठहराया॥ १५४। यदि तम परमेश्वर से डरते रहेगे और उस की सेवा कराग और उस का शब्द मानोगे और परमेग्वर के सन्मख से फिर न जाओगे तो तम और तम्हारा राजा भी जा तम पर राज्य करता हे परमेम्वर अपने ईय्यर के पीछे पीछे चलागे॥ १५५। पर यदि तम परमेस्पर का शब्द न मानागे और परमेस्थर कौ आज्ञाओं से फिर जाओ ते परमेस्थर का हाथ तम्हारे बिरुड्र होगा जैसा कि तम्हारे पितरों पर था॥ २१६। से अब ठहर जाओ और टेखे। वह बड़ा काम जो परमेम्पर तम्हारी आंखें के सामने करेगा॥ १५७। क्या आज गाहं की लवनी नहीं ५५ ६ समृएल [२३ पत्व मैं परमेम्वर से प्राथेना करता क् और वह गज्जेन और मेंह भेजेगा जिसतें तम बस्से और ट्खे। कि राजा के मांगने से तुम्हारी दुष्टता बड़ी हे जा तम ने परमेश्वर की दृष्टि में किहे॥ ५८। से! समएल ने परमेम्यर से प्राथेना किई और परमेञर ने उसी दिन गज्जेन और मेंह भेजा तब सारे लेग परमेश्वर से और समएल से निपट डर गये॥ १५८। ओर सारे लागे ने समएल से कहा कि अपने दासें के लिये परमेग्वर अपने ई.्पर की प्राथेना कीजिये कि हम न मरें क्यांकि हम ने अपने सारे पापें से यह बराई अधिक किईं कि अपने लिये एक राजा मांगा ॥ २० | तब समणएल ने लागां के! कहा कि मत डरो यह सब दुष्टता तम ने किईं हैं तिस पर भी परमेश्वर के पीछे पीछे जाने से अलग न हेओ । परंत अपने सारे अतः करण से परमेम्धर की सेवा करो ॥ २९। और हथा का पीछा करने का अलग मत हेओए जिन में लाभ ओर मुक्ति नहीं क्योंकि वे ब्यथे हैं । २२ । क्येंकि परमेश्वर अपने महत्‌ नाम के लिये अपने लाग के छाड़ न टेगा इस कारण परमेश्वर कौ इच्छा हुई कि तम्हं अपने लोग बनावे॥ २३। और ईश्वर न करे कि में तम्हारे लिये प्राथेना करने में थम जाऊं और : परमेश्वर के बिरुड्ट पापी हे।ऊ॑ परंत में वुच्द मागे जा अच्छा और सीधा है तम्हें सिखाऊंगा॥ २४। केवल परमेश्वर से डरे और अपने सारे मन से और सच्चाई से उस की सेवा करा और सेचचा कि उस ने तम्हारे लिये कैसा बड़ा काम किया ह्े॥ २५३ परंत यदि तम अब भौ दुष्टता करेगे ते तम और तम्हारा राजा नाश हे। जाओग। कक ५ 65 १५४३ तरहवा पत्ब ॥ एऊल ने एक बरस राज्य किया ओर जब वचन इसराएल पर टो बरस रत. कर चका॥ २। तब साऊल ने तीन सहख इसराएलियों के अपने लिये चना दो सहस्त उस के साथ मिकमास में और बेतऐल पह्दाड़ में थे और एक सहस्त यनतन के साथ बिनयमोन के जिबिअत में थे और उबरेहुओं के। उस ने बिदा किया कि अपने अपने डरे के जावें।॥ ३। ओर यनतन ने फिलिस्तियों के थाने के जो जिबिअः में था मारा और फिलिस्तियों ने सना और साऊल ने सारे देश में यह कहके ९४ पब्बे) की ९ परस्तक । ४५७ नरसिंगा फंका किदबरानों सनें। ४। और सारे इसराएलियों ने यह समाचार सना कि साऊजल ने फिलिस्तियां के थाने के मारा और इसराएल भो फिलिस्तियां से घिनित हुए ओै।र लोग साऊल के पास जिलजाल में एकट्टे बलाये गये॥ ५। जओऔर फफ़िलिस्तो इसराएल से लड़ने के एकट्ट हुए तोस सहस्व रथ ओर छः: सहखत घोड़चढ़ और लेग समद्र की बालू की नाई समह चढ़ आय मिकमास में बेतअबन कौ पब ओर डेरा किया॥ ६। जब इसराएल के मनय्यों ने टखा कि हम सकेतो में हैं क्योंकि लेग दःखी थ तब लाग आके खाहें में ओर स्काड़ों में और पहाड़ों में और ऊंचे ऊंचे स्थान में और गड़ हियां में जा किप ॥ ७। और इबरानी यरट्न के पार जद और जिलिअद के देश को गये और साऊल तो अब लां जिलजाल ही में था ओर समस्त लाग उस के पीछे पौछ थर्थराते गये ॥ ८८। और वहां समणल के ठहराने के समान सात हिन लें ठहरा रहा परंत समएल जिलजाल में न आया और लोग उस के पास से वबिथरे थ॥ «। तब साऊल ने कहा कि होम कौ भेंट और कुशल की भेंट मस्त पास लाओ ओर उस ने हेम कीभेंट चढ़ाई ॥ ९०। ओर एसा हुआ कि ज्योंहों वह हे की भेंट चढ़ा चका व्योंह्ीं समएल आ पहुंचा ओर साऊल उसे मिलने के! बाहर निकला कि डसे घन्यवाद करे॥ २५९। और समणएल ने पक्ता कि त ने क्या किया तब साऊल बाला कि जब में ने रखा कि लाग मम से बिथर गये और त ठहराये हुए दिनों के भौतर न आ पहुंचा ओर फिलिस्ती मिकमास में एकट्टर हुए॥ १२। तब में ने कहा कि फिलिस्ती जिलजाल में मम्भ पर आ पड़ेंगे और में ने परमेग्वर की प्राथेना किई इस लिये में ने सकेती से हाम की भंट चढ़ाई॥ ९३। तब समणएल ने साऊल के। कह कि त ने मढ़ता किई हुं त ने परमेग्वर अपने ईम्घर की आज्ञा के! जा उस ने तुम दिई पालन न किया क्योंकि परमेश्वर अब तेरा राज्य इसराएल पर सदा स्थिर करता॥ १५४। परंतु अब तेरा राज्य बनान रहेगा क्योंकि परमेम्वर ने एक जन का अपने मन के समान खोजा है गऔार परमेश्वर ने उसे आज्ञा किई कि उस के लागोां का प्रधान हावे इस लिये कि तू ने परमेग्वर की आज्ञा के पालन नकिया॥ ९५४। ओर समृणल * ५५८ समएल [१४ पब्छे उठा और जिलजाल से बिनयमीन के जिबिञ्रत के। चला गया तब साऊल ने उन लागों के जो उस पास थे गिना और वे एक छः से। जन थे ॥ ९६। ग्रार साजऊल और उस का बेटा यनतन और उस के साथ के लोग बिनयमौन के संतान -के जिबिआअः में ठहर गये परंत फिलस्तियों ने मिकमास में छावनी किई॥ १५७। और लटे रे फिलिस्तियों की छावनी से तौन जथा हा के निकले एक तो रूआल के दश का उफरः की ओर ॥ २९८। और ट्रसरी जथा बैतहे।रान के मार्ग आई ओर तौसरी जथा ने उस सिवाने का माग जिया जो सबईम की तराई के बन के सन्मख है ॥ २६८। अब इसराएल के सारे टश में काई लाहार न मिलता था क्योंकि फिलिस्तियां ने कहा था कि न हे कि इबरानो खज्भजा अथवा भाला बनाव ॥ २०। परंत सारे इसराएली हर एक जन अपना अपना फार और भाला और कुल्हाड़ी और कुदारी चाखा करने के लिय फिलिस्तियां कने उतरते थे।॥ २९। तद भी कुदारियों और फारों और विशले और कुल्हाड़ी के लिये और अरई के। चाखा करने के लिये उन के पास एक रेती थी॥ २२। ओर ऐसा हुआ कि लड़ाई के टिन साऊल और उस के बेटे यनतन के छोड़ उन लागों में से जे साऊल गऔर य्नतन के साथ थे किसी के हाथ में एक तलवार और एक भाला नथा॥ २३। तब फिलिस्तियों का थाना मिकमास की घाटी पर आ पड़ा। ९४ चोट्हवां पब्बे । 6. ञ््र एर एक दिन ऐसा हुआ कि साऊल के बेट यनतन ने अपने अस्वघारी यबा मनय्य के कद्दा कि आ हम फिलिस्तियां के थाने पर लो फ्ले ओर है चलें परंत उस ने अपने पिता से नहीं कहा॥ २ । और साऊल जिबिआः के निकास पर एक अनार के छक्ष तले जा मिजरून में था 5हर रचा और एक छः सी। लेग उस के साथ थे॥ ३ । परमेस्वर का याजक सैला में एली का बंटा फीनिहास का बेटा ईकबद के भाई अखि- तब का बेटा अखी अफट पहिने हुए था और लागां ने न जाना कि यूनतन चला गया॥ ४। और उन घारियों के बोच जिन से यूनतन चाहता था कि फिलिक्षियां के थाने पर जा पड़ एक एक ओर चाखो २४ पब्ब] की ९ प॒स्तक। १५६८ नस त६€ल&फकफकसज अआअकइअ*ऊ355$ऊ5४कफऑआ _ स॒ सै तन _लककखत।य०”_१यधससक्‍क्‍ऊक्‍न.बमझ नमन -+ननन+नन++3+>-+«नननन--नननन नमन वन 33333 <3.>.<+3+-33----. चटान थी एक का नाम बाजीजु और टूसरी का सनः था॥ ५। एक का साम्ना उत्तर दिशा मिकमास के सन्मख था और टूसरी का दक्षिण दिशा जिबिआअः के सनन्‍्मख | ६ । तब यनतन ने अपने अस्व॒घारी यबा से कहा कि आ हम उन अखतनों के थाने पर चढ़ जाय क्या जाने परमेम्पर हमारे लिये काय्ये करे क्योंकि परमेग्वर के आगे कुछ बड़ी बात नहीं चाहे बहुतां से जय हद चाहे ते! थाड़ों से। ७। और उस के अस्तथारी ने डसे कहा कि सब जो आप के मन में हे से। करिये फिरिये और देखिये आप के मन के समान में भो साथी हुँ ॥ ८। तब यूनतन बेला कि ट्ख हम इन लागां पास पार जाते हैं आ हम अपने तई उन पर प्रगट कर॥ <। यदि वे हमें कहें कि ठह रो जब ला हम तम्हारे पास आवब तब हम ठह रे रहगे और उन पास चढ़ न जायगे ॥ १५ ० । परंत यदि वे यों कहें कि हम पर चढ़ आओ तो हम चढ़ जायेंगे क्यांकि परमेग्वर ने उन्हें हमारे हाथ में कर दिया जार यह हमारे लिये एक पता हेगा॥ ९१ । तब उन द्वानों ने आप के फिलिस्तियां के थाने पर प्रगट किया और फिलिस्ती बोले कि देखा इबरानी उन छटरों में से जहां वे छिप रहे थे बाहर आते हैं ॥ १२। और उस थाने के लागां ने यनतन और उस के घस्त्रधारी के कहा कि हम पर चढ़ आओ ओर हम तम्ह कुछ ट्खिायंगे से यनतन ने अपने अस्लधारी से कहा कि अब मेरे पीछ चढ़ आ कि परमेग्पर ने उन्हं इसराएल के हाथ में कर दिया॥ ९५३। और यन॑तन बकैंया चढ़ गया और उस के पीछे उस का अस्वघारी शऔर वे यनतन के आगे मारे गये और उस के पीछ पीछ उस के अस्तधारी ने मारा॥ ९४। से। यह पहिला काट कट जो यूनतन और उस के अस्तधारी ने किया सारे मनुब्य बौस एक थे उतनी भूमि में जितनी में एक हल आघे दिन लो फिरे॥ १५। तब सेना में और खेत में ओर सारे लागों में थर्थराहट हुई और थाने के लोग और लटेरे भों थथेराने लगे और भमि कंपित हुई यह थथेराहट ईसम्पर की और से थो॥ १५६। और बिनयमीन के जिबविश्वत में के साऊल के पहरुओं ने ट्खा तो क्या टेखते हैं कि मंडली घट गई ओर वे मारते चते जाते थे। ९५७। तब साऊल ने अपने साथी लागें से कहा कि गिने। ओर देखो हम में से कैन निकल गया है जब घ६६० समूणल [५४ पन्ने उन्होंने गिना तो क्या द्खते हें कि यूनतन ओर उस का अस्तघारी नहों है॥ १८। तब साजल ने अखी के कहा किई प्र कौ मंजूषा इहां ला [क्योंकि ईम्थर कौ मंजूछा उस समय में इसर/एल के पास थी] ॥ ९८। और ऐसा हुआ कि जब याजक से साऊल बात करता था तब फिलिस्तियें की सेना में घम हेतता चलाजाता था और साऊल ने याजक से कहा कि अपना हाथ खोंच ले। २० | और साजल ग्रार उस के सारे लेग एक्ट बलाये गये और संग्राम के आय ओर टेखे। कि हर एक परुष का खड् उस के संगी पर पड़ा और बड़ी गड़बड़ाहट हुई ॥ २९ । ओर वे इबरानी भो जे आग फिलिस्तियों के साथ थे और जो चार ओर से उन के पास छावनी में गये थे वे भी फिर के उन इसराएलियां में जे। साऊल और यूनतन के साथ थे मिल गये ॥ २२। ओर इसराएल के सारे लाग भी जिन्‍्हाने इफरायम पहाड़ में आप के छिपाया था यह सना कि फिलस्तों भागे वे भौ संग्राम में उन्हें खट्ड़ते गये ॥ २३। और परमेम्वर ने उस टिन इसराणएलियां के। बचाया और लड़ाई बैतअवन के उस पार लो प5चौ॥ २४। और इसराएलो लोग उस दिन दुःखी हुए क्योंकि साऊल ने लागों के। किरिया देके कद्दा कि जो केई सांमा लें खाना खावे उस पर घिक्कार जिसत में अपने बेरिया से पलटा लेओई यहां ले कि किसो ने ककन चखा॥ २५। ओर समस्त टेश बन में पहुंच और वहां भमि पर मघ था॥ २६। ओर ज्यांहों लेग बन में पहुंचे तो क्या रखते हें कि मध टपकता हे पर किसी ने अपने मंह ले हाथ न उठाया क्योंकि लेोग किरियासे डरे॥ २७। परत यनतन ने न सनाथा कि उस के पिता ने लागों के। किरिया दो से। उस ने अपने हाथ की छड़ी की नाक से मध के छत्ते में बारा और हाथ में लेके मंह में डाला ओर उस की आंखों में ज्याति आई ॥ र८। तब उन लोगों में से एक ने उसे कहा कि तेरे पिता ने दृढ़ किरिया द्के कहा था कि जो जन आज कुछ खाय उस पर घिक्कार और उस समय लेाग थके हुए थे॥ २८ । तब यनतन बाला कि मेरे पिता ने रश का दुःख दिया टेखे में ने तनिक सा मधु चखा और मेरी आंखों में ज्योति आई॥ . ३०। क्या न हेता यदि सारे लोग बेरियां की लट से २९४ पन्ने] कौ ९ प॒स्तक। ४६९ जो उन्हें ने पाई मनमंता खाते क्या फिलिस्ती अधिक मारे न जाते ॥ ३९। और उन्हें ने उस ट्िन मिकमास से लेके एयलन लो फिलिस्तियों के मारा और ले निपट थक गये॥ ३२। और लट पर गिरे और भेड़ और बैल और बकड़े पकड़े और उन्हें मार मार लाह् समेत खा गये ॥ ३३। तब वे साऊल से कहके बाले कि द्ख लाह्लू समेत खाके लाग परमेश्वर के अपराधी हेते हैं वुह्द बेला कि तुम ने पाप किया से! एक बड़ा पत्थर आज मेरे साग्न ठुलकाओ ॥ ३४। फिर साऊल ने कहा कि लोगों में फैल जाओ और उन से कहे! कि हर एक जन अपना अपना बैल और अपनी अपनी भेड़ लावें और यहां मार के खायें और लोाह्न समेत खाके परमेम्घर के अपराधी न बेनें से! उस रात हर एक जन अपना अपना बैल लाया और वहीं मारा॥ ३५। और साजल ने परमेग्वर के लिये एक बेदी बनाई यह पहिली बेदी हे जा उस ने परमेग्वर के लिये बनाई ॥ ३६ । फिर साऊल ने कहा कि आग्रा रात के| फिलिस्तियां के पीछे उतरें ओर भिनसार लो उन्हें लटें और उन में से एक जन का न छोड़ें और वे बोले कि जो कुछ आप का अच्छा जान पड़ से करिये तब याजक बोला कि आओ यहां ईय्पर से मंत्र लेवें। ६३७। तब साऊल ने ईश्वर से मंच पूछा कि में फिलिस्तियों का पीछा करने के उतरें त्‌ उन्हें इसराएल के हाथ में सौॉंप टेगा परंतु उस ने उस ट्न उसे कुछ उत्तर न ट्यि॥ ३८। तब साऊजल ने कहा कि लागों के समस्त प्रधान यहां आवबें और जानें और दहखें कि आज कोन सा पाप हुआ क्ञे। ३८। क्यांकि परमेग्वर के जीवन सें जिस ने इसराएल के बचाया यद्मपि मेरा बेटा युनतन भी हेवे तो वुह निड्यय मारा जायगा परंतु समस्त लोगों में से किसी ने उत्तर न दिया॥ ४०। तब उस नेसारे इसराएल से कहा कि तम लाग एक ओर हे।ओ और मैं और मेरा बेटा यनतन टूस री ओर तब लेग साऊल से बोले कि जा आप भला जानें से कीज्षियि। ४२। और साऊल ने परमेग्थर इसराएल के ईस्मर से कहा कि ठोक चिता हे और साऊल और यनतन पकड़े गये परंत लेग निकल गये॥ ४२। फर साऊल ने कहा कि मेरे और मेरे बेटे बनतन के नाम चिद्री डाला तब यनतन 7] (4, 8. 8.,] १६२ संमएल [९५५ पब्ब पकड़ा गया ॥ ४४३। तब साऊल ने यनतन से कहा कि मे बता कि त ने क्या किया हे ओर यनतन ने उसे बताया ओर कहा मैं ने ते! केवल तनिक मध अपनी छड़ी की नाक से चखा था से अब देख मझ्के मरना हे॥ ४४। तब साऊल ने कहा कि ई ग्वर ऐसा ही और उर्े अधिक करे कि युनतन त्‌ निश्चय मारा जायगा ॥ ४४ । तब लोगों ने साऊल के! कहा कि क्या यनतन मारा जाय जिस ने इसराएल के लिये एसा बड़ा बचाव किया ईस्थर न करे परमेग्वर की से उस के सिर का एक बाल लो भूमि पर न गिराया जायगा क्योंकि उस ने आज ई सर के साथ काये किया से गा ने धनतन के छड़ा लिया जिसतें वह मारा न जाय॥ ४६। तब साऊल फिलिस्तियां का पीछा करने से थम गया और फिलिस्ती अपने स्थान के गये॥ ४७। और साऊल ने इसराएल का राज्य लिया जर अपने समस्त भैरियां से हर एक ओर मेअब के ओर अस्मन के संतान के और अटूम भी और रूबा के राजाओं के ओर फिलिक्तियों के साथ लड़ा और वह जहां कहों जाता था उन्‍हें छड़ता था॥ ४८ । फिर उस ने बल के साथ कार्य किया ओर अमालीक के मारा ओर इसराएलियों का लटेरों के हाथ से छडाया ॥ ४६८ । अब साऊल के बेटों के नाम ये हैं यनतन छै।र यशई ओर मलिकिर्अ और उस की दाने बेटियों के नाम ये हैं पहिलेंटो मैरव और लजह्लराी मीकल ॥ ५०। और साऊल कौ पत्नी का नाम अखिनअम जा अखिमअज की बेटी थी जऔऔर उस के सेनापति का नाम अविनैयर था जो साऊल के चचा नेयर का बेटा थच॥ ५९ | और कीस साऊल का पिता और नैयिर अबिनेयिर कापिता अबिण्ल का बेटा था॥। ५२९। ओर साऊल के जीवन भर फिलिस्तौ से कठिन संग्राम रहा और जब कभी साऊल किसौ बलवंत के। अथवा जेाघा के देखता था वुच्द उसे अपने पास रखता था। पंट्रहवां पब्बे । हो समएल ने साऊल को यह भी कहा कि परमेग्वर ने मस्के भेजा कि तुमे अपने इसराएलो लोगें पर राज्याभिषेक करूं से! अब परमेग्वर की बातें सुन॒॥ २। सेनाओं का परमेग्थर थों कहता हे कि २१५ पब्व] कौ ९ पस्तक। १६३ मस्‍्ते चेत हे जो कक कि अमालीक ने इसराएल से किया वे मार में उन के लिये ढके में क्योंकर लगे जब वे मिख से चढ़ आय॥ ६४३। अब त जा और अमालोक के मार और सब कछ जा उन का है सर्बण नाश कर और उन्हें मत छोड़ परंतु क्या परुष ओर क्या स्त्रो ओर क्या द्रथ पीवक और क्या बालक गर क्या बैल और क्या भेड़ और क्या ऊंट और क्या मटहे लों सब के मार डाल॥ ४। गैर साऊल ने लोगों के एकट्ठा किया आऔर तलाइम में ट लाख पेट्ल गिना और यह्ूटाह के ट्स सहस्व जन थे॥ ५। और साऊल अमालौक के एक नगर के आया और तराई में लड़ा॥ ६। और साऊजल ने कैनियों के कहा कि निकल जाओ अमलीकियों में से उतरा नहे। कि में उन के साथ तुम्हं नाश करूं क्यूंकि तुम ने इसराएल के समस्त संतान पर जब वे मिस से चढ़ आये कृपा किई से! केनी अमालोकियों में से निकल गये॥ ७। ग्यार साऊल ने अमालीकियां के हवोलः से लेके सर लां जा मिस्र के सामने है मारा॥ ८। ओर अमालीो किया के राजा अगाग के जौता पकड़ा ओर सब लागों के! खड़ की घार से सबथा नाश किया॥ <। परंत साऊल ओर लोगों ने अगराग का और अच्छी से अच्छी भेड़ों का और बैलों का और मेरे मेट जीवधारियों के और मेन्‍्नें के और सब अच्छौ बस्तों का जीता रद्खा ओर उन्हें सवेथा नाश न किया परंत उनन्‍्हों ने हर एक बस्त के जो तक और बरी थी सबेथा नाश किया॥ २९०। तब परमेज्यर का यह बचन समूएल के पहुंचा॥ ९९। मैं पछताता हूं कि साऊल को राज़ा किया क्योंकि वह मेरे पीछ से फिर गया और मेरी आज्ञाओं के प्ण न किया और समएल उदास हुआ ग्र रात भर परमेम्धर के आगे चिज्ञाता रहा॥ १९५२। और बिद्दान के! बड़े तड़के समएल उठा कि साऊल से शेंट करे और समएल से कद्दा गया कि साऊल करमिल के आया और देखे कि उस ने अपने लिये एक स्तरण का चिन्द खड़ा किया और फिरा ओऔऔर जिलजाल के उतर गया॥ २९३। फिर सम एल साऊल पास गया और साऊल ने उसे कहा कित परमेश्वर का अशीसित हे में ने परमेम्प्रर की आज्ञाओ( के पर्ण किया ॥ ९४ | तब समएल ने कहा परंत यह भेछां का मिमियाना और बैेलें का बमाना जो में १६४ समृणल [१५ पब्बे 85220: :0000 00: 2:77 7 2 सनता क से कैसा है ॥ ९५ । और साऊल ने कहा कि वे अमालौो किये से ले आय हें क्योंकि लागों ने अच्छी से अच्छी भेड़ और बैल के। बचा रकवा कै कि तेरे ईस्थर परमेग्धर के लिये बलि चढ़ावें और बचे हुओ के! तो हम ने सबेथा नाश किया क्ै॥ १६। तब समूएल ने साऊल के कहा कि ठहर जा और जो कुछ परमेग्वर ने आज रात मम से कहा हे में तस्कर से कहूंगा वचद्द उसे बाला कि कहिय ॥ ९७। समएल ने कहा कि जब त अपनी दृष्टि में तच्छ था तब क्या इसराएल की गोष्ियों का प्रधान न हुआ ओर परमेम्पर में तक इसराएल पर राज्याभिषेक न किया ॥ १५८। ओर परमेग्र ने लम्के यह कहके यात्रा का भेजा कि जा उन पापी अमाली कियों के। सबंधा नाश कर ओर उन से यहां ला लड़ाई कर कि वे मिट जायें॥ ९८ । से तू ने किस लिये परमेग्वर का शब्द न माना परंतु लूट पर है।ड़ा और परमेश्वर को दृष्टि में बुराई किई ॥ २०। तब साऊल ने समूएल के कहा कि हां में ने तो परमेग्धर के शब्द के! माना है ओर जिस मागे में परमेम्पर ने मुस्के भेजा चला हूं और अमालोकियों के राजा अगाग के। ले आया हू ग्रैर अमालीकियों के सबधा नाश किया क्ष। २९। पर लोगों ने लूट में भेड़ और बैल और जो अच्छे से अच्छ चाहिये था कि सबेथा नाश किये जाय से। रख लिये जिसते जिलजाल में परमेम्पर तेरे ईस्वर के लिये भेंट चढ़ावें॥ २९। ओर समृएल बोला कि क्या परमेस्वर हेम की भेटों और बलिदानें से ऐसा आनंद हे जैसे परमेम्थर के शब्द के मान्ने से रेखा माज्ना बलिदान से ओर सन्ना मढे की चिकनाई से उत्तम हे॥ २३। क्योंकि फिर जाना टोना के पाप के तल्य है ढिटाई ओर बराई मर्ति पजा के समान से जैसा त ने परमेग्धर के बचन को त्याग किया क्षे उस ने तभ्मे भो राज्य से त्याग किया ह्ञे॥ २४ । तब साऊल ने समएल से कहा किमें ने पाप किया है क्योंकि में ने परमेश्थर की आज्ञा के। और तेरी बातों के उलंघन किया इस कॉरण कि में ने लागां से डर के उन के शब्द का माना॥ २४ । सो में तेरी बिनती करता हूं कि मेरे पाप क्षमा कीजिये और मेरे साथ उलटा फिरिये जिसतें में परमेम्धर की सेवा करूं॥ २६। और समएल ने साजल से कहा कि में तेरे साथ न फिरूंगा क्योंकि त ने परमेग्वर के बचन के! त्याग किया है और परमेश्वर ने इसराएल पर राजा २६ ब्बेप] की २ पस्तक। ४६५ हेने से तम्गे त्याग किया क्षे। २७। और जब समणएल फिरा कि चला जाय ते उस ने उस के बस्तर का खंट पकड़ा और वच्ठ फट गया ॥ र२ष्। तब समएल ने उसे कह्दा कि परमेगम्घर ने आज इसराएल के राज्य के। तम्क से फाड़ा हे और तेरे एक परासी के दिया है जा तस्कर से अच्छा कहै॥ २८। ओर जो इसराएल का बल है से मठ न बालेगा और न पछतावेगा क्योंकि वह मनवय्य नहों कि वह पछतावे॥ ३०। तब उस ने कहा किमें ने ते पाप किया है पर लागों के प्राचीनें के और इसराएल के आगे मेरी प्रतिष्ठा कीजिये और मेरे साथ लै।टिये जिसतें में परमेम्घर तेरे ईम्घर को सेवा करूं॥ ३९५। तब समएल साऊल के पीछ फिरा ओर साऊल ने परमेम्धर की सेव! किई ॥ ३२ । तब समणएल ने कहा कि अमालीकियां के राजा अगाग के। इधर मम पास लॉगओगए और अगाणग निधड़क से उस पास आया और अगांग ने कहा कि निश्युय सत्य की कड़वाहट जाती रधह्दी॥ ३३। और समणल ने कच्दा कि जैसा तेरी तलवार ने स्थ्रियां को निबंश किया बेसा हो तेरो माता स्त्रियों में निब'श हे।गी और समएल ने अगाग के। जिलजाल में परमेग्पर के आगे टकड़ा टकड़ा किया॥ ३४। और समणएल रामात केए गया और साऊल अपने घर जिबिश्त के चढ़ गया॥ ३५ । ओर समएल अपने जीवन भर साऊल के देखने न गया तिसपर भौ समृएल साऊल के कारण बिलाप करता रहा आऔर परमेग्वर भी पकताया कि उस ने साऊल को इसराएल पर राजा किया ॥ ९६ सोलहदवां पतब्ब । ञ' परमेश्वर ने समृणल से कहा कि तू कब लां साऊल के कारण बिलाप करता रहेगा में ने तो उसे इसराएल पर राज्य करने से त्याग किया अपने सोंग में तेल भर और जा में तस्कते बेतलहमी यस्सी पास भेजता हूं क्योंकि में ने उस के बेटों में से एक के! राजा ठहराया है ॥ २ । तब समणल बोला में क्याोंकर जाऊ॑ यटि साऊल सने तेए मग्फे मार हो डालेगा और परमेश्वर ने कहा कि एक बढछिय अपने साथ ले जा और कच्द कि में पमेग्वर के लिये बलिदान चढ़ाने आया हूं ॥ ३ । और बलिदान ४६६ समृएल (१६ पब्बे चढ़ाने में यम के बुला और में तुम्मे बताऊंगा कि तू क्या करेगा और जिस का नाममें तेरे आगे लेऊं तू उसे मेरे लिये अभिषक कर ॥ ४ । और जो परमेग्घर ने उसे कहा समएल ने किया और बैतलचहम के। आया तब नगर के प्राचीन उस के आने से कांप गये और बेले कि त कुशख से आता कहै॥ ५। और वह बाला कि कुशल से मैं परमेग्वर के लिये बलि करने आया हूं तम आप के पवित्र करो और मेरे साथ बलि करने के लिये आये ओर उस ने यर्मी के। उस के बेटों संहित पवित्र किया ओर उन्हें बलि करने के बलाया॥ ६। और ऐसा हुआ कि जब वे आये तो स ने इलिअब पर दृष्टि किई ओर बाला कि निच्यय परमेमश्वर का अभिषिक्त उस के आगे क्षे । ७। परंत परमेग्वर ने समएल से कहा कि उस के खरूप पर और उस के डोल की ऊंचाई पर दृष्टि न कर इस कारण कि में ने उसे नाह किया कि परमेस्ार मनव्य के संमान नहों देखता क्यांकि मनव्य बाहरो रूप देखता हो परंत परमेग्वर अंतःकरण पर इृष्टि करता क्ञे॥ प८ः। तब यस्सी ने अबिनटाब के। बलाया और उसे समएल के आगे चलाया वह बाला कि परमेम्वर ने इसे भी नहों चना ॥ €। फिर यर्मो ने सस्मः के! आगे चलाया और वह बेला कि परमेग्वर ने इसे भी नहीं चुना॥ ९५०। फिर यश्मौ ने अपने सातें बेटों के समृएल के साग्ले किया से। समणल ने यस्सो के कहा कि परमेश्वर ने इन्हें भो नहीं चना॥ २९२। ओर समएल ने यस्म्ी से कहा कि तेरे सब बेट यह्दी हैं वह बाला कि सब से छाटा रह गया है और ट्ख वह भेड़ चराताह्ते से। समण्ल ने यस्मी के। कद्दा कि उसे भेज के मंगवा क्योंकि जब लॉ वह यहां न आवे हम न बैंठेंगे॥ ९२ । और बच भेज के उसे भीतर लाया वुच्द लाल रज़' और संट्र नेत्र देखने में अच्छा था तब परमेय्वर ने कहा कि उठ के उसे अभिषेक कर क्योंकि यही है ॥ ९३। तब समुएल ने तेल का सौंग लिया ओर उसे उस के भाइये के मध्य में अभिषेक किया और परमेम्पर का आत्मा उस दिन से आगे लें द्राजद्‌ पर उतरा ओर समृएल उठ के रामात के चला गया॥ १४॥। परंतु परमेग्धर का आत्मा साऊल से जाता रहा और परमेम्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे सताने लगा ॥ २५। तब साऊल के सेवकों ने उसे कहा कि देखिये अब एक दुष्ट आत्मा ईस्पर १७ पब्बे] की ९ पुस्तक । ३६४७ की ओर से आप के सताता क्षे। ९६। से अब हमारे प्रभु अपने सेवकों के जा आप के आगे हें आज्ञा कौजिये कि एक जन एसा खाजें जा सारंगी बजाने में निपुण हे। और थे हेगा कि जब दुष्ट आत्मा ईग्थर से आप पर चढ़े तब वह अपने हाथ से बजावेगा जऔर आप अच्छे होंगे॥ ९५७) और साऊल ने अपने सेवकों से कहा कि अब मेरे लिये अच्छा बजनिया ठहराओ और उसे मुक्त पास लाओ॥ ९५८। तब उस के दासों में से एक ने उत्तर देके कहा कि टेख में ने बेतलहमी यस्सी का एक बेटा देखा जा बजाने में निपण के और वह जन सामथ्थी' बीर है ओर वह लड़ांक और बचन में चतर ओर देखने में संटर हे और परमेग्वर उस के साथ ह्े। २८। तब साजल ने यस्झी पास ट्वत भेज के कहा कि अपने बेटे दाऊद का जा भेड़ां के संग हे मम पाप भंज॥ २०। से यर्ी ने एक गदहा रोटी लिई और एक कुष्पा मट्रिा और बकरी का मेम्ना लिया और अपने बेटे दाजद के दिया कि साजल के लिये ले ज्ञाय ॥ २९। ते दाऊद साऊल पास आया और उस के आगे खड़ा हुआ और उस ने उसे बहुत प्यार किया और वुद्द उस का अस्त्घारी हुआ॥ २२१ और साऊल ने यस्मौ के। कहला भेजा कि कृपा करके दाऊद को मेरे आगे रहने दौजिये क्योंकि वुच्द मेरे मन में भाया हे॥ २३। और ऐसा हुआ कि जब ईय्पर से आत्मा साजल पर चढ़ता था तब टजदट सारंगौ लेके हाथ से बजाता था और साऊल संतष्ट हेके अच्छा होता था और दुष्ट आत्मा उस पर से उतर जाता था। ९७ सत्तरहवां पब्ब । जः फिलिस्तियां ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं के यहूटाह के शोकः में एकट्री किया और शाकः और अजीक'ः के मध्य ट्मिम के सिवाने में डेरा किया। २। ओर साजल और इसराएल के मनय्यों ने एकट्र हेके ईला कौ तराई में डेरा किया और यद्ठ के लिये फिलिस्तियें के सन्मख पांती बांधी॥ ३। गैर फिलिस्ती एक और पहाड पर खडे हुए ओर टूसरी ओर एक पहाड़ पर इसराएल और उन दोनों के मध्य में तराई थी॥ ४। और फिलिस्ती की सेना से एक महा बीर जे। जञत ५६८ संमएल [१७ पब्ब का जुलिअत कहाता था जिस के डील कौ ऊंचाई छः हाथ थी ॥ ५ । और उस के सिर पर पौतल का एक टोप था और वुह मिलम पहिने हुए था जो ताल में मन दा एक पीतल की थी॥ ६। और उस की ह। पिंडुलियां पर पीतल के अस्त्र थे और उस के होने कांघे। के मध्य पीतल की एक फरी थी ॥ ७। और उस के भाले की छड़ एसी थी जैसे जालाहे का लट्ठा और उस के भाले का फल सेर नव एक का था और एक जन ढाल लिये हुए उस के आगे आगे चलता था॥ ८। और उस ने खडे हेके इसराएल को सेनाओं के! ललकार के कहा कि तम क्यों संग्राम के लिये निकले हो क्या में फिलिस्ती नहों हूं और तम साऊजल के सेवक से! अपने में से एक जन के! चना और वह मेरा साम्ना करे॥ €। यटि वह मस्क से लड़ सके और मस्त मार डाले ता हम तन्हारे सेवक होंगे पर यरि में उस पर प्रबल हेके उसे मार डालं ते। तम हमारे सेवक हेगे और हमारी सेवा करोगे॥ ९०। ओर फिलिस्ती बाला कि में आज के ट्नि इसराएल की सेनाओं के तच्छ जानता हू कोई जन मस्त देओ कि यड्ू करे ॥ ९५९ । जब साऊल ओर समस्त इसराएल ने उस फिलिस्ती की बातें सनी तब वे बिस्तमित हेके डर गये ॥ ९२ | अब दाऊद बैतलहम यहदाह के इफरःतौ का पत्र था जिस का नाम यरी था और उस के आठ बेटे थे और वह जन साऊल के दिनों में लागां में परनिया गिना जाता था॥ ९५३। और यस्सो के तोन बड़े बेटे थे जो लड़ाई में साजल के पीछ हुए और जो संग्राम में गये थे उन तीनों के थे नाम थे पहिलेंटठा इलिअब और मंस्किल अबिनटाब और लहु्रा सस्मः॥ १५४। और टराजट सब से छोटा था और उस के तीनों बड़े बेटे साऊल के साथ साथ गये ॥ २९५ । परंतु दाऊद साऊल से फिर के अपने पिता कौ भड़ें बेतलहम में चराने गयाथा॥ ९६। ओर वुच्द फिलिस्ती चालीस दिन लों सांस बिहान आया करता था॥ ९७। और यस्की ने अपने बटे दाऊद से कहा कि अब एक ईफा भर भना और ये दस रोटी लेके छावनी के। अपने भाइयें पास दौड़ जा। ९८। और खोओई की इन ट्स चक्तियों के सहसखें के प्रघानों पास ले जा गयर ट्ख तेरे भाई कैसे हें और उन का कुछ चिन्ह ला॥ ९८ । और उस समय साजल और वे और सारे इसराएंल के लेग ईला १७ पब्बे ] कौ ९ पस्तक। १६८ फ्री तराई में फिलिस्तियां से लड़ रहे थे॥ २०। ओर दाऊद भार केा तड़के उठा ओर भेड़ां के एक रखवाज को से .प के जैसा यर्टी ने उसे कद्दा था लेके चला और मरच पर पहुंचा ओर उसी समय सेना लड़ाई के लिये ललकारती थी॥ २९ । क्यांकि इसराएलियों और फिलिस्तियों ने अपनी अपनी सेना के आमने सामने परे बांघे थे। २२ । और दाऊद अपने पात्रों के रखवाल के सौंप के सेना का दौड़ गया जैर अपने भाइयों से कुशल पछा ॥ २३। ओर वह उन से बातें करताही था कि देखे। वह भहाबौर जअत का फिलिस्ती जिस का नाम जलिअत था फिलिस्तियाँ की सेनें में से निकल आया ओर उन्‍्हों बातां के समान बाला और दाजट ने सना। २४। ओर इसराएल के सारे लेग उसे ट्ख के उस के सन्‍्मख से भागे और निपट डर गये ॥ २४। तब इसराएल के लागों ने कहा कि तम उस जन को दखते हे! जा निकला हे कि यह निःा्यय इसराएल के तच्छ करने के। निकल आया है ओर या हे।गा कि जे। जन उसे मा रेगा राजा उसे बढ़त घन से घनमान करेगा और अपनी बंटो उसे देगा और उस के पिता के घराने के इसराएल में निबंध करेगा ॥ २६ । तब दाऊद ने अपने आस पास के लागों से पछा कि जो जन उस फिलिस्ती के मारेगा और इसराएल से कलंक को टूर करेगा उसे क्या मिलंगा क्यांकि यह अखतनः फिलिस्ती कान हे जा जौवत ईस्घर को सेना का तचछ सममक्के॥ २७। से लागों ने इस रौति से उत्तर ट्के उसे कहा जा इसे मारेगा उसे यह मिलेगा॥ २८:। तब उस के बड़े भाई इलिअब ने उस की बात सनी जो वह लोगों से करता था और इलिअब का क्राघ टाऊद पर भड़का ओर वह बाला कि त इधर क्यां आयाउे और बन में उन थाड़ी सी भेड़ां के किस पास छोड़ा में तेरे घमंड औएर तर मन को नटखटों का जानता हूं क्यांकि त्‌ संग्राम दखन का उतरु आया ह॥ २८ । तब दाऊद बाला कि मेंन क्या किया क्या कारण नहों ॥ ३०। ओर वह वहां से ट्सरी ओर गया और फिर वहक्तचौ बात कही तब लागं ने उसे आगे के समान फेर उत्तर दिया॥ ३९। ओर जब उन बातों कौ जा दाऊद ने कहौ थों चच्चा हुई तब स।ऊल लां संदेश पहुंचा ओर उस ने उसे लिया। 72 [&. एछ. 8.] ५०७० सम्‌एल [१७ पब्ब ३२। और ट्ाऊट ने साजल से कहा कि उस के कारण किसी का मन न घट तेरा दास जाके उस फिलिस्ती से लड़ंगा॥ ३६३। तब साऊल ने टाऊट से कहा कि तम्क में यह सामथ्ये नहों कि उस फिलिस्ली से लड़े क्योंकि त लडका क्षै और वच लड़कपन से याड्ा है॥ ३४। तब दाजद मे साऊन से कहा कि तेरा सेवक अपने पिता की भेड़ां की रखवाली करता था और एक सिंह और एक भाल निकला और मंड में से एक मेम्ना ले गंया। ३५ । आर में ने उस के पीछे निकल के उसे मारा ओरं उसे उस के मंह से छडाया ओर जब वह मस्क पर स्कपटा तब में ने उस की दाढ़ पकड़ के उसे मारा आर नाश किया॥ ३६। तेरे सेवक ने उस सिंह और भाल दोनें के मार डाला फेर यह अख्तनः फिलिस्तौ उन में से एक के समान हेगा कि उस ने जीवते ईख्र की सेना के! तऋछ जाना ॥ 38७। जऔर टाजट ने बह भी कहा कि जिस परमेग्घर ने मम्मे सिंह के और भाल के पंज से बचाया वही मम्क उस फिलिस्तो के हाथ से बचावेगा तब साऊल ने टाऊट से कहा किजा शओर परमेग्वर तेरे साथ हेवे ॥ ८। जैर साऊल ने अपना बस्ल टाऊद के। पहिनाया और पौतल का एक टाप उस के सिर पर रक्खा ओर उसे स्किलम भो पहिनाई॥ ३८। और टाजट ने अपनी तलवार म्किलम पर लटकाई ओर जाने का मन किया क्यांकि उप ने उसे न जांचा था तब द्ाऊट ने साऊल से कहा कि न से में नहीं जा सक्ता क्योंकि में ने इन्हं नहों परखा तब दाऊद ने उन्हें उतार टिया॥ ४ ० । और उस ने अपना लट्ट हाथ में लिया और नाले में से पांच चिकने पत्थर चुन लिये और उन्हें अपने गड़ रिया के पात्र में अथात्‌ क्त्ैले में रक्‍्खा और अपना ठिलवांस अपने हाथ में लिया ग्यार उस फिलिस्ती की ओर बढ़ा। ४९। और फिलिस्ती चला और दाऊद के निकट आने लगा गैर जा जन उस को ढाल उठाता था से। उस के आगे आग गया॥ ४२। और जब उस फिलिस्ती ने इधर उच्चर ताका तब दॉजद के देखा और उसे तच्छ जाना क्योंकि वह तरुण लाल और संदर रूप था॥ ४३। और फिलिस्ती ने दाऊद से कहा कि क्या में ककर #& जा त्‌ लड्ठ लेके मस्त पास आता क्षे और फिलिस्ती ने अपने देवता के नाम से उसे घिकारा॥। ४४। और फिलिस्ती ने दाजद से २७ पत्ब ] की ९५ पस्तक । धू७९ कहा कि मस्त पास आ ओर मैं तेरा मांस आकाश के पश्ियों के! और बनैले पशओं के देऊंगा॥ ४५४५। तब दाऊद ने उस फिलिस्ती के! कच्दा कि त तलवार ओर बरकछा और ढाल लेके मस्त पर आता हु परंतु श्ैं सेनाओं के परमेश्वर के नाम से जेए इसराएल के सेनाओं का ईस्घर हे जिस कौ त ने निंदा किई हे तम् पास आता क्ू॥ ४६। आज हौ परमेश्वर तम्ते मेरे हाथ में वैंप टृंगा और में तम्के मार लंगा ओर तेरा सिर तम्क से अलग करूंगा और में आज फिलिस्तियों को सेना को लाथों के। आकाए के पश्षियों के और बनेले पशओं के! देऊंगा जिसतें समस्त एथिवी जाने कि इसराणल में एकईस्घर हैे॥ ४७। ओर यह समस्त मंडली जानेगी कि परमेग्थर तलवार और भाले से नहों बचाता क्योंकि संग्राम परमेश्वर का है ओर वहीं तुम्दं हमारे हाथों में से।प हेगा॥ ४८। जऔर ऐसा हुआ कि जब फिलिस्तो उठा और दाऊद पास पहुंचने के आगे बढ़ा तब दाऊद ने चालाकौ किई और सेना की ओर फिलिस्ती पर पहुंचने दौड़ा॥ ४९। और दाऊद ने अपने थेले में हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और ठेलवांस से उस फिलिस्ती के माथे पर मारा और वह पत्थर उस के माथ में गड़ गया और वह भंमि पर मंह के बल गिरा॥ ५०। से दाऊद ने एक पत्थर और ठलवांस से उस फिलिसतों के। जता और उसे मारा और घात किया परंत ट/ऊजद के हाथ में तलवार न थी ॥ ५५। इस लिये दाऊद लपक के फिलिस्ती के निकट आया जआऔर उस की तलवार लेके काठी से खोंची और उसे नाश किया और उसी से उस का सिर उतारा और जब फिलिस्तियों ने ट्खा कि हमारा रूरमा मारा गया तब वे भाग निकले॥ ५४२। ग्रार इसराएल के ओर यहूटाह के लेग उठे और ललका रे गऔरर अकरून के फाटक लो ग्रार तराई ला फिलिस्तियां! के रगेटा और मारा और फिलिस्तियां के घायल सगरीम अथात जञ्त और अकरून ले जम्क गये॥। ५३। तब इसराएल के संतान फिलिस्तियां के खटने से फिर आये और उन के तंबओं का लट लिया॥ ४४। ग्रार दाऊद उस फिलिस्ती का सिर लेके यरूसलम में आया परंत अपने हथियारों के तंबू में रकवा॥ ५५ । और जब साऊल ने ५७२ समृएल [९८ पब्थ दाऊद को फिलिस्तौ के साम्ने होते ट्खा तब उस ने सेना के प्रधान अबिनेयिर से पका कि हे अबिनेयिर यह गभरू किस का बंटा हे अबिनेयिर बाला कि हे राजा आप के जीवन सों में नहों जानता ॥ ५६। राजा ने कहा कि बम्क यह गभरू किस का लड़का है ॥ ५७ | और जब ट्राऊदट उस फिलिस्तो का मार के फिरा तब अविनेयिर उसे राजा पास ले गया आर फिलिस्ती का सिर उस के हाथ में था॥ ५८। तब साऊल ने उस पक्का कि त किस का लड़का ओर टाजदट ने उत्तर दिया कि में तरे सबक बैतलहमी यर्मी का लड़का हूं॥ ९८ अठारहवां पब्थ ॥ उप ऐेसा हुआ कि जब वुहद साऊल से बात कह चुका तब यह्ननतन का मन दाऊद के मन से बंध गया और यह्लनतन ने उस्स अपने ही प्राण के तल्य प्रेम किया॥ २। और साऊल ने तब से उसे अपने साथ रक्‍खा और फिर उस के पिता के घर जाने न दिया॥ ३। तब यह्लनतन और टाऊट ने आपस में बाचा बांघो क्योंकि वह उसे अपने प्राण के तल्य प्रेम करता था॥ ४। तब यक्नतन ने अपना बागा ओर अपने बस्त्र उतारे और अपनी तलवार और घनष और अपने पटुका लो दाजट के। टिया॥ ५। और जहां कहां साऊल उसे भेजता था दाजद जाया करता था आर भाग्यमान हेता था और साऊल ने उसे जाधाओं का प्रधान किया और वुच् सारे लागों को दृष्टि में और साऊल के समस्त सेवकों की दृष्टि में भी ग्राह्म हुआ॥ ६। और उन के आते हुए ऐसा हुआ कि जब टाऊदट उस फिलिस्तौ का मार के फिर आया तब सारी इसराएली स्त्रियां नगरों से गातीं नाचतों आनंद से तबले ओर बितारे लेके साऊल राजा से भेंट करने का निकलों॥ ७। उन के बजाने से स्त्रियां उत्तर टिके कहती थों कि साऊल ने अपने सहस्तें के मारा और दाऊद ने अपने ट्स महस्तों के ॥ ८। और साऊल अति क्राघित हुआ और वह कहावत उस कौ दृष्टि में बरी लगी और वह बोला कि उन्‍्हों ने दाऊद के लिये दस सहसखों के ठहराया और मेरे लिये सहस्ते के। अब केवल राज्य भर उसे पाना है॥ < | और साजल ने उसो दिन से दाजद ९८ पब्बे ] कौ ९ पस्तक । ४७३ के। तक॑ रक्वा॥ १५०। ओर द्रसरे दिन ऐसा हुआ किई य्पर की ओर से दृष्ट आत्मा साऊल पर उतरा ओर वुच्द अपने घर में भविष्य कहने लगा और टाऊद आगे कौ नाई हाथ से बजाने लगा और साऊल के हाथ में एक सांग थी॥ ५५। तब साऊल ने सांग फंकी क्यांकि उस ने कहा कि में दाऊद के भीत हो में गादूं भा पर टाऊट दो बार उस के आगे से बच निकला ॥ ९२ । और साऊल टाऊद से डरा करता था इस कारण कि पर मेग्घर उस के साथ था ओर साऊल से जाता रहा॥ ९३। इस लिये साऊल ने उसे अपने पास से अलग किया और सहस्तर का प्रधान किया और वह गये के आगे आया जाया करता था॥ ९४। और ट्ाऊट अपने सारे मार्ग में बडद्धिमान था और परमेग्यथर उस के साथ था॥ २९५ । इस लिये जब साऊल ने टेखा कि वह अति बड्डिमान है तब वह उसमे डरता था ॥ ९६। पर सारे इसराएल ओऔर यहटाह टाऊजद के चाहते थे इस लिये कि वुह्द उन के आगे आया जाया करता था ॥ २९७। तब साऊल ने दाऊद का कहा कि मेरी बड़ी बटो मेरब के टेख में उसे तम्मे बियाह टेऊंगा केवल त मेरे लिये बली पत्र हे! और परमेम्परर का संग्राम किया कर क्यांकि साऊल ने कहा कि भेरा हाथ उस पर न पड़े परंतु फिलिस्तियां का हाथ उस पर पड़॥ १५८। तब टाजर ने साऊल से कहा कि में कान ओर मेरा प्राण क्या और इसराएल में मेरे पिता का घराना क्या जो में राजा का जवांई हू॥ २९८। पर॑ंत या ह््आ कि जब साऊल को बेटो मेरब का दाऊद के टने का समय आया तब वह महुलती अट्रिएेल से बियाही गई ॥ २० । और साऊल को बेटी मौकल दाऊद से प्रीति रखती थी और उन्‍्हों ने साऊल से कहा ओर वह उस कौ दृष्टि में अच्छी लगो॥ २२५। तब साऊल ने कहा कि में उसे उस के ट्ऊंगा जिसतें वह उस के लिये फंटा हावे और जिसतें फिलिस्तियें का हाथ उस पर पछे इस लिये साऊल ने द/ऊद से कहा कि .त्‌ आज इन दानों में से मेरा जवांई हेमा ॥ २२। और साऊल ने अपने सेवकां का आज्ञा किई कि दाऊद से गुप्त में बात चौत करो ओर कहे। कि ट्ख राजा तुभ्क ४७४ समएल [१६८ पब्ब से प्रसन्न हे और उस के सारे सेवक तम्के चाहते हें ओर अब त राजा का जवांई हे। ॥ २३। से। साऊल के सेवकों ने ये बातें दाऊद से कच्द सनाई दाऊद बोला कि तम राजा का जवांई हेना क्लाटा समभ्कते हे में ता कंगाल हे।के तक गिना जाता हूं॥ २४। ओर साजल के सेवकों ने इन बातों के समान उसे कहा॥ २५४५ | तब साऊल ने कहा कि तम द्ाजदढ्‌ से यों कहिया की राजा कुछ दाएजा नहीं चाहता परत केवल एक सा फिलिस्तियों की खलड़ियां जिसत॑ राजा के बैरियां से पलटा लिया जाय परंत साऊल ने चाहा कि दाऊद के फिलिस्तियों से मरवा डाले॥ २६। ओर जब उस के पैवकों ने इन बातों के! दाऊद से कह्दा तब राजा का जवांई हेाना टाऊट के अच्छा लगा और दिन बीत न गये थ॥ २७। और ट्जद उठा और अपने लोगों के! लेके गवा और दा सो फिलिस्ती के मारा ओर दाऊद उन की खलड़ियों के लाया ओर उन्‍्हों ने उन्‍हें राजा के आगे परा गिन के घर टिया जिसतें वह राजा का जवांई होाव और साऊल ने अपनी बेटी मौकल उसे बियाह दिई॥ २८। और जब साऊल ने टेखा और जाना कि परमेश्वर टजद के साथ है और साऊल की बंटी मोकल उद्मे प्रीति रखती हे॥ २८९। तब साऊल टद्ाऊजढ से अधिक डर गया और साऊल सदा दाऊद का बैरो रहा॥ ३०। तब फिलिस्तियों के प्रधान निकले औएर उन के निकलने के पीछ यां हुआ कि दाऊद साऊल के सारे सेवकों से अधिक चेकसों करता था यहां लॉ कि उस का बड़ा नाम हुआ। २८ उद्नौसवां पब्बे । ब साऊल ने अपने बट यहनतन से और अपने समस्त सेवकों से कहर कि दाऊद के भार लेओ॥ २। परतु साऊल का बेटा यह्वनतन दाजद से अति प्रसन्न था और यह्ननतन दाऊद से कहे बोला कि मेरा पिता ते बधन करने चाहता हु से! अब बिहान लां अपनो चोकसो करियो और गप्त स्थान में छिप रहियो॥ ३। और में जाके चौगान में जहां त हे।गा अपने पिता के पास खड़ा हूंगा और अपने पिता से तेरी चञा करूगा और जो में देखंगा से। तम्के कह दुऊगा ॥ ९८ पब्ब] कौ ९ प॒स्तक । ४७५ ४। और यहूनतन ने दाऊद के बिषय में अपने पिता साऊल से अच्छी कही कि राजा अपने द्वास दाऊद से बुराई न कौजिय इस कारण कि उस ने आप का कुछ अपराध नहीं किया और इस कारण कि उस के कम्से आप के लिये अति उत्तम कें॥ ५ । क्योंकि उस ने अपना प्र ण हथली पर रक्‍खा और उस फिलिस्ती का घात किया और परमेश्वर ने सारे इसराएल के लिये बढ़ी म॒क्ति दिई और आप ने देखा ओर आनंद हुए से आप किस लिये निरदाष से बुराई किया चाहते हैं और अकारण टाजद का मारा चाहते हैं॥ ६ । ओर साऊल ने यह्नतन की बात सनो और साऊजल ने किरिया खाई कि ईस्बर के जौवन से टाऊजदट मारा न जायगा॥ ७। ओर यह्ननतन ने दाऊद को बलाया और सारी बातें ढसे बताई ओर यह्ननतन दाऊद के! साजल पास लाया ओर कल परसें के समान फेर उस के पास रहने लगा ॥ ८। और फिर लड़ाई हुई और दाऊद निकजा और फिलिस्तियों से लड़ा और बड़ी मार से उन्‍हें मारा और वे उस के आगे से भाग ॥ €। और ज्यां साऊल अपने घर में एक सांग हाथ में लिये हुए बैठा था परमेश्वर की ओर से दृष्ट आत्मा उस पर उतरा ओर टद्ाजद हाथ से बजा रहा था॥ १५०। ओर साऊल ने चाहा कि दाऊद को भौत में सांग से गोद ढेवे परंतु टाऊद साऊल के आग॑ से अलग है। गया और सांग भीत में जा लगी और दाऊद भाग के उघ रात बच गया ॥ ९१। तब साऊल ने दाऊद के घर पर टूतों के! भेजा कि उसे अगारें और बविहान का उसे मार डालें तब दाऊद कौ पत्नी मौकल यह कहके उसे बालौ कि यदि आज रात त अपना प्राण न बचावे तो बिहान का मारा जायगा ॥ १५२। तब मौकल ने खिड़की में से टाऊद के उतार दिया और बह भाग के बच गया ॥ १५३। और मीकल ने एक पतला लेके बिछाने पर रकवा और बकरियें के रोम कौ तकिया उस के सिर तले रक्‍्वी और कपड़ा से ढांप दिया॥ १५४। और जब साऊल ने दाऊद के पकड़ने के ट्वत भेजे तब वह बेललौ कि वह रोगी क्षे ॥ ५५ । और साऊल ने यह कहके द्वतों का दाऊट के। रेखने भेजा कि डसे खाट सहित मम्क ५७६ ' / अषश्ल [२० पब्बें पास लाओ जिसतें में उसे मार डालं॥ ९६ । और जब ट्रत भौतर आये तब क्या देखते हैं कि बिक्नाने पर एक पतला पड़ा क्षे और उस के सिर तले बकरियों के राम की तकिया है ॥ ५७। तब साऊल ने मौकल से कहा कि त ने मर से क्यों ऐसा छल किया और मेरे बैरी के। निकाल टिया ओर वह बच गया से! मौकल ने साऊल के उत्तर दिया कि उस ने मस्के कहा कि मर्खे जाने ट नहों तो में तस्कर मार डालंगा। ९५ ८। ओर दाऊद भागा और बच रहा ओर रामात में समएल पास गया ओर जो कुछ कि साऊल ने उसमे किया था सब उसे कहा तब वह और समएल दोनें नायत में जा रहे॥ ९८ । ओर साऊल को यह कहा गया कि देख टाऊद रामात में नायत में है। २०। और साजल ने हृतां के भेजा कि दाऊद के पकड़ और जब उन्हें ने टेखा कि आगम- ज्ञानियां की जथा भविव्य कहतो हे और समएल उठहराये हुए के समान उन में खड़ा है तब ईश्वर का आत्मा साऊजल के टूतां पर उतरा और वे भी भविव्य कहने लगे॥। २५ । और जब साऊल के कहा गया डस ने और टूत भेजे ओर वे भी भविव्य कहने लगे तब साऊज ने तीसरे बार और ट्ूत भज ओर वे भो भविव्य कहने लगे ॥ २२। तब वह आप रामात के गया और उस बड़ कए पर जो लक में हे पहुंचा और उस ने पका कि समणएल और ट्ाऊद कहां हें एक ने कहा कि ट्ख वे नायत में हैं॥ २३। तब वह रामात नायत की ओर चला और ईयर का आत्मा उस प३ भी पड़ा और वह बढ़ा गया और रामात के नायत लो भविव्य कहता गया॥ २४। झेर उस ने भी अपने कपड़े उतार फेंके ओऔःरु सम्‌एल के आग उस के समान भविव्य कहा ओर उस रात दिन भर नंगा पड़ा रहा इसो लिये यह कहावत हुई कि क्या साऊल भी आगम ज्ञानियों में हे। २० बीसवां पब्बें ॥ त्ः दाऊद नायत रामात से भाग के यक्लनतन पास आया और उसे हा कि में ने क्या किया मेरा क्या अपराघ हम ने तेरे पिता का कान सा पाप किया है जो वह मेरे प्राण का गांहक है ॥ २। और वह २० पब्बे] कौ ९ पस्तंक । ५७७ बोला कि एऐसा न हावे त मारा न जायगा टेख मेरा पिता बिना मक्क पर प्रगट किये काई छाटी बड़ी बात न करेगा और यह बात किस कारण से मेरा पिता मस्कत से छिपावे यह नहीं ॥ ३। तब दाऊर ने फिर किरिया खाके कहा कि तेरा पिता निद्यय जानता हे कि में ने तरी दृष्टि में अनग्रह पाया हे और वह कहता है कि यह्नतन यह न जाने न है। कि बह शोकित हे। परंत परमेम्घर से और तेरे जीवन से मम्ह्त में ओर म्हत्य में केवल डग भर का अन्तर क्े॥ ४। तब यहक्ूनतन ने दाऊद से कहा कि जो कुछ तेरा जो चाहे में तेरे लिये करूंगा॥ ५। और दाजट ने यह्ूनतन से कहा कि देख कल अमावाशण्या कहे ओर मुक्मे उचित हे कि राजा के साथ भाजन करूं से मुम्ते जाने दीजिये कि में तोसरी सांभ्कलों खेत में जा छिपूं। ६। यद्दि तेरा पिता मेरी खाज करे ता कहिया कि ट्ाऊद यत्न से मुस्ते पूछ के अपने नगर बैतलहम को टोड़ गया क्योकि समस्त घराने के लिये बरसयन का बलिदान है॥ ७। यदि वुदयों बोले कि अच्छा तो तेरे सेवक के लिये कुशल हे परंतु यदि वुह अति क्राघ करे तो निश्चय जानिये कि उस के मन में बराई है॥ ८। इस कारण अपने सेवक पर ट्या से ब्यवहार कीजियोा क्योंकि त अपने टास का अपने साथ परमेग्घर कौ बाचा में लाया हे तथापि यदि मस्त में अपराध हे।वे तो तू मुझे बघन कर किस कारण मुझ अपने पिता पास ले जायगा॥ €। तब यह्ननतन ने कहा कि तुमसे टूर होवे क्यांकि यदि में निल्यय जानता कि मेरे पिता ने ठाना हे कि तेरी बराई करे तो क्या में तस्ते न॑ बताता॥ १५०। फिर दाऊद ने यह्ूनतन से कहा कि कान मम्से कहेगा अथवा क्या जाने तेरा पिता तसके घरक के कहे ॥ ११ । तब यह्नंतन ने दाऊजद से कहा कि आ खत में चल से वे दाने खेत के। गये ॥ ९२। और यह्ननतन ने दाऊद से कहा कि जब में कल अथवा परसे अपने पिता को बूम्ध् लेजं और देखें कि द/ऊद के विषय में भला हे ओर भज के तक न बताऊं हे परमेग्वर इसराएल के ईग्धर॥ २९६। तो परमेगरा ऐसा ही गज जर इच्ये अधिक यह्ूनतन से करे और यदि तरी बराई करने के मेरे पिता की इच्छा हे।वे ते में तकके बताऊंगा और तम्के बिटा करूंगा कि तू कुशल से चला जाय ओर जैसा परमेश्वर मेरे पिता के साथ हुआ 73 (6 0 ४ की सम्‌एल [२३० पब्चे है वैसा तेरे साथ हेवे॥ १९५४। ओर त केवल मेरे जीवन लों परमेश्वर की कृपा मुके न दिखाइये जिसत में न मरूं ॥ १५ । परंत जब परमेग्र दाऊद के हर एक शत्र के एथिवी पर से नाश करे तो मेरे घरानों पर से भो अनग्रह उठा न लीजिया॥ १६। से बहूनतन ने दाऊद के घराने से बाचा बांधी ओर कहा कि परमेम्यर दाऊद के शत्रुन के हाथ से पलटा लेवे॥ २७। ओर यहूनतन ने टाऊजट से फिर किरिया खिलाई इस लिये कि वह उद्स अपने प्राण ही के तल्य प्रम रखता था॥ ९५८। तबं॑ बह्ूनतन ने टाजद से कहा कि कल अमावाश्या और तेरी खाज हेगी इस कारण कि तेरा आसन -सरूना रहेंगा॥ ५८। ओर जब त तौन टिन अलग रहे तब त शोघ उतर के उस्तो स्थान में जाइया जहां त ने आप के काव्य के दिन छिपायाथा और त असल के चटान पास रहिया॥ २०। और में उस अलंग तोौन बाण मारूंगा जेसा कि चिन्ह मारता हूं। २९ | ओर देख में यह कहके एक छेकरे के भेजूंगा कि जा बाणां के। खाज यदि में निश्चय छाकरे का कहूँ कि द्ख बाण तेरे इस अलंग हें उन्हें ले तव निकल आइयो क्योंकि परमेश्वर के जोवन से तरे लिय कुशल है और कुछ नहीं ॥ २९२। पंर यर्दि में उस तरुण से कहूं कि ट्ख बाण तेरे आगे हैं तब त मागे लोजिया क्यांकि परमेग्वर ने तम्के विदा किया हे ॥ २३। रहो वह बात जे आपस में ठहराई हर से ट्ख परमेम्धर सदा मेरे ओर तर मध्य में हे ॥ २४। से। टाऊद खेत में जा छिपा ओर जब अमावाश्या हुई तब राजा भाजन पर बैठा॥ २४ । ओर राजा अपने ब्यवहार के समान भौत के लग अपने आसन पर बैठा और यक्लनतन उठा औएर अबिनियिर साऊल कौ एक अलंग में बैठाथा और दाऊट का स्थान रूना था॥ २६ | तथापि उस दिन साऊल ने कुछ न कहा क्योंकि उस ने समस्‍्क्ा था कि उस पर कुछ बौता हे वुच्द अपवित्र होगा निः्चयय बह अप।|वन हेगा॥ २७। ओर बिहान का मास की ट्रस रो तिथि का एसा हुआ कि दाऊद का स्थान रूना रहा तब साऊल ने अपने बेट यह्ननतन से कहा कि किस कारण यर्झो का बटा कल और आज भाजन को नहीं आया क्ञषेत। २८। तब यहूनतन ने साऊल को उत्तर दिया कि द्वाजद मुभ्कत से पूछ के बैतलइम के गया | २० पत्ब ) कौ ९ पश्तक। १७5८ ५--त->-+-नन+--ननननन-नन-मनक-पनन--नन-नन- तिलक -ननक--नी3लती--.-+--++--+++“-“++-_ पा पएप5 २९। और उस ने कहा कि मस्के जाने टे कि नगर में हमारे घराने में बलि हे ग्यार मेरे भाई ने मम्मे बजाया क्षेयर्द में ने तेरो दृष्टि में अनग्रह पाया हे ता मर्के जाने ट कि अपने भादयां को टेख॑ इस लिये वह राजा के भाजन पर नहों आता॥ ६३०। तब साऊल का काप यह्ूनतन पर भड़का ग्यार उस ने उसे कहा कि हे ठोठ और दंगइत के पत्र क्या में नहीं जानता कि त ने अपनीौ लज्जा के लिये और अपनी माता की नगापन की लज्जा के जिय यर्मौ के बेट का चना हे ॥ ६९। क्योंकि जब ले यर्ी का बेटा भमि पर जौता है तब ले त ओर तेरा राज्य स्थिर न हेगा से अब भज के उसे म॒ुस्क पास ला क्योंकि वुद्द निच्यय मारा ज्ञायगा॥ ३२। तब यहूनतन ने अपने पिता के उत्तर ट्के कहा कि वुद्द किस कारण मारा जायगा उस ने क्या किया है॥ ३३। तब साऊल ने मारने का उस की ओर सांग फेंकौ उस्झ यह्ूंनतन के निश्चय हुआ कि उस के पिता ने दाऊद के मारने का ठ,ना है॥ २३४। सा यहूनतन बहुत रिसिया के मंच से उठ गया और मास की टूस री तिथि में भाजन न किया क्योंकि वह दाऊद के लिये निपट उदास हुआ क्योंकि उस के पिते ने उसे लज्जित किया॥ ३५ | और बिद्दान के यह्लनतन उसी समय जो ट्ाऊद से ठहराया था खेत का गया और एक छाकरा उस के साथ था॥ ६३६। ओर उस ने उसे आज्ञा किई कि होड़ और जा बाण मं चलाता हूं उन्हें दंढ़ ओर ज्यांद्रों वद दोड़ा त्यांदों एक बाण उस के परे मारा॥ ३७। ओर जब वह छीोकरा उस स्थान में पहुंचा जहां यह्ननतन ने वाण मारा था तब यकह्ूनतन ने छोकरे के पकार के कहा कि क्या वुच्व बाण तुझ्क से परे नहों॥ ३८। ओर यहक्ननतन ने छाकरे के पकारा कि चटक कर और उचहर मत से यहूनतन के छाकरे ने बाएं का एकट्टा किया और अपने खामी पास आया॥ ३६८। परंतु उस छोकरे ने कुछ न जाना केबल दाजद और यहक्ूनतन उस का भेद जानते थे॥। ४०। फिर यह्ननतन ने अपने हथियार उस छेाकर के दिये और कहा कि नगर में लेजा। ४९। छोकरे के जने के पीछ टाऊद ट्क्खिन कौ ओर से निकला और भमि पर ओंघे मंच गिरा और तौन बार दंडवत किई श्र उनन्‍्हों ने आपस में एक हूसरे का ५८० समएल [२९ पब्ब चमा ओर परस्पर यहां ले बिलाप किये कि टाऊद ने जीता॥ ४२। और यक्ननतन ने टाजद के। कच्दा कि कुशल से चला जा ओर उस बाचा पर जे हम ने किरिया खाके आपस में किई हे मेरे तेरे मध्य में ओएर हमारे बंश के मध्य में सदा लो परमेग्यर साक्षी हे।वे से! वह उठ के चला गया और यहक्नलनतन नगर में आया। २९५ एकीसवां पब्बे। त्ृ ब टाजद नव के अखिमलिक याजक पास आया और अखिमलिक दाऊद कौ भेंट करने से डरा और बेला कि तू क्यां अकेला हे और तेरे साथ काई नहों ॥ ९। और दाऊद ने अखिमलिक याजक से कहा कि राजा ने मम एक काम के भेजा है और कहा है कि यह काम जा में ने तक कहा है किसी के। मत जनाइये ओर में ने सेवकों के अमक स्थान का भेज दिया हे॥ ३। से।अब तेरे हाथ तले क्या हे म्क पांच रोटी अथवा जो कुछ घरा हे से मेरे हाथ में टीजिये॥। ४। ओर याजक ने दाऊद के कहा कि मेरे हाथ तले सामान्य राटौ नहों परंतु पवित्र रोटी है यदि तरुण लाग स्तियों से अलग रहे हें॥ ५। तब दाऊद ने उत्तर देके याजक का कहा कि निनञ्यय तीन दिन हुए होंगे जब से में निकला हू स्त्री हम से अलग है ओर तरुणों के पात्र पवित्र हें ओर यहमपि रोटौ आज पात्र में पवित्र किई गई हे। तथापि सामान्य के तुल्य है॥ ६। से याजक ने पवित्र किई गई रोटी उसे दिई क्योंकि भेंट को रोटी के छाड़ वहां कोई रोटी न थी जे परमेश्वर के आगे से उठाई गई थी जिसते उस की संती वहां तातो रोटी रक्वी जावे॥ ७। अब उस द्वीन साऊल के सेवकों में से एक जन अट्टगी परमेश्वर के आगे राका गया था जिस का नाम टरायग था वह साऊल के अहौरों का प्रधान था ॥ ८। फिर दाऊद ने अखिमलिक से पक्का कि यहां तेरे हाथ तले काई भाला अथवा खड़ तो नहीं क्यांकि में अपनी तलवार अथवा हथियार साथ नह्चों लाया हूं इस कारण कि राजा के काम कौ शीघ्रता थी ॥ € । तब याजक ने कहा कि फ्लिस्तौ जुलिअत का खज्ज जिसे तू ने ईला कौ तराई में मारा एक कपड़े में लपेटा हुआ अफूट के पीछे घरा है यदि तू उसे लिया चाहे तेए २२ पच्बे | कौ ९ पस्लक। ५८२९ ले क्योंकि उसे कछाड़ यहां हूसरा नहों तब दाऊद बाला कि उस के तुल्य टूसरा नहों वही मस्त दे। १५०। और दाऊद उठा और साऊल के सन्मख से उसो दिन भागा चला गया और जअत के राजा अकीस पास आया॥ २९५। तब अकौस के सेवकें ने उसे कहा कि क्या यह टाऊदट उस देश का राजा नहीं और क्या यह वह्तौ नहीं जिस के बिषय में वे आपस में गा गाके और नाच नाचके कहती थों कि साऊल ने अपने सहस्तां के! मारा ओर टदाजट ने अपने ट्स सहसें का ॥ २५२। ओर ट्ाऊद ने ये बातें अपने मन में जुगा रक्‍खीं और जञ्बत के राजा अकीस से अति डरा॥ १५३ | तब उस ने उन के आगे अपनी चाल पलट डाली और उन में आप के। बेड़हा बनाया और फाटक के द्वारों पर लकौर खीों चने लगा और अपनी लार को टढ़ी में बहने टिया॥ ५४। तब अकौस ने अपने सेवके से कद्दा कि ले! यह जन तो सिद्धी है तम उसे मुक्त पास क्यों लाथे ॥ ९५५। क्या मु सिड्ी का प्रथाजन क्षे कि तुम इसे मुक्त पास लाये कि सिड़ौपन करे क्या यह मेरे घर में आवेगा। २२ बाइसवां पब्बे ॥ स॒ लिये दाऊद वहां से निकल के भागा और अट्टलाम कौ कंदला में गया और उस के भाई और उस के पिता का सारा घराना यह सुन के उस पास वहां गये ॥ २। ओर हर एक दुःखो ओर क्हणी ओर उदासी उस के पास एकट्ट हुए और वुद्द उन का प्रधान हुआ ओर उस के साथ चार से मनुव्य के लगभग हे। गये॥ ३। ओर वहां से रु 05..." बट जिद किए... £ दाऊद माअब के मिसफा को गया आर मेअब के राजा से कहा कि में तेरी बिनती करता हूं कि मेरे माता पिता निकल के आप के पास >>. ०0९. “३७० का 2० की. है «५ रहें जब ला में जाने किईंस्र मेरे लिय क्या करता हे ॥ ४। और बुच्द उन्हें मोञब के राजा के आगे लाया जऔ"औैर जब लो दाऊद ने अपने तई दृढ़ स्थानों में छिपाया था वे डसी के साथ रहे॥ ५। तब जद आगनमज्ञानी ने टाऊद के कहा कि दृढ़ स्थानें में मत रह यह्व दाह के देश के जा तब दाजद चला और हारत के बन में पहुंचा॥ _६। और जब ८र समणल [२२ प्रच्च साऊल ने सना कि दाऊद दिखाई टिया और लाग उस के साथ हें [अब साऊल उस समय रामात के जिबअः में एक कुंज के नीचे अपने हाथ में भाला लिये था ओर उस के सारे दाल उस के आस पास खड़े थ]॥ ७। तब साऊल ने अपने आस पास के सेवकों से कहा कि सने है बिनयमीनों क्या यस्मो का डेटा तम्भें से हर एक के खत और टाख को बारी देगा और तम सब के सहस्तां और सेकड़ां का प्रधान रेगा॥ ८ं। जो तम सब ने मेरे बिरुड्र परामश किया है और किसो नें मस्ते नहीं सनाया कि मेरे बेटे ने यरी के बेटे से बाचा बांधो है और तम्म के।ई नहों जा मेरे लिय शोक करे अथवा मम्फे संदर्श दृवे कि मेरे बट ने मेरे सेवक का लभारा ह कि ठके में रहे जंसा आज के दिन है ॥ €। तब अट्वमी दायग ने जे। साऊल के संब॒कां का प्रधान था यों कहा किमें ने यस्मों के बेटे का नव में अखितव के बेटे अखिमलिक पास टेखाहे॥ ९०। ओर उस ने उस के लिये परमेग्र से बृभा और उसे भाजन टिया ओर फिलिस्ती जलिअत का खज्भ जसे दिया ॥ ९९। तब राजा ने अखितव के बटे अखिमलिक याजक का ओर उस के पिता के सारे घराने और याजकों के जो नव में थे बला भेजों और वे सब के सब राजा पास आये॥ १५२९। और साऊल ने कहा कि हे अखितब के बेटे सन वह बाला मेरे प्रभ में कु। ९३। ओर साऊल ने उस कहा कि त ने मेरे बिरुद्ू पर यक्मो के बेटे के साथ क्यां एक मता किई और त ने उसे रोटो और ख दिया ओर उस के लिये परमेश्वर से बसा जिसतें वह मेरे विरोध में उठ और घात में लगे जैसा कि आज के टन है। १४। तब अखिमलिक ने राजा के उत्तर देक कहा कि आप के सार सेत्रकी में टाजट सा बिश्रवस्त कान हू जो राजा का जवाई ओर आज्ञापालक है ज्जैर आप केघर में प्रतष्ठित है॥ १५। क्या में मे उस के लिये परमेश्वर से बसा यह मम्क से परे हावे राजा अपने सेवक पर और उस के पिता के सारे घराने पर यह दोष न लगाव क्योंकि आप का सेवक इन बातों में से घट बढ़ नहों जानता॥ ९५६। तब राजा बेला अखिमलिक तू और तेरे पिता का सारा घराना निश्चय मारा जायगा॥ १५७। फिर राजा ने उन पाद्ातों के जा पास खड़े थे आज्ना २३ पब्ब] कौ (६ पस्तक । ५८३ किई कि फिरे। और परमेग्र के याजकों के मार डाला इस कारण कि इन के हाथ भौ दाऊद से मिले हुए हें ओर उन्हों ने जाना कि वुच्द भागा क्षे और म्॒क संदेश न दिया परंतु राजा के सेवकों ने परमेश्वर के याजकों पर हाथ न बढ़ाया ॥ १८। तब राजा ने दायग का कहा कितू फिर ग्रैर उन याजकों के घात कर सा अट्टूनो दयग फिरा और याजकों पर लपका उप ट्नि उप ने पचासौ मनुव्यां को जा रूतो अफद पहिनते थे चात किया॥ १५६९। और उस ने याजकों के नगर नब के पुरुषों और स्त्रियां आर लड़के ओर दटूथ पीवकोां का ओर बेल ओर गरहेंं और भेड़ों के तलवार कौ घार से घात किया॥ २०। ओर आखतूब के बेटे अखिमलिक के बेटां में से एक जन जिस का नाम अबिवतर था बच निकला ओर ट्राऊट के पीछे भागा॥ २९५। ओर अबिवतर ने दाऊद को संदेश दिया कि साऊल ने परमेश्वर के याजकों का मार डाला॥ २२। ओर दाऊद ने अबिवतर के कहा कि जिस दिन अट्टनी दोयग वहां था में ने उसो टिन जाना था कि वह निः््यय साऊल को करेगा में तेरे पता के सारे घराने के मारे जाने का कारण हुआ॥ २३।सोत मेरे साथ रह ओर मत डर क्यांकि जा तेरे प्राण का गांहक हे से मेरे प्राण का गांहक हे परंतु मेरे पास बचा रह । २३ तेईसवां पब्म । त ब उन्‍हें ने यह करके दाऊद को संदेश दिया कि देख फिलिस्तो कुऔल: से लड़ते हैं आर खलिहानें के लूटते हैं ॥ २। इस लिये दाऊद ने परमेम्यघर से यह कहके बस्का कि में जाजं॑ ओर उन पफिलिस्तियां के मारू ओर परमेग्वर ने टाऊद से कहा कि जा फिलिस्तिणां के मार जैर कुशल! का बचा॥ ३। और दाजद के मनव्यां ने डसे कहा कि देख हम ता यहूदाह में हे।ते हुए डरते हैं तो कितना अधिक कऔल:ः में जाके फिलिस्तियां कौ सेनाओं का साम्न्ा करें। ४। तब दाऊद ने परमेगश्रर से फिर बम्का ओर परमेग्यर ने उत्तर दे के कहा कि उठ कओऔलः का उतर जा क्यांकि म फिलिस्तियां का तरे हाथ में सौंपंगा॥ ५। से दाऊद ओर उस के लाग कुऔलः के गये ओर फिलिस्तियों से लड़े और ५ ८४ सम्‌एल (२३ पब्ब उन के ढोर ले आये और उन्हें बड़ो मार से मारा यो दाऊद ने कऔलः के बासियों को बचाया॥ ६। ओर एसा हुआ कि जब अखिमलिक का बंटा अबिवतर भाग के कुओऔल: में टाऊद पास गया तब उस के हाथ में एक अफद था॥ ७। ओर साऊल को संदेश पहुंचा कि दाऊद कुऔल: में आया और साऊल बाला कि इच्बर ने उसे भेरे हाथ में सैंप दिया क्योंकि वह ऐसे नगर में जिस में फाटक ओर अड़ंगे हें पहुंच के बंद हे। गया॥ ८। ओर साऊल ने समस्त लागेां के यद्ू के लिये एकट्ठा किया कि कऔल!ः में उतर के दाजदह के ओर उस के लागों के घेर लेबं॥ <। ओर दाऊद ने जाना कि साऊल चाहता है कि चपक स मेरी बराई करे तब उस ने अबिवतर याजक से कहा कि अफट मस्क पास ला ॥ ९ ०॥ तब टाऊद ने कहा कि हे परमेम्यर इसराएल के ई अर तरे सवक ने निश्चय सुना है कि साऊल का बिचार है कि कऔल; में आके मेरे कारण नगर के नष्ट करे॥ ११। क्या कुऔल: के लाग मम्के उस के हाथ में सोंप टंगे क्या जेसा तर दास ने सना है साऊल उतर आवेगा हे परमेग्वर इसराएल के इंमस्थर म॑ तरोंबिनतों करता हूं कि अपने सबक के बता तब परमेश्वर ने कहा कि वुह उतर आवेगा॥ ९५२। तब दाऊद ने कहा क्या कुऔलः के लोग मम्मे ओर मेरे लोगों के साऊल की बंधुआई में सौंप देंगे और परमेग्वर ने कहा कि वे सौंप देंगे॥ १३६। तब द्वाजद अपने लोग सहित जो मनुव्य छः तो एक थे उठा ओर कऔल; से निकल गया और जिघर जा सका गया और साऊल को संदेश पऊंचा कि दाऊद कुऔल: से बच निकला तब बुह जाने सेरह गवबा॥ ९५४। ओर दाजद ने अरण्य में दृढ़ स्थानों में बास किया ओर जैफ्‌ के बन में एक पहाड के बीच रहा और साऊल प्रति दिन उप कौ खाज में लगा हुआ था परंत ईम्घर ने उसे उस के हाथ में सांप न दिया॥ २१४। और दाऊद ने देखा कि साऊल उस के मारने के कारण निकला उस् समय दाऊजढ्‌ जलैफ के अरण्य के बीच एक बन मेंथा॥ ९६। और साऊजल का बंटा यहनतन उठा जआऔर बन में दाऊद पास गया और ईस्वर पर उसे इढ किया॥ १५७। और उसे कहा कि मत डर क्योंकि तू मेरे पिता साजल के हाथ में न पड़ेगा और तू इसराएल का राजा हागा और तेरे पीछे २६ पब्बे] कौ ९ पस्तक भूप्पू में हंगा ओर मेरा पिता साऊल भी यह जानता ह्ैे॥ ९८। और उन दानों ने परमेम्धर के आगे बाचा बांधी और दाऊद बन में ठह्दर रहा और यह्नतन अपने घर गया॥ २९५८। तब जेफ के लाग जिबिआः में साऊल पास चढ़ आके बोल कि क्या दाऊद दृढ़ स्थानों में हमारे मध्य एक बन में हकौल: पहाड़ पर जा य्तोीमन की दक्षिण दिशा में हे नहों रहता॥ २०। से हे राजा अब त चल और अपने मन के समान उतर आ गैर हमें उचित है कि उसे राजा के हाथ में सांप देव ॥ २१५। तब साऊल बाला कि परमभेग्रर तम्हें आशोष दवे क्योंकि तम ने मस्त पर ट्या किई॥ २२९। अब जाओ जऔर गैर भी जगत करो और देखे। कि उस के लकने का स्थान कहां है और किसने उसे वहां ट्खा हे क्योंकि मस्ते कहा गया कि वच्द बड़ो चैकसी करता है॥ २३ । से देखा ग्यार उन लंकने के सारे स्थानों के! जहाँवह छिपता है जाने! और टठौक संदेश लेके मस्क्न पास फिर आओ गैर में तम्हारे साथ जाऊंगा और यों होगा कि यंटि वह देश में हेवेमें उसे यहूदाह के सारे सहस्तों में से ढंढ लेजंगा॥ २४। तब वे उठ और साऊल से आगे जेफ का गय परंत दाऊद अपने लागां सहित मऊून के बन में यसौमन के दष्थिण दिशा के। एक चौगान में था। २५। साजल और उस के लोग भी उस कौ खोज के निकले ग्र टाजट के समाचार पहुंचा इस लिये बह पहाड़ी से उतर के मऊुन के बन में जा रहा और साजल ने यह सन के मजन के बन में टाऊजद का पीछा किया ॥ २६। ओर साऊल पबेत की इस अलंग चला गया और दाऊद खैर उस के लाग पबेत कौ उस अलंग और दाजट ने साऊल के डर से हाली किया कि निकल जाय क्यांकि साजल ओर उस के लागां ने टाजदर के और उस के लागों के पकड़ने के! चारों आर से घेर लिया॥ २७॥ उस समय एक दूत ने साऊजल पस आके कहा कि हालो आ कि फिलिस्तो ट्ेस में फेल गये ॥ श्प८। से इस लिये साजल दाऊद के खेदने से फिरा और फिलिस्तियों के सनन्‍्मुख हुआ इस कारण उन्‍्हों ने उस स्थान का नाम विभाग, का चरान घरा | 74 के) है. हे; ५०. ५ दई समुएल [९४ पब्बे 723 > ु २४ चोबीसवां पब्बे । झ्जै' दाऊद वहां से चल के अनगदौ के इढ़ स्थानों में जा रहा ॥ २। गऔर यां हुआ कि जब साऊल फिलिस्तियां के पीछे से फिरा तब उसे कहा गया कि देख टाऊर अनगदी के अरण्य में है ॥ ३ तब साऊल संमस्त इसराएली में से तीन सहस्त चने हुए पुरुष लेके दाऊद की ओर उस के लेागों की खे।ज के बनेली बकरियों के पहाड़ों पर गया॥ ४। तब वुह मागे के भेड़शाला में आया जहां एक खाह थी और साऊल उस खाह में अपने पांव टाबने और लेटने के लिये गया ओर दाऊद और उस के लेग खाह की अलंगे में रहे। ५। और दाऊद के लागों ने उसे कहा कि टेखिये यह वह दिन है जिस के बिघय में परमेग्य्र ने आप का कहा था कि टेख म तर श्र का तेरे हाथ में सांपंगा जिसतें स्‌ अपनी बांछा के समान उछद्मे करे तब दाऊद उठा और चपके से साऊल के बस्त का. खंट काट लिया॥ ६। ओर उस के पीछे यों हुआ कि दाजद के मन में खटका हुआ इस कारण कि उस ने साऊल का खंट काटा॥ ७। ओर उस ने अपने लेगे से कहा कि परमेम्थर न करे कि में अपने लामी पर जा परमेश्वर का अभिषिक्त ह छसा करू कि अपना हाथ उस पर बढ़ाऊं क्यांकि बुह परमेग्रर का अभिषिक्त क्षे। ८। से दाऊद ने इन बातों से अपने लागों के रोक रक्त्वा और उन्‍हें साऊल पर हाथ चलाने न दिया परंत साऊल ने खाह से निकल के अपना मार्म लिया॥ €। और उस के पोकछ टाऊट्‌ भो उठा ओर उस खाह से बाहर आया ग्रार साऊल से यह कहके पुकारा कि हे मेरे खामो राजा और जब साऊल ने पीछ फिर के देखा तब दाऊद ने भूमि पर स्कुक के दंडब॒त किई॥ ९१०। ओर टदाऊर ने साऊ॒ल से कहा कि लागां कौय बात आप क्यों सनते हैं कि दखिथे दाऊद आप कौ बुराई चाहता के ॥ ९४९, देखिये आज हो के दिन &प ने अपनी आंखों से देखा कि परमेग्थर ने आज आप के खोह में मेरे हाथ में सैंप टिया और कितना ने आप का मारने कहा परंतु म नेआप के छोड़ा ओर अपने मन में बिचाराकि अपने खामी पर अपना हाथ न बढ़ाऊंगा क्योंकि वच्द परस्मेर का २४ पब्बे) कौ ९ पस्तक। ५८७ अभिषिक्त क्षे। ९२। इस्स अधिक हे मेरे पिता टेखिये हां अपने बस्त के खूंट के मेरे हाथ में देखिये क्यॉकिमेंने जा आप के बस्तर का खूंट कांट लिया और आप का न मारा इससे जानिय और ट्खिये कि मेरे मन में बराई और किसी प्रकार का अपराध नहीों है ओर में ने आप के विरुदू पाप न किया तथापि आप मेरे प्राण का अह्ेर करने का निकने हें॥ १५३। परमेश्वर मेरे और आप के मध्य में न्याय करे और परमेम्घर आप से मेरा पलटा लेवे परंत मेरा हाथ आप पर न पड़ेगा॥ ९४। जैसा प्राचीनों कौ कहावत में कहा गया है कि दुष्ट से दृष्टता निकलती हे परंतु मेरा हाथ आप पर न डठगा॥ ९५५ | इसराएल का राजा किसके पीछे निकला हे और आप किसके पीछे पड़ हैं क्य। मरे हुए कूकर के अथवा एक फिस के ॥ १६। से परमेश्वर बिचार करे ओर मेरे और आप के मध्य में न्याय करे ग्जर रखे और मेरे पट का पक्ष करे और आप के हाथ से मम बंचावे॥। ५७। और जब टाजट ये बात साऊल से कह चका लब साऊल ने कहा कि मेरे बेटे दाऊद क्या यह तेरा शब्द हे और साऊल मे बड़े शब्द से बिलाप किया॥ ९५८। और ट्ाऊद से कहा कि त म॒म्ध से अधिक धर्मों है क्यांकि त ने बराई की संती मेरी भलाई किई॥ ५ 6। और त मे आज के टिन दिखाया है कितने मस्क से भलाई किई है यद्यपि परमेग्वर ने मस्त तेरे हाथ में सोंप टिया और त ने मस्क मार न डाला॥ २०। क्योंकि यदि काई अपने बरी को पावे तो क्या बच उसे कुशल से छोड़ ट्गा इस लिये जे त ने आज मम्कसे क्रिया हे परमेश्वर इस का प्रतिफल ट्वे॥ २९। और अब में ठोक जानता हूँ कि त्‌ निश्चय राजा हे|गा और इसराएल का राज्य तेरे हाथ में स्थिर हेगा॥ २२। इस लिये तू म॒ुझ्क से परमेश्वर कौ किरिया खा कि तेरे पीछे में तेरे बंश के! काट न डालंगा और तेरे पिता के घराने में से तरे नाम का मिटा न डालंगा॥ २९३। तब दाऊद ने साऊल से किरिया खाई और साऊल घर के चला गया परंत दऊट और उस के लाग हढ़ स्थान में गये ॥ पूष्टष्र समुणल [२५ पच्ब ५ पचौोसवां पब्ब । जी समएल मर गया और समस्त इसराएलियों ने एकट्ठे हेके उस पर बिलाप किया ओर रामात में उस के घर में उसे गाड़ा ओर दाजद उठ के फारान के अरण्य में डतर गयधा॥ २। ओर वहां मऊन में एक परुष था जिस कौ संपन्नि करमिल में थो वह महाजन था और उस के तोन सहसख्र भेड़ और एक सहस्त बकरी थीं ओर वह अपनी भेड़ों का रोम करमिल में कतरता था॥ ३। ओर डस का नाम नबाल और उस की स्त्री का नाम अबिजैल था वह स्त्री बद्धिमती और संदरी थी परंत वच्द परुष कठार ग्ेर ककम्मीं था ग्यार कालिब के बंश के घराने में से था॥ ४। ओर दाऊद ने अरण्य में सना कि नबाल भेड़ां के रोम कतरता है ॥ ५। तब दाऊद ने ट्स तरुण भेजे ओर उन्हें कहा कि नबाल पास करमिल के चढ़ जाओ ओर मेरे नाम से उस का कुशल पछे ॥ ६ । और उस भरे परे जन से कहिये। कि त॒म्त्त पर कुशल ओर तेरे घर पर कशल ओर तेरी समस्त बस्त पर कशल हेवे॥ ७। में ने अब सना क्ञे कि तस्कर पास रोम कतरवंये हें ओर तेरे गड़रिये हमारे संग थे और हम ने उन्हें दुःख न टिया ओर जब लो वे करमिल में हमारे साथ थे उन का कछ ज्ञाता न रह्ा। ८। त अपने तरुण से पछ ओर वे तम्फे कहेंगे इस लिये तरुण लाग तेरी दृष्टि में अनग्रह पाव क्यांकि हम अच्छ टिन में आये हें से में तरी बिनती करता हूं कि जो तेरे हाथ आवे से तेरे सेवकें ओऔपर अपने बेटे दाजद के दटौजिये॥ 6। और दाऊद के तरुणां ने आके नबाल के दाऊद का नाम लेके उन मारो बातों के समान कहा और चप हे। रहे॥ १५०। तब नबाल ने दाऊद के सेवकों के उत्तर के कहा कि दाऊद कान ओर यस्सो का बेटा कान इन दिनों में बह्त सेवक हैं जे अपने खामियें से भाग निकलते हैं॥ १५१। क्या अपनी रोटो और पानी ओर मांस जो में ने अपने कतरवैंयां के लिय मारा हे लेके उन मन॒य्यां का ट्जं जिन्‍्ह में नहीं जानता कि कहां से हैं ॥ ९२ । से दाजदट के तरूुणां ने अपना मार्ग लिया ओर आके उन सब बातों के उस्सख कहा ॥ २१६३। तब टाऊद ने अपने लागों से कहा कि हर २५ पब्बे] कौ ९ पस्तक । धूष्र्<्‌ एक तम में से अपना अपना खड़े बांघ से। उन्हें ने अपना अपना खज्' बांधा ओर दाऊद ने भी अपना खड़ बांधा और दाऊद के पीछ पीछे चार से जन गये ओर दा से सामग्री के साथ रहे॥। १४। परंतु तरुणां में से एक ने नबाल कौ पत्नी अबिजेल से कहा कि देख द/ऊद ने अरण्य में से हमा रे खामी पास ट्रतां का भेजा कि नमस्कार करें पर वह उन पर स्कपटा॥ १५ | परंतु उनन्‍्हों ने हम से भलाई किई कि हमें कुछ दृःख न हुआ ओर जब लो हम चागान में थे ओर उन से परिचय रखते थ तब ला हम ने कुछ न खाया॥ ९५६। जब लां हम उन के साथ भड़ की रखवाली करते रहे रात दिन वे हमारे लिये एक आड़ थे॥ ९७। से। अब जान रख ओर सेच कि त॒ क्या करेगी क्योंकि हमारे खामी पर ओर उस के सब घराने पर बराईं ठहराई गई क्योंकि वह एसा बरा जन हे कि काई उसमे बात नहों कर सक्ता॥। २८। तब अबिजेल हालो से दो ले रोटियां और दो कुप्पे टूख रस और पांच भेड़ बनी बनाई और मन संताईंस एक भना ओर एक से। गच्छा अंगर ओर टा से गरलर की लिट्ठी लिई और उन्हें गटहें। पर लाट[॥ ९५९। और अपने सेवकों के कहा कि मेरे आगे आगे बढ़ा ट्खे में तम्हारे पीछे पीछे आतो हूं परत उस ने अपने पति नबाल से न कषह्दा। २०। ओर ज्यांहों वह गदहे पर चढ़ के पह्दाड़ के आड़ से उतरी ता क्या ट्खती है कि दाजद्‌ अपने लेगों समेत उतर के उस के सनन्‍्मुख आया और उद्हे भेंट हुई॥ २९। अब दाऊद ने कह्दाथा कि निश्यय में ने इस जन की समस्त बस्तन की जा अरण्य में थों हथा रखवाली किईं यहां लो कि उस के सब में से कुछ नष्ट न हुआ और भलाई की संती मस्त से बराई कि २२। से यदि बिहान ले उस के समस्त परुषां में से में एक के। जा भौतपर मूत्ता है छाड़ ता ईश्वर उस्झे ओर उसमे भी अधिक दाऊद के - शच्॒न से करे। २३। ओर ज्योंदों अविनैल ने द/जद के देखा तव्यांहीं वह गदहे से उतरी और दाऊद के आगे आंधी गिरी और भूमि पर टंडबत किई॥ २४। ओर उस के चरणों पर गिर के कहा कि हे मेरे प्रभु मुझ पर अपराध रखिय में तेरी बिनती करती हूं कि अपने ट्ासी का कान में बात करने टजिये और अपनी दासो की बात ३६८९० समएल [२५ पब्कें सनिये॥ २५। में आप से बिनती करती हूं कि मेरे प्रभ इस बरे परुष की अथात नबाल की चिंता न करिये क्यांकि जेसा उस का नाम वैसा ही बुह उस का नाम नबाल और म्‌खेता उस के साथ परंतु में जा तेरी दासी हे अपने प्रभ के तरुणां का जिन्हें आप ने भेजा था न देखा॥ २६+ से अब हे मेरे प्रभु परमेश्वर के जीवन से ओर आप के प्राण के जीवन से जेसा कि परमेमसश्वर ने आप को लाह्न बहाने से ओर अपने ही हाथ से प्रतिफल लेने से रोका है वैसा हो अब आप के शत्र और वे जा मेरे प्रभ की बराई चाहते हैं नवाल के समान हे।वें॥ २७। अब यह भेंट आप की टासो अपने प्रभ के आगे लाई हे सो उन तरुणों का दिया ज्ञाय जो मेरे प्रभ के पद्यतगामो हैं॥ र८। और अब में आप को बिनती करती हक्ू कि अपनी दासो का पाप क्षमा कौजिय क्योंकि निश्चय परमेग्यर मेरे प्रभ के लिये दृढ़ घर बनावेगा इस कारण कि मेरा प्रभ परमेश्वर की लड़ाइयां लड़ता हे ओर आप के दिनों में आप में ब॒राई न पाई गई॥ २८। तथापि एक जन उठा क्षे कि आप का पीछा करे और आप के प्राण का गांहक हे।वे परंत मेरे प्रभ का प्राण आप के ईस्घर परमेग्वर के संग जीवन की ढेर में बांघा जायगा और तेरे शत्रन के प्राण ढेलवांस से फेंके जायेंगे॥। ३०। ओर ऐसा होगा कि जब परमेम्वर अपने बचन के समान सब भलाई मेरे प्रभसे कर चुके और आप के इसराएल पर आज्ञाकारी करे॥। ३२१ । तब आप के लिये यह कुछ डगमंगाने का अथवा मेरे प्रभु के मन कौ ठाकर का कारण न हेगा कि आप ने अंकारथ ले।ह् बहाया अथवा कि मेरे प्रभ ने अपना पलटा लिया परत जब परमेम्पर मेरे प्रभ से भलाई करे तब अपनी दासो का स्तरण कीजियो ॥ ३९ । ओर दाजद ने अविजेल से कहा कि परमेग्रर इसराएल का ईग्वर धन्य हे जिस ने तुम्के मेरी भंट के लिये आज के दिन भेजा के) ३३। ओर तेरा मंत्र धन्य और तू घन्य हे जिस ने मस्मे आज के टन लाह से ओर अपने हाथ से पलटा लेने से रोक रक्खा हे ॥ ३४। क्यांकि परमेम्भर इसराएल के ईम्पर के जीवन से जिस ने त॑म्फे दुःख टे ने से मु से अलग रक्‍्वा ओर यदि त्‌ शौघ्र न करती और मस्त पास चली न आती तो निःसंदे्ट बिहान लो नवाल का एक भौ पुरुष २६ पच्म] की ९ पक्तक। ४९९ जाभोत पर मत्ता हे नकटता॥ ३५। ग्रार जा कुछ कि वह उस के निमित्त लाई थी दाऊद ने उस के हाथ से लिया और उसे कहा कि अपने घर कुशल से जा ट्ख में ने तेरा बचन माना के और तुस्छे ग्रहण किया है ॥ ३६। तब अबिजैल नबाल पास आई और ट्खे। कि उस ने अपने घर में राजा का सा एक जेवनार किया और नबाल का मन मगन हे रहा था क्योंकि वह बड़ा मतवाला था से इस कारण उस ने उसे बिहान ला कछ घट बढ़ न कहा॥ ३७। परंत एसा हुआ कि बिहान को जब नबाल का मद उतरा ओर उस कौ स्त्रौने सब समाचार डसे कहा तंब उस का मन म्हतक सा है। गया ओर वह पत्थर हे गया ॥ ह_कथ। और एसा हुआ कि दस दिन के पीछे परमेम्वर ने नबाल के! मारा और वुह्द मर गया। ३८। ओऔर जब दाऊद ने सना कि नबाल मर गया तब उस ने कहा कि परमेग्र घन्य क्षे जिस ने नबाल के हाथ से मेरे कलंक का पलटा लिया और अपने दास के बराई से अलग रक्‍्खा हे क्यांकि परमेश्वर ने नबाल की दृष्ट ता का उसो के सिर पर डाला और टाऊजद ने भेजा और अबिजैल से बात चौत करवाई कि अपनी पत्नों करे। ४०। जऔर जब टाजट के सेवक करमिल के अबिजेल पास आये वे यह कहके उस्म बाले कि टाऊट ने हमें तक पास भजा हे कि तभी अपनों पत्नी करे॥| ४९५। तब वह उठी और भमि पर स्कक के बालो कि टेख तरी टासी अपने खामी के सेवकां के चरण घोने के लिये दासी हावे॥ ४२। और अबिजेल शीघता करके उटौ गऔर गरट्हे पर चढ़ी और अपनी पांच दासियां साथ लिईं और द्।जद के ट्रतों के स!थ चली और उस की पत्नी हुई और दाऊद ने यजुरअएल में से अखिनअम के। भी लिया॥ ४३। ओर वे ट्रानें उस कौ पत्नियां हुई ॥ ४४। परंत साऊल ने अपनो बटी मौकल का जो द्ाऊ : को पत्नी थो लेशके बट फलती का दिया जा जज्नौम का था॥ २६ छबोसवां पब्ण ॥ ब जैफी जिबिअ: में साऊल पास आ बाले क्या दाऊद हकौीलः पहाड़ ञ्र में यतीमन के आग्रे छिपा हुआ नहों ॥ < | तब साऊल उठके तौन ५८२ समएंल [२६ पब्बे सहस्त चुने हुए इसराएली लेके जेफ के अरण्य में उतरा कि दाऊद के जैफ के अरण्य में लंढू ॥ ३। और हकौलः के पहाड़ में जे। यसीमन के आगे है मागे की ग्रार डरा किया परंत टाजद अरण्य में रहा और उस ने ट्खा कि साऊज उस का पीछा किये हुए अरण्य में आया ॥ ४ | इस लिये दाऊद ने भेटिये भेजे और बम्म लिया कि साजल सच सच आया हे॥ भू । तब दाऊद उठ के साजल के डरा का चला और द्/जट ने उस स्थान के टेख रखा जहां साऊल पड़ा था ग्रार नैयिर का बेटा अबिनैयिर उस को सेना का प्रधान था और साऊल खाई में साता था और उस के लाग उस के चारों ओर डेरा किये थे। ६। तब टाजद ने दित्ती अखिमलक और जरूयाह के बेटे अबिश के जे! ग्अब का भाई था का कि कान मेरे साथ छावनौ में साऊल पास चलेगा और अबिशे बेला कि में आप के साथ उतरूंगा॥ ७। सा दाऊद और अबिशी रात को सना में चघसे और क्या ट्खते हैं कि साऊल खाई के भौतर साता है और उस का भाला उस के सिरहाने भमि में गड़ा था परंत अविनैयिर और उस के लाग चारों ओआर साते थे॥ ८। उसी समय अबिशे ने टाऊद से कहा कि ईम्ार ने आज आप के शत्र के आप के हाथ में कर दिया अब इस लिये मझझे भाले से एक हो बार मार के भमि में उप गादने टोजिये और टूसरी बार न मारूगा ॥ 4 । तब दाजद ने अबिशे से कहा कि उस नाश न कर क्योंकि कान परमेश्वर के अभिजिक्त पर हाथ बढ़ा के निदाष उचर सकं॥ ९०। ओर टाऊदट ने यह भो कहा कि परमभेग्घर के जोवन सौं परमेग्वर उसे मारेमा अथवा उस का टिन आवेगा और वह मर जायगा अथवा यद्ध पर उतरेगा और मारा जायगरा॥ ९१५। परमेश्वर न करे कि में परमेश्वर के अभिषिज्ञ पर हाथ बढ़ाऊजं पर त्‌ उस के सिरहाने के भाले का ग्यार पानों की स्कारी के ले लेना और हम चल निकले ॥ २९२ । से दाऊद ने भाला और पानी की स्कारी साऊल के सिरहाने से ले लिई ओर चल निकले ओर किसो ने न ट्खा ओर न जना ओर केाई न जागा व्यांकि सब के सब सेते थे इस कारण कि परमेम्यर की ओर से भारी निद्रा उन पर पड़ी थी ॥ १३। तलब दाऊद टूसरी ओर मया और . एक पहाड़ कौ चेटी पर २६ पब्ब] कौ ९ पत्तक | ५८३ हर जा खडा हुआ और उन में बड़ा बीच था॥ ९४। और ट्ाऊद ने लागां के। और नेयिर के बटे अबिनेयिर का पकार के कहा कि हे अबिने यिर त उत्तर नहों ट्ता तब अबिनयिर ने उत्तर टके कहा कि त कोन ह्े जा राजा का पकारता है ॥ ९५४। तब टाऊजट ने अबिनयिर से कहा कि क्या त बलवंत नहों गैर इसंराएल में तेरे समान कैन से। किस लिये त ने अपने प्रभ राजा कों रक्षा न किई क्योंकि लागों में से एक जन तेरे प्रभ राजा के मारने का निकला था॥ ९६। सो तु ने यह काम कुछ अच्छा न किया परमेग्थर के जीवन से| तम मार डालने के यथाग्य हे। इस कारण कि तम ने अपने खामी की जा परमेग्वर का अभिषिक्त हे रक्षा न किई जर अब टेख कि राजा का भाला ओर पानो की म्पारोजा उस के सिरहाने थी कहां है ॥ ९७। तब साऊल ने दाऊद का शब्द पहि- चाना और कहा कि हे मेरे बेटे दाऊद यह तेरा शब्द हे तब दाऊद बोला कि हे मेरे प्रभ हे राजा यह मेरा हो शब्द॥ ९८। जऔ।र उस ने कहा कि भेरे प्रभ क्यों इस रीति से अपने दास के पीछ पड़े हें क्योंकि में ने क्या किया ग्यैर मेरे हाथ से क्या पाप हुआ॥ ९८। से अब में आप की बिनतो करता हूं हे मेरे प्रभ राजा अपने सेवक कौ बातों पर कान घरिय यटिि परमेस्थर ने मस्क पर आप का उभाड़ा ह तो बह भंट ग्रहण करे परंत यद्दि यह मनव्य के बंश से है तो परमेम्घर का स्वाप उन पर पड़ क्यांकि उन्हीं ने आज मुस्के परमेय्वर के अधिकार से यह कहके हांक _ दिया क्षे कि जा उपरी ट्ेवतों की सेवा कर॥ २०। इस लिय अब परमेश्वर के आगे मेरा लाह्न भूमि पर न बहे क्योंकि इसराएल का राजा एक पिर््‌ को खोज के निकला हे जैसा काई तीतर के अहेर के पहाड़ पर निकलता हे॥ २१५। तब साऊल ने कहा कि में ने पाप किया हे मेरे बट दाऊद फिर आ क्योंकि फेर तम्के न सताऊंगा इस लिये कि मेरा प्राण आज के दिन तरीं दृष्टि में बहुमल्य हुआ देखम ने मढ़ता किई और अति चुक किई॥ २२। तब दाऊद ने उत्तर दके कहा कौ देख यह राजा का भाला हे से। तरुण में से एक आके इसे ले जावे॥ २३। परमेश्वर हर जन के उस के घधम्भ का ओर सच्चाई का प्रतिफल टेवे क्यांकि परमेगश्वर ने आज आप को मेरे हाथ में सांप दिया पर में नेन 78 [&. ४. 8.] ८४ सम्‌एल [२७ पब्ब चाहा कि परमेग्यर के अभिषिक्त पर हाथ बढ़ाऊं। २४ । और ट्ख जिस रौति से आप का प्राण मेरी आंखां में आज के ट्न प्रिय हुआ वैसा हो मेराम्ाण ईग्वर कौ दृष्टि में प्रिय हवे ओर वच् मुस्क सब कष्टां से बचावे॥ २५ । तब साऊल ने टाऊट से कहा कि त घन्य हे हे मेरे बेटे दांजद त्‌ महा काय्ये करेगा और तदभौ त्‌ भाग्यवान होगा से दाऊद ने अपना माग लिया गैर साऊल अपने स्थान का फिरा। २७ सन्ताइंसवां पब्बे। कै टाऊद ने अपने मन में कहा कि अब में किसी दिन साऊजल के हाथ से मारा जाऊंगा से मेरे लिये इस्स अच्छा कुछ नहों कि में शीघ्रता से भाग के फिलिस्तियां के दश में जा रहूं ओर साऊल इसराएल के सिवानों में मुझे खाजने से निरास हे। ज्ञायग्रा ये में उस के हाथ से बच जाऊंगा ॥ _ २ ।-तब दाऊद अपने साथ के छः से। तरुण के लेके जञ्॒त के राजा मऊक के बेटे अकौश की ओर गया ॥ ३। ओर दाऊद अपने लागां के साथ जिन में स हर एक अपने घराने समेत था पनी होने स्त्री अखिनुअम के! जो यज़्रअण्लो थी ओर करमिली अबिजेल के जा नबाल कौ पत्नोौ थी लेके जञअत में अकोश के साथ रहा ॥ ४ । और साऊल के संट्श पहुंचा कि टाऊद जञ॒त के भाग गया तब उस ने फिर डस का पीछा न किया॥ ४ | ओर दाऊद ने अकौश से कहा कि यदि में ने आप की दृष्टि में अनुग्रह पाया हे तो वे इस देश में मुम्म किसी बस्ती में स्थान ट्वें जहां में बपूं क्योंकि आप का दास किस लिये आप के राज्य नगर में रहे ॥ ६। तब अकौश ने उस दिन सिकुलाज उस टिया इस लिये सिकलाज आज के दिनलों यहूहाह कक राजाओं के बश में हे ॥ ७। ओर दाऊद फिजनिस्तियों के देश में एक बरस चार मास लो रहा॥ ८। ओर दाऊद ने अपने लागों के लेके जरूरी और जरिजी और अमाली कियां के। घेर लिया क्योंकि वे जरूर के सिवने से लेके मिख के सिवाने ले आगे से बस्ते थे। <।और दाऊद नेटश के नष्ट किया और न परुष के न स्त्री के जीता छाड़ा अर उन के भेड़ जैर ठोार और गदहे ओर ऊंट ओर कपडे लिये और अकौश २८ पत्ब] कौ ९ पद्तक । ५८५ पास फिर आये। १०। और अकौश ने पक्का कि आज तम ने माग किघर खोला टाऊर ने कहा कि यहृटाह के ट्क्िण और यरहमिएलोौ के ट्क्षिण गज र कैनी के ट्क्तिण दिशा पर॥ १५९। और दाऊद ने उन में से काई स्त्री पुरुष का जौता न छोड़ा जे। जअ॒त का संदश ले जाय यहद्द कहके कि न हेवे कि हमारे बिरुद्र सरश पहुंचावें कि दाऊद ने ऐसा वैसा किया ओर जब से वह फिलिस्तियां के राज्य में आ रहा तब से उस का ब्यवहार ऐसा हौ था॥ ९२ । ओर यह कहके अकीश ने द।/ऊद के सच्चा जाना कि उस ने आप का अपने इसराएलौ लागों से अवत्यत निंदा करवाई इस लिये वह मेरा दास सदा हे।गा | क्‍ र८ अट्टाइंसवां पत्बे ! जो उन्‍्हों दिनों में ऐसा हुआ कि फिलिस्तियां ने इसराएल से लड़ने का अपनी सेनाओं का एकट्टौं किया तब अक्रीश ने ट्/जट से कहा कित्‌ निश्चय जान कि तुझे और तेरे लागे के मेरे साथ लड़ाई पर चढ़ने हेगा॥ २। तब दाऊद ने अकौश से कहा निश्यय आप जानियेगा जो कुछ आप के दास से बन पड़ेगा औ।र अकीश ने टांजद से कहा कि में अपने सिर का रक्तक तम्क करूगा॥ ३। और समएलं मंर गया और समस्त इसराएल उस पर रोते थे और उसे उसी के नगर रामात में गाड़ा था और साऊल ने उन्‍हें जा भुतहे ओर टानहेथ दृश से निकाल दियाथा॥ ४। और फिलिस्तौ एकई हेके आये और झनेम में डेरा किया और साऊल ने भी सारे इसराएल के एकट्ठा किया और जिलबअः में डरा किया॥ ५। और जब साऊल ने फिलिस्तियों कौ सेना का ट्खा तव डरा और उस का मन अत्यंत कंपित हुआ॥ ६। और जव साऊल ने परमेअर से बक्‍्का परमेश्वर ने उसे कुछ उत्तर न दिया नता दशन से न उरीमं सेन आगमज्ञानियां के द्वारासे ॥ ७। तब साऊल ने अपने सेवकां से कहा कि किसी स्त्रौं के खाजा जा भतह्दी है।वे जिसतें में उस पाल जाऊं और उद्से वम्म तब उस के सेवकों उसे कहा कि देखिये औनदार मे एक भुतही सती हे॥ ८। तब साऊल ने अपना भेष बदल के ट्सरा बस्तर पद्िना और गया और ५६६ समएल [२८ पत्न्‍। दो जन उस के साथ हुए और रात के उस स्त्री पास पहुंचा और उसे कहा कि कृपा करके मेरे लिये अपने भत से बिचार पछ और जिसे में कहूं उसे मेरेलिय उठा॥ <। और उस क्त्रो ने उसे कहा किट्खत जानता हे कि साजल ने क्या किया कि उस ने उन्हें जो भतहेथ ओर टानहें का किस रौति से टेश से काट डाला से। म॒ुस्के मरवा डालने के लिये त्‌ क्यों मेरे प्राण के लिये जाल डालता है।॥ १५०। तब साजल ने परमेश्वर की किरिया खाके कहा कि परमेश्वर के जीवन से इस बात के लिये तम्त पर काई टंडन पड़ग़ा॥ १९५९ । तब वह स्लो बाली में किसे तेरे लिये उठाऊं वह बाला कि समएल को मेरे लिय उठा॥ ९१५२॥ और जब उस स्त्री मे समएल के देखा वह बड़ शब्द से चिल्ाई और साऊल से कहा कि आप ने मर से क्यों छल किया आप ता साऊजल हें ॥ १५६। तब राजा ने उसे कहा कि मत डर त ने क्या ट्खा गऔर उससस्‍्त्री ने साऊल से कहा कि में ने देवों के एथिवी से उठते ट्खा॥ १५४। ज़ब उस ने उसे कहा कि उस का डोल क्या वह बालो कि एक ढद्ध परुष ऊपर आता है और दाहर ओरढ़े हे तब साऊल ने जाना कि वह समणल हे और वह मंह के बल निहुड़के भमि पर स्का ॥ १५। तब समएल ने साऊल से कहा कि तू ने क्यां मुझे उठा के बचैन किया साज़ल ने कहा कि में अति दुःखी हूं क्यांक फिलिस्ती मुक्क से लड़ते हें और परमेग्र ने मर्स छेड़ दिया हे ओर कुछ उत्तर नहीं टेता न तो आगमन्ञानियों के द्वारा सेन दशन से इस लिये में ने तम्मे बलाया जिसतें त मस्के बतावे किमें क्या करू॥ २९६॥ ओर समएल ने कहा कि जब परमेग्वर ने तम्के छाड़ दिया ओर तेरा बेरी बना तब मस्क से किस लिये पछता हे ॥ १५७। ओऔर जेसा परमेम्थर ने मेरे द्वारा से कहा उस ने उस के लिये बेसा हो किया हे क्यांकि परमेम्थर ने तरे राज्य के। फाड़ा है और तेरे परासौ दाऊद के दिया हे॥ ९८। इस लिये कि तु ने परमेग्वर के शब्द के नहीं माना और अमालौकियों पर उस के अति केाप के पूरा न किया इसी कारण से परमेग्वर ने आज के दिन तुम्क से यह व्यवहार किया है ॥ १८ । इस्सू आधिक परमेश्वर इस राएल के तेरे संग फ्लिस्तियों के हाथ में वौपेगा ओर तू ओर तेरे बेटे कल मेरे साथ हेंगे और परमेस्थर २८ पत्बे] की २ पस्तक | ५८७ इसराएली सेना का भौ फिलिस्तियां के हाथ में सांपेगा ॥ २०। तब साऊल तुरंत भूमि पर गिरा और समूएल कौ बातों से बहुत डर गया और उस में कुक सामण्ये न रही क्यांकि उस ने टिन भर जऔर रात भर रोटी न खाई थी ॥ २९ । तब वह स्त्रौ साऊल पास आई और ट्खा कि बच अति ब्याकुल है तब उस ने उसे कहा कि देख आप कौ टासो ने आप का शब्द सना और में ने अपना प्राण अपनो हथेली पर रक्‍्खा ओर जा कुछ आप ने मस्के कहा में ने उसे माना॥ २२। से अब आप भी कृपा करके अपनी दासी की बात सनिये ओर मस्के अपने आग एक ग्रास रोटो धरने ट्जिये और खाइय जिसते आप के इतनी सामण्य हे। कि अपने मागें जाइये॥ २३। पर उस ने न माना ओर कहा कि में न खाऊंगा परंत उस के द्ासां ने उस स्त्री सहित उसे बरबस खिलाया औरर उस ने उन का कहा माना ओर भूमि पर से उठा और खाट पर बैटा ॥ २४ । और उस स्त्री के घर में एक मोटा बकछड़ा था से उस ने चटक किया और उसे मारा और पिस।न लेके गंधा ओर उद्मे अखमौरी रोटियां पकाई॥ २५ | और साऊल ओर उस के सेवकें के आगे लाई और उन्हें ने खाया और उठे ओर उसी रात वहां से चले गये ॥ २८ उंतोसवां पब्ब । मे फिलिस्ती कौ सब सेना अफोक में एकट्टो हुई ओर इसराएली यजरअणएल के सेते के पास डेरा किये हुए थे॥आ २। और फ्॒लिस्तियाों के अध्यक्ष सैकड़ां सेकड़ों और सहस्त सहसखत आगे बढ़ते गये परंतु दाऊद और उस के लाग अकौश के पौछ पौछे गये। ३। तब फिलिस्तियों के अध्यक्षां ने कहा कि इन इबरानियों का क्या काम और अकीश ने फिलिस्ती अध्यक्षां के कहा कि क्या यह इसराएल के राजा साऊल का सेवक दाऊद नहीं जा इतने दिनों ओर इतने बरसे से मेरे साथ है ओर जब से व॒ह म॒ुम्क पास आया है आज लों उस में कुछ टेण नहीं पाया॥ ४। तब फिलिस्तियां के अध्यक्ष डस्मे क्र हुए और डन्हां ने उसे कहा कि इस जन को यहां से फर ट जिसते वह अपने घू6्षर समणएल ; [३० पब्थ 5५८ >> स्थान का जे। त ने डसे टिया क्षे फिर जाय और हमारे साथ यह में न उतर क्या जाने यद्ू में वह हमारा बेरी हे।वे क्यां कि वह अपने खामी से किस बात से मेल करेगा क्या इन लोगों केसिरों से नहीं॥ ५। क्या यह वहीं दाऊद नहों जिस के बिषय में वे नाचतो हुई गाती थां कि साऊल ने ता अपने सहस्तों का मारा और टाजट ने अपने ट्स सहसखों के ॥ ६। तब अकीश ने दाऊद के बलाया ओर उसे कहा कि निश्चय परमेग्वर के जीवन सें त खरा हैं तरा आना जाना सेना में मेरे साथ मेरी दृष्टि में अच्छा हे क्यांकि जिस दिन से त मझ पास आया म ने आज लॉ तम्क में कुछ बराई नहीं पाई तथापि अध्यक्षां की दृष्टि में तू अच्छा नहीं॥ ७। से अब फिर और कुशल से चला जाओऔर फिलिस्तियां के अध्यक्षां की दृष्टि में बुराई न करं॥ ८। परंतु दाऊद नेअकीश से कहा कि में ने क्या किया के और जब से में आप के साथ रहा और आज ले आप ने अपने सेवक में क्या पाया कि में अपने प्र राजा के बैरियों से लड़ाई न करू ॥ <। तब अकीश ने द।/ऊद के उत्तर दियां कि में जानता हूं और तू मेरी दृष्टि में ईश्वर के ट्रत के समान हे परंतु फिलिस्ती के अध्यक्षों ने कहा है कि वह हमारे साथ यड्ू में न जाय॥ २९०। से अब बिहान के तड़के अपने खांगीं के टदासें समेत जो ते रे साथ यहां आये हें उठ के शौघ तड़के चले जाइये ॥ २९९। तब दाऊट अपने लागां सहित तड़के डठा कि प्रातःकाल का वहां से चल के फिलिस्तियां के देश के फिर जाय और फिलिस्ती यज॒रअणल के चढ़ गये | द ३० तोसवां पब्बे ॥ ८८९ हु रेंसा हुआ कि जब दाऊद और उस के लोग तोसरे दिने सिक॒ुजाज में पहुंचे क्यांकि अमालौकी दक्तिण दिशा से सिकुलाज पर चढ़ आये थे ओर उन्हें ने सिकलाज के। मारा और उसे आंग से फंक दिया। २। और उस में को स्त्रियों का पकंड़ लिया पर उन्‍हें ने छाटी बड़ी का न मारा परंत उन्‍हें लेके अपने मांगें चले गये ॥ ३। जब टॉजद और उस के लाग नगर में पहुंचे तो क्या देखते 5० पब्ब] कौ ९ पस्तक | ५८६८ हैं कि नगर जला पड़ा हे और उन की पत्नियां ओर उन के बेटे बेटियां बंघआई में पकड़ी गई कहैं॥ ४। तब दाऊद ओर छस के साथ के लाग चितन्नलाय ग्रेर बिलाप किया यहां लां कि डन में रोने की सामय्ये नरही॥ ५। और दाऊद को दोनों पत्नियां यजुरअएली अखिनअम और करुमिली नबाल कौ पत्नौ अविजेल बंधुआई में पकड़ौं गई(॥ ६ । और दाऊद अति दुःखी हुआ क्यांकि लोग उस पर पत्थरवाह कर ने की बातचोत करते थे इस लिये कि उन में से हर एक अपने बंटों और बेटियां के लिये निपट उदास था पर दाऊद ने परमेगर अपने ईस्घर से हियाव पाया॥ ७। और दाऊद ने अखिमलिक के बेटे अबिंवतर याजक से कहा कि कृपा करके अफद ममस्क पास ला से! अबिवतर अफट दाजढ पास ले आया ॥ ८ । और द्वाऊद ने यह कहके पर मेस्घर से बम्का किमें इस जथा का पीछा करू क्या में उन्हं जाहो लूंगा उस ने उत्तर दिया कि पीछा कर क्यांकि तू निः्यय उन्ह जाही लेगा और निःसंदेह उन्हें छ ड़ावेगा ॥ <3 से दाऊदट-अपने साथ के छः से। तरुएां के! लेके चला ओर बसर के नाले लां आया ओर ' जे पीछे छाड़े गये वहां पर रहचि गये॥. १० । पर दाऊद चार से! तरुण से उन का पीछा किये चला गया क्योंकि दे। सो पीछ रह गय थ जो एसे थक गये थे कि बसर के नाले पार जा न सके ॥ १९। ओर उन्‍हें ने खेत में एक मिस््रों का पाया और उसे ट/ऊद्‌ पास. ले आये ओर उसे रोटी खाने का दिई और उस ने खाई ओर उन्हें ने उसे प्रानी- भी पिलाया॥ ९२ । ओर उन्‍हें ने गलर की-लिट्ी और दो गऋ अंगर उसे ट्ये ओर ज्ञब वह खा चका तब उस के जौ में जी आया क्योंकि उस ने तौन रात ट्िनि न रोटी खाई न पानी दीया था॥ ९३। तब दाऊद ने उसे पूछा कितू कैन ओर कहां का हे वुच्द बाला कि में एक मिस्दी तरुण और एक अमालीोकौ का सेवक हूं मेरा खागी मुस्मे छोड़ गया क्यांकि तोन दिन हुए कि में रोगी हुआ ॥ २१५४। हम करोती के दक्षिण ओर चढ़ गये और यहूदाह के सिवाने पर ओर कालिब की दक्षिण ओर चढ गये थे और हम ने सिकलाज के आग से फंक दिया। ॥ ९१४५ । और दाऊद ने उसे कहा कि त मर्से इस जथा ल॑ं ले जा सक्ता ह वह बाला कि मंम्क से ईस्प्र की किरिया खाइये कि में तम्फे प्रं.ण से न मारुगा और तक ६०० संमएंल [३० पब्ल तेरे खामी के हाथ न सांपंगा ता में आप का इस जथा लॉ ले जञाऊंगा॥ ९६ । जब वह उसे वहां ले गया तो क्या देखते हें कि वे समस्त एथिवी पर फैले हुए खाते पीते श्र नाचते थे क्यांकि फिलिस्तियों के और यहदटाह के देश से बहुत लट लाये थे। ९७। और दाऊद ने उन्हें गाघली से ट्रसरे दिन की सांस लों मारा और उन में से एक भो न बचा केवल चार से तरुण ऊंटों पर चढ़ के भाग निकले॥। १८। और जा कुछ कि अमालीकी ले गये थे दाऊद ने फेर पाया और अपनी दोनों पत्नियों के भी दजद ने छड़ाया।॥ १९ । और उन के छोटे बड़े और बेटा बेटी और घन संपत्ति जो लूटी गई थी ट्राऊजद ने सब फेर पाया | २०। ओर ट्राजद ने सारे कुंड और ढार ले लिये जिन्हें उन्‍्हों ने ढारे के आगे हांक लिया और बले कि यह टाऊट को लूट॥ २१। और हो! वा तरुण ऐसे थके थे जे। दाऊद के साथ न जा सके थे और बरूर के नाले पर रह गये थे टाऊद॒ उन पास फिर आया ओर वे दाऊद के और उस के लागां के आगे से लेने के निकले और जब टाजद उन लोगों के पास पहुंचा तब उस ने उन का कुशल पूछा ॥ २२। उस समय दुष्टों ने और कुकस्मियां ने जो दाऊद के साथ गये थे यह कहा कि ये लेग हमारे साथ न गये हम इन्हें इस लट में से जा हम ने पाया क्ते भाग न देंगे केवल हर एक अपनो पत्नी और बंटा बेटों के लेके बिहा हेवे॥ २३। तब दाऊद बाला कि हे मेरे भाइया जा कुछ कि परमेमचर ने हमें दिया है और उस ने हमें बचाया और जथा के जो हम पर चढ़ आये थे हमारे हाथ में कर दिया से तम उस में से एसा न करोा॥ २४। क्यांकि इस बिषय में कान तम्हारी सनेगा परंत जेसा जिस का भाग है जा यद्व में चढ़ जाता हे बैता उस का भाग हेगा जो संपत्ति पास रहती है दाने एक समान भाग पावेंगे॥ २५। और एसा हुआ कि उस दिन से आगे यह्दी बिघि ओर ब्यवस्था इसराएल के लिये आज के टिन ला हुई॥ २६। और जब दाऊद सिकुलाज में आया उस ने लूट में से यहूदाह के प्राचोन और अपने मित्रों के लिये भाग भेजा और कहा कि देखो परमेश्वर के शत्रन की लट में से यह तुम्हारी भेंट है ॥ २७। और जो बैतएल में और जो दक्षिण रामात में और जो जतौर ९ पब्बे] कौ ९ पक्कक | ६०२ में। २८। गर जे अरआयर में और जो सिफमेत में और जे इस्तिमाअ में॥ २८। जैर जा रकल में और जे। यरमिऐलौ के नगरों में और जा कैनी के नगरों में॥ ३०। गजैर जो हुरमः में और जे झरशान में ओर जे अताक में। ३९। और जे इहबरून में ओर उन सब स्थानों में जहां जहां दाऊद गैर उसके लागम फिरे करते थ भेजे। ३१९५ एकतौसवां पत्बे । ब फिलिस्ती इसराएल से लड़े और इसराएजल फिलिस्ती के आगे से हि और जिलबअ पहाड़ पर जम गये॥। २। ओर फिलिस्तो साऊल के और उस के बेटों के पीछे पौछ पिलचे गये ओर फिलिस्तियों ने उस के बेटे यहूनतन के! और अविनदाब ओर मलकौरूअ के मार लिया॥ ३। और साजल से बड़ौ लड़ाई हुई और धनषधारिणें ने उसे एसा बेघा कि वह घनषधारियों के हाथ से अत्यंत चायल हुआ ॥ ४। तब साऊल ने अपने अस्त्रधारी से कहा कि अपनी तलवार खौंच झऔर मुझसे गाद दे जिसतें थे अखुतनः आके मुझे गाद न लेवें और मेरी दुर्टेशा न करें पर उस के अस्त्रधारी ने न माना इस लिये कि वुच्द अव्यंत डरा तब साऊल ने तलवार लिई और डस पर गिरा॥ ५। ओर जब उस के अस्तरघारी ने टेखा कि साऊल मर गया तब वह भो अपनोौ तलवार पर गिरा और उस के साथ मर गया॥ ६। से साऊल ओर उस के तौनों बेटे और उस का अस्तधारी और उस के सारे लेग उसौ दिन एक साथ मर गये । ७। जब इसराएल के लागों ने ज्ञा तराई के उस अलंग थ ओर जो यरदन के पार थे टेखा कि इसराएल के लाग भागे और साऊल और छस के बंटे मारे गये बस्तियां छाड़ छाड़ भाग निकले और फिलिस्ता आये ओर उन में बसे। ८। ओर बिहान के एसा हुआ कि जब फि्लिस्ति आय कि जमे हुओ के लटें तब उन्हें ने साऊल के ग्यौर उस के तौन बंटों का जिलबअ पहाड़ पर पड़ा पाया॥ <। तब उन्‍हें न उस का सिर काट लिया ओर उस के हथियार लेके फिलिस्तियां के देश 76 [&. ४, $.] ६०२ समृएल की १ एस्तक [३९ पब्ले में चारों ओर भेज दिये कि उन कौ मुरतां के मंदिर में और लोगों में प्रचार हावे॥ ९०। और उन्हें ने उस के हथियार को इस्तारतत के नंद्र में रकवा और उस कौ लेथ के बैतशान की भौत पर लटकाया ॥ १९५। और जब यबोसजिलिअ॒द के बासियां नेसना कि फिलिस्तियां >> >> ० 0 ्‌ व ने साऊल से यों कियय ॥ १५२। तब जन में के सारे महावीर उठे ओर ४ कक 7 ७ बिका प रात भर चले गये ओर बैतशान कौ भीत पर से साऊल की और उस के बा की लाथों के। लेके यबौस में फिर आये ओर वहां उन्हें जला दिया ॥ ९३। ओर उन की हड्ियां के लेके यबीस के पेड़ तले गाड़ दिया और सात दिन लॉ ब्रत किया। ससृएल की दूसरी पुस्तक जो राजाओं कौ दूसरो पुस्तक कहातौ हैं । “३ (४५४०४४०६७७-- १ पहिला पत्ब ।| ऊंल के मरने के पीकू एसा हुआ कि दाऊद अमाली किये केए स्‌.. के फिर आया और ट्ो ट्नि सिकलाज में रहा ॥ २। और तौसरे टिन ऐसा हुआ कि देखा एक जन साऊल की छावनी से अपने बस्त फाह हुए और सिर पर घल डाले हुए आया और ट्ाऊजद के पास पहुंच के भूमि पर गिरा और दंडवत किई॥ ३। तब टाऊर नें उसे कहा कि त कहां से आता हे ओर वह बाला कि इसराएल की छावनी से में बच निकला हूं। ४ । तब दाजर ने उस्झे पक्का कि क्या हुआ मस्फे कह और उस ने उत्तर दिया कि लाग संग्राम से भागे हैं और बहुत से जम्क गये हें जैर साऊल ओर उस का बेटा यक्तननतन भी मर गया है॥ ५ । तब उस तरुण से जिस ने उसे कहा था दाऊद ने पछा कि त क्यांकर जानता है कि साऊल और उस का बेटा यक्लनतन मर गये हैं ॥ ६ । तब उस तरूण ने उसे कहा कि में संयाग से जिलबुअ पहाड़ पर था तो क्या देखता हूँ कि साऊल अपने भाले पर टेक रहा था ओर टेखे। कि रथ गऔर चघोडचढ उस के पौछे घाये गये॥ ७। ओर जब उस ने पौछे फिर के मुस्के टेखा तब उस ने मुस्के बुलाया और में ने उत्तर दिया कि यहीं हूं॥ ८ । तब उस ने म॒स्के कहा कि त्‌ कान में ने उसे कहा कि में एक अमालौकी हूं। €। फिर उस नेम॒कक कहा कि मैं तेरी बिनती करता हूं निकट है ०४ समएल [९ पढ्% खड़ा हे के भस्मे बधन कर क्यांकि ब्याकलता ने मस्फते पकड़ा है कि मेरा प्राण अब ला मस्क्त में पण क्षे। ९०। से म उस के निकट खड़ा हुआ ओर उसे मार डाला इस कारण कि मश्मे निःश्चय हुआ कि गिरने के पीछे वच् जौ न सत्ता था ओर में ने उस के सिर का मकुट और बिजायठ जे उस की भजा पर था लिया और उन्हें अपने खामीो पास इधर लाया हूं ॥ ५९ । तब दाऊद ने अपने कपड़े के पकड़ा ओर उन्हें फाड़ डाला और उस के साथ के समस्त मनव्यें ने भो ऐसा दो कया॥ २५२। ओर वे साऊल खैर उस के बेटे यकह्नतन जऔर परमेग्वर के लागां और इसराएल के घराने के लिये जे तलवार से मारे पड़ थ रोये पीट और सांस्क लॉ ब्रत किया ॥ १५३। फिर दाऊद ने उस तरुण से जिस ने डसे संदेश पहुंचाया था पका कि तू कहां का है उस ने उत्तर द्या कि में परदेशी का लड़का एक अमालीकी हूं॥ ५४। तब दाऊद ने उसे कहा कि क्या परमेश्वर के अभिषिकज्ञ पर नाश करने का हाथ डठाते हुएन डरा॥ ९५ । फिर दाऊद ने तरुणों में से एक के बलाया और कहा कि उस पास जाके उस पर लपक से उस ने उसे एसा मारा कि वह मर गया॥ ९६। जैर टाऊट ने उसे कहा कि तेरा लाह्ल तेरे हौ सिर पर क्योंकि तेरे ही मंह ने तभ्र पर यह कहके साच्यौ दिई किमें ने परमेश्वर के अभिषिक्त के! घात किया। १५७) और दाऊद ने साऊल ओर उस के बेटे हनतन पर इस बिलाप से विलाप किया॥ ९५८। [और उस ने यह भो उन्हें आज्ञा किई कि यहूदाह के संतान का धनुष सिखावें टेख यशर की पस्तक में लिखा है॥ १५८।] कि इसराएल कौ सुंदरता तेरे ऊंचे स्थानों पर जस्म गई बलवंत केसे मारे पड़े हैं ॥ २०। जअत में मत कहे! और अस्कलन की सड़कों में मत प्रचारो न हे। कि फिलि स्तिथों की बेटियां आनंद करें नहे। कि अखतनों कौ लड़कियां जय जय वरें॥ २९ । है जिलबअ के पहाड़ा ओस ओर मेंह तुम पर न पड़े गैर न भेड़ों का खेत हेते क्येंकि वहां बलवंत कौ ढाल तुचऋछलता से फेंकी गई साऊल को ढाल जैसे कि वुद् अभिषिक्त न हुआ॥ २२। जम्मे हुए के लेक्ल और बलवंत की चिकनाई से यह्ननतन का धनुष उलटा न फिरा और साऊल कौ तलवार छछी न फिरो॥ २३। २ पब्बे ] कौ २ पस्तक ॥ ह्पू साऊल ग्यार यकह्लनतन अपने जोवन में प्रिय और शोमित थे ओर अपनी रूत्यु में वे अलग न॑ किये गये वे गिड्ड से अधिक फ्रतौले थे वे छिंहें सेबलबंतथे॥ २४। हे इसराएल को बेटिया साऊल पर राोओ। जिस ने तम्हें बेजनी बस्त्र पहिनाया जिस ने सोने के आभषण तम्हारे बस्त पर संवारा॥ २५। घंग्राम के मध्य बलवंत केसे गिर गय हे यक्लनतन त अपने ऊंचे स्थानों में मारा गया॥ २६। हे मेरे भाई यह्ननतन तेरे लिये में द:खित हूं तू मेरे लिये अति शोभित था तेरी प्रौत म॒ुमक् पर अचंभित थी स्त्रियां की प्रती से अधिक॥ २७। बलवंत कैसे गिर गये ओर संग्राम के हथियार नष्ट हुए। २ टुसरा पब्ब । ञ्' इस के पीछे ऐसा हुआ कि दाऊद ने यह कहके परमेश्वर से बृक्कता कि में यह्ूदाह के किसी नगरों में चढ़ जाऊं परमेग्वर ने डसे कहा कि चढ़ जा तब द्वराऊर ने कहा कि किघर चढ़ जाऊं उस ने कहा कि हबरून के ॥ २। से दाऊट उधर चढ़ गया ओर उस की दोनों पत्नी भी यअज रअए लो अखिनुअम और न्बाल कौ पत्नी करमिली अबि- जैल॥ ३। ओर उस के लाग जा उस के साथ थे टाजद हर एक जन के। उस के घराने समेत ऊपर लाया ओर वे हबरून के नगरों में आ बसे ॥ ४। तब यहूदाह के लोग आये और उन्‍्हों ने वहां टाऊद के यह्ूदाह के घराने पर राज्याभिषक किया और लागों ने दाजट से कहा कि यबोस- जिलिअद के मन॒द्यों ने साजऊल के गाड़ा॥ ५४। तब दाऊद ने यबौस- जिलिअद के लागों को ट्टत से कहला भेजा कि परमेमग्यर का धन्य क्योंकि तम ने अपने प्रभ साऊल पर यह अनग्रद किया और उसे गाड़ा॥ ६। अब परमेश्रर तम पर अनग्रह ओर सच्चाई करे और में भो इस अन ग्रह का पलटा तम्हें टेऊंगा इस कारण कि तम ने यह्त काम किया क्षे॥ ७। से। अब तम्हारी भजा बली हेवें और शरता के बेटे हेओ क्योंकि तम्हारा प्रभ साऊल मर गया ओर यहूटाह के घराने ने भी मम अपने पर राज्या- भिषेक किया ॥ ८। परत नेयिर केबेट अबिनेयिर ने जो साऊल का सेनापति था साजल के बेटे अशबाशोश का लिया और उसे महनेन में ०६ समणएल [२ पब्ले पहुंचाया॥ «। और उसे जिलिअद और अशरी और यजरअएल और इफ्रायम और विनयमीन और समस्त इसराएल पर राजा किया॥ ५०। और साऊल के बेटे अशवाशोश की बय चालीस बरस कौ थी जब वच्द इसराएल पर राज्य करने लगा ओर उस ने टो बरस राज्य किया परंत यहूटाह के घराने ने टाऊद का पौछा किया॥ १९। और जिन दिनों में टाऊट यह्ूटाह के घराने पर हबरून में राजा था से साढ़े सात बरस था॥ १२ । फिर नेयिर के बेट अबिनैयर और साऊल के बेटे अशवेःशीश के सेवक महनैन से निकल के जिबञ्नन के! गये॥ ९३। और ज्ञरूयाह का बेटा यअब ट्राऊद के सेवकों के लेके निकला और जिवअन के कंड पर द्ानें मिल गये ओर बैठ गये एक कंड की इस अलंग टूसरा कंड कौ उस अलंग॥ १५४। तबअबिनैयिर ने यअब से कहा कि तरुणां के उठने और हमारे आगे लौला करने टोजिये यअब बाला कि उठें॥ २५। तब गिनती में बिनयमीन के बारह जन जो साऊल के बेटे अशवाशोश कौ ओर से थे उठ और दाऊद के सेवकों में से बारह जन निकले॥ २४६। से उन में से हर एक जन ने अपने अपने संगी का सिर पकड़ा और अपने संगी के पंजर में तलबार गाद दिई से। वे एकट्ठें गिर पड़े इस लिये उस स्थान का नाम हलकात हसुरीम हुआ जो जिबचन में हे। ९७। ओर उस ट्न बड़ा संग्राम हुआ और अबिनेयिर और इसराएल के लाग टाजद्‌ के सेवकें के आगे हार गये ॥ १८। ओर जरूयाह के तौन बेटे यूअब और अबिश और असहेल वहा थे और असहेल बनेली हरिणी कौ नाई द्ैड़ता था॥ १५९। और अस्हेल ने अब्नियिर का पीछा किया और वह अबिनैयिर के पीछ से ट्हिने बांयं न मड़ा॥ २०। तब अबिनेयिर ने पीछे टेख के कह्दा कित असहेल है वह बाला हां॥ २५। और अबिनियिर ने उसे कहा कि टहिनी अथवा बाई ओर फिर ओर तरुणों में से एक के। पकड़ ओर उसे लट ले परंत उस का पीछा करने से असहैल नफिरा॥ २२। ओर अबिनैयर ने असहेल के फिर कहा कि मेरा पीछा करने से मड़ किस कारण में तम्मे भमि पर मारक डाल देज फर क्यांकर में तेरे-भाई यअब का अपना मंच ट्िखाऊं॥ २३। तथापि उस ने मड़ने के न माना तब अबिनेयिर ने उलटे भाले से ३ पन्ने] कौ २ प॒स्तक। ६ ०७ पांचवों पसली के नीचे भारा ओर भाला उस के पीछ से निकल पड़ा ओर बहां गिर के उसो स्थान में वह मर गया और एसा हुआ कि जितने उस स्थान में आते थ जहां असहेल गिर के मर गया था खड रहते थे ॥ २४। तब यअब ओर अबिशे भी अबिनेयिर के पीछ पड़ और जब वे अ्मः के टोले का जा जिबग्नन के बन के माग में जोहा के आगे हे पहुंचे तब रूय्ये अस्त हुआ॥ २५। जओऔर बिनयमौन के संतानें ने एकईट हेफके अबिनेयिर की सहाय किई और सब के सब मिल के एक जथा बन के एक पहाड़ कौ चाोटो पर खड़हुए॥ २६ । तब अबिनेयिर ने यअब को पकार के कहा कि क्या तलवार सदा लॉ नाश करंगी क््यात नहों जानता हे कि अंत में कड़वाहट हेगी कब ला त लागों का अपने भाद ये का पीछा करने से न रोकेगा॥ २७। तब यञब ने कहा कि जीवते ईम्घर की किरिया यदि त न कहता तो निच्यय लागों में से हर एक अपने भाई का पीछा छाड़ के भार हो का फिर जाता॥ २८। फिर यअब मे नरसिंगा फंका और सब लेग ठहर गये और इसराएल का पीछा.न किया और लड़ाई भी थम गई॥ २<९। और अबिनेयिर अपने लागे समेत चागान से हे।कके रात भर चला गया और यरदन पार उतरा और समस्त बितरून से चल के महनेन में पहुंचा। ३०। और यअब अबिनेयिर का पीछा करने से उलटा फिरा ओर उस ने सारे लोगों के। एकट्ठए किया तब दृ'ऊद के सेवकों में से असहेल का छोड़ छन्नीस जन घंटे थे॥ ३९१॥। परंतु दाऊद के सेवकों ने बनयमीनियों में से ओर अबिनेयिर के लागों में से तौन से साठ जन मारे॥ ३२। और उन्‍हां ने असहेल के। उठाया ओर उस के पिता कौ समाधि में जे बैतलहम में हे गाड़ा ओर बञअब अपने लागों समेत रात भर चला गया और पर फरते हुए हबरून में पहुंचा ॥ ३ तौसरा पब्ब ॥ न जे बिक] आर क ०० ही 7 साऊल के और द्वाजद के घरानों में बहुत दिन लॉ लड़ाई हे।तौ रह्दौ परंतु दाऊद बलवंत हे।ता गया और साऊल का घराना निबेल होता गया॥ २। ओर हबरून में दाऊद के बेटे उत्पन्न हुए उस ई०्ष्र समएल [३ पब्बे का पहिलेंटा अमनन जा यजरुअणेली अखिनअम से था॥ ३। और दूसरा किलिअब जा करमिलो नवाल कौ पत्नी अविजैल से हुआ ग,्यार तौसरा अबिसलम जा जशर के राजा तलमी कौ बेटी मअकः से था ४ | और चौथा हगीस का बेटा अट्टनियाह और पांचवां अबितल का बेटा शफतियाह ॥ ५ । और छठटठवां यावितरिआम जे दाऊद की पत्नी एगल सेथा ये सब ट/ऊद के लिये हबरून में उत्पन्न हुए।॥ ६। ओर जब लों साऊल और दाऊट के घरानों में युद्ध हेतता रहा ऐसा हुआ कि अविनैयिर ने आप के साऊल के घराने के लिये बली किया ॥ ७। और साऊल की एक दासी थी जिस का नाम रिसफः था अयाह को बेटी ओर इसबुसत ने अविनैयिर से कहा कि तू क्यों मेरे पिता कौ दासो के पास गया है | ८। तब अबिनैयिर ने इसबुसत कौ बातों से अति कापित हेके कहा कि क्या में कुकर का सिर हूं कि में यहूदाह का साम्ना करके आज के ट्न लो तेरेपिता साऊल के घराने पर और उस के भाइयों और उस के मित्रों पर द्था करता हूं और तम्फे टाऊद के हाथ में नहीं सोंपा हे कि त मम इस स्तरों के बिषय में दोष लगाता है.॥ ८ | से अब जैसी परमेग्र ने ट/जद से बाचा बांघी है बैसा हो यटि में न करू ता परमेश्वर अविनेयिर से ऐसा हो और उससे अधिक करे॥ ९०। कि साऊल के घराने से राज्य पलट डाल और टाजद्‌ के सिंहासन के! इसराएल पर ओर यहकूदाह पर दान से लेके विअरसब लॉ स्थिर करू॥ ९५ ५। तब वह अबिनेयिर का एक बात का उत्तर न दे सका क्योंकि वह उस्हे डरताथा॥ १२। ओर अबिनेथिर ने अपने बिषय में टाऊदट पास ट्रत से कहला भेजा कि देश किसका है मुक्त से बाचा बांघ और ट्ख कि मेरा हाथ तेरे साथ हे।गा कि सारे इसराएजलियों का तरी ग्यार फेरू॥ २५३। तब वह बाला अच्छा में तस्कत से बाचा बांघंगा परंत सम से एक बात चाहता हूं और वह जो यह हे कि त मेरा मंहन ट्खेगा जब लें पहिले साऊल कौ बंटी मिकल के अपने साथ लावे ज्बत मेरा मंह ट्खेगा॥ २९४। और दाऊद ने साऊल के बंटे इसबसत के पास यह कहके द्तों का भेजा कि मेरी पत्नों मिकल का जिसे में ने फिलिस्तियों की से खलड़ियां दके बियाहा क्षे सांप ह॥ २९५४। तब इसबसत ने भेज के उस के पति लाईश के बंटे फूलतिएल से उसे ३ पब्बे] कौ २ पुस्तक । ६० मंगवाया ॥ ९६। जझ्र उस का पति उस के पीछे पीछे बहरीम लो रोता चला गया तब अबिनेयिर ने उसे कहा कि चल फिर जा तब वह फिर गया॥ ९७। ओर अबिनेयिर ने इसराएल के प्राचौनों से संबाद करके कहा कि तम तो पहिले हो चाहते थे कि दाऊद के अपना राजा करो॥ ९८। दाऊद के बिषय में कहा है कि में अपने दास ट[ऊट की ओर से अपने इसराएली लागों के फिलिस्तियों के और उन के सब बैरियां के हाथ से बचाऊंगा॥ २९९। और अबिनेयिर ने बिनयमौनों के कानों में भी कहा और फिर अबिनैयिर हबरून के। चला कि टाजद के कानों में भी कहे कि इसराएलियों के! और बिनयमी नियों के सारे घराने के अच्छा लगा॥ २० । से अबिनेयिर हबरून में टाऊट पास आया और बीस जन उस के साथ थे और दाऊद ने अबिनैयिर का और उन लोगों का जा उस के साथ थे नेठंता किया॥ २९। और अबिनेयिर ने दाऊद से कहा कि अब में उठ के जाऊंगा और सारे इसराएल के अपने प्रभ राजा के लिये एकट्टा करूंगा जिसते वे तम्क्त से बाचा बांघें आर त अपनी इच्छा के समान उन पर राज्य करे तब दाऊद ने अबिनेयिर के! बिदा किया और व॒चह कुशल से चला गया॥ २२ । और टेखे। कि उस समय दाजद के सेवक और यूअब एक जथा से बहुत सौ लूट अपने साथ लेके आये परंतु अबिनैयिर हबरून में ट[ऊजद पास न था क्योंकि उस ने उसे बिदा किया था और वुह कुशल से चला गया था॥ २३। जब युअब झौर सेना के लाग जो उस के साथ थे पहुंचे तब उन्हें ने यह कहके यूअब से कहा कि नैयिर का बेटा अबिनेयिर राजा पास आया था ओर उस ने उसे फर टिया और वह कुशल से चला गया ॥ २४। तब यअब राजा पास गया ओऔर बोला कि आप ने क्या किया देखिये अविनैथिर आप के पास आया और आप ने उसे क्यों छोड़ टिया कि वह चल निकला ॥ २५। आप नेथिर के बेटे अविनेयिर का जानते हैं कि वह आप के। छल दने और आप के बाहर भीतर आने जाने से और सब जा आप करते हैं जाजन्ने के! आया था॥ २६। तब यअब ने दाऊद पास से निकल के अबिनेयिर के पीछे ट्ूत भेजे जा उसे हासोरः के कयें से फेर लाये परंत दाऊद नेन जाना ॥ २७। ग्रर जब अविनेयिर हबरून के। फिर आया यअब उसे फाटक 77 या छा ६९० समृएल [३ पब्बे की एक अलंग निराले में उसे बात करने के ले गया और वहां उस की पांचवों पसलो के तले यहां ला गेदा कि वह मर गया क्योंकि उस ने उस के भाई असहेल के मारा॥ २८। ओर उस के पीछे जब टाऊद ने सना वह बाला कि में ओर मेरा राज्य परमेग्धर के आगे नेथयिर के बेटे अविनेयिर के लाह् से सदा निर्देशज हैं ॥ २६। वह यअब के सिर पर ओर उस के पिता के समख्त घराने पर हेवे और यअब के घराने में एक भी एसा ने है। जो प्रमेही अथवा काढ़ी औएर जो लाठो टेक के न चले और तलवार से मारा न जाय और रोटी का अधीन न हे।॥ ३०। से! गग्बव और उस के भाई अबिशे ने अबि- नेयिर का घात किया क्यांकि उस ने उन के भाई असहेल के जिबअजन के बीच रण में मारा था॥ ३९। और दाजद ने यअब के और उस के सारे साथियों के! कहा कि अपने कपड़े फाड़ा और टाट ओ[ढ़ो ओर अबिनेयिर के आगे आगे बिलाप करे और दाऊद राजा आप अथी' के पीछ पीछे गया ॥ ३०९ । ओर उन्‍्हों ने अबिनेयिर के हबरून में गाड़ा और राजा अपना शब्द उठा के अबिनेयिर की समाधि पर राया और सब लाग रोये॥ ३३ | और राजा ने अबिनेयिर पर यों बिलाप करके कहा कि अविनेथिर मढ़ की नाई मआ॥ ३४। तेरे हाथ बंधे न थे तेरे पाओं में पेकडियां पड़ों न थीं त यों गिरा जैसा काई दू 7 के संतान के हाथ में पड़के गिरता हे तब उसपर सब के सब दाचहरा के राथे॥ ३५। ओर जब सब लेग आये और चाहा कि दाजद का टन रहते कछ खिलावें दाऊद ने किरिया खाके कहा कि यदि में रूय्ये अस्त होने से आगे रोटी खाऊज॑ अथवा कक चीख॑ तो ईंग्बर मुस्क से ऐसा ओर इस्समे अधिक करे॥ ३६। ओर सभोें ने सोचा और उन की दृष्टि में अच्छा लगा क्यांकि जा कुछ राजा करता था से सब के अच्छा लगता था॥ ३७। क्योंकि सब लोगों ने और सारे इसराएलियों ने उस ट्नि बूसका किनेयिर के बेटे अविनेयिर के! मारना राजा कौ ओर से नथा॥ ३८। और राजा ने अपने सेवके! से कहा कि क्या तम नहीं जानते हे कि आज के दिन एक कंअर औपर एक महाजन इसराएज में से गिर गया॥ ३९। ओर में आज के रिन दुबेल हूं यद्यपि राज्याभिषिक्त 8 पब्बे] कौ २ पुस्तक । ६९९ हूं और ये लाग अथात्‌ जरूयाह के बेटे मुक्क से अति बली हें परमेग्घर दृष्ट के उस कौ दृष्टता के समान फल ट्गा। [3 ९ ४ चाथा पत्न। जो जब साजल के बंटे ने सना कि अविनेयिर हबरून में मर गया तो उस की बांह टट गई ओर सारे इसराएल ब्याकल हुए ॥ २। ओर साजल के बेटे के दो जन थे जो जथा के प्रधान थे एक का नाम बञना और दूसरे का रेकाव दोनों बिनयमीन के संतान में बिअ- राती रूच्मान के बंटे थ क्योंकि बरूत भो बिनयमीन में गिना जाता था॥ ३। तब बिअराती जअतिन का भाग गये और आज के टन लों वे वहीं रहते हों॥ ४। खैर साऊल के बेटे यह्लनतन का एक बेटा था जो पांव का लंगड़ा था जब से साजल और यह्नतन यजरआण्ल का संदेश आया तब वह पांच बरस का था ओर उस की दाई उसे लेके भाग गई ओर उस ने भागने में शोघता किई तब ऐसा हुआ कि वह गिर पड़ा और लंगड़ा हे गया और उस का नाम मिफ्वसत था॥ ५। और रूस्मान के बेटे बिअराती रेकाब और बअना आये और दिन के घाम के समय में इसबुसत के घर में पहुंचे जे! दे! पहर के बिछोौने पर लेटा था॥ ६। ओर वे घर के मध्य में ऐसा आये जेसा कि गोहं लेने जाते है और उन्हें ने डस की पांचवीं पसली के नीचे मारा और रेकाब ओर उस के भाई बग्चना बच निकले॥ ७। इ्योंकि जब वेघर में पेठे बच अपने शयन स्थान में बिछोने पर पड़ा था से उन्‍्हां ने उसे मारा और चात किया और उस का सिर काटा और सिर ले लिया और रात भर चैेगान के मागे भाग चले गये॥ ८। और इसबसघत का सिर हबरून में दाऊद पास लाये और राजा के! कहा कि यह साजल के बंटे आप के बरी इसबसतत का सिर क्र जो आप के प्राण का गांहक था से| परमेग्पर ने आज के दिन मेरे प्रभ राजा का पलटा साजल और उस के बंश से लिया॥ €। तब दाऊद ने रेकाब और उस के भाई बचना के जो बिअरात रूस्मान के बटे थे उत्तर दिया और कहा कि परमेग्वर के जीवन से| जिस ने मेरे आत्मा के समस्त विपत्ति से छुड़ाया॥ १९०। जब किसी ने मुस्झे ६९२ समएल [५ पब्ब कहा कि ट्ख साऊल मर गया और समम्का कि सृसहेश पहुंचाता है तब मैं ने उसे पकड़ा और सोकलग में घात किया यह में ने उसे उस के संदेश लाने का पलटा दिया॥ १५१५। कितना अधिक जब दुष्टों ने एक धर्मों जन के उस के घर में घस के उस के बिछोने पर मारातो क्या में अब उस का पलटा तम से न लंगा और तम्ह एथिवी पर से उठा न डालंगा ॥ ९२। तब दाऊद ने अपने तरुणां का आज्ञा किई कि उन्‍हें मार डाले और उन के हाथ और पांव काट डालें और उन्हें हवरून के कुंड पर लटका देवें परंतु इसबुसत के सिर के। उन्‍्हां ने लेके हबरून के बीच अबिनेथिर कौ समाधि में गाड़ दिया। ५ पांचवां पब्ब । ब इसराएल की समस्त गाछठी हबरून में ट[ऊद पास आई और उसे ७ बिके कि ट्ख हम तेरी हड्डी ओर तेरा मांस हैं। २। और अगिले समय में भी जब साऊल हमारा राजा था तब त इसराएल को बाहर भीतर ले जाया करता था और परमेग्थर ने तस्मे कहा क्ञे कि त मेरे इस- राएली लोगों के! चरावेगा और त इसराएल का प्रधान हेगा॥ ३। से इसराएल के सारे प्राचीन हबरून में राजा पास आये ओर टाऊजद राजाने हबरून में उन के साथ परमेश्वर के आगे बाचा बांघी और उन्‍हें ने टाऊद के। इसराएल पर राज्याभिषेक किया॥ ४। और जब दाऊद राज्य करने लगा तब तीस बरस का था और उस ने चालीस बरस राज्य किया ॥ ५। उस ने हबरून में सात बरस छः मास यहूदाह पर राज्य किया और यरूसलम में सारे इसराएल गैर यहूट्ाह पर तेंतीस बरस॥ ६। तब राजा ओर उस के लोग उस टेश के बासो यबसियों कने गये उन्हें ने टाऊट्‌ के कहा कि जब लो त अंधों और लंगड़ं के टूर न करे यहां आने न पावेगा यह समम्क के कि दाऊद यहां न आ सकेगा॥ ७। तिस पर भौ दाऊद ने सेक्कतम का गढ़ ले लिया वही दाऊद का नगर हुआ॥ ८। और ट्ाऊद ने उस दिन कहा कि जो कोई पनाले लो पहुंचे ओर यबसियों ओर लंगड़ों और अंधों के जिसमे टाऊद के घिन हे मारे सेई सेना का प्रधान हेगा इस लिये यह कहावत कहते हैं कि अंधे और लंगड़े ५ पब्बे] कौ २ पुस्तक । ६९३ घर में पेठने न पावेंगे॥ €। और द/ऊदट गढ़ में रहा और उस ने उस का नाम टाऊजट का नगर रक्‍खा और दाऊद ने मिज्ञो की चारों आर और उस के भोौतर बनाये॥ १५०। और दाऊद बढ़ता गया और परमेश्वर सेनाओं का ईस्घर उस के साथ था ॥ ९१५। तब रूर के राजा हौराम ने आरज छक्ष ओर बढ़ई और पत्थर के गढ़वेंथे द्तां के साथ दाऊद पास भेजे और उन्‍्हों ने टाऊजद के लिये भवन बनाथा॥ ९५२। और दाऊद के रूम पड़ा कि परमेश्वर ने मस्फे इस राएल पर राजा स्थिर किया ग्र मेरे राज्य के अपने लाग इसराएल के लिये स्थिर किया। १५३। और दाऊद ने हबरून से आके यरूसलम में और सहेलियां ओर पत्नियां किई और टाऊजद के और भी बेटा बेटौ उत्पन्न हुए॥ २९४ । ओर उस के उन बेटों के नाम जा यरूसलम में उत्पन्न हुए ये थे शमअ और शाबाब और नातन ओर सुलेमान ॥ १५। और इबहार ओर इलौोरूअः ओर नफग और यफीअ॥ ९६। और इलिसमः और इलवटः और इलिफलत ॥ २७। परत जब फिलिस्तियों ने सना कि उन्‍्हों ने टाऊजद के अभिषक करके इसराएल का राजा किया तब सारे फिलिस्तो टाऊट को खाज का चढ़ आय गऔर दाऊद सन के गढ़ में उतरा ॥ १५८। ओर फिलिस्ती आये ओर रिफराइम की तराई में फैल गये॥ २८। तब टाजद ने परमेग्वर से यह कहके बम्का कि में फिलिस्तियों पर चढ़ जाऊं त उन्‍हें मेरे बश में कर देगा परमेग्यर ने दटाऊट से कहा कि चढ़ जा क्योंकि में निः संट्ह फिलिस्तियों का तेरे हाथ में सॉंपंगा॥ २०। तब दाऊद बअुल- फरसौन में आया ओर वहां उन्हें मार के कह्दा कि परभेग्वर मेरे आगे मेरे बरियां पर ऐसा टूट पड़ा जेसा पानियों का ट्रार इस लिये उस ने उस स्थान का नाम बय्ुलफरासीन दरारों का चोगान रक्वा॥ २९। ओर उन्हां ने अपनी म्‌त्तनिन का वहीं छोड़ा और दाजद और उस के लागों ने उन्हें जला टिया ॥ २२ | ओर फिलिस्तों फिर चढ़ आये और रिफाइम की तराई में फेल गये॥ २३। ओर जब दाऊद ने परमेग्पर से बस्मा उस ने कहा कि त मत चढ़ जा पर॑त उन के पौछ से घम और तत के पेड़ों के सान्‍्ने हेके उन पर जा पड़। २४। और ये हे।वे कि जब ६१४ समूएल [६ पब्बे तू तूत के पेड़ों के ऊपर जाने का शब्द सुने तो आप के। चै।कस कर क्योंकि तब परमेश्वर तेरे आगे आगे चलेगा कि फिलिस्तियों की सेना के मारे ॥ २५ । ओर जैसी कि परमेश्वर ने*उसे आज्ञा किई थी टाजरट ने वैसा ही किया और फिलिस्तियां के जिबअ से लेके जजर लो मारा। ६ छटवां पच्च। है टाऊद ने इसराणएल में से तीस सहस्त चने हुओं के एकट्ठा या॥ २। और दाऊद सारे लागों के! लेके यहूटाह के बञअली से चला कि वहां से ईस्थर की मंजघा का लावे जिस का नाम सेनाओं का परमेश्वर कहाता है जा करोबियों में रहता है॥ ३। और उन्‍्हों ने ईयर की मंजूजा के। नई गाड़ी पर घराया श्यार उसे अविनदब के घर से जो जिबआः में था निकाल जाये और उस नई गाड़ी के! अबिनदाब के बेटों ने जो उच्जः और अखय थे हांका॥ ४। और वे अबिनदटाब के घर से जो जिबञअः में था उसे निकाल लाणे और ईस्थर की मंजषा के साथ साथ गये ओर अखय मंजषा के आगे आगे चला॥ ५। ओर दाऊद गऔर इसराएल के सारे घराने ट्वट/रु कौ लकड़ी के सब भांति के बाज जैसे कि बीणा और सारंगियां और तबले और तंबरे और म्कांफ लेके परमेग्थर के आगे आगे बजाते चले॥ ६। और जब वे नकन के खलिहान पर पहुंचे तब उज्जः ने हाथ बढ़ा के ईश्वर की मंजषा के थाम लिया क्यांकि बैलां ने उसे हिलाया था॥ ७। तब परमेग्यर का क्राघ उज्जः पर भड़का और ईम्यर ने उसे उस की ठिठाई के कारण मारा और वह ईम्घर की मंजघा के लग मर गया॥ ८। और इस कारण कि परमेग्वर ने उज्ज: पर ट्रार किया दाजट उदास हुआ और उस ने उस स्थान का नाम आज लो परज उज्जा का दरार रक्वा॥ <। और दाऊद उस ट्न परमेम्धर से डरा और बेला कि परमेम्धर की मंजषा मस्क पास क्योंकर आवेगी॥ ५०। और दाऊद ने न चाहा कि परमेग्यर की मंजषा के अपने नगर में ले जाके अपने पास रखे परंत दाऊद उसे एक अलंग आगबिद्ण्ट्रम गाही के घर ले गया॥ ५९। ओर परमेगश्वर कौ मंजषा आबिदणट्ूम गादी के घर में तोन मास लो रहो ओर परमेम्धर ने आबिद ६ पब्ब ] कौ २ पुस्तक । ६९५ एट्टम के और सारे घराने के आशीष दिया॥ ९५२। और यह दाऊद राजा से कहा गया कि परमेश्वर ने आबिदणट्म के और उस की हर एक बस्तु को अपनी मंजूषा के लिये आशोष दिया तब दाऊद गया और ईग्वर की मंजूषा के। आबिद॒णएट्रम के घर से अपने नगर में आनंद से चढ़ा लाया॥ ९३। ओर ये हुआ कि जब परमेश्वर की मंजूषा के उटवैये छः डग चलते थे तब टाऊद बैल और पलेहुओं के। बलि करता था ॥ ९४ । और टाजद्‌ परमेग्धघर के आगे रूतो अफट करि में बांधे हुए अपनो शक्ति भर नाचते नाचते चला ॥ ९५ | और र/ऊद और इसराएल के सारे घराने परमेग्घर की मंजूषा के ललकारते और नरघिंगे के शब्द के साथ ले आये॥ ९६। और ज्यों परमेग्धर की मंजूषा दाऊद के नगर में पहुंची स/ऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से दृष्टि किई और दाजद राजा को परमभेग्वर के आगे उछलते और नाचते टेखा और उस ने अपने मन में उस की निंदा किई॥ १५७। और वे परमेश्वर कौ मंजषा के! भोतर लाये और उसे उस के स्थान पर उस तंब के मध्य जो दाऊद ने उस के लिये खड़ा किया था रख ट्या ओर दाऊद ने हे की भेंट और कुशल कौ भेंट परमेग्वर के आगे चढ़ाई'॥ ९८। ओर जब ट्ाऊद हे को भेंट और कुशल कौ भेंटें चढ़ा चका तब उस ने लागों के! सेनाओं के परमेम्प्र के नाम से आशीष दिया॥ १६८। और उस ने सारे लागां के! अथात इसराएल की सारी मंडली के क्या स्त्री क्या पुरुष हर एक के एक एक रोटी और एह एक बेटी और एक एक कटारा दाखरस दिया और समस्त लेग अपने अपने घर के चले गये॥ २०। तब दाऊद अपने घराने के। आशीष हे ने का फिरा उस समय साऊल की बेटी मोकल दाऊद की भेंट के निकली ओर बालो कि इसराएल का राजा आज चअ्याही एश्ययेमान था जिस ने आज अपने सेवकों की दासियों की आंखें में आप के। ऐसा उचारा जैसा कि च्छ जन आप को निलेज्जा से उघारता क्षे। २९। तब दाऊजट ने मौकल से कहा कि यह परमेग्यर के आगे था जिस ने मस्त तेरे पिता के और उस के सारे घराने के आगे चना ओर अपने इसराएल लेग पर मण्मे आज्ञा- कारी किया इस लिय में परमेम्वर के आगे लौला करूगा॥ २२। और में इस्से भी अधिक तुचऋछ हछूंगा और अपनी दृष्टि में नीचा हूंगा और है ९ समूएल [७ पब्बे जिन द्ासियों के बिषय में तू ने कहा हे में डन से प्रतिष्ठा पाऊंगा॥ २३। इस लिये साऊल की बेटी मीकल अपने जीवन भर नि4'श रहो। ७ सातवां पब्क । जी रेसा हुआ कि जब राजा घर में बैठा था और परमेग्वर ने उसे उस के सारे बैरियों से चारों ओर चेन ट्या ॥ २। तब राजा ने नातन आगमज्ञानी के कहा कि ट्ख में आरज ढक्ष के घर में रहता हूं परंत ईम्र की मंजघा ओआम्कलों में रहती है ॥ ३। तब नातन ने राजा से कहा कि जा जो कुछ तेरे मन में हे उसे कर क्योंकि परमेम्वर तेरे साथ कहै॥ ४। और उसी रात ऐसा हुआ कि परमभेग्वर का बचन यह कहके नातन के पहुंचा ॥ ५ । कि जा ओर मेरे सेवक दाऊद से कह कि परमेग्रर यों कहता है कि क्या मेरे निवास के लिये तू एक घर बनावेगा॥ ६। जब से इस राएल के संतान का मिस से निकाल लाया में ने तो आज के दिन लॉ घर में बास न किया परत तंब में और डेरे में फिरा किया ॥ ७। जहां जहां म॑ सारे इसराएल के संतान के साथ फिरता रहा चञा्ा|ा में ने इसराएल को किसो गोछ्ियां से कहा जिसे में ने आज्ञा किई कि मेरे इसराएल लोगों के चरावे कि तम मेरे लिये आरज काछ का घर क्यों नहों बनाते॥ ८। अब इस लिये त मेरे सेवक दाऊद से कह कि सेनाओं का परमेग्वर यों कहता हे किमें ने तस्ते भेड़शाल में से भड़ का पीछा करने से लेके अपने इसराएली लोगों पर अध्यक्ष किया॥ <। और जहां जहां तू गया में तेरे साथ साथ रहा ओर तेरे सारे बैरियों के तेरे साम्ने से मार गिराया है और में ने जगत के महान लागें के नाम के समान तेरा नाम बढ़ाया है ॥ ९ ० । इस्से अधिक में अपने इस राएली लोगों के लिये एक स्थान ठच्रराऊंगा ओर उन्‍्हं लगाऊंगा जिसतें वे अपने ही स्थान में बसें और फिर अस्थिर न हेवें और दुष्टता के बंश आगे कौ नाई उन्हें न सतावं॥ २१५ । और उस समय की नाई जब से में ने न्यायियों का अपने इसराणली लोगों पर ठहराया ओर तम्छे तेरे सारे बेरियों से चेन दिया परमेग्र तक यह भो कहता ह कि में तेरे लिये घर बनाऊंगा॥ ९५२ । जब तेरे टिन पूरे हांगे और तू अपने पितरों के साथ शबन ४ पब्बे ] कौ २९ पस्तक | ६९७ करेगा तब में तेरे पीछ तेरे बंश के उभारूंगा जा तेरे दी उट्र से होगा और उस के राज्य का स्थिर करूंगा॥ २३। मेरे नाम के लिये वच्ौ घर बनावेगा और में उस के राज्य के सिंहासन के सदा लॉ स्थिर करूंगा॥ ९४। में उस का पिता हूंगा और बुह् मेरा बेटा हेएगा यदि व॒द्द अपराध करेतो में उसे मन॒व्यां की छड़ो से और भनुव्यों के संतान की मार से ताड़ना करूंगा॥ १५५। परंत मेरी दया उसे अलग न होगी जिस रीति से कि में ने साऊल से उठा लिई जिसे में ने तरे आगे से अलग किया॥ ९६। परंतु तेरा घर और तेरा राज्य तरेआगे सनातन लोॉं स्थिर रहेगा ओर तेरा सिंहासन नित्य स्थिर रहेगा॥ २९७। से नातन ने इस समस्त ट्शन के समान जऔर समस्त बचन के तुल्य दाजद से कहा॥ ९१८। तब दाजद राजा भौतर गया और परमेग्वर के आगे बेठ के कहा कि हे ईश्वर परमेग्घर में कान ओर मेरा घर क्या कि त ने मस्के यहां ला पहुंचाया॥ १८। ग्र तरी दृष्टि में हे ईम्धर परमेम्धर यह भी छोटी बात थी परंत त ने अपने सेवक के घर के बिषय में आगे के! बहुत दिन के लिये कहा ओर हे ईस्थर परमेश्वर क्या मनव्य का यह ब्यवहार क्षे। २०। ओर दाऊद तमे क्या कह सक्ता हे क्योंकि हे इंग्वर परमेम्भर त अपने सेवक के। जानता कै ॥ २९ । क्योंकि अपने मन के और अपने बचन के कारण त ने ये सारे मक्चत्काय्थ किये कि अपने सेवक का जनावे॥ २२। इस कारण हे ईश्वर परमेम्पर॑ त महान हे क्योंकि तरे समान काई नहीों ओर तसे छोड काई ईम्पर नहों उन सभों के समान जो हम ने अपने कानों से सनाहे॥ २३। और जगत में तेरे इसराएल लाग के समान प्थथिवी में कैन सो जाति हे जिसे अपना ही लाग बनाने के लिये इंश्र छड़ाने गया कि अपना नाम करे और जिसतें तम्हारे लिये बड़े बड़े और भयंकर काव्य अपने देश के लिय अपने लागों के आगे करे जिन्हें त ने मिस्व से जातिगणों से और उन के ट्वतों से छड़ाया॥ २४। क्यांकि त ने अपने लिये अपने इसराएल लोग के इृढ़ किया कि अपने लिये सनातन के लाग हेवे॑ और हे परमेम्धर त उन का ईश्वर छआ॥ २५। ओर अब हे ईय्वर परमेम्धर उस बात का जो त ने अपने सेवक के विषय में जैर उस के घराने के 78 (8 9. 8.] ्श्प संमएल [८ पब्ने बिषय में कहा है सट् लो स्थिर रख और अपने कहने के समान कर ॥ २६। ओर यह कहके तेरा नाम सनातन लॉ बढ़ जाय कि सेनाओं का परमेमश्वर इसराएल का ईश्वर और तेरे सेवक दाऊद का घर तरे आगेस्थिर हेवे॥ २७। क्योंकि हे सेनाओं के परमेमश्वर इसराएल के इंस्र त ने अपने सेवक के कान यह कहके खोले हें कि में तेरे लिये घर बनाऊंगा से तेरे सेवक ने अपने मन में पाया कि तेरे आगे यह प्राथेना करे। २८। ओर अब हे इंग्थर परमेम्धर त्‌ वह्दी ईश्वर क्े ओर तेरी बातें सच्ची हैं ओर त ने अपने सेवक से इस भलाई कौ बाचा टिईक्े॥ २८। से इस लिये अनुग्रह करके अपने सेवक के घराने पर आशीष टे जिसतें वह सनातन लो तेरे आगे बना रहे क्योंकि हे ईस्घर परमेग्वर त ने कहा है से। तेरे अअशोष से तरे सेवक का घर सनातन लॉ आशोष पावे ॥ पट आटठवां पब्ब । ञ्ः इस के पीछे ट्ऊजट ने फिलिस्तियाों के मारा और उन्हें बश में किया ओर ट्ाजद ने मिथेग अम्मः फिलिस्तियां के हाथ से लिया॥ २। और उस ने माअब के मारा ओर उन्हें भमि पर गिरा के रस्सी से नापा अथात दो रस्पियां से बंधन करने के! ओर एक परी रस्पो से जिलाने के! और मेअबी टाऊद के सेवक हुए और भेंट लाये ॥ ३। ओर ट्राऊद ने सबः के राजा रिहेब के बेटे हदट्अज॒र का भौ जब कि वह अपना सिवाना छड़ाने का फरात नट्ो का गया मार लिया॥ ४। और ट्ाऊजद ने उस के एक सहस्त॒ रथ और सात से घाड़चढ़ ओर बीस सहखसत पेट्ल लिये ओर समस्त रथों के घोड़ां की घाड़नसे काट डालों परंतु उन में से से रथों के लिये रख छेडा॥ ५। ओर जब कि द्मिशक के सुरियानी हट्दअज॒र रूबः के राजा की सहाय के आये तब दाजद ने सुरियानियों में से बाईंस सहस्त लेग मार डाले॥ ६। तब दाऊद ने दमिशक्‌ के स॒रिया में चे।कियां बैठाई और सरियानो दाऊद के सेवक हुए और भेंटें लाये ओर जहां कहीं टाजद गया परमेग्वर ने उस को रच्ता किई॥ ७। और दाऊद ने इहदटअजर के सेवकों की से।ने कौ ढाल लेके € पब्बे] कौ २ पुस्तक | ६ शढ यरूसलम में पहुंचाई॥ ८ । ग्रार बतह से और बिअराती से जो हृद्ट्‌ अजर के नगर हें दाऊद राजा बहुत सा तांबा लाया ॥ < । और जब कि हमात के राजा तगी ने सना कि दाऊद ने हट्ट्अज॒र कौ सारो सेना मारी॥ ५०। तब तगी ने अपने बेटे यराम का दाजद राजा पास भेजा और उस का कुशल पका और बधाई टिई इस कारण कि उस ने संग्राम करके हट्ट्अज॒र का मार डाला क्योंकि हटट्ञजुर तगी से लड़ा करता था और अपने हाथ में चांदी के और सेने के ओर तांबे के पात्र लाये ॥ १। दाऊद राजा ने उन्हें उस चांदी और सेने सहित जा उस ने सब जातिगएणोां से जिन्हें उस ने बश में किया॥ २९२। अथात सरिया से और मौअब से और अस्मन के संतान से और फिलस्तियों से ओर अमा- लौक से और रूबः के राजा रिहेब के बेटे हटट्अजर से लट में ले लिया था परमेग्वर के समर्पण किया ॥ १५३। झऔर जब दाऊद अटारह सहस्त स॒रियानियां का नान की तराई में मार के फिर आया तब उस कौ कौत्ति फेली॥ ९४। और उस ने अट्टम में चे।कियां बैठाई और सारे अट्टम में चैकियां ओर सारे अट्टगी भी दाऊद के सेवक हुए और जहां कहीं ट्/ऊद गया परमेग्वर ने उस की रच्ता किई॥ २९५। और ट्ाजद सारे इसराएल पर राज्य करता रहा और दाऊद अपनी समस्त प्रजा के लिये विचार और न्याय करता था ॥ ९६ । ओर जरूयाहइ का बेटा यूअब सेना पर था और अखिलद का बेटा यह्सफ्त स्वारक था ॥ २९७। अखितूब का बेटा सट्टक और अबविवतर का बेटा अखिमलक याजक थ ओर शिरा- याह लेखक था॥ १५८। ओर यह्ूय<*: का बेटा बिनायाह करोती ओर पलौती पर था और दाऊद के बेटे प्रधान आज्नाकारी थे। € नवां पब्ब । | टाऊद ने कहा कि अब भी साऊल के घराने में से काई बचा कहे कि में उस पर यहूनतन के लिये कृपा करूं॥ २। ओर साऊल के घराने का एक सेवक सोबा नाम था ओर जब उन्‍हें ने उसे दाऊद पास बलाया राजा ने उसे कहा कि त सोबा हे वह बाला में आप का सेवक॥ ३। तब राजा ने पछा कि साऊल के घराने में से और काई भी हे जिसतें ६२० समृएल [९० पब्थ मैं उस पर ईय्यरीय कृप। टिखाऊं और सौबा ने राजा से कहा कि अब लो यहनतन का एक लंगड़ा बेटा है॥ ४ | तब राजा ने उसे पूछा वुच्द कहां हे सोबा ने राजा से कहा कि ट्खिये अमिएल के बटे मकौर के घर लाटौबार में हे॥ ५। तब दाजद राजा ने भेज के अमिएल के बेटे मकौर के घर से जा लादौबार में है उसे मंगवा लिया॥ ६। और जब साऊल के बट यह्ूनतन का बेटा मिफिबसत दाऊद पास पहुंचा तब उस ने ओंधा गिर के टंडवत किई तब द्ाजटद ने कहा कि मिफिबसत और उस ने उत्तर दिया ट्खिये तेरा सेवक है॥ ७। और टाजट ने उसे कहा कि मत डर क्यांकि निे्य्य तेरे पिता यक्लननतन के लिये तम्क पर अनग्रह करूमा जर तेरे पिता साजल की सारी भमि तम फेर टेजंगा: और त मेरेमंच पर /नित भाजन किया कर ॥ ८ ॥ तबः उस ने दंडवत किई और कहा कितेरा सेवक क्याकि आप मक्म से मरे हुए कुत्त पर दृष्टि करं॥ <। तब राजा ने साऊल के सेवक सीबा का बलाया ओर उसे कहा कि में ने सब जा कुछ कि साऊल का ओर उस के घराने का था तेरे खामी के बट का द टिया क्ेै। ९०। सात अपने बेटों और सेवकेां समेत उस के लिये भमि जोत ओर ले आ जिसतें तरे खामी के खाने का रहे परंत मिफिबसत जो तेरे खामी का बेटा कहे नित मेरे मंच पर भाजन किया करेगा ओर सौबा के पंट्रह बेटे और बौस सेवक थे ॥ २९९। तब सौोबा ने राजा से कहा कि सब जा मेरे प्रभ राजा ने अपने सेवक का कहा से। तेरा सेवक करेगा परंत मिफिबसत जो हि से मेरे मंच पर राज पत्रों में से एक के समान खायगा॥ २९५२। ओर मिफिबसत का एक छाटा बेटा था जिस का नाम मोक्त था और सब जितने कि सौबा के घर में रहते थे मिफिबसत के सेवक थ ॥ १३। से मिफिबसत : यरूसलम में रहा क्योंकि वह राजा के मंच पर सदा भाजन करता था और दाने पाओं से लंगड़ा था ॥ २० ट्सवां पब्थ । स के पोछू ऐसा हुआ कि अस्मन के संतान का राजा मर गया और उस का बेटा हनन उस के राज्य पर बैठा॥ २। तब दाजद २० पत्व] कौ २ पस्तक । ६२९ मे कहा कि में नाहस के बेटे हनन पर अनग्रह करूंगा जैसा उस के पिता ने मस्क_्त पर अनग्रह किया से दाऊद ने अपने सेवक का भेजा कि उस के पिता के लिये उसे शांति दवे और टाऊद के सेवक अम्मन के संतान के हेश में पहुंचे॥ ३। और अस्मन के संतान के अध्यक्षां ने अपने प्रभ हनन के कहा कि तेरी दृष्टि में क्या दाजट तेरे पिता की प्रतिष्ठा करता है कि उस ने शांतिदायकों को तेरे पास भेजा के क्या टाजट ने अपने सेवकों के तेरे पास इस लिये नहों भेजा हे कि नगर का ट्ख लेव और उस का भेद लेवं और उसे नाश करें॥ ४। तब हनून ने दाऊद के सेवकों के पकड़ा और हर एक कौ आधी दाढ़ी मंंड़वाई और उन के बस्लों के बीच से अधथैत पद्रे ला काटा और उन्‍हें फेर भेजा॥ ५। से दाऊद के संदेश पहुंचा और उस ने उन्हें आगे से लेने के लिये लाग भेजे इस कारण कि वे अत्यंत लज्जित थे से राजा ने कहा कि जब लॉ तम्हारी टाढ़ियां बढ़ें यरोहे! में रहे! उस के पीछ चले आओ॥ &६। और अस्मन के संतान ने ज्यों टेखा कि हम दाऊद के आगे दगेंघ हें ते अस्मन के संतान ने भेज के बेतरहुब के सरियानियों के और रूबः के सरियानियों के बौस सहस्त पेट्ल और मअकः के राजा से सहस्त जन और तब के बारह सहख जन भाड़े पर लिय ॥ ७। और दाऊद ने यह सन के यअब और सरों की सारी सेना के भेजा ॥ ८ । तब अस्मन के संतान निकले ओर नगर के फाटक की पेट में यद्व के लिये पांती बांधी और सूबः के और रह्ब के सरियानी और तब और मअकः आपी आप चागान मेंथ॥ <। जब यअब ने अपने आगे पोछ लड़ाई का साम्ना ट्खा तब उस ने इसराएल के चने हुए में से चन लिये ओर सरियानियों के सामने पांती बांधी॥ १५०। और खबरे हुए लागों का अपने भाई अबिशे के सपा कि अस्मन के संतान के आगे पांती बांधेन। ९५९५। और कहा कि यदि सरियानौ मस्क पर प्रबल हेवें तोत मेरी सहाय कौजिया परंत यदि अस्मन के संतान तम्क पर प्रबल होतवें तो में आके तेरी सहाय करूगा॥ २२। ठढाढ़स कर और अपने लागां के लिये और अपने ईग्र के नगरों के लिये पुरुषा्थ कर और परमेग्यर जा भला जाने से करे॥ ९३। तब युअब और उस के साथ के लोग सरियानियों के ई२२ समएल [२१९ पब्बे सन्मख बढ़े और वे उस के आगे से भागे ॥ ५४। और अस्मन के संतान भी यह ट्ख के कि सरियानी भागे वे भी अबिशे के आगे से भागे और नगर में घुसे से! यअब अस्भून के संतान के पीछे से फिर के बरूसलम के आया॥ २९५४ । ओर जब सरियानियों ने देखा कि हम इसराएल के आगे मारे गये वे एकड्रे बटुर गये॥ ९६। ओर हट्दअजर लोग भेज के नदी पार से सरियानियों के ले आया और वे होलम में आये और साबिक जे! हट्ट्अज॒र की सेना का प्रधान था उन के आग आगे चला ॥ १५७। और जब दाऊद का कहा गया वह सारे इसराणलियों के एकट्ठा करके यरट्न पार उतरा ओर हिल्म के आया और सरियानी ने दाऊद के सनन्‍्मख पांती बांधी ओर उससे लड़े॥ ९५८। और सरियानी इसराएल के साम्ने से भाग और टाजट ने स।त से! रथों के सरियानौ और चालौस सहसख घाड़चढ़े मारे और उन की सेना के प्रधान साबिक के मार लिया और वुच्च वचों मर गया॥ १५८। गऔर जब उन राजाओं ने जो हद्द- अजुर के सेवक थे ट्खा कि वे इसराएल के आगे मारे गय तब उन्‍्हों ने इसराएलियों से मिनाप किया और उन कौ सेवा किई से। सरियानौ फेर अम्मन के संतान कौ सहाय करने का डरे। २९ ग्यारहवां पब्बे । ञ्ै 7र जब बरस बीत गया कि राजा लड़ाई पर चढ़ते हैं यों हुआ कि दाऊद ने अपने सेवकों के! और समस्त इसराएल के यअब के साथ भेजा और उन्‍हें ने अस्मन के संतान के नाश किया ओर रब्बः का घेर लिया परंत दाऊद यरूसलम में रह गया॥ २। और णक संध्या काल को यों हुआ कि टाऊट्‌ अपने बिछने पर से उठा और राज भवन कौ छत पर टहलने लगा ओर वहां से उस ने णक स्तरों के स्नान करते ट्खा और वह ट्खने में अत्यंत संट्री थी ॥ ६। और दाऊद ने भज के उस स्त्री का खाज किया किसौ ने कहा कि क्या वह इलिआम कौ बेटी बिन्तसबअ ऊरियाह चित्ती की पत्नी नहीं है॥ ४। और दाऊद ने ट्वत भेज के उसे दुला लिया और वह दाऊद पास आई से। उस ने उसमे रति किया क्योंकि व॒ुद्द अपनी अपवित्रता से पवित्र हुईं थी फिर वुद्द अपने घर के चली २९ पन्बे] कौ २ पस्तक । ६२३ गई॥ ५। और वह स्त्री गर्भिणी हुई और ट्ाऊ द का कहला भेजा कि में गरभिणी ह्॥ ६। और टाऊजट ने यअब के कहला भेजा कि छित्ती करि याह का मस्क पास भेज दे से यअब ने ऊरियाह के ट्ाऊदट पास भेज दिया॥ ७। और जब ऊरियाचह उस पास आया तब दाजट ने यअब का अरू ओऔर लोगों का कुशल ज्ञषम और लड़ाई का समाचार पकछा॥ ए८। फिर टाऊद ने ऊरियाह के कहा कि अपने घर जा ओर अपने पांव घा तब ऊजरियाह राजा के घर से निकला और उस के पीछ पोछ राजा के घर से भाजन गया॥ ८ । पर ऊजरियाह राजा के घर की ड्वढ्ौ पर अपने प्रभु के सेवकों के साथ से! रहा ओर अपने घर को न गया॥ ९०। और जब टाऊद का कहा गया कि ऊजरियाह अपने घर नहीं गया तब दाऊद ने ऊरियाह से कहा कि क्या त यात्रा से नहों आया फेर त अपने घर क्यों नगया॥ ९९। और ऊरियाह ने दाऊट से कहा कि मंजषा और इसराएल ओर यहूदाह तंबओं में रहते हें और मेरा प्रभ यअब और मेरे प्रभ के सेवक खले चोगान में पड़े हुए हैं और में क्यांकर अपने घर जाऊं जर खाऊ॑पीऊजं ओर अपनो स्त्री के साथ से। रह तेरे जोवन से और तेरे प्राण के जीवन लों में ऐसा न करूंगा ॥ १५२। फिर टाजद्‌ ने ऊरियाह का कहा कि आज के टन भी यहीों रह जा और कल में तम्क भेजंगा से! जरियाद्र उस दिन भी प्रातःकाल लॉ यरूसलम में रह गया॥ २३ । तब दाऊद ने उसे बला के अपने साम्ने खिलाया पिलाया और उसे उन्म्रत्त किया सांमक का वह बाहर जाके अपने प्रभ के सेवकों के साथ अपने बिछी ने पर से! रहए परंतु अपने घर न गया॥ ९४। ओर प्रातःकाल याँ हुआ कि दाऊद ने बअब के चिट्ठी लिख के जरियाह के हाथ भेजी ॥ १५५ । जऔरं उस ने चिट्ठी में यह लिखा कि जरियाह के। भारी लड़ाई के आगे करो और उस के पीछ से हट जाओ । जिसतें बह मारा जाय॥ १५६। ओर एसा हुआ कि जब यञब ने उस नगर का भेंट ले लिया तो उस ने ऊरियाह का एसे स्थान में ठहराया जहां वह जानता था कि रूरमा हैं॥ ९७। ओर उस नगर के लाग निकले और यअब से लड़े और दाऊद के सेवकों में से गिरे ओर हित्ती जरियाह भो मारा गया ॥ २४8 द समृणल [२२ पच्ब ५८च। तब टझअब ने यद्य का समस्त समाचार दाऊद के कहला भेजा॥ ९५९। और द्वत के आज्ञा किई कि जब तू राजा से य॒द्व का समाचार कह चुके॥ २०। तो यदि एसा हे। कि राजा का क्राध भड़के खेर वह तम्के कहे कि जब तम लड़ाई पर चढ़े तो नगर के निकट क्यों आये क्या तम न जानते थ कि वे भौत पर से मारेंगे॥ २२९। यरूुब्बसत के बेटे अविमलिक का किसने मारा एक स्त्री ने चक्की का पाट भीत पर से उस पर नहों ट्‌ मारा कि वह तेबीज में मरा तम भौत के नौचे क्यां गये थे तबकहिया कि तेरा सेवक हिक्षो ऊरियाह भी मारा गया॥ २२। से टूत बिटदा हुआ और आया ओर जो कुछ कि युअब ने कद्दला भेजा था से दाऊद के। सुनाया॥ २३। और दूत ने दाऊद से कहा कि लोग हम पर प्रबल हुए और वे चोगान में हम पर निकले और हम उन्हें रगेटे हुए फाटक को पैठ ला चले गये ॥ २४। तब घनुषधारियों ने भौत पर से तेरे सेवकां के बाण से मारा और राजा के कितने ही सेवक मारे गये ओर आप का सेवक हित्ती ऊरियाह भी मारा गया॥ २५। तब टाजर ने ट्रत से कहा कि यअब के जाके उभाड़ और कह कि यह बात तेरी दृष्टि में बरी न लगे क्यांकि खड़ा जेसा एक को वसा ट्ूसरे का काटता क्ञषेत नगर के सान्‍्ने संग्राम के हढ़ कर और उसे ढठा दर ॥ २६। और ऊरियाह कौ स्त्री अपने पति ऊरियाह का मरना सन के बिलाप करने लगी॥ २७। ओर जब शोक के दिन बीत गये तब दाऊद ने उसे अपने घर बलवा लिया और वह उस कौ पत्नी हुई ओर वह उस के लिये बेटा जनी परंत जा कुछ कि टाऊद ने किया परमेस्वर की दृष्टि में बुरा था। ९२ बारहवां पब्ब ॥ ञी' परमेम्वर ने नातन के दाऊद पास भेजा ओर उस ने उस पास अआके कहा कि नगर में दो जन थे एक तो धनी ट्वरसरा कंगाल ॥ २। उस घनी के पास बहुत से म्ंड ओर ठार थे॥ ३। परंत उस कंगाल के पास भेड़ की एक पठटिया का छोड़ कक न था उसे उस ने मेल लिया और पाला था और वच्द उस के ओर उस के बालबच्चों के साथ बढ़ी २२ पब्ब ] की २ प॒स्तक। ६२५ और उसी ही का कार खाती ओर उसी ही के कटा रे से पीती थी और उस कौ गाद में सोती थी और उस के लिये कन्या के समान थी॥ ४। और उस घनमान के पास एक पथिक आय! तब उस ने उस के लिये सिद्ध करने के अपने ही म्ंड गरर अपने हो ठार के! बचा रक्खा परंत उस कंगाल की पठिया लिई ओर उस परुष के लिये जे! उस पास आया था पकवाय[॥ ५। तब दाऊद का क्राध उस पुरुष पर बहुत भड़का ओर उस ने नातन से कहा कि परमेश्वर के जीवन से जिस पुरुष ने यह काम किया से निश्चय मार डालने के याग्य है ॥ ६ । और बुच्द पठिया चैागुनी उसे फेर टे इस कारण कि उस ने ऐसा काम किया और कुछ मया न किई॥ ७। तब नातन ने दाऊद से कहा कि वह परुष त हो हे परमेश्रर इसराएल का ई ग्घर यों कहता हे कि में ने तमके इसराएल पर राज्याभिषेक किया है और में ने तुक्के साऊल के हाथ से छड़ाया॥ ८। ओर में ने तेरे खामी का घर ते दिया और तेरे खामी की स्त्री के तेरी गोद में दिया और इसराएल और यहृदाह का घराना तस्के दिया और यदि यह थोड़ा था तो में तस्मे एसो बेसी बस्त भी टेता॥ 6। त नेक्यों परमेग्थर की आज्ञा की निंटा किई कि उस की दृष्टि में बराई कर त ने हित्नी ऊरियाह के खड़' से मरवाया और उस की पत्नी के! लेके अपनी पत्नी किया ओर उद्ते अम्मून के संतान के खड्ू से मरवा डाला॥ १५० । इस लिये अब तेरे घर से खड़ कभी जाता न रहेगा इस कारण कि तू ने मुझे तुछ किया और हित्ती ऊरियाह को पत्नी के! लेके अपनी पत्नी किया॥ २९९१। परमेग्रर यों कहता हे कि ट्ख में तेरे हो घर से तुभ्क पर बुराई उभारूंगा और में तेरी आंखां के आगे तेरी पत्नियों केः लेके तेरे परोसी के टेऊंगा और वुह्द इस सुये के साम्न तेरी पत्नियों के साथ अकस्म करेगा॥ ९१२। क्योंकि त्‌ ने छिप के किया पर में यह सारे इसराएल के सामने और रहये के सामने करूंगा ॥ २९३। तब टाऊद ने नातन से कहा किसमें ने परमेग्वर का अपराध किया और नातन ने दाऊद से कहा कि परमेश्र ने भी तेरे अपराध को टूर किया तन मरेगा॥ १५४। तथापि इस काम के कारण से तने परमेश्वर के बेरियां के। उस की अपनिंदा करने का कारण ट्या लड़का भो जो तेरे लिये उत्पन्न क्षे निश्चय मर जायगा | 79 (8. 8. 8६] ६२६ समृएल [१५२ पच्च ९५ | से नातन अपने घर के! शया और परमेश्र ने उस लडके के जो जरियाइह की पत्नी टाऊट के लिये जनी थी मारा कि वह बड़ा रागी हुआ॥ २९१५६। इस लिये टाऊट मे उस लड़के के लिये ईम्घर से बिनती कई और ब्रत रक्व! और भीतर जाके सारी रात भमि पर पड़ा रहा ॥ १५७। ओर उस के घर के प्राचीन उसे भूमि पर से उठाने के आये परंतु उस ने न चाहा और न उन के साथ भेज्न किया ॥ १८। और सातवें दिन वुच्द लड़का मर गया और दाऊद के सेवक उसे कहने से डरे कि लड़का मर गया ह्योंकि उन्हां ने कहा कि देखे। जब लड़का जीता ही था तब-हम ने उसे कहा और उस ने हमारी बात न मानी और यदि हम उसे कहें कि लड़का मर गया फेर वुह्द आप को कैसा कष्ट टेगा॥ १५९। पर जब दाऊद ने देखा कि उस के सेवक फुसफसा रहे हैं उस ने बस्का कि लड़का मर गया इस लिये दाऊद ने सेवकों का कहा कि क्या लड़का मर गया वे बोले कि मर गया॥ २०। तब टाऊट भमि पर से उठा और नहाया और समंध लगाया और बस्त बदला और परमेश्वर के घर में आया झर टंडवत किई तब वह अपने घर गया और जब उस ने चाहा तब उस के आगे रोटी धरी गई और उस ने खाई॥ २१५। तब उस के सेवकों ने उसे कहा कि आप ने यह कैसा किया कहे जब लॉ लड़का जौता था आप ने ब्रत करके बिलाप किया परंतु जब लड़का मर गया तब उठके रोटी खाई ॥ २२ | और उस ने कहा कि जब ले लड़का जौता ही था तब लॉंमें ने ब्रत करके बिलाप किया चह्योंकि में ने कहा कि कान जानता क्े किईय्थर मुम्य पर अनुग्रह करेगा जिसतें लड़का जीथे॥ २९३६। पर अब ते वह मर गया से! में किस लिय ब्रत करूं क्या में उसे फर ला सक्ता हूँ में उस पास जाऊंगा पर वह मक्क पास फिर न आवेगा ॥ २४। ओर दाऊद ने अपनी पत्नी बिन्तसवञ्च के शांति दिई. और उस पास गया और वह बेटा जनी और उस ने उप का नाम सलेमान रक्‍्वा और परमेश्वर उस्म प्रीति रखता था॥ २५ | ओर उस ने नातन आंगम- ज्ञानो के द्वारा से कहला भेज के उस का नाम परमेग्वर के कारण परमेग्घर का प्रिय रक्खा॥ २६। और यअब अम्मन के संतान के रब्बः से लड़ा और राज नगर ले लिया॥ २७। फिर यचब ने ह॒तें के! भेज के दाजद्‌ २३ पच्बे) कौ २ पस्तक। ६२७ का कहला भेजा कि में रब्बः से लड़ा और में ने पानियां के नगर के ले लिया॥ २८। अब आप जबरे हुए लागों के। एकट्टा करिये ओर इस नगर के आगे छावनी करके उसे लीजिये न हे। कि में उस नगर के लेऊं और मेरा नाम उस पर हेवे॥ २८ । तब दाऊद ने सारे लोग एक किये और रब्बः पर चढ़ा और लड़ के उसे ले लिया। ३०। और उसने वहां के राजा का मकुट उस के सिर पर से लिया उस का तेल रह्न सहित एक तोड़ा सेने का था आर वह टाजट्‌ के सिर पर था और उस ने उस नगर से बहुत सौ लूट निकाली॥ ३९। ओर उस ने उस में के लागों के! बाहर निकाल के आरों और लेहे के दावने की गाड़ो से और कुल्हाड़ें के नीचे किया और उन्हें ईंट के पेजावे में से चलाया और उस ने अम्मन के संतान के सारे नगरों से ऐसा ही किया और दाऊद सेना समेत यरूसलम का फिरा। ९३ तेरहवां पब्बे । ८९ हो इस के पीछ ऐसा हुआ कि दाऊद के बटे अबिसलम की एक संदर बद्िन थी जिस का नाम तमर ओर दाऊद के बेटे अमनन ने उस पर मन लगाया था॥ २। ओर अमनन णेसा बिकल हुआ कि अपनो बहिन तमर के लिये रोगी हुआ क्यांकि वह कआरी थी पर कुछ बन न पड़ता था॥ ३। परंत अमनन का एक मित्र था जिस का नाम यनदब जा दाऊद के भाई सिमआह का बेटा था आर यनदब एक अति चतर जन था॥ ४। से उस ने उसे कहा कि राजा का बेटा हेोके त्‌ क्यों प्रति दिन दु्बेल होता जाता हे क्या त मस्त से न कहेगा तब अमनून ने उसे कहा कि मेरा जीव अपने भाई अबिसलम की बह्चिन तमर पर लगा है॥ ५। तब यनट्ब ने उसे कहा कि त अपने बिछोने पर पड़ा रह ओर आप को रोगौ ठचदरा और जब तेरा पिता तुस्ते देखने आवे तो उसे कहियोा कि में आप की बिनती करता हूँ कि मेरी बहिन तमर का आने टोौजिये कि मस्ते कुछ खिलावे और मेरे आगे भाजन बनावे जिसतें में टेखं ओर उस के हाथ से खाऊं॥ ६। से अमनन पड़ा रहा और आप के रोगी ठहराया ओर जब राजा उसे टेखने के! आया हर्ष समुएल [१६३ पतब्ओ ते अमनून ने राजा से कहा कि में आप कौ बिनतो करता हूं कि मेरी बहिन तमर के! आने दौजिये कि मेरे आगे दा फुलके पकावे जिसते में उस के हाथ से खाऊं। ७। तब दाऊद ने तमर के घर कहला भेजा कि अभी अपने भाई अमनन के घर जा ओर उस के लिये भाजन बना ॥ ८। से तंमर अपने भाई अमनंन के घर गई गज र वह पड़ा हुआ था और उस ने पिसान लेके गंधा और उस के आगे फलके बनाये ओर पकाये॥ €। और उस ने एक पात्र लिया ओर उन्‍हें उंच के आगे उंडेला पर उस ने खाने का नाह किया तब अमनन ने कहा कि सब जन मझ्क पास से बाहर निकल जाओ । से। हर एक उस पास से बाहर गया ॥ ९०। और अमनन ने तमर के कहा कि भाजन काठरी के भीतर ला कि में तरे हाथ से खाऊं से! तमर फलके जो उस ने बनाये थे डठा के केटरी में अपने भाई अमनन पास लाई॥ २९९। और जब वह खिलाने के लिये उस के आगे लाई उस ने उसे पकड़ा और उसे कहा कि अर बहिन मेरे संग लेट जा ॥ ९२ । पर वह बाली नहों भाई मस्फे निंटित मत कर क्योंकि इसराएलियां में यह बात उचित नहों से! ऐसोौ मखंता मत कर॥ २९६३। और में किघर अपना कलंक छड़ाऊं ओर त जो हि से इसराएंलियों में एक मढ़ कौ नाई हेगा सेए में तरी बिनतों करती हूं कि राजा से कहिये वह मस्ते तक से न रोकेगा॥ १५४। तथापि उस ने उस की बात न मानो परंत उसमे प्रबल हे।के बरबस किया और उर्शी अकस्मे किया ॥ ९१४५ । तब अमनन ने उससे अति घिन किया यहां लो कि जिस घिन से घिन किया ऊस प्रीति से जा वह उससे रखता था अधिक हुआ और अमनन ने उसे कहा कि उठ टूर होा॥ ९५६। और उस ने उसे कहा कि यह बराई कि त ने मम्मे निकाल टिया उद्मे जात ने मस्त से किई अधिक है पर उस ने न माना। १५७। तब अमनन ने अपने सेवा करवेये एक दास के बुला के कहा कि अब इसे मुम् पास से निकाल दे और उस के पीछ द्वार में अगरी लगा॥ १५८। और उस पर बहुरंग बस्त्र था क्योंकि राजा कौ कुंआरी बेटियां एसा हो बस्त्र पहिनती थों तब उस के सेवक ने उसे बाहर कर दिया और उस के पीछे दार पर अगरी लगाई ॥ ९५९। और तमर ने सिर पर धुल डालो ओर अपना २३ पब्बे ] को २ पुराक । ६२८ बहुरंगी बस्तर फाड़ा और सिर पर हाथ घर के रोती चली गई॥ २०। और उस के भाई अबिसलम ने उसे कहा कि क्या तेरा भाई अमनन तेरे संग हुआ परंत हे बहिन अब चवपकी हे। रह वह तरा भाई के उस बात पर अपना मन मत लगा तब तमर अपने भाई अबिसलम के घर में अति डउदासौन पड़ी रहौ॥ २९। परंतु दाऊद राजा इन सब बातों का सन के अति क्रद्द हुआ ॥ २२। ओर अबिपलम ने अपने भाई अमनन के कुछ भला बरा न कहा इस लिये कि अबिसलम अमनन से घिन करता था क्योंकि उस ने उस कौ बहिन तमर से बरबस कियाथा॥ २३। और परे दा बरस के पीछे ऐसा हुआ कि बअल हरूर में जा इफरायम के लग हु अबिसलम को भड़ा के राम कतरवय थे तब अबिसलम ने राजा के सब बेटां का नेउंता टिया॥ २९४। और अबिसलम राजा पास आया और कहा कि देखिये अब तरे सेवक की भड़ों के ऊन कतरवैथे हें सेः अघ में तेरी बिनती करता हूं कि राजा और उस के सेवक भौ तेरे दृएस के साथ चलें॥ २५। तब राजा ने अविसलुम से कहा कि नहीं बेटे हम सब के सबन जायें जिस्तें न हे। कि तुक्क पर भार हे(वे ओर उस ने डसे बहुत मनाया परंतु तदभी वुह्दन गया पर उसे आशीष दिया॥ २६। तब अबिसलम ने कहा कि यदि नहों तो में आप की बिनती करता हूं कि मेरे भाई अमनन का हमार साथ जाने टौजिये तब राजा ने डसे कहा कि वुष्द किस लिय तेरे साथ जाय॥ २७। परंतु अबि- सलुम ने उसे बहुत मनाया तब उस ने अमनून के! ओर सारे राज पत्रों का उस के साथ जाने दिया॥ र८। और अबिसलम ने अपने सेवकां का कह रक्‍खा था कि चौन्ह रक्वेो कि जब अमनन का मन मदिरा से मगन हेवे ओर में तम्हं कहूं कि अमनन के! मारो तब उसे घात कीजियो डरिये! मत क्या में ने तम्हें आज्ञा नहों किई से टाढ़स और सरता कौजिया॥ २८। गऔर जेसो कि अबिसलम ने उन्हें आज्ञा किई थी वसा हो उस के सेवकों ने अमनन से किया तब समस्त राज पत्र उठे और हर एक जन अपने अपने खच्चर पर चढ़ भामा ॥ ३०। ओर एऐसा हुआ कि उन के मागे में हेते ही टाऊट पास यह समाचार पहुंचा कि अविसलुम ने सारे राज पत्रों का मार डाला और ८ श्र सम्‌एल २९४ पब्बे उन में से एक भी न बचा ॥ ३९॥। तब राजा उठा और अपने कपड़े फाड़ और भूमि पर लेट गया ओर उस के सारे सेवक भी कपड़े फाड़ के उस के आगे खड़ हुए। ३२९। तब दाऊद के भाई सिमआह का बेटा यूनदव उत्तर टेके बाला कि मेरेप्रभु ऐसा न समस्में कि समस्त तरुण अशथत््‌ राज पत्र मारे गये क्योंकि अमनन अकेला मारा गया इस लिये कि जिस टन से अमनन ने अबिसलम की बहिन तमर कौ पत खेोई उस ने यह बात ठान रक्‍्खी थी॥ ३३। से। अब मेरा प्रभ राजा इस बात के न समस्के कि समस्त राज पत्र मारे गये क्योंकि केवल अमनन मार! गया ॥ ३४। परंतु अबिसलम भागा और उस तरुण ने जो पहरे पर था आंखें उठाई और दृष्टि किई और क्या देखता हे कि बहुत से लाग मागणे में पहाड़ की ओर से उस के पीछे आते हें॥ ३५। तब यनदब ने राजा से कहा कि दे खिथ तेरे दास के कहेवो समान राज पत्र आये ॥ ३६। और ऐसा हुआ कि जब वह कह चका तब राज पत्र आ पहुंचे और चिज्ना चिल्ला विलाप किये राजा और उस के समस्त सेवकें ने बहुत बिलाप किया॥ ३७। पर अबिसलम जरूर के राजा अन्मिह्र के बेटे तलमी पास गया और दाऊद प्रतिदिन अपने पत्र के लिये रोता था। ३८। और अबि- सलम भाग के जरूर में गया और तीन बरस ले वहां रहा ॥ ३६। और दाऊद राजा का मन अबिसलम पास जाने का बहुत था क्योंकि अमनन के मरने के बिषय में उस का मन शांत हुआ ॥ ९४ चोटइहवां पब्ब । ब जरूयाह के बेटे यअब ने देखा कि राजा का मन अबिसलुम की जा है॥ ५। तब यञ्ब ने तकअ में भेज के वहां से एक बच्धि मती स्त्री बलवाई ओर उसे कहा कि में तेरी बिनती करता हूं कि उदासी का भेष बना ओर उदासी बस्तर पहिन और अपने पर तेल मत लगा परंत ऐसा हो जेसे काई स्त्री जिस ने बहुत ट्नि से स्टतक के लिये बिलाप किया है॥ ३। और राजा पास आ ओर इस रीति से उद्समे कह से यूअब ने उस के मंच में बातें डाली ॥ ४। और जब तक़्ञ की १४ पतले] कौ २ पुस्तक । ६३४ स्त्री राजा से बोली वह भमि पर ओंघे मंह गिरी आर हंडवत करके बेली कि हे राजा छड़ाइये ॥ ५। तब राजा ने उसे कहा कि तरफ क्या हुआ गैर वह बालो में निश्चय विधवा स्त्री हूं और मेरा पति मर गया क्षे। ६। ओर आप की ट्ासी के दो बेटे थे उन होनों ने खेत में भागड़ा किया और उन में कोई न था कि छड़ावे और णक ने दुसरे के। मारा और बध किया॥ ७, ओर ट्खिये कि सारे घराने आप कौ ट्ासी पर उठ हैं और वे कहते हैं कि जिस ने अपने भाई के मार डाला उसे हमें सौंप दे जिसतें हम उस के भाई के प्रएण कौ संती जिसे उस ने घात किया लसे मार डालें और हम अधिकारी का भी नाश करेंगे ओर थीं वे मेरी बची हुई चिनगारी को भी बुकका डालेंगे ओर मेरे पति के नाम और बचे हुए का भूमि पर न छोड़ेंगे॥ ८। तब राजा ने उस स््ी से कहा कि अपने घर जा ओर में तेरे बिषय में आज्ञा करूगा॥ €। तब तक की उस स्त्री ने राजा से कहा कि मेरे प्रभ राजा सारो बराई मम्क पर ओर मेरे पिता के घराने पर हे।ववे और राजा और उस का सिंहासन निदाष रहे॥। २९०। तब राजा ने कहा कि जो कोाई तम्ते कुछ कहे उसे मम पास ला और वह फिर तम्के न छथेगा॥ ११५। तब वह बोली में बनती करती हूं कि राजा अपने ईय्बर परमेम्वर का स््रण करे कि रूधिर का पलटा द्ायक मेरे बेटे के! घात करने के न बढ़े तब वुच्द बेला परमेश्वर के जीवन से तेरे बेटे का एक बाल भी भूमि पर न गिरेगा॥ १५२९। तब उस स्त्रो ने कहा कि में तरी बिनती करती हूं कि अपनो ढासी के एक बात अपने प्रभु राजा से कदने दौजिये व॒च्द बाला कहे जा॥ १५३। तब उस स्त्रो ने कह किआप ने किस लिये ईग्धर के लागों के बिरूद्ू ऐसी चिंता किई क्योंकि राजा ऐसी बात कहते हें जैसा काई इस बात में टे।षी हे कि राजा भेज के अप्ने निकाले हुए के घर में फेर नहीं लाते॥ ९५४। क्यांकि हमें मरने पड़ेगा और पानी के समान हें जे। भूमि पर गिराया जाके बटोरा नहीं जा सक्ता और ई स्वर भी मनव्यत्व पर दृष्टि नहीं करता तथापि वुह युक्ति करता क्षे कि उस का निकाला हुआ उसमे अलग न रहे॥ ९५ । से; अब ज्ञा में अपने प्रभु राजा पास इस बात के विषय में कहने आई हूं इस कारण कि लागों ने ह्‌ं३२ समएल [१४ पब्बें मुझे डराया और आप कौ दासौ ने कहा कि में आप राजा से कहूंगी कट्ाचित राजा अपनी टासो को बिनती सनें॥ २६। क्योंकि राजा अपनी टासी के उस परुष के हाथ से छड़ाने के सनेंगे जा मस्ते और मेरे बेटे का इईंश्र के अधिकार से निकाल के मार डाला चाहता है। ९७। तब तेरी टासी बाली कि मेरे प्रभ राजा की बात कुशल कौ हेगो क्यांकि मेरे प्रभ राजा भला बरा सतन्ने में ईश्वर के दूत के समान हें इस कारण परमेग्वर तेरा ई स्वर तेरे साथ हेगा ॥ १५८। तब राजा ने उस स्त्री के। कहा कि जो कुछ में तुम्क से पूछ तू मुझ से मत छिपा ओर स्त्री बेली कि मेरेप्रभ राजा कहिये॥ १५८। तब राजा ने कहा कि क्या इन सब बातों में यञ्मव भो तेरे साथ नहों उस स्त्री ने उत्तर टिया कि तर प्रएण कौ किरिया हे मेरे प्रभ राजा काई इन बातों में से जा प्रभ राजा ने कहीं हैं दहिने अधवा बायें जा नहीं सक्ती क्योंकि तरे सेवक यअब ही ने मर्स यह कहा है और उसो ने यह सब बातें तेरी दासौ के मंह में डालों ॥ २०। तेरे सेवक यअब ने यह बात इस लिये किई जिसतें इस कहने का डेल बनावे और झथिवी के समस्त ज्ञान में मेरा प्रभ॒ ईस्र के टूत के समान बद्विमान ह॥ २९। तब्र राजा ने यअब का कहा कि ट्ख में ने यह बात किई है से जा ओर उस तरुण अबिसलम के फर ला॥ २२। से यअब भमि पर ओंघा गिरा ग्यर टंडवत किई ओर राजा का घन्य माना और यअब बाला कि आज तरे सेवक के निश्चय हुआ कि में ने तेरी दृष्टि में अनग्रह पाया कि हे मेरे प्रभ राजा आप ने अपने सेवक की बिनती मानी॥ २३ । फिर यअब उठ के जरूर के! गया और अविसलम के! यरूसलम में लाया॥ २५४। तब राजा ने कहा कि डसे कह्द कि अपने घर जाय और मेरा मंह न टेखे से। अबिसलम अपने घर गया ओर राजा का मंद न टेखा॥ २५। परंत समस्त इसराएल में कोई जन अबिसलम के तल्य संदर और प्रशंसा के याग्य न था क्योंकि तलवे से लेके चांदो ला उस में काई पय न थी॥ २६। और जब वह अपने सिर के बाल मंड़ाता था [क्योंकि हर बरस के अंत में उस का यह बंधेज था इस लिये कि उस के बाल बहुत घने थे] तेल में दा से मिशकाल राजा के बटखरे से होते थे। २७। और २५ पब्बें| कौ २ पक्षिंक । ६8३३ अविसलम के तौन बेटे उत्पन्न हुए और एक बेटी जिस का नाम तमर था बह बहुत संटर थोी॥ २८। से अबविसलम परे दा बरस यरूसलम में रहा और राजा का मंह न टेखा ॥ २८ । इस लिये अविसलम ने यअब का बलवाया कि उसे राजा पास भेजे परंत वह न चाहता था कि उस पांस आवे फिर उस ने दृह्दरा के बलवाया तब भी वह न आया॥ ३०। तब छस ने अपने सेवकों से कहां कि देखे युअब का खेत मेरे खेत से लगा है और वहां उस का जव हे सो जाओ और उस में आग लगाओ[ तब गअग्रबिसलम के सेवकों ने खेत में आग लगाई॥ ३९१५। तब यञ्यव उठा और अबिसलम के घर आया गऔर उससे कहा कि तेरे सेवकों ने मेरे खेत में क्यों आग लगाई॥ ३२। तबअबिसलम ने यअब का उत्तर दिया कि देख में ने तम्के कहला भेजा कि यहां आ कि में तम्के राजा पास भजके कहूं कि में जरूर से क्यां यहां आया मेरे लिये ता वहीं रहना अच्छा था से अब तू मुस्क राजा का मंच दिखा और यदि मुक्त में अपराध हे।वे ते वह मस्के मार डाले॥ ३३। तक यअब ने राजा पास जाके यह कहा और उस ने अब्सिलम के! बलाया से वह राजा पास आया और राजा के आगे औंधा गिरा और राजा ने अबिसनलम के! चमा | ९५ पंट्रहवां पब्बे । घोड़ ओर पचास मनव्य अपने आग दोड़ने के! सिद्ड किया॥ २। और अबिसलम तड़के उठा ओर फाटक की अलंग खड़ा हुआ और ये हैता था कि जब काई मगड़ा रखके राजा के न्याय के लिये आता था तब अबिसलम उसे बलाके पकता था कि त किस नगर का है उस ने कहा कि तेरा सेवक इसराएल की एक गोषठो में का हे ॥ ३। ग्यार अबिसलम ने उसे कहा कि टेख तेरा पट भला ओर टौक हे परंत राजा की ओर से काई ओ्रता नहों है ॥ ४ । और अविसलम ने कहा हाय कि में दृश में न्‍्यायी हे।ला कि जिस किसी का पट अथवा कःरणए हेता मम पास आता ओर में उस का न्याय करता॥ ५७ गज र जब केाई उस पास आता था कि डछसे नमस्कार करे ता वुच्द हाथ बढ़ाके उसे पकड़, 80 [4. 8. 8. -.# बातां के पीछे एसा हुआ कि अबिसलम ने अपने न्निये रथ ओऔरु ६३४ समएल (१५५ पब्व लेता था और उस का चमा लेता था। ६। ओर इस रौति से अबिसलम सारे इसराएल से करताथा ज्ञा राजा पास बिचार के लिये आते थे से अबिसलम ने इसराएल के मनुब्यां के मन चुराये॥ ७। और चालौस बरस के पीछ ऐसा हुआ कि अबिसलुम ने राजा से कहा कि में आप को बिनती करता हूं कि मुस्के जाने टौजिये कि अपनी मनेती का जा में ने परमेश्वर के लिये मानो हे हबरून में प्री करूं॥ ८। क्योंकि आप के दास ने जब अराम जरूर में था यह मनेतो मानी थी कि यदि परमेग्पर मुझे यरूसलम में निद्यव फेर ले जायगा तो म॑ परमेम्थर को सेवा करूंगा ॥ <€। तब राजा ने उसे कहा कि कुशल से जा से। वुच्द उठके हबरून का गया। ९ ०। परंत अबिसल्म ने इसराएल के संतांन को सारी गाछ्ियां में भरदियां के द्वारा से कहला भेजा कि जब तम नरसिंगे का शब्द सने। तब बाल उठा कि अबिसलम हबरून में राज्य करता क्षे ॥ १९ । ओर आबि- सलम के साथ यरूसलम से दो से मनव्य निकल आये ओर वे भालाई से गये थे वे कुछ न जानते थे ॥ ९२। ओर अबिसलम ने जे ली अखितफ्फल टाऊद के मंत्री के उस के नगर जैला से बुलाया जब बुच्द बलि चढ़ाता था और गुष्ट हढ़ हे रहा था क्योंकि अबिसलम पास लाग बढ़ते जाते थे ॥ ९३। तब एक द्रत ने आके दाऊद के कहा कि इसराएल के लागां के मन अबिसलम के पीछे लगे हों॥ ९४। तब दाजद ने अपने समस्त सेवकां के जा यरूसलम में उस के साथ थे कहा कि उठा भागें क्यांकि अबिसलम से हम न बच गे श*घ्र चला न हा कि वह अचानक हम पर आ पड़े ओर हम पर बराईं लावे ओर तलवार की धार से नगर का नाश करे॥ १५ । तब राजा के सेवकों ने राजा से कहा कि टखिय आप के सेवक जा कुछ कि प्रभु राजा की इच्छा हेय॥ ९६। तब राजा निकला ओर उस का सारा घराना उस के पीकछ हुआ ओर राजा ने दस स्त्रियां जा उस की ट्रासियां थीं घर देखने के छाड़ों॥ ५७। ओर राजा अपने सब लेगा समेत बाहर निकलके टूर स्थान में जा ठहरा॥ ९५८। ओर उस के सारे सेवक उस के साथ साथ निकल गये ओर सारे करोती और पलीतो ओर जञती छः से। जन जो जञ्रत से उस के पीछ आये थे २५ पब्षे] को २ पुस्तक । हइ्पू राजा के आगे आगे गये॥ १५७८। तब राजा ने जअती दइत्ती से कहा कि त भो हमारे साथ क्यों आता क्ले अपने स्थान के। फिर जा और राजा के साथ रह क्योंकि त परटेशी और निकाला हुआ क्षे । २०। कल ही तआया है और आज में तम्फे भ्वमाके चलाऊं और मेरे जाने का कहीं टिकाना नहीं से त फिर जा और अपने भाइथों काले जाओर दया और सत्य तेरे साथ हावे॥ २९१५। तब इत्तो ने राजा के उत्तर दके कहा कि परमेश्वर के ज्जर मेरे प्रभ राजा के जीवन से निशड्यय जिस स्थान में मेरा प्रभ राजा होवेगा चाहे रूत्य में चाहे जीवन में वहों आप का सेवक भी हागा॥ २२। ओर टाजद ने इज्ञी का कहा कि पार उतर जा तब इज्ती जञ्ती पार उतर गया ओर उस के सारे मनुय्य और उस के साथ सब लड़के बाले चले॥ २३। ओर सारे देश ने चित्ना चित्लाके बिलाप किया शेर सारे लेग डतर गये और राजा भो किदरून के नाले पार उतर गया और समस्त लोगों ने पार उतरके बन का मार लिया॥ २४। ओर देखे कि सट्टक भी ओर समस्त लावों ईश्वर की साक्तौ की मंजूषा लिये हुए उस के साथ थे से उन्हों ने ईम्र की मंज़षा के रख ट्या और अविवतर चढ़ गया जब लो कि सारे लाग नगर से निकल आये॥ २५। तब राजा ने सट्ृकु से कहा कि ई स्वर की मंजूषा नगर का फेर ले जा यदि परमेश्वर के अनुग्रह की दृष्टि म्॒क पर होगी तो वुच् मुस्के फेर लावेगा और उसे और अपने निवास को मुस्‍्झे ट्खिवेगा॥ २६ । पर यदि वह यो कहे कि अब में तर्क से प्रसन्न नहों टेख में जा वह भला जाने से| मम से करे। २७। ओऔर राजा ने सट्टकू याजक का फिर कहा क्या त दशशों नहों नगर का कुशल से फिर ओर तेरे संग तेरे हो बेटे अखिमअजु और यक्लनतन अबिवतर का बटा॥ २५८। देख में उस बन के वागान में ठहरूगा जब लो कि तम्हारे पास से कुछ संद श आवे॥ २«<। से सट्टक ओर अबिवतर ईय्गर की मंजषा का यरूसलम में फेर लाय और वह्ों रहे॥। ३०। ग्े।र दाऊद जलपाई के पहाड़ का चढ़ाई पर चढ़ता गया और चढ़ते चढ़ते बिलाप करता गया उस का सिर ढंपा हुआ ओर नंगे पांव था और उस के साथ के सारे लेग अपने सिर ठांपे हुए बिलाप करते चढ़ते चले जाते थे॥ ३१। एक ने ददेकई्‌ समणज [९६ पद्म दाऊद से कहा कि अखितफकुल भी अबिसलम के गष्टकारियों में के तब दाऊद ने कहा कि हे परमेग्वर तेरी बिनती करता हूं कि अखितफफल के मंत्र का मढ़ता की संती पलट टे॥ ३५ । और ण्ेसा हुआ कि जब टराऊद चाटौ पर पहुंचा जहां उस ने ईश्वर की प॒ज किई तो कहृसी अर की अपना बस्तर फाड़े हुए ओर अपने सिर पर घल डाले हुए जस्म भेंट करने के आया॥ ३३ । तब दाऊद ने उसे कहा कि यहि त मेरे साथ पार उतरंगा ता मस्त पर भार होगा॥ ३४। प्रग॒ंत यदि त नगर में फिर जाय और अविसलम से कहे कि हे राजा में तेरा सेवक हूंगा में अब ले तेरे पिता का सेवक था उसी रीति तेरा भी सेवक छूंगए तब त मेरे कारण से अखितफफल के मंत्र के! भंग कर सक्ता हे॥ ३५ । ओर क्या तेरे साथ सटद्ृक ओर अबिवत्र याजक नहों हें से। ऐसा हेवे क जे कुछ त राजा के घर में सने से! सट्रकू और आबिवतर याजकां से कह हे। ३६। देख उन के साथ उन के दो बेट अखिमअज्‌ सट्टकु के और यह्ननतन अबिवतर के बेटे हैं और जो कुछ तुम सन सका से। उन के द्वारा से मुसे कहला भेजे।॥ ३७। से द्ाजद का 'मत्र क्लसौ नगर के आया और अबिसलुम भौ यरूसलम में पहुंचा ॥ ९ ६ सेोलहवां पतले ॥ जो जब दाऊद चोटी पर से तनिक पार गया तब ट्खा कि मिफ़ि बसत का सेवक सोबा हो गटहे काठो कसे हुए जिन पर टो सो रोटी ओर दाख के एक से ग्ऋ और अंजो र के फल के सो गचऋ ओर एक कुप्पा मंदिरा का लद! हुआ था उसे मिला। २। ओर राजा ने सोज। के! कहा कि इन बस्त॒न से तम्हारा क्या अभिप्राय हे तब सौबा बाला कि थे गटहे राजा के घराने के चढ़ने के लिये और राटियां और अंजौर फल तरुणों के भोजन के लिये और यह मर्द्रा लन के लिये जा अरपण्य में थके हुए हां ॥ ३। तब राजा ने कच्दा कि तरे खामी का बेटा कहां हे सौबा ने राजा से कहा कि हे खिथे वुह यरूसलम में ठहूरा हे क्यांकि उस ने कद्या क्षे कि आज इसराएल के घराने मेरे पिता का राज्य मु फर हेंगे। ४। तब राजा ने सोबा से कहा कि टेख मिफ्बसत का सब कुछ २६ पब्ष) कौ २ पद्तक । ६३०७ तेरा क्षे तब सीबा ने कहा कि में आप का टंंडवत करता हूं कि में अपने प्रभु राजा कौ दृष्टि में अनुग्रह पाऊ॥ ५ और जब ट्ाजद राजा बहूरोम में पहुंचा वहां से साऊछ के घराने में से एक जन निकला जिस का नाम शमोय जैरा का पत्र घिक्कारते हुए चला आताथा॥ ६। और बह टाजटू पर और दाऊद राजा के सारे सेवकों पर पत्थर फेंकने लगा और समस्त लोग ओर समस्त बोर उस के टहिने ब्रायं थे। ७। और घिक्कारते हुए शमीय यों कहता था कि निकल आ निकल आ हे हत्यारे मनुय्य हे दृष्ट जन॥ ८। परमेस्थर ने साऊजल के घर कौ सारीौ हत्या का तम््॒ पर फेरा जिस की संती त ने राज्य किया है और परमेस्पर ने राज्य का तेरे बेटे अबिसलम के हाथ में सांप दिया और देखो आप के! अपनौ बराई में इस कारण कि त इहत्यारा ह॥ €। तब जरूयाह के बेटे आबिश ने राजा से कहा कि यह मरा हुआ कुत्ता मेरे प्रभ राजा का किस लिये घिक्कारे मं आप की बिनती करता हू कि मुक्के पार जाने दौजिय कि उस का सिर उतार डालं॥ ९०। तब राजा ने कहा कि हे ज्‌रूयाइ के बंटे मस्के तम से क्या काम उसे घिक्कारने दओ इस कारण कि परमेश्र ने उसे कहा है कि दाऊद के घिक्कार फेर उसे कान कहेगा कि त ने एसा क्यां किया ्घे। १५९। और दाऊद ने अबिशे और अपने सारे सेवकों से कहा कि टेख मेरा बटा जा मेरी कटि से निकला मेरे प्राण का गांहक है ता कितना अधिक यह बिनयमीनी उसे छाड़ दओ घिक्कारने देओ क्योकि परभेख्र ने उसे कहा है॥ २९२। क्याजाने परमेश्वर मेरे दःख पर दृष्टि करे और परमेश्वर आज उस के घिक्कार की संती मेरो भलाई करे॥ १५३। और ज्यों दाऊद अपने लोग लेके मागे से चला जाता था शमोय पहाड़ के अलंग उस के सनन्‍्मख घिक्कारता हुआ चला जाता था ओऔःर उसे पत्थर मारता था और घल फेंकता था॥ १५४। और राजा और उस के सारे लाग थके हुए आये ओर वहीं उन्हें ने अपने के संतष्ट किया॥ ९५५। तब अबिसलम ओर उस के सारे लोग इसराएल समेत बरूसलम में आये ओर अखितुफ्फुल उस के साथ॥ ९६। और यों हुआ कि जब दाऊद का मित्र छ्लसों अरकौ अबिसलुम पास पहुंचा तो हूसी ने अबिसलुम से कहा कि राजा जीता रहे राजा जोता रहे॥ 3 समएल (१५७ प्ब्ख ९७। और अबिसलम ने हूसी से कहा कि क्या अपने मित्र पर यही अनग्रह किया त अपने मित्र के साथ क्यांन गया॥ ९८। हूसी ने अबिसलम से कह्दा कि नहीं परत जिसे परमेग्यर और ये लोग और सारे इसराएल चुनें में उसी का हूं और उस के साथ रहूंंगा॥ १५९। ओर फिर किस की सेवा करूं यदि उस के बटे की नहों तो जैसे में ने आप के पिता के सन्‍्मुख सेवा किई है वैसा हौ आप के सन्मुख हूंगा॥ २०। तब आअबिसलम ने अखितफफल से कहा कि मंत्र टेखा कि हम क्या करें॥ २९ । तब अखितफफल ने अबिसलम से कहा कि अपने पिता कौ ट्ासिथां के पास जाइयथे जिन्हें वह घर की रक्ष्ता का छोड़ गया है और सारे इसराएल सनेंगे कि आप अपने पिता से घिनित हें तब आप के सारे साथियों के हाथ दृढ़ होंगे॥ २२। सो उन्‍्हां ने काट की छत पर अबिसलम के लिये तंब खड़ा करवाया ओर अबिसलम सारे इसराएल कौद्ष्ट में अपने पिता की टदासियों के पास गया॥ २९३। ओर अखित्फफल का मंत्र जा उन दिनों में वह ट्ता था ऐसा था जैसा कि काई ईख्वर के बचन से बकता था अखितफफल का समस्त मंत्र टाऊट और अबिसलम के बिषय में एसा हो था ॥ १९७ सतरहवां पन्ने । झो' अखितफफल ने अबिसलम से यह भो कहा कि मम्फे बारह सहत्त परुष चन लेने दौजिये और में उठके इसी रात दाऊद का पीछा रूंगा। २। और थका ओर दुबेल हेते हुए में उस पर जा पड़ंगा और उसे डराज॑गा ओर उस के साथ के सारे लाग भाग जायेंगे और केवल राजाही के! मार लेकऊगा॥ ३। ओर भें सब लागों के आप कौ शे।र फेर लाऊंगा और जब डसे छोड़ जिसे आप खाजते हें सब फिर ब्ग्राण ता सब कशल से रहेंगे॥ ४। और वह कहना अबिसलम और डसराएल के समस्त प्राचौन की दृष्टि में अच्छा लगा॥ ४। तब अबिछलम जे कहा कि हृसी अरकी के भौ बला ओर उस के मंह में जो हे से भी सनें।॥ ६। और जब हूसो अबिसलम पास पहुंचा तब अबिसलम यह कहके बेला किअखितफफल ने यें कहा हु उस के बचन के समान हम २९७ पन्ने] कौं २ पस्तक । ६३५ करें अथवा नहों त क्या कहता है॥ ७। तब कसी ने अबिसलम से कहा कि यह मंत्र जो अखितफफुल ने दिया है इस समय भला नहीं ॥ ८। ओर हूसो ने कहा कि आप अपने पिता का और उस के साथियों का जानते हों किवेशर हैं और वे अपने मन में ऐसे उदास हें जेसे जंगली भाल जिस का बच्चा चराया जाये और आप का पिता याड्डा परुष है और लागा के साथ न रहेगा॥ € । ट्खिये वह किसी गड़हे में अथवा किसो स्थान में छिपा है ओर यों हागा कि जब प्रथम उन में से कितने मारे पड़गे जा काई सने से। कह्ठेगा कि अबिसलुम के साथी जूक गये हैं। ९०। ओर व॒च्द भो जा श्र हे जिस का मन सिंह के मन को नाई हु सबथा पिघल जायगा क्यांकि सारे इसराएली जानते हें कि आप का पिता बलवंत है ओर उस के साथ के लाग श्र हें॥ ९१। इस लिये में यह मंत्र देता हूं कि सारे इसराएल दान से लेके बियरसबः लें बालू के समान जो समुद्र के तौर पर हे। जिस का लेखा नहों आप के साथ बयार जाव॑ और कि आप लड़ाई पर चढ़िये ॥ १५२ । यों जहां वह होगा हम उस पर जा पहुंचगे ओर ओस की नाई जो भमि पर गिरतो है उस पर टट पड़ेंगे तन वह आप और उन लोगेर में से जा उस के साथ हें एकभी न बचेगा ॥ १३॥ इससे अधिक यदि वह किसी नगर में पेंठा हेगा तब सारे इसराएल उस नगर पर रस्सी लावेंग और उसे नटो में खोंच ले जायगे यहां ला कि एक रोड़ा पाया न जाय ॥ ३६४ । तब अविसलम ओर इसराएल के सारे लाग बोले कि हूसी अरकी का मंत्र अखितुफफल के मंत्र से भला हे क्यांकि परमेश्वर ने ठहराया था कि अखित॒फ्फ्ल का भला मंत्र खंडित हे।वे जिसते परमेश्वर अबिसलुम पर बुराई लावे॥ ९५५ । तब हूसौ ने सट्टकू ओर अबिवतर याज़क से कहा कि खितुफफल ओर इसराएल के प्राचौनें ने अबिसलम के। ऐसा एसा मंत्र टिया ओर में ने एसा ऐसा ॥ १५६। इस लिये अब चटक से भज के दाऊद से कहे! कि आज की रात बन के चोगान में मत टिकिये परंत बग से पार उतर जाइय न हे। कि राजा ओर उस के साथ के समस्त लाग निंगले जावें॥ ९७। अब यह्ननतन ओर अखिमअज ओनराजिल के लग ठह रे थ [क्यांकि उन्हें नमर में ट्खाई हना न था] ओर णक स्त्री ने जाके उन्हें ६8४० सैमएलं [१७ पब्न कहा से वे निकलके टाजट राजा से बाले॥ ९५८। तथापि णक छोकरे ने उन्हें ट्के अबिसलम से कहा परत वे दोनों के दोनों चंटक से चले गये और बहूरीम में पहुंचके एक परुष के घर में चसे जिस के चौक में एक कआं था डस में वे उतर पड़े॥ ९८। और स्त्री ने डस कंए के मंह पर एक ओाढ़ना बिछाया और उस पर पीसा हुआ अन्न बिछाया ओर वह बात प्रगट न हुई॥ २०। और जब अबिसलम के सेवक उस स्तरौ के वर आय और पक्का कि अखि- मअज और यह्ननतन कहां हैं तब उस स्त्री ने उन्हें कहा कि वे नाली पार उतर गये ओर जब उन्हें ने उन्हें टंढा और न पाया ता बरू- सलम का फिर आये ॥ २१५। और यां हुआ कि जब वे चले गये ता वे कंण से निकलके चले ओर दृषऊ॒द राजा से कहा कि डटिये और शोघ्र जल से पार उतर जाइये क्यांकि अखितफफल ने आप के बिराघ में यों था मंत्र दिया क्षे। २२९। तब दाजद और उस के सारे लाग उठे और यरट्न के पार उतर गये और बिद्दान होते हे।ते एक भी न रहा जे यरदन के पार न उतरा था॥ २३। और जब अखितफफल ने ट्रेखा कि उस का मंत्र न चला तो उस ने अपने गटहे पर काठो बांघी और चढ़के अपने नगर ओर अपने घर गया ओर अपने घर के बिषय में आज्ञा किई और आप फांसी लगाके मर गया और अपने पिता की समाधि में गाड़ा गया॥ २९४। तब टदाजदट महनैन के गया ओर अविसलम ओर उस के साथ इसराएल के सारे मनव्य यरदन के पार उतरे ॥ २४५। और अबिसलम ने युअब की संतो अमासा के सेना का प्रधान बनाया और अमासा एक जन का बेटा था ज्ञिस का नाम इथरा इसरणणएजी था जो नाहस की बेटौ यअब की मेसो अबिजैल के पास गया ॥ २६ । से इसराएल और अविसलम ने जिलिअद के देश में डरा किया॥ २७। ओर यो हुआ कि जब एटाऊद महन न में पहुंचा ता अस्मन के संतान के रब्बः नाहस का बेटा शाबी और लादिवार अमौोअल का बेटा मकौर और राजिलीम जिलिअट बरजिज्ली॥ २८। खाट ओर बासन झओर माटी के पात्र और गेहूं और जव और पिसान ग्येर भना ओर फलियां ओर मरूर और भने चने॥ २८। ओऔर मधघ ओर माखन और भेड़ ओर ठार का ९८ पब्ब] कौ २ परतक | 6४२९ खाआ टाऊद के और उस के लागें के खाने के लिये लाये क्यांकि उन्हें ने कहा कि लोग अरण्य में भखे और थके और प्यासे हें । ४८ अठारहवां पब्बे । जी दाऊद ने अपने संग के लागों के गिना औरर सहस्ों पर॑ गैर सकड़ों पर प्रधान ठहराया ॥ २ । और टाऊद ने लागों के तिहाई भाग का यअब के अधीन और तिहाई यञब के भाई जरूयाह के बेटे अबिश के अधीन और तिहाई का जञअती इत्तो के अधीन किया और उन्‍हें भेजा ग्लर राजा ने लागों से कहा कि में भी निश्चय तम्हारे साथ जाऊंगा॥ ३। परत लागों ने उत्तर टिया कि आप न जाइये क्यांकि यंटि हम भाग निकल तो उन्‍हें कक हमारी चिंता न होगी ओर थदि हस्म से आधघ मारे जायें तो उन्हें कुछ चिंता न हेगी परंतु आप हस्मे से दस संहसख्त्र के तल्य हैं से! अच्छा यह है कि आप नगर में रहके हमारी सहायता कीजिये॥ ४। तब राजा ने उन्‍हें कहा कि जो तम्हं सब से अच्छा लगे से में करूंगा और राजा फाटक कौ अलंग खड़ा हुआ और संमस्त लाग सैकड़ों सैकड़ों और सहस्त सहख हे।के बाहर निकले ॥ ५ | और राजा ने युअव और अबिशे और इत्तौके कहा कि मेरे कारण उस यबा जन अथा त अविसलम से कामलता कीजिया और जो कछ राजा ने - समस्त प्रधानों से अबिसलम के बिषय में कहा से! सब लागों ने सना॥ ६ । तब लाग निकलके चौगान में इसराएल के साम्ने हुए और संग्राम इफ्रायम के बन में हुआ॥ ७। जहां इसराएल के लाग दाजद के सेवकों के आगे मारेगये और उस टन वहां बड़ा जुम अथात बौस सहस्त का हुआ॥ ए८। क्यांकि संग्राम समस्त दृश में फैल गया था और उस दिन बन ने खज़ से अधिक लागों के। नाश किया ॥ 4। और अबि संलुम दाऊद के सेवकों से मिला ओर अबिसलम खच्चर पर चंढ़ा था जआऔर खच्चर उसे लेके बलूत छक्ष को घनो डारों के तले घसा और उस का सिर पेड़ में फंसा और वुच्च अधर में टंग गया और खच्चर उस के नीचे से चला गया॥ १५०। ओर काई देखके यअब से कहके बाल किनमें ने अबि सलुम का एक बलत छृच्त पर टंगा ट्खा॥ ५९) तब यञब उस कहतयैय से 84 [5 8 8.3 ६४२ समएल [९८ पब्में बाला कि जब त ने उसे ट्खा तो मारके भमि पर क्यां न डाल या कि में तम्म ट्स टकड़ चांदी और एक पटका देता ॥ ९५२। ओर उस जन ने यञब को उत्तर दिया कि यदि त सहस्त्र 2कड़े चांदी मर्क ताल दता ता भी में राजा के बेटे पर हाथ न डटाता क्योंकि राजा ने हमें सना के तस्ते और अबिशे श्र इक्तो के आज्ञा करके चिताया कि चाकस हे कोई उस तरूण अविसलम का न छवे॥ १३। नहीं तो में अपने प्राण ही के बिरोघ में मकठा हेता क्यांक कोई बस्त राजा से छिपी नहों और तभी मेरे बिराघ पर खड़ा हेता॥ १५४। तब यञअब ने कहा कि मैं तर आगे न ठहरूंगा और अब ला अबिसलम जौता हुआ बलत छत्त के मध्य में लटका था तब यूअब ने तीन बाण हाथ में लेके अबिसलुम के अंतःकरण में गेट।॥ ९२४५ । और ट्स तरुणां ने जा यअब के अस्तधारी थे आ घेरा और अबिसलम के मारके बघन क्रिया॥ १५६। तब यअब ने नरसिंगा फंका और लाग इसराएल का पौछा करने से फिरे क्योंकि यअब ने लागां के रोक रक्वा॥ १९५७। ओर उन्‍्हों ने अबिसलम के लेके उस के! बन के एक बड़े गड़हे में डाल टिया और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर किया और सारे इसराएल भागके अपने अपने तंब का गये॥ २९८। अब अबिसलम ने जोते जो अपने लिये राजा की तराई में एक खंभा बनाया क्योंकि उस ने कहा था कि मेर काई बेटा नहों जिस्म मेरा नाम चले ओर उस ने अपना ही नाम खंभे पर रकवा और आज के ट्निलां बह अबिसलम का स्थान कहाता है ॥ ९५८ । तब सट्ट क के बे अखिमअ्रज ने कहा कि में टोौड़के राजा के संदेश पहुंचाऊं कि परमेम्पर ने किस रोति से उस के बेरियों के हाथ से उस का प्ररतिफल लिया ॥ २०। तब युअब ने उसे कहा कि आज तू संदेशो मत हेना परंतु हूसरे दिन संद श पहुंचाइया परंतु आज तू संदेश मत ले जा इस कारण कि राजा का पत्र मर गया क्षे ॥ २९५। फिर यअब ने कशो के। कहा कि जा और जो कछ त ने देखा हे से। राजा से कह तब कशो यअब के प्रणाम करके टोौड़ा॥ २२। फिर सद्डक्‌ के बेटे अखिमअज ने टूसरी बार यअब से कहा कि जो क॒छ हे परंतु मुझ भी कुशी के पीकू दौड़ने दौजिये तब. यअब बाला किरे पुत्र तू किस लिये हौड़गा तू देखता है कि कोई संदेश १८ पत्व] कौ २ पस्तक। 6४३ घरा नहों ॥ २३ । परंत जा होय में टोडता हू तब उस ने कहा कि टोड़ तब अखिमअज ने चै।गान का मार्ग लिया ओर कशी से आगे बढ़ गया ॥ २४। ओर टाऊद दो फाटकों के बीच बैठा था और पहरू नगर की भीत कौ छत पर फाटक के ऊपर चढ़ गया था और आंख उठाके टेखा और क्या टेखता कै कि एक जन अकेला दोौड़ता आता क्षे । २५ | और पहरू ने पकारके राजा के कहा से राजा ने कहा याद अकेला हे ता उस के मंच में संटेश हैं और वच बढ़ते बढ़ते पास आया॥ २६। तब पर्रू ने टूसरे जन को ट्ोड़ते टेखा और पहरू ने द्वारपालक के पकार के कहा कि टेख परुष अकेला दौड़ा आता हे ओर राजा बोला कि वह संदेश लाता कु । २७। तब पहरू ने कहा कि में ट्खता हूं कि अगले कि दौड़ सट्टक के बेटे अखिमअज कौ टड़ की नाई हु तब राजा बाला कि वह भला मनव्य हें और मंगल संट्श लाता क्े॥ २८। ओर अखिमअज पहुंचा और राजा से कहा कि सब कुशल के ओर राजा के आग ओंधे मंह गिरा और वाला कि परमेम्धर आप का ईयर धन्य क्षे जिस ने उन लागों का जिन्‍हां ने मेर प्रभ राजा के बिराध में हाथ डठटायथे सौंप ट्या॥ २८ | तब राजा बाला कि अबिसलम कुशल से है और अखिमअज ने कहा कि जब राजा के सेवक युअब ने टहल्‌ का भेजा तो उस समय में ने एक बड़ी भीड़ ट्खी पर में ने न जाना वह क्या क्षे। ३०। तब राजा ने कहा कि अलग हेके यहां खड़ा हे! और वह अलग जाके खड़ा हे रहा॥ ३२१। ओर वहीं कशों आया और कशीो ने कहा कि मेरे प्रभ॑ राजा संदश ह क्यांकि परमेम्थघर ने आज के दिन आप के उन सं से जा आप के बेर में उठ थे पलटा लिया ॥ ३२ । तब राजा ने कशी से पका कि अविसलम तरुण कशल से है ओर कशी ने उत्तर टिया कि मेरे प्रभ राजा के बेरी ओर सब जा आप के दुःख टट ने में उठते हैं आप उस तरुण की नाई हे। जायें॥। ३३। तब राजा अति ब्याकुल हुआ ओऔर उस काठरी पर चढ़ गयाजा फाटक के ऊपर थी ओऔर(र बिलाप किया जाते जाते यां कहा कि हाय मेरे बेटे अबिसलम हाथ मेरे बेटे हाय मेरे बेटे अबिसलम भला हेता जो तेरों संती में हो मरता हाय आऑबिसलम हाय मेरे बट हाय मेर बेटे । ६४४ समणएल [१८ पब्ब ९6 जजन्नौसवां पब्ये 7एर यञब से कहा गया कि देख राजा अबिसलम के लिये रोता और बिलाप करता क्षे। २। शोर उस टिन का बचाव सभा के लिये बिलाप का टिन हुआ क्योंकि लागों ने उस दिन सुना कि राजा अपने बेटे के लिय खेद में क्षे। ३। ओर लोग उस दिन लज्जितों के समान जो लडाई से भाग़ निकजलत हें चारो से नगर में चले ग़ये॥ ४ । परत राजा ने अपना मंचह्ठ ढांपा और चिज्ञा चिल्ला रोयाके हाय अबि- सलम मेरे बेटे हाय अबिसलम मेरे बट मेरे बेटे ॥ ५। तब यञअब घर में राजा पास आया ओर कहा कि त्‌ नेआज के ट्नि अपने सब सेवकों के मंद के। लक्जित किया जिन्‍्हों ने आज तेरेप्राण ओर तेरे बेटे बेटियों के 'ण ओर तेरो पत्नियों के प्राण ओर तेरी टासियों के प्राण बचाय ॥ ६ । क्योंकि त्‌ अपने शत्रुनका प्यार करके अपने मित्रों से बेर करता हे क्यांकित ने आज दिखाया हे कि तम्के न प्रधाने कौ न सेवकों की चिंता है क्योंकि आज में टेखता हुं कि यटि अबिसलम जौता हेतता और हम सब आज मर जाते तातू अति प्रसन्न हेता॥ ७। से अब उठ बाहर निकल और अपने सेवकों का बाघ कर क्यांकि में परमेग्थर की किरिया खाता हूं कि यदि तू बाहर न जायगा तो रात लों एक भी तेरे साथ न रहेगा और यह तेरे लिये उन सब बिपतों से जा युवावस्था से अब हे हुई अधिक हागी॥ फ्। तब राजा उठा और फ़ाटक में बैठा और सब लोगों के! कहा गया कि ट्खे राजा फाटक में बेठा है तब सब लेग राजा के आगे आय क्यांकि सारे इसराएल अपने अपने तंब का भाग गये थे॥ ८। और इसराएल की सारी गाछष्ियां में सारे लाग कगड़के कहने लगे कि राजा ने हमें हमारे शत्र॒न॒ के हाथ से ओर फिलिस्तियें के हाथ से बचाया ओएर अब वुद्द अबिसलुम के कारण देश से भाग निकला है॥ २९०। ओर अबिसलुम जिसे हम ने अपने ऊपर अभिषिक्त किया था रण में मारा गय से अब राजा के फेर लाने में चुप्रके क्यों हे ॥ ९९। तब दाऊद्‌ राजा ने सट्टक और अबिवतर याजक के कहला भेजा कि यहदाह के प्राचौनें के। कहे। कि राजा के उस के घर में फेर लाने में क्यों २८ पब्त] की २ पुस्तक | &४५ सब से पीछ हे ट्खते हे। कि समस्त इसराएल कौ बाली राजा के हां उस के घर के पास पहुंची ॥ ९२। तुम मेरे भाई मेरी हड्डी ओ रमेरे मांस हे। से राजा का फेर लाने में क्यों सबसे पीछ हैे। ॥ २९३। और अमासा से कहे क्या त मेरी हड्डी और मेरा मांस नहीं से यदि में तम्के यञब की संती स॒टा के लिये सेना का प्रध्रान न करूं ता ईग्यर मस्क से एसा ओर उस्झे अधिक करे ॥ ९४। ओर उस ने सारे यहूटाह के समस्त लागां का मन ऐसा फेरा जसा कि एक का मन होता ह्े यहां लां कि जन्हां ने राजा कने भेजा कि आप अपने सारे सेवकों समेत फिर आइये ॥ ९५४५ । तब राजा फिरा और यरदटन का आया और यहृदाह जिलजाल में राजा की भंर के आये कि उसे यरट्न पार लावें॥ २९६। ओर जेरा के बेट शर्मीय बिनयमीनों बहूरीम से शीघ चले और यहूटाह के मनुव्यों के साथ मिलके द्वाजद राजा से भेंट करने आये॥ ९१५७। ओर उस के साथ बिनयमीनी एक सहस्व जन थे ओर साऊल के घराने का सेवक अपने पंट्रह बेटे और बीस टहलओं समेत आया झर वे राजा के आग यरदन के पार उतर गये ॥ २१८। और राजा के घराने के पार उतारने और उस की इच्छा के समान करने के लिये घटवाही की एक नाव पार गई और जेरा का बेटा शमौय यरदटन पार आते हौ राजा के आगे ओंध मंह गिरा॥ १९९। और राजा से कहा कि मेरे प्रभ मस्त पर पाप मत घरिय उस बात का सारण करके मन में मत लाइय जो आप के सेवक ने जिस दिन कि मेरा प्रभ राजा यरूसलम से निकल आया था बर में कहा था॥ २०। क्यांकि आप का सेवक जानता ह्ले कि में ने पाप किया इस लिये रेखियें आज के दिन में यसफ के समस्त घराने में से पच्चिल आया हक्ूं कि उतरके अपने प्रभ राजा से भेंट करू॥ २९१। पर॑ंत जरूयाह के बंट अबिश न उच्तर में कहा क्या शमोय इस कारण मारा न जायगा कि उस ने परमेस्र के अभिषिक्त का घिकारा॥ २२। तब दाऊद ने कहा कि हे जरूयाह के बेटे मम्फे तम से क्या कि तम आज के दिन मेरे बेरी हुआ चाहते हे। क्या इसराएल में आज कोई मारा जायगा क्या में नहों जानता कि आज में इसराएल का राजा क्ु॥ २३। तब राजा ने शमीय से कहा कि त्‌ मारा न जायगा ६४६ समूएल [१८ पब्व ओर राजा ने उस के लिये किरिया खाई॥ २४। फिर साऊल का बेटा मिफिबसत राजा के आगे से मिलने के उतरा जब से राजा निकला था उस ट्न लें कि वह कुशल सेफिर न आया अपने पांव न घ्ोय थे न अपनी टाढी सधारो थौ और न अपने कपड़े घोलवाय थे॥ २५। और एसा हुआ कि जब वह यरूसलम में राजा से मिलने आया तो राजा ने उसे कहा कि हे मिफ्बूसत किस लिये तू हमारे साथ न गया॥ २६। ओर उस ने उत्तर दिया कि हे प्रभ राजा मेरे सेवक ने मुम्के छला क्यांकि आप के सेवक ने कहा था कि में अपने लिये गटहे पर काठो बांघंगा जिसतें उस पर चढ़के राजा के पास जाऊं क्योंकि आप का सेवक लंगड़ा हे। २७। और उस ने तेरे सेवक के मेरे खामी राजा के आगे अपबाद लगाया परंतु मेरा प्रभु राजा ई्र के टूत के समान हे से। आप कौ दृष्टि में जो अच्छा लग से। कोजिये॥ रए८। क्याकि मेरे पिता के घराने मेरे प्रभ राजा के आगे म्हतक थे तथापि आप ने अपने सेवक का उन में बैठाया जा आपहो की मंच पर भाजन करते थे इस लिये मेरा क्या पट हे कि अब भी में राजा के आगे पुकारू॥ २९। तब राजा ने कहा कि तू अपना समाचार क्यों अधिक बणेन करता हे में कह चुका कि तू और सौबा भूमि का बांट ले ॥ ३०। तब मिफ्बूसत ने राजा से कहा कि हां सब वहीं लेवे जैसा कि मेरा प्रभ राजा अपने हो घर में फिर कुशल से पहुचा॥ ३१५। और राजिलीम से जिलिअरी बरजिलो उतरके राजा के साथ यरदन पार गया कि यरदन पार पहुंचावे। ३२९। ओर यह बरजिल्ञी अस्झो बरस का अति छट्ट था और जब कि राजा महनैन में पड़ा था वुद्द जौविका पहुंचाता था क्यांकि वह अति महत जनथा॥ ३३। से राजा ने बरजिलो से कहा कि त मेरे साथ पार उतर ओर में यरूसलम में अपने साथ तेरा पालन करूंगा ॥ ३४। ओ_और बरजिज्ञो ने राजा का उत्तर दिया कि आब मेरे जीवन के बरस कितने ट्न के हैं कि राजा के साथ साथ बरूसलम के चढ़ जाजं॥ ३५४। आज में अस्सो बरस का हुआ ओर क्या में भलाई बुराई का अंतर जान सक्ता हूं आर क्या आप का सेवक जे कुछ खाता पीता क्ञे उस का खाट जान सक्ता हे ओर क्या में गायकों ९6 पब्ब] कौ २ पस्तक | ६४७ ओर गायिकाओं का शब्द सन सक्ता हू फेर आप का सेवक अपने प्रभ राजा पर क्यां बास्क होवे॥ ३६। आप का सेवक राजा के संग थाड़ी हर यरट्न के पार चलेगा ओर किस कारण राजा एसे फल से प्रतिफल ढेवेश ३७। अपने सेवक के बिदा कौजिये कि फिर जाये जिसतें में अपने ही नगर में अपने माता पिता की समाधि पास मरू परंत टखिये आप का सेवक किमहाम मेरे प्रभ राजा के साथ पार जाय जा कुछ आप भला जानें सो उस्म कौजिये ॥ ३८८ तब राजा ने उत्तर दिया कि किमहाम मेरे साथ पार चले और जा कुछ मर्म अच्छा लगे सेोई उस के लिये करूंगा गजजर जा कुछ तेरों इच्छा हेय सेई तेरे लिये करूंगा ॥ ३6। और समस्त लोग यरटन पार गये ओर जब राजा पार आया ता राजा ने बरजिज्ञौ का चमा ओर उसे आशौष दिया और वुद्द अपने हो स्थान के फिर गया॥ ४०। तब राजा जिलजाल के। चला और किमहाम उस के साथ साथ गया और सारे यहूटाह के लागां ने और इसराएल के आधे लागां ने भी राजा को पहुंचाया ॥ ४९ । ओर टेखे कि सारे इसराएल राजा के पास आये ओर राजा से कहा कि हमारे भाई यहूदाह के लागां ने आप के। हम से क्यां चराया क्षे आर राजा के ओर उस के घराने का और दाऊद के समस्त लोग सहित यरद्न पार लाय हैं ॥ ४२। ओर समस्त यहकूदाइह के मनव्यां ने इसराएल के मनव्यां का उत्तर दिया इस कारण कि राजा हमारे कुटम् हैं से इस ब।त में तम क्यों क्र हे।ते हे। क्या हम ने राजा का कुछ खाया हे अथवा क्या उस ने हमें कक दान दियाहे॥ ४३। फिर इसराएल के मनव्यां ने यकहूदाह के मनव्यां का उत्तर दिया ओर कहा कि राजा में हम दस भाग रखते हैं ओर दाऊद पर हमारा पद तम से अधिक ह से। तम ने ज्यां हमें हलक समम्क, कि राज़ा के फेर लाने में पहिले हम से क्यां नहों पक्का ओर यह्ूदाह के मन्य्यां की बातें इस राएल के मनय्यां को बातों से प्रबल हुई। ६ ४ पे संमृएलं [२० पब्बे २० बोसवां पब्बे । ञ्ज हा रे | की, 7र सयाग से वहां एक दुष्ट पुरुष था जिस का नाम संबअ जा बिन- यमीन बिकरी का बेटा था ओर उस ने नरसिंगा फंकके कहा कि हम टाऊट में कछ भाग नहीं रखते और हम यस्सी के बेटे में कछ अधि- कार नहों रखते हें हे इसराएल हर एक जन अपने अपने तंब में जाय ॥ २। से इसराएल का हर एक जन टाजऊद के पोछे से चला गया और बिकरो के बट सबअ के पीछ हे। लिया परंत यक्ूटाह के मनय्य यरट्न से लेके यरूसलम लो अपने राजा के साथ बने रहे॥ ३। और दाऊद यरू सलम में अपने घर का पहुंचा ओर राजा ने अपनी ट्सं टासियां के जिन्हें व॒ुह् घर की रखवालो के लिये छोड़ गया था लेके दृष्टि बंध किया और उन्हें भाजन दिया परंतु उन के पास न गया से। वे जीवन भर जौवन के रंड़ापे में बंद रहों ॥ ४ । तब राजा ने अमासा के कहा कि तौन दिन के भीतर यहूटदाह के मंनव्यों के। मस्त पास यहां एकट्टा कर और त भी यहां हा ॥ ५। से अमासा यहृटाह के एकट्टा करने गया परत ठउहराये हुए समय से उसे अबेर हुआ॥ ६। तब दाऊद ने अबिशे से कहा कि अब बिकरो का बेटा सबअ अबिसंलम सें हमारी अधिक बराईं करेगा से त अपने ग्रभ के सेवकां के ले और उस का पीछा कर न हे। कि वह बाड़े के नगरों में पेठे आर हमारी दृष्टि से बच निकले॥ ७। से उस के साथ यूअब के मंनुव्य और करोौती और पलौतो और समस्त बौर निकले और यरूसलम से बाहर गये कि बिकरी के बटे सबअ का पीछा करें॥ ए८। और जब वे जिबअन में बड़ पत्थर के पास पहुंचे तो अमासा उन के आंगे आगे जाता था और यअब का बस्त जा वह पहिने था से। उस पर लपेटा हुआ था और उस के ऊपर एक कटिबंध और एक खड़' काटी समेत उस की कि पर कसा हुआ था और उस के जाते जाते निकल पड़ा॥ €। से। यअब ने अमासा के कहा कि भाई त कुशल से हे और यअब ने अमासा का चमने के अपने ट्हिने हाथ से उस को दाढ़ी पकड़ी ॥ २९०। परंतु युअब के हाथ के खज्जा के अमासा ने सुतेन किया से! उस ने डसे उस के पांजर में मारा कि उस की अंतड़ियां भूमि पर निकल पडों ओर २० पब्थे] कौ २ पस्तक । ६8४८ छृद्दराके नमारा से वुच्द मर गया फिर युअब शैौर उसका भाई अबिश बिकरी के बेटे सबअ का पीछा किया ॥ १५९ । ओर यञअब के जनों में से एक जो उस पास खड़ा था यों बेला कि जिस के! यअब भला लगे ओर जो दाजद कौ ओर है से। यअब के पीछे जाय॥ ९२ । ग्यार अमासा मागे के मध्य में लाह से बारा हुआ था और जब उस परुष ने ट्खा कि सब लेाग खड़ हेते हैं ते वुद्द अमासा कार जज मागे से खेत में खौंच ले गया जैरर जब उस ने देखा कि जे कोई पास आता हे से| खड़ा हेता हे उस मे उस पर कपड़ा डाल दिया॥ २९६। जब वह मागे में से अलग किया गया तो सब लाग यअब के पीछे पीछे गये कि बिकरी के बेटे सबअ के खेंटें। ९४। ओर वह इसराएल की सारी गेाष्टियों में से हे।के अवौल और बेतमअकः और सारे बरौती ले गया और वे भौ एकद्ठे हेके उस के पीछ पींछे गये॥ ९५५। और उन्हें ने आके उसे बैतमअक:ः के अबौल में घेरा गऔ्रर नगर पर एक मेंड़ बांधा जो बाहर की भौत के सन्मख था और सक लोग जे। यअब के साथ थ खाद खाद करते थे कि भीत को गिरावें॥ १९६। तब एक बद्डिमतों स्त्री ने नगर में से पकारा कि सनो सने अनग्रह करके यअब से कहे। कि इधर पास आवे कि में उसे कछ कहूं॥ २९७। जर जब वह उस पास आया तो उस सती ने उसे कहा कि आप यञअब हैं ओर उस ने उत्तर दिया कि हां तब उस ने उसे कहा कि अपनी ट्ासी की बात सन्तिये वह बाला में सनता छूं॥ १५८। तब वह कहके बाली कि आरंभ में या कहा करत थ कि वे निच्यय अबौल से फ्छेगे और यों समाप्त करते थे॥ ९८। में इसराएलियां में शांति कारिणी जऔर बिग्वस्त कु से आप एक नगर ओर इसराएल में एक माता का नाश किया चाहत हें क्या आप परमेग्वर के अधिकार के निंगला चाहते हैं॥ २९०। तब युअब ने उत्तर टके कच्दा कि यह परे डे।वे वह मुक्त से परे होवे कि निंगलं अथवः नाश करू॥ २९ । यह बात एसी नहों परंत इफ्रायम पब्बे त के एक जने बिकरी के बेट ने जिस का नाम सबआ है राजा पर अथात्‌ दाऊद ८र बिराघ का हाथ उठाया है सेः केवल उसौ के सौंप दे और में नगर से जात रहूंगा तब उस सती ने यञब के कद्दा कि ढेखिय उस का मस्तक भौत पर फक टिया जायगा ॥ २९ | तब 88 [# #% है] ५० समएल (२९ पते बुर सतरो अपनी चतुराई से सब लोगों के पास गई और उन्‍हें ने बिकरो के बेटे सबअ का मस्तक काट के बाहर यअब की ज.र फंक टिया तब उसे में नरसिंगा फंका और लोग नगर में से छंटके अपने अपने तंब के गये और यअब फिरके यरूसलम में राजा पास आया॥ २३। गऔर यअब इसराएल की समस्त सेना का प्रधान था और यहूयदट्‌ः का बेटा बिनायाहह करोती ओर पलीती का प्रधान था। २४। और अट्टराम कर पर था और अखिलद का बेटा यक्लसफत स्वारक था। २५॥ ओर शिया लेखक और सद्ृक गैर अबिवतर याजक॥ २६ । ग्यार भी दाऊद का एक याजक था ईरायाइरी। २९२ एक्कौसवां पब्यें ॥ दाऊद के दिनों में तीन बरस लगातार अकाल पड़ा और दांजढ ने परमेश्वर से पछा से परमेश्वर ने कहा कि यह साऊल के ओर उस के हत्यारे घराने के कारण है क्यांकि उस ने जिबअनियां का बधन किया ॥ ९। तब राजा ने जिबआनियां का बलाके उन्‍हें कहा [अब जिबञ्नी इसराएल के संतानों में केन थ परंत अमरियां के उबरे हुए थे और इसराएल के संतान ने उन से किरिया खाई थीं और साऊल ने चाहा कि इसराएल के संतान और यह्लृदाह के ज्वलन के लिये उन्‍हें नाश करे])। ३ | इस लिये दाऊद ने जिबआनियों से कहा कि में तुम्हारे लिये क्या करू ओर किस्से में प्रायच्चित्त करूं जिसतें तुम परमेग्र के अधिकार के आशीष देग॥ ४। तब जिबआूनियों ने उसे कहा कि हम साऊल से ओ।र उस के घराने से सेना चांटी नहीं चाहते हें और न हमारे लिये इसराएल में किसो जन के बधन कौजये फिर बुक बेला जे। कहेगे से में तम्हारें लिथ करूगा॥ ५४ ॥ तब उन्‍्हों ने राजा के। उत्तर टिया कि जिस जन ने हमें नाश किया ओर इसराणल के सिबानों में से हमें नाश करने की यक्ति किई थी ॥- ६। उस के सात बेटे चमें सेंपे जायें और हम उन्हे परमेम्वर के लिये साजल के जिबआः में जा परमेग्वर का चना हुआ है फांसी टंगे तब राजा बाला म दृऊगा ॥ ७। परंत राजा ने स'ऊल के बेटे यनतन के बेटे मफिबसत के उस २६४ पब्बे] कौ २ पस्तक | ६५१ >> >>? न नस न न यनननक न नननतीऊ-.++ ----+- -+* --+.स्‍3)»ु०णककाककककक७-- किरिया के कारण जा साऊल के बेटे युनतन के ओर दाऊद के मध्य में थी बचा रकवा॥ ए८। परंत राजा ने ओयाह की बेटी रिसफः केदो बटां का जिन्हें वह साऊल के लिये जनो थी अथात अरमनौ ओर मिफिबूसत के ओर साऊल की बेटी मौकल के पांच बेट के जिन्हें बच मचह्तलातो बरजिज्लौ के बेटे अट्रिएऐल के लिये जनी थी॥ <। ग्रैार उस ने उन्हें जिबञ्यूनियां के हाथ सांप दिया ओर उन्‍्हों ने उन्हें पहाड़ पर परमेम्थर के आगे फांसो दिई ओर वे सातों कटनी के दिनें में एक साथ मारे गये यह जब कटने के आरंभ मेंथा॥ ९५०। तब गअयाह की बेटों रिसफ! ने टाट बस्तर लिया ओर कटनी के आरंभ से लेके आकाश में से डन पर पानी टपकने लो अपने लिय पहाड़ पर बिछा दिया और दिन के। आकाश के पंछो ओर रात के बनैले पशु के उन पर ठहरने न टेती थी॥ ९९५। ओर दाऊद के कहा गया कि साऊल को दासी जओैयाह की बेटो रिसफः ने यों किया॥ ५२। से दाऊद ने जाके साऊल की हड्ये। ओर उस के बेटे यनतन की हड्डियां केश यबबोस जिलिअद के मन्य्यां से फर लिया जिन्‍्हों ने उन्‍हें बेतशान की सड़क से जहर फिलिस्तियों ने उन्हें टांगा था तब फिलिस्तियां ने साऊल के। जिलबुआ में मारा था चरा लिया॥ ५३। ओर वह वहां से साजल की इहड्डियां के और उस के बेटे यनतन कौ इहड्डिथां को ले आया ओर जो टांग गये थे उन कौ इृड्यों के एकट्टा करवाया ॥ १५४। गऔर उन्होंने साजल ओर यनतन को इहड्थ्यं को जिलआ के बिनयमीन के देश में उस के पिता कीस की समाधि में गाड़ा ओर सब जो राजा ने उन्‍हें आज्ञा किई थी उन्‍्हों ने किया और उस के पीछ देश के कारण ई स्वर ने बिनय के। मान लिया॥ ९४५। ओर फिलिस्तो इसराएल से फिर लड़ गैर दाजर अपने सेवकां के साथ उतरके फिलिस्तियां से लड़ा और दाऊद हृबल हुआ॥ ९६। अब वसवुवन्ब ने जो रफा के बेटे में से था जिस कौ बरकछी के फल का पीतल सवा ट्स सेर एक का ओर नया खद् बांध था चाहा कि टाजट का मार डाले॥ ९७। पर जरूयाह के बट आंबशी मे सहाय किई और उस फिलिस्ती के मारके बधन किया तब दाजर के लाग उस्झोे किरिया खाके वाले कि आप फिर कभी हमारे साथ लड़ाई ६५४ समएल . [२२ पब्डे परमेग्वर का छाड़ ईस्घर कान और हमारे ईग्वर के! छाड़ चटान कैन। ३३। ईस्थर मेरा बता ओर पराक्रम वत्ती मेरी चाल सिद्ध करता है ॥ ३४ । वह हरिणी के से मेरे पांव बनाता है वह मम्फ मेरे ऊंचे स्थानें पर बंठाता ह॥ ३५४ । वुचह् मेरे हाथों का णड्ू के लिये सिखाता हु एसा कि पेलाट का घनंष मेरी भजाओं से रटताकहे॥ ३६। तही ने अपने बचाव की ढाल भो मस्त ढिहे हैं और तेरी केमलता ने मस्क्त बढ़ाया हे ॥ ३६७। त ने मेरे डग का मेरे तले बढ़ाया हे यहां लॉ कि मेरो घट्टोयां फिसल न गई॥ ३८। में ने अपने बै रिये का पीछा किया ओर उन्‍हें नाश किया और उलटा न फिरा जब लॉंमें ने उन्हें संहार न किया ॥ ३८ । और में ने उन्हें नाश किया ओर उन्हें घायल किया ऐसा कि वे उठत्न सके हां वे मेरे पांव तले पड़े क्"ें। ४०। क्योंकि त ने संग्राम के लिय बल से मेरो कटि बांधी जा मस्त पर चढ़ आये थे त ने उन्हूं मेरे नोचे सककाया ॥ ४९ । त हो ने मेरे बैरियों के गले भी मस्के दिय हें जिसतें में अपने बरियां 7 नाश करूँ॥ ४२। उन्‍्हों ने ताका पर केाई बचवैया न था परमेम्घर की ओर देखा परंत उस ने उन्हें उत्तर न दिया॥ ४३। तबमें ने उन्हें एथिवो की घल की नाई बकनी किया में ने उन्हें मागे के चहल की नाई शेंदा ओर उन्हें बिछा टिया॥ ४४। त ने मस्त मेरे लागां के झगड़े से भी छड़ाया क्ञे त ने मस्क अन्यट शियां का प्रधान किया है एक लाग जिसे में ने नहों जाना मेरो सेवा करंगे॥ ४५ । परदेशियों के पत्र कपट से मर्स मानेंगे सनते हो वे मेरे अधोन हे। जायेंगे ॥ ४६। परद शो कम्ह ला जायेंगे और वे अपने सकेत स्थानों में से डर निकलेंगे ॥ ४७। परमेमग्वर जौता क्ञे और मेरा चटान घन्य मेरी मक्ति का चटान ई स्वर महान हे।वे ॥ ४८। ईय्वर मेरे लिये प्रतिफल दता है और लोगों के मेरे नोचे उतार ता हे ॥०-9 63 ओउरर मंग्कमे रो करिकों में सेलनकाजउलाता> हे कने ऋभाजल से ऊपर उभार लिया हे जा मम पर चढ़ आये थे त ने मम्मे अधरो मनव्य से छड़ाया क्षे।॥ ५०। हे परमेग्वर में अन्यट शियों में तेरा धन्य मानंगा और तेरे नाम कौ स्तति गाऊंगा ॥ ५९५। वह अपने राजा कौ म॒क्ति का गग्ेज हे और अपने अभिषिक्ञ ट[ऊदट पर ओर उस के बंश पर घटा ला टया करता क्षे ॥ २३ पत्थ] कौ २ पस्तक | हैं५५ २३ तेईसवां पब्बे । दे दाऊद के अंत कौ बात यस्‍्को के बेटे टाऊजद ने कहा ग्रार उस परुष ने जा उभारा गया यअकब के ईग्र के अभिषिक्त ने ज्ञा इंसराएल में मधघर गायक हे कषह्दा॥ २। ई घप्यर का आत्मा मेरी ओर से बेला और उस का बचन मेरो जोभ पर था॥ ३ । इसराएल के ईगर ने कहा इसराएल के चटान ने म्फ कहा मनय्यां पर राज्य कर त॒ घरों हेके ईम्वर के डर से प्रभुता करता क्षे। ४। ओर प्रातःकाल कौ ज्योति की नाई बिना मेंचघाों के बिहान रूय्ये उदय हे।ता के और मेंह के पीछ एथिवो में से केमल घास उगने की नाई॥ ५ । यद्यपि मेरा घर ईग्घर के जाग ऐसा न हैे। तथापि उस ने मेरे साथ समस्त बिषय में सनातन कौ एक सत्य बाचा बांधों मेरी सारी मुक्ति और सारौ बांछा के लिये यद्यपि हउसेन उगावे॥ &६। परंत दुष्ट सब के सब कांटा के समान टूर किये जायेंगे क्यांकि वे हाथों से पकड़ नहों जा सके ॥ ७। परंतु जा जन डन्ह छवे उसे अवश्य है कि लाहे ओर बरको के छड़ से पूण हे।वे और वे उसो स्थान में सबेथा जलाय जायेंगे ॥ ८। दाऊद के बौरों के नाम ये हैं तहकमनी जो प्रधानों में श्रेष्ठ असन पर बेठता था वह्दी अजनो अदिन था उसो ने आट सो के सनन्‍्मख हे।के उन्हें एक साथ घात किया॥ ९। ओर उस के पीछ अहेःरी टूट्ट का बटा इलिअजर जो उन तौन बोरों में से ज्ञा दाऊद के संग थे उन्‍्हों ने उन फ्लिस्तियां के तक्छ समस्का जो इसराएलो लागे से लड़ने के लिये एक्ट थ॥ ९०। उस ने उठके फिलिस्तियां के। मारा यहां ला कि उस का हाथ थक गया ओर मूठ हाथ में चिपक गई और परमेश्वर ने उस ट्न बड़ा जब दिया ओर लाग केवल लटके लिये उस के पीछ फिर गये॥ २९। ओर उस के पीछे हरारी अजी का बेटा शस्म: फिलिस्तो मसर के खत में कहों लेने के! एकट्टे हुए और लाग फिलिस्तियों के आगे से भाग गय॥ २९२। परंत वह खेत के मध्य में खड़ा रहा और उसे बचाया और फिलिस्तियां का मार डाला ओर परमेम्धर ने बड़ा जय दिया ॥ १५६। ओर तीस में से तौन प्रधाने निकले ओर कटनी के समय में ट्[जद ६५६ समएल [३३ पद्चल अदुल्लमम की कंटला में गये और फिलिस्तियों कौ जथा ने रिफाइम को तराई में डेरा किया था॥ २९४। ओर टाजद उस समय गढ़ में था और फिलिस्तियां की चेकी बैतलहम में ॥ ५५ । और टाऊदट ने लालसा करके कहा हाय कि काई मण्ते उस कए का एक घांट पानी पिलावे ज्ञा बैतलहम के फाटक पास क्षे। ९६। उन तौन शरों ने फिलिस्तियां को सेना के। आरंपार ताड़के बतलहमके कण से जा फाटक के पास था पानी निकाल लाके दाऊद का टिया तथापि वह उडर्झ पीने न चाहा परं त परमेम्वर के आगे उसे उंड्ेल टिया। १५७। ओर उस ने कहा कि है परमेश्वर मस्त से परे हेवे कि में एसा करूं क्या यह उन लोगों का लाह नहीं जा अपने प्राण के! जाखिम में लाये हें इस लिये उस ने पीने न चाहा इन तोन शरों ने एसे ऐसे काम किये॥ ९५८। ओर जरूयाह के बेटे यञब का भाई अबिश भी तौन में प्रघान था उस ने तौन सा परु भाला चलाया और उन्हें मार डाला ओर तीन में नामी हुआ॥ ९८९ । क्या बुच्द तौनें में सब से प्रतिष्ठित न था इस लिये वह उन का प्रधान हुआ तथापि बह पहिले तीन लो न पहुंचा॥ २०। कबजिएल में एक बलवन्त परुष था उस ने बड़ बड़े कार्य किये उस का बेटा यहक्ूयदः जिस के बंटा बिनायाह ने मेअब के दा जन के जो सिंह के तल्य थे मारा और जाके पाला के समय में गड़हे के बोच एक सिंह के। मारा॥ २९। ओर उस ने एक संटर मिस्त्री के मार डाला उस मिस्तौ के हाथ में एक भाला था परंतु वह लट्ट लेके उस पर उतरा ओर मिस्तों के हाथ से भाला छौन या ओर उसे के भाले से उसे मार डाला॥ २२। यहूयटः के बेटे बिनायाह ने यह यह किय और तौन शरों में नामी था॥ २३। वह उन तौसे से अधिक प्रतिष्ठित था पर वह उन तौन लो न पहुंचा और दाऊद ने उसे अपने मंत्रियां का प्रधान किया। २४। यअब का भाई असाहिल उन तौस में एक इलहनान बेतलहमी टूट का बेटा॥ २५। शब्मः हरूदी इलिका हरूरी॥ २६। फ्लोती खालिस तकुई अकौस का बेटा ईरा ॥ २७। अनाताती अबिअज॒र क्ृुशाती मबनाई॥ रृ८। अहेाही सलमून नौताफाती महरी॥ २८। नौताफाती बचना का बेटा हलिव बिनयमौन के सतान के जिबथ में से रेबो का बेटा इच्ौ॥ २४ पब्बे] कौ २ पच्तक | ६५४७ ३०। थिराथनौो बनाया नाहालो गाश कौ चहिटई ॥ ३९। अरबातौ अबिसंलम बरहक्तवमो अस्मावत॥ ३२। शआलबनी बनियासन यनतन ॥ ३३। हरारीो शम्मा ओर हरारी शरार का बेटा अहयाम॥ ६४। महाकाती का बेटा अहशबई का बेटा इलोफलत गलनो अखितफफ्ल का बेटा इलियम ॥ ३५ । करमली हसराई अरबौ पाराई॥ ३६। सूबा सेनतन का बेटा ऐगाल गादों बानी॥ ३७। अमनोौ सिलक बौरूतौ नहराई जरूयाह के बट यअब का अस्त्रधारोी था ॥ ₹८। इथरो ऐेरा इथरी गारीब॥ ३८ । हित्तो ओरिया सब समेत सेंतीस । २४ चोबीसवां पब्ये ॥ ज्ै' फेर परमेख्वर का क्राघ इसराएल पर भड़का ओर उस ने दाऊद का उन पर उभारा कि इसराएल का ओर यहूदाह कोा गिनावे॥ २। इ्ओांकि राजा ने सेना के प्रधान यअब के। जा उस के साथ था आज्ञा किई कि इसराएल को सारी गाष्ियों में से दान से विगरशबअ लां जा ओर लोागें के मिन जिसतें में लोगों की गिनती के जानं॥ ३। तब यअब ने राजा से कहा कि परमेम्घर आप का ई म्घर 2-4 हुं: पल की ८ वे 4 उन लोगों के जितने वे होवें से गुना अधिक करे जिसते मेरे प्रभु राजा की आंख देखें परन्त किस कारण मेरे प्रभ राजा यह काम किया चाहते हैं॥ ४। तथापि राजा को बात यञब के आर सेना के प्रधानों की बात पर प्रवल हुई ओर यञअब ग्रार सेना के प्रधान राजा के पास से इसराएल के लागों के गिन्ने के निकल गये ॥ ५ । और यरदन पार उतरे ओर अरूईर में नगर की दहिनी ओर जो जाट की तराई के मध्य में याएजर कौओर हे डरा किया॥ ६। वहां से ज्ञलिअट और नये बसे हुए नीचे के देश में आये ओर दानजान का और घम के सेट्टन का आये॥ ७। ओर छूर के गढ़ के आय और हवियों के सारे नगरों का और कनआनियों के और वे यहूटा ह के टछ्षिण का बिअरशबञ्च लां निकल गये॥ ८। से जब वे सारे देश में से हाके गये नव मास बोस ट्नके पीछे यरूसलम का आये॥ «८ । और यअब ने लागों की गिनती का पत्र राजा के टिया से इसराएल में आट लाख खज़ घारी बौर थे ग्यार 88 /#. 8. 8.] श रह पूष्य समएल [२४ पब्थे यहूटाह के लोग पांच लाख॥ ९०। ओर लोगों के गिनाने के पीछे पा अ कर] ३ दाऊद के मन में खटका हुआ और द्ाजद ने परमेश्वर से कहा कि में ने इंस काम में बड़ा पाप किया क्षे और अब हे परमेश्वर में तेरी बिनती करता नि 'न्‍्य > ७७ + ७४ जे हूं की अपनी छापा से अपने दास का पाप क्षमा कर क्योंकि में ने अति मूढ़ता किई क्षे। ९९५। इस लिये कि जब दाऊद बिहान, का डउठा तो परमेश्वर का बचन टाऊद के दृ्शों जाद भविय्यद्धक्षा पर यह करके पहुंचा। ९२९। किजा और टाऊदट से कह कि परमेयम्यर थे कहता क्षे कि में तेरे आगे तौन बात घरता हूं तू उन में से एक के। चन कि में तुस्क पर भेज । ९५३। से जाद दाऊद पास आया और उसे कहके बे।ला कि तेरे देश में तुम पर सात बरस का अकाल पड़े अथवा त्‌ तौन मास लो अपने शत्रन के आगे भागा फिरे ओर वे तुस्के रगेंटें अथवा तेरे देश में तौन दिन कौ मरी पड़े अब सोच और ट्ख कि में उसे जिस ने मुस्के भेजा क्या उत्तर ट्ऊं॥ ९४। तब ट्ाजद ने जाद से कहा किमें बड़े सकेत में हूं हम परमेच्र के हाथ में पड़ें क्योंकि उस की दया बहुत क्षे आर मनुव्यें के हाथ में में नपड॥ ९५ । से परमेश्वर ने इसराएल पर बिहान से +- ०. + हम बन 8७० ७० कम ठहराये हुए समय ले मरी भेजी ओर दान से लेके विअरशबअ लो लोगों में से सत्तर सहस्त जन मर गये॥ १६। और जब टृूत ने नाश करने के लिये यरूलसम पर अपना हाथ बढ़ाया तब परमेश्वर बराई से फिर गया ओर उस ट्ूत से कहा जिस ने लागों के नाश किया कि बस कै अब अपना हाथ रोक ले और परमेम्यर का टूत यबूसी अराना के खजिहान के लंग था॥ ९५७। और जब टाजट ने उस ट्रत का देखा जिस ने लागे का मारा तो परमेश्वर से कहा कि टेख पाप तो में ने किया हे और दृष्टता मैं ने किई है परन्तु इन भेड़ ने क्या किया है से म॒म्[ पर ओर मेरे बाप के घराने पर तेरा हाथ पड़े ॥ ५८। और उस दिन जाद ने टाऊद पास है: -< कल बिक पे आके उसे कहा कि चढ़ जा और यबूसी अराना के खलिहान में परमेम्धर के लिये एक बेटी बना॥ ९८। और जाए के कहने पर टाऊट परमेश्वर की आज्ञा के समान चढ़ गया॥ २०। और अराना ने ताका ओआर पे बे "जे “पक... ० प है > जी, ञ्च्र राजा का और डस के सेवकों के अपनो ग्यार आते ट्खा से। अराना ड निकला ओर राजा के आगे रूकके भूमि पर प्रणाम किया॥ २९। २४ पन्चे ] कौ २ पस्तक | ईघ८ और कहा कि मेरे प्रभु राजा अपने सेवक के पास किस लिये आये हैं तब दाऊद ने कहा कि तुभ से खलिहान मेल लेके परमेग्यर के लिये एक बेदी बनाऊं जिसतें लागों में से मरी थम जाय ॥ २२९। ओर अराना ने दट[जद से कहा कि मेरे प्रभ॒ राजा लेवें ओर जो अच्छा जानें से भेंट करें ग्रैर शेखिये कि हे।म के बलिदान के लिये बैल और पीटने की सामग्रो बेलां की सामग्री समेत इंधन के लिये ह्ञें। २३। से जैसा राजा राजा को देता हे अराना ने सब कुछ किया ओर अराना ने राजा से कहा कि परमेग्घर आग का ईम्घर आप को ग्रहण करे। २४। तब राजा ने अराना से कहा कि यों नहों परन्तु में नच्यय दाम ट्के उसे मे।ल लेऊंगा ओर में अपने ईस्घर परमेग्थर के लिय एसो हाम कौ भंट न चढ़ाऊंगा जो सेंत की हे। से दाऊद ने व॒ुद्र खलिद्दान ओर बेल पचास शैकल चांदी द के मेल लिये॥ २४ । ओर टाजद ने वहां परमेग्यर के लिये बदौ बनाई और हे!म को भेटें और कुशल कौ भेंट चढ़ाई और परमेग्पर देशके लिये मनाया गया ओर मरी इसराएल में से थम गई ॥ राजाओं को पहिलो पुस्तक जा राजाओं की तोसरो पुस्तक कह्ाती हे । -<इाइ 0 00७- पहिला पब्च । ब दाऊद राजा दिनौ और पुरनिया हुआ और उन्हें ने उसे जा कपड़ उढ़ाये परंत वह न गरमाता था॥ २। इस लिये उस के सेवके ने उसे कहा कि मेरे प्रभ राजा के लिये एक कन्या टंढ़ी जाय जिसतें 7ह राजा के आगे खड़ो रहे और उस के लिये सेविका हे।वे और बच आप को गाद में ५डो रहे जिसत मेरा प्रभ राजा गरमा जाय ॥ ३। से उन्‍्हां ने इसराएल के समस्त सवब्ानों में एक संदरी कन्या ढंढ़ो और शानामी अबिशग के। पाया ओर उसे राजा पास लाये॥ ४। ओर वह कन्या अति रूपवतौ थी ओर राजा कौ सेवा और उस को टहल कर तो थी परतु राजा उस्ह अनज्ञान रहा॥ ५४। तब हज्जोत के बट अट्टूनियाह मे यह कहके आप केए बढ़ाया कि में राज्य करूंगा ओर अपने लिये रथ और घोड़चढ़े और पचास मनव्य अपने आगे आग दौड़ने के सिद्टू किये ॥ ६ | और उस के बाप ने डसे यह कहके कघी उट्ास न किया कि त॒ ने एसा क्यों किया गर वह भौ बहुत संदर था और उस की मा उसे अबि सलम के पीछे जनो थी॥ ७। ओर वह जरूयाह के बेटे यअब ओर अबिवतर याजक से वातचौत करता था ओर यह दोनों अट्टनियाह के पौछे सच्दायता करते थे॥ ८! परंत सट्टकू याजक ओर यहयदः का ९ पब्ले| कौ ९ पुस्तक । ६६९ बेटा बिनायाह और नतन आगमज्ञानी ओर शमोय ओर रेई गेर दाऊट के महावौर अट्टनियाह के साथ न थे। €<। श्यार अट्टनियाइ ने भेड़ और बैल और पले हुए ढार ज़्हलत के पत्थल पर जो रूगल के कंए के लग क्षे बघन किये ओर अपने सारे भाई अथात्‌ राजा के बेटों का और यहूटाह के सारे लागों का राजा के सेवकों का नेठंता किया ॥ १५०। परंतु नतन आगनन्नानी और बिनायाह और महाबीरों का ग्यैर अपने भाई सुलेमान का न बलाया । २९ | इस लिये नतन सलेमान की मात बिन्तसवअ का यह कहके बा ला किक्या त ने नहीं सना कि हज्जौत का बेटा अट्ूनियाह राज्य करता हे और हमारा प्रभ दाजट नहीं जानता॥ १५२। अब इस लिये आइये में आप को मंत्र दें जिसतें आप ह्ौ का प्राण और आप के बट सलेमान का प्राण बचे॥ २३। आप ट्राऊद राजा पास जाइय ओर उसे कहिये कि मेरे प्रभु राजा क्या आप ने अपनो दासीो से किरिया खाके नहीं कह्दा कि निश्चय तेरा बेटा सलेमान मेरे पीछे राज्य करेगा ओर वहीं मेरे सिंहासन पर बैठगा फेर अट्टनियाह क्यां राज्य करता क्षे। २४। टेख आप के राजा से बातें करते ही में भो आप के पीछे आ पहुंचंगा और अ।प को बातों का दृढ़ करूगा॥ १५५। से बिन्तसबअ भोतर काठरी में राजा पास गई और राजा ता बहुत ढड्ड था ओर शनामोौ अबिशाग राजा कौ सेवा करती थी ॥ २९५६। गैर बिन्तसबअ भमकको ओर राजा के आगे दंडवत किई तब राजा ने कहा कि तुमे क्या है॥ । ९७। और उस मे उसे कहा कि हे मेरे प्रभ आप ने परमेम्घर अपने ई सर की किरिया खाके अपनी दासों से कहा कि निश्यय मेरे पौछ तेरा बटा सलेमान राज्य करेगा और वुच्ठ मेरे सहासन पर बैठेगा॥ ५८। से अब ट्खिये अद् नियाह राज्य करता क्षे आर अब लॉ मेरा प्रभ राजा नहीौं जानता॥ ९८ । और उस ने बहुत से बैल और पले हुए ढार और भेडे बधन किये और राजा के सब बटों ग्लार अविवतर याजक ग्रार सेना के प्रधान यअब का नेडंता किया क्षे परंत उस ने आप के दास सलेमान का नहीं बलाया॥ २०। और अब हे मेरे प्रभ राजा समस्त इसराएल कौ दृष्टि तुम्क पर हे जिसतें त्‌ उन्हें कहे कि मेरे प्रभ राजा के सिंद्यासन ६६२ राजावली [९ पब्ब पर उस के पोछ कान बेठेगा॥ २१५। नहों ता यह्ट होगा कि जब मेरा प्रभु राजा अपने पितरों के साथ शयन करेगा तब में ओर मेरा बेटा सुलेमान टानों दोषी गिने जायेंगे ॥ २२। और टेखे कि वह राजा से बातें कर रहौ थौ कि नतन आगमज्ञानी भी आ पहुंचा॥ २३। ओर उन्‍्हों ने यह कहके राजा के जनाया कि नतन आगमज्ञानी आया क्ञे ओर जब वह राजा के आगे आया ता उस ने राजा के आगे भमि लॉ मककके प्रणाम किया॥ २४। और बेला हे मेरे प्रभु राजा क्या त ने कहा है कि मेरे पीछे अट्टनियाक राज्य करके मेरे सिंहासन पर बैठेगा॥ २५। क्योंकि वह आज उतरा और बहुत से बेल ओर पले हुए ढार और भेडें मारी और समस्त राज- कुमारों का आर सेना के प्रधानों का और अविवतर याजक का नेहंता किया और टेखिथे वे उस के साथ खाते पीते हैं ओर कहते हें कि अर्टनियाह राजा जीय ॥ २६ | परंत आप के दास मम्मे और सट्क्‌ याजक और यह्तयदः के बेटे बिनायाह के और तेरे टास सलेमान के। न बलाया ॥ २७। क्या यह मेरे प्रभ राजा की ओर से है ओर त ने अपने दास के। न जनाया कि भेरे प्रभ राजा के पीछे उस के सिंहासन पर कौन बैठेगा ॥ र८च। तब टाजद राजा ने उत्तर टके कहा कि बिन्तसबअ को मेरे पास बुलाओ और बह राजा के आगे आई और राजा के सन्मुख खड़ी हुई॥ २८ । राजा ने किरिया खाके कहा कि उस परमेमग्यर के जीवन से जिसने मेरे प्राण के! समस्त दुःख से कृड़ाया॥ ३०। जैसा में ने परमेश्वर इसराएल के ईग्यर की किरिया खाके तम्क कहा था कि निच्यय तेरा बेटा सलेमान मेरे पीछ राज्य करेगा और मेरी संती मेरे सिंहासन पर वहीं बेठेगा वसा हो में आज निशञ्यय करूंगा॥ ३९ । तब बिन्तसब् ने भूमि लो क्कुकके प्रणाम किया और बोलो कि मेरा प्रभ राजा दाऊद सबेदा जीता रहे॥ ३२। तब दाऊद राजा ने आज्ञा किई कि घटक याजक और नतन आगमभन्ञानी ग्रार यहूयढः के बेटे बिनायाह के पास बलाओए ओर वे राजा के आगे आये ॥ ३३। तब राजा ने उन्हें भी कहा कि अपने प्रभ के सेवकों के अपने साथ लेग्रे और मेरे बेटे सलेमान के मेरे हो खन्चर पर चढ़ाओ। और उसे जैह्नन के ले जाओ॥ ३४। ९ पत्चे की ९ प॒क्तिक । € ६8 ओर सट्क्‌ याजक ओर नतन आगमज्ञानी उसे वहां इसराएल पर राज्याभिषेक करें ओर तरही फंकके बाले कि ई स्वर सलेमान राजा के जीता रक्‍कवे॥ ३५ । तब उस के पीछ पीछे चले आग जिसतें वह आवे और मेरे सिंहासन पर बैठे क्योंकि मेरी संतों वही राजा हेगा गर में ने ठहराया के कि इसराएल पर ओर यहूदाह पर वही प्रभुता करे॥ ३६ । तब यहूयदटः के बेटे बिनायाह ने राज़ा का उत्तर टके कहा कि आमीन मेरे प्रभ राजा का ईश्वर परमेग्वर भी ऐसा हौ कहे ॥ ३७। जिस रीति से परमेग्पर मेरे प्रभ राजा के संग था उसो रोत से सलेमान के संग हावे और उस के सिंहासन के मेरे प्रभ टाऊजद राजा के सिंहासन से श्रेष्ठ करे॥ ३८। से सट्टक याजक और नतन आगमज्ञानी और यहयद्‌ः का बेटा बिनायाह और करौोती और पलौतो आये और सलेमान के दाऊद राजा के खचन्चर पर चढ़ाया ओर उसे जेह्न के लाये॥ ३७८। और वहां सट्टक्‌ याजक ने तंब से एक सौंग में तेल लिया और सलेमान को अभिषेक किया तब उन्‍्हों ने तरहीौ फंकी और सब के सब बाले को सलेमान राजा के। ईंश्वर जौता रकवे॥ ४० । और समस्त लाग उस के पीछ पीछे चढ़ अआये और लाग बांसलो बजाते बजाते बढ़े आनंट करने लगे ऐसा कि भमि उन के शब्द से फट गई ॥ ४ ९। और अट्ूटूनियाह ने और उस के साथ के समस्त नेठंतहरी ने सना और ज्यां वे खा चके ओर यअब ने तरूुहौ का शब्द सना तो बेला कि नगर में यह क्या कालाहल और जहाराह॥ ४२ | वह यह कह रहा था कि ट्खा अबिवतर याजक का बेटा यह्ननतन आया ओर अट्टनियाह ने उसे कहा किआ क्योंकि त बौर हे और ससंटेश लाता क्षे। ४३। तब यह्ननतन ने अट्टनियाह से कहा कि निे्जय हमारे प्रभु राजा दाऊद ने सुलेमान के राजा किया क्षे। ४४। और राजा ने सट्टक्‌ू याजक के और नतन आगमज्ञानी के ओर यह्नयटः के बेटे बिनायाह के ओर करोती और पलौतो के। उस के साथ भेजा और उन्‍्हों ने राजा के खत्चर पर उसे चढ़ाया॥ ४५ । और सहट्ूक्‌ याजक और नतन आगमजन्ञानी ने जैहून में उसे राज्याभिषेक किया और वे वहां से एसा आनंट करते हुए फिरे हैं कि नगर गज गया तम ने वच्दौ शब्द सुना है। ४६। और सलेमान राज्य सिंहासन पर भी बैठा 6६४ राजावलौ [२ पब्बे है॥ ४७। और इससे अधिक राजा के सेवक हमारे प्रभ राजा टाजद के! यह कहके बधाई दे रहे हें कि ईंस्वर सलेमान के तेरे नाम से अधिक बढावे और उस के सिंहासन के तेरे सिंहासन से अधिक श्रेष्ठ करे ओर राजा ने बिछाने पर टंडवत किई॥ ४८। ओर राजा ने भी कहा क्षे कि परमेम्वर इसराएल का ईय्वथर धन्य हे जिस ने आज के दिन मेरे सिंहासन का बैठवैया टिया ओर मेरी आंखें ने देखा॥ ४८ | तब सारे नेउंतहरी जा अट्टनियाह के साथ थे डरके उठे ओर हर एक अपने अपने मागे चला गया॥ ५०। ओर अट्टूनियाह सुलेमान के डरके मारे उठा और जाके बेदी के साँगां के। पकड़ा॥ ५९ । और सलेमान को संदेश पहुंचा कि टेखिय अट्टनियाह सलेमान राजा से डरता हे क्योंकि वह बेदी के सौंगां का पकड़े हुए कहता हे कि सलेमान राजा आज मभ्त् से किरिया खाके कहे कि में अपने सेवक का खड़े से चात न करूंगा॥ ५२। तब सुलेमान बाला यदि बुह आप को योग्य पुरुष दिखावेगा तो उस का एक बाल भूमि पर न॒गिरेगा परंतु यदि उस में दुष्टता पाई ज्ञाय तो वुच् मारा जायगा॥ ५३। से सलेमान राजा लाग »जके उसे बेदौ पर से उतार लाया उस ने आके सलेमान राजा के आगे दंडबत किई और सुलेमान ने उसे कहा कि अपने घर जा । ९ ट्ूसरा पब्ब । जः दाऊद के मरने के टिन आ पहुंच तब उस ने अपने बेटे सलेमान के। यह कहके उपदृश किया॥ २। कि में समस्त एथिवो की रीति पर जाता कूं से त दृढ़ हे! और अपना परुषा्थ दिखा॥ ६३। और परमेम्थर अपने इंम्वर को आज्ञा का पालन करके उस के मार्गां में चल और उस की ब्यवस्थां ओर आज्ञाओं और बिघिन और उस की साच्छो को रक्ता कर जेसा मसा की ब्यत्रस्था में लिखा हे जिसतें त अपने काया में आर जिधघर त फिर भाग्यवान हेवे॥ ४। जिसमें परमेम्यर अपने बचन पर बना रहे जे उस ने मेरे बिषय में कहा कि यदि तरे बंश अपने भारी में चोकस रहके अपने सारे मन से ओर सारे प्राण से मेरे आग सन्चाई से चलेंगे ता इसराएल के संतान का सिंहासन तम्क से अलग २ पर्ब्ब] की ९ पस्तक। ह्द्पू न हागा॥ ५। गऔर जा कुछ कि जरूयाह के बेटे यअब ने मम्क से और इसराएली सेना के टो प्रधानें अथेत नेयिर के बेटे अविनेयिर और यतर के बेटे अमासा से किया त जानता है उस ने उन्हें मार डाला और मिलाप में संग्राम का लेाह् बहाया ओऔर संग्राम के लाह़् के अपनी करटि के पटके पर ओर अपने पांग्रे की जतियों पर छिड़का॥ ६। से त्‌ अपनी बड्डिके समान कर और उस का पक्का बाल कुशल से समाधि में उतरने नट॥ ७। परंत जिलिअदो बरजिली के बेटों पर दया कर और वे उन में हावें जो तेरे मंच पर भाजन करते हें इस लिये कि जब में तेरे भाई अबिसलम से भागा था वे मम पास आये॥ ८। ओर ट्ख बहूरीमो बिनयमीनी जैरा का बेटा शमीय नेरे साथ हे ज्ञिस ने मम भारी स्ताप टिया ज्ञिस दिन में महनेन में गया परंत वह यरद्न पर मस्‍्कसे भेंट करने के आया और में ने यह कह के उस्झ परमेम्घर की किरिया खाई किमें तम्के तलवार से घात न करूगा॥ <€। पर उसे निदाणष मत जानिया क्योंकि त बद्धिमान है और जानता है जे। कुछ उसे किया चाहे परंत उस का पक्का बाल लाह्न के साथ समाधि में उतारिये।॥ ५०। उस के पीछे दाऊद ने अपने पितरों में शयन किया ओर दाऊद के नगर में गाड़ा गया॥ २९। और टाऊद ने इसराएल पर चालौस बरस राज्य किया सात बरस हबरून में और तेंतीस बरस यरूसलम में उस ने राज्य किया॥ १५२। तब सलमान अपने पिता दाऊद के सिंहासन पर बंठा और उस का राज्य बहुत स्थिर हुआ॥ १५३। तब हज्जौत का बेटा अट्ूटनियाह सलेमान कौ माता बिन्तसबअ्‌ पास आया उस ने पका कि तू कुशल से आता हे वह बाला कि कुशल से॥। ५४। फिर उस ने कहा कि में तमक से कुछ कहा चाहता हूं वह बालो कह॥ १५५४। उस ने कहा कि त जानती है कि राज्य मेरा था और समस्त इसराएल ने मुक्त पर रुख किया था कि में राज्य करूं परंत राज्य पलट गया और मेरे भाई का हुआ क्यांकि परमेम्धर की ओर से उसी का था ॥ १५६। से मेरो तभ्क से एक बिनती हे उस्म मंह न फरिये वह बालो कह ॥ ५७। उस ने कच्दा कि अनग्रह कर के सलेमान राजा से कहिये [क्यांकि वह आप के नाह न करेगा | कि शनामी अबिशाग के मम्ते ब्याह टेवे॥ १५८। से। बिन्‍्तसब 5 84 [0॥. 8, $.] ६ राजावलों [२ पब्व बाली कि अच्छा में तेरे लिये राजा से कहूंगी ॥ १५८ । इस लिये बिन्ततलबअ॒ सलेमान राजा पास अट्ूरनियाह के लिय कहने गई राजा उसे मिलने का डठा और उसे प्रणाम किया फिर अपने सिंहासन पर बैठ गया और राजा ने अपनी माता के लिये एक आसन मंगवाया-और वुच्द उस की दहिनी ओर बैठी॥ २०। तब वह बाली कि में एक छोटों बात चाहतो हूं मुक्क से नाह न कीजिया राजा ने उसे कहा कि हे माता मांगिये क्यांकि में तुम्क के नाह न कहूंगा॥ २९। ओर वुद्द बाली कि शनामी अविशाग तेरे भाई अट्टनियाह से ब्याही जाय॥ ९२। तब सुलेमान राजा ने अपनी माता के उत्तर ट्‌ के कहा कि तू केवल शनामी अबिशागु के अट्टू्नियाह के लिय क्यों मांगतो हे उस के लिये राज्य भी मांग क्योंकि वुद् मेरा बड़ा भाई हे हां उस के लिये और अबिवतर याजक के ओर जरूयाह के बट अब के लिये भो॥ २३। तब सलमान राजा ने परमेग्घर की किरिया खाके कहा कि यदि अट्टनियाह ने यह बात अपने प्राण पर खलने की नहों करी ते ईश्वर मस्क्त से ऐसा हो ओर उससे अधिक करे॥ २४। से! अब परमेश्वर के जीवन से जिस ने मस्के मेरे पिता दाजद के सिंहासन पर बैठाया और स्थिर किया और जिस ने अपनो बाचा के समान मेरे लिये घर बनाया आज ही अट्नियाह मारा जायगा॥ २५। ओर सलेमान राजा ने यहकह्ूयटः के बट बिनायाह का भेजा उसने उस पर लपकके उसे मार डाला॥ २६। फिर राजा ने अबिवतर याजक के कहा कि अनातत केा अपने खतों में जा क्योंकि त स्टत्य के याग्यह परंत इस जन में तम्के मारन डालंगा इस कारण कि तमेरे पिता टाजट के आगे परमेन्यर ईम्घर की मंजणा उठाता था और इस लिये कि त्‌ उन सब ढुःखों में जप मेरे पिता पर पड़ संगी था॥ २७। से सलेमान ने अबिवतर को परमेम्वर का याजक हे।े से टूर किया जिसत व॒च्द परमेम्वर के बचन को संपण कर जे उस ने सेला में एली के घराने के बिषय में कहा था ! श रप८। तब यअब के संदेश पहुंचा क्योंकि यअब अर्ट्रियाह के पीछे हुआ था यद्यपि वह अबिसलम की ओर न फिरा था से। उस ने परमेग्थर के तंब में भागके बेदी के सोंगें के। घरा॥ २<८। और सलेमान के संदेश पहुंच कि बअब भागके परमेश्वर के तंब्‌ में गया और देखे कि २ पब्ष] को ५ पस्तक ६६७ बह बेटी के लग क्वे तब सलमान ने यह्ूयदः के घेटे बिनायाह के! कहला भेजा कि उसे मार डाले॥ ३०। से बिनायाह परमेगर के तंब में गया और उसे कहा कि राजा की आज्ञा है कि त्‌ बाहर निकल वह बाला कि नहीं मैं यहों मरूगा तब बिनायाह फिर गया ओर राजा से कहा कि यञअब यों कहता हे ग्रार उस ने मस्‍्ते यों उत्तर दिया ॥ ३९। राजा ने उसे आज्ञा किई कि जैसा उस ने कहा हे वैसा हो कर ओर उस पर लपक और उसे गाड़ जिसतें त उस निष्पाप लाहक्न के जा यूअब ने बहाया मम से और मेरे पिता के घराने से मिटा टेवे।॥ ३२। और परमेयस्थर उस का लाह् उसी के सिर पर धरेगा जिस ने हो मनुस्ये। पर जो उस्स अधिक च्पों' और भले थे लपकके उन्हें तलवार से घात किया ओर मेरा पिता न जानता था अथीात्‌ इसराएली सेना के प्रधान नेथिर के बटे अबिनैयिर का गैर यहटाह की सेना के प्रधान यतर के बेटे अमासा के ॥ ३६। से। उन का लाह् यअब के सिर पर और उस के बंश के सिर पर सनातन ला पलटे परत टाऊट पर शऔर उस के बंश पर और उस के घराने पर और उस के सिंहासन पर परमेश्वर को ओर से सदा कुशल हेगा ॥ ३४। से यहक्नयटः के बेटे बिनायाह ने जाके उस पर लपकके उसे मार डाला ओर वुह अरण्य में अपने हो घर में गाड़ा गया॥ ३५॥। फिर राजा ने यक्नयटः के बेटे बिनायाह का उस की संती सेना का प्रधान किया और सट्टक्‌ू याजक के राजा ने अबिवतर के स्थान पर रक्‍खा ॥ ३६ । फिर राजा ने शर्मोय का बला भेजा और उसे कच्ा कि यरूसलम में अपने लिये घर बना ओर वहीं रह और वहां से कह्दौं बाहर मत निकल ॥ ३७। क्योंकि जिस दिन तू बाहर निकलेगा और किटरून की नाली के पार जायगा निशञ्यय जानिया कि अवश्य मारा जायगा तेरा लाह् तेरे हो सिर पर हाोगा.॥ ३८। ओर शमीय ने राजा से कहा कि आज्ञा उत्तम हे जैसा मेरे प्रभ राजा ने कहा हे बैसा ही तेरा सेवक करेगा से! शर्मीय बहुत दिन ले यरूसलम में रहा॥ ३८। जऔर तीसरे बरस के अंत में एसा हुआ कि शमीय के हो सेवक जअत के राजा मअकः के बेट अकीस कने भाग गये ओर शमीय से कहा गया कि देख तेरे सेवक जञअत में क्षे। ४०। तब शमोय ने उठके अपने गदहे पर काटी बांघी और ६ ६८८ राजावली [६ पब्थ अपने सेवकों के टढंढ़ने के। जञत में अकीस पास गया और जअत से अपने सेवकों का ले आया॥ ४९५। यह संदेश सलेमान का पहुंचा कि शमीय यरूसलम से जञत के गया था और फिर आया ॥ ४२ । तब राजा ने शर्मीय के बला भेजा ओर उसे कहा कि क्या में ने तस्हे परमेम्पर को किरिया न दिलाई थी और तम्क से बाचा लेके न कहा था कि त निश्यय जानिये कि जिस टिन त बाहर जायगा या कहाँ फिरेगा त अवश्य मारा जायगा और त ने मस्मे कहा था कि यह बचन जो में ने सना उत्तम के ॥ ४३ । से तने परमेम्वर की किरिया के और उस आज्ञा का जा में ने तम्फे किई क्यों नहीं माना॥। ४४। फिर राजा ने शमीय से कद्दा कि त उन सब दृष्टता का जानता क्षे जा त्‌ ने मेरे पिता दाऊद से किई जिन से तेरा मन जानकार है से परमेश्वर तेरौं दृष्टता के तेरे द्रौसिर पर पलरेगा॥ ४५ । ओर सलेमान राजा भाग्यवान होगा और टाऊजद का सिंहासन परमेम्धर के आगे सबेदा स्थिर रहेगा॥ ४६। से राजा ने यहूयट्‌ः के बेटे विनायाह के आज्ञा किई और उस ने बांहर जाके उस पर लपकके उसे मार डाला तब राज्य सुलेमान के हाथ में स्थिर हुआ ॥ ३ तीसरा पब्चे ॥ जो" सलेमान ने मिख के राजा फिरऊन से नाता किया और फिरऊन की कन्या को ब्याहा और अपने भवन ओर परमेश्वर के मंदिर और यरूसलम की भोत चारों ओर बनाके समाप्त करने लों उसे टाऊद के नगर में लाया॥ २। केवल उस समय लॉ लाग ऊंचें स्थानों में बलिटान चढ़ाते थे इस कारण कि उस दिन लॉ काई मंदिर परमेश्वर के नाम के लिये बनाया न गयाथा॥ ३। ओर सुलेमान परमेश्वर से भ्रम करके अपने पिता के बाघिन पर चलता था केवल ऊंचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाता था और घप जलाता था॥ ४। ओर बलिटान चढ़ाने के राजा जिबअन को गया क्योंकि महा ऊंचा स्थान वहीं था और उस बेदी पर सलेमान ने हेम के सहस्त बलिदान चढ़ाये ॥ ५। जिबञअन में परमेम्पर ने रात का सलमान का खन्न में रशन दिया ज्लर ईश्वर ने कहा कि मांग में तम्मे क्या टेज॥ ६। तब सलेमान ने ३ पब्च) की ९५ पस्तक ॥ ६६८ बिनती किई कित ने मेरे पिता अपने सेवक दाऊट का बड़ा दाम दिया इूस कारण कि वह तेरे आगे सच्चाई और धर्म और भन॑ की खराई से चला था ओर त ने उस पर यहक्त बड़ा अनग्रह्व किया कित ने उस के सिंहासन पर बेठने के लिये एक बेटा रिया जेसा आज के दिन क्षे। ७। से अब हे परमेश्वर मेरे ईश्वर त्‌ ने मेरे पिता दाऊद की संती अपने सेवक के राजा किया और में बालक हूं बाहर भौतर आने जाने नहों जानता ॥ ८। और तेरा सेवक तेरे लागें के मध्य में हे जिन्हें तू ने चुना हे बड़े लाग जे अगण्य और बहुत हैं एसा कि गिने नहों जा सक्ते हैं॥ <। से अपने लागों के न्याय करने के लिये अपने सेवक के सन्ने का मन टे जिसते में भले और बरे में बिवेक करू क्यांकि तेरे ऐसे बड़ लागें का न्याय कैन कर सक्ता ह्े। ९५०। ओर यह बात परमेग्पर के! अच्छी लगी कि सले- मान ने ऐसी बस्त मांगो॥ २५९। और ईय्घर ने उसे कहा इस कारण कित्‌ ने यह बस्त मांगी कै और अपनी बड़ी आया न चाही और न अपने लिये घन मांगा क्षे और न अपने बैरियों का प्राण चाहा है परंत अपने लिये न्याय करने को बड्डि चाही ॥ १५२। ट्ख में ने तेरो बातों के समान किया है में ने एक बड्धिमान और ज्ञानवान मन तम्फे टिया है ऐसा कि तेरे आगे तेरे तल्य काई न था और तेरे पीछे तेरे तल्य काई न हेगा॥ २१५३। ओर में ने तस्ते वह भी जे त ने नहीं मांगा अथात धन जऔैर प्रतिष्ठा यहां लां टिया कै कि राजाओं के बीच तेरे जोवन भर तेरे तल्य नहीं हुआ क्षे। ९४। और यदि त मेरे मार्गों पर चलके मेरी बिधिन ओर आज्ञाओं के। पालन करेगा जिस रीति से तेरा पिता दाजट्‌ चलता था तो में तेरी बय बढ़ाऊंगा॥ ५४ । तब सलेमान जागा और टेखा कि खप्न क्षे फिर वह यरूसलम के। आया और परमेग्प्र के नियम की मंजषा के आग खड़ा हुआ ओर हेम के बलिदान और कुशल की भेंट चढ़ाई ओर अपने समस्त सेवके के लिये जेवनार किया। ९६। उस समय में दो बेश्या राजा पास आई ओर उस के आगे खंडी हुई॥ ९५७। ओर एक बाली कि हे मेरे प्रभ मैं और यह स्त्री एक घर में रहती हें जओर में उस के साथ घर में रहते हुए एक बालक जनी॥ ९८। और मेरे जन्ने के तीसरे ट्नि पीछ यों हुआ कि यह स्त्री भी जनी और ६9० राजावजो [४ पब्ब हम एक साथ थीं ओर घर में हम दाने के। छाड़ काई उपरी हमारे संग नथा॥ ९८। ओर इस स्‍्त्रो का बालक रात के मर गया इस लिये कि वह इस के नौचे ट्ब गया॥ २०। तब बुद्द आधी रात के उठी गऔर जब कि तेरी लेोंडी सेततोौ थी मेरे पास से मेरे पुत्र के ले गई ओर अपनी गोद में रक्‍वा ओर अपने मरे हुए बालक के मेरी गाद में घर ट्या॥ २२ । बिहान के! जब में उठी कि अपने बालक को दह्ृूघ पिलाऊं ते क्या टेखती हूं कि वह मरा पड़ा क्षे पर विहान के जबमें ने सोचा तो टेखा कि यह मेरा जना हुआ लड़का नहों ॥ २२ । फिर वह ट्ूसरीो स्त्री बालो नहीं परंत जीता पत्र मेरा क्षे और मरा हुआ तेरा है ओर यह बाली कि नहीं मरा हुआ तेरा पत्र और जीता मेरा पत्र था उन्हें ने राजा के आगे बातें किई । २३६। तब राजा बाला कि एक कहती हे जोता पत्र मेरा है और म्ह॒तक॑ तेरा पुत्र ओर टूसरी कहती है कि नहीं परंतु म्ठतक तेरा पुत्र और जीता मेरा पुच॥ २४ । तब राजा ने कहा कि मुस्क पास एक खज् जाओ ए तब वे राजा के आगे खज्ध लाये ॥ २५ ।फिर राजा ने कहा कि इसल जीते बालक के। दो भाग करे और आधा एक को टेओ और आधा टूसरी के॥ २६। तब जिस स्लो का जीता बालक था उस ने राजा से कहा [क्योंकि उस की मया अपने पत्र के लिये तपित हुई] हे मेरे प्रभ जीता बालक उसी के दीजिये और किसी भांति से न मारिये परंत दूसरी बाली कि यह न मेरा हे न तेरा परंत भाग किया जाय ॥ २७। तब राजा ने कच्॒द के आज्ञा किई कि जीता बालक इसी को ट्ओए और उसे किसी भांति से मत मारो उस की माता यही क्ञषे॥ २८। ओर समस्त इसराएल ने यह न्याय सुना जो राजा ने किया और राजा से डरे क्योंकि उन्हें ने देखा कि ईयर की बद्धि न्याय फरने के लिये उस के मन में च्हे। 0. [५ ४ चौथा पब्थ। ७ मे सुलेमान राजा सारे इसराएल का राजा हुआ॥ २। व्पेर उस के अध्यक्ष ये थे सट्टक याजक का बेटा अज॒रियाह॥ ३। इलीहुरिफ और अखियाह शौशा लेखक के बेटे थे और अखिलूद का बेटा यक्शफत स्म्रक॥ ४ । और यहक्वयटः का बेटा बिनायाह सेना का प्रधान ४8 पब्बे) कौ २ पस्तक | ६७९ और सट्टक और अबिवतर याजक ॥ ५ । ओर नतन का बेटा अजरियाह प्रधानें पर और नतन का बेटा जबूद श्रेष्ठ प्रधान और राजा का मित्र ॥ ६। और अखिशार घर का प्रधान और अबदा का बेटा अदुनौराम कर का प्रधान ॥ ७। ओर सारे इसराएल पर सलेमान के बारह प्रधान थे जा राजा के और उस के घराने के भाजन सिद्ध करते थे उन में से हर एक जन बरस भर में एक मास भाजन सिद्द करता था॥ ८। उन के नाम ये हैं क्र का बेटा इफ्रायम पहाड़ में ॥ <। दिक्र का बेटा मकस में और शआअल- बौम में और बेतशमणश और एलन बैतहनान में ॥ ५०। हसद का बेटा अरूबत में शाकः और हिफ्र का समस्त टश उस के बश में था॥ १५१। अबिनद्ाब का बेटा टार के समस्त देश में ओर सलेमान कौ बेटी ताफुत उस की पत्नौ थी॥ ९५२। अखिलूद का बेट। बच्चना तअनाक ओर जिहा ओर समस्त बेतशान जो जरंतान के लग यज़रअएेल के नोचे बैतशान से लेके अबौल महक्लः लां यकमिआम के पार लों उस के बश मेंथा॥ २९३। ओर जब्र का बेटा रामात जिलिअर में मनस्पोक के बेटे याइर के नगर जे। जिलिअ॒द में हें अरजूग के देश समेत जो बशन में है अथे।त्‌ जे भीत से घेरे और जिन में पीतल के अड़ंगे थे साठ नगर उस्मे प्रयाजन रखते थे॥ १५४। ईंट का बेटा अखिनटब महनैन रखता था॥ ९५५ । अखिमअज नफतालीौ में वह भी सलमान कौ बेटो बमत को पल्नौ किये था॥ १५६। छकूशो का बंटा बअनः यसर ओर अलूत में ॥ ९७। फरूह का बेटा यह्ूशफत इशकार में ॥ १५८। आला का बेटा शमयों बिनयमीन में॥ ५५। ऊरीौो का बेटा जब्र जिलिअ॒ट के दृश में था जा अमरी के राजा सेह्न का राज्य ओर बशन के राजा ऊग का राज्य था ओर उस दृश का केवल वहीं प्रधान था॥ २०। यकूदाद ओर इसराएल बहुताई में समद्र की बाल को नाई थ वे खाते पीते और आनंद करते थे। २५। ओर सलेमान समस्त राज्यां पर राज्य करता था नट्ौ से फिलिस्तियां के रश लां और मिल के सिवाने ला वे उस पास भेंट लाते थे और उस के जीवन भर उस कौ सेका करते थे॥ २२। और सलेमान के ट्नि भर का भाजन यह था तौस पैमानः ६७२ राजावली [४ पब्थ चेखा पिसान ओर साठ पैमानः आटा॥ २३। ग्यार ट्स मोटे बेल और चराई के बीस बैल एक मो भेड़ें ओर उद्म अधिक चिकारे और हरिण और काले हरिण और मेरे मोटे पंछी के छोड़के॥ २४। क्यांकि वच नदी के इस पार तिफसह से लेके गअज्ज ला उन सारे राजाओं पर ज्ञा समद्र की इसौ ओर थे राज्य करता था और चौटिसा से मेल रखताथा॥ २५ । और यहूटाह और इसराएल हर एक परुष अपने अपने टूख ओर अपने गलर के पेड़ तले दान से लेके बिअरसबः लो सले- मान के जीवन भर कशल से रहता था॥ २६। ओर सलेमान के रथों के लिये चालीस सहस्त घाड़शाला थों ओर बारह सहखत घोड़ चढ़े ॥ २७। ओर उन बारह प्रधानों में से हर एक जन अपने अपने मास में सलेमान राजा के लिये और उन सब के लिये जो सलेमान राजा के भाजन में आते थ भाजन सिद्द करता था उन कौ किसो बात की घटती नथी॥ २८।आऔर घोड़ां और चालाक पशुन के लिये जव और पुआल भी हर एक जन आज्ञा के समान उसी स्थान में लाता था॥ २८। ओर इम्घर ने सलेमान का अत्यंत बच्धि और ज्ञान और मन का फैलावा समद्र के तौर की बाल की नाई दिया था॥ ३०। और सलेमान की बच्धि सारे पबियों की बड़िसे और मिखस्तियां की सारी बड्धि से श्रेष्ठ थी॥ ३२॥। क्योंकि वह इशराको औअतान से ओर क्लेमान से और खलकल से और ट्रट्व से जो महल के बेटे थे और समस्त मनव्य से अधिक बद्धिमान था और उस की कीर्त्ति चारों आर के समस्त जातिगणां में फैल गई थौ॥ ३२। झर उस ने तीन सहस्त दृष्टांत कहा और उस के गीत एक सच्चस्त और पांच थे। ३३। और उस अरज छक्ष से लेके जा लबनान में है उस जफा ला जो भौोतों पंर ऊगतो है उस ने सब छत्चां का बर्ण किया और पशन और पक्षियों और रंगवेथों ओर मछलियों के विषय में कच्दा ॥ और सारे लागें में से और एथिवी के समस्त राजाओं से जिनहों ने उस की बद्चि का संदश पाया था सलेमान को बड्धि सन्ने केश आते थे । ५ पब्ब] को ९ पुस्तक । ६ ७३ ५ पांचवां पब्बे । 5 हे रूर के राजा हौराम ने सुलेमान के पास अपने सेवकों के भेजा क्योंकि उस ने सुना था कि उन्‍्हों ने उस के पिता की संती उसे राज्याभिषेक किया क्योंकि हीराम टाजट से सदा प्रीति रखता था॥ २। और सलेमान ने हौराम के कहला भेजा॥ ३। कित जानता हे कि उन लड़ाइयों के कारण जा उस के आस पास चोदिशा थौं मेरा पिता दाजद परमेग्थर अपने इं श्र के नाम के लिये एक मंदिर न बना सका जब लो कि परमेग्यर ने उन सभों के! उस के पांग्रे। तले न कर दिया॥ ४। परंतु अब परमेश्वर मेरे ईम्वर ने मुझे चारों ओर से चैन दिया यहां लांकि अब न बेरी न उपद्रवी है॥ ५। से ट्ख में ने ठानाक्षे कि परमेग्वर अपने ईस्थर के नाम से एक मंदिर बनाऊं जैसा कि परमेग्पर ने मेरे पिता दाऊद से कहा कि तेरा बेटा जिसे में तेरे सिंहासन पर बैठाऊंगा बच्ौ मेरे नाम का मंदिर बनावेगा ॥ 6। से त्‌ आज्ञा कर कि मेरे लिये लबनान से आरज छच्ष काट और मेरे सेवक तेरे सेवकों के साथ होंगे ओर तेरे कहने के समान तेरे सेवकें की बनी दऊंगा क्योंकित जानता हे कि हन्म यह गए नहीं कि सेटानियों के समान लट्टा कार्टे ॥ ७। ओर एसा हुआ कि जब ह्नौराम ने सलेमान की बातों के! सना तब उस ने अत्यंत मगन हे।के कहा कि आज परमेग्पर का घन्यबाद हेावे जिस ने अपने महत्‌ लाग पर दाऊद का एक बड्डिमान बेटा दिया ॥ प८ू। तब होराम ने सलमान का कहला भेजा कि जा जो बात के लिये त ने मरस्फे कहलाया हे में ने समभ्का और में आरज के लटट और ट्वदारु के लट्ट के बिषय में तेरी समस्त इच्छा करूगा॥ <। मेरे सेवक उन्‍हें लबनान से समद्र पर लावेंगे और उन्हें बेड़े में समद्र पर से उस स्थान लों जहां त कहे पहुंचाऊंगा और वहां डलवा टेऊंगा और त पावेगा और त मेरी इच्छा के समान मेरे घराने के लिये भाजन दे॥ १५०। से होराम ने सलेमान के आरज छक्ष और ट्वट्रारु रक्ष अपनी समस्त बांछा के समान दिये॥ १५९ । और सलेमान ने हौराम के। उस के घराने के भोजन के लिये बरस बरस बौस सहस्तर पेमानः गेहूं ओर बीस पेमान: निराला 865 | है. 8, 5. | ६3४ राजावली [६ पब्च तेल देता था॥ ९५२। ओर परमेग्वर ने सलेमान के अपनी बाचा के समान बद्धि दिईं ओर हौराम और सलेमान में मिलाप था और उन दानें ने आपस में मेल किया॥ -९१३। और सलेमान राजा ने सब इसराएल के संतान से मनव्यां का कर लिया और तौस सहस्त्र मनव्य हुए॥ १५४। ओर वह उन्हें लबनान का हर मास पारी पारी ट्स सहस्त भेजा किया मास भर लबनान में रहते थे और हा मास अपने घर में और अद्नौराम उन का प्रधान था॥ ९५४। ओर सलेमान के सत्तर सहस्त बेम्किये थे और अस्मी सचस्त्र पेड़ कटवेये पब्बेतों में थे॥ २६। और सलेमान के श्रेष्ठ प्रधानों से अधिक जो काव्य पर थे तौन सहख्न तीौन सो थे जो काय्ये करवैयों से काम लेते थे। ९७। ओर राजा ने आज्ञा किई ओर वे बड़े बड़े पत्थर और बहुमल्य पत्थर और गढ़े हुए पत्थर लाये जिसतें घर की नेंव डाले॥ ९८। और सलेमान के थवई ओर हौराम के थवई और पत्थर के सघरवैय उन्‍हें काटते थे से। घर बनाने के लिये उन्हें ने ल्ठें और पत्थर सधारे। ६ छटवां पब्ब। झ्रः मिस्र के देश से इसराएल के संतान के निकलने से चार सो अस्सी बरस पीछे इसराएल पर सलेमान के राज्य के चोथ बरस जीफ के मास में जा ट्ृसरा मास है ऐसा! हुआ कि उस ने ईय्यर का मंदिर बनाना आरंभ किया ॥ २। ओर वह घर जो सलेमान राजा ने परमेग्वर के लिये बनाया उस की लम्बाई साठ हाथ और चेड़ाई बीस हाथ और ऊंचाई तीस हाथ थी ॥ ३। ओर उस घरके संट्िर के ओसारे कौ लम्बाई बीस हाथ घर की चेड़ाई के समान थी और उस की चेड़ाई घर के आगे ट्स हाथ थी॥ ४। और घर के लिये उस ने भरोखे बनाये बाहर की ओर से सकेत ओर भीतर चैड़ा॥ ५। और घर कौ भौत से मिली हुई काटठरियां चारों ओर बनाई अथात्‌ घर कौ भौतों के चारों ओर क्या मंदिर का ज्या ईस्रीय बाणी का ओर उस ने चारों आर केटरियां बनाई॥ ६। और नीचे की काठरी पांच हाथ चौड़ो और बीच की छः हाथ चोरी और तोसरी सात हाथ चोड़ी थी क्ये।कि घर के बाहर बाहर ६ पब्थ] कौ ९ पस्तक । ६७५ उस ने चारों ओआर सकेत सकेत स्थान बनाये जिसतें लट्टे घर कौ भीतों में जमाये न जावें॥ ७। और जब घर बन रहा था वहां लाने से आग पत्थर सधारा हुआ था यहां ला कि न हथोड़ा और न कुल्हाड़ी और न लाहे का काई हथियार घर बनाने में सना गया॥ प८ः। बीच की काटरी का द्वार घर कौ ट्हिनी अलंग रक्‍वा ओर वे घमती सोढ़ी से बीच में ओर उर्हे तोसरोी अटारो में चढ़ते थे॥ «। से उस ने उस घर के बनाया और समाप्त किया उस कौ छत आरज के लटटई की पटरियों से पाटो॥ ९०। और उस ने समस्त घरके आस पास पांच पांच हाथ की ऊंची काठरियां बनाई ओर वे आरज के लट्टां से घर पर थंभी हुई थीं ॥ १९९। तब परमेग्वर का बचन यह कहते हुए सलेमान पर उतरा॥ २। कि यदि तू मेरी बिधिन पर चलेगा और मेरे बिचारों के पर्ण करेगा और मेरी समस्त आज्ञाओं के! पालन करके उन पर चलेगा तो इस घर के बिषय में जो त बनाता हे में अपने बचन के जो तेरे बाप दाऊद से कहा था तेरे साथ परा करूंगा॥ २९३। और में इसराएल के संतानों में बास करूंगा ओर अपने इसराएली लागें के त्याग न करूंगा ॥ १९४॥ से सुलेमान ने घर बनाके समाप्त किया। १५४। ओर उस ने घर की गच से लेके भीत से छत लो आरज काष्ठ के पट रे लगाये और उस ने भीतर की अलंग काष्ट से ढांप दिया और घर की गच को ट्वट्ारु की पटरियों से ढांपा॥। १५६। शैौर उस ने घर की गच और भीतें आरज के पटरों से घर कौ अलंगें में बीस बीस हाथ की बनाई उस ने उस के भीतर के लिये अथात ईशरीय बाणो के लिये अथात्‌ अत्यंत पवित्र स्थान के लिये बनाथे॥ ९७। और घर अथात्‌ आगे का मंदिर चालीस हाथ था॥ ९५८। और घर के भीतर आरज की खादी हुई कलो ओर खिले हुए फूल थे सब के सब आरज के थे काई पत्थर दिखाई न देता था ॥ २९ । और घर के भौतर परमेग्वर के नियम कौ मंजूषा रखने के लिये ईम्धरीय बाणी का स्थान सिट्ठ किया॥ २०। ओर ई ्परीय बाणी के आगे की ओर लम्बाई में बीस हाथ ओर चेड़ाई में बीस हाथ ओऔर ऊंचाई में बीस हाथ और उसे निर्मेल सेनने से मढ़ा और आरज की बेदी के भी मढ़ा। २९। ओर सुलेमान ने घर के भौतर भौतर निर्मल सेसने ६७६ राजावलौ [६ पदब्थ से मढ़ा और उस में ईम्थरीय बाणी के आगे से।ने की सोकरों के लग एक आह बनाया और उस पर सेना मढ्॥ २२५। ओर सारे घरके सेने से मढ़ा यहां ला कि समस्तघर बन गया और समस्त बेदौ के जो ईस्थरीय बाणी के लग थी सेने से मढ़ा। २३। ओर ई म्वरीय बाणी के भीतर तेल छक्त के दस दस हाथ ऊंचे दो करेंबी बनाये ॥ २४। और कराबी का एक पंख पांच हाथ का और टूसरा पंख पांच हाथ का एक के पंख के एक खंट से लेके टूसरे पंख के खंट ले दस हाथ थे॥ २५। और दूसरा कराबी ट्स हाथ का दोनों कराबियों के! एक ही नाप गऔऔर एक ही डोल का बनाया॥ २६ । एक कराबी की ऊंचाई ट्स हाथ और वेसौ ही टूसरी कराबी की भो॥ २७। झऔर उस ने दोनों करंबियों के! भोतर के घर में रक्वा ओर करेाबी अपने डे ने फैलाये हुए थे यहां ला कि एक का डैना एक भौत के छता था ओर टूसरे कराबौ का डेना टूसरी भौत के! छता था ओर उन के डैने एक टूस रे के घर के बीच में छकताथा॥ २८। और उस ने कराबियों का सेने से मढ़ा। २९। और घर कौ सारी भीतों का चारों आर खेद हुए कराबियों की रूरतों से और खजूर पेड़ों से और खिले हुए फूलों से बाहर भोतर खेद ॥ ३०। और घर की गच को बाहर भीतर सोने से मढ़ा॥। ३९। और इंग्थरोय बाणी में पेटने के लिये उस ने जलपाई पेड़ के केवाड़े बनाये ओर सहाट और साह भोत के पांचच भाग थे ॥ ३२। ओर केवाड़ के पाट जलपाई काष्ठ के थे उस ने उन पर करबियां के और खजूर पेड़ों के और खिले हुए फूलों के खोदा और करोाबियों और खजर पेड़ पर साना मढ़ा। ३३। वैसा उस ने मंट्र के द्वार के लिये जिस कौ चाौखट जलपाई काछ्ठ की थी भौत के! चैथा भाग बनाया॥ ३४। और उस के दो केवाड़े ट्वटारु काष्ठ से बनाये और उन दोनों केवाड़ं के दे देश पाट दाहराए जाते थे॥ ३५। और उन पर करेंबियों। और खजर पेड़ औएर खिले हुए फल खाद और उन खादे हुए काया का साने से मढ़॥ ३६। और उस ने भौतर के आंगन कौ तौन पांती खाद हुए पत्थर को बनाई और णक पांती आरज के काठ की॥ ३७। चौथे बरस जौफ्‌ के मास में परमेग्वर के रंट्रि कौ नेंव डाली गई॥ ३८। ओर ग्यारहंवें बरस बुल के मास में ७ पत्ब] कौ ९ पस्तक । ६99 जो आउयां मास क्षे घर उस की समस्त सामग्री समेत ओऔर उस के सारे छल के समान बन गया और उस के बनाने में सात बरस लगे ॥ ७ सातवां पब्ये। रंत सलेमान को अपना हो घर बनाने में तरह बरस लगा गैर जब प्र अपना सारा घर बना चका ॥ २। तो उस ने लबनान के बन का भी आरज काष्ठ के खंभा की चार पांती पर बनाया और खंभां पर आरज काछ के लव थे उस घर की लम्बाई से हाथ ओर चैड़ाई पचास हाथ ओर ऊंचाई तौस हाथ॥ ३। और उस कौ छत आरज काष्ठ से बनाई और कड़िओं का उस काष्ठ पर रक्खा जो पेंतालीस खंभा के ऊपर थी हर एक पांती में पंटरह पंट्रह खंभे थे। ४। ग्लर खिड़कियों कौ तौन पांती थो तीनों पांतो आग्ने साम्ने थों॥ ५, समस्त द्वार और चेखट देखने में चाकार थे ओर तोन पांतियों में खिड़की के सन्मख खिड़की थो॥ ६। गऔर उस ने खंभां का एक ओसार! बनाया जिस की लम्बाई पचास हाथ और चेड़ाई तौस हाथ और जरसा7र[ उस के सन्मख था और खंभ और मे।टा लट्टा उन के सन्‍्मख ॥ ७। तब उस ने सिंहासन के लिये एक सारा बनाया अथात न्याय का ओसारा और उस की एक अलंग टूसरी लां आरज काष्ठ से पाटा | ८। और उस के रहने के घर के ओसारे में वैसा हो काये का एक टूसरा आंगन था ओर सुलेमान ने फिरऊजन की बेटों के लिय जिसे उस ने ब्याहा था इस ओसा रे की नाई एक घर बनाया ॥ € । ओर उस कौ नेंव सारे बहुमल्य पत्थर से थी जे गढ़े ओर आरे से चौरे गये थे ओर उसो रीति से घर के भीतर और बाहर नेंव से लेके छत लॉ और उसी भांति घर के बाहर आंगन ले बनाया ॥ ९०। और नव बहुमल्य बड़े बड़ पत्थरों को थी ट्स ट्स ओर आठ आठ हाथ के पत्थर ॥ १५९५। ओर गढ़े हुए पत्थरों के समान ऊपर भी बहुमल्य पत्थरों का और आरज काषठ का था॥ १२। ओर चारों ओर के बड़े आंगन तौोन पांती गढ़े हुए पत्थर कौ ओर एक पांती आरज लह्ढे की परमेम्वर के घर के भोतर के आंगन के लिये और घर के ओसारे के लिये। ९५३। ओर सुलेमान राजा ने रूर से हौराम के बुला भेजा ॥ 39.0 राजावली [७ पब्ष १५४। ओर वबुह नफताली को गेष्ठी की एक बिधवा स्त्री का बेटा था ओर उस का बाप रूर का एक ठठेरा ओर पीतल के समस्त कार्य में विद्या और ज्ञान से निषण ओर परिपण्ण था और वचह सलेमान पास आया और उस का समस्त काये किया॥ ९५ । ओऔर उस ने पीतल के दो खंभे अटारह अठारह हाथ के ढाले ओर बारह हाथ की डारी उन की चारों जेर का नाप था॥ १६। और उस ने खंभ के ऊपर घरने के लिये ढले हुए पीतल के दो स्काड़ बनाये हर एक की ऊंचाई पांच हाथ की॥ ९७। ओर क्याड़ों के लिये जा खंभे के ऊपर थे चाघरे कार्य के और गथी हूई सोकरें हर एक क्काड़ के लिये सात सात बनाय॥ ९८। ओऔर उस ने खभे और उन के मथाल के साड़ों के अनारों से ढांपने के लिये जाल काये के चारों ओर दो पांतियां बनाई वैसा हो टूस रे म्ाड़ के लिये बनाया॥ १५८। और खंभे के क्ाड़ों के ऊपर ओसार में चार हाथ के सासन फल के काथ॥ २०। ओर वैसा ही टोने खंभों के स्ाड़ों के ऊपर जो जाल काये के लग थे बीच के आन्ने साग्ने और टूसरे स्ताड़ पर चारों ओर पांती पांती दा गौ अनार थे ॥ २९। और उस ने मंट्र के ओसारे में खंभे खड़े किये और उस ने ट्हिना खंभा खड़ा किया और उस का नाम यखौन रकखा [वह स्थिर करेगा) और टूसरा खंभा बाई ओर उस का नाम बेअज रक्‍्खा [किदूस में दृढ़ता क्षे]। २२। और खंभां के ऊपर सासन फल का काय से खंभों का कारये बन गया। २६। फिर उस ने ढला हुआ एक समट्र बनाया जिस का एक कार हूसरे कार से एस हाथ का था वुच्द चारों आर गेल था और उस कौ ऊंचाई पांच हाथ और तीस हाथ की डोरी उस की चारों आर जाती थी॥ २४। ग्यर उस के कार की चारों ओर के नीचे हाथ भर में ट्स कलियां घेरीं जा समद्र की चारों आर घरती थो दा दा पांती में कलियां ढाली गईं॥ २४५। वह बारह बेलां पर घरा गया था तौन के मंत्र उत्तर की ओर और तौन के पश्चिम की आर ओर तौन के दक्षिण की ओर खैर तोौन के पब की ओर और समद्र उन सभें के ऊपर और उन के पढ़ें भीतर की अलंग थे। २६। ओर डस की मेटाई चार अंगल की और उस का कार कटारे के केर की नाई सासन के फलों से बना ७ पब्ब] कौ ९ पुस्तक । ६ ७6 हुआ था ओर उस में दा सहस्त मन की समाई थी ॥ २७। ओर उस ने पीतल के दस आधार बनाये एक एक आधार चार हाथ का लम्बा चार हाथ चेड़ा ओर तोन हाथ ऊंचा॥ २८। और उन आधारों का कार्य ऐसा था उन के छोर थे और छोर कारों के मध्य में थ॥ २<। और कारों के मध्य में कार के ऊपर सिंह और बैल ओर करेंबी थे और कारों के ऊपर एक आधा र था और सिंहे| और बैले| के नीच कई एक अच्छे चोखे काये बनाय॥ ३०। ओर हर एक आधार के लिये पीतल की चार चार पहिया और पीतल के पत्र थे और उन के चार कानों के लिये नीचे के आधार थे ओर स्तवान पात्र के नीचे हर एक साज की अलंग ठले हुए नीचे के आधार थे। ३९। ओर उस का मंत्त भाड़ के भीतर और ऊपर हाथ भर का परत उस का मंह गोल उप के आधार के काये की नाई डेढ़ हाथ का था और उस के मंह पर चित्रकारी और चै।कार गाट थे गाल नहीं ॥ ३२। ओर गोट के नीचे चार पहिया थीं और पहियें को घरी आधार में थी और हर एक पहियों की ऊंचाई डेढ़ हाथ की थी॥ ३६३। ओर पहियों का काम रथ के पहिया के कार्य के समान उन की घरो ओर मास्का और पट्टी और आरा सब ढले हुए थे॥ ३४ | और हर एक आधार के चारों कानों के नीचे के चार आधार थे और नोचे के आधार उसी आधार ही से थे। ३५। और आधार के सिरे पर चारों ओर आधा हाथ ऊंचा और आधार के सिरे पर उस के कार और उस के गाट ण्क हो थे। ३६। क्योंकि उस के कारों का पत्तर ओर उन के गा्टों पर कराबी और सिंह और खजर पेड़ हर एक के छ्लेल ओर चारों ओर के साज के समान उस ने खेोट[ ॥ ३७। इस डेल से उस ने ट्स आधार के बनाया और उन सब का नाप जोख ओर ढाल एक ही था॥ ३८। तब उस ने पीतल के दस स्वान पात्र बनाये हर एक स्तन पात्र में मन चालीस एक की समाई थी और हर एक स्तान पात्र चार हाथ का था उन दसे आधारों में हर एक पर णक स्तान पात्र था॥ ३८ । और उस ने पांच आधार ट्हिनी अलंग और पांच बाई: अलंग रकक्‍वे और उस ने समद्र को पवै ओर घर कौ टहिनी अलंग टक्खिन के सन्मुख रक्खा॥ ४०। ओर हौराम ने पात्रआऔर फावड़ियां हू पर० राजावलो [८ पब्ब और बासन बनाये और हौराम ने परमेग्वर के मंट्रि के लिये सलेमान लिये समक्त काय समाप्त किया ॥ ४९ । टो खंभे और म्काड़ के कयोरे जो टोनें खंभां के मथाले पर थे ओर दोनों जाल काये म्काडों के कयोरों के ढांपने के लिये दोनों खंभां के मथाले पर थे। ४२। गऔर दोनों जाल काये के लिये चार से अनार अनारों की दे पांतियां एक एक जाल काये के लिये जिसतें खंभां के ऊपर के क्ताड़ों के दोनों टॉक ढांपे जायें। ४३ । और दस आधार और आधारों पर ट्स स्तान पात्र॥। ४४। और एक समद्र और बारह बैल समट्र के नौचे॥ ४४ । और हांड़ियां और फावड़ियां ग्लार बासन और यह समस्त पात्र जो हौराम ने सलेमान राजा के लिये परमेग्र के मांदर के निमित्त बनाये ग्रापे हुए पीतल के थे ॥ ४ ६। राजा ने उन्हें यरटन के चोगान में और सक्कात और जरतान के मध्य भमि की गहिराई में ढठाला ॥ ४७। और सलेमान ने उन सब पात्रों के उन की बहुताई के मारे बते।ल छाड़ा और उस पीतल की तोल कधौ जांची न गई॥ ४८। ओर सलेमान ने परमेम्वर के मंदिर के लिये सब पात्र बनाये अथात सेनने की बेटों और सेने का मंच ज्ञिस पर भेंट की रोटी रकवी जाती थी ॥ ४८ । ओर चाखे सेने की टौअर्टे पांच ट्हिनी और पांच बाई अलंग और उस के फल ओर टौये और चिमरे सेने के ईश्वरीय बाणी के आगे॥ १०। ओर कटरे और कतरनियां और बासन और चमचे और धूपदान निर्मल सेने के ओर भौतर के अब्यंत पवित्र स्थान के द्वारों के लिये और घर के अथात मंद्र के द्वारों के लिये सेने की चलें बनाइईं॥ ४९५। से सब काये जो सलेमान राजा ने परमेश्वर के मंट्रि के लिये किये बन गय तब सलेमान अपने पिता दाऊद की समपेण किई हुई बस्तें भोतर लाया अथात चांदी सेना और पात्र परमेग्वर के चर के भंडारों में रकवा। प्टआठवां पब्बे। त्ृ ब सुलेमान ने इसराएल के प्राचीनों के! और गाछष्ियों के सारे प्रधानों के! ओर इसराएज के पितरों के अध्यक्षों को अपने पास यरूसलम में एकट्ठा किया जिसतें वे परमेग्वर की बाचा की मंजषा के छः पब्ब] कौ ९ पस्तक । हू पू३्‌ दांजद के नगर सैह्नन से लावं॥ २। तब इसराएल के सारे लाग सुलेमान राजा क॑ पास जेवनार में इथानिम मास में जा सातवां मास हो एकट्ठे हुएं॥ ३। ओर इसराएल के सारे प्राचोन आये ओर याजकों ने मंजषा उठाई॥ ४। जआऔर परमेम्वर की मंजषा के ओर मंडलीो के तंब के जऔर तंबू में के समस्त पवित्र पात्र के याजक ओर लावो उठा लाये॥ ५ । ज्र सलेमान राजा ने और इसराणएल की सारी मंडली ने जे उस पास एकड्री हुई और उस के साथ मंजषा के आगे थे भेड़ और बैल इतने बलि किये जिन का लेखा और गिनतौ बड़ताई के मारे न किद गई ॥ ६ । ओर याजकों ने परमेग्धर कौ बाचा की मंजषा के लाके उस के स्थान में ईंम्घर की बाचा के मंदिर के मध्य अत्यंत पवित्र में कराबियों के डे नो के नोच रक्खा॥ ७। क्यांकि कराबी अपने डने मंजषा पर फेलाय थे और करेबियों ने मंजणा के! ओर उस के बचंगरों के ढांप लिया॥ ए८। और बहंगरों के सारे पवित्र स्थान ई स्वरीय बाणी के आगे दिखाये जाने के लिये उन्हों ने बचहंगरों के। निकाला इस लिये वे बाहर देखे न जाते थे और वे आज लों वहां हैं ॥ € | पत्थर कौ उन दे पटियें के छोड़ जिन्हें म॒सा ने उस में हरिब में रक्वा था जहां परमेग्घर ने इसराएल के संतान से जब वे मिस्र के देश से निकल आये थे बाचा बांघीौ थो मंजषा में कुछ न था ॥ ०। और यों हुआ कि जब याजक प विन्ञ स्थान से बाहर आये तब परमेम्वर का मंदिर मेघ से भर गया॥ १५१। यहां लां कि मेव के कारण याजक सेवा के लिये ठहर न सके क्यांकि परमेम्घर के बिभव से परमेम्धर का मंदिर भर गया था॥ २१५२। तक सलेमान ने कहा कि परमेग्पर ने फंहा था किम अंधकार मेघ में बास करूग! ॥ १५३। म ने निच्युय तेरे निवास के लिये घर बनाया कहे एक सनातन के रहने के लिये एक स्थिर स्थान॥ ९४। तब राजा ने अपना मंचह फेर के इसराएल की सारो मंडलौ के आशीष दिया ओर इसराएल की सारी मंडली खड़ी हुई ॥ ९५ फर उस ने कहा कि परमेग्वर इसराएल का ई म्यर धन्य जिस ने मेरे पिता दाऊद से अपने मंह से कहा ओर यह कहके अपने हाथ से परा किया क्षे ९२६। जब से में अपने इसराएल लोगों के मिस्र से निकाल लाया में ने सारे इसराएल कौ गाएियों में से किसी नगर का नहीं चुना 86 [&. 8, $.] हंष्र राजावलोी । [प्र पब्न कि घर बनावे जिसतें मेरा नाम उस में हावे परंत में ने ट/जट के। चना कि मेरे इस राएल लागों पर प्रधान हेवे ॥ ९७। और मेरे पिता दाजद के मन में था कि परमेचअर इसराएल के ईस्घर के लिये एक घर बनावे ॥ ९८। और परमेम्थर ने मेरे पिता दाऊद से कहा कि मेरे नाम के लिये एक घर बनाना तेरे मन में था से। त ने अच्छा किया कि तेरे मन में था॥ २९८। तिस पर भी त मेर लिये घर न बनाना परंत तेरा बंटा जा तेरी कटि से निकलेगा से। मेरे नाम के लिये घर बनावेगा॥ २०। और परमेश्वर ने अपने कहे हुए बचन का प्रा किया और में अपने पिता द्राऊद्‌ के स्थान में उठा हू ओर परमेम्वर कौ बाचा के समान इसराएल के सिंहासम पर बेटा हूं और इसराएल के ई स्वर परमेम्थर के नाम का एक घर बनाया है ॥ २५ | और में ने उस में मंजघा के लिये एक स्थान बनाया जिस में परमेश्वर की बाचा क्षे जा उस ने हमारे पितरों से किई जब बह उन्हें मिख के टेश से निकाल लाया॥ /२९। ओर सलेमान ने इसरा- एल की सारी मंडली के आगे और परमेश्वर की बेटो के आगे खडे हे के अपने हाथ खंगे की और फैलाये॥। २३। और कहा कि हे परमेग्घर इसराएल के ईस्थर तेरे समान काई इस्वर ऊपर खगे में अथवा नीच एथिवी में नहीं जा अपने सेवकां के साथ जो तेरे आगे अपने सारे मन से चलते हैं बाचा अर ट्या के। रखता हे ॥ २४। जिस ने अपने सेवक मेरे पिता दाऊद से अपने कहेके समान रक्‍्छी तू ने अपने मंच से भी कहा कहे और अपने हाथ से आज के दिन पूरा किया क्षे। २४। इस लिये अब हे परमेश्वर इसराएल के ईम्थर अपने सेवक मेरे पिता दाऊद के साथ पॉलन कर जे त ने यह कहके प्रण किया कि केवल यदि तेरे संतान अपनो चाल में चाकस हे।के ते रे समान मेरे आगे चल तो तेरे लिये इस रा- एल के सिंहासन पर बेठने को मेरी हाष्टि में पुरुष कट न जायगा॥ २६। ओर अब हे इसराएल के ईय्यर में तरी बिनती करता हूं अपने उस बचन के आ त ने मेरे पिता अपने सेवक द/ज३ से कहा परा कर ॥ २७। परत क्या सचमच इंख्ार पथिवों पर बास करंगा रख खगे आर ख!ां के खर्ग तरो समाई नहों रखते ता फिर क्या यह घर जा में ने बनाया कहै॥ रश८। हे पस्मेम्वर मेरे ईस्ंर अपने सेवक की प्रार्थना और ध्ः पत्म] को ९ पश्तकक। ६ प३ बिनती पर सरत लगा जऔर अपने टास का गिड़गिडाना ओर प्रार्थना सन जा तेरे सेवक ने आज के दिन तेरे आगे किई है॥ २६८ । जिसत रात दिन तरी आंखें इस स्थान की ओर खली रह उस स्थान की ओर जिस के विषय में त ने कहा हो कि मेरा नाम वहां हे।गा जिसतें त उस प्राथना का सने जा तेरा सेवक इस स्थान में करेगा ॥ ३०। अपने सेवक को बिनती सुन औरर जब तेरे इसराएल लाग इस स्थान में प्राथेना करें तो अपने निवास स्थान खगे में से सन जऔर सनके क्षमा कर ॥ ३९। यदि कोई परुष अपने परासी का अपराध करे और वह उसमे किरिया लेने चाहे ओर इस घर में तेरी बेटी के आगे किरिया लाई जावे॥ ३२ | तो त खगे पर से सन और कर ओर अपने सेवकें का बिचार कर ओर दृष्ट का टाधी टहराके उस का पाप उसी के सिर पर ला ओर घमियों का निटाष ठहराके उस घम्भे के समान उसे प्रतिफल दे ॥ ३३। और जब तेरे इसराएल लोग तेरे बिराध पाप करने के कारण अपने बैरियों के आगे मारे जायें ओर फिर तेरी और फिरें और तेरे नाम के मान लेवेंगर प्राथेना करें और इस घर की और तेरी बिनती करें॥३४। ते तू खगे में सन ओर अपने इसराएल लागों के पाप के क्षमा कर और उन्‍हें उस देश में जेः तू ने उन के पितरों के दीया था फेर ला ॥ 8५ । जब॑ तेरे बिरोघ पाप करने के कारण से खगे बंद हा जावे और मेंह न बरसे यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना करें आर तेरे नाम के मान लेवे और अपने पाप से फिरें इस लिये कि तू ने उन्हें दुःख टिया॥ ३६ । ते तू खगे में सन और अपने सेवक और अपने इसराएल लोग के पाप के( ध्वमा कर जिसते उन्हें सच्च मा» में जिन में उनन्‍्हं चलना उचित है सिखावे और अपने टेश पर जा त ने अपने लागों के। अधिकार के लिये टिया है मेंच बरसा॥ ३७। यदि देश में अकाल पड़े और यदि मरी हेय और खती सालस जाय और लढ़ा लगे अथवा टिइ्ली अथवा यदि कीड़े लगें यटि उन के बेरो उन के रृश में उन के किसी नगरों में उन्हें घेरे और जा कुछ मरी अथवा रोग हाय॥ ३८। कोई मनुव्य से अथवा तेरे समस्त इसराणल लेाग से जे। जन अपने हौ मन कौ बुराई का जाने और प्राथना और बिनती करे और अपने हाथ इस घंर को ओर है यर४ राजावली [० पन्च फेलावे। ३८ । तब त सगे पर से अपने निवास स्थान से सन ओर क्षमा कर ओर संपर्ण कर और हर एक जन का जिस के मन के त जानता ्षे उस की चालो के तल्य प्रतिफल ट ([क्यांकि केवल त्‌ ही समस्त मनव्यां के संतान के अंतःकरण के। जानता क्षे]॥ ४०० । जिसतें वे जीवन भर उस टेश में जा त ने उन के पितरों का दिया क्षे तस्कर से डरते रहें ॥ ४९ | और उस परदटेशी के बिषय में जे! तरे इसराएल लाग में से नहीं है परत तेरे नाम के कारण परटेश से आवे॥ ४२। (क्योंकि वे तेरा बड़ा नाम और बलवत भजा और फेली हुई बांह के सनें गे] जब वह आवे और इस घर की गओर प्राथना करे ॥ ४३ । ते खगे पर से अपने निवास स्थान सन ओर परदट्शी की समस्त यांचना के समान उसे परा कर जिसकलें एथिवी के समस्त लाग तेरे नाम के जानें और तेरे इसराएल लोग की नाई तम्के डर ओर जिसत वे जानें की तेरा नाम इस घर पर जिसे में ने बनाया हे पकारा जाता है ॥ ४४। यदि तर लाग अपने बरी पर संग्राम के लिये निकलें जहां कहीं त उन्‍हें भेजे और परमेग्धर की प्रथेना इस नगर की ओर कर जिसे त्‌ ने चुना हे और इस घर की ओर जिसे में ने तेरे नाम के लिये बनाया क्षे ) ४५ । तब त खगे पर से उन की प्राथना ओर बिनतो सन और उन का पट्‌ स्थिर कर॥ ४६। यदि वे तेरे बिरुद्द पाप करें [क्यांकि काई निष्पापी नहीं] ओर त उन से क्रड्ट हा के बरी के। सॉंप दवे यहां ला कि वे लन्‍्हें अपने देश में दर अथवा निअर ले जायें॥ ४७। जिस देश में वे बंधुआई में पहुंचाये गये यद्दि वे फिर के सेचें और पच्या- ज्ाप करें ओर उन के देश में जो उन्हें बंधआाई में ले गये यह कह के बिनती करें कि हम ने पाप किया हे हम ने हट किया क्ले हम ने दुष्टता किई है॥ ४८। ओर अपने सारे मन से ओर सारेप्राण से अपने बैरी के देश में जो उन्हें बंधआई में लेगय थे तेरी आर फिरें ओर अपने देश की गर जो त्‌ ने उनके पितरों के टिया ओर उस नगर की आर जो में ने तेरे नाम के लिये बनाया तेरी प्रार्थना करें ॥ ४६८ । तो त अपने निवास स्थान खगे में से उन की प्रारथना और बिनती सुन और उन का पट स्थिर कर॥ ५०। ओर अपने लागें के जिन्हें ने तेरे बिरुड् पाप किया है क्षमा कर ओर सारे अपराधों के जो उन्हें ने तेरे बिरुड़् अपराध ष्य पतन] की ९ प॒स्तक। प्‌ किया है क्षमा कर गश्लार जो उन्हें बंघआई में ले गये हें वे उन पर दया करें ग्रेर उन पर ट्याल हावे॥ ५९५। इस लिये कि जिन्‍ें तू मिस्र से अशेत लाहे की भद्दी के मध्य में से निकाल लाया वे तेरे लोग और अधि कार कैं॥ ५२। जिसतें तेरे सेवक कौ प्रार्थना पर तेरी आखें खली रहें और तेरे इसराएल लांगाों कौ बिनती पर हर बात के लिये जा वे तस्फे पुकारते कहे तू सुने॥ ५१३। क्योंकि हे परमेग्यर ईस्मर जब तू हमारे पितरों के मिस्र से निकाल लाया जैसा त्‌ ने अपने सेवक मूसा के द्वारा से कहा था वैसा तू ने उन्हें समस्त एथिवो के लागों से अपने अधिकार के लिये अलग किया॥ ५४। फिर ऐसा हुआ कि जब सलमान परमेम्वर के आगे बिनती और समस्त प्राथना कर चका तो वह परमेम्भर कौ बे टौ आगे से अपने हाथ खगे की ओर फेलाने के साथ घुटना टेकने से उठा॥ ५५। फिर खड़ा हेके यह कहके बड़े शब्द से इसराएल की सारी मंडली के! आशीष टिई॥ ५६ । कि परमेग्पर घन्य जिस ने अपने बचन के समान अपने इसराएल लोगों का बिश्वाम दिया और उस ने जो अपने सेवक म्‌सा के द्वारा से प्रतिज्ञा किई थी उन में से एक बात भी न घटी॥ ५७। परमेम्धघर हमारा ईम्वर जिस रौति से हमारे पितरों के साथ था हमारे साथ हेवे वह हमें न छोड़े और व्यागं नं करे॥ ५८। जिसतें वह अपने समस्त मागां में चलाने के! और अपनी आज्ञाओं के और बविधिन के और उस के बिचारों का जो उस ने हमारे पितरों से आज्ञा किई थी पालन करने का हमारे मन अपनी ओर भुकावे। ५८। और मेरे ये बचन जिस के लिये में ने परमेग्वर के आगे बिनती किई हे से रात दिन परमेम्थर हमारे ईम्थर के पास होवे कि जैसा प्रयाजन हे।य वैसा वुद्द अपने सेवक के पद के और अपने इसराएल लागें के पट के प्रतिदिन स्थिर करे॥ ६०। जिसतें प्थिथवो के समस्त लाग जाने कि परमेग्वर का छोड़ और कोई ईस्वर नहीं है॥ ६२१५। इस लिय हमारे ईग्घर परमेम्वर कौ विधि पर चलने के और आज के टन की नाई उस की आज्ञा पालन करने का हमारा अंतःकरण उस के आगे सिट्द होवे। ६२। और राजा और उस के साथ सारे इसराएल ने परमेश्वर के आगे वलिदान चढ़ाये। ६३। और सलेमान ने परमेन्यर हष्र्ई राजाली [€ पत्च के लिये बाईस सहख बेल ओर एक लाख बौंस सहख भेड़ बकरी से कुशन्न का बलि किया और राजा ने और सारे इसराण्ल के समस्त संतानें ने इस रौति से परमेश्वर के मंदिर की स्थापना किई॥ ६४। उस टिन राजा ने परमेत्र के मंदिर के आगे मध्य के आंगन के पवित्र किया क्योंकि वहां उस ने हेम की भेंट और मांस की भेंट और कुशल की भेंटों की चिकनाई चढ़ाई क्योंकि परमेश्वर के सनन्‍्मख जे। पीतल की बेदी क्ञे सो होम की अंटों के और मांस की भेंटां के और कुशल की भेंटों की चिकनाई के लिये छाटो हुई ॥ ६५। तब सलेमान ने और उस के साथ इसराणएल के 3५५० कट ५ ५3802 आप वर के «० ३ समस्त लोागां ने हमात के पठ से मिख्॒ को नटो ला बड़ी मंडली ने सात दिन और सात हिन अथात्‌ चौदह ट्नि पब्ये किया॥ ६६। आठवें टन उस ने उन लोगों के बिदा किया ओर उन्हों ने राजा का धन्य कर /.ऑ" ८ दय माना ओर परमेग्वर ने जा अपने टास टाऊदट के कारण और अपने 27" पड - / | सजीव... र बा >४7: इंसराएल लागों के कारण समस्त भलाई किई थी उडरस्मे आनंटित दर मगन हेके अपने अपने डरे गये। € नवां पब्बे ॥ झ्ै' ये हुआ कि जब सुलेमान ने परमेश्वर के मंदिर और राजा के भवन ओर सलेमान ने जो समस्त इच्छा किई से! बना के समापन किया॥ २। परमेशर ने जेसा जिबऊन में सलेमान का दर्शन ट्या था वैसा दोहराके उसे दशेन टिया॥ ३। ओर परमेग्पर ने उसे कहा कि जो तू ने मेरे आगे प्राथेना और बिनती किई हे से में ने सनी है ओर जिस घर को त्‌ ने मेरे नाम का नित्य स्थापन करने के लिये बनाया हे में ने उसे पवित्र किया हे ओर मेरी आंखें और मेरा अंतःकरण उस में नित्य रहेंगे॥। ४। और यदि त्‌ अपने पिता दाऊद के समान मेरे आगे मन की खराई से ओर सच्चाई से चलेगा जिसतें मेरी समस्त आज्ञा के समान करे और मेरी बिधि ओर विचार का पालन करेगा ॥ ५। तब में तेरे राज्य के सिंहासन का इसराएल पर सदा के लिये स्थिर करूंगा जैसा में ने तेरे पिता दाऊद से यह कहके बाचा बांघी और कहा कि तेरे बंश से राज्य कधो न ज्ञायगा॥ ६। परंतु यदि तम मेरा पौकछा करने से किसी € पब्ब] को ९ प॒स्तक। ६ प्र्छ रीती से हटे।गे अथवा तम अथवा तम्हारे बंश मेरी आज्ञाओं गैर बिधिन का जो में ने तम्हारे आग रक्ख़ों पालन न करोग परंत जाके उपरोी ट्वां की सेवा और ट्ंडबत करोग॥॥ ७। तब में इसराएल का इस देश से जा में ने उन्हें टिया हे उखाड़ डालंगा ओर इस घर के जिसे में ने अपने नाम के लिये पवित्र किया हे अपनी दृष्टि से टूर करूंगा! और इसराएल एक कहावत और कहानो सारे लागें में हेगा॥ ८। और हर एक पथिक इस महत मंदिर से बिद्षित हे के फुफकारी मारके कहेगा कि परमेग्र ने किस कारण इस टश से ओर इस धर से एसा किया हे॥ «। तब वे उत्तर टेंगेइस कारण कि उन्‍्हों ने परमेस्घर अपने ईस्थर के छाड़ दिया जा उन के पितरों के! मिल्व से निकाल लाया और उपरी ढ़्वों के ग्रहण किया और उन कौ टंडवत ओर सेवा किई है इस लिये परमेम्धर ने उन पर ये सब बराइयां लाया॥ ९५०। ओर ये हुआ कि बौस बरस के अंत में जब सलेमान दोनें घरों का अरथात परमेगश्वर का घर और राजा का भवन बना चका॥ ९५९१५। हर के राजा होराम ने सलेमान की समस्त इच्छा के समान उसे आरज उक्त ओर ट्वटारु ढछ ओर सेना पहुं- चाया था [तब सुलेमान राजा ने हौराम के जलौल केट्श में बौस नगर दिये॥ ५२। ओर हौराम रूर से उन नगरों के जे। सुलेमान ने उसे दिये थे दखने के आया और वे नगर उस को दृष्टि में ठोक न थे ॥ ९५३। ओर उस ने उसे कहा कि हे भाई केसे नगर हैं जे! आप ने मग्फे दिये हैं और उस ने उन का नाम कबल देश रक्खा॥ ९४। गेार हौराम ने छः केारी ताड़ सेने राजा कने भेजे ॥ ५४ | ओर सुलेमान राजा के कर ठचहराने का यह कारण था कि परमेश्वर के घर और अपने भवन ज्जर मिल्ला ओर यरूसलम की भोत और हसरूर और मजिहा ओर जजर बनावे॥ २५६। मिस्त का राजा फिरऊन चढ़ गया थए ओर जज़्र का लेके आग से फंक्र टिया और उस नगर के बासी कनअरनियों का घात किया आर अपनी बंटो का सलेमान की पत्नो हेने के लिये उसे टिया॥ ५७। दस लिये सलेमान ने जजर ओर नीचे के बैतह्वरून का बनाया॥ ९८। ओर देश के बन से बालात और तट्मर के ॥ १५९ । ओर सलमान के समस्त भंडार के नगर और उस के रथें के नगर हर राजावलो [२० पब्ब और चे।डचढेों के नगर के लिये और सलेमान की बांछा जो उस ने बांछा किई थी यरूसलम गैर लबनान में ओर अपने राज्य के सारे देश में बनाये ॥ २०। सारे लाग जो अमरियों और हित्तियों ओर फरज्जियां और हवियों ओर यबसियों से बच रहे थे जे इसराएल के संतान न थे ॥ २९। उन के संतान जो दृश में उन के पीछ बचे रहे जिन्हें इसराएल के संतान सर्बथा मिटा न सके उन्‍हें से सलमान ने आज के दिन ला द्ासत्व कौ सेवा का कर लिया॥ २२। परंत इसराएल के संतानों में से किसी के। सलेमान ने दास न बनाया परंत वे छसके योद्टा और सेवक ओर अध्यक्ष ओर सेनापति और सारथी और घाड़चढ़े थ ॥ २३। और सले- मान के काय्यां पर पांच से। पचास श्रष्ठ प्रधान थे जा बनिहारों पर आज्ञा- कारी थे॥। २४। परत फिरऊन को कन्या दाऊद के नगर से निक अपने घर में आई जो सलेमान ने डस के लिये बनाया तब उस ने मिलना के बनाया ॥ २४। और जा यज्ञवंदौ सलेमान ने परमेग्धर के कारण बनाई थी उस पर बरस में तोन बार हेम को भेंट ओर कुशल को भेंटे चढ़ाई: थों ओऔपर उस ने उस पर परमेम्वर के आगे सुगंध जलाया से बह डउस घर का बना चका | २६। फिर सलेमान राजा ने अट्टम के टृश में लाल समद्र के तोर पर असयनजब्र में जा ईलत के पास है जहाजों की बचह्चौर बनाई ॥ २७ |ग्रार हौराम ने सलेमान के सेवकों के साथ उसी बच्दचौर में अपने सेवक मज्लाहेए का जा समुद्र के जानकार थे भेजे । र२८। और वे ओफीर के! गये ओर वहां से चार से बीस तोड़े सेने लेके राजा सुलेमान पास आये ॥ ९० ट्सवां पब्वे । ध्यूतए अब सिबा की रानी ने परमेग्वर के नाम के बिष्षय में सलेमाने “है का यश सना तो वह गढ़ प्रश्नां से उस को परीक्षा लेने आई ॥ २ बुद्द बहुत से लागों के और समंघ द्रब्य लदे हुए जंट और बहुत सेना और मणि के साथ बड़ी भोड़ से यरूसलम में आई ओर उस ने सलेमान पास आके सब जो उस के मन में था उत्मे पछा॥ ३। ओर सलेमान ने उस के समस्त प्रश्नों का उत्तर टिया और राजा से केाई बस्त छपी न १० पब्मे] कौ ९ पस्तक । ्् थी जा उस ने उसे न बताया॥ ४ । और जब सिबा की रानी ने सलेमान की समस्त बड्धि के। और उस घर के जे उस ने बनाया था॥ ५ । उस के मंच के भाजन का ओर उस के सेवकों का बैठना और उस के दासें का खड़ा होना ओर उन का पहिरावा और उस के कथारे के हेवैयें। उस का चढ़ावा जा व॒हट लेके परमेश्वर के मंदिर का जाता था टेखा तब वृह मछित हे! गई॥ ६। और उस ने राजा से कद्दा कि आप कौ कहावत ओर बहड्डि जा में ने अपने हो देश में सना था से। सत्य समाचार था॥ ७। तिस पर भी जब ला में ने अपनी आंखों से न देखा तब लो उन बातों कौ प्रतीत न किई और ट्खिये कि आधा मर न कहा गया था क्योंकि त ने बड़ि और भलाई उस यश से अधिक वढ़ाई ॥ ए्*। घन्य तेरे जन और घन्य सेवक जो तेरे आगे खड़े हेके तेरा ज्ञान सनते हैं॥ €। परमेशर तेरा ईशर घन्य जिस ने तरह से प्रसन्न हे के इसराएल के घिंहासन पर तम्भे बेठाया इस कारण कि परमेग्बर ने इसराएल से प्रीति रक्‍्खी इस लिये उस ने तस्त्ते ्याय और घम्म के लिये राजा किया॥ ९०। और उस ने एक सो बीस तोड़े सेने और अति बहुत सगंध दृब्य और मणि राजा के दिये और इन के समान जो सिवा कौ रानी ने सगंध ट्रब्य सलेमान राजा के बड़ताई से टिया ऐसा कभी न आया ॥ ९५। ओर हौराम की बद्दौर भी जा ओफीर से से।ना लाथे थे और ओफीर से चंदन के बहुत ढक्ष और मणि लाये॥ १५२। और राजा ने परमेचर के मंदिर के लिये और अपने भवन के लिय चंटन ढक्ष के खंसे बनवाय और गायकों के लिये बोणा और खंजड़ी बनवाईः और चंटन के ऐसे छक्तन न कभी आये न आज लों टेखे गये ॥ ५३। और सलेमान राजा ने सिवा कौ रानी के। उस कौ समस्त बांछा जे! उस ने मांगो दिई और सुलेमान ने राजकीय दान उसे दिया ओर बुच्द अपने सेवकों समेत अपने हो दशकोा फिर गई। १९४ । बैपारी और सगंघ द्रव्य के बैपारी ॥ ९५ । और अरब के समस्त राजा और टेश के अध्यक्ष जा सेना लाते थे उस्मे अधिक एक बरस में छः से। कृयासंठ तोड़े सेने सुलेमान पास पहुंचाये गये॥ १६। और सलेमान राजा ने सेना गढ़वाके दो सी ढालें बनवाई हर एक ढाल में 87 [&. 8, $8.] ६ €० राजावलों [२७ पन्ने सवा पांच से! मेहर के लग भग लगा ॥ ९७। और सोना गढ़वाके तौन सा ढाल बनवाई णक एक ठाल डढ़ डेढ़ सेर सोने की थी से। राजा ने उन्हें उस घर में जा लबनान के बन में था रकवा | ९८। अर राजा ने हाथी टांत का एक बड़ा सिंहासन बनवाके उसे अत्यक्षम सोने से मढ़वाया॥ ९५८ । उस सिंहासन की छः सौढ़ी गैर सिंहासन के ऊपर पीछ कौ ओर गे।ल था औएर आसन की टोने ओर टेक था गऔर दोनें हाथें की अलंग टो सिंह खड़े थे। २०। ओर डन छः सोढ़ियां के ऊपर ट्रोनां अलंग सिंह खड़े थे किसी राज्य में ऐसा न बना था॥ २९। और सुलेमान के समस्त पीने के पात्र सोने के थे लवमान के बन में जा। घर था डस के भी समस्त पात्र चाखे से।ने के थे एक भी रूपे का न था सलेमान के समय में उस की कुछ गिनती न थी ॥ २२। क्योंकि हराम के बचचौरों के साथ राजा के तरसीसी बहौर समट्र में थे और लरसोस के बच्दौर तीन तौन बरस में एक बार सेनः गऔर रूप ग,यार हाथी दांत और बंदर और मेकर लाते थे॥। २३। से| सलेमान राजा घन और बहड्डि में एथिवी के सारे राजाओं से अधिक था ॥ २४। और ईश्घर ने सलेमान के अंतःकरण में जो ज्ञान टिया था उसे सन्न के लिये सारी प्थिवी उस के दर्शन की बांछा करती थी॥ २५। और हर एक जन बरस बरस अपनी अपनी भेंट लाया अथात सेने और रूपे के पात्र जैर पहिरावा और हथिआर जऔर सगंध द्रब्य और घोड़े और खच्चर ॥ २६। जैर सलेमान ने रथ ओर घोड़चढ़े एकट्ठें किये और उस के पास औैट्ह से रथ और बारह सहख घेड़चढ़े थे जिन्हें उस ने रथे| के नगरों में और राजा के संग यरूसलम में रक्वा॥। २७। ओर राजा ने यरूसलम में चांदी के पत्थरों के तल्य और आरज छच्त बहुताई में गान के गलर पेड़ों के समान किया॥ र८। ओर सलेमान के पास चाह मिख से लाये गये थे और राजा के बैपारी भाव से लाते थे ॥ २८। गलर एक रथ छः से ट॒कड़े चांदो के मिख से निकलते ओर ऊपर आते थे और एक घोड़ा डेढ़ तो के और हित्ती के सारे राजाओं के लिये और अराम के राजाओं के लिये उन के द्वारा से जझसा हो लाते थे । १९ पब्दे] कौ ९ पस्तक | ६6१ २९ ग्यारहवां पब्ड । रंत सलमान राजा ने फिरफन कौ बटो का छोड़ बहुत उपरो स्त्रियों से प्रीति किई अथेतत मेअबी अस्मनों अट्टमो सेट्नी ओर हित्ती की स्त्रियां से॥ २। उन जातिगएणों से जिन के बिषय में परमेम्प्र ने इसराएल के संतान का आज्ञा किई थी कि तम उन के पास मत जाओ और नवे तम्हारे पासतआवें निश्चय वे तम्हारे मन का अपने दवां की ओर फिरावेंगी पर सुलेमान प्रौति से डन्हों से एिलचा रहा ॥ ६। और उस की सात से। राज कुमारी पत्नियां गऔलर तीन सो सहेलियांथों और उस की पत्नियां ने उस के मन का फेर दिया॥ ४। और णऐेखा हुआ कि जब सुलेमान छट्ट हुआ तब उस कौ पल्नियों मे उस के मन के भिन्न दवें की ओर फेर दिया जयैर उस का मन अपने ईम्थर परमेम्घर की ओर अपने पिता टाऊट के मन के समान सिद्द न था॥ ४। क्योंकि सलेमान ने सेदानियों की देवता इसतारात का और अम्मनी के घिनित. मिलकम का पीछा पकड़ा॥ ६। ओर सलेमान ने परमेम्यर की दृष्टि में बराई किई और उस ने परिपणेता से अपने पिता दाऊद के समान परमेश्वर का पीछा न पकड़ा ॥ ७। तब सुलेमान- ने यरूसलम के सन्‍्मुख कौ पहाड़ी पर मेअबिशं कौ घिनित कमूस के लिये और अस्मन के संतानों की घिनित मालक के लिये ऊंचा स्थान बनाया ॥ ८ । इसी रीति से अपनी सारी उपरी पतह्नियें के लिये जो अपने देवतों के लिये धुप जलातो और बलि करती थीं उस ने बनाया ॥ <। ओर परमेग्वर सुलेमान पर इस कारण क्रुड् हुआ कि इसराएज के ईम्घर परमेग्घर से जिस ने उसे द्ाबार दशन टिया था उस का मन फिर गया १५०। ओर उजसे इस विषय में आज्ञा किई थी कि वुह् आन देवों का पीछा न पकड़े परंत उस ने परमेग्र की आज्ञा का पालन न किया ॥ १९१९१। इस कारण परमेग्वर ने सलेमान से कहा जेसा कि तर से यह हुआ है और त्‌ ने मेरे नियम और बिधिन के और जो में ने तम्के आज्ञा किई पालन नहों किया हे निद्यय में राज्य तम्क से फाडंगा गैर तेरे सेवक के देऊंगा॥ १२। तथापि तेरे जौते जी ऐसा न करूंगा परंत तेरे बेटे ६6र्‌ राजावली [११ पब्बे हाथ से उसे फा्डंगा॥ २५३॥। तथापि मे सारा राज्य न फाड़ लेऊंगा परंतु अपने सेवक दाऊद के कारण ओर अपने चुने हुए यरूसलम के लिये तेरे बेटे के एक गाछ्ी टेऊंगा॥ १५४। तब परमेगश्यर ने सुलेमान के एक बेरी के उभारा अथात्‌ अट्टगी हृद्द के! वह अट्टम में राजाओं के बंशसेथा॥ ९५५ । क्योंकि जब दाऊद अट्टम में था और सेनापति यअब अट्टम के समस्त परुष का घात करके उन्‍हें गाड़ने गया ॥ ९६। [क्योंकि यञब कः मास लो समस्त इसराएलियों के संग वच्चों रहा यहां लां कि उस ने अद्वम में एक परुष के जीता न छाड़ा]॥ ९७। तब हदद अपने पिता के कई एक अट्टमी सेवकों के साथ मिद्रव के भाग गया और तब वच् छोटा बालक था॥ १८। फिर वे मिट्यान से निकलके फारान में आये ओर फ्ारान से लागें का साथ लेके मित्र में मस्त के राजा फ्रिजन पास पहुंचे जिस ने उसे घर दिया ओर उस के लिये भाजन ठचदराया ओर उसे भूमि दिई॥ २९८। और इटद ने फ्रिजन कौ दृष्टि में बड़ा अनुग्रह पाया यहां ले कि उस ने अपनी पत्नौ तिहफुनिहीस रानी की बहिन उसी के। बियाह टिई॥ २०। ओर तिहफनिहीस की बहिन उस के लिये जनवबत जनो जिस का टूथ तिहफूुनिहौस ने फिरऊन के घर में कछड़ाया ओर जनबत फिरिऊन के बेटों के साथ फिरऊन के घराने में हताथा॥ २९५। ओर जब हद्ट ने मिस्त में सना कि द/ऊद ने अपने पितरों में शबन किया ओर सेनापति यअब मर गया तब उस ने फिरऊन से कहा कि मझ्क बिदा कीजिये कि में अपने ही दश का जाऊं॥ २२१ तब फिरऊन ने उसे कचद्दा कि तक मेरे पास कान सी घट ती है कित अपने हो देश के जाने चाइता हे उस ने उत्तर दिया कुछ नहीं तथापि मुम्के किसी रीति से जाने दौजिये॥ २३। फिर ई प्र ने उस के लिये बरी खड़ा किया अथात्‌ इलिवदः के बेटे रज़्न के जा रूबः के राजा अपने खामी हट्ट्अजर पास से भागा था॥ २४। ओर जब दाऊद ने उन्‍हें घात किया उस ने अपने पास लोगों के! एकट्टा किया ओर एक जथा पर प्रधान हुआ ओर दट्मिश्क में जाके बास किया ओर दमिश्क में राज्य किया। २५। ओर हद कौ बराई से अधिक सलेमान के जोवन भर वह इसराएल का बेरी था ओर वह्द इसराएल से १९ पब्ब] कौ ९ पुस्तक । ६6३ थघिन रखता था ओर अराम पर राज्य करता था॥ २६। ओर सरीोदः के एक इफ्राती नवात के बेटे यरुबिआम सुलेमान का सेवक जिस की माता का नाम सरुअः विधवा थी उसो ने राजा के बिराघ हाथ उठाया॥ २७। और राजा के बिरोध हाथ उठाने का यह का रण था कि सुलेमान ने मिज्ना को बनाया और अपने बाप दाजद के नगर के दरारों के बंट किया॥ २८। जऔऔर यरुविआम आति बलवान बीर था और तरूण के। फरतीला टेखके सलेमान ने उसे यसफ के घराने पर प्रधान किया॥ २८। और उस समय में एसा हुआ कि जब यरुबिआम यरूसलम से बाहर गया तब शेल नी अखियाह भविय्यद्धक्ता ने उसे मागे में पाया और वह एक नया बस्त पहिने था और केवल ये ट्ोनों चौगान में थे॥ ३०। तब अखियाह ने उस पर के नये बस्तर के पकड़ा और फाड़के बारह टुकड़े किये। ३९ । ग्यार उस ने यरुविआम के कहा कि ट्स ट कड़े त ले क्योंकि इसराएल का इंखर परमेम्घर थां कहता है कि टेख में सलेमान के हाथ से राज्य फाडंगा और दस गेष्थियां तस्के हेऊंगा॥ ३२। [परंत मेरे सेवक दाऊद के कारण और यरूसलम नगर के कारण जिसे में ने इसराएल कौ समस्त गाषियों में से चुन लिया वुद्द एक गाछौी पावेगा])। ३३। इस कारण कि उन्‍हें ने मस्े त्याग के तैदानियों कौ टेवता इसतारात की और मेअबियें के टेव कमुस की और अब्यन के संतान के टेव मिलकम कौ पूजा किई कै और अपने पिता दाऊद की नाई मेरी दृष्टि में जा भला हे मेरे मार्गों में नहीं चला और मेरी विधि और विचारां के! पालन नहीं किया ॥ ३४। तथापि मैं समस्त राज्य के! उस के हाथ से निकाल न लेऊंगा परत में अपने सेवक दाऊर के कारण जिसे मैं ने इस कारण चुना कि उस ने मेरी आज्ञा और बविधिन के! पालन किया उस के जौवन भर में उस के राजा कर रक्‍वंगा॥ ३५४। परंत उस के बेटे के हाथ से में राज्य लेऊंगा और दस गोष्ठ। तस्के टेऊंगा॥ ३६। ओर में उस के बेटे का एक गोष्ठौ देऊंगा जिसतें यरूसलम नगर में जिसे में ने अपने नाम के लिये चना हे मेरा दास दाऊद एक टौपक रक्‍्खा करे॥ ३७। ओर मैं तम्के लेजंगा और तु अपने मन कौ समस्त इच्छा के समान राज्य करेगा और इसराएल का ६८४ राजावली [१५२ पब्के राजा हेगा॥ ३८। ओर ऐसा हे!गा कि यदि त मेरी समस्त आज्ञाओं के सनेगा और मेरे मांगों पर चलेगा और जिस रौोति से मेरा दास दाऊद करता था वैसा मेरी बिधि और आज्ञा पालने के लिये मेरी दृष्टि में भलाई करेगा ते मैं तेरे साथ हा।ऊंगाः ओर तेर लिये एक इृढ़ घर बनाऊंगा जैसा में ने टाऊट के लिये बनाया ओर इसराएल के तस्फे टेजंगा। ३८। और इस लिये में दाऊद के बंश के दुःख दे ऊंगा परंत सदा ला नहीं ॥ ४०। इस लिये सलेमान ने यरुबिआम के बधघन करने चाहा तब यरुबिआम उठा और भागके मिख के राजा शिशाक के पास मिख में गया ओर सलेमान के मरने लो वहीं रहा ॥ ४१। ओर सलेमान का रहा हुआ काय्ये और सब जे उस ने किया और उस कौ बड्डि क्या सलेमान कौ क्रिया की पस्तक में नहीं लिखा हे ॥ ४२ । गओर यरूसलम में सारे इसराएलियां पर सलेमान के राज्य के ट्नि चालीस बरस थे॥ ४३। ओर सलेमान अपने पितरों में से! गया आर अपने बाप दाऊद के नगर में गाड़ा गया और उस के बेटे रहबिआम ने उस को संतो राज्य किया। १२ बारहवां पब्बे । झ्ै 7र रहबिआम सिकम को गया क्योंकि समस्त इसराएल सिकम में आये कि उसे राजा बनावें॥ २। ओर एसा हुआ कि जब नबात के बेट यरुबिआम ने जो अब लो मिस्र में था यह सना [क्योंकि वह सले- मान राजा के आगे से नागा था और मिख में जा रहा ]॥ ३। डन्‍्हों ने भेजके उसे बलवाया तब यरुबिआम गओऔर इसराएल की सारी मंडलीो आये और यह कहके रद्बिआ्ञाम से बाले॥ ४। कि तेरे पिता ने हमारे जए के। कठिन किया इस लिये अब त अपने पिता को कठिन सेवा का और उस के भारी जए के! जो उस ने हम पर रक्‍्ख़ा इलका कर ओर हम तेरी सेवा करेंगे॥ ५। तब उस ने उन्‍हें कह्दा तोन दिन ले चले जाओ तब मस्त पास फिर आओ और लेग चले गये ॥ ६। तब रहबि- आम राजा ने परनियों से जा उस के पिता सलेमान के जोते जौ उस के आगे हेते थपरामश किया ओर कह्दा कि तन्हारा क्या मंत्र हे में इन १२ पब्बे | कौ ९ पश्चक | ६८५ लागों के क्या उत्तर टऊं॥ ७। ओर वे उसे कहके बाले कि यदि आज के दिन तू इन लागां का सेवक हे।कके उन कौ सेवा करेगा ओर छत्तर दे के उन्हें अच्छी बात कहेगा वे सबेदा तेरे सेवक हे। रहेंगे॥ प८। परंतु उस ने प्राचीनों के मंत्र का व्यागके उन यबा परुषों के संग जो उस के साथ साथ बैठे थे और उस के आगे खड़ हे।ते थे परामश किया ॥ «। ये लाग मम्फ से यह करके बाले और उस ने उन्‍्ह कहा कि तेरे पिता ने जा जआ हम पर रक्‍वा हे उसे कुछ हलका कीजिये तुम क्या मंत्र दते हे। में उन्हें क्या उत्तर टेऊं॥ ५० । तब उन युवा पुरुषों ने जे उस के साथ साथ बढ़े थे उससे कहके बाले कि जिन लोगां ने तुम्क से यह कहा है कि तेरे पिता ने हमारे जए के भारी किया हे परंतु तू हमारे लिये उसे हलका कर त उन्‍हें यों कहियो कि मेरी छिंगली मेरे पिता की कटि से अधिक मोटो हेगी॥ २९५५। ओर जैसा कि मेरे पिता ने तम पर भारी जआ रक्‍वा था में तम्हार जए का बढ़ाऊंगा मेरे पिता ने काड़े से म्हें ताड़ना किई परंत में तम्हँ बिचछओं से ताड़ना कछूंगा॥ २१२। सो जैसा राजा ने ठहराक़े कहा था कि तौस रे टन फर मेरे पास आना वैसा हो यरुबिआम और सारे लोग तौसरे दिन रहविआ्ञाम के पाप आये ॥ ५३। तब राजा ने उन लागों के कठारता से उत्तर दिया ओर जो मंत्र प्राचौनें ने दिया था उसे त्याग किया॥ २१४। ओर युबा परुषों के मंत्र के समान डन्‍्ह कहा कि मेरे पिता ने तुम पर भारी जआ रक्‍खा था परंत में उस जए का और भारी करूंगा मेरे पिता ने तन्हें काड़ां से हंड द्या था परंत में तन्हे बिचछओं से ताड़ना करूगा॥ १५४ । से राजा ने उन लागें की बाल न सनी क्योंकि यह इंश्वर की ओर से था जिसतें वह अपने बचन का जा परमेग्वर ने शेलनी अखियाइ की ओर से नबात के बेटे यरुबिआम से कहा परा करे। ९६ । से जब सारे इस राएलियां ने टेखा कि राजा ने डन लागों को न सनो तबलागों ने यह कहके राजा को उत्तर दिया कि दाऊद में हमारा क्या भाग हैं ओर यस्झी के बटे के साथ हमारा कुछ अधिकार नहीं हे हे इसराएल अपने अपने तंबू के जाओ हे टाजद अपने घर के देख से इसराएल अपने तंबओं के! चले गये ॥ ९७। परंतु इसराएल क॑ ८ ई राजावलौ ]९२ पत्ल संतान जा यहूदाह के नगरों में बस्त थे रहबिआम ने उन पर राज्य क्िया॥ १८। तब रहविय्याम राजा ने अट्टराम का जा कर का खामी था भेजा और समस्त इसराएलियें ने यहां लो उसे पत्थरों से पथर- वाह किया कि वह मर गया इस लिये रहबिआम राजा आप के इृढ़॒ करके यरूसलम को भागने के लिये रथ पर चढ़ा ॥ १८। से इसराएल आज़ के दिन लोॉं दाऊद के घराने से फिर गये॥। २०। और एसा हुआ कि जब सारे इसराएलियां ने सना कि यरुबिआम फिर आया तो उन्हें ने भेजके उसे मंडली में बलवाया ओर उनन्‍्हों ने उसे सारे इसराएलियां पर राजा किया केवज यहूदाह को गाछी के। छोड़ केाई दाऊट के घराने की आर न हुआ॥ २९। और जब रहबिआम यरूसलम में पहुंचा तो उस ने यहूदाह के सारे घराने के बिनयमौन की गाष्ठी समेत जो! सब एक लाख अर्झो सहर्त चुने हुए जन लड़ाक थे एकट्टा किया कि इसराएल के घराने से लड़ के राज्य का सुलेमान के बेटे रहविश्ञाम कौ ओर लावें॥ २२। परंतु ईश्वर के जन शमाया के पास ईम्थर का बचन यह कहके पहुंचा ॥ ९३। कि यहूदाह के राजा सलेमान के बेट रहविआम के और सारे यहूटाह ओर बिनयमीन के घराने के! और उबरे हुए लागों के कहके बेल ॥ २४। कि परमेश्वर यों कहता क्षे कि चढ़ाई न करो और अपने भाई इसराएल के संतान से लड़ाई न करो परंत हर एक तस्में से अपने अपने घर को फिरे क्यांकि यह बात मेरों ओर से है से उन्हों ने परमेश्व र की आज्ञा मानी और परमेश्वर के बचन के समान उलट फिर ॥ २४५ | तब यरुबिआम इफरायम पहाड़ में सिकम के। बनाके उस में बसा उस के पौछ वहां से निकलके फुनुऐल के बनाया॥ २६। तब यरुबिआम ने अपने मन में कहा कि अब राज्य दाऊद के घराने के। फिर जायगा॥ २७। यदि थे लाग बलि चढ़ाने के लिये परमेश्वर के मंदिर में यरूसलम के चंढेंगे तब उन लागों का मन अपने प्रभ यहूटाह के राजा रहविआम को ओर फिरेगा ओर वे मर्के मार लेंगे और यह्दाह के राजा रहबिआम कौ ओर फिर जायेंगे ॥ २८। इस लिये राजा ने परामश करके सेने कौ टो बछिया बनबाईः और उन्हें कहा कि तुम्हारे लिये अति केश है कि तुम यरूसलम के। जाओ २३ पब्ब ] को ९ पस्तक । ६€७ है इस राएल अपने ट्वाों का ट्ख जा तम्फे मिस कौ भमि से निकाल लाये | २८। ग्यार उस ने एक को बैतणएल में और टूसर के टन में स्थाप्ति किया॥ ६३०। और यह बात एक पाप हुआ क्यांकि लाग दान में जाके एक कौ पूजा करते थे। ३९। ओर उस ने ऊंचे स्थानों में एक घर बनाया ओर नौच लोगों में से याजक बनाये ज्ञा लावो के बेंटां में से न थे। ३२। ओर यरुबिआम ने यहूटाह के एक पब॑ की नाई आठवें मास कौ पंट्रहवों तिथि में पबे ठहराया ओर बेदौ पर बलिदान चढ़ाया और ऐसा ही उस ने उन बछियों के आगे जे उस ने बनाई थों बेतएल में किया ग्जार उस ने उन ऊंचे स्थानें के याजकें के। जिन्हें उस ने बनाया था रक्वा॥ ३३। से। आठवें मास की पंट्र हवों तिथि का अथेत्‌ उस मास में ज्ञा उस ने अपने मन में रोपा था बेतएल में अपनो बनाई हुई बेटो पर बलिदान चढ़ाया ओःर इसराएल के संतानों के लिये एक पब्बे टहराया ओर उस ने उस बेटों पर चढ़ाया और घप जलाया । ९३ तेरहवां पब्ब । ञ्ःः देखा कि परमेश्वर के बचन से ईम्थर का एक जन यहूदाह से बैतएल में आया और यरूबिआम बेटी के पास धप जलाने के लिये खड़ा था॥ २। ओर उस ने परमेम्थर कौ बचन से बेटो के बिरुड्ड में पकारके कहा कि हे बेटौ हे बेटी परमेम्घर यां कह ता क्षे कि देख यसियाह नाम एक बालक द्ाजद के घराने में उत्पन्न हेगा और वच्द ऊंचे स्थानें के याजकों का जा तुकक पर धप जलाते हैं तम्की पर चढ़ावेगा और मनव्यों के हाड़ तक पर जलाये जायेंगे। ३। गलर उस ने उसी दिन यह कहके एक पता दिया कि परमेम्ार ने यह कहके यह पता दिया क्ेेकि देख बेटी फर जायगी और उस पर कौ राख उंड़ली जायगी। ४ + और ऐसा हुआ कि जब यरुबिआम राजा ने ईयस्मर के जन का कहना सुना जिस ने बैतएल कौ बेटों के बिरुद्ड पकारा था तो उस ने बेदी पर से अपना हाथ बढ़ाके कहा कि उसे पकड़ लेओ। से। उस का हाथ जा उस ने उस पर बढ़ाया था म्करा गया ऐसा कि वह छसे फिर सके ड़ 88 [55% 9. 59. ईट्च्र राजावलीं [१३ पब्व न सका॥ ५। और उस लक्षण के समान जा ईश्वर के उस जन ने परमेग्वर के बचन से टिया था बेटी फट गई और राख बंदी पर से उंडेली गई॥ ६। तब राजा ने ईश्वर के उस जन के। कहा कि अब अपने ईस्पर परमेश्वर से बिनतीं करिय और मेरे लिये प्राथना करिये कि मेरा हाथ चंगा किया जाय तब ईम्घर के जन ने परमेम्वर के रुख बिनती किई और राजा का हाथ चंगा किया गया और आगे कौ नाई हे गया ॥ ७। तंब राजा ने ईस्र के उस जन से कहा कि मेरे साथ घर में चलंके सस्ताइये में तम्क प्रतिफल ट्ऊंगा॥ ८। परंत ई स्यर के जन ने राजा से कहा कि यदि ते अपना आधा घर मझ्के दवे तथापि में तेरे साथ भीतर न जाऊंगा ओर इस स्थान में न रोटी खाऊंगा न जलपान करूंगाए €। क्यांकि परमेग्वर के बचन से मस्फे थां कंहा गया कि न रोटी खाइयो न जलपान करिया और जिस माणशे से हेके त जाता है उसी से फेर मत आना॥ २९०। सो वह जिस म'ग में हाके बेतएल में आया था उस गे से न गया वच ट्रस रे मागे से चला गया ॥ ९१५। उस समय बैतएल में एक छड भविव्यदक्ता रहता था और उस के बेट उस पास आये और उन काया के जो ईश्वर के जन ने उस दिन बंतऐल में किये उसे कह सुनाया और उस की उन बातों के जा उस ने राजा से कह्चौं थों अ-ने पिता के आगे बणेन किया॥ ९५२। ओर उन के पिता ने उन से पूछा कि वैहच किस मांगे से गया क्योंकि उस के बटों ने रखा था कि ईश्वर का वुह जन जो यहूटाह से आया किस मागे से फिर गया॥ १३ । फिर उस ने अपने बेटा से कहा कि मेरे लिये गदहे पर काठीं बांधा से। उन्हें ने उस के लिये गदहे पर काठौ बांधी और वच उस पर चढ़ा॥ १४। और ईंग्बर के उस जन के पौछ चल और उसे बलत छच्च तले बैठे पाया तब उस ने डसे कहा कि तईयख्र का वह जन है जा यहूदाह से आया वह बाला हां ॥ १५ । तब उस ने उसे कह्दा कि मेरे चर चल ओऔगर रोटी खा ॥ ९६ ॥ ओर वह बाला में तेरे साथ नहीं फिर सक्ता और न तेरे साथ जा सक्ता और न में तरे साथ इस स्थान में रोटी खाऊंगा न जल पीऊंगा॥ ९७। क्यांकि परमेम्धर के बचन से मस्के या कहा गया कित वहां न राटी खाना न जल पीना ओर जिस मागणे से तजाता है उस मारग से हेके न फिरना ॥ १३ पन्वे] कौ ९ पुक्तक। ६6८ ९८८। तब उस ने उसे कहा कि मैं भो तेरी नाई एक भविव्यदक्ता हूं और परमेम्वर के बचन के द्वारा से एक हूत ने मुझे कहा कि उसे अपने साथ अपने घर में फिरा ला जिसतें वह रोटो खाय और पानी पीय उस ने उस्स मठ कहा ॥ ९८ | से वह उस के साथ फिर गया और उस के घर में राटो खाई और जल पौया॥ २०। ओऔर यर॑ हुआ कि ज्यां वे मंच पर बठ थे तब परमेम्धघर का बचन उस भविव्यद्क्ता पर जा उसे फिरा लाया था उतरा॥ २२१। ओर ऊस में ईंम्घर के उस जन से जो यहृूदाह से आया था चिह्नाके कद्दा कि परमेम्पर यह कहता है कि इस कारण त ने परमेम्वर के बचन के। उलंवन किया क्षे आर जा तेरे ईंस्घर परमेस्घर ने तम्झे आज्ञा कई क्लेत ने उसे पालन न किया ॥ २२। परंत फिर आया और उस ने जिस स्थान के विषय में तम्के कहा कि कुछ रोटो न ख़ाना न जल पीता उसी स्थान में त ने राोटों खाई और जल पौया से। तेरी लाथ तेरे पितरों की समाधि में न पहुंचेगी ॥ २३ | और ऐसा हुआ कि जब वह खा पी चका तब उस ने उस के लिये अधथात्‌ उस भविव्यद्क्ता के लिये जिसे वह फेर लाया था गदहे पर काठो बांधघी॥ २४ । जब वुच्द वहां से गया तो मागे में उसे एक सिंह मिला जिस ने उसे मार डाला ओर उस कौ लाय माग में पछी थी जैपर गटह्ा उस पास खड़ा रहा और सिंह भो उस लाथ के पास खड़ा था॥ २५ । ग्रार रेखा कि लागों ने उधर से जाते ज्ञाते लाथ के मार्ग में पड़ी रेखा ओर कि सिंह भी लेथ पास खड़ा ह्े तब उन्‍्हों ने नगर में आके जहां वह ढडू भविव्यद्क्ता रहता था कहा ॥ २६। गऔऔर जब उस भविव्यद्धक्ता ने जा उसे मागे में से फिरा लाया था सना तो कद्दा कि यह ईम्घर का वह जन हो जिस ने परमेम्थर का बचन न माना इस लि परमेम्घर ने उसे सिंह के सौंप दिया जिस ने उसे परमेम्घर के बचन के समान जा उस ने कहा था फाड़ा और मार डाला है ॥ २७। फिर वह अपने बेटेर से यह कहके बाला कि मेरे लिये गटहे पर काटठो बांघा और उन्हें ने बांघो ॥ २८ । तब छस ने जाके उस की लाथ म/र्ग में पड़ी पाई ओर गदट हा औएर सिह लाथ पास खड़े थे सिंह ने लाथ के। न खाया था न गदहे के फाड़ा था॥ २<। तब उस भविव्यद्क्ता ने ई म्वर के जन बल; राजावली [१४ पब्बे की लाथ के उठाके उस गट्हे पर लादा और फेर लाया ओर उस के लिये शाक करते हुए ढछड्ट भविव्यदक्ता नगर में पहुंचा कि उसे गाड़े ॥ ३० । फिर उस ने उस को लाथ के अपनो हौ समाधि में रक्वा और यह कहके उस के लिये डन्‍्हां ने बिलाप किया कि हाय मेरे भाई ॥ ६९९ । और उस के गाड़ने के पीछ थे हुआ कि व॒ह यह कहके अपने बेटों से बाला कि जब में मरूँ ता मस्के ईम्घर के इस जन कौ समाधि में गाड़िया और मेरो हड्डियां उस की हड्डियां के पास रखिया ॥ ३२। क्योंकि वह बचन जो परमेचर ने बेतएल कौ बेदी ओर सिमरून के नगरों के ऊंचे स्थानों के समस्त घरे के विरोध में कहा से। अवश्य प्रा होगा ॥ ३३। इस के पीछ यरुबिआम अपनी बुराई से न फिरा परन्तु फिर नौच लागे का ऊंचे स्थानों का याजक बनाया जिस ने चाहा उसे उस ने स्थापित किया और वह ऊंच स्थानों का एक याज़क हुआ ॥ ६४ । और यही बस्त यरुबिआञाम के घराने के लिये यहां ला पाप हुआ कि उसे उखाड़ और एथिवोी पर से नष्ट करे । _ू ०» रे १९४ चोट्हबां पब्ने ॥ प समय में यरुबिआम का बेटा अबियाह रोगी हुआ | २। ओऔर ६९ कि - ने अपनी पत्नो से कहा कि उठके अपना भेष बट्ल जिसतें न जाना जाय कि त यरुबिआम कौ पत्नो क्षे और शौलेा के जा और टेख वहां अखियाह भविष्यद्धक्ता हे जिस ने मस्क कह्य था कि त इन लोगों का राजा होगा॥ ३। ओर अपने हाथ में दस रोटियां और लडु और एक पात्र मधु लेके उस पास जा ओर वुद्द तुझे बतावेगा कि इस लड़के को क्या हेगा॥ ४। तब यरुबिआम की पत्नी ने वेसाही किया ओर उठके शौले| का गई और अखियाह के घर में पहुंचौ परन्त अखियाह ट्ख न सक्ता था क्योंकि बढ़ापे के कारण उस की आखें बैठ गई थौं॥ ५। तब परमेश्ार ने अखियाह से कह्दा कि देख यरुबिआम की पत्नी अथने बेटे के बिषय में तस्कर से कुछ पछने के आती हे क्यांकि बह रोगों हूं त छसे यां यां कहियो क्योंकि यों होगा कि जब वचद भौतर अयवेशी वह अपना भेष बदल डालेगी॥ ६। ओ ओर यों हुआ कि जब ऊ १४ पब्बे | कौ ९ पक्तक। ७०९ वच्ष द्वार पर पहुंची ओर अखियाह ने उस के पांग्रें का शब्द सना तो उस ने उसे कहा कि हे यरुबिआम कौ पत्नी भीतर आ त अपना भष क्यां बटलती हे क्यांकि में कठिन समाचार के लिये तम्क पास भेजा गया हूं॥। ७। से जा यरुबिआम से कह कि इसराएल का इुेय्पर परमेश्वर यों कहता हे कि जैसा में ने लागों में से तस्कर बढ़ाया और अपने इसराएल लेग पर अध्यक्ष किया । ८। ओर ट्ाजद के घराने से राज्य फाड़के तम्के टिया तथापि त मेरे सेवक दाऊद के समान न हुआ जिस ने मेरी आज्ञाओं को पालन किया ओर जिस ने अपने सारे मन से केवल वही किया जा मेरी दृष्टि में अच्छा था॥ <। परन्त सभों से जो तेरे अागे थे अधिक बराई किई ह क्योंकि मस्फे क्रद्ू करने का त ने जाके अपने लिये ओर ट्वों का और ठालो हुई मत्तिन का बनाया ओर मम्मे अपने पीछे टालं टिया ह्े। १९०। से ट्ख में यरूबिआम के घराने पर बुराई लाऊंगा ओर यरुबिआम के हर एक के जो भौत पर मत्ता क्षे ओर इसराएलियां में बन्द कहें ओर बच हें नष्ट करूंगा ओर उन के जा यरूुबिआम के घर में बच रहेंगे यां मिटा डालंगा जसा काई जन कड़े का यहां लां लेजाता हु कि सब जाता रहे॥ २१५१५। यरुबिआम का जो काई नगर में मरेगा उसे कुत्ते खायेंगे ओर जा चौगान में मरेगा उसे आकाश के पच्चौ खायेंग क्योंकि परमेग्वर ने यां कहा हे ॥ २२। सेत उठके अपने ही घर जा और नगर में तेरे पांव पहुंचते हो लडका मर जायगा॥ १५३। और उस के लिये सारे इसराएल बिलाप करेगे और उसे गाड़ंग क्यांक यरुबिआम कौ समाधि में केवल वही पहुंचेगा इस कारण कि इसराएल के ईम्घर परमेम्धर की ज्यर यरुबिआम के चराने में से उस में भलाई पाई गई॥ ९४ । ओर परमेग्वर इसराए लियों पर एक राजा खड़ा करेगा जो उसो दिन यरुबिआम के घराने का नष्ट करेगा परंत क्या अथात अभौ॥ १५ | और परमेम्घर इसरा८लियों का मारेगा जिस रोति से जल में संठा हिलता कहे गऔर इसराएल के उस अच्छी भूमि से जो उस ने डन के पितरों का दटिई है उखाड़ फेंकेगा ओर उन्हें नटों के पार लां बिथराण्गा इस कारण कि उन्हें ने श्रपना अपना कुंज बनाके परमेम्वर के खिजाके रिसाया ॥ १६। और ड 72०१ राजावली [९४ पब्दे व॒द यरुबिआम के पाप के कारण इस राएल को टूर करेगा क्योंकि डस ने पाप किया ओर इसराएल से पाप करवाया॥ २१५७। तब यरुबविआम को पत्नौ उठ चलो ओर तिरजः में आई और ज्योंत्तीं वह टेहली पर पहुंची त्योंहों लड़का मर गया॥ ९१८। ओऔर जैसा परमेस्वर ने अपने सेवक अखियाह भवव्यदक्ता के द्वारा से कहा था उन्हें ने उसे गाड़ा और सारे इसराएलियां ने उस के लिय बिलाप किया॥ ९६। और यरू- बिआम की रहो हुई क्रिया जिस रीति से उस ने युद्ध किया और कि जिस रोति से उस ने राज्य किया से दखो इसराएल के राज।ओ के समाचार की पस्तक में लिखा ह्े। २०। और यरुबिआम ने बाइंस बरस राज्य किया तब अपने पितरों में से! गया और उस का बेटा नटब उस की सन्तो राज्य पर बेठा॥ २९ । ओर सुलेमान के बेटे रहबिआम ने यहदाह पर राज्य किया उस ने एकतालीस बरस की अवस्था में राज्य करना आरंभ किया और यरूसलम में अथै।त उस नगर में जिसे परमेम्मर ने अपना नाम रखने के लिय इसराएल की समस्त गोाष्थियां में से चन लिया था सत्रह्न बरस राज्य किया ओर उस की माता का नाम नअमः जो अस्मनी थी॥ २२ | और यहूट्ाह ने परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई और उन्हों नेअपने पितरों के पाप से अधिक पाप करके परमेग्धर का खिज के क्रीघ दिलाया॥ २३। क्योंकि उन्हें ने भो अपने लिये हर एक ऊंचे पहाड़ पर और एक एक हरे पड़ तले ऊंचा स्थान ओर मर्त्ति और कंज बनाया ॥ २४। ओर देश में सट्टनी भी थे और उन्‍हें ने अन्यद्‌ शियें के समच्त चिनित काया के समान किया जिन्हें परमेच्धर ने इसराएल के सनन्‍्तानां के आग से दूर किया॥ २५ । और रचह्विआम राजा के पांचवें बरस ऐसा हुआ कि मिख का राजा शोशाक यरूसलम के बिरोध में चढ़ आया॥ २६। और वह परमेम्धर के मंद्र का धन और राजा के घर का घन लेके चला गया ओर वह सब कुछ ले गया जो सेने को ढालें सलेमान ने बनाई थों वह सब ले गया ॥ २७। और रहबिआम राजा ने उन की सनन्‍्ती पोतल की ढालें बनाई और प्रधान देड़हे| के! जो राजा के भवन के द्वार की रक्षा करते थे दिया॥ र८। और एऐसा हुआ कि जब राजा परमेम्धर के मंदिर में जाता था तब पहरू उन्हें डठा लेते थे फिर उन्हें छपके पच्चरू को ९५ ५ब्ब] कौ ९ पतस्तक। ७०३ काटठरी में रख क्ाड़ते थे। २८ । अब रहबिआम की रही हुई क्रिया और सब कुछ जा उस ने किया से क्या यहूट्ाह के राजावली के समाचार को पस्तक में नहीं लिखा ॥ ३० । और रहबिआम में और यरूबिआम में जौवन भर सबेट्ा यडू रह्दा। ३९। और रहबिआम ने अपने पितरें में शयन किया ओर ट्राज॒ट्‌ के नगर में अपने पितरों के साथ माड़ा गया और उस कौ माता का नाम नअमः जो अ्मूनी थी ओऔर उस के बेटे अबियाम ने उस को सती राज्य किया ॥ ९५ पन्दरहतवां पब्य च््रैः नबात के बेटे यरुबआम के राज्य के अठारहवें बरस अबियाम ने यह्ूटाह पर राज्य किया ॥ २। उस ने यरूसलम में तीन बरस राज्य किया और उस की माता का नाम मअकः था जे! अबिसलम की बेटी थी॥ ३। और जेसा उस के पिता ने उस्झे पहले पाप किया जैसे उस ने भी किये ओर उस का मन परमेग्घर अपने ईश्वर की ओर सिद्ध न था जैसा कि उस के पिता दाऊद का था.। ४ । तथापि दाऊद के कारण उस के ईस्मवर परभेच्वर ने उसे यरूसलम में एक दौपक दिया कि उस के बेटे का उस के पीछ बैठावे और जिसत यरूसलम के स्थिर करे ॥ ५। इस कारण कि टाजऊद ने वही काय किया ज्ञा ईश्वर की दृष्टि में ठोक था अपने जीवन भर केवल जरियाह चित्तो की बात के। छोड और किसो आज्ञा से न मड़ा॥ ६। ओर रहंविग्ञाम और यरुबिआम के मध्य में जीवन भर यड़ रहा । ७॥ अब अबियाम की रही हुई क्रिया और सब जो डस ने किया था से क्या यहृदाह के राजाओं के समयों के समाचार की पुस्तक में नहीं लिखा है। पर॥ और अबियाम ओर यरुबिआम में लड़ाई थी तब अवियाम ने अपने पितरों में शझयन किया और उन्हें ने उसे टाजद के नगर में गाड़ा और उस का बेटा असा उस कौ सन्तों राज्य पर बैठा॥ ९। और इसराएल के राज! यरूबिआम के राज्य के बीसव बरस असा यहदाह पर राज्य करने लगा॥ १०। ऊस ने यरूसलम में एकतालीस बरस राज्य किया और उस की माता को नाम मअकः था जो अबविसलुम की बेटों थी॥ ९९। और असा ने अपने पिता द्वऊद की नाई: ६४ राजावलो (२५ पत्ब परमेग्घर कौ दृष्टि में ठौक किया॥ १५२। ओर उस ने गांडओं का रश से टूर किया ओर उन मत्तिन का जिन्हें उस के पितरों ने बनाया था निकाल फंका। १५६३ । और उस ने अपनो माता मअकः के भी रानी होने के पट से अलग किया क्योंकि उस ने कंज में एक मर्त्ति बनाई थी जर असा ने उस कौ म॒त्ति का ठा दिया और केटरून के नाले के तीर जला दिया॥ १५४। परंत ऊंचे स्थान अलग न किये गये तथापि उस का मन जौवन भर परमेस्वर के आगे सिद्ध था। ९५। और जो जा बस्त उस के पिता ने समपेण किई थी और जे जा बस्तु उस ने आप समर्पण किई थी अर्थात रूपा और सेना और पात्र उस ने उन्हें परमेम्धर के मंट्र में पहुंचाया ॥ १५६। ओर असा में और इसराएल के राजा बञअशा में उन के जीवन भर युड्ट रहद॥ २७। और इसराएल का राजा बचआशा यहूदाइ के बिरोध में चढ़ गया और रामः का बनाया जिसतें यहूदाह के राजा असा पास किसौ का जाने न टवे॥ २९८। तब असा ने परमेम्वर के मंदिर के भंडार का बचा हुआ रूपा और सेना और राजा के घर का घन लेके अपने सेवकों के हाथ में सांप गैर असा राजा ने उन्हें अराम हजयन के बेटे तबरिब्मन के बेटे बिनहदट पास जो ट्मिशक में रहता था यह कहके भजा॥ २१८। कि मेरे ओर तेरे मध्य में और मेरे बाप के ओर तेरे बाप के बीच मेल हे ट्ख में ने तेरे लिये रूपा ओर सेना भेंट भेजो से। आइये और इसराएल के राजा बअश से मेल ताड़िये जिसतें बच मेरी ओर से चढ़ जाय॥ २०। तब बिनहटद ने असा राजा कौ बात मानके अपने सेनापतिन का इसराएल के नगरों के बिरोध में भेजा ओर औयन और दान के और अबिल बेतमअकः के ओर समस्त किन्नारात के नफतालौ के समस्त देश सहित मारा॥ २९। और एऐसा हुआ कि जब बअशा ने सना तब रामः का बनाना छेाड़के तिरजः जा रहा॥ २२। तब असा राजा ने सारे यहक्च दाह में प्रचारा और काई न रहा से वे रामः के पत्थरों को और उस के लट्ढां के जिन्ह से बअशा ने बनाया था उठा ले गये और असा राजा ने बिनयमीन के जिबञ का और मिसफा के उन से बनाया ॥ २३। और असा को समस्त उबरी हुई क्रिया और उस के समस्त पराक्रम और सब जो उस ने किया था और उस २५ पब्बे] कौ ९ पुस्तक | ७०५ ने जा जा नगर बनाये से क्या यहूदाह के राजाओं के समयों के समा- चार कौ पस्तक में नहों लिखा क्व तथापि उस के बढापे में उस के पांव में रोग था॥ २४। तब असा ने अपने पितरों में शयन किया गऔर अपने पितरों में दाऊद के नगर में गाड़ा गया और उस का बेटा यकह्शफात उस की सनन्‍्ती राजा हुआ॥ २५ । गऔर यहटाह के राजा असा के राज्य के ट्ूसरे बरस यरुबिआम का बेटा नद््ब इसराएल के संतान का राजा हुआ जऔर उस ने इसराएंल पर दे बरस राज्य किया॥ २६। और उस ने परमेम्यर की दृष्टि में बुराई किई और अपने पिता के मार्ग में और उस के पाप में जिसमे उस ने इसराएल से पाप करवाया चला॥ २७। तब इशकार के घराने में से अखियाह के बेटे बअशा ने उस के बिरोध में गष्ट बांधी ओर फिलिस्तियां के जिबतन में डसे घात किया (क्योंकि नटब और सारे इसराएल ने जिबतन का घेरा था]। २₹८। अथात्‌ यक्वदटाह के राजा असा के तोसरे बरस बआअशा ने डसे घात करके उस की सन्तो राज्य किया॥ २८। ओर ऐसा हुआ कि उस ने राज्य पर स्थिर हेके यरुबिआम के सारे घराने के बध किया और उस ने यरूुबिआम के लिये एक खासघारी का न छोड़ा जब लॉ उसे रूश न कर डाला जसा किपरमेग्रर ने अपने सेवक अखियाह शैेलनी के द्वारा से कहा था॥ ३०। क्यांकि यरुबिआम ने आप बहुत पाप किये थे ओर इसराएल से भी पाप करवाये थ जऔर परमेगम्वर इसराएल के ईंम्वर के निपट क्राघित किया था रिसियाके खिजाया था॥ ३९२। और नदब को रही हुई क्रिया ओर सब ज्ञा उस ने किया था से इसराएल के राजाओं के समय के समाचार को पत्तक में नहौं लिखा कहे ॥ ३२। ओर असा ओर इसराएल के राजा बचशा में उन के जोवन भर लड़ाई रही॥ ३३। ओर यहूदाह के राजा असा के राज्य के तौसरे बरस अखियाह का बेटा बगअशा तिरजः में समस्त इसराएल पर राज्य करने लगा उस ने चाबीस बरस राज्य किया॥ ३४। उस ने परमेम्प्रर की दृष्टि में बुराई किई ओर यरूबिआआम के मागे में ओर उस के पाप में जिस्म उस ने इसराएल से पाप करवाया चलता था ॥ 89 (4. 8. [*& ७०६ राजावली [२६ पब्व २६ सोलहवां पब्बे ॥ त ब बञ्शा के बिरोध में हनानी के बेट याकह्ल पर परमेश्वर का बचन उतरा॥ २। जैसा कि में ने तुमे घ॒ल में से उठाया और अपने लोग इसराएलियों पर अध्यक्ष किया परन्तु तू यरूबिआम के पथ पर चला ग्रर तू ने मेरे इसराएली लागों से पाप करवाया॥ ३। देख में बचशा के बश के ओर उस के घराने के बंश को ट्रर करूगा ओर में तेरे घराने के! नबात के बटे यरांबआम के घराने के समान करूंगा ॥ ४ । बञशा के घर का जा कोई नगर में मरेगा उसे कुत्ते खायंगे और जो चोगान में मर जायगा उसे आकाश के पच्ची खायेंगे॥ ५। अब बञशा की रहो हुई क्रिया गैर जे। कुछ उस ने किया और डस की सामथ्ये इसराएल के राजाओं के समयां के समाचार की पुस्तक में लिखा नहीं ॥ ६। से बअशा अपने पितरों में से गया और तिरज: में गाड़ा गया ओर उस के बेटे एला ने उस की सन्‍्तो राज्य किया ॥ ७। ओऔ.र हनानी के बट याहक्ू भविव्यद्रक्ता के द्वारा से परमेश्वर का बचन बअशा के बिराध में ओर उस के घराने के बिराघ में आया अर्थात समस्त ब्राइयां के कारण जा उस ने परमेश्वर की दृष्टि में करके अपने हाथ के कार्यां से जो यरुविञ्ञाम के घराने की नाई था और इस कारण कि उसे मार डाला था उसे रिस दिलाया॥ ८। ओर यहूदाह के राजा जसा के राज्य के हब्बौसवें बरस बअशा के बेटे एला ने तिरजः में इसराएल पर दे! बरस राज्य किया॥ <। ओर जब वह तिरजः में अपने घर क प्रधान अरजा के घर में पीके मतवाला रहा था तब उस के आघ् रथां के प्रधान उस के सेवक जिमरी ने उस के बिशोाघ में गष्ट किई ॥ ९०। तब जिमरो ने भीतर पैठके उसे मारा ओर यहक्नदाह के राजा असा के सताईसवें बरस उसे मार डाला ओर उस की सन्‍्तो राज्य किया ॥ ११९। जैर यों ऊआ कि जब वह राज्य करने लगा तो सिंह।सन पर बेठत हो उस ने बञशा के सारे घराने के घात किया तब डस ने उस के लिये न ते एक पुरुष का जा भौत पर मूत्ता हैँ न उस के कुटन्च का ने मित्र के छाड़ा। १५२। यों जिमरी ने परमेश्वर कौ बाचा के समान जो २६ पब्बे] कौ ९ पदस्तक | ७०१७ उस ने बअशा के बिघय में याह्ल भविव्यदक्ता के द्वारा से कहा और बअशा के समस्त घराने का नष्ट किया॥ ९३ । बअशा के सार पापों के कारण और उस के बेटे एला के पापों के कारण जा उन्‍्हों ने किये और जिन से उनन्‍्हों ने इसराएल से पाप करवाय यां अपनी मढ़ता से परमेम्धर इस- राएल के ईस्पथर का रिस दिलाया॥ १५४। अब एला कौ रहदौ हुई क्रिया और सब कुछ जा उस ने किया था से इसराएल के राजाओं के समयों के समाचार कौ पस्तक में नहों लिखा। ९५ । यहृटाह के राजा असा के सताईसवें बरस जिमरी ने तिरजः में सात दिन राज्य किया ओर लोगों ने फिलिस्तियां के जिबतून के बिराध में छावनी किई ॥ ९६ । ओर जब छावनो के लागां ने सुना कि जिमरी ने गुष्ट करके राजा के भौ बधन किया है इस लिये समस्त इसराएल ने सेनापति उमरो के छावनी में उसो दिन इसराएल पर राजा किया॥ १५७। ओर उमरी ने सारे इसराएल समेत जिबत्‌न से चढ़के तिरज: के घेरा॥ ५८। ओर यों हुआ कि जब जिमरी ने टेखा कि नगर लिया गया तो वुच्द राजा के भवन में गया और अपने ऊपर राजा के भवन में आग लगाके जल मरा॥ ९५०। उस के पापों के कारण जो उस ने यरुबिआम के मारे पर चलने में और अपने पाप में जो उस ने इसराएल से पाप करवाके किया था बराई किई ॥ २०। और जिमरी कौ रहो हुई क्रिया और उस का छल जे उस ने किया इसराएल के राजाओं के समय के समाचार कौ पुस्तक में नहीं लिखा ॥ २९५॥ उस के पीक इसराएल लाग दा भाग हुए आधे लाग गिनात के बेटे तिबनी का राजा करने के उस कौ ओर ओर आधे लाग उमरो के पीछ हुए॥ २२। परन्त जा लाग उमरो के पौछ हुए थे उन लागां ने गिनात के बेटे तिबनी की ओर के लागां के जोता और तिबनी मारा गया ओऔर उमरी ने राज्य किया।॥ २३॥ ओर यहूटाह के राजा असा के राज्य के एकतीसवत्र बरस उमरीो इसराएल पर राज्य करने लगा उस ने बारह बरस राज्य किया तिरजः में छः बरस राज्य किया ॥ २४। फेर उसने दो तोड़ा चांदी पर समरून का पहाड़ समर से मे।ल लेके उस पहाड़ पर एक नगर बसाया ओर उस नगर का नाम जो उस ने बनाया था समरून हज 9०८८ राजावलो [९५७ पब्व रक्‍खा जा समर के पहाड़ का खामी था ॥ २५ । परन्तु उमरी परमेश्वर कौ दृष्टि में बुराई किई और उन सब से जा उससे आगे अधिक बुराई किईं॥ २६ । क्यांकि वुद्द नबात के बटे यरुबिआम सारे मार्ग में और उस के पाप में चलता था जिसर्झें डस ने इसराएल से पाप करवाके परमेश्वर इसराएल के ईस्थर के अपनी मूढ़ता से रिस ट्लिाया॥ २७। अब उमरो की रहौ हुई क्रिया और उस का पराक्रम जा उस ने ट्खाया से। इसराएल के राजाओं के समयें के समाचार को पुस्तक में नहों लिखा। २८ । उस के पीछे उमरी अपने पितरों में से गया और समरून में गाड़ा गया और उस के बेटे अखिअब ने उस को सन्तो राज्य किया ॥ २८ ५ और यहूटाह के राजा असा के राज्य के अठतीसवें बरस उमरी का बेटा अखिअब इसराएल पर राज्य करने लगा ओर उमरी के बटे अखिअब ने बाईस बरस समरून में इसराएल पर राज्य किया ॥ ३०। और उमरो के बटे अखिअब ने उन सब से जो छस्से आगे थे परमेम्थर को दृष्टि में अधिक बुराई किई॥ ३१। और यों हुआ कि उस ने इतने पर बस न किया कि नबात के बेटे यरुविआम के से पाप करता था परंतु वुच्त तेदानिया के राजा इतबअल कौ बेटी ईंजबिल को ब्याह लाया और जाके बञुल के पजा ओर उस के आगे दंडवत किई॥ ३२। और बञअल के मन्दिर में जा उस ने समरून में बनाया था बअल के लिये एक बेदी बनाई ॥ ३३ । ओर अखिअब ने कुंज बनाया ओर परमेम्यर इसराएल के ईसम्घर का उन सब इसराएंली राजाओं से जा उस्यु आगे थे अधिक रिस उभाड़ा॥ ३४। उस के दिनों में हेएल बैत- शली ने यरीहे। के बनाया उस ने उस की नंव अपने पहिलोंट अबिराम पर डालो ओर उस के फाटक अपने लकु रे सगूब पर खड़ किये जैसा कि परमेश्वर ने नून के बेटे यहूरूअ के द्वारा से बचन दिया था ॥ +3/ &€/ 3० ९७ सन्तरहवां पब्ब । त्‌ ब जिलिअद के बासिथां में से इलियाह तिसबी ने अखिअब से कहा * ६ कि परमेस्वर इसर[एल के ईस्घर के जौवन से जिस के आगे में ९७ पब्चे) कौ ९ पस्तक। ७०८ खड़ा हूं कई एक बरस लॉ न ग्ञास पड़गी न मेंह बरसेगा परंत जब में कहूंगा॥ २। ग्यार यह कहते हुए परमेम्धर का बचन उस पर उतरा ॥ । कि यहां से चलके पूव की ओर जा और करौथ कौ नाली के पास जे। यरटन के आगे है आप का छिपा॥ -४। आर ऐसा हेगा कि त उस नाली से पीोजिया ओर में ने जंगली कोव्वां का आज्ञा किई हे कि वे तम्फे वहां खिलावें॥ ५। से छहस ने जाके परमेम्घर के बचन के समान किया और यरदन के आगे करोथ नाली के पास जा रहा॥ ६। ओर सांस्क बिह्ाान जंगली कौव्वे उस पास रोटी और मांस लाया करते थे और वुह उस नाली से पीताथा॥ ७। ओर कुछ ट्न के पीछ एसा हुआ कि देश में मेंह न बरसने के कारण से नाली का जल रूख गया॥ ८। तब परमेमख्वर का बचन यह कहके उस पर उतरा॥ «। कि डठके सैद्ानियां के सरफत के चला जा और वहां रह ट्ख में ने तेरे प्रतिपाल के लिये एक रांड़ का आज्ञा किई क्षे । ५०। से वह डउठके सरफत के गया ओर जब वह नगर के फाटक पर पहुंचा तो क्या ट्खता है क एक बिधवा वहां लकड़ियां बटार रही थी और उस ने उसे पकारके कहा कि कृपा करके मर्के एक घांट पानो किसौ पात्र में जाइये कि पीऊ ९९ । और जब वुच्द लाने चलो ते। इतने में वुदद उसे पुकारके बाला कि में बिनती करता हूं कि अपने हाथ में एक ट कड़ा रोटी मेरे लिये लेती आइये। ॥ ९२ । तब उस ने उसे कहा कि परमेश्वर तेरे ई म्भर के जोवन से मेरे पास एक भौ फुलका नहीं परंतु केवल मुट्ट भर पिसान एक मडके में है और पात्र में थोड़ा तेल और द्खिये कि में दे। लकड़ियां बटार रही हूं जिसतें घर जाके अपने ओर अपने बेटे के लिये पेऊं ओर सिद्ध करू कि हम खाय॑ गर मर जाय॑ ॥ ९ ३ । तब इलियाह ने उसे कहा कि मत डर जा और अपने कहने के समान कर परंतु पहिले मेरे लिये डस्से एक लिट्टी बना और मुस्_क पास ला ओर पौछे अपने ओर अपने बेटे के लिये पोइओ7 ॥ ९४। क्योंकि परमेम्वर इसराएल का ई यप्घर यां कह ता है कि परमेग्पर एथिवी पर जबलों मेंह न बरसावे मटके में का पिसान न घटेगा और पात्र में का तेल न चुकेगा॥ ५५ | ओर उस ने जाओ इलियाह के कहने के समान किया और आप ओऔर वुच् और< उस का घराना बहुत दिन लों ७९० राजावलो [५८ पब्थ खाते रहे॥ ९६। ग्जार परमेम्वर कौ बचन के समान जा उस ने इलि- याह के द्वारा से कहा था मटके का पिसान ओर पात्र का तेल न खटा॥ ९७। और इस के पीछे ऐसा हुआ कि घर कौ खामिनौ का बेरा रोगी हुआ ओर उस का रोग ऐसा बढ़ा कि उस में प्राण न रहा ॥ ९८ । तब उस स्त्री ने इलियाह से कहा किहे ईयस्घर के जन तम्क से मस्क से क्या प्रथाजन त मेरे पाप स्व रण कराने के और मेरे बेटे का नाश करने के आया क्षे । ९८। ओर उस ने उस्स कहा कि अपना बेटा मर्न्हे ओर वह उस कौ गादट से लेके उसे काठ पर जहां बह रहता था चढ़ः ले गया ओर उसे अपने बिछोाने पर लेटाया | २० | और उस ने परमेमग्रर से प्राथना करके कहा कि हे मेरे ई स्वर परमेस्र क्या तू ने इस रांड़ पर भी बिपत्ति भेजी जिस के यहां में उतरा हूं कि उस के बेटे का नाश करे ॥ २५। तब उस ने आप के तोन बार उस बालक पर फैलाया और परमेमश्र से प्राथेना करके कहा कि हे मेरे इंख्र परमेम्घर में बिनतों करता हूं कि इस बालक का प्राण इस में फिर आवे॥ २२ । तब परमंग्वर ने इलियाह कौ प्राथना सनी ओर बालक का प्राण उस में फिर आया और वच जी उठा॥ २३। तब इलियाह उस बालक के उठाके काठरी में से चर के भोतर ले गया ओर उसे उस को माता के सोंप टिया ग्रा। र इलियाह ने कहा कि टेख तेरा बेटा जीता हे॥ २४। तब उसस्तीोने इलियाह से कहा किअब इस्से में जानतो हूं कि त ईम्र का जन है ओर तेर मंच से परमेग्थर का बचन सत्य हे। ९८ अटारहवां पब्ब । झ्' बहुत दिन के पीछ ऐसा हुआ कि तौसरे बरस परमेग्वर का बचन इलियाह पर उतरा कि आप के अखिअब पर प्रगट कर और मैं रेश में मेंह बरसाऊंगा॥ २।और ज। इलियाह अपने तई अखिअब के दिखाने गया तब समरून में बड़ा अकाल था॥ ३। तब अखिअब ने अपने घर के अध्यक्ष अबदियाह के बुलाया अब अबदियाह इंख्र से बहुत डरता था॥ ४। क्यांकि यों हुआ कि जब इंजबिल ने इंशर के भविव्यद्क्तां के मार डाला तो अबदियाहइ ने से। भविव्यद्क्तां के। लेके ९ ८ पब्न | कौ २ पच्तक | ७९ १९ पचास पचास करके एक खाह शों छिपाया ओर उन्‍्हं अन्न जल से पाला ॥ ५। जार अखिअब ने अबदियाह से कहा कि देश में फिर और समस्त जलके सेताओं ओर नाल में जा क्या जाने कि घाड़ और खच्चर के जोते रखने के लिये घास मिल जाये न हे। कि पश हस्मे से नष्ट हावं॥ ६। से उन्‍्हों ने आपुस में टेश का बिभाग किया कि आरंपार जायें अखिअब आप एक ओर गया और अबदियाह आप टूसरी ओर ॥ ७। और ज्यां अबदियाह मागे में थाइलियाह उसे मिला और उस ने उसे पहि- चाना ओर ओऔंघधा गिरा और बेला कि आप मेरे प्रभइलियाह हैं॥ ८। और उस ने उसे उत्तर दिया कि में हों हूं जा अपने प्रभ से कह कि इलि- याह क्वरू ॥ ८। वह बोला क़िमें ने क्याअपराधघ किया के जो त अपने दास का बध करने के लिये अखिअब के हाथ सापा चाहता है ॥ ९५०। परमेग्वर तर इंग्घर के जीवन सा काई जाति अथवा राज्य नहीं कै जहां प्रभ ने तेरी खोज के लिये न भेजा हे और जब उन्‍्हों ने कहा कि वह नहों है तब उस ने जाति कौ चऔर राज्य की किरिया लिई कि हम ने उसे नहीं पाया॥ १५५। और अब त कहता है कि जाके अपने प्रभ से कह कि ट्ख इलियाह है #॥ १५२। और जब में तेरे पास से चला जाऊंगा तब एमा हेगा कि परमेग्वर का आत्मा तमे क्या जाने कहां ले जायगा और जब में जाके अखिअब से कहूंगा और वह तम्के न पा सके तब म्फे बघन कर परंतु में तेरा सेवक लड़काई से परमेग्वर से डरता ह्ू॥ २९३। मेरे प्रभु से नहों कहा गया कि जब ईजबिल ने परमेश्वर के भविव्यदक्तों का मार डाला तब में ने क्या किया कि परमेग्र के से भविव्यद्धक्तां के। लेके पचास पचास करके एक खाह में छिपाया ओ।र उन्‍हें अन्न जल से पाला॥ १५४। और अब त कहता है कि जाके अपने प्रभ के जनाव कि देख इलियाह है और वह मस्के बघन करंगा॥ ९१५ । तब इलियाह ने कहा कि सेनाओं के परमेश्वर के जीवन सें। जिस के आगे में खड़ा रहता हूं में अवश्य आज उस पर अपने के दिखाऊंगा ॥ १६ । से अब्दियाह अखिअब से भंट करने के! गया और उसे कहा ओर अखिदब इलियाह की भंट का गया॥ १९५७। और ऐसा हुआ कि जब अखिअब ने इलियाह का ट्खा तो उसे कहा कि क्या तू वही कै जो इसराएलियों के ७१२ राजावलौ [६ प्रत्च सताता क्षै॥ १५८। उस ने उत्तर दिया किमें ने नहों परन्त त ने ओर तेरे पिता के घराने ने इस बात में इसराएलियों के। सताया है कि तम ने परमेम्वर की आज्ञाओं का छाड़के बअलौम का पीछा पकड़ा क्षे। १«॥ इस लिये अब भेज और सारे इसराएल के। करमिल पहाड़ पर मेरे लिये एकट्ठा कर और बअल के साढ़े चार सो भविष्यद्क्ता के गलर कंजें। के चार सो भविव्यद्रक्ता केक जा ईजबिल के मंच पर भेजन करते हैं २० । से अखिअब ने इसराएल के समस्त सनन्‍्तान के पास भेजा और भविव्यद्क्तों के करमिल पहाड़ पर एकट्ठटा किया ॥ २९। तब इलजियाह ने सार लागा के पास जाके कहा कि कब लां अधर में पड़े रहेगे यदि परमेग्पर ई स्वर है ते उसे गहे परन्त यदि बअल तो डसे गहे पर लोगों ने उसे तनिक उत्तर न दिया॥ २२। तब इलियाह ने लागां से कहा कि परमेम्वर के भविय्यद्रक्ता में से में ही अकेला बचा हूं परन्त बअजल के भविव्यद्क्ता साढ़ चार सो जन क्ै 0 २३। से! वे अब हमें दा बैल रवे और अपने लिये एक बैल चने और उसे टकड़ा टकड़ा करें ओर लकड़ी पर घरें परन्‍त आग न लगावें श्यार टूसरा बैल में सिद्द करूंगा और उसे लकड़ी पर घरूंगा परन्त आग न लगाऊंगा॥# २४ । ग्र तम अपने देवों के नाम से प्राथेना करो और में परमेश्वर के नाम से प्राथेना करूंगा जाइंग्वर आग के द्वारा से उत्तर टेगा वही इंब्वर हावे तब सब लागा ने उत्तर हके कहा कि यह अच्छी बात क्षे ॥ २४ । ओर इलियाह ने बञअ्जल के भविव्यद्धक्ताों से कहा कि तम अपने लिये एक बेल चनके पहिले उसे सिद्द करो क्ये।कि तम बहुत हे। और अपने ट्वों के नाम से प्रार्थना करा परन्तु उस म॑ आग मत लगाओ॥ ६२६॥। तब उडन्‍्हां ने एक बल का जो उन्हें टिया गया लिया और उसे सिड्ठ किया और बिहान से दा पहर ला यह कह के बअल के नाम से प्राथेना किई कि हे बअल उत्तर दे परन्त न कुछ शब्द हुआ न किसी ने सना और वे उस बनाई हुई बे -े पर क॒ट पड़॥ २७। और एऐसा हुआ कि दो पहर के इलियाह ने उन्हें चिढ़ाके कहा और बाला कि चिज्ञाके पुकारो क्योकि वुच्द देव हे बुच्द किसौ से बातें कर रहा क्षे अथवा कहीं गया है अथवा किसी यात्रा में हे और क्या जाने वुच्द सेता है और उसे जगाना अवश्य है ॥ ९ ८ पब्बे) को ९५ पस्तक । अडश्३ २८। तब वे बडे शब्द से चिल्लाये और अपने ब्यवह्ाार के समान आप के छरियो जैर गाटनियें से यहां ला गेाटा कि वे लाह्न लहान हे गये ॥ २८ । और ऐसा हुआ कि ट। पहर ढल गया ओर बलिदान चढ़ाने के समय ला भविव्य कहते रहे परन्तु न कुछ शब्द हुआ न काई उत्तर टवेया न ब॒भवैया ठहरा ॥ ३०। तब इलियाह ने सारे लागा से कहा कि मेरे पास आओ गैर सारे लाग उस के पास गये तब उस ने परमेम्धर की ढाई हुई बेदी के। सुधारा। ३९। और बअक्‌ब के सनन्‍्तान कौ गेष्ठटियों के समान जिनके पास यह कहके परमेम्धर का बचन आया था कि तेरा नाम इदूसराएल हेगा इलियाह ने बारह पत्थर लिये ॥ ३२ । ओर डन पत्थरों से उस ने परमेग्घर के नाम के लिये एक बेटी बनाई जऔऔर बी के आस पास उस ने एसो बड़ी खांई खादी जिस में टे। नपए बोज अमांवें॥ ३३। गैर लकडियां के। चना और बैल के काट के टकडा टकड़ा किया और लकड़ियों पर धरा और कहा कि चार पीपा पानी से भर दओ और उस होम के बलिटान पर ओर लकड़्यिं। पर उंडेले॥ ३४। ओर उस ने कहा कि टूसरो बेर उंड़ला उन्हा ने ट्सरी बर उंडला फिर उस ने कहा कि तीसरी बेर उंड़ले और उन्‍्हे। ने तीसरी बेर डंडेला॥। ३५। और पानी बेटी की चारें। गेर बहा और खांई के! भी पानी से भर दिया ॥ ३६। और बलिदान चढ़ाने के समय ऐसा हुआ कि इलियाह भविय्यद्धक्ता ने पास आके कहा कि हे परमेग्वर अबिरहाम और इजहाक ग्रारं इस- राएल के इईग्र आज जाना जाय कि इसराएल में त ईश्वर हे और कि में तेरा सेवक हू ओर में ने तेरे बचन से यह सब किया ॥ ३७। हे परमेग्वर मेरी सन मेरी सन जिसत ये लाग जान कि त हो परमेग्घर इंश्वर हे और उन के अंतःकरण के फेर दिया है ॥ ३८ । तब परमेम्वर की आग उतरी और हेम के बलिदान के। ओर लकड़ौ के और पत्थरों को और घुल के भस्म किया और खांई के जल के चाट लिया ॥ ३८। ओर जब सारे लोगां ने यह देखा तब वे ओंधघे मंह «रे और बेले कि परमेग्यर वहीं ई ग्पर हे परमेग्वर वच्दी इंश्वर है ॥ ४०। तब इलियाह ने उन्‍हें कहा कि बगल के भवव्यद्क्ता के पकड़ा डन में से एक भी न बच से उन्‍्हों ने उन्हें पकड़ा और इलियाह उन्‍हें किसन को 90 [4.9 8. ७९ ४ राजावनों [१६८ पब्थ नालौं पर उतार लाया ओर वहां उन्‍हें बधन किया॥ ४९ । फिर इलियाह ने अखिअब को कहा कि चढ़ जा खा और पी क्योंकि मेंह का बड़ा शब्द है ॥ ४२ | से। अखिअब खाने पीने के। उठ गया और इलियाह करमिल को चोटी पर चढ़ गया ओर आप के भमि पर सककाया ओर अपना मंच टानें घटनों के बीच में किया। ४३। और उस ने अपने सेवक के! कहा कि अब चढ़ जा और समद्र की ओर देख और उस ने जाके देखा ओर कहा कि कुछ नहीं उस ने कहा कि फेर सात बेर जा ॥ ४४। ओर सातवें बेर ऐसा हुआ कि वह वाला कि देख मनव्य के हाथ की नाई मेघ का एक छोटा सा ट कड़ा समद्र में से उठता हु तब उस ने कहा कि चढ़ जा और अखिअब के कह कि सिट्ट हे और उतर जा हैे। कि मेंह तस्के रोके॥ ४५ । ओर इतने में ऐसा हुआ कि आकाश मेघां से और पवन से अंधेरा है। गया और अति हृष्टि होने लगी और अखिअब चढ़के यज॒ुरअऐल के गया॥ ४६। ओर परमेग्वर का हाथ इलियाह पर था ओर वह अपनी कटि कसके अखिअब के आगे आगे यजरअणल लो टौड गया ॥ ९८ उन्नौसवां पब्बे ॥ ब जो कुछ कि इलियाह ने किया था अखिअब ने ईजबिल से कहा और कि किस रीति से उस ने सभस्त भविय्यद्तां को तलबार से बघ किया था॥ २। तब इंजबिल ने ट्ृत की ओर से इलियाह को कचह्दला भेजा कि यदि में तरे प्राण के! उन में से एक की नाई कल इस जन लो न करूं तो ट््‌वगण मम्क से वेसा हो और उससे अधिक भौ करे ॥ ३। ओर जब उस ने टेखा ता वह उठा और अपने प्राण के लिये गया और यहटाह के बिअरसबः में आया शऔर वहां अपने सेवक के। छोड़ा ॥ ४ परन्तः आप, एक दिन. के. मार्ग: बत्त में पेठ गया यार एक रतओ छक्त तले बैठा और अपने प्राण के लिये रूवत्य मांगी और कहा अब हे परमेग्वर हे। चक्का क्ञे अब मेरा प्राण उठा ले क्यांकि में अपने पितरों से भला नहों ॥ ५। और ज्यों वह रतम छक्त के तले लेटा और से। गया ते देखे कि एक दूत ने आके उसे छुआ और कहा कि उठ खा॥ $६। ९८ पत्ब) कौ ९ पस्तक । 3९५ का पका हुआ हे और एक पात्र जल घरा है तब वह खा पीके फेर लेट गया॥ ७। फिर परमेश्वर का ट्ूत दाहराके आया और उसे छ के कहा कि उट खा क्यांकि तेरी यात्रा तेरे बलसे अधिक क्षे ॥ ८े। से उस ने उठके खाया और पीया और उसी भाजन के बल से चालौस दिन रात चल के ईय्पर के पहाड़ हरिब के गया॥ ८। गैर वहां एक खार में टिका ओर टेखो कि परमेश्वर का बचन उस पास आया और उस ने उसे कहा कि हे इलियाह तू यहां क्या करताक्षे। १५०। वुद्द बाला कि में सेनाओं के ईंग्घर परमेग्वर के लिये अति ज्वलित हुआ हूं क्योंकि इसराएल के संतानें ने तेरी बाचा को त्यागा और तेरौ बेदियों के। ढा के तेरे भविव्यद्क्तों का तलवार से घात किया हे ओर में दी केवल में हो बचा ओर वे मेरे प्राण के भौ लेने चाहते हैं ॥ ९५९५। और उस ने कहा कि बाहर निकल ओर पहाड़ पर परमेग्थर के आगे खड़ा हे। और टेख वहां परमेग्वर जा निकलता हे ओर परमेम्भर के आग एक बड़ों और प्रचंड पवन पबेतों के तड़काती हे ओर चटानों का टकड़ा टकड़ा करती है परत परमेग्धर पवन में नहों ओर पवन के पीछ भइंडाल आया और परमेग्र भइंडाल में नहीं ॥ ९५२। ओर भइं डाल के पीछे एक आग परंत परमेश्वर आग में नहीं और आग के पीछे एक किंचित शब्द। १५३। ओर एसा हुआ कि इलियाह ने समा ते उस ने अपना मंह अपने ओढ़ने से ढांप लिया ओआर बाहर निकल क कन्दला की पेठ पर खड़ा हुआ ओर रखा कि यह कहके उस पास एक शब्द आया कि इलियाह तू यहां क्या करता हं॥ १४। वुह बाला कि म्॒के परमेश्वर सेनाओं के ईस्वर के [लये बड़ा ज्वलन हुआ हें इस कारण कि इसराएल के संतानों ने तेरों बाचा के त्यागा और तेरी बेटियां ढाई और तरे भविव्यद्क्ता का तलवार से वात किया ओर एक में हों अकेला जौता बचा से वे मेरे भो प्राण का लेने चाइते क्ैं॥ ९५ । तब पर मेग्पर ने उसे कहा कि ट्मिशक के अरण्य की ओर फिर जा और पहुंचत ही अराम पर इजाएल को राज्याभिषक कर॥ ९६। ओर निमशी के बेट याक्ल के 'इसराएल पर राज्याभिषेक कर और अवीलमहूलः सफत के ७९ ६ राजावजौ [२० पब्ष बंट इलीशअ का अभिषेक कर कि तेरौ सनन्‍्ती भविव्यद्रक्ता हेवे॥ १७। और ऐसा हेागा कि जो हजाएल की तलवार से बच निकलेगा उसे याह्ू मार डालेगा और जो याह्ल कौ तलवार से बच रहेगा उसे इलोशअ घात करेगा॥ ९८। तथापि इसराएल में मेरे सात सहस्त जन बच रहे हें जिनके घुटने बञल के आगे नहीं म्कुके और हर एक मुंह जिस ने उसे नहों चमा॥ ९८। से उस ने वहां से चलके सफत के बेटे इलौशअ का पाया जा अपने आगे बारह जाड बैल के हल से जोज्ञा था और बारहवें जेड़ के सम आप था और इलियाह ने उस के पास से जाते जाते अपना ओढ्ना उस पर डाल दिया॥ २०। तब उस ने बेलों का छड़ के इलियाह के पीछ ट्ोड के कहा कि में तरी बिनती करता हूं मम्पे छ ट्री टौजिय कि अपने माता पिता के चूमें और तेरे पीछे हे। लेऊंगा उस ने कहा कि फिर जा क्वययांकि में ने तक क्या किया हें॥ २९। तब वह्द उस पास से फिर गया ओर उस ने एक जाड़ी बेल लेके उन्ह बधन किया और हल की लकड़ियें से उन के मांस के उसना ओर लोगों का दिया और उन्हें। ने खाया तब वुद्द उठा और इलियाह के पौछे हे। लिया और उस कौ सेवा किई । २० बौसवां पब्बे । ब अराम के राजा बिनहदृद ने अपनो समस्त सेना के एकट्टे किया ते और उस के साथ बत्तीस राजा ओर घोडे और रथ थे और उस ने जाके समरून के! घेर लिया ग्रार उस्म लड़ाई किई॥ २। और उस ने इसराएल के राजा अखिअब के पास नगर में दूतें। का भेज के कहा कि बिनहट॒द यों कहता क्षे। ३। कि तेरा रूपा और तेरा सोना मेरा है तेरी संट्र संटर पह्नियां और तेरे बालक भी मेरे हें ॥ ४। तब इसराएल के राजा ने उत्तर टके कहा कि मेरे प्रभ राजा तर बचन के समान में ओर मेरा सब कुछ तेरा हे॥ ५। और दूता ने फिर आके कहा कि बिनहट्ट या कहता हं कि यद्यपि में ने तेरे पास यह कचहला भेजा कै कि अपना रूपा और सोना ओर अपनी पत्नियां ओर बाल बच्चे मुस्के सांपना ॥ ६। तथापि में कल इस जून अपने सेवका के तुम्क २० पब्ब] कौ ९ पच्तक । ७९७ पास भेजंगा और वेतेरे घर ओर तेरे सेवका के घर का खाजेंग और एसा हेगा कि जा कुछ तेरी दृष्टि में मनभावनी हेगीवे अपने हाथ में करके लेआवगे ॥ ७। तब इसराएल के राजा ने देश के समस्त प्राचीनें के बला के कहा कि चौन्ह रक और टेखे। कि वह कैसा बिरे।घ ढंढता हे क्योंकि उस ने मेरी पत्नियां और बालका के और मेरे रूपा और सेना के लिये लागें का भेजा ओर में ने उसे न रोका | ८। तब सारे प्राचीन ओर सारे लागों ने उसे कहा कि मत सुनिये। और मत मानिया॥ < । इस लिये उस ने बिनहट्द के ट्वतेां से कहा कि मेरे प्रभ राजा से कहे कि जात ने अपने सेवक के कहला भेजा से सब में करूंगा परन्त यह काव्य में न कर सकंगा तब दूतां ने जाके सन्दश टिया॥ १५०। तब बिनहट्द ने उस पास यह कहला भंजा कि हेवगण मुम्क से ऐसा हो करें और उस्म अधिक यदि समरून कौ घूल सारे लागों के लिये जा मेरे चरण पर हें मट्ठी भर भर हेवे॥ १५९५ । फिर: इसराएल के राजा ने उत्तर दे के कहा कि तुम कहे कि जे। जन कटि कसता है से। उस के समान जा करटि खोलता है गब नकरे॥ ९२। ओर यो हुआ कि जब वुह राजाओं के साथ तंबुओं में पी रहा था उस ने यह बचन सुना ते! अपने सेवकों के। कहा कि नगर के बिरुड्टू लैस हे। रहे। ओर वे नगर के बिरुड्ट लेस हे रहे ॥ ९३। ओर टेखे। कि इसराएल के राजा अखिअब पास एक भविय्यद्रक्ता ने आके कहा कि परमेग्पर या कहता हे कि क्यात ने इस बड़ी मंडलो का टेखा क्ञे से! टेख में आज सभा के तरे हाथ में सौंपंगा और त जानेगा कि में हों परमेश्वर ह्ं। ९४। तब अखिअब ने पका कि किनके द्वारा से वुह् बेला कि परमेश्वर यां कहता है कि देश टृश के अध्यक्ष के द्वारा से फिर डस ने पूछा कि संग्राम में कै।न पांतो बंधावे उस ने उत्तर दिया कि त्‌॥। २९५ । तब उस ने देशो के अध्यक्षां के तरुणों का गिना और वे टो| से बत्तीस जन हुए फिर उस ने इसराएल के समस्त सन्तान के भी गिना और वे सात सहस्त जन हुए। १५६। ओर वे सब दे पहर के निकले परन्तु बिनहदद और बत्तीस राजा जो उस के सहायक थ तंबुओं में पी पो के मतवाले हेते थे। ९७। तब दशों के अध्यक्ष के 'डश्ध राजावलौ [२० पब्ब तरुण पहिले निकले और बिनहरटद ने भेजा और वे कहके उसे बेले कि समरून से लाग निकल आये हैं ॥ १५८। वह बोला कि यदि वे मिलाप के लिये निकले हैं तो उन्हें जीता पकड़ा अश्ववा यदि यड्ट के लिये निकले हैं ता डन्‍्हें जीता पकड़ा॥ १५८ । तब दशा के अध्यक्षां के तरुण लोग नगर से निकले और सेना उन के पीछे पीछे ॥ २० | और उन में से हर एक ने एक एक के घात किया और अरामी भागे और इसराएलियां ने उन्हें खेटा ओर अराम का राजा बिनहट॒द घाड़ पर घाड़चढ़ों के साथ भाग के बचा॥ २९। ओर इसराएल के राजा ने निकल के घाड़ां ओऔ।र रथा के मार लिया और अरामियां के बना के मारा॥ २२। तब उस भविव्यद्क्ता ने इसराएल के राजा पास आके उसे कहा कि त फिर जा और आप के हृढ़ कर ओर चौन्ह रख जे किया चाहता हे से। ट्ख क्यों कि अराम का राजा पौछ तर बिराोध में चढ़ आवेगा ॥ २३ । तब अराम के राजा के सेवकों ने उसे कहा कि उन के ट्व पहाड़ों के ट्व हैं इस लिये वे हम से बलवान्‌ हुए परन्त आओ हम चौगान में उन से यद्भ करें ते निश्यय हम उन पर प्रवल हेंगे। २४ ।और त एक काम कर कि हर एक राजा का उस के स्थान से अलग कर ओर उन को सन्ती सेनापतिन के खड़ा कर॥ २५। और अपनी जम्को हुई सेना की नाई एक सेना गिन ले घोड़ की सन्‍्तो घोड़ा और रथ कौ सनन्‍्तो रथ और हम चेगान में उन से संग्राम करेंगे और निश्चय उन पर प्रबल होंगे से उस ने उन का कहा माना ओर वैसा हो किया॥ २६। ओर ज्याहीं बरस दीता व्यांच्ौं विनहदद ने अरामियां को गिना ओर इसराएलियां से यद्व करने का अफीकः के चढ़ा।॥ २७। ओर इसराएल के सनन्‍्तान गिने हुए और सब एकढ्ठे थे से उन का साम्ना किया और इसराएल के सनन्‍्तान ने उन के आगे एसा डरा किया जेसा मेम्ना का दे। कुंड हा परन्‍्त अरामियां से टेश भर गया ॥ २८। उस समय इईस्वर का एक जन इसराएल के राजा पास आया और उसे कहा कि परमेग्मर ये कहता है इस कारण कि अरामियों ने कहा क्षेकि परमेम्धर पहाड़ां का इईग्वर परन्त तराई का इंग्वर नहों डूस लिये में इस बड़ो मंडलोी का तरे हाथ में सांपंगा औअर तम जानोगे ३० पब्ब) कौ २ पस्तक । 36 किमें परमेख्र हूं ॥ २९। से उन्हें ने एक टूसरे के सनन्‍्मख सात दिन लां छावनी किई गैर सातवें टिन ऐसा हुआ कि संग्राम हुआ गर इसराएल के सनन्‍्तान ने दिन भर में अरामियां के एक लाख पगइडत मारे ॥ ३०। परन्त उबरे हुए अफीकः के नगर में पैठ और वहां एक भीत सत्ता- ईस सहस्व बचे हुए पर गिर पड़ी और बिनहट्॒दट भाग के नगर में आया ओर भीतर की काठरी में घखा ॥ ३९। और उस के सेवकों ने डसे कहा कि देखिये हम ने सुना है कि इसराएल के घरानों के राजा बड़े ट्याल राजा हें से। हमें आज्ञा दीजिये कि अपनी कटि पर टाट लपेटें और अपने सिरों पर रस्मियां धर ओर इसराएल के राजा पांस जायें कट्ाचित बुच् तेरा प्राण बचावे॥ ३२। से उन्‍्हों ने करटि पर टाट और सिर पर रस्पियां बांधों आर इसराएल के राजा पास आके बोल कि तेरा सेवक बिनहट्ट थां कहता हे कि में तेरी बिनती करता हूं कि मुम्मे जौता छा ड़िये वुद्द बेला कि वुद् अब लो जौता हे वुच्द मेरा भाई है ॥ ३३। ओर वे चाकसी से सेच रहे थे कि व॒ह क्या कहता है और म्कट डस बात का पकड़के कहा कि हां तेरा भाई बिनहट्द तब उस ने कच्चा कि जाओ उसे ले आओ [३ तब बिनहट्द उस पास निकल आया और उस ने उसे रथ पर उठा लिया। ३४॥ और उस ने उसे कहा कि जो! जा नगर मेरे पिता ने तेरे पिता से ले लिया में फर दंगा और जिस रौति से मेरे पिता ने समरून में सड़कें बनाई त्‌ रमिशक में बना तब अखिअब बेला कि में ठुमके इसो बाचा से बिटा करूगा से। उस ने उद्झे बाचा बांघो ओ।र बिटा किया। ३४। ओर भविय्यद्रक्तां के सनन्‍्तानों में से एक जन ने परमेस्धर के बचन से अपने परासी के। कहा कि में तरी बिनतो करता हुं कि मुस्के मार डाल परन्तु उस जन ने उसे मारने से नाह कया ॥ ३६ । तब उस ने उसे कहा इस कारण कि त ने परमेग्यर की आज्ञा न मानी ट्ख ज्यांचों त मम पास से बिटा हेगा त्यांहों एक सिह तस्कत मार लेगा और ज्यांहों वह उस के पास से बिदा हुआ त्येहीं उसे एक सिंह ने पाया ओर उसे फाड़ डाला॥ ३७। तब उस ने एक ट्ूसरे के! बला के कहा कि में तरी बिनती करता हूं मर्झे मार डाल उस ने उसे मारा और मार के घायल किया। ३८। तब वुच्द भविव्यदक्ता चला गया और ७२० राजावलजौ [२९ पब्ब माग में राजा की बाट जाहने लगा और अपने मंंह पर राख मल के अपना भेष बट्ला॥ ३८ । और राजा के उधर जाते जाते उस ने राजा के पकारा और कहा कि तेरा सेवक संग्राम के मध्य में गया था और देखिये एक जन फिरा ज्र मस्क पास एक जन यह कहके लाया कि इस को चेकसी कर यदि किसी रोति से यह पाया न जायगा तो इस के प्राण की सन्ती तेरा प्राण जायगा ओर नहीं तो तू एक ताड़ा चांदी देगा॥ ४०। और जिस समय तेरा सेवक इधर डघर और काम में लिप्न था वृच्द जाता रहा तब इसराएल के राजा ने उसे कहा कि तेरा यहौ बिचार हे तह्ौ ने चकाया क्षे । ४९। फिर उस ने फरती करके अपने मंह्त की राख पेंछोौ तब इसराएल के राजा ने उसे पहिचाना कि वह भविव्यद्क्तों में सेच्चे। ४२। तब उस ने कहा कि परमेचर यों कहता कै इस लिये कि त ने उस जन का अपने हाथ से जाने टिया जिसे म ने सबेथा नाश के लिये ठहराया थाइस कारण उस के प्राण कौ सन्तों तेरा प्राण और उस के लागां की सनन्‍्तो तेरे लाग॥ ४३। तब इसराएल का राजा डट्ास और भारी मन हेके अपने घर के! गया ओर समरून में आया। २९ इक्कीसवां पब्बे । (5 एसा हुआ कि नबात यजुरअणलो को एक द्ाख को बारी समरून के राजा अखिअब के भवन से लगी हुई यजुरअण्ल में थो॥ २। और अखिअब ने नबात से कहा कि अपनी द्ाख कौ बारी मुझ्के टे कि उसे तरकारी की बारी बनाऊं क्यों कि वह मेरे भवन के लग है ओर में उस को सनन्‍्तो तम्फे उस्स अच्छी टाख की बारो दऊंगा अथवा यदि तरोदष्टि में अच्छा लगे तो में तम्के उस का दाम राकड़ देऊंगा ॥ ३। ओर नबात ने अखिअब से कहा कि परमेग्वर एधा न करे कि में अपने पितरों का अधिकार तुस्ते देजं॥ ४। तब यजुरअएली नबात की बात से अखिअब उदास और भारी मन हेके अपने घर में आया क्यांकि उस ने कहा था कि मैं अपने पितरों का अधिकार तम्के न टऊंगा और अंपने बिछेने पर पड़ा रहा और अपना मंह फेर लिया और रोटी न खाई॥ ५४। परंत उस कौ पत्नी ईजबिल ने उस पास आके कहा कि त्‌ एसा उदास क्यों ते २९ पत्ज] की ९ पस्तक | ७२१९ कि रोटो नहों खाता॥ ६। तब उस ने उसे कहा इस कारण किमें ने यजरआअणली नबात से कहा था कि अपनो दाख की बारी मेरे हाथ बेंच और नहीं तो यदि तेरा मन हेवे ते में तुम्ते उस की सन्‍्तो दाख की बारी हृऊंगा उस ने उत्तर दिया कि में तुमे अपनी दाख की बारी न दृऊंगा॥ ७॥ तब उस कौ पत्नो ईंजबिल ने उसे कहा कि ज्या त्‌ इसराएलियां पर राज्य करता है उठिये रोटो खाइये औपए मन के! मगन करिये में तुझे अजुरअणएली नबात की दाख की बारी टेऊंगी ॥ ८। तब उस ने अखिअब के नाम से पत्रियां लिखों और उस की छाप से काप करके नबात के नगर के बासियों के अध्यक्ष और प्राचौनें के पास भेजों ॥ € । ग्ार उस ने पत्रियां में यह बात लिखी कि ब्रत को प्रचारो और लागां पर नबात का बैठाओ।॥ ९५०, ओर दुष्टा के पत्रां में से दे! जन उच्राओ कि यह कहके उस पर साच्यौ दवं कि त ने ईश्वर कौ और राजा को अपनिन्दा किई तब उसे बाहर ले जाके पथरवाह करो कि मर जाय ॥ १९ । और उस नगर के लागों ने अथात प्राचोन और अध्यक्षां ने जा नगर के बासो थे इंजबिल के कहने के समान जेसा पत्रियां में जे उस ने उन पास भेजी थी लिखा था किया ॥ १२। उन्‍्हें। ने ब्रत को प्रचारा ओर लागां पर नबात का बेठाया॥ २९३। तब दृष्टीं के पत्रां में से दा जन भौतर आये ओर उस के आगे बेठ और दुष्ट जनें ने नबात के बिरोध में यह कहके लागे३ के से|हों साच्तो टिई कि नवात ने ई स्वर की और राजा की अपनिन्दा किई हे तब वे उसे नगर से बाहर ले गये और उस पर एसा पथरवाह किया कि व॒ुह्ठ मर गया ॥ १९४ । तब उन्‍्हों ने ईजबिल के कहला भेजा कि नबात पथरवाह किया गया और मर गया ॥ ९५ । शऔऔर ऐसा हुआ कि जब ईजुबिल ने सना कि नबात पथरवाह किया गया और मर गया तो ईजबिल ने अखिअब के कहा कि उठिये और यजरअएली नबात की बारी का बश में करिय जिसे उस ने राकड़ की सनन्‍्तो तम्के देने का नाह किया क्योंकि नबात जोता नहों है परन्त मर गया॥ १६ । ओर या हुआ कि जब अखिअब ने सना कि नबात मर गया ता अखिअब उठा कि यज़ रअणएली नबात की टाख को बारी में उतरे जिसत उसे बश में करे ॥ 9] [&. ४. $.] ७२२ राजावलौ [२९ पब्ब ९७। तब परमेग्वर का बचन तिसबी इलियाह पास यह कहके आया॥ ९८। कि उट और जाके इसराएल के राजा अखिअ्ब से जा समरून में है भेंट कर देख कि वह नबात कौ ट्ाख कौ बारी में के जिधर वह उसे बश में करने के उतरा क्षे। १८ | और त उसे यह कहना कि परमेश्वर या कहता है कि त ने घात किया क्षे ओर बश में भो किया हे त उसे कह कि परमेग्यर आज्ञा करता ह कि जिस स्थान में कुत्ता ने नबात का लाह्ू चाटा उसी स्थान में तरा भो लाह्न कुत्ते चाटंगे॥ २०। और अखिअब ने इलियाह के कह कि हे मेरे बेरी त्‌ ने म॒स्ते पाया हे उस ने उत्तर दिया कि में ने पाया हे क्योकि त ने परमेग्वर की दृष्टि में बराई करने के लिये आप के! बंच डाला॥ २९१। ट्ेख में तम्क्त पर बराई लाऊंगा ओर तेरे बंश के टूर करूंगा और अखिअब में से हर एक परुष के जो भीत पर मत्ता हं आर जा जन इसराएल में से बंधआ और बचा हुआ हे उसे भो में मिटा डालंगा ॥ २२ । उस खिजाव के कारण जिसमे त ने मस्त खिजाया हे और इसराएल से पाप करवाया ह में तेरे घराने का नबात के बेटे यरुबिआम के घराने की नाई: और अखियाह के बटे बअशा के घराने कौ नाई करूंगा ॥ २३। ओर परमेग्वर ईंजबिल के बिषय में भी यह कहके बेला कि यजरअण्ल के खांई के पास ईजबिल को कुत्ते खायेंगे ॥ २४ । अखिअ्ब का जो जन नगर में मरेगा उसे कुत्ते खायेंगे आर जा चैगान में मरेगा उसे आकाश के पक्ची खायेंगे। २५। परन्तु अखिअब के समान काई न था जिस ने परमेश्वर की दृष्टि में दृष्टता के लिये आप के बेंचा ओर उस कौ पत्लौ ईजबिल ने उसे उभाड़ा॥ २६ । और उस ने अमुरिये। के समान जिन्हें परमेग्वर ने इसराएलियां के आगे से ट्र किया था अति घिनित बस्तन में मरत्तें का पीछा पकड़ा ॥ २७ । ओर ऐसा हुआ कि जब अखिअ्ब ने ये बात सनों ता अपने कपड़ फाड़ ओर अपने शरौर पर टाट रक्छा और ब्रत किया और टाट पहिने हुए होले होले चलने लगा ॥ २८। तब परमेम्वर का बचन तिसबौ इलियाह पर यह कचहके उतरा॥ २८ । क्या तू देखता है कि अखिअब मेरे आगे आप के कैसा दौन करता हे इस कारण कि वुद्द आप के मेरे आगे दौन करता हे में यह ब्राई उस के २२ पब्ब) कौ ९ पुस्तक ॥ 3२३ दिनों में न॑ लाऊंगा परन्त उस के बेटां के समय में उस के घराने पर बराई लाऊंगा ॥ २२ बाईइंसवां पब्षे ॥ रे तौन बरस लो विश्राम किया कि अरामियां इसराएलियों में काई लड़ाई न हुई ॥ २। ओर तौसरे बरस ऐसा हुआ कि यहूदाह का राजा यहूसफत इसराएल के राजा पास गया॥ ३। तब इसराएल के राजा ने अपने सेवकों से कहा कि तम जानते हे कि जिलिअद के रामात हमारे क्ञें ओर हम उसे लेने में चपके हे। रहे हैं और अराम के राजा के हाथ से उसे नहीं लेते हैं॥ ४। फिर उस ने यह्सफत से कहा कि मेरे साथ लड़ने के त्‌ रामात जिलिअद पर संग्राम के लिये चढ़ेगा यह्ूसफत ने इसराएल के राजा को उत्तर दिया कि तेरौ नाई में हू गैर तेरे लाग मेरे लागां कौ नाई ओर तरे घोड़े मेरे घाड़े की नाई ॥ ५। ओर यह्ूसफत ने इसराएल के राजा से कहा कि में तरी बिनती करता हूं कि आज परमेग्वर के बचन से बम्किये ॥ ६ । तब इसराएल के राजा ने भविद्यद्रक्तां का एकट्टा किया जा चार सा जन के लगभग थे ओर उन्हें कहा किमें रामात जिलिअट पर लड़ने चढ़ अथवा अलग रहूँ वे बाले कि चढ़ जाइये क्यांकि परमेग्वर उसे राजा के हाथ में सॉंपेगा॥ ७। तब यक्ूसफत ने कहा कि यहां काई परमेम्वर का भविय्यद्क्ता नहों हे कि हम उस्म बसें ॥ ८। तब इसराएल के राजा ने यह्ूसफत से कहा कि अब भोणएक जन है यिमलः का बेटा मौकायाह जिस के द्वारा से हम परमेश्र से बस्क सक्ते हें परन्तु में उस्स बेर रखता हूं क्योंकि वुच्द मेरे विषय में अच्छी बात नहों कहता परन्तु बरी तब यह्सफत बाला कि राजा एऐसा न कहें॥ <। तब इसराएल के राजा ने एक प्रध्तान का बुला के कहा कि यिमलः के बेटे मौकायाह को शीघ्र लेआ॥ १५० | तब इसराएल का राजा ओर यहूटाह का राजा यकूसफत राज बस्त पहिने हुए समरून के फाटक की पेट में अपने अपने सिंहासन पर जा बेटे ओर समस्त भविव्यद्रक्ता उन के आगे भविव्य कहने लगे ॥ १९। और कनअआनः के बेटे सदकयाह ने अपने लिये लोहे के सौंग ७२४ राजावली [२२ घेब्# बनाय ओर बाला कि परमेम्यर थे कहता क्ञषे कि त इन से अरामियों केः गोहेगा यहां ले कि उन्‍हें नाश करेगा ॥ “९२। तब सारे भविव्यदक्तों ने यह कहके भविव्य कहा कि रामात जलिअद पर चढ़ जाइये और भाग्य- मान क्ूजिये क्यांक उसे परमेग्वर राज़ा के हाथ में सांपेगा॥ २९३। और जो टूत मौकायाह के बुलाने गया था उस ने उसमे यह कहा कि ट्ख भविव्यद्क्तां का बचन एक सां राजा के लिये भला क्ले इस लिये में बिनतो करता #ऋ तेरा बचन उन में से एक के बचन की नाई हे।वे ओर भला कहिया॥ १४ ॥ ओर मीकायाह बोला कि परमेम्पर के जीवन सें परमेग्वर ज्ञा मुस्के कहेगा वह्चो में ककूुंगा॥ ९५॥। से व॒ह राजा पास आया और राजा ने उसे कहा कि हे मौकायाह हम लड़ने का रामात॑ जिलिअद पर चंढें अथवा रह जायें तब उस ने डसे उत्तर दिया कि चढ़ जा ओर भाग्यवान हो क्यांकि परमेग्रर उसे राजा के हाथ में कर टेगा॥ १५६। फिर राजा ने उसे कहा कि में के बेर तुम्के किरिया खिलाया करू कि त्‌ परमेग्वर के नाम से सच्ची बात से अधिक कुछ न कह ॥ ९७। तब उस ने कहा कि में ने सारे इसराएल का बिन चरवाहे को भेडां के समान पहाड़ों पर बिथरे हुए देखा और परमेग्वर ने कहा कि काई उन का खामी नहों से डन में से हर एक जन अपने अपने घर कुशल से चला जाय॥ ९८। तब इसराएल के राजा ने यहूसफत से कहा में ने तम्क्र से नहीं कहा कि वुच्त मेरे बिषय में भला भविव्य न कहेगा परन्तु बुरा। ९६८। फिर मौकायाह ने कहा कि परमेग्र के बचन का सनो में ने परमेश्वर को अपने सिंहासन पर बेठ ओर खडे की सारी सेना के। उस के टहिने बाय खड़ी टेखा॥ २०। तबपरमेग्वर ने कहा कि अखिअब का कान छलेगा जिसतें बुच्द रामात जिलिआद पर चढ़के जूभ्क जाय तब उन में से एक ने कुछ कहा टूस रे ने कुछ ॥ २१ । उस समय में एक आत्मा निकल के परमेग्वर के आगे आ खड़ा हुआ और बाला कि में उस का बाघ करूंगा । २२। फिर परमेगर ने कहा कि किस्से वह बोला में जाऊंगा ओर उस के सारे भविव्यद्क्तां के मंच में मिथ्या आत्मा कूगा तब उस ने कहा कि त उस का बाघ करेगा ओर प्रबल भौ हे|गा बाहर जा और ऐसा कर॥ २३। से देख परमेग्वर ने तेरे उन सब २२ पन्ब] कौ ९ पक्तलक। ७२५ भविव्यद््तां के मंह में मिथ्या आत्मा के डाला है ओर परमेस्थर हो ने तेरे बिषय में बरा कहा है ॥ २४। परनन्‍त कनआन का बेटा सदकुयाह पास आया शओर मौकायाह के गाल पर थपेड़ा मार के बेला कि परमेग्वर का आत्मा मस्क से निकल के किघर से तम्के कहने गया॥ ५ । तब मौकायाह बोला कि देख त उस दिन जब तू आप का छिपाने के। एक काठरी से टूसरी काठरी में घुसता फिरेगा तब ट्ेखेंगा॥ २६। तब इसराएल के राजा ने कहा कि मौकायाह को लेओ। ओर नगर के अध्यक्ष अस्मन ओर राजपत्र यआस के पास फिर ले जाओ॥ २७। ग्ार कहे कि राजा की आज्ञा के कि इसे बंधन में रक्वा ओर जब लो में शल से न आऊं तब लो उसे कष्ट की राटी और कष्ट का जल दिया करो ॥ र८। तब मौकायाह बाला यदि तू किसी रौति से कुशल से फिर आवे ते परमेश्वर ने मेरे द्वारा से नहों कह्दा फिर वुद्द बाला हे लागो तुम में से हर एक जन सन रक्खे। २८ | तब इसराएल का राजा ओर यहकूदाह का राजा यह्तसफ्त रामात जिलिअद पर चढ़ गये। ३०। ओर इसराएल के रज़ा ने यहूसफत से कहा कि में संग्राम में अपना भेष पलट के प्रवेश करूंगा परन्त त अपना राज़ बस्त्र पहिनिया से इसराएल के राजा ने अपना भेष पलट के यड् में प्रवश किया । ३९। परन्त अरामी के राजा ने अपने रथों के बत्तीस प्रधानों का कहके आज्ञा किई कि छोटे बड़े किसी से मत लड़िया परंत केवल इसराएल के राजा के संगत ३२ । ओर ण्सा हुआ कि रथों के प्रधानों ने यक्लसफत का देख के यां कहा कि निच्यय इसराएल का राजा यहीं है और उन्‍्हों ने एक ओर होके चाहा कि उद्हे युद्ध करें तब यह्सफ्त चिज्ञाया। ३३। और जब रथ के प्रधानों ने जाना कि यह इस राएल का राजा नहों तो वे उस के खेदने से हट आये॥ ३४। ओर अकरस्मात एक जन ने बाण चलाया ओर वह संयोग से इसराएल के राजा के मिलम के जड़ में लगा तब उस ने अपने सारथी से कहा कि बाग फर और सेना में से मस्झ निकाल लेजा क्यांकिमें घायल हुआ॥ ३५। परंत उस टिन संग्राम बढ़ गया ओर राजा अरामियां के सन्मख रथ पर ७२६ रौजावली [२२ पब्बे ठहरा रहा और सांम्क हेते हेतते मर गया और लोाह्न उस के घाव से रथ में बहि निकला॥ ३६। ओर रूथ अस्त हेते हुए समस्त सेना में प्रचार हुआ कि हर एक जन अपने अपने नगर ओर अपने अपने टेश का जाय ॥ ३७। से। राजा मर गया ओर उसे समरून में ले गये और समरून में राजा का गाड़ दिया। ३८। ओर रथ के समरून के कुंड में घाया और कुत्तों ने उस का लाह चारा ओर बेश्ययें घाती थीं उम बचन के समान जैसा परमेश्वर ने कहा था॥ ३८ । और अखिअब की रहौ हुई क्रिया और सब जे। उस ने किया था और हाथी दांत का भवन जे। उस ने बनाया ओर जो जा नगर उस ने बनाये से क्या इसराएल के राजाओं के समयें के समाचारों कौ पत्तक में नहीं लिखा क्े। ४०। ओर अखिअब ने अपने पितरों में शयन किया ओर उस का बेटा अखजयाह उस की सन्‍्तों राज्य पर बेठा॥ ४९५। ओर इसराएल के राजा अखिञअब के चोथ बरस आसा का बेटा यह्सफ्त यहूदटाह पर राज्य करने लगा॥ ४ २। यहसफत पेंतीस बरस का हेके राज्य करने लगा ओर उस ने यरूसलम में पचोस बरस राज्य किया उस कौ माता का नाम अजबः था वक्त सौलहो की बेटी थी ॥ ४३। और वच अपने बाप आसा के सारे मार्गों में चलता था वह उद्म परमेम्वर की दृष्टि में भलाई करने से न मड़ा तथापि ऊंचे स्थान अलग न किये गये ओर उन ऊंचे स्थानों पर लाग भेंट चढ़ाते और घप जलाते रहे॥ ४४। ओर यहूसफत ने इसराएल के राजा से मिलाप किया ॥ ४५४ । अब यह्सफत को रही हुई क्रिया और उस के पराक्रम जो उस ने ट्खाया ओर किस रौोति से यड्ड किया से क्या यहकूटाचह के राजाओं के समया के समाचार की पस्तक में नहीं लिखा॥ ४६। ओर उस ने गांडओं के जो उस के बाप आसा के समय में रह गये थे देश में से दर कियोा॥ ४७। उस समय अट्टम में काई राजा न था परंत एक उपराजा राज्य करताथा॥ ४८। यहूतफूत ने तरके जहाज बनवाये जिसतें ओफीर से सेना मंगवावे परन्त वे वहां लॉ न गये क्योंकि असयनजब्र में जहाज मारे गधे ॥ ४९ । तब अखिअब के बेटे अखजयाह ने यह्लसफ्त से कहा कि जहाज़ें पर अपने सेवके के साथ मेरे सेवकें के भी जाने टौजिये परन्तु यह्लसफ्त ने नमाना॥ ५०। २९ पत्ब] कौ ९ पस्तक। ७२७ तब यह्नूसफ्त ने अपने पितरों के साथ शयन किया और अपने पितर दाऊद के नगर में अपने पितरों के मध्य में गाड़ा गया और उस का बंटा यहक्लराम उस कौ सनन्‍्तो राज्य पर बैठा ॥ ४९ । अखिअब का बेटा अखज॒याह यहटाह के राजा यहूसफ्त के राज्य के सतरहरवें बरस समरून में इसराएल पर राज्य करने लगा और उस ने टा बरस इसराएल पर राज्य किया॥ ५२। गौर उस ने परमेग्घर की दृष्टि में बराई किई ओर अपने पिता और माता के और नबात के बेटे यरुबिआम के मार्ग पर जिस ने इसराएल से पाप करवाया चलता था॥ ५३। क्यांकि अपने पिता के सारे कार्य के समान उस ने बञल को सेवा किई और उस के हंडवत किई और परमेश्वर इसराएल के ईग्वर का रिस दिलाई ॥ ६७८-५०१२५२५२७२९५०५१००६४०२४०४१४०४१४०४०५१५७१५१५७०९३५७०९५०५०५.८५७:१५००९५३५००५०५/५५३९७.१५/०५/०५७:७० ७०0०... ० राजावलो को दूसरी पुस्तक जो राजाओं की चोथो पुस्तक कद्ाती है । -<<च0७- ९ पहिला पब्बे ॥ खिअब के मरने के पीछ मेअबी इसराएलियां से फिर गये ॥ २। जी और अखजयाह अपने ऊपर की केाठरी के करोखे से जा समरून में था गिर पड़ा और रोगी हुआ और उस ने टूतां का भेजा और उन्हें कहा कि जाओ और अकरून के देव बश्बलजबब से पका कि में इस रोग से चंगा हूंगा कि नहों॥ ३। परनन्‍्त परमेग्थर के द्रत ने तिसबी इलियाह के। कहा कि उठ और समरून के राजा के टूतों से भेंट कर और उन्हें कह कि क्या इसराएल में काई इंश्वर नहीं जा तुम अक्रून के देव बअलजूबूब से पूछने जाते हेघ ॥ ४। से इस कारण परमेग्र यों कहता है कि जिस बिछोने पर तू पड़ा हे उस्मे न उतरेगा परन्तु निश्चय मर जायगा तब इलियाह चला गया॥ ५। ओर जब ट्ूत उस पास फिर आये तब उस ने उन से पूछा कि तुम किस लिय फिर आय हे ॥ ६। उन्हें! ने उसे कहा कि एक जन हमें मिला ओर हमें कहा कि राजा पास जिस ने तम्ह भेजा हे फिर जाओ ओर उसे कहे कि परमेग्रर यां कच्ठता है इस लिये नहों कि इसराएल में काई इंस्वर नहों जा त अकरून के टेव बञ्लजबब से पछने भजता इस लिये त उस बिछोाने पर से जिस पर त चढ़ा हे उतरने न पावेगा परन्त निच्यय मर जायगा॥ ७। उस ने ९ पब्बे] राजावली कौ २ पुस्तक । २८ उन से पूछा कि उस जन कौ रीति जो तुन्हें मिला|ओऔर जिस ने तुम्हें ये बातें कहों केसो थी ॥ ८। जार उन्हें ने उत्तर ट्या कि वह रोाआंर जन था और चमडे के पटके से उस की करिहांव कसी हुई थी तब उस ने कहा कि वह तिशबी इलियाह के ॥ <। तब राजा ने पचास के प्रधान केा उस के पचास जन समेत उस पास भेजा और वच्त उस पास चढ गया और टखे। कि वुद्र एक पहाड़ कौ चाटौ पर बैठा था उस ने उसे कहा कि हे इंम्र के जन राजा ने कहा है कि उतर आ॥ १५०। तब इलियाह ने उस पचास के प्रधान को उत्तर दके कहा कि यदि में ईम्घर का जन हूं तो खगे से आग उतरे और तम्पे और तेरे पचास जन के भर्त करे तब आग खगे से उतरी ओर उसे और उस के पचास के! भर्त किया॥ २९९५। फिर उस ने दूसरी बेर और एक पचास के प्रधान के उस के पचास समेत भेजा उस ने भी जाके कहा कि हे ईश्वर के जन राजा ने कहा क्ञे कि शोघ उतर आ॥ ९ २। तब इलियाह ने उन्‍्हं उत्तर टेके कहा कि यदि में ईस्घर का जन हूँ तो खगे से आग उतरे ओर तस्झे और तेरे पचास के भक्त करे और ईस्घर कौ आग खगे से उतरी और ऊसे ओर उस के पचास के भर किया॥ १५३। फिर उस ने तौसरी बेर और एक पचास के प्रधान के उस के पचास समेत भेजा और तौसरा पचास का प्रधान चढ़ गया और आके इलियाह के आगे घुटने टे के और विनती करके बाला कि हे इईंग्घर के जन में तेरी बिनती करता हूं कि भेरा प्राण और तेरे इन पचास दासां के प्राण तेरी दृष्टि | बह मूल्य हावें ॥ ९४ | देखिये कि खर्गीय अग्मि ने दा पचास के प्रधानों के। उन के पचास पचास समेत भस्म किया इस कारण मेरा प्राण तरी दृष्टि में बहु मल्य हे।वे॥ २५४ । तब परमेग्वर के दूत ने इलियाह का कहा कि उस के साथ उतर जा उसद्मे मत डर तब वह उठा और उतर के उस के साथ राजा पास गया। १५६ । और उस ने उसे कहा कि परमेग्वर यां कहता है जेसा कित्‌ ने टतों के भेजा हे कि अक- रून के देव बअलजबूब से जाके पुछ यह इस कारण नहीं कि इसराएल में काई ईय्वर नहों कि उस के बचन से बृस्कता इस लिये जिस बिछने पर त्‌ चढ़ा है उसे न उतरेगा परन्तु निश्चय मर जायगरा॥ ९७। से पर- मेश्वर के बचन के समान जा इलियाह ने कद्दा था वह मर गया और 92 ; [%&-79 8॥ 'जरेड2 राजावलो & [ र्‌ पब्बें यहदाह के राजा यहूसफत के बेटे यह्राम के टूसरे बरस में यह्नराम उस को सन्तो रा ज्य पर बेठा इस कारण कि उस का काई बेटा नथा | १९८। और अखजयाह कौ रही हुई क्रिया जा उस ने किई क्या इस- राएलौ राजाओं के समयों के समाचार को प॒स्तक में लिखा नहीं ॥ २ टूसरा पब्ले ॥ जप यां हुआ कि जब परमेग्वर ने चाहा कि इलियाह को बोॉंडर में खगे पर ले जावे तब इलियाह इलजीसाअ के साथ जिलजाल से चला ॥ २। शेर इलियाह ने इलौसाअ के! कहा कि यहां ठहर जा क्योंकि परमेग्वर ने मम बेतएल के। भेजा क्ञे तब इलीसाअ ने कहा कि परमेग्वर के जोवन ओर तेरे प्राण के जोवन से में तमके न छाडंगा से वे बैतएल का उतर गये ॥ ३। ओर बैतएल के भविष्यद्क्तां के पत्रों ने निकल आके इलीसाअ से कहा कि ते कुछ चेत हे कि परमेम्वर आज तेरे सिर पर से तेरे खामी के उठा लेगा वुह बेला कि हां में जानता हूं तुम चुप रहे॥ ४। तब इलियाह ने इलौसाअ के कहा कि यहों ठहरजा क्योंकि परमेस्वर ने म॒स्के यरीहे के भेजा है उस ने कहा कि परमेश्वर के जौवन ओर तरे प्राण के जौवन से में तुम्क्ष न छाड़ंगा से। वे दोनें यरीहे। के आये ॥ ५। ओर भविय्यदक्तों के संतान जो यरौहे में थे इलौसाअ पास आये और उद्मे कहा कि तुक्के कुछ चेत हे कि परमेम्भर आज तेरे खामी के। तेरे सिर पर से उठा लेगा डस ने उत्तर टिया कि हां में जानता क्लततम चुप रहे।॥ ६। और इलियाह ने इलौसाअ के कहा कि यहां ठहर जा क्योंकि परमेम्घर ने मे यरदन के भेजा के वह दाला कि परमेग्वर के जोवन और तरे प्राण के जीवन से में तम्मे न छाडंगा से वे दाने बढ़ गये ॥ ७। और पचास मनव्य भविव्यदक्तों के पत्रों में से चले और टूर खड़ हे।के देखने लगे और वे दानें यरदन के तौर खड़े हुए॥ ८। ओर इलियाह ने अपना ग्राढ़ना लिया ओर लपेट के पानियों के मारा और वे इधर उधर बिभाग है। गय यहां लॉ कि वे टोनों रूखे रूख उतर गये ॥ <। और जब पार हुए ता इूलियाह ने इलौसाअ से कहा कि तुक से अलग किये जाने से आगे २ पन्ने] कौ २ पुस्तक । ७३९ मांग कि में तेरे लिये क्या करू तब इलीसाअ बाला कि मैं तेरी बिनती करता हल कि तेरी आत्मा से टूना भाग मुझ पर पड़े॥ १५०। उस ने कहा कि तू ने मांगने में कठिन किया यदि तू मुझ आप से अलग हे।ते हुये टेखेगा ते ऐसा ही तुम्क पर होगा और यदि नहीं ते। न हेगा॥ ९९ । ओर एसा हुआ कि ज्योंहों वे दानेां टहलते हुए बातें करते चले जाते थे तो टेखे कि एक आग की रथ और आग के घोड़े आये और उन दाने के अलग किया और इलिया ह बौंड्र में हे। के खगेी पर जाता रहा ॥ ९२। ओर इलौसाअ ट्ख के चिह्नाया कि हे मेरे पिता हे मेरे पिता इसराएल के रथ ओर उस के घाड़ चढ़े और उस ने उसे फिरन टेखा और उस ने अपने हो कपडों के लेके उन्हें दाटकड़ा किया॥ ९३। ओर उस ने इलियाह के ग्राढ़ने का भी जा उस पर से गिर पड़ाथा लटा लिया और उलटा फिरा और यरदट्न के तौर पर खड़ा हुआ॥ २९४ । और उस ने इलियाह के ओढ़ने के जा उत्मेगिर पड़ा था लेके पानियों के मारा और कहा कि परमेग्वर इलियाह का इग्वर कहां और जब उस ने भी पानियों के मारा ते पानौ इधर उधर हे। गया और इलौसाअ पार गया॥ ९१५४। और जब यरीहे के भविव्यद्क्तों के संतानों ने जा ट्खने का निकले थे उसे ट्खा तो बाले कि इलियाह की आत्मा इलौसाअ पर ठहरती है और वे उस कौ भेंट के लिये आये और उस के आगे भमि पर मके ॥ १५६। और कहा कि ट्ेखिये अब तेरे सेवकों के साथ पचास बौर पुत्र हें हम तेरी बिनती करते हैं कि उन्हें जाने दौजिये कि तेरे खामी को टंढ़ क्या जाने परमेश्वर के आत्मा ने उसे उठा के किसी पबैत पर अथवा तराई में फंक टिया हे! वह बाला कि किसी के मत भेजो ॥ १९५७। ओर जब उन्‍्हों ने यहां ला उसे उभारा कि वह लज्जित हुआ पचास जन को उस ने कहा कि भेजो तब उन्‍्हां ने भेजा और उन्‍हें ने तौन दिन लॉ उसे ढंढ़ा पर न पाया॥ २८। और जब वे उस पास फिर आये [क्योंकि वुह यरीहे में टहरा था] तब उस ने उन्‍हें कहा कि में ने तम्हं न कह्ठा था कि मत जाओ।॥ ९१८। तब उस नगर के लोगों ने इलौसाअ से कहा कि में तेरी बिनती करता हूं टेखिये कि इस नगर का स्थान मनभावना हे जेसा मेरे प्रभ देखते हैं परंत पानी निकस्मा और ७8३२ राजावली [३ पब्ल भूमि फल हौन है ॥ २०। तब उस ने कहा कि नया पात्र लाओ ओपर उस में नोन डाला और वे उस पास लाये॥ २९। तब वुह पानियों के सेतां पर गया ओर नेन वहां डाल के बाला कि परमेग्वर थां कहता है किमेंने इन पानियां का अच्छा किया क्ञे फिर यहां से म्टत्य अथवा ऊसर न हे|गा॥ २२। ओर इलोसाअ के कहे हुए बचन के समान आज ला जल अच्छे हुए ॥ २३ । फिर वह वहां से बेतएल के चढ़ा ओर ज्यों वह मार्ग में ऊपर जाता था त्यों टेखो कि नगर के लड़के निकले और उसे चिढ़ा चिढ़ा कहने लगे कि चढ़ जा सिर मुंडे चढ़ जा सिर मुंडे। २४। तब उस ने पीछ फिर के उन्हें टंखाओर परमेश्वर का नाम लेके उन्हें स्वाप दिया वहौं बन में से दा भाल निकले ओर उन में से बयालौस लड़कों के मार डाला॥ २४ | फिर वुह वहां से करमिल पहाड़ के गया ओर वहां से समरून का फिर आया | ३ तोसरा पत्ब। ब यहूटाह के राजा यह्तसफत के अठारहवें बरस अखिअब का जा... यह्लराम समरून में इसराएल पर राज्य करने लगा और उस ने बारह बरस राज्य किया॥ २। और उस ने परमेम्थ_ की दृष्टि में बराई किई परंत अपने माता पिता के तल्य नहीों इस लिये कि उस ने बगल की मरत्ति के! जा उस के पिता ने बनाई थी ट्र किया॥ ३। तथापि वह नबात के बेटे यरुबिआम के समान पापों में ज्ञिस ने इसराएल से पाप करवाया पिलचा रहा उन से अलग न हुआ॥। ४। ओर मेअब का राजा मेसा जो भेड़ों का खामी था और इसराएल के राजा के एक लाख मेग्ने और एक लाख मेढ़ ऊन समेत भेंट भेजता था॥ ५४। परंतु यों हुआ कि जब अखिअब मर गया तब माोअब का राजा इसराएल के राजा से फिर गया॥ ६। ओर यहूराम राजा समरून से निकला और उसी समय सा रे इसराएलियों के गिना॥ ७। ओर उस ने जाके यहूदाच के राजा यक्ूसफत के कहना भेजा कि माअब का राजा मम्क से फिर गया क्या त मेअब से लड़ने के! मेरे साथ न जायगा डस ने कहा कि भे & पब्ले] कौ २ पस्तक | ७३8 चढ़ जाऊंगा जैसा मैं बेसा त्‌ जैसे मेरे लाग वैसे तेरे लाग जेसे मेरे घोड़े बैसे तेरे घाड़े। प८। तब उस ने पका कि हम किस मागे से चढ़ जायें उस ने उत्तर दिया कि अट्टम के बन के मा्भे में से॥। €॥ से इसराएल के राजा और यहूटाह के राजा और अट्टम के राजा निकले ओर उन्हें ने सात ट्नि के मागे का चक्कर खाया ओर सेना के लिये और उन के ढारों के लिय जल न था॥ २९१५०। तब इसराएल का राजा बाला हाय परमेग्घर ने इन तीन राजाओं के णकट्ठटा किया कि डन्‍्हें माअब के हाथ में सोंपे। ९९५। परंत यहूसफत बोला कि परमेग्यर के भविव्यदक्तां में से काई यहां नहों जिसते हम उस के द्वारा से परमेग्वर से बुस्में तब इसराएल के राजा के सेवकों में से एक बाल उठा कि सफत का बेटा इलीसाअ यहां है जा इलियाह के हाथों पर जल डालता था॥ १५२। फिर यहूसफत बाला कि परमेगम्यर का बचन उस पास हे इस लिये इूसराएल का राजा और यह्सफत और अट्टम का राजा उस पास गये ॥ ९ ३। तब इलोसाअ ने इसराएल के राजा से कहा कि मम्मे तर्क से क्या काम त्‌ अपने पिता के भविव्यद्क्तों और अपनी माता के भविय्यद्क्तां पास जा और इसराएल का राजा उसमे बेला नहीं क्योंकि परमेग्पर ने इन तीन॑ राजाओं का एकट्रा किया कि उन्‍हें मोअब के हाथ में सोंपे॥ १४। फिर इलौसाअ ने कहा कि सेनाओं के परमेम्थर कौ से| जिस के आगे में खड़ा हूं यदि यहूटाह के राजा यह्लसफत के साज्ञात हाने को न मानता तो निच्यय में तेरी आर न ताकता और न तम्भे टेखता॥ १५५। परंत अब मम्क पास एक बीणा बजवैया लाओः जजर जब उस ने बीणा बजाई तो ऐसा हुआ कि परमेम्वर का हाथ उस पर आया ॥ ९६। और वह बाला कि परमेम्पर यां कहता हे कि इस तराई का गड़हें से भर टेडउ॥ १५७। क्योंकि परमेग्वर यों कहता क्षे कितम न बयार न मेंह टेखाोगे तथापि यह तराई पानी से भर जायगी जिसतें तम और तम्हारे ढार और तम्हारे पश पीयें ॥ ९८। और यह परमेम्पर की दृष्टि में काटी बात कै वच मेाअबियों के भो तम्हारे हाथों में सांपेगा॥ २९6८। ओर तम हर एक बाड़ित नगर और हर एक चनो हुई बस्तौ मारोगे और हर एक अच्छे पेड़ के! गिराओगे और पानो कं सारे कओं के भाठागे और हर एक 9३४ राजावलो [४ पन्बे अच्छी भूमि के पत्थरों से बिगाड़ागे॥ २०। ओर बिहान का यों हुआ कि जब भेंट चढ़ाई गई तो टेखा कि अट्टम के मागे से पानी आया ओर देश पानी से भर गया॥ २९। ओर माअबियें ने यह सन के कि राजा हम से लड़ने चढ़ आय हें डन्‍्हां ने ललकार के सभां का जो करिहांव बांघ सक्ते थे एकड्टा किया और अपने सिवाने पर खडे हुए॥ २२९। और बड़े तड़के उठे और सर्ूये पानी पर चमकने लगा ग्लार माोअबियों ने उस पार से पानी के लाह् सा लाल देखा ॥ २३ । तब वे बाल उठ कि वह लाह् के निच्यय राजा नष्ट हुए ओर एक ने दस रे के! बधन किया है हे मेअबियों अबलटा॥ २४। और जब वे इसराएल की छावनी में आये ता इसरा- एलौ उठ ओर मेअबियों के यहां लें मारा कि वे उन के आगे से भाग निकले परनन्‍्त वे मेअबियों का मारते हुए बढ़ते गये अथात देश में | २५ । और उन्‍्हों ने उन के नगरों के ढा टिया और हर एक जन ने हर एक अच्छे स्थान पर अपना पत्थर डाला और उसे भर दिया ओर पानी के सारे कओं भाटठ टिये और सब अच्छे पेड़ गिरा दिये यहां लॉ कि कौर- हरासत के पत्थरों से अधिक कुछ बचा न रहा तथापि ठेलवासियों ने डसे जा घेरा और मार लिया॥ २६। और जब मेअब के राजा ने देखा कि संग्राम मेरे लिये अति भारी हुआ तो उस ने अपने संग सात से जन खजबु घारी लिये जिसत॑ अट्टम के राजा ला पठ परनन्‍त न सके ॥ २७। तब उस ने अपने जठे बेटे के जिया - जिसे उस को सनन्‍्तौो राज्य पर बैठना था ओआरूद्भंसे भौत पर होम के बलिदान के लिये चढ़ाया और इसराएजियें के बिरुड्र बड़ा जलजलाहट हुआ ओर वे उसमे हट गये और दश में फिर आये ॥ 2. ० ४ चाथा पत्ष॑ । व भविव्यदक्तों के पत्रों को पत्नियां में से एक स्त्रो इलोसाअ के आगे चित्ला के बोली कि तेरा सेवक मेरा पति मर गया क्षे और त जानता है कि तेरा सेवक परमेश्वर से डरता था और अब घनिक आया है कि मेरे टानें बेटा का लेके दास बनावे॥ २। तब इलोसाअ ने उससे कहा किमें तेरे लिये क्या करूं मुझे बतला तस्क पास घर में क्या हे वुच् ४ पब्बे ] कौ २ प॒स्तक । ७३५ बालौ कि तेरी दासो के घर में एक हांडो तेल से अधिक कुछ नहीं ॥ ३। तब उस ने कहा कि बाहर जाके अपने सब परोसियों से के पात्र मंगनी ला और वे थाड न हेवें॥ ४। और अपने घर में ज्ञाके अपने और अपने बेटों पर द्वार बन्द कर और उन सब पात्रों में उंडल औएर जो जा भर जाय उसे अलग रख | ५ । से वह उस के पास से गई ओर अपने पर और अपने बेटा पर द्वार मंद लिया वे उस के पास लाते जाते थे और वह उंडेलती थी ॥ 6६। और ऐसा हुआ कि जब वे पात्र भर गये ते उस ने अपने बेटे से कहा कि एक ओर पात्र ला वुह बाला ओर पात्र ते नहों तब तेल थम गया॥ ७। ओर उस ने आके ईयस्घर के जन से कहा तब वह बाला जा तेल बेंच और धघनिक का दे और बचे हुए से त और तेरे सन्‍तान जोवें॥ ८। ओर एक टिन ऐसा संयाग हुआ कि इलौसाअ र्नेम का गया वहां एक घनवती स्त्री थो डस ने उसे पकड़ा कि रोटो खाय से। एसा हुआ कि जब उस का जाना उधर हेता था तब वुच्च वहां जाके रोटी खाता था॥ < । फिर उस ने अपने पति से कहा कि देख में ट्खती हूं कि यह ईय्घर का पवित्र जन है जा नित्य हमारे पास से जाता है॥ ९०। से हम उस के लिये एक छोटी सो काठरी भीत पर बनावें और वहां उस के लिये बिछेना बिछावें ओर एक मंच लगांवें ओर एक पीढ़ो रक्‍वें और एक दोअट और जब वह हम पास आया करे तब बच्दों टिके। ९१। से एक दिन ऐसा हुआ फि वह वहां गया और उस काठरी में टिका और सेयया ॥ «७रं। तबः उस के उपर प्ले सेवक जेहाजी का कहा कि इस रूनेमों के बला उस ने उसे बलाया तो बच उस के आगे आ खड़ों हुई॥ १५३। फिर उस ने अपने सेवक से कह कि तू उसे कह कि तू ने जा हमारे लिये यह सब चिन्ता किई तो तेरे लिये क्या किया जाय त्‌ चाहती है कि राजा अथवा सेना के प्रधान से तेरे बिषय में कहा जाय व॒द्द बाली कि में अपने ही लागों में रहती हूं ॥ ९४। फिर उस ने कहा कि इस के लिये क्या किया जाय तब जैहाजी बेला कि निश्यय यह निबेश हे और उस का पति छब्चू 8 १५५४ । तब वह बेला कि उसे बला ओर उस ने उसे बलाया तब वह द्वार पर खड़ी हुई॥ ९६। वह बेला इसो समय से परे टन पर त एक बंटा गाद में ७8३६ राजावलों [४ पब्बे लेगी वह बाली कि नहीँ हे मेरे प्रभ ईम्घर के जन अपनी ट्ासी से भ्ूठ न कहिये ॥ ९७। और वह स्त्री गर्भिणी हुई और उसी समय जा इलोसाअ ने उसे कहा था जीवन के समान एक बेटा जनी॥ ९५८। और वह बालक बड़ा हुआ और एक दिन यों हुआ कि वुच्द अपने पिता पास लवेयां कने गया॥ २९८ । और अपने पिता से कहा कि मेरा सिर मेरा सिर उस ने एक तरुण से कच्दा कि उसे डस की माता पास लेजा॥ २०। तब उस ने उसे लेके उस कौ माता के पास पहुंचाया और वुच्द उस के घटने पर पड़ पड़े मध्यान्ह के मर गया॥ २९१ । तब उस ने डसे ले जाके उस ईय्प्रर के जन के बिछोने पर डाल दिया और द्वार मंद के निकल गई।॥ २२। जआओऔर अपने पति पास गई और कहा कि शौघ एक तरुण ओर एक गदहा मेरे लिये भजिये जिसतें म इंग्र के जन पास दौड़ जाऊं और फिर आऊं॥ २३। उस ने पका कि आज त उस पास क्यों जाया चाहतो क्षे आज न अमावाश्या है न बिश्वाम वह बाली कि कुशल हेगा ॥ २४। तब उस ने एक गदहे पर काठी बांघौ और तरूण से कहा कि हांक और बढ़ और मेरे चढ़ने के लिये मत रोक जब लों में तुमे न कहूं ॥ २५ । से वुद्द चल निकलौ श्र करमिल पहाड़ पर ईश्वर के जन पास आई जऔर ऐसा हुआ कि जब ईग्भर के जन ने टूर से उसे ट्खा तो अपने सेवक जैह्ाजी से कहा टेख व॒ह रनेमी हे ॥ २६। उसे आग से मिलने के ढौड़ और उस्स पक कि तू कुशल से हे तेरा पति कुशल से है तेरा बालक कशल से हे उस ने उत्तर टिया कि कशल से। २७। और उस ने उस पहाड़ पर आके इंगस्वर के जन के चरण का पकड़ा परन्त जेहाजों ने पास आके चाहा कि उसे अलग करे परन्त ईम्मर के जन ने कच्दा कि उसे छोड़ दे क्योंकि इस का प्राण टुःखी हे और परमेश्वर ने मस्त से छिपाया और मुस्के नहों कहा॥ २८। तब वुच्द बोली कि कब में ने अपने प्रभ से पत्र मांगा में ने नहों कहा कि मस्झे मत भला॥ २८। तब उस ने जैहाजी के। कहा कि अपनी करिहांव कस ओर मेरी छड़ी हाथ में ले और चला जा यदि काई तस्मे मार्ग में मिले ते उसे नमस्कार मत कर और यदि काई तुम्के नमस्कार करे ते उसे उत्तर मत हे और मेरी कड़ी बालक के मंह पर रख ॥ ६० । तब उंस को माता बाली परमेम्धर के जीवन पब्ब] कौ २ पस्तक। ७9३७ से और तेरे प्राण के जोवन से में तम्मे न छाडंगी तब वच् उठा और उस के पीछे पीछ चला ॥ ३९५। तब जेहाजी उन से आगे आगे गया और छड़ी लड़के के मंह पर घरी परन्त कछ शब्द अथवा सरत न हुई इस लिये वह छउर्पे भेंट करने का फिरा और उसे कहा कि लडका नहीं जागा॥ २। और जब इलौसाअ घर में पहुचा तब वह बालक उस के बिकने पर मरा पड़ा था॥. ३३। तब वह भौतर गया ओर द्वानों पर द्वार मंतर के परमेग्वर से प्राथेना किईं॥ ३४। और जाके बालक से लिपटा और उस के मंह पर अपना मंत्र रकवा ओर उस की आंखें पर अपनी आंखें और उस के हाथां पर अपने हाथ ओर बालक पर फेल गया तब उस बालक को देह गरमाई॥ ३५। फिर वह उठा ग्र उस घर में इधर उधर टहलने लगा ओर फिर जाके उस पर फैला और बालक ने सात बेर छोंका और अपनी आंखें खेलों ॥ ३६ । तब उस ने जेहाजी के बलाके कहा कि उस रूनेमी के बला से। उस ने उसे बलाया और जब वह भीतर उस पास आई तो उस ने उरेकहा कि अपना बेटा उठाले ॥ ३७। तब वच् भौतर गई और छस के पांझें पर गिरी और भमि लों म्कुक के टंडवत किई और अपने बेटे के! ऊठा के बाहर गई ॥ ह८ । और इलोसाअ जिलजाल के फिर आया और उस टेश में अकाल पड़ा था ओर वहां भविव्यद्क्तों के पत्र उस के साम्ने बैठे हुए थे और उस ने अपने सेवक से कहा कि बड़ा हंडा चढ़ा ओर भविव्यद्क्तों के पत्रों के लिये लपसौं पका॥ ३८। ओर एक जन चौग़ान में गया कि कुछ तर- कारी चन लावे ओर उस ने बनेले टाख पाये ओर डत्कसेगे।द भर के जंगली तंबियां बटारों और आके लपसी के हांड़ौ में डाल दिई क्यांकि बेन जानते थे। ४०। से उन्‍्हों ने लागां के खाने के लिये उंडेला गऔर यों हुआ कि जब वे वह लपसो खाने लगे तो चित्ला उठ कि हे ईस्र के जन खाने में र्त्यु हे गैर खा न सके ॥ ४९ । तब डस ने पिसान मंग- वाया और उस हांड़े में डाल दिया और कहा कि लोागें के खाने के लिये उंडेल तब हांड़ में कुछ अवगण न हुआ ॥ ४२ । उसो समय बअल- सलीोस: से एक परुष ईस्थर के जन पास पहिले अन्न की रोटो जव के बीस फलके ओर अन्न से भरौहुई बालें अपने अंचल में लाया और बोला कि 98 [&, 8. $.] 9३ पर राजावलौ [धू पब्बे लागां का खाने का टदे॥ ४३। तब उस का सेवक बाला कि क्या में इसे से मनय्थां के आग रक्‍खं उस ने फिर कहा कि लागों का खाने का हे क्यांकि परमेश्वर यां कहता ह्ले कि वे खायेंगे और बच रहेगा ॥ ४४। तब उस ने उन के आगे रक्‍्खा ओर उन्‍्हों ने खाया ओर परमेग्वर के बचन के समान बच रहा ॥ ५ पांचवां पब्द ॥ जञ्रः नअमान जा अरामो के राजा कौ सेना का प्रधान था अपने प्ररू के आगे महान परुष और प्रतिष्ठित था क्यांकि परमेग्वर ने उस के द्वारा से अरामियां के जय दिया था वह महाबौर और बली था परनन्‍्त काढ़ी॥ २। ओर अरामी जथा जथा हेके निकल गये थे और इस रा- एल के देश में से एक छाटौ कन्या के! बंधआई में लाये थे और वह नअ- मान की पत्नी के पास रहती थी ॥ ३ । और उस ने अपनी खामिनी से कहा हाय कि मेरा खामी उस भविव्यद्क्ता के आगे जाता जा समरून में हो क्योंकि वुह्द उसे उस के काढ़ से चंगा करता ॥ ४। और वुच्द जाके अपने प्रभ से कहके बालों इसराएल के टेश कौ कन्या ये कहतो है ॥ ५। से अरामी के राजा ने कच्दा कि चल निकल में इस राएल के राजा के पत्रों लिख भेजंगा से वह चला ओर ट्स तोड़ चांदी और छः सहस्य टकड़े सेना और ट्स जे।ड़ बस्तर अपने साथ ले चला ॥ और वह उस पत्नी का यह कह के इस राएल के राजा पास लाया कि यह पत्री जब तरे पास पहुंचे तब देख में ने अपने सेवक नअमान के। तुम पास भजा हो जिसतें त उसे काढ़ से चंगा करे। ७। ओर यों हुआ कि जब इसराएल के राजा ने उस पत्रौ के पढ़ा तो अपने कपड़े फ(ड़ और बाला कि क्या में ई स्वर हूं जा मारू ओर जिलाऊं कि यह जन मस्क पास भेजता हि कि एक जन का डस के केढ़ से चंगा करा से। तम्हों बिचारा आर देखा कि वह मर से रूगड़ा ठंढ़ता है ॥ ८ । और जब ईयर के जन इलो साअ ने सना कि इसराएल के राजा ने अपने कपड़ फाड़े तो राजा का कहला भेजा कि त ने अपने कपड़ क्यों फाड़ अब वह मस्त पास आवे ओर उसे जान पड़ेगा कि इसराएल में एक भविय्यदक्ता हे॥। €। से। नअमान ५ पन्वे] कौ २ पुस्तक । ७३८ अपने घाड़ और अपने रथ समेत आया और इलीोसाअ के घर के द्वार पर खड़ा हुआ॥ ९५०। तब इलोसाअ ने उस पास ट्टत भेज के कहा किजा और यरद्न में सात बेर नह और तेरा शरीर फिर पवित्र हे। जायगा॥ १९९१॥। परन्त नअमरन यह कहके क्रड्ट हैेके चला गया रख में ने कहा था कि वह निश्यय मस्कर पास निकल आवेगा और खड़ा हेके अपने ईय्यर परमेश्वर का नाम लेगा और उस स्थान पर हाथ फेरेगा ओर काढ़ का चंगा करेगा ॥ १२ । क््या अमानः और फ्रफ्र टमिशक कौ नदिया इसराएल के सारे पानियों से कितनी अच्छी नहों में उन में नहा के शर्ू नहीं हे। सक्ता वह फिरा और केपित चला गया॥ ९३। तब उस के सेवक उस पास आये ओर यह कहके बेले कि हे पिता यदि भविय्यद्रक्ता तुम्के कुछ भारी बात बताता तो तू उसे न मानता फेर कितना अधिक जब वुच्द तुमसे कहता हे कि नहा गऔ और शुड्टद हे॥ ९४ । तब वुद् उतरा और जैसा कि ईश्वर के जन ने कहा था यरदन में सात बेर डुबकौ मारी और उस का शरौर बालक के शरीर के समान फिर हो गया और वह पवित्र हुआ॥ १९५५४ । तब वह अपनी सारो जथा समेत ईश्वर के जन के पास फिर आया और उस के आगे खड़ा हुआ और यो कहा कि ट्ेखिये अब में जानताहूं कि समक्त एथिवो में इसराएल में क्लाड़ काई ईय्यर नहीं है इस लिये अब अनुग्रह कर के अपने सेवक की भेंट लीजिये॥ १६। परन्तु उस ने कहा कि उस परमेश्वर के जौवन से जिस के आगे में खड़ा हूं में कुछ न लेऊंगा और उस ने उसे बहुत सकेती में डाला कि लेवे परन्त उस ने न माना॥ ९७। ओर नअमान ने कहा कि में तेरी बिनती करता हूं तेरे सेवक के टो खच्चर भर के मिट्टी न मिलेगी क्योंकि तेरा सेवक आगे को परमेश्वर के छोड़ टूसरे ट्‌वों के लिये न बलिदान न हे।म कौ भंट चढ़ावेगा ॥ १८ | परन्त इस बात में परमेग्पर तेरे सेवक के क्षमा करे कि जब जब मेरा खामी पजा के लिये रिब्मन के मन्दिर में जाय और वह मेरे हाथ पर ओउठंगे ओर मे रिस्मन के मन्दिर में मकें से जब मैं रिम्मन के मन्दिर में भ्ककां तब परमेग्वर इस बात में तेरे सेवक के क्षमा करे। १८। उस ने उसे कहा कि कुशल से जा से वह उत्मे थेाड़ी ह्न्र गया॥ २०। परन्तु ईम्धर के जन इलौसाअ के सेवक जेहाजी ने कहा ७४० राजावलो [६ पन्ने कि ट्ख मेरे खामी ने इस अरामी नअमान के छोड़ दिया और जो कुछ वह लाया था उस के हाथ से ग्रहण न किया परन्त परमेग्वर के जीवन से में ता उस के पीछ ट्रैड़ जाऊंगा ओर उससे कछ लेऊंगा॥ २५। से जैहाजी नअमान के पीछ गया ओर नअमान ने जा देखा कि वह्त पीछे टाड़ा आता हे ता वुह्द उस की भेंट के लिये रथ पर से उतरा और बोला कि सब कुशल ॥ २२ । उस ने कहा कि सब कुशल मेरे खामी ने यह कच्द के मुस्के भेजा क्षे कि देख भविव्यद्धक्ता के सन्तान में से हो। तरुण पुरुष इफ्‌- रायम पहाड़ से आये हें से। अनुग्रह करके उन्हें एक तोड़ा चांदी और दो जाड़े बस्त्र टी जिये ॥ २३ | तब नअमान ने कहा कि प्रसन्न हे। और दो तोड़े ले और उस ने उसे सकेत करके दो तोड़े चांदी दो थैलियों में दा जोड़े बस्तर सहित बांघ और अपने दो सेवका पर घरा और वे उठा के उस के आगे आगे गये ॥ २४। जर उस ने एकान्त में आके उन के हाथ से उन्हें ले लिया और घर में रख के उन पुरुषां का बिदा किया से। वे चले गये॥। २५। परन्तु वह जाके अपने खामी के साम्न खड़ा हुआ तब इलीसाअ ने उसे कहा कि जेहाजी कहां से व॒ह्र बेला कि तेरा सेवक तो इधर उधर नहों गया था॥ २६। फिर उस ने डसे कहा कि मेरा मन न गया था जब वह जन अपने रथ पर से उतर के तेरी भेंट का फिरा क्या यह राकड़ ओर बस्व और जलपाई और टाख की बारी ओर भेड़ और बेल ओर टास और ट्रासियां लेने का समय क्षे। २७। इस लिये नअमान का कोढ़ तुझे और तेरे बंश के! सदा लगा रहेगा तब वुह् उस के आगे से पाला कौ नाई काढ़ो चला गया। ६ छटवां पब्ड । जज हो औ++ कम कु 7र भविद्यद्धक्तां के प्॒रों ने इलौसाअ से कहा कि अब ट्खियें यह ब् २ 2 5०४ # 2-७५ ५ स्थान जहां हम तेरे संग बसते हैं हमारे लिये अति सकेत क्े ॥ २। अब अनग्रह कर के यरट्न के चलिये और वहां से हर एक जन एक एक बल्ला लावे और वहां एक बसगित बनावें वह बेला कि जाओ ॥ ३। तब एक ने कहा कि मान लीजिये ओर अपने सेवकों के साथ चलिये उस ने उत्तर दिया कि मैं जाऊंगा ॥ ४। से वुद्द उन के साथ साथ गया ओर ६ पब्बे ] कौ २ पस्तक | ७४९ उन्हां ने यरटन पर आके लकड़्ियां काटों॥ ५॥। परत ज्यों एक जन बच्चा काटता था कुल्हाड़ा पानी में गिर पड़ा तब उस ने चिल्ला के कहा कि हे खामी यह ते मंगनी का था॥ ६। ओर ईग्वर का जन बाला कि कहां गिरा उस ने उसे वुच्द स्थान बताया तब डस ने टहनी काट के उधर डाल दिई और कुल्हाड़ा उतरा उठा॥ ७। तब उस ने कहा कि उठा ले और उस ने हाथ बढ़ा के उठा लिया। प्य। तब अराम का राजा इसराएल से लड़ा ग्यार उस ने अपने सेवकों से परामश करके कहा कि में उस स्थान में डरा करूंगा॥ <। तब ईय्थर के जन ने इसराएल के राजा का कहला भेजा कि चाौकस हे। और अमुक स्थान से मत जाइयो क्योंकि वहां अरामी उतर आये हैं ॥ १५० । और इसराएल के राजा ने उस स्थान में भेजा जिस के बिषय में इंस्वर के जन ने उसे कहके चेकस किया था और आप को बारंबार बचा रक्खा ॥ ९९। इस लिये इस बात के कारण अराम के राजा का मन अति ब्याकुल हुआ जैर उस ने अपने सेवकों के। बला के कहा मम्क न बताओगे कि हब्में से इसराएल के राजा कौ और कान हे॥ ९२। »ब उस के एक सेवक ने कहा कि हे मेरे प्रभ राजा नहौं परंत इलोौसाआ भाँवव्यदक्ता जो इसराणएल में हं तरी हर एक बात जो त अपने शयन स्थान में करता है इसराएल के राजा के कहता कहे । १५३। से उस ने कहा कि जा और भेद ले कि बुच्द कहां है जिसतें में भेज के उसे बुलाऊ उसे यह कहके संदेश पहुंचाया कि ट्खिये बुच्द ट्रतान में हे॥ २४। इस लिये उस ने उधर घोड़े और रथ और भारी सेना भेजी और उन्हें “ ने रात का आ कर उस नगर के घेर लिया॥ २५। ग्रार जब ईश्यर के जन का सेवक तड़के उठा और बाहर निकला तो क्या टेखता है कि सेना और घाढ़ चढ़े और रथ नगर को घेरे हुए हें तब उस के सेवक ने उसे कहा कि हाय हे मेरे खामी हम क्या करें॥ १५६। उस ने उत्तर दिया कि मत डर क्यांकि जो हमारे साथ हें से। उन के साथियों से अधिक हैं॥ ५७। तब इलीौसाअ ने प्राथेना किई और कहा कि हे परमेग्थर कृपा करके इस की आंखें खोल जिसतें रखे से परमेग्पर ने उस तरूण की आंखें खेलों और उस ने जा दृष्टि किई तो ट्ेखा कि इलोौ ७४२ राजावलो [६ पब्ब साअ की चारों ओर पहाड़ आग के घोड़ों और गाड़ियों से भरा हुआ है॥ २९८। ओर जब वे उस पर उतर आये तो इलौसाअ ने परमेग्यर से प्राथेना करके कहा कि इन लागों के अन्धा कर डाल और इजीसाअ के बचन के समान उस ने उन्हें अन्धा कर डाला ॥ १९८ । फिर इजलौसाअ ने उन्‍हें कहा कि यह मागे नहों यह नगर नहों तम मेरे पीछ पीछे चले आओ और में तम्हं उस जन पास पहुंचाऊंगा जिसे तम टंढ़ते हे। और वह उन्हें समरून में ले गया॥ २०। ओर जब वे समरून में पहुंचे ता यों हुआ कि इलोसाअ ने कहा कि हे परमेम्ावर उन की आंखें खाल जिसतें वे ट्खें तब परमेश्वर ने उन की आंखें खोलों ओर वे ट्खने लगे ओर क्या रखते हैं कि समरून के मध्य में हें ॥ २९ | और इसराएल के राजा ने उन्‍हें टेख के इलीसाअ से कहा कि हे पिता में बधन करूं में बधन करू॥ २२ । और स ने कहा कि बधन मत कर क्योंकि जिन्हें त ने अपने तलवार ओर घनघ से बन्चआ किया त उनन्‍्ह बधन करता उन के आगे खाना पीना घर दे जिसते वे खा पीके अपने खामी पासजायें॥ २३। से उस ने उन के लिये बहुत सा भाजन सिद्ध करवाया ओर जब वे खा पी चके तो उस ने उन्हें बिटा किया और वे अपने खामी पास चले गये और फिर कभी अराम की जथा इसराएल के टेश मेंन आईं॥ २४। इस के पोछ एसा हुआ कि अराम के राजा बिनहट्ट ने अपनी समस्त सेना एंकट्री किई और चढ़ के समरून के। घेरा॥ २५ । तब समरून में बड़ा अकाल पड़ा ओर वे उसे घरे रहे यहां ला कि गटहे का एक सिर नब्बे रुपये के ऊपर बिकता था श्र कपे।त की बीट पाव भर से कुछ ऊपर पांच रुपये से अधिक का बिकती थी ॥ २६। ओर यों हुआ कि जब इसराएल का राजा भीत पर जाता था एक स्त्री उस के आगे चित्ञा के बाली कि हे मेरे प्रभु राजा सहाय कीजिये॥ २७। तब वुच्द बाला कि यदि परमेग्र हो तेरी सहायन करे ता में तेरी सहाय क्योंकर करूं क्या खत्त से अथवा अंगर के काल्ह से॥ २८ । फिर राज़ा ने उसे कहा कि तमक क्या हुआ उस ने उत्तर दिया कि इस स्त्री ने मस्त कह्दा कि आओ तेरे बेटे को आज खायें और अपने बट के कल खायेंगे॥ २८। से हम ने अपने बट के! उसन के खाया और में ने टूसरे टिन उसे कह्दा कि अपना बेटा ला जिसतें हम उसे खावें ७ पब्बे] कौ २ पदस्तक 9४३ परंत उस ने अपना बंटा छिपा रक्वा हु ॥ ३०। राजा ने उसस्तो को बातें सन के अपने कपड़े फाड़ और भौत पर चला जाता था ओर लागों ने जा हष्टि किई तो ट्खा अपने शरीर पर भीतर उदासो बस्ल पहिने था॥ ३१५। तब उस ने कहा कि ई्वर मुक्त से वेसा ओर उसे भो अधिक करे यदि आज सफत के बेट इलौसाअ का सिर उस पर टहरे ॥ ३२ । ओर इलोीसाअ अपने घर में बैठा था ओर प्राचीन भी उस के साथ बैठे थे गैर राजा ने अपने साथ का एक जन अपने आगे भेजा परंतु हृत न पहुंचा था कि इलौसाअ ने प्राचौनां से कहा कि देखा इस बचधिक के बेटे ने कैसा भेजा क्षे कि मेरा सिर काटे से देखे जब ट्ूत आवे ते। द्वार बन्द करो ओर उसे दृढ़ता से द्वार पर पकड़े रहे क्या उस के पीछ पौछे उस के खामो के पांव का शब्द नहों ॥ ३३। गौर वह उन से यह करो रहा था तो क्या देखता है कि टूत उस पास आ पहुंचा और उस ने कहा कि देखा यह बिपत्ति परमेस्वर की ओर से ह अब आग में परमेम्पर कौ बार क्यां जाह्न॑। ७ सातवां पब्ब । ब इलौसाअ ने कहा कि परमेम्धर का बचन सने परमेग्वर यों कहता ते हू कि कल इसोौ जन समरून के फाटक पर चोखा पिसान पांच रूकी का एक पेमानः बिकेगा ओर जव दो पैमान: पांच रूकी के।॥ २। तब राजा के एकं प्रतिष्ठित ने जिस के हाथां पर राजा उठंगता था ईश्वर के जन के उत्तर दिया और कहा कि टेख यर्टि परमेग्वर खगे में खिड़- कियां बनाता तो क्य ऐसा हे सक्ता तब उस ने कहा कि ट्खत उसे अपनो आंखों सेट्खगा पर उतस्हे न खायगा ॥ ३। ग्यर नगर के फाटक को पट में चार काढ़ी थ उनन्‍्हों ने आपुस में कहा कि मरने लॉ हम यहां क्यों बेठ॥ ४। यदि हम कह्द कि नगर में जायेंगे तो नगर में अकाल हे ओर हम वहां मर जायेंगे और यदि यहीं बैठे रहें तो भौ मरेंगे से। अब चला हम अरामी सेना में जावे यदि वे हमें जोवत छाडेंगे ता हम बचंगे और यदि वे हमें बधन करें ता मर ही जायंगे ॥ ५ । से वे गोघ ली में उठ के अरामियां कौ सेना के! चल निकले ओर जब वे अरामियां 98४४ राजावलो [७ पब्बं की छावनी के बाहर हो बाहर पहुंचे तो टखा वहां काई न था ॥ &६। क्यांकि परमेश्वर ने रथें का और घाडा का और एक बड़ी सेना का शब्द अरामियों कौ सेना के सुनाया तब उन्हें! ने आपस में कहा कि टेखो इसराएल का राजा हित्तियों के राजाओं के और मिखियां के राजाओं के हमारे बिरुड़ भाड़ में चह्ा लाया॥ ७। इस लिय वे उठ के गाघली में भाग निकले और अपने डरे और अपने घोड़ और अपने गटहे अथे।त अपनी छावनी का जेसो को तेसी छाड़ छाड़ अपने अपने प्राण ले भागे ॥ ८च। और जब कि काढ़ी छावनी में पहुंचे तो वे एक तंब में घसे और वहां खाया और पीया ओर वहां से रूपा और सेना ओर बस्त लिया ओर एक स्थान पर जाके छिपा रकवा ओर फिर आके दूसरे तंब में घखसे ओर वहां से भो ले गय और छिपा रक्वा ॥ «। फिर उन्‍्हां ने आपस में कहा कि हम अच्छा नहों करते आज मंगल समाचार का ट्न क्ले और हम चप हे। रहे हैं यटि हम बिहान की ज्याति लो ठच्तर तो टंड पावंग से। आओ हम जाके राजा के घराने के सन्दश पहुंचावं ॥ १५० । तब डन्‍्हां ने आगके नगर के द्वारपाल के पकारा और यह कहा कि हम अरामियों कौ छावनी में गये ओर ट्खे। कि वहां न मनव्य न मनव्य का शब्द परन्त घोड़े और गटहे बंध हुए और तंब जैसे के तेसे हैं॥ ९२९। और उस ने दार- पालकों के! कहा ओर उन्‍्हां ने राजा के भवन में भौतर संदेश पहुंचाया ॥ १ २। ओर राजा रात हो के उठा और अपने सेवकों से कहा कि में तुम्हें बताता हूं कि अरामियों ने हम से क्या किया वे जानते हें कि हम भूखे हें इस लिये वे छावनी से निकल के चागान में यह कहके छिपे हें कि जब वे नगर से निकलेंगे तब हम उन्हें जीता पकड़ लेंगे और नगर में घ॒सेंग ॥ ९३ । ओर उस के सेवकों में से एक ने उत्तर देके कहा कि हम उन घोड़ां में से जा बचे हैं पांच चाड़ लव देख वे इसराएल की बचो हुई मंडलो के समान [जो नष्ट हुए हें] आओ उन्हें भज और ब॒स्मे ॥ ९४। से उन्होंने रथों के दो! घाड़े लिये आर राजा ने अरामियां कौ सेना के पीछे लोगों के। यह कहके भेजा कि जाओ और बस्ते॥ ९५। वे उन के पीछ पीछे यरदन लो चले गये ओर क्या देखते हैं कि सारे मार्ग में बरत्न और पात्र एज अरामी अपनी उतावलो में फेंक गये थे भरपूर थे तब ट्रूत फिर प्र पब्थ] कौ २ पस्तक । ७४५ आके राजा से बाले ॥ १५६। तब लागों ने निकल के अरामियों के त॑बओं के। लटा सा परमेश्वर के बचन के समान चेखा पिसान पांच रूकी का एक पेमानः बिका ओर जव पांच रूकी का दा पेमानः और राजा ने उस प्रतिष्ठित का जिस के हाथ पर बह ओ[ठंगता था फाटक कौ चाकसौ दिई और लोागां ने फाटक में उसे लताड़ा और जेसा कि परमेग्वर के जन ने कहा था वुद्द मर गया जब राजा उस पास आया था वुच्द मर गया ॥ ९८। गैर जैसा कि ईम्यर का जन यह कहके राजा का बाला कि दो पैमानः जव पांच रूकी के! और एक पेमान: चे।खा पिसान पांच रूकी का कल इसो जन समरून के द्वार पर हेगा से परा हुआ ॥ ९८ । और उस प्रतिष्ठित ने इं स्थर के जन का उत्तर दि के कहा था अब द्ख यदि परमेमच्यर खगे में खिडकियां बनावे एसा हे सक्ता है तब उस ने कहा कि त उसे अपनी अआंखोांसेट्खेगा पर उस्स न खायगा॥ २०। उस पर एऐसा ही कछ बौता क्येंकि लागां ने फाटक पर डसे लताड़ डाला और वह मर गया । ८ आउउठवां पब्य.ै ले ब इलौसाअ ने उस स्त्रो का कहा जिस के बटे का उस ने जिलाया था कि उठ और अपने घराने समेत ज्ञा और जहां कहीं बास कर सके बास कर क्ये।कि परमेग्वर एक अकाल लाता क्ते सो टेश में सात बरस लो अकाल रहेगा॥ २। तब वह स्त्री उठो ओर उस नेईसग्वर के जन के कहने के समान किया ओर अपने घराने समेत फिलिस्तियां के दश में सात बरस ला बास किया ॥ ३। ओर सातवें बरस के अन्त में ऐसा हुआ कि वह स्त्री फिलिस्तियों के ट्श से फिर आई ओर राजा पास चलो गई जिसतें अपने घर ओर अपनी भमि के लिय चितल्लावे। ४। तब राजा इईंम्घर के जन के सेवक जेहाजी से यह कहके बाला कि सार बड़े बड़े काय जा इलौसाअ ने दिखलाये हों उन्‍हें मेरे आगे बणेन कर॥ ५४५। और ज्यां वह राजा से कह रहा था कि उस ने एक म्टतक के किस रोति से जिलाया ट्खा कि वह स्त्री जिस के बेट का उस ने जिलाया था आके राजा के आगे अपने घर ओर भामि के लिये चिज्ञाई तब जेहाजों बाल उठा कि डे मेरे प्रभु राजा वह स्त्री और उस का बेटा जिसे इलोसाअ ने 94 (4. 8. 8.] ७४६ राजावलों [८ पब्बे जिलाया यह्ौ है ॥ ६। ज्जार जब राजा ने उस स्त्री से पूछा तो उस ने बताया तब राजा ने एक प्रधान का उस के संग करके कहा कि उस का सब कुछ ओर उस के अन्न जिस दिन से उस ने यह भर छोड़ी क्ञषे आज के टिन लो फर टिलाओ।॥ ७। तब इलोंसाअ दमिशक में आया ओर अराम का राजा बिनहद॒द रोगी था ओर उसे सन्दश पहुंचा कि ईय्यर का जन यहां आया है॥ ८। ओर राजा ने हजाएल के कहा कि कुछ दान हाथ में ले और ईग्वर के जन से भट करके उस के द्वारा से परमेग्घर से बसक्त और कह क्या में इस राग से चंगा हे।ऊंगा ॥ 6 । से। हजाएल उसमे भंट करने चला ओर उस ने ट्मिशक की समस्त अच्छी बस्त भेंट के लिये हाथ में लिईं अथात चालीस ऊंट लट हुए गर उस के आगे खड़े हेाके कहा कि तेरे बेट बिनहट्ट अराम के राजा ने मस्त यह कहके तर पास भेजा क्षे और पक्का कै कि में इस रोग से चंगा कहूंगा॥ १५० | तब इली साअ ने उसे कहा कि जाके उसे कह कि त निश्चय चंगा हेागा तथापि परमेग्र ने मम ट्खाया क्र कि वह निश्चय मर जायगा॥ ९५९५। और उस ने रूप स्थिर करके यहां ला रक्‍वा कि वह लज्जित हुआ ग्रार इंश्वर के जन ने बिलाप किया ॥ १५२ । तब हजाएल ने कहा कि मेरा प्रभ क्यां रोता क्षे आर उस ने उत्तर टिया इस लिये कि में जानता हूं कि त इसराएल के सन्तान से कैसी बराई करेगा जैर उन के दृढ़ गढ़ों के फंक देगा और उन के तरुणों के तलवार से घात करेगा और उन के बालकों के हे दे पटकेगा ओर उन की गर्भिणियों के फ.डेगा॥ १५३। तब हजाएल बाला क्या तेरा सेवक कुत्ता क्षे कि वह एसी बरी बात करे तब इलोसाअ बाला परमेग्यर ने मस्के बताया क्षे कि त अराम का राजा हेगा॥ १४। फिर वह इलौसाअ पास से अपने खामी के पास गया जिस ने उसे पक्ता कि इलीसाअ ने तस्फे क्या कहा उस ने कहा कि उस ने मस्ते बताया कि त अवश्य चंगा होेगा॥ २९५। शेर बिहान के! एसा हुआ कि उस ने एक मोटा कपड़ा लिया और उसे पानी में चभाड़ के उस के मूंह पर यहां ला फेलाया कि व॒च्त मर गया और हजाएल ने उस को सन्‍्ती राज्य किया॥ २९६। ओर अखिअब के बेट इसराशएल के राजा यराम के र,ज्य के पांचवें बरस जब यहक्सफ्‌्त यह्ूद्ाह का राजा था तब ८ पत्मे) कौ २ पसच्तक | 9४७ यह्नसफ्त का बेटा यहूराम यहक्ूटाह के राज्य पर बेठने लगा॥ ९७। जब कि वृच्द राज्य करने लगा उस कौ बय बत्तांस बरस को थी उस ने यरू- सलम में आठ बरस राज्य किया॥ १८। ओर वह अखिअब के घराने के समान इस रा ए लो राजाओं की चाल पर चलता था क्योंकि अखिअब की बटौ उस कौ पत्नौ थी ओर उस ने परमेश्वर की दृष्टि में बुराई किई॥ ९८। तथापि परमेग्वर ने न चाहा कि यहूदा ह का नाश करे क्योंकि उसे अपने सेव# टाऊद का पक्ष था कि उस ने उसे बाचा टिई थी कि में तुक ओर तेरे बंश के सबेदा के लिये एक दौपक टूंगा॥ २०। उस के समय में अट्टम यक्ूदाह के बश से फिर गये ओर उन्‍्हां ने अपने लिये एक राजा बनाया॥ २१५। तब यराम सगीोर में आया ओर सारे रथ उस के साथ थे ओर उस ने रात का उठ के अट्टूमियां का जे उसे घेरे हुए थे ओर रथों के प्रधानों के मारा और लाग अपने अपने तबओं के भाग गये ॥ २२। परन्तु अट्टम आज के दिन लॉ यहूद।ह के बश से फिरा हे उसों समय में लिबनः भी फिर गये॥ २३ | और यराम की उबरीो हुई क्रिया और सब कुछ जो उस ने किया था सो क्या यहृटाह के राजाओं के समय के समाचार को पस्तक में लिखा नहीों क्े। २४। फिर यराम ने अपने पितरों में शबघन किया और ट्ाऊद के नगर में अपने पितरों में गाड़ा गया ओर उस का बेटा अखजयाह उस कोौ सन्तो राज्य पर बेठा। २५ । और इसराएल के राजा अखिअब के बेटे यूराम के बारहवं बरस यहृदाइ का राजा यह्ूराम का बेटा अखजयाह राज्य पर बेठा॥ २६। जब अखजयाह राज्य पर बैठा तब व॒ह बाईंस बरस का था और यरूसलम में एक बरस राज्य किया और उस की माता का नाम अतलीयाह था जो इसराएल के राजा उमरी कौ बेटी थी॥ २७। गश्यार वह अखिअब के घराने को चाल पर चलता था ओर उस ने अखिअब के घराने के समान परमेश्वर को दृष्टि में बुराई किई क्योकि वह अखिअब के घराने का जवांई था ॥ २८। जऔ और वह अखिअब के बेटे यराम के साथ अराम के राजा हजाएल से लड़ने का रामात जिलिअद पर चढ़ा और अरामियों ने यूराम का घायल किया॥ २८। से राज़ा युराम यजुरअुणल के फिर 3४८८ राजावलोौ [€ पब्बे गया जिसतें उन घाजें से चंगा हेवे जा अरामियों से जब वुच्र अराम के राजा हजाएल से लड़ा था उसे लगा था ओर यह्नरम का बटा यहू ट्ाह का राजा अजखयाह यजरअणल का गया जिसत अखिअब के बट यराम का दख क्योंकि वह घायल था ॥ € नवां पब्बे । ब इलोसाअ भविव्यद्क्ता ने भविव्यद्क्ताओं के सन्‍्तानों में से एक का त बलाया ओर कहा किअपनी कि बान्ध और तेल कौ यह कुप्पी अपने हाथ में ले ओअःर रामात जिलिअद के। जा। २। ओर जब त वहां पहुंच तो निमसी के बंटे यहूसफत के बेटे याह्ल के ढंढ़ ले और भौतर जाके उसे अपने भाईयों में से उठा के भीतर कौ काठरी में ले जा॥ ३। औरएर कुप्पो का तेल लेके उस के सिर पर ढाल और कह कि परमंग्वर यों कहता हे कि में ने मक्कल इसराएल पर राज्याभिषेक किया तबत द्वार खोल के भाग और ठकह्नचर मत॥ ४। सो वह तरुण अथात वह तरुण भविव्यद्क्ता रामात जिलिअद के! गया ॥ ५ । ओर जब वह आया तो क्या देखता हे कि सेनापति बैठे हें तब उस ने कहा कि हे सेनापति तेरे लिये मस्क पास संदेश के और याक्ल ने कहा कि हम सभों में से किस के लिय उस ने कहा कि तेरे लिये हे सेनापति॥ ६ । और वह डट के घर में गया और स ने डस के सिर पर वुह तल ढाल के उसे कहा कि परमेश्वर इसराएल काईय्घर यों कहता ह्ञे किमें ने तस्क्त ईश्वर के लागों पर अथेात्‌ इसराएल पर राज्याभिषेक किया॥ ७। ओर तू अपने खामी अखिअब के घराने के। मारेगा जिसत मैं अपने सेवक भविय्यद्रक्ताओं के लाह् का ओर परमेग्वर के सारे सेवकों के लाक् का ईंजबिल के हाथ से पलटा लऊं॥ । क्योंकि अखिञअब का सारा घर नष्ट होगा ओर में अखिअब से हर एक परुष का जा भोत पर मत्ता हू क्या निरबंध क्या दास इसराणएल में काट डालंगा ॥ ६ । और में अखिअब के घर का नबात के बट यरु बम के घर के समान ओर अखियाह के बेटे बअशा के घर के समान करूंगा ॥ ९ ०। जऔर ईजबिल के यजुरअऐल के भाग में कुत्ते खायगे वहां काई गड़वैया न हे|गा और वह द्वार खाल के भागा ॥ ११। तब याह्ल निकल & पत्थ] कौ २ पस्तक | ७४८ के अपने प्रभ के सेवकां के पास आया ओर एक ने उसे कहा कि सब कुशल है यह बै।डहा तेरे पास किस लिये आया तब उस ने उन्ह कहा कि तम उस पुरुष के और उस के संद्श के। जान्तं है। ॥ १.२। वे बाले कि म्कूठ हमें अब बता तब उस ने कहा कि वह मस्क यां कहके बाला कि परमेम्घर या कहता क्ञे कि में ने तक इसराएल पर राज्याभिषक किया ॥ ९३ । तब उन्हें ने फरती किई और हर एक ने अपना अपना बस्त्र लिया और अपने नोच सौठी पर रक्‍खा ज्यार यह कहके नरसिंगा फंका कि याह्ह राज्य करता क्षे। १५४। से निमसी केबट यक्सफ्त का बटा याह ने यूराम के बिराध में गष्ट बाच्ची [अब अराम के राजा हजाएल के कारण यूराम और सारे इसराएल रामात जिलिअद की रच्छा करते थे। ९५५। परंतु राजा यहूराम ने उन घाओं से जो अरामियें ने उसे मारा था जब वुद्द अराम के राजा हजाएल से लड़ा था चंगा होने फिर आया] तब याह्न ने कहा कि यदि तुम्हारे मन हावे तो नगर से किसौ का न निकलने न बचने दओ न हेावे कि यजुरअएल में हमारा समाचार पहुंचावे ॥ ९६ । से याह्ल रथ पर चढ़ के यजुरअणेल के। गया क्यांक यूराम वहों था ओर यहूटाह का राजा अखजयाह यराम का ट्खने का उतर आया था॥ १५७। ओर यज रअएल को बजे पर एक पहरू था उस ने ज्यां याह्ल कौ जथा का आते ट्खा वत्यां कहा कि में एक जथा का देखता हूं यराम ने कहा कि एक घोड़चढ़े के लेके उन कौ भंट के लिये भेज ओआर पूछ कि कुशल क्षे । १८। से उस कौ भेंट के लिये एक जन घड़े पर चढ़ के आगे बढ़ा और जाके उस ने कहा कि राजा पूछता हे कि कुशल हे याह्ल ने कहा कि तुम्क कुशल से क्या मेरे पीछ हे।ले फिर पहरू यह कहके बेला कि ट्ृरत उन पास पहुंचा परंतु फिर नहों आता॥ ९८। तब उस ने दूसरे का घाड़ पर भेजा उस ने भौ उन पास पहुंच के कहा कि राजा पूछता क्षे कि कुशल हे ओर याह् ने उत्तर दिया कि तुम्झे कुशल से क्या मेरे पीछे हेले॥ २०। फिर पहकहरू यह कहके बेला कि व॒ुह भी उन पास पहुंचा और फिर नहीं आता ओर हांकना निमसी के बेटे याह् के हांकने के समान हे क्यांकि वृद्द बैड़ाहपन से हांकता क्षे ॥ २१५। तब यूराम ने कहा कि जोतो से! उस का रथ जाता गया तब इसराएल का राजा ३७ राजावलो (& पतले यराम ओर यहूटाह का राजा अखजयाह अपने अपने रथ पर बाहर गये और वेयाह्ल के बिरोध में बाहर गये और उसे बज रअऐली नबात के भाग में पाया। २२। तब यराम ने याह् का टेख के कहा कि याह्ू कुशल क्वे याकह्ल बाला केसा कुशल कि जब तेरी माता ईजविल का क्रिनाला ओर उस के टाने इतने हैं ॥ २३। तब यराम अपने हाथ फेर के भागा और अखजयाह से कहा कि हे अखजयाह कल क्षे ॥ २४। तब याह्ल ने अपना हाथ घनण से भरा ओर यह्नराम को भजाओं के मध्य में माराओर बाण उस के हृट्य में पैठ गया और वह अपने रथ में मकक गया ॥ २५ । तब उस ने अपने प्रधान बिट्क्र से कहा कि डसे उठा के यजुरअणएली नबात के खेत के भाग में डाल दे क्यांकि चत कर कि जब में और त्‌ डस के बाप अखिअब के पीछ चढ़े जाते थ परमेम्धर ने यह बास्क उस पर धरा था॥ २६ । परमेश्वर कहता है कि निच्यय में ने नब/त के लाह्न ओर उस के बंटों के लाह् को कल ट्खा हे ओर परमेश्वर कहता है कि में तुभ्क से इसी भाग में पलटा लेऊंगा सा परमेग्यर के बचन के समान उसे लेके उसो स्थान में डाल टे ॥ २७। परन्त जब यहूटाइह के राजा अखजयाह ने यह ट्खा ता वह घर की बारी के मारी से निकल भागा और याह ने उस का पौछा कियाओर कहा कि उसे भी रथ में मार लेओ से उन्‍्हों नेजर के मार्ग में जे इबलिआम के लग है उसे मारा और वृद्द भाग के मजिद्दा में आया ओर वहां मर गया॥ २८। गजर उस के सेवक डसे रथ में डाल के यरूसलम के ले गये और उसे उस की समाधि में ट[ऊद के नगर में उस के पितरों के साथ गाड़ा॥ २६ | ओर अखिअब के «टे युराम के ग्यारहवें बरस अखजयाह यहक्ूदाह पर राज्य करने लगा ॥ ३०। ओर जब याह्ू यजरअऐल का आया ता ईंजबल ने सना ओर अपनो आंखों में अंजन लगाया ज्र अपना मस्तक सवां रा और एक कराख से क्कांकने लगौ॥ ३९। और ज्यों हो याह्न ने फाटक में से प्रवेश किया ओर वुच्द बेली कि क्या जिमरी के कुशल मिला जिस ने अपने प्रभ का बधन कया॥ ३२। तब याह्ू ने करोखे की ओर मस्तक डठाया ओर कहा कि मेरो ओर कान कैन कै औ।र उस की ओर दा तौन शयन स्थान के प्रधाना ने ट्खा॥ 8३। तब उस ने कहा कि उसे गिरा दो से उडन्‍्हों ने उसे नीचे गिरा २० पन्बे) कौ २ पुस्तक | ७५ ९ दिया ओर डस का लाह् भौत पर ग्यार घाड़ां पर पड़ा ओर उस ने डसे लताड़ा॥ ३४। और भोतर आके खा पी के कहा कि जाओ ग्रार उस स्वापत का टखा ओर उसे गाड़ा क्यांकि वह राज पत्री क्षे ॥ ३५। और वे उसे गाड़ने गये परंत उन्‍्हां ने उच की खापड़ी ओर उस के पांओं और हथेलियां से अधिक कुछ न पाया।॥ ३६। तब वे फिर आये और उसे सन्देश टिया वह बाल। कि यह वह बात के जो परमेग्यर ने अपने सेवक इलियाह तिसबो से कह्दी थी कि यजुरअण्ल के भाग में कत्ते इंजबिल का मांस खारयेंग॥। ३७। और ईंजबिल की लाथ यजरअएल के भाग में खेत पर खाद को नाई पड़ी रहेगी और न कहंगे कि यह्ट इंजबिल होे। १९० ट्सवां पब्बे। ञ्रै 7र समरून में अखिअब के सन्तर बंटे थे से याह्त ने पत्र लिखे और जरअणेल के आज्ञाकारियां के ओर प्राचौनें के ओर अखिअब के सन्‍्तानों के पालक के पास समरून का यह कहके भजा॥ २। जैसा कि तुम्हारे प्रभ के बटे और रथ ओर घोड़े और बाड़ित नगर और नगर भी ओर अस्त्र हें से। इस पत्र के तुम्हारे पास पहुंचते हौ॥ ३। जा तुम्हारे खामी के बेटां में से सब से अच्छा ओर योग्य हेवे ट्ख के उस के पिता के घिह्ासन पर उसे बैठाओ और अपने खामो के घर के लिये लड़ाई करो॥ ४। परन्तु वे अत्यन्त डर गधे आर बाले कि देखा दा राजा ता उस का साम्ना न कर सके फर हम क्योंकर ठहरग॥ ५॥ तब जो घर का प्रधान था और जो नगर का प्रधान था और प्राचौन ओर पालकों ने याह्ल का कह्दला भेजा कि हम तेरे सेवक हें त जा कुछ करेगा से सब हम मानेंगे हम राजा न बनावेंगे जा तम अच्छा लगे से। कर ॥ ६ । तब उस ने उन क पास यह कहके ट्ूसरो पत्नी लिखों कि यदि तु मेरी ओर हे। और मेरा शब्द मानेगे ते अपने खामौ के बेटों के मस्तकों के लेके कल इसो समय म॒म्क पास यजरअंएल में चले आओ अब राजा के बटे सत्तर जन हेाके नगर के महत लागां के साथ थ जा उन के पाजक थे॥ ७। ओर जब यह पत्नी उन के पास पहुंची तो उन्हां ने सत्तर जन ४५२ राजावलौ [१० पब्च राजपत्राों का मार डाला और उन के मस्तकों के टोकरों में रख के उस पास यजुरअएल में भजा॥ ८। तब एक ट्रत आया ओर यह कह के उसे बेलला कि वे राजपुत्रां के मस्तक लाये हें वुद्द बाला कि नगर के फाटक की पैठ में बिह्ान लें उन की टा ठर कर रक्वा॥ <। और यों हुआ कि प्रातःकाल के वह बाहर जाके खड़ा हुआ गऔर सब लागोां से कहा कि तम धर्मों हे। ट्खे में ने ता अपने खामी के बिरुड्ट गष्ट बांघ के उसे बघन किया पर इन सभा केा किस ने चात किया॥ ५०। अब जानो किपरमेग्वर के बचन में से जे परमेम्र ने आखिञ्रब के घर के बिषय में कहा था केाई बात भूमि पर न गिरेगौ क्योंकि परमेग्वर ने जा कुछ कि अपने सेवक इलियाह के द्वारा से कहा था उसे पूरा किया ॥ १५१ | से याह्ू ने उन सब के जा अखिअब के घराने से यजुरअणेल में बच रहे थ और डस के समस्त महत जतें के ओर उस के कुट॒म्वां का और उस के याजकों के मार डाला यहां ला कि एक का भौन छाड़ा॥ १५२। फिर वुद्द उठा और चल के समरून के आया ओर ज्यों व॒च्र बेतएक्‌र गड़रोयां के मार्ग के निकट पहुंचा॥ १५३। तब याह्ल ने यहृूदाह के राजा अखज- याह के भाइयों का पाया ओर कहा कि तम कौन ओर वे बाले कि हम अखजयाह के भाई राजा और रानीो के पत्रों के कुशल के लिय जाते हैं॥ २९४, तब उस ने आज्ञा किई कि उन्हें जौते पकड़ लेओ से उन्हों ने उन्हें जोते पकड़ लिया आर उन्‍हें अथात बयालौस का बेतएक्‌द के गड़हे पर मार डाला उन में से एक का न छाड़ा॥ १५५ । फिर वहां से चला और रेकाब के बेटे यहूनदब के पाया जा उस के भंट करने के आता था तब उस ने उसे आशोष दके पछा कि जेंसा मेरा मन तरे मन के साथ क्षे क्या वेसा तेरा मन ठ|क क्ञे तब यह्नट्ब ने उत्तर दिया कि यटि हे।वे ता अपना हाथ मस्के ह से उस ने अपना हाथ दिय। ओर उस ने उसे रथ पर अपने साथ बेठा लिया॥ ५६। ओर कहा कि मेरे साथ चल ओर परमेश्वर के लिय मेरा ज्वलन टेख से! वुह्र उस के साथ रथ पर बैठ लिया। ५७। ओर जब वह समरून में पहुंचा तो उस ने उन सभा के जा अखिअब के बच हुए थ मार डाला यहां लॉ कि जैसा परमेग्घर ने इलियाह के द्वारा से कह्दा था उस ने उसे नष्ट कर दिया॥ २ ० पब्ब) कौ २ पंस्तंक । ७५ ३ ९८। फिर याह्ू ने सब लोगों के इकट्ठा किया ओर उन्हें कहा कि अखिआअब ने बगल की थाड़ो पजा किई याह्ल उस की बहुत सो पूजा करेगा॥ २९८। से अब बअल के सा रे भविव्यद्क्तां के और उस के सारे सेवकें और उस के सारे याजकोां के मस्क्र पाम बलाओ उन में से एक भी न क्तठ क्यांकि में बअल के लिये बड़ा बलि चढ़ाऊंगा ग्यर जा काई चरगा से जौवता न बचेगा परन्त याहक्ल ने चतराई से किया जिसतें बगल सेवकेां के। नाश करे। २०। ओर याह् ने कह्दा कि बगल के लिय पबै शुद्ट करे गैर उन्हें ने प्रचारा ॥ २९ । और याह्न ने समस्त इसराएलियों में भेजा ओर बअल के सारे सेवक आये एसा काई न था जो न आया है| और वे बअल के मन्दिर में गये और बल का मन्दिर इस सिरे से उस सिरे लें भर गया॥ २२। फिर उस ने बस्त के घर के प्रधान के। कहा कि सारे बअल के सेवकों के लिये बस्त्र निकाल ला सा वह उन के लिये बस्तर निकाल लाया॥ २३। तब याह्ू ओर रेकाब का बेटा यक्लनट्ब बगल के मन्दिर में गये ओर बअल के सेवकों से कहा कि खोजो ओर टेखे। कि यहां तम्हारे मथ्य में परमेग्धर के सेवकों में से काई न है। परन्त केवल बअल के सेवक॥ २४। ओर जब वेभेंट खैर बलिटान चढ़ाने के भौतर गये याह्न ने बाहर बाहर अस्सी जन के ठच्दरा रक्‍्खा ओर उन्‍हें कह्दा कि यदि काई इन लोगों में से जिन्हें में ने तम्हारे हाथ में कर दिया क्ञषे बच निकले तो उस का प्राण उस के प्राण की सन्‍्ती हेगा॥ २५४। ओर एसा हुआ कि ज्यों वह हेम की भेंट चढ़ा चका तो याह्न ने पहरू का ओर प्रधानां के आज्ञा किई के घसे। ओर उन्हें मार डाला एक भो बाहर निकलने न पावे सो उन्‍होंने उन को तलवार की घार से मार डाला ओर पहरू ओर प्रधान उन की लाथो का बाहर फक के बञअल के मन्दिर के नगर में गये। २६। ओर उन्‍्हां ने बअल के मन्दिर की मूत्ता के निकाला ओर उन्‍्हं जला सियिा॥ २७। और बगल की म॒त्ति का चकनाचर किया और बञल का मन्दिर ढा दिया और आज के दिन लो दिशा फिरने का चर बनाया॥ र८। यो याह्ल ने बग्यल का इसराएल में से नष्ट किया ॥ २८ । परन्तु याह्ल ने उन पापों के जा नबात के बेटे यरुबिआम ने ५७ [68 ॥, 80] ५ ४ राजावंलौ [१५९ «ब्बे दस राएलियों से करवाया था छाड़ न दिया अथात्‌ सेनने के बछड़ां का जा बैतएल और ट्ान में थे रहने टिया ॥ ३०। तब परमेश्वर ने याह्ू से कहा इस कारण कि जे मेरी दृष्टि में अच्छा था तू ने छसे किया हे और जे कुछ कि मेरे मन में था तू ने अखिअब के घराने पर किया है से तेरे सन्‍तान चोथी पीढ़ी लां इसराएल के सिंहासन पर बेठगे॥ ३९१। पर याकह्ल इसराएल के ई स्थर परमेम्वर को ब्यवस्था पर अपने सारे मन से न चला क्यांकि उस ने यरुबिआम के पापों का न छाड़ा जिस ने इसराए- लिया से पाप करवाया॥ ३२ । उन दिनों में परमेम्धघर ने इसराएलियों के काट काट के घटाना आरभ किया ओर हजाएल ने उन्‍हें इसराएल के सारे-सिवानों में मारा॥ .३३॥ यरदन/से लेके लद्य/-की ओएर+यएरे जिलिअद के देश ओर जद ओर रूबीनी ओर मुनस्णशो अरआयर से लेके जा अरनून की नदी के लग के अथात्‌ जिलिअुद ओर बसन लों॥ ३४ । अब याह्ल को रही हुई क्रिया और सब ज्ञे। उस ने किया ओर उस के सारे पराक्रम क्या इसराएलौ राजाओं के समयें के समाचार को पुस्तक में नहों लिखा॥ ३५४ | उस के पीछ याह्ल अपने पितरों में से रहा ओर उन्‍हें ने उसे समरून में गाड़ा और उस के बेटे यक्अखज ने उस की सनन्‍्तो राज्य किया॥ ३६ । ओर जिन दिनों में याह्न ने समरून में इसराएल पर राज्य किया से अट्टाइंस बरस थे ॥ ९९ ग्यारहवां पब्ब ॥ ब अखजयाह कौ माता अतलीयाह ने ज्यां ट्खा कि मेरा बेटा मआ त्‌ ते उठी ओर राजा के सारे बंश के। मार डाला॥ २। परन्त अखजयाह की बहिन यराम राजा की बंटो यहूसबग्च ने अखुजयाह के बेटे यआस के। लिया ओर उसे उन राज पत्रां में से जे। मारे गये थ चरा के उसे और उस की टाई के! शयन स्थान में अतलीयाचह से छिपाया यहां ला कि वह मारा न गया॥ ३। ओर वह उस के साथ परमेम्पर के मन्दिर में छः बरस लॉ छिपा रहा और अतलौयाह ट्श पर राज्य करती रहौ॥ ४। ओर सातवें बरस यक्ूयटः ने से। से। के अध्यक्षों के ओर प्रधानें के पद्दरुओं समेत बला भेजा और उन्‍हें परमेग्धर के मन्दिर में ९९ पब्व] को २ पस्तक । ७५ पू. अपने पास बला के उन से बाचा बांधो गऔ.र परमेग्यर के मन्दिर में उन से किरिया लिई ग.जर राजा के बेटे का उन्‍हें ट्खाया॥ ५। ग्रार उस ने यह कहके उन्हें आज्ञा किई कि तुम यह काम करे कि तुम्हारा तौसरा भाग जे! बिश्वाम में भौतर जाता क्ञे राजा के भवन का रक्षक होवे॥ ६ । और तौसरा भाग रूर के फाटक पर रहे ओर तीसरे फाटक पर पहरुओं के पीछे इस रोति से भवन कौ रक्त करो और रोका॥ ७। और तम सभों में से ट। जथा जा बिश्वाम में निकलतौ हैं राजा के आस पास होके परमेग्पर के मन्दिर की रखवाली करें॥ ८। और राजा को चारों ग्यार रहे और हर एक जन शस्त्र हाथ में लिये रहे और जो बाड़े के भौतर आवबे से। मारा जाय और बाहर भौतर आते जाते राजा के साथ रहे॥ «। तब जैसा यह्यट्‌ः याजक ने समस्त आज्ञा किई थी घातपतियों ने वैसा हो किया और उन में से हर एक ने अपने अपने जनों का जा बिश्राम में बाहर भौतर आने जाने पर थे लिया यक्लयटः याजक पास आय ॥ २९०। तब याजक ने राजा टाऊट को बरछियां और दठालें जोापरमेम्पर के मन्दिर में थीं शतपतियों के। दिई॥ ९१५। और पहरू अपने अपने शस्त्र हाथ में लेके हर एक जन मन्दिर के दहिने काने से लेके «ये काने ला और बेदोौ की और मन्दिर की और राजा कौ चारों ओर खड़े हुए॥ १५२ । फिर वह राज पत्र के निकाल लाया और उस पर मकुट रख के उसे साक्षी दिईं और उसे राजा बनाया और अभिषेक किया और उन्‍्हों ने तालियां बजाई और बोले कि राजा जीवे॥ ९३। और जब अतलीयाह ने परहरुओं और लागों का शब्द सना तो वह लागों में परमेग्वर के मन्दिर में पहुंची ॥ ९४। गऔर क्या देखती है कि ब्यवदह्ार के समान राजा खंभ से लगा हुआ खड़ा के और अध्यक्ष और नरसिंगे के बजबैये राजा के लग खड़े हैं और ट्श के सारे लाग आनन्द में हें और नरसिंगे फंकते हैं तन अतलौयाह ने अपने कपड़े फाड़े और चिह्ना के बाली कि छल छल ॥ १५५ | परन्तु यहयदः याजक ने शतपतियों का और सेना के अध्यक्षों का आज्ञा किई और कहा कि उसे बाड़ां से बाहर करो और जो उस का पीछा करे उसे तलवार से मार डाला क्योंकि याजक ने कहा था कि वुच्त परमेग्वर के मन्दिर में मारी न जाय॥ ९६। ७५ ६ राजावलोौ [१५२ पश्ब तब उन्‍्हां ने उस पर हाथ चलाये ओर बह उस माग में जिस मागे से घोड़े राजा के भवन में आते थे जाती थी और वहां मारी गईं ॥ १५७। और यह्नयद्‌ः न्ने परमेग्वर के और राजा के और लागों के मध्य में एक बाचा बांघौ कि वे परमेग्वर के लाग हेवें ओर राजा ओर लोगों के मध्य में बाचा बांघी ॥ १८। तब टेश के सारे लाग बअल के मन्दिर में आये ओर उसे ढटाया ओर उन्‍्हों ने उस की मत्तां और उस की बंटिथां के चकनाचर किय' जार बअल के याजक मत्तान का बढियों के सन्मख घात किया ग्रार याजक ने परमेश्वर के मन्दिर के लिये पट्ाँ का ठह्राया॥ १५८। फिर उस ने शतपतियों का और प्रधानों को और पहरुओं का गज"र देश के सारे लागां का लेके वे राजा का परमेग्यर के मन्दिर से उतार के पहरुओं के फाटक के माणे से राज भवन में लाये ओर वुह् राजाओं के सिंहासन पर बैठा ॥ २०। और दृश के सारे लोग आनंदित हुए ओर नगर में चैन हुआ और उन्‍्हां ने अतलीयाह का राज भवन के लग खज् से घात किया॥ २९। ओर जब यआस राज़ा सिंहासन पर बैठा तब वुष्द सात बरस का था | १२ बारहवां पब्बे॥ ञ" याह्ल के मातवें बरस यूआस राज्य करने लगा और उस ने यरू- सन्‍नम में चालीस बरस राज्य किया उस कौ माता का नाम बिअर- सबः कौ जिबयः था॥ २। जब लो यहूयदः याजक यआस के उपदेश रू. लक 2० बिक] करता रहा उस के जौवन भर उस ने परमेग्पघर की दृष्टि में भलाई किई॥ ३ । परंत ऊंचे स्थान टूर न किये गये थे आर लाग अब लॉ ऊंचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाते थे और सगंध जलाते थे। ४। और यआस ने याजकों से कहा कि पवित्रता के सारे राोकड़ जा परमेग्यर के मंदिर में पहुंचाये जाते हैं अथात्‌ व॒द बिशेष रोकड़ जो प्राण का मेल ठह रता क्े ओऔरर समस्त राकड़ जा हर एक अपनी इच्छा से परमेग्वर के मंटिर में «५ ७०० लाता क्षे । ५। से याजक हर एक अपने अपने जान पहिचान से लंबे औ और घर के टरारों का जहां कह्ौं ट्रार पाये जाये सघारें॥ ६। परंत शेसा हुआ कियआस के राज्य के तेईसवें बरस लॉं याजकों ने मंदिर ३२ पश्च] कौ २ पस्तक । 3५ ७ के ट्रारों कान सधारा॥ ७। तब यआस राजा ने यहूयदः याजक का अरू ग्लार याजकों का बला के उन्‍हें कहा कि घर के ट्रारों के क्यों नहों सघधारते हे! से अब अपने अपने जान पहिचानों से रोकड़ मत लेओ परंत उसे घर के ररारों के लिये लांपे॥ झ। ओर याजकों ने लागों से रोकड़ न लेने के! मान लिया कि घर के ररारों का न सघार ॥ 6 । परत यक्ूयटः याजक ने एक मंजषा लिई ओर उस के ठपने पर एक छेट्‌ किया ग्यार उसे बेटी के लग परमेग्वर के मन्दिर में जाने कौ टहिनी ओर रक्‍वा ओर याजक जो छेवढ़ो कौ रक्षा करता था सब राकड के जो परमेग्यर के मन्दिर में लाये जाते थे उस में रखता था ॥ ९०। जैौर एसा था कि जब मंजषा में बहुत राकड़ हे।ता था ता राजा का लेखक ग्यार प्रधान याजक आके रोकड़ का थैलियां में बांघते थे और उस राोकड़ का जो परमेग्यर के मन्दिर में पाते थे गिनते थे ॥ ९९ । और वे उप गिने हुए रोकड़ का उन के हाथ में देते थे जो काम करते थे जा ईयर के मन्दिर पर करोड़े थे और वे बढ़इयां का गैर थबइयो के जो परमेश्वर के मन्दिर का काम बनाते थे। ९२। और पत्थरियों के और पत्थर के गढ़वैयां के और लट्ढे और ढाए हुए पत्थर के लिये उठान करते थे जिसत परमेग्वर के मन्दिर के ट्रारों का सधारें ओर सब के लिये जा घर के सघारने के लिये उठाये जाते थे। ५३। तथापि उस रोकड़ से जा परमेग्वर के मन्दिर में आता था परमेग्यर के मन्दिर के लिये चांदी के कयारे ओर कतरनियां और थालियां और तरूचहियां काई सेने का पात्र अथवा चांटौ का पात्र नहों बनाया गया॥ ९४। परंत बनिहारों का दते थे और छस्म परमेग्पर के मन्दिर के सघारते थे॥ १५५ । झऔर जिनके हाथ राकड़ के बनिहारों के लिये सॉंपते थे वे उन से लेखा न लेते थ क्योंकि वे सच्चाई से उठाते थे। १५६ । अपराध के राोकड़ ओर पाप के राकड़ परमेच्र के मन्दिर में न लाते थे परंत वे याजक के थे। ९७। उसौ समय अराम का राजा हजाएल चढ़ गया जओर जअत से लड़के उसे ले लिया और फिर यरूसलम की ओर फिरा कि उसे भों लेवे। १५८:। तब यहूटाह के राजा यआस ने समस्त पवित्र किई गई बस्तें जा उस के पितर यक्सफत ओर यराम और पूछ राजावलौ [९१३ पब्ब अखजयाह यहूदटाह के राजाओं ने भेंट चढ़ाई थों और उस की अपनी पवित्र किई हुई बस्त उस सब सोने समेत जो परमेग्यर के मन्दिर के भंडारों और राजा के भबन में पाया गया लेके अराम के राजा हजाएल पास भेजो तब वह यरूसलम से चला गया॥ २८। और यआस की रहो हुई क्रिया और सब कुछ जा उस ने किया सो क्या यहूदाइह के राजाओं के समयों के समाचार कौ पुस्तक में लिखा हुआ नहीं है| २० । तब डस के सेवकों ने उठ के य॒क्ति बांघी और युआस के मिल्लो के घर में जे सिल्ला का उतरता क्षे घात किया॥ २१ । ग्यार सिमआत के बेटे यजकर ओर सामिर के बेटे यक्लजबद उस के सेवकों ने उसे मारा ओर वचह् मर गया ओर उन्‍्हों ने उस के पितरों के सग टाजद के नगर में डसे गाड़ा और उस का बेटा अमसियाह डस की सनन्‍्ती राज्य पर बैठा । कर ह ३ ९६३ तेरहवां पब्ड । हृटाह के राजा अखजुयाह के बेटे युआस के तेईंसवें बरस याक् के बेटे यछुअखज ने समरून में इसराएल पर राज्य करना आरंभ किया और सत्रह बरस राज्य किया॥ २। ओर उस ने परमेग्यर को दृष्टि में बराई किई ओर नबात के बेटे यरुबिआम के पापों का पौछा किया जिस ने इसराएल से पाप करवाया वह उन से अलग न हुआ ॥ ३। तब परमेगख्र का क्राध इसराएल पर भड़का ग्यार उस ने उन्‍हें अराम के राजा हजाएल का और हजाएल के बेटे बिनहट्द के उन के जीवन भर सोंप दिया। ४। और यहूअखज ने परमेश्वर को बिनती किई ओर परकमेम्थर ने उस को सुनो इस लिये कि उस ने इसराएल का सताय जाना टेखा क्योंकि अराम का राजा उन्‍हें सताता था ॥ ५ | [और परमेग्वर ने इसराएल के। एक उद्बारक दिया यहां ला कि वे अरामियों के बश से निकल गये और इसराएल के सनन्‍्तान आगे की नाई अपने अपने डेरों में रहने लगे॥ ६। तथापि उनन्‍्हां ने यरुबिआम के घर के पापों के। न छाड़ा उस ने इसराएल से पाप करवाया परंतु उसौ चाल पर चलता रहा और समरून में भी कुंज बना रदहा]॥ ७। और उस ने लागें में से किसो के यहूअखज के साथ न छोड़ा परंत पचास घोड़ १६३ पब्ब] कौ २ पस्तक । प्‌ < चढ़े ओर ट्स रथ ओर ट्स सहस्त पगइनत क्योंकि अराम के राजा ने उन्हें नाश किया ओर उन्‍हें पोट पीट के धूल को नाई बनाया॥ ८। अब यक्लअखज को रही हुई क्रिया और सब जे उस ने किया और उस का पराक्रम क्या इसराणल के राजाओं के समये के समाचार कौ पस्तक में नहों लिखा क्षे। <। ओर यहूअखज ने अपने पितरों में बिश्राम किया गऔर उन्‍हें ने उसे समरून में गाड़ा तब उस का बेटा यह्तआएश उस की सन्‍्ती राजा हुआ॥ २९०। ओर यहूदाह के राजा यआस के सेंतीसव बरस यहअखज का बेटा युआस समरून में इसराएलियां पर राज्य करने लगा सोलह बरस उस ने राज्य किया॥ १५९। ओर उस मे परमेग्यर को दृष्टि में बराई किई ओर वह नबात के बेटे यरुबिआम के सारे पापों से अलग न हुआ जिस ने इस राएलियां से पाप करवाया वह उस में चलता था॥ २९२। गओऔर यआस की जडबरी हुई क्रिया ओर सब जो. उस ने किया ओर उस का पराक्रम जिस्मे यकूटाह के राजा अमरसियाह के बिराध में लड़ता था सो क्या इसराएल के राजाओं के समयों के समाचार कौ पस्तक में नहीं लिखा क्े॥ २३। और यआस ने अपने पितरों में शयन किया और यरूुबिआम उस के सिंहासन पर बैटा और युआस समरून में इसराएल के राजाओं में गाड़ा गया ॥ १४। अब इलौसाअ एक रोग से रोगी पड़ा जिसमे वुह्द मर गया,और इसराएल का राजा यूुआस उस पास उतर आया ओर उस के मंह पर रोके कहा कि हे मेरे पिता हे मेरे पिता हे इसराएल के रथ और उस के घेड़ चढ़ ॥ ९५५ । ओर इलौसाअ ने उसे कद्दा कि घनुष बाण अपने हाथ में ले और उस ने घनुष बाण लिये ॥ १६ । फिर उस ने इसराएल के राजा के कहा कि घनुष पर हाथ धर उस ने घरा ओर इलोस,अ ने राजा के हाथ पर अपना हाथ रकवा ॥ ९२७। ओर उसे कहा कि पे को ओर को खिड़की खाल से। उस ने खालो तब इलीसाअ ने कहा कि मार और उस ने मारा तब उस ने कहा कि यह परमेग्वर के बचाव का बाण और अराम से बचाव का बाए है क्यांकि त्‌ अरामियां का अफौक्‌ में एसा मारेगा कि उन्हें मिटा डालंगा॥ १८। फिर उस ने उसे कहा कि बाएणां का ले ओर उस ने लिया तब उस ने इस राएल के राजा से कद्दा कि भूमि ७६ ० राजावलोौ [१३ पब्बे पर बाण मार ओर वुच्द तौन बेर मार के रहि गया॥ १५८। तब इंस्र के जन ने उस्म क्रद् हे। के कहा उचित था कि पांच अथवा कः बर मारता तब त॑ अरामियां का यहां ला मारता कि उन्‍हें मिटा डालता परन्त अब ता त अरामियों का तीन बेर मारेगा॥ २०। तब इलौोसाअ मर गया और उन्हें ने उसे गाड़ा ओर बरस के आरंभ में मेअबियां की जथाओं ने देश के घेर लिया। २९। ओर एसा हुआ कि जब वे एक जन का गाड़ते थे तो क्या ट्खते हैं कि एक जथा तब उन्हें ने उस म्हतक केा इलीसाअ को समाधि में फेंका ओर वह गिरा और इलौसाअ की लेथ पर पड़ा और वह जी उठा और अपने पांव से खड़ा हे! गया॥ २२ । परन्त अरामका राजा हजाएल यह्ूखअज के जौवन भर इस राएलियों के सताता रहा॥ २३। ओर परमेश्वर ने उन पर अनुग्रह किया और उन पर ट्याल हुआ ओर उस ने अबिरहाम ओर इजह्दाक ओर यअकब सेअपनो बाचा के कारण सुधि लिई ओर उन्‍हें नाश करने न चाहा और अपने आगे से अब लो ट्र न किया॥। २४। से अराम का राजा हजाएल मर गया ओर उस के बेटे बिनहद्ट ने उस की सनन्‍्तो राज्य किया ॥ २५ | ओर यहूअखजु के बेटे युआस ने हजाएल के बेटे बिनहदद के हाथ से उन नगरों के फेर लिया जा उस ने उस के पिता यहूअखज से लड़ाई में लिथे थे और यूआस ने उसे तौन बर मारा और इसराए- लिये के नगर फर लिये। ५४ चोदटहवां पत्ये । सराएल के राजा यहूअखज के बेटे णआस के राज्य के दूसरे लैस यहूटाह के राजा यक्तआश का बेटा अमसियाह राजा हुआ ॥ २ । जब वह राज्य करने लगा तो पचौस बरस का था ओऔर उस ने यरूसलम में उनतौस बरस राज्य किया जऔऔर उस की माता का नाम यह अइहान यरूसलमी था ॥ ३ । ओर उस ने परमेग्वर की दृष्टि में भलाई किई तथापि अपने पिता दाऊद के समान नहों परंत उस ने सब कुछ अपने पिता यआस को नाई किया॥ ४। तथापि ऊंचे स्थान टूर न किये गये अब लो लाग ऊंचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाते थे और स॒गन्ध जलाते थे । ५ २००००», ९ ४ पब्बे ] कौ २ पस्तक। ७६१९ ५ । ग्रार यों हुआ कि ज्यों राज्य उस के हाथ में स्थिर हुआ त्यों उस ने अपने सेवकों का मार डाला जिन्‍्हां ने उस के पिता राजा का मार डाला था॥ ६। परत घातकों के सन्‍्तानां का घात न किया जेसा कि मसा को ब्यवस्था की पस्तक में लिखा है जिस में परमेग्वर ने यह कहके आज्ञा किई थौ कि बालके के कारण पिता मारे न जायें और न पितरों के कारण बालक परंत हर एक जन अपने हौ पाप के कारण मारा जायगा॥ ७। ओर उस ने नन की तराई में ट्स सहस्त अट्टमी के घात किया और सिला के लड़ाई में ले लिया ओर उस ॥ नाम आज ला यकतिएल रक्‍खा॥ ८। तब 5मसियाह ने याकह्ल राजा के बट यक्तअखज के बेटे यहक्अस पास यह कहके ट्ृरत भेजा कि आ एक दूसरे के मंह परस्पर ट्खे॥ €। सो इसराएल के राजा यहअस ने यहूटाह के राजा अमसियाह का कहला भेजा कि लबनान वी भटकटेया ने लबनान के आजे छक्ष से कहला भेजा कि अपनो बंटी मेरे बट से ब्याह टे पर लबनान के एक बनेले पश ने उघर से जाते जाते उस भरकट या के लताड़ा ॥ १५० । निश्यय त ने अट्टम के मारा है ओर तेरे मन ने तस्कते उभारा हे बड़ाई कर ग्रार घर में रह जा अपनी घटती के लिये क्यां छेड़कि त अधात यहूद्ाह समेत घस्त हे।वे ॥ ५२९ | परंत अमसियाह ने उस की न सनौ इस लिये इसराएल का राजा यहूअस चढ़ गया उस ने ओर यहटाह के राजा अमसयाह ने बतशमण में जा यह्ूदाह का है परस्पर मंच ट्खा ॥ १५२। से यक्ूटाह का राजा इसराएल के आगे घस्त हुआ जऔ्र उन में से हर एक अपने अपने तंब के भागा ॥ १५३। ओर इसराएल के राजा यकअस ने अखजयाह के बटे यह्अस के बट यकूद्ाह के राजा अमसियाह का झैतशमश में पकड़ लिया और यरूसलम में आया ओर यरूसलम की भौत इफरायम के फाटक से लेके काने के फाटक ले! चार से हाथ ढ़ा दिई ॥ ९४। ओर उस ने सारा सेना और चांदी ओर सारे पात्र जा परमेम्रर के मंहिर मेंल्क्रेर>राजा*«के भंडारो में पाये ले लिये और जले: <बेके समरून के फिर गय॥ ९५ । अंब यक्अस की रही हुई क्रिया और उस का पराक्रम कि व॒ृह यहक्दाह के राजा अमसियाह से क्यांकर लड़। से क्या इसराएली राजाओं के समय के समाचार की पुक्तक में लिखा 96 30% 8, रन] राजावलों [१४ पबत्बे हुआ नहों हे ॥ ९६। और यहूअस ने अपने पितरों में शयन किया और इसराएलौ राजाओं के संग समरून. में गाड़ा गया ओर' उस के बरटे यरूुबिआम ने उस कौ सन्तो राज्य किया॥ १९५७। ओर यहूटाह के राजा युआस का बेटा अमसियाह इसराएल के राजा यहूअखज के बेटे यह्अस के मरने के पीछ पन्ट्रह बरस जौया॥ ९८। ओर अमसियाह की रही हुई क्रिया क्या यक्ूदाह के राजाओं के समयां के समाचार की पुस्तक में लिखी हुई नहीं है॥ १५८ । अब उन्‍्हां ने यरूसलम में उस के विरोध में य॒क्ति बांधी तब वह लकौस के भाग गया फिर उन्‍्हों नें उस के पीछे लेग लकीस में भेज और वहां उसे मार डाला॥ २०। और वे उसे चाडां पर लाये और टाऊट के नगर में यरूसनन्‍्तम -में उसके पितरों के संग गाड़ा॥ २१ । तब यहूद/ह के सारे लागों ने अजारयाह के [जो सेलह बरस का था] लेके उस के पिता अमसियाह कौ सन्तो राजा किया॥ २२। उमर ने एलात का नगर बनाया ओर यहूदाह में मिला टिया उस के पीछे राजा ने अपने पितरों में शबन किया। २३। और यहूदाइ के राजा यआस के बेटे अमसियाह के पन्दरहव बरस इसराएल के राजा यक्आस का बेटा यरुबिआम समरून में इस राएल के सनन्‍्तान पर राज्य करने लगा उस ने एकतालीस बरस राज्य किया ॥ २४ | ज्यार उस ने परमेश्वर कौ दृष्टि में बराई किई और नबात के बेटे यरुबिआम के सारे पापों के कारण जिस ने इसराएल से पाप करवाया छोड़ न ट्या ॥ २४५ | ओर उस ने हमात कौ पैठ से लेके चागान के समुद्र ला इसराएल के इंअर परमेग्रर के बचन के समान जा उस ने अपने सेवक जअतहिफर के भविव्यद्क्ता अमित्ते के बेटे यन के द्वारा से कहा था उस ने इसराएल के सिबवाने का फेर दिया॥ २६ । क्यांकि परमेग्र ने इसराएल के कष्ट का देखा कि अति है क्यांकि न काई बंधन में था न काई छाड़ा गया और न काई इसराएल का रक्षक था॥ २७। और परमेम्वर ने यह न कहा था कि में खगे के नीच से इसराएल का नाम मिटा- ऊंगा परतु उस ने उन्हें यहूअस के बेटे यरुविआम के द्वारा से बचया॥ श८। ओर अब यरुविआम को रही क्रिया आर सब जो उस ने किया और उस का पराक्रम कि क्योंकर लड़ा और दमिशक का और यहरटाह ९५ प्ले] कौ २ पस्तक ॥ ७६8 के हमात का इसराएल के लिये फर टिया सो क्या इसराएलो राजाओं के समयां के समाचार कौ पुस्तक में लिखा हुआ नहीं है ॥ २९। और यरूबिआम ने अपने पितरों में अथेतत्‌ इसराएली राजाओं के संग शयन किया और उस के बेटे जकरियाह ने उस की सनन्‍्ती राज्य किया। है र ४ "0 २५ पंट्रहवां पब्थ । सराएल के राजा यरुबिआम के सताईसवं बरस यहकूदाह के राजा अमसियाह का बेटा अजरियाह राज्य करने लगा॥ २। जब वह राज्य पर बेठा ता सोलह बरस का था उस ने यरूसलम में बावन बरस राज्य किया उस कौ माता का नाम यक्ल्लियाह था जा यरूसलम थी ॥ ३। उस ने अपने पिता अमसियाह की सारी क्रिया के समान परमेग्र की दृष्टि में भलाई किई॥ ४। परंतु केवल यह कि ऊंच स्थान ट्रर न किये गये और लाग अब लो ऊंच स्थानों पर बलिटान चढ़ाते और घप जलाते थे ॥ ५ । और परमेश्वर ने राजा के मारा कि व॒ुच्द मरने के टन लो कोढ़ी रहा ज र घर में अलग रहता था और उस का बेटा यताम घर का अध्यक्ष था ओर देश के लागेर का न्याय किया करता था॥ ६ । और अजरियाह को उबरी हुई क्रिया ओर सब जो उस ने किया सो क्या यहूदाह के राजाओं के समयों के समाचार कौ पुस्तक में लिखा नहीं है॥ ७। से अजरियाह ने अपने पितरों में शवन किया और उन्‍हें ने दाऊद के नगर में उस के पितरों के संग उसे गाड़ा और उस के बेटे यताम ने उस को सन्‍्ती राज्य किया ॥ ८। और यहूदाह के राजा अज॒ रियाह के अठतौसवें बरस यरुबिआम के बेटे जकरियाह ने इस राएल पर समरून में छः मास राज्य किया ॥ ६ । ओर उस ने अपने पितरों के समान परमेग्यर कौ दृष्टि में बुराई किई और नबात के बेटे यरुबिआम के प.पें से ज्ञिख ने इसराएल से पाप करवाया अलग न हुआ ॥ ९५०। ओर बबौस के बेटे सलम ने उस के बिराोध में यक्ति बांघके ला!गां के आगे मारा ओर उसे घात किया ओर उस की सनन्‍्तो राज्य किया।॥ १५९। और जकरियाह को उबरो हुई क्रिया क्या इसराएल क राजाओं के समयां के समाचार की पुस्तक में नहों लिखों ह्ै॥ ९२२। ओर परमेग्वर का यह बचन हेजों 3६ ४ राजावली [५५ पब्च बह याह्ल से कहके बेला कि तेरे बट चौथी पीढ़ौ लें इसराएल के सिंहा- सन पर बैठग वैसा हो सपर्ण हुआ ॥ ९३। यहूटाचह के राजा उज्जियाह के राज्य के उंतालीसवं बरस यबौस के बेटे सलूम ने राज्य करना आरंभ किया ओर उस ने समरून में एक मास भर राज्य किया॥ १५४। क्योंकि जही का बेटा मुनहिम तिरजः से समरून पर चढ़ आया ओर यबौस के बेटे सलूम के! समरून में मारा और उसे घात करके उस की सनन्‍्तो राज्य किया॥ ९५ । ओर सलम को रही हुई क्रिया और उस कौयक्ति जा उस ने बांधी से क्या इसराएलो राजाओं के समयां के सामाचार की पस्तक में नहों लिखी हु॥ २९५६। तब मनहिम ने तिफसह का उन सब समेत जा उस में थे तिरजः से लेके उस के सिवाने ला मारा इस कारण कि उन्‍्हों ने उस के लिये न खोला इस लिये उस ने मारा ओर उस में की सारी गर्भिणी स्त्रियां का पेट फाड़ा॥ ६५७। यहूटाह के राजा अजरियाह के उनतालौसव बरत जहो के बेट मनहिम ने इसराएल पर राज्य करना आरंभ किया उस ने समरून में ट्स बरस राज्य किया॥ १९५८। ओर परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई और नवात के बेटे यरुबिआम के पापों के। जिस ने इस राएल से पाप करवाया अपने जीवन भर न छाड़ा॥ २९८। तब असू रियो का राजा फूल देश के विरोध में चढ़ आया और मनहिम ने चालौस लाख रुपये के लग भग फूल का दिया जिसतें उस का साथों हाके उस का राज्य स्थिर करे। २०। और मनहिम ने यह रोकड़ इसराएल से काढ़ा अथात हर एक धनी से पचास शैकल चांदौ लिई और असरियों के राजा के टिया से। असरियां का राजा फिर गया और टेशमेंन ठहरा॥ २९५। और मनहिम कौ रही हुई क्रिया ओआर सब जा उस ने किया से क्या इसराएलौ राजाओं के समयां के समाचार को पुस्तक में नहीं लिखा हें। २२। ओर मुनहिम ने अपने पितरों में शयन किया और उस के बट फिक्दियाह ने उस कौ सन्तों राज्य किय:॥ २३। ओर यहूदाह का राजा अजुरियाह के पचासवे बरस मनहिम का बेटा फिकहियाह समरून में इसराएलियों पर राज्य करने लगा उस ने दो बरस राज्य किया | २४। ओर परमेश्वर को दृष्टि में बुराई किई उस १५ पब्बे] को २ पस्तक। प्‌ ने नबात के बंटे यरुबिआम के पापों का जिस ने इसराएल से पाप करवाया छाड़ न टिया॥ २४ । परन्त उस के सेनापति रमलियाह के बटे फिकः ने उस के बिरुड्र यक्ति बांधो ओर उसे समरून में अरजब ओर अरिया जर जिलिअदी पचास मनव्यां समेत राजा के भवन में मारा और उसे घात करके उस कौ सन्‍्तो राज्य किया ॥ ९६। ओर फिक्दियाह की रही हुई क्रिया ओर सब जो उस ने किया से क्या इसराणएल के राजाओं के समयां के समाचार कौ पस्तक में नहों लिखा क्षे॥ २७। यहूदाह के राजा अजु रियाह के बावनवें बरस में रमलियाह का बेटा फिक॒ः समरून में इसराएल पर राज्य करने लगा और उस ने बौस बरस राज्य किया॥ २८। ओर उस ने परमेश्वर की दृष्टि में बराई किई ओर नबात के बेटे यरुबिआम के पापें से जिस ने इसराएल से पाप करवाया अलग न हुआ॥ २८। इूसराएल के राजा फिकः के दिनों में असर के राजा तिगलतपिलासर ने आके ओयन का ओर अबीलबैतमञअकः के ओर यनहा का और काटिस के ओर हसर के! ओर जिलिअद के ओर जलौल का ओर नफूतालौ के सारे दृश के लेके उन्हें असर के। बंघुआई मेंले गया॥ ३०। ग्यार एला के बंट कृूसोअ ने रमलियाह के बटे फिक्‌ः के बिरुड्ट में युक्ति बांधके उसे मारा आर घात करके उज्जियाह के बेटे यूताम के बौसवें बरस उस कौ सनन्‍्तों राज्य किया॥ ३९। ओर फिकः कौ रहो हुई क्रिया और सब जो उस ने किया से! क्या इसराएल के राजाओं के समयां के समाचार कौ पुस्तक में नहों लिखा हे॥ ३२। और इसराएल के राजा रमलियाह के ५टे फिकः के टूसरे बरस यहदाह के राजा उच्जियाह का बेटा यूताम राज्य करने लगा॥ ३३। जब उस ने राज्य करना आरंभ किया ता वह पचौस बरस का था उस ने सेल बरस यरूसलम में राज्य किया उस कौ माता का नाम यरूसा था जो सट्टक की बेटी थी॥ ३४। उस ने परमेग्वर को हष्टि में भलाई किई और जे कुछ किया से अपने बाप उज्जियाह के समान किया॥ ३५। तथापि ऊंचे स्थान अलग न किये गये ओर अब लो लाग ऊंचे स्थानें पर बलि चढ़ाते ग्यार धप जलाते थे और उस ने परमेग्वर के मन्दिर का ऊंचा फाटक बनाया ॥ ३६ । अब युताम कौ रही हुई क्रिया और सब जो ७६ ६ शाजावलो [९ ६ पब्बे उस ने किया से। क्या यहटाह के राजाओं के समयां के समाचार की पुस्तक में नहीं लिखा हे। ३७। उन्हीं दिनों में परमेश्वर ने अराम के राजा रसौन के। ओर रमलियाह के बेटे फिकः के! यहूदाह पर भेजा ॥ |] ञ्यै प््छ चर प्र 2300 किक 9 २ ३८। ओर युताम ने अपने पितरों में शयन किया और अपने प्ति दाऊद के नगर में अपने पितरों में गाड़ा गया और उस का बेटा आखज उस की सन्ती राज्य करने लगा ॥ ९६ सेलहवां पतब्षे ॥ 5 छ रमलियाह के बेटे फिकः के राज्य के सवहवें बरस यह्ूदाह के राजा यूताम का बेटा आखज राज्य करने लगा ॥ २। जब आखज राज्य करने लगा तब वुच् बौस बरस का था और उस ने सेलह बरस यरूसलम में राज्य किया ओर उस ने परमेश्वर अपने इं ग्वर की दृष्टि में अपने पिता दाऊद के समान भलाई न किई ॥ ३ । परन्तु व॒ह्द इसराएल के राजाओं की चाल पर चलता था ओर उस ने अन्यदेशियों के घिनितों के समान जिन्हें परमेग्वर ने इसराएल के सनन्‍्तान के आगे से दूर किया था अपने बंटे के! आग में से चलाया ॥ ४। गरर ऊंचे ऊंचे स्थानों और पहाड़ों पर ओर हर एक हरे पेड़ के नीचे बलि चढ़ाये और घूप जलाये॥ ५। तब अराम के राजा रसौन ओर इसराएल के राजा रमलियाह का बेटा फिकः यरूसलम पर लड़ने चढ़े ओर उन्हें ने आखज के घेर लिया परन्त जीत न सके॥ ६। उसी समय अराम के राजा रसौन ने समरून के लिये अलात फेर लिया ओर यह्ूटियां के! लात से खेद दिया और अरामी औलात के आये ओर आज लो उस में बस्ते हें ॥ ७। और आखज ने असूर के राजा तिगलतपिलासर पास टूत के द्वारा से कइला भेजा कि में तेरा सेवक और तेरा बेटा से। आ ओर मुस्मे अराम के राजा के हाथों से और इसराएल के राजा के हाथ से जा मस्त पर चढ़ आये हैं छडा॥ ८। और आखज ने सेना चान्दी जो परमेश्र के मन्दिर में ओर राजा के घर के भंडारों में था लेके अरूर के राजा के लिये भेंट भेजी ॥ <। ओर असर के राजा ने उस का बचन माना क्यांकि असर का राजा ट्मिशक के बिराघ में चढ़ गया और उसे ले लिया और ९ ६ पब्य) को २ प॒स्तक | ७६७ वहां के लागें के बंघुआ करके कौर में लाया और रसौन के! मार डाला॥ २९०। तब राजा आखज अरूर के साजा तिगलतपिजासर से भेंट करने दमिशक के गया ओऔ।र द्मिशक में एक बेदौं देखो और आखज राजा ने उस का डाल ओर दृष्टान्त उस के समस्त काव्येकारी के लमान ऊरियाह याजक के पास भेजा॥ १५१५। से जरियाह याजक ने उन सभों के समान जे। आखज ने ट्मिशक से भेजा था एक बेदी बनाई और आखज्‌ राजा के ट्मिशक से आते आते ऊरियाह याजक ने बेदी का सिद्ट किया॥ १५२। गजर जब राजा ट्मिशक से आया तो राजा ने बंदौ के देखा और राजा बेदी पास गया ओर उस पर चढ़ाया ॥ १५३। और उस ने अपनी हेम की भंट ओर मांस की भेंट चढ़ाई और पीने की भेंट उस पर ढाली और अपने कुशल कौ भेंट का लेाह् बेटी पर छिड़का॥ ९४ । और उस ने पीतल की उस बेदी के जे परमेग्थर के आगे थी घर के साम्ने से अथात बेदी के और परमेगशर के घर के मध्य से लाके बेदी के उत्तर अलंग रक्खा॥ ९५ । और राजा आखज ने ऊरियाह याजक के आज्ञा करके कहा कि विहान के हे की भेंट और सांम्क के मांस कौ भेंट और राजा के हाम के बलिदान और उस के मांस की भेंट और ट्श के सारे लागों के हाम कौ भेंट समेत और डन के मांस को भंट और उन के पीने की मेंट जलाव और हेम को भेंट के सारे लाक्न गैर बलिदान के सारे लाह् उस पर छिड़क ओर पीतल कौ बदो मेरे ब॒म्कने के लिय होगी॥ ९६। यों ऊरियाह याजक ने आखज राजा की आज्ञा के समान सब कुछ किया ॥ ९५७। और राजा आखज ने आधार के कारों के काट डाला और उन पर के स्नान पात्र के। अलग किया और सम॒द्र के पौतल के बेलां पर से उतार के बिछे हुए पत्थरां पर रक्वा॥ १५८। और विश्राम की छत के जो उन्‍हें ने घर में बनाई थी ओर राज! के पेठ के बःहर बाहर अरूर के राजा के लिये उस ने परमेश्वर के मंदिर से बाहर किया ॥ ९६ ॥ अब आखज की रही हुई क्रिया जा उस ने किई से क्या यहृदाह के राजाओं के समयों के समाचार कौ पस्तक में लिखी नहीं हैं ॥ २०। और आखज ने अपने पितरों में शयन किया और अपने पितरों के संग दाऊद के नगर में गाड़ा गया ओर उस का बेटा हिजुकियाह उस की सनन्‍्तौ राज्य पर बैठा ॥ ७६ प्र राजावली (९७ ष्यब्ब १७ सच्नहवां पब्ब। ए< कल के राजा आखज के बारहवें बरस एला का बंटा कृतोअ समरून में इसराएल पर राज्य करने लगा उस ने नव बरस राज्य किया॥ २। ओर उस ने परमेश्वर की दृष्टि में ब्राई किई परंतु इसराएल के राजाओं के समान नहों जा उर्म आगेथ॥ ३। अरूर का राजा शलमनाजर उस के बिराघ में चढ़ आया और हकसीअ उस का सेवक हे के उसे भेंट टेनेलगा॥ ४। ओर अछर के राजा ने हूसीअ में बेर की युक्ति पाई क्योंकि उस ने मिस्र के राजा पास टूतों के भेजा था और जेसा वह बरस बरस करता था अछूर के राजा के पास भेंट न भेजी इस लिय असर के राजा ने उसे बन्चन में किया और बन्‍्दौगह में डाला॥ ५। तब अरूर का राजा सार ट्श पर चढ़ गया औएर समरून पर आके तौन बरस उसे घेरे रहा ॥ ६€। ओर हूसीअ के नत्रे बरस में अरूर के राजा ने समरून के ले लिया और इसराएलियों के अरूर में ले गया और उन्हें खलह ओर शबर में जाजाव नदौ के पास और मादियों की बस्तो में बसाया॥ ७। क्यांकि इसराएल के सन्तान ने परमेमस्वर अपने ई स्वर के बिरोघ में जिस ने उन्हें मिख कौ भूमि में से निकाल के मिख के राजा फ्रिजन के हाथ से मुक्ति दिई पाप किया अरू ओर दवें से डरता था | ८। और अन्यटेशियाों की विधिन पर [जिन्हें परमेग्वर ने इसराएल के सन्‍्तान के आगे से टूर किया था] ओर इसराएली राजाओं के जो डन्‍्हों ने किई थीं चलता था॥ 4। जार इसराएल के सनन्‍्तानों ने परमेग्वर अपने इंम्र के बिरुद़् छिप छिप के ठीक न किया श्यार उन्हों ने अपन सारी बस्तियां में पहरू के गगेज से लेके बाड़े के नगर लॉ ऊंच ऊंचे स्थान बनाये॥ ५ ० | और हर एक पहाड़ पर और हर एक हरे पेड़ के नौचे मत्ते स्थापित किई॥ १५५। और कंज लगाय ओर अन्यदेशियां के समान जिन्हें परमेग्वर मे लन के आग से ट्वर किया सारे ऊंच स्थान में घप जजाये ओर दुष्टता करके परमेश्वर के रिस दिलाया॥ १२। क्योंकि उन्‍्हों ने मन्ति पजौ जिन के बिषय में परमेश्वर ने उन्हें कहा था कि तम यह काम मत कौजिया ॥ ९३ । तद भौ परमेसखर ने सारे २७ पब्चे] कौ २ पस्तक । ७६८ भविव्यदक्तां और सारे दर्शियां के द्वारा स इसराएल के सनन्‍्तान पर और यहूटाह के सनन्‍्तान पर यह कहके साच्छी टिई कि अपने ब्रे मागों से फिरो गर मेरो आज्ञाओं जैर मेरो बिधिन के सारी ब्यवस्था के समान जो में ने तुम्हारे पितरों के आज्ञा किई ओर जिन्हें में ने अपने सेवक भवि्यद्धक्तों के द्वारा से तुम पास भेजा पालन करो॥ ९४। तथापि उन्‍्हों ने न माना परन्त अपने पितरों के गले के समान जे परमेप्यर अपने इं श्वर पर बिगश्वास न लाये थे अपने गले के कठार किया ॥ ९५ । और उन्‍हें ने उस की बिधिन के और उस की बाचा के! जे! उस ने उन के पितरों से किई ओर उस की सादियों के जो उस ने उन के बिरोघ में साक्षों टिईंथीवव्याग किया और ब्यथ का पीछा किया और ब्यथ हाके अपने चारों ओर के अन्यटृशियों का पीछा किया जिन्हे परमेश्वर ने उन्हें चिता रक्वा था कि तुम उन के समान मत कौजियो ॥ ९६। और उन्‍हें ने परमेश्वर अपने ईम्वर की आज्ञाओं के छोड़ टिया और अपने लिये ढाली हुई मत और दो बछियां बनाई और एक कुंज लगाया और आकाश कौ सारी सेना कौ पजा किई ओर बअल कौ सेवा करते थे। २७। ओर उन्‍हें ने अपने बेटों के और अपनी बटियों के आग में से चलाया और आगम कहने और टाना करने लगे परमेग्घर की दृष्टि में उसे रिसियाने के लिय ओ।र बराई करने के लिये आप के बेचा॥ ९५८। इस लिये परमेम्वर इसराएन पर निपट रिसाया ओआर उन्हें अपनी दृष्टि से अलग किया ओर केवल यहकूटाह की गाछी के छाड़ कोई न छटा॥। ९९। ओर यहूद्ाह के सन्तान ने भी परमेश्वर अपने ईस्वर को आज्ञाओं के पालन न किया परन्तु इसराएलियां कौ किई हुई बिघिन पर चलते श्रे॥ २०। तब परमेग्वर ने इसराएल के सारे बंश के त्याग किया और उन्‍हें कष्ट दिया औ[र उन्हें लटरों के हाथ में सांप टिया यहां लां कि उस ने उन्‍हें अपनी दृष्टि से टूर किया ॥ २१। क्यांकि उस ने इसराएल का दाऊद के घराने से निकाल दिया और उन्‍्हों ने नबात के बेटे यरुबिआम के राजा किया और यरुबिआम ने इसराएल का परमेम्वर का पोछा करने से ट्वर किया ओर उन से बड़ा पाप करवाया॥ २२ । क्यांकि इसराएल के सन्‍्तान यरुबिआम के किये हुए 97 [4 8, है 2 राजावलो (१५७ पब्बे सारे पापें पर चलते थे और वे उन से अलग न हुए॥ २३। यहां लॉ कि परमेश्वर ने इसराएल के अपनी दृष्टि से ट्र किया जैसा उस ने अपने सारे दास भविव्यद्क्नों के द्वारा से कहा था से इसराएल अपने शसे निकाले जाके आज ला अछर में पहुंचाये गथे॥ २४। ओर अस्तर के राजा ने बाबल से और कत से और जया से और हमात से और सिप्रवाइम से लेगां के लाके समरून कौ बस्तियों में इसराएल के सन्तान को सनन्‍ती बसाया ओर वे समरून के अधिकारी हुए गयार उस के नगरों में बसे। २४५ । ओर जब वे आरंभ में वहां जा बसे ता परमेम्र से न डरते थे इस लिये परमेग्वर ने डन में सिंहे। के भेजा और वे उन्‍हें फाड़ने लगे॥ २६। इस लिये यह कहके वे अरूर के राजा से बाले कि जिन जातिगणां का त ने उठा लिया क्षे आर समरून कौ बस्तियों में बसाया हं इस देश के इंग्ंर का ब्यवहार नहों जानते इस लिय उस ने उन में घिंइ भेजे और दखो वे इस कारण उन्हें बधन करते हैं कि वे इस टेश के ई्वर का ब्यवहाार नहीं जानते हैं॥ २₹७। तब अरूर के राजा'[ने यह आज्ञा किईं कि उन याजकों में से जिन्हें तुम वहां से यहां ले आये हे। एक के वहां ले जाओ कि वुच्द जाके वहां रहा करे औ:र उस देश के ईम्र का ब्यवहार उन्‍हें सिखावे॥ र८। तब उन याजके में से जिन्‍्ह वे समरून से ले गये थे एक आया ओर बैतएल में रहा ओर उन्हें परमेग्वर का डर सिखाया॥ २८ । परन्त हर एक जाति ने अपने अपने टेव बनाये और उन्हें ऊंचे स्थानों के घरों में जे। समरूनियों ने बनाये थे रक्वा हर एक जाति अपने अपने रहने के नगरों में ॥ ३०। और बाबल के मनय्यों ने सक्षातबिनात बनाया ओर क॒त के मनव्यां ने नेरगल बनाया और हमात के मनय्याों ने असीमा बनाया॥ ३९ । और अवियों निबहज खैर तरताक बनाये और सफारवियों नेअपने बालकों के अर्रस्थल्क और अट्रस्मलिक सिफार विये के देवें के लिये आग में जला द्या॥ ३२।से वे परमेश्वर से डरे और उन्होंने अपने लिये सब में से ले के ऊंच स्थ/नें का याजक बनाया जा उन के लिय ऊंच स्थानों के घरों में बलिदान चढ़ाते थे। ३३। और वे परमेग्वर से डरते थे और उन जातिगणों के समान जिन्हें वे वहां से ले गय थे अपने हो ढ्वें को सेवा ९८ पब्बे ] कौ २ पस्तक। ७७१२ करते थे॥ ३४। आज के ट्न लॉ वे अगली विधि ओर ब्यवहार पर चलते हैं क्यां क वे परमेम्वर से नहीं डरते और उन की बिघिन पर और ब्यवस्था ओर आज्ञा पर जो परमेग्वर ने यअक़ब के सनन्‍्तान के लिय आज्ञा किई जिस का नाम उस ने इसराएल रक्‍्वा नहाँ चलते॥ ६५॥। जिस्मे परमेम्वर ने एक बाचा बांधी ओऔर यह कहके उन्हें चिताया कि तुम ओर देवों से मत डरा और उन के आगेपणाम मत करो ग्जार उन कौ सेवा मत करो उन के लिये बलि मत चढ़ाओ।॥ ४३६ । परत तम परमेग्घर से जिस ने अपनी बड़ी सामथ्ये से ओर अपनी बढ़ाई हुई भजा से तम्हें मिख के देश से निकाल लाया डरियो तम उसी की सेवा की जियो और उस के लिये बलि चढ़ाइये।॥ ३७। शऔर उन ब्यवहारों गर बिधघिन ग्रार ब्यवस्थे ओर आज्ञा के जे। उस ने तम्हारे लिये लिखबाये तम सदर लो मानियो ओर ज और देवें से मत डरिये॥ ह८। और उस बाचा के जो में ने तम से किई है मत भलिये और और टवों से मत डरिये। | ३८ । परंत परमेश्वर अपने ईश्वर से डरिया ओर वही तम्हारे सारे बैरियां के हाथ से तम्हें छड़ावेगा॥ ४०। तथ।पि उन्‍हें ने न सना परंत अपने अगिले ब्यवहारों पर चलते थे। ४१ । सो इन जाति गएणों ने परमेग्घर का भय न रक्खा और अपनी खादी हुई मत्तां की सेवा किई और उन के लड़के ओ.र उन के लड़के के लड़के भौ अपने पितरों के समान आज के ट्न लॉ करते हें । ९८ अठारहवां पब्बे । सौअ के राज्य के तीमरे बरस यहूदाह के राजा आखज काबंटरा हिजकियाह राजा हुआ॥ २। ओर जब कि वह राजा हुआ तब पचौस बरस का था डस ने उनन्‍तोंस बरस यरूसलम में राज्य किया उस को माता का नाम अबो था जाजकरियाह की बंटो थौो॥ ३। उस ने अपने पिता दाऊद के समान परमेस्पर की दृष्टि में सब बात में भलाई किई ॥ ४ । उस ने ऊंचे स्थानों के दादिया और मत्तों के तोड़ा और क्‌ंजां के। काट 'डाला ओर उस पीतल के सांप के जो मूसा ने बनाया था तोड़ के टुकड़ा टुकड़ा किया क्यांकि इस राएल के सन्‍्तान उस समय लॉं उस के ७७२ राजावलो [१८ पब्ब आगे घप जलाते थे ओर उस ने उस का नाम नेहेस्थान रक्खा॥ ५। और परमेम्वर इसराएल के ईश्वर पर भरासा रखताथा यहां ला कि उस के पीछे यक्नटाह के सब राजाओं में ऐसा कभी न हुआ गैर न उद्पे आगे कोई हुआ था॥ ६॥ क्योंकि वह परमेग्वर से लवलौन रहा और उस के पौछ से अछग न हुआ परंत उस ने उन आज्ञाओं के जो परमेश्वर ने मूसा से किई थी पालन किया॥ ७। और परमेग्र उस के साथ था व॒ह जहां कहीं जाता था भाग्यमान होता था और अरूर के राजा के बिरोध में फिर गया और उस की सेवा न किई॥ ए८। उस ने फिलिस्तियों के अज्जः ले औ।र उस के सिवानें के अन्त ला रखवालों के गगेज से ले के घेरित नगर लां मारा॥ <। ओर हिज॒कियाह राजा के चेथ बरस जा इसराएल के राजा आला के बेटे कृूसीअ के सातवें बरस था यों हुआ कि अरूर के राजा सलमनजुर के बिराघ पर चढ़ आया और उसे घेर लिया। ९०। ओर तीसरे बरस के अन्त में उन्हें। ने उसे ले लिया ओर हिजकियाह के छठवें बरस जे इसराण्ल के राजा कृसीआ का नवां बरस क्षे समरून लिया गया॥ २९१५। ओर अरूर का राजा इसराएलियों के अरूर का ले गया ओर उन्‍हें खलह में और खब्र में जो जाजान को नदी के लग के ओर मार्दियों के नगरों में रकवा॥ २९२। यह इस लिये हुआ की उन्‍्हें। ने परमेम्थर अपने इंश्वर की बात न मानौ परन्त उस की बाचा का और उन सभों के जा परमेग्पर के दास मसा ने कहा था टाल दिया न उस को सनते थेन उस पर चलते थे॥। ९३॥ और हिजकियाह राजा के राज्य के चाट्हव बरस अरूर के राजा ने सनहेरोब यहृदाउह के सारे बाड़ित नगरों पर चढ़ आके उन्‍हें ले लिया॥ १५४॥ तब यहूदाइ के राजा हिजुकियाह ने अरूर के राजा के जो लकौस में था कहला भेजा कि मम्भ से अपराध हुआ अब मस्क से फिर जाइये और जे कुछ त घरेगा में उठाऊगा और उस ने यहूदाह के राजा हिजक्ियाह पर तौन से तोड़ा चांदी और तीस तोड़े सोने टहराये॥ २९५५ । हिज॒कियाह ने सारी चांदो जा परमेग्वर के मन्दिर में और राजा के घर के भंडारो में पाई गई डसे दिई॥ २९६। उस समय हिजुकियाह ने परमेश्वर के मन्दिर १८ पब्ले ] कौ २ पस्तक। ७७३ के द्वारों का आर खंभां पर का सेना जा यहूटाह के राजा हिजकियाह ने उन पर मढ्ा था काट काट के असर्ूर के राजा का दिया ॥ ९७। तब अरूर के राजा ने तरतान का ओर रबपारीस का गर रब्बसाकी का लकीस से भारी सेना सहित यरूसलम के बिराघ में भेजा और वे चह् ओर यरूसलम के आये और आके ऊपर वंड के पनाले के लग जो घोबी के खत के मागे में है खड़े हुए ॥ १९८। ओर जब उन्‍्हों ने राजा का बुलाया तब खिलकियाह का बेटा इलयकौम जो घराने पर था और शबना लेखक और आसफ का बट युश्रखू स्वारक उन पास आय ॥ २९८। तब रब्बसाकी ने उन्हें कहा कि तम हिज॒कियाह से कहे कि महाराज अरूर का राजा यां कहता है कि वह क्या आसरा क्ञषे जा त रखता है॥ २०। त होंठां कौ बात कहता हु किममक में परामश झैर यड़ का पराक्रम है से अब त किस पर भरोसा रखता क्षे कि मर से फिर जाता हु ॥ २९ । अब टेख त्‌ उस मसले हुए सठ के दंड पर अधथात मिस्र पर भरोसा रखता हे यटि कोई उस पर ओएंगे तो वह उस के हाथ में गड़ जायगा और उसे बेघगा से। मिस्खव का राजा फिरऊन उन सब के लिये जा उस पर भरोसा रखते हें ऐसा ही है ॥ २२। परनन्‍्त दित मस्क कहे कि हमारा भरोसा परमेम्वर अपने इंग्यर पर ही क्या वही नहीं जिस के ऊंचे स्थानों के! और जिस की बे द्यिं के हिज॒कियाह ने अलग किया और यहतट्ाह और यरूसलम के। कह। है कि तम यरूसलम में इस बेटों के आगे सेवा करो॥ २३ । अब अरुूर के राजा मेर प्रभ का ओजल टौजिये ओर में तस् दो सहख घोड़े देऊंगा यदि तस्कर में यह शक्ति हे।कित चढ़वेयें का उन पर बेठावे।॥ २४। से किस रौति से त मेरे प्रभ के सेवकों में से सब से छाटे प्रधान का मंह फेरेगा ओर मिस्र पर रथों के ओ,्और घे।ड़चढ़ां के लिये भरोसा रक्वे॥ ३५ । अब क्या में इस स्थान के नाश करने के बिना परमेग्वर के आया हूं परमेग्वर ने मुस्‍्ते कहा कि उस देश पर चढ़ जा ओर उसे नाश कर ॥ २६। तब खिलकियाह का बेटा इलबयकौम ओर शबना ओर युअख्‌ ने रब्बसाकी से कहा कि में तेरी बिनती करता हूं कि अपने टासे से अरामी भाषा में कहिये क्योंकि उसे हम समभते हें और यह्ूदटियां कौ भाषा में हम से ७४ राजावली [१५८ पब्बे भौत पर के लागों के कान में न कहिये॥ २७। परन्त रब्बसाकौ ने उन्‍हें कहा कि मेरे प्रभ ने मस्कते तेरे प्रभ के अथवा तस्क पास ये बातें कहने के भेजा है क्या उस ने मस्झे उन लागों पास जे! भौति पर बैठे हैं नहीं भजा जिसतें वे तम्हारे साथ अपना हो मल मत्र खायें पीयं॥ र८। तब रब्बसाकी खड़ा हेके यहूटियां की भाषा में ललकार के बाला और कहा कि असर के राजा महाराज का बचन सने।॥ २८। राजा यह कहता है कि हिज॒कियाह तम्हें छल न ट्वे क्यांकि वह मेरे हाथ से तम्ह कड़ा नहीां सतक्ता। ३०। ओर हिजकियाह तम्हं यह कहके परमेग्वर का भगेोसा न दिलावे कि परमेग्वर निे्यय हमें छड़ावेगा ओर यह नगर अस्तर के राजा के हाथ में सांप न जायगा ॥ ३९ । हिज॒कियाह की मत सनो क्योंकि अस्हर का राजा या कहता ह कि मस्क भट दके मस्तक पास निकल आओ! और तस्म से हर एक अपने अपने दाख में से और अपने अपने गलर पेड़ में से खावे और अपने अपने कंड का पानी पीय॥ ४२ । जब लों में आऊं और तम्हे यहां से एक टेश में जा तम्हार देश की नाई है ले जाऊं वह अन्न और टाखरस का देश रोटी और दाख को बारी का देश जलपाई के तेल और मघ का देश क्ले जिसतें तम जोओए और न मरा ओर हिजकियाह कौ मत सने जब वह यह कहके तम्हारा बाघ करता क्षे कि परमेग्वर हमें बचावेगा॥ ३३। भला जातिगणणां के ट्वों में से किसी ने भी अपने देश का अरूर के राजा के हाथ से छड़ाया है॥ ३४। हमत ओर अरफाद के देव कहां हें ओर सिप्रबाइम हेना और णऐवा के देव कहां क्या उन्हें ने समरून के मेरे हाथ से छड़ाया क्षे। ३५ । देशों के सारे दवों में वे कान जिन्‍्हें। ने अपने देश मेरे हाथ से कडाय जो परमेम्घर यरूसलम को मेरे हाथ से छड़ावे परन्त लाग चुपके रहे ओर उस के उत्तर में एक बात न कह्ौ क्यांक राजा कौ आज्ञा यों थी कि उसे उत्तर मत दौजियेा तब खिलकुयाह का बेटा इलय- कीम जो घराने पर था और शबना लेखक ओर आसफ्‌ स्मारक का बंटा यञअख अपने कपड़े फाड़े हुए हिज॒कियाह के पास आये और रब्बसाको कौ बात उससे कहो ॥ ९6 पत्व] कौ २ पुस्तक । ७७५ २९८ जजन्नोसवां पब्बे ॥ जज एसा हुआ कि हिजकियाह राजा ने यह सन के अपने कपड फाड़े ओर टाट बस्तर ग्रेढ़ के परमेम्थर के मन्दिर में गया॥ २ | तब उस ने इननयकीम के जो घराने पर था ओर शबना लेखक ओर याजकें के प्राचोनों के टाट बस्त ओहढ़े हुए अम्‌स के बेटे यसअयाह भविष्यद्रक्ता पास भेजा ॥ ३। ओर उन्‍्हों ने डसे कहा कि हिजकियाह थों कहता हे कि आज दुःख ओर ट्पट और खिम्माव का दिन हे क्ये|कि बालक उत्पन्न होने पर हें और जन्ने की सामय्ये नहीं ॥ ४। क्या जाने परमेम्वर तेरा ईस्वर रब्यसाकी कौ सब बातें सनेगा जिसे उस के खामी अरूर के राजा ने जीवते ईश्वर कौ निन्‍्दा करने का भेजा क्षे और जिन बातों के परमेम्पर तेरे ईशखर ने सुना के उन पर दोष ट्वे इस लिये बचे हुओआंके कारण प्राथेना कर ॥ ५ । से हिज॒कियाह के सेवक यसअयाह पास आये ॥ ६ । तब यप्तअयाह ने उन्हें कहा कि तुम अपने खामौ से यां कहे कि परमेश्वर यह कहता है कि उन बातों से जिन्हें अस्हर के राज के सेवकों ने मेरे बिषय में पाघंड कहा क्षे मत डर॥ ७। देख मैं उन पर एक स्फोंका भेजंगा ओर बचह एक कालाहल सन के अपने हौ देश के. फिर जायगा और में उसे उसौो के टश में तलवार से मरवा डालंगा ॥ ८। से रब्बसाक्ी फिर गया और उस ने अरूर के राजा के लिबनः से लड़ते पाया क्योंकि उस ने सना था कि वह लकौस से चला गया॥ <«<। जब उस ने यह कहते सना कि देखिये क्श के राजा तिरहाकः ने तम्भ पर चढ़ाई किई उस ने टृूतां के द्वारा से हिजकियाह का फेर कहला भेजा॥ २१०। यहूदाह के राजा हिजुकियाह से यां कहिया कि तेरा ईम्वर जिस पर त भरोसा रखता हे यह कहके तम्के छल न ट्वे कि यरूसलम असरूर के राजा के हाथ में सोॉपा न जायगा॥ १५१। टेख त ने सना क्षे कि असर के राजाओं ने सार टशां का सबधा नाश करके क्या किया ग्रार क्या त्‌ बच जायगा॥ ९५२। क्या उन आतिगणोां के देव जिन्हें मेरे पितरों ने नाश किया हे उन्हें छड़ा सके अधथात जौजान ओर हररान ओर रसफ्‌ और अटन के सनन्‍्तान जो तिज्लासर में थे॥ ५३। हमात के ७७६ राजावलो [१८ पत्चच राजा ग्रेर अरफाद के राजा ओर सिप्रबाइम के नगर का राजा हेना और अयवा के कहां हैं ॥ २४। से हिज॒कियाह ने ट्ूतों के हाथों से पत्री पाई और पढ़ के परमेस्र के मन्दिर में चढ़ गया ओर परमेग्यर के आगे फेलाई॥ २९५। और हिजकियाह ने परमेश्वर के आगे प्राथेना करके कहा कि हे परमेग्घर इसराएल के ईश्वर जिस का सिंहासन क रोबौम पर है केवल त्‌ हो सारी पथिवीोक के राज्यों का ईश्वर हे त्‌ ही ने खरे और एथिवो के सिजे है ॥ ९६। हे ईयम्घर कान घर के सन हे परमेश्वर अपनी आंखें खेल ओर टेख और सनहेरीब कौ बातों के जा उस ने जौवते ईस्थर कौ निन्‍दा के लिये कहला भेजी हे सन ॥ १५७। सच क्े हे परमेश्वर कि अरूर के राजाओं ने जातिगणों के और उन के देशों का नाश किया॥ ९५८। और उन के ट्वें के आग में डाला क्योंकि वे टेव न थे परन्तु मन॒व्यों के हाथों के काये लकड़ी और पत्थर इसी लिये उन्हें मे उन्हें नाश किया॥ ९८। और अब हे परमेग्थर हमारे ईयर में तरी बिनतीो करता हूं तू हमें उस के हाथ से बचा ले जिसतें एथिवी के सारे राज्य जाने कि परमेश्वर ईम्वर केवल तू है ॥ २० । तब अमूस के बेटे यसअयाह ने हिजुकियाह के! कहला भेजा कि परमेस्वर इसराएल का ईखर यों कहता है कि जा कुछ तु ने असर के राजा सनहे रोव के बिराध में प्राथेन। किई हे में ने स॒नौ हे ॥ २९। यह वुह बचन है जो परमेम्वर ने उस के बिषय में कहा हे कि सैह्लन को कंआरी बेटी ने तेरी निन्‍दां किईं और तस्क पर हंपोी और यरूसलम की बणों ने तक पर सिर चना रंरो। त ने किसकी निन्‍्द किए और पाषंड कहा हे और त ने किस पर शब्द उठाया और आंखे चढ़ा के ऊपर किए अथेत इसराएल के पवित्रमय के बिराघ में॥ ५३। त ने अपने ट्रतों के द्वारा से परमेश्वर कौ निन्‍्दा करके कहा हो कि में अपने रथों कौ हुताई से पहाड़ों की ऊंचाई पर गजर लबनान की अलंगों पर चढ़ा और वहां के ऊंचे ऊंचे आरज पेड़ के और चने हुए ट्वद्ारु पेड़ के। काट डालंगा ओर में उस के सिवानें के निवासें में और उस के बन के और बारी में पैटंगा॥ २४। में ने खोदा हे और उपरी पानी पीया हे ओर मे ने अपने पांव के तलवों से मिख को सारो नदियां का सखा टिया हे १६८ पब्बे] को २ पक्तक। 9७9७ २५ | क्या त ने नहीं सना कि में ने अगले समय में क्या किया के ओर अगिले समय से क्या क्या बनाया अब में ने परा किया क्ष कि त घेरित नंगरों का उजाड़ आर ढठर ढेर + रे ॥ २६ । से। वहां के निवाणी दुवैल थे ओर बिस्वित हे।के घबरा गये वे तो खत की घास और हरियाली सामपात छतां पर की घास हें जा बढ़ने से आगे क्क्ैंस जातौ है ॥ २७। परन्त में तेरा निवास और बाहर भीतर आना जाना ओर मस्‍्फ पर तेरा मऊ स्क- लाना जानता हूं॥ २८ । मस्त पर तेरा मंभालाना ग्रार तरा हुछ्वर मेरे कान लों पहुंचा है दूस लिये में अपना कांटा तेरी नाक में मारुूगा और अपनी ढाठी तेरे मंह में टेऊंगा और जिस मागे से त आया हे में तम्के उस ही से फरूगा॥ २८। अब तेरे लिय यहोौ पता क्षे कि तम अब की बरस व्तौ बस्तें खाओेगे जें। आप से आप ऊजगती हैं ओर ट्ूसरे बरस जे। उसी से ऊगती हें ओर तीसरे बरस बोओ ओर लग्रे ओर ट्ाख की बारी लगाओ। और उन के फल खाया ॥ ३०। ओर यहदाह के घराने से जा बच निकला क्ेे फिरके जड़ पकड़ंगा और ऊपर फल लावेगा॥ ३९१॥। क्यांकि बचा हुआ यरूसलम से ओर बच निकले सैह्न के पहाड़ से निक- लेगे परमेश्वर का ज्वलन ऐसा करेगा ॥ ३२ । इस लिये परमेग्रर अरूर के राज! के बिषय में यह कहता है कि वुष्द इस नगर में न आवेगा न यहां बाण चलावेगा ओर नठढाल पकड़ के उस के आगे जावेगा न इस के बिरोघ में मरचा बांघंगा॥ ३३। परमेग्वर कहता है कि जिस मांगे से वचह आया उसौ से फिर जायगा और इस नगर में न आवेगा॥ ३४। क्यांकि में अपने हो लिये और अपने सेवक दाऊद के लिये इस नगर का अआउड करके उसे बचाऊंगा॥ ३५ | ओर एसा हुआ कि परमेश्वर के ट्वत ने जाके असरूर कौ छावनी में उस रात एक लाख पचासो सहस्त मनव्य के चात किया और तड़के उठते ही क्या देखते हैं कि सब लाथ पड़ौ हें ॥ ३६ । से असंर का राजा सनहेरीब चल। और फिर गया ओर नौनबः मे जा रहा ॥ ३७। ओर यों हुआ कि ज्यों वह अपने ट्व निसरूक के मन्दिर में पजा करता था उस के बेटे अट्रस्मलिक और शरेजर ने उसे तलवार से मार डाला ओर वे बचके अरारात के देश के गये और उप्त का बेटा असरहतददून उस को सनन्‍्तो राज्य पर बठा । 98 [#, 8, 8,] | #-+ शा. | “५ ७ जज 8, जद राजावलों २० बोौसवां पब्ने ॥ हां दिनों में हिज॒कियाह का रूत्यका रोग हुआ तब अमस का वरा यसअयाह उस पास आया ओर उद्सम कहा कि परमेम्धर यों कहता हे कि त अपने घर का ठिकाना कर क्योंकि त मर जायगा और न जीयगा॥ २। तब हिजकियाह ने अपना मंह भोत को ग्ार फेर के परमेग्वर से प्राथना करके कहा॥ ३। किहे परमेग्र में तरी बिनती करता हूं कि दया करके अब स्वरण करिये कि में क्योंकर सचाई और सिद्ध मन से तेरे आगे चला किया ओर तेरी दृष्टि में में ने भलाई किई और हिजुक्ियाह बिदख बिलख के राया॥ ४। और ये हुआ कि यसअयाह के आंगन के मध्य पहुंचने से आगे यह कहके परमेम्वर का बचन उस पर पहुंचा॥ ५। कि फिर जा ओर मेरे लोगों के प्रधान हिजकियाह के कह कि परमभेग्रर तरे पिता टाऊट का ई खर या कहता कि में ने तरीप्राथंना मनी हु और तरे आंसग्रे के ८ खा क् दख में तम् तौसरे टिनिचंगा करूंगा और त परमेमग्यर के मन्दिर में चढ़ जायगा ॥ ६ | ओर में तरी बय पन्दरह बरस बढ़।ऊंगा और तम्क और इस नगर का असर के राजा के हाथ से कृड़ाऊंगा और अ५ने लिय ओर अपने दास टाऊट के लिय इस नगर का आड़ करूंगा ॥ ७। तब यतअयाह ने कहा कि गलर को एक टिकिया ले से उन्‍्हां ने लिई और फाड़ पर रकखी ओर वह चंगा हे! गया॥ ८। तब चिजांवयाह ने यसजयाह से कहा कि उस का लक्षण क्या कि परमेञजर मु्क चंगा करेगा और में तीसरे दिन परमेग्वर के मन्द्र में चढ़ जाऊंगा॥ €। यताओ- याह बाला किपरमेशख्वर से त यह लक्षण पाव्रेगा कि जा कुछ परमेश्वर ने कहा हे से। करेगा कि छाया दस क्रम आग बढ़ अथवा दस क्रम पौछ हूटे॥ ९५०। हिजुकियाह ने उत्तर दिय। कि छाया का दस क्रम ठलना सक्तज क्े नहों परन्तु छाया दस क्रम पौछे इट ॥ १५९५। तब यसाअयाह भविव्यद्त्ता ने परमेच्वर से प्राथना किई और उस ने छाया का आखज की घप घड़ो में से जा ढठल गई थो दस क्रम पौछ हटाया॥ ९५२। छस समय बलदान के बेटे बाबल के राजा बरेदाक बलदान ने भंट २९ पत्थ) कौ २ पस्तक | ्ड्ट्‌ और पत्रो हिजकियाह का भेजी क्यांकि उस ने सना था कि हिजकियाह गीथा॥ १५३ |से। हिजक्रियाह ने उन की बात सनी और अपने घर कौ सारो बड़ मल्य बस्तें चांदी और से/ना और सगनन्‍्ध और सगन्ध तेल ओर शस्त्र अपने स'रे स्थान ओर सब जो उसके भंडारोां में पाय गये उन्हे द्खिाथे उस के घर में और उस के सारे राज्य में ऐस। काई बस्तु न थी जा हिज॒कियाह ने उन्हें न दिखलाई ॥ १५४ । तब यसअयाह भविव्यद्धक्ता हिजकियाह राजा पास आया ओर उसे कहा कि इन लोगों ने क्या कद्दा और य कहां से तम् पास आय हिजकियाह ने कहा कि ये बाबल के टूर देश से आये हें॥ ५५ । फिर उस ने पछा कि उन्‍्हों ने तेरे चर में क्या ट्खा क्षे हिज॒कियाह बाला कि मेरे घर का सब कछ उन्‍्हां ने हखा हे मेरे भंडार में एतो काई बस्त ने रहो जा मे ने उन्‍्हं न दिखलाई॥ २९६ । तब यपघञअयाह ने हिजकियाह से कहा कि परमेम्धर का बचन सन॥ ९७। देख वे हिन आते हैं कि सब कछ जो तरे घर में हें ओर जा ककछ कि तर पितरोां ने आज लां बटार रक्‍्ख़ा है बाब्ल का पहुंचाय जायेगे और परमेश्वर कहता कै कि कुछ न छेड़ा जायगा॥ ५८। और तेरे बेटा में से जा तम्क से उत्पन्न होंगे ओर तस्क से जन्मेंग उन्हें वे ले जायेगे ओर ब।बल के राजा के भवन में नपंसक हेगे॥ १५८ । तब हिजकियाइ ने यसाअयाह से कहा कि परमेम्वर का बचन जा त ने कहा है अच्छ। हैं फिर उस ने कहा कि कशल ओर सच्चाई मेरे दिनों में हांगी॥ २०। हिज,- कियाह की रही हुई क्रिया ओर उस का सार। पराक्रम और किस रोति से उस ने एक कुड आर एक पनाला बनाया और नगर में पानी लाया से क्या यहू राह के राजाओं के समया के सम/चार कौ पुस्तक में नहों लिखा है | २९ । तब हिज॒कुयाइ ने अपने तरों में शयन किया जयै।र उस का बटा मुनस्मों उस को संतों राज्य पर बेठा । २१ एक्कौसवां पब्बे । ज'ः मनस्मो राज्य करने लगा तव वह बारह बरस का था उस ने पचपन बरस यरूसल म में राज्य किया और उस कौ माता का नाम हिफजिबा था। २। ओर उस ने अन्यदंशियां के घिनितों के समान 3०० राजावलों [२९ पतन जिन्हें परमेग्यर ने इसराएल के सन्‍्तान के आगे से टूर किया था परमेग्भर की दृष्टि में बराई किई॥ ३। क्योंकि उस ने उन स्थानों के। जिन्हें उस के पिता हिज॒कियाह ने ढटाया था फिर बनाया ओर छस ने बञ्नल के लिये बेटियां स्थापित किई और एक कंज लगाया जैसा कि इसराएल के राजा अखिअब ने किया था और खगे की सारी सेना कौ पजा करके उन कौ सेवा किई ॥ ४ । और उस ने परमेग्वर के उस मन्दिर में ज्ञिस के बिषय में परमेश्वर ने कहा था कि में यरूसलम में अपना नाम रकर्ंगा बेदौ बनाई ॥ ५४५ । ओर उस ने परमेश्वर के मन्दिर के ओंगनों में खगे की: सारी सेनाओं के लिये बेटियां बनाई ॥ ६। ओर उस ने अपने बट का आग में से चलाया ओर महूत्तां के मानता था और टे ना करता था श्र भतहेंं और गेफ्फा से व्यवहार रखता था ओर परमेग्यर की हद ष्ट में बहुत हो हुष्टता करके उसे रिस दिलाया ॥ ७। ओर उस ने कुज को एक खादौ हुई मत्ति बना के परमेश्वर के मन्दिर में स्थापित किए जिस के बिषय में परमेम्घर ने टाऊद और उस के बेट सलेमान से कहा था कि इस म॒न्दर में ओर यरूसलम में जिसे में ने इसराएल को सारी गांछ्ठयां में से चन लिया हे में अपना नाम सट्टा लों रकख्गा॥ ८। ओर में इसराएल के पांव के इस भमिसे जामें ने उन के पितरों का दिई है कघी न डालाऊंगा केवल यदि वे मेरो सारी आज्ञाओं के समान चलें ओर सारी ब्यवस्था के समान जा मेरे सेवक मुसा ने उन्‍हें <िई मानें ॥ € । पर उन्‍्हां ने न माना ओर मुनस्यो ने उन्‍्हं फुसलाक उन जातिगणों से जिन्हें परमेश्वर ने इसराएल के सनन्‍्तान के आग से नष्ट किया अधिक बुराई करवाई ॥ १५० । से परमेखर अपने सेवक भविय्यद्क्तां के द्वारा से कहके बेला ॥ १५९ । इस कारण कि यहूदाह के राजा मनस्सी ने ये सारे घिनित काम किये और अमरियां से जा उसे आगे थे अधिक बराई किई ओर यहदाह से अपनी मरतों के कारण पाप करवाये॥ २९२ । दम लिय परमेग्वर इसराएल का ईस्र यों कहता है कि देखा में यरूसलम पर ओर यहूटाह पर ऐसो बिपत्ति लाता हूं कि उस का समाचार जिस के कान लो पहुंचेगा उस के दाने कान म्मंभभना उठंगे॥ १५३। ओर में यरूसलम पर समरून कौ २९ पब्ब] की २ पस्तक। >्ष्ण्श्‌ डारीौ ओर अखिअब के घराने का साहुल डालंगा गज्येर में यरूसलम का ऐसा पेंकछंगा जेसे कोई बासन को पोंक़्ता है ओर गओरंघा देताके॥ ९४ । ओर उन के अणिकार के बचे हुओ का अलग करूंगा ओर उन्‍हें उन के बेरियां के हाथ में सौंपंगा ओर वे अपने सा रे बेरियां के लिये अहेर ओर लट हेांगे॥ १५५। क्यांकि उन्‍्हों ने मेरो दृष्टि में बराई किई और जिस टन से उन के पिता मिस्र से निकले उन्‍्हां ने आज लॉ मुर्के रिस दिलाई॥ ९६। इस्स अधिक मुनस्मो ने बहुत निट्ाण ले छू बहाया यहां लां कि उस ने यरूसलम के। एक सिरे से ट्रसर सिरे लां भर टिया यह उस पाप से अधिक हेजो परमेस्यर को दृष्टि में बह्लट्ाह से बराई करवाई ॥ ५७ | अब मनस्झो को रहो हुई क्रिया ओर सब कुछ जा उस ने किया ओर यह कि उस ने केसे पाप किय से। यकूदाह के राजाओं के समयां को परस्तक में लिखा नहों क्े। १५८। गर मनस्पमों ने अपने पितरों में शयन किया और अपने घर को बारिक्ा में उच्जा कौ बाटिका में गाड़ा गया ग्रार उस का ब्टा अमन उस का सनन्‍्तो राज्य पर बटठा ॥ ९८ । जेर जब अमन राज्य करने लगा तब बाईस बरस का था उस ने यरूसलम में टरा बरस राज्य किया उस कौ माता का नाम मस ज्ञमत था जा यतबः के हरूस की बेटा थी॥ २०। ग्र उस ने परमेग्वर कौ दृष्टि में अपने पिता मनर्सखोौ के समान बराई किई॥ २१ । ओर वह अपने पिता कीं सारी चाल पर चला किया और अपने पिता को मन्तों कौ प्राथना करके उन कीं पजा किई॥ २२। ग्यार ऊस ने परमेम्थर अपने पितरों के ईय्थर का व्यागा ओर परमेश्वर के माईी पर न चला ॥ २३। और अमन के सेवकों ने उस के बिराध में ०क्तिबांध के राजा के उसौ के घर में घात किया॥ २४। ओर देश के लेगां ने उन सब का घात किया जिन्‍्हां ने अमन राजा के बिरुड्ट यक्ति बांधों ओर दृश के लागों ने उस के बट यसियाह का उस के स्थान पर राजा किया ॥ २५ | ओर अमन को रहो हुई क्रिया और सब कक जा उस ने किया से क्या यहूदाह के राजाओं के समयां के समाचार को पस्तक में लिखा नहों क्षेत २६। ओर वह अपनो समाधि में उज्जा कौ बाटिका में गाडा ग़बा और उस का बटा यूसियाह उस कौ सन्तो राज्य पर बैठा । ड्ध्यर राजावलो [२२ पतले २२ बाईसप्रां पब्बे ॥ ज ब यूमियाह राज्य करने लगा ता आठ बरस का था उस ने एक- तोस ब(स यरूसजम में राज्य किया छस कौ माता का नाम वट्ौद। था जो बुसकृत के अदयाह कौ बेटी थी ॥ २। उस ने परमेमश्वर की दृष्टि में भलाई किई ओर अपने पिता द/ऊद कौ सारो चालों पर चलता था ओर दहिनी अथवा बांई ग्येर न मुंडा ॥ ३। युसि- याह के 5.ठारहवें बरस या हुआ कि राजा ने मुसल्मम क बेटे असलियाह के बेटे साफन लेखक का परमेग्र के मन्दर में कच्चला भजा॥ ४। कित्‌ प्रधघन याजक खिलकियाह पास जा|क॒ बह परमेश्वर के म॒न्द्र को चांदौ का लेखा करे जा द्वारपाला ने लागां से एकट्टा किया॥ ५। ओर वे उन्हें कार्य्येकारियों के हाथ में मैप जा परमेश्वर क मंदर के कराड़ हें ओर वेडन्ह परमेग्वर के मदर के काव्येकारियां का देव कि वे मान्‍्दर के टरारों के सुधार॥ ६। अथात बढ़ैया के और थव्ेयां को ओर पथरियों का और लट्ढां के आर गठ हुए पत्थर मे।ठा लने के लिये जिसतें घर सुधारें। ७। तिस पर भो राफड का लेखा जा डन के हाथ में दिया गया था उन से न लिया जाता था इघ लय कि वे घधम्म से ब्यवहार करते थे ॥ ८। और प्रधान याजक़ खिलकियाह ने साफून लेखक का कहा कि में ने परमेश्वर के मन्दिर में ब्यत॒स्था कौ पस्तक पाई हू और खिलकिया ह ने वह पस्तक साफन का टिई ओर उस ने पढ़ों। <। ओर साफन लेखक राजा पास आया ओर राजा का संट्श पहुंच. या ।क तर सेवक्रां ने वह राकड जो ईयग्वर के मन्दिर में पाया गया [पघलाया है ओर काव्येका यों के हाथ सोंपा क्षे जा परमेग्वर के घर के कड़ारे हें॥ ९०। अब साफ्न लेखक ने राजा से कहा कि खिलकियाह याजक ने मुम्झे एक पस्तक दिई है और साफन ने उसे राजा के आग पढ़ी ॥ ९९ , ओर राजा ने ज्यां उप पस्तक के अभिप्राय के सना त्यां अपने कपड़ फ/ड॥ ५२। ओर खिलकियाह याजक ओर स।फन केबटे अर्ीआम ओर मौका के बट अखबर ओर साफन लेखक ओर राजा के सेवक असायाह के कहा॥ २२ पत्ब] बा कौं २ पक्तक | ड्प्र३्‌ १९३। तम जाओ मेरे ओर लागां के 'ग्रैर सारे यहूदाह के ल्यि परमेस्घर से इस पस्तक के बचन के बिषय में जा पाया गया क्र पक्ता क्यांकि परमेग्वर का काप हम पर निपट भडका है दस का रण कि उन सभा के समान जो हमारे बिषय में लिखा हु हमारे पितरों ने इस पस्तक के बचन का पालन करने का नहों सना क्े । १४। और खिल कियाह याजक ओर अंखीआम और अखबर चोर साफन ओर जसायाह हूलटा आइमबक्तानोा पस गय जो हरहास के बट तिकवः के बट सनम बस्तां के रखबेय को पत्नी थी [अब वह यरूसलम में एक ट्रसर स्थान में रहतो थी ] ओर उन्‍्हंं ने उच्ये बात चौत किई॥ ९१५५४। उस ने उनन्‍्ह कहा कि परमंमच्यर इसराएल का ईम्पर थां कहता कहे कि तुम उमर परुष से जिस ने तम्हें मुभक पास भजा हे कहे।॥ २९६। किपरमेशअर यां कहता है |क ट्ख में इस स्थ/न पर ओर उस के निवासियां पर उस पस्तक् की सारी बात जा यहदटाह के राजा ने पढ़ी हैं अथात्‌ बुराई लाऊंगा॥ ९७। क्योंकि उन्हां ने मस्के त्यागा हे अरु ओर ट्वों के लिये घप जलाबा क्षे जिसत अ ने हाथों क सारे कामे से म॒स्‍्ते रिस दिलावे इस लिये मेरा केाप इस स्थान के बिराघ भड़केगा और बकाया न जायगा॥ ९८। परन्तु बकूदाह के राजा का जिस ने तुन्हें परमेश्वर से बम्कने का भेजा उसे या कचिया कि परमेग्यर इसराएल का ईम्वर थां कहता क्षे कि जिन बचन का त ने सना क्षे। १५८। दस कारण कि तेरा मन कामल था और परमेग्रर के आगे त ने आप के। नम्त्र किया क्ष जब त ने सना जा में ने इस स्थान के ओर उस के निवासियों के बिरोध में कहा कि वे उजाड़ित णर स्तांपत हांगे ओर अप्ने कपड़े फाड़ हें और मेरे अ » बिलाप किया परमेग्यर कहता क्ञे कि में ने भी सुनाक्षे। २०। इस लिय देख में तम्ते तेरे पतरां के साथ बटोरूंगा और त्‌ अपनी समा।धघ में कुशल से समेटा जायगा ओर सारो ब्राई का जो में इस स्थान पर लाऊंगा ते रो आंख न दखगी तब वे र.जा पास फेर सन्देश लाये। 3८४ राजावलो [२३ पब्ष २३ तइंसवां पब्बे। त्तः राजा ने भेज के यहूदाह ग्येर यरूसलम के सारे प्राचोनों का अपने पास एकट्टा किया। २। ओर राजा और यहूदटाह के सारे लेग ओर यरूसलम के सारे निवासी ओर याजकों और भविव्यद्धत्षो और सारे लाग छाट से बड़ लां परमेग्वर के मन्दिर का उस के संग चढ़ गये ओर बाचा कौ पस्तक के बचन के जा परमेश्वर के मन्दिर में पाया गया था उस ने उन्हें पढ़ सुनाया ॥ ३। परमेग्वर का पौछा करने का और उस की आज्ञाओं का और डस को साछ्षियां को और उस की बिचिन का और अपने सारे मन ओर सारे जोब से पालन करने का इस बाचा के बचन के जा इस पस्तक में लिखा है राजा ने खंभ के लग खड़ा हे के परमेग्वर के आगे बाचा बांधी और सारे लाग इस बाचा पर खड़ हुए ॥ ४। फिर डाजा ने प्रधान याज्क खिनकियाह का ओर ट्सरो पांतो के याजक्ों का ओर द्वारपालां का आज्ञा किई कि परमेग्वर के मन्दिर में से सारे पात्र जा बअ॒त के लिये और कंज के और सारी खगौँव सेनाओं के लिये बनाये गये थे बाहर निकनवा् ओर उस ने यरूसलम के बाहर किट्रून के खेतों में उन्ह जला दिया और उन कौ राखे को बैतणल में पहुंचा टिया॥ १। ओर उन देव पजक याजकों के जिन्‍्हं यहृदाइह के राजाओं ने यहृदटाह के नगरों के जंचे स्थानें में और यरूसलम के चारों ओर के स्थानें में घप जलाने के लिय ठचह्राया था उन सब समेत जा बगल के ओर रूव्ये के और चद्रमा के आर नक्षत्रा के आर खर्गौव सारी सेनाओं के लिये घुप जलाते थे राक लिया॥ ६। ओर वबुह् उस अशतरूत के परमेग्थर के मन्दिर से निकाल के यरूसलम के बाहर किटररून के नाले पर लाय। और उसे #िट्रून के नाले पर जला दिया और उसे लताड़ के बकनी किया ओआर उस बकनों का लागों के सन्‍्तान की समाधि पर फंफ दिया॥ ७ । ओर उस ने गांडओं के घरों का जा परमेग्वर के घर से मिले हुए थे जिन में स्लथियां कंज के लिये घंघट बर्नातयां थीं ठा दिया। ८। और उस ने यहदाह के सारे नगरों के जजों के एकट्ठे किया ऊंचे स्थानों का जहां याजकों ने सग्रन्व जलाया २३ पब्ब ] कौ २ पुक्तक | अप था ज्ञिबअ से बिअरसब: लो अशुद्ट किया ओर फाटकों के ऊंचे स्थानें का जा नगर के अध्यक्ष यहस्हअ के फाटक कौ पेठ में थे जा नगर के फाटक की बांई ग्रर है टा टिया॥ «। तथापि ऊंचे स्थानों के याजक यरूसलम में परमेम्धर की बेदी के पास चढ़ न आये परंत उन्‍्हों ने अखमीरोी रोटी अपने भाइयें के साथ खाइंथी॥ २९०। और उस ने तफत के ज्ञा हिन्नम के सनन्‍्तान की तराई में हे अशड्ू किया जिसते काई अपने बेटा बेटी के आग में से मेलक के! न पहुंचावे॥ ९५१५। और उस ने उन घोड़ों का जा यहूदाह के राजाओं ने रूय्ये का चढ़ाये थे परमेमग्घर के मन्दिर की पेठ में से जा नतनमलिक प्रधान की काठरो के लग जा आस पास में था टूर किया और रूय्ये के रथ के! भर्त किया। ९२ । और उन बेटियों के जा आखज की उपरोटी काठरी पर थी जिन्हें यहूदाह के राजाओं ने बनाया था उन बंदियां का जिन्हें मनर्झौो ने परमेग्थर के मन्दिर के दो आंगनों में बनाया था राजा ने उन्ह चर करके द्वर किया और उन को राख के किटरून नाले में फंक दिया॥ ९३। और जा जा ऊंचे स्थान यरूसलम के आगे जे सड़ाहट के पहाड़ की दटहिनी ओझेर थे जिन्हें इसराएल के राजा सुलेमान ने सेद्ानियों के विनित अशतरूत के ओर मेाअबियों के घिनित कमस के गऔर अस्मन के सन्तान के घिनित मिलकम के लिये बनाया था राजा ने उन्हें अशडू किया ॥ ९४। और मर्तों का ताड़ डाला और अशतरूत के काट डाला और उन के स्थानों का मन॒य्यां के हाड़ से भर दिया॥ १५। बैतएल की बटौ का और उस ऊंचे स्थान के जिन्हें इसराएल के पाप करबैया नबात के बेटे यरूबिआम ने बनाया था उस बेटों का और उस ऊंचे स्थान के। यसियाकह ने ढा दिया और ऊंच स्थान के जला के चर करके रोंटा और अशतरूत के जला दिया॥ १५६। और ज्यों यसियाह फिरा ते उस ने पहाड़ पर कौ समाधिन का टेखा ओर लाग भेज के उन में की हड्ियां निकलवाई: ओर बेटों पर जलाई और परमेग्वर के बचन के समान जा ईश्वर के उस जन ने ग्रचारा था जिस ने इन बातों को प्रचारा उस ने अशइ् किया फिर उस ने पक्का कि वह पट्वी क्या हे जिसे में ट्खता हूं॥ ९७। नगर के लागों ने उसे कहा कि यह ईश्वर के उस जन की समाधि है जिस ने यहूदाह 99 [&. 8. $.] धर ई्‌ राजावलों [२३ पछ्ब से आके इन बातों का ज्ञा त ने किया क्षे बैतएल कौ बेटौ के बिराध में प्रचारा था॥। १५८। तब उस ने कहा कि उसे रहने दे काई उस को हडियों का न इटावे से उन्‍्हों ने उस की हड्ियां उस भविव्यद्क्ता के साथ जा समरून से आया था रहने टिई॥ २९८। ओर सारे ऊंचे स्थानों के घरों का भी जा समरून के नगरों में थे जिन्हें इसराएल के राजाओं ने रिसिआने के लिये बनाये यूसियाह ने टूर किया और उन से वैसा हो किया जैसा उस ने बेतएल में किया था॥ २०। ओर ऊंचे स्थानों के सारे याजकों का जे बेटियां पर थे बधन किया ओर मनव्यों का हाड़ उन पर जलाया और यरूसलम के फिरा ॥ २१५। और राजा ने यह कहके सारे लागों का आज्ञा किई कि परमेचअर अपने ई ब्वर के लिय पारजाने का पे रखा जैसा इस बाचा कौ पस्तक में लिखा हे॥ २२। निजञ्यय उन न्यायियों के समय से लेके जे। इसराएल का न्याय करते थ इसराएल के राजाओं के और यहूदाह के राजाओं के दिनों में एसा पार जानाः पब किसी ने न रक्खा था॥ २३। परन्तु यूसियाह राजा के अठारहवें बरस यरूसलम में परमेम्पर के लिये यबच्दी पारजाना पे रक्‍खा गया ॥ २४। ग्जर भरते के और जेस्काओं के मुत्तीं के और पतले के और सारे घिलितों के जा यहदाच के दृश में आर यरूसलम में दख गय थे यसियाह ने टूर किया जिसते ब्यवस्था की वे बातें जा उस पुस्तक में जिसे खिलकियाह याजक ने परमेग्वर के मन्दिर में पाया था लिखी थी परौो करे॥ २५४। और उस के समान अगले दिनों में णेसा कोई राजा न हुआ जा अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से ओर अपनी सारी सामथ्ये से मृखता कौ सारो ब्यवस्था के समान परमेश्वर कौ ओर फिरा और उस के पोछ केई उस के समान न उठा॥ २६। तिस पर भौ परमेम्धघर अपने महा क्राघ से जे यक्ूद्ाह के सनन्‍्तान पर भड़काया था न फिरा उन सारे रिसें के कारण जिन से मुनर्झौ ने उसे रिस दिलाया था॥। २७। और परमेग्वर ने कहा कि जता में ने इसराएल के। अलग किया वैसा यहटाह के! भी अपनी दृष्टि में से अलग करूंगए ओर में इस यरूसलम नगर के जिसे में ने चना क्षे आर जिस घर के बिषय में में ने कहा कि मेरा नाम वहां हे।गा टूर करूगा॥ र२८। अब यूसियाह २३ पन्‍्ले ) को रे पृस्तक । ज्प्छ की रही हुई क्रिया और सब जा उस ने किया से यहतट्ाह के राजाओं के समयां के समाचार कौ पस्तक में नहों लिखा कह्े। २५। जउस के दिनों में मिस्व का राजा फिरऊन निकाह असर के राजा के बिराध में ८रात कौ नदी का चढ़ गया और यसियाह राजा ने उस का साम्ना किया और उस ने उसे देख के मजिद्दा में घात किया॥ ३०। ओर उस के सेवक उसे रथ में डाल के मजिद्ा से यरूसलम में ले गये और उसे उसी कौ समाधि में गाड़ा और देश के लागों ने यसियाह के बेटे यह्अखज के लेके अभिष्रक किया ओर उस के पिता कौ सन्तौं उसे राजा किया॥ ३९ । और जब यहूअखजु राज्य करने लगा वुद् तेईंस बरस का था उस ने यरूसलम में तोन मास राज्य किया उस की माता का नाम हमतल था जा लिबनः के यरमियाह की बटौं थी॥ ३२९। गजर उस ने उन सब के समान जा उस के पितरों ने किया था परमेग्घर की दृष्टि में बराई किई॥ ३३। से फिरऊन निकाह ने उसे हमात दरृश के रिबलः में बन्चन में डाला जिसतें वह यरूसलम में राज्य न करे जेर देश पर से तोड़े चांदी ओर एक तोड़ा सेना कर ठहराया॥ ३४। ओर फिरजुन निकाह ने यसियाह के बेटे इलयाकौम के उस के पिता थूसियाह को सनन्‍्ती राजा किया और उस का नाम यहक्ूयकौन रक्‍्खा ओर यहूअखज के ले गया ओर वह मिस्र में जाके मर गया॥ ३५। ओर यह्ूयकौन ने चांदी और से।ना फिरऊन का दिया और फिरऊन की आज्ञा के समान रोकड़ दने का उस ने टेश पर कर लगाया और देश के लागोां के हर एक जन से उस के कर के समान चांदी सोना निचेाड़ा जिसतें फिरजन निकाइ को दवे ॥ ६ । यहक्यकीन जब राज्य पर बैठा तब पचौस बरस का था ओर उस ने यरूसलम में ग्यारह बरस राज्य किया और उस को माता का नाम जबदः था जा रूम: फ्टायाह की बेटी थी॥ ३७। ओर उस ने उन सब के समान जो उस के पितरों ने किया था परमेम्प्र कौ दृष्टि में बराई किईं | पद राजावली (२४ पब्बे २४ चेबौसवां पब्वे । झुः के दिनों में बाबुल का राजा नबखटनजुर चढ़ आया और यह्नथकीन तौन बरस लॉ उस का सेवक रहा तब वह उस के बिराघ में फिरा | २। ओर परमेश्वर ने कसटियों कौ ग्येर अरामियों को और मेअबियों की ओर अम्मन के सनन्‍्तान कौ जथाओं के। अपने बचन के समान जैसा उस ने अपने सेवक भविव्यदक्तां के द्वारा से कहा था यहूदारह के बिराध में उसे नाश करने के भजा॥ ३। निचञ्यय परमेग्र को आज्ञा के समान यह सब कुछ मनस््ी के पापों के कारण जा उस ने किय यहूदटाह पर पड़ा कि उन्ह अपनी दृष्टि से हर करे॥ ४। और नर्दाष लाह्न के कारण भी जा उस ने बचाया क्योंकि उस ने यरूसलम के निरदाष लाह्ू से भर दिया जिस कौ क्षमा परमेग्वर ने न चाही॥ ५। अब यह- यकीन की रही हुई क्रिया आर सब जा उस ने कियाथा से यहक्ूदाइ के राजाओं के समयें के समाचार कौ पुस्तक में लिखा नहीं हे॥ ६, से। यहूयकीन ने अपने पितरों में शयन किया ओर उस का बेटा यहक्ूयकीम उस की सनन्‍्तो राज्य पर बैठा॥ ७। और मिस का राजा अपने देश से फेर बाहर न गया क्यांकि बाबुल के राजा ने मित्त की नदौ से लेके फ्रात कौ नदौ लों मिस्र के राजा का सब कुछ ले लिया॥ ८। यहूयकीन जब राज्य करने लगा तब अठारह बरस का था ओर यरूसलम में उस ने तीन मास राज्य किया ओर उस कौ माता का नाम नहूसता था जो यरूसलम इल्नतन कौ बेटौथो॥ €। और उन सब के समान जो उस के पिता ने किया था परमेम्वर की दृष्टि में उस ने बुराई किई॥ १५० | उस समय में बाब॒ल के राजा नबखुट्नजुर के सेवक यरूसलम पर चढ़ गये और नगर घेरा गया ॥ ९९। और बाबुल का राजा नबूखुद- नजर नगर के बिराध में आया ओर उस के सेवकों ने उसे घेर लिया ॥ ५२। तब यहूटाह का राजा यहूयकौन ग्यार उस कौ माताओर उस के सेवक और उस के प्रधान ओर उस के नपुंसक बाबुल के राजा के पास बाहर गये और वाबुल के राजा ने अपने राज्य के आठवें बरस उसे लिया॥ १५३ । और परमेस्वर के मन्दिर का सारा भंडार और वुच्द २५ :ब्व) कौ २ पस्तक। छ्प्ढ भंडार जा राजा के घर में थे ले गया और सोने के सारे पात्रों का जो इसराएल के राजा सलमान ने परमेग्थर कौ आज्ञा के समान परमेगच्र के मन्दिर के लिये बनाये थे कटवाया॥ १५४। और सारे यरूसलम का और सारे प्रधानों के और सारे महाबीरों का अथात ट्स सहस्र बंधओ के और सारे काय्येकारियों के और लेाहारों के और देश के लागों के छोटों से छाोटां का छाड़ काई न छटा॥ १५५। वह यहकूयकीन को और उस की माता और राजा की पत्न्नयां के! और उस के नपंसकों का ओर ट्श के पराक्रमियां के यरूसलम से बंधआई में वाबल का ले गया ॥ ९६ । गौर सारे बोरों के अशथात सात सहस्त के ओर एक सहस्र काय्येकारियां का और लाहारों के सब बलवन्त जो संग्राम के याग्य थे बाबल का राजा उन्‍हें बंधआई में बाबल के ले गया॥ १५७। ओर बाबल के राजा ने उस के चचा मन्ननियाह के उस की सनन्‍्तों राज्य दिया और उस का नाम पलट के सिदक॒याह रक्वा॥ २९८। सिदकयाह जब राज्य पर बेठा तो एक्कीस बरस का था उस ने ग्यारह बरस यरूसलम में राज्य किया और उस कौ माता का नाम हमूतल था जो लिबनः यरमियाह कौ बंटी थी ॥ १५८ । और उस ने यहक्लयकौन के काये के समान किया और परमेग्वर की दृष्टि में बराई किई॥ २०। च्योंकि परमेग्वर के काप के कारण यरूसलम ओर यहूटाह पर यों बीत गया यहां लॉ कि उस ने उन्हें अपने आग से टूर किया ओर सिट्क॒याह बाबुल के राजा के बिरोघध में फिर गया। २५ पचौसवां पब्ब । जो उस के राज्य के नवें बरस के ट्संवें मास कौ ट्सवों तिथि में ये हुआ कि बाबल का राजा नबुखुटनजर ओर उस कौ सारौ सेना यरूसलम के बिराध चढ़ आये और उस के सन्मख डेरा किया और उन्‍हें ने उस के बिराध में उस की चारों ओर गढ़ बनाये ॥ २ | और सिट्क॒याह राजा के ग्यारहवें बरस लां नगर घेरा हुआ था॥। ३। और मास कौ नवां तिथि में नगर में अकाल बढ़ा ओर दृश के लागां का रोटी न मिलती थी ॥ ४। ओर नगर ट्ट निकला ओर सारे थेड्रा उस फाटक ७6० राजावली [५५ पतब्थ के मागे से जा भीतों के मध्य राजा की बारी के लग क्षे रात का भाग गये [अब कसदौ नगर के घरे हुए थे] और चैगान की ओर चले गये ॥ ५ । पर कसदियों कौ सेना ने राजा का पीछा किया और उसे यरीहे के चोौगानों में जाही लिया और उस का सारा कटक उत्तम छिन्न भिन्न था॥ ६। से वे राजा का पकड़के बाबुल के राजा पास रिबल:ः में लाये और उन्‍हें ने उस का न्याय किया॥ ७। और उन्‍्हों ने सिदक॒षाह के बेटों के उस की आंखों के आगे घात किया और सिटक॒याह की आंख अन्ची किई ओर पौतल की बेड़ियें से उसे जकड़ा और उसे बाबल का ले गया॥ ८े। और बाबल के राजा नबखट्नजर के राज्य के उज्नौसवें बरस के पांचवें मास सातवों तिथि में बाबल के राजा का एक सेवक नबसरअद्टान जा निज सेना का प्रधान अध्यक्ष था यरूसलम में आया ॥ ६॥ और उस ने परभेग्वर का मन्दिर और राजा का भवन और यरूसलम के सार घर और हर एक बहू घर का जला दिया ॥ ९५ ०। ओर कसटियें की सारी सेना ने जे। उस निज सेना के अध्यक्ष के साथ थाँ यरूसलम की भीतों के चारों आर से ढा दिया॥ १९५९५। और रहे हुए लागों के जो नगर में बचे थे और उन के। जो भाग के बाबुल के राजा पास गये थे मंडजी के डबरेहुए के साथ नबंसरअ- हान निज सेना का अध्यक्ष ले गया॥ १५२। परंत निज सेना के अध्यक्ष ने टदाख के सघरवैये और किसानें के अथात्‌ देश के कंगालों के छोड़ दिया॥ १३। और परमेम्वर के मन्दिर के पीतल के खंभों के। और आधारों के! और पीतल के समद्र का जो परमेग्यर के मन्दिर में था कसदियों ने तोड़ के टकड़ा 2 कड़ा किया और पौतल का बाबुल में ले गये। ९ ४ । और बटलेहियां और फावड़ियां और कतरनियां और चमचे और पीतल के सारे पात्र जिस्मे वे सेवा करते थे ले गये॥ ९५५ । और अंगेठियां और कट रे और सब कछ जा सेने चांदी का था निज सेना का अध्यक्ष ले गया॥ ९६। दे खंभां के और समद्र के! और आधघारे। के जिन्हें सलेमान ने परमेस्थर के मन्दिर के लिये बनाया था इन सारे पात्रां का पीतल बेतिेल था॥ ९७। एक खंभ की ऊंचाई अटारह हाथ और उस पर का स्काड़ तांव का और म्काड़ की उंचाई तौन हाथ म्काड़ २५ पब्बे कौ २ पस्तक। ७6 २ कौ चारों जेःर जाल के काये औ।र अनार सब पीतल के ओर इन्हों के समान टूसरे खंभ में जालियां का काम था॥ १ ८। ओर प्रधान याजक शिरायाह के और ट्सरे याजक सफूनियाह के ओर तीनों द्वारपालें के निज सेना का अध्यक्ष ले गया॥ ९८ । जऔर उस ने नगर में से एक नपंसक के लिया ज्ञा याड्रों पर था उन में से पांच जन राजा के सनन्‍्भख रहते थे और नगर में पाये गये थे ओर सेना के अध्यक्ष लेखक का जा देश के लागां की गिनती करता था और दश के साठ जन का जा नगर में पाय गये लिया। २०। और निज सेना का अध्यक्ष नबूसरअहान उन्हें पकड के बाबल के राजा पास रिबल: में लेगया॥ २९५। ओर बाबल के राजा ने हमात देश रिबलः में उन्हें घात किया से यहूदाइ अपने टेश से निकाला गया॥ २२। और जा लाग यहदाइह के दृश में रह गये थे जिन्हें बाबुल के राजा नबुखुदइनजुर ने छोड़ा था उन पर उस ने आज्ञाकारी साफन के बेटे अखिकाम के बेटे जिटलियाह का उन का प्रधान किया॥ २३। ओर. जब सेनाओं के प्रधानों ने और उन के लागों ने सना कि बाबल के राजा ने जिदलयाह के अध्यक्ष किया तो नतानियाह का बेटा इसमअएल जऔर करीह का बटा यहानान नतफाती तनहूमत का बेटा शिरायाह ओर एक मकाती का बटा याजानिया अपने लागों समेत मिसफा में जिद्लयाह पास आय ॥ २४ । और जिट्लयाह ने उन से ओर उन के लागां से किरिया खाके कहा कि कसर्टियां के सेवक होने से मत डरो देश में बसे। और बाबुल के राजा की सेवा करो और उस में तुम्हारी भलाई होगी ॥ २५। परंतु सातंवें मास में एसा हुआ कि इलौसम:ः के बेटे नतनियाह का बेटा इसमअणल जो राजा के बंश से था आया और उस के साथ दस जन ओर जिदलयाह के गैर उन यहूदियों के ओर कसदियें के! जे। उस के साथ मिसफा में थे प्र।ण से मारा॥ २६। तब सब लाग क्या छोटे क्या बड़ ओर सेनाओं के प्रधान उठे और मिस्र में आ रहे क्यांकि वे कसद्ियों से डरते थे। २७। ओर यहूदाह का राजा यक्यकीन की बंधआई के सेंतीसब बरस के बारहवें मास कौ सताईसबों तिथि में एसा हुआ कि बाबुल का राजा अबौलमरूदक जिस बरस राज्य करने लगा उस ने यहृदाह के राजा 6 २ राजावलौ कौ २ पुस्तक। [२५ पत्च यहूयकौन के बंधुआई से उभारा॥ २८। ओर डस्स अच्छी अच्छी बातें कहों ओर उस के घिंहासन के उन सब राजाओं से जा उस के साथ बाबुल में थे बढ़ाया॥ २९। ओर उस कौ बंघुआई के बस्त के पलट डाला और वुह् अपने जीवन भर उस के मंच पर उस के संग भोजन करता रहा॥ ३०। और उस के जोवन भर उस के प्रति ट्नि की छत्ति नित राजा कौ ओर से दिई जाती थी ॥ हक +८3३ ५०५० ७८४२७०५०९/५०५०५७०७०६०४२६१४०५०४१४१७८७९५४००२५००२९००५७०५१५०५०५०५०४१५०५०५०८६०५-०५००५१५००००००५०१५००००००.. है] (भरत टच पके: । 4२२३ ७०७बै 0 छिचर 42 24 री आग कत की! 05 शाए ं 0/0१९९ ह कंया। पा 00 0 भ/५४ से ४० 6ा 0 0९ 7 श॥67 8 : 250 2 00 5४] डर जे जए & कण ४7३. चुके फं पड ” जिम ७, रुप । ३७ च्रैए, जे है! जी ह ्क् हे परशिष्िक आर 5 4ाआए 5५९ के #ई छल का ४ कै ज्किक न कि जे जोर बहने #+२।४7६0 ॥॥4 ७. 5. ४. | 0/»& 700७८ ७5/&7४(.07२0 8535 .॥42 4854 ८.2 ॥॥6 ॥0!५ 80।6 ॥ (॥९ ।॥0 |॥॥9 09५९ 2/॥06९60॥ ॥॥#९०004८३| 500॥॥37/-5796९/ [0/3/9५ ॥॥॥ है | | ।042 00065 9252